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मोदी को हासिल करनी होगी 35 प्रतिशत की विकास दर : मनमोहन

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सूरत, 02 दिसंबर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री डा़. मनमोहन सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भविष्य के विकास के दावों को काफी बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं और 2022 तक यानी अगले पांच साल में भारत को विकसित देशों की जमात में खड़ा करने के लिए उन्हें 35 प्रतिशत की सालाना विकास दर हासिल करनी हाेगी जैसा अब तक कोई नहीं कर पाया है। डा़ सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्री मोदी अक्सर कहते हैं कि 70 साल में कुछ नहीं किया गया है। आजादी के समय देश में लोगों की औसत आयु 31 साल होती थी जो अब 71 हो गयी। साक्षरता की दर 18 से बढ कर 76 प्रतिशत हाे गयी। देश ने जो विकास किया है उसका सर्वाधिक श्रेय जनता काे जाता है और उसमें कांग्रेस सरकारों के साथ ही साथ भाजपा और अन्य सरकारों का भी योगदान है। अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है पर श्री मोदी को भीड़ को प्रभावित करने के लिए देश को बदनाम करने की जगह अन्य सम्मानित तरीके का इस्तेमाल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व वाली यूपीए 1 और 2 सरकार के दौरान देश का जीडीपी विकास दर औसत 7.8 प्रतिशत रहा था। जबकि श्री मोदी की सरकार ने पिछले तीन साल में 7.3 प्रतिशत की औसत दर हासिल की है। श्री मोदी जहां भूतकाल को बदनाम करते हैं वहीं भविष्य के विकास के बारे में अतिरेकपूर्ण बयान दे रहे हैं। वह 2022 तक भारत को विकसित देश बनाने की बात कह रहे हैं और अगर ऐसा होगा तो मै सबसे खुश व्यक्ति हूंगा। पर ऐसा होने के लिए भारत को हर साल 35 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा क्योंकि अभी भारत की प्रति व्यक्ति आय मात्र 5000 अमेरिकी डालर है जबकि विकसित देशों की पायदान पर सबसे नीचे आंके जाने वाले ग्रीस में यह 25 हजार डालर है। क्या मोदी जी ऐसा कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को यूपीए सरकार जैसी विकास दर तक पहुंचने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी होगी और फिर भी उन्हें नहीं लगता कि ऐसा हो पायेगा। उन्होंने मोदी सरकार में कृषि विकास दर के भी उनके सरकार की तुलना में घट कर आधा हो जाने पर भी प्रहार किया। उन्होंने इस साल की दूसरी तिमाही में विकास दर के बढने का स्वागत किया पर कहा कि इससे यह नहीं कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था में अपेक्षित सुधार होने लगा है। विकास दर के आंकलन में असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया है जिस पर नोटबंदी और जीएसटी का सबसे अधिक असर हुआ है। उन्हाेंने बैकों के पुनर्पूजीकरण के सरकार के निर्णय का स्वागत किया पर कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के अनुभव से सीख लेकर इसके लिए व्यापक चर्चा होनी चाहिए।

पटना पुस्तक मेला दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ लोगों को प्रेरित करे : नीतीश

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पटना, 02 दिसम्बर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि राज्य में नशामुक्ति के साथ दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ सरकार के अभियान में लोगों के सहयोग से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है। श्री कुमार ने यहां बिहार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग और सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट की ओर से सम्राट अशोक कन्वेंशन केन्द्र स्थित ज्ञान भवन में आयोजित 24 वें पटना पुस्तक मेला का उद्घाटन करते हुए कहा कि पटना पुस्तक मेला दुनिया के 10 शीर्ष पुस्तक मेला में शामिल है और दिल्ली, कोलकाता के बाद देश का यह तीसरा सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला में पिछली बार राज्य सरकार के सात निश्चय को बेहतर तरीके से लोगों के सामने रखा गया और इस बार सरकार ने नशामुक्ति के साथ-साथ दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ जो अभियान छेड़ी है, उसके प्रति भी लोगों को इस मेले में अनेक माध्यमों से प्रेरित किया जाए ताकि बिहार से इन सामाजिक कुरीतियों को खत्म किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाँधी जयंती के मौके पर बाल विवाह, दहेज प्रथा उन्मूलन के साथ ही बिहार को नशामुक्त बनाने का एक सशक्त अभियान शुरू किया गया है। इसे पूरी मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए हर किसी को सहयोग के लिये आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से लोगों को थोड़ी परेशानी जरुर हुई है। कुछ लोग इसे मौलिक अधिकार और अपनी आजादी से जोड़कर देखते हैं लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि शराब पीना या शराब का व्यापार करना मौलिक अधिकार नहीं है। 

श्री कुमार ने कहा कि बहुत लोग मानते थे कि बिहार में शराब पीना, पिलाना बंद होने के बाद पर्यटकों की संख्या में कमी आएगी लेकिन जब से बिहार में शराबबंदी लागू हुई है न सिर्फ पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है बल्कि कई नए होटल भी पटना के साथ ही पूरे बिहार में खुले हैं। उन्होंने कहा कि इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ शुरू किये गये सरकार के अभियान का लोग पूरा समर्थन कर रहे हैं । मुख्यमंत्री श्री कुमार ने इस मौके पर झारखंड के संसदीय कार्य एवं खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री सरयू राय की पुस्तक ‘समय का लेख’ का लोकार्पण करते हुए कहा कि श्री राय ने दामोदर और सोन नदी पर काफी काम किया है, इसलिए गंगा की अविरलता और निर्मलता दोनों बरकरार रहे, इस दिशा में भी उन्हें ध्यान देना चाहिए क्योंकि बिना निर्मलता के गंगा की अविरलता का कोई मतलब नहीं रहेगा।  समारोह को श्री सरयू राय, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, कला संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, सांसद हरिवंश, पद्मश्री एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका उषा किरण खान, आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह, विधायक श्याम रजक, विधान पार्षद रामवचन राय, पूर्व विधान पार्षद हरेन्द्र पाण्डेय और राजीव रंजन, कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद और नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति आर0के0 सिन्हा भी उपस्थित थे। 

राबड़ी से ईडी ने करीब सात घंटे की पूछताछ

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पटना 02 दिसम्बर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने काले धन को सफेद करने के मामले में करीब सात घंटे तक पूछताछ की । श्रीमती राबड़ी देवी पूर्वाह्न करीब 1145 बजे अपनी बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती, दामाद शैलेश और राजद विधायक भोला यादव के साथ प्रवर्तन निदेशालय के पटना स्थित कार्यालय पहुंची जहां उनसे दिल्ली से आयी ईडी की टीम ने लगभग सात घंटे तक पूछताछ की । श्रीमती राबड़ी देवी से ईडी की टीम ने रेलवे टेंडर घोटाला और फर्जी कंपनियां बनाकर घोटाले की राशि को सफेद करने के मामले में पूछताछ की । सूत्रों के अनुसार ईडी की टीम ने श्रीमती राबड़ी देवी से पूछताछ के लिए करीब 55 से 60 सवाल की सूची बनायी थी । इन सवालों में से कई का श्रीमती राबड़ी देवी ने कोई जवाब नहीं दिया । सूत्र बताते हैं कि पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गयी है। पूछताछ के लिए जाने से पहले श्रीमती राबड़ी देवी ने ईडी कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे मीडिया कर्मियों से कहा था वह लौटकर आने पर उनसे बातचीत करेंगी , लेकिन लंबी पूछताछ के बाद जब वह बाहर आयीं तब मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब दिये बिना घर चली गयीं । श्रीमती राबड़ी देवी काफी थकी नजर आ रही थीं ।

गौरतलब है कि ईडी ने श्रीमती राबड़ी देवी को पूछताछ के लिए दिल्ली स्थित कार्यालय आने के लिए सात बार नोटिस भेजा था लेकिन श्रीमती राबड़ी देवी ने दिल्ली जाने से साफ इंकार कर दिया और साफ-साफ कह दिया कि जिसे भी पूछताछ करनी है वह पटना आये। इसके बाद ईडी ने उन्हें आठवीं बार नोटिस भेजकर आज पटना स्थित कार्यालय आने को कहा। ईडी की टीम रेलवे टेंडर घोटाला और आय से अधिक संपत्ति मामले में श्री लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव से पूछताछ कर चुकी है। भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के दो होटलों की नीलामी में घोटाले को लेकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 07 जुलाई 2017 को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता और उनकी पत्नी सरला गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस सिलसिले में उनके 12 ठिकानों पर छापेमारी भी की गई थी। इसी मामले में मनी लॉड्रिंग (काले धन को वैध बनाना) की जांच ईडी कर रहा है।

प्राथमिकी में आरोप है कि जब श्री लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, तब रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल टेंडर में हेरफेर कर को विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दे दिया गया। इसके एवज में 25 फरवरी 2005 को कोचर ने पटना के बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपए में बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत 1.93 करोड़ रुपए थी। इसे खेती की जमीन बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया और स्टैंप ड्यूटी में गड़बड़ी की गई। बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी प्रॉपर्टी श्री लालू प्रसाद यादव के परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और मार्केट रेट 94 करोड़ रुपए था। प्राथमिकी में सुजाता होटल के दोनों निदेशक और चाणक्य होटल के मालिकों विजय कोचर और विनय कोचर और भारतीय रेलवे केटरिंग एण्ड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) के पूर्व प्रबंध निदेशक पी.के. गोयल समेत कई लोगों के नाम हैं।

बिहार बना घोटालों का मैन्युफैक्चरर स्टेट : तेजस्वी

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पटना 02 दिसंबर, विधानसभा मेें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने राज्य की नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर आरोप लगाते हुये आज कहा कि पिछले चार महीनों में बिहार घोटालों का ‘मैन्युफैक्चरर स्टेट’ बन गया है। श्री यादव ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपने ट्वीट में कहा, “विगत चार महीनों में बिहार घोटालों का मैन्युफैक्चरर स्टेट बन गया है।” उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि राज्य में घोटाले स्थापित होने के बावजूद किसी के खिलाफ कोई जांच-पड़ताल नहीं की जा रही है। कोई दोषी-अपराधी नहीं। ऐसा लगता है कि बिहार में भूत-प्रेत घोटाले कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने रेलवे टेंडर घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी के समक्ष बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री एवं उनकी मां राबड़ी देवी के उपस्थित होने और उनसे जारी पूछताछ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम पर कोई स्थापित अपराध नहीं है फिर भी हम जांच-एजेंसियों को पूरा सहयोग कर रहे है। मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं होने के बावजूद भी आज ईडी को जांच में सहयोग कर रही है। इससे पहले वह आयेकर विभाग को भी जांच में योगदान दे चुकी है।” श्री यादव ने अगले ट्वीट में कहा, “कोई अपराध नहीं होने के बावजूद मैं आयकर, केंद्रीय जांच ब्यूरो और ईडी की जांच में दो बार उन्होंने जहां बुलाया वहां जाकर उनकी जांच-पड़ताल में दिल से सहयोग कर चुका हूं। लेकिन, बिहार और देश में जो स्थापित अपराध कर रहे है उनकी जांच का तो दूर-दूर तक कोई जिक्र भी नहीं है।” नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “मुझ पर जबरदस्ती का मामला दर्ज किये आज 150 दिन हो गये है लेकिन ये आरोप पत्र अभी तक दर्ज नहीं कर पाये है जबकि इन्होंने सबूत ढूंढ़ने के लिए सारी जगह छापे मार लिए। मुझसे अनेकों बार पूछताछ कर ली। सांच को आंच क्या। कुछ किया ही नहीं तो हमारे खिलाफ सबूत कहां से मिलेगा। अब ये लोग सबूत बनाना चाह रहे है। इनका एक बड़ा नेता सदन में मुझे धमकी देता है कि अब आरोप पत्र भी करवा देंगे।” उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है अपनी जेबी एजेंसियों से यह सब केस करवा रहे है। उन्होंने कहा कि जनता से बड़ा कोई मालिक और न्यायकर्ता नहीं है।

विशेष आलेख : शिव'राज'के एक दर्जन साल

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29 नवंबर को शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री अपने बारह  साल पूरे कर लिए हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ चुनिन्दा राजनेता ही ऐसे हुए हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है. भाजपा के केवल तीन नेता ही ऐसा सके हैं जिसमें शिवराज के आलावा नरेंद्र मोदी और रमन सिंह शामिल हैं. मध्यप्रदेश की राजनीति में ऐसा करने वाले वे इकलौते राजनेता हैं.  राष्ट्रीय राजनीति में संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे शिवराजसिंह चौहान को 2005 में जब भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बनाकर मध्यप्रदेश भेजा था तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि शिवराज इतनी लंबी पारी खेलेंगे, इस दौरान वे अपनी पार्टी को दो बार विधानसभा चुनाव जितवा चुके हैं और अब तीसरे जीत की तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान वे पार्टी के अंदर से मिलने वाली हर चुनौती को पीछे छोड़ने में कामयाब रहे हैं और विपक्ष को भी हावी नहीं होने दिया. आज मध्यप्रदेश की सरकार और संगठन दोनों में उन्हीं का दबदबा है,जो विरोधी थे उन्हें शांत कर दिया गया है या फिर उन्हें सूबे से बाहर निर्वासन पर भेज दिया गया है. पिछले बाढ़ सालों में उन्हें केवल बाहर से ही नहीं बल्कि पार्टी के अंदर से भी घेरने की कोशिश की गयी है लेकिन वे हर चुनौती से पार पाने में कामयाब रहे हैं. 

दरअसल शिवराज चौहान के राजनीति की शैली टकराव की नहीं बल्कि जमीनी ,समन्वयकारी और मिलनसार वाली रही है. वे एक ऐसे नेता है जो अपना काम बहुत नरमी और शांतिभाव से करते हैं लेकिन नियंत्रण ढीला नहीं होने देते. इस दौरान वे अपनी छवि एक नरमपंथी नेता के तौर पर पेश करने में बी कामयाब रहे है, एक ऐसा चेहरा जिस पर सभी समुदाय के लोग भरोसा कर सकें. शिवराज की यही सबसे बड़ी ताकत है कि वे बदलते वक्त के हिसाब से अपने आप को ढाल लेते हैं तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद शिवराज सिंह चौहान अभी भी राज्य में पार्टी का सबसे विश्वसनीय चेहरा बने हुये है. 2014 में पार्टी के अंदरूनी समीकरण बदल गये थे लेकिन तमाम आशंकाओं के बीच वेअमित शाह और नरेंद्र मोदी के केंद्रीय नेतृत्व से तालमेल बिठाने में कामयाब रहे. आज वे भाजपा के इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिन्हें भाजपा के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है, नीति आयोग में भी उन्हें  राज्यों की योजनाओं में तालमेल जैसी भूमिका दी गयी है.इधर सीबीआई ने भी व्यापमं घोटाले में हार्ड डिस्क से छेड़छाड़ के आरोपों को भी खारिज करते हुये उन्हें क्लीनचिट दे दी है. दरअसल व्यापमं घोटाला पिछले कई सालों से शिवराज सिंह चौहान के लिए गले की फांस बना हुआ है जाहिर है सीबीआई से उन्हें बड़ी राहत मिली है. आज वे बीजेपी के मुख्यमंत्रियों की जमात में सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री और स्वीकार्य नेता बन चुके हैं.

शिवराजसिंह चौहान जनता को लुभाने वाली घोषणाओं के लिए भी मशहूर रहे हैं इसी वजह से उन्हें घोषणावीर मुख्यमंत्री भी कहा गया. बच्चों और महिलाओं को केंद्र में रखते हुए उन्होंने कई सामाजिक योजनाओं की शुरुआत की. उनकी लोकप्रियता में इन योजनाओं का भी काफी योग्यदान है, इन्हीं की वजह से वे खुद छवि प्रदेश की महिलाओं के भाई और बच्चों के ‘मामा’ के रूप में पेश करने में कामयाब रहे हैं. लेकिन इन सबके बावजूद जमीनी हकीकत और आंकड़े कुछ और ही कहानी  बयान करते हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4  के अनुसार मध्यप्रदेश कुपोषण के मामले में बिहार के बाद दूसरे स्थान पर है. यहाँ अभी भी 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, इसी तरह शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है जहाँ 1000 नवजातों में से 52 अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर आधा यानी 26 ही है. इसी तरह से अभी भी प्रदेश में केवल 16.2 प्रतिशत महिलाओं को प्रसव पूर्ण देखरेख मिल पाती है. जिसके वजह से यहां हर एक लाख गर्भवती महिलाओं में से 221 को प्रसव के वक्त जान से हाथ धोना पड़ता है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 167 है यहाँ. उपरोक्त स्थितियों का मुख्य कारण सामाजिक सेवाओं की स्थिति का जर्जर होना है. जाहिर है तमाम दावों के बावजूद सामाजिक सूचकांक में मध्यप्रदेश अभी भी काफी पीछे है.

अगर मध्यप्रदेश में भाजपा और शिवराज लगातार मजबूत होते गये हैं तो इसमें कांग्रेस का भी कम योगदान नहीं है. यह माना जाता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेसी अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी से कम और आपस में ज़्यादा लड़ते हैं. पार्टी के कई सारे नेता हैं जो अपने अपने इलाकों के क्षत्रप बन कर रह गये हैं  सूबे में उनकी राजनीति का सरोकार अपने इलाकों को बचाए रखने तक ही सीमित हो गया है और उनकी दिलचस्पी कांग्रेस को मजबूत बनाने से ज्यादा अपना हित साधने में रही है. अगर बारह साल बीत जाने के बाद भी कांग्रेस अभी तक खुद को जनता के सामने भाजपा के विकल्प के रूप में पेश करने में नाकाम रही है तो इसके लिए जिम्मेदार शिवराज सिंह चौहान और भाजपा नहीं बल्कि खुद कांग्रेसी हैं. शिवराज सिंह ने तो बस इसका फायदा उठाया है.  2018 विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है लेकिन कांग्रेस में भ्रम और अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है, 2018 में शिवराज के मुकाबले कांग्रेस की तरफ से किसका चेहरा होगा यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है,कांग्रेस के लिए इस सवाल को हल करना आसान भी नहीं है, पिछले कुछ समय से कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के नाम इसके लिये चर्चा में रहे हैं लेकिन फैसला अभी तक नहीं हो सका है इधर दिग्विजय सिंह की यात्रा ने नये समीकरणों को जन्म दिया है किसी को भी अंदाजा नहीं है कि दस साल तक सूबे में हुकूमत कर चुके दिग्गी राजा के दिमाग में क्या चल रहा है? 

लम्बे समय से अपने क्षत्रपों के आपसी गुटबाजी की शिकार कांग्रेस पार्टी के लिये लगातार अच्छी खबरें आ रही है, चित्रकूट उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेसी खेमा उत्साहित है और वे इसमें 2018 के जीत की चाभी देख रहे हैं, गुटों में बटे नेता भी आपसी मेल–मिलाप की जरूरत महसूस करने लगे हैं. इधर दिग्विजय सिंह की नर्मदा की “गैर-राजनीतिक” यात्रा का भी  राजनीतिक असर होता दिखाई पड़ रहा है. यह यात्रा एक तरह से मध्यप्रदेश के कांग्रेसी नेताओं को एकजुट करने का सन्देश भी दे रही है, राज्य के सभी बड़े कांग्रेसी नेता इस यात्रा में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले विपक्षी कांग्रेस की ये कोशिशें  लगातार अपनी तीसरी पारी पूरी करने जा रही सत्ताधारी पार्टी के लिये चुनौती साबित हो सकती हैं. इस बीच मध्यप्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रप आपस में किसी एक चेहरे पर सहमत हो जाते हैं तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं पर विपरीत असर पड़ना तय है . बहरहाल तमाम चुनौतियों के बावजूद शिवराज सिंह चौहान का का कद  लगातार बढ़ा है. लेकिन कद के साथ मंजिल भी बड़ी हो जाती है यह तो भविष्य ही तय करेगा कि आने वाले सालों में वे और कौन से नए मुकाम तय करेंगें. फिलहाल उनका लक्ष्य 2018 है जिसमें अगर उनकी जीत होती है तो फिर यह एक नया कीर्तमान होगा और इसका असर भाजपा की अंदरूनी राजनीति पर भी पड़ेगा. 




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जावेद अनीस 
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विशेष : दिव्यांगों को जीवन की मुस्कान दें

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हर वर्ष 3 दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग व्यक्तियों को समर्पित है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रूप में मनाया गया और वर्ष 1981 से अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने की विधिवत शुरुआत हुई। विकलांगों के प्रति सामाजिक सोच को बदलने और उनके जीवन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाने के लिये एवं उनके कल्याण की योजनाओं को लागू करने के लिये इस दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे न केवल सरकारें बल्कि आम जनता में भी विकलांगों के प्रति जागरूकता का माहौल बना है। समाज में उनके आत्मसम्मान, प्रतिभा विकास, शिक्षा, सेहत और अधिकारों को सुधारने के लिये और उनकी सहायता के लिये एक साथ होने की जरूरत है। विकलांगता के मुद्दे पर पूरे विश्व की समझ को नया आयाम देने एवं इनके प्रति संकीर्ण दृष्टिकोण को दूर करने के लिये इस दिन का महत्वपूर्ण योगदान है। यह दिवस विकलांग लोगों के अलग-अलग मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करता है और जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कोई भी हो, सभी विकलांग लोगों को शामिल करने और उन्हें अपने प्रतिभा प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकलांगों को विकलांग नहीं कहकर दिव्यांग कहने का प्रचलन शुरू कर एक नयी सोच का जन्म दिया है। हमें इस बिरादरी को जीवन की मुस्कुराहट देनी है, न कि हेय समझना है।
विकलांगता एक ऐसी परिस्थिति है जिससे हम चाह कर भी पीछा नहीं छुड़ा सकते। एक आम आदमी छोटी-छोटी बातों पर झुंझला उठता है तो जरा सोचिये उन बदकिस्मत लोगों का जिनका खुद का शरीर उनका साथ छोड़ देता है, फिर भी जीना कैसे है, कोई इनसे सीखे। कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने विकलांगता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाया है। ऐसे लोगों ने विकलांगता को अभिशाप नहीं, वरदान साबित किया है। पूरी दुनिया में एक अरब लोग विकलांगता के शिकार हैं। अधिकांश देशों में हर दस व्यक्तियों में से एक व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग हैं। इनमें कुछ संवेदनाविहीन व्यक्ति भी हैं। विकलांगता एक ऐसा शब्द है, जो किसी को भी शारीरिक, मानसिक और उसके बौद्धिक विकास में अवरोध पैदा करता है। ऐसे व्यक्तियों को समाज में अलग ही नजर से देखा जाता है। यह शर्म की बात है कि हम जब भी समाज के विषय में विचार करते हैं, तो सामान्य नागरिकों के बारे में ही सोचते हैं। उनकी ही जिंदगी को हमारी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं। इसमें हम विकलांगों को छोड़ देते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? ऐसा किस संविधान में लिखा है कि ये दुनिया केवल पूर्ण मनुष्यों के लिए ही बनी है? बाकी वे लोग जो एक साधारण इंसान की तरह व्यवहार नहीं कर सकते, उन्हें अलग क्यों रखा जाता है। क्या इन लोगों के लिए यह दुनिया नहीं है? इन विकलांगों में सबसे बड़ी बात यही होती है कि ये स्वयं को कभी लाचार नहीं मानते। वे यही चाहते हैं कि उन्हें अक्षम न माना जाए। उनसे सामान्य तरह से व्यवहार किया जाए। पर क्या यह संभव है?
प्रश्न यह भी है कि विकलांग लोगों को बेसहारा और अछूत क्यों समझा जाता है? उनकी भी दो आँखंे, दो कान, दो हाथ और दो पैर हैं और अगर इनमें से अगर कोई अंग काम नहीं करता तो इसमें इनकी क्या गलती? यह तो नसीब का खेल है। इंसान तो फिर भी कहलायेंगे, जानवर नहीं। फिर इनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव कहां तक उचित है? किसी के पास पैसे की कमी है, किसी के पास खुशियों की, किसी के पास काम की तो अगर वैसे ही इनके शारीरिक, मानसिक, ऐन्द्रिक या बौद्धिक विकास में किसी तरह की कमी है तो क्या हुआ है? कमी तो सबमंे कुछ-न-कुछ है ही, तो इन्हें अलग नजरांे से क्यों देखा जाए? परिपूर्ण यानी सामान्य मनुष्य समाज की यह विडम्बना है कि वे अपंग एवं विकलांग लोगों को हेय की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन विकलांग लोगों से हम मुंह नहीं चुरा सकते क्योंकि आज भी कहीं-न-कहीं हम जैसे इन्हें हीन भावना का शिकार बना रहे हैं, उनकी कमजोरी का मजाक उड़ा कर उन्हें और कमजोर बना रहे हंै। उन्हें दया से देखने के बजाय उनकी मदद करें, आखिर उन्हें भी जीने का पूरा हक है और यह तभी मुमकिन है जब आम आदमी इन्हें आम बनने दें। जीवन में सदा अनुकूलता ही रहेगी, यह मानकर नहीं चलना चाहिए। परिस्थितियां भिन्न-भिन्न होती हैं और आदमी को भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। 
कहते हैं जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिड़की खोल देता है, लेकिन अक्सर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिड़की की ओर हमारी दृष्टि भी नहीं जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बना देते हैं, वो अमर हो जाते हैं। दृढ़ संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। मनुष्य के मजबूत इरादे दृष्टि दोष, मूक तथा बधिरता को भी परास्त कर देते हैं। अनगिनत लोगों की प्रेरणास्रोत, नारी जाति का गौरव मिस हेलेन केलर शरीर से अपंग थी, पर मन से समर्थ महिला थीं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने दृष्टिबाधिता, मूक तथा बधिरता को पराजित कर नई प्रेरणा शक्ति को जन्म दिया। सुलिवान उनकी शिक्षिका ही नही, वरन् जीवन संगनी जैसे थीं। उनकी सहायता से ही हेलेन केलर ने टालस्टाय, कार्लमाक्र्स, नीत्शे, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी और अरस्तू जैसे विचारकों के साहित्य को पढ़ा। हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तकों का अनुवाद किया और मौलिक ग्रंथ भी लिखे। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ संसार की 50 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हंै। अल्प आयु में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर प्रसिद्ध विचारक मार्कट्वेन ने कहा कि, केलर मेरी इच्छा है कि तुम्हारी पढ़ाई के लिए अपने मित्रों से कुछ धन एकत्रित करूँ। केलर के स्वाभिमान को धक्का लगा। सहज होते हुए मृदुल स्वर में उन्हांेने मार्कट्वेन से कहा कि यदि आप चन्दा करना चाहते हैं तो मुझ जैसे विकलांग बच्चों के लिए कीजिए, मेरे लिए नहीं। एक बार हेलेन केलर ने एक चाय पार्टी का आयोजन रखा, वहाँ उपस्थित लोगों को उन्होंने विकलांग लोगों की मदद की बात समझाई। चन्द मिनटों में हजारों डॉलर सेवा के लिए एकत्र हो गया। हेलेन केलर इस धन को लेकर साहित्यकार विचारक मार्कट्वेन के पास गईं और कहा कि इस धन को भी आप सहायता कोष में जमा कर लीजिये। इतना सुनते ही मार्कट्वेन के मुख से निकला, संसार का अद्भुत आश्चर्य। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हेलेन केलर संसार का महानतम आश्चर्य हैं। सचमुच हेलेन केलर अल्प आयु में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर प्रसिद्ध विचारक मार्कट्वेन ने कहा कि केलर मेरी इच्छा है कि तुम्हारी पढ़ाई के लिए अपने मित्रों से कुछ धन एकत्रित करूँ। केलर के स्वाभिमान को धक्का लगा। सहज होते हुए मृदुल स्वर में उन्होने मार्कट्वेन से कहा कि यदि आप चन्दा करना चाहते हैं तो मुझ जैसे विकलांग बच्चों के लिए कीजिए, मेरे लिए नहीं।
सचमुच हेलेन केलर 19वीं शताब्दी की सबसे दिलचस्प महिला हैं। वे पूरे विश्व में 6 बार घूमीं और विकलांग व्यक्तियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण वातावरण का निर्माण किया। उन्होने करोङों रूपये की धन राशि एकत्र करके विकलांगांे के लिए अनेक संस्थानों का निर्माण करवाया। दान की राशि का एक रुपया भी वे अपने लिए खर्च नहीं करती थीं। हेलेन केलर की तरह ही ऐसे अनेक विकलांग व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने विकलांगता को अपने जीवन निर्माण एवं विकास की बाधा नहीं बनने दिया। स्टीफन होकिंग का नाम भी दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है। चाहे वह कोई स्कूल का छात्र हो, या फिर वैज्ञानिक, सभी इन्हें जानते हैं। उन्हें जानने का केवल एक ही कारण है कि वे विकलांग होते हुए भी आइंस्टाइन की तरह अपने व्यक्तित्व और वैज्ञानिक शोध के कारण हमेशा चर्चा में रहे। विज्ञान ने आज भले ही बहुत उन्नति कर ली हो, लगभग सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली हो किन्तु वे अभी भी सबसे खतरनाक शत्रु पर विजय पाने में असमर्थ है, वह शत्रु है मनुष्य की उदासीनता। विकलांग लोगों के प्रति जन साधारण की उदासीनता मानवता पर एक कलंक है। हेलेन केलर का कहना था कि हमें सच्ची खुशी तब तक नहीं मिल सकती जब तक हम दूसरों की जिंदगी को खुशगवार बनाने की कोशिश नहीं करते। 






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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
एवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

मनोरंजन : हॉलीवुड जाने वाला पहला इंडियन

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पिछले सप्ताह बॉलीवुड अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा जब लॉस एंजिलस में टीवी शो 'क्वांटिको 3 'की शूटिंग कर रही थी तब वे अनजाने भारत से हॉलीवुड जाने वाले भारतीय अभिनेताओं के अस्सी बरस के इतिहास को गौरवान्वित कर रही थी। अमूमन किसी भी भारतीय सितारे के हॉलीवुड गमन पर बहुत शोर मचता है। अखबार और मनोरंजन टेलीविज़न दिल खोलकर उस एक्टर और उसकी फिल्म  के बारे में इतनी जानकारी परोसते है कि वह किसी अंतरिक्ष यात्री की तरह लोकप्रिय हो जाता है। अस्सी नब्बे के दशक के पहले इक्का दुक्का भारतीय  नाम ही विदेशी फिल्मों में   सुनाई देता था।  कबीर बेदी  एक इटालियन फिल्म ( सांदोकान ) में अभिनय कर भारत में अपनी अलग इमेज बना चुके थे। मुंबई में जन्मी पर्सिस खम्बाटा एक अमेरिकन टेलीविज़न धारावाहिक ( स्टार ट्रेक ) में सिर घुटवा कर देश की फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी पत्रिकाओं के कवर पर आचुकी थी। इसी दौर में परवीन बॉबी ने भी प्रतिष्ठित 'टाइम 'पत्रिका पर अपनी जगह बनाई थी।

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 यूँ तो भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत से पहले ही चुनिंदा एक्टर सात समंदर पार जा चुके थे परन्तु इस रुझान में तेजी नब्बे के दशक  के बाद ही आई। कहने को भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा फिल्मे बनती है परन्तु कमाई के मुकाबले वे आज भी हॉलिवुड की फिल्मों से कोसो दूर है। इसके उलट हॉलिवुड ब- मुश्किल सवा सौ ढेड़ सौ फिल्मों से आगे नहीं जा पाता परन्तु वैश्विक प्रदर्शन के मामले में उनकी हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में डब फिल्मे देश के कस्बाई सिनेमा घरों में भी हाउस फुल हो जाती है।  इसी तथ्य को ध्यान रखते हुए हॉलीवुड के प्रयोगधर्मी निर्माताओं ने एशियाई  या भारतीय कलाकारों को अपनी  स्टार कास्ट का हिस्सा बनाना आरम्भ किया। ऐसा नहीं है कि वहाँ बकवास और पकाऊ फिल्मे नहीं बनती , दर्जनों बनती है परन्तु उसमे अगर देसी एक्टर है तो भारत में तो उसे इतने दर्शक मिल ही जाते है कि वह अपनी लागत निकाल सके। 

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ओमपुरी ( सिटी ऑफ़ जॉय , ईस्ट इस ईस्ट ) नसीरुद्दीन शाह ( द मानसून वेडिंग , द लीग ऑफ़ एक्स्ट्रा आर्डिनरी जेंटलमेन ) रोशन सेठ ( गांधी ) गुलशन ग्रोवर ( डिवाइन लवर्स , प्रिजनर ऑफ़ द सन ,बीपर ) देव पटेल, फ्रीडा पिंटो ( स्लमडॉग मिलिनियर ) ऐश्वर्या राय ( पिंक पेंथर 2 , मिस्ट्रेस ऑफ़ स्पाइसेस ) विक्टर बनर्जी ( फॉरेन बॉडी , बिटर मून ) इरफ़ान खान ( लाइफ ऑफ़ पाई ,नेमसेक ,जुरासिक वर्ल्ड ) निम्रत कौर ( होम लैंड टीवी सीरीज ) नवीन एंड्रू , कुणाल अय्यर , सईद जाफरी , मल्लिका शेरावत , मनोहर नाईट श्यामलम , अनुपम खेर , अनिल कपूर ,तब्बू- ये फेहरिस्त और लम्बी जा सकती है परन्तु एक नाम जो इस परंपरा की नीव का पत्थर बना उसे भुला दिया जाता रहा है। वह नाम है साबू दस्तगीर। मैसूर महाराजा के महावत के  तरह वर्षीय  पुत्र साबू पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर रोबर्ट  फ्लाहर्टी की नजर पड़ी और उसे उन्होंने अपनी फिल्म 'एलीफैंट बॉय 'में लीड रोल दिया।  1937 में बनी इस फिल्म ने साबू को रातो रात स्टार बना दिया। भारत में ही जन्मे रुडयार्ड किपलिंग की लिखी 'जंगल बुक 'पर बनी अन्य फिल्मों में साबू 'मोगली 'और इंडियन प्रिंस के किरदार निभाते रहे। भारत सांप सपेरों का देश है - दुनिया भर में  यह धारणा भी साबू की फिल्मों की ही वजह से  बनी। अपने तेईस बरस के कैरियर में साबू ने 24 फिल्मो के जरिये अपने को हॉलीवुड में स्थापित कर लिया और अमेरिकी नागरिक हो गए। 1960 में उन्हें 'हॉलीवुड हाल ऑफ़ फेम 'में सम्मिलित किया गया। 2 दिसंबर 1963 को हॉलीवुड जाने वाले इस पहले भारतीय की मृत्यु हो गई।  साबू दस्तगीर की अधिकांश फिल्मे 'यू ट्यूब 'पर अच्छी हालत में अब भी मौजूद है। 




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रजनीश जैन 
शुजालपुर सिटी 
संपर्क : 9424518100

नोटबंदी और जी एस टी जनहित में नहीं : मनमोहन सिंह

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आर्यावर्त डेस्क,सूरत,3 दिसंबर,2017, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने सूरत,गुजरात में एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कालाधन के बहाने नोटबंदी से  देश की वित्तीय व्यवस्था को लगभग डेढ़ लाख करोड़ प्रतिवर्ष का नुकसान हुआ है.  डॉ सिंह ने कालाधन के खिलाफ मुहीम को सही ठहराया पर नोटबंदी को गलत निर्णय की संज्ञा दी. मनमोहन सिंह ने व्यापारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यापारी और आम जनता नोटबंदी एवं जी एस.टी. की मार से त्राहिमाम कर रहे हैं पर सरकार अपनी पीठ थपथपाने में जुटी है.पूर्व प्रधानमंत्री ने निजी निवेश को इस वक्त पिछले २५ वर्षों में सबसे कम बताया .श्री सिंह ने गाँधी जी को उद्धृत करते हुए कहा कि गाँधी जी हमेशा कहते थे कि कोई भी फैसला लेने से पहले सरकार को गरीबों की चिंता करनी चाहिए.पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने शासन  काल में करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने  का दावा भी किया.

मधुबनी : मोबाइल एवम नगदी की चोरी

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जयनगर/मधुबनी, प्रखंड मुख्यालय जयनगर के दुल्ली पट्टी के समीप माँ भवानी मोबाइल  दुकान मे बीती रात अज्ञात चोरो के द्वारा ताला तोड़ कर लगभाग एक लाख रुपयो की मोबाइल एवम नगदी चोरी कर ले गया. .चोरी गये समान मे नया मोबाईल उनचालीस पीस मूल्य लगभग पचास हजार एवम रिपेयर मोबाईल बीस पीस और गल्ला से नगदी दस हजार रुपैया तथा विभिन्न कम्पनी का बाउचर कूपन ले गया. माँ भवानी मोबाईल काऊँटर मे मालिक अमित कुमार ने इस बाबत जयनगर थाना मे पहुँच कर जयनगर थानाध्यक्ष को जानकारी दी .जयनगर थाने से पुलिस उक्त स्थल पर पहुँच कर मामलो की छानबीन की .इस मोबाईल दुकानदार ने बतलाया की चौकीदार सुभाष सिँह की ड्यूटी है इस छेत्र मे.  दुल्ली पट्टी के मुखिया पुत्र वीरेंद्र कुमार ने उक्त घटना की पुष्टि करते हुये इस बातो की जानकारी भी जयनगर थाना को दी ! लोगो ने बतलाया की एक महीनो मे यह पाँचवी घटना है इस क्षेत्र मे!

राजनीति : उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों का सन्देश

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उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों की ही तरह ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे विकास की जीत कहा है तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने प्रधानमंत्री के विकास के ‘विजन’ को और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीतिक कुशलता को इस जीत का आधार बताया है। लेकिन यह जीत इसलिये भी संभव हो पायी है कि भाजपा के अलावा देश के अन्य राजनीतिक दलों ने अपनी विश्वनीयता खो दी है। इन चुनावों में विरोधी दलों की सुस्ती भाजपा की जीत का एक बड़ा कारक बनी है। इस जीत का बड़ा फायदा भाजपा को हाल ही में गुजरात में होने वाले चुनावों में मिलने वाला है। अगर गुजरात चुनाव जीत जाती है तो 2019 की जीत सुनिश्चित है। लेकिन यह तभी संभव है आम जनता ने भाजपा के प्रति विश्वास बहुत कर लिया है, अगर अब भाजपा इस विश्वास पर खरी नहीं उतरती है तो मतदाता को रुख बदलते देर नहीं लगेगी।

एक तरह से इन चुनावों को आदित्यनाथ योगी सरकार के कामकाज की परीक्षा माना जा रहा था, इस परीक्षा में वे सफल हुए हंै। योगी सरकार की मन और मंशा दोनों पवित्र हैं, वे जनता की सेवा करना चाहते हैं, उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना चाहते हैं। लेकिन इसके लिये बढ़ते अपराध एवं कानून व्यवस्था को लेकर उनके तौर-तरीके पर उठ रहे सवालों के जबाव उन्हें देने होंगे। गोरखपुर कांड का दाग कैसे धुलेगा, यह भी उन्हें सोचना होगा? उनकी सरकार ने राज्य की जनता को जिस गड्ढा मुक्त सड़कें देने का वादा किया था वे सड़कें आज भी गड्ढे में ही हैं। राज्य सरकार की स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाएं आज भी उसी अराजक वातावरण में सांसें ले रही हैं जैसे पिछली समाजवादी सरकार के साये में ले रही थीं। फिर भी योगी जब से मुख्यमंत्री बने हंै, उन्हें भाजपा में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय परिवेश में एक कद्दावर का नेता माना जाता है, उनकी कार्यशैली की सराहना भी हुई है, वे भाजपा में मोदी के विकल्प के रूप में भी देखे जाते हैं। ये स्थितियां तो पहले से कायम हंै, लेकिन इन निकाय चुनावों के नतीजों ने योगी को राजनीतिक तौर पर व्यापक परिवेश में मजबूत किया है। इन नतीजों का श्रेय मुख्यमंत्री को इसलिए भी दिया जाएगा कि उन्होंने पूरे प्रदेश में धुआंधार प्रचार किया था, जबकि सपा नेता अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस की ओर से किसी बड़े नेता ने इसमें प्रचार नहीं किया। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने निकाय चुनाव में इस हद तक अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाई थी। इन परिणामों का असर केवल यूपी की राजनीति तक सीमित रहने वाला नहीं है। राष्ट्रीय राजनीति पर इसका व्यापक असर पड़ सकता है। इसके लिये भाजपा को अपनी पीठ ठोकने का अधिकार है, लेकिन उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद निकाय चुनावों में भी मिली जीत उसकी जिम्मेदारियों को बढ़ाने वाली है। इस जिम्मेदारी का अहसास होना जरूरी है। अन्यथा जिस तरह से अपने ही घर में मोदी एवं शाह की सांसेें फूली हुई है, पूरे देश की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी।

प्रश्न यह भी है कि आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के लिए श्रम किया लेकिन विपक्षी दल पूरे दमखम का प्रदर्शन करने से बचते क्यों दिखाई दिये? हैरत नहीं कि इसकी एक वजह नतीजे प्रतिकूल आने का अंदेशा रहा हो। वे अपनी सियासी सुस्ती के लिए किसी अन्य को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते और न ही ऐसी कोई दलील दे सकते हैं कि उन्होंने तो इन चुनावों को पूरी तैयारी से लड़ा ही नहीं। लगता यह भी है कि विपक्ष में कहीं-न-कहीं भाजपा के बढ़ते जनमत की बौखलाहट है। वह पहले से ही मानकर चल रही है कि भाजपा की जीत निश्चित है। ऐसी स्थितियों में विपक्षी दल अपना जनाधार कैसे मजबूत करेंगे? यह एक अहम प्रश्न है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी को पिछले विधानसभा चुनावों के बाद जिस तरह हाशिये पर डाल कर देखा जा रहा था उसमें कितनी सच्चाई रही, इन चुनावों ने दिखा दिया। सशक्त लोकतंत्र के लिये सशक्त विपक्ष जरूरी है, यह बात सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को समझना जरूरी है। विपक्ष को मनोबल दृढ़ रखना होगा, व्यापक तैयारी करनी होगी, विकास में ठहराव या विलंबन (मोरेटोरियम) परोक्ष में मौत है। जो भी रुका, जिसने भी जागरूकता छोड़ी, जिसने भी सत्य छोड़ा, वह हाशिये में डाल दिया गया। आज का विकास, चाहे वह एक राजनीतिक दल का है, एक राजनेता का है, एक व्यक्ति का है, चाहे एक समाज का है, चाहे एक राष्ट्र का है, वह दूसरों से भी इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि अगर कहीं कोई गलत निर्णय ले लेता है तो प्रथम पक्ष बिना कोई दोष के भी संकट में आ जाता है। इसलिये प्रतिपक्ष की सुदृढ़ता जरूरी है।

लोकतंत्र में व्यापक बदलाव दिखाई दे रहे हैं। यह एक प्रांत के निकाय चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जन-जागरूकता को देखते हुए कहा जा सकता है कि चुनाव को लेकर जनता कितनी उत्साहित है। हमने देखा कि किस तरह निकाय चुनाव नतीजों का सीमित राजनीतिक महत्व होने के बावजूद वे राज्य विशेष की राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति की भावी दशा-दिशा का भी सूचक-संदेशवाहक बने हैं। चूंकि वे आम जनता के रुख-रवैये से परिचित कराते हैं इसलिए सीमित महत्व के बावजूद उनकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती। इसी के साथ यह भी सही है कि कई बार निकाय चुनावों के नतीजे कुछ और होते हैं और विधानसभा या फिर लोकसभा के कुछ और। यह बहुत कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करता है। निकाय चुनाव हो या फिर विधानसभा या लोकसभा के चुनाव- इन चुनावों की जीत एक बड़ी जिम्मेदारी का सबब होते हैं। संतुलित समाज व्यवस्था इस सबब का हार्द है। व्यवस्थागत शांति केवल एक वर्ग की खुशहाली से नहीं आती। एक वर्ग अगर साधन-सम्पन्न एवं सुविधा-सम्पन्न हो गया, तब पूंजीवादी व्यवस्था पर अब तक प्रहार क्यों किया जाता रहा था? और दूसरा वर्ग जिसमें कुछ लोग ऐसे हों जिन्हें पेट में घुटने चिपकाकर सोना पडे़ तो खुशहाली के सभी मार्ग अवरुद्ध हो जाएंगे और वही पुरानी कहावत चरितार्थ होती रहेगी कि अगर दुनिया में कहीं भी गरीबी है तो दुनिया के सभी भागों की सम्पन्नता के लिए खतरा है। जीत के बाद यदि जनाधार के विश्वास पर खरे नहीं उतरते हैं तो हार का खतरा भी सामने खड़ा रहता है। इसलिये राजनीति को अब मिशन मानकर चलना ही होगा।

केंद्र में भाजपा को सत्तासीन कराने में उत्तर प्रदेश में चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव भाजपा को मिली जबर्दस्त कामयाबी का बड़ा योगदान था। अब सोलह नगर निगमों में से अधिकतर पर काबिज होकर भाजपा ने जहां राज्य में अपनी चुनावी सफलता का क्रम बरकरार रखा है, वहीं आलोचकों को फिलहाल खामोश कर दिया है। राज्य की 198 नगरपालिकाओं में सौ से ज्यादा पर भाजपा ने जीत दर्ज की है, वहीं 438 नगर पंचायतों में से भी ज्यादातर उसी के कब्जे में गई हैं। इसके अलावा, भारी संख्या में भाजपा के पार्षद विजयी हुए हैं। इस चुनाव की खास बात यह रही कि प्रदेश में पिछली बार सत्ता में रही सपा एक भी नगर निगम पर काबिज नहीं हो सकी। कांग्रेस की स्थिति तो और भी खराब है। अलबत्ता बसपा की स्थिति सपा और कांग्रेस से तनिक बेहतर है। इसलिये कांग्रेस एवं सपा को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव परिणाम गुजरात में कितना असर दिखाएंगे, इसका फिलहाल आकलन करना कठिन है, लेकिन इतना अवश्य है कि जहां कांग्रेस गुजरात में इन चुनावों का उल्लेख करने से बचेगी वहीं भाजपा उन्हें अपनी उपलब्धि के तौर पर रेखांकित करेगी। जो भी हो, यह बिल्कुल भी ठीक नहीं कि निकाय चुनाव नतीजे आते ही एक बार फिर से ईवीएम के खिलाफ रोना-पीटना मच गया है। यह चुनाव आयोग एवं चुनाव प्रणाली को धुंधलाने वाली गंदी राजनीति है। अगर ईवीएम की गड़बड़ी ने भाजपा की मदद की तो फिर 16 नगर निगमों में से 2 विपक्ष के पास कैसे चले गए? यह संयोग ही है कि दोनों नगर निगम उस बसपा के खाते में गए जिसने ईवीएम के खिलाफ सबसे ज्यादा शोर मचाया था। प्रतिपक्ष, जो सदैव अल्पमत में ही होता है, अपनी हार के लिये चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर ऐसे आरोप लगाता रहा है, लेकिन यह लोकतंत्र के लिये घातक है। आज तो हारने वाले नेता चुनाव प्रणाली को समस्या बना रहे हैं-- समाधान नहीं दे रहे हैं। इससे लोगों का विश्वास टूटता है।





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चंपारण में अंग्रेजों का कानून चला रही है नीतीश सरकार: माले

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  • बेतिया राज की जमीन से गरीबों को उजाड़े जाने के खिलाफ माले जांच टीम का चंपारण दौरा.

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पटना 3 दिसंबर 2017, माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि चंपारण में नीतीश कुमार अंग्रेजों के जमाने का कानून चला रहे हैं. एक तरफ चंपारण सत्याग्रह का ढोंग करते हैं, तो दूसरी ओर 30 से अधिक बरसों से बेतिया राज की जमीन पर बसे गरीबों को उजाड़ने में जी-जान से जुटे हैं. बेतिया के डोलबाग में गंडक कटाव से विस्थापित अब तक 200 परिवारों को उजाड़ दिया गया है और वे इस ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. विडंबना यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी 7 दिसंबर से समीक्षा यात्रा की शुरूआत इसी चंपारण से करने वाले हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार भूदान की जमीन पर बसे गरीबों को भी उजाड़ने में लगी है. यहां पर वे तर्क दे रहे हंै कि चूंकि भूमि सुधार कानून लागू हो चुका था, इसलिए भू धारियों को जमीन दान करने का अधिकार ही नहीं था और उसे गैरकानूनी घोषित करके वे सारी जमीन गरीबों से छीनकर पूूंजीपतियों को देने की कोशिश कर रहे हैं.

माले जांच टीम ने किया चंपारण का दौरा: गरीबों पर जारी जुल्म के खिलाफ भाकपा-माले की एक राज्यस्तरीय टीम ने दिनांक 2 दिसंबर को बेतिया का दौरा किया. इस जांच टीम में भाकपा-माले विधायक दल के नेता काॅ. महबूब आलम, राज्य स्थायी समिति के सदस्य काॅ. वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता और उमेश सिंह शामिल थे. जांच टीम ने बेतिया के डोलबाग इलाके का दौरा किया, जहां अब तक 200 से अधिक घरों को उजाड़ दिया गया है. माले प्रतिनिधिमंडल ने सभी पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और कहा कि नीतीश सरकार के इस जुल्म के खिलाफ भाकपा-माले गरीबों के संघर्ष के साथ है. माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि जिस चंपारण ने देश की आजादी के आंदोलन को एक नई दिशा दी थी, वहां आज 70 साल बाद गरीबों को उजाड़ा जा रहा है. यह घोर आपराधिक कार्यवाही है और ऐसा कुकृत्य करने वाली भाजपा-जदयू सरकार की जनता कब्र खोद देगी. घर उजाड़ने का प्रतिरोध करने वाले गरीबों-महिलाओं और यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चों पर बर्बर पुलिसिया जुल्म ढाए गए. यह घोर निंदनीय है.

बेतिया राज की जमीन पर बसे गरीबों के घर उजाड़ने में लगी है सरकार:  यह सर्वविदित है कि बेतिया राज की 3.5 लाख एकड़ जमीन का बड़ा हिस्सा नील की कोठियों अथवा चीनी मिलों व इस्टेटों के कब्जे में है. लंबे समय से इस जमीन का अधिग्रहण कर गरीबों में वितरित करने की मांग की जाती रही है. लेकिन नीतीश सरकार आज ठीक इसका उलटा काम कर रही है. बेतिया राज की जमीन के कुछेक हिस्सों पर जहां गरीब बसे हैं, वहां से भी उन्हें उजाड़कर पूंजीपतियों के हवाले करने की कोशिशें की जा रही हैं. लोहिया का नाम लेने वाले नीतीश कुमार आज उनके सिद्धांतों के खिलाफ चल रहे हैं. चंपारण में भूमि लूट पर डाॅ. राममनोहर लाहिया सहित कांग्रेस की वर्किंग कमिटी ने कड़ी आलोचना की थी. फिर भी चंपारण में जमीन की लूट जारी रही. चीनी मिलों, इस्टेटों के अलावा भाजपा-कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं के कब्जे में भी ऐसी जमीन है. भाजपा सांसद व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह भी बेतिया राज की जमीन का 20 एकड़ कब्जा किए हुए है. एक तरफ जहां, चीनी मिलों व इस्टेटों के कब्जे में जमीन की लूट अब भी जारी है, वहीं दूसरी ओर सरकार यह तर्क देकर गरीबों को उजाड़ रही है कि बेतिया राज की जमीन का वह केवल केयर टेकर है और इसलिए उस पर भूमि सुधार का कानून लागू नहीं होता. कहने का मतलब इस जमीन पर अंग्रेजी राज का कानून लागू होगा. यह बेहद हास्यास्पद है. मोतिहारी व बेतिया तथा बगहा पुलिस जिले, बेतिया के मझौलिया के माधोपुर छावनी और मधुबनी प्रखंड के करीब 8200 गरीब परिवारों को सरकार उजाड़ने पर तुली हुई है. इसमें अधिकांश जमीन वास की और कुछ चास की भी है. बेतिया में 4200 घरों को नोटिस जारी किया गया है और शहर के बीचो-बीच बसे 1017 घरों को तोड़ने की शुरूआत हो चुकी है. उसी में अब तक 200 घर तोड़े जा चुके हैं. जबकि डोलबाग का मुहल्ला पिछले 30 वर्षों से बसा हुआ है. वहां सभी के पास आधार कार्ड है, वोटर लिस्ट में नाम है और इंदिरा आवास भी कई लोगों के पास है. बिजली, सड़क आदि तमाम चीजों का निर्माण करवाया गया है. यहां तक कि मुहल्ले में स्थापित सरकारी स्कूल को भी तोड़ने का नोटिस जारी कर दिया गया है.

सरकार अपना आदेश वापस ले और बेतिया राज की जमीन गरीबों में वितरित करे: भाकपा-माले ने कहा है कि नीतीश सरकार का तर्क बेहद पंूजीपरस्त और गरीब विरोधी है. हमारी पार्टी की मांग है कि चीनी मिलों व इस्टेटों की कब्जे वाली सभी जमीन का सरकार अधिग्रहण करे और उसे गरीबों के बीच वितरित करे. जमीन पर बसे गरीबों को पर्चा दे और डोलबाग में उजाड़े गए गरीबों का मुआवजा के साथ पुनर्वास करे.

कोलकाता दौरे के दौरान AMJSWA रा. अध्यक्ष ने किया प्रदेशाध्यक्ष से विशेष चर्चा

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  • मीडिया और समाज के लिए जल्द लेकर आएंगे नई योजनाए 

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कोलकाता / उज्जैन : आल मीडिया जर्नलिस्ट सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनायक अशोक लुनिया ने पश्चिम बंगाल का दौरा कर प्रदेश अध्यक्ष का प्रभार फरहान हुसैन को सौपते हुए स्थानीय समस्यायों पर चर्चा की. वहीँ चर्चा में मौजूद राष्ट्रीय सचिव अमित आदित्य सान्याल व प्रदेश उपाध्यक्ष सोफिया खान ने भी अपने विचार रखे. संगठन के बैनर पर पश्चिम बंगाल में मीडियाकर्मियों सहित सामाजिक क्षेत्र में कई कार्य करने का विचार हुआ. श्री लुनिया ने बताया की मीडिया संगठन की नीव स्व. अशोक जी लुनिया ने मीडिया और समाज की समस्यायों के समाधान के लिए रखे थे और आपके इसी स्वप्न को पूरा संगठन पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहा है. प्रदेश अध्यक्ष फरहान हुसैन ने बताया की जो विश्वाश संगठन ने मुझ पर किया है उसपर खरा उतरने का में पूर्ण कोशिश करूँगा. 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 03 दिसंबर

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शहर के वार्ड नंबर 12 में सीसी रोड़ का हुआ भूमिपूजन
  • रहवासियों को मिलेगी कच्चे मार्ग से होने वाली परेषानियों से मुक्ति

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झाबुआ। शहर के वार्ड नंबर 12, गोपाल काॅलोनी में गोपाल मंदिर से शंकर मंदिर जाने वाला मार्ग पिछले कई वर्षों से कच्चा है, जिससे रहवासियों सहित वाहन चालकांे को काफी परेषानियों का सामना करना पड़ता है। उक्त मार्ग पर 2 लाख 50 हजार की लागत से सीसी रोड़ निर्माण कार्य का भूमिपूजन शनिवार शाम साढ़े 5 बजे सांसद कातिलाल भूरिया एवं नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती मन्नू डोडियार के मुख्य आतिथ्य मंे किया गया। पूजन विधि पं. रूपक त्रिवेदी द्वारा संपन्न करवाई। पश्चात् नारियल बदारकर मुख्य अतिथियों ने गेती चलाकर कार्य का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सांसद श्री भूरिया ने कहा कि यह मार्ग पिछले काफी वर्षों से खस्ताहाल है। सीसी रोड़ बनने से रहवासियों और वाहन चालकों को समस्याओं से निजात मिलेगी। नपा अध्यक्ष श्रीमती डोडियार ने बताया कि बारिष के दौरान इस मार्ग पर किचड़ एवं गंदगी जमा होने से रहवासी काफी परेषान हो जाते है । अधिक बारिष गिरने पर कई बार मार्ग अवरूद्ध भी हो जाता है। रहवासियों की मांग पर एवं वार्ड पार्षद कु. आयुषी भाबोर के प्रयासों से नपा द्वारा यहां सीसी रोड़ का निर्माण किया जाएगा।

ये थे उपस्थित
इस अवसर पर जिला कांग्रेस प्रवक्ता हर्ष भट्ट, विरेन्द्र मोदी, एनएसयूआई जिलाध्यक्ष विनय भाबोर, आदिवासी विकास परिषद् जिलाध्यक्ष विजय भाबोर, नाथुभाई ठेकेदार, पार्षद साबिर फिटवेल, रषीद कुरैषी, उषा विवेक येवले, अविनाष डोडियार, अजय सोनी, सांसद प्रतिनिधि गौरव सक्सेना, रिंकू रूनवाल के साथ वार्ड के रहवासियों एवं गणमान्य नागरिकों में यषवंतसिंह पंवार, जितेन्द्र शाह, शरद कांठेड़, मनीष शाह, श्रीमती मंजु शाह आदि उपस्थित थी।

विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर काॅलेज ग्राउण्ड पर हुआ निःशक्तजनों के खेलकूद एवं विकलांग पुनर्वास केन्द्र में हुआ सामथ्र्य एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन
  • उत्साह और उमंग से दिव्यांगजनों ने भाग लिया

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झाबुआ । विश्व विकलांग दिवस 3 दिसम्बर के अवसर पर जिला स्तर पर कलेक्टर श्री आषीष श्रीवास्ताव के मार्गदर्शन में जिला स्तर पर विश्व विकलांग दिवस 3 दिसम्बर 2017 के अवसर आयोजन किया गया कार्यøम में अमिथि के रूप् में सम्मिकलत थे झाबुआ विधानसभा के लोकप्रिय विधायक शांतिलाल बिलवाल, जिलाध्यक्ष भाजपा दौलत भावसार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमति जमना भिड़े, महिला आयोग सखी श्रीमति अर्चना राठौर, उपसंचालक सामाजिक न्याय एवं निःषक्तजन कल्याण श्री अषफाक अली सैयद । प्रातः 11 बजे से स्थानीय महाविद्यालय प्रांगण में खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें निःषक्तजनों में उत्साह देखा गया प्रातः से ही विभिन्न विकासखण्डों से निःशक्तजनों ने शासकीय महाविद्यालय खेल प्रांगण में आयोजित निःशक्तजनों के सामथ्र्य प्रदर्शन प्रतियोगिताओं में शामिल होकर आयोजित विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं जलेबी दौड़, निम्बु दौड़, थैला रेस, चेयर रेस, 50 मीटर, 100 मीटर 200 मीटर दौड़ बैसाखी दौड़ गोला फेंक भाला फेंक, लम्बी एवं उॅची कूद में मुक बधिर, अस्थिबाधित दृष्टिबाधित, एवं मानसिक स्प से निःषक्तजन बड़ी संख्याॅं में महाविद्यालय प्रांगण में पहुॅचेे और बढ़ चढ़ कर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया । उपरान्त दोपहर 3.30 बजे से जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र कल्याणपुरा रोड़ रंगपुरा झाबुआ में जिला स्तरीय चित्रकला,एकल समूह गायन, एकल समूह नृत्य मोनोएक्टिंग ,इत्यादि ,का आयोजन किया गया जिसमें दिव्रूांग बच्चों ने बड़े उत्साह एवं उमंग से भग लिया और अपनी विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से अतिथियों व उपस्थित जनमानस को दाॅंतो तले अंगुलियाॅं दबाने पर मजबुर कर दिया । खेलकूद एवं सांस्कृतिक व सामथ्र्य प्रतियोगिता में जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र में संचालित अनुभूति सी डब्ल्यू एसन छात्रावास के बालक-बालिका, श्रुति मूक बधिर संस्था अंतरवेलिया, आज़ाद विकलांग कल्याण समिति मेघनगर, समन्वय सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्था झाबुआ, पेरेन्ट्स सोसायटी फाॅर वेल्फेयर आॅफ पर्सन्स विथ डिसएबिलिटीज़ शासकीय व अषासकीय विद्यालयों के निःषक्त छात्र-छात्राओं ने भाग लिया । उक्त समस्त प्रतियोगिताएॅ सम्पन्न करवाने हेतु सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ने खेल शिक्षकों की प्राथमिकता से व्यवस्था की थी जिसमें कुलदीप धाबाई, ए एस खान योगेश गुप्ता और नरेष राजपुरोहित ने पुरे मनोयोग से समस्त प्रतियोगिताओं के लिए एक दिवस पूर्व विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के लिए मैदान बनाया, और जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र व सी डब्ल्यू एस एन छात्रावास में अरूण महाकुड मयूर  वैंषम्पायन, प्रवीण भाबोर, मुकेष बुन्देला, एलिजाबेथ रावत, सरिता डांेडियार, संगीता परमार, बी एल अहिर, रामसिंह मोहनिया, महेष देवदा की सहायता से खेलकूद प्रतियोगिताए सम्पन्न करवाई । साथ ही सर्व षिक्षा अभियान के जिला समन्वयक एल एन प्रजापति, खण्ड स्त्रोत समन्वयक झाबुआ मानसिंह हटीला, मनीष पंवार, दिलीप जोषी एम आर श्रीमति दीप्ती अग्रवाल, राजेष्वर शरणागत, दीपक साहु, मुबीन खान, सुभाष पाटीदार, इलियास खान एम एस डब्ल्यू विद्याार्थी बच्चुसिह भूरीया, दूलेसिंह मोरी, राकेष डामोर, हंसा भूरीया ने उपस्थित रहकर विषेष सहयोग प्रदान किया । उसके उपरान्त खेलकूद सामथ्र्य एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में प्रथम व द्वितीस स्थान प्राप्त करने वाले प्रतियोगी निःषक्तजनों को अतिथियों के द्वारा पुरस्कृत किया गया, साथ ही अतिथियों ने बच्चें को आषिर्वाद स्वरूप् उद्बोधन दिया कहा कि नर सेवा नारायण सेवा का रूप है दिव्यांगजनों की सेवा में रत सेवक जनो का सौभाग्य है कि उन्हे इन दिव्य आत्माओं की सेवा करने का सौभग्य प्राप्त हुआ है और आपकी सेवा प्रत्यक्ष रूप से इन बच्चों की प्रस्तुतियों में दृष्टिगोचर हो रही है । बच्चों से पहले उनके षिक्षकों उनके अभिभावकों का   साधुवाद । इस हेतु जिले की समस्त जनपद मुख्यालयों से निःशक्तजनों के आवागमन की व्यवस्था हेतु खण्ड स्त्रोत समन्वयक, एवं जिला परियोजना समन्वयक सर्व षिक्षा अभियान एवं विकलांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं से इस आयोजन को सफल बनाने हेतु सहयोग कर कार्यक्रम के सफल आयोजन में पूर्ण सहयोग किया । कार्यक्रम का संचालन शैलेन्द्र सिंह राठौर व प्रवीण भाबोर ने एवं उपसंचालक सामाजिक न्याय सैयद अषफाक अली ने आभार माना ।

भाजपा रानापुर ग्रामीण मंडल किसान मोर्चे के पदाधिकारी व कार्यकारिणी की घोषणा भाजपा जिलाध्यक्ष ने की

झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष दौलत भावसार द्वारा किसान मोर्चे के जिलाध्यक्ष श्री छगनलाल जायसवाल से विचार विमर्श करने के बाद रानापुर ग्रामीण मंडल के पदाधिकारी व कार्यकारिणी की घोषणा विधिवत रुप से आज कर दी है। किसान मोर्चे के ग्रामीण मंडल रानापुर के पदाधिकारी व कार्यकारिणी इस प्रकार रहेगे- अध्यक्ष - श्री भीमा खडकुई , उपाध्यक्ष - श्री हरसिंह अगेरा,बिरमसिंह ढोल्यावाड, झीतरा वगईबडी, राजू खडकुई, महामंत्री - श्री भारतसिंह ढोल्यावाड, पुनमचंद भूरीमाटी, मंत्री - श्री शेरु डिग्गी,जवला सारसवाट, रिछा छापरखंडा, राधुसिंह ढोल्यावाड, कोषाध्यक्ष - श्री रिछु छापरखंडा, मिडिया प्रभारी- श्री गोरधन परतली, कार्यकारिणी सदस्य - श्री दुलेसिंह ढोल्यावाड, झामा मोहनपुर भुरका, बापु परतली, कालु मोरडुंडिया, अमरसिंह खडकुई, थानु भूतफलिया, नब्बु वगईबडी, नब्बु नाट, अनसिंह वडलीपाडा, बालु खडकुई, रणसिंह वागलावाट, भुरसिंह वगईछोटी, मनसिंह वगईछोटी, वाला वागलावाट, नेमा वगईबडी, रेमसिंह ढोल्यावाड, नंदा मोहनपुरा भूरका, कैलाश भोरकुडिया, कुंवरसिंह टगेरा, कलसिंह परतली, जेराम मोहनपुरा भुरका, ईडा मोहनपुरा भूरका, उक्त जानकारी किसान मिडिया प्रभारी आशिष शर्मा एवं जिला भाजपा मिडिया प्रभारी अंबरीष भावसार द्वारा हमारे प्रतिनिधि को दी गई।

बिहार : फुलवारी में सांप्रदायिक उन्माद के पीछे बजरंग दल का हाथ : माले.

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  • उन्माद-उत्पात की ताकतों पर लगाम लगाने में नीतीश सरकार विफल.

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पटना 3 दिसंबर 2017, भाकपा-माले ने कहा है कि फुलवारी शरीफ में दिनांक 2 दिसंबर को घटित सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात की घटना के पीछे सांप्रदायिक संगठन बजरंग दल का हाथ है. संघ गिरोह द्वारा पूरे बिहार में सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की कड़ी का यह जीता जागता उदाहरण है. शर्म की बात यह है कि नीतीश कुमार ने इन ताकतों के समक्ष पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया है और वे आज आरएसएस की गोद में खेल रहे हैं. भाकपा-माले की पटना जिला कमिटी के सदस्य व फुलवारी प्रखंड के सचिव गुरूदेव दास, जिला कमिटी सदस्य साधुशरण दास व प्रखंड कमिटी सदस्य काॅ. देवीलाल ने आज फुलवारी के उन तमाम गांवों का दौरा किया, जहां कल सांप्रदायिक ताकतों ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर उनके घर, संपत्ति आदि को तहस-नहस कर दिया था. माले जांच टीम ने कहा है कि बजरंग दल के उकसावे पर यह सारी कार्रवाई हुई है और इसका भारी खामियाजा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिन के मौके पर गोनपुरा से करीब 150 की संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ईशोपुर मजार पर चादर चढ़ाने जा रहे थे. इसी बीच राय चैक के पास बजरंग दल के प्रखंड अध्यक्ष उदय यादव के पुत्र संजीव यादव व उसके ग्रुप ने चादर चढ़ाने जा रहे लोगों के साथ बदतमीजी की, जिसका अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने प्रतिरोध किया. बजरंग दल वालों द्वारा इस्लामी झंडे को पाकिस्तान का झंडा बता देने से अल्पसंख्यक लोग इतने भयभीत हैं कि धार्मिक आयोजनों में भी वे तिरंगा झंडा लेकर चल रहे हैं. फिर भी ग्रुप बनाकर बजरंग दल के गुंडों ने उनसे बक-झक किया और पेट्रोल छीड़ककर चादर जला दी. उसके बाद उन्होंने फायरिंग भी की, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोग बुरी तरह घायल हो गये. इसके कारण विवाद काफी गहरा हो गया. इतना कुछ होने के बाद पुलिस पहुंची, लेकिन उसने बलवाइयों को गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की. 

उसके बाद बजरंग दल वाले गु्रप बनाकर अगल-बगल के गांव में उन्माद फैलाने लगे. गोनपुरा लहियारचक में मुस्लिम समुदाय के 10 से अधिक घरों को जला दिया गया. गाय का बथान व गाय को माता कहने वाले बजरंगियों ने गाय को ही घायल कर दिया. एक मोटरसाइकिल की दुकान में आग लगा दी. मो. लालू, मो. रफीक, मो. मोहइद्दीन, मो. मिनाज आदि के घरों मे ंलूटपाट की गयी. निहुरा में भी मुस्लिम समुदाय के घरों पर हमला किया गया और पूरे इलाके में दहशत फैलाने की कोशिश की गयी. इस सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ भाकपा-माले ने बजरंग दल के उपद्रवियों को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की और आज शाम में भाकपा के साथ मिलकर इलाके में शांति मार्च निकालने की कोशिश की. लेकिन प्रशासन ने शांति मार्च को रोक दिया. माले ने कहा कि एक तो प्रशासन सांप्रदायिक उन्माद को रोकने में विफल है, दूसरी ओर वह नागरिकों को भी पहलकदमी नहीं लेने दे रही है.

स्वास्थ्य : मसूढ़ा रोग के जीवाणुओं से आहारनाल में कैंसर का खतरा

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न्यूयॉर्क, 3 दिसम्बर, नियमित रूप से दांतों की सफाई से एक और खतरे से बचा जा सकता है। दरअसल एक अध्ययन में पता चला है कि मसूढ़े की बीमारी के जीवाणुओं से आहारनाल में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। कैंसर रिसर्च नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में मुंह में पाए जाने वाले माइक्रोबायोटा (सूक्ष्मजीवों का समूह) और आहारनाल कैंसर के खतरों के बीच संबंधों की जांच-परख की गई। अध्ययन में शामिल एक शोधकर्ता व न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जियांग अह्न् ने बताया कि आहारनाल का कैंसर आठवां सबसे सामान्य तौर पर होने वाला कैंसर है, और दुनियाभर में सबसे ज्यादा कैंसर से होनेवाली मौत के मामले में इसका छठा स्थान है। दरअसल, रोग का पता तब तक नहीं चल पाता है, जब तक यह उच्च यानी खतरनाक चरण में न पहुंच जाए। आहारनाल का कैंसर होने के बाद पांच साल जीने की दर दुनियाभर में 15 से 25 फीसदी है। उनका कहना है कि आहारनाल का कैंसर बहुत ही घातक कैंसर है। इसलिए इसकी रोकथाम, खतरों का स्तरीकरण और शुरुआत में पता चलने को लेकर नए मार्ग तलाशने की सख्त जरूरत है। आहारनाल में आमतौर पर जो कैंसर पाए जाते हैं, उनमें एसोफेजियल एडनोकारसिनोमा (ईएसी) और एसोफेजियल स्क्वेमस सेल कारसिनोमा (ईएसीसी) हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि टैनेरिला फोर्सिथिया नामक जीवाणु 21 फीसदी ईएसी कैंसर के खतरे बढ़ाने में जिम्मेदार थे। वहीं, ईएससीसी के खतरों के लिए पोरफाइरोमोनस जिंजिवलिस जीवाणु उत्तरदायी थे। ये दोनों प्रकार के जीवाणु आमतौर पर मसूढ़ों की बीमारियों में पाए जाते हैं।

मोदी ने लोकपाल कानून को कमजोर किया : अन्ना

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खजुराहो (मध्य प्रदेश), 3 दिसंबर, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पिछली संप्रग सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से खुश नहीं थे, और वह मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी खुश नहीं हैं।   वह सीधे तौर पर आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उस लोकपाल विधेयक को कमजोर कर दिया है, जिसे पूर्व की संप्रग सरकार के दौरान पारित किया गया था। अन्ना यहां मध्यप्रदेश की पर्यटन नगरी, खजुराहो में शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन में हिस्सा लेने आए हुए हैं। अन्ना ने कहा, "मनमोहन सिंह बोलते नहीं थे और उन्होंने लोकपाल-लोकायुक्त कानून को कमजोर किया, और अब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकपाल को कमजोर करने का काम किया है। मनमोहन सिंह के समय कानून बन गया था, उसके बाद नरेंद्र मोदी ने संसद में 27 जुलाई, 2016 को एक संशोधन विधेयक के जरिए यह तय किया कि जितने भी अफसर हैं, उनकी पत्नी, बेटे-बेटी आदि को हर वर्ष अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं देना होगा। जबकि कानून में यह ब्योरा देना आवश्यक था।"अन्ना ने मौजूदा केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा, "लोकसभा में एक दिन में संशोधन विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया, फिर उसे राज्यसभा में 28 जुलाई को पेश किया गया। उसके बाद 29 जुलाई को संशोधन विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा गया, जहां से हस्ताक्षर हो गया। जो कानून पांच साल में नहीं बन पाया, उसे तीन दिन में कमजोर कर दिया गया।"

अन्ना का आरोप है कि चाहे मनमोहन सिंह हों या मोदी, दोनों के दिल में न देश सेवा है और न समाज हित की बात। यही कारण है कि उद्योगपतियों को तो लाभ पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन किसान की चिंता किसी को नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना ने कहा, "उद्योग में जो सामान तैयार होता है, उसकी लागत मूल्य देखे बिना ही दाम की पर्ची चिपका दी जाती है। आज हाल यह है कि किसानों का जितना खर्च होता है, उतना भी दाम नहीं मिलता। वहीं किसान को दिए जाने वाले कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज लगाया जाता है। कई बार तो ब्याज की दर 24 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। वर्ष 1950 का कानून है कि किसानों पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लगा सकते, मगर लग रहा है। साहूकार भी इतना ब्याज नहीं ले सकता, जितना बैंक ले रहे हैं।"

अन्ना ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि "किसानों से जो ब्याज साहूकार नहीं ले सकते, वह ब्याज बैंक वसूल रहे हैं। बैंक नियमन अधिनियम का पालन नहीं हो रहा है, इसे भारतीय रिजर्व बैंक को देखना चाहिए, अब वह नहीं देखती तो सरकार किस लिए है। इसके साथ ही 60 वर्ष की आयु पार कर चुके किसानों को पांच हजार रुपये मासिक पेंशन दिया जाना चाहिए।"अन्ना ने उद्योगपतियों का कर्ज माफ किए जाने पर सवाल उठाया और कहा, "उद्योगपतियों का हजारों करोड़ रुपये कर्ज माफ कर दिया गया है, मगर किसानों का कर्ज माफ करने के लिए सरकार तैयार नहीं है। किसानों का कर्ज मुश्किल से 60-70 हजार करोड़ रुपये होगा, क्या सरकार इसे माफ नहीं कर सकती?"अन्ना का मानना है कि "सरकारें तब तक बात नहीं सुनती हैं, जब तक उन्हें यह डर नहीं लगने लगता कि उनकी सरकार इस विरोध के चलते गिर सकती है। इसलिए जरूरी है कि सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाया जाए। जब तक 'नाक नहीं दबाई जाएगी, तब तक मुंह नहीं खुलेगा।"'

बिजली संयंत्रों को कोल इंडिया की आपूर्ति 9.2 फीसदी बढ़ी

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कोलकाता, 3 दिसम्बर,  कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने रविवार को कहा कि बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की आपूर्ति मौजूदा वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर की अवधि में 9.2 फीसदी बढ़कर 29.058 करोड़ टन हो गई।  यह बीते साल इसी अवधि के दौरान 26.6 करोड़ टन रही थी। एक बयान में कोल इंडिया ने कहा, "सीआईएल की देश के बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति अप्रैल-नवंबर 2017 में 9.2 फीसदी की वृद्धि के साथ 29.058 करोड़ मिट्रिक टन हो गई और इसमें वृद्धि जारी है। इसकी तुलना में अप्रैल-नवंबर 2016 में 26.6 करोड़ मीट्रिक टन की आपूर्ति रही थी।"इसमें कहा गया कि देश के तापीय बिजली स्टेशनों में सिर्फ नवंबर में कोयला आपूर्ति 9 फीसदी बढ़कर 4.092 करोड़ मीट्रिक टन हो गई, इसी अवधि के दौरान बीते साल इसकी आपूर्ति 3.756 करोड़ मीट्रिक टन रही।

'गुजरात मॉडल'दोषपूर्ण, राज्य को गांधी मॉडल की जरूरत : सैम पित्रोदा

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नई दिल्ली, 3 दिसम्बर, वर्ष 1980 के दशक के मध्य तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के दौरान देश में शुरू हुए दूरसंचार क्रांति के अगुआ रहे सैम पित्रोदा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 'गुजरात मॉडल'का भांडाफोड़ करते हुए कहा है कि राज्य को नीचे से ऊपर जाने वाला ²ष्टिकोण अपनाने और ऊपर से नीचे जाने वाले तरीके त्यागने की जरूरत है, क्योंकि यह तरीका गरीब और हाशिए के लोगों की कीमत पर केवल बड़े उद्योगों के पक्ष में कार्य करता है। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले पित्रोदा ने  बताया, "गुजरात को विकास के गांधी मॉडल की आवश्यकता है, जो नीचे से ऊपर की तरफ जाता है। विकास का मूल्यांकन वैश्विक निवेशक सम्मेलनों में निवेश के रूप में आप कितने लाख रुपये या करोड़ रुपये का निवेश कर सकते हैं, इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बड़ी कंपनियों को नापसंद करते हैं, लेकिन आप गरीबों के लिए कुछ कर के गुजरात को बदल सकते हैं।"पित्रोदा इस समय अमेरिका के इलिनॉयस में रह रहे हैं। पित्रोदा ने सवालिया लहजे में कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के रूप में विकास के आंकड़े दिखते तो अच्छे हैं, लेकिन साधारण गुजराती के लिए इसका कितना मतलब है? पित्रोदा को गांधी परिवार के करीबी के रूप में जाना जाता है और हाल ही में उन्होंने राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दूरसंचार आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि राज्य को विकास की एक नई रूपरेखा की जरूरत है, क्योंकि अमीर और गरीब के बीच का अंतर बढ़ गया है। पित्रोदा ने पिछले महीने गुजरात का व्यापक दौरा किया था और विभिन्न समूहों से बात की थी।

उन्होंने गुजरात में शासन के वैकल्पिक फेरबदल के बारे में कहा, "अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की तर्ज पर गुजरात में भी एक सलाहकार परिषद की स्थापना की जाएगी। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग-1) 2004 के समय किया गया था। जो संप्रग-2 (2009-14) के दौरान भी समतावादी विकास मॉडल के तहत सरकार को मार्गदर्शन देने के लिए बनी रही।" 75 वर्षीय पित्रोदा ने पिछले दिनों अहमदाबाद, गांधीनगर, राजकोट, सूरत और जामनगर में किसानों, दलितों, महिलाओं, मछुआरों, व्यापारियों और गैर-सरकारी संगठनों से मुलाकात की थी और उनकी समस्याओं पर विस्तृत बातचीत की थी। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (2005-09) के अध्यक्ष रह चुके पित्रोदा ने कहा कि गुजरात के लोगों के बीच बहुत असंतोष है। 

पित्रोदा ने कहा कि गुजरात दौरे के दौरान उन्हें राज्य में शिक्षा का व्यापक पैमाने पर निजीकरण देखने को मिला। खास तौर से इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा गुजरात में बहुत महंगी हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि चिकित्सा शिक्षा में 80 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी सरकारी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। हर साल 4,500 डॉक्टर निकलते हैं, उनमें से केवल 500 ही ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं। इस तरह के बंधनों से बचने के लिए शेष चिकित्सक 10 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान जुर्माने के रूप में करते हैं। महिलाओं की गंभीर स्थिति का जिक्र करते हुए पित्रोदा ने कहा कि वे अपने ऊपर हुए किसी भी अत्याचार के लिए कागज पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करातीं। वे अपने अधिकारों से अवगत नहीं हैं। ग्रामीण इलाकों में, महिलाओं को पानी लाने के लिए चार-पांच किलोमीटर तक जाना होता है। राज्य में चार लाख कामकाजी महिलाएं हैं, जिनके पास रहने के लिए चमुचित जगह नहीं है।

उन्होंने कहा, "वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रतिकूल प्रभाव के कारण व्यापारी और छोटे व मध्यम उद्यमियों का कारोबार बुरी हालत में पहुंच गया है। बैंक उन्हें ऋण नहीं दे रहे हैं। बैंक बड़ी कंपनियों को ऋण देने के लिए तैयार हैं, लेकिन छोटे उद्यमियों को नहीं। उनका ध्यान टाटा मोटर्स जैसी बड़ी परियोजनाओं पर है।"पित्रोदा ने कहा, "किसानों की शिकायतें हैं कि उनकी उपजाऊ जमीन चंद मुआवजा देकर ले ली जाती है। उसके बाद वहां कोई उद्योग नहीं लगाया जाता। स्थानीय समाज के लिए आर्थिक लाभ की कोई योजना नहीं है।"पित्रोदा ने गिफ्ट (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी)) के मामले का हवाला देते हुए कहा, "जिसका क्षेत्रफल बहुत बड़ा है, लेकिन वहां सिर्फ कुछ कार्यालय भवन ही हैं।"उन्होंने पाटीदार, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित जाति के नेताओं का साथ देने के लिए कांग्रेस की आलोचना कर रही भाजपा के तर्क को भी खारिज कर दिया और कहा कि "इसमें कुछ गलत नहीं है। क्योंकि लोकतंत्र में प्रत्येक समूह का एक मतदाता वर्ग है, जिसे अधिकार है कि उसकी बातें सुनी जाएं और उनकी शिकायतें हल की जाएं। उनकी तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। आखिर पाटीदारों या अन्य समूहों के साथ गठजोड़ करने में गलत क्या है?"उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ, खासतौर से राहुल गांधी के मंदिर दर्शन, इंदिरा गांधी के दशकों पूर्व हुए मोरबी के दौरे के खिलाफ भाजपा की बयानबाजी की निंदा की। उल्लेखनीय है कि दशकों पहले एक बांध दुर्घटना के बाद मोरबी पहुंचीं इंदिरा गांधी ने मानव शव और पशुओं के शवों से आ रही दरुगध से बचने के लिए नाक ढक लिया था। पित्रोदा ने कहा, "ये सब मुद्दे नहीं हैं। ये लोग गैर-मुद्दों की तरफ लोगों का ध्यान खींचना चाह रहे हैं।"

राम मंदिर निर्माण की सभी बाधाएं दूर हो चुकी हैं : आरएसएस

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लखनऊ, 03 दिसम्बर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने रविवार को यहां कहा कि अब श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण की सारी बाधाएं दूर हो चुकी हैं और सभी धर्मों के लोग अयोध्या में श्री रामलला के मंदिर के लिए साझा कार्यक्रम बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म पूरी पृथ्वी को अपना कुटुंब मानता है और सबके सुख की कामना करता है। इन्द्रेश रविवार को गोमती तट पर सनातन महासभा द्वारा आयोजित 37वीं आदि गंगा मां गोमती महाआरती कार्यक्रम में बतौर विशिष्ठि अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर सनातन धर्म और संस्कृति का विस्तार करना है। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वस्तिवाचन, मंगलाचरण, शंखनाद के साथ हुआ। इस दौरान संयोजक डॉ. प्रवीण ने बताया कि आज की महाआरती में 1008 दीपों से दीपदान के साथ सनातन धर्म और संस्कृति के साथ भारत को सनातन राष्ट्र बनाने का संकल्प कराया गया।

योगी से बाबा रामदेव की मुलाकात, कई क्षेत्रों में निवेश पर चर्चा

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लखनऊ, 3 दिसम्बर, योग गुरु बाबा रामदेव ने रविवार को कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर उनसे फूड प्रोसेसिंग यूनिट समेत कई मुद्दों पर बातचीत की।  मुलाकात के दौरान उनके साथ आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद थे। मुलाकात के बाद बाबा रामदेव ने बताया कि हमारी नोएडा में स्थित फूड प्रोसेसिंग यूनिट से संबंधित कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। हमने इसे शुरू करने के लिए 2018 तक का लक्ष्य रखा है। भेंट के दौरान बाबा की योगी से उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर समिट-2018 के संदर्भ में भी चर्चा हुई। बाबा रामदेव कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात में गो-अनुसंधान, गो-सेवा, गो-संवधर्न, कृषि और उत्तर प्रदेश में अन्य कई प्रकार के निवेश को लेकर चर्चा हुई। योगी आदित्यनाथ ने निवेश में संभव मदद का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के दिव्य भारत बनाने की कल्पना में हम उनका सहयोग करना चाहते हैं। 2018 में नोएडा वाले कार्य को मूर्तरूप देने का प्रयास है। तीन तलाक के संबंध में किए गए सवाल पर रामदेव ने कहा कि मजहब के नाम पर किसी के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। महिलाओं के सम्मान से समाज आगे बढ़ेगा। तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार जो कानून बना रही है, वो एक सराहनीय पहल है। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि उनकी फर्म पतंजलि उत्तर प्रदेश में रोजगार को बढ़ावा दे रही है। पतंजलि नोएडा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर काम कर रही है। इसके 2018 में पूरा होने की संभावना है। कुछ मुद्दों को लेकर राज्य सरकार और पतंजलि के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। इसे लेकर रविवार की सुबह बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात की।
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