Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live

आलेख : गुजरात में आदिवासी आन्दोलन क्यों?

$
0
0
tribal-revolution-gujrat
असंवैधाानिक एवं गलत आधार पर गैर-आदिवासी को आदिवासी सूची में शामिल किये जाने एवं उन्हें लाभ पहुंचाने की गुजरात की वर्तमान एवं पूर्व सरकारों की नीतियों का विरोध इनदिनों गुजरात में आन्दोलन का रूप ले रहा है। समग्र देश के आदिवासी समुदाय का नेतृत्व करने वाले गुजरात के आदिवासी समुदाय के प्रेरणापुरुष गणि राजेन्द्र विजयजी इस ज्वलंत एवं आदिवासी अस्तित्व एवं अस्मिता के मुद्दे पर सत्याग्रह कर रहे हैं। अनेक कांग्रेसी एवं भाजपा के आदिवासी नेता भी उनके साथ खड़े हैं। गुजरात के आदिवासी जनजाति से जुड़े राठवा समुदाय में उनको आदिवासी न मानने को लेकर गहरा आक्रोश है। इन विकराल होती संघर्ष की स्थितियों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह न केवल गुजरात सरकार बल्कि केन्द्र सरकार के लिये एक बड़ी चुनौती बन सकता है। इन दिनों समाचार पत्रों एवं टीवी पर प्रसारित समाचारों से यह जानकर अत्यंत दुख हुआ कि गुजरात में आदिवासी जनजाति के अधिकारों एवं उनके लिये बनी लाभकारी योजनाओं को किसी गैर आदिवासी जाति के लोगों को असंवैधानिक एवं गलत तरीकों से हस्तांतरित करना न केवल आपराधिक कृत है बल्कि अलोकतांत्रिक भी है। आदिवासी जन-जाति के अधिकारों के हनन की इस तरह की घटनाएं राजनीति तूल पकड़ ही रही है, गुजरात की राजनीति में वहां के आदिवासी समुदाय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है, भाजपा के ही अनेक आदिवासी नेता नाराज है, यह नाराजगी गैरवाजिब नहीं है। 

 गुजरात के आदिवासी समुदाय की नाराजगी अनायास नहीं है। सन् 1956 से लेकर 2017 तक के समय में सौराष्ट्र के गिर, वरड़ा, आलेच के जंगलों में रहने वाले भरवाड़, चारण, रबारी एवं सिद्धि मुस्लिमों को इनके संगठनों के दवाब में आकर गलत तरीकों से आदिवासी बनाकर उन्हें आदिवासी जाति के प्रमाण-पत्र दिये जाने की घटना को लेकर गणि राजेन्द्र विजयजी ने आन्दोलन शुरु किया। उनका मानना है कि यह पूरी प्रक्रिया बिल्कुल गलत, असंवैधानिक एवं गैर आदिवासी जातियों को लाभ पहुंचाने की कुचेष्टा है, जिससे मूल आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है, उन्हें नौकरियों एवं अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। यह मूल आदिवासी समुदाय के साथ अन्याय है और उन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित करना है। पिछले 60 वर्षों से चला आ रहा मूल आदिवासी जाति के अधिकारों के जबरन हथियाने और उनके नाम पर दूसरी जातियों को लाभ पहुंचाने की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को तत्काल रोका जाना आवश्यक है अन्यथा इन स्थितियों के कारण आदिवासी जनजीवन में पनप रहा आक्रोश एवं विरोध विस्फोटक स्थिति में पहुंच सकता है। गणि राजेन्द्र विजयजी न केवल गुजरात बल्कि देश में सर्वत्र आदिवासी समुदाय को उनके अधिकार दिलाने एवं उनके जीवन के उन्नत बनाने के लिये प्रयासरत है। ऐसे कार्यों की सराहना की बजाय विरोध एवं विध्वंस झेलना पड़े, यह लोकतंत्र के लिये शर्मनाक है।

tribal-revolution-gujrat
हाल ही में सम्पन्न गुजरात विधानसभा के चुनाव में आदिवासी समाज की नाराजगी का साफ असर दिखाई दिया। अन्यथा भाजपा जिस शानदार जीत का दावा कर रही थी, वह संभव हो सकता था। हर बार चुनाव के समय आदिवासी समुदाय को बहला-फुसलाकर उन्हें अपने पक्ष में करने की तथाकथित राजनीति इस बार असरकारक नहीं रही। क्योंकि गुजरात का आदिवासी समाज बार-बार ठगे जाने के लिए तैयार नहीं है। इस प्रांत की लगभग 23 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की हैं। देश के अन्य हिस्सों की तरह गुजरात के आदिवासी दोयम दर्जे के नागरिक जैसा जीवन-यापन करने को विवश हैं। यह तो नींव के बिना महल बनाने वाली बात हो गई। गुजरात सरकार अगर सचमुच में प्रदेश के आदिवासी समुदाय का विकास चाहती हैं और ‘आखिरी व्यक्ति’ तक लाभ पहुँचाने की मंशा रखती हैं तो आदिवासी हित और उनकी समस्याओं को हल करने की बात पहले करनी होगी। आदिवासी समुदाय को बांटने और तोड़ने के व्यापक उपक्रम चल रहे हैं जिनमें अनेक राजनीतिक दल अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए तरह-तरह के घिनौने एवं देश को तोड़ने वाले प्रयास कर रहे हैं। ऐसी ही कुचेष्टाओं  में जबरन गैर-आदिवासी को आदिवासी बनाने के घृणित उपक्रम को नहीं रोका गया तो गुजरात का आदिवासी समाज खण्ड-खण्ड हो जाएगा। आदिवासी के उज्ज्वल एवं समृद्ध चरित्र को धुंधलाकर राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों के खिलाफ गणि राजेन्द्र विजयजी आन्दोलनरत हुए हैं, उनके आन्दोलन को राजनीतिक नजरिये से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। तेजी से बढ़ते आदिवासी समुदाय को विखण्डित करने का यह बिखरावमूलक दौर गुजरात सरकार के लिये गंभीर समस्या बन सकता है। एक समाज और संस्कृति को बचाने की मुहीम के साथ शुरु किय गये इस आन्दोलन से यदि इस आदिवासी समुदाय के लिये कोई सकारात्मक जमीन तैयार की जाये, तो इस आन्दोलन की सार्थकता है।

आजादी के सात दशक बाद भी गुजरात के आदिवासी उपेक्षित, शोषित और पीड़ित नजर आते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ और नेता आदिवासियों के उत्थान की बात करते हैं, लेकिन उस पर अमल नहीं करते। आज इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार एवं विकास का जो वातावरण निर्मित होना चाहिए, वैसा नहीं हो पा रहा है, इस पर कोई ठोस आश्वासन इन निर्वाचित सरकारों से मिलना चाहिए, वह भी मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। अक्सर आदिवासियों की अनदेखी कर तात्कालिक राजनीतिक लाभ लेने वाली बातों को हवा देना एक परम्परा बन गयी है। इस परम्परा को बदले बिना देश को वास्तविक उन्नति की ओर अग्रसर नहीं किया जा सकता। देश के विकास में आदिवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका है और इस भूमिका को सही अर्थाें में स्वीकार करना वर्तमान की बड़ी जरूरत है। बात केवल गैर-आदिवासी को आदिवासी बनाने या राठवा समुदाय को आदिवासी न मानने की ही नहीं है, बात गुजरात में अभी भी आदिवासी दोयम दर्जे के नागरिक जैसा जीवनयापन करने की भी हैं। जबकि केंद्र सरकार आदिवासियों के नाम पर हर साल हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में करती है। इसके बाद भी 7 दशक में उनकी आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वास्थ्य सुविधाएँ, पीने का साफ पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए वे आज भी तरस रहे हैं। 

जिस प्रांत से प्रधानमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष आते हो, उस प्रांत में आदिवासी समुदाय की उपेक्षा और उनकी स्थिति डांवाडोल होना एक गंभीर चुनौती है। आदिवासी जन-जाति के साथ हो रहा सत्ता का उपेक्षापूर्ण व्यवहार गुजरात के समृद्ध एवं विकसित राज्य के तगमे पर एक प्रश्नचिन्ह है। यह कैसी समृद्धि है और यह कैसा विकास है जिसमें आदिवासी अब भी समाज की मुख्य धारा से कटे नजर आते हैं। सरकार आदिवासियों को लाभ पहुँचाने के लिए उनकी संस्कृति और जीवन शैली को समझे बिना ही योजना बना लेती हैं। ऐसी योजनाओं का आदिवासियों को लाभ नहीं होता, अलबत्ता योजना बनाने वाले जरूर फायदे में रहते हैं। महँगाई के चलते आज आदिवासी दैनिक उपयोग की वस्तुएँ भी नहीं खरीद पा रहे हैं। वे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। अतः गुजरात की बहुसंख्य आबादी आदिवासियों पर विशेष ध्यान देना होगा। हमें यह भी समझना होगा कि एक मात्र शिक्षा की जागृति से ही आदिवासियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा। बदलाव के लिए जरूरत है उनकी कुछ मूल समस्याओं के हल ढूंढना। भारत के जंगल समृद्ध हैं, आर्थिक रूप से और पर्यावरण की दृष्टि से भी। देश के जंगलों की कीमत खरबों रुपये आंकी गई है। ये भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पाद से तो कम है लेकिन कनाडा, मेक्सिको और रूस जैसे देशों के सकल उत्पाद से ज्यादा है। इसके बावजूद यहां रहने वाले आदिवासियों के जीवन में आर्थिक दुश्वारियां मुंह बाये खड़ी रहती हैं। आदिवासियों की विडंबना यह है कि जंगलों के औद्योगिक इस्तेमाल से सरकार का खजाना तो भरता है लेकिन इस आमदनी के इस्तेमाल में स्थानीय आदिवासी समुदायों की भागीदारी को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। जंगलों के बढ़ते औद्योगिक उपयोग ने आदिवासियों को जंगलों से दूर किया है। आर्थिक जरूरतों की वजह से आदिवासी जनजातियों के एक वर्ग को शहरों का रुख करना पड़ा है। विस्थापन और पलायन ने आदिवासी संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज और संस्कार को बहुत हद तक प्रभावित किया है। गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के चलते आज का विस्थापित आदिवासी समाज, खासतौर पर उसकी नई पीढ़ी, अपनी संस्कृति से लगातार दूर होती जा रही है। आधुनिक शहरी संस्कृति के संपर्क ने आदिवासी युवाओं को एक ऐसे दोराहे पर खड़ा कर दिया है, जहां वे न तो अपनी संस्कृति बचा पा रहे हैं और न ही पूरी तरह मुख्यधारा में ही शामिल हो पा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अक्सर आदिवासी उत्थान और उन्नयन की चर्चाएं करते हैं और वे इस समुदाय के विकास के लिए तत्पर भी हैं। क्योंकि वे समझते हैं कि आदिवासियों का हित केवल आदिवासी समुदाय का हित नहीं है प्रत्युतः सम्पूर्ण देश व समाज के कल्याण का मुद्दा है जिस पर व्यवस्था से जुड़े तथा स्वतन्त्र नागरिकों को बहुत गम्भीरता से सोचना चाहिए। अब जबकि गणि राजेन्द्र विजयजी के प्रयासों से आदिवासी क्षेत्र में उनके अधिकारों एवं अस्तित्व को लेकर भी जागृति का माहौल बना है। उनका मानना है कि सरकार के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों को इस दिशा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बनानी चाहिए। जैसाकि छोटा उदयपुर में उनके स्वयं के नेतृत्व में इस दृष्टि से एक अभिनव क्रांति घटित हुई है। यह कोरा आन्दोलन नहीं, बल्कि एक जाति को बचाने का रचनात्मक उपक्रम हैं। 




liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

राजस्थान: अजा/अजजा के भ्रष्ट अफसर यदि अजा/अजजा के लोगों पर करें अत्याचार और नाइंसाफी तो क्या करें?

$
0
0
मेरे पास लगातार इस प्रकार के मामले आ रहे हैं, जिनमें अजा एवं अजजा के अधिकारी और सुपरवाईजर, अजा एवं अजजा के दु:खी एवं व्यथित लोगों के वैधानिक कार्यों में जानबूझकर रोड़ा अटकाते रहते हैं। उनके वैधानिक कार्यों को पूर्ण नहीं होने देते हैं। कथित रूप से अपने ही वर्ग के लोगों से रिश्वत की मांग कर रहे हैं। अनेक मामलों में कथित रूप से रिश्वत लिये बिना; उनके सही तथा वैधानिक कार्यों तक को नहीं करते हैं। अपने पद और पदस्थिति का दुरुपयोग करते हैं। उच्च अफसरों से शिकायत करने वाले व्यथित अजा/अजजा के लोगों का कार्य नहीं करते।

यहां यह सवाल उठता है कि संविधान के अनुच्छेद 16 के उप अनुच्छेद (4) में अजा/अजजा वर्गों का प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व स्थापित करने के लिये अजा/अजजा वर्गों को नियुक्ति प्रदान करने हेतु आरक्षण प्रदान किया गया है। जिसके तहत तुलनात्मक रूप से और तकनीकी तौर पर मैरिट में पिछड़ने के बाद भी अजा/अजजा वर्गों के अभ्यर्थियों को सरकारी सेवाओं में नियुक्ति प्रदान की जाती हैं, जिससे कि वे अपने-अपने वर्गों का सही से प्रतिनिधित्व करते हुए अपने वर्गों के साथ इंसाफ कर सकें। बजाय इसके आरक्षित पदों चयनित अजा/अजजा वर्गों के उच्च पदस्थ अनेक लोक सेवक अपने ही वर्गों के व्यथित लोगों को उत्पीड़ित कर रहे हैं। मेरे पास अजा/अजजा वर्गों के ऐसे कई दर्जन लोगों की मय सबूत सूची उपलब्ध है। उनके बारे में व्यथित लोगों की ओर से मय सबूत यह जानकारी भी एकत्रित की जा रही है कि उनके द्वारा काली कमाई कैसे और कहां जमा की जा रही है? कथित रूप से इनके द्वारा महंगे तथा उच्च स्तरीय साजसज्जा से सुसज्जित आलीशान भव्य बंगले बनाकर शानोशौकत से परिपूर्ण जीवन जिया जा रहा है। इनके द्वारा अपने पैतिृक क्षेत्र में अपने या अपनी पत्नी या परिजनों या रिश्तेदारों के नाम से कार, ट्रेक्टर, ट्रक, बस, चांदी-सोना, जमीन तथा अन्य चल-अचल सम्पत्तियां खरीदी-बेची और उपभोग की जा रही हैं और करोड़ों रुपये ब्याज पर चलाये जा रहे हैं। इनके द्वारा अपने परिजनों या रिश्तेदारों के नाम से अपने ही नियंत्रणाधीन ठेकेदारी करवायी जा रही हैं। जिनके बिल ये खुद ही पास करते हैं। इनकी संतानें महंगे स्कूल/कॉलेज/कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में स्टेडी करके आरक्षण का लाभ उठा रही हैं। जिनका सरकारी सेवा में चयन होने पर, अजा/अजजा वर्ग के व्यथित लोग किसी प्रकार के वैधानिक सहयोग की उम्मीद कर सकते हैं?

जानकारी यह भी है कि इन कथित भ्रष्ट लोक सेवकों द्वारा चुनाव के वक्त राजनेताओं को मोटी रकम अदा की जाती है। अत: इन्हें राजनेताओं का भी संरक्षण मिलता रहता है। इस कारण इनको आमजन की कोई परवाह नहीं रहती है। ऐसे ही लोगों के कारण आरक्षित वर्गों के वंचित तबके की ओर से अकसर क्रीमीलेयर की आवाज उठायी जाती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस प्रकार के कथित भ्रष्ट लोग, जिन्हें अपने ही वर्ग और यहां तक कि अपनी ही जाति तक के पीड़ित लोगों के हकों तथा दु:खों की की परवाह नहीं है, इनके काले कारनामों को उजागर करके क्या इन्हें कानूनी शिकंजे में लाना जरूरी नहीं? या इनका कोई दूसरा इलाज संभव है?

ध्यान रहे इन लोगों में कथित रूप से आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर्स, इंस्पेक्टर्स, सुपरवाईजर्स, पुलिसकर्मी, एक्साइज, बैंक, जंगलात, आदि विभागों में पदस्थ अजा/अजजा के लोक सेवक शामिल हैं। जो आपस में एक-दूसरे के सपोर्ट या संरक्षण प्रदान करते रहते हैं!



liveaaryaavart dot com

डॉ. पुरुषोत्त्म मीणा 'निरंकुश'
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
संपर्क : 9875066111/06.03.2018

आलेख : भावी पीढ़ीयों का सही मायने में बौद्धिक विकास

$
0
0
satypal-mallic-and-darvin
केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने हाल ही में डार्विन के सदियों से प्रचलित विकासवाद के सिद्धांत को गलत करार देने तथा महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन से काफी पहले भारतीय मंत्रों में 'गति के नियम'मौजूद होने की बात कहकर समूचे देश में विवाद छेड़ दिया है। श्री सिंह ने स्कूल-कॉलेजों का निर्माण वास्तु के हिसाब से कराने की सलाह दी है। उन्होंने अध्ययन-अध्यापन के लिए इसे महत्वपूर्ण बताया है। डार्विन और न्यूटन के सिद्धांत की बात का समर्थन करें या ना करें, लेकिन स्कूल-कॉलेजों का निर्माण वास्तु के नियमों के अनुसार करने की बात पर केंद्र व राज्य सरकारों को वाकई गौर करना चाहिए, ताकि देश की भावी पीढ़ीयों का सही मायने में बौद्धिक विकास हो सके। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन साहब ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह की 'तलाश इंसान की'शीर्षक पुस्तक का विमोचन करने के बाद अपने फेसबुक पोस्ट में इन पंक्तियों का उल्लेख किया था-'क्या अजीब बात है, इतने धर्म, इतने महापुरुष, इतने गुरु, इतने धर्मग्रन्थ, इतने तीर्थस्थल फिर भी इंसान सही रास्ते की तलाश में परेशान है।'उन्होंने 'फिराक'की इन पंक्तियों का भी उल्लेख किया था :

'हजारों खिज्र पैदा कर चुकी है नस्ल आदम की,
ये सब तस्लीम लेकिन आदमी अब तक भटकता है।'

दरअसल यह दुनिया एक गड़बड़झाला है। देखने में कुछ और हकीकत में कुछ और। सृष्टि के प्रारंभ से ही मुट्ठी भर चालाक, धुरंधर, शैतान, लालची स्वभाव के लोग नाम, पैसे, पॉवर तथा अपनी दुकान चलाने के लिए समूची मानव जाति को गुमराह कर उसका शोषण करते आ रहे हैं। मनुष्य जाति के शोषण का सबसे भयंकरतम माध्यम है धर्म। सृष्टि ने हमें हिंदु, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध के रूप में नहीं बल्कि मनुष्य के रूप में जन्म दिया है। लेकिन मानवता के दुश्मनों ने हिंदु, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि हजारों धर्मों की सृष्टि कर मानव जाति के टुकड़े-टुकड़े कर दिये हैं और आज समूची मानव जाति धर्म रूपी हैवानियत के शिकंजे में लहुलुहान हो रही है। 

धरती हमारी माता है और हम उसकी संतान हैं। मनुष्य धरती की छाती से उत्पन्न जल, अन्न तथा उसके वायुमंडल से ऑक्सीजन ग्रहण कर जीवन धारण करता है, लेकिन अपने क्षुद्र स्वार्थों की खातिर उसी धरती माता को विध्वस्त करने पर तुला हुआ है। हर मां की यह कामना होती है कि उसकी संतान सुख, शांति, समृद्धि से रहे तथा उसके जीवन में कभी कोई आपत्ति-विपत्ति न आये। हमारी धरती माता का भी सिस्टम उसी भावना से रचा गया है। अगर मनुष्य सृष्टि (वास्तु) के नियमों के अनुसार गृह निर्माण करे और सृष्टि द्वारा प्रदत्त मन की शक्ति का उपयोग करे तो उसे जीवन में सुख, शांति, समृद्धि हासिल होती है तथा किसी प्रकार की अनहोनी का शिकार नहीं होना पड़ता। अफसोस इस बात का है कि चंद क्षुद्र स्वार्थी लोग मानव जाति को इस सत्य से विमुख कर स्वरचित धर्मों और गुुरुओं की सेवा-साधना करने से उन्नति होने की झुठी दिलासा देकर न सिर्फ उसका शोषण करते आये हैं, बल्कि उन्होंने समूची मानव जाति को पंगु बनाकर रख दिया है। दुनिया का हर धर्म यही कहता है कि तुम्हारे हाथ में कुछ नहीं, सभी कुछ ऊपरवाला अल्ला, गॉड, भगवान करता है, जबकि हकीकत यह है कि दुनिया में भगवान, अल्ला, गॉड नाम की कोई चीज नहीं है। कबीर ने कहा था-'पाथर पूजै हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़।'असली भगवान, गॉड, अल्ला प्रकृृति प्रदत्त शक्ति के रूप में खुद मनुष्य के मन में हैं, लेकिन दुनिया के सभी धर्मगुरु प्रकृृति प्रदत्त शक्ति को झुठला कर अस्तित्वहीन भगवान, अल्ला, गॉड पर विश्वास करने की सलाह देकर समूची मानव जाति को दिग्भ्रमित करते आये हैं। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि दुनिया में मनुष्य का सबसे ज्यादा शोषण धर्म के नाम पर होता है। दुनिया में धर्म के नाम पर ही सबसे ज्यादा अपराध, हिंसा, आतंकवाद व विद्वेष फैलाने सरीखी अमानवीय घटनाएं संघटित होती आई हैं। दुनिया में जितने मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरुद्वारे व अन्य धर्मस्थल हैं, उनकी संपदा को बेचकर अगर उन्हें मानव कल्याण के कार्य पर खर्च कर दिया जाये तो मैं समझता हूँ कि दुनिया में एक भी दरिद्र, भूखा नहीं रहेगा और दुनिया में अपराध भी न्यूनतम हो जायेंगे। मानव जाति को धर्म तथा धर्मगुरुओं के शिकंजे से आजाद करना वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है।

सृष्टि ने मनुष्य के मन में इतनी शक्ति प्रदान की है कि दुनिया का कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं। सृष्टि (वास्तु) के नियमानुसार निर्मित गृह धर्मस्थल बन जाता है और सृष्टि द्वारा प्रदत्त मन की शक्ति का उपयोग करने पर मनुष्य खुद भगवान, अल्ला, गॉड बन जाता है। उसे जीवन में अकल्पनीय सुकून, शांति तथा प्रगति की प्राप्ति होती है। जबकि मनुष्य द्वारा सृजित भगवान, अल्ला, गॉड और मंदिर, मस्जिद, गिरजाघरों का मनुष्य के जीवन में कोई प्रभाव नहीं होता। अगर उनका प्रभाव होता तो फिर विश्व में सबसे अधिक मंदिर, मस्जिद, गिरजाघरों वाला हिंदुस्तान विश्व का सबसे बड़ा, सुखी, समृद्धिशाली व ताकतवर देश होता'न की दरिद्रतम देश। सृष्टि की सत्ता की अनदेखी कर युग-युग से धर्म और क्षुद्रस्वार्थी धर्मगुरुओं की अंध भक्ति करने की वजह से आज हिंदुस्तान की जनता दरिद्रता का जीवन बसर करने को अभिशप्त है। जाहिर है अस्तित्वहीन अल्ला, भगवान, गॉड की प्रार्थना, पूजा, इबादत में ही अपना जीवन होम करने वालों को जीवन में शून्यता के अलावा और भला क्या हासिल होने वाला है। इसलिए आज मुट्ठी भर लोगों के पास संसार की अधिकांश संपदा एकत्रित हो गई है, जबकि अधिकांश लोगों को दरिद्रता का जीवन बसर करना पड़ रहा है।

देश के पूर्वोत्तर के लोग भी सदियों से प्रकृृति के नियमों के विपरीत गृह निर्माण करते आये हैं, जिसकी वजह से यह क्षेत्र युगों से युद्ध व आतंकवाद से त्राहिमाम करता रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र को हिंसा, उग्रवाद, पिछड़ेपन व अंधविश्वास से मुक्त कर उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए हम विगत 20 सालों से लोगों को घर-घर जाकर प्रकृृति (वास्तु) के नियमानुसार गृह निर्माण व मन शक्ति के प्रयोग की सलाह देने की मुहिम में जुटे हुए हैं और अब तक 16,000 परिवारों को नि:शुल्क वास्तु सलाह दे चुके हैं। हमने कई स्कूल, कॉलेजों, मंदिरों का भी वास्तु दोष दूर करवाया है, जिसके बाद इनकी काफी उन्नति हुई है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने स्कूल, कॉलेजों का निर्माण वास्तु के अनुसार करने की जो सलाह दी है, वह वाकई गौर करने लायक है तथा केंद्र व राज्य सरकारों को न सिर्फ स्कूल, कॉलेजों बल्कि समस्त सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों, लोकसभा व विधान सभाओं सहित सभी सरकारी उपक्रमों का वास्तु दोष दूर करने की पहल करनी चाहिए। अगर हिंदुस्तान के लोग धर्म के नाम पर जारी ढोंग से खुद को मुक्त कर मन की शक्ति का प्रयोग और सृष्टि (वास्तु) के नियमानुसार गृह निर्माण करने लगें तो फिर वो दिन दूर नहीं होगा, जब हिंदुस्तान विश्व का सबसे सुखी, समृद्ध व शांतिपूर्ण देश बन जायेगा।





- राजकुमार झांझरी, 
अध्यक्ष, रि-बिल्ड नॉर्थ ईस्ट, 
गुवाहाटी (मो.: 94350-10055)

विशेष आलेख : बिन ईधन का सिलेंडर

$
0
0
मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के कांजा गावं की निवासी मंजूबाई का प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मिला गैस कनेक्शन धूल खा रहा है.कनेक्शन लेने के बाद उन्होंने दूसरी बार सिलेंडर नहीं भरवाई है. अब उनके घर के एक कोने पर पड़ा सिलेंडर सामान रखने के काम आता है और घर का खाना पहले की तरह धुएं के चूल्हे पर बनने लगा है. यह अकेले मंजूबाई की कहानी नहीं है.देश भर में उज्ज्वला योजना के ज्यादातर लाभार्थी गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर भरवाना मुश्किल साबित हो रहा है. केंद्र सरकार भले ही निशुल्क गैस कनेक्शन के अपने आंकड़ों को दिखाकर पीठ थपथपा ले लेकिन जमीनी हकीकत तो यही है कि इनमें से बड़ी संख्या में परिवार धुंए की चूल्हे की तरफ वापस लौटने को मजबूर हुये है. अखबारों में प्रकाशित समाचार के अनुसार मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में 36 हजार 15 महिलाओं को कनेक्शन मिले थे  लेकिन इसमें से 75 प्रतिशत कनेक्शनधारियों ने दूसरी बार भी सिलेंडर नहीं लिया. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से तो हितग्राहियों द्वारा मोदी सरकार के इस महत्वकांक्षी योजना के तहत दिये गये रसोई गैस कनेक्शन और कार्ड को बेचने की खबरें आयीं हैं. बिलासपुर जिले के मरवाही तहसील के कई गावों के गरीब आदिवासी परिवार सिलेंडर खत्म होने के बाद रीफिलिंग नहीं करा पाते हैं और कई लोग तो गैस कनेक्शन को पांच-पांच सौ स्र्पए में बेच दे रहे हैं. खुद छत्तीसगढ़ सरकार मान रही है कि वहां उज्ज्वला योजना के 39 फीसदी हितग्राही ही दोबारा अपने सिलेंडर को रिफिल कराते हैं. उपरोक्त स्थितयाँ मोदी सरकार द्वारा उज्ज्वला योजना को लेकर किये जा रहे दावों पर सवालिया निशान हैं. 

क्या उज्ज्वला योजना उतनी कामयाब हुई है जितनी बताई जा रही है या फिर हमें गुमराह किया जा रहा है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 8 फरवरी को किये गये अपने प्रेस कांफ्रेंस में इस योजना का भरपूर बखान किया है, उनके अनुसार उज्ज्वला योजना के तहत अब तक तीन करोड़ 36 लाख परिवारों को रसोई गैस के कनेक्शन दिए गए हैं, उन्होंने यह भी दावा किया है कि योजना शुरू किए जाने के एक साल के भीतर कनेक्शन लेने वाले दो करोड़ लाभार्थिंयों में से 80 प्रतिशत ने इसे रिफिल भी कराया है और रिफिल कराने का औसत प्रति परिवार 4.07 सिलेंडर सालाना है. इसमें कोई शक नहीं है कि उज्ज्वला योजना के शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में गैस कनेक्शन बांटे गए हैं लेकिन सवाल इसके दोबारा रिफिल कराने और व्यवहार परिवर्तन का है. यह मान लेना सही नहीं है कि बीपीएल परिवार गैस भरवाने के लिए एक मुश्त आठ सौ रुपए का इंतजाम कर लेंगें. घरों में भोजन पकाने के लिए ठोस ईंधन इस्तेमाल से प्रदूषण फैलाने वाले महीन कण (फाइन पार्टिकल) निकलते हैं जोकि हवा में पाए जाने वाले सामान्य कणों की तुलना में काफी छोटे और स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं. इसका महिलाओं और बच्चों से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. 2014 में जारी यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार अपने लोगों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन न उपलब्ध करा पाने वाले देशों की सूची में भारत शीर्ष पर है और यहां की दो-तिहाई आबादी खाना बनाने के लिए कार्बन उत्पन्न करने वाले ईंधन और गोबर से तैयार होने वाले ईंधन का इस्तेमाल करती है जिसकी वजह से इन परिवारों की महिलाओं और बच्चों के सेहत को गंभीर असर पड़ता है. सितंबर, 2015 को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री पीयूष गोयल द्वारा ‘स्वच्छ पाक ऊर्जा और विद्युत तक पहुँच राज्यों का सर्वेक्षण’ रिपोर्ट जारी किया गया था इस सर्वेक्षण में 6 राज्यों (बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के 51 जिलों के 714 गांवों के 8500 परिवार शामिल किये गये थे. रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों में 78% ग्रामीण आबादी भोजन पकाने के लिए पारंपरिक बायोमास ईंधन का उपयोग करती है और केवल 14% ग्रामीण परिवार ही भोजन पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करते हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए लकड़ी और उपले जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग में कमी लाने और एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मई 2016 में “प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना”  की शुरुआत की गयी थी जिसके तहत तीन सालों में गऱीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की पांच करोड़ महिलाओं को रसोई गैस उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था जिससे उन्हें जानलेवा धुंए से राहत दिलाया जा सके. इस साल केंद्र सरकार ने लक्ष्य को बढ़ाते हुये 3 करोड़ और लोगों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन देने का ऐलान किया है जिसके लिये 2020 का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए पहले आवंटित किए गए आठ हजार करोड़ रुपए के अलावा 4,800 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजटीय प्रावधान भी किया गया है साथ ही योजना का विस्तार करते हुए इसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और अंत्योदय अन्न योजना के सभी लाभार्थियों, जंगलों और द्वीपों में रहने वालों तथा पूर्वोत्तर के चाय बगानों में काम करने वाले सभी परिवारों को भी शामिल किया गया है. यह महिला केन्द्रित योजना है जिसके तहत परिवार की महिला मुखिया के नाम से गैस कनेक्शन दिया जाता है. इसके लिये 1600 रुपये की सब्सिडी दी जाती है, जबकि गैस चूल्हा, पाईप खरीदने और पहला रीफिल कराने के लिये किस्तों में पैसा चुकाने की सुविधा दी जाती है. 

दरअसल इस योजना को लेकर केंद्र सरकार हड़बड़ी में दिखाई पड़ती है. उसका पूरा जोर गैस कनेक्शन देने और प्रचार-प्रसार पर है, इस बात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि बांटे गये गैस कनेक्शनों का जमीनी स्तर पर उपयोग कितना हो रहा है. हालांकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री पीयूष गोयल यह दावा जरूर कर रहे हैं कि 80 प्रतिशत परिवारों ने एलपीजी कनेक्शन लेने के बाद उसे दोबारा भरवाया है लेकिन उनके इस दावे पर गंभीर सवालिया निशान है. आंकड़े बताते हैं नये गैस कनेक्शन 16.23 प्रतिशत की दर से बढ़ी है लेकिन गैस सिलेंडर का उपयोग दर 9.83 प्रतिशत ही है जो योजना शुरू होने से पहले की दर से भी कम है, इसका मतलब है कि योजना के लागू होने के बाद गैस कनेक्शन तो बढ़े हैं लेकिन गैस सिलेंडर उपयोग करने वालों की संख्या उस तेज़ी से नहीं बढ़ रही है. हड़बड़ी में योजना लागू करने का विपरीत असर दिखाई पड़ने लगा है. दरअसल उज्ज्वला योजना लागू करने से पहले केंद्र सरकार ने गैस की जगह परम्परागत ईंधन का उपयोग के कारणों का पता लगाने के लिये क्रिसिल से एक सर्वे कराया था जिसमें 86 प्रतिशत लोगों ने बताया था कि वे गैस कनेक्शन महंगा होने की वजह से इसका प्रयोग नहीं करते हैं जबकि 83 प्रतिशत लोगों ने सिलेंडर महंगा होना भी कारण बताया था, इस सर्वे में सिलेंडर मिलने के लिए लगने वाला लम्बा समय और दूरी भी एक प्रमुख बाधा के रूप में सामने आई थी. लेकिन सरकार ने योजना लागू करते समय कनेक्शन वाली समस्या को छोड़ अन्य किसी पर ध्यान नहीं दिया है, उलटे सिलेंडर पहले के मुकाबले और ज़्यादा महंगा कर दिया गया है. इसी तरह से जल्दी सिलेंडर डिलीवरी को लेकर होने वाली झंझटों पर भी ध्यान ही नहीं दिया गया. सरकार ने गैस कनेक्शन महंगा होने की समस्या की तरफ ध्यान दिया था और इसका असर साफ़ दिखाई पड़ रहा है. बड़ी संख्या में लोगों की एलपीजी कनेक्शन लेने की बाधा दूर हुयी है लेकिन क्रिसिल द्वारा बताई गयी अन्य बाधायें ज्यों की त्यों बनी हुयी हैं. लोगों को कनेक्शन मिले हैं लेकिन इनके उपयोग का सवाल बना हुआ है.

मौजूदा चुनौती उज्ज्वला स्कीम के तहत मिले गैस सिलेंडर रिफिल की है, गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा है. रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन रोज 32 रुपये से कम (960 रुपये महीना) और शहरी क्षेत्रों में रोजाना 47 रुपये (1410 रुपये महीना) से कम खर्च करने वाले परिवारों को गरीबी रेखा के नीचे माना गया है. ऐसे में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार किस हिसाब से सिलेंडर भरवाने में सक्षम होंगे. इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है. कुछ नयी बाधायें भी सामने आई हैं जैसे गैस चूल्हा, सिलेंडर में भरी गैस और नली के लिये हितग्राहियों को करीब 1800 रुपए चुकाने पड़ते हैं जिसे मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर गैस सिलेंडर पर सब्सिडी से ही वसूला जा रहा है जिससे उन्हें गैस सिलेंडर और महंगा पड़ रहा है. जाहिर है सिर्फ मुफ्त में गैस सिलेंडर देने से काम नहीं चलने वाला है इससे सरकार अपनी वाह वाही कर लेगी लेकिन इससे मूल मकसद हल नही होगा. अगर महिलाओं को चूल्हे के धुंए से वाकई में निजात दिलाना है तो समस्या के अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा. सिलेंडर बांटने के साथ ही इसके इस्तेमाल में आने वाली बाधाओं को भी प्राथमिकता से दूर करना होगा.




cylinder-withpout-gas

जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

महबूबा ने सचिन का स्कूल निधि मंजूर करने पर आभार जताया

$
0
0
Mehbooba-expressed-gratitude-to-sachin-on-granting-fund-to-school
जम्मू 30 मार्च, जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का कुपवाड़ा जिले के एक स्कूल के लिए 40 लाख रुपये की राशि मंजूर किए जाने का आभार जताया। महबूबा ने ट्वीट कर कहा, "कश्मीर में एक स्कूल इमारत के निर्माण के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीएलएडी) कोष का इस्तेमाल करने के लिए सचिन आपका धन्यवाद।" सचिन ने इंपीरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट दृग्मुला के लिए इस राशि को मंजूरी दी है। 2007 में स्थापित यह 10वीं कक्षा तक क्षेत्र का एकमात्र स्कूल है और यहां लगभग 1000 छात्र हैं। इस धन का इस्तेमाल कक्षा के कमरों, प्रयोगशाला, शौचालयों और स्कूल के प्रशासनिक ब्लॉक के निर्माण में किया जाएगा।

ग्लोबल इंटरफेथ वास एलायंस (जीवा) का स्पेशल प्रोग्राम मध्य विघालय सोसन्दी के परिसर में.

$
0
0
global-interfaith-alliance
रहुई. नालंदा जिले के चण्डी प्रखंड में ग्लोबल इंटरफेथ वास एलायंस (जीवा) की स्वच्छता क्रांति रथ से वास एण्ड व्हील अभियान चल रहा है.खुले में शौच नहीं करने का संदेश से लैश वीडियों को दिखलाया जाता है. जीवा का संचालक स्वामी चितानंद सरस्वती का संदेश शो किया जाता है. इस बीच जिले के डीएम की ऑन डिमांड पर उप विकास आयुक्त नालन्दा के आदेशानुसार रहुई प्रखंड के सोसन्दी गाँव के  मध्य विघालय  के प्रागंण में वास ऑन व्हील टीम  के द्वारा विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रखंड विकास पदाधिकारी सुमित कुमार, प्रखंड परियोजना प्रबंधक जीविका मुकेश कुमार, पैक्स अध्यक्ष आशुतोष कुमार, उप मुखिया संजय प्रसाद , वार्ड सदस्य लवली देवी और  वार्ड सदस्य एतवारी देवी शामिल हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में इनलोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यहां के सोसन्दी ग्राम  पंचायत में स्थित मध्य विघालय में शो पेश किया. रहुई प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी सुमित कुमार, प्रखंड परियोजना प्रबंधक जीविका मुकेश कुमार,ओ.डी.एफ. सचिव आदि ने जीवा के झंडे को हिलाकर शो की शुरूआत की. मौके पर बीडीओ ने कहा कि जीवा के द्वारा खुले में शौच नहीं का अभियान चला रखा है.इस तरह के कार्यक्रमों सीख लेकर फायदा उठाना चाहिये. बताते चले कि 2 अक्टूबर,2019 तक स्वच्छ भारत निर्माण करना है.इसके आलोक में केंद्र सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन और बिहार सरकार के द्वारा लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान सफलतापूर्ण संचालित है. इसके आलोक में परमार्थ निकेतन के संचालक स्वामी चितानंद सरस्वती महाराज जी के अथक प्रयास से हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि धर्माधिकारियों के सहयोग से ग्लोबल इंटरफेथ वास एलायंस जीवा का गठन किया है. इस समय जीवा के द्वारा स्वच्छता क्रांति रथ से स्वामी चितानंद जी का संदेश लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. संदेश में मुख्यत: स्वच्छ जल पीने व खुले में शौच नहीं करने का है. पटना जिले के शहरी क्षेत्र दीघा में, इसी जिले  के मोकामा प्रखंड, सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हरनौत प्रखंड,राजगीर प्रखंड ,बिन्द प्रखंड और चण्डी प्रखंड के गांवों में वास एण्ड व्हील के सहयोग से स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

बिहार : दादा ने भूदान किया और पौता ने हक जताया

$
0
0
  • धौस में चार लाख रू. की दर से जमीन कर रोड और नाला बनाये

land-reform-bihar
चण्डी.नालंदा जिले में है सारथा ग्राम पंचायत.  इस पंचायत की मुखिया हैं पूनम देवी.मुखिया पूनम देवी के क्षेत्र में सारथा मुसहरी है.इस मुसहरी में आठ दशक से महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते आ रहे हैं.समाज के किनारे रह गये मुसहर जाति के लोग 150 घरों में रहते हैं.इनकी जनसंख्या करीब 700 है.अभी तक यहां पूर्णिमा की चाँद की तरह तीन लड़के और एक लड़की मैट्रिक उर्तीण हैं.सभी   2017 में  पास किये.इनमें विजय मांझी के पुत्र विकास कुमार, उमेश मांझी के पुत्र गणेश कुमार और अजय मांझी की पुत्री कविता कुमारी व पुत्र आनंद कुमार मैट्रिक उर्त्तीण कर रिकॉड कायम किये.यह कारनामा पहली बार हुई है. यहां के महादलित भूमिहीन हैं.परमेश्वर मांझी कहते हैं हमलोग आवासीय भूमिहीन हैं.सरकार चार कट्टा जमीन दें.इसी में घर और पैदावार कर लेंगे.अभी खेतिहर मजदूरों को पांच किलो अनाज मिलता है. वहीं श्री मांझी कहते हैं कि महादलित गैरमजरूआ भूमि पर रहते हैं.चण्डी के अंचलाधिकारी के अकर्मण्यता के कारण वासगीत पट्टा नहीं मिल पाया है.अब तो दादा द्वारा हलवाहा को भूदान कर देने के बाद दादा के पौतों ने जमीन पर अधिकार जताना शुरू कर दिया है.मुसहरी में बन रही नाली व संपर्क मार्ग पर रोक लगा दी है.कथित पौतों का कहना है कि चार लाख रु.कट्टा की दर जमीन खरीदे और नाली व मार्ग बना लें.न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी. परमेश्वर मांझी कहते है कि प्रारंभ में देवी मंदिर में पूजा करने नहीं दी जाती तो हमलोग कहारीन से पूजा करवाते थे.धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी.पिछले तीन साल से हमलोग देवी मंदिर में पूजा करने जाते हैं. स्वर्गीय किशोरी मांझी के पुत्र हैं झोड़ी मांझी. झोड़ी मांझी की पत्नी हैं लक्ष्मी देवी. दोनों के 7 बच्चे हैं.4 लड़का व 3 लड़की.झोड़ी मांझी कहते हैं कि हल्का लकवा की शिकायत है.इसका जोरदार असर बायीं आँख पर पड़ी.आँख की नस सूख जाने से रोशनी गायब है.लाखों रू.चिकित्सकों की झोली में दी है.

झारखण्ड : मोमबत्ती से आसमां छूने की चाहत,सुविधा विहीन सरकारी विद्द्यालय

$
0
0
government-school-jharkhand
आर्यावर्त डेस्क, प्रतिनिधि, जमशेदपुर, 30 मार्च 2018,  झारखण्ड की औधोगिक नगरी जमशेदपुर की परिधि में आजादी के 70 साल बाद भी कई इलाके ऐसे हैं जहाँ लोगों को बिजली पानी आज भी नसीब नहीं है. पूर्वी सिंहभूम ज़िलांतर्गत जमशेदपुर की परिधि में स्थित राजकीय विद्द्यालय, सलगाझूड़ी के इस स्कूल में सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है. स्कूल में बच्चों को मोमबत्ती से पढ़ाया जाता है. स्कूल में न ही बिजली है और न पानी। शौचालय नाम की कोई चीज भी नहीं है. स्कूल के बच्चों को जरुरत के समय खुले मैदान का इस्तेमाल करना पड़ता है।पानी के लिए बच्चों  को एक किलोमीटर सफर तय करना पड़ता है. 150 बच्चों वाले इस स्कूल में बच्चे मूलभूत सुविधाओं के बिना ही आसमां छूने की चाहत रखते हैं. कार्यरत शिक्षिकाओं ने लाइव आर्यावर्त.कॉम को बताया कि सरकार और जिला प्रशासन से कई बार अनुरोध किया गया लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुयी है.सरकारी आंकड़ा पूर्वी सिंहभूम जिला के सभी स्कूलों में शत प्रतिशत शौचालय,पानी और बिजली की सुविधा होने का दावा करता है लेकिन जमशेदपुर जैसे आधुनिक शहर के नजदीक होते हुए भी सलगाझुंडी का यह विद्द्यालय जिला प्रशासन और सरकार के सारे दावा को गलत साबित करने का जीता जागता उदहारण है.मजे की बात तो यह भी कि पूर्वी सिंहभूम जिला को स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त जिला को अवार्ड भी मिल चुका है .  स्थानीय निवासी व झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़े युगल किशोर मुखी ने बताया कि पिछले 35 वर्षों से यह विद्द्यालय बिजली पानी और शौचालय को मोहताज है .जर्जर भवन की वजह से बच्चों को बरामदे में पढ़ाया जाता है. गांव के मुखिया रामकृपाल राय ने कहा कि शिक्षा विभाग और उपायुक्त को पत्र के माध्यम से वस्तुस्थिति से अवगत करवाया गया है ,अब  उनकी पहल का इंतजार है !

बिहार : रोम में रहने वाले पोप ने कैदियों का और कुर्जी चर्च परिसर में रहने वाले प्रिस्ट ने महिलाओं का पैर धोएं

$
0
0
pope-wash-feet
पटना. मृत्यु पूर्व प्रभु येसु खीस्त ने अपने  12 शिष्यों के साथ के साथ भोजन किये. इसे परमप्रसाद माना गया. येसु ने एक पुरोहित की तरह परमप्रसाद का स्थापना किये.इस तरह पुरोहिताई व परमप्रसाद सामने आया.फिर अपने शिष्यों के पैर धोएं.जो विनम्रता का पराकाष्ठा साबित हुआ. बाद में यह गीत प्रचलित हुआ. मैंने  प्रभु और गुरू होकर भी धोएं पैर तुम्हारे तूने भी धोना है सबके जो है भाई तुम्हारे, जी हां आज संसार भर में दोहराया गया. मृत्यु दिवस पुण्य शुक्रवार के पूर्व दिवस प्रथम मिस्सा पुण्य वृहस्पतिवार को विभिन्न चर्च में परमप्रसाद स्थापना दिवस के रस्म अदायगी की गयी.वहीं शिष्यों का पैर धोया गया. इस अवसर पर  रोम में रहने वाले पोप फ्रांसिस ने कैदियों का पैर धोएं.कुर्जी चर्च परिसर में रहने वाले प्रिस्ट जोनसन ने महिला और पुरूषों का पैर धोएं.12  में फिफ्टी-फिफ्टी संख्या रही. बताते चले कि बेतिया धर्मप्रांत के बिशप बनने के बाद बिशप पीटर सेवास्टियन गोबियास ने बेतिया चर्च में 12 शिष्यों का पैर धोएं.नीतू सिंह ने बताया कि  चुहड़ी पल्ली में फादर फिन्टन, फुलवारीशरीफ पल्ली में रेमण्ड ने शिष्यों का पैर धोएं.मोकामा से रोजवेल ने खबर दी है कि यहां के पुरोहित ने पैर धोएं.

बिहार : कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में रक्तदान शिविर

$
0
0
good-friday-patna
पटना. आज प्रभु येसु ख्रीस्त की शहादत दिवस यानी गुडफ़्राइडे डे है. इस ऐतिहासिक दिवस के अवसर पर  कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में  रक्तदान शिविर रखा गया. कोई 30 रक्तदानवीरों ने  कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में रक्तदान कर पवित्र कार्य किया. बताते चले प्रभु येसु ख्रीस्त  ने मानव कल्याण में अपना शरीर सलीब पर चढ़कर प्राण त्याग दिया. उन्होंने हमलोगों के हितार्थ बहुत बड़ा बलिदान दे दिया. इस बलिदान को याद करते हुए आज पुण्य शुक्रवार को अल्पसंख्यक मोर्चा बिहार प्रदेश भाजपा के द्वारा रक्तदान शिविर लगाया। इस अवसर पर 30 से अधिक लोगों ने रक्तदान किया. प्रदेश मंत्री राजन साह ने कहा कि हमलोग बीजेपी वाले समाज में एक अच्छा संदेश छोड़ने में सफल हो गये हैं।  इस अवसर पर सुमित सुमन, सनी कुमार , अखिलेश मंगेशकर , समृद्ध विजय ,रॉकी जोसेफ़  सुचित्रा मधुकर , मधुकर मार्टिन आदि ने रक्तदान किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तूफैल क़ादरी, वैशाली ज़िला उपाध्यक्ष अमित सिंह , प्रदेश मंत्री राजन कलमेंट साह , दीघा विधान सभा विधायक श्री संजीव चौरसिया जी उपस्थित थे.

बिहार : गैराज मिस्त्री ने बनाया मानवरहित ऑटोमैटिक रेलवे फाटक

$
0
0
humanless-railway-crossing-by-machnic
नवादा 29 मार्च, बिहार के नवादा जिले में एक ऑटो गैराज चलाने वाले मैकेनिक अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री ने संसाधनों के अभाव के बावजूद ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो रेलवे और रेल यात्रियों के लिए वरदान साबित हो सकता है। नवादा के प्रसाद विगहा मुहल्ला के गैराज मिस्त्री अवधेश ने महज 70 हजार रुपये की लागत से छोटी-छोटी चीजों को मिलाकर मानवरहित आॅटोमेटिक रेलवे क्राॅसिंग फाटक बनाया है, जो ट्रेन के आने से पहले स्वतः बंद हो जाएगा और गुजरने के बाद स्वतः खुल जाएगा। जुम्मन इसका प्रयोग पहले भी कर चुके हैं। इसके बाद रेलवे ने इस प्रयोग को देखने की इच्छा जाहिर की थी। इसी सिलसिले में आज कई वरीय रेलवे अधिकारियों की उपस्थिति में इस फाटक फिर से ट्रायल किया गया। पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल के वरीय मंडल संरक्षा अधिकारी एम. के. तिवारी ने आज यहां आईटीआई मैदान में जुम्मन मिस्त्री द्वारा तैयार किये गये फाटक का अवलोकन करने के बाद कहा कि गैराज मिस्त्री अवधेश का मानव रहित आॅटोमेटिक रेलवे क्राॅसिंग फाटक सुरक्षा की दृष्टि से यात्रियों और रेलवे दोनों के लिए वरदान साबित हो सकता है। श्री तिवारी ने कहा कि जुम्मन मिस्त्री ने इस फाटक को काफी कम खर्च में बनाया गया है। उन्होंने कहा कि रेलवे में इसकी कितनी उपयोगिता हो सकती है। इसके लिए इस प्रोजेक्ट को आरडीएसओ लखनऊ भेजा जाएगा। इसके बाद यह तय हो सकेगा कि रेलवे में किस तरह से इसका कितना उपयोग संभव है।

छह नामों से जानी जाती थीं मीना कुमारी

$
0
0
remember-meena-kumari
मुंबई 30 मार्च, अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के दिलों को छू लेने वाली महान अदाकारा मीना कुमारी रील लाइफ में ‘ट्रेजडी क्वीन’ के नाम से मशहूर हुयी लेकिन रियल लाइफ में वह छह नामों से जानीं जाती थीं। मुंबई मे एक अगस्त 1932 को एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार मे मीना कुमारी का जब जन्म हुआ तो पिता अलीबख्श और मां इकबाल बानो ने उनका नाम रखा ‘माहजबीं’। बचपन के दिनो में मीना कुमारी की आंखे बहुत छोटी थी इसलिये परिवार वाले उन्हें चीनी कहकर पुकारा करते थे। ऐसा इसलिये कि चीनी लोगों की आंखे छोटी हुआ करती हैं। लगभग चार वर्ष की उम्र में ही मीना कुमारी ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया। प्रकाश पिक्चर के बैनर तले बनी फिल्म लेदरफेस में उनका नाम रखा गया बेबी मीना । इसके बाद मीना ने बच्चो का खेल में बतौर अभिनेत्री काम किया। इस फिल्म में उन्हें मीना कुमारी का नाम दिया गया। मीना कुमारी को फिल्मों अभिनय करने के अलावा शेरो-शायरी का भी बेहद शौक था। इसके लिये वह नाज उपनाम का इस्तेमाल करती थी। मीना कुमारी के पति कमाल अमरोही प्यार से उन्हें मंजू कहकर बुलाया करते थे। अपने संजीदा अभिनय से दर्शको के दिलों में खास पहचान बनाने वाली मीना कुमारी ने 31 मार्च 1972 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

माधुरी दीक्षित के साथ काम नहीं करेंगे संजय दत्त

$
0
0
madhuri-dixit-will-not-work-with-sanjay-dutt
मुंबई 30 मार्च, बॉलीवुड के माचो मैन संजय दत्त ने धकधक गर्ल माधुरी दीक्षित के साथ काम करने से मना कर दिया है। बॉलीवुड फिल्मकार करण जौहर संजय और श्रीदेवी को लेकर फिल्म शिद्दत बनाने वाले थे। श्रीदेवी के निधन के बाद माधुरी, श्रीदेवी फिल्म का हिस्सा बनने वाली थीं। इसके बाद से इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि संजय अब इस फिल्म का हिस्सा रहेंगे या नहीं। एक दौर में माधुरी और संजय के रिश्तों को लेकर काफी ख़बरें सामने आती थीं लेकिन बाद में माधुरी ने उनसे अपने रास्ते अलग कर लिये। दोनों की जोड़ी ने एक दौर में काफी फिल्मों में साथ काम किया था और दोनों की जोड़ी को काफी पसंद भी किया गया था। लेकिन बाद में दोनों ने काफी समय से काम नहीं किया । उम्मीद थी कि करन जौहर दोनों को एक साथ लाने में कामयाब रहेंगे लेकिन अब कहा जा रहा है कि माधुरी के फिल्म में जुड़ने के बाद से संजय ने इस फिल्म से अपना नाम पीछे कर लिया है। अब वह इस फिल्म का हिस्सा नहीं रहेंगे। अब देखना यह है कि संजय की जगह अब इस फिल्म में कौन से स्टार लेते हैं।

सिनेमा का लोगों के जीवन पर प्रभाव : सोनम कपूर

$
0
0
cinema-effewcts-mass-sonam-kapoor
मुंबई 30 मार्च, बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर का कहना है कि सिनेमा का लोगों के जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है इसलिये कलाकारों को अच्छी तरह से और बड़ी जिम्मेदारी से समझ लेना चाहिए। सोनम ने कहा कि सिनेमा के दूरगामी परिणाम होते है, ऐसे में बॉलीवुड के कलाकारों को उनकी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिनेमा का लोगों की मानसिकता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते हमें उनके प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। सबसे मुश्किल काम किसी बड़ी फिल्म को ना कहना होता है। कभी कभी मुझे लगता है कि यदि मैंने वह फिल्म कर ली होती तो आज वह हिट होती और मुझे और भूमिकाएं करने को मिलती। मेरी कई फिल्में व्यवसाय की दृष्टि से सफल रही है। हम सभी को एक बात सीखनी चाहिए कि हम में साहस और अच्छी नीयत होना चाहिए। सोनम ने अपने करियर के दौरान ‘पैडमैन’, ‘नीरजा’, ‘दिल्ली 6’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘खूबसूरत’ और ‘पैड मैन’ जैसी फिल्मों में कई सकारात्मक भूमिकाएं निभाई है और वह इस प्रकार की भूमिकाओं की खोज में ही रहती हैं।

सोनम ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि किसी भी भूमिका की लंबाई मायने रखती है। उसमें यह मायने रखता है कि क्या वह सशक्त है। उस भूमिका का फिल्म की कहानी पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा किसी की कलाकार के लिए चुनौतीपूर्ण यह होता है कि वह उसकी दी गई भूमिका को पर्दे पर जीवंत कर सकें। मुझे भूमिकाओं में यह अच्छा लगता है कि जिसके माध्यम से मैं उनमें क्या नया कर सकती हूँ। आपके सामने कौन सा अभिनेता है, आपकी भूमिका की लंबाई कितनी है। यह सभी किसी भी काम का शुभारंभ करने के लिए गलत प्रक्रिया है।

प्रदर्शन के आधार पर टिकट, जनता के नाखुश होने पर कटेगा : शिवराज

$
0
0
ticket-on-performance-shivraj
भोपाल, 30 मार्च, आगामी विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी में टिकटों के वितरण पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज स्पष्ट कहा कि पार्टी में प्रदर्शन के आधार पर ही टिकटों का फैसला होगा और जनता के नाखुश होने पर टिकट काट भी दिए जाएंगे। श्री चौहान ने कुछ मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने से जुड़े संवाददाताओं के सवाल के जवाब में यह बात कही। वहीं प्रदेश में सत्ता विरोधी रुख को नकारते हुए श्री चौहान ने कहा कि वे जनता के बीच जा रहे हैं और ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा, उन्हें लगातार जनता का प्यार मिल रहा है। प्रदेश में कई मंत्रियों के कानूनी मामलों में घिरे होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि कानून अपना कम करेगा। भिंड जिले में पिछले दिनों सड़क हादसे में मारे गए पत्रकार संदीप शर्मा के बारे में श्री चौहान ने कहा कि मृतक के परिजन को दो लाख रुपए सहायता दिए जाने के साथ सरकार उनके बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करेगी। पत्रकारों की सुरक्षा पर भी विचार किया जाएगा। प्रदेश में लगातार अवैध खनन का मुद्दा सामने आने पर श्री चौहान ने दावा किया कि अवैध खनन पर सरकार कार्रवाई कर रही है, इसीलिए ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

महिलाओं की सुरक्षा के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन कानून व्यवस्था के अलावा समाज में भी इस मुद्दे को लेकर जागरुकता की जरुरत है। वहीं कुपोषण के बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुपोषण का इतिहास रहा है, पर अब ये पहले से कम हुआ है। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए क्लस्टर चिह्नित कर व्यवस्था की जा रही है। भावांतर भुगतान योजना के सवाल पर श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इसमें करीब 1900 करोड़ रुपए खर्च किए, यह प्रदेश की योजना थी और इसमें केंद्र की कोई प्रतिबद्धता नहीं थी, पर अब केंद्र सरकार इस पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि केंद्र इस योजना के लिए 400 करोड़ रुपए स्वीकृत कर रहा है। श्री चौहान ने कहा कि सरकार कृषि उत्पाद निर्यात एजेंसी बनाने पर विचार कर रही है, जो केंद्र के साथ मिलकर निर्यात की संभावनाएं तलाशेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी फसल का उत्पादन आनुपातिक तौर पर असंतुलित ना हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण को भी प्रेरित किया जाएगा।

प्रदेश में शिक्षा की स्थिति सुधारने पर श्री चौहान ने कहा कि कई जगहों पर स्कूल खोलने के बजाए एक जगह बड़ा स्कूल खोलने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें गुणवत्ता से समझौता नहीं हो। स्कूलों की मनमानी फीस पर उन्होंने कहा कि इसके लिए नियम बना लिए हैं, स्कूल अब उसी के मुताबिक फीस ले पाएंगे। इसी तरह अस्पतालों द्वारा भी मनमानी रकम वसूलने के बारे में विचार होगा। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं पर उनका जोर है, इस साल के दिसंबर तक हर गांव को और उसके बाद मजरे टोलों को भी सड़क से जोड़ने का काम होगा। आने वाले समय में बिजली के क्षेत्र में सौर परियोजनाओं पर काम करने की योजना है। प्रदेश में क्लीन एनर्जी की ओर भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि 2015 तक सिंचाई में 80 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है क्योंकि 65 फीसदी जनता आज भी कृषि पर निर्भर है। मुख्यमंत्री के ऐप पर डाटा सुरक्षित होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने स्वीकार किया कि अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है, अब इस दिशा में भी काम होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने ईसा मसीह के साहस एवं करूणा को याद किया

$
0
0
pm-modi-remember-jesus
नयी दिल्ली 30 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि ईसा मसीह ने समाज से अन्याय, दर्द और दुखों को दूर करने तथा दूसरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। प्रधानमंत्री ने गुड फ्राइडे के अवसर पर अपने संदेश में ईसा मसीह के साहस और करूणा का स्मरण किया । श्री मोदी ने कहा “गुड फ्राइडे के दिवस पर हम यीशु मसीह के साहस और करूणा का स्मरण करते हैं। उन्होंने दूसरों की सेवा और समाज से अन्याय, दर्द और दुखों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उल्लेखनीय है कि आज के दिन ईसा मसीहा को सलीब पर चढ़ाया गया था।

भाजपा कार्यकर्ताओं के हत्यारों को पाताल से भी खोज निकालेंगे : अमित शाह

$
0
0
murderer-of-bjp-workers-will-be-brought-from-hell-says-amit-shah
मैसुरू 30 मार्च, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि अगर पार्टी कर्नाटक में सत्ता में आई तो उनकी सरकार पार्टी कार्यकर्ताओं के हत्यारों को पाताल से भी खोज निकालेगी। शाह 12 मई को कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए यहां आए हुए है। उन्होंने यहां मैसुरू पैलेस के रूप में विख्यात अंबाविलास में पूर्व शाही परिवार से मुलाकात की। उन्होंने शाही परिवार के प्रमुख यदुवीर कृष्णादत्ता चामाराजा वडियार, उनकी मां प्रामोदा देवी वाडियार और पत्नी तृषिका कुमारी देवी से मुलाकात की। शाह ने ट्वीट कर कहा, "मैसुरू के शाही परिवार के महाराजा यदुवीर, राजामाता प्रमोदा और महारानी तृषिका से शानदार मुलाकात हुई।" शाही परिवार से मुलाकात के बाद उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए राज्य के कांग्रेस शासन में भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या की निंदा की। उन्होंने कहा कि राज्य में 24 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई और हत्यारों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। शाह ने कहा, "वे लोग खुलेआम घूम रहे हैं। उन्हें और हत्या करने की इजाजत दी जा रही है। सिद्धारमैया सरकार का अंत नजदीक है और जब भाजपा यहां सरकार बनाएगी, हम दोषियों को पाताल से खोज निकालेंगे।"

बिहार : राज्य सम्मेलन से संबंधित छपी खबर भ्रामक - भाकपा

$
0
0
fake-news-in-news-paper-cpi
पटना 30 मार्च। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने पटना से प्रकाषित एक हिन्दी दैनिक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 23वें राज्य सम्मेलन से संबंधित छपे भ्रामक तथ्यों पर अपनी निम्नलिखित प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह खबर सरासर गलत है कि सम्मेलन के अवसर पर गठित पार्टी कमिटियों के बारे में कुछ लोगों की षिकायत है। राज्य सम्मेलन में प्रस्तुत सभी मुख्य दस्तावेज- राजनीतिक प्रस्ताव, राजनीतिक समीक्षा प्रतिवेदन और सांगठनिक प्रतिवेदन - सम्मेलन में सर्वसम्मति से कुछ संषोधनों के साथ पारित हुए। साथ ही इस अवसर पर गठित नयी राज्य परिषद, नया कंट्रेाल कमीषन, नयी राज्य कार्यकारिणी, नया आॅडिट कमीषन आदि के चुनाव भी सर्वसम्मति से हुए। इससे स्पष्ट है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बिहार में राजनीतिक एवं सांगठनिक रूप से पूरी तरह एकताबद्ध है। सम्मेलन में युवक प्रतिनिधियों का जहां तक संबंध है सम्मेलन में पारित प्रमाण-समिति के रिपोर्ट के अनुसार 20 से 45 वर्ष के वर्ग आयु के प्रतिनिधियों की संख्या 115 थी। इन्हें युवक नही ंतो और क्या कहा जाएगा?

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी वर्गीय विचारधारा वाली पार्टी है और वह मुख्यतः मजदूरों, गरीब किसानों, मध्यम किसानों एवं अन्य पेषे में लगे मिहनतकषों का प्रतिनिधित्व करती है। इस दृष्टि से देखें तो सम्मेलन में इनका सर्वाधिक प्रतिनिधि था। मजदूर प्रतिनिधियों की संख्या 113, गरीब किसान-277, तथा मध्यम किसान 146 थी अर्थात सम्मेलन के कुल 591 प्रतिनिधियों में से 536 मजदूर, गरीब किसान और मध्यम किसान के प्रतिनिधि थे। सम्मेलन में भाग लेने वाली महिला प्रतिनिधियों की संख्या 68 थी जिनमें 8 ने तो प्रतिनिधि के रूप में अपना पंजीयन तो कराया परंतु प्रमाण-समिति का फाॅर्म जमा नहीं कर सकी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यद्यपि वर्गीय विचारधारा वाली पार्टी है फिर भी भारतीय समाज की वास्तविकता को देखते हुए पार्टी के विभिन्न कमिटियों में दलितों आदिवासियों अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों  महिलाओ एवं छात्रों युवकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने के बारे में संकल्पित है। इस बार भी विभिन्न कमिटियों में इनको उचित प्रतिनिधित्व देने का भरपूर प्रयास किया गया है। राज्य परिषद एवं राज्य कार्यकारिणी में 20 प्रतिषत नये चेहरे को जगह दी गयी है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 30 मार्च

$
0
0
कृषक संगोष्ठी का आयोजन 31 को  

vidisha map
उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा के मुख्य आतिथ्य में दो दिवसीय जिला स्तरीय जिला स्तरीय सेमीनार, कृषक संगोष्ठी का आयोजन नटेरन के मंगल भवन परिसर में 31 एवं एक अपै्रल को किया गया है। उक्त सेमीनार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कृषकों को आधुनिक उद्यानिकी एवं कृषि की जानकारी देने के उद्वेश्य से आयोजित किया गया है। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इसके अलावा विधायक सर्वश्री कल्याण सिंह ठाकुर, वीर सिंह पवार तथा जिपं की कृषि स्थायी समिति की सभापति श्रीमती गीता देवी एवं नटेरन जनपद पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती मंजू मुकेश मेहर कार्यक्रम की विशेष अतिथि होगी। शुभांरभ कार्यक्रम 31 मार्च शनिवार को मंगल भवन परिसर नटेरन में दोपहर एक बजे से आयोजित किया गया है। उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक श्री केएल व्यास ने बताया कि दो दिवसीय कृषक संगोष्ठी में वैज्ञानिकों द्वारा उद्यानिकी एवं कृषि क्षेत्र में हुए आशातीत परिवर्तनों की जानकारी दी जाएगी। दो दिवसीय सेमीनार में जिले के सभी विकासखण्डों के कृषकों को आमंत्रित किया गया है। 

हितग्राहियों के घरोें में उजाला कर रही है सौभाग्य योजना 

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य योजना) विदिशा जिले में भी प्रारंभ की गई है। योजना के अंतर्गत बीपीएल परिवारो के ऐसे घर जहां बिजली नही है उन्हेे मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर बिजली से घरो को रोशन करने के लिए खंभे, केबल सहित एक एलईडी भी प्रदाय की जाएगी। वही ऐसे ग्रामीण परिवार जो मापदण्डो के अनुसार लाभार्थियों में शामिल नही है को इस योजना के तहत लाभांवित होने के लिए पचास रूपए शुल्क देय होगी। हितग्राही चाहे तो पचास-पचास रूपए की बराबर दस किश्तों में  भुगतान करने की सुविधा दी गई है। जिले में कुल दो लाख 31 हजार 876 हाउसहोल्ड है इनमें से 90 हजार 869 हाउसहोल्डर विद्युतीकृत है शेष 141007 हाउस होल्डर अविद्युतीकृत है इनमें 11992 हाउसहोल्डर बीपीएल श्रेणी में शामिल है, 60692 एपीएल श्रेणी में इन सभी को योजना के तहत विद्युत प्रदाय के कार्यो का क्रियान्वयन किया जा रहा हैै। जिले के कुल 547 ग्रामों में विभिन्न केम्पों के माध्यम से शत प्रतिशत विद्युतीकरण कार्य अभियान के दौरान किया गया है।  इसी प्रकार शहरी क्षेत्र के कुल 65543 हाउसहोल्डर है जिनमंे से 60058 हाउसहोल्डर विद्युतीकृत है शेष 5485 अविद्युतीकृतों में से 217 को कनेक्शन आईपीडीएस योजना के तहत प्रदाय किया गया है।

नाक,कान,गला  एंव कैंसर रोग निदान षिविर 1 अप्रैल को

बैंक आॅफ इण्डिया  के सहयोग से सेवाभारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में 1 अप्रैल रविवार को सुबह11बजे से पूर्व पंजीकृत नाक,कान,गला,रोग से पीड.ीत मरीजों की जांच एंव चिकित्सा परामर्ष राकलैंड अस्पताल दिल्ली की डाॅ.मीना अग्रवाल डीएनवी द्वृारा की जायेगी। इस षिविर का लाभ लेने के लिये अपना पंजीयन डाॅ जी के माहेष्वरी मोबाइ्रल नं.9425483315किरी मौहल्ला सिटी कोतवाली एंव  डाॅ हेमंत बिसवास मोबाइ्रल नं 9827013237 के पास करा सकते हैं। कैंसर रोग से पीड.ीत मरीजों की जांच एंव चिकित्सा परामर्ष जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल रिसर्च सेंटर भोपाल के डाॅ महेन्द्र पाल सिंग दृारा की जायेगी। सेवा भारती के सचिव राजीव भार्गव ने इस  षिविर का लाभ लेने के लिए अपना पंजीयन 1 अप्रैल रविवार को सुबह 10बजे से 12 बजे तक सेवा भारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में करा सकते हैं। 

बिहार : ईसाई समुदाय का दु:खभोख 14 फरवरी से शुरू होकर 30 मार्च को खत्म

$
0
0

  • प्रभु येसु ख्रीस्त को सलीब पर से उतारतर कब्र में रखा गया

dukhbhog-in-christian
पटना.ईसाई समुदाय का दु:खभोग 14 फरवरी को 'राख बुधवार'से प्रारंभ हुआ.राख बुधवार को उपवास और परहेज का दिन था.बुधवार और शुक्रवार को चर्च में क्रूस रास्ता और पवित्र किया जाता.इसमें भक्तगण भक्तिभाव से शिरकत करते.इस तरह का सिलसिला 30  मार्च को येसु ख्रीस्त की मौत के साथ सम्पन्न हो गया. आज संसारभर में गुड फ्राइडे मनाया गया.विभिन्न चर्च में विशेष धार्मिक कार्यक्रम किया गया.  येसु के विरोधियों ने उनको सलीब पर चढ़ाया. इसके बाद उन्होंने दोपहर में प्राण त्याग दिये.उनके शहादत दिवस पर ईसाई समुदाय उपवास परहेज रखे . इसके साथ दु:खभोग के अंतिम शुक्रवार को क्रूस रास्ता तय किये . मौके पर सलीब पर लटके अंगों पर चुम्बन लिये . विरोधियों के इशारे पर येसु को सलीब पर लिटाकर  पैर में और दोनों हाथ में किल ठोंक दिये.सिर पर कांटों का ताज जकड़ दिया.इसके बाद पंजरे में भाला फोंक दिया.वहां से रक्त और पानी बहने लगे.वहां पर भक्तगण चुम्बन लिये.कुर्जी चर्च परिसर में सात हजार भक्तों का जमावाड़ा रहा. पवित्र बाइबल में उल्लेख है कि येसु कहते थे.मृत्यु के तीन दिनों के बाद पूर्ण पराक्रम के साथ 'जी'उठेंगे.शुक्रवार, शनिवार के बाद रविवार को तड़के येसु ख्रीस्त 'जी'उठेंगे.अभी ईसाई समुदाय गमगीन हैं और येसु के 'उठने की अभिलाषा में हैं.
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live




Latest Images