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विशेष आलेख : मुस्लिम दुनिया का संकट और भारतीय मुसलमान

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पिछले दिनों कश्मीर में भी आईएसआईएस के झंडे लहराने कि घटनायें सामने आई है । दूसरी तरफ आतंकी संगठन अंसार-उल-तौहीद द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट में एक विडियो जारी किया गया है। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार विडियो में दिखाई दे रहा नकाबपोश 39 वर्ष का सुलतान अब्दुल कादिर आरमार है जो कर्नाटक के भटकल गाँव के एक छोटे व्यापारी का बेटा है। अगर यह खबर सही है तो यह पहली बार है जब एक भारतीय द्वारा सार्वजनिक  रूप देश के मुसलमानों को वैश्विक जिहाद के लिए आह्वान किया गया है। इधर बिन लादेन की मौत के बाद सुर्खियों से दूर रहे अलकायदा का जिन्न भी बोतल के बाहर आ गया है। अलकायदा की तरफ से जारी एक विडियो में अल जवाहिरी ने एलान किया है कि अब उसका  इरादा भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का झंडा लहराने का है। जवाहिरी के मुताबिक उसका संगठन अब "बर्मा, बांग्लादेश, असम,गुजरात और कश्मीर में"मुसलमानों को जुल्म से बचने के लिए लड़ाई लड़ेंगा। उसने भारत में तथाकथित “इस्लामिक राज” के वापसी की भी बात की है।

उपरोक्त घटनायें इस ओर इशारा करती हैं कि ग्लोबल जिहादियों के निशाने पर अब भारत और यहाँ के मुसलमान हैं, भारत के मुसलमानों ने अलकायदा के सरगना के आह्वाहन का सख़्त अल्फाज़ो में मुजम्मत  की है, लेकिन इस मुल्क के वहाबी इस्लाम के पैरोकार भी हैं जिनका सब से पहला टकराव उदार और सूफी इस्लाम के भारतीय सवरूप से ही है।

इस्लामिक स्टेट भी उसी पोलिटिकल इस्लाम की पैदाइश है जिसकी जडें वहाबियत में है, इनका दर्शन चौदहवी सदी के ऐसे सामाजिक-राजनीतिक प्रारुप को फिर से लागू करने की वकालत करता है, जहाँ असहमतियों की कोई जगह नहीं है, उनकी सोच है कि या तो आप उनकी तरह बन जाओ नहीं तो आप का सफाया कर दिया जायेगा।

पाकिस्तान के मशहूर कार्टूनिस्ट साबिर नज़र ने तथाकथित “अरब स्प्रिंग” को लेकर एक कार्टून बनाया है जिसमें दिखाया गया है कि विभिन्न अरब मुल्कों में बसंत के पौधे थोड़े बड़े होने के बाद जिहादियों के रूप में फलते–फूलते दिखाई पड़ने लगते हैं, शायद अरब स्प्रिंग की यही सचाई है। अपने आप को दुनिया भर में लोकतंत्र के सबसे बड़े रखवाले के तौर पर पेश करने वाले पश्चिमी मुल्कों ने अपने हितों के खातिर एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से इराक में सद्दाम हुसैन, इजिप्ट में हुस्नी मुबारक और लीबिया में कर्नल गद्दाफी आदि को उनकी सत्ता से बेदखल किया है, इन हुक्मरानों का आचरण परम्परागत तौर पर सेक्यूलर रहा है। आज ये सभी मुमालिक भयानक खून-खराबे और अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं, अब वहां धार्मिक चरमपंथियों का बोल बाला है। “इस्लामिक स्टेट” कुछ और नहीं बल्कि तथाकथित अरब स्प्रिंग की देन है। इस्लामिक स्टेट द्वारा आज बहुत कम समय में इराक़ और सीरिया के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्ज़ा जमा लिया गया है। 

एकांगी इस्लाम में विश्वास करने वाले इस्लामिक स्टेट के सबसे पहले शिकार तो चरमपंथी,सूफी और ग़ैर-सुन्नी मुसलमान ही हैं,वे सूफी और ग़ैर-सुन्नी मुसलामनों के एतिहासिक धार्मिक स्थलों को तबाह कर रहे है क्योंकि उनका शुद्धतावादी वहाबी इस्लाम बताता है कि कब्रों और मक़बरों पर जाना इस्लाम के खिलाफ है। उनकी सोच कितनी संकुचित है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों उन्होंने एक आदेश जारी किया है कि दुकानों पर लगे हुए सभी बुतों के चेहरे ढके हुए होने चाहिए। आईएस के वहशियों द्वारा की जा रही बर्बरता की दास्तानें रोंगटे खड़ी कर देने वाली हैं, पूरी दुनिया यजीदी समुदाय का बड़े पैमाने पर किये जा रहे जनसंहार को लगातार देख और सुन रही है, यजीदी समुदाय की महिलाओं और बच्चों को जिंदा दफन और महिलाओं को गुलाम बनाया जा रहा है। अगवा किया गये अमेरिकी- बिर्टिश पत्रकारों की गर्दन काटते हुई विडियो जारी किये जा रहे हैं ! इस्लामिक स्टेट के लोग गुलामीप्रथा के वापसी की वकालत कर रहे हैं जिसमें औरतों कि गुलामी भी शामिल है , पिछले दिनों इस्लामिक स्टेट की अधिकृत पत्रिका‘”दबिक” में “गुलामी प्रथा की पुनस्र्थापना” नाम से एक लेख छपा था जिसके अनुसार इस्लामिक स्टेट अपनी कार्यवाहियों  के दौरान ऐसी प्रथा की पुनस्र्थापना कर रहा है जिसे ‘शरिया  में मान्यता प्राप्त है। पत्रिका में बताया गया है कि शरिया के अनुसार ही वे पकड़ी गई महिलाओं और बच्चों का बंटवारा कर रहे हैं । उनका मानना है है कि यह उनका  अधिकार है कि वे इन महिलाओं के साथ जैसा चाहे सुलूक करें,वे उन्हें गुलामों की तरह भी रख सकते हैं। यह सब कुछ मजहब के नाम पर हो रहा है। 

इस्लामिक स्टेट का मंसूबा है कि 15वीं सदी में दुनिया के जितने हिस्से पर मुसलमानों का राज था, वहां  दोबारा इस्लामी हुकूमत कायम की जाये, शायद इसी वजह से इस्लामिक स्टेट ने खिलाफत का ऐलान करते हुए अपने नेता अबु अल बगदादी को पूरी दुनिया के मुसलमानों का खलीफा घोषित कर दिया है, यह स्वयम्भू खलीफा दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट हो कर इस्लामी खिलाफत के लिए जिहाद छेड़ने की अपील जारी कर रहा है।

तो इन सब का असर भारत पर क्या हो रहा है ? पिछले दिनों नदवा जैसी विश्वविख्यत इस्लामी शिक्षा केंद्र के एक अध्यापक सलमान नदवी द्वारा आई एस आई एस के सरग़ना अबूबकर बग़दादी को एक ख़त लिख कर उसकी हुकूमत को बधाई दी गयी है, ख़त का मजमून कुछ यूँ है– “आप जो भूमिका निभा रहे हैं उसको सभी ने स्वीकार किया है और आप को अमीर उल मोमेनीन (खलीफा) मान लिया है”। इसी तरह से महाराष्ट्र के चार युवा जो की पढ़े लिखे प्रोफेशनल है जिहादियीं का साथ देने इराक चले गये है। तमिलनाडु में मुस्लिम युवाओं द्वारा इस्लामिक स्टेट के चिन्हो वाली टीशर्ट बांटे जाने की खबर भी सामने आई है, सोशल मीडिया पर भी पर इस्लामिक स्टेट के तारीफ में पोस्ट और फोटो शेयर किये जा रहे हैं, इन्हें इस्लामिक स्टेट, अल क़ायदा और तालिबान के खूंखार हत्यारों में अपना मसीहा और इराक के क़त्लेआम में एक इस्लामी देश की स्थापना के लिए लड़ा जाने वाला धर्मयुद्ध नज़र आता है।

बेशक यह सब घटनायें चिंता का सबब है। लेकिन इसके बरअक्स आज भी भारत ज्यादातर मुसलमान  सूफी और उदार इस्लाम में यकीन करते हैं और ख्वाजा मुईन-उद-द्दीन चिश्ती, कुतबुद्दीन बख्तियार खुरमा, निजाम-उद-द्दीन औलिया, अमीर खुसरो, वारिस शाह, बुल्लेशाह, बाबा फरीद जैसे सूफियों के तालीम को  मानते है, इस्लाम का भारतीय संस्करण उदार है, इसमें भारत के स्थानियता (लोकेलिटी) समाहित है। भारत में सूफी-संतों की वजह से इस्लाम की एक रहस्यमयी और सहनशील धारा सामने आई जो एकांकी नहीं है। सूफियों-संतों ने दोनों धर्मों की कट्टरता को नकारा और सभी मतों, पंथों से परम्पराओं और विचारों को ग्रहण किया। उन्होंने हिन्दू और मुसलमानों को सहनशीलता, एक दूसरे के धर्म का आदर करना और साथ रहना, तमाम कोशिशों के बावजूद एक दुसरे के भावनाओं को इज्ज़त करने और साथ मिल कर रहने की तालीम दी जिसका असर अभी भी बाकी है। भारत में ऑल इंडिया उलमा एंड मशाइख़ बोर्ड जैसे संगठन वहाबी (सलफ़ी) विचारधारा का जमकर विरोध कर रहे हैं, करीब चार साल पहले ही इस संगठन द्वारा भारत में वहाबियत के प्रसार के खिलाफ एक रैली कि गयी थी  जिसमें लाखों लोग शरीक हुए और नारा दिया गया ‘वहाबी की ना इमामत कुबूल है, ना कयादत कुबूल’।

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू कहा है कि,“यह अल क़ायदा की ग़लतफ़हमी है कि भारतीय मुसलमान उसके इशारों पर नाचेंगे....भारतीय मुसलमान देश के लिए ही जिएंगे और भारत के लिए ही जान देंगे,” मोदी ने ये बात अलकायदा द्वारा कुछ दिनों पहले जारी की गयी उस विडियो को लेकर पूछे गये प्रश्न के उत्तर में कही हैं जिसमें अलकायदा ने भारत में अपनी शाखा खोलने और भारतीय मुसलमानों की मदद करने कि बात की है। 

लगभग इसी दौरान में देश के प्रख्यात न्यायविद फली एस. नरीमन ने मोदी सरकार को बहुसंख्यकवादी बताते हुए चिंता जाहिर की है कि बीजेपी-संघ परिवार के संगठनों के नेता खुलेआम अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयान दे रहे हैं लेकिन सीनियर लीडर इस पर कुछ नहीं कहते। जिस प्रकार से नयी सरकार बनने के बाद से संघ परिवार आक्रमक तरीके से लगातार यह सुरसुरी छोड़ रहा है कि भारत हिन्दू राष्ट्र है,यहाँ के रहने वाले सभी लोग हिन्दू है, उससे फली एस. नरीमन जी कि चिंता सही जान पड़ती है, और प्रधानमंत्री कि कथनी और करनी में फर्क साफ़ दिखाई दे रहा है । 

प्रधानमंत्री को  मुसलमानों को देशभक्ति का प्रमाणपत्र देने कि जगह संघ परिवार और अपने पार्टी के उन नेताओं पर लगाम लगाना चाहिए जो भारत के बहुलतावादी सवरूप को नष्ट करके इसे हिन्दू राष्ट्र बनाने का मंसूबा पाले हुए हैं, दरअसल इनकी ये  हरकतें  परोक्ष रूप से जिहादी संगठनों और मुल्क मैं मौजूद उनके तलबगारों को मदद ही पहुचायेगी , मुसलमानों को दोयम दर्जे  का नागरिक बना देने कि इनकी जिद वहाबियत का रास्ता आसान करेगी, क्यूंकि इसी बहाने वे नवजवानों को जुल्म और भेद-भाव  का हवाला  देकर  उन्हें अपने साथ खड़ा करने कि कोशिश कर सकते हैं । 

अगर भारत को इस्लामिक स्टेट या अलकायदा जैसे संगठनों से कोई खतरा है तो इसका सबसे ज्यादा असर यहाँ के मुसलमानों पर पड़ेगा, इस मुल्क के एक- आध फीसीदी मुसलमान भी अगर इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे जिहादी संगठनों कि इमामत स्वीकार कर लेते हैं तो भारत के मुसलमान भी भी उसी आग का शिकार हो सकते हैं जिसमें  पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान जल रहे हैं । 

लेकिन ऐसा होना उतना आसान नहीं है, दक्षिण एशिया में इस्लाम का इतिहास करीब हजार साल पुराना है ,इस दौरान यहाँ सूफियों का ही वर्चस्व रहा हैं, भारत में इंडोनेशिया के बाद दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है, पूरी दुनिया में कट्टरवाद के उभार के बावजूद भारतीय मुसलमान अपने आप को  रेडिकल होने से बचाये हुए है, लेकिन अब वे आईएसआईएस और अलकायदा जैसे जिहादी संगठनों के निशाने पर है, भारत में इस खतरे का सबसे ज्यादा मुकाबला यहाँ के मुसलमानों को ही करना पड़ेगा. ठीक उसी तह से जैसे उन्होंने 26/11 के मुंबई हमले में मारे गये नौ आतंकियों के लाशो को यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया था कि, “वे भले ही खुद को इस्लाम का शहीद कहते हुए मरे हों लेकिन हमारे लिए वे इंसानियत के  हत्यारे हैं” यही नहीं इनको लाशों को मुंबई के “बड़े कब्रिस्तान” में दफनाने के लिए जगह देने लायक भी नहीं समझा था . उम्मीद है कि इस बार भी भारतीय मुसलमान आईएसआईएस और अलकायदा जैसे मानवता विरोधी संगठनों को उनकी ठीक जगह दिखाने में  कामयाब   होंगें । 






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(जावेद अनीस)


ए.आई.एस.एपफ. के छात्रों ने शिक्षा मंत्राी वृषण पटेल का पुतला पुफंका

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वैशाली के गाजीपुर हाई स्कूल को विलोपित किये जाने के विरोध् में ए.आई.एस.एपफ. के छात्रों ने शिक्षा मंत्राी वृषण पटेल का पुतला पुफंका, पिछले छः दिनों से अनशन पर बैठे छात्रों की हालत हुई गंभीर, अस्पताल में भर्ती, मांगे जल्द पुरा नहीं हुआ तो होगा उग्र आंदोलन ।
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पटना- वैशाली के गाजीपुर में स्थित हाई स्कूल को साजिश के तहत विलोपित किये जाने के विरोध् में आज आॅल इंडिया स्टूडेन्ट्स पेफडरेशन ;।प्ैथ्द्ध से जुड़े छात्रों ने शिक्षा मंत्राी का पुतला पुफंका । छात्रों का आरोप है कि पूर्व में उत्क्रमित किये गए स्कूल को शिक्षा मंत्राी वृषण पटेल के सह पर बुनियादी विद्यालय कर दिया गया जिसके खिलापफ ए.आई.एस.एपफ. वैशाली जिला परिषद के छात्रा आज छठवें दिन अनशन पर बैठें हैं जिसके समर्थन में ए.आई.एस.एपफ. पटना जिला परिषद ने पटना विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर शिक्षा मंत्राी का पुतला पुफंका ।
ए.आई.एस.एपफ. के राज्य सचिव सुशिल कुमार ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग इस पुरे मामले पर पुरी तरह जिम्मेवार है, उन्होंने कहा कि अगर छात्रों के हित में जल्द से जल्द कार्रवाई कर पूर्व की भाति गाजीपुर हाई स्कूल को दर्जा नहीं दिया गया तो छात्रा राज्य व्यापी आंदोलन करने को विवश होगें ।
सभा को सम्भोदित करते हुए संयुक्त रूप से राज्य उपाध्यक्ष निखील कुमार झा, पटना जिला अध्यक्ष महेश कुमार ने कहा कि मुख्य मंत्राी श्री मांझी की वर्तमान सरकार शिक्षा व छात्रों के भविष्य को चैपट करने पर आतुर है । सभा की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष दिवाकर झा ने किया । पुतला दहन कार्यक्रम में मुख्या रूप से जिला उपाध्यक्ष पुष्पेंद्र शुक्ला, इन्द्रभुषण राय, आदित्य कुमार, राहुल कुमार, विकाश कुमार, प्रभात रंजन, गोविन्द कुमार, देवाशिष पंडित, कुष्ण मुरारी, विद्या शंकर दुबे आदि दर्जनों छात्रा शामिल थे ।

अणुव्रत लेखक पुरस्कार से डाॅ. बजरंगलाल गुप्ता सम्मानित

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  • लेखक अंधकार को दूर करने के लिए नैतिकता रूपी दीप जलाएं: आचार्य महाश्रमण

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नई दिल्ली, अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट नैतिक एवं आदर्श लेखन के लिए प्रदत्त किया जाने वाला ‘अणुव्रत लेखक पुरस्कार’ वर्ष-2014 के लिए प्रख्यात अर्थशास्त्री, समाजसेवी, यशस्वी साहित्यकार डाॅ. बजरंगलाल गुप्ता को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में अध्यात्म साधना केन्द्र, मेहरौली (दिल्ली) में प्रदत्त किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि आरएसएस के सह सरकार्यवाहक श्री भैयाजी जोशी, अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री डालचंद कोठारी, महामंत्री श्री मर्यादा कोठारी, पुरस्कार के प्रायोजक परिवार के श्री चैथमल श्यामसुखा, अणुव्रत लेखक मंच के संयोजक श्री ललित गर्ग ने डाॅ. गुप्ता को इक्यावन हजार रुपए की राशि का चैक, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदत्त कर उन्हें सम्मानित किया। डाॅ. गुप्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के संघचालक हैं। आपकी ‘भारत का आर्थिक इतिहास’, ‘विवेकानंद के सपनों का भारत’ एवं ‘हिन्दू अर्थचिंतन’ प्रमुख कृतियां हैं।  

आचार्यश्री महाश्रमण ने डाॅ. गुप्ता की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए कहा कि डाॅ. गुप्ता राष्ट्रीय एकता एवं नैतिक मूल्यों के उन्नयन के लिए खूब अच्छा काम कर रहे हैं। इस पुरस्कार से उनके ऊपर और ज्यादा जिम्मेदारी आ गई है। यह पुरस्कार और ज्यादा काम करने की प्रेरणा देने वाला बने। आप पवित्र सेवाएं देते रहें। 

आचार्य श्री महाश्रमण ने आगे कहा कि आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। जिसका उद्देश्य है मनुष्य अच्छा मनुष्य बने। लेखक की समाज-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेखक के द्वारा अच्छे विचार दिये जा सकते हैं। लेखक अंधकार को कम कर सकता है। लेखक के द्वारा समाज में व्याप्त विसंगतियों एवं बुराइयों को दूर करने के दीप प्रज्ज्वलित किये जा सकते हैं। आदमी श्रेय को समझे और ऐसा समाज-निर्माण का कार्य करंे।

मुख्य अतिथि भैयाजी जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि     सशक्त, समृद्ध एवं सुसंस्कृत राष्ट्र निर्माण में नैतिक मूल्यों का महत्वपूर्ण योगदान है। अणुव्रत आंदोलन देश को नैतिक दृष्टि से सशक्त बनाने का विशिष्ट उपक्रम है। वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमणजी व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र को नैतिक दृष्टि से सुदृढ़ बना रहे हैं। यही राष्ट्र की सुदृढ़ता का मूल आधार भी है। राजनीति में नैतिकता की स्थापना जरूरी है। शुचिता और सादगी की शक्तियों का समन्वय करके ही राजनेता देश को वास्तविक एवं आदर्श नेतृत्व दे सकते हैं। श्री भैयाजी ने आचार्य श्री तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि मेरा आचार्य तुलसी के साथ संपर्क रहा। मुझे आज इस कार्यक्रम में आकर सुखद महसूस हो रहा है। भैयाजी ने डाॅ. गुप्ता की सेवाओं की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी सुदीर्घ सेवाएं रही हैं, ऐसा सम्मान-पुरस्कार व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन का काम करता है। 

अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित डाॅ. गुप्ता ने आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए महान् संतपुरुषों का आशीर्वाद है। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्यश्री महाश्रमण का असीम अनुग्रह, स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि अणुव्रत का प्रारब्ध तत्व नैतिकता है। अणुव्रत मानवता की आचारसंहिता है। मेरे लिए यह प्रसन्नता की बात है कि मैं इस आंदोलन के साथ जुड़कर मानवता की सेवा कर सका। आचार्य श्री महाश्रमण से ऐसे आशीर्वाद की कामना है कि उनके नैतिक और मानवतावादी कार्यक्रमों में अपने आपको अधिक नियोजित करते हुए समाज और राष्ट्र की अधिक-से-अधिक सेवा कर सकूं।

इस अवसर पर श्री सुखराज सेठिया ने भैयाजी जोशी का एवं श्री पदमचंद जैन ने डाॅ. बजरंगलाल गुप्ता का जीवन-परिचय प्रस्तुत किया। अणुव्रत महासमिति द्वारा आरएसएस के श्री नंदलाल बाबाजी, श्री इंद्रेशजी एवं श्री चैथमल श्यामसुखा का प्रतीक चिन्ह प्रदान कर श्री शांतिलाल जैन, श्री रतनलाल सुराणा, श्री बुद्धसिंह सेठिया, श्री सुखमिंदर पाल सिंह ग्रेवाल, श्री शांतिलाल पटावरी ने सम्मानित किया। कार्यक्रम का संयोजन श्री ललित गर्ग ने किया। आभार ज्ञापन श्री बाबूलाल दुगड़ ने किया।

स्वर्गीय ‘शासनभक्त’ हुकुमचंद सेठिया, जलगाँव (महाराष्ट्र) की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले अणुव्रत लेखक पुरस्कार से अब तक स्व॰ श्री धरमचंद चोपड़ा, डाॅ. निजामुद्दीन, श्री राजेन्द्र अवस्थी, श्री राजेन्द्र शंकर भट्ट, डाॅ. मूलचंद सेठिया, डाॅ. के. के. रत्तू, डाॅ. छगनलाल शास्त्री, श्री विश्वनाथ सचदेव, डाॅ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, डाॅ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा जैन एवं प्रो. उदयभानू हंस, श्री ललित गर्ग सम्मानित हो चुके हैं। 

बिहार : माटी तेरी काया रे प्राणी, माटी में मिल जाएगा........

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पटना। संत माइकल उच्च विघालय के सामने प्रेरितों की रानी ईश है। इसके बगल में कुर्जी कब्रिस्तान है। दोपहर में कुर्जी पल्ली के ईसाई धर्मावलम्बियों का आगमन शुरू। दो हजार की संख्या से अधिक लोग उपस्थित रहे। आने वाले लोगों के हाथों में फूल, मोमबत्ती, अगरबत्ती आदि थे।कब्रिस्तान में आए और मृत परिजनों की कब्र में सजावट करने लगे। कुछ ही मिनटों में रौनकदार कब्र बन गयी।  

जी हां, आज ईसाई समुदाय ने मुर्दों का पर्व मनाया। अन्य कब्रिस्तानों की तरह कुर्जी कब्रिस्तान में मुर्दों का पर्व मनाया गया। इसके लिए मृतक के परिजन दोहपर में ही घर से निकल गए।कब्रिस्तान में आकर यहां सीधे मृत परिजन की कब्र पर गए। नम्र आंखों से बाजार से लाए गेंदा के फूलों से कब्र की सजावट की गयी। फूलों से सजावट करने के बाद परिजन मोमबत्ती और अगरबत्ती भी जला दिए। इस बीच कुर्जी पल्ली की प्रेरितों की रानी ईश मंदिर से विशेष वस्त्रधारण कर पुरोहितगण निकले। इस लघु जुलूस के आगे बच्चे चल रहे थे। एक बच्चे के हाथ में क्रूसित प्रभु येसु ख्रीस्त की लकड़ी वाली सलीब और दो बच्चों के हाथों  में जलती मोमबत्ती थमायी गयी थी। इसका नेतृत्व कुर्जी पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित फादर अगस्तीन किस्कू ने किया। कब्रिस्तान में जाकर लघु जुलूस धार्मिक अनुष्ठान में तब्दील हो गया। इसके बाद कब्रिस्तान में निर्मित बलिवेदी पर धार्मिक अनुष्ठान शुरू किया गया। मुख्य अनुष्ठानकर्ता फादर अगस्तीन किस्कू थे। इनके साथ फादर फादर इग्नासियुस अब्राहम, फादर सुशील साह,फादर हेनरी रूमेल्लो, फादर जोनसन आदि थे। 

मौके पर कुर्जी पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित फादर अगस्तीन किस्कू ने कि हमलोगों के बीच से परिजनों के चले जाने के बाद अपार दुख होता है। माता कलीसिया ने मृत परिजनों को स्मरण करने का मौका प्रदान की है। प्रत्येक साल 2 नवम्बर को मुर्दों का पर्व मनाया जाता है। यह विश्वभर में मनाया जाता है। आप जरूर ही मर्माहत हैं। हम यूख्रीस्तीय भोज में मृत परिजनों को याद करें। इनके आत्मा की शांति के लिए दुआ करें। इसके बाद धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुआ। अनुष्ठान के बीच में श्रद्धालुओं के बीच में पुरोहितों के द्वारा परमप्रसाद वितरण किया गया। 

वहीं एंग्लो-इंडियन समुदाय के झारखंड विधान सभा के विधायक ग्लेन जौर्ज ग्लेनस्टेन, कांग्रेसी नेता, सिसिल साह, सुशील साह, जेवियर लुइस, पीडी अगस्टीन ,क्लारेंस हेनरी, एस.के. लौरेंस, विन्सेट हेनरी ,लुसी रिचर्ड आदि लोग उपस्थित थे। इन लोगों ने मृत परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित किए। धार्मिक अनुष्ठान के बाद पुरोहितों ने घुमघुमकर कब्रों पर पवित्र जल का छिड़काव किए। इस बीच कुर्जी पल्ली के गायन मंडली के द्वारा गीत प्रस्तुत की गयी। माटी तेरी काया रे प्राणी, माटी में मिल जाएगा........। जी हां, विधि के विधान के सामने नस्तमस्तक होकर इस धरती से प्राणी को जाना ही है। इस सच्चाई को स्वीकार करके लोग गीत गुनगुनाने से परहेज नहीं किए।पुरोहितों के द्वारा पवित्र जल का छिड़काव करते समय उपस्थित श्रद्धालु क्रूस का चिन्ह बनाते चले जा  रहे थे। सभी तरह के धार्मिक कार्य में भाग लेकर लोग मायुष होकर घर लौंटे।


  
(आलोक कुमार)

1 नवम्बर को सभी संतों का पर्व और 2 नवम्बर को सभी मृतकों का पर्व ईसाई समुदाय कब्रिस्तान में मनाया मुर्दों का पर्व

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पटना। आज ईसाई समुदाय सभी ‘संतों’ का पर्व मना रहे हैं। कल ईसाई समुदाय मुर्दों का पर्व मनाएंगे। अल्पसंख्यक सभी संतांे का पर्व को लेकर उत्साहित रहे। वहीं मुर्दों का पर्व मनाने की तैयारी में लग गए हैं। कब्रों को रौनकदार बनाने में लगे हैं। कम्प्यूटर से मिलाकर रंगों से कब्र को रंगा जा रहा है। क्रूस को रंगकर नाम लिखा जा रहा है। परेशानी यह है कि प्रायः कब्र में एक से अधिक लोगों को दफनाया गया है। किसका नाम लिखे और किसका नाम नहीं लिखे को लेकर उहापोह की स्थिति बन जा रही है। जो भी क्रूस पर जरूर ही नाम लिखा जा रहा है। 

ईसाई समुदाय सभी संतांे का पर्व मना रहे हैंः आज शनिवार को ईसाई समुदाय सभी संतों का पर्व मना रहे हैं। आज धर्मावलम्बी लोग गिरजाघर में गए। वहां पर जाकर श्रद्धापूर्ण ढंग से प्रार्थना किए। प्रार्थना के दौरान श्रद्धालुओं ने सभी संतों से परिवार में सहयोग देने और कृपा बरसाने का आग्रह किए। पुरोहितों ने पवित्र परमप्रसाद वितरण किए। जिसे भक्तिभाव से ग्रहण किया गया। 

ईसाई धर्मावलम्बी ‘संतांे’ं के नाम से ही नाम रखते हैंः ईसाई समुदाय के अनेक ‘संत’ हैं। इनका अनेक नाम है। इन्हीं ‘संतों’ का नाम रखा जाता है। यह नाम स्नान संस्कार ‘बपतिस्मा’ के समय रखा जाता है। चर्चित संतांे ंके नामों में जोसेफ, मरिया, जौर्ज, जोन, थोमस, अगस्तीन, लुकस जेवियर, फ्रांसिस आदि हैं। इन्हीं ‘संतों’ के नाम से संस्थाओं का नाम भी रखा जाता है। ईसाई समुदाय ‘संतों’ का नाम और अपने जन्म दिन को उत्साह से मनाते हैं। अब तो ‘संतों’ का नामों का हिन्दीकरण भी हो गया है। अब लोग हिन्दीकरण ही नाम को स्वीकार करने लगे हैं। पहले के नाम को विदेशी नाम करके उन नामों को ठुकराने लगे हैं। 

मुर्दों का पर्व 2 नवम्बर कोः ईसाई समुदाय को कब्र में दफनाया जाता है। इसी को कब्रिस्तान कहा जाता है। कोई ईसाई व्यक्ति मर जाते हैं। तो उनके शव को बाॅक्स रखकर कब्र के नीचे उतारा जाता है। उस वक्त अंतिम संस्कार में भाग लेने आए लोग ‘मिट्टी’डालते हैं। अब तो फूल भी डालते हैं। ऐसे लोगों को यानी मुर्दों का पर्व 2 नवम्बर को मनाया जाता है। मृतकों के कब्र को सावधानी से रखा जाता हैं इसके लिए कब्र के ऊपर क्रूस लगाया जाता है। लोहे के क्रूस पर मृतक का नाम लिख दिया जाता है। ताकि पहचान कायम रहे। इस कब्र को रौनकदार बनाया जा रहा है। 

कुर्जी कब्रिस्तान में 2 बजे से अनुष्ठानः कुर्जी कब्रिस्तान में मुर्दों का पर्व के अवसर पर 2 बजे से अनुष्ठान होगा। इस दिन तीन बार मिस्सा पूजा की जाती है। दो बार सुबह में मिस्सा पूजा होती है। अंतिम तीसरी बार कब्रिस्तान में पूजा की जाती है। आज के दिन सूबे के सभी ईसाई कब्रिस्तान में मिट्टी को समर्पित लोगों की याद में कब्र के पास परिजन आंसू बहाने लगते हैं। यह भावनात्मक बिखराव और घनिष्ता को दर्शाता है। इसी कारण सप्ताह भर पहले ही कब्र को दुरूस्त करने का कार्य आरंभ कर दिया जाता है।मृतक के परिजन कब्रों की सुन्दरता लाने का प्रयास को अंतिम रूप दे रहे हैं। कल कब्र पर फूल,अगरबत्ती,मोमबत्ती चढ़ाया जाएगा। दोपहर समय में मोमबत्र्ती और अगरबत्ती जलाया जाएगा। पुरोहितों के द्वारा धार्मिक अनुष्ठान, परमप्रसाद आदि रस्म अदायगी करके अंत में सभी कब्रों के पास पहुंचकर पवित्र जल का छिड़काव करते हैं।



आलोक कुमार

केन्द्र सरकार का छात्र-युवा विरोधी चेहरा उजागर: परवेज

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  • शिक्षा के व्यवसायीकरण-निजीकरण के खिलाफ 3-4 दिसंबर को भोपाल जायेगें छात्र: प्रिंस
  • प्रकाश बने औरंगाबाद के जिला संयोजक, 24 को सिन्हा कॉलेज व 27 नवबंर को अम्बा प्रखंड का होगा सम्मेलन

aisf news aurangabad
औरंगाबाद। केन्द्र की मोदी सरकार ने विभागों में नयी बहाली पर एक वर्ष के लिए रोक लगाकर अपने छात्र व युवा विरोधी चेहरा दिखा दिया है। मोदी ने देश के युवाओं से बेरोजगारी के सवाल पर वोट लिया था। सत्ता में आने के बाद नयी बहाली पर रोक लगाकर मोदी ने बेरोजगार युवओं के साथ क्रुर मजाक किया है। एआईएसएफ इसे बर्दास्त नहीं करेगा। उक्त बातें आज एआईएसएफ की औरंगाबाद जिला ईकाइ की बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष परवेज आलम ने कहा। उन्होंने छात्रों और युवाओं से मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने की अपील की। एआईएसएफ की बैठक आज रविवार को शहर के श्रीकृष्ण नगर में प्रकाश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। बैठक में सदस्यता अभियान तेज करने का फैसला लिया गया। अगामी 24 नवबंर को शहर के सिन्हा कॉलेज ईकाइ और 27 नवबंर को अम्बा प्रखंड ईकाइ का सम्मेलन कराने का निणर्य लिया गया। वहीं जिला सम्मेलन पर चर्चा की गयी। जिला सम्मेलन तक अम्बा ईकाइ के अध्यक्ष रहे प्रकाश कुमार को जिला संयोजक चुना गया। अम्बा में सम्मेलन कराने की जिम्मेवारी आकाश कुमार व रवि कुमार को दिया गया। बैठक में जिला के अंदर छात्रों की समस्यओं पर आंदोलन तेज करने का निणर्य लिया गया। बैठक में अपने विचार रखते हुए एआईएसएफ के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य प्रिंस कुमार ने कहा कि शिक्षा के निजीकरण-व्यवसायीकरण के खिलाफ एआईएसएफ की राष्ट्रीय परिषद के फैसले के आलोक में शिक्षा संघर्ष यात्रा में औरंगाबाद से 3-4 दिसंबर को छात्र भोपाल जायेगें। बैठक में अविनाश सागर, रौशन कुमार, संतोष कुमार, निखिल कुमार, रवि कुमार, आकाश कुमार, पुष्पक भंडारी, रितेश कु मार सिंह के अलावा दर्जनों की संख्या में छात्र शामिल थे ।

बर्धवान विस्फोट मामले का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

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पश्चिम बंगाल पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए बर्दवान विस्फोट के मास्टरमाइंड बांग्लादेशी नागरिक साजिद को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। साजिद को आतंकी समूह जमात-उल-मुजाहिद्दीन (जेएमबी) का चीफ कमांडर बताया जा रहा है। साजिद की गिरफ्तारी पर एनआईए ने 10 लाख का इनाम रखा था। विस्फोट के मास्टरमाइंड को उत्तरी 24 परगना जिले के एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया।

बिधाननगर के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने बताया कि विस्फोट मामले में शनिवार को एक बांग्लादेशी नागरिक शेख रहमतुल्लाह को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि वह ही बर्दवान विस्फोट का मास्टरमाइंड साजिद है। एनआईए ने साजिद की गिरफ्तारी पर 10 लाख का इनाम घोषित किया था। उन्होंने बताया कि साजिद उर्फ शेख रहमतुल्लाह बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन का सदस्य है और जमात की सेंट्रल कमेटी मजलिस-ए-सूरा का भी सदस्य है। उन्होंने कहा कि साजिद बांग्लादेश की जेल में कुछ साल काट चुका है।

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आतंकी को पैसे और कूरियर का जाल बिछाकर गिरफ्तार किया गया और जब आतंकी धनराशि लेने के लिए आया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से करीब 1 लाख रुपये बरामद किए गए। सूत्रों ने बताया कि साजिद की गिरफ्तारी से जांच में नई जान आ गई है। साजिद मुर्शिदाबाद जिले के मुकीमनगर स्थित लालगोला मदरसे के पास रह रहा था। पश्चिम बंगाल पुलिस साजिद को एनआईए को सौंपेगी। 2 अक्टूबर को बर्दवान के खगरागढ़ स्थित मकान में विस्फोट हुआ था, जिसमें शकील अहमद नाम के एक व्यक्ति की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य सोवन मंडल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। दोनों पर आतंकी होने का संदेह था। इस विस्फोट में घायल व्यक्ति की सूचना की मदद से असम में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार व्यक्तियों ने साजिद और उसकी पत्नी फातिमा की सिमुलिया मदरसे में 'प्रमुख प्रशिक्षक'के तौर पर पहचान की जहां लोगों को जेहाद की शिक्षा दी जाती थी और उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए तैयार किया जाता था। साजिद पर आरोप है कि उसने एक अन्य बांग्लादेशी नागरिक कौसर को बर्दवान में मदरसे के लिए जमीन खरीदने के लिए 8.75 लाख रुपये दिए थे।

विशेष आलेख : कहां से लाऊं हिम्मत जीने की

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जम्मू एवं कष्मीर में आई बाढ़ ने लोगों से उनका सब कुछ छीन लिया। कुछ परिवार ऐसे हैं जो अतीत के भय के साए से अभी भी नहीं निकल पा रहे हैं। निकलें भी कैसे इन्होंने अपना घर-बार और अपनों को जो खोया है। एक ऐसा ही परिवार जम्मू एवं कष्मीर के पुंछ जि़ले की तहसील मंडी के साब्जि़यां के छोल पंचायत के बराड़ी गांव का है। इस परिवार ने बाढ़ की वजह से अपना सब कुछ खो दिया है। चरखा के ग्रामीण लेखकों ने जब इस गांव का दौरा किया तो इस परिवार की आप बीती को सुनकर उनके रोंगटे खड़े हो गए। इस परिवार ने अपने दर्द की दास्तां कुछ इस तरह बयान की। सुबह के साढ़े सात बजे थे, नाष्ता तैयार हुआ था, घर में हमारे परिवार के 13 सदस्य मौजूद थे। बारिष काफी तेज़ हो रही थी, हर ओर से ज़ोर ज़ोर आवाज़े सुनाई दे रही थीं। इतने में एक ज़ोरदाज़ आवाज़ के साथ भूस्खलन हुआ जिसने हमारे घर को अपनी चपेट में ले लिया। मैं आवाज़ को सुनते ही किसी तरह खिड़की से छलांग लगाने में कामयाब हो गया। करीब दस मिनट बाद मुझे होष आया तो देखा कि मेरा घर खत्म हो चुका है। उस समय षोर मचाने के सिवाय मैं कुछ नहीं कर सका। कोई बचाओ, कोई बचाओ बहुत देर तक मैं चिल्लाता रहा लेकिन घर के पास-पड़ोस में नाले के पानी के तेज़ बहाव के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। 
               
बड़ी मुष्किल से एक व्यक्ति मोहम्मद सलीम मुझे देखकर जैसे ही मेरे पास आया मैं फिर से बेहोष हो गया। एक घंटे की बेहोषी के बाद जब मुझे होष आया तो अपना उजड़ा घर और खड़े हुुए बेबस लोग नज़र आए। मेरे घर में 13 लोग थे जिनमें से मैं ही सलामत बच पाया। इसके अलावा 20 भेड़-बकरियां, 4 भैंसे, 4 गायें, 1 घोड़ा, 20 मुर्गे और घर में रखे 50-60 हज़ार सब कुछ खत्म हो चुका था। आस-पास के और मेरे घर के ज़ख्मी लोगों की एक लंबी कतार नज़र आ रही थी, चारों ओर खून ही खून था, जिसको देखकर सहनषीलता खत्म हो गयी थी। इस हादसे में मेरे पिता सैद मोहम्मद जो उप सरपंच थे उनका देहांत हो गया था। हमारा गांव बरीयाड़ी पहले से ही पिछड़ा हुआ था और अब हमारी आवाज़ और दब चुकी है क्योंकि जनता की आवाज़ को बुलंद करने वाला कोई नहीं बचा है। मैं यह सब बर्बादी अपनी आंखों से देख रहा था मगर कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं था। 
              
बेबसी और नाउम्मीदी और बढ़ रही थी। ज़ख्मियों कों अस्पताल रवाना किया जा रहा था। पहले एक घंटे में नौ ज़ख्मियों को निकाला गया। अब तलाष मेरी भाभी और दादी की थी क्योंकि वह भी मलबे में दब चुकी थीं। षाम को करीब तीन बजे मेरी भाभी सफूरा बेगम (20) की लाष मलबे में दबी हुई मिली, जिनकी षादी तीन महीने पहले ही हुई थी। निराषा के साथ तलाष अब मेरी दादी बूबा बी की चल रही थी। पहले दिन हम उन्हें ढूंढ़ने में नाकाम रहे। अगले दिन करीब चार बजे उनकी लाष को निकाला गया। इस घटना में मेरी प्यारी सी गुडि़या नगीना बी (12) की टांग कट चुकी थी। मेरी पत्नी अनवार जान की कमर की हड्डी टूट चुकी थी। परिवार के मुख्तार अहमद की तीन पसलियां टूटी, ज़हीर अहमद का कान कट गया, इमरान खान के सिर में गहरे ज़ख्म आए। इस तरह इस हादसे में घर के 9 सदस्य बुरी तरह ज़ख्मी हुए। यह कहना है नगीना के चचा मोहम्मद जावेद का जिनके इस हादसे में पिता, दादी और भाभी का देहांत हो चुका है। हमारे घर के ज़ख्मी लोगों के इलाज में 90 हज़ार रूपये लगे हैं जोकि हमने अपनी बिरादरी और करीबी गांव वालों से उधार लिए हैं। सरकार की ओर से हमारे घर के मरने वाले तीन सदस्यों के लिए तीन-तीन लाख रूपये मिले हैं। यह पैसा भी बहुत कम हैं क्योंकि घर के लोगों ने अपने कीमती अंग भी खो दिए हैं और घर-बार का भी दोबारा निर्माण करना है। 
            
मुझे सबसे ज़्यादा चिंता अपनी भतीजी की है जिसने इतनी कम उम्र में अपनी एक टांग खो दी, उसे अभी जिंदगी में बहुत कुछ करना था। नगीना बल्ले के नीचे दब गई थी और टीन लगने की वजह से उसको अपनी एक टांग गंवानी पड़ी। इस हादसे ने नगीना को झकझोर  कर रख दिया है। नगीना अब स्कूल भी नहीं जा सकती क्योंकि भौगोलिक स्थिति की वजह से बेसाखी के सहारे पहाड़ो पर चलना मुष्किल ही नहीं असंभव है। इस हादसे ने इस मासूम का भविश्य पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। पूरी दूनिया में पकिस्तान की मलाला षिक्षा के मैदान में जंग छेड़े हुए है लेकिन नगीना षारीरिक विकलांगता की वजह से कुछ भी करने में असमर्थ हो रही है।  बिस्तर, बेसाखी और चारपाई के अलावा इसके पास कुछ नहीं है। इस घर की एक और महिला  अनवार जान जिनकी कमर की हड्डी टूट चुकी है वह भी नगीना के साथ बिस्तर पर ही जिंदगी गुज़ारने को मजबूर हो गयी हैं। अब ऐसे में प्रष्न यह उठता है कि इन परिस्थितियों में नगीना और उसका परिवार भविश्य में अपनी जिंदगी कैसे गुज़ारेगा? क्या नगीना का बचपन इसी तरह गुज़रेगा? क्या नगीना अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएगी? नगीना का परिवार रोज़ी-रोटी का बंदोबस्त कैसे करेगा? ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जिनका उत्तर इस परिवार को नहीं मिल पा रहा है। 
              
आखिर में इस लेख के माध्यम से मैं तमाम सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से यह अपील करता हंू कि इन परिस्थितियों में नगीना जैसे उन तमाम छात्र-छात्राओं का ख्याल रखा जाए जो प्राकृतिक आपदा के चलते जिंदगी में इस मुहाने पर आकर खड़े हो गए हैं। नगीना मलाला से कम नहीं बस उसे थोड़ी हिम्मत और सहारा देने की ज़रूरत है। हो सकता है कि थोड़ी सी कोषिष से नगीना वह कर जाए जिसके बारे में किसी ने सोचा भी न हो। 




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बशारत हुसैन शाह बुखारी 
(चरखा फीचर्स)

विशेष : देवलोक जैसी है काशी की देव दीपावली

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गंगा किनारे, दीयों की मालाएं, चमकते-दमकते घाट व घंटों की आवाज के बीच शंखों की गूंज। ऐसा विहगंम व सुंदर दृश्य मानों देवता वास्तव में इस पृथ्वी पर दीवाली मनाने आ रहे हो। मानों गंगा के रास्ते देवताओं की टोली आने वाली है और उन्हीं के स्वागत में काशी के 84 घाटों पर टिमटिमाती दीयों की लौ इंतजारी में है। गंगातट पर पर अद्भूत नजारा, विश्वास, आशा एवं उत्सव के इस अनुपम दृश्य को देखने को आते है देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु। 9 साल बाद बन रहा विशेष संयोग, 6 को ही सर्वास्थ सिद्धि योग, गंगा घाटों पर स्नान को उमड़ेंगे श्रद्धालु। इसी दिन गुरुनानक जयंती भी है। 5 नवंबर की रात्रि 12.34 बजे से स्नान का होगा शुभारंभ, 6 नवंबर को दिन में 2.50 बजे तक स्नान मध्यम फलदायी है। फिर 2.50 बजे से शाम 6.50 बजे तक स्नान का उत्तम प्रभाव है। 

kashi deepawali
तीनों लोको में न्यारी धर्म एवं आध्यात्म की नगरी काशी की धरती पर सजने वाला है स्वर्ग। काशी के एतिहासिक सौ से अधिक घाटों पर देवता आने वाले हैं। एक-दो नहीं, बल्कि साक्षात 33 करोड़ देवी-देवता। कार्तिक पूर्णिमा की रात 6 नवम्बर यानि गुरुवार को काशी में देवलोक का नजारा देखने को मिलेगा। इस दिन स्नान को गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का महत्व इस बार और भी खास है। रेवती और अश्विनी नक्षत्र के संयोग से स्नान-पूजन अति फलदायी है। 9 साल बाद इस बार यह विशेष संयोग बन रहा है, क्योंकि रेवती और अश्विनी का मिलन हो रहा है। इसके पहले 2003 में इसी तरह का विशेष संयोग बना था। इस अद्भूत शुभ दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। घाटों के नीचे कल-कल बहती गंगा की लहरें, घाटों की सीढि़यों पर जगमगाते लाखों दीपक एवं गंगा के समानांतर बहती हुई दर्शकों की जनधारा आधी रात तक अनूठा दृश्य, एक बार फिर होगा लोगों के आकर्षण का केन्द्र। रात में दीपों से गंगा की गोद ऐसी टिमटिमा उठती है जैसे आसमान से आकाश गंगा जमीन पर उतर आई हों। इसकी महत्ता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस न्यारी छटा को देखने के लिए देश एवं विदेश के लाखों पर्यटक आते हैं। 6 को ही गुरुनानक जयंती भी है। 5 नवंबर की रात्रि 12.34 बजे से स्नान का होगा शुभारंभ, 6 नवंबर को दिन में 2.50 बजे तक स्नान मध्यम फलदायी है। फिर 2.50 बजे से शाम 6.50 बजे तक स्नान का उत्तम प्रभाव है।

kashi deepawali
मान्यता है कि काशी के राजा दिलेदास द्वारा काशी में देवताओं के प्रवेश पर लगा दी गई थी। उसके अहंकार से देवलोक में हड़कंप मच गया। कोई देवी-देवता काशी आने को तैयार नहीं होता। उसी दौरान त्रिपुर नामक दैत्य को भगवान भोलेनाथ ने वध किया और अहंकारी राजा के अहंकार को नष्ट कर दिया। राक्षस के मारे जाने के बाद देवताओं की विजय स्वर्ग में दीप जलाकर देवताओं ने खुशी मनाई। इस खुशी को देव दीपावली नाम दिया गया। उस दौरान काशी में भी रह रहे देवताओं ने दीप जलाकर देव दीपावली मनाई। तभी से इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी के घाटों पर दीप जलाकर मनाया जाने लगा। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में यह पर्व मनाया जाने लगा। अब तो गंगा घाट ही नहीं अब तो नगर के तालाबों, कुओं एवं सरोवरों पर भी देव दीपावली की परम्परा मनाई जाने लगी है। कहा यी भी जाता है कि देव दीपावली की रात देवता पृथ्वी पर उतरते हैं। इसलिए देव आराधना का यह पर्व आध्यात्मिक-धार्मिक लोगों की आस्था और आकर्षण का केंद्र बन गया। गंगा घाटों के साथ ही गंगा के उस पार रेत पर भी लाखों दीपक जलाएं जाते है। बीच में बहती गंगा में झिलमिलाती दीपों की छाया अविस्मरणीय एवं मनोहारी दृश्य का एहसास कराती है। गंगा की धारा में हजारों नावों और बजड़ों (दो मंजिली बड़ी नावों) पर बैठे दर्शनार्थी इस अद्भुत दृश्य को अपने आंखों एवं कैमरे में कैद करते देखा जा सकता है। 

कहा यह भी है कि जाता है कि त्रिशंकु को राजर्षि विश्वामित्र ने अपने तपोबल से स्वर्ग पहुँचा दिया। देवतागण इससे उद्विग्न हो गए और त्रिशंकु को देवताओं ने स्वर्ग से भगा दिया। श्रापग्रस्त त्रिशंकु अधर में लटके रहे। त्रिशंकु को स्वर्ग से निष्कासित किए जाने से क्षुब्ध विश्वामित्र ने पृथ्वी-स्वर्ग आदि से मुक्त एक नई समूची सृष्टि की ही अपने तपोबल से रचना प्रारंभ कर दी। उन्होंने कुश, मिट्टी, ऊँट, बकरी-भेड़, नारियल, कोहड़ा, सिंघाड़ा आदि की रचना का क्रम प्रारंभ कर दिया। इसी क्रम में विश्वामित्र ने वर्तमान ब्रह्मा-विष्णु-महेश की प्रतिमा बनाकर उन्हें अभिमंत्रित कर उनमें प्राण फूँकना आरंभ किया। सारी सृष्टि डाँवाडोल हो उठी। हर ओर कोहराम मच गया। हाहाकार के बीच देवताओं ने राजर्षि विश्वामित्र की अभ्यर्थना की। महर्षि प्रसन्न हो गए और उन्होंने नई सृष्टि की रचना का अपना संकल्प वापस ले लिया। देवताओं और ऋषि-मुनियों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। पृथ्वी, स्वर्ग, पाताल सभी जगह इस अवसर पर दीपावली मनाई गई। यही अवसर अब देव दीपावली के रूप में विख्यात है। पं रामदुलार उपाध्याय के मुताबिक रेवती और अश्विनी दोनों बहन हैं और राजा दक्ष की पुत्री। साथ ही दोनों चंद्रमा की पत्नी भी हैं। रेवती अश्विनी जब एक साथ हुईं, तो पुरुरवा का जन्म हुआ और इसके साथ ही मानव सृष्टि की शुरुआत हुई। उस दिन सर्वास्थ सिद्धि योग भी है। कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि देव दीपावली यानी देवताओं की दिवाली के रूप में जाना जाता है। 12 मासों में कार्तिक मास सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। कार्तिक मास भगवान विष्णु, शिव, ब्रह्म आदि देवताओं को अत्यंत प्रिय है। इस दिन दान करने का फल कभी नाश नहीं होता है। जबकि अन्य मास का दान फल भोगने के बाद मिट जाता है। यह मानव जाति के लिए अत्यंत दुर्लभ है। इस दिन 33 कोटि देवताओं का पृथ्वी पर वास होता है। स्नान के बाद ब्राह्मणों को छोड़कर अन्य लोगों को दूसरे के घर भोजन नहीं करना चाहिए। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर माताओं का स्नान उनके पुत्र-पुत्रियों के लिए विशेष कल्याणकारी होगा। उस दिन भीष्म पंचक की निवृति हो रही है। यानी पचखा का प्रभाव भी नहीं रहेगा।  

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घाटों पर उमड़ी देशी-विदेशी दर्शकों की भीड़ के कारण तिल रखने की भी जगह नहीं मिलती। शाम से ही घाटों पर घंटों पहले बैठकर उस ऐतिहासिक क्षण की प्रतीक्षा करते देखा जा सकता है, जब देव दीपावली के दीपों के प्रकाश से पूरा क्षेत्र आलौकित हो उठता है। खास बात यह है कि ऐसा भव्य आयोजन दुनिया की किसी भी नदी के किनारे नहीं आयोजित होता। ज्योतिषियों की मानें तो गंगातट पर उतरे देवलोक की छवि जैसी है काशी की देव दीपावली। इसी पृष्ठभूमि में शरद पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाली दीपदान की परंपरा आकाशदीपों के माध्यम से काशी में अनूठे सांस्कृतिक वातावरण की द्योतक है। गंगा के किनारे घाटों पर और मंदिरों, भवनों की छतों पर आकाश की ओर उठती दीपों की लौ यानी आकाशदीप के माध्यम से देवाराधन और पितरों की अभ्यर्थना तथा मुक्ति-कामना की यह बनारसी पद्धति है। ये आकाशदीप पूरे कार्तिक मास में बाँस-बल्लियों के सहारे टंगे, टिमटिमाते तमसो मा ज्योतिर्गमय का शाश्वत संदेश देते हैं। इसी क्रम में ये दीप कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर पृथ्वी पर गंगा के तट पर अवतरित होते हैं। देव दीपावली का यह तिलस्मी आकर्षण अब अंतर्राष्ट्रीय होता जा रहा है। दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को काशी में गंगा के अर्द्ध चन्द्राकार घाटों की साफ-सफाई होने लगती है। दीपों का अदभुद जगमग प्रकाश देवलोक जैसा वातावरण प्रस्तुत करता है। पिछले 15-20 सालों से काशी का देव दीपावली महोत्सव पूरे देश एवं विदेशों में आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। यह महोत्सव देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी की संस्कृति की भी पहचान बन चुकी है। गंगा के करीब 10 किलोमीटर में फैले अर्द्धचन्द्राकार घाटों तथा लहरों में जगमगाते, इठलाते बहते दीप एक अलौकिक दृश्य उपस्थित करते हैं। 

गंगा पूजन के बाद सभी 80 घाटों पर दीपों की लौ जगमग कर देती है। सभी घाट दीपों की रोशनी से नहा उठते है। वैसे भी काशी की गंगा आरती का सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आर्थिक महत्व है। प्रतिवर्ष 50 लाख से ज्यादा देशी और विदेशी पर्यटक वाराणसी आते हैं। साफ-सफाई व स्वच्छता को ध्यान में रखकर अब सरसों तेल के दीपक की जगह मोम के दीप जलाया जाने लगा है। इससे घाटों पर दाग नहीं पड़ते और रोशनी ज्यादा देर तक टिकती है। परम्परा और आधुनिकता का अदभुत संगम देव दीपावली धर्म परायण महारानी अहिल्याबाई से भी जुड़ा है। अहिल्याबाई होल्कर ने प्रसिद्ध पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना खूबसूरत हजारा दीप स्तंभ स्थापित किया था जो इस परम्परा का साक्षी है। आधुनिक देव दीपावली की शुरुआत दो दशक पूर्व यहीं से हुई थी। देव दीपावली पर्व को देखने के लिए वाराणसी के सभी होटल दीवाली बाद से ही बुक होने शुरु हो जाते है। प्रमुख घाटों पर तिल रखने की जगह नहीं रहती। 

इस मौके पर दुनिया के कोने-कोने से पहुंचे देशी-विदेशी पर्यटकों से शहर के होटल एवं धर्मशालाएं पूरी तरह भर जाती है। इस अदभुत नजारों को दिखाने का फायदा नाविक भी उठाते हैं और किराये कई गुना बढ़ा देते हैं। हालांकि नाविक बैटरी से अपनी नावों को रंगीन झालरों से सजाकर माहौल को और आकर्षक बनाते है। शायद यही वजह है कि नाविक किराया ज्यादा लेते है। दशाश्वमेध एवं राजेन्द्र प्रसाद घाट पर दीपदान एवं गंगा आरती के दौरान तो काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहते है। दशाश्वमेध घाट के अतिरिक्त काशी अर्धचंद्राकार रूप में विस्तृत प्रायः सभी घाटों पर दीप प्रज्जवलित किए जाते है। इस अवसर पर दीपों के माध्यम से पुरखों और पितरों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। पं रामदुलार उपाध्याय का कहना है कि शरद ऋतु को भगवान श्रीकृष्ण की महा रासलीला का काल माना गया है। श्री मदभागवत् गीता के अनुसार शरद पूर्णिमा की चांदनी में श्रीकृष्ण का महारास सम्पन्न हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही काशी के गंगा घाटों पर लाखों लोग स्नान कर पुण्य लाभ कमाते हैं एवं गंगा में दीपदान कर सुख समृद्धि की कामना करते है। 

काशी के प्रमुखघाट 
छह मील की परिधि में फैले काशी के अस्सी घाट से लेकर वरुणा घाट तक के 84 घाट प्रेक्षागृह की तरह शोभायमान होते हैं। प्रातःकाल, सुनहरी धूप में चमकते गंगा तट के मंदिर, मंत्रोच्चार और गायत्री जाप करते ब्राह्मणों और पूजा-पाठ में लीन महिलाओं के स्नान-ध्यान के क्रम के साथ ही दिन चढ़ता जाता है। पुष्प और पूजन सामग्रियों से सजे गंगा तट तथा पानी में तैरते फूलों की शोभा मनमोहक होती है। कई घाट तो ऐसे है जो मराठा साम्राज्य के अधीनस्थकाल में बनवाये गए थे। वर्तमान वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और पेशवा परिवार रहे हैं। अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। कई घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जैसे मणिकर्णिका घाट, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं। पूर्व काशी नरेश का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। इन घाटों में प्रमुख रुप से अस्सी घाट, गंगामहल घाट, रीवां घाट, तुलसी घाट, भदैनी घाट, जानकी घाट, माता आनंदमयी घाट, जैन घाट, पंचकोट घाट, प्रभु घाट, चेतसिंह घाट, अखाड़ा घाट, निरंजनी घाट, निर्वाणी घाट, शिवाला घाट, गुलरिया घाट, दण्डी घाट, हनुमान घाट, प्राचीन हनुमान घाट, मैसूर घाट, हरिश्चंद्र घाट, लाली घाट, विजयानरम् घाट, केदार घाट, चैकी घाट, क्षेमेश्वर घाट, मानसरोवर घाट, नारद घाट, राजा घाट, गंगा महल घाट, पाण्डेय घाट, दिगपतिया घाट, चैसट्टी घाट, राणा महल घाट, दरभंगा घाट, मुंशी घाट, अहिल्याबाई घाट, शीतला घाट, प्रयाग घाट, दशाश्वमेघ घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, मानमंदिर घाट, त्रिपुरा भैरवी घाट, मीरघाट घाट, ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, संकठा घाट, गंगामहल घाट, भोंसलो घाट, गणेश घाट, रामघाट घाट, जटार घाट, ग्वालियर घाट, बालाजी घाट, पंचगंगा घाट, दुर्गा घाट, ब्रह्मा घाट, बूँदी परकोटा घाट, शीतला घाट, लाल घाट, गाय घाट, बद्री नारायण घाट, त्रिलोचन घाट, नंदेश्वर घाट, तेलिया-नाला घाट, नया घाट, प्रह्मलाद घाट, रानी घाट, भैंसासुर घाट, राजघाट, आदिकेशव या वरुणा संगम घाट प्रमुख है। 

दशाश्वमेध घाट पर गंगाजी की होती है अद्भूत आरती 
दशाश्वमेध घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट ही स्थित है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इसका निर्माण भगवान भोलेनाथ के स्वागत में किया था। ब्रह्माजी ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किये थे। प्रत्येक संध्या पुजारियों का एक समूह यहां अग्नि-पूजा करता है, जिसमें भगवान शिव, गंगा नदी, सूर्यदेव, अग्निदेव एवं संपूर्ण ब्रह्मांड को आहुतियां समर्पित की जाती हैं। यहां देवी गंगा की भी भव्य आरती की जाती है। गंगा आरती के दर्शन देशी-विदेशी सैलानियों के पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल हैं। प्रतिदिन सूर्यास्त के पश्चात गोधुलि बेला में काशी के अधिकतर घाटों पर ‘गंगा आरती’ का आयोजन होता है, परन्तु दशाश्वमेघ घाट पर होने वाली गंगा आरती अद्भुत है। रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दर्शन के लिए जुटने शुरू हो जाते हैं। गंगा आरती की अद्भुत छटा को देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठते हैं और विदेशी पर्यटक इस दृश्य को पूरी तन्मयता से अपने कैमरों में कैद करने में जुटे रहते हैं। इस आरती के नजारों को पर्यटक बड़े चाव से देखते हैं एवं आस्था में डूब जाते हैं। गंगा आरती करने वाले ब्राह्मणों की एक-एक गतिविधि देखकर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं। गंगा आरती के दौरान अगरबत्ती से आरती करने का तरीका, चंवर डुलाने का अंदाज एवं शंखध्वनि श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी तरफ खींचती है। यह आराधना पूरे विश्व में ‘गगा आरती’ के रूप में विख्यात है। आरती के लिये घाट की सिढि़यों पर विशेष तौर से चबूतरो का निर्माण कराया गया है। चबूतरों पर पाँच-सात-ग्याहर की संख्या में प्रशिक्षित पण्डों द्वारा घण्टा-घडि़याल एवं शंखों के ध्वनि के साथ गंगा की आरती एक साथ सम्पन्न की जाती है। इन पण्डों की समयबद्धता इतनी सटीक होती है कि झाल आरती पात्र (हर पात्र में 108 दीप होते हैं), से आरती, पुष्प वर्षा एवं अन्य क्रिया एक समय में एक साथ होता है। दर्शक घाट की सिढि़यों एवं नौकाओं से इस आराधना का साक्षी बनने के लिये उत्सुक रहते हैं। आरती के समय दर्शक भाव विभोर होकर माँ गंगा की वन्दना की धारा में प्रवाहमान होते हैं।

मणिकर्णिका घाट
कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने शिव की तपस्या करते हुए अपने सुदर्शन चक्र से यहां एक कुण्ड खोदा था। उसमें तपस्या के समय आया हुआ उनका स्वेद भर गया। जब शिव वहां प्रसन्न हो कर आये तब विष्णु के कान की मणिकर्णिका उस कुंड में गिर गई थी। कहा यह भी जाता है कि भगवाण शिव को अपने भक्तों से छुट्टी ही नहीं मिल पाती थी। देवी पार्वती इससे परेशान हुईं, और शिवजी को रोके रखने हेतु अपने कान की मणिकर्णिका वहीं छुपा दी और शिवजी से उसे ढूंढने को कहा। शिवजी उसे ढूंढ नहीं पाये और आज तक जिसकी भी अन्त्येष्टि उस घाट पर की जाती है, वे उससे पूछते हैं कि क्या उसने देखी है? प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार मणिकर्णिका घाट का स्वामी वही था, जिसने सत्यवादी राजा हरिशचंद्र को खरीदा था। उसने राजा को अपना दास बना कर उस घाट पर अन्त्येष्टि करने आने वाले लोगों से कर वसूलने का काम दे दिया था। इस घाट की विशेषता ये है, कि यहां लगातार हिन्दू अन्त्येष्टि होती रहती हैं व घाट पर चिता की अग्नि लगातार जलती ही रहती है, कभी भी बुझने नहीं पाती।

सिंधिया घाट
सिंधिया घाट, जिसे शिन्दे घाट भी कहते हैं, मणिकर्णिका घाट के उत्तरी ओर लगा हुआ है। यह घाट काशी के बड़े तथा सुंदर घाटों में से एक है। इस घाट का निर्माण 150 साल पूर्व 1830 में ग्वालियर की महारानी बैजाबाई सिंधिया ने कराया थी। इससे लगा हुआ शिव मंदिर आंशिक रूप से नदी के जल में डूबा हुआ है। इस घाट के ऊपर काशी के अनेकों प्रभावशाली लोगों द्वारा बनवाये गए मंदिर स्थित हैं। ये संकरी घुमावदार गलियों में सिद्ध-क्षेत्र में स्थित हैं। मान्यतानुसार अग्निदेव का जन्म यहीं हुआ था। यहां हिन्दू लोग वीर्येश्वर की अर्चना करते हैं और पुत्र कामना करते हैं। 1948 में इसका जीर्णोद्धार हुआ। यहीं पर आत्माविरेश्वर तथा दत्तात्रेय के प्रसिद्ध मंदिर हैं। संकठा घाट पर बड़ौदा के राजा का महल है। इसका निर्माण महानाबाई ने कराया थी। यहीं संकठा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। घाट के अगल- बगल के क्षेत्र को देवलोक कहते हैं।

मान मंदिर घाट
जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने ये घाट 1770 में बनवाया था। इसमें नक्काशी से अलंकृत झरोखे बने हैं। इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी में यंत्र मंत्र वेधशाला भी बनवायी थी जो दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा के संग पांचवीं खगोलशास्त्रीय वेधशाला है। इस घाट के उत्तरी ओर एक सुंदर बारजा है, जो सोमेश्वर लिंग को अर्घ्य देने के लिये बनवाया गई थी।

ललिता घाट
स्वर्गीय नेपाल नरेश ने ये घाट वाराणसी में उत्तरी ओर बनवाया था। यहीं उन्होंने एक नेपाली काठमांडु शैली का पगोडा आकार गंगा-केशव मंदिर भी बनवाया था, जिसमें भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर में पशुपतेश्वर महादेव की भी एक छवि लगी है।

अस्सी घाट
अस्सी घाट अस्सी नदी के संगम के निकट स्थित है। कहा जाता है कि इसी घाट पर रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के कुछ अंश यही लिखी थी और घाट पर ही एक कुटिया बनाकर रहते थे, जो आज भी मौजूद है। इस घाट पर स्थानीय उत्सव एवं क्रीड़ाओं के आयोजन होते रहते हैं। ये घाटों की कतार में अंतिम घाट है। ये चित्रकारों और छायाचित्रकारों का भी प्रिय स्थल है। यहीं स्वामी प्रणवानंद, भारत सेवाश्रम संघ के प्रवर्तक ने सिद्धि पायी थी। उन्होंने यहीं अपने गोरखनाथ के गुरु गंभीरानंद के गुरुत्व में भगवान शिव की तपस्या की थी। आंबेर के मान सिंह ने मानसरोवर घाट का निर्माण करवाया था। दरभंगा के महाराजा ने दरभंगा घाट बनवाया था। बचरज घाट पर तीन जैन मंदिर बने हैं, और ये जैन मतावलंबियों का प्रिय घाट रहा है। 1795 में नागपुर के भोसला परिवार ने भोसला घाट बनवाया। घाट के ऊपर लक्ष्मी नारायण का दर्शनीय मंदिर है। राजघाट का निर्माण लगभग दो सौ वर्ष पूर्व जयपुर महाराज ने कराया। 

सूर्य की पहली किरण पड़ती है काशी के घाटों पर 
मान्यता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो प्रकाश की प्रथम किरण काशी की धरती पर पड़ी। तभी से काशी ज्ञान तथा आध्यात्म का केंद्र माना जाता है। धर्म आध्यात्म और मोक्ष की नगरी काशी गंगा के तट पर बसी है। भारत में बहुत से पवित्र तीर्थ स्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हैं। जिनमें वाराणसी और हरिद्वार सबसे प्रमुख हैं। गंगा हमारी सांस्कृतिक माता है तथा हमारी पवित्रता, मुक्ति एवं सांस्कृतिक प्रवाह की निरंतरता की प्रतीक है। वैसे भी तीर्थ के रुप में वाराणसी का नाम सबसे पहले महाभारत में मिलता है। महाभारत में कहा गया है कि जिस प्रकार शरीर के कुछ अवयव पवित्र माने जाते हैं। उसी प्रकार पृथ्वी के कतिपय स्थान पुण्य प्रद तथा पवित्र होते हैं। इनमें से कोई तो स्थान की विचित्रता के कारण कोई जन्म के प्रभाव और कोई ऋषियों-मुनियों के सम्पर्क से पवित्र हो गया है। मान्यता यह भी है कि काशी नगरी देवादिदेव महादेव के त्रिशूल पर बसी है। पुराणों मे स्पष्ट है कि काशी क्षेत्र में पग-पग पर तीर्थ है। यहां एक तिल भी स्थान ऐसा नहीं है, जहां महादेव जी का लिंग न हो। काशी में भोलेनाथ के चमत्कारों की अनेक कहानियां प्रचलित हैं। भगवान शिव के विराट और बेहद दुर्लभ रूप के दर्शनों के सौभाग्य के साथ-साथ गंगा में स्नान करने से सभी पापों का क्षय होता है। महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ नौवां ज्योतिर्लिंग है। माना जाता है कि जो श्रद्धालु विश्वनाथ के दर्शन करता है उसे जन्म-जन्मांतर के चक्रों से मुक्ति मिलती है और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। ग्रह दशा के कारण परेशानीयां आ रही हों या ग्रहों की चाल ने जीना दूभर कर दिया हो तो यहां आकर दर्शन करने के उपरांत रुद्राभिषेक करा दिया जाए तो भक्तों को ग्रह बाधा से मुक्ति मिल जाती है। बूढ़े, औरतें और बच्चे सूर्य निकलने से पहले ही गंगा के किनारे पहुंच जाते हैं। सूर्य की पहली किरण निकलते ही ये लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं। प्रातः निकलते सूर्य को देखना एक उत्तम दृश्य होता है। हजारों तीर्थ यात्रियों, श्रद्धालुओं, सैलानियांे, विदेशियों को एक साथ नहाते हुए देखना एक भव्य दृश्य उपस्थित करता है। बच्चे, बूढ़े, अमीर, गरीब, जवान लोग, मर्द, औरतें, अपने सामाजिक स्तर को भुला कर, अपने कपड़े अलग रख कर, नहाते हुए एक दूसरे पर पानी उछालते हुए, हाथ जोड़ कर सूर्य को नमस्कार करते हुए, देखते बनता है, मानो सारा विश्व उमड़ पड़ा है। खास बात यह है कि सूर्य की पहली किरण को देखने के लिए घाटों पर सुबह से लोगों की कतारें लग जाती है। शायद इसीलिए पूरे भारत में सुबह-ए-बनारस का भी अलग महिमा और सुबह-ए-बनारस का नजारा देखने विदेशी शैलानी भी जुटते है। 






suresh gandhi

सुरेश गांधी 
वाराणसी

मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर स्वच्छ भारत अभियान और हमारे कर्तव्य

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परमाणु परीक्षण से लेकर मंगलयान की यात्रा से हमारा नाम विष्व पटल पर रोषन हुआ । जिसका श्रेय हमारे महानतम विज्ञानिकों को जाता है । हमारे विज्ञानिकों का कार्य कर्मठता के साथ श्रेष्ठ आचरण को दर्षाता हे । उनकी लगनषीलता  रातदिन की मेहनत से ही हमने आई टी के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है । जब सब इतना कर सकते है तो एक जमीनी कार्य क्यों नही कर सकते है । बर्तमार समय में भारत देष के अंदर युवा ऊर्जा का संचार हो रहा है । देष के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी व मध्य प्रदेष के मुख्य मंत्री श्री षिवराज सिंह जी चैहान अपनी करनी -कथनी में अंतर नही लाने वाले है । स्वच्छ भारत अभियान का विगुल बज गया है, अब भारत स्वच्छता के साथ विष्व में अपना स्थान बनाने में जुट गया है । 

प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी व्दारा चलाया गया 2 अक्टूवर 2014 से स्वच्छ भारत अभियान, एक महत्व पूर्ण अभियान है । यह हमारी जिन्दगी में बदलाव का अद्भुत समय है । गंदगी किसी को भी कभी अच्छी नही लगती है ....  लगेगी भी क्यों ? क्यों कि वह तो गंदगी जो है । हर इंसान जिस तरह स्वच्थ्य ष्षरीर के साथ साफ सुथरा रहना चाहता है, उसी तरह हमारी धरती पर्यावरण प्रगति भी स्वच्छ रहना चाहती है ।  प्रगति जो पैदा करती है वह उसे अपने समयानुसार मृदा उर्वरक के रूप में समाप्त भी कर देती है । ऐही प्रकृति का नियम है । किन्तु हमारा कचरा निष्पादन का कोई भी मृदा उर्वरक भूमि नही है । हम जहां चाहते वहां कचरा गंदगी कर देते है । भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देष के अंदर चमत्कारी चुनाव परिणाम भी दिए है । इसीलिए आम आदमी उनके कर्मयोगी की आस्था और विष्वास के कारण भारत की तस्वीर व तक्दीर बदलने का सपना साकार होते देखना चाहता है । प्रधानमंत्री  जी ने भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की मर्यादाओं का पालन करते हुये अपना नया कार्य ष्षुरू किया है । आने वाला समय देष के अंदर स्वच्छ भारत का निर्माण होगा । 

हमारा भारत देष गाॅव का देष है ।  आप जिस किसी भी गाॅव में जाओगे तो रास्ते में आपको गंदगी का अंबार मिलेगा ।  इसमें सबसे बड़ी समस्या ष्षैाचालय से होती है ।  जब घर में ष्षोचालय नही है तो इसके परिणाम स्वरूप हमें आम रास्ता, सड़कों पर भीषड़़ गंदगी ही मिलती है । ऐसा क्यों है  ? ष्ष्याम जो योजनाऐं ऊपर से आती है वह भृष्ट आचरण के कारण आम लोगो तक नही पहुॅच पाती है ।  आज गाॅव मंें लोगो को जानकारी भी नही है कि सरकारें ष्षौचालय हेतू मदद भी कर रही है ।  सरकारी मषीनरी के तहत जो लोग इसमें जुड़ें हुए  होते है वह भृष्टाचार से लिप्त होकर अकर्मण्डता का परिचय देते है ।  सरकारी योजनाओं के साथ आम आदमी का भी कर्तव्य बनता है  िकवह उसे अपनायें ।  लेकिन व्यक्त् िआर्थिक मजबूरी के तहत अगर घर में षौचालय नही बना पाता और सरकारें प्रत्येक घर में ष्षौचालय निर्माण कराने में असफल रहती है तो यह एक बिफल अभियान माना जायेगा ।  सरकारें चाहेें तो ष्षहरों की भाॅति ही गाॅव में सार्वजनिकि ष्षुलभ ष्षौचालय का निर्माण कर सकती है ।  इस प्रक्रिया में गाॅव के रोजगार के साधन सृजन होगें ।  राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी जी ने  कहा था कि बुरा न देंखों, बुरा न कहों, बुरा न सुनों ....  मैं यह कहना चाहता हॅू  ।  न गंदे रहो, न गंदगी करों, न गंदगी करने दो !  जब हम स्वतः साथ सुफरे रहेगें तो लोगों को भी प्रोत्साहन के रूप में हम कहने के हकदार है ।  स्वच्छ भारत अभियान के तहत राजा हो या रंक सभी ने झाड़ू उठाकर यह सावित कर दिया है कि अब हम स्वच्छ भारत, निर्मल भारत का निर्माण करेगे । जो सपने हमारे महापुरूषों ने देखें थें वह आज साकार होते नजर आ रहे है । इस अभियान में युवा, व्यस्यक, बृध्द सभी ष्षामिल होकर स्वच्छ भारत का निमार्ण करे । 

जरा सोचो कि आज से करीब बीस साल पहिले हमारे जन स्त्रोत हमारे खुले मैदान कितने साफ सुत्रे रहा करते थें , कि हम नदियों से पानी भर कर दाल -रोटी लिया करते थें ।  किन्तु आज वहीं नदी, नाला क्यो बन जाती है ?  हमारे कुओं के पनघट क्यों सूख गए है ।  तालावों के घाट क्यों गंदगी से अटं पड़ेंह ै । कारण हमारी भौतिकवादी विलासता संस्कृति हमने सुख सुविधाओं हेतू पाॅलीथिन प्लास्टिक उत्पादन को इतना बढ़ावा दिया कि उसके प्रयोग ने पर्यावरण के साथ साथ हमें भी पंगॅू बना लिया है । आज हमारे घर का कचरा पाॅलीथिन के माध्यम से संग्रह करके सीधा नालियों में फंेंका जान लगा है ।  चाय की दुकानों से लेकर हमारे घर तक प्लाॅस्टिक का सीधा प्रभाव है ।  ष्षहरों के कचरों को उठाकर, ष्षहरों से बाहर सड़क किनारें फेंका जाता है ।  यह खेंद का ही बिषय है कि उस कचरें को समाप्त करने के लिए कोई तकनीक सिस्टम क्षेत्रीय स्तर पर नही होता है ।   जहां भी देखों नालियों, तालावों के किनारों को बसाहट कर दी गई है ।  जो नदी सदा , सदा बहार कल कल बहा करती थी , उस नदी को चारों ओर से मकान बनाकर घरों के पानी को सीधा नालियों के व्दारा डाला जाता है ।  इसके परिणाम नदियों का आस्तित्व समाप्त होकर नालें में परिवर्तित हो गई है । और नदियाॅ विलुप्त होने की कगार पर है ।  अगर गाॅधी जी के सपने का पूरा करना है तो हमें स्वयं सेवी सफाई अभियान को आन्दोालन में बदल कर समाज के सामने लाना होगा । 
     








santosh gangele

( संतोष गंगेले  ) 

"विन्ध्य जनादोलन समर्थक समूह का गठन"

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  • अगली बैठक २१ नवम्बर को रीवा में – उमेश तिवारी

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१८ सितम्बर को सीधी जिले के टिकरी गाँव में हुए समाजवादी समागम में रास्ट्रीय संयोजक डॉ. सुनीलम के आव्हान पर विन्ध्य क्षेत्र के जनांदोलनो को मजबूत करने तथा उन्हें ताकत देने के लिए एक समर्थक समूह बनाने का निर्णय लिया गया था. श्री उमेश तिवारी के नेतृत्व में टिकरी से सीधी पदयात्रा के बाद २७ अक्टूबर को सीधी में चेतावनी धरना दिया गया तथा ओपचारिक तौर पर विन्ध्य क्षेत्र के सीधी जिला के ग्राम भुमका में  मे. आर्यन पावर प्लांट, जे.पी. सीमेंट बघवार सीधी, सिंगरौली जिला के ग्राम निगरी में जे.पवार बेंचर्स, सिंगरोली जिले के महान कोल, हेन्डाल्को बरिगमा और माडा में स्थापित होने वाले नए पावर प्लांट एवं शहडोल जिले के रिलायंस परियोजना, अनूपपुर जिले के मोजरबिअर एवं विन्ध के अन्य जिलो में भी इन प्रोजेक्ट्स से प्रभावित किसानो, श्रमिको और ग्रामवासियों द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलनों को समर्थन देने के लिए "विन्ध्य जनांदोलन समर्थक समूह"का गठन किया गया. जिसमे अजय खरे रीवा (समाजवादी जन परिषद्), संतोष अग्रवाल शहडोल (प्रदेश उपाध्यक्ष किसान यूनियन, टिकैत), इश्वरचन्द्र त्रिपाठी (सतना) प्रदेश अध्यक्ष किसान यूनियन, श्रीनिवास साकेत (जिलाध्यक्ष बसपा सीधी), पंकज सिंह (आम आदमी पार्टी रीवा संभागीय संयोजक), कोमरेड बद्री मिश्रा (प्रदेश सचिव भाकपा माले), कामरेड सुन्दर सिंह (जिला सचिव माकपा सीधी), राम लल्लू गुप्ता सिंगरोली (माकपा जिला सचिव), लालमणि त्रिपाठी रीवा (भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी), रवि शेखर सिंगरोली (किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच), राजेस्वर गुप्ता मनगमा, प्रभात वर्मा (उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत सीधी), आर एम् पी मिश्र मजदूर नेता  (यनसीएल सिंगरोली) आदि शामिल है. समर्थक समूह की अगली बैठक २१ नवम्बर को रीवा में आयोजित करने का निर्णय लिया गया. 
श्री उमेश तिवारी ने बताया की ११-१२ अगस्त को तारा पनवेल गाँव मुम्बई में स्थित युसूफ मैहर अली केंद्र में आयोजित किये गए समाजवादी समागम में राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान चुनौतियो का मुकाबला करने के लिए समाजवादियो, वामपंथियों, अम्बेडकरवादियों, गांधीवादियों और जनआन्दोलनों के साथ मिलकर व्यापक मोर्चा बनाने का निर्णय लिया गया था. समाजवादी समागम की प्रक्रिया के तहत इस निर्णय को विन्ध्य के जिलो में लागू किया गया है. श्री तिवारी ने बताया कि तारा पनवेल में किये गए फैसले के अनुरूप दिल्ली में ११ अक्टूबर को सीपीआई लिबरेशन द्वारा आयोजित बैठक में ४० वामपंथी समूहों ने मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर जनमंच गठित करने का निर्णय किया है

डिजिटल बीजेपी लांच, देशभर में 10 करोड़ सदस्य बनाने का टारगेट

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  • सरकार व पार्टी की सभी सूचनाएं पहुंचेगी प्रत्येक सदस्य को, लैपटाॅप-कंप्यूटर के अलावा मोबाइल पर भी मिलेगी जानकारी 
  • राजनीति कभी गंदी नहीं है, बल्कि इससे जुड़कर लोकतंत्र को मजबूत करना है 
  • समाज के सभी तबके के लोग इस प्रक्रिया में कैसे जुड़े इसके लिए डिजिटल बीजेपी लांच किया


narendra modi kashi
पीएम नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय से बीजेपी सदस्यता अभियान की शुरुवात की। कहा, मेक इन डिजिटल इंडिया के लिए सरकार अभी तैयारियां कर रही है, लेकिन आज पार्टी डिजिटल बीजेपी लांच कर रहा है, जो सुखद है। इसके परिणाम दूरगामी होंगे, अब टेक्नोलाॅजी के माध्यम से देश का हर सदस्य पार्टी की नीतियों व विचारों से अवगत होगा। देशभर में 10 करोड़ सदस्य बनाने का टारगेट है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सदस्यता का नवीनीकरण कराकर पार्टी के पहला सदस्य बनें। इसके बाद अमित शाह स्‍वयं को पार्टी का दूसरा सदस्य बने। 

सरकार व पार्टी की सभी सूचनाएं पहुंचेगी प्रत्येक सदस्य को लैपटाॅप-कंप्यूटर के अलावा मोबाइल पर भी जानकारी मिलेगी। कहा, राजनीति कभी गंदी नहीं है, बल्कि इससे जुड़कर लोकतंत्र को मजबूत करना है। समाज के सभी तबके के लोग इस प्रक्रिया में कैसे जुड़े इसके लिए डिजिटल बीजेपी लांच किया गया है। कहा, बीजेपी लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाला संगठन है। बीजेपी का हर सदस्य जनप्रतिनिधि है। कहा, देश में राजनीतिक चरित्र बदल रहा है। देश राजनेताओं से उम्मीद रखता है। शासन में होने के कारण बीजेपी की जिम्मेदारी बढ़ी। वह चाहते है कि अब बाकि की पार्टियां बीजेपी के नक्शे-कदम पर चलकर उसके तौर-तरीकों को अपनाएं। सीख ले कि किस तरह पार्टी चलती है, किस तरह देश चलाया जाता है।  उनका मानना है कि अगर 2014 लोकसभा चुनाव के बाद भारत में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, तो इसका श्रेय जनता को है। बता दें, बीजेपी 10 करोड़ से ज्‍यादा सदस्‍य बनाने के अभियान पर निकल पड़ी है। बीजेपी का अगला टारगेट है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बने. हालांकि मोदी-मोदी के नारों और उत्‍साह के बीच पार्टी को यह लक्ष्‍य पूरा करना कोई ज्‍यादा मुश्किल काम नहीं लग रहा है। अगर बीजेपी यह लक्ष्‍य हासिल कर लेती है तो पार्टी चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से आगे निकल जायेगी। चीन की पार्टी की सदस्‍य संख्‍या करीब 8.50 करोड़ है और उसे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। बीजेपी की मौजूदा सदस्‍य संख्‍या करीब 3.50 करोड़ है। श्री मोदी ने इसके लिए भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह को बधाई दी। अभियान के तहत टोल फ्री नंबर पर भी जारी किया गया, जो हेल्पलाइन नंबर 18002662020 है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के पहले सदस्य बने उनका सदस्यता नंबर है 1000000001 और बीजेपी के दूसरे सदस्य बने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उनका सदस्यता नंबर 1000000002 है। पार्टी के सभी मौजूदा सदस्यों की सदस्यता का नवीनीकरण भी होगा। गौरतलब है कि ये अभियान एक नवंबर से शुरू होकर 31 मार्च 2015 तक चलेगा। 




(सुरेश गांधी)

80 वां स्थापना दिवस इस बार पटना में मनाया जायेगा

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3-4 दिसंबर को भोपाल जाएंगें छात्र, 19 दिसंबर को राष्ट्रीय एकता दिवस व 3 जनवरी को समान षिक्षा दिवस मनाएगा एआईएसएफ, 80 वां स्थापना दिवस इस बार पटना में मनाया जायेगा, राष्ट्रीय महासचिव विष्वजीत पहुंचे पटना, अगामी 6 नवंबर को राज्य परिषद की बैठक में होगें कई अहम् फैसले

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पटना। षिक्षा के निजीकरण व बाजारीकरण के खिलाफ और केजी से पीजी तक सबको मुफ्त एवं एक समान षिक्षा उपलब्ध कराने को लेकर आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेषन की राष्ट्रीय परिषद ने छात्रों से भोपाल चलने का आह्वान किया है। देष के पांच कोनों से षिक्षा संघर्ष यात्रा अखिल भारतीय षिक्षा अधिकार मंच के बैनर तले निकलेगा। इस मंच का एआईएसएफ भी अंग है। इरोम शर्मिला के संघर्ष के दिन 2 नवंबर से शुरू हो कर यह यात्रा भोपाल गैस त्रासदी की बरसी पर 31 दिसंबर को भोपाल पहुंचेगा। एआईएसएफ ने अषफाक उल्ला खान, राम प्रसाद विस्मिल एवं राजेन्द्र लाहिड़ी के शहादत दिवस पर 19 दिसंबर को पूरे देष में राष्ट्रीय एकता दिवस पुनः इस बार भी मनाने का फैसला किया है। 2013 से इस दिवस पर एआईएसएफ राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। 
           
संगठन ने आज 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाये जाने पर कहा कि यह राष्ट्रीय एकता के लिए बेमिसाल है। लेकिन मोदी सरकार द्वारा सरकारी पैसे का दुरूपयोग करने एवं जबरन काॅलेज के छात्रों पर थोपने पर रोष व्यक्त किया। संगठन सवित्री बाई फूले के जन्मदिन पर 3 जनवरी को समान षिक्षा दिवस के रूप में मनाने का भी फैसला लिया है। 26-27 अक्टूबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एआईएसएफ का 80 वां स्थापना दिवस समारोह इस बार बिहार में मनाने का फैसला लिया गया। 12-13 अगस्त 2015 को पटना में आयोजित इस समारोह में राष्ट्रीय स्तर के संगठन के वर्तमान व पूर्व छात्र नेता सम्मिलि होगें। वहीं 6 नवंबर को एआईएसएफ की बिहार राज्य परिषद की बैठक पटना में होगी। बैठक में देष में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने पर रोष व्यक्त किया गया। अल्पसंख्यक एवं दलितों पर बढ़ते हमले पर दो अलग-अलग प्रस्ताव पारित कर पूरे मामले पर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए पत्र भेजने का फैसला लिया गया।
           
एआईएसएफ के राष्ट्रीय महासचिव विष्वजीत कुमार गुरूवार देर रात पटना पहुंचे। राष्ट्रीय महासचिव 6 नवंबर तक बिहार दौरे पर हैं। 6 नवंबर को पटना में राज्य परिषद की बैठक में भाग लेने के बाद वे पष्चिम बंगाल के कार्यक्रम में शामिल होने जायेगें।  राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बिहार से संगठन के राज्य अध्यक्ष परवेज आलम एवं राज्य सचिव सुषील कुमार  बैठक में शामिल होकर गुरूवार को पटना लौटे। 

नेशनल इंर्फोमेटिक्स सेन्टर एनआईसी डा. हर्षवर्द्धन को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री नहीं मानते

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  • डा. हर्षवर्द्धन को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं एनआईसी के बेवसाइड में आज भी गुलाम नवी आजाद ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री……

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पटना। आपको विश्वास नहीं होगा? परन्तु यह सच है। आज भी नेशनल इंर्फोमेटिक्स सेन्टर एनआईसी डा. हर्षवर्द्धन को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री नहीं मानते हैं। एनआईसी के बेवसाइड में आज भी गुलाम नवी आजाद को ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मानते हैं। इसी लिए सत्ता परिवर्तन के बाद भी अपलोड को अघतन नहीं किया गया। इसी कारण अधकचरा सूचना लोगों को परोसा जा रहा है। 

29 अक्टूबर,2011 की तस्वीर को अपलोड कर रखा हैः एक करोड़ गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया था। उसी समय की तस्वीर है। इसमें केन्द्रीय मंत्री गुलाब नवी आजाद के साथ स्वास्थ्य स्वास्थ्य सचिव पी.के.प्रधान भी विराजमान हैं। एमसीटीएस कॉल सेन्टर,नयी दिल्ली के द्वारा जारी किया गया है। 
आम आदमी तस्वीर को देखकर और अखबार पढ़कर सच्चाई पर करते विश्वासः यूपीए सरकार के पतन के बाद एनडीए की सरकार सत्तासीन हैं। यूपीए सरकार के शासनकाल में गुलाम नवी आजाद, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे। अब गुलाब नवी आजाद ‘भूतपूर्व’ हो गए हैं। फिलवक्त एनडीए सरकार में डा. हर्षवर्द्धन को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं। पांच माह से अधिक समय के बाद भी अपलोड को अघतन नहीं किया गया है। 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बेवसाइड में: इसे http://nrhm-mcts.nic.in/mch/#  में जाकर देखा जा सकता है। Health and Family Welfare Department के द्वारा संचालित (Mother and Child Tracking System)है। इसमें जच्चा और बच्चा का रेकॉड को अपलोड किया जाता है। 


आलोक कुमार
बिहार 

हिमाचल की विस्तृत खबर (09 नवम्बर)

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प्रदेश में इस रबी सीजन में लागू रहेगी राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना 

शिमला, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। किसान समुदाय को लाभान्वित करने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2014-15 के रबी सीजन में प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना कार्यान्वित करने का निर्णय लिया है। यह योजना प्रदेश के उन सभी किसानों पर लागू होगी जिन्होंने गेंहू व जौ की फसल उगाई है। योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रदेश में स्थानों का निर्धारण किया गया है जिसमें तहसीलें व उप तहसीलें भी शामिल हैं। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के कृषि तथा सहकारिता विभाग ने रबी सीजन के दौरान राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के कार्यान्वयन को अपनी स्वीकृति प्रदान की है। फसल बीमा की राष्ट्रीय कृषि बीमा की राज्य स्तरीय समन्वय समिति ने निर्णय लिया है कि योजना को रबी सीजन 2014-15 के दौरान गेहूं व जौ की फसलों पर लागू किया जाएगा। इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लिमिटेड को दी गई है।  योजना के तहत प्राकृतिक आग, आसमानी बिजली, आंधी, ओलावृष्टि, तूफान इत्यादि, सूखा तथा अन्य बीमारियों इत्यादि से होने वाले नुकसान को योजना छत्र के अन्तर्गत लाया गया है जबकि युद्ध व न्यूक्लर नुकसान इत्यादि इसमें शामिल नहीं होगा। यह योजना ऋण धारक किसानों पर जिन्होंने वित्तीय संस्थानों वाणिज्य बैंकों, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय बैंकों तथा प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से कृषि ऋण लिए हैं पर अनिवार्य आधार पर निर्धारित अवधि से लागू की गई है। गैर-ऋणी किसान अपनी इच्छा से योजना का लाभ उठा सकते हैं। गेहूं व जौ की फसल के लिए कुल उत्पादन का औसतन 80 प्रतिशत स्तर निर्धारित किया गया है। ऐसे मामलों में ऋण धारक किसान को कम से कम ऋण राशि के बराबर बीमा करना होगा। यदि फसल ऋण की राशि वास्तविक उपज से अधिक है और औसतन उपज का 150 प्रतिशत है तो सामान्य प्रीमियम दर लागू होगी, जितना ऋण लिया गया है क्योंकि पूरी ऋण राशि का बीमा करना अनिवार्य किया गया है। पात्र छोटे व सीमान्त किसानों को कुल प्रीमियम पर 50 प्रतिशत सरकारी अनुदान के लिए पात्र होंगे। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि मक्की, धान और आलू की बीमा योग्य फसलों पर किए जाने वाले प्रीमियम उपदान को बढ़ाने और अदरक की फसल को फसल बीमा योजना के अन्तर्गत 10 से 50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है जिसमें राज्य का हिस्सा 45 प्रतिशत और केन्द्र का 5 प्रतिशत है। छोटे व सीमान्त किसानों को कुल प्रीमियम की केवल 50 प्रतिशत की अदायगी करनी होगी। पी.ए.सी. अथवा बैेंक शाखाओं में ऋण धारक किसानों के फसल बीमा प्रस्ताव को स्वीकार करने की तिथि  निर्धारित की गई है। गैर ऋण धारक किसानों के लिए यह तिथि 31 जनवरी, 2015 जबकि ऋण धारक किसानों के लिए 31 मार्च, 2015 निर्धारित की गई है। प्रदेश सरकार ने कार्यान्वयन एजैंसी में  उपज सम्बन्धी दावे प्रस्तुत करने के लिए 30 सितम्बर, 2015 निर्धारित की है।  दावों का निपटारा केवल राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत उपज डाटा के आधार पर किया जाएगा जो सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण द्वारा संचालित फसल कटान प्रयोगों की संख्या के आधार पर होगा। इसके अलावा कोई अन्य तरीका जैसे अन्नवारी/पैसावारी और सूखे की घोषणा इत्यादि पर नहीं होगा। राज्य स्तरीय बैंकर्ज समिति, अग्रणी बैंक प्रबन्धकों, सहकारी बैंकों तथा भारतीय कृषि बीमा कम्पनी को तत्काल इस योजना को प्रदेश में लागू करने के लिए आवश्यक पग उठाने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यान्वयन एजैंसी अर्थात भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लिमिटेड को राज्य सरकार के हिस्से के जारी होने के उपरान्त शीघ्र दावों की अदायगी सुनिश्चित बनानी होगी। किसी विवाद के कारण दावे की अदायगी में देरी होती है इसके लिए कार्यान्वयन एजैंसी उत्तरदायी होगी। बैंकों को भी यह सुनिश्चित बनाना होगा कि कार्यान्वयन एजैंसी से प्राप्त  दावे राशि की प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों के भीतर लाभार्थियों को दावे की राशि जारी व वितरित करनी होगी। जिला स्तरीय बैंकर्ज समिति के समन्वयक योजना की प्रगति का अनुश्रवण समय समय पर आयोजित बैंठकों में करेंगे।

इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण को तय अवधि में पूर्ण करने के लिए कमेटी का गठन

धर्मशाला, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज नगरोटा-बगवां के भवन निर्माण को तय अवधि में पूर्ण करने के उद्देश्य से मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। यह जानकारी परिवहन, तकनीकी शिक्षा और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री जी.एस.बाली ने आज यहां देते हुए बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज में अगले सत्र से कक्षाएं उसके स्वयं के भवन में सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस कमेटी का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि यह कमेटी भू-हस्तातंरण, टैंडर प्रक्रिया सहित अन्य समस्त औपचारिकताओं को समयबद्ध पूर्ण करवाने में अपना सहयोग देगी। इस कमेटी में उपमंडलाधिकारी (ना0) कांगड़ा, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग तथा अधिशासी अभियंता विद्युत विभाग इस कमेटी के सदस्य मनोनीत किए गए हैं।  श्री बाली ने बताया कि इस भवन के लिए 20 करोड़ 50 लाख रुपए का टैंडर लोक निर्माण विभाग द्वारा लगा दिया गया है। इसके अतिरिक्त 20 करोड़ रुपए का टैंडर सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा कम्पलैक्स के साथ लगते नाले के तटीयकरण के लिए लगाया गया है।

मॉडल विधान सभा क्षेत्र में विकसित होगा पालमपुर: बुटेल
  • अध्यक्ष ने बिंद्रवन और भगोटला में सुनीं समस्याएं

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पालमपुर, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)।  विधान सभा अध्यक्ष, श्री बृज बिहारी लाल बुटेल ने कहा कि जनसंपर्क कार्यक्रम के तहत पालमपुर निर्वाचन क्षेत्र की लगभग 25 पंचायतों का दौरा कर लोगों को आने वाली समस्याओं को जानने के साथ मौके पर ही उनका निपटारा भी किया गया है। विधान सभा अध्यक्ष, रविवार को जनसंपर्क कार्यक्रम में ग्राम पंचायत बिंद्रावन और भगोटला में लोगों से रू-ब-रू हुए और लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम के माध्यम से गांव के प्रत्येक आदमी से मिलने के अलावा पालमपुर निर्वाचन क्षेत्र और पंचायत स्तर पर विकास योजनाओं के लिए सुझाव भी मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों से मिलने वाले सुझावों पर चरणबद्ध तरीके से अमली जामा पहना कर पालमपुर निर्वाचन क्षेत्र को मॉडल विधान सभा क्षेत्र के रूप में विकसित किया जायेगा। श्री बुटेल ने कहा कि जनसंपर्क कार्यक्रम के सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इन कार्यक्रमों में पालमपुर के नागरिक अपनी समस्याओं के समाधान के साथ-साथ अपने गांव और पंचायत के विकास के लिए सुझाव भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि योजना गांव और गरीब के लिए बने इसके प्रयास किये जायेंगे, ताकि लोगों को इनका पूरा फायदा मिल सके। श्री बुटेल ने कहा कि पालमपुर निर्वाचन क्षेत्र की दो पंचायतों को छोडक़र सभी पंचायतों में पशु औषधालय की सुविधा आरंभ की गई है, जिससे किसानों को पशुओं के इलाज की सुविधा घर के पास ही मिल सके। उन्होंने कहा कि शेष दोनों पंचायतों में भी शीघ्र पशु औषधालय की सुविधा आरंभ की जा रही है। बिंद्रावन में विधान सभा अध्यक्ष के समक्ष पानी, सडक़, रास्तों और बिजली इत्यादि की लगभग 125 और भगोटला पंचायत में 110 समस्याएं रखी गई, जिनमे से अधिकतर का मौके पर ही निपटारा कर दिया गया। श्री बुटेल ने लोक निर्माण विभाग को बिंद्रावन स्कूल से बड़हूं सड़क़ के शीघ्र निर्माण, वार्ड न0 2 में कल्यारकड़ पाईप लाईन डालने के आदेश दिये। उसके अतिरिक्त उन्होंने लोगों की सामुदायिक भवनों, हैंडपंप विद्युतिकरण इत्यादि अन्य कार्यों को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की बात कही। इस अवसर विधान सभा अध्यक्ष ने शिव शक्ति नाला मंदिर में पूजा अर्चना की और यहां आयोजित भण्डारे में प्रसाद भी ग्रहण किया। कार्यक्रम में बिंद्रावन पंचायत के प्रधान करतार चंद बीडीसी सदस्य त्रिलोक चंद, राजेंद्र कौल, रोशन लाल चौधरी, रमेश मांगी, एसडीओ विद्युत सोनी, जेई लोक निर्माण मनोज सूद सहित अन्य विभागों के अधिकारी तथा स्थानीय पंचायतों के गणमान्य लोग उपस्तिथ रहे।

मुख्यमंत्री ने किया सोमभद्र उत्सव का शुभारम्भ

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शिमला, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने आज ऊना में सोमभद्र उत्सव का शुभारम्भ किया। वह नगर परिषद पार्क से इंदिरा मैदान तक शोभायात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री इस उत्सव में शामिल होने के लिए आज प्रात: ही गुजरात में इन्वेस्टर मीट में भाग लेने के उपरांत ऊना पहुंचे। उल्लेखनीय है कि सोमभद्र उत्सव का नाम सोमभद्र नदी पर पड़ा है, जिसे स्वां नदी के रूप में जाना जाता है। यह उत्सव वर्ष 1972 में ऊना जिला के गठन के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है। ऊना पहुंचने पर मुख्यमंत्री का जोरदार स्वागत किया गया। उद्योग मंत्री श्री मुकेश अग्निहोत्री भी अहमदाबाद से मुख्यमंत्री के साथ ऊना पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इससे पूर्व घलुवाल में 88 लाख रुपये की लागत से बनने वाले स्वां पर नियंत्रण केन्द्र परियोजना की आधारशिला रखी। यह प्रदेश में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसके अन्तर्गत मॉनसून और संभावित वर्षा के समय सैटेलाईट और राडार के माध्यम से नदी के बहाव की निगरानी की जाएगी। यह 922 करोड़ रुपये की स्वां नदी तटीकरण परियोजना का हिस्सा है, जिसके अन्तर्गत स्वां नदी और इसकी 73 सहायक नदियों का तटीकरण किया जा रहा है। राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री कुलदीप कुमार, राज्य पर्यटन विकास निगम के सदस्य श्री वीरेन्द्र धर्माणी, कांगड़ा सहकारी बैंक के निदेशक श्री राजीव गौतम, वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री सतपात रायजादा, उपायुक्त श्री अभिषेक जैन, जिला पुलिस अधीक्षक श्री अनुपम शर्मा, जिले के वरिष्ठ अधिकारी सहित नगर के गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे। 

प्रदेश में पूर्णतया नशीले पदार्थों पर रोक के बावजूद सरेआम हो रहा है नशीले पदार्थों का व्यापारए
  • सिस्को ;ैल्ैब्व्द्ध ने नशा मुक्त समाज बनाने का उठाया बीड़ाए, शिमला में आयोजित की नशा जागरूकता कार्यशालाए

शिमला, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। शिमलारू शिमला युवा सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन ने आज शिमला के कृष्णा नगर में नशा मुक्ति अभियान के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया । सेमीनार का मकसद लोगों को नशे से हो रहे नुकसान तथा अपराध के बारे में जागरूक करना था। सेमिनार का शुभारंभ कृष्णा नगर की पार्षद रजनी सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया । इस अवसर पर संस्था दवारा नशे से हो रहे शारीरिक और मानसिक रूप से हो रहे नुकसान के बारे में जागरूक किया गया । कैसे नशा जिंदगी व परिवार व समाज को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है । किस तरह नशे को अपने जिदंगी से दूर रख कर एक स्वस्थ समाज बनाया जा सकता है इस बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया । इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष महेश ठाकुर ने कहा कि लोगों को नशे के खिलाफ समय.समय पर जागरूक करने की आवशयकता है साथ ही पुलिस और प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह लोगों को विशेषकर युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए गंभीर प्रयास करें । उन्होने कहा कि परिजनों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इस भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय निकाल कर अपने बच्चों की देखभाल के लिए निकालें क्योंकि युवाओं के नशे की चपेट में आने का मुख्य कारण परिजनों का बच्चों की तरफ ध्यान नहीं देना है । उन्होने कहा कि भले ही आज प्रदेश सरकार ने नशीले पदार्थों पर रोक लगाई है लेकिन राजधानी शिमला सहित पूरे प्रदेश भर में खुलेआम नशीले पदार्थो का व्यापार किया जा रहा है जिस कारण प्रदेश का युवा नशे की चपेट में आ रहा है । महेश ठाकुर ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकार नशे को जड़ से समाप्त करने के लिए कठोर कदम उठाएँ और नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले व्यापारियों पर भी कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए साथ ही इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए समाज सहित बच्चों के अभिभावकों की सक्रियता भी आवश्यक है । संस्था ने प्रदेश के युवाओं से आग्रह किया कि युवा नशे को छोड़ कर हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त बनाने में अपनी भागेदारी सुनिश्चित करें ।  

मुख्यमंत्री का हिमाचल प्रदेश में अधोसंरचना विकसित करने पर बल

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शिमला, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने गुजरात के अहमदाबाद में ‘इनवेस्टर मीट’ को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश विकास की ओर अग्रसर है। हम उन सभी का स्वागत करते हैं जो प्रदेश में अधोसंरचना विकसित करने में अपना योगदान देना चाहते हैं। हम गुजरात के उद्योगपतियों से प्रदेश में सडक़ों, सुरंगों के निर्माण, स्की रिर्जोट आरम्भ करने रज्जुमार्ग निर्माण में सहायता प्राप्त करने के इच्छुक हैं ताकि प्रदेश उनके सहयोग व योगदान से लाभान्वित हो सकें और एक समृद्ध प्रदेश का निर्माण सुनिश्चित बनाया जा सके। इन्वेस्टर मीट का आयोजन हिमाचल प्रदेश सरकार तथा भारतीय उद्योग संगठन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक तथा देश के अन्य राज्यों के उद्योगपतियों प्रदेश में आपसी लाभ के लिए उद्योग स्थापित किए हैं और हमारी इच्छा है कि गुजरात प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए आगे आए और अपने अनुभव सांझा करें। उन्होंने कहा कि यदि गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक व चेन्नई विकास क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं तो न केवल उन राज्यों का विकास नहीं हो रहा है बल्कि पूरे राष्ट्र का विकास होगा, जिससे पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन होगा। उन्होंने कहा कि जब कोई राज्य समृद्ध होगा तो भारत समृद्ध होगा। देश के सभी राज्यों को एक दूसरे पर निर्भरता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं एक सच्चा राष्ट्रवादी हूं और मेरे लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत एक है। मैं विश्वास करता हूं कि राष्ट्र का विकास आपसी एकता व आन्तरिक निर्भरता की भावना से होगा जिसके लिए हम सभी को कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य करना होगा ताकि सम्पूर्ण राष्ट्र का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनका गुजरात में आने का उद्देश्य गुजरात के उद्योगपतियों से सहयोग लेने की इच्छा है। उन्होंने औद्योगिक घरानों से आग्रह किया कि वे हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र में सहयोग देने के आगे आएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा उद्योगपतियों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं। प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति, भूमि आवंटन में उदार नीति, सभी औद्योगिक परियोजनाओं की 90 दिनों के भीतर स्वीकृति प्रदान की जा रही है। उद्योग मंत्री श्री मुकेश अग्निहोत्री ने इन्वेस्टर मीट को सम्बोधित करते हुए आग्रह किया कि वे प्रदेश में औद्योगिक विस्तार व अतिरिक्त आद्यौगिक इकाइयां स्थापित करने के आगे आएं और अपने अनुभव को प्रदेश से सांझा करें। फार्मा, वस्त्र उद्योग अधोसंरचना व निर्माण जैसे मुख्य उद्योग हैं जो प्रदेश में बेहतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में कार्यरत औद्योगिक इकाइयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गुजरात के उद्योगपतियों द्वारा प्रदेश में 4000 करोड़ रुपये निवेश किया है, जिसमें से 2000 करोड़ रुपये का अदानी द्वारा पहले ही निवेश किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि टारेंट ग्रुप जल विद्युत की 500 मैगावाट व 1000 मैगावाट क्षमता की परियोजनाओं में निवेश का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि सेडिल्ला, रसना, वडिलाल ने प्रदेश में 700 करोड़ रुपये के निवेश की इच्छा जाहिर की है।  उन्होंने कहा कि गुजरात के बड़े उद्योगपतियों से प्रदेश के विकास में उनके अनुभव को सांझा करना चाहते हैं। इंडो-रामा टेक्सटाइल उद्योग ने प्रदेश में वस्त्र क्षेत्र में 300 करोड़ रुपये के निवेश की इच्छा व्यक्त की है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि बड़े औद्योगिक घरानों ने प्रदेश में निवेश के लिए अच्छी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में उद्योगपतियों से उद्योग स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हाल ही के दौरे के दौरान उन्हें महानगरों मुम्बई, बैंगलूरू और गुजरात से जो प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं उन्हें 90 दिनों के भीतर निपटा दिया जाएगा। इससे पूर्व, सीआईआई के उपाध्यक्ष श्री देवांशु गांधी ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा आने वाले समय में सहायता का आश्वासन दिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री वी.सी. फारका, प्रधान सचिव राजस्व श्री तरूण श्रीधर, प्रधान सचिव वित्त डॉ. श्रीकांत बाल्दी, प्रधान सचिव ऊर्जा श्री एस.के.बी.एस. नेगी, प्रधान सचिव उद्योग एवं श्रम श्री आर.डी. धीमान, उद्योग विभाग के निदेशक श्री राजेन्द्र सिंह, औद्योगिक सलाहकार श्री राजेन्द्र चौहान, पर्यटन विभाग के निदेशक श्री मोहन चौहान तथा आईपीसी के उप निदेशक व समन्वयक श्री तिलक शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

कुप्रथाओं को दूर करने के लिए दृढ़ सकंल्प जरूरी : राणा
  • हमीरपुर में 108 चेतना देवियों को किया सम्मानित    

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हमीरपुर, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। समाज में प्रचलित कुप्रथाओं, मनोविकारों एवं दुव्र्यसनों से छुटकारा पाने के लि दृढ़ सकंल्प अत्यंत जरूरी है। यह उद्गार आपदा प्रबंधन बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजयोग सेवा केंद्र हमीरपुर इकाई के  हिम व्यू होटल में आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए गए। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को नशों से दूर रहते हुए समाज सेवा के प्रकल्पों में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए। राणा ने कहा कि महापुरूषों ने समय-समय पर सद्विचारों की अलख समाज में जगाई है तथा इन महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज को आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्रों द्वारा समाज में सुसंस्कारों के प्रचार प्रसार के लिए अत्यंत ही सराहनीय कार्य किया जा रहा है। इससे पहले सम्मान समारोह में 108 को चेतना देवियों की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पंजाब जोन के समन्वयक अमीर चंद भाई सहित भोपाल की जोनल प्रभारी अवधेश बहन, भारत भूषण भाई ने भी राजयोग की उपयोगिता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एक दूसरे के स्नेही व सहयोगी बनकर कार्य करना अत्यंत जरूरी होता है, समाज तथा विश्व में बढ़ रहे अत्याचार, भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सभी लोगों को संकल्प लेना चाहिए। इससे पहले हमीरपुर इकाई की प्रभारी ज्योति ने हमीरपुर में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी तथा लोगों को समाज एवं अध्यात्म के प्रकल्पों से जुडऩे का आह्वान भी किया गया। इस अवसर पर खुशहाल जगोता, तारा चंद चौधरी, पंचायत प्रधान प्रीतम सिंह तथा शहंशाह सहित विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित थे।

उपायुक्त ने लिया हमीर उत्सव की तैयारियों का जायजा    

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हमीरपुर, 09 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा)। उपायुक्त रोहन चंद ठाकुर ने रविवार को हमीर उत्सव की तैयारियां का जायजा लिया गया तथा अधिकारियों को उत्सव को आकर्षक बनाने के दिशा निर्देश भी दिए गए। उपायुक्त रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि 11 नवंबर से आरंभ होने वाले हमीर उत्सव की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं, स्मारिका के प्रकाशन के साथ साथ, कलाकारों की चयन प्रक्रिया भी लगभग पूरी कर ली गई है इसके साथ ही हमीर उत्सव के अवसर पर हमीरपुर शहर में भव्य शोभायात्रा भी निकाली जाएगी जिसमें बजंतरियों के साथ साथ होमगार्ड का बैंड तथा टमक दल अपनी धुनों के साथ उत्सव के आगाज का परिचायक बनेगा। रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि उत्सव स्थल पर लोगों के बैठने की उचित व्यवस्था के साथ-साथ पेयजल, विद्युत तथा पार्किंग के लिए भी स्थान चिह्न्ति कि गए हैं। उन्होंने बताया कि तीन दिन तक  चलने वाले उत्सव इस वर्ष और आकर्षक बनाने के लिए कई कार्यक्रम जोड़े गए हैं इसके साथ ही विकासात्मक प्रदर्शनी के माध्यम से राज्य की विकास यात्रा की झलक भी दिखाई जाएगी। उपायुक्त रोहन चंद ठाकुर ने रविवार को उत्सव ग्राउंड तथा शहर से निकलने वाली शोभायात्रा के रूट का भी स्वयं जायजा लिया गया तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए गए। इस अवसर पर एडीसी हिमांशु शेखर चौधरी, एसीटूडीसी आशीष शर्मा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।

झारखण्ड चुनाव : झामुमों की कर्मभूमि पर भाजपा की सेंधमारी

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  • संताल परगना प्रमण्डल के तमाम छः जिलों के 18 विधानसभा सीटों पर पूर्ण बहुमत का सेहरा किसके सर बंधेगा ? 
  • किस राजनीतिक पार्टी को प्राप्त होगी अधिक से अधिक सीटें ?
  • नतीजा समय के गर्भ में।                  

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झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता रहा है संताल परगना। इसी संताल परगना की भूमि से झामुमों सुप्रिमों शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। 70 के दशक में अविभाजित बिहार के पठारी (दक्षिणी बिहार) हिस्से में अवस्थित जंगल-पहाड़ से महाजनों व शोषक वर्गोे के खिलाफ आग उगलने वाले आदिवासी नेता शिबू सोरेन ने जिस जल, जंगल, जमीन का मुद्दा छेड़ कर संतालों के बीच अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति इस क्षेत्र में दर्शायी और 80 के दशक से लोक सभा में प्रतिनिधित्व का अवसर प्राप्त किया, उसी शिबू सोरेन के क्षेत्र में भाजपा के रणबाँकुरों ने आसन्न विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सेंधमारी का प्रयास तेज कर दिया है। ंसताल परगना ़क्षेत्र से जिन्हें कोई खास वास्ता नहीं रहा वैसे नेताओं को भी इस क्षेत्र में पूरी जीवटता के साथ भ्रमण व जनसंपर्क में पिछले दिनों व्यस्त देखा गया। जहाँ एक ओर आम आदमी को यह सुखद प्रतीत हो रहा, वहीं यह बिडंबना भी व्यक्त की जा रही कि सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर ही ऐसा क्यों किया जा रहा ? इस क्षेत्र के भविष्य पर नेताओं की कृपा दृष्टि अब तक क्यों नहीं बनी ? खैर ’’देर आया, दुरुस्त आया’’, के सिद्धान्तों पर ही सही, नेताओं का जमावड़ा तो इस क्षेत्र में प्रारंभ हो ही गया है। झामुमों के गढ़ से जहाँ एक ओर इन्कलाब का झंडा बुलंद करती धीरे-धीरे भाजपा अपना पैर पसारती जा रही, वहीं झाविमों सुप्रिमों बाबूलाल मराण्डी व उनके समर्थकों द्वारा झामुमों व भाजपा को पटकनी देने की रणनीति पर विशेष गोपनीयता बरती जा रही। संताल परगना प्रमण्डल का मुख्यालय दुमका से चुनावी युद्ध का शंखनाद यूँ तो 01 सितम्बर से ही प्रारंभ हो गया जब प्रमण्डलीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भाजपा के विरुद्ध सीधी लड़ाई के लिये अपने समर्थकों को तैयार रहने को कहा। 

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लोक सभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत से विजयश्री हासिल करने वाली भाजपा विधान सभा चुनाव में भी अपनी स्थिति उसी मुकाम पर केन्द्रीत करेगी यह तो उसके बड़े लिडरान पर निर्भर है किन्तु, झामुमों का यह प्रयास रहेगा कि बड़ी तैयारी के साथ उसके इरादों पर पानी फेरा जाय। झामुमों कदापि नहीं चाहेगी कि संताल परगना प्रमण्डल में विधायकों की जो संख्या वर्ष 2009 के विस चुनाव में बनी उस पर कोई आँच आए। सूबे के सबसे पिछड़ा इलाका संताल परगना प्रमण्डल में विधानसभा की कुल 18 सीटंे हैं। जिलास्तरीय आँकड़ों पर गौर फरमाया जाय तो प्रतीत होता है कि उप राजधानी का दर्जा प्राप्त दुमका जिलान्तर्गत विधान सभा की कुल चार सीटें हैं। दुमका, जामा, शिकारीपाड़ा व जरमुण्डी। इस जिले में जरमुण्डी ही एकमात्र अनारक्षित सीट है, शेष तीनों सीटें आरक्षित कोटा में है। दुमका से हेमन्त सोरेन, शिकारीपाड़ा से नलिन सोरेन व जामा से सीता सोरेन (सभी झामुमो सें) विधायक हैं, जबकि जरमुण्डी से हरिनारायण राय (निर्दलिय) विधायक इस विधान सभा क्षेत्र की शोभा बढ़ा रहे।े देवघर जिला में विधानसभा की तीन सीटें हैं-देवधर, मधुपुर व सारठ। देवधर से सुरेश पासवान (राजद) व मधुपुर तथा सारठ से क्रमशः हाजी हुसैन अंसारी व शशांक शेखर भोक्ता (दोनों झामुमों) विधायक हैं। जामताड़ा में दो विधानसभा क्षेत्र है-जामताड़ा व नाला। जामताड़ा विस से विष्णु प्र0 भैया (झामुमों) व नाला विस क्षेत्र से सत्यानन्द झा’’बाटुल’’(भाजपा) विधायक हैं। गोड्डा जिला में विधानसभा की कुल तीन सीटें हैं-गोड्डा, महगामा व पोड़ेयाहाट। गोड्डा से संजय प्र0 यादव (राजद) महगामा से राजेश रंजन (आइएनसी) व पोड़ेयाहाट से प्रदीप यादव (झाविमों) वर्तमान सत्र के विधायक हैं। इसी तरह पाकुड़ जिला में पाकुड़, लिट्टीपाड़ा व महेशपुर विधानसभा क्षेत्र आता है।  

पाकुड़ विस क्षेत्र से अकिल अख्तर (झामुमों) महेशपुर विस क्षेत्र से मिस्त्री सोरेन (झाविमों) व लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र से साईमन मराण्डी (झामुमों) विधायक रहे हैं। साहेबगंज की जहाँ तक बात है तो इस जिला में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं-राजमहल, बोरियो व बरहेट। राजमहल विधानसभा क्षेत्र से अरुण मंडल (भाजपा) बोरियो विधानसभा क्षेत्र से लोबिन हेम्ब्रम  व बरहेट विधानसभा क्षेत्र से हेमलाल मुर्मू (दोनों झामुमों) विधायक हैं। लम्बे अर्से से परिवारवाद की राजनीति में विश्वास करने वाली पार्टी झामुमों के युवराज हेमन्त सोरेन की नीतियों से खफा पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र विधायक साईमन मराण्डी व साहेबगंज के बरहेट विस क्षेत्र विधायक हेमलाल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने से झामुमों की राजनीति में जहाँ एक ओर स्थिरता आ चुकी है, वहीं पार्टी से विद्रोह कर दूसरे दल में शामिल इन नेताओं के खिलाफ झामुमों के तेवर काफी तल्ख भी दिख रहे। आसन्न विधानसभा चुनाव में झामुमों हरसंभव अपनी पुरानी स्थिति को बहाल रखने का प्रयास करेगी।े पुत्रमोह में पार्टी से अलग हुए साईमन मराण्डी के लिये लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र काफी अहम होगा। अपनी पुरानी साख बरकरार रखने के लिये श्री मराण्डी को काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। श्रीमराण्डी की पत्नी सुशिला हाँसदा का हश्र क्या होगा श्री मराण्डी से बेहतर कोई नहीं जान सकता। 

प्राप्त आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 के विस चुनाव में झामुमों संताल परगना की सबसे बड़ी पार्टी रही है। जहाँ तक वर्ष 2005 के विस चुनाव की बात है, आईएनसी के थाॅमस हाँसदा ने राजमहल विस क्षेत्र से अरुण मंडल (स्वतंत्र) को 11 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से हराया था। स्व0 हाँसदा को 36472 मत प्राप्त हुए थे जबकि अरुण मंडल को 25296 मत ही प्राप्त हुए थे। बोरियो विस क्षेत्र में भाजपा के ताला मराण्डी ने झामुमों के लोबिन हेम्ब्रम को लगभग 6 हजार मतों के अंतर से हरा दिया था। ताला मराण्डी को 44546 व लोबिन हेम्ब्रम को 38227 मत प्राप्त हुए थे। वर्ष 2009 के विस चुनाव में स्थिति बिल्कुल उलट गई थी। इस वर्ष के चुनाव में लोबिन हेम्ब्रम ने ताला मराण्डी को एक बड़े अंतर से पछाड़ दिया था। झामुमों के लोबिन हेम्ब्रम को 37856 मत प्राप्त हुए थे जबकि भाजपा के ताला मराण्डी को मात्र 28546 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। बरहेट से साईमन माल्टो को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट प्राप्त होता है कि नहीं सबकी निगाहें इस ओर ही रहेगीं। वर्ष 2009 के चुनाव में हेमलाल मुर्मू ने स्वतंत्र प्रत्याशी विजय हाँसदा (वर्तमान में राजमहल लोस क्षेत्र के सांसद) को बरहेट विस क्षेत्र में काफी बड़े अंतर से हराया था। 2009 के बरहेट विस चुनाव में हेमलाल ने 40621 मत प्राप्त किये थे जबकि विजय हाँसदा को 20303 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। इस विस चुनाव में अहम बात यह थी कि एक राजनीति का माहिर खिलाड़ी था तो दूसरा बिल्कुल नवसिखुआ। इसी विस क्षेत्र के वर्ष 2005 के आँकड़ों पर गौर फरमाए तो यह प्रतीत होता है झामुमों के थाॅमस सोरेन को 42332 व साईमन माल्टो को 28593 मत प्राप्त हुए थे। लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र वर्ष 2005 से अबतक झामुमों के साइमन मराण्डी के हाथ रहा है। वर्ष 2005 में साईमन मराण्डी की पत्नी सुशिला हाँसदा ने बीजेपी के सोम मराण्डी को लगभग साढ़े सात हजार मतों के अन्तर से शिकस्त दी थी जबकि वर्ष 2009 के विस चुनाव में साईमन मराण्डी ने काॅग्रेस प्रत्याशी अनिल मुर्मू को मात्र साढ़े पाँव हजार के अन्तर से ही हराया था। 

इस विस चुनाव में साईमन मराण्डी को 29875 व अनिल मुर्मू को 24478 मत प्राप्त हुए थे। डाँ0 अनिल मुर्मू इन दिनों झामुमों के कुनबे में एक पदधारक की भूमिका अदा कर रहे हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में झाविमों लिट्टीपाड़ा से डाँ0 अनिल मुर्मू को अपना प्रत्याशी बना सकती है जिसकी चहुँओर चर्चा है। पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में बर्चस्व मुसलमानों की रही है। वर्ष 2009 के विस चुनाव में झामुमों नेता अकिल अख्तर ने काॅग्रेसी प्रत्याशी आलमगिर आलम को लगभग 6 हजार मतों के अंतर से हराया था। अकिल अख्तर को 62246 तथा आलमगिर आलम को 56570 मत प्राप्त हुए थे। आलमगिर आलम ने वर्ष 2005 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बेनी प्र0 गुप्ता को 24 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से हराया था। इस विधानसभा चुनाव में श्रीआलम को 71336 मत तथा बेनी प्र0 गुप्ता को 46000 मत प्राप्त हुए थे। मिस्त्री सोरेन महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से झाविमों के वर्तमान विधायक हैं। भाजपा के देवीधन बेसरा को 22 हजार मतों से भी अधिक के विशाल अंतर को इन्होनें हराया है। मिस्त्री सोरेन को वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में 50746 मत प्राप्त हुए थे जबकि देवीधन बेसरा को मात्र 28772 मत ही प्राप्त हो सका था। वर्ष 2005 के विस चुनाव में भी भाजपा को महेशपुर से शिकस्त मिली थी। झामुमों के सुफल मराण्डी ने 13 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से देवीधन बेसरा को हराया था। इस चुनाव में विजयी प्रत्याशी सुफल मराण्डी को 45520 मत प्राप्त हुए थे जबकि श्री बेसरा को मात्र 32704 मत ही प्राप्त हो सका। (क्रमशः)



अमरेन्द्र सुमन
दुमका 

विशेष : सालभर में ही दिखेगा काशी क्योटो जैसा

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अब आया काशी के बहुरने का दिन। जापानी डिप्टी मेयर ने ली शहर का जायजा, घूमे गली-गली। कहा, सालभर के अंदर दिखने लगेगा क्योटो जैसा काशी। यहां की सभ्यता और संस्कृति से हम बहुत प्रभावित हैं। हालांकि क्योटो की जनसंख्या से यहां की जनसंख्या बहुत अधिक है। ऐसे में यहां के विकास के लिए थोड़ी अतिरिक्त कवायद करनी होगी।

news-varanashi-kashi-staiblish-within-yearकाशी को क्योटो की तर्ज पर सजाने-संवारने की पहल शुरु हो चुकी है। जापानी डिप्टी मेयर कनिशि ओगासावरा दो दिन के दौरे पर काशी में है। उनके साथ आई छह सदस्यीय टीम के साथ बौद्ध की धर्मस्थली सारनाथ व बनारस की शान गंगा आरती में शिरकत की और सुबह-ए‘-बनारस का नजारा देखा। इस दौरान वह शहर की गली-मुहल्लों में घूमकर रहन-सहन व कामकाज का जायजा लिया। दो टूक जवाब में ओगासावरा ने कहा जल्द शुरु हो जायेगा काशी को क्योटो की तर्ज संवारने का कामकाज। कहा, क्योटो जैसी बनेगी काशी। उनका ये दौरा दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्योटो दौरे से जुड़ा हुआ है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि जापानी मेहमान पीएम मोदी के सपनों को पूरा करने के मिशन में आए हुए हैं। मतलब साफ है मोदी के ये शुरुवाती आगाज काशी के एक बेहतर कल की ओर इशारा कर रहे है। क्योटों समझौते के बाद काशी के कायाकल्प के लिए ब्लू प्रिंट पहले ही तैयार हो चुकी है। अब सिर्फ योजनाओं को अमली-जामा पहनाया जाना है। योजना के तहत तैयार ब्लू प्रिंट में 100 घाटों का सौंदर्यीकरण, जगह-जगह नेगा इ-लर्निंग स्कूलों की स्थापना, बुनकरों के कल्याण के लिए स्किल डेवलपमेंट, विश्वस्तरीय पब्लिक टांसपोर्ट सिस्टम, फिल्म सीटी, बाॅटेनिकल गार्डेन, शास्त्रीय संग्रह केन्द्र, वाॅटर टीटमेंट प्लांट आदि शामिल है। यह सब होगा काशी के विरासत, संस्कृति को बगैर छेड़छाड़ किए का ढांचागत विकास करने की तैयारी है। एक वर्ष में क्योटो की तर्ज पर काशी का विकास हो जाएगा। जापान ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। 

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काशी को क्योटो सीटी होने से न सिर्फ निजी क्षेत्र को भागीदारी का बड़ा मौका मिलेगा, बल्कि युवाओं को नौकरी मिलेगा और नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिलना तय है। जापान का प्रौद्योगिक कौशल व पूंजी प्रबंधन भारत के विनिर्माण क्षेत्र को वह जरुरी गति दे सकता है, जिसके बूते मोदी का विश्व बाजार को भारतीय सामानों से पाटने का सपना देखा है। बात सिर्फ निवेश की मात्रा और उसकी प्रकृति या फिर द्विपक्षीय व्यापारिक हितों की वृद्धि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत आध्यात्मिक रिश्ते को मजबूती प्रदान करने का भी काम किया है। श्री ओसागावारा के मुताबिक टीम, शहर का निरीक्षण कर उपलब्ध संसाधन, प्रबंधन के साथ ही विकास की संभावनाओं की व्यापक रिपोर्ट तैयार कर जापान सरकार को देगा जिसके आधार पर विकास का व्यापक रोड मैप तैयार कर भारत सरकार से जापान सरकार साझा करेगी। यह काम एक माह के अंदर पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए 35 खरब (3.5 टिलियन) रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है। इसमें निजी कंपनियों के साथ ही जापान सरकार निवेश करेगी। इसके बाद भारत सरकार की सहमति मिलने पर संभावना है कि दिसंबर माह से इस पर कवायद शुरू हो जाएगी। भारत व जापान के बीच संस्कृति, कला, शिक्षा क्षेत्र, ऐतिहासिक धरोहरों, मंदिरों के संरक्षण व शहर विकास आदि बिन्दुओं पर समझौता हुआ है। इसके तहत दोनों देशों द्वारा एक विस्तृत रोडमैप तैयारकर एक फ्रेम वर्क के तहत स्मार्ट हेरिटेज सिटी योजना बनाई जाएगी। इसमें न सिर्फ क्योटो शहर बल्कि जापान की सरकार और वहां के उद्यमी हर संभव सहयोग करेंगे। वे इसे लेकर बहुत गंभीर है। हम काशी के विकास में तकनीक और ज्ञान का पूरा आदान-प्रदान करेंगे। इससे काशी का मार्डनाइजेशन क्योटो की तर्ज पर करना बहुत आसान होगा। बनारस के विकास के लिए सिर्फ क्योटो शहर नहीं बल्कि जापानी सरकार, जापानी दूतावास और वहां के उद्यमी सभी गंभीर हैं। हमने आपकी समस्याएं और सुझाव लिखे हैं। काफी कुछ हमने देखा भी है। क्योटो के मेयर दाईसाकु काडोकावा व काशी के महापौर रामगोपाल मोहले के बीच एमओयू (दो देशों के बीच समझौता पत्र) पर हस्ताक्षर हुए हैं, उसके तहत दोनों शहर समस्याओं, समाधान के सुझाव समेत अन्य जानकारियां व सूचनाएं सतत एक-दूसरे से आदान-प्रदान करेंगे। 

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काशी जिस प्रकार रंग-बिरंगे मेलों, उत्सवों व त्यौहारों की नगरी है, उसी प्रकार यहां से हजारों किमी दूर जापान का क्योटो शहर भी मेलों व उत्सवों का मुरीद है। त्योहारों और मेलों की थाती समेटे काशी की आभा को गंगा की धारा चमकाती है तो क्योटो भी त्योहारों और मेलों को अपने में समेटे है। एक बात और क्योटो में गोजन आकुरिवी उत्सव में बेकार पड़ी वस्तुओं को घर से दूर ले जाकर अग्नि को समर्पित कर दिया जाता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे यहां दीपावली में ‘दरिद्दर’ खेदना और होलिका का दहन। काशी के लक्खा मेलों को लें तो यहां की चेतगंज की नक्कटैया, तुलसीघाट की नाग नथैया, नाटी इमली का भरत मिलाप और रथयात्र का मेला अपने से जोड़ता है ठीक वैसे ही क्योटो में अवोई मत्सुरी, जियोन मत्सुरी, जिदाई मत्सुरी और गोजन आकुरिवी जैसे उत्सव-पर्व वहां के लोगों को अपने से बांधे रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जापान से समझौते के मर्म में छिपी धार्मिक पृष्ठभूमि नवीन अनुभूतियां तो देगीं ही। काशी के लोगों का कहना है कि धार्मिक समानता में दोनों शहर इतने करीब हैं तो वहां की तकनीकी यहां के श्रद्धालुजन को स्वयं उनकी ही धारा में, विचारधारा में ‘ज्ञान विज्ञान’ के लाभ से निःसंदेह लाभान्वित करेगी। क्योटो जिस प्रकार तकनीक, परंपरा और उत्सवों की त्रिवेणी से उन्नत है उसी प्रकार काशी उत्सवों व ‘विद्याओं’ से समुन्नत है। वैसे भी जापान के ऐतिहासिक शहर व पूर्व राजधानी क्योटो को शानदार और रमणीक शहर बनाने में विद्यार्थियों व आम युवाओं की भूमिका अहम रही है। काशी के छात्र-युवा भी अपने शहर की साज-संभाल में अपनी भूमिका को साबित करने को आतुर हैं। 

मोदी ने टोक्यों ही क्यों चुना 
बहरहाल, सवाल यहां इस बात का है कि काशी को आधुनिक बनाने के लिए मोदी ने टोक्यों को ही चुना। दरअसल इसके पीछे उनकी मंशा यह थी कि काशी को सिर्फ आधुनिक ही नहीं, बल्कि यहां के हर हाथ को काम मिले, कोई भुखा न रह जाएं इस मकसद से उन्होंने टोक्यों को चुना। वजह यह थी कि क्योतो जापान का स्मार्ट शहर है, जो विरासत व आधुनिकता का संगम है। वहां से बड़ी संख्या में पर्यटकों का  काशी अना-जाना होता है। यानी शिव के भक्त अब बौद्ध भक्तों का स्वागत करेंगे। वैसे भी काशी अगर मंदिरों का शहर है तो क्योतों भी इससे पीछे नहीं, क्योंकि काशी में करीब 2300 मंदिर है तो क्योटों में 2000। बनारस भारत का सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है, तो क्योंतों हजारों साल से जापान की राजधानी रहा, और जापान की पहचान भी है क्योतों। जहां काफी संख्या में बौद्ध अनुयायी दर्शन को जाते है। जबकि काशी का सारनाथ जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान दिया और सारनाथ भी भारत ही नहीं पूरे विश्व का पहचान है। काशी अगर गंगा के किनारे बसा है तो क्योतो समुंदर किनारे। ऐसे में काशी की ऐतिहासिकता भी बनी रहेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। जाहिर सी बात है जब पर्यटन बढ़ेगा तो काशीवासियों की आमदनी भी बढ़ना लाजिमी है। काशी के गंगा निर्मलीकरण, गंगा घाटों की सफाई सहित अन्य योजनाओं की कार्यवाही पहले ही शुरु हो चुकी है। 

क्या है खासियत 
काशी की स्‍कार्फ, कालीन एवं साड़ी जापानी लोग खूब पसंद करते हैं। इसकी लोकप्रि‍यता का आलम यह है कि‍ स्‍कार्फ बांधकर व साड़ी पहनकर महिलाएं जापान के मंदिरों में स्‍थानीय लोग भक्तिभाव से मन्नतें मांगते हैं, तो कालीनें बिछाकर भगवान बुद्ध की आराधना। काशी और क्योटो की कहानी ज्योतिषीय नजरिए से भी मेल खा रही है। संस्कृति, इतिहास और उत्सव की एकरूपता तो है ही, ग्रहों का मिजाज भी इस मेल को मजबूत करने का संकेत दे रहा है। अगर इसके आलोक में देखें तो ज्योतिषी कहते हैं कि जापान से समझौता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काशी की दशा सुधारने और गंगा की धारा को अविरल निर्मल करने का श्रेय देगा। 

अब फोरलेन होंगी सड़के 
शहर के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड एक पर अंतर्राष्ट्रीय बाबतपुर एयरपोर्ट से सर्किट हाउस, राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर कचहरी से आशापुर, राष्ट्रीय राजमार्ग-233 पर पाण्डेयपुर चैराहे से गोइठहां तक अब फोरलेन रोड बनेगी। इसके लिए संबंधित राष्ट्रीय राजमार्गो से बिजली के खंभे को हटवाने, हरे पेड़ों को कटवाने के साथ ही आशापुर तक फोरलेन रोड का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 39.66 करोड़ बजट की स्वीकृति प्रदान कर दी है। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड एक पर अंतर्राष्ट्रीय बाबतपुर एयरपोर्ट से सर्किट हाउस तक तकरीबन 17 किमी फोरलेन रोड से बिजली के खंभे हटाने, पेड़ों को कटवाने समेत अन्य मद में 21.74 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर कचहरी स्थित बनारस क्लब से आशापुर तक 5.375 किमी फोरलेन रोड के सुदृढ़ीकरण के लिए 16.16 करोड़, बिजली के खंभे हटवाने व पेड़ कटवाने को 9.825 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग-233 पर पाण्डेयपुर चैराहे से गोइठहां तक 3.8 किमी फोरलेन रोड से बिजली के खंभे हटवाने के लिए 1.12 करोड़ विद्युत तथा पेड़ कटवाने को 64 लाख रुपये की धनराशि वन विभाग को उपलब्ध करा दी गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या -29 के वाराणसी-गोरखपुर वाया गाजीपुर खंड के फोरलेन चैड़ीकरण परियोजना के तहत वाराणसी जनपद में बाईपास समेत प्रभावित 34 ग्रामों व बाईपास (प्रस्तावित रिंग रोड) में प्रभावित 22 ग्रामों में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत भूमि अधिग्रहण किया जाना है। अप्रैल 2015 से बहुप्रतीक्षित ‘रिंग रोड’ बनने लगेगी। अलकतरा की बजाय यह रोड कंक्रीट की बनेगी। 145 किलोमीटर लंबी तय करेगी दूरी। तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये की यह परियोजना हरहुआ से अलीनगर तक 45 किलोमीटर लंबी दूरी तय करेगी। दो चरणों में प्रोजेक्ट पूरा होगा। इस तरह राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-56 से जुड़ी बनारस-लखनऊ वाया सुलतानपुर जौनपुर की फोरलेन में तब्दील होने वाली कंक्रीट रोड हरहुआ में काशी कृषक इंटर कालेज के पास से रिंग रोड बननी शुरू होगी। यह रोड एनएच-233 बनारस से आजमगढ़ कंक्रीट फोर लेन में तब्दील होने वाली सड़क को मुंशी प्रेम चंद की जन्म स्थली लमही को जोड़ते हुए एनएच-29 में बनारस से गाजीपुर रोड को संदहा के पास जोड़ेगी। 

गंगा पार बसेगा नई काशी 
गंगा के दोनों किनारों पर शहर बसाने की योजना है। इसके तहत पुरानी काशी की ऐतिहासिकता को ध्यान में रखकर विकास होगा। आधुनिक काशी गंगा उसपार बनाने की योजना है। टावर से देखेंगे शहर की भव्यता-गंगा के बीच एक टावर भी बनाने की योजना है। इसपर खड़े होकर पर्यटक गंगा के सुंदर घाट व अन्य खूबसूरत स्थान देख सकेंगे। बाढ़ के कहर पर लगाएं ब्रेक -गंगा में प्रतिवर्ष बाढ़ आती है, इसकी जानकारी जापान को है। शहर को इससे बचाने के लिए बड़ी योजना बनेगी, वहीं गंगा में रंगीन मछली पालन के बाबत भी सोचा जा रहा है ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिले। यह योजना शहर के एक किनारे गंगा में ही बनेगी। यहां के सालिड वेस्ट से बिजली उत्पादन की योजना है। इससे खाद भी बनाएंगे।

सहयोग का वादा 
काशी के महापौर ने कहा कि वह काशी विकास में जापानी टीम का पूरा सहयोग करेंगे। वह पर्यटन विकास में भी हम जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। क्योटो हमारी सीवर, पेयजल, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में क्या आर्थिक और तकनीकी सहयोग कर सकता है? हमारे टैक्सटाइल, कालीन और लकड़ी के खिलौनों के उद्योग के विकास में आप क्या सहयोग कर सकते हैं? हम शैक्षणिक गतिविधियों का भी आदान-प्रदान कर सकते हैं। 




(सुरेश गांधी)

मध्य प्रदेश : वर्तमान प्रदेश सरकार को आम आदमी के अंदर जीवन सुरक्षा पर ध्यान देना चािहए ?

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आजादी के बाद भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 से भारत देष में प्रभावषील किया गया ।  इस संविधान के अधिकारों के तहत ही महारे देष के महापुरूषों एवं राज नेताओं ने देष के विकाष करने के लिए अलग अलग राज्यों की स्थापना की । जिसमें मध्य प्रदेष की स्थापना 1 नवम्बर 1956 को हुई ।  1 नवम्बर 1956 को मध्य प्रदेष के प्रथम राज्यपाल के रूप में श्री बी.पट्टामि सीतारमैया  को प्रदेष का प्रभार दिया गया साथ ही इसी तारीख को प्रदेष के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में पं0 श्री रविषंकर षुक्ल को मनोनीत किया गया । जब प्रदेष की बागडोर राज्यपाल, मुख्यमंत्री मनोनीत हुए उसी दिन प्रदेष के मुख्य सचिव एच.एस. कामथ ने प्रदेष की सरकार चलाने के लिए प्रदेष में एक साथ प्रषासनिक अधिकारियों का गठन कर जनता को प्रजातंत्र की पहली सरकार के रूप में न्याय प्रदान कराने की प्रक्रिया को सविधानिक कानूनी अधिकारों का विभाजन किया । 

मध्य प्रदेष सरकार ने प्रदेष के विकाष के लिए अपनी रणनीति के अनुसार आम जनता को न्याय प्रदान कराये जाने के साथ-साथ कानून व्यवस्था को सही व दुरस्त रखा । आम जनता में कानून के प्रति भय था तथा एक दूसरे के प्रति उदारता, मानवता, संवेदनायें थी । समय के साथ प्रदेष का विकाष हुआ । आर्थिक स्थिति आम आदमी की ठीक न होने के कारण भारत सरकार एवं प्रदेष सरकारों ने मिलकर कृषि प्रधान भारत के हृदय स्थली मध्य प्रदेष में सैकड़ों योजनाऐं लागू कराई तथा प्रदेष के किसानों, व्यापारियों , उद्योग पतियों को संरक्षण देकर प्रदेष के विकाष में अहम भूमिका अदा की है । मध्य प्रदेष सरकार में होने वाले चुनाव में आस्था के कारण काॅग्रेस पार्टी की ही सरकारें बनती रही , समय के परिवर्तन के अनुसार 1 नवम्बर 1956 से 29 अप्रेल 1977 तक राजनैतिक दल के नेताओं ने मुख्यमंत्री के रूप में षासन किया ।  सन् 1977 में भारत सरकार की नीति के कारण सरकार गिरने लगी जिस कारण 30 अप्रेल 1977 से राष्ट्रपति षासन लागू हुआ, जो 25 जनू 1977 तक प्रभावषील रहा है । काॅगे्रस की नीति के विरूध्द पहली सरकार श्री कैलाष चन्द्र जोषी के नेतृत्व में 26 जून 1977 को गठित की गई उस समय प्रदेष के राज्यपाल श्री सत्यनारायण सिन्हा  थें । मध्य प्रदेष में पहली वार परिवर्तन होने के बाद प्रदेष में मुख्य मंत्री बदलने की प्रक्रिया हुई ।  जिसमें श्री कैलाषचन्द्र जोषी सात माह तक ही मुख्यमंत्री रह सकें उसके बाद 18 जनवरी 1978 को श्री बीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी को मुख्यमंत्री बनाया गया । श्री बीरेन्द्र कुमार सखलेचा ने प्रदेष के युवाओं को अनेक सौगाते दी तथा ्रपदेष में अनेक परिवर्तन कर अपना नाम इतिहास में बनाने का प्रयास किया लेकिन इसी बीच 20 जनवरी 1980 को प्रदेष के मुख्यमंत्री को बदल कर श्री सुन्दर लाल पटवा को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन दो माह बाद ही पुनः राष्ट्रपति षासन लागू हो जाने के कारण कानून व्यवस्था ढीली हो गई । भारतीय इतिहास में भारतीय जनता पार्टी का उदय हो होने के कारण प्रदेष में भाजपा ने अपनी अहम भूमिका अदा की तथा काॅग्रेस सरकार के विरूध्द जन अभियान जारी रखा ।

काॅग्रेस सरकार ने अपनी गल्तियों को सुधार कर जनता के बीच पुनः अपना स्थान बनाया जिसमें श्री अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाली 5 साल षासन किया ।  दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद पार्टी ने उन्हे पंजाव का राज्यपाल बनाया । मध्य प्रदेष की बागडोर श्री मोती लाल बोरा को दी गई । इस प्रकार मुख्यमंत्रियों को बदने में काॅग्रेस भी पीछे नही रही । प्रदेष के अंदर काॅग्रेस से श्री दिग्बिजय सिंह ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होने 7 दिसम्बर 1993 से मुख्यमंत्री पद की ष्षपथ लेने के बाद 8 दिसम्बर 2003 तक लगातार दस सालों तक एक तरफा राज्य किया । लेकिन समय व परिस्थितियों के बीच काॅग्रेस की नीतिओं से प्रदेष की जनता नाराज हो गई, बिजली के बिल, बिजली की आर्पूिर्त, मॅहगाई के कारण जनता ने सरकार बदल कर सुश्री उमा भारती को मुख्यमंत्री चुना ।  सुश्री उमा भारत ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में अपनी छवि बनाई तथा प्रदेष के लोगों को न्याय व सुरक्षा देने का पूरा प्रयास किया ।  लेकिन राजनैतिक उठा पटक, पार्टी के नियमों के चलते उन पर कई गंभीर आरोप लगे । एक मामले में वह न्यायालय जाने के लिए अपना प्रभार श्री बाबू लाल जी गौर को देकर कर्नाटक रवाना हुई । लेकिन श्री बाबू लाल जी गौर केवल सवा साल तक ही सरकार चला सकें । प्रदेष में भाजपा की गिरती साख को बचाने केलिए भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री बदल कर श्री षिवराज सिंह चैहान को प्रदेष का मुख्य मंत्री का प्रभार सौपा ।  श्री षिवराज सिंह चैहान 29 नवम्बर 2005 से आज तक लगातार ऐसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हो गये जिन्होने सरकार की छवि बरकारा रखी तथा अपनी कुर्सी को भी किसी भी प्रकार की आॅच नही आने दी है । श्री षिवराज सिंह चैहान एवं राज्यपाल श्री राम नरेष यादव की जोड़ी प्रदेष की जनता को हर तरह से सुख षाॅति देने का प्रयास कर रही है । बर्तमान में मध्य प्रदेष के 51 जिले है । सरकार ने जनता से धीरे जुड़ने के लिए अनेक बेब साईटें भी जारी की हैं जिसके माध्यम से जनता की जन सुनवाई हो रही है । जमीनी कार्य में ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा की आवष्यकता है । 

मध्य प्रदेष सरकार के मुख्यिा श्री षिवराज सिंह जी चैहान अपने कार्यकाल में आम आदमी के दुःखों को दूर करने का भरकस प्रयास कर रहे है । वह आम आदमी की समस्याओं को हल करने के लिए प्रषासन तंत्र पर लगातार कसाव किय हुए है । उसके बाद भी प्रदेष सरकार में कानून का पालन करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों एवं प्रषासनिक अधिकारी अपनी मन मानी के लिए जाने जाते है । पुलिस प्रषासन के लचीलेपन कार्य के कारण अपराधों में अत्याधिक बृध्दि हो रही है ।  आज आम आदमी अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित है । इस प्रकार से मध्य प्रदेष के स्थापना दिवस पर मध्य प्रदेष की सरकार को इस प्रकार का संकल्प लेना चाहिए जिससे कि आम जनता, किसान, व्यापारी अपना सुखमय जीवन व्यतीत कर सके ।  प्रदेष सरकार व्दारा जो जनहित में बेब साईटें चालू की गई हैं उनकी मानिर्टिग (समीक्षा) प्रत्येक माह में सक्षम अधिकारियों के व्दारा की जानी चाहिए ।  जन कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुॅचाने के लिए सरकार को समाजसेवी संगठनों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग लेना चाहिए ।  ग्राम एवं रक्षा समितियों को सम्पूर्ण प्रदेष में सक्रिय करते हुऐ ऐसे सदस्यों को प्रोत्साहित करने एवं उन्हे परितोषिक मानदेय राषि भी दी जाना चाहिए । सरकार का दायित्व है कि सर्व प्रथम अपने राज्य की जनता की सुरक्षा करे, उसे भय मुक्त बनायें, दूसरा आम व्यक्ति के उपचार के साथ साथ षिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को षिक्षित करने के सरल उपाय खोजे जाने चाहिए । रोटी , कपड़ा और मकान जब व्यक्ति के पास होगें तो वह सुखी जीवन जीने की कल्पना कर सकता है । 

1 नवम्बर मध्य प्रदेष स्थापना दिवस के 58 साल पूरे होने जा रहे है लेकिन अंग्रेजों की तानाषाही एवं कानून की कड़ी आज भी टूटी नही है ।  आम जनता सर्व प्रथम भय मुक्त होना चाहती है लेकिन समाज में व्याप्त अनेक मगर मच्छ ऐसे है जिनकी राजनैतिक पकड़ होने के कारण उनके व्दारा अपराध करने के बाद उनके विरूध्द पुलिस साक्ष्य नही जुटा पाती है ।  साक्ष्य के आभार में अदालतों से बरी हो जाने के कारण सभ्य व सामाजिक नागरिकों को ऐसे समजा विरोधी व्यक्तियों से खतरा रहता है, साथ ही उन्हे पार्टी या चुनाव के लिए उन्हे मजबूरी में नेताओं व गुण्डों का सहयोग करना होता है ।  प्रदेष की मुख्य आय के जो भी साधन है उनको प्रोत्साहित सरकार को करना चािहए ।  खनिज विभाग को बन विभाग की तरह षक्तिषाली बनाया जावें । खनिज विभाग नियमों में सषोधन कर निर्धारित दर से दस गुना जुर्माना लगाया जायें । बाहन कुर्क करने के नियम बनाऐ जावे । मध्य प्रदेष सरकार की आय का एक बड़ी राजस्व आय पंजीयन एंव मुद्राॅक विभाग हैं जिसमें  सरलीकरण किया जाना चाहिए । पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को आॅनलाईन करने की योजना स्वागत योग्य है । अवैघ काॅलोनियाॅ में बहुत कुछ सुधार की भी आवष्यकता है । इस प्रकार राजस्व आय के स्त्रोत सरकार को खोजना चाहिए । 

मध्य प्रदेष स्थापना दिवस के इस षुभ अवसर पर गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेष एक संकल्प भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को बचाने के लिए  सरकार को साथ देकर षिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समरसता एवं समाज पर जन जागरण, जाग्रति अभियान षुरू करेगा ।  साथ ही यह संगठन मध्य प्रदेष के कर्तव्य निष्ठ ईमानदारी लगनषील अधिकारियों, कर्मचारियों, राजनैतिक नेताओं , पत्रकारों एंव समाजसेवी नागरिकों को साव्रजनिक सम्मान कर सरकार को प्रोत्साहन करने में अपनी अहम भूमिका अदा करेगा । 






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(संतोष गंगेले)
प्रान्तीय अध्यक्ष 
गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब

बिहार : जिले के प्रयोगधर्मी और नवाचारी शिक्षकों की खास मुहिम

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  • मिडिल स्कूलों में चल रही अव्यवस्था के खिलाफ ‘साझा मंच’ के साथ जन प्रतिनिधियों से संवाद

primary middle school begusarai
बेगूसराय। सूबे के शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल है। माननीय मंत्री जी का प्रयास चल रहा है कि शासकीय विघालयों के बच्चांे को प्रायवेट स्कूलों के बच्चों को टक्कर देने लायक बनाया जा सके। अपने अधीन विघालयों के बच्चों के भोजन में भी सुधार किया जा सके। मिड डे मील में सुधार करके बच्चांे को खाने के लिए अंडा दिया जाए। जो बच्चे शाकाहारी हैं उनको खाने के लिए फल दिया जाए। इसी में उलझकर मंत्री जी नहीं रहे। जरा यहां भी ध्यान देंगे। 

यह जानकर आश्चर्य होगा कि 38 जिले में शुमार बेगूसराय जिले भी है। इस जिले के 710 मिडिल स्कूलों में मात्र 1 प्रतिशत प्रधानाध्यापक बहाल हैं। जबकि 99 प्रतिशत मिडिल स्कूलों में प्रधानाध्यापक बहाल भी नहीं है। मजे की बात है कि इन 99 प्रतिशत मिडिल स्कूलों में स्वयंभू प्रधानाध्यापक काम देख रहे हैं। ऐसे कथित प्रधानाध्यापकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक कहा जाता है। इनको अधिकारिक तौर पर शिक्षा विभाग ने प्रधानाध्यापक पद पर काम करने के लिए विधिवत प्रक्रिया के तहत कोई आदेश या अधिकार भी नहीं दिया है।

प्राथमिक शिक्षिका अनुपमा सिंह ने कहा कि बेगूसराय में अनाधिकृत प्रभार के अलावे अवैध ढंग से 710 मिडिल स्कूलों में स्वयंभू प्रधानाध्यापकों को एक वैध और ठोस अकादमिक व प्रशासनिक व्यवस्था बहाल किये जाने की मांग को लेकर प्राथमिक शिक्षक साझा मंच के बैनर तले जिले के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से ध्यानाकर्षण संवाद की यात्रा आयोजित की गयी। 25/10/14, 26/10/14 एवं 27/10/14 को क्रमशः तेघड़ा,मंझौल और बखरी अनुमंडल के माननीय जिला पार्षद क्षेत्र सं. 03, 04, 05, 09,12,13 और 15 माननीय प्रखंड प्रमुख बछवाड़ा, भगवानपुर, वीरपुर, चेरिया बरियारपुर,खोदावंदपुर, छौराही, गढ़पूरा,नावकोठी व बखरी तथा माननीय मुख्य पार्षद व उपमुख्य पार्षद नगर पंचायत बीहट, तेघड़ा बखरी से मिलकर न केवल ज्ञापन सौंपे बल्कि हमारी मांगों के समर्थन में इन जन प्रतिनिधियों द्वारा अधिकारिक तौर पर विभाग व प्रशासन को संबोधित करते हुए जारी पत्र भी प्राप्त किये। जिले के प्रयोगधर्मी और नवाचारी शिक्षकों की खास मुहिम जारी रहेगी। 



आलोक कुमार
बिहार 

आलेख : एक स्वच्छता अभियान तीर्थ स्थलों के शुद्धिकरण के लिए भी चले मोदीजी...!!

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मैं जिस शहर में रहता हूं, वहां से जगन्नाथ धाम पुरी की दूरी यही कोई पांच सौ किलोमीटर के आस - पास होगी। लेकिन अब तक मैं सिर्फ दो बार ही वहां जा पाया हूं। बचपन में अभिभावकों के साथ एक बार पुरी गया था। तब ट्रेन के पुरी पहुंचने से करीब 50 किलोमीटर पहले मध्यरात्रि में ही कई पंडों ने हमें घेर लिया। पंडे  हर किसी तीर्थ यात्री से एक ही सवाल पूछते... कौन जिला बा...। भूल कर भी अगर किसी ने जवाब दे दिया, तो फिर शुरू हो गए। आपसे पहले यहां आपके फलां - फलां पुरखे आ चुके हैं। उन्होंने फलां - फलां संकल्प किया था, जिसे आपको पूरा करना चाहिए। लाख कोशिशों के बावजूद इन पंडों से पीछा छुड़ा पाना लगभग असंभव था। इस वजह से कई सालों तक फिर वहां जाने की न हिम्मत हो पाई और न इच्छा। अरसे बाद कुछ साल पहले संयोगवश फिर पुरी गया, तो मैने महसूस किया कि पंडे तो वहां भी अब भी है। लेकिन उनका दबदबा  काफी कम हो गया है। वे लोगों से पूजा - पाठ में सहयोग का प्रस्ताव सामान्य दक्षिणा के एवज में रखते तो हैं, लेकिन ज्यादा जोर - जबरदस्ती नहीं करते। स्थानीय लोगों से पता चला कि यह राज्य सरकार की कड़ाई का नतीजा है। इससे मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि यदि पुरी में एेसा हो सकता है तो देश के दूसरे तीर्थ स्थलों में भी यह होना चाहिए। ताकि देश का हर नागरिक बेखटके तीर्थ के बहाने ही सही लेकिन भ्रमण पर जा सके। 

हालांकि दूसरी बार पुरी जाने पर मैने देखा कि देश के कोने - कोने से तीर्थ के लिए पहुंचे सैकड़ों तीर्थ यात्री कमरा न मिलने की वजह से भीषण गर्मी में भी सड़कों पर लेटे हैं या फिर इधर - उधर भटक रहे हैं। आलम यह कि किसी धर्मशाला या होटल में कमरे के बार में पूछने पर बगैर सिर उठाए कर्मचारी जवाब देते... नो रूम...। सैकड़ों यात्री सिर छिपाने के लिए एक अदद कमरे को इधर से उधर भटक रहे थे। इस स्थिति में महिलाओं व बच्चों की हालत खराब थी। क्या पर्यटन को बढ़ावा देने का दम भरने वाली सरकारें यह सूरत नहीं बदल सकती। जिससे तीर्थ स्थलों पर पहुंचने वालों को कमरे की सुनिश्चितता की गारंटी दी जा सके।  सच्चाई यही है कि दक्षिण भारत को छोड़ दें तो शेष भारत के हिंदू तीर्थ स्थलों पर पंडों - पुरोहितों , ठगों व लुटरों का राज चला आ रहा है। आस्था कहें या किसी मजबूरी में उत्तर भारत के तीर्थ स्थलों पर जाने वाले लोगों के साथ बदसलूकी , ठगी और इसके बाद भी सीनाजोरी आम बात है। एेसे कड़वे अनुभव के बगैर कोई तीर्थ यात्री वहां से लौट आए, यह लगभग असंभव है। अस्थि - विसर्जन व कर्मकांड के लिए उत्तर भारत जाने वाले तीर्थ यात्रियों से पूजा - पाठ के नाम पर हजारों की ठगी आम बात है। मेरे कई अहिंदी भाषी मित्र मुझसे कहते हैं कि पिंडदान व अन्य धार्मिक कृत्य के लिए उनकी गया, बनारस , इलाहाबाद , हरिद्वार व अन्य तीर्थ स्थानों को जाने की इच्छा है। लेकिन भाषा की समस्या तथा ठगे जाने के डर से वे वहां जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। 

देश में नई केंद्र सरकार अस्तित्व में आए या राज्य सरकार। यह दावा जरूर किया जाता है कि निवेश व पर्यटन के जरिए रोजगार व राजस्व बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद ही दावों की हवा निकल जाती है। कई साल पहले रेलवे ने अाइआरसीटीसी के जरिए देश में पर्यटन बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन यह योजना भी सफल नहीं हो सकी। क्योंकि आज भी देश की 80 प्रतिशत आबादी के लिए पर्यटन व भ्रमण विलासिता जैसी चीजें हैं। हां देश की शत प्रतिशत आबादी को तीर्थ स्थलों से जरूर जोड़ा जा सकता है। क्योंकि देशवासियों की आस्था ही कुछ एेसी है। ग्रामांचलों में बुढ़ापे में बद्रीनाथ - केदारनाथ की यात्रा हर बुजुर्ग की अंतिम इच्छा होती है। यह करा पाने वाले बेटों को समाज में सम्मान की नजरों से देखा जाता है। ग्रामांचलों में देखा जाता है कि पूरी जिंदगी जद्दोजहद में गुजार देने वाले बुजुर्ग शरीर से सक्षम रहने के दौरान भले कहीं न जा पाते हों, लेकिन शरीर जवाब दे पाने की स्थिति में भी उनके वारिस उन्हें गया - पुरी व अन्य तीर्थ स्थलों को ले जाने की भरसक कोशिश करते हैं। इसलिए समूचे देश में झाड़ू अभियान चला रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीर्थ स्थलों की स्वच्छता के लिए भी विशेष अभियान शुरू करना चाहिए , ताकि लोग तीर्थ स्थलों को जाने के लिए स्वतः प्रेरित हो सके। इससे केंद्र व राज्य सरकारों की आय भी बढ़ेगी, और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934 
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।
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