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जियो लांच होने के बाद मोबाइल ब्रॉडबैंड में भारत दुनिया में शीर्ष पर : अंबानी

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नई दिल्ली, 1 दिसम्बर, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने शुक्रवार को कहा कि मोबाइल ब्रॉडबैंड के इस्तेमाल के मामले में भारत दुनिया में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने बताया कि अमेरिका और चीन से भी ज्यादा लोग भारत में मोबाइल ब्रॉडबैंड का उपयोग कर रहे हैं। एचटी लीडरशिप समिट में अंबानी ने कहा, "एक साल पहले मोबाइल ब्रॉडबैंड के इस्तेमाल के मामले में भारत दुनिया में 150वें नंबर पर था लेकिन जियो लांच होने के बाद अब यह शीर्ष पर है।"उनका कहना था कि अगर डाटा नियति है तो नया भारत सचमुच नियति से साक्षात्कार के लिए तैयार है। अर्थव्यवस्था के बारे में चर्चा करते हुए रिलायंस इंस्ट्रीज के प्रमुख ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अगले दस साल में 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर सात ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो सकता है और सबसे ज्यादा जीडीपी के मामले में दुनिया में भारत दुनिया में छठे स्थान से तीसरे स्थान पर आ सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "क्या हम अगले दस साल में इसे (जीडीपी) तीन गुना बढ़ाकर सात ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर कर सकते हैं और दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं? हां, हम कर सकते हैं।"

अंबानी ने कहा, "तेरह साल पहले जब मैंने यहां कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था 500 अरब अमेरिकी डॉलर की है और अगले बीस साल में यह पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी। आज वह भविष्यवाणी सच लग रही है। सचमुच हम इस लक्ष्य को 2024 से पहले हासिल कर लेंगे।"मुकेश अंबानी ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा और प्रौद्योगिकी मानव की प्रगति के लिए अहम हैं और कहा कि वैश्विक शक्ति के रूप में उभरते हुए भारत ने नई प्रौद्योगिकी को अपनाया है। अंबानी ने कहा, "कोई देश पूरे मन से बगैर नई प्रौद्योगिकी को अपनाए और नई पीढ़ी के ऊर्जा के स्रोतों को बिना अपनाए वैश्विक शक्ति नहीं बन पाया है।"उन्होंने कहा, "चौथी औद्योगिक क्रांति अब हमारे लिए है। संपर्क, संगणन, आंकड़े, कृत्रिम बुद्धिमता इस क्रांति की नींव है।"

पेशावर में कालेज हॉस्टल पर आतंकी हमला, 14 की मौत

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पेशावर, 1 दिसम्बर, बुर्का पहने आतंकवादियों ने पाकिस्तान के पेशावर में कृषि प्रशिक्षण संस्थान के छात्रावास पर हमला कर दिया। हमले में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई जिनमें ज्यादातर छात्र हैं।  अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मीडिया ने सुरक्षा अधिकारियों और चिकित्सकों के हवाले से बताया है कि हमले में मरने वालों की संख्या के बढ़ने की आशंका है। इस हमले में 25 लोग घायल हुए हैं। जियो न्यूज के अनुसार, यह हमला सुबह के समय हुआ। बुर्का पहने हुए तीन से पांच संदिग्धों ने इमारत में प्रवेश किया और तीन धमाके सुने गए जिसके बाद छात्रावास में आग लग गई। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान ने ली है। हमले के प्रत्यक्षदर्शी एक छात्र ने कहा कि आमतौर पर छात्रावास में लगभग 400 छात्र होते हैं लेकिन शुक्रवार को पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले ईद मिलाद-उन-नबी के अवकाश के कारण छात्रावास में केवल 150 छात्र ही मौजूद थे। छात्र ने कहा कि जैसे ही दो आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू की, भयभीत छात्र शरण लेने के लिए दौड़े। कुछ को गोली लगी और कुछ घायल हुए जबकि अन्य छात्र खिड़कियों से कूद गए। पुलिस के अनुसार, रिक्शे से आए हमलावरों ने पहले दरवाजे पर खड़े चौकीदार को गोली मारी और फिर छात्रावास की ओर बढ़े। सुरक्षा बल शुरुआत में हमले से अवाक रह गए लेकिन फिर आतंकवादियों का मुकाबला किया।

समाचार एजेंसी एफे ने पेशावर के पुलिस अधिकारी बशीर दाद के हवाले से बताया, "कुल पांच आतंकवादी मारे गए हैं। मरने वालों में आठ छात्र और एक चौकीदार शामिल हैं।"पाकिस्तान के प्रमुख तालिबान समूह तहरीक-ए-तालिबान ने एक बयान जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली है। बयान में कहा गया कि समूह के तीन आतंकवादियों ने हमले को अंजाम दिया। बयान में कहा गया कि हमलावरों ने दर्जनों लोगों को मारा और यह दावा किया यह संस्थान एक विश्वविद्यालय नहीं बल्कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एक गुप्त केंद्र है। समूह ने कहा, "यह हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों द्वारा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और निरंकुश लोगों विशेषकर कैदियों एवं मौलवियों पर निरंतर की जा रही क्रूरता का जवाब है।"छात्रावास की इमारत से आत्मघाती जैकेट, तीन ग्रेनेड, दो बम और एक पिस्तौल बरामद की गई। डॉन न्यूज ने खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री परवेज खट्टक के हवाले से बताया कि हालांकि, पुलिस सर्तक थी लेकिन यह घटना अचानक हो गई। परवेज खट्टक ने कहा, "पुलिस आई और हालात पर नियंत्रण किया.. ईद मिलाद-उन-नबी को ध्यान में रखते हुए पहले से सुरक्षा के इंतजाम थे। गोलीबारी शुरू होने के तुरंत बाद हमारी पुलिस वहां पहुंच गई..अभी हम मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।"यह पाकिस्तान में किसी विश्वविद्यालय पर पहला हमला नहीं है। तालिबान ने जनवरी 2016 में चारसादा में बाचा खान विश्वविद्यालय पर भी हमला किया था जिसमें 25 लोगों की मौत हुई थी। सबसे भयावह हमला दिसम्बर 2014 में पेशावर के एक स्कूल पर हुआ था जिसमें मारे गए 151 लोगों में अधिकांश बच्चे थे।

मोदी से कहा था, भारत को धार्मिक आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए : ओबामा

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नई दिल्ली, 1 दिसम्बर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि भारत को किसी भी स्थिति में सांप्रदायिक आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए।   ओबामा ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय समाज को इस बात को सहेज कर रखने की जरूरत है कि यहां के मुस्लिम अपनी पहचान भारतीय के तौर में बनाए हुए हैं। ओबामा ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप शिखर सम्मेलन में कहा, "एक देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत तौर पर व अमेरिका के लोगों से कहा।"ओबामा ने कहा, "लोग अपने बीच के अंतर को बहुत स्पष्ट तौर पर देखते हैं लेकिन अपने बीच की समानता को फरामोश कर बैठते हैं। समानता हमेशा लिंग पर आधारित होती है और हमें इस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।"यह पूछे जाने पर कि मोदी ने धार्मिक सहिष्णुता के उनके निजी संदेश पर कैसे जवाब दिया था, ओबामा ने सीधे तौर पर उत्तर को टालते हुए कहा कि उनका लक्ष्य अपनी निजी बातचीत का खुलासा करना नहीं है। लेकिन, उन्होंने कहा कि भारत के बहुसंख्यक समुदाय व सरकार को इस तथ्य को ध्यान में रखने की जरूरत है कि अल्पसंख्यक, खास तौर से मुस्लिम भारत में अपनी पहचान को भारतीय समाज के भाग के तौर पर मानते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "भारत जैसे देश में जहां मुस्लिमों की एक ऐसी आबादी है जो सफल, एकीकृत है और अपने को भारतीय के रूप में मानती है, ऐसा बहुत से देशों में नहीं है, इसे पोषित किया जाना चाहिए।"उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे प्रमुख पद राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का पद नहीं है, बल्कि नागरिकों का पद है, जिसे खुद से सवाल करने की जरूरत हैं कि वे किसी खास राजनेता का समर्थन करके किस तरह की विचारधारा को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ओबामा ने कहा, "अगर आप किसी नेता को कुछ ऐसा करते देखें जो सही नहीं हो, तो आप खुद से पूछें 'क्या मैं इसका समर्थन करता हूं?'नेता उन दर्पणों की तरह होते हैं जिनसे सामुदायिक सोच प्रतिबिंबित होती है। अगर पूरे भारत में तमाम समुदाय यह तय कर लें कि वे विभाजन की सोच का शिकार नहीं बनेंगे तो इससे उन नेताओं के हाथ मजबूत होंगे जो ऐसा सोचते हैं।"

शेयर बाजार में गिरावट जारी, सेंसेक्स 316 अंक और निफ्टी 105 अंक नीचे

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मुंबई 01दिसंबर, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर में 15 महीने के बाद सुधार होने के आंकड़ों के बावजूद वित्तीय घाटा बढ़ने की आशंका में निवेशकों के सतर्कता बरतते हुये बिकवाली करने से शेयर बाजार में आज लगातार चौथे दिन गिरावट जारी रही और इस दौरान बीएसई का सेंसेक्स 316 अंक और निफ्टी 105 अंक फिसल गया।  बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 316.41 अंक गिरकर 33 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 32832.94 अंक पर अौर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 104.75 अंक फिसलकर 10121.80 अंक पर आ गया। इस दौरान छोटी और मझौली कंपनियों में भी बिकवाली हुयी जिससे बीएसई का मिडकैप 0.95 प्रतिशत लुढ़ककर 16757.27 अंक और स्मॉलकैप 1.16 प्रतिशत उतरकर 18017.48 अंक पर रहा। बीएसई के सभी समूह गिरावट में रहे। उनमें 1.99 प्रतिशत तक की गिरावट हुयी।  चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.3 प्रतिशत बढ़ने से आगे अर्थव्यवस्था में तीव्र सुधार की उम्मीद में बीएसई का सेंसेक्स सुबह में करीब 100 अंकों की बढ़त लेकर 33247.66 अंक पर खुला और शुरूआत में ही लिवाली के बल पर 33300.81 अंक के उच्चतम स्तर तक चढ़ गया। लेकिन चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान बजट अनुमान के 96 प्रतिशत पर पहुंचने से इसके बढ़ने की आशंका के साथ वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में आ रही तेजी से बने नकारात्मक धारणा के कारण बिकवाली शुरू हो गयी है जिससे सेंसेक्स 32797.78 अंक के निचले स्तर तक लुढ़क गया। अंत में यह पिछले दिवस के 33149.35 अंक की तुलना में 0.95 प्रतिशत अर्थात 316.41 अंक फिसलकर 32832.94 अंक पर रहा।  एसएनएसई का निफ्टी भी 37 अंकों की बढ़त लेकर 10263.70 अंक पर खुला और लिवाली के बल पर यह 10272.70 अंक के उच्चतम स्तर तक चढ़ा। हालांकि इसी दौरान बिकवाली शुरू होने से यह 10108.55 अंक के निचले स्तर तक फिसला। आखिर में यह पिछले दिवस के 10226.55 अंक की तुलना में 104.75 अंक अर्थात 1.02 प्रतिशत लुढ़ककर 10121.80 अंक पर रहा। बीएसई में कुल 2842 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ जिनमें से 1030 बढ़त में और 1655 गिरावट में रहे जबकि 157 पिछले सत्र पर टिकने में सफल रहे।

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा राम लहर पर सवार: स्वामी

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नयी दिल्ली 01 दिसम्बर, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या नगर निगम चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी ऋषिकेश उपाध्याय की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में राम लहर पर सवार है। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के आज आये परिणामों में भाजपा को भारी बढत है। पहली बार अयोध्या को नगर निगम का दर्जा दिया गया है। पार्टी ने यहां से ऋषिकेश उपाध्याय को चुनाव में उतारा था। श्री उपाध्याय ने चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गुलशन बिंदु को करीब 4600 वोटों के अंतर से हराया है। अयोध्या में पार्टी की जीत और राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा की भारी विजय पर श्री स्वामी ने ट्वीट कर कहा “उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में भाजपा राम लहर पर सवार है। 2019 में आंधी का इंतजार है।”

चिदंबरम के परिजनों के ठिकानों पर ईडी के छापे

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चेन्नई 01 दिसंबर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के परिजनों के ठिकानों पर आज छापे मारे। ईडी सूत्रों ने बताया कि चेन्नई में चार और कोलकाता में दो स्थानों पर छापे मारे गये। श्री चिदंबरम के करीबी रिश्तेदार एस कैलासम के चेन्नई स्थित आवास पर भी छापा मारा गया।  ये छापे एयरसेल-मैक्सिस मामले में श्री चिदंबरम के केंद्रीय वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरियां देने के संबंध में मारे गये हैं।

समुद्री ताकत के लिए 6 परमाणु पनडुब्बी बना रहा है भारत : एडमिरल लांबा

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नयी दिल्ली 01 दिसम्बर, चीन की आक्रामक गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने अपने नौसैनिक बेड़े को अत्याधुनिक बनाने तथा परमाणु शक्ति से लैस करने के लिए छह और परमाणु पनडुब्बी बनाने का महत्वाकांक्षी मिशन शुरू किया है।  नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने आज यहां वार्षिक संंवाददाता सम्मेलन में कहा कि क्षेत्र में पारंपरिक और गैर पारंपरिक चुनौतियों को देखते हुए स्थिति पर निरंतर नजर बनाये रखने तथा उससे निपटने के कदम उठाये जाने की जरूरत है। भारतीय युद्धपोत हिन्द महासागर में आने -जाने के अदन की खाड़ी से लेकर मलक्का जल डमरू मध्य और सुंडा तथा लुंबोक जल डमरू मध्य तक के सभी रास्तों पर 24 घंटे नजर बनाये रखते हैं। उन्होंने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए समुद्र की गहराईयों से मार करने की नौसेना की क्षमता बढाने के लिए भारत ने 6 और परमाणु पनडुब्बी बनाने की परियोजना शुरू कर दी है। एडमिरल लांबा ने कहा , “ हमने 6 परमाणु पनडुब्बी बनाने की परियोजना शुरू कर दी है हालाकि मैं इसके बारे में और जानकारी साझा नहीं की जा सकती। ” एडमिरल लांबा ने कहा कि वह आश्वस्त करना चाहते हैं कि नौसेना देश के समुद्री हितों की रक्षा करने तथा समुद्री क्षेत्रों में नौवहन के अनुकूल माहौल बनाये रखने के लिए हर समय पूरी तरह तैयार है। भारतीय नौसेना के पास अभी दो परमाणु पनडुब्बी देश में ही बनी अरिहंत तथा रूस से लीज पर ली गयी चक्र हैं। छह और परमाणु पनडुब्बी बनाने का काम नौसेना के पनडुब्बी बेड़े की इस साल मनायी जा रही स्वर्ण जयंती के दौरान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि अभी नौसेना के लिए विभिन्न श्रेणी के 34 जलपोत बनाये जा रहे हैं और गौरव की बात यह है कि ये सभी भारतीय शिपयार्डों में बन रहे हैं। स्वदेशी विमानवाहक पोत का काम भी तेजी से चल रहा है और इसके वर्ष 2020 तक नौसेना के बेडे में शामिल होने की उम्मीद है।

मायावती ने केन्द्र सरकार पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया

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जयपुर, 01 दिसम्बर, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह पिछले दरवाजें से दलितों, आदिवासियों एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों का आरक्षण को समाप्त करने पर तुली हुई है।  मायावती ने आज यहां बसपा के कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि इन वर्गों का रोजगार छीनने के लिए मंत्रालयों में निजी क्षेत्रों को काम सौंपे जा रहे हैं जहां इन वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है। उन्होंने दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग से आह्वान किया है कि वे एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करें और केन्द्र व राज्यों में सत्ता की चाबी अपने हाथ में लें। बसपा नेता ने कहा कि भाजपा ने मतदाताओं को बड़े-बड़े प्रलोभन देकर सत्ता हासिल कर ली लेकिन केन्द्र की सरकार तीन साल बाद भी आतंकवाद को खत्म करने, काला धन देश में लाने, बेरोजगारों को रोजगार देने के साथ किसानों की आय को दुगुना करने के वादे पूरे नहीं कर पाई। अब फिर चुनाव के समय भाजपा हवा हवाई योजनाओं की घोषणा कर आपको भ्रम में डाल रही है। इसलिए अभी से सावधान होने की जरूरत है।

मायावती ने कहा राजस्थान में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं, इसलिए समय कम है। सभी जातियों को एकजुट होकर सत्ता हासिल करनी है। यदि सत्ता हासिल नहीं हो तो भी इतने सदस्य तो जीत कर आएं कि सत्ता का संतुलन आपके हाथों में रहे।  उन्होंने कहा कि भाजपा विपक्ष मुक्त भारत के लिए सभी दलों के साथ दुर्भावनापूर्वक व्यवहार कर रही है तथा सीबीआई, आयकर और ईडी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग करने पर तुली हुई है जबकि भाजपा अपने नेताओं की करतूतों पर पर्दा डाल रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार पर तानाशाही और मनमानी का राज चलाने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र को कमजोर कर दिया है। आज हालात आपातकाल से भी खराब हो गए हैं। राजस्थान के संदर्भ में मायावती ने कहा कि यहां दलितों आदिवासियों को न्याय की बात तो दूर उनकी थानों में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जाती है। उन पर अत्याचार दिनों दिन बढ़ रहे हैं।

राहुल पहले सम्भालें अमेठी, फिर देखें गुजरात का ख्वाब : योगी

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लखनऊ 01 दिसम्बर, उत्तर प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव परिणामों से उत्साहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत का ख्वाब देख रही कांग्रेस यूपी में चित हो गयी है। श्री योगी ने कहा कि जनता ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को करारा जवाब दे दिया है। अब तो भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) 2019 में उत्तर प्रदेश से लोकसभा की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य बनाकर काम करेगी। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्र पाण्डेय, दोनाे उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और डा0 दिनेश शर्मा के साथ जीत पर जनता का आभार प्रकट किया। कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में जीत के बारे में सोचने वालों का सूपड़ा ही साफ हो गया। यहां तक कि वे अपने गढ़ अमेठी को भी नहीं बचा पाये। उन्होंने दावा किया कि इसका असर गुजरात के चुनाव पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के नगरीय निकाय चुनाव परिणाम सभी के आंख खोलने वाला है। इन परिणामों ने भाजपा कार्यकर्ताओं को और जिम्मेदारी दे दी है। अब संगठन और सरकार को और जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के विजन और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की कुशल रणनीति की वजह से जनता का व्यापक समर्थन मिला।

राफेल पर चुप्पी ताेड़े सरकार: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 01 दिसंबर, कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे में गड़बडी होने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि सरकार को इस संबंध में सभी तथ्य सार्वजनिक करने चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां पार्टी मुख्यालय में नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि राफेल सौदे के बारे में मीडिया में कुछ जानकारी सूत्रों की माध्यम से सामने आ रही है जो संदेह पैदा करती हैं। उन्होेंने मीडिया में सूत्रों के माध्यम आयी खबरों पर कहा कि राफेल लड़ाकू विमान का मौजूदा सौदा पहले साैदे से महंगा होगा। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के राफेल सौदे और मौजूदा राफेल सौदे के बारे में तमाम जानकारी देश के सामने रखनी चाहिए और बारीकी से सभी तथ्य सार्वजनिक करने चाहिए। उन्होेंने कहा कि यूपीए सरकार ने यह सौदा 126 विमानों का किया था जिसमें रोजगार सृजन, तकनीक हस्तांतरण और कम लागत शामिल थी। लेकिन मौजूदा सौदे के संबंध में सरकार या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।

उत्तर प्रदेश में हुई विकास की जीत : मोदी

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नयी दिल्ली, 01 दिसंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकायों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत पर राज्य की जनता का आभार व्यक्त किया है और कहा है कि यह विकास की जीत है। श्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के नगर निकायों के चुनाव परिणामों पर ट्वीट किया ,‘ देश मे विकास की एक बार फिर जीत हुई है । उन्होंने कहा ,‘उत्तर प्रदेश निकाय के चुनावों में भव्य जीत के लिए प्रदेश की जनता को बहुत-बहुत धन्यवाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को ढेरों शुभकामनाएं। यह जीत हमें जन कल्याण की दिशा में और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगी।’ उल्लेखनीय है कि नगर निकाय के चुनावों में भाजपा ने भारी जीत दर्ज की है । राज्य के 16 नगर निगमों में से 14 पर उसका कब्जा हो गया है तथा अधिकतर नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी वह जीत की ओर अग्रसर है ।

उत्तर प्रदेश नगर निगम चुनाव में भाजपा ने फहरायी विजय पताका

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लखनऊ, 01 दिसम्बर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिटमस टेस्ट माने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नगर निगम की 16 सीटों में से 14 पर जीत दर्ज की है जबकि दो सीटें बहुजन समाज पार्टी को मिली है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिये पहली परीक्षा माने जा रहे नगर निगम के इस चुनाव में जनता ने भाजपा के प्रति अपना विश्वास प्रकट किया है हालांकि नगर पालिका और नगर पंचायत में बहुजन समाज पाटी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशियों ने जोरदार टक्कर दी है। कांग्रेस हालांकि इस चुनाव में फिर से फिसड्डी साबित हुयी है। नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार शामिल सहारनपुर नगर निगम की मेयर सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कब्जा कर लिया है। अयाेध्या में भी भाजपा के ऋषिकेश उपाध्याय ने सपा की लोकप्रिय उम्मीदवार किन्नर गुलशन बिंदु को पटखनी दी है।

जीएसटी ने व्यापारियों के लिए कारोबार को आसान बनाया : जेटली

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) ने व्यापारियों के लिए कारोबार को आसान बनाया है, क्योंकि इसने बाजार का विस्तार किया है और कर अनुपालन के बोझ को घटाया है। जेटली ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी जैसे दो बुनियादी सुधारों से देश की अर्थव्यवस्था को मध्यम एवं दीर्घावधि में लाभ होगा। दूसरी तिमाही के आर्थिक वृद्धि अनुमानों पर एक प्रश्न के जवाब में जेटली ने कहा, ‘‘जीएसटी ने कारोबार और व्यापार को बहुत आसान बना दिया है। हर व्यापारी के लिए बाजार का आकार बढ़ गया है। अब पूरा देश उसके लिए बाजार है।’’ उल्लेखनीय है कि पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में जुलाई-सितंबर तिमाही में वापस सुधार हुआ है। यह 6.3% के स्तर पर रही है। साथ ही नयी जीएसटी व्यवस्था के साथ कारोबार का समायोजन और विनिर्माण क्षेत्र के सुधरने से भी अर्थव्यवस्था में थोड़ी रौनक नजर आयी है। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर तीन वर्ष के न्यूनतम स्तर 5.7% पर आ गई थी। जेटली ने कहा कि जीएसटी ने व्यापारियों के लिए कर अनुपालन के बोझ को भी कम किया है। अब व्यापारी को नयी प्रणाली में कई तरह के कर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। कर दरों को भी तर्कसंगत बनाया गया है। अब किसी व्यापारी को कर निरीक्षकों से उलझने की जरुरत नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल नवंबर में लिए गए नोटबंदी के फैसले का असर सिर्फ एक-दो तिमाही में ही रहा। जबकि जीएसटी का असर एक तिमाही में ही रहा है। जीएसटी और नोटबंदी जैसे ढांचागत सुधारों का अर्थव्यवस्था को मध्यम एवं दीर्घवधि में लाभ होगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की हो जाएगी : मुकेश अंबानी

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर, भारतीय अर्थव्यवस्था 2024 तक दोगुनी होकर 5,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी। देश के सबसे अमीर व्यक्ति रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने आज यह बात कही। अंबानी ने यहां एचटी लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी के मध्य तक भारत की अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी चीन से अधिक होगी। अंबानी ने कहा कि उन्होंने 2004 में भविष्यवाणी की थी कि 20 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचेगी। उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था 500 अरब डॉलर की थी। अंबानी ने कहा कि उस समय लगाया गया अनुमान अब भी कायम है। वास्तव में 2024 से पहले यह लक्ष्य हासिल हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम अगले दस साल में इसे तिगुना कर 7,000 अरब डॉलर पर पहुंचा सकते हैं और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं? हां, हम ऐसा कर सकते हैं। इसी तरह क्या हम 2030 तक 10,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पा सकते हैं और भारत-चीन, भारत-अमेरिका के अंतर को घटा सकते हैं? हां, हम यह कर सकते हैं।’’ अंबानी ने उम्मीद जताई कि भारत इस सदी में अमेरिका और चीन से अधिक समृद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आगामी तीन दशक भारत के लिए परिभाषित करने वाले दशक होंगे। 21वीं सदी के मध्य तक भारत की बढ़ोतरी चीन से अधिक होगी। यह दुनिया के लिए अधिक आकर्षक होगा।’’ अंबानी ने कहा कि भारत एक बेहतर और अलग तरीके का विकास मॉडल उपलब्ध कराएगा जिससे समान और समावेशी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

मेरीकाम ने मुक्केबाजी की राष्ट्रीय पर्यवेक्षक का पद छोड़ा

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर, खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के यह स्पष्ट करने के बाद कि कोई भी सक्रिय खिलाड़ी खेलों में राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नहीं हो सकता, पांच बार की विश्व चैम्पियन एम सी मेरीकाम ने मुक्केबाजी में राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया । पिछले महीने पांचवां एशियाई चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक जीतने वाली मेरीकाम ने कहा ,‘‘ मैने दस दिन पहले ही खेलमंत्री से बात करने के बाद राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया । मैने यह पद मांगा नहीं था, मुझसे इस पद को ग्रहण करने के लिये कहा गया था ।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैने तत्कालीन खेल सचिव इंजेती श्रीनिवास से उस समय पूछा भी था कि सक्रिय खिलाड़ियों को पर्यवेक्षक नहीं बनाने के बारे में क्या नियम है । उस समय मुझे बताया गया कि मैं यह पद स्वीकार कर लूं ।मैने मंत्रालय के आग्रह पर ऐसा किया और मैं किसी अनावश्यक विवाद में नहीं पड़ना चाहती जब मैने वह पद मांगा ही नहीं था ।’’ तत्कालीन खेलमंत्री विजय गोयल ने मार्च में 12 राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किये थे जिनमें मेरीकाम एक थी । इस सूची में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, दोहरे ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील, मुक्केबाज अखिल कुमार शामिल थे । सुशील और मेरीकाम अभी भी सक्रिय खिलाड़ी हैं जबकि अखिल अब अमैच्योर मुक्केबाज नहीं हैं । मेरीकाम ने कहा ,‘‘ मेरी इसमें कभी भी रूचि नहीं थी लेकिन मैने मंत्रालय के आग्रह पर इसे स्वीकार किया । मेरे पास करने के लिये बहुत कुछ है । मुझे कोई मलाल नहीं है ।’’

सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस

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  • दोषियों को राजनीतिक दल का नेतृत्व करने से रोकने की मांग संबंधी याचिका पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर, उच्चतम न्यायालय ने दोषी नेताओं को राजनीतिक दल चलाने और उनका नेतृत्व करने से रोकने की मांग करने संबंधी जनहित याचिका पर सरकार और निर्वाचन आयोग से आज जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29ए की वैधता एवं रूप रेखा की समीक्षा करने पर सहमति जताई। यह जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कानून के अनुसार दोषी नेता चुनाव नहीं लड़ सकता लेकिन वह राजनीतिक दल चला सकता है और उसमें पदों पर बने रह सकता है। इसके अलावा वह यह निर्णय भी ले सकता हे कि कौन सांसद या विधायक बनेगा। याचिका में केंद्र और निर्वाचन आयोग को यह आदेश दिए जाने की मांग की गई कि वे चुनावी प्रणाली को अपराधमुक्त करने के दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार करें और संविधान के कामकाज की समीक्षा करने वाले राष्ट्रीय आयोग (एनसीआरडब्ल्यूसी) के प्रस्ताव के अनुसार पार्टी के भीतर लोकतंत्र को सुनिश्चित करें। याचिका में ऐसे कई शीर्ष नेताओं के नाम लिए गए हैं, जो दोषी ठहराए जा चुके हैं या जिनके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं और वे ऊंचे राजनीतिक पदों पर आसीन हैं और ‘‘राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल’’ कर रहे हैं। इसमें दावा किया गया है कि ऐसा व्यक्ति भी राजनीतिक दल गठित कर सकता है और उसका अध्यक्ष बन सकता है जो हत्या, बलात्कार, तस्करी, धनशोधन, लूटपाट, देशद्रोह या डकैती जैसे जघन्य अपराधों का दोषी है। इसमें यह भी कहा गया है कि राजनीतिक दलों की संख्या तेजी से बढ़ना चिंता का एक बड़ा कारण बन गया है क्योंकि कानून की धारा 29ए कम लोगों के एक समूह को भी एक बहुत सादी घोषणा करके एक पार्टी का गठन करने की अनुमति देती है।

सुप्रीम कोर्ट ने थरूर पर चैनल को दी नसीहत

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  • उच्च न्यायालय ने अर्णब, रिपब्लिक टीवी से थरूर के चुप रहने के अधिकार का सम्मान करने को कहा

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी और उनके ‘रिपब्लिक’ टीवी चैनल को शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले से जुड़ी खबरें प्रसारित करने या इस विषय पर परिचर्चा कराने से रोकने की मांग को आज खारिज कर दिया हालांकि उनसे कांग्रेस सांसद के ‘चुप रहने के अधिकार’ का सम्मान करने को कहा। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि खबर प्रसारित करने के अधिकार पर रोक नहीं लगायी जा सकती लेकिन संतुलन कायम किये जाने की जरूरत है। उच्च न्यायालय ने गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी को सुनंदा की मौत से जुड़ी किसी खबर को चलाने से पहले उस पर थरूर की राय जानने के लिए उनको अग्रिम नोटिस देने को कहा। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हर व्यक्ति को चुप रहने का अधिकार है। उन्हें किसी मुद्दे पर बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ।’’ न्यायालय ने गोस्वामी और चैनल के खिलाफ थरूर द्वारा दायर दो करोड़ रुपये की मानहानि के तीन मुकदमों पर यह आदेश दिया। कांग्रेस नेता ने पत्रकार और चैनल पर सुनंदा की रहस्यमयी मौत से जुड़ी खबर के प्रसारण के समय उनके खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर ये मामले दायर किये थे। सुनंदा 17 दिसंबर, 2014 को दक्षिणी दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पायी गयी थी। थरूर का आरोप है कि उनके (गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी) वकील द्वारा 29 मई को दिये गए आश्वासन के बावजूद वे उनको ‘बदनाम’ करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

यूपी परिणाम ने नोटबंदी, जीएसटी को जनता के समर्थन की पुन: पुष्टि की : जेटली

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नयी दिल्ली, 1 दिसंबर, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव ने जीएसटी के लिये लोगों के समर्थन की पुन: पुष्टि की है जिससे व्यापारियों के लिये कारोबार के अनुकूल माहौल बना है । जेटली ने यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव नोटबंदी के निर्णय के बाद हुए थे और उसमें भाजपा ने जबर्दस्त जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा ने उत्तरप्रदेश में हर इलाके में जीत दर्ज की थी जो नोटबंदी को लोकप्रिय समर्थन को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ आज के चुनाव परिणाम :उत्तरप्रदेश: ने केवल इसकी पुन: पुष्टि की है ।’’ उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश में निकाय चुनाव में भाजपा अपने प्रतिद्वन्द्वियों पर बड़ी बढ़त बनाये हुए है और मेयर की सीटों के चुनाव में भाजपा 16 में से 14 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है । गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जीएसटी को लागू करने में खामियां और नोटबंदी के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों के विषय को उठाया है । जेटली ने कहा, ‘‘ जीएसटी ने कारोबारियों एवं व्यापारियों के लिये काम करना सुगम बनाया है । प्रत्येक कारोबारी के बाजार का आकार बढ़ा है। अब उनके लिये पूरा देश बाजार है । ’’ उन्होंने हालांकि भाजपा के संबंध में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के ‘धर्म की दलाली’ संबंधी बयान पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार किया । जेटली ने कहा कि इसका जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है ।

विशेष : भारत में अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते के 25 साल

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20 नवम्बर 1989 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा द्वारा “बाल अधिकार समझौते”को पारित किया था. जिसके बाद से हर वर्ष 20 नवम्बर को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. बाल अधिकार संधि ऐसा पहला अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो सभी बच्चों के नागरिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकारों को मान्यता देता है. इस समझौते पर विश्व की अधिकतर सरकारों ने हस्ताक्षर करते हुए अपने देश में सभी बच्चों को जाति, धर्म, रंग, लिंग, भाषा, संपति, योग्यता आदि के आधार पर बिना किसी भेदभाव के संरक्षण देने का वचन दिया है. भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र संघ बाल अधिकार संधि को 1992 में हस्ताक्षर कर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है.  इसमें कोई शक नहीं कि इस संधि ने भारत सहित दुनिया भर के लोगों में बच्चों के प्रति नजरिये और विचारों को बदला है, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। पिछले पचीस वर्षों में मानवता आगे बढ़ी है और इसने कई ऊचाईयां तय किये हैं, परंतु अभी भी हम ऐसी दुनिया नहीं बना पाए हैं जो बच्चों के हित में और उनके लिए सुरक्षित हो. 

भारत द्वारा बाल अधिकार समझौते को अंगीकार किये जाने के इस साल 25 साल पूरे हो रहे हैं लेकिन 25 साल बीत जाने के बावजूद आज भी हमारे देश में समाज और सरकारों का बच्चों के प्रति नजरिया उदासीन बना हुआ है. राज्य की तरफ से तो फिर भी बच्चों के पक्ष में सकारात्मक पहल किये गये हैं, लेकिन एक समाज के रूप में हम अभी भी बच्चों और उनके अधिकारों को लेकर गैर-जिम्मेदार और असंवेदनशील बने हुए हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कुछ क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की की हैं, लेकिन बाल अधिकारों को लेकर विभिन्न इंडिकेटर इस उजले तस्वीर में काले दाग की तरह हैं, हमारा मुल्क अभी भी भूण हत्या, बाल व्यापार, यौन दुर्व्यवहार, लिंग अनुपात, बाल विवाह, बाल श्रम, स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण, मलेरिया, खसरा और निमोनिया जैसी बीमारियों से मरने वाले बच्चों के हिसाब से दुनिया के कुछ सबसे बदतर देशों में शामिल है, हम एक राष्ट्र और समाज के रूप में अपने बच्चों को हिंसा, भेदभाव, उपेक्षा शोषण और तिरस्कार से निजात दिलाने में विफल साबित हुये हैं.

हालांकि यू.एन.सी.आर.सी. को स्वीकार करने के बाद भारत ने अपने कानूनों में काफी फेरबदल किया है, बच्चों को ध्यान में रखते हुए कई नए कानून, नीतियाँ और योजनायें बनायीं गयी हैं. इसकी वजह से बच्चों से सम्बंधित कई सूचकांकों में पहले के मुकाबले सुधार देखने में आया है, लेकिन इन सब के बावजूद भारत को अभी भी संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार संधि के तहत किये गये वादों को पूरा करने के लिए लम्बा सफर तय करना बाकी है. इस सफ़र में कई कानूनी, प्रशासनिक एवं वित्तिय बाधाऐं है, जिन्हें दूर करना होगा और सबसे जरूरी एक राष्ट्र के रुप में हमें बच्चों को अधिकार देने के लिए ओर अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण एवं माहौल बनाने की जरुरत है. “अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार समझौता”बच्चों के चार मूल सिद्धांतों पर आधारित हैं जिसमें जीने का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, विकास और सहभागिता का अधिकार शामिल है. आमतौर पर पहले तीनों अधिकारों की महत्ता समाज में स्थापित हो गयी है लेकिन अभी यह सोच नहीं बन पायी है कि बच्चों का भी अपना स्वतन्त्र विचार और नजरिया हो सकता है जिसे जगह और सम्मान मिलना चाहिए. बच्चों को लेकर हम बड़ों के बीच यह नजरिया हावी है कि वे खुद से सोचने, समझने, निर्णय लेने और किसी बात पर अपने विचार व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते, हम उन्हें देश का भविष्य मानते हैं लेकिन वे वर्तमान भी तो है. माना कि वर्तमान में भले ही वे वोटर ना हों लेकिन वे भविष्य के नागरिक नहीं है. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 0 से 18 आयु समूह के 472 मिलियन बच्चे हैं जो कि भारत के वर्तमान बाशिंदे हैं और उनको इसे नजरिये से देखने की जरूरत है.
  
राज्य की तरफ से इस दिशा में जरूर प्रयास देखने को मिले हैं जिसमें“राष्ट्रीय बाल नीति 2013” सबसे महत्वपूर्ण है जिसमें जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में ऐसा तंत्र विकसित करने की वकालत की गयी है जहाँ बच्चे बिना किसी डर के अपनी बात रख सकें. इसी तरह से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में राज्यों को यह निर्देश जारी किया गया है कि वे बच्चों से संबंधित संस्थानों जैसे स्कूल, होस्टल, होम आदि में ऐसे फोरम की स्थापना सुनिश्चत करें जहाँ बच्चे अपने विचारों को रख सकें. लेकिन अगर भारत जैसे देशों में जब तक बाल सहभागिता को लेकर लोगों की सोच में व्यापक रूप बदलाव नहीं होगा इस तरह के प्रयास महज कागजी कवायद ही साबित होंगें .  दुर्भाग्य से हमारे समाज में बच्चों की सोच के लिये कोई मूल्य है हमें यह समझना होगा कि अगर बच्चों को मौका मिले तो वे खुद को अपनी पूरी स्वाभिकता और सरलता के साथ अभिव्यक्त करते हैं और ऐसा करते हुये वे हम बड़ों की दुनिया को चुनौती देते भी नजर आते है. उनकी मौलाकिता बहुमूल्य है जो हमारी दूनिया को और खूबसरत बना सकती है. हम उनसे सीख सकते हैं कि कैसे अपनी स्वाभिकता को बरकरार रखते हुए मौलिकता को साधा जाता है.

पिछले दिनों सामाजिक संस्था वि‍कास संवाद और साथी संस्‍थाओं द्वारा “बच्‍चों की आवाज” पर आधारि‍त रि‍पोर्ट जारी की गयी है जिससे पता चलता है कि अगर बच्चों को सहज मौका और मंच दिया जाये तो वे हम बड़ों को आईना दिखा सकते हैं. यह रिपोर्ट मध्यप्रदेश के 2300 बच्चों के साथ गतिविधि आधारित सर्वेक्षण पर आधारित है जिसमें 78 प्रतिशत बच्चों ने कहा है कि सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. क्या यह जवाब सुनकर हमें बच्चों को अपनी तरह बनाने की कोशिश छोड़ कर खुद उनकी तरह बननी की कोशिश नहीं करनी चाहिये.






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जावेद अनीस 
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javed4media@gmail.com

विशेष आलेख : निजी अस्पतालों की लूट कब तक?

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देश के निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य की दृष्टि से तो हालात बदतर एवं चिन्तनीय है ही, लेकिन ये लूटपाट एवं धन उगाने के ऐसे अड्डे बन गये हैं जो अधिक परेशानी का सबब है। हमारे देश में जगह-जगह छोटे शहरों से लेकर प्रान्त की राजधानियों  एवं एनसीआर तक में निजी अस्पतालों में मरीजों की लूट-खसोट, इलाज में कोताही और मनमानापन कोई नई बात नहीं है। विशेषतः देश के नामी निजी अस्पतालों की श्रृंखला में इलाज एवं जांच परीक्षण के नाम पर जिस तरह से लाखों रूपये वसूले जा रहे हैं, वह तो इलाज के नाम पर जीवन की बजाय जान लेने के माध्यम बने हुए हैं। इसका ताजा उदाहरण है गुरुग्राम का नामी अस्पताल फोर्टिस और उसका सात साल की एक डेंगू-पीड़ित बच्ची के इलाज का सोलह लाख रुपए का बिल। इतनी बढ़ी राशि लेकर भी पीड़ित बच्ची की जान नहीं ंबचायी जा सकी।  ऐसे महंगे इलाज की फिर क्या उपयोगिता? क्यों इस तरह की सरेआम लूटपाट इलाज के नाम पर हो रही है? लगता है कानून एवं प्रशासन नाम की चीज नहीं है, या उनकी मिलीभगत से जीवन के नाम पर मौत का व्यापार खुलेआम हो रहा है। 

डेंगू पीड़ित नन्हीं बच्ची की मौत निजी अस्पतालों पर ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण चिकित्सा व्यवस्था पर एक बदनुमा दाग है। इलाज के नाम पर आम आदमी जाये तो कहां जाये? सरकारी अस्पतालों में मौत से जूझ रहे रोगी के लिये कोई जगह नहीं है तो उसके लिये निजी अस्पतालों में शरण जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं? निजी अस्पतालों ने लूट-खसोट मचा रखी है। यहां तक कि इलाज के बगैर भी बिल वसूलने की घटनाएं नजर आती है। मरीजों पर महंगा टेस्ट करवाने के लिए दबाव डाला जाता है। बगैर जरूरत मरीज को वेंटिलेशन व ऑपरेशन थियेटर में डाल दिया जाता है। मरीजों को उनके मामले का विवरण नहीं दिया जाता है। तय पैकेज पर एक्सट्रा पैकेज लेने के मामले भी सामने आये हैंै। इससे बड़ा अनैतिक काम और नहीं हो सकता है। नर्सिंग होम एवं निजी अस्पताल वालों को यह ध्यान में रखना होगा कि चिकित्सा-सेवा उनके लिये ईंट व लकड़ी का व्यवसाय नहीं, बल्कि जिंदगी बचाने का काम है। सेवा को कभी बेचा नहीं जाता। मरीजों को मानवीय दृष्टि से देखना चाहिए। अस्पताल कल-कारखाना नहीं, यह सेवा-मूलक उपक्रम है। देखना यह है कि सरकार इसे मिशन बनाती है या व्यवसाय? 

फोर्टिस में एक तरफ मरीज के परिवार से अतिशयोक्तिपूर्ण एवं आश्चर्य में डाल देने वाला बिल वसूला गया, और दूसरी तरफ, उपचार मानकों का पालन भी नहीं किया गया। गुरुग्राम की यह घटना कोई पहली या अकेली घटना नहीं है, इस तरह की न जाने कितनी घटनाएं रोज-ब-रोज निजी अस्पतालों में दोहराई जाती हैं। यह वाकया निजी अस्पतालों की बदनियति की मिसाल है। लेकिन सरकार, प्रशासन, प्रभावशाली लोगों के संरक्षण की वजह से किसी का कुछ नहीं बिगड़ता। यहां तक कि अपने को स्वतंत्र कहने वाला मीडिया भी निजी अस्पतालों की अनियमितताओं और कमियों को दिखाने-बताने से परहेज ही करता है। निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज में लापरवाही व मनमानी ही नहीं की जाती, बल्कि मरीजों से अधिक बिल वसूलने के लिये हिंसक एवं अराजकता अपनाई जाती है। यहां तक कि पैसे नहीं दिये जाने पर अस्पताल प्रबंधन परिजनों को शव तक ले जाने नहीं देता है, अधिकांश मामलों में मरीज किसी दूसरे या सरकारी अस्तपाल में जाना चाहे तो भी अनेक बाधाएं खड़ी कर दी जाती है। मरीज के परिजनों के सामने इधर कुआं उधर खायी की स्थिति बन जाती है।

आम आदमी की दो मूलभूत जरूरतें हैं शिक्षा एवं स्वास्थ्य। दोनों की उपलब्धता कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन आजादी के सात दशक में पहुंचते-पहुंचते सरकार अपनी इस जिम्मेदारी से मंुह मोड़ने लगी है और इसका फायदा निजी अस्पतालों एवं निजी स्कूलों के द्वारा उठाया जा रहा है। अधिकांश निजी अस्पतालों एवं निजी स्कूलों  का स्वामित्व राजनीतिकों, पूंजीपतियों और अन्य ताकतवर लोगों के पास होने से उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत किसी सामान्य व्यक्ति की कैसे हो सकती है? फोर्टिस अस्पताल के ताजा मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय ने जरूर संज्ञान लिया है और उसने सभी प्रदेशों और केंद्रशासित राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेज कर अस्पतालों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि चिकित्सीय संस्थाओं द्वारा की जाने वाली गड़बड़ियों से न केवल मरीज की स्थिति बल्कि स्वास्थ्य देखभाल और उपचार लागत में जवाबदेही को लेकर भी चिंताएं पैदा होती हैं। पत्र में क्लीनिकल इस्टेब्लिस्मेंट रजिस्ट्रेशन एवं रेग्यूलेशन एक्ट, 2010 के क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा गया है। सवाल है कि यह पत्र कोरा दिखावा बन कर रह जायेगा या समस्या के समाधान की दिशा में कारगर साबित होगा? स्वास्थ्य मंत्रालय को ऐसी चिंता तभी क्यों सताती है, जब इस तरह की शर्मनाक एवं गैरकानूनी घटनाएं सुर्खियों में आ जाती है? जबकि बढ़ा-चढ़ा कर बिल बनाना निजी अस्पतालों का रोज का धंधा है। क्या मंत्रालय इससे अनजान रहा है? 

गुरुग्राम की घटना को एक सबक के तौर पर लेने की आवश्यकता है और ताकि निजी अस्पतालों समेत सभी महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों में गलत कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई तय की जाने की स्थितियां बन सके। लेकिन विडम्बनापूर्ण है कि देश में छोटे-छोटे अपराध एवं गैरकानूनी काम करने वाले के लिये तो सख्त कानून हैं और सरकार भी जागरूक है, लेकिन इन बड़े एवं सभ्य कहे जाने वाले लूटेरों के लिये सन्नाटा है। ये परिस्थितियां गुनाह करने वाले अस्पतालों के पक्ष में जाती हैं, जिसका फायदा वे उठाते रहते हैं। ऐसे में कानूनों और नियमों का पालन कौन कराएगा? सैकड़ों-हजारों मामलों में इक्का-दुक्का लोग ही न्यायालय का दरवाजा खटखटा पाते हैं। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, जिस तरह वे चिकित्सा-व्यवस्था को निजी क्षेत्र के भरोसे छोड़ रही हैं और स्वास्थ्य बजट में कटौती कर रही हैं, उसी का नतीजा है कि निजी अस्पताल अनियंत्रित होते जा रहे हैं। वे सोचते हैं कि सरकारें कुछ भी करें, मरीजों के पास उनकी पास आने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। सरकार अगर सचमुच गंभीर है और चाहती है कि फोर्टिस जैसी घटना फिर न दोहराई जाए तो उसे चाहिए कि ऐसी व्यवस्था और वातावरण तैयार करे, जिसमें कोई अस्पताल किसी भी मरीज को गैरकानूनी तरीकें से लूटने का साहस न कर सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नया भारत निर्मित कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी बातें हो रही है,  लेकिन भारत अपने हाथों से स्वास्थ्य के नाम पर आम आदमी की भाग्यलिपि में कौन-सा रंग भर रहा है, यह हमें आज पढ़ना है। भारत का सपना है आजाद देश में उन्नत एवं सर्वसुलभ चिकित्सा। लेकिन निजी अस्पतालों की बीतते कालखण्ड की कुछ वीभत्स एवं डरावनी घटनाओं ने विनाश के चित्र उकेरे हंै, जो ज्यादा भयावह एवं चिन्ता का कारण है। तमाम निजी अस्पतालों के इन तथ्यों की सच्चाई स्वास्थ्य की दिनोंदिन बिगड़ती दशा और दिशा को प्रस्तुत करती है। इन निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतों के अंबार हंै, लेकिन इनके निस्तारण की कोई पारदर्शी और निष्पक्ष व्यवस्था नहीं है। सवाल है कि मरीज अपना इलाज कराये या अपनी शिकायत लेकर दर-दर भटके? सवाल यह भी है अगर सरकार कुछ कारगर प्रयास कर पाती तो हालात इतने बदतर तो न होते। क्यों नहीं निजी अस्पतालों की इन ज्यादतियों की चर्चा प्रमुखता से की जाती? कब तक स्वास्थ्य को चैपट होते हुए एवं एक गौरखधंधा बनते हुए हम देखते रहेंगे? आखिर ये बुनियादी सवाल क्यों नहीं सरकार की नींद को उडा रहे हैं? यह केवल किसी एक प्रान्त के मरीजों की समस्या नहीं, पूरे देश का यह दर्द है। लेकिन परिदृश्य ऐसा भी नहीं है जिसमें उम्मीद की कोई किरण नजर न आती हो। मोदी सरकार की कोशिशों और आम मरीजों की जागरूकता के कारण धीरे धीरे ही सही, मगर इन स्थितियों के खिलाफ एक वातावरण बना है। यह बदलाव शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक के आंकड़ों में यदि दिखाई नहीं देगा तो नया भारत एक नारा भर बन कर रह जायेगा।


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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133
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