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आलेख : मेक इन इंडिया की सार्थकता बदहाल बुनियादी ढ़ाचे में क्या संभव है?

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धर्म की नगरी क्योटों की तर्ज पर शिव की नगरी काशी सहित कई नगरों में स्मार्ट सिटी व बुलेट टेªन के सपनों को पंख लगे है। मतलब साफ है मोदी के ये शुरुवाती आगाज एक बेहतर कल की ओर इशारा कर रहे है। इन सबके बावजूद जनता की सबसे बड़ी डिमांड महंगाई पर काबू पाना सरकार को चुनौती के रुप में लेनी ही होगी, क्योंकि यह आम आदमी की गरीबी से जुड़ा सवाल है। आंकड़ों की बाजीगरी में कहा जा रहा है कि पिछली सरकारों की तुलना में महंगाई वृद्धि दर घटी है, लेकिन जनता तो केवल इतना देखती है कि बाजार में उसकी झोला व जेब कितनी हल्की हो रही है। मोदी अपने मेक इन इंडिया नारे को साकार करना चाहते है तो उन्हें सबसे पहले देश के बदहाल बुनियादी ढ़ाचे को दुरुस्त करना होगा। जापान द्वारा भारत में अगले 5 वर्ष में 35 अरब डाॅलर के निवेश समझौता करना बहुत बड़ी कामयाबी है। ये भी सच है कि भारत में विश्वस्तरीय बुनियादी ढ़ाचा तैयार करने के लिए जापान के पास तकनीक है, संसाधन है, अनुभव है और इच्छाशक्ति भी है, लेकिन क्या भारत भ्रष्टाचार लालफीताशाही ओर पारदर्शिता के अभाव को समाप्त करने के लिए तैयार है? अब जब जापान ने हथियारों के निर्यात संबंधी खुद पर आरोपित प्रतिबंध हटा लिया है तो इससे प्रतिरक्षा क्षेत्र में भारत के लिए नई संभावनाएं खुल गई है।  

बेशक, प्रधानमंत्री जिस तरह देश में छाएं तमाम संकटों से उबारने के लिए एक के बाद एक सफलता हासिल कर रहे है या की है, वह काबिले तारीफ है। चाहे विदेश नीति रही हो या फिर देश की सुरक्षा या फिर लालफीताशाही की जकड़न से लेकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व डब्ल्यूटीओं के समझौतों से इनकार मोदी की व्यावहारिक सोच व सकारात्मक दृष्टिकोण का परिचायक है। रोजगार का सवाल उद्योगों व निर्माण की बढ़ोत्तरी से जुड़ा है, जिसकी शुरुवात जापान की सफल यात्रा से हो चुकी है। आधारभूत संरचना के विकास के साथ-साथ नयी कार्य संस्कृति की बहाली, रोजगार सृजन व कौशल निर्माण का जो वादा मोदी ने किया था वह पूरा होता नजर आ रहा है। धर्म की नगरी क्योटों की तर्ज पर शिव की नगरी काशी सहित कई नगरों में स्मार्ट सिटी व बुलेट टेªन के सपनों को पंख लगे है। मतलब साफ है मोदी के ये शुरुवाती आगाज एक बेहतर कल की ओर इशारा कर रहे है। पांच दिवसीय जापानी दौरा भारत के लिए कई मायनों में काफी लाभदायक रहा, लेकिन असैन्य परमाणु समझौते की दिशा में सहमति न हो पाना जरुर खटकाने वाला है। हो सकता है पड़ोसी देशों व संयुक्त राष्ट संघ के किन्हीं कानूनी कायदों से ऐसा फिलवक्त फौरी तौर पर न हो पाया, पर उम्मींदे अब भी बरकरार है। इन सबके बावजूद जनता की सबसे बड़ी डिमांड महंगाई पर काबू पाना सरकार को चुनौती के रुप में लेनी ही होगी, क्योंकि यह आम आदमी की गरीबी से जुड़ा सवाल है। इन हालातों के बीच अमेरिका केन्द्रित एकध्रुवीय विश्व के बरक्स बहुध्रुवीय दुनिया रचने की दिशा में भारत-जापान मैत्री का यह नया अध्याय महत्वपूर्ण साबित होगा।
  
जापान का प्रौद्योगिक कौशल व पूंजी प्रबंधन भारत के विनिर्माण क्षेत्र को वह जरुरी गति दे सकता है, जिसके बूते मोदी का विश्व बाजार को भारतीय सामानों से पाटने का सपना देखा है। बात सिर्फ निवेश की मात्रा और उसकी प्रकृति या फिर द्विपक्षीय व्यापारिक हितों की वृद्धि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत आध्यात्मिक रिश्ते को मजबूती प्रदान करने का भी काम किया है। क्योटो की तर्ज पर काशी को विकसित करने की योजना बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। हालांकि दकियानूसी विचारधारा व मानसिकता वाले ताना मार कह रहे है-हुंह बड़े आएं काशी को क्योटो बनाने वाले! काशी को उसके हाल भी छोड़ दे तो मेहरबानी होगी। लेकिन यहां सवाल यह है कि काशी में सिर्फ दो-चार व्यंगकार ही नहीं रहते। काशी बड़ी आबादी वाला शहर है और मोदी को इसी विश्वास के साथ काशीवासियों ने अपनाया कि वह सालों पुरानी काशी को विश्व के मानचित्र पर पर्यटक के क्षेत्र में पहचान दिलायंगे। इस देश का युवा मोदी को चाहता है और उनके राग में राग मिलाया तो सिर्फ इसलिए कि वह भारत को उंचाईयों तक ले जाने में एक सार्थक कोशिश करेंगे। जो अब नयी संचार क्रांति के रुप में दिखने लगा है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि जब राजीव गांधी ने संचार के क्षेत्र में मोबाइल, लैपटाॅप आदि की लाॅचिंग कराकर भारत को 21वीं सदी का सपना दिखाया था तब भी यही दकियानूसी मानसिकता वाले बड़ी विरोध दर्ज कराएं, लेकिन आज आप देख सकते है बगैर लैपटाॅप मोबाइल आदि के मानों जीवन अधूरा है। विकास के रास्ते अगर हम क्योटो से सीखना व लेना चाहते है तो इन्हें पता नहीं क्यूं मिर्ची लग रही है। हम गंगा को मां कहते है, लेकिन उसके पानी को इतना गंदा करके रखते है कि भक्ति भाव हटा दे ंतो पांव रखने में भी हिचक होती है। ऐसे में अगर जापान या यूरोप के देशों से यह सीखा जा सके कि उद्योगों और बड़े शहरो के कचरे के बोझ से गंगा को मुक्त कैसे मुक्त किया जा सकता है तो इसमें कैसा अहंकार? काशी जिस प्रकार रंग-बिरंगे मेलों, उत्सवों व त्यौहारों की नगरी है, उसी प्रकार यहां से हजारों किमी दूर जापान का क्योटो शहर भी मेलों व उत्सवों का मुरीद है। त्योहारों और मेलों की थाती समेटे काशी की आभा को गंगा की धारा चमकाती है तो क्योटो भी त्योहारों और मेलों को अपने में समेटे है। एक बात और क्योटो में गोजन आकुरिवी उत्सव में बेकार पड़ी वस्तुओं को घर से दूर ले जाकर अग्नि को समर्पित कर दिया जाता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे यहां दीपावली में ‘दरिद्दर’ खेदना और होलिका का दहन। काशी के लक्खा मेलों को लें तो यहां की चेतगंज की नक्कटैया, तुलसीघाट की नाग नथैया, नाटी इमली का भरत मिलाप और रथयात्र का मेला अपने से जोड़ता है ठीक वैसे ही क्योटो में अवोई मत्सुरी, जियोन मत्सुरी, जिदाई मत्सुरी और गोजन आकुरिवी जैसे उत्सव-पर्व वहां के लोगों को अपने से बांधे रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जापान से समझौते के मर्म में छिपी धार्मिक पृष्ठभूमि नवीन अनुभूतियां तो देगीं ही। 

काशी के लोगों का कहना है कि धार्मिक समानता में दोनों शहर इतने करीब हैं तो वहां की तकनीकी यहां के श्रद्धालुजन को स्वयं उनकी ही धारा में, विचारधारा में ‘ज्ञान विज्ञान’ के लाभ से निःसंदेह लाभान्वित करेगी। क्योटो जिस प्रकार तकनीक, परंपरा और उत्सवों की त्रिवेणी से उन्नत है उसी प्रकार काशी उत्सवों व ‘विद्याओं’ से समुन्नत है। वैसे भी जापान के ऐतिहासिक शहर व पूर्व राजधानी क्योटो को शानदार और रमणीक शहर बनाने में विद्यार्थियों व आम युवाओं की भूमिका अहम रही है। काशी के छात्र-युवा भी अपने शहर की साज-संभाल में अपनी भूमिका को साबित करने को आतुर हैं। मां गंगा के लिए हुए आंदोलन में छात्र-छात्रओं की सक्रियता इस बात का प्रमाण है कि वे अपनी काशी के लिए भी कहीं से पीछे नहीं रहेंगे। जरूरत पड़ी तो गंगा निर्मलीकरण संग शेष शहर की सफाई से भी जुड़ेंगे। भौगोलिक विषमताओं के बावजूद क्योटो और काशी में धार्मिक समानता तो है ही। वहां से आने वाली तकनीक, विशेषज्ञता नया तेवर देगी ही। रही बात स्कूली बच्चों की तो हमारे बच्चे अपनी मां गंगा और शहर की शुचिता के लिए कहीं से पीछे नहीं थे और न रहेंगे। बस उन्हें दिशा देने की जरूरत है। काशी का उत्थान काशी के ज्ञान से है। ईंट-पत्थरों से नहीं। विद्वतजनों द्वारा ही काशी विश्वगुरु का रुतबा पा सका था। गीता में तो इसका संपूर्ण प्रमाण है। भगवान कृष्ण की वाणी श्रीमद् भागवत गीता की तमाम टिकाएं की गई हैं लेकिन यथार्थ गीता में यथार्थ को दर्शाया गया है। काशी की मिठाईयां, बुनकरी, प्रसिद्ध व एतिहासिक मंदिर व स्मारकों के बाबत विस्तृत जानकारी दी गई है। यहां के कुंड व तालाब आदि की महत्ता का भी उल्लेख किया गया है। 

’जापान ने अहमदाबाद-मुंबई मार्ग के लिए हाई स्पीड रेलवे ‘शिंकानसेन सिस्टम’ का निर्माण करने, पीपीपी ढांचागत परियोजना के लिए इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (आईआईएफसीएल) को 50 अरब येन (47.9 करोड़ डॉलर) का ऋण जापान की विदेशी विकास सहायता (ओडीए) के तहत देने, पश्चिमी समर्पित माल परिवहन गलियारा (डीएफसी), दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा रूडीएमआईसी और चेन्नई-बेंगलूरू औद्योगिक गलियारा रूसीबीआईसी जैसी चालू महती परियोजनाओं की प्रगति और इनके क्रियान्वयन में तेजी लाने की प्रतिबद्धता, उर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, भारत और जापान वैश्विक तेल व प्राकृतिक गैस बाजार में रणनीतिक गठबंधन को और उच्च स्तर पर ले जाने, अत्यधिक कार्यकुशल व पर्यावरण अनुकूल कोयला चालित बिजली उत्पादन प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में सहयोगव दुर्लभ अर्थ क्लोराइड्स की आपूर्ति एवं विनिर्माण के लिए एक वाणिज्यिक अनुबंध पर महत्वपूर्ण समझौता भारत के लिए काफी लाभदायक साबति होगा। भारत में इलेक्ट्रानिक्स औद्योगिक पार्कों की स्थापना, कंपनियों ने निवेश प्रोत्साहनों के साथ ‘जापान औद्योगिक टाउनशिप’ एवं अन्य औद्योगिक टाउनशिप विकसित करने, टाउनशिप सेज, राष्ट्रीय निवेश व विनिर्माण क्षेत्र (निम्ज) जैसे क्षेत्रों के लिए मौजूद नीतिगत ढांचे से किसी मायने में कमतर नहीं होंगे।

हालांकि लोग जब मोदी सरकार के 100 दिन में तीन बार पेट्रोल के दाम कम करने के साथ ही साल में 12 सिलेंडर कभी भी लेने की छूट, जन-धन योजना में बैंक अकाउंट खुलवाकर गरीबों के लिए बचत की दिशा में कारगर कदम उठाया जाना, स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रेन का करार, नागपुर मेट्रो की आधारशिला, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड में बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन लाइन की बड़ी योजना शुरू करने, विदेशों में जमा काले धन को लाने के लिए एसआईटी का गठन, जजों की नियुक्ति के लिए चले आ रहे कॉलेजियम सिस्टम की जगह 6 सदस्यों वाला न्यायिक आयोग का गठन आदि को एक सराहनीय काम बताते है। यह मोदी के कामकाज ही नतीजा है कि उनके द्वारा लाल किले की प्राचीर से घोषित जनधन योजना की बारीकियों को जबतक लोग समझ पाते दो हफ्ते के अंदर वह शुरु भी हो गया और पहले ही दिन पौने 2 करोड़ खाते खुलने का रिकार्ड तो बना ही, देश को संदेश गया कि अब लालफीताशाही की मनमानी नहीं चलेगी। इस सरकार में किसी भी मामले में तुरंत निर्णय करने की क्षमता है, जो अब तक नहीं हो पा रहा था। उसका काम करने का अंदाज अलग है। रायसीना हिल्स की कार्य संस्कृति में आएं बदलाव का ही नतीजा है कि जितने वक्त  में सरकारी फाइले पहले एक टेबल से दुसरे टेबल पर जाती थी, उतने समय में यहां परिणाम दिखने लगता है। सीमा पर चाहे सीजफायर का उल्लंघन का मामला रहा हो या जन धन योजना की शुरुवात। इन दोनों मामलों में सरकार ने तत्परता दिखाई है। दो टूक जवाब में कह दिया है कि अशांति के बीच समझौता संभव नहीं। लेकिन खटकाने वाला मामला यह है कि महंगाई के मुद्दे पर सरकार अभी तक कोई प्रत्यक्ष परिणाम नहीं दिखाई है। जबकि महंगाई पर नियंत्रण मोदी की प्राथमिकता है। हालांकि आंकड़ों की बाजीगरी में कहा जा रहा है कि पिछली सरकारों की तुलना में महंगाई वृद्धि दर घटी है, लेकिन जनता तो केवल इतना देखती है कि बाजार में उसकी झोला व जेब कितनी हल्की हो रही है। महंगाई में कोई खास कमी न आने की दशा में समाज के निचले तबके में निराशा छा रही है। मोदी को जान लेना चाहिए कि आम आदमी ने महंगाई व सपा के माफियाराज के उत्पीड़न से खींझकर ही यूपी में 73 सीटे दी है। आलू-प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करना सराहनीय है तो है लेकिन जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए यूपी सरकार पर निर्भर रहना घातक होगा, क्योंकि उसे लगता है कि महंगाई ही मोदी को यानी पार्टी को बेकफूट पर लायेगी। शायद यही वजह है टमाटर सहित सब्जियों के दाम आड़तियों की मनमानी के चलते आसमान छू रही है और इलाकाई सरकार तमाशबीन बनी है। 

सरकार के पहले बजट की आलोचना करने वाले भले ही उसे यूपीए के बजट की काॅपी बता रहे लेकिन उसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर स्पष्ट नीति है। देश में गरीब-वंचितों और निम्न मध्यम वर्ग के लिए सरकारी संरक्षण बड़ी जरुरत है। शायद इसीलिए सरकार ने विश्व व्यापार संगठन के उन तमाम समझौतों पर हामी भरने से इनकार कर दिया, जो देश के किसानों और गरीबो के हितों के लिए नुकसानदेह थे। अगस्त महीने में मारुति 29 फीसदी, हुंडई 19 फसीदी और होंडा 88 फीसदी ज्यादा बिकी है। मारुति ने अकेले करीब दस लाख कारें बेची हैं। नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा में असैनिक परमाणु सहयोग समझौते का संपन्न न होना एक कमी रही, तो इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि संभवतः इस देश के साथ रक्षा संबंधों को मिली मजबूती है। द्वितीय विश्वयुद्ध से जुड़े इतिहास के कारण जापान गुजरे दशकों में अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में रक्षा सौदों से दूर रहा, परमाणु हथियार हमेशा उसके लिए संवेदनशील मुद्दा रहे अब वह अपने उस अतीत से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है, तो उसका भारत के साथ रक्षा आदान-प्रदान सौदों और साझा रक्षा उत्पादन पर राय-मशविरे के लिए तैयार होना महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह अकारण नहीं है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने जापानी भूमि पर मौजूद रहते हुए यह टिप्पणी की कि विस्तारवाद की 18वीं सदी की मानसिकता आज भी दुनिया में नजर आ रही है। कुछ देश कहीं दूसरों की सीमा का अतिक्रमण, तो कहीं समुद्र में घुसपैठ कर रहे हैं स्पष्टतः ये बातें जापानियों को कर्णप्रिय लगी होंगी, क्योंकि इनसे स्वाभाविक रूप से जिस देश पर ध्यान जाता है, वह चीन है बहरहाल, जापान और चीन का पेंच ऐसा है, जो भारत के लिए भी बड़ी चुनौती है ये दोनों पूंजी और तकनीक समृद्ध देश हैं भारत अपने विस्तृत एवं संभावनापूर्ण बाजार के साथ इन दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मोदी की टिप्पणी से संदेश गया कि उनकी प्राथमिकता जापान से संबंधों को नए मुकाम पर ले जाना है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बहुत जल्दी जब उनका चीनी नेताओं से संपर्क होगा, तब वे इस पैगाम के संभावित असर को कैसे संतुलित करते हैं? फिलहाल, परमाणु सहयोग समझौते को छोड़ दें, तो यह साफ है कि जापान में अपने उद्देश्य में नरेंद्र मोदी कामयाब रहे हैं। अपनी एक यात्रा के बूते 5 सालों के लिए किसी देश से तकरीबन 35 अरब डालर निवेश हासिल करने करिश्मा कोई और प्रधानमंत्री अब तक नहीं कर पाया था। जापान ने भारत में अगले पांच वर्षों के दौरान 35 अरब डॉलर के निवेश का संकल्प जताया है। यह रकम भारत में स्मार्ट शहर विकसित करने, गंगा सफाई, तेज रफ्तार ट्रेनों को चालू करने और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में बदलाव लाने में काफी हद तक सफल होगी। मोदी अपने मेक इन इंडिया नारे को साकार करना चाहते है तो उन्हें सबसे पहले देश के बदहाल बुनियादी ढ़ाचे को दुरुस्त करना होगा। जापान द्वारा भारत में अगले 5 वर्ष में 35 अरब डाॅलर के निवेश समझौता करना बहुत बड़ी कामयाबी है। ये भी सच है कि भारत में विश्वस्तरीय बुनियादी ढ़ाचा तैयार करने के लिए जापान के पास तकनीक है, संसाधन है, अनुभव है और इच्छाशक्ति भी है, लेकिन क्या भारत भ्रष्टाचार लालफीताशाही ओर पारदर्शिता के अभाव को समाप्त करने के लिए तैयार है?

भारत और जापान के बीच घनिष्ठ होते रिश्ते को चीन पचा नहीं पाता है। चीन को लगता है कि दुश्मन से दोस्त की दोस्ती कहीं उसके लिए दूरगामी संकट का कारण न बन जाए। जापान और चीन की दुश्मनी जग जाहिर है। नरेंद्र मोदी से पहले जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जापान दौरे पर गए थे, तब भी चीन को यह काफी खला था और अब पीएम मोदी का जापान दौरा भी चीन के पेट में मरोड़ पैदा कर रहा है। भारत दरअसल जापान को एशिया में स्थिरता और शांति के लिए एक स्वाभाविक और अपरिहार्य भागीदार के तौर पर देखता है। इससे चीन को कोई परेशानी भला क्यों होनी चाहिए? याद होगा कि पूर्व पीएम मनमोहन के दौरे के समय जापान के पीएम शिंजो एबे ने अपील की थी कि चीन से मुकाबला करने के लिए जापान, इंडिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को मिलकर एक डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड बनाना चाहिए। जापान तभी से चीन की नजरों पर चढ़ा हुआ है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान दौरे में कुछ देशों की विस्तारवादी प्रवृत्ति विषयक टिप्पणी करके फिर से चीन को मिर्ची लगा दी है। जापान में अपने संबोधन में हालांकि मोदी ने किसी देश का नाम नहीं लिया है, लेकिन जिस प्रकार उन्होंने कहा कि दुनिया विस्तारवाद और विकासवाद की धारा में बंटी है और हमें तय करना है कि विश्व को विस्तारवाद के चंगुल में फंसने देना है या विश्व को विकासवाद के मार्ग पर ले जाकर नई ऊंचाइयों के अवसर पैदा करना है, इस टिप्पणी को चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है, जो भारत सहित जापान व वियतनाम आदि कई पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय सीमाई विवाद में उलझा हुआ है। लेकिन मोदी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जल्द ही नई दिल्ली यात्रा प्रस्तावित है। 

देखा जाए तो चीन शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पंचशील सिद्धांतों की हिमायत और अनुसरण का वादा तो करता है, लेकिन वास्तव में वह भारत सहित दूसरे देशों की सीमाओं में जब-तब अतिक्रमण कर विस्तारवाद में लगा रहता है। हालांकि ब्रिक्स सम्मेलन में भारत और चीन की पहल पर ही ब्रिक्स देशों को अपना खुद का विकास बैंक स्थापित करने में सफलता मिली है। माना जा रहा है कि इस बैंक के माध्यम से भारत-चीन रणनीतिक सहयोग के नए ऐतिहासिक युग का सूत्रपात करने जा रहे हैं। ऐसे में जापान का कांटा चीन को कभी पसंद नहीं आएगा। स्वाधीनता दिवस के दिन स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छा विचार था यदि सचमुच ऐसा हो सका तो एक अच्छी बात होगी प्रायः अन्य दूसरे नेता भी शौचालय अथवा सफाई की बात करते रहे हैं हालांकि वे यह सब कभी एक पिता जैसे भाव से कहते रहे हैं तो कभी दुःख व्यक्त करते हुए यदि और कुछ नहीं तो मोदी की एक बड़ी उपलब्धि साफ-सफाई के विषय को राजनीति और प्रशासन की मुख्यधारा में लाना रही है उन्होंने पूरी स्पष्टता, प्रतिबद्धता और एक चेतावनी वाले अंदाज में यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं किया कि कोई भी देश तब तक महान नहीं हो सकता, जब तक कि वह अपनी गंदगी को साफ नहीं करता उन्होंने पहले ही कह रखा है कि भारत की मुख्य विफलता बाजार की विफलता अथवा राज्य की विफलता नहीं है, बल्कि यह सामाजिक विफलता है यह विफलता तब और दुःखद नजर आती है, जब यह देश में लैंगिक हिंसा के तौर पर सामने आती है प्रधानमंत्री ने हमें ये बातें याद दिलाकर बहुत अच्छा काम किया यह प्रजातंत्रवादी मजबूत शासन की ताकत ही है कि चीजें अथवा कार्य उसी दिशा में हो रहे हैं। महंगाई से लड़ने के लिए कोई ठोस पहल न किए जाने को लेकर लोगबाग थोड़ा परेशान जरुर है, लेकिन सड़क, बिजली, बुनियादी ढांचे के लिए प्रयासरत रहना अच्छे संकेत है। भारत जिस एक बड़ी राजनीतिक चुनौती का सामना कर रहा है, वह है बढ़ती सांप्रदायिकता अधिक स्पष्ट रूप में उत्तर प्रदेश की समस्या सपा की देन है, लेकिन भाजपा भी इस राज्य के माहौल को सांप्रदायिक आधार पर ध्रवीकृत करने में पीछे नहीं है। 






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(सुरेश गांधी)

विशेष : शिक्षा पद्धति की रोचकता : प्रश्नों के माध्यम से बने

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पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर देश मे पहली बार प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी को यह ध्यान आया कि वह शिक्षंण संस्थाओं के माध्यम से विद्यार्थी वर्ग को उद्बोधन देते हुये कुछ दिशा निर्देश दें। कहने को बात छोटी है परन्तु यह छोटी सी बात भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात किसी प्रधानमन्त्री की समझ मे नही आई कि शिक्षा, शिक्षंण और छात्रों के लिये भी वह कुछ सारगर्भित कहें। नरेन्द्र मोदी जी के इस कदम से यह सन्देश अवश्य मिलता है कि शिक्षंा पद्धति एवं शिक्षंण व्यवस्था मे सुधार हेतु वह अवश्य कुछ करेंगे। राष्ट्र के निर्माण की नींव शिक्षा पद्धति पर आधारित रहती है। विद्यार्थी को जैसी शिक्षा मिलती है, वैसा ही राष्ट्र का निर्माण होता है। विद्यार्थी को हम कौन सी शिक्षा एवं किस माध्यम से दे रहे हैं, इस विषय पर अनेकों अनेक विद्वानों ने समय-काल और परिस्थितियों के परिवेश में अपने अपने मत व्यक्त किए हैं। लेकिन बिडम्बना तो यह है कि आज भी शिक्षा पद्धति मे सुधार की आवश्यकता है और भारत की स्वतंत्रता के 67 वर्षों के पश्चात भी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन व संशोधन की चर्चायें अब भी होती रहती हैं। आज भी यह समस्या है कि युवा पीढ़ी के समक्ष एक सुनिश्चित व परिपूर्ण शिक्षा की योजनाओं को हम परोस नही पा रहे हैं। बिडम्बना यह भी है कि शिक्षा देने में और शिक्षा लेेने में व्यवसायिक दृष्टिकोंण निर्मित हो चुका है। शिक्षा के विषयों मे ज्ञान एवं चरित्र निर्माण का महत्व न होकर व्यवसायिक शिक्षा का प्रचलन हो चला है। यहीं से पाश्चात्य शैली और उपभोक्तावाद का उद्भव हुआ है। जबकि भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ज्ञानार्जन पर महत्व दिया जाता रहा है। विश्व के महान दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति ने कहा है ‘‘क्या आप विद्यार्थी को यह सिखा रहे हैं, यह स्पष्ट रूप से अनुभव करते हुए कि सभी पेशाओं में शिक्षक का पेशा और कार्य महानतम है ? ये मात्र शब्द नहीं हैं वल्कि एक शाश्वत वास्तविकता है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। अगर आप इसकी सत्यता को महसूस नहीं करते तब आपको दूसरा पेशा अपना लेना चाहिये।’’ (शिक्षा केन्द्रों के नाम पत्र पृष्ठ क्र.19) प्रसंग से जुड़ते हुये कहना चाहूंगा कि शिक्षक, शिक्षण व शिष्य मे जब तक आपसी तालमेल और आस्थावान सम्बन्ध निर्मित नही होगे तब तक शिक्षा ग्रहण करने का कार्य पूर्णता को प्राप्त नही होगा। 

शिक्षा का तात्पर्य पाठ््क्रम के अनुसार कुछ किताबी ज्ञान होने तक ही सीमित नही है, बल्कि समझ-बूझ एवं व्यक्ति के अन्दर निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करना हैं। शिक्षा के विषय पर स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि शिष्य को गुरू के सम्पर्क मे रहने से ही सच्ची शिक्षा प्राप्त होती है। उन्होने 150 वर्ष पूर्व ही भारतीय विश्वविद्यालयों की कार्यशैली का अनुमान लगा लिया था, उनका कहना है कि भारत के विश्वविद्यालय छात्रों की परीक्षा लेने की संस्था के रूप मे स्थापित हो रहे हैं। इस परम्परा के चलते हम एक मौलिक व्यक्ति को पैदा नही कर पा रहे है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि वास्तविक आचार्य वे ही है जो अपने छात्र की मानसिकता मे उतरे हों, उन्होने अपने गुरू श्री रामकृष्ण परमहंस का दृष्टांत देते हुये कहा है कि जब पुष्प खिलता है तो मधुमक्खियां स्वंय ही उस पर मढ़राने लगतीं है और इसी तरह जब शिक्षक का चरित्र-रूपी पुष्प पूर्ण रूप से खिलने लगेगा तो छात्र स्वतः ही उसके पास शिक्षा लेने आ जायेगें। स्वामी विवेकानंद जी के इस विचार से यह सदंेंश मिलता है कि छात्र के चरित्र के साथ-साथ उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण शिक्षक का चरित्र है। हमे यह देखना है कि क्या शिक्षक के आचरण मे शिक्षंण की आत्मा और गुरू-तत्व का समावेश है या नही ? यदि शिक्षक का आचरण और चरित्र ही दूषित होगा तो हम यह अपेक्षा छात्र से कैसे कर सकते है कि उसके अन्दर शिक्षक के प्रति आस्था, विश्वास और सम्मान हो। बर्तमान समय मे भी हम देख रहे है कि विश्वविद्यालय नई-नई फेकल्टी का निर्माण करके उनके पाठ््क्रमों की घोषणा के बाद परीक्षा संचालन के कार्य तक सीमित रह गयें हैं। शिक्षंण और शिक्षा के व्यवहारिक एवं वास्तविक पवित्र कार्य विश्वविद्यालयों मे द्वितीयक हो गये है। जबकि भारतीय संस्कृति के अनुसार विश्वविद्यालय की परिकल्पना हम एक गुरू के रूप मे और विश्वविद्यालय के आधीन अध्यनरत छात्र की परिकल्पना शिष्य के रूप मे कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति मे गुरू-शिष्य परम्परा की प्रधानता हैं और सच तो यह है कि ज्ञान की प्राप्ति तभी होती है जब गुरू और शिष्य मे पवित्र सम्बन्ध हों।

पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई कराने के साथ-साथ शिक्षण संस्थाओं का प्राथमिक कार्य विद्यार्थियों में संस्कारों का निर्माण कराने का होना चाहिये। देश की युवा पीढ़ी और राष्ट्रनिर्माण, शिक्षा के अच्छे स्तर पर ही निर्भर है। समाज मे प्रत्येक स्तर पर नैतिक मूल्यों का हृास होने का कारण व्यक्ति के अन्दर आध्यात्मिकता का हृास होना है। जब कि इसके विपरीत राजनीति के विकृत और ओछेपन के स्वरूप के कारण धर्म के प्रति घृणां और धार्मिक पुस्तकों से दूरी बनाये रखने का जहर उगला जाता है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री ए. आर. दबे ने ठीक ही तो कहा है कि विद्यार्थी को कक्षा एक से ही गीता पढ़ाई जानी चाहिये। गीता का अध्यन किये बिना तथा-कथित आधुनिकतावादियों ने जस्टिस ए.आर. दबे का बिरोध करना प्रारम्भ कर दिया। भारत की शिक्षा पिित मे भले ही वैदिक पाठ्क्रम का बिरोध होता हो लेकिन सन् 1856 मे स्थापित अमेरिका की स्वायत्त केथोलिक सेटन हाल यूनिवर्सिटी मे सभी छात्रों के लिये गीता पढ़ना अनिवार्य है। शिक्षा पद्धति मे मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता हैं। शिक्षित होने से तात्पर्य सिर्फ इतना भर नही हैं कि कुछ चुनिंदा किताबों का हमने अध्ययन कर लिया अथवा अपनी आय अर्जित करने का साधन प्राप्त कर लिया। वस्तुतः शिक्षित होना तभी माना जा सकता है जब कि विद्यार्थी का बहुमुखी विकास हो जो समग्र मानव के निर्माण से जुड़ा हुआ हो। जागृत विवेक का स्वरूप व्यक्ति के अन्दर जब निर्मित हो जाये, तभी उस व्यक्ति को शिक्षित होना कहा जा सकता हैं। शिक्षित होने के कुछ प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेने पर भी यदि विवेक-शून्यता रही तो इससे बेहतर अशिक्षित बना रहना ही अच्छा हैं। सामान्यतया यह देखने मे आ रहा हैं कि शिक्षंण संस्थानों मे विद्यार्थी और शिक्षक के मध्य दूरियां बनी रहती हैं जिसके कारण शिक्षक और शिक्षा का अप्रत्यक्ष भय विद्यार्थी के मन-मस्तिक मे बना रहता है। यह प्रक्रिया ठीक नही हैं। हम देखते हैं कि शिक्षक अपने ज्ञान और विद्वत्ता की छाप विद्यार्थी पर थोपने का प्रयास करता है और इसी कारण वह स्वंय को प्रत्येक स्तर पर उच्च समझता हैं। लेकिन इसका परिणाम यह होता है कि विद्यार्थी स्वंय को हीन समझने लगता हैं, परिणामतः उन दोनों के मध्य दूरियां बन जाती हैं। विद्यार्थी अपने आप को छोटा और निरीह समझने लगता हैं, जिस कारण से या तो वह जीवन भर चाटुकार बना रहता है या फिर अक्रामक। इस कारण विद्यार्थी के मन मे शिक्षक और शिक्षा के प्रति भय का कोई स्थान नही होना चाहिये।  विद्यार्थी को जब शिक्षक पढ़ाता है तो इसके साथ-साथ शिक्षक भी पढ़ता हैं और अपने व्यख्यान के साथ-साथ शिक्षा देने के स्तर मे वृ़िद्ध करता रहता हैं। क्या हम यह नही कह सकते की एक विद्यार्थी के माध्यम से शिक्षक ने  भी कुछ सीखा हैं ? दोनो ही ओर कुछ सीखने और जानने की प्रक्रिया चलती रहती हैं और शिक्षक एवं विद्यार्थी, दोनो मे सहज रूप से ज्ञान का प्रस्फुटन होता हैं तथा यह प्रस्फुटन भी अत्यन्त आवश्यक हैं अन्यथा शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ किसी रोजगार तक सीमित रह जायेगा। हम यह देख रहे है कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ धनार्जन्य तक सीमित हो जाता हैं और इस कारण हमारे दैनिक व्यवहारिक जीवन मे असन्तुलन आ जाता हैं। अतः हमे विद्यार्थी के समग्र विकास और विवेक के जागरण की ओर ध्यान देते हुये शिक्षा के उद्देश्य को पूर्ण करना हैं 
      
वस्तुतः व्यक्ति के समग्र विकास के लिए मूल तत्व है- ‘‘ज्ञान प्राप्त करने की उत्कंठा’’ अर्थात कुछ जानने की लालसा। जब मन में कुछ जानने की उत्कंठा होगी, तभी तो अपने अंदर प्रश्नों का निर्माण होगा। परन्तु इसके विपरीत यदि कुछ जानने की इच्छा ही नहीं है तो ज्ञान मिल ही नहीं सकता है। हम सामान्यतया अपने व्यवहारिक जीवन में देखते हैं कि सुबह उठते ही चाय की चुस्की के साथ अखबार पढ़ने की लालसा रहती है। प्रश्न यह है कि क्यों पढ़ रहे हैं अखबार ? सीधा सा जबाब यही है कि हमारे स्थानीय क्षेत्र, प्रदेश व देश में व्यतीत हुए दिन को क्या-क्या कार्य व घटनायें घटित हुई हैं, उनकी जानकारी हांसिल कर ली जाये। जन्म होते ही शिशु के चेहरे पर एक भाव उत्सुकता का यह रहता है कि ‘‘मैं कहां हूं ?’’ वह बोल नहीं पाता लेकिन प्रश्नवाचक नजरों से व्यक्त करता है कि ‘‘यह सब क्या है, आप कौन हैं, मैं कौन हूं ?’’ प्रश्नों की अनकही बौछार यहीं से प्रारम्भ होती है। अर्थात ज्ञान के लिये नैसर्गिक रूप से पहले प्रश्न उत्पन्न होते हैं, और उसके बाद फिर उत्तर का निर्माण होता है। किसी चीज के बारे में जानना एक नैसर्गिक गुंण है। यदि प्रश्नों के उत्पन्न होने वाले इस नैसर्गिक गुंण का किसी व्यक्ति में अभाव है तो निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि उस व्यक्ति का समग्र विकास नहीं हो पा रहा है। क्योंकि उसमें कुछ जानने की लालसा ही नहीं है। ऐसी स्थिति में शिक्षण संस्थाओं का दायित्व और अधिक बड़़ जाता है। 

हमें आज एक ऐसी शिक्षा पद्धति की आवश्यकता है, जिसके माध्यम से विद्यार्थियों में प्रश्न पूछने की कला को विकसित किया जा सके। कक्षा में जब तक विद्यार्थियों मे अंदर से प्रश्न उत्पन्न नहीं होंगे तब तक उनमें ज्ञान नहीं भरा जा सकता। प्रश्नों की प्यास ज्ञान रूपी गंगा से ही बुझेगी और यदि प्यास ही नहीं है तो पानी पीने का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है। प्रश्न, अर्थात जानने की उत्कंठा। मूल सिद्धांत है ज्ञानार्जन के लिए प्रश्न का होना आवश्यक है। लेकिन बड़े मजे की हास्यास्पद बात तो यह है कि हमारी शिक्षा पद्धति एवं पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा देने की प्रक्रिया सीधा उत्तर बताने से ही प्रारम्भ होती है। कक्षा में प्रवेश करते ही विद्यार्थी के अंदर जब कोई प्रश्न ही नहीं है तो पढ़ाई के नाम पर उत्तर कैसा ? उसे पढ़ाई के नाम पर सिर्फ उत्तर ही उत्तर रटाये जा रहे हैं। बार बार उसे ज्ञान घोंट कर पिलाया जाता है। सबसे पहले उसे उत्तर पढ़ाया जा रहा है फिर उसी के आधार पर प्रश्नों का निर्माण किया जाता है। बिना प्रश्न के उत्तर फिर उत्तर में से प्रश्न बनाओ और फिर रट लो इसके बाद उसी उत्तर को लिख दो। यह तो शिक्षा की बिल्कुल उल्टी प्रक्रिया हुई। यह तो शिक्षा पद्धति का शीर्षासन है। यह तो ठीक उसी तरह हुआ जैसे किसी खाली डिब्बे का ढक्कन ऊपर से बंद है और उस डिब्बे पर आंख बंद किए घी डालते जा रहे हैं। डिब्बे के अंदर घी जा ही नहीं पा रहा है और जब बाद में देखा कि डिब्बा खाली का खाली है। अर्थात हमें विद्यार्थी के अंदर उस विषय वस्तु से संबंधित प्रथमतः एक ऐसी उत्कंठा निर्मित करना होगी जिससे कि शिक्षक के समक्ष प्रश्नों की बौछार होने लगे और फिर उत्तर के रूप में ज्ञान का प्रवाह हो सके। शिक्षा संस्थानों में एक ऐसी शिक्षा पद्धति की योजना बनायी जानी चाहिये जिससे कि विद्यार्थी में प्रारम्भकाल से ही ज्ञान अर्जित करने की उत्कंठा जागृत हो सके, जिससे कि वह अधिक से अधिक प्रश्न पूंछे। शिक्षा ग्रहण करने में प्रश्नों की रोचकता माध्यम बने।    

 


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लेखक- राजेन्द्र तिवारी, 
अभिभाषक, छोटा बाजार दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
नोट:- लेखक एक वरिष्ठ अभिभाषक एवं राजनीतिक, सामाजिक विषयों के समालोचक हैं। 

आलेख : बबुआ से महंगा न हो जाए झुनझुना...!!

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तब हमारे लिए​'देश 'का मतलब अपने पैतृक गांव से होता था। हमारे पुऱखे जब - तब इस 'देश  ' के दौरे पर निकल जाते थे। उनके लौटने तक घर में आपात स्थिति लागू रहती । इस बीच  किसी आगंतुक के पूछने पर हम मासूमियत से जवाब देते... मां - पिताजी तो घर पर नहीं हैं...। वे देश गए हैं। बार - बार के इस देश - दौरे पर  व्यापक मंथन के बाद हम इस  निष्कर्ष पर पहुंचे कि पैतृक गांव में जो  अपनी कुछ पुश्तैनी जमीन है, उसी की देख - रेख और निगरानी के लिए हमारे पुरखे जब - तब दौरे पर  निकल पड़ते हैं। हालांकि उनके वैकुंठ गमन के बाद  हिसाब लगाने पर हमें माथा पीट लेना पड़ा। क्योंकि कड़वी सच्चाई सामने यह थी कि भारी प्रयास के बाद यदि वह कथित संपत्ति हाथ आ भी जाए, तो इसकी निगरानी के लिए दौरे पर जितना खर्च हुआ , उससे कहीं कम पर शायद नई जमीन खरीद ली जाती। कथित विदेशी पूंजी निवेश व उद्योग - धंधों की तलाश में राजनेताओं के बार - बार के विदेश दौरे को देख कर पता नहीं क्यों मेरे मन में बचपन की एेसी ही यादें उमड़ने - घुमड़ने लगते हैं। 

एक राज्य का मुख्यमंत्री विदेश से लौटा नहीं कि दूसरे प्रदेश का मुख्यमंत्री विदेश रवाना हो गया। सब की एक ही दलील कि अपने राज्य में निवेश की संभावनाएं तलाशने के लिए साहब फलां - फलां देश के दौरे पर जा रहे हैं। दौरे सिर्फ मुख्यमंत्री ही करते हैं , एेसी बात नहीं। उनके कैबिनेट के तमाम मंत्री व अधिकारी भी विदेश दौरे की संभावनाएं तलाशते रहते हैं। कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश के दंगों में झुलसने के दौरान राज्य सरकार के कई मंत्रियों की यूरोप यात्रा के बारे में जान कर मैं हैरान रह गया था। यात्रा हुई तो पूरी ठसक से और तय कार्यक्रम के तहत ही मुसाफिर अपने सूबे को लौटे। हालांकि कई दूसरे अहम  सवालों की तरह यह प्रश्न भी अनुत्तरित ही रह जाता है कि इन दौरे से क्या सचमुच उन प्रदेशों को कुछ लाभ होता भी  है। दौरों पर होने वाले खर्च की तुलना में संबंधित राज्य को कितना लाभ हुआ , यह सवाल आखिर पूछे कौन, और पूछ भी लिया तो जवाब कौन देगा। दौरों  का आकर्षण सिर्फ उच्च स्तर पर यानी मुख्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री स्तर पर ही है, एेसी बात नहीं। 

समाज के निचले स्तर के निकायों में भी इसके प्रति गजब का आकर्षण है। साफ - सफाई के प्रति जवाबदेह नगरपालिकाओं के पदाधिकारी भी इस आधार पर विदेशी दौरे पर निकल पड़ते हैं कि फलां - फलां देशों में जाकर वे देखना चाहते हैं कि वहां साफ - सफाई कैसे होती है। यही  नहीं ग्राम व पंचाय़त स्तर तक में दौरों का आकर्षण  दिनोंदिन बढ़ रहा है। ठेठ देहाती जनप्रतिनिधि भी पंचायत में कोई पद पाने के बाद दूर प्रांत के दौरे पर निकल पड़ते है। इस बीच उनके समर्थकों में भौंकाल रहती है कि ... भैया सेमिनार में भाग लेने हैदराबाद गए हैं, अब गए हैं तो तिरुपति बाबा के दर्शन करके ही लौटेंगे। बेशक बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए एेसे दौरे जरूरी हों , लेकिन हमारे नेताओं को इस बात का ख्याल भी जरूर रखना चाहिए कि उनके दौरे कहीं जनता के लिए बबुआ से महंगा झुनझुना ... वाली कहावत चरितार्थ न करे । 






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल) 
जिला पशिचम मेदिनीपुर 
संपर्कः 09434453934
​​लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं। 

बिहार : अपनी लाडली बेटी की खोज में परेशान पिता

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  • 11 दिनों के बाद भी 5 वर्षीय अंजलि कुमारी मिली नहीं

mahadalit lost daughter, police scilent
पटना। मां और बेटी काफी खुश थे। आखिर खुशी क्यों न हो? मां जीतनी देवी अपनी माता से बेटी अंजलि नानी से मिलने जा रही थीं। 25 अगस्त को मां-बेटी बिहटा जंक्शन से 8 बजे ट्रेन पर चढ़कर पटना जंक्शन पर उतर गयी। दोनों जोलीमूड में रहें। महज 2 घंटे की प्रशंसन्नता के बाद वातावरण गमगीन हो गया। किसी फिल्मी स्टोरी की तरह पटना जंक्शन पर मां और बेटी बिछड़ गए। इस बिछड़न से अवश्य ही मां और बेटी विलाप करने को मजबूर हो गए। जो 11 दिनों से जारी है। 

हुआ यह कि पटना जिले के बिहटा प्रखंड के राद्योपुर पंचायत में स्थित बिहटा बंगला मुसहरी में रहने वाले समन मांझी की लाडली बेटी अंजलि कुमारी बिछड़ गयी हैं। समन मांझी और जीतनी देवी के तीन बच्चियां हैं। परेशान और हलकान पिता समन मांझी कहते हैं कि उनकी पत्नी जीतनी देवी मैयके जा रही थीं। अपने साथ बेटी अंजलि कुमारी को भी साथ ले ली। 25 अगस्त को बंगला मुसहरी स्थित घर से निकली। वह बिहटा जंक्शन जाकर रेल पर चढ़ गयी । पटना जंक्शन पर उतर गयीं। मैयके सजनपुर मसाढ़ी, फतुहा जाने के पहले जंक्शन पर घुमने लगे। नानी के घर जाने के पहले अंजलि कुमारी घुमने के लिए मचलने लगी थीं। जो बिछड़ने का कारण हो गया। गौर करने वाली बात है। 5 वर्षीय बेटी का हाथ पकड़कर मां चल रही थीं। दोनों हाथ पकड़कर चल रहे ही रहे थे। इस बीच भीड़ के कारण मां-बेटी की हाथ छुट गयी। आज भी लाडली बेटी परिवार से दूर ही हैं।

अपनी लाडली बेटी अंजलि कुमारी की तस्वीर लेकर पिता समन मांझी भटक रहे हैं। अव्वल श्सुराल सजनपुर मसाढ़ी, फतुहा गए। ससुर का नाम रामाशीष मांझी हैं। इसके बाद बदलाचक मुसहरी,परसा गए। लोहानीपुर, पटना के बाद दीघा मुसहरी शबरी काॅलोनी आ गयी। यहां पर समन मांझी के चचेरी बहन बसंती देवी रहती हैं। समन मांझी दुखित हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को गुलाबी रंग के सलवार और कुर्ती पहनी 5 वर्षीय अंजलि कुमारी नामक बच्ची मिले। आप विक्राता कुमार के मो. 9931126082 पर सूचित कर दें। 



आलोक कुमार
बिहार 

18 सितम्बर को ’’किसान, मजदूर, आदिवासी संसद ’’ टिकरी में

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टोकेां-रोकों-ठोंकों क्रांतिकारी मोर्चा के आयोजकत्व में 3 सितम्बर को ग्राम कमचढ मंे एक बैठक संपन्न हुई। बैठक में आर्यन पावर जनरेसन कंम्पनी भुमका के लिए किये गए भू-अर्जन से प्रभावित किसान, जे.पी. पावर कंम्पनी निगरी के लिये किये गए भू-अर्जन से प्रभावित किसान तथा अन्य कई गाॅवों के प्रमुख लोग उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक श्री उमेश तिवारी ने की। बैठक में उपस्थित लोगों द्वारा कथित विकाश के नाम पर किसानों की लूट मंे शासन प्रशासन तथा उद्योगपतियों की सांठ-गांठ पर चिंता प्रगट की गई। साथ ही ग्रामीण विकास की योजनायें जो भ्रष्टाचार के चलते अपने उदेश्य को प्राप्त नहीं कर पा रही उस पर भी अपशोस प्रगट किया गया।  बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा बार-बार झॅूठ बोलकर किसानों को धोखा दिये जाने की भी निन्दा की गई। इस संबंध में चर्चा के दौरान कहा गया कि मुख्य मंत्री द्वारा पिछले साल आतिवृष्टि के कारण फसल नुकसानी पर सभी किसानों को आर्थिक सहायता देने को कहा गया लेकिन सहायता राशि नही दी गई। 

इस वर्ष अवर्षा के कारण सियारी की  फसल बर्बाद हो चुकी है लेकिन अभी तक सीधी जिले को सूखा ग्रस्त घोषित नही करके किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है। म.प्र. सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा किसानांे मजदूरों गरीबों के साथ किये जा रहे धोखे एवं लूट के विरोध, में आम लोगों की क्या भूमिका हो इस संबंध में निर्णय किये जाने हेतु बैठक में सर्वसंम्मत निर्णय किया की 18 सितम्बर 2014 को गा्रम टिकरी में (विकलांग विद्यालय के पास) ’’किसान, मजदूर, आादिवासी संसद’’ की जाय तथा आयोजित संसद में आगे के संघर्ष पर निर्णय किया जाय। ’’किसान , मजदूर, आदिवासी संसद’’ की तैयारी व्यवस्था हेतु एक 15 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया। जो इस प्रकार है, शिवकुमार सिंह, भूपेन्द्र कुशवाहा , डाॅ. धनन्जय मिश्रा, जगन्नाथ जायसवाल, पंकज द्विवेदी , सालिक द्विवेदी, सोभई यादव ,विजय बहादुर सिंह, राजेश कुशवाहा, नेत्रलाल गुप्ता, मुनिमहेश , महावीर सिंह(मूसामूड़ी), शिवकुमार कुशवाहा,महावीर सिंह(भुमका),राजेश द्विवेदी। 

अलकायदा भारत में शुरू करेगा अपनी ईकाई

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Al-Zawahiri
आतंकवादी संगठन अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी ने एक वीडियो संदेश में पूरे दक्षिण एशिया में 'जिहाद का झंडा बुलंद'करने के उद्देश्य से अपने आतंकवादी संगठन की एक भारतीय ईकाई बनाने की घोषणा की है। 'बीबीसी'की बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट पर डाली गई 55 मिनट की इस वीडियो में जवाहिरी ने अफगान तालिबान सरगना मुल्ला उमर को नए सिरे से वफादारी निभाने का वचन दिया है।


जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का गठन करने की घोषणा अरबी और उर्दू दोनों भाषाओं में की। जवाहिरी ने कहा, "भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का गठन बर्मा, बांग्लादेश और भारतीय राज्य असम, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर में रहने वाले मुसलमानों के लिए एक अच्छी खबर होगी, जहां उन्हें अन्याय और उत्पीड़न से बचाया जाएगा।"

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मुंबई से शुरू किया भारत दौरा

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tony albert
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने अपना भारत दौरा मुंबई से शुरू किया। वह गुरुवार सुबह देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई पहुंचे। वह पूरे दिन यहां रहेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। उनके साथ 30 व्यवसायियों का प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया हुआ है। एबट सबसे पहले होटल ताज गए, जहां उन्होंने वर्ष 2008 में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से मुलाकात की। वह मुंबई विश्वविद्यालय के छात्रों से भी मुखातिब होने वाले हैं।

एबट होटल ताज में देश के शीर्ष उद्योगपतियों केएक समूह के साथ दोपहर का भोजन करेंगे। बाद में वह टाटा समूह के साइरस मिस्त्री और अडाणी समूह के गौतम अधिकारी सहित कुछ कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) से भी मुलाकात करेंगे। वह भारतीय क्रिकेट क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में देश के युवा क्रिकटरों से भी मिलने वाले हैं। इस मौके पर सचिन तेंदुलकर के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर एडम गिलक्रिस्ट और ब्रेट ली भी मौजूद होंगे।

एबट का प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहला भारत दौरा है। उम्मीद की जा रही है कि उनके इस दौरे के दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच परमाणु सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर हो सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री शुक्रवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे।

आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी विजयवाड़ा

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vijayawada-new-capital-of-andhra-pradesh
आंध्र प्रदेश की नई राजधानी विजयवाड़ा होगी। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। नायडू ने विधानसभा में बताया कि सरकार ने राज्य के मध्य हिस्से में विजयवाड़ा के पास राजधानी विकसित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में निर्णय एक सितंबर को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने यह कहकर चंद्रबाबू नायडू के फैसले का विरोध किया है कि उन्होंने इस मुद्दे पर उनसे परामर्श नहीं लिया। इसी बीच नायडू ने कहा, "सरकार ने राज्य के विकेंद्रीकृत विकास के लिए तीन मेगा शहर और 14 स्मार्ट शहर बनाने का निर्णय लिया है।"

नायडू ने कहा कि मंत्रिमंडल ने नई राजधानी बनाने के लिए लैंड पुलिंग सिस्टम का निर्णय लिया है। यह प्रणाली मंत्रिमंडल की उपसमिति के जरिए काम करेगी। मुख्यमंत्री ने 20 पन्नों के बयान में राजधानी के चुनाव का यह कहकर बचाव किया कि विजयवाड़ा राज्य के बिल्कुल बीच में स्थित है और यह सभी जिलों की पहुंच में है। राज्य के तीनों क्षेत्रों के विकास के लिए उन्होंने सरकार द्वारा प्रस्तावित उपायों की घोषणा की। 

विजयवाड़ा हैदराबाद से 300 किलोमीटर दूर और कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाला शहर विजयवाड़ा राज्य का बृहद व्यवसायिक केंद्र है।  जून महीने में मुख्यमंत्री बनने के बाद नायडू ने संकेत दिया था कि आंध्र प्रदेश की राजधानी विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच होगी। मुख्मंत्री ने कहा कि तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार राज्य के सभी 13 जिलों के चहुंमुखी विकास के लिए कृत संकल्प है।

बिहार : 9 नवनिर्वाचित विधायकों ने ली शपथ

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Bihar Assembly
बिहार विधानसभा उपचुनाव में 10 नवनिर्वाचित विधायकों में से नौ विधायकों ने गुरुवार को शपथ ली। विधानसभा परिसर में नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। एक अधिकारी के मुताबिक, शपथ लेने वालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चार, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तीन, जनता दल (युनाइटेड) के दो और कांग्रेस के एक विधायक शामिल हैं।

शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई अन्य मंत्री और नेता उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने 21 अगस्त को 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में राजद, जद (यू) और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था और यह गठबंधन छह सीटों पर विजयी रहा, जबकि भाजपा गठबंधन को चार सीटों पर जीत मिली। भाजपा, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी। 

बिहार : दवा खरीद गड़बड़ी, मांझी ने कहा, होगी कार्रवाई

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Jitan Ram Manjhi
बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को कहा कि दवा खरीद गड़बड़ी मामले के दोषियों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस वर्ष जनवरी से सितंबर तक 60.63 करोड़ रुपये की दवा खरीद में 14.4 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि जांच रिपोर्ट की समीक्षा के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

स्वास्थ्य विभाग ने गड़बड़ी को स्वीकार करते हुए दोषियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात कही है। स्वास्थ्य विभाग के उपसचिव अनिल कुमार ने जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में तीन गड़बड़ियां सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट में काली सूची की कंपनियों से दवा खरीदने, अधिक दर पर दवा खरीदने और राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा तय दर से अधिक दर पर दवाएं खरीदने की बात सामने आई है। 

कुमार ने बताया कि बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) के निदेशक प्रवीण किशोर और स्वास्थ्य विभाग के पूर्व संयुक्त सचिव संजीव कुमार समेत नौ अधिकारियों को गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार माना गया है। उल्लेखनीय है कि दवा खरीदी में गड़बड़ी के मामले सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 52 दवाएं अधिक दर पर खरीदी गईं। इस खरीद में तीन ऐसी फार्मा कंपनियों को भी शामिल किया गया, जो पहले से काली सूची में थी। ऐसे में क्रय समिति में शामिल सभी लोगों से जवाब मांगा गया है। उधर, स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कहा कि दवा खरीद गड़बड़ी मामले में शामिल सभी अधिकारियों और फार्मा कंपनियों के खिलाफ 48 घंटे के अंदर कार्रवाई की जाएगी। 

आईपीएल से क्रिकेट का भला नहीं : बॉथम

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इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज इयान बॉथम का मानना है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से क्रिकेट का भला नहीं होने वाला है और इसे बंद कर देना चाहिए। लॉर्ड्स के मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) में आयोजित क्रिकेट काउड्रे व्याख्यान में बॉथम ने बुधवार को कहा कि आईपीएल 'सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग को बढ़ावा देने के लिए बिल्कुल उपयुक्त माहौल देता है'। बॉथम ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से आईपीएल में हुए खेल भ्रष्टाचारों में संलिप्त कुछ बड़े नामों को सामने लाने के लिए कदम उठाने के लिए भी कहा।

बॉथम ने कहा, "वास्तव में मैं आईपीएल को लेकर चिंतित हूं। मेरे विचार से आईपीएल का आयोजन नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे विश्व क्रिकेट की प्राथमिकताएं प्रभावित हुई हैं। आईपीएल के लिए खिलाड़ी गुलाम की तरह हैं।"उन्होंने कहा, "आईपीएल के आगे खेल प्रशासन तक झुक जाता है। आईपीएल में हर साल पूरे दो महीने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, लेकिन उन्हें विश्व क्रिकेट में लाने वाले उनके अपने देश के खेल संघों को फूटी कौड़ी का लाभ नहीं होता।"

अमेरिकी ओपन : मिश्रित युगल के फाइनल में पहुंचीं सानिया

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भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और उनके ब्राजीलियाई जोड़ीदार ब्रूनो सोरेस की शीर्ष वरीय जोड़ी ने बुधवार को वर्ष के आखिरी ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट अमेरिकी ओपन के मिश्रित युगल के फाइनल में प्रवेश कर लिया। सानिया ने करियर में फाइनल में अमेरिकी ओपन के फाइनल में प्रवेश किया। इसके अलावा सानिया ने मंगलवार को करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराते हुए अमेरिकी ओपन के महिला युगल के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया।

सानिया और सोरेस की जोड़ी ने बुधवार को हुए सेमीफाइनल में चिनी ताइपे की चान युंग जान और इंग्लैंड की रॉस हचिंस की जोड़ी को संघर्षपूर्ण मुकाबले में 7-5, 4-6, 10-7 से हराया। सानिया और सोरेस की जोड़ी 41 मिनट तक चले पहले सेट में जीत हासिल करने के बाद दूसरे सेट में बिल्कुल पटरी से उतरी नजर आई और ब्रेक के किसी भी अवसर का लाभ नहीं उठा सकी।

तीसरे सुपर टाई ब्रेक सेट में भी शीर्ष वरीय जोड़ी को जीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। अंतत: सानिया-सोरेस की जोड़ी ने डेढ़ घंटे तक चले मुकाबले में जीत हासिल कर फाइनल में प्रवेश कर लिया। फाइनल में उनका मुकाबला अमेरिका की एबिगेल स्पीयर्स और सैंटियागो गोंजालेज की गैर वरीय जोड़ी से होगा।

नौसेना में शामिल हुआ गश्ती पोत आईएनएस सुमित्रा

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भारतीय नौसेना में गुरुवार को पूर्णत: स्वदेश निर्मित अपतटीय गश्ती पोत आईएनएस सुमित्रा को शामिल कर लिया गया। इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के.धोवन ने कहा कि भारत के पूर्वी समुद्र तटों की गश्ती में यह पोत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। धोवन ने कहा कि पूर्वी नौसेना कमान के तहत यह पोत बंगाल की खाड़ी और पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने में कारगर साबित होगा। 

नौसेना प्रमुख ने कहा, "भविष्य की नौसेना का ब्ल्यू प्रिंट पूरी तरह आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण पर निर्भर है। वर्तमान में सरकारी और निजी शिपयार्ड में 41 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं।"उन्होंने कहा, "यह बेहद गर्व की बात है कि दशकों बाद हम खरीदार नौसेना से निर्माता नौसेना में तब्दील हो गए हैं।"

105 मीटर लंबा, 13 मीटर चौड़ा और 2,200 टन विस्थापन वाला यह पोत 25 नॉट की रफ्तार हासिल कर सकता है। धोबन ने कहा कि कई वर्षो की मेहनत के बाद भारत ने विभिन्न शिपयार्ड में 120 युद्ध पोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और डिजायन किया है।

पत्रकारों की सुरक्षा बढ़ाए सरकारें : यूनेस्को

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इराका में सक्रिय इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सुन्नी आतंकवादियों द्वारा दूसरे अमेरिकी पत्रकार स्टीवन स्कॉटलॉफ की हत्या किए जाने के बाद यूनेस्को ने गुरुवार को सभी सरकारों से पत्रकारों की सुरक्षा बढ़ाने का आह्वान किया। यूनेस्को की महासचिव इरिना बोकोवा ने एक बयान में कहा है, "मैं स्टीवन की हत्या की घोर निंदा करती हूं।"

फ्लोरिडा के स्वतंत्र पत्रकार स्कॉटलॉफ (31) एक वर्ष पहले सीरिया में लापता हो गए थे। 3 सितंबर को उनकी सिर काट कर हत्या कर दी गई। उनकी हत्या से दो सप्ताह पहले आईएस ने अमेरिका के फोटो पत्रकार जेम्स फोली की हत्या कर दी थी। प्रवक्ता ने कहा, "वे जेम्स फोली की तरह ही बहादुर व्यक्ति थे और दुनिया को यह बताने चले थे कि सच क्या है।" 

शिक्षक दिवस पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन:

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  • गुरू-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है -संतोष गंगेले

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छतरपुर - शिक्षक दिवस गुरू की महत्ता बताने वाला प्रमुख्य दिवस है । भारत में शिक्षक दिवस पेत्येक बर्ष 5 सितम्बर को ही मनाया जाता है ।  शिक्षक का समाज में आदारणीय व सम्माननीय स्थान होता है ।  भारत के व्दितीय राष्ट्रपति डाॅक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने बाला शिक्षक दिवस एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है । शिक्षक उस समान है, जो एक बगींचे को भिन्न-भिन्न रूप-रंग के बृक्षों,पौधों को लगाकर उनमें उगने बाले फूल-फलों को उगाकर स्वयं खुषी होकर समाज व देष को खुषी, सुखी व विकाष से जोड़ता है । शिक्षक बच्चों के मन व विचारों को परिवर्तन करते हुये उन्हे काॅटों पर भी मुस्कुराकर चलने को प्रेात्साहित करने का साहक रखता है । गुरू-षिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है , जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं । लेकिन बर्तमान समय में कई ऐसे लोग भी है, जो अपने अनैतिक चरित्र, कारनामों और लालची स्वभाव के कारण शिक्षक समाज में कंलकित भी कर आघात पहुॅचाने में भी पीछे नही है । षिक्षा सभ्यता का प्रतीक ष्षव्द को बर्तमान में व्यापार समझकर बैचा जाने लगा है । ऐसे शिक्षकों को छात्र/छात्रायें या षिष्य भी अपने जीवन में गुरू का स्थान नही दे पाते है । जिस कारण शिक्षक को आर्थिक लाभ तो प्राप्त हो सकता है लेकिन सम्मान नही । 

उपरोक्त विचार गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के प्रान्तीय अध्यक्ष संतोष गंगेले ने षिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर रखें । उन्होने कहा कि बर्तमान में जो घटनायें प्रदेष व देष के अंदर देखने व सुनने में आ रही है जिसमें षिक्षक अपने पवित्र रिष्तों को कलंकित करते हुए  षिक्षा की आड़ में ष्षारीरिक और मानसिक ष्षोषण करने को अपना अधिकार मान बैठे है । किन्तु आज भी समाज में ऐसे  गुरू भी है , जिन्होने हमेषा समाज के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेष किए है । प्रत्येक युवा के जीवन में जीवन का दिषा देने बाले गुरू षिक्षक मिलते है । षिष्य को भी अपने गुरू व षिक्षक के बिचारों व चरित्र को परख कर ही षिक्षा ग्रहण करने का समय आ गया है । बचपन से ही गुरूओं व षिक्षकों का सम्मान देने की प्रेरणा हम आप को बच्चों को देना चाहिए । घर-परिवार व समाज में सम्मान देने व लेने की परम्पकरायें विघटित हो रही है उन्हे बचाने के लिए हम  सुधरेगें, युग सुधरेगा के विचार को प्रमुख्य स्थान देना होगा । 

गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के प्रान्तीय अध्यक्ष संतोष गंगेले ने अपने जीवन के अनुभव को ष्षामिल करते हुए कहा कि उनके अध्यापन में उनके गुरू-षिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान रहा जिस कारण बिषम परिस्थितियों में भी वह उच्च षिक्षा ग्रहण कर सके । इसी कारण वह हर बर्ष नौगाॅव क्षेत्र के  अपने गुरूजन व षिक्षकों को एक मंच के माध्यम से सम्मान देते आ रहे है । प्रत्येक व्यक्ति को अपने अपने गुरूजनों को सम्मान देने की परम्परा जारी रखना चाहिए । छात्र के जीवन में ्रपकाष लाने वाले ऐसे  षिक्षकों के लिए ही महापुरूषोां ने लिखा है कि-गुरू गोविंद दोउ खड़ंे काके लागू पाय । बलिहारी गुरू आपने गोविंद दिये बताय ।। इससे आगे गुरू के सम्मान के लिए लिखा है -गुरू ब्रम्हा, गुरू विंष्णु, गुरूदेंवों महेष्वरः । गुरूः साक्षत परब्रम्ह तस्मैः श्री गुरूवे नमः ।।    संसार के जो भी महापुरूष हुए है उन्होने गुरू की महिमा के कारण ही उच्च स्थान प्राप्त किया है कई ऋषि-मुनियों ने अपने गुरूओं से तपस्या की षिक्षा को पाकर जीवन को सार्थक बनाया । बर्तमान युग में गुरू-षिष्य की परम्पराऐं टूट रही है जो भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के पतन का कारण बन रही है इस बिषय को लेकर गुरू-षिष्यों को अपनी संस्कृति का अध्ययन कर जीवन जीने की कला सीखना होगी । 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (04 सितम्बर)

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नपा परिषद् 5 सितम्बर 2014 को शिक्षको का सम्मान करेगी। 

विदिशाः- प्रति बर्ष की परम्परा अनुसार विदिशा नगर पालिका परिषद् 5 सितम्बर को देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्णन के जन्म दिन शिक्षक दिवस पर नगर में उत्क्रष्टतम सेवाएंे देने वाले शिक्षिक एवं शिक्षिकाओं का सम्मान किया जा रही है। 5 सितम्बर 2014 दिन शुक्रवार सायंकाल 6 बजे बरईपुरा श्रीरामनगर स्थित कच्छी धर्मशाला  में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की मुख्य अथिति विदिशा जिले में पूर्व जिलाधीश रही श्रीमति सुधा चैधरी (आईएएस) होगी। शासकीय कान्या महाविधालय के प्राचार्य डाॅ. सतीश जैन और कार्यक्रम के अध्यक्ष होगें। तथा श्रीमति कमल चतुर्वेदी (प्राचार्य गवर्मेन्ट हायर सेकन्ड्री) एवं डाॅ. कृष्णदेव उपाध्याय (रिटायर प्रोफंेसर) इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि होगे। इस अवसर पर नगरपालिका में शिक्षा समिति के सभापति श्रीमति विनिता सौदान सिंह राय परिषद् के उपाध्यक्ष देवेन्द्र खुराना अध्यक्ष बहन ज्योति शाह तथा मुख्य नगरपालिका अधिकारी आर. पी. मिश्रा ने समस्त नागरिकों शिक्षको एवं विद्याथीयों से अधिक से अध्किा संख्या में कार्यक्रम में पहुचकर सफल बनाने की अपील की है। उक्त प्रेस विज्ञप्ति श्री मति विनिता सौदान ंिसह राय द्वारा जारी की गई है। 

आदर्श शिक्षक सम्मानित हुए, शिक्षक भावी पीढ़ी के निर्माता-सांसद श्री यादव
  • आदर्श शिक्षक पंडित चन्द्रमोहन शर्मा की स्मृति में हुआ शिक्षकों का सम्मान

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शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सिरोंज में आदर्श शिक्षक पंडित चन्द्रमोहन शर्मा की स्मृति में शिक्षकों का सम्मान किया गया। सिरोंज के पंडित चंद्रमोहन शर्मा स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सागर सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव ने कहा कि अनादीकाल से यह सत्य है कि षिक्षक ही भावी पीढ़ी के निर्माता है। विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को उन्होने अध्यात्म एवं विज्ञान के साथ ही संस्कारवान षिक्षा देने की बात षिक्षकों से कही। सांसद श्री यादव ने कहा कि अच्छे समाज की कल्पना षिक्षकों के बिना नहीं की जा सकती है। षिक्षक अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन कर देष, समाज एवं क्षेत्र के विकास में अपनी भूमिका निभाएं। प्रख्यात चिंतक एवं विचारक श्री रमेष शर्मा ने कहा कि वर्तमान युग में वर्तमान में जो षिक्षा वस्तु और विज्ञान पर आधारित हो गई है। षिक्षक विज्ञान के साथ ही ध्यान और अध्यात्म की षिक्षा भी बच्चों को दें। उन्होने कहा कि हमारे देष की विद्यार्थी विदेषों में ज्ञान का प्रसार कर रहेे है। हमें षिक्षक, गुरू और सद्गुरू का भेद समझकर आने वाली पीढ़ी का जीवन सार्थक बनाना होगा। कार्यक्रम को जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती अलका सक्सेना ने भी संबोधित किया। लोक मंगल सेवा समिति द्वारा इस वर्ष आदर्ष षिक्षक सम्मान सेवानिवृत्त षिक्षक श्री नारायण हरि सोनी को प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हे नगद राषि, अभिनंदन पत्र एवं शाल-श्रीफल प्रदान किए गए। श्री सोनी ने सम्मान के रूप में प्राप्त नगद राषि को सिरोंज के प्रसिद्ध धर्मस्थल सिद्ध बाबा के विकास के लिए देने की घोषणा भी इस दौरान की। इस अवसर पर समिति द्वारा इस वर्ष सेवानिवृत्त हुए सिरोंज-लटेरी क्षेत्र के 7 षिक्षकों को वरिष्ठ षिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। इनमें श्री रमेषबाबू सोनी, सैयद मंसूर अली, नर्बदा प्रसाद शर्मा, मोहम्मद अली, अनीसउल्ला खान, संजीदा परवीन तथा अय्यूब खां शामिल है। इन सभी का समिति द्वारा शाल-श्रीफल एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। इसी तरह समिति द्वारा सिरोंज-लटेरी क्षेत्र की प्राथमिक, माध्यमिक शालाओं तथा हाईस्कूल में पदस्थ षिक्षकों को उनकी अध्यापन शैली, कार्यषैली तथा गुणवत्ता के आधार पर प्रेरक षिक्षक सम्मान से नवाजा गया। इनमें सिरोंज की प्राथमिक एवं माध्यमिक षालाओं के अनिरूद्ध कुमार बरसैना, मानकचंद कोली, नवलसिंह कुर्मी, जयगोविंद शर्मा, कमलासिंह, रजनी साहू, भागीरथ कुर्मी, सत्तोबाई जाटव, राजेष श्रीवास्तव, लालचंद मांझी, बावलसिंह बघेल, मिश्रीलाल अहिरवार, फूलसिंह अहिरवार, संतोष जैन, सरला शर्मा, राकेष भारती, चंद्रमोहन माली तथा हाईस्कूल मंें पदस्थ षिक्षक ओमप्रकाष दुबे, भवानीसिंह रघुवंषी, गिरजाषंकर शर्मा, विषाला श्रीवास्तव, महेन्द्रसिंह ठाकुर तथा करनसिंह विष्वकर्मा शामिल है इसी तरह लटेरी की प्राषा एवं माषा के पर्वतसिंह प्रजापति, मूलचंद पंथी, हरिनारायण अहिरवार, सुनील कुमार सेन, गजराजसिंह मीना, सैयद जाकिर अली, गोवर्धन प्रजापति, अनीता राजपूत तथा हाईस्कूलों में पदस्थ राकेष सिंह राजपूत, सुरेषसिंह दांगी, रफीक खान तथा सीमा शर्मा को प्रेरक षिक्षक सम्मान प्रदान किया गया। संचालन श्री आशीष शर्मा ने तथा आभार लोक मंगल सेवा समिति के अध्यक्ष श्री उमाकांत शर्मा ने व्यक्त किया। सम्मान समारोह स्थल पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुनीता सोनकर, विदिषा विधायक श्री कल्याणसिंह दांगी, कुरवाई विधायक श्री वीरसिंह पंवार, कुरवाई नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा साहू, सिरोंज नपाध्यक्ष श्री राजेन्द्र गर्ग, जनपद अध्यक्ष श्री हमीरसिंह यादव तथा भाजपा जिलाध्यक्ष श्री तोरणसिंह दांगी समेत अनेक जनप्रतिनिधी, गणमान्य नागरिक तथा षिक्षक गण उपस्थित थे। 

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (04 सितम्बर)

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हेड मास्‍टर ने स्कूल में किया भोजन माता संग बलात्कार, ट्यूटर ने छात्रा को बनाया हवस का शिकार

देहरादून, 4 सितम्बर, (निस)। भीमताल ‌के ओखलकांडा ब्लॉक में गांव के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने स्कूल की भोजन माता को हवस का शिकार बना दिया। विरोध के बावजूद भोजन माता के साथ अमानवीय तरीके से बलात्कार किया। आठ दिन बाद पीडिता के पुत्र ने एसडीएम को ज्ञापन देकर आरोपी प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। राजस्व पुलिस ने संबंधित पटवारी को मामले की जांच सौंप दी है। पीडिता के पुत्र ने एसडीएम को दिए पत्र में कहा है कि उसके पिता का पूर्व में निधन हो चुका है और उसकी मां गांव के प्राथमिक विद्यालय में भोजन माता है। कहा कि 27 अगस्त की दोपहर में उसकी माता स्कूल में बच्चों के लिए भोजन तैयार कर रही थी। पीडिता के पुत्र ने आरोप लगाया कि तभी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने भोजन कक्ष में घुसकर दरवाजा बंद कर दिया और उसकी मां के साथ अमानवीय तरीके से बलात्कार कर उसे लहूलुहान कर दिया। इसके बाद आरोपी प्रधानाध्यापक गांव से फरार है। एसडीएम को बताया गया कि घटना की सूचना पीडिता ने गांव में महिलाओं को दी, लेकिन महिलाओं ने घटना को शर्मसार करने वाली बताते हुए कुछ भी करने से इनकार कर दिया। पीडिता के पुत्र का कहना है कि वह हल्द्वानी में काम करता है। बीते दिवस ही उसे गांव के ही किसी व्यक्ति ने फोन पर घटना की जानकारी दी, जिसके बाद वह गांव पहुंचा। युवक ने एसडीएम से आरोपी प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई करने और पीडिता का मेडिकल परीक्षण कराने की मांग की है। नायब तहसीलदार धारी मंजू राजपूत ने बताया कि ओखलकांडा के एक गांव में भोजन माता के साथ बलात्कार की शिकायत मिली है। संबंधित पट्टी पटवारी को मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर टनकपुर में ट्यूशन पढ़ने आने वाली छात्रा के साथ ट्यूटर ने बलात्कार कर दिया। पुलिस ने छात्रा का मेडिकल परीक्षण कराने के बाद आरोपी ट्यूटर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वाकया करीब डेढ़ माह पूर्व का है। शहर के पीलीभीत चुंगी क्षेत्र में स्थित ओम मेडिकल स्टोर के स्वामी जगदीश चंद्र ओली का पुत्र ओंकार ओली अपने आवास में इंगलिश स्पीकिंग कोचिंग चलाता है। 13 जुलाई को कोचिंग के बाद एक छात्रा को बहला-फुसलाकर उसने उसे हवस का शिकार बना लिया और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। डर के मारे छात्रा ने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन डेढ़ माह बाद उसने मंगलवार को परिजनों को घटना के बारे में सब कुछ बता दिया। पीडि़त छात्रा के पिता ने बुधवार को आरोपी के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया। कोतवाल नरेश चंद ने बताया कि आरोपी ट्यूटर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर उसे जेल भेज दिया गया है।

मुख्य सचिव ने तलब की रिपोर्ट

देहरादून, 4 सितम्बर, (निस)। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने गुरूवार को सभी प्रमुख सचिवों और सचिवों से उसी दिन शाम तक मुख्य मंत्री हरीश रावत की पिछले तीन महीनों में की गई समीक्षा बैठकों के कार्यवृत की प्रति मांगी है। उन्होने यह भी निर्देश दिए कि जून से अगस्त माह तक की समीक्षा बैठकों में जिन बिंदुओं पर चर्चा की गई, मुख्यमंत्री द्वारा जो निर्देश दिए गये और जो निर्णय लिये गये, उनके अनुपालन स्थिति का ब्योरा भी तलब किया है। इस बारे में प्रगति की विस्तृत रिर्पोट 8 सितम्बर 2014 तक देने के लिए कहा गया है।

डा.अश्वनी कुमार बने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के महानिदेशक
  • वानिकी अनुसंधान क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी: डा. अश्वनी कुमार

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देहरादून, 4 सितम्बर, (निस)। डा.अश्वनी कुमार ने महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् में गुरूवार को कार्यभार ग्रहण किया। उत्तर प्रदेश कैडर के 1980 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी  डा. अश्वनी कुमार जालंधर पंजाब निवासी है। इनको अनेकों प्रतिष्ठित उपाधियां प्राप्त हुई हैं जिनमें एम.एस.सी. (आनुवंशिकी) पीएचडी (आनुवंशिकी) ए.आई.एफ.सी., वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष सुधार में डी.एस.सी., एस.एफ.सी. (आॅक्सफोर्ड), एम.एन.ए.एस.सी, एम.एन.जी.एस.(यूएसए)। डा. अश्वनी कुमार को उत्तरप्रदेश सरकार में प्रधान मुख्य वन संरक्षक के अलावा प्रशासन, अनुसंधान एवं विस्तार का बहुत व्यापक एवं समृद्व अनुभव रहा है। इसके अलावा इन्हें कई स्थानों जैसे मसूरी, मैनपुरी, टिहरी, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद एवं लखनऊ में विभिन्न पदों पर कार्य करने का अनुभव है। डा. अश्वनी कुमार ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् में महानिदेशक का कार्यभार ग्रहण करने के बाद कहा कि राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान प्रणाली में एक शीर्ष संस्था भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद ने वानिकी के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए अनुसंधान, शिक्षा एवं विस्तार की आवश्यकता आधारित योजना, प्रोत्साहन, संचालन एवं समन्वयन के जरिए वानिकी अनुसंधान का गुणात्मक विकास किया है।  परिषद्  जलवायु परिवर्तन, जैविकीय विविधता के संरक्षण, रेगिस्तानीकरण को रोकना एवं पोषणीय प्रबंध और संसाधनों के विकास जैसी विश्व चिंताओं सहित क्षेत्र में उभर रहे विषयों के तारतम्य में समाधान आधारित वानिकी अनुसंधान करती है।  जबकि नई प्रौद्योगिकियों के विकास एवं निचले स्तर पर इनके क्रियान्वयन के द्वारा वानिकी अनुसंधान क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। डा. अश्वनी कुमार ने कहा कि परिषद् राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वानिकी अनुसंधान में  अंतःविद्याविशेष एवं अंतःसंस्थागत दृष्टिकोण की क्रियाविधि को सशक्त करेगी।  उन्होने आगे विश्व बैंक सहायता प्राप्त परियोजना जैसे अंतरराष्ट्रीय निधियन के साथ महा अनुसंधान एवं विस्तार परियोजनाओं को चलाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिनका निष्पादन इसकी शुरूवात के दौरान भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् में किया गया था। इस अवसर पर उन्होने भारत के विकास के लिए वानिकी के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत देश के प्रशासनिक, प्रबंधन एवं वैज्ञानिक समुदाय को भी शुभकामनाएं दी। आपने परिषद् एवं इसमें कार्यरत कर्मचारियों की बेहतरी के लिए अच्छे सुशासन का भी आश्वासन दिया।

राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने दी शिक्षक दिवस की बधाई

देहरादून, 4 सितम्बर, (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देश के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाये जाने वाले शिक्षक दिवस पर प्रदेश के सभी शिक्षक, शिक्षिकाओं को हार्दिक बधाई दी है। शिक्षक दिवस पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री रावत ने कहा है कि छात्रों के चरित्र निर्माण एवं उन्हे देश का योग्य नागरिक बनाने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षक समाज के पथ प्रदर्शक भी है। अच्छी शिक्षा के माध्यम से ही देश का सुनियोजित विकास एवं भविष्य निर्धारित किया जा सकता है और इसमें शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड के शैक्षिक विकास एवं जन जागरण के लिए शिक्षकों से अनेक अपेक्षाएं है। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में आधुनिकतम शिक्षा को प्रभावशाली ढंग से कार्यान्वित करने हेतु शिक्षकों से विशेष प्रयास करने की भी अपेक्षा की है। मुख्यमंत्री ने अपने बधाई संदेश मंे शिक्षकों से सम्पूर्ण साक्षरता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी प्रेरणात्मक रूप से कार्य करने का आह्वान किया है। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में राज्यपाल ने कहा ‘‘ज्ञान-दान व चरित्र निर्माण जैसे गुरूत्तर दायित्व के लिए समर्पित शिक्षकों व गुरूओं को अनादि काल से ही समाज में सर्वोच्च स्थान दिया जाता रहा है। आज के दौर में केवल ज्ञान का आदान-प्रदान पर्याप्त नहीं है । विद्यार्थियो में वैज्ञानिक सोच व जिज्ञासा की प्रवृत्ति विकसित करने के साथ ही मौलिक विचारों, सौहार्द, सद्भाव, करूणा, उदारता, सहिष्णुता तथा विरोधी विचारों को सुनने का धैर्य रखने जैसे मानवीय व चैरित्रिक गुणों को विकसित करने का दायित्व भी शिक्षकों को लेना होगा। श्रेष्ठ शिक्षक द्वारा दिए गया ज्ञान और दिशा-निर्देश किसी भी विद्यार्थी को आत्मविश्वास व आत्मबल प्रदान करता है जिससे जीवन में आने वाली प्रत्येक चुनौती का सामना करने में सक्षम होता है। ‘‘ राज्यपाल ने शिक्षक दिवस का,े जीवन को सही दिशा देने वाले शिक्षकों के प्रति श्रद्धापूर्ण आभार व्यक्त करने का विशेष अवसर बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि सभी शिक्षक, समर्पण भाव से अपने दायित्वों का निर्वहन कर देश को अनुशासित, मेधावी व चरित्रवान नागरिक देंगे। 

देहरादून के एटीएम उगल रहे नकली नोट

देहरादून, 4 सितंबर,(निस)। नकली नोट के तस्कारों के शिकार लोगों को अब सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंके भी चूना लगा रही है। सुनकर एक बार विश्वास नहीं होता लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक के एटीएम से निकलने वाले नकली नोट तो यही कहानी कहते हैं। इस बारे में जब बैंक के अधिकारियों को बताया जाता है तो वे कुछ भी करने से हाथ खड़ा कर दे रहे हैं। ताजा घटना में इस तरह की ठगी का शिकार हुआ है पुलिस विभाग की अभिसूचना इकाई का सेवाविृत्त दरोगा। पीडि़त व्यक्ति का नाम मथुरा प्रसाद ध्यानी है और ये देहरादून पुलिस विभाग की स्थानीय अभिसूचना इकाई(एलआईयू) से इसी वर्ष 30 जून को सेवानिवृत्ति हुए है। मथुरा प्रसाद ध्यानी ने दूरभाष पर अपने साथ हुई घटना की पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज वे कमल ज्वेलर्स को देने के लिए भाऊवाला स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के पास स्थित एटीएम से चालीस हजार रूपये निकाले। इन रूपयों को गिनने के बाद उसमें पांच सौ रूपए की एक नोट नकली निकला। उन्होंने ये नोट कमल ज्वेलर्स को दिखाई तो उन्होंने इसे संदिग्ध बताया। इसके बाद पीडि़त ध्यानी उस नोट को लेकर पीएनबी की शाखा में गए और वहां के शाखा प्रबंधक से शिकायत की तो उन्होंने इस बारे में कोई भी मदद करने से इंकार कर दिया। पीडि़त ने बताया कि बैंक के इस रवैये से उन्हें बेहद निराशा हुई है। उन्होंने इसकी शिकायत लिखित में पुलिस से करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि नकली नोटो के सौदागरांे से ठगे जाने पर उतनी पीड़ा नहीं होती  जितनी जनता की सेवा करने के लिए स्थापित बैंको के अधिकारियों के व्यवहार से हुई। उन्होंने बैंकांे पर आम आदमी से ठगी करने का आरोप लगाते हुए प्रशासन से इसका संज्ञान लेने और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

शोधार्थियो की तीन दिवसीय सम्मेलन 7 सितम्बर से

देहरादून, 4 सितंबर,(निस)। गोविन्द बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा की पहल पर एवं स्विट्जरलैंड दूतावास के वित्तीय सहयोग से आगामी 7 से 9 सितम्बर के बीच भारतीय हिमालय क्षेत्र के 12 राज्यों से चयनित लगभग 80 उदयीमान शोधार्थियों का एक तीन दिवसीय सम्मेलन पर्यावरण विकास संस्थान कोसी-कटारमल में होने जा रहा है। संस्थान के निदेशक डा. पीताम्बर ध्यानी ने बताया कि संस्थान द्वारा शुरू किये  जा रहे आठ नये बहुपयोगी कार्यक्रमों में यह प्रथम पहल पूरे हिमालय राज्यों के शोध छात्रों को एक सूत्र में पिरोने का एक अनूठा प्रयास है। उन्होने आशा जताई कि विभिन्न विषयों एवं क्षेत्रीय विविधता से परिपूर्ण यह शोधार्थी इस कार्यक्रम से लाभान्वित होकर शोधकार्यो की गुणवता में वृद्धि कर सकेंगे। जिससे हिमालय की जनता को भी परोक्ष लाभ होगा। इस कार्यक्रम के संयोजक एवं संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रणवीर रावल ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शोधार्थियों में शोधकार्य के प्रति अभिरूचि में गुणात्मक वृद्धि एवं उनके द्वारा राष्ट्रीय एवं अन्र्तराष्ट्रीय सम-सामयिक शोध व विकास के मुद्दों को समझने एवं शोध कार्य के प्रकाषन एवं प्रचार-प्रसार में क्षमता वृद्धि करना है। इस कार्यक्रम में देश के जाने-माने वनस्पति शास्त्रीयों एवं पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा इन शोधार्थियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। इन विशेषज्ञों में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, कोलकत्ता के प्रो. ए.के. कौल, औषधि विज्ञान संस्थान बैंग्लोर के प्रो. आर.आर. राव, गढ़वाल विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह, भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के प्रो. गोपाल रावत,  इन्द्रप्रस्थ विष्वविद्यालय दिल्ली के डा. उपेन्द्र धर (भूतपूर्व निदेषक पर्यावरण संस्थान), सीडर संस्थान के निदेषक डा. राजेश थडानी, सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डा. सरनाम सिंह एवं चिया संस्था, नैनीताल के निदेशक डा. पुष्किन फत्र्याल इत्यादि शामिल है। इस कार्यक्रम के उपरान्त हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने हेतु एक हिमालय ज्ञान तंत्र स्थापित किया जायेगा जिससे हिमालय क्षेत्र के शोधार्थी जुडकर शोध कार्यो की गुणवता में योगदान कर सकेंगें।

मोदी सरकार के फैसलों से देश की तस्वीर बदलेगीः भट्ट
  • 100 दिन का कार्यकाल पूर्ण करने पर पीएम व उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को बधाई दी

देहरादून, 4 सितंबर,(निस)। नेता प्रतिपक्ष उत्तराखंड विधानसभा अजय भट्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के 100 दिन पूरे होने पर देश के प्रधानमंत्री सहित मंत्रिमण्डल के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस दौरान सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हंै जिसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा तथा आने वाले दिनों में देश की तस्बीर ही बदल जायेगी। श्री भट्ट ने कहा कि मोदी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है तथा वह सभी को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति हंै, इसका अंदाजा उनके ‘‘सबका साथ, सबका विकास ’’ मंत्र से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने शपथ ग्रहण करते ही पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने की अच्छी पहल की तथा पड़ोसी देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को शपथग्रहरण समारोह में आमंत्रित कर उनके साथ सम्बन्ध सुधारने के लिए दम बढ़ाया। काले धन को वापस लाने के वादे को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस सम्बन्ध में एसआईटी का गठन किया, जिसको यू0पी0ए0 सरकार टालती जा रही थी।  उन्होंनेे कहा कि प्रधानमंत्री ने पी0एम0ओ0 सहित मंत्रालयों के सभी अधिकारियों को जनता की समस्यायें प्राथमिकता पर दूर करने के निर्देश दिये तथा अधिकारियों को भी भरोसा दिलाया कि आम आदमी की उम्मीदों और सपनों को पूरा करने के लिए पूरी ताकत के साथ काम करिए, इसके लिए वह भी 24 घंटे उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि 16वीं लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने अपने पहले भाषण में भी देश को भरोसा दिलाया कि आम आदमी की उम्मीदों और सपनों को पूरा करने की वो हर मुमकिन कोशिश करेंगे। श्री भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दास्त नहीं की, यहाॅ तक की उन्होंने सांसदों को जितने दिन सदन की कार्यवाही चले, उतने दिन संसद में पूरी तैयारी के साथ आने का फरमान सुना डाला। श्री भट्ट ने कहा कि मोदी ने देश हित में कई कड़े फैसले लिये, जिसकी आलोचना भी हुई। अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उन्होंने एक झटके में रेल यात्री किराये में 14 फीसदी एवं माल भाड़े में भी साढे 6 फीसदी की बढ़ोत्तरी का साहसी फैसला लिया, उन्होंने कहा कि कई लोगों का मानना था कि सुविधायें बढ़ाने के लिए किराया बढ़ाना सही कदम था, यहाॅ तक कि उन्होंने घरेलू चीनी उद्योग को मजबूत करने के लिए चीनी पर आयात शुल्क 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 फीसदी करने जैसा साहसी कदम भी उठाया। श्री भट्ट ने कहा कि मोदी जी ने फिजूलखर्ची को रोकने के लिए अपने सभी मंत्रियों और अफसरों तक को नई कार नहीं खरीदने पर रोक लगा दी, यही नहीं उन्होंने मंत्रियों के एक लाख रूपये से अधिक खर्च करने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से इजाजत लेना अनिवार्य कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी का सपना 2022 तक गरीबों को छोटे और सस्ते घर मुहैया कराना है, जिसके लिए उन्होंने सिंगापुर से तकनीकी मदद मांगी है, ताकि हमारे यहां भी सस्ते और मजबूत घर बनाये जा सकें। साथ ही मोदी की सरकार ने यह तय किया है कि देश के ढाई लाख गाॅवों में ब्राड बैंड सर्विस मुहैया कराकर सभी गाॅवों को एक दूसरे से जोड़ दिया जाय ताकि प्रत्येक व्यक्ति तक इण्टरनेट की सुविधा पहुॅच सके। श्री भट्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर जो भारत का अभिन्न अंग है, उस राज्य के  विकास के लिए भी मोदी की सोच बहुत ही स्पष्ट है। इसी उद्देश्य से उन्होंने 04 जुलाई को जम्मू की यात्रा कर वहाॅं 240 मेगावाट वाली पनबिजली योजना देश को समर्पित करने के साथ ही माॅ वैष्णौ देवी के भक्तों के लिए कटरा तक टेªन की यात्रा का तोहफा दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अपने पहले ही बजट में नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स में राहत देते हुए टैक्स छूट की सीमा 02 लाख से बढ़ाकर 02.50 कर दी तथा 80 सी के तहत मिलने वाली छूट को एक लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख रूपये कर दिया तथा मोदी सरकार ने ऐलान किया है कि वह देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनायेंगे, जिसके लिए 7600 करोड़ रूपये का बजट प्रस्ताव भी रखा गया है साथ ही इसके लिए विदेशी निवेश के जरिये पैसा जुटाया जायेगा। श्री भट्ट ने कहा कि गंगा की सफाई के वादे को पूरा करने के लिए 02 हजार करोड़ रूपये के साथ नमामि गंगे प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है तथा गंगा में जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 4200 करोड़ रूपये अलग से व्यवस्था की है। अगले 06 साल में इलाहाबाद से हल्दिया तक पानी के जहाजों के लिए जलमार्ग विकसित करने की भी मोदी सरकार की योजना है। 

विकास कार्याे का विरोध करने वाले राष्ट्र के दुश्मनः यादव

देहरादून, 4 सितंबर,(निस)। उपभोक्ता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा है कि विकास कार्याे का विरोध करने वाले राष्ट्र के दुश्मन हैं और पूरे उत्तराखण्ड में विकास कार्यो की शून्यता के चलते उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखण्ड की धरती पर हो रहे करोड़ों के निर्माण कार्य कुछ भ्रष्ट एवं विकास विरोधियों को हजम नहीं हो रहे हैं। निर्माण कार्य का विरोध करने वालों में कुछ बुद्धिमान बुद्धिजीवी भी सम्मिलित हो गये हैं जो विवाद का जिन्न बोतल से बाहर आना प्रचारित कर रहे हैं जबकि राज्य की जनता विकास चाहती है और एक साल के अन्दर सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा हरिद्वार में जो निर्माण एवं अनुरक्षण के कार्य किये गये जनता मुक्त कण्ठ से उनकी सराहना कर रही है। राज्य विभाजन के बाद जारी भारत के राजपत्र के अनुसार उत्तराखण्ड में सिंचाई विभाग की जो सम्पत्तियां हैं उनका रख-रखाव एवं निर्माण इत्यादि की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की है उसी गजट के तहत निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं जिससे दोनों राज्य लाभान्वित होंगे। उत्तर प्रदेश जिस गंग नहर का रख-रखाव कर रहा है उससे उत्तराखण्ड के दो पावर हाउस पथरी एवं मोहम्मदपुर संचालित हो रहे हैं, जिनसे कई सौ करोड़ का राजस्व उत्तराखण्ड को मिल रहा है। वर्तमान में दोनों पावर हाउसों में दो-दो टरबाइनें चल रही है और गंग नहर की क्षमता बढ़ने के बाद दोनों पावर हाउसों में तीनो टरबाइनें चलनी प्रारम्भ हो जायेगी जिससे प्रतिदिन कम से कम दस मेगावाट विद्युत उत्पादन बढ़ जायेगा जिससे करोड़ों रुपये प्रतिदिन की आय उत्तराखण्ड की बढ़ जायेगी। उत्तर प्रदेश की लगभग एक दर्जन नहरों से उत्तराखण्ड अपनी कृषि भूमि को सिंचित कर करोड़ों रुपये राजस्व की वसूली कर रहा है उन सब का अनुरक्षण उत्तर प्रदेश करता है। सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा डाम कोठी के निकट जो गंगनहर की जल क्षमता बढ़ाने का काम चल रहा है उससे दोनों राज्य लाभान्वित होंगे और जिस दिन यह सारा सिस्टम उत्तराखण्ड के कब्जे में आ जायेगा उस दिन उत्तर प्रदेश इसे उठाकर नहीं ले जायेगा। जो निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश के धन से उत्तराखण्ड में हो रहे हैं वे सदैव-सदैव के लिये उत्तराखण्ड में ही रहेंगे और राज्य की जनता को लाभान्वित करेंगे लेकिन सबसे ज्यादा दर्द उन्हीं के पेट में हो रहा है जिन्होंने महाकुंभ जैसे धार्मिक मेले के आयोजन के लिये केन्द्र से आये धन को ठिकाने लगाने के बाद आज तक उसका श्वेत-पत्र जारी नहीं किया। उत्तर प्रदेश कई नहरें उत्तराखण्ड को हस्तान्तरित करना चाहता है लेकिन उत्तराखण्ड उनको लेने को इसलिये तैयार नहीं कि उसे अनुरक्षण पर धन व्यय करना होगा। इस समय अनुरक्षण यूपी करता है और राजस्व उत्तराखण्ड वसूल रहा और सांसद के पेट में दर्द हो रहा है। उत्तराखण्ड में खाने पीने और डकारने की संस्कृति बढ़ रही है उस पर कोई उंगली नहीं उठाता। बिशनपुर कुण्डी बांध को बिना किसी हस्तान्तरण के उत्तराखण्ड ने अपने कब्जे में ले लिया। बांध बनाया और बिना बाढ़ के बह गया। नीलधारा मंे बेरीक्रेट डलवाये मामली सी बाढ़ में बह गये। पंजनहेड़ी माइनर में लगभग सात करोड़ का खर्चा किया गया परिणाम जनता के सामने हैं। सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि जहां तक परिसम्पत्तियों के बंटवारे का मामला है यह केन्द्र स्तर पर दोनों राज्य सरकारों की सहमति से होगा। चल रहे निर्माण कार्य में न कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही न ही भारत के राजपत्र का उल्लघंन/सिंचाई विभाग एक एजेन्सी है उसको जो दायित्व सौंपा गया उसे वह कर रहा है। 

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (04 सितम्बर)

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लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा 

नरकटियागंज(अवधेश कुमार शर्मा) गन्ना किसानों समस्या के समाधान के लिए जीतन राम मांझी सरकार तत्पर है। इस दिशा में उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि किसानों को डीजल अनुदान की राशि यथाशीघ्र मुहैया करायी जाए। लेकिन सरकार के कारीन्दे (अधिकारी व कर्मचारी) सरकार के निर्देशों का अनुपालन नहीं कर पा रहे है। हमारे सूत्र बताते है कि जिला में अभी तक डिजल अनुदान के लिए लगभग आठ से नौ हजार आवेदन प्राप्त हुए है। जिला में किसानों की संख्या लाखों है लेकिन प्रशासन के पर्याप्त प्रचार प्रसार के आभाव में किसान सरकार के इस लाभकारी योजना का लाभ नहीं उठा सके। जद यु के कार्यकर्ता भी अपनी सरकार की योजनाओ को जनता तक पहुंचाने मंे सफल नहीं हो सके। अमोलवा के किसान अमिताभचन्द्रा, लछनौता के मेघू और भरतराम का कहना है कि सरकारी प्रचार प्रसार के आभाव में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।

बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को शीघ्र मिलेगा: राजकुमार

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नरकटियागंज(पच) गन्ना किसानों को अबतक विगत वर्ष का बकाया राशि अप्राप्त है। इस बाबत कतिपय वाचाल व तेज तर्रार किसान अपनी रकम ले चुके है, किन्तु बाकी सामान्य किसान जो स्थिर रहते उनकी राशि चीनी मिल के पास ही है। सरकार के निर्देश के बावजूद एक तो किसानों को गन्ना का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा और दूसरे ससमय गन्ना मूल्य का भुगतान भी नहीं मिल रहा। जिससे किसानों की पीड़ा एक करेला दूजा नीम चढा वाली होती जा रहीं है। दबंग किसानों ने बताया कि उन्हे बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान मिल चुका हैं। जबकि अपेक्षाकृत कमजोर किसानों को उनके उत्पादों का समुचित भुगतान भी नहीं मिल पा रहा है। इस मामले के संबंध में मोतिहारी से आये गन्ना उपनिदेशक राजकुमार रजक ने बताया कि हरिनगर और नरकटियागंज के प्रबंधन से कहा गया है कि किसानों की बकाया राशि का भुगतान अविलम्ब उनके खाता में कर दिया जाए। उधर भारतीय किसान संघ के विजय नारायण राव ने कहा कि उप निदेशक का यह कदम प्रशंसनीय है। उम्मीद है कि अब किसानों के उनके बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान मिल जाएगा।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (04 सितम्बर)

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जिले भर मे धुमधाम से मनाइ्र्र तेजादषमी
            
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झाबूआ--- आज सुबह स्थानिय बस स्टैण्ड स्थित तेजाजी मन्दीर से तेजाजी का विषाल जुलुस निकाला जो कि बस स्टैण्ड से होता हुआ पिटाले नगर भ्रमण कर वापस मन्दीर पर गाजे बाजे के साथ गया। इस विषाल जुलुस मे मेवाड़(गारी) समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर षिरकत की तथा विषाल जुलुस मे सभी समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। मन्दीर पर विषाल जुलुस पहुचने के बाद दोपहर की आरती हुई आरती के पश्चात आसपास के गावों से ग्रामीण ताती तुडवानें हेतु मन्दीर पहुचे ताॅती तोडने का सिलसिला देर षाम तक चलता रहा। पिटोल मन्दीर पर ताॅती (धागा) तुडवाने के लिये गुजरात के खंगेला, उचवाणीया, लिमडाबरा, बडवारा, कठला, कतवारा, आदि गाॅवों के लोग षामिल हुवें।

महारानी साहिबा ने नगर की महिलाओ की बैठक ली, संकल्पग्रुप की भूमिका की प्रसंशा की

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झाबुआ --- नगर की महिलाओं को विभिन्न आयामों में प्रोत्साहित करने  तथा समाज में उनकी सक्रिय सहभागिता के साथ ही रचनात्मक एवं सामाजिक सेवाओं के कार्य में उन्हे जोडने के लिये झाबुआ के पूर्व नरेश परिवार द्वारा काफी रूची ली जारही है । इसी कडी में गुरूवार को महारानी साहिबा श्रीमती भगवती देवी ने राजवाडा स्थित राजभवन में नगर के विभिन्न समाजों की महिलाओं के साथ ही नगर की सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था संकल्पग्रुप को चर्चा के लिये आमन्त्रित कर बैठक का आयोजन किया ।  इस अवसर पर  पेटलावद विधायक सुश्री निर्मला भूरिया, संकल्प ग्रुप की श्रीमती भारती सोनी, राजपूत समाज की श्रीमती साधना चैहान.दीपीका चैहान, साधना चैहान, लता चैहान, अनिता पंवार, संतोष छाकुर, नीता भावसार, सुशीला दोहरे, कीर्ति देवल, मेडम बैस आदि की उपस्थिति में आयोजित बैठक में महारानी साहिबा  का रूझान झाबुआ की महिलाओं की सर्वांगिण उन्नति के साथ उन्हे प्रोत्साहित करके समाज की मुख्यधारा से जोड कर उनकी रचनात्मक भूमिका की ओर दिखाई दिया । बैठक मे महारानी साहिबा ने घरेलू महिलाओं के प्रोत्साहन के लिये कार्य योजना बना कर सतत रूप से कार्य करने की बात कहीं वही उन्होने संकल्प ग्रुप के द्वारा नगर में महिलाओं के लिये बहुआयामी किये जारहे कार्यो के लिये प्रसंशा करते हुए उनकी सेवायें भी महिलाओं के उत्थान एवं कल्याण के लिये  दिये जाने  काप आव्हान किया । महारानी साहिबा ने आगामी दिनों में आयोजित होने वाली बैठक मे विस्तार से एजेंडा अनुसार चर्चा कर कार्य योजना को शीघ्रातिशीघ्र क्रियान्वित करने की आवश्यकता भी बताई । श्रीमती भारती सोनी ने बैठक में जानकारी दी कि पर्यावरण के साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक एवं समााजिक गतिविधियों में संकल्प ग्रुप नगर की महिलाओं के माध्यम से कई कार्य कर चुका और अभी भी सतत रूप से कार्य कर रहा है ।

गणेशोत्सव में होगा स्कूली बच्चों का प्रश्न-मंच

झाबुआ--- सार्वजनिक गणेष मंडल राजवाडा चैक पर 6 सितम्बर शनिवार को रात्री 8 बजे से 10 बजे तक प्रश्न-मंच द्वितीय वर्ष स्पर्धा का अभिवन आयोजन नगर की शालेय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिये किया जावेगा। इसमें न्यू कैथोलिक मिशन स्कूल, सेंट्रल स्कूल, शारदा विद्या मंदिर, केशव इंटरनेशनल, उत्कृष्ट विद्यालय झाबुआ, शासकीय उमा बालक विद्यालय रातीतलाई, कन्या उ0मा0वि0 झाबुआ, जैन पब्लिक स्कूल झाबुआ, इन्दौर पब्लिक स्कूल झाबुआ, हिन्दी मिडीयम मिशन स्कूल झाबुआ के कक्षा 6ठी से 8वीं तक जूनियर एवं 9वीं से 12वीं तक सीनियर वर्ग के अध्ययनरत 8 बच्चों की पेनल जिसमें एक ग्रुप लिडर शामील होगा, के द्वारा प्रश्न मंच मे भागीदारी की जावेगी। गणेश मंडल के मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी एवं हर्ष भटृ ने बताया कि प्रत्येक स्कूल से एक टीम की सहभागिता रहेगी तथा टीम के साथ स्कूल का पोस्टर, बैनर  भी रहेगा । बच्चों को स्कूली यूनिफार्म में आना आवश्यक होगा। बच्चे स्पर्धा में अपने अविभावकों के साथ ही आयेगें और लाने लेजाने की जिम्मेवारी उनके अविभावकों की ही रहेगी। प्रश्न-मंच में सामान्य ज्ञान पर आधारित प्रश्न पुछे जावेगें तथा प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को प्रथम पुरस्कार के रूप मे राशि 1551/- रू0 एवं ट्राफी, द्वितीय पुरस्कार राशि रूपये 1151/- एवं तृतीय पुरस्कार राशि 851/- का नगद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र दिये जावेगें । सभी सहभागी बच्चों को सान्त्वना पुरस्कार भी दिये जावेगें । इसके अलावा दर्शकों से भी प्रश्नमंच मे प्रश्न पुछे जावेगें तथा सही जवाब देने वाले को तत्काल पुरस्कृत किया जावेगा। समिति का निर्णय अन्तिम रहेगा। सार्वजनिक गणेष मंडल के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहोत्री एवं महासचिव नानालाल कोठारी  तुलसीदास बैरागी ने बताया कि प्रश्नमंच में नगर के दो विद्वान विशेषज्ञ सेंट्रल स्कूल के मनीष त्रिवेदी एवं सौभाग्यसिंह चैहान द्वारा बच्चों से सामान्य ज्ञान पर आधारित प्रश्न पुछे जावेगें, वहीं दर्शको से भी कार्यक्रम  के मध्य प्रश्न पुछे जावेगे। उन्होने नगर की जनता से आग्रह किया है कि नगर में आयोजित प्रश्नमंच के इस अनुठे कार्यक्रम में सहभागी होकर कार्यक्रम को सफलता प्रदान करें तथा स्कूली बच्चों का उत्साह वर्धन करे।

अरे  द्वारपालो कन्हैया से कहदो..... भजनो ने तीन घण्टे से अधिक समय तक माहौल को किया धर्ममय -  महिलाओं ने प्रस्तुत किये भजन 

झाबुआ --- नगर के राजवाडा चैक स्थित श्री सत्यनारायण मंदिर पर 11 दिवसीय सार्वजनिक गणेशोत्सव की धुम मची हुई है तथा प्रतिदिन मनोरंजक एवं धार्मिक एवं आध्यात्मिक आयोजन किये जारहे है । बुधवार को सायंकाल सार्वजनिक गणेश मंडल में मातृशक्ति द्वारा मधुर एवं कर्णप्रिय भजनों के प्रस्तुति करण का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया । नगर के शिवानी भंजन मंडल की सुश्री कीर्ति देवल, सुश्री लता देवल, श्रीमती सुशीला मिश्रा, इन्दू अरोडा, मधु व्यास, विजयलक्ष्मी साधो, श्रीमती शुक्ला, राधा चैहान, संगीता सोनी, रंजना चंद्रावत, शीतल चैहान, श्रीमती चंचला सोनी सहित बडी संख्या मे उपस्थित महिलाओं ने एक से बढ कर संगीत मय भजनों की प्रस्तुति देकर राजवाडा चैक को धर्ममय कर दिया  । भजनों में तमन्ना फिर मचल जाये  तथा अरे द्वारपालों कन्हैया से कहदो, आज म्हारा मंदिर में आया श्री नाथजी, गौर गणेशा पार्वती का लाला,हरिओम नमो नारायणा, ओम साई नमो नमः शिरडी साई नमो नमः सहित कई भजनो ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । इस अवसर पर सार्वजनिक गणेश मंडल के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहोत्री, मनीष व्यास, अजय रामावत, आचार्य नामदेव, मोहन माहेश्वरी, विनोद शाह, भागवत शुक्ला, देवेन्द्र पंचाल, निरंजन भाई, राधेश्यामभाई कीर्तिशाह राजेन्द्र सोनी, सौभाग्यसिंह चैहान नीरज राठौर सहित बडी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे ।

टेंट लाईट एसोसिएशन इन्दौर एवं भोपाल संगठन से हुआ सम्बद्ध, आगामी  दिनों में होगा जिला स्तरीय सम्मेलन 

झाबुआ --- जिले में टेंट लाईट एसोसिएशन ने अल्प समय में  अपने संगठन को जहां मजबुती प्रदान की है वही अब झाबुआ जिले के टेंट लाईट एसोसिएशन के सभी सदस्य अब फेडरेशन आफ मध्यप्रदेश टेंट लाईट एसोसिएशन भोपाल एवं इन्दौर टेंट,लाईट एवं केटरर्स एसोसिएशन से सीधे जुड गये है । उक्त जानकारी देते हुए जिला टेंट लाईट डेकोरेटर्स एसोसिएशन के संयोजक नीरजसिंह राठौर ने देते हुए बताया कि एसोसिएशन के सदस्यों ने इन्दौर टेंट एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बुधवार को  मुलाकात कर मान्यता प्राप्त कर ली है तथा संगठन इन्दौर एवं भोपाल से सम्बद्ध हो चुका है । श्री राठौर ने आगे बताया कि आगामी दिनों में जिला स्तर पर टेंट एवं लाईट व्यवसाईयों का सम्मेलन जिला मुख्यालय पर आयोजित किया जावेगा जिसमें संगठन के विस्तार एवं नई उंचाई्र देने के लिये चर्चा कर रूपरेखा तय की जावेगी । इन्दौर टेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक चोपडा, सचिव कमल जायसवाल,उपाध्यक्ष ओम प्रकाश वर्मा,कोषाध्यक्ष राजेश हार्डिया ने झाबुआ संगठन के अजय पंवार, योगेश सोनी, चेतन व्यास एवं जगदीश राठौर का अभिवादन करते हुए टेंट लाईट से जुडी समस्त समस्याओं पर चर्चा की एवं जिले को मान्यता दिये जाने का प्रमाणपत्र प्रदान किया  साथ ही आगामी दिनों मेें जिले में होने वाले सम्मेलन के सहभागिता करने की स्वीकृति प्रदान की । श्री राठौर के अनुसार जिले की प्रदेश एवं संभाग स्तर से संबंद्धता हो जाने से आने वाले दिनों में पूरे राष्ट्रभर में होने वाले कार्यक्रमों की जानाकारिया सीधे सभी सदस्यों को मिल पायेगी । शिविरों के माध्यम से आधुनिक सामग्रियों के क्रय करने एवं लोगों तक उन्हे पहूंचाने का एक माध्यम सुलभ तरिके से उपलब्ध हो सकेगा । श्री राठौर ने बताया कि इन्दौेर में आगामी 10 से 12 अक्तुबर तक महा अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है जिसमे जिले के सभी सदस्यों को आमन्त्रित किया गया है । जिला संगठन को मान्यता मिलने पर संगठन के  सरंक्षक अभय रूनवाल, अध्यक्ष रवि राठौर, जेमताभाई बिलवाल, अखिल मिश्रा,अब्दूल रहीम अब्बूदादा, रामेश्वर सोनी,करीम शेख, गोपालसिंह राठौर, सरफराज सैयद, आदि ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे संगठन की उन्नति का द्योतक बताया ।

प्ंाचायत को बनाया चोरो ने निशाना, कम्प्यूटर सहीत लेगए अन्य सामान

पिटोल --- समिप मण्डली पंचायत में षनिवार रात षासन द्वारा मनरेगा योजनान्र्तगत दिये गये कम्प्युटर सिंस्टम को चोरों ने निषाना बनाया रात को पंचायत भवन का ताला तोड कर उसमें लगे एलइडी मानीटर 18.5 ईंच, कम्प्युटर, पेन ड्राईव सहित यह लगभग 1 लाख रू का माल ले उडें। घटना की प्राथमिकी पुलिस चैकी में दर्ज करयी गयी। पुलिस ने धारा 457/380 के तहत प्रकरण पंजीबद्व कर जांच प्रारम्भ कर दी है। उल्लेखनिय है कि पूर्व में भी मण्डली में चोरी की दो अलग अलग घटनाऐं हुई हे।जिसमें अपराधी अब तक नही पकडें गयें है।

शेमराॅक लिटिल स्कूल को चोरो ने बनाया निशाना,  नगदी एवं यूनिफार्म ले उडे बदमाश

झाबुआ --- नगर मे तथा अंचल में दिनो दिन चोरियों की वारदात में बढोत्तरी हो रही है तथा चोरियों की घटनायें कम होने का नाम ही नही ले रही है । चोरों एवं शातिरों ने अब घरो, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ ही बच्चों की स्कूल पर भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया है । बुधवार -गुरूवार की दरमियानी रात में करीब 2 बजे चोरों ने रानापुर रोड स्थित शेमराक लिटील चेंप प्रि-स्कूल के मेन गुट से कूद कर स्कूल के दरवाजे पर लगे ताले को तोड कर स्कूल में प्रवेश किया तथा स्कूल की आलमारियों एवं कक्षों में रखे सामान को अस्तव्यस्त कर दिया । चोरों ने  स्कूल के कार्यालय में भी ताला तोड कर प्रवेश करके वहां स्कूल में रखी करीब 9 हजार की सिल्लक तथा एक दर्जन से अधिक बच्चों की स्कूली यूनिफार्म भी साथ ले गये । चोरी घटना की जानकारी प्रातःकाल जीवन पडियार एवं हेप्पी पडियार को लगी तो स्कूल जाकर देखा तथा इस चोरी की सूचना पुलिस को  दी । पुलिस ने भी मौके पर पहूंच कर इसका मुआयना किया तथा चोरों के फिंगर प्रिंट आदि की तकनीकी प्रक्रिया पूरी की । उक्त आवासीय कालोनी में दूसरी बार इस प्रकार की घटना हुई है । जब इस कालोनी का निर्माण हो रहा था तब करीब डेढ वर्ष पहिले चोरों ने इस कालोनी की बाउंडरी वाल को तोड कर राजमिस्त्री एवं कारीगरों के सामन के अलावा बिजली की मोटरे एवं अन्य सामान चोरी करके ले गये थे । इस घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना झाबुआ में कर दी गई है तथा पुलिस के अनुसार शीघ्र ही चोरों का पता लगा लिया जावेगा । पुलिस ने अपराध क्रमांक 629  में धारा 457, 380 मे प्रकरण दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी हैं। शहर तथा गा्रमीण अंचलों में इस प्रकार की चोरियों की घटनाओं को लेकर नगर मे  असुरक्षा की भावना बढ रही है । नगर में बिजली कटौति के साथ ही स्ट्रीट लाईटे बंद रहने के कारण भी शहर के बाहरी हिस्सों मे इस प्रकार की आपराधिक घटनाओं का ग्राफ बढ रहा है ।

मतदाता जागरूकता शिविर 5 सितम्बर को झाबुआ में स्वीप योजनान्तर्गत विशेष मतदाता केम्प आयोजित होग

झाबुआ ---स्वीप योजनान्तर्गत माह अगस्त,सितम्बर तथा अक्टूबर में मतदाता जागरूकता शिविर लगाने का निर्णय लिया गया है। शिविर जिला स्तर एवं विकासखण्ड स्तर पर आयोजित होगे। कैम्प आयोजन का मुख्य उददेश्य नवीन मतदाता परिचय पत्र तैयार करना, त्रुटिपूर्ण मतदाता परिचय में सुधार करना डुप्लीकेट कलर लेमिनेटड मतदता परिचय 7पत्र तैयार कर उसी दिन वितरित करना, परिसर में कार्यरत कर्मचारियों एवं परिवारो को सुविधा देना है। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विकासखण्ड झाबुआ में 5 सितम्बर 2014 को, ब्लाक आॅफिस विडियो कांफ्रेस हाॅल बसंत कालोनी झाबुआ में शिविर आयोजित किया जाएगा। हेड पोस्ट आॅफिस रानापुर में 9 सितम्बर 2014 को, शा.काॅलेज झाबुआ में 8 सितम्बर 2014 को, हेड पोस्ट आॅफिस झाबुआ में 9 सितम्बर 2014 को, जिला अस्पताल झाबुआ में 1 अक्टूबर 2014 को, शा. अस्पताल रानापुर में 7 अक्टूबर 2014 को, अनुभाग थांदला के शा.अस्पताल मेघनगर में 9 सितम्बर 2014 को, शा. अस्पताल थांदला में 10 अक्टूबर 2014 को, मुख्य नगर पालिका केम्पस थांदला में 11 सितम्बर 2014 को, लीड बैंक मेघनगर में 7 अक्टूबर 2014 को, अनुभाग पेटलावद के विकासखण्ड पेटलावद शा. काॅलेज पेटलावद में 10 सितम्बर 2014 को, लीड बैंक पेटलावद में 9 अक्टूबर 2014 को मतदाता जागरूकता शिविर आयोजित किये जायेगे।

जिले में अब तक कुल 613.1 मि.मी. औसत वर्शा दर्ज

झाबुआ ---सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख झाबुआ श्री पाटीदार ने बताया कि जिले में वर्शा काल प्रारंभ होने से आज दिनांक 4 सितम्बर तक कुल 613.1 मि.मी. औसत वर्शा हो चुकी है। जबकि गत वर्श इस अवधि तक 1010.9 मि.मी. औसत वर्शा हुई थी। जिले में विगत 24 घण्टों के दौरान औसत 1.8 मि.मी. वर्शा दर्ज की गई। विगत 24 घण्टो में झाबुआ तहसील में 2.0 मि.मी., पेटलावद तहसील में 1.2 मि.मी., थांदला में नील मि.मी., रानापुर में 2.0 मिमी,  मेघनगर में नील एवं रामा विकासखण्ड में 10.0 मिमी. वर्शा दर्ज की गई है।

5 सितम्बर को स्कूलो में शिक्षक दिवस मनाया जाएगा, प्रधानमंत्री दोपहर 3 बजे से सायं 4.45 बजे तक संबोंधित करेगे

झाबुआ ---प्रधानमंत्री द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के समस्त शिक्षको एवं स्कूल में पढने वाले छात्रों से सीधे संवाद किया जायेगा। जिसका सीधा प्रसारण 5 सितम्बर को दोपहर 3 बजे से 4.45 बजे तक दूरदर्शन, आकाशवाणी एडूसेट तथा वेबकास्ट आदि के माध्यम से किया जायेगा। कार्यक्रम के प्रसारण को देखने की व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए प्रभारी कलेक्टर श्री धनराजू एस के निर्देशानुसार जिले के स्कूलों में ग्राम स्तर तक टी.वी.रेडियों इत्यादि की व्यवस्थाएॅ की गई है। दोपहर 2 बजे से 5 तक विद्युत कटौती नहीं करने के निर्देश एमपीईबी को दिये गये है। प्रसारण की व्यवस्थाएॅ अच्छे से हो सके इसके लिए संकुलवार जिला स्तर के अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो कि निरिक्षण कर व्यवस्थाएॅ सुनिश्चित करेगे एवं 5 सितम्बर को कार्यक्रम के प्रसारण की मानीटरिंग कर प्रतिवेदन कलेक्टर कार्यालय को प्रेषित करेगे।

5 सितम्बर को स्कूल 12.30 से 5 बजे तक लगेगे
प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम के प्रसारण को सभी बच्चे देख और सुन सके इसके लिए स्कूल का समय भी बदला गया है। शिक्षक दिवस 5 सितम्बर को जिले के सभी स्कूल दोपहर 12.30 से सायं 5 बजे तक खुलेगे। बच्चों को इस दिन मध्यान्ह भोजन के रूप में दोपहर 2.00 बजे खीर पूडी दी जाएगी। मध्यान्ह भोजन के बाद 2.30 बजे बच्चों को चिन्हित किये गये प्रसारण स्थल स्कूल, पंचायत भवन अथवा निजी आवास पर एकत्रित किया जाएगा। दोपहर 3.00 बजे से 4.45 बजे तक प्रधानमंत्री जी के उद्बोधन/संवाद का प्रसारण होगा। उसके बाद बच्चों को शाला से घर जाने के लिए छोडा जाएगा। शैक्षणिक संस्था प्रमुख एवं सचिवों को सभी व्यवस्थाएॅ सुनिश्चित करने के निर्देश भी प्रभारी कलेक्टर श्री धनराजू एस. ने दिये है।

पुलिस के वाट्स-अप गु्रप ‘‘शांतिदूत झाबुआ‘‘ पर सूचना सुझाव समस्या भेजने हेतु अपील 
  • वाट्स-अप पर प्राप्त क्लिप के आधार पर सउनि को किया दंडित 

झाबूआ---वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0पी0सिंह ने बताया कि समाज में हो रहे अपराध को रोकने का कार्य जनता के सहयोग के बिना संभव नहीं है। आपके पड़ौस में, आपके मोहल्ले में, आपके कस्बे में, आपके शहर में, आपके जिले में हो रहे अपराध, आपकी आॅंखों के सामने हो रहे अपराधों को रोकने में आप पुलिस को महत्वपूर्ण सहयोग दे सकते हैं। वाट्स-अप के अंतर्गत मोबाइल क्रमांक 070491-40500-‘‘शांतिदूत झाबुआ’’ के नाम पर पुलिस विभाग झाबुआ द्वारा पुलिस के राजपत्रित अधिकारियों का गु्रप बनाया गया है। उक्त मोबाइल क्रमांक 070491-40500-‘‘शांतिदूत झाबुआ’’  टाइटल गु्रप पर आपके क्षेत्र में होने वाले अपराध, अपराधियों या आपराधिक कृत्य या फरार अभियुक्त के फोटो वाट्स-अप के माध्यम से खींचकर भेजेंगे तो पुलिस विभाग के लिये एक बहुत महत्वपूर्ण सूचना तंत्र होकर पुलिस विभाग द्वारा उस पर कार्यवाही की जावेगी। इस वाट्स-अप गु्रप पर आप अपने सुझाव एवं समस्या भी भिजवा सकते हैं। आपका मोबाइल नंबर गोपनीय रखा जावेगा। विगत् दिनों इस वाट्स-अप गु्रप पर एक सहायक उप निरीक्षक को पाइप में से रूपये निकालते हुए की  क्लिप प्राप्त हुई थी। उक्त क्लिप पर सहायक उप निरीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया एवं स्पष्टीकरण के अवलोकन उपरांत उसे ओ0आर0 में बुलवाया गया था। उसके द्वारा त्रुटि स्वीकार किये जाने के कारण उसे 200/- रू0 के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जिला झाबुआ श्री एस0पी0सिंह ने झाबुआ जिले के समस्त नागरिक बंधुओं, गणमान्य नागरिकों, छात्र, छात्राओं से अपील/अनुरोध किया है कि वे उक्त तकनीक का उपयोग कर समाज में होने वाले अपराधों को रोकने में पुलिस विभाग को सहयोग देकर एक अच्छे नागरिक के रूप में अपने आपको गौरवान्वित करें।

दीवार मे सेंध लगाकर की चोरी 
झाबूआ---फरियादी दीपक पिता प्रकाश मालवीय, उम्र 27 वर्ष, निवासी कालीदेवी ने बताया कि अज्ञात बदमाश ने उसके घर की दीवार खोदकर अंदर घूसकर आलमारी में रखे 6 हजार रू0 नगदी व सोने के टाप्स चुराकर ले गये। प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में अपराध क्रमांक 169/14, धारा 457,380 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

चेरो ने किया बीएसएनएल टावर की बेटरियो पर हाथ साफ 
झाबूआ--फरियादी नन्दु पिता गोबरसिंह खराडी, उम्र 50 वर्ष, निवासी अलस्याखेडी ने बताया कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा बीएसएनएल टावर पर से 48 नग बेटरिया, कीमती 24000 रू0 की चुराकर ले गये। प्र्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रमांक 210/14, धारा 379 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

अमेरिका ने भारत को अल कायदा से सतर्क किया

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अमेरिका ने भारत को अल कायदा के खतनाक मंसूबों से सतर्क किया है। अमेरिका ने बताया है कि अल कायदा इंडियन कॉन्टिनेंट में अगस्त तक पांव पसार चुका है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका ने भारत को खुफिया सूचना मुहैया कराई है। यूएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महीने अमेरिकी यात्रा से पहले अहम जानकारी दी है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अल कायदा चीफ अल जवाहिरी का विडियो इंडियन एजेंसियों से लिए चौंकाने वाला नहीं है। 

अल कायदा ने साउथ एशियन ब्रांच बनाने की घोषणा की है। इसका नाम रहेगा अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंटल(AQIS)। लेकिन सवाल उठ रहा है कि अलकायदा ने अचानक ऐसी घोषणा क्यों की? अल कायदा इसके पहले भी भारत को धमकी देते रहा है। जब ओसामा बिन लादेन ने 1996 में जेहाद का ऐलान किया था तब से भारत के लिए धमकी भरे बयान हमेशा आते थे। साउथ एशियन टेररेजम पोर्टल के अजय साहनी का कहना है कि उसने भारत में खास करके जम्मू-कश्मीर और असम का नाम लिया है। 2002 में गुजरात दंगे के बाद भी अल कायदा की तरफ से कई ऐसे बयान आए हैं। लेकिन हमें अतीत में जाकर देखना होगा कि भारत में अल कायदा का कौन सा अभियान नाकाम रहा। 

ओसामा बिन लादेन का तब के अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुसलमानों से भी निजी बातचीत में जिक्र किया करते थे। भारत से अल कायदा के दूर रहने के दूसरे कारण थे। 9/11 के प्रभावशाली के अटैक से इंडिया को आसान टारगेट बनाया गया। पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ अलकायदा के मुकाबले स्वतंत्र और चुने हुए आतंकी ग्रुप के पक्ष में रहा है। जवाहिरी का ऐलान कई घटनाक्रमों से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। पहला यह कि पिछले कुछ दशकों से भारतीय मुस्लिमों की अतिवादी पहचान ज्यादा मुखर हुई है।  ऐसे में जवाहिरी को साउथ एशिया में व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है। पूर्व खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में 2002 के दंगे और पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों से अल कायदा संभावनाओं की जमीन को दुरुस्त करना चाहता है। इराक पर अमेरिकी कार्रवाई से अतिवादी इस्लामिक चरमपंथियों की गोलबंदी तेज हुई है। पिछले कुछ सालों से छोटे ग्रुप पाकिस्तान और अफगानिस्तान जा रहे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी को पता है कि करीब 20 भारतीय मुस्लिमों ने इस्लामिक स्टेट जॉइन किया है या करने की कोशिश में हैं। इस्लामिक स्टेर शिया समुदाय से घोर नफरत करता है फिर भी ऐसा हो रहा है। पूर्व खुफिया अधिकारी ने 

बताया कि 80 से 90 भारतीय मुस्लिमों ने अल कायदा, आईएस या ऐसे ही कट्टरवादी ग्रुप में शामिल हुए हैं। इन वाकयों को जवाहिरी निश्चित तौर पर नोटिस कर रहा होगा। जवाहिरी कमजोर पड़ रहे अलकायदा को इस्लामिक स्टेट और दूसरे आतंकियों संगठनों के सहारे फिर से जिंदा करना चाहता है। अमेरिका के ड्रोन अटैक, ओसामा बिन लादेन और कई बड़े कमांडरों के मारे जाने के बाद से अल कायदा की कमर टूट चुकी है। हालांकि जवाहिरी इस्लामिक स्टेट के शिया विरोधी रवैए से नाराज रहता है। यह सबसे बड़ा कारण है कि इस्लामिक स्टेट का अल कायदा में कोई निष्ठा नहीं है। अफगानिस्तान, अरब जगत और पश्चिम अफ्रीका में अल कायदा से जुड़े लोगों ने अपनी वफादारी इस्लामिक स्टेट में शिफ्ट कर ली है। 

जवाहिरी की सितारा अरब वर्ल्ड में लगातार डूब रहा है। ऐसे में वह साउथ एशिया में खुद को प्रासंगिक बनाने की कोशिश में लगा है। वह अरब वर्ल्ड की नाकामियों के साउथ एशिया में कामयाब करना चाहता है। नरेंद्र मोदी के चुने जाने, म्यांमार में मुस्लिमों का दमन और पाकिस्तान में अस्थिरता के बीच जवाहिरी अल कायदा की संभावनाओं को तलाश रहा है। ऐसे में वह भर्ती अभियान के साथ अपनी गतिविधि को बढ़ा सकता है। वह AQIS को तार्किक अंजाम तक पहुंचाना चाहता है। इसके माध्यम से जवाहिरी तहरीक-ए-तालिबान के ग्लोबल जेहाद को अजेंडे में शामिल कर सकता है। 

आश्चर्यजनक रूप से जवाहिरी ने मौलाना असीम उमर को AQIS का चीफ बनाया है। उमर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का पूर्व कमांडर है। उमर सीरिया और इराक में अपने लड़ाकों पर गर्व करता है। पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों का भी साफ मानना है कि तहरीक का सीरिया में मजबूत आधार है। अजय साहनी का कहना है कि अल कायदा सभी ग्रुपों- जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा है। साहनी के मुताबिक अल कायदा का इंडिया में फंक्शनल नेटवर्क नहीं है। हालांकि रॉ में सेकंड पोजिशन पर रहे राना बनर्जी का कहना है कि इस धमकी को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

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