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झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 24 अप्रैल

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नपा द्वारा पेयजल योजना के सुचारू संचालन के लिए अध्यक्ष एवं सीएमओ का होगा सम्मान
  • दिल्ली में होगा अधिवेषन

jhabua newsझाबुआ। हाऊसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कार्पोरेषन लिमिटेड (हुड़को) द्वारा 25 अप्रेल को सुबह 10 बजे     7, भारत पर्यावास भवन, लोधी रोड़ नई दिल्ली में अधिवेषन का आयोजन किया जाएगा। उक्त ऐतिहासिक अधिवेषन एवं गरिमामय सम्मान समारोह में नगरपालिका झाबुआ अध्यक्ष श्रीमती मन्नूबेन डोडियार, सीएमओ एमएस निगवाल एवं सब इंजिनियर कमलकांत जोषी का विषेष सम्मान होगा। यह जानकारी देते हुए नपा पार्षद साबिर फिटवेल ने बताया कि अधिवेषन एवं सम्मान समारोह में नपा अध्यक्ष एवं सीएमओ का सम्मान झाबुआ नगर में पेयजल योजना अंतर्गत पाईप लाईन कार्य सुचारू रूप से किए जाने के फलस्वरूप किया जाएगा। उक्त सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए अध्यक्ष श्रीमती डोडियार, सीएमओ श्री निगवाल एवं सब इंजिनियर श्री जोषी मंगलवार को झाबुआ से दिल्ली के लिए रवाना हुए।

जनसुनवाई में सुनी गई समस्याएॅ

झाबुआ । आज 24 अप्रैल को शासन के निर्देशानुसार  जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। जनसुनवाई में आवेदन कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना एवं विभागीय अधिकारियों ने लिये। आवेदन प्राप्त कर संबंधित कार्यालय प्रमुखो को निराकरण के लिये आवश्यक निर्देश दिये गये। आवेदनो को आॅनलाईन साफ्टवेयर में दर्ज किया गया। जनसुनवाई में जमुना मेडा रसोईयन एवं श्रीमती रामली डामर सहायिका बालिका छात्रावास आरएमएसए पेटलावद ने मानदेय राशि बढवाने के लिए आवेदन दिया। रामसिंह डावर सेवानिवृत्त सहायक शिक्षक प्राथमिक विद्यालय धमोई बडी ने पेंशन प्रकरण का निराकरण करवाने के लिए आवेदन दिया। नब्बु पिता भीमजी निवासी नल्दी छोटी जिला झाबुआ ने पिता के खाते की जमीन का गलत नामातंरण खारिच करवाकर सही नामातंरण करवाने के लिए आवेदन दिया। मादु पिता गलिया निवासी मकोडिया ने प्रधानमंत्री आवास की दूसरी किश्त 40 हजार रूपये खवासा निवासी ईश्वर पिता केैलाश कियोस्क संचालक के द्वारा निकाले जाने की शिकायत की एवं कियोस्क संचालक सें राशि दिलवाने के लिए आवेदन दिया। अमरसिंह पिता तोलिया निवासी कोकावद तहसील झाबुआ ने मुख्य मंत्री स्वरोजगार योजनांतर्गत ऋण स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया। जंगला पिता मानसिंग निवासी नरवालिया तहसील झाबुआ ने प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया। ग्राम रामपुरा के हिमोडा फलिये, मोटा आरा फलिये, वडला फलिया एवं कुआ फलिये के ग्रामीणो ने पेयजल की व्यवस्था करवाने के लिए आवेदन दिया।

राज्य स्तरीय जैव विविधता पुरस्कार के लिए 30 अप्रैल तक प्रविष्टि आमंत्रित

झाबुआ । मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रदेश में जैव विविधता सरंक्षण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से जैव विविधता संरक्षण के क्षैत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहें लोगो को पुरस्कृत करने के लिए प्रविष्टि 30 अप्रैल तक आमंत्रित की गई है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी जैव विविधिता बोर्ड की वेबसाइट  पर प्राप्त की जा सकती है।

समयावधि पत्रो की समीक्षा बैठक संपन्न

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झाबुआ । आज कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में समयावधि पत्रो की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना ने की। बैठक में सहित जिला अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में विभागवार समयावधि पत्रो जनसुनवाई, लोकसेवा गारंटी, सी.एम.हेल्पलाइन इत्यादि की समीक्षा की गई एवं आवश्यक निर्देश दिये गये। बैठक में जिला अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि ग्राम पंचायतो में अपने विभाग की योजनाओ के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करे।

उत्खनिपट्टा पर आपत्ति हो, तो 15 दिवस के भीतर दर्ज करे

झाबुआ । जिला खनिज अधिकारी देविका परमार ने बताया कि आवेदक अनिल पिता भेरूलाल निवासी राजगढ तहसील सरदारपुर जिला धार द्वारा ग्राम मातापाडापालेडी ब्लाक रामा पटवारी हल्का नं. 13 जिला झाबुआ की शासकीय भूमि का उत्खनिपटटा प्राप्त करने हेतु को आवेदन दिया है। क्षैत्र के किसी व्यक्ति को कोई आपत्ति हो तो 15 दिवस के भीतर खनिज कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर मय प्रमाण के प्रस्तुत करे। निर्धारित अवधि पश्चात प्राप्त आपत्ति पर किसी प्रकार का विचार नहीं किया जावेगा।

ग्राम स्वराज अभियान अंतर्गत राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस मनाया गया
      
झाबुआ। ग्राम स्वराज अभियान अंतर्गत 5 मई तक विभिन्न दिवसों का आयोजन कर हितग्राहियों को लाभांवित किया जाएगा। आयोजित होने वाले  विभिन्न दिवसों अंतर्गत  जिले में आज 24 अप्रैल 2018 को राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस मनाया गया। ग्राम पंचायतों में पंचायतो में आज पंचायत दिवस का आयोजन कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रदेश के मडण्ला जिले के रामनगर में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी दिखाया गया। 28 अप्रैल 2018 को ग्राम स्वराज दिवस, 30 अप्रैल 2018 को आयुष्मान भारत दिवस, 2 मई 2018 को किसान कल्याण दिवस तथा 5 मई 2018 को आजीविका दिवस का आयोजन किया जाएगा।

सामाजिक न्याय विभाग का प्रभार अतिरिक्त सीईओ वास्कले को

झाबुआ । कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना ने आदेश जारी कर उप संचालक सामाजिक न्याय एवं निःशक्त कल्याण विभाग झाबुआ का प्रभार अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत झाबुआ श्री वास्कले को अन्य आदेश पर्यन्त सौपा है।

जिला पंचायत झाबुआ एवं ग्राम पंचायत परवलिया को मिला
  • दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार

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झाबुआ । पंचायत सशक्तिकरण के लिए स्थापित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 के लिए जिला पंचायत झाबुआ एवं ग्राम पंचायत परवलिया (थांदला) को आज मण्डला जिले के रामनगर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया। अध्यक्ष जिला पचायत सुश्री कलावती भूुरिया, सीईओ जिला पंचायत झाबुआ श्रीमती जमुना भिडे, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद थांदला एवं सरपंच परवलिया ने यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्रधानमत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलो से ग्रहण किया। पुरस्कार स्वरूप जिला पंचायत को प्रशस्ति पत्र एवं 50 लाख रूपये ग्राम पंचायत को प्रशस्ति पत्र एवं 12 लाख रूपये का पुरस्कार दिया गया। इस उपलब्धि के लिए कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना, अपर कलेक्टर श्री एस.पी.एस. चैहान समस्त जिलाधिकारी एवं कर्मचारियों ने बधाई प्रेषित की है।

दुमका : नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म, अचेतावस्था में पड़ी मिली छात्रा

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) 12 साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म का एक मामला सामने आया है। पाकुड़ के अमड़ापाड़ा की मूल निवासी छात्रा झारखंड की उप राजधानी दुमका के कडलबील स्थित  चाची के साथ  रह रही थी। वह सरकारी स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ती है। प्राप्त समाचार के अनुसार दिन रविवार की रात 9 बजे बच्ची अपने  घर का दरवाजा बंद करने निकली थी। इसी बीच घात लगाए  तीन लड़के उसे उठाकर ले गए।  मुंह में बालू भरकर व रस्सी से हाथों को  बांधकर बारी-बारी से उसके साथ अपना मुँह काला किया, परिणामस्वरूप   बच्ची बेहोश हो गई। दिन  सोमवार की सुबह 6 बजे स्थानीय लोगों की नजर बच्ची पर पड़ी। उसे गंभीर हालत में दुमका सदर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवाया गया है। बच्ची को होश आ चुका है।  सामूहिक बलात्कार की इस घटना के मद्देनजर एसपी दुमका  किशोर कौशल, डीएसपी अशोक कुमार सिंह व  नगर थानेदार देवव्रत पोद्दार सदर अस्पताल पहुंचे।  वह नवनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता झा  ने  अस्पताल पहुंचकर घटना की जानकारी प्राप्त की है  बाल कल्याण समिति बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के अध्यक्ष, सदस्य व शकुंतला दुबे ने सदर अस्पताल में पीड़िता से मुलाकात कर घटना की जानकारी व व्यवस्था का जायजा लिया।  सिविल सर्जन को मेडिकल बोर्ड गठित कर जाँच कराने का निदेश दिया गया। पीड़िता की स्थिति में सुधार के बाद सीडब्लूसी द्वारा  बयान दर्ज कर  आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।  समुचित देखभाल और संरक्षण के बिंदु पर निर्देश जारी किया जाएगा। ऐसे घृणित कार्य के आरोपियों के खिलाफ  जिला प्रशासन अविलम्ब कड़ी सजा का प्रयास करे  समाज में जनजागृति फैला कर एवं गली मुहल्लों के असामाजिक तत्वों की जानकारी पुलिस को देकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई कराने में मदद करनी चाहिए।

दुमका : मीड डे मील के नाम पर होती रही लूट

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पढि़ये धोबाचापड़ से लौटकर अमरेन्द्र सुमन की रिपोर्ट  : दिवाकालीन  पहाडि़या कल्याण प्राथमिक विद्यालय, धोबाचापड़ के बच्चों को पता नहीं "मीड डे मील"क्या है  ?  आदिम जनजाति पहाड़िया  बच्ची  सोनामुनी कुमारी, पार्वती कुमारी, लखीन्द्र देहरी, बाबूराम देहरी, राजू देहरी, शिबू देहरी, जीतू देहरी, पवन देहरी, माला देहरी, पार्वती देहरी, रासमुनी देहरी को यह भी  पता नहीं कि मीड डे मील के तहत बच्चों को भोजन में क्या-क्या चीजें प्राप्त होती हैं। मीड डे मील की किस व्यवस्था के तहत लागू है ? प्रतिदिन बच्चों को यह मिलनी चाहिए या फिर सप्ताह अथवा महीनें में एक मर्तबा ? विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अनुसार प्रभारी शिक्षक मुनमुन माल्टो ने अपने कार्यकाल में मीड डे मील के निमित्त चूल्हा तक जलने नहीं दिया। बच्चों ने विद्यालय के रसोई में कभी धुआँ तक उठते हुए नहीं देखा।  किसी को कुछ भी पता नहीं कि विद्यालय में बच्चों के लिये क्या-क्या सरकारी सुविधाएँ प्राप्त है ? क्षत-विक्षत दीवारों के बीच गाँव का ही इन्टर पास विद्यार्थी देवेन्द्र देहरी बच्चों में जला रहा शिक्षा का अलख। वह चाहता है आदिम जनजाति पहाडि़या समाज के बच्चे समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। साढ़े तीन-चार लाख रुपये वेतन सहित मीड डे मील के नाम पर तकरीबन तीन लाख रुपये विद्यालय के प्रभारी शिक्षक मुनमुन माल्टो ने गड़क लिये। आसनसोल (पश्चिम बंगाल) में प्रभारी शिक्षक मुनमुन माल्टो ने बना रखा है अपना आशियाना। जाँच के दायरे में आने के डर से शिक्षक माल्टो ने विशिष्ट पदाधिकारी, पहाडि़या कल्याण, दुमका को मोटी रकम अदा कर  शिकारीपाड़ा प्रखण्ड अन्तर्गत पहाडि़या विद्यालय इन्दरबनी में करवा रखा है अपना स्थानान्तरण करवा लिया। बीडीओ गोपीकान्दर ने विद्यालय की सघन जाँच की बात कही। उन्होनें कहा डीसी दुमका से की जाऐगी शिक्षक के विरुद्ध शिकायत। दोषी पर होगी कार्रवाई। सीपीएम नेता एहतेशाम अहमद ने सरकारी व्यवस्था पर उठाया सवाल। कहा दुर्गम पहाडि़यों के बीचोंबीच बसे आदिम जनजाति पहाडि़या, घटवाल व संताल गाँवों में विकास की किरणें आज भी हैं कोसो दूर। 
                 
जिले के तमाम विद्यालयों में मीड डे मील देने की सरकारी व्यवस्था के बाद भी बच्चों को इससे दूर रखना कितना  न्यायसंगत है, भले ही अवाम को इसकी पूरी जानकारी हो किन्तु शिक्षको को इस बात का कोई इल्म नहीं ? आदिम जनजाति पहाडि़या, घटवाल व संताल बहुल गाँव के बच्चों के निवाले जो शिक्षक खुद ही गड़क जाते हों, ऐसे शिक्षकों की सजा क्या होनी चाहिए ? चारों ओर पहाड़ से घिरे आदिम जनजाति बाहुल्य गाँव धोबाचापड़ की कहानी सरकारी व्यवस्था पर कई सवाल छोड़ जाती है। जो गाँव मुख्य सड़क के संपर्क से मीलों दूर हो, उस गाँव के विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था क्या होगी सहर्ष ही समझा जा सकता है। जीवन जीने की तमाम संघर्ष भरी संभावनाओं के बीच भी जब अपने ही समाज के बीच के व्यक्ति से लोग छले जाते हों, तो फिर किसपर किया जाऐगा विश्वास ? यह अन्याय नही ंतो और क्या कहा जाऐगा ? जिले के गोपीकान्दर प्रखण्ड अन्तर्गत गाँव धोबाचापड़ (पंचायत ओड़मो) के दिवाकालीन पहाडि़या उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के छात्रों की दर्द भरी कहानी सुनकर कोई भी पसीज सकता है ? उप राजधानी दुमका से तकरीबन 50 किमी (दुमका-पाकुड़ मार्ग) की दूरी पर गोपीकान्दर प्रखण्ड के धोबाचापड़ गाँव (पंचायत ओड़मो) में पदस्थापित शिक्षक मुनमुन माल्टो ने पूर्णिमा के चाँद की तरह अपने पूरे कार्यकाल में विद्यालय में उपस्थित दर्शायी। इस शिक्षक ने न तो विद्यालय के बच्चों में शिक्षा का कभी अलख जगाया और न ही फटेहाल जिन्दगी जी रहे बच्चों को मीड डे मील का एक भी निवाला हजम करने दिया।  प्रतिमाह 35-40 हजार रुपये वतौर वेतन प्राप्त करते रहने के बाद भी  विद्यालय के सर्वांगिण विकास व आधारभूत संरचनाओं के नाम पर प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाली राशियों का दुरुपयोग पूरी निष्ठा से वे करते रहे। सीपीएम नेता एहतेशाम अहमद के अनुसार पिछले ढाई वर्षों के दौरान साढ़े तीन से चार लाख रुपये बैठे-बैठे उन्होनें प्राप्त कर लिये। शिक्षक मुनमुन माल्टो के विरुद्ध ग्रामवासियों का आक्रोश परवान पर है। ढाई वर्ष के अपने कार्यकाल में विद्यालय के प्रभारी श्री माल्टो ने बच्चों को एक भी दिन मीड डे मील से परिचय नहीं कराया। शिक्षक खुशी-खुशी इस बात को स्वीकारता भी है और यह भी कहता हैं कि प्रतिमाह 12 से 15 हजार रुपये मीड डे मील के नाम पर राशि की निकासी वे करते रहे। श्री माल्टो को इस बात का कोई अफसोस नहीं कि ढाई वर्षों तक विरादरी के बच्चों के निवाले वे छिनते रहे। वे कहते हैं अकेले एकमात्र वे ऐसा करने वाले नहीं हैं। धोबाचापड़ ग्रामवासी लक्ष्मण देहरी, मंगला देहरी, बुधन देहरी, सुखदेव देहरी, मंजू देहरी, खुदिया मराण्डी, सहदेव राय, पिंटू राय, के अनुसार उनके बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहते हैं। ग्रामीणों की वैसी कोई आमद नहीं की पहाड़ से निकलकर समतल भूमि पर वशोवाश कर वे अपना जीवनस्तर सुधार सकें, वे कहते हैं, बच्चों के शिक्षा के लिये जो भी सरकारी व्यवस्था है उसका लाभ भी उनके बच्चों को प्राप्त नहीं होता। सारी व्यवस्था का लाभ शिक्षक उठा ले जाते हैं, जिनकी प्रतिनियुक्ति इस विद्यालय में होती रही है। ढाई वर्षों के कार्यकाल में विद्यालय के प्रभारी शिक्षक मुनमुन माल्टो ने यदा-कदा ही अपना दर्शन गाँव में दिया होाग। गरीब, अनपढ़, गंवार होने की वजह से ग्रामवासियों को यह भी पता नहीं होता कि शिक्षकों की जबावदेही क्या है ? शिक्षा के नाम पर जिस गाँव के विद्यालय में शिक्षकों की गाहे-बगाहे ही उपस्थिति हो ? विद्यालय में कुर्सी-टेबुल तक उपलब्ध न हो, उस विद्यालय में बच्चोें को शिक्षा कैसे दी जा सकती है ? पहाडि़या कल्याण के नाम पर विद्यालयों में जिस तरह की सुविधा होनी चाहिए, शिक्षकों द्वारा उसे गड़क लिया जाना एक बड़े अपराध से कम नही है। दुर्गम पहाडि़यों के बीच बसे ऐसे गाँव के बच्चे क्या मुख्य धारा से कभी जुड़ पाऐगें ? उप राजधानी दुमका के गोपीकान्दर प्रखण्ड में विकास कार्यों की क्या स्थिति है, इस बात की जानकारी प्रखण्ड के विभिन्न पंचायतों के पहाडि़या, घटवाल, संताल व अन्य वंचित तबकों के ग्रामों के भ्रमण से प्राप्त किया जा सकता है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से उपरोक्त ग्रामों में न तो पीने के पानी की कोई व्यवस्था है और न ही शिक्षा, सिचाई, सड़क की ही व्यवस्था मौजूद है। वर्ष 2000 में बिहार से अलग हुए झारखण्ड के 15 वर्ष बीत गए। इन पन्द्रह वर्षों के कालखंड में राज्य के नेताओं व ब्यूरोक्रेट्स ने विकास के नाम पर इस राज्य को पूरा लूटा। इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे तो काफी हैं किन्तु पढ़ाने वाला यह कहकर अपना पल्ला झाड़ता रहा कि स्कूल काफी अंदर है जहाँ प्रतिदिन पहुँचना टेढ़ी खीर है जबकि जो शिक्षक हैं वे भी ऐसे ही पहाड़ों से आच्छादित गाँव से आते हैं। आदिम जनजाति पहाडि़या समुदाय का शिक्षक ही शोषण करता रहा अपनी बिरादरी का। झारखण्ड शिक्षा परियोजना के तत्वावधान में इन दिनों स्कूल चलें कार्यक्रम चलाया जा रहा है किन्तु कई ऐसे प्रखण्ड हैं जहाँ के जंगल-पहाड़ों के बीच बसे गाँवों में इसका कोई असर नहीं देखा जा रहा। ड्राॅपआउट बच्चों को स्कूल से जोड़ने की कवायद शहरी क्षेत्रों मे भले ही दिखती हो किन्तु सुदूर देहात में ऐसा कोई कार्यक्रम देखने को नहीं मिलता। सीपीएम नेता एहतेशाम अहमद का मानना है सरकारी व्यवस्था और व्यवस्थापक जबतक सुदूरवर्ती गाँवों में खुद भ्रमण नहीं करेगें, वैसे गाँवों का विकास मात्र कल्पना ही साबित होगा। पहाडि़या नेता देवेन्द्र देहरी सरकार की वर्तमान व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहते है- पहाडि़या कल्याण के नाम पर प्रतिवर्ष विशिष्ट पदाधिकारी पहाडि़या कल्याण को भारी राशि का आवंटन प्राप्त होता है किन्तु तमाम राशियाँ आॅफिस में ही संचिकाओं की पूर्णाहुति के बाद समाप्त कर दी जाती है। पहाड़ों पर बसने वाले कोरी कल्पना के साथ ही अपना जीवन गुजार लेते हैं। पहाडि़या नेता देवेन्द्र देहरी के अनुसार धोबाचापड़ में विद्यालय का जर्जर भवन अपने अस्तित्व की कहानी तो बयां करता है किन्तु जिस विद्यालय में खिड़की-किवाड़ी तक मयस्सर न हो, टेबुल-कुर्सी और विद्यार्थियों के बैठने के लिये बैंच तक की व्यवस्था न हो उस विद्यालय में पढ़ाई की क्वालिटी क्या होगी किसी से छुपा नहीं है। जिन शिक्षकों को देश के नौनीहालों को संवारने की जिम्मेवारी सौंपी जाती है वे अपनी रोटी सेंक रहे हैं। उन्हें क्या मतलब बच्चे पढ़े या नहीं ? उप राजधानी दुमका के नये डीसी मुकेश कुमार  से इन गाँववासियों को काफी उम्मीदें हैं। पूरी इमानदारी से वर्तमान डीसी ने जिले की विधि-व्यवस्था पर अपनी पैनी नजर रखी है। भ्रष्टाचारियों पर काफी कुछ अंकुश लगा है। शोषकों के विरुद्ध आवाजें उठने लगी हैं। चाहे पदाधिकारी हो या फिर कर्मचारी। हर सरकारी कर्मी में इस बात का भय तो अवश्य बना हुआ है कि उनके विरुद्ध शिकायतों का परिणाम उन्हें अवश्य भुगतना होगा तथापि कुछ ढीठ किस्म के लोग अपने भ्रष्ट आचरण से बाज नहीं आ रहे। 

दरभंगा : सीता मिथिला की कुलदेवी : पूर्व कुलपति

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 24 अप्रैल,  जानकी नवमी के अवसर पर जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इस अवसर पर माता सीता पूजनोत्सव और मैथिली दिवस कार्यक्रम मनाया गया. स्थानीय महाराजा महेश ठाकुर मिथिला महाविद्यालय में जानकी नवमी का आयोजन किया गया. आयोजन स्थल पर शिव धनुषधारिणी माता सीता की प्रतिमा स्थापित कर वैदिक रीति से पूजा-अर्चना की गई. वहीं इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक ने कहा कि मिथिला विकास के चरम शिखर पर पहुंचे इसके लिए हम सभी को निरंतर प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि सीता के नाम पर समाज एकजुट हो रहा है. जानकी सर्किट और राम सर्किट के माध्यम से मिथिला के महत्वपूर्ण स्थलों को जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार प्रयत्नशील है. इससे इलाके की संस्कृति की संरक्षा तथा विकास संभव हो सकेगा. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा ने कहा कि माता सीता तो मिथिला की कुलदेवी है. इनके प्राकट्य से मिथिला का महात्म्य और बढ़ गया है. यक पुण्य भूमि है और यहां जन्म लेने वालों को मुक्ति मिलती है. वहीं पूर्व कुलपति डॉ. उपेन्द्र झा वैदिक ने सीता के महत्व को रेखांकित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व विधान पार्षद प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने की. इस मौके पर कमला कांत झा, डॉ. सत्यनारायण ठाकुर, डॉ. अयोध्यानाथ झा, डॉ. अनलि कुमार झा, विनोद कुमार झा, चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई आदि ने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने अवसर के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ट पत्रकार अमलेन्द्र शेखर पाठक ने किया. अतिथियों का स्वागत प्राधानाचार्य डॉ. उदयकांत मिश्र ने किया. इस अवसर पर गीत-संगीत, काव्य पाठ के भी कार्यक्रम आयोजित किये गये. वहीं दूसरी ओर स्थानीय सीतायन विवाह भवन में जानकी नवमी के अवसर पर पूजन सह विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया. अखिल भारतीय मिथिला संघ के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के प्रारंभ में सर्वप्रथम उपस्थित लोगों ने मां जानकी के चित्र पर माल्यार्पण किया. उसके बाद पवन कुमार चौधरी की अध्यक्षता में विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमे मैथिली को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिलाने को लेकर संकल्प लिया गया. कार्यक्रम में संघ के अध्यक्ष विनय कुमार झा संतोष, सुरेन्द्र नारायण मिश्र, कमलेश, सुजित कुमार आचार्य, शैलेन्द्र कश्यप, रौशन झा, सरोज राय, मदन चौधरी, आनंद चौधरी, दीपक शांडिल्य, दीपक स्टार, मनोज कुमार, बलजीत झा, अजीत चौधरी आदि ने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का संचालन शशिमोहन भारद्वाज और धन्यवाद ज्ञापन रौशन कुमार झा ने किया. स्थानीय नवटोलिया मुहल्ला में जानकी नवमी के अवसर पर अष्टयाम का समापन करते हुए ध्वजारोहन किया गया. इस मौके पर विधान पार्षद डॉ. संजय पासवान ने कहा कि आज ही के दिन भगवती सीता का प्राकट्य हुआ था. जिस प्रकार राम जन्मोत्सव मनाया जाता है. उसी प्रकार मिथिला में माता सीता के जन्म का महत्व है. इस मौके पर अशोक नायक, पूर्व मेयर अजय पासवान, ई. विभाकर राम, दिलीप कुमार लाला, मुरारी श्रीवास्तव, शिवनाथ पासवान, सुनीति रंजन दास,रंजीत कुमार, मुन्ना ठाकुर थे.

मोदी ने किया ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ का शुभारंभ

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मंडला (मध्यप्रदेश), 24 अप्रैल, देश की पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के रामनगर में प्रधानमंत्री ने इस अभियान की शुरूआत की।  ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ का उद्देश्य ‘सशक्त पंचायत सशक्त भारत’ बनाना है। केन्द्र सरकार की इस योजना से पंचायतें आत्मनिर्भर एवं वित्तीय रूप से मजबूत होने के साथ-साथ और कारगर होंगी। इस दौरान मोदी ने मध्यप्रदेश की जनजातियों के समग्र विकास के लिए पंचवर्षीय कार्ययोजना की रूपरेखा भी बताई। इस योजना के तहत प्रदेश के जनजातीय इलाकों में अगले पांच साल में दो लाख करोड़ रूपये खर्च किये जाएंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने मंडला जिले के मनेरी में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट की आधारशिला भी रखी। इससे मंडला एवं आसपास के जिलों में घरेलू एलपीजी गैस पहुंचाना आसान होगा।  मोदी ने इस अवसर पर पंचायतों को सरकार की ई-गवर्नेंस स्कीम का क्रियान्वयन करने में उनकी सफलताओं के लिए सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने गांवों को अपने अपने इलाके खुले में शौच से मुक्त करने के लिए और एलपीजी घरेलू गैस के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित किया।

कांग्रेस ने खुर्शीद के बयान से असहमति जताई

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नयी दिल्ली, 24 अप्रैल, कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता सलमान खुर्शीद के उस बयान से असहमति जताई है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा है कि कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के खून के दाग हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पीएल पूनिया ने आज संवाददाताओं से कहा, 'सलमान खुर्शीद पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन जो बयान उन्होंने दिया है उससे कांग्रेस की असहमति है।'उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार में समाज को बांटने की जो राजनीति हो रही है उसमें नेताओं को इस तरह के आधारहीन बयान नहीं देने चाहिए।"यह पूछे जाने पर कि क्या खुर्शीद पर कोई करवाई होगी, पूनिया ने कुछ नहीं कहा। ग़ौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में यह दूसरा मौका है जब सलमान खुर्शीद कांग्रेस पार्टी की लाइन से अलग दिखाई दिए हैं। इससे पहले भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के ख़िलाफ राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के पार्टी के रुख़ से भी उन्होंने ख़ुद को अलग कर लिया था। उन्होंने इस बाबत उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को दी गई अर्ज़ी पर दस्तख़त करने से भी कथित तौर पर इंकार कर दिया था।

मोदी को ‘खत्म करने’ के संबंध में टेलीफोन पर हुई बातचीत की जांच जारी

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कोयंबत्तूर , 24 अप्रैल, पुलिस ने आज बताया कि वह टेलीफोन पर हुई उस बातचीत की रिकॉर्डिंग की जांच कर रही है जिसमें साल 1998 में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले का एक दोषी एक परिवहन ठेकेदार से कथित तौर पर यह कहता सुनाई दे रहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मार डालने की योजना बना रहा है। बहरहाल , शुरूआती जांच में कहा गया कि श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले के दोषी मोहम्मद रफ़ीक ने यह बात शायद परिवहन ठेकेदार प्रकाश को डराने के लिए कही थी।  पुलिस ने बताया कि टेलीफोन पर हुई इस बातचीत की रिकॉर्डिंग वायरल होने के बाद रफ़ीक को कल रात गिरफ्तार किया गया। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 ( आई ) ( आपराधिक धमकी ) के तहत मामला दर्ज किया गया है।  उन्होंने बताया कि बातचीत में हालांकि प्रधानमंत्री के नाम का जिक्र है लेकिन शुरूआती जांच में कहा गया कि रफ़ीक की टिप्पणी शायद मोदी के खिलाफ कोई साजिश नहीं है बल्कि उसने ठेकेदार को डराने के लिए यह सब कहा।  पुलिस के अनुसार , मामले की जांच जारी रहेगी।  रफ़ीक ने वर्ष 1998 में कोयंबत्तूर में हुए बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अपनी जेल की सजा पूरी की और वह शहर के कुनियामुथुर इलाके में रह रहा है। वह एक परिवहन ठेकेदार है।  पुलिस ने बताया कि सोशल मीडिया पर डाली गई आठ मिनट की इस बातचीत में रफ़ीक शामिल है।  उन्होंने बताया ‘‘ बातचीत मुख्यत : गाड़ियों के फायनेन्स के बारे में है। लेकिन अचानक ही रफीक यह कहता सुनाई देता है ‘‘ हमने ( प्रधानमंत्री ) मोदी को खत्म करने का फैसला किया है। हम उन लोगों में से थे जिन्होंने वर्ष 1998 में ( पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण ) आडवाणी की शहर यात्रा के दौरान बम लगाए थे। ’’  फरवरी 1998 में कोयंबत्तूर में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में 58 लोगों की मौत हो गई थी और करोड़ों रूपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी।  पुलिस के अनुसार , बातचीत में व्यक्ति को ठेकेदार से यह कहते हुए सुना गया कि मेरे खिलाफ कई मामले चले और 100 से ज्यादा वाहन मैंने क्षतिग्रस्त किये।  बीती रात पुलिस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि शहर की पुलिस ने रिकॉर्ड की गई बातचीत की जांच करने और बातचीत कर रहे व्यक्तियों की असलियत का पता लगाने के लिए विशेष दल बनाए।  विज्ञप्ति के अनुसार , बातचीत के आधार पर व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। 

माओवादियों के खिलाफ बड़े अभियान में 37 नक्सली मारे गए

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गढ़चिरौली , 24 अप्रैल, महाराष्ट्र पुलिस के कमांडोज के सी -60 स्क्वाड के साथ मुठभेड में मारे गए 15 माओवादियों के शव बरामद होने के साथ गढ़चिरौली मुठभेड़ में मरने वाले नक्सलियों की संख्या बढ़ कर 31 हो गई है।  एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आज बताया कि 22 अप्रैल को कासानसुर के जंगलों में सी -60 स्क्वाड के अभियान में 16 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए। इनमें नौ पुरूष और सात महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारी बारिश और संख्याबल में कमी के कारण तलाश अभियान को रोक दिया गया था। कल इंद्रावती नदी में तलाश शुरू कर वहां से 15 और शव बरामद किए गए।  उन्होंने बताया कि और शवों तथा हथियारों की तलाश की जा रही है।  वहीं राजाराम खंडाला चौकी के खापेवांच क्षेत्र में एक अन्य अभियान में छह नक्सली मारे गए और उनके शव बरामद कर लिए गए हैं।  महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक शशि माथुर ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान सटीक जानकारियों और नक्सलियों के पस्त हौंसले का परिणाम है। 

लोकसभा चुनाव में 90 सीटों पर भाजपा का जोर, ‘पालकों’ को दी गई जिम्मेदारी

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नयी दिल्ली, 24 अप्रैल, भाजपा अगले वर्ष आसन्न लोकसभा चुनाव के लिये उन 90 सीटों को जीतने पर जोर दे रही है जहां पिछले चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रही थी । इसके लिये डेढ़ दर्जन केंद्रीय मंत्रियों एवं वरिष्ठ नेताओं को पांच..पांच सीटों का ‘पालक’ बनाकर अभियान चलाया जाएगा ।  भाजपा अब वर्ष 2014 में जीती 283 सीटों के अलावा उन 90 सीटों पर जोर दे रही है जिन पर वह 2014 में दूसरे स्थान पर रही थी । पार्टी का ध्यान उन 142 सीटों पर भी है जिन पर भाजपा को कभी जीत हासिल नहीं हुई । ये सीटें पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु, पूर्वोत्तर, आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में हैं । भाजपा के एक नेता ने ‘भाषा’ से बातचीत में दावा किया कि इनमें कुछ ऐसी सीटें हैं जहां पर पिछले चार सालों में पार्टी की स्थिति पहले की तुलना में मजबूत हुई है । इस रणनीति के तहत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसी महीने से अलग-अलग प्रदेशों की 5-5 लोकसभा सीटों के लिए अपने दौरे शुरू किये हैं । अप्रैल के पहले हफ्ते में शाह ने उड़ीसा के दो दिन के दौरे में 5 लोकसभा सीटों को कवर किया । इन दौरों में शाह ने खास तौर पर पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने, बूथ प्रमुखों का सम्मेलन करने और रोड शो के जरिए आम लोगों से संपर्क कायम करने पर ध्यान केंद्रित किया । इसी कड़ी में शाह ने 21 अप्रैल को उत्तरप्रदेश का दौरा किया । इस दौरे में उन्होंने रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ सीटों के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की । साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को भी उन्होंने सम्बोधित किया । शाह मई के दूसरे हफ्ते में राजस्थान का दौरा करेंगे जहां हाल ही में पार्टी को लोकसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

जमीनी एवं बूथ स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिये पार्टी ने ‘शक्ति केंद्रों’ का गठन करने की पहल को तेजी से आगे बढ़ाया है । इस कार्य में पन्ना प्रमुखों की खास भूमिका रखी गई है ।  इन 90 सीटों पर जीत दर्ज करने की योजना के तहत भाजपा नेतृत्व ने मंत्रियों एवं वरिष्ठ नेताओं को पांच पांच सीटों का समूह बनाकर जिम्मेदारी दी है। इन नेताओं में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, जे पी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, प्रकाश जावड़ेकर, मनोज सिन्हा, नरेंद्र सिंह तोमर, पी पी चौधरी, गजेन्द्र सिंह शेखावत आदि शामिल हैं । इसके लिये ऐसे मंत्रियों का चुनाव किया गया है जिनके पास सांगठनिक अनुभव भी है। जाहिर तौर पर ये पालक केंद्रीय योजनाओं के जरिए भी जमीन तक पहुंचने की कोशिश करेंगे और संगठनकर्ता के रूप में भी पार्टी को मजबूत बनायेंगे । काफी संख्या में सीटों के लिये प्रभारी तैनात किये जा चुके हैं । भाजपा की इस योजना में वे दो करोड़ मतदाता शामिल हैं जो साल 2000 में पैदा हुए हैं और 2019 में पहली बार वोट डालेंगे। युवा मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए भाजपा ने मिशन 2019 के तहत युवाओं पर खासा जोर दिया है। इसके तहत ‘हर बूथ-दस यूथ’ का फार्मूला पूरे देश में लागू किया जा रहा है। दलितों और आदिवासियों तथा ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने के लिये ‘ग्राम स्वराज’ अभियान शुरू किया गया है । ग्राम स्वराज अभियान के दौरान 21,058 गांवों के लिए विशेष पहल शुरू की गई है जहां दलितों की अच्छी खासी आबादी है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी सांसदों, विधायकों एवं नेताओं से इन गांवों में दो दो रातें गुजारने को कहा है ।

कठुआ मामला में गिरफ्तार पुलिसकर्मी, एसपीओ सीबीआई जांच की मांग को लेकर अदालत पहुंचे

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जम्मू , 24 अप्रैल, कठुआ मामले में गिरफ्तार एक पुलिसकर्मी और एक एसपीओ मामले की राज्य अपराध शाखा द्वारा की गई जांच को रद्द करने और नए सिरे से सीबीआई द्वारा जांच करने की मांग को लेकर जम्मू - कश्मीर उच्च न्यायालय पहुंचे।  राज्य के कठुआ जिले में आठ वर्षीय एक बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या मामले में कथित तौर पर साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में उप निरीक्षक आनंद दत्ता और विशेष पुलिस अधिकारी ( एसपीओ ) दीपक खजुरिया को गिरफ्तार किया गया था।  उनके वकील वीनू गुप्ता ने इस बारे में कल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।  याचिकाकर्ताओं ने इसमें मांग की है कि अपराध शाखा की जांच रद्द की जाए क्योंकि तीन मौकों पर यह स्थानीय पुलिस से इसे सौंपी गई और अंतत : विशेष जांच दल ( एसआईटी ) को दी गई। याचिका में कहा गया कि यह बात अटपटी है कि कुछ वर्ष पहले बलात्कार और हत्या के मामले में शामिल रहे और तीन वर्ष तक गिरफ्तारी से बचकर भागते रहे एक अधिकारी को एसआईटी का सदस्य बनाया गया । साक्ष्य के अभाव में निचली अदालत से अधिकारी बरी हो गया था ।  इसमें कहा गया कि मामले की संवेदनशीलता के बावजूद उसे जांच पैनल का सदस्य बनाया गया। याचिका में मामले की नए सिरे से सीबीआई जांच की भी मांग की गई।  याचिका के मुताबिक पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट में बहुत अंतर है। इसमें अपराध शाखा की जांच को गलत बताया गया।  याचिकाकर्ताओं ने अपराध शाखा के इस निष्कर्ष पर भी आपत्ति जताई कि लड़की को देवस्थान में रखा गया था और आरोप लगाया कि एसआईटी ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ की और झूठे साक्ष्य गढ़े ।  उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जांच का मुख्य उद्देश्य यह है कि आदिवासी लोग सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर सकें। 

मूल मानवाधिकारों का दुश्मन है आतंकवाद : सुषमा

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बीजिंग , 24 अप्रैल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि आतंकवाद मूल मानवाधिकारों का दुश्मन है और आतंक के खिलाफ लड़ाई में ऐसे देशों की पहचान करने की भी जरूरत है जो उसे बढ़ावा , समर्थन , धन देते हैं तथा आतंकी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं।  शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन ( एससीओ ) के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए सुषमा ने वैश्विक आतंकवाद और संरक्षणवाद का मुद्दा उठाया।  विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती वैश्विक आतंकवाद है और उससे लड़ने के लिए तुरंत मजबूत सुरक्षा ढांचा तैयार करने की जरूरत है।  सुषमा ने कहा , ‘‘ आतंकवाद मौलिक मानवाधिकारों ... जीवन , शांति और समृद्धि ( के अधिकार ) का दुश्मन है। ’’  उन्होंने कहा , ‘‘ संरक्षणवाद को उसके प्रत्येक रूप में खारिज किया जाना चाहिए और व्यापार के मार्ग में अवरोधक पैदा करने वाले तत्वों को नियंत्रित करने की कोशिश की जानी चाहिए। ’’  सुषमा ने कहा , ‘‘ भारत एससीओ के साथ काम करते हुए आपसी आर्थिक और निवेश संबंधों को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि आर्थिक वैश्विकरण ज्यादा खुला , समावेशी , समानतापरक और परस्पर हितों के लिए संतुलित होना चाहिए। ’’ 

सामाजिक स्तर खोने के डर से अमेरिकी वोटर ने ट्रंप को राष्ट्रपति चुना

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वाशिंगटन, 24 अप्रैल, एक अध्ययन में पाया गया है कि पारंपरिक रूप से उच्च सामाजिक स्तर के अमेरिकियों ने 2016 के चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप को वोट दिया क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा था कि बढ़ती जातीय विविधता के चलते अमेरिका और दुनिया में उनकी हैसियत खतरे में है। अभी तक यह माना जाता था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में रोजगार गंवाने की आशंकाओं और गतिरूद्ध वेतनमान से गुजर रहे श्वेत श्रमिकों ने ट्रंप को जिताया था। बहरहाल, प्रतिष्ठित जर्नल ‘पीएनएएस’ में प्रकाशित एक अध्ययन में इस विचार का समर्थन किया गया है कि ट्रंप को वोट देने वाले ढेर सारे वोटर खुद को पीछे छूट गए महसूस कर रहे थे। लेकिन इस अहसास का कारण उनकी निजी वित्तीय समस्याएं या भविष्य को ले कर उनके अंदेशे नहीं थे। पेनसिल्वेनिया युनिवर्सिटी की प्रोफेसर डायना सी. मुट्ज ने कहा, ‘‘सियासी बगावतों और उथलपुथल में अकसर दबे-कुचले समूह उच्च वर्गों के अनुरूप बेहतर बर्ताव और ज्यादा बराबरी वाली जीवन स्थितियों के अपने अधिकार जताने के लिए उठ खड़े होते हैं।’’  मुट्ज ने कहा, ‘‘इसके बरअक्स 2016 का चुनाव अपना प्रभुत्व जारी रखने के लिए पहले से ही प्रभुत्वशाली समूहों के सदस्यों का एक प्रयास था।’’  शोधकर्ताओं ने 2012 और 2016 दोनों में वोट डालने वाले 1200 अमेरिकी वोटरों का एक राष्ट्रीय प्रतिनिधिमूलक पैनल से सवेक्षण का डेटा लिया। उन्होंने पाया कि पारंपरिक रूप से उच्च सामाजिक स्तर के अमेरिकियों को लगा कि अमेरिकी में बढ़ती जातीय विविधता और दुनिया में अमेरिका के दबदबे के खात्मे की आशंकओं के चलते अमेरिका और दुनिया में उनकी हैसियत खतरे में। इसके बाद अमेरिका के सामाजिक रूप से प्रभुत्वशाली समूहों ने 2016 में उस उम्मीदवार के प्रति अपना समर्थन बढ़ा दिया जिसने अतीत के दर्जेबंदी को बहाल करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया।

लेग स्पिनर फेंकने वाला आफ स्पिनर बहुभाषी की तरह : सचिन तेंदुलकर

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नयी दिल्ली , 24 अप्रैल, सीमित ओवरों के क्रिकेट में कलाई के स्पिनरों के बढ़ते दबदबे के बीच महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि लेग स्पिन गेंदबाजी करने वाला आफ स्पिनर कई भाषा बोलने वाले व्यक्ति की तरह है।  तेंदुलकर ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन निश्चित तौर पर उनकी इस टिप्पणी से रविचंद्रन अश्विन का हौसला बढ़ेगा जो सीमित ओवरों के प्रारूप में राष्ट्रीय टीम में वापसी करने के लिए कलाई से स्पिन कराने के कौशल को आजमा रहे हैं।  आज अपना 45 वां जन्मदिन मना रहे तेंदुलकर ने  कहा , ‘‘ मुझे लगता है कि इससे सिर्फ मदद ही होगी। यह इस तरह है कि आपको दो से तीन अलग - अलग भाषाएं आती हैं। अब पांच या छह अलग अलग भाषाएं जानने में कोई समस्या नहीं है। इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा। ’’  उन्होंने कहा , ‘‘ यह अधिक विविधताएं खोजने की तरह ही है। यह कहना गलत होगा कि वे ( अंगुली के स्पिनर ) लेग स्पिन गेंदबाजी करके इस श्रृंखला में शामिल हो रहे हैं। नहीं , ऐसा नहीं है। इसकी जगह हमें ऐसे देखना चाहिए कि उन्होंने एक गेंद का विकास करने के लिए प्रयास किया है। ’’  आफ स्पिनरों के प्रयास व्यर्थ है इस नजरिये के बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने कहा , ‘‘ मुझे लगता है कि यह लोगों की गलत सोच है ( कि आफ स्पिनर लेग स्पिन नहीं कर सकते ) । मैं यहां खिलाड़ियों को दोष नहीं दे रहा। मैं यहां लोगों ( धारणा ) को दोष दे रहा हूं। लेग स्पिन आपके लिए तरकश का एक और तीर हो सकती है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ लोग आफ स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं लेकिन अगर आफ स्पिन के साथ वे विविधता के तौर पर लेग स्पिन फेंकने में सक्षम हैं तो फिर क्यों नहीं ऐसा किया जाए। ’’  इस महान बल्लेबाज का मानना है कि अगर कोई सही लेग ब्रेक कर सकता है तो इसे उसका मजबूत पक्ष माना जाना चाहिए। 

उन्होंने कहा , ‘‘ अगर आफ स्पिनर के दूसरा फेंकने को उसका हथियार माना जाता है तो स्थिति की मांग के अनुसार वह लेग ब्रेक करता है तो इसे उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए। इसकी जगह अगर वह इसे अच्छी तरह करता है तो इसे उसका मजबूत पक्ष समझा जाना चाहिए। ’’  तेंदुलकर ने कहा , ‘‘ मैं अपने बारे में बात कर सकता हूं। मैचों के दौरान मैं बायें हाथ के बल्लेबाजों को आफ स्पिन और दायें हाथ के बल्लेबाजों को लेग स्पिन गेंदबाजी करता था। अगर आप ऐसा करने में सक्षम हैं तो ऐसा क्यों ना किया जाए। ’’  युवा बल्लेबाजों की लेग स्पिन को समझने में नाकामी पर तेंदुलकर का मानना है कि मौजूदा गेंदबाजों ने बल्लेबाजों को सोचने के लिए मजबूर किया है।  उन्होंने कहा , ‘‘ मुझे नहीं लगता कि यह कहना सही होगा कि बल्लेबाज लेग ब्रेक के बीच में गुगली को नहीं समझ रहे। बल्लेबाज आउट स्विंग गेंद को देख लेता है लेकिन इसके बावजूद बल्ले का किनारा लग जाता है। ’’  तेंदुलकर ने कहा , ‘‘ गलतियां करना मानवीय है। लेकिन मैं सहमत हूं कि लेग स्पिनरों ने आज के बल्लेबाज को अधिक सोचने के लिए बाध्य किया है। ’’ आईपीएल में मुंबई इंडियन्स के युवा लेग स्पिनर मयंक मार्कंडेय सत्र की खोज रहे और तेंदुलकर ने पंजाब के इस युवा गेंदबाज की तारीफ की।  मुंबई इंडियन्स के मेंटर तेंदुलकर ने कहा , ‘‘ लेग स्पिनरों ने बल्लेबाजों को सोचने के लिए मजबूर किया है। मयंक ने भी ऐसा किया है और बल्लेबाजों को उस पर अधिक ध्यान देना पड़ रहा है। यह मयंक की क्षमता की तारीफ है कि वह अपनी गुगली से इतनी अच्छी तरह छकाने में सफल रहा है। यह सराहनीय है। ’’ 

तेंदुलकर का हालांकि मानना है कि अगर इच्छाशक्ति है तो बल्लेबाज लेग स्पिनरों के खिलाफ तैयारी कर सकते हैं जैसे उन्होंने 1998 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू श्रृंखला से पहले शेन वार्न से निपटने के लिए की थी।  वर्ष 1989 में 19 बरस की उम्र में भारत की ओर से पदार्पण करने वाले तेंदुलकर ने तब से अब तक विश्व क्रिकेट में काफी बदलाव देखे हैं।  उन्होंने कहा , ‘‘ बदलाव ही निरंतर प्रक्रिया है। सबसे बड़ा बदलाव टी 20 क्रिकेट और क्रिकेट प्रेमी जनता पर इसका असर है। ’’  तेंदुलकर ने कहा , ‘‘ जब मैंने खेलना शुरू किया तो काफी समय तक सफेद कपड़ों में एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। लेकन अब आईपीएल में भी पहले तीन साल की तुलना में क्रिकेट का स्तर बदल गया है। ’’  यह पूछने पर कि क्या अगर आईपीएल 1990 या 1991 में शुरू हो जाता तो 18 साल का तेंदुलकर अलग तरीके से बल्लेबाजी करता। उन्होंने कहा , ‘‘ बेशक , मैं अलग तरह से बल्लेबाजी करता। ’’  तेंदुलकर ने ठीक दो दशक पहले शारजाह में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने दो शतकों को भी याद किया। पहले शतक को अब भी ‘ रेगिस्तान के तूफान ’ के नाम से जाना जाता है जबकि दूसरे शतक से भारत के खिताब दिलाया।  उन्होंने कहा , ‘‘ यह शानदार अहसास है। ये सभी चीजें मेरे जीवन में हुई। मैं भाग्यशाली महसूस करता हूं कि मेरे करियर में ये बेहतरीन लम्हें आए। मुझे लगता है कि शारजाह में हुए वे दो मैच लोगों की यादों में छप गए हैं। ’’  तेंदुलकर ने बारिश से प्रभावित प्रदर्शनी मैच में अब्दुल कादिर के खिलाफ ताबड़तोड़ बल्लेबाजी पर कहा , ‘‘ मैं ने कभी महसूस नहीं किया था कि इस छोटी की पारी का लोगों पर क्या असर होगा। बेशक ऐसे लम्हे हमेशा लोगों के साथ रहते हैं और मैं इसे लेकर खुश हूं। ’’ 

आलेख : निर्दोष संगीता बनी नीतियों का शिकार

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सांगली जिला दक्षिण पश्चिमी भारत के दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। जिले के मिरज तालुका में एक गांव है मलगांव। इसी गांव की रहने वाली हैं संगीता बालासाहेब गुजले। 2011 की जनगणना के अनुसार मलगांव की कुल जनसंख्या 26,917 है जिसमें महिलाओं की कुल आबादी 13,224 है। 2011 में गांव में अनुसूचित जाति की कुल आबादी 17.58 प्रतिशत थी जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.47 प्रतिशत थी। गांव का साक्षरता दर 82.12 प्रतिशत था जबकि महिला साक्षरता दर 75.56 था। मलगांव की संगीता ने आयु के चालीस बसंत देखे हंै। मायका कोलहापुर जिले के पन्हाला तालुका के पेठ गांव में है। संगीता के परिवार में दो बेटियों, एक बेटा व पति को मिलाकर कुल पांच सदस्य हैं। परिवार की आय का मुख्य साधन खेती है व मासिक आय 15-16 हज़ार रूपये है। मायके का परिवार बड़ा और गरीब होने की वजह से संगीता सिर्फ कक्षा छह तक ही शिक्षा हासिल कर सकीं। अन्य भाई बहनों की शिक्षा भी आर्थिक परिस्थितियों की वजह से बाधित हुई। ‘‘उस जमाने में यह बहुत सामान्य बात थी। पढ़ाई लिखाई को इतना जरूरी नहीं समझा जाता था और लड़कियों की शिक्षा की ओर तो बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता था। इस बारे में संगीता कहती हैं कि-‘‘मेरे परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी। इसलिए पढ़ाई छोड़ने का फैसला मैंने खुद लिया था। आज जब पंचायत चुनावों में भाग लेना चाहा तो शिक्षा की अहमियत मुझे समझ में आई।’’
            
संगीता की शादी कम उम्र में हुई थी और ससुराल की परिस्थितियां भी संगीता गुजले को आगे की पढ़ाई करने के लिए अनुकूल नहीं थीं। परिवार में शिक्षा के प्रति अधिक रूचि नहीं थी। अपनी शिक्षा अधूरी रहने से संगीता आज खिन्न हैं। वह मानती हैं कि उनके पर्याप्त शिक्षित न होने की वजह घर व ससुराल का माहौल रहा। इस बारे में वह कहती हैं कि-‘‘मेरे पढ़ाई-लिखाई करने का समय निकल चुका है। मायके में परिवार बड़ा और आमदनी कम होने की वजह से मैं पढ़ नहीं सकी। इसके अलावा ससुराल में पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से कभी इस दिशा में सोचने का समय ही नहीं मिला।’’ संगीता घर के काम-काज के अलावा खेतों में भी काम करती हैं। अपने कम शिक्षित होने का नुकसान संगीता कई बार उठा चुकी हैं।  बैंक के काम करने हों, या इंटरनेट का इस्तेमाल, या सरकारी योजनाओं की पर्याप्त जानकारी लेना, कम शिक्षा इस सब में आड़े आती है। पर संगीता सामाजिक कामों से जुड़कर समाज के भले के लिए काम करने की इच्छुक हैं। इसके लिए विभिन्न सामाजिक समूहों से जुड़कर उन्होंने काम करने की कोशिशें की है। वह स्थानीय कृषि मंडल की सक्रिय सदस्य हैं और महाराष्ट्र सरकार की बचतगत योजना के तहत महिलाओं को लोन दिलाने के अलावा उनको घर पर रहकर ही व्यवसाय करने के लिए प्रेरित करने व मशविरा देने के काम में लगी हुई हैं। वह मराठी स्कूल की शिक्षा कमेटी की भी सदस्य हैं। शिक्षा समिति की सदस्य के तौर पर वह स्कूल का प्रबंधन देखती हैं। सरकारी स्कूल में मिड डे मील के तहत स्कूल में बच्चों को मिलने वाले आहार की नियमित रूप से जांच करना उनकी जिम्मेदारी है। 
          
गांव में शराब बंदी के एक स्थानीय आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही है। गांव की अन्य महिलाओं के साथ काम करते हुए गांव में शराब की दुकान को बंद कराने का श्रेय उनको प्राप्त है। एक आंदोलन के बाद आज भी गांव में शराब से ग्रस्त लोगों की संख्या बहुत बड़ी है। संगीता का मानना है कि सरपंच के तौर पर वह इस दिशा में बेहतर और दीर्घकालीन प्रभाव के प्रयास कर सकती हैं। मलगांव की सीट 2017 में महिला सीट हुई तो संगीता ने अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरपंच के चुनाव में प्रतिभाग करने का विचार किया। किन्तु उनकी कक्षा 6 तक की शिक्षा ने उनको इस अवसर का इस्तेमाल नहीं करने दिया। हालांकि संगीता निराश नहीं हैं और इस दिशा में सार्थक और सशक्त कदम उठाने के लिए कटिबद्ध हैं कि उनका गांव शराब के इस अभिशाप से मुक्त हो सके। संगीता और उनके दौर की बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जो परिवार की माली हालत या लड़कियों की शिक्षा के प्रति समाज की उदासीनता का शिकार हैं। 30 बरसों में दुनिया इतनी बदल जाएगी और बेटियां बहुत से मौके खोएंगी इसकी कल्पना न उस दौर की बेटियों ने की थी न अभिभावकों ने। आज जब राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों में प्रतिभागिता करने के मानक तय कर दिये हैं, संगीता और उनकी जैसी बहुत सी महिलाएं अब लोकतंत्र के इस यज्ञ में भाग लेने से वंचित हो गयी हैं, और वह भी बिना किसी दोष के। केवल मानक से कम शिक्षा ही नहीं बल्कि दो बच्चांे के नियम की बाध्यता के कारण भी सरपंच के चुनावों में प्रतिभाग करने से वंचित रह गयी हैं। 
          
संगीता कहती हैं कि-‘‘मैं मलगांव से सरपंच का चुनाव लड़ना चाहती थी। सरपंच के लिए सातवीं पास होना जरूरी है मगर मैं छठी पास हंू। इसके अलावा आवेदन फार्म में भी लिखा था कि दो से ज़्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए मगर मेरे तीन बच्चे हैं। महाराष्ट्र पंचायती राज एक्ट के मुताबिक यदि किसी भी उत्मीदवार को 2001 के बाद तीसरी संतान है तो वह चुनाव में प्रतिभाग नहीं कर सकता। संगीता के तीन बच्चें हैं उनको पहली संतान 1995 में हुआ था और उनका तीसरी संतान 2003 में हुई। अतः वह चुनाव में हिस्सा नहीं ले पायीं। इस बारे में संगीता कहती हैं कि-‘‘शैक्षिक व दो बच्चों के नियम की योग्यता पूरा न कर पाने के कारण मैं सरपंच का चुनाव लड़ने से वंचित रह गयी। इसी वजह से मेरा सरपंच बनने का सपना अधूरा रह गया।’’ हालांकि न कम शिक्षा के लिए वह जिम्मेदार हैं न तीन बच्चों की मां होने के लिए। इस बारे में संगीता कहती हैं कि-‘‘हमारे परिवारों में कौन औरत से पूछता है कि उसे कितने बच्चे चाहिए, बेटा चाहिए या बेटी से संतुष्ट है। उसे तो परिवार और पति के आदेश का पालन करना होता है। यदि परिवार को बेटा चाहिए है तो औरत को दो, तीन, चार कितनी भी बेटियां हों, उनके बाद भी बेटे को जन्म देना ही पड़ेगा और इसकी भी जिम्मेदारी उस पर ही आएगी कि उसे बेटा नहीं हुआ। सच में महिलाओं को निर्णय लेने में शामिल ही नहीं किया जाता। लेकिन इसके सारे नुकसान तो हमें ही उठाने पड़ते हैं। इन सब कारणों के चलते पंचायत चुनावों में प्रतिभाग करने का सपना देखना भी मेरे लिए संभव नहीं। ’’ 

         
संगीता को बहुत अफसोस है कि वह सरपंच चुनावों में प्रतिभाग नहीं कर सकीं। लेकिन उन्हें शिक्षा का महत्व पता है। वह मानती हैं कि शिक्षा ही सबका भविष्य उज्जवल कर सकती हैं। इसलिए वह अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर सतर्क हैं और उन्हें बेहतर शिक्षा दे रही हैं। संगीता शिक्षा के सरकारी नियम के खिलाफ भी नहीं हैं। वह स्वीकार करती हैं कि सरपंच के लिए शिक्षित होना अच्छा ही है कम-कम शिक्षित व्यक्ति पंचायत का काम-काज तो अच्छे से कर सकता है।





(वैशाली खिलूदकर)

विदेश में पत्रकार हत्या से सरकार ने दिया इस्तीफा, पर देश मे एकता की कमी के कारण पत्रकार सुरक्षा कानून नही ला पाए - विनायक लुनिया

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जमुई, बिहार / उज्जैन : बिहार के जमुई जिला स्थित पत्रकार सुरक्षा कानून के संदर्भ में आयोजित बैठक में फ़ोन पर संबोधित करते हुए आल मीडिया जर्नलिस्ट सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष विनायक अशोक लुनिया ने कहा कि आज देश और समाज के लिए अपने पूर्ण जीवन को पूरे ईमानदारी के साथ समर्पित कर देने वाला लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ पत्रकार आज खुद की सुरक्षा को लेकर भयभीत है, और  हमारी सरकार भी इस बात से आंखे मीच कर बैठी है जब जब कोई पत्रकार मरता है तो सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा कर संवेदना व्यक्त कर देती है। पर कोई भी सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून बना कर पत्रकार को सुरक्षित नही करती और यह हमारे बीच मे पड़े फुट के कारण ही हो रहा है अगर हमारे भीतर में एकता होती तो आज हमारे पत्रकार मौत के नींद नही सोते।गत माह पत्रिका अखबार के उज्जैन संस्करण में 18 मार्च को एक खबर प्रकाशित हुई थी जिसमे मध्य यूरोपीय देश स्लोवाकिया के ब्रातिस्लावा शहर में फरवरी माह के 22 - से 25 तारीख को पत्रकार दम्पत्ति की हत्या हो गयी और जन आंदोलन के चलते 3 सप्ताह में प्रधानमंत्री को स्तीफा देना पड़ा पर हम यहां कई दशकों से आंदोलन कर रहे है पर पत्रकार सुरक्षा कानून नही बनवा सके। इसका सबसे बड़ा कारण हमारेके एकता की कमी है अगर आज भी एक हो जाये तो पत्रकार सुरक्षा कानून बनने से कोई नही रोक सकता।

बिहार : हुजूर कुछ कर दे.

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डूमर.कटिहार जिले में है समेली प्रखंड. इस प्रखंड में है डूमर ग्राम पंचायत. यहां की मुखिया हैं रानी देवी.रानी देवी की पंचायत में रहने वाले महादलित मुसहर रंक बनकर रह गये हैं. यह हाल बकिया मुसहरी पोआरी टोला की है.यहां पर महादलित मुसहर 4 पुश्त से रहते हैं.मुसहरी में 60 घर हैं और जनसंख्या करीब 325 है. केवल रेखा कुमारी और राकेश ऋषि ही मैट्रिक उर्तीण हैं. टोला सेवक हैं राकेश ऋषि और विकास मित्र हैं रेखा कुमारी .यहां के फेकन ऋषि जी कहते हैं कि मुसहरी वार्ड नम्बर-12 में है. वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि है.वह अपने वार्ड में आंगनबाड़ी केंद्र भी खोलवा नहीं सकें.इसका मतलब है कि यहां के बच्चों की बुनियाद शिक्षा नहीं मिलने के कारण बुनियाद कमजोर हो गयी है. काफी कम बच्चे स्कूल जाते हैं. तपाक से राधा देवी कहती हैं कि यहां 15 मकान बना है.इस मकान में 30 परिवार रहते हैं. जो यह मकान जर्जर हो गया है.हमलोगों की आँख के सामने ही सिर छुपाने वाले आशियाना की छत एक-एक कर भरभराकर गिरने पर उतारू है. इन कारणों से महादलित अांधी, ओला,वर्षा और धूप से बेहाल होकर जिंदगी काट रहे हैं.

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यहां पर  तिलो ऋषि और कुसुम देवी रहती  हैं.दोनों के 5 बच्चे हैं.3 लड़की और 2 लड़का. कुसुम देवी कहती हैं कि बुखार और सिर दर्द होने से समेली में किसी निजी चिकित्सक से दिखाने गयी थीं.चिकित्सक से दिखाकर आते समय टेम्पों पलट जाने से हाथ तोड़वा बैठी.डेढ़ माह से हाथ टूटी से बेहाल है.जबतक पैसा था इलाज करायी.पैसे के अभाव में इलाज बंद है.अब तो यह आलम है  कि मजदूर परिवार के बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं.घर की छत भरभरा जाने से खुले आकाश के नीचे रहने को बाध्य हैं. कमोबेश बकिया पोआरी मुसहरी टोला में रहने वालों की दुखभरी दास्तान है. रघुनाथ ऋषि की बेटी हीरिया कुमारी दिव्यांग है. इसको पेंशन नहीं मिलता है.इसके 7 बहन और 2 भाई है.वहीं स्व.खनतर ऋषि की विधवा कैली देवी को भी पेंशन नहीं मिल रहा है.5 साल से कार्यालय में दौड़ लगा रही हैं.इसमें सुशील ऋषि की विधवा प्रमिला देवी भी शामिल हैं.इस विधवा के 3 संतान है.1लड़का और 2 लड़की हैं.भरण-पोषण करने के लिए प्रमिला देवी ने गाय पाल रखी थी.परती खेत में गाय चर रही थी.इसको देखकर खेत मालिक अरविंद यादव  सहन नहीं कर सकें.लाठी निकालकर गर्भधारण गाय की जमकर धुनाई कर दी.इस बेरहम मार से दो दिनों के बाद गाय की गर्भपात हो गयी.


यहां के महादलित कहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चय लागू नहीं होने के कारण हर घर नल का जल,हर घर में शौचालय आदि का निर्माण नहीं हुआ है.वहीं जगन्नाथ ऋषि कहते हैं कि हमलोग भूमिहीन हैं.जर्जर घर में रहते हैं.जगहाभाव के कारण ऑपेन एयर में रहते हैं.अपनी बुनियादी समस्याओं को लेकर सीएम,डीएम,सी.ओ.,बीडीओ आदि तक दौड़ लगाकर थक गये हैं.एक बार फिर से सीएम साहब पर भरोसा कर रहे हैं कि हमलोगों की समस्या दूर कर देंगे.हमलोगों की मांग है कि सरकारी घोषणानुसार आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन मिले.खेतिहर मजदूरों को खेती योग्य जमीन 5 एकड़ मिले. जर्जर मकानधारकों को इंदिरा आवास योजना से मकान बनें.सात निश्चय को लागू किया जायं.

बिहार : वार्षिक बैठक में सरकारी योजनाओं पर अधिक चर्चा

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पटना. आज सुपर संडे को अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ की वार्षिक बैठक की गयी. स्थानीय सेवा केंद्र, कुर्जी पटना में  विजय ओस्ता  की अध्यक्षता में की गयी।संस्था के अध्यक्ष एम्ब्रोस पैट्रिक ने आगत  सदस्यों का स्वागत करते हुए संस्था की गतिविधियों की जानकारी देते हुए आपसी एकता की बात कही।कोषाध्यक्ष विक्टर जेरमी ने वार्षिक आय-व्यय का व्योरा पेश  किया। संस्था के महा सचिव एस.के. लॉरेंस ने पटना तथा दूसरे शहर से आए संस्था के प्रतिनिधियों का  स्वागतम करते हुए संस्था द्वारा अबतक किये गए कार्यों की जानकारी दी।उन्होंने बताया कि यह संस्था बिना किसी सरकारी या एन.जी. ओ.के आर्थिक सहयोग के  सिर्फ समुदाय के लोगों के सहयोग से यह संस्था सकारात्मक कार्य कर रही है।जैसे विधार्थिओं को छात्रवृति दिलाने में सहयोग करना, ख्रीस्त जयंती मिलन समारोह का आयोजन कर समुदाय के समाजसेवी महिलाओं तथा  धार्मिक कार्यों में सहयोगरत तेजस्वी युवाओं को सम्मानित करना, जरूरतमंदों को सहयोग करना, कम्बल एवम् वस्त्र वगैरह बांटना जैसे कई तरह के कार्य किये गए।ईसाई बहुल इलाकों की सड़क बनवाने, कब्रिस्तानों की उचित घेराबंदी कराने, जेरुसलम की यात्रा हेतु अनुदान प्रदान करने बिहार के सरकारी उच्च विद्यालयों में रद्द किये गए गुड फ्रायडे के अवकाश  को बहाल करने वगैरह के लिए सरकार से मांग की गयी।सरकार की योजना के तहत अल्पसंख्यकों को प्राप्त होने वाली सुविधा की जानकारी प्रदान कर आवश्यकतानुसार सहयोग कर दिलाने में सहयोग करने जैसे कार्य किये गए।इस दौरान सदस्यों के साथ साथ सहायक सचिव रंजीत कुमार,रिचर्ड रंजन,विजय कुमार पॉल,शोभा रंजन, उमेश्वर प्रसाद, मुकुल अंतोनी, शिखा कुमारी, एग्नेस, जेरमी, आलोक बेसरा, तरुण साइमन तथा अन्य क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी बातें रखीं तथा सुझाव पेश किये।समुदाय द्वारा यह प्रसन्न्ता जाहिर की गयी कि कुर्जी चर्च से सटे कब्रिस्तान की चहारदीवारी को ऊँचा कर उस पर कंटीला तार लगाने की पांच माह पूर्व की गयी घोषणा के बावजूद अबतक कोई कार्य नहीं किये जाने  के रुकावट को जल्द दूर कर कार्य कराने के लिए मुख्य मंत्री जी तथा डी. एम्. साहब से अनुरोध किया गया था ,जिसपर उन्होंने त्वरित कार्यवाही की।इस दौरान उपस्थित सदस्य ने केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद जी द्वारा दलित आरक्षण पर दिए गए बयान को दुर्भाग्यपूर्ण  बताते हुए कहा कि इससे देश के दलित ईसाइयों को बेहद निराशा हुयी है।जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान में आरक्षण का अधिकार सिर्फ दलित हिंदुओं को ही है तथा इस आरक्षण पर दूसरों को हकमारी नहीं करने देंगे। साथ ही संस्था को और मजबूती प्रदान करने की बात कही गयी।सरकार की योजना के तहत अल्पसंख्यकों को प्राप्त होने वाली योजनाओं की चर्चा की गयी। संस्था को और मजबूत बनाने की बात कही गयी ताकि यह संघ अपने समुदाय के लिए और ज्यादा अच्छा कार्य कर सके।

विशेष आलेख : काम से नाम कमाती महिलाएं

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जब से पंचायतीराज चुनाव में महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी आरक्षण के द्वारा सुनिश्चित हुई है तब से महिलाओं की सक्रिय राजनीति में भूमिका गांव-गांव में देखने को मिल रही है। ऐसी ही एक महिला हैं राजस्थान के झुन्झुनू ज़िले की नवलगढ़ तहसील की कोलसिया पंचायत की महिला सरपंच श्रीमती विमला देवी जो अपने अधिकारों के प्रति हमेशा सचेत रही हैं। यह अपने कर्तव्यों का बखूबी पालन करती हैं। विमला देवी ने कक्षा 10 तक की शिक्षा हासिल की है। 10 वीं कक्षा पास करने के बाद सामाजिक दबाब के आगे इनके पिता को भी झुकना पड़ा और उन्होंने विमला देवी की शादी कर घर-परिवार की जिम्मेदारियों में व्यस्त कर दिया। ससुराल की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने एवं जागरूकता की कमी के कारण विमला देवी अपनी शिक्षा को आगे नहीं बढ़ा सकीं। तीन बेटों व दो बेटियों का पालन-पोषण करते हुए वह एक सफल गृहणी बनकर रह गयीं।
      
2015 के पंचायती राज चुनाव में विमला देवी ने जागरूक महिला का परिचय देते हुए घर परिवार में सलाह कर सरपंच के लिए प्रत्याशी बनना स्वीकार किया। चुनाव में सात महिलाआ प्रत्याशियों को पीछे धकेलकर उन्होंने जीत दर्ज की। विमला देवी मृदुभाषी हैं तथा समाज के हर वर्ग के लोगों के सुख दुख में हिस्सा लेती हैं। उन्होंने अपनी पहचान पंचायत की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला के रूप में बना रखी है जिसका फायदा उन्हें 2015 में सरपंच के चुनाव में मिला। वर्तमान में विमला देवी एक सफल प्रतिनिधि के रूप में गांव के विकास को नई दिशा देने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। सरपंच पर आसीन होने के बाद उन्होंने पंचायत में विकास के अनेकों काम किए हैं जिसका फायदा पंचायत के सभी वर्गों के लोगों को हुआ है। कोलसिया ग्राम पंचायत का आस-पड़ोस की अन्य ग्राम पंचायत मुख्यालयों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत अत्यंत दुर्गम थी जिसमें परसरामपुरा की ओर जाने वाले रास्ते की स्थिति सबसे भयावह थी। महिला सरपंच ने प्रयास कर पूरे रास्ते पर डामरीकरण सड़क बनवाकर लोगों को राहत प्रदान की। इसके अलावा महिला सरपंच ने ग्राम पंचायत गोठड़ा तथा कारी के आम रास्तों पर सड़क मंजूर करवाकर लोगों को आवागमन में सुविधा प्रदान की। वास्तव में कोलसिया ग्राम पंचायत के रास्तों की स्थिति इतनी भयावह थी कि दूसरे गांवों के लोग कोलसिया में अपनी बेटियों की शादी करना भी पसंद नहीं करते थे।
         
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आज़ादी के 70 साल बाद भी 8 हज़ार से अधिक आबादी वाले कोलसिया ग्राम में लोगों को पेयजल के लिए रस्सी-बाल्टी व मटकों पर निर्भर रहना पड़ता था। सरपंच का पदभार संभालने के बाद ही विमला देवी ने गांव में उच्च जलाशय का निर्माण करवाया व घर-घर पाईप लाइन से पेयजल पहुंचाकर राहत प्रदान की। विमला देवी ने पंचायत में चिकित्सा सुविधाओं को दुरूस्त करने के लिए भी ज़रूरी कदम उठाए। ग्राम कोलसिया में सामुदायिक चिकित्सालय स्वीकृत हो रखा था किन्तु भवन निर्माण के लिए पर्याप्त जगह न मिलने की वजह से एक पुराने मकान में इस चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा था। विमला देवी ने ग्राम पंचायत के पास पहले से उपलब्ध भूमि के पास वाली भूमि के मालिक को भामाशाह के रूप में पोत्साहित किया तथा भूमिदान कराकर उसको स्वास्थ्य विभाग को सुपुर्द कर दिया ताकि सामुदायिक चिकित्सालय का भवन तैयार हो सके तथा पंचायत के लोगों को चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। भवन निर्माण के लिए बजट आवंटित हो चुका है तथा निर्माण कार्य भी जल्द ही आरंभ होने वाला है। मुख्यमंत्री जल स्वाबलंबन योजना के तहत गरीब व ज़रूरतमंद परिवारों का चयन कर 50 से अधिक जलकुण्डों का निर्माण करवाया जिससे परिवार अपनी आवश्यकतानुसार जल ग्रहण कर पानी की समस्या से निजात पा सकते हैं। साथ ही साथ गरीब परिवारों का चयन कर उन्हे कैटल शेड बनवाकर दिए जिसके निर्माण ग्राम पंचायत के माध्यम से राजकीय फंड से करवाया गया। इससे गरीब परिवार अपने पशुधन की सुरक्षा कर पा रहे है। 
        
ग्राम कोलसिया में उच्च जलाशय से पेयजल पहुचाने के लिए घर-घर पाईप लाइन बिछाने के लिए आम रास्तों पर बनी सड़कों को तोड़ा जिसके फलस्वरूप रास्ते काफी बेकार हो गए थे। महिला सरपंच ने प्रयास कर विधायक कोष व अन्य स्रोतों से स्वीकृतियां लेकर रास्तों को ठीक करवाया। गांव के गरीब परिवारों को सुकन्या एवं उज्जल योजना तथा बच्चों को पालनहार योजना से जोड़कर राहत प्रदान की। ग्राम कोलसिया को शहरी तर्ज पर विकसित करने के लिए ग्राम गौरव पथ स्वीकृत करवाया। जिससे मुख्य रास्ते के पक्का होने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। गांव में गंदे पानी की निकासी के लिए पक्की नालियों का निर्माण करवा रही हैं। इसके अलावा रास्तों पर एलईडी बल्ब लगाने की योजना को स्वीकृति प्राप्त हुई है। पंचायत में लोगों को विधवा पेंशन, विकलांग जन पेंशन व वृध्दावस्था पेंशन से जोड़ने का प्रयास निरंतर जारी है। इसी तरह का एक जीता जागता उदाहरण झुन्झुनू ज़िले की नवलगढ़ तहसील के बाय पंचायत की महिला सरपंच श्रीमती तारादेवी पूनिया का है। तारादेवी को पंचायत में लोग उनके काम की बदौलत जानते हैं। स्नातक तक पढ़ी-लिखी होने के कारण महिला सरपंच अपने अधिकारों और कर्तव्यों को भलीभांति जानती हैं। इस कारण महिला सरपंच पंचायत में विकास के कार्यों को एक नया आयाम दे रही हैं। 
          
सरपंच का पद ग्रहण करने के बाद सबसे पहले महिलाओं के हितों के लिए कार्य करना शुरू किया। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए ग्रामीण महिलाओं की स्वयं एवं उनके बच्चों को शिक्षा के प्रति चेतना जागृत करने के लिए मिशन भाव से कार्य आरंभ किया। तारादेवी का यह अभियान जनचेतना का सैलाब बनकर आगे बढ़ने लगा जिसका परिणाम पंचायत के राजकीय विद्यालयों स्कूलों में बच्चों के शत-प्रतिशत नामांकन व उपस्थिति के रूप में सामने आया। सरकारी स्कूलों की दिन प्रतिदिन गिरती हुई स्थिति को देखकर तारादेवी ने अपने नेतृत्व के बल पर स्कूलों की स्थिति को बदलने के कड़े प्रयास किए। इस प्रयास का परिणाम सत्र 2016-17 के  परीक्षा परिणामों में साफ दिखाई दिया। इस परीक्षा परिणाम में पूरे झुन्झुनु ज़िले में शत-प्रतिशत परिणाम के साथ-साथ वाणिज्य वर्ग में सर्वाधिक 93 प्रतिशत अंक लाने वाली विद्यार्थी गांव के राजकीय विद्यालय की थी। इस प्रकार तारादेवी ने अपनी कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से सरकारी स्कूलों में बच्चों के गिरते नामांकन को न सिर्फ रोका बल्कि शानदार रिजल्ट के माध्यम से नई उंचाईयों तक भी पहुंचा दिया। शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने के बाद इनका ध्यान ग्रामीण अशिक्षित और बेरोज़गार पुरूषों पर गया जो बेकारी के कारण शराब, चिलम, गांजा जैसी नशे की प्रवृत्ति के आदी हो रहे थे। तारादेवी ने लोगों को जागरूक कर गांव में शराबबंदी करवायी व पंचायत को शराबमुक्त कर झुन्झुनू ज़िले में एक महिला प्रतिनिधि के रूप में अपनी सफलता के झंडे गाड़े। पंचायत में अपराधी तत्वों पर लगाम लगाने के लिए तारादेवी ने एक नई पहल करते हुए आम रास्तों एवं मुख्य चैक पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए ताकि अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सके। तारादेवी की इस पहल की ज़िला प्रशासन ने खूब प्रशंसा की और अपराधों पर पूर्णतया नियंत्रण संभव हो सका। 
            
विकास की राह पर आगे बढ़ते हुए महिला सरपंच सदैव इस बात के लिए चिंतन करती रहतीं कि पंचायत में लोगों की आमदनी का स्तर कैसे बढ़ाया जाए। इसी दौरान महिला सरपंच के दिमाग में एक बात आई कि पंचायत की ज़्यादातर महिलाएं सुबह ही घर का काम करने के बाद 11 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक बिल्कुल खाली रहती हैं। इस समय का उपयोग कर पंचायत की महिलाएं अपनी आमदनी बढ़ा सकती हैं। महिला सरपंच ने यह भी सोचा कि महिलाओं को इस तरह का ही कार्य मिलना चाहिए जिसको वह घर पर रहकर ही कर सकें। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए महिला सरपंच ने पंचायत में स्वयं सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को बुन्दी-बंधेज, रंगाई-छपाई, सिलाई, पशुपालन व डेयरी आदि कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया। इसी का ही नतीजा है कि आज पंचायत की ज़्यादातर महिलाएं किसी न किसी काम धंधे में लगकर अपनी आजीविका कमा रही हैं। तारादेवी ने अपनी पंचायत में नरेगा के तहत नए-नए काम करवाए जिसमें बड़ी तादाद में महिलाओं व पुरूषों को रोज़गार मिला। महिला सरपंच की कोशिशों से ही परिवार की आमदनी का स्तर बढ़ा। इस प्रकार स्वरोज़गार की जानकारी प्राप्त कर ग्रामीण महिलाएं नये-नये व्यवसायों से जुड़कर अपने परिवार की आर्थिक मज़बूती प्रदान करने लगीं।
         
अनिता सिंह ने भी अपनी पंचायत में अपने कामों की बदौलत एक अलग मकाम बनाया हुआ है। अनिता सिंह छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के अम्बिकापुर ब्लाक के रजपुरीखुर्द ग्राम पंचायत की सरपंच हैं। सरपंच के पद पर यह उनका दूसरा कार्यकाल है। पहली बार वह 2010 में जबकि दूसरी बार 2015 में सरपंच चुनी गईं। सरपंच के पद पर दो बार चुने जाने के कारण उन्हें अपने पंचायत के कार्योें की अच्छी जानकारी है। पंचायत में आंगनबाड़ी केंद्रो का निर्माण कराया। 3 आंगनबाड़ी केंद्रो का निर्माण पूरा हो चुका है तीन का कार्य प्रगति पर है जबकि एक के लिए शासन को प्रस्ताव जा चुका है।  प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 20-25 लोगों को आवास दिलवाया। दैनिक जीवन की आवश्यकताओं व पीने के पानी के लिए 27 हैंडपंप लगवाए। दिलचस्प बात यह है कि पंचायत को शौचमुक्त बनाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र के अंर्तगत पंचायत में लड़कियों का एक समूह है जो खुले में शौच करने वाले लोगों पर 100 रूपये जुर्माना डालता है। इस समूह में पंचायत की छह लड़कियां हैं जो सुबह सात बजे से लेकर आठ बजे तक पंचायत में ऐसे लोगों पर निगरानी रखती हैं जो खुले में शौच करते हैं। इस समूह को गांव के लोग आरेंज कमांडो के नाम से जानते हैं। आरेंज कमांडों समूह में शामिल पूनम कहती हैं कि-‘‘ हमारे इस समूह में कुल छह लड़कियां हैं। हम खुले में शौच करने वाले लोगों पर सौ रूपये जुर्माना डालते हैं। इस कारण लोग हमसे डरते हैं। हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि हमारी पंचायत में अब खुले में शौच करने वाले लोग खत्म हो चुके हैं। इस दस्ते के लिए ज़्यादातर बोलने वाली लड़कियों का चयन आंगनबाड़ी केंद्र के ज़रिए किया जाता है। इसके अलावा पंचायत को शौच मुक्त बनाने में सरपंच का बड़ा योगदान रहा है। उनके ज़रिए पंचायत में अब तक 540 शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है।’’
           
अनिता सिंह ने अपने कार्यकाल में पंचायत के हाडूरपारा मोहल्ले में प्राईमरी स्कूल व मोहल्ला घुटरापार में मीडिल स्कूल बनवाया है। इसके अलावा साल 2016 में राशन की दुकान का निर्माण कराकर उसको चालू कराया। रजपुरीखुर्द के मीडिल स्कूल की चारदीवारी करवायी। नरेगा के तहत गांव में पानी की निकासी के लिए 5 नालियों व मेढ़बदी का निर्माण कराया। पंचायत फंड से हैंडपंप के पास स्नान घरों का निर्माण कराया ताकि लोग आसानी से स्नान कर सकें। शादी-ब्याह के मौके पर ज़्यादा लोग होने की वजह से पंचायत भवन के पास शौचालयों का निर्माण कराया। इसके अलावा वर्षा जल संरक्षण के लिए पंचायत में एक तालाब को गहरा कराया। आज कल तालाब के पानी का इस्तेमाल पशुओं के पीने व कपड़े धोेने में होता है। पंचायत में प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया। 127 लोगों का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रतिक्षा सूची में शामिल है जिसमें से 10 लोगों को आवास मिल चुका है। अनिता सिंह के कामों के बारे में पंचायत की एक एमए पास लड़की विध्यवाशनी यादव का कहना है कि-‘‘ अनिता सिंह ने पंचायत में विकास के बहुत सारे काम किए हैं। आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कराने के साथ-साथ पंचायत में पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण कराया। मनरेगा के तहत लोगों को रोज़गार से जोड़ा। इन्होंने महिला होते हुए भी पूर्व सरपंच के मुकाबले बहुत ज़्यादा काम किया है।’’

पारिवारिक ज़िम्मेदारी के बावजूद नीलू पैंकरा अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी अंजाम दे रही हैं। नीलू पैंकरा छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के अम्बिकापुर ब्लाक के रनपुरखुर्द ग्राम पंचायत की सरपंच हैं। राज्य में 2015 के पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में महिला आरक्षित सीट होने की वजह से इन्हें सरपंच बनने का मौका मिला। परिवार व गांव वालों ने उन्हें सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। नीलू पैंकरा ने 5 महिला प्रतिद्वंदियों को हराकर सरपंच की सीट हासिल की। नीलू पैंकरा के कार्यकाल में पंचायत में एक 150 मीटी सीसी रोड का निर्माण मज़ार से लेकर मोहल्ला सरनापारा तक किया गया। पंचायत में पानी की भारी किल्लत थी । पंचायत में ज़्यादातर आबादी उंचाई पर स्थित होने की वजह से बोरिंग करने में बहुत दिक्कत होती है। लिहाज़ा निचले में बोरिंग कराकर पंचायत के लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाई। पीने के पानी के लिए दो हैंडपंप लगवाए। ग्राम पंचायत के मोहल्ला बेनीपुर से तकरीबन पूरे अंबिकापुर को बांक नदी पर बने प्लांट से पानी मिलता है। मगर रनपुरखुर्द ग्राम पंचायत को अभी तक इस प्लांट से पानी नसीब नहीं हुआ है। पंचायत में 3 आंगनबाड़ी बिल्डिंग का निर्माण हो चुका है जबकि एक अभी भी निर्माणाधीन अवस्था में हैं। तकरीबन पौने पांच सौ शौचालय का निर्माण कराकर पंचायत को शौचालय मुक्त बनाने के लिए लगातर प्रयासरत हैं।
         
एक बात सच है कि पंचायती राज व्यवस्था के चुनाव में महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण से महिलाओं की स्थानीय शासन में सहभागित ज़रूर बढ़ी है। बहुत सी महिलाएं इस आरक्षण का लाभ उठाकर स्थानीय शासन में काफी अच्छी भूमिका निभा रही हैं। वास्तव में कमला देवी, तारादेवी पूनिया, अनिता सिंह व नीलू पैंकरा स्थानीय शासन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाकर वास्तव में आरक्षण उद्देश्य सार्थक कर रही हैं। 




(गौहर आसिफ)

विशेष आलेख : दुष्कर्मियों के लिए बना फांसी का फंदा

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देश में बढ़ते जा रहे दुष्कर्म मामलों के विरोध में बड़ी कार्रवाई करते हुए केन्द्र सरकार ने दोषियों को फांसी की सजा देने का अभूतपूर्व निर्णय लिया है। इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंजूरी देकर कानून की मान्यता दे दी है। राष्ट्रपति द्वारा इस अध्यादेश की मंजूरी देने के बाद यह देश भर में लागू हो गया। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद दुष्कर्म करने वालों को कड़ी सजा देना संभव हो सकेगा। सवाल यह आता है कि संस्कारित भारत देश में इस प्रकार के अपराध की प्रवृति कैसे पैदा हो रही है? ऐसा वातावरण बनाने के पीछे वे कौन से कारण हैं, जिसके चलते समाज ऐसे गुनाह करने की ओर कदम बढ़ा रहा है। गंभीरता से चिंतन किया जाए तो इसके पीछे अश्लील साइटों का बढ़ता प्रचलन ही माना जाएगा, क्योंकि वर्तमान में मोबाइल के माध्यम से हर हाथ में इंटरनेट है। भारत में पोर्न साइटों के देखने का प्रतिशत बढ़ने से यही कहा जा सकता है कि समाज का अधिकांश वर्ग इसकी गिरफ्त में आता जा रहा है। इसके अलावा इसके मूल में छोटे परदे पर दिखाए जाने वाले षड्यंत्रकारी धारावाहिक भी हैं।

कहा जाता है कि सात्विकता ही संस्कारित विचारों को जन्म देती है, जो सात्विक कर्म और सात्विक खानपान से ही आ सकती है। हम सात्विक रहेंगे तो स्वाभाविक है कि हमारे मन में बुरे कामों के लिए कोई जगह नहीं होगी। लेकिन आज हमारे कर्म बेईमानी पर आधारित हैं, कई परिवार बेईमान के पैसे से उदर पोषण करते हैं। हम जान सकते हैं कि ऐसे लोगों की मानसिकता कैसी होगी? जिसका चिंतन ही बुराई के लिए समर्पित होगा, वह अच्छा काम कर पाएगा, ऐसी कल्पना बहुत कम ही होगी। इन्हीं कारणों से भारत में संबंधों की मर्यादाएं टूट रही हैं। इन्हीं मर्यादाओं के टूटने से दुष्कर्म की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं के बाद राजनीति की जाना बहुत ही शर्मनाक है।

वर्तमान में दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर कांगे्रस सहित विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से जिस प्रकार से तीव्रतम विरोध किया जा रहा है, वह केवल राजनीतिक षड्यंत्र ही कहा जाएगा। देश में उनकी सरकार के समय भी ऐसे अनेक वीभत्स कांड हुए हैं, लेकिन देश में जब निर्भया दुष्कर्म की वीभत्स घटना हुई उस समय पूरा देश विरोध में था, लेकिन कांगे्रस के बड़े-बड़े नेता निर्भया मामले में विरोध करने के लिए आगे नहीं आए। इस मामले के बाद कांगे्रस की सरकार ने कठोर कानून भी बनाया, लेकिन उस कानून के बाद भी देश में दुष्कर्म की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, इतना ही नहीं उस समय पिरोधी दलों के नेताओं ने दुष्कर्म तो चलते रहते हैं, ऐसे भी बयान दिए। आज वही कांगे्रस के नेता कह रहे हैं कि थाने जाओ तो पूछा जाता है कि कितने आदमी थे। आज कठुआ मामले में कांगे्रस को इसका दर्द समझ में आ रहा है।

वास्तव में दोनों मामलों को देखकर यही कहा जा सकता है कि कांगे्रस की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। उसकी सरकार होती है तब उनकी कार्यशैली अलग प्रकार की हो जाती है, लेकिन जब विपक्ष में होते हैं तब पूरा आरोप सरकार पर लगा देते हैं। हालांकि यह बात सही है कि सरकार को अन्याय को समाप्त करने के लिए मजबूती के साथ प्रयास करने चाहिए, लेकिन कांगे्रस ने ऐसा अपनी सत्ता के समय क्यों नहीं किया। आज कांगे्रस ऐसे बयान दे रही है कि जैसे उनके शासनकाल में सब ठीक था, लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद पूरा देश खराब हो गया। अभी हाल ही में भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वर्तमान में दुष्कर्म के मामलों का ज्यादा ही दुष्प्रचार किया जा रहा है। बात सही भी है जिन मामलों में देश के नीति निर्धारकों को शर्म आना चाहिए, उन मामलों पर राजनीति की जा रही है, कांगे्रस की भूमिका को देखकर यही कहा जा सकता है कि बुरा जो देखन में चला, बुरा न मिलया कोय, जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय। जब हम किसी पर आरोप लगाते हैं तो हमें अपना भी अध्ययन करना चाहिए, कि हम किस देश के निवासी हैं, उस देश के संस्कार क्या हैं? ऐसे मामलों में सरकार का साथ देने की बजाय हम राजनीति करने लगते हैं, क्या यह शर्म की बात नहीं है?
इसलिए ही राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा हर बार कहा जाता है कि जब तक भारत में बुरी बातों का प्रचार बंद हो जाएगा और अच्छी बातों का सकारात्मक प्रचार किया जाएगा, उस दिन समाज अच्छी राह पर चल सकता है। हर दिन समाचार माध्यमों में समाज द्वारा किए गए बुरे कामों को ही प्रचारित किया जाना वर्तमान का फैशन बन गया है। हमारे देश के समाचार माध्यमों को भी सोचना चाहिए कि बुरी बातों का प्रचार कभी अच्छा नहीं हो सकता। इस देश में अच्छे भी काम हो रहे हैं, अच्छे कामों को प्रचारित किया जाएगा तो देश का मानस बदल सकता है। यह सत्य है कि एक बुराई को सौ बार बोला जाए तो वह सत्य जैसा प्रतीत होने लगता है, और समाज के सामने उसका अच्छा पक्ष नहीं आने के कारण वह सच को विस्मृत करने लगता। ऐसे में उसे बुराई का तो ध्यान रहता है, लेकिन सच क्या है, इसका पता नहीं होता।

अब देश में एक ऐसा कानून बन गया है कि 12 साल की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा दी जाएगी। इस मामले में सरकार ने अपना काम कर दिया है, इससे सरकार की मंशा भी स्पष्ट हो जाती है कि वह दुष्कर्मियों से कठोर कानून से निपटना चाहती है। लेकिन सबसे बड़ा सच तो यह है कि हमारे देश में मात्र कानून बना देने से ही अपराध समाप्त नहीं हो सकते, इसके लिए समाज का जागरुक होना भी जरुरी है। कानून का पालन करना समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी है। कानून का भय पैदा होना चाहिए। अब जिम्मेदारी अधिकारियों और समाज की है कि वह कानून का उपयोग करते हुए देश से दुष्कर्म जैसे अन्याय को समाप्त करने की दिशा में पहल करे। नहीं तो यह कानून भी पहले की तरह ही केवल कानून बनकर रह जाएगा।




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सुरेश हिन्दुस्थानी, पत्रकार
लक्ष्मीगंज, लश्कर ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
मोबाइल-09770015780
(लेखक वरिष्ठ स्तंभ लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

बिहार : 20 हजारी घर चूता है तब कैसे रहेंगे?

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डूमर. जिला कटिहार में है समेली प्रखंड. इस प्रखंड में है पंचायत डूमर.इस पंचायत की मुखिया हैं रानी कुमारी. मुखिया रानी कुमारी के कार्यक्षेत्र में बकिया पोआरी मुसहरी टोला व  बकिया पश्चिमी टोला मुसहरी स्थित है. इन मुसहरियों की अंधेरी रात की सुबह कब होगी? बकिया पश्चिमी टोला मुसहरी में एक बीघा जमीन है. इस पर 100 घर निर्मित है.यहां की करीब जनसंख्या 700 है.केवल जन ही 4 मैट्रिक उर्तीण किए हैं.सबसे पहले मंटू ऋषि ही मैट्रिक पास करके रिकॉड बनाये हैं.कुछ दूरी पर कामास्थान है प्राथमिक विघालय.यहां पर महादलितों ने अपने-अपने बच्चों का नामांकन करा दिए हैं. इन बच्चों की संख्या करीब 150 है, इनमें केवल 15 बच्चे विघालय जाते हैं. बकिया ग्राम पंचायत के वार्ड नम्बर -12 में महादलित मुसहरों की जनसंख्या अधिक है.बहुतायत संख्या के बल पर लगातार तीन चुनाव में मुसहरों की ही जीत हुई है. अव्वल वर्ष 2006 में सत्यजीवन ऋषि, वर्ष   2011 में रामलाल ऋषि और वर्ष 2016 में बहादुर ऋषि वार्ड सदस्य बनें. वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि कहते है कि मुसहरी में वर्ष 1999-2000 में दौरान सरकार की ओर से 20 हजारी 90 घर बना. अब तो स्थिति यह बन गयी है कि मात्र:18 साल में ही 20 हजारी मकान चूने लगा है. यहां के लोगों का कहना है कि मामूली बरसात होने के बाद भी पानी टपकने लगता है.करवटे बदलते सारी रात गुजर जाती है. अधिक झमाझम बारिश होने पर रतजंगी करनी पड़ती है. इसके बाद 45 हजारी 10 घर बना है.इसमें 75 प्रतिशत अधूरा है.पन्नी तानकर लोग रहते हैं.

पूर्व वार्ड सदस्य रामलाल ऋषि कहते हैं कि इनके कार्यकाल में  2011-2016 के बीच में करीब 60 शौचालय बना है.बेहतर ढंग से नहीं बनने के कारण बाल-बच्चों के साथ सभी खुले में शौच करने जाते हैं. स्वच्छ भारत मिशन व लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत सर्वें का कार्य जारी है. आगे वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि कहते हैं कि मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत कामास्थान के पास जलापूर्ति केंद्र निर्माण किया गया है.दो जगहों पर जल भंडारण करने की पक्की व्यवस्था है.वहीं हर घर नल का जल के तहत पाइपों का समायोजन कर दिया गया है. बाजाप्ता सुनील कुमार मंडल को ऑपरेटर सह जलापूर्ति केंद्र की देखरेख में रखा गया है.ऑपरेटर सुनील कुमार मंडल कहते हैं कि पटना में जाकर साक्षात्कार भी दे चुके हैं.कहते हैं कि डेढ़ साल हो गया है जलापूर्ति केंद्र का निर्माण कार्य संपन्र किये.केवल एक बार ही मशीन स्टार्ट करके टेस्ट किया गया. इसके बाद डेढ़ साल से मशीन चालू नहीं की गयी.पूर्व वार्ड सदस्य रामलाल ऋषि कहते हैं कि जलापूर्ति केंद्र सफेद हाथी बन गया है.सीएम नीतीश कुमार के कुशल शासन को दागदार किया जा रहा है. आगे कहते है कि शुरूआती दौर में 15 लोग दूषित पानी,दूषित भोजन व दूषित वातावरण के चलते डायरिया की चपेट में आकर दम तोड़ दिये.किसी को भी कबीर अंत्येष्ठी योजना से लाभ नहीं मिला.फिलवक्त मुसहरी में 15 चापाकल है. 5 सरकारी है और 10 व्यक्तिगत है.पिछले 4 साल से डायरिया नहीं हो रहा है.यह वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि का कहना है.साफ-सफाई पर खासा जानकारी दी गयी.स्वच्छ भोजन व पेयजल लेने पर बल दिया गया. वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि ने सीएम नीतीश कुमार से निवेदन किया है कि सबसे पहले बासगीत पर्चा निर्गत करवाने का आदेश दें. वर्ष 1999-2000 के दौरान निर्मित जर्जर 20 हजारी घर को तोड़कर इंदिरा आवास योजना से मकान बनाने की स्वीकृति प्रदान किया जायं.डेढ़ साल से बंद जलापूर्ति केंद्र को चालू किया जायं.अब भी आवासीय भूमिहीन हैं उनको चिंहित कर 10 डिसमिल जमीन दी जायं.
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