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छतरपुर (मध्यप्रदेश) की खबर (25 नवम्बर)

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निर्वाचन कार्य हेतु कर्मचारी नियुक्त  

छतरपुर/25 नवम्बर/कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डाॅ. मसूद अख्तर ने षिकायतों के कारण बक्स्वाहा क्षेत्र के 4 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निर्वाचन कार्यालय में संलग्न करने का आदेष जारी किया है। इनमें बक्स्वाहा जनपद पंचायत अंतर्गत षासकीय माध्यमिक षाला, पड़रिया में पदस्थ षिक्षक सह प्रभारी प्रधानाध्यापक घनष्याम गंधर्व एवं षासकीय प्रोन्नत षाला, हरदुवा में पदस्थ संविदा षाला षिक्षक वर्ग-3 धर्मेन्द्र गंधर्व षामिल है। इसी तरह नगर पंचायत बक्स्वाहा में पदस्थ सहायक राजस्व निरीक्षक राम किषोर प्रजापति एवं जनपद पंचायत कार्यालय बक्स्वाहा में पदस्थ बाबू जगदीष सिंह परिहार की ड्यूटी भी निर्वाचन कार्य में लगायी गयी है।  

मतगणना दलों का प्रषिक्षण आज

छतरपुर/25 नवम्बर/नगरीय निकायों के आम निर्वाचन के उपरांत 4 एवं 7 दिसम्बर को सम्पन्न होने वाली मतगणना कार्य के लिये गणना पर्यवेक्षक, गणना सहायक एवं गणना प्रेक्षकों को 26 नवम्बर को प्रातः 11 बजे से अपरान्ह 3 बजे तक प्रषिक्षण प्रदान किया जायेगा। मास्टर ट्रेनरों द्वारा छतरपुर नगर पालिका क्षेत्र के लिये मतगणना संबंधी प्रषिक्षण छतरपुर के महाराजा महाविद्यालय में प्रदान किया जायेगा। इसी तरह नौगांव नगर पालिका क्षेत्र के कर्मचारियों का प्रषिक्षण षासकीय पाॅलीटेक्निक महाविद्यालय नौगांव में, महाराजपुर के लिये जनपद पंचायत नौगांव में, गढ़ीमलहरा के लिये कृषि विज्ञान केंद्र नौगांव में, हरपालपुर के लिये षासकीय उत्कृष्ट उ0मा0 विद्यालय नौगांव में, बिजावर, सटई, बड़ामलहरा एवं बक्स्वाहा क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये षासकीय उ0मा0 विद्यालय बिजावर में, लवकुषनगर, चंदला एवं बारीगढ़ क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये षासकीय उ0मा0 विद्यालय लवकुषनगर में तथा राजनगर एवं खजुराहो क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये षासकीय बालक उ0मा0 विद्यालय राजनगर में प्रषिक्षण आयोजित किया गया है।      

मतदान के एक दिन पूर्व मतदान सामग्री का वितरण होगा

छतरपुर/25 नवम्बर/उप जिला निर्वाचन अधिकारी रविन्द्र चैकसे ने बताया है कि आगामी 28 नवम्बर एवं 2 दिसम्बर को सम्पन्न होने वाले मतदान के एक दिवस पूर्व प्रातः 8 बजे से मतदान सामग्री का वितरण किया जायेगा। समस्त ईव्हीएम मषीन रिटर्निंग अधिकारी स्तर पर उपलब्ध करा दी गई हैं। अब इनका वितरण पीठासीन अधिकारियों को किया जायेगा। श्री चैकसे ने बताया कि वितरण के समय अथवा मतदान के दौरान किसी भी प्रकार की तकनीकी अथवा अन्य खराबी को ठीक कराने के लिये हैदराबाद से आये ईसीआईएल कम्पनी के इंजीनियर एवं मास्टर ट्रेनर्स की मदद ली जा सकती है।  

लाला उर्फ दषरथ सिंह जिला बदर घोषित

छतरपुर/25 नवम्बर/कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी डाॅ. मसूद अख्तर ने किषनगढ़ थाना पिपट जिला छतरपुर निवासी 52 वर्षीय अपराधी लाला उर्फ दषरथ सिंह तनय खलक सिंह को 13 नवम्बर 2014 की सायं 5 बजे से एक वर्ष की अवधि हेतु जिला बदर घोषित किया है। उन्होंने उक्त कार्यवाही पुलिस अधीक्षक, छतरपुर के प्रतिवेदन के आधार पर की है। आरोपी पर पिपट थाना क्षेत्र के ग्रामों में वर्ष 1984 से विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप है। अपराधी लाला की बढ़ती आपराधिक गतिविधियों एवं क्षेत्र की जनता में व्याप्त भय को ध्यान में रखकर जिला दण्डाधिकारी डाॅ. अख्तर ने म0प्र0 राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर जिला बदर की कार्यवाही की है। जिला बदर के दौरान अपराधी छतरपुर जिले सहित समीपवर्ती सीमा पर लगे जिलों की भौगोलिक सीमाओं से निष्कासित रहेगा। किसी न्यायालय में प्रकरण की स्थिति में पेशी के एक दिवस पूर्व उपस्थित हो सकेगा, लेकिन पेशी समाप्ति के 6 घंटे के भीतर जिला छोड़ना होगा।

उचित मूल्य दुकानों की जांच हेतु निर्देष

छतरपुर/25 नवम्बर/कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर ने उपायुक्त सहकारिता एवं जिले के समस्त सहायक एवं कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों को निर्देषित करते हुये कहा है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के क्रियान्वयन की समीक्षा करने के उद्देष्य से खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त द्वारा उचित मूल्य दुकानों का निरीक्षण किया जा रहा है। अब तक के निरीक्षण में अधिकारीद्वय ने मुख्यतः दुकान से संलग्न हितग्राहियों को षत्-प्रतिषत् पात्रता पर्ची प्राप्त न होने, पात्रता अनुसार राषन सामग्री प्राप्त न होने एवं बैनर के माध्यम से जानकारी का प्रदर्षन न करने सहित डी-डुप्लीकेट परिवार होने, डुप्लीकेट परिवार का खाद्यान्न समर्पित न करने, निर्धारित समय एवं दिवसों में दुकानों के न खुलने व वितरण के बाद षेष स्टाॅक समर्पित न करने जैसी अनियमितता पायी हैं। अतः कलेक्टर डाॅ. अख्तर ने संबंधित अधिकारियों को उक्त अनियमिततायें दूर करने हेतु आवष्यक कार्यवाही सुनिष्चित् करने के निर्देष दिये हैं। उन्होंने कहा है कि दुकान में अनियमितता पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध आवष्यक वस्तु अधिनियम के साथ  ही चोर बाजारी अधिनियम 1980 के तहत कार्यवाही की जायेगी। अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कार्य में लापरवाही बरतने पर भी दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकेगी।  

कलेक्टर ने राजनगर में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया, प्रषिक्षण को गंभीरतापूर्वक लेने के दिये निर्देष

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छतरपुर/25 नवम्बर/कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डाॅ. मसूद अख्तर ने नगरीय निकाय चुनाव 2014 के तहत आज राजनगर में चुनाव तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने सबसे पहले तहसील कार्यालय में पहुंचकर राजनगर नगर पंचायत की रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम श्रीमती नीता राठौर से चुनाव तैयारियों के संबंध में चर्चा कर विभिन्न दिषा-निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि मतदान दलों को चुनाव सामग्री का वितरण व्यवस्थित ढंग से किया जाये। चुनाव में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाये। उन्होंने मतदान दलों को वितरित की जाने वाली सामग्री की जानकारी ली तो बताया गया कि चुनाव सामग्री प्राप्त हो गयी है। चुनाव में किसी भी प्रकार के व्यवधान होने की संभावना नहीं होगी। इसके बाद कलेक्टर डाॅ. अख्तर ने षासकीय उत्कृष्ट उ0मा0 विद्यालय में पहुंचकर मतदान दलों के प्रषिक्षण का जायजा लिया। उन्होंने मतदान दलों के प्रषिक्षण में निर्देष देते हुये कहा कि प्रषिक्षण को गंभीरतापूर्वक ग्रहण करें। चुनाव में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतें। उन्होंने कहा कि नगरीय निकाय निर्वाचन में पहली बार ईव्हीएम मषीनों का उपयोग हो रहा है। यह ईव्हीएम पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में उपयोग की गई ईव्हीएम से कुछ भिन्न है। इस बार दो बैलेट यूनिट का उपयोग होगा। जिसमें एक बैलेट यूनिट से अध्यक्ष पद के प्रत्याषी को एवं दूसरे बैलेट यूनिट से पार्षद पद के प्रत्याषी को वोट डाला जायेगा। उन्होंने सभी मतदान दलों से कहा कि मतदान के पहले माॅकपोल जरूर करायें। उन्होंने ईव्हीएम संचालन का तरीका ठीक ढंग से समझने के निर्देष दिये। उन्होंने मतदान दलों से मतदान के प्रतिषत की जानकारी भेजने के संबंध में आवष्यक निर्देष दिये। कलेक्टर डाॅ. अख्तर ने रिटर्निंग अधिकारी श्रीमती नीता राठौर को स्ट्रांग रूम एवं मतगणना स्थल की सभी व्यवस्थायें ठीक रखने के निर्देष दिये। उन्होंने आगामी पंचायत निर्वाचन के संबंध में भी विचार-विमर्ष किया। इसके बाद उन्होंने सर्किट हाउस, खजुराहो में एनटीपीसी के अधिकारियों को विभिन्न कार्य पूर्ण कराये जाने के संबंध में आवष्यक निर्देष दिये। भ्रमण के दौरान तहसीलदार एवं सहायक रिटर्निंग अधिकारी श्री बलवीर रमण एवं नायब तहसीलदार श्रीमती मीनाक्षी जायसवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।      

30 नवम्बर तक खुलवायें प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाते: कलेक्टर
  • विषेष डीएलसीसी बैठक सम्पन्न 

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छतरपुर/25 नवम्बर/प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत षेष रहे परिवारों के 30 नवम्बर तक बैंक खाते खुलवाये जाना सुनिष्चित् किया जाये। कोई भी पात्र परिवार प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाता खुलवाने से वंचित न रहे। यह निर्देष कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई विषेष डीएलसीसी बैठक में उपस्थित बैंकर्स को दिये। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों का बैंकर्स द्वारा सर्वे नहीं किया गया है, तो उनका सर्वे षीघ्रता से पूर्ण कर लिया जाये। उन्होंने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिषन योजना एवं मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के प्रकरणों पर विषेष ध्यान देने के निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि उक्त योजनाओं के तहत निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक प्रकरण स्वीकृत कर उनका वितरण सुनिष्चित् कराया जाये। उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले बैंकर्स को प्रषस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा। उन्होंने बैठक में मध्यांचल ग्रामीण बैंक बाजना के सराहनीय कार्य के लिये बैंक प्रबंधक को प्रषंसा पत्र भी प्रदान किया। उन्होंने कहा कि इसी तरह अन्य बैंकर्स द्वारा भी षासन की विभिन्न योजनाओं के तहत अच्छी प्रगति लाने का कार्य किया जाये। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डाॅ. सतेन्द्र सिंह ने भी बैंकर्स को विभिन्न दिषा-निर्देष दिये। उन्होंने बैंकर्स की समस्याओं का भी समाधान किया। उन्होंने कहा कि बैंकर्स द्वारा अधिकारियों से समन्वय बनाकर कार्य किया जाये, जिससे योजनाओं का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। बैठक में लीड बैंक अधिकारी श्री रमेष तोमर ने अवगत कराया कि 1 जनवरी 2015 से पूरे देष में एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी राषि हितग्राही के बैंक खाते में दी जायेगी। बैठक में सहायक कलेक्टर श्री गिरीष कुमार मिश्र सहित बैंक के विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।    

संपादक राजेन्द्र पटैरिया को मातृं षोक -

नौगाॅव (  छतरपुर -)  दैनिक उमा गर्जना के  संपादक एवं भाजपा नेता श्री राजेन्द्र पटैरिया की 92 बर्षीय पूज्य माता श्रीमती भुमानीवाई का निधन गायत्री कालोनी नौगाॅव चर्च रोड पर हो गया ।  इसी प्रकार नोगाॅव नगर के वार्ड नं0 6 के भाजपा पाषर्द श्री अरविन्द्र षर्मा के पूज्य चाचा श्री बाबू लाल षर्मा का 85 बर्ष की आयु में निधन हो गया । नगर के दो बृध्दजनों की मृत्यू से नगर षोकमय रहा । दोनो बृध्दजनों का अंतिम संस्कार ष्षमषान घाट नौगाॅव में किया गया । मृतक आत्मा की ष्षाॅति हेतू दो मिनिट का मोन धारण कर ईष्वर से प्रार्थना की गई । 

सब रजिस्ट्रार करण सिंह घोष ने पदभार संभाला 

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नौगाॅव - स्थानीय उप पंजीयक कार्यालय में श्री करण सिंह घोष ने अपना विधिवत पद भार ग्रहण कर लिया है । इसके पहिले श्री करण सिंह छतरपुर जिला में अनेक बर्षो तक पंजीयन लिपिक के पद पर रहे । उनके पदोन्नति होने के बाद वह एक वार पुनः नोगाॅव पदस्थ किए गये । 


हिमाचल की विस्तृत खबर (25 नवम्बर)

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सेमसंग इंडिया करेगा 70 आईटीआई उम्मीदवारों की नियुक्ति

शिमला,, 25 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा ) ।  हिमाचल प्रदेश रोजगार विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां सूचित किया है कि मैसर्ज सेमसंग इंडिया इलैक्ट्रॉनिक प्राईवेट लिमिटेड इलैक्ट्रॉनिक्स, इलैक्ट्रिकल, फिटर और आरएसी में पास आईटीआई अभ्यार्थियों के लिए केेम्पस साक्षात्कार करेगा। ये साक्षात्कार क्षेत्रीय रोजग़ार कार्यालय मण्डी, जिला रोजगार कार्यालसय हमीरपुर तथा बिलासपुर में क्रमश: 28,29 और 30 नवम्बर, 2014 को प्रात: 10 बजे आरम्भ होंगे। प्रवक्ता ने बताया कि कुल 70 पदों के लिए साक्षात्कार किए जाएंगे। उम्मीदवार की आयु 18 से 21 वर्ष तथा आईटीआई पास होना अनिवार्य है। चयनित उम्मीदवारों को 7040 रुपये मानदेय के अलावा वर्दी, आवास तथा चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्होंने पात्र उम्मीदवारों से आवश्यक दस्तावेजों सहित साक्षात्कार के लिए आने की अपील की है।

हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की संशोधित परिवहन नीति, 2014 को मंजूरी प्रदान, हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय

virbhadr singh
शिमला,, 25 नवंबर ( विजयेन्दर शर्मा ) ।  हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की आज यहां आयोजित बैठक में संशोधित परिवहन नीति, 2014 को मंजूरी प्रदान की गई, जिसमें परिवहन क्षेत्र के विस्तार में तेजी लाने पर विशेष बल दिया गया है। इसके अन्तर्गत विभिन्न केन्द्रीय और राज्य नियमों के प्रावधानों को आवश्यक रूप से कार्यान्वयन के अलावा परिवहन विभाग की भूमिका को भी पुन: परिभाषित किया गया है।  परिवहन नीति में यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा प्रदान करनेे के अलावा कृषि और गैर-कृषि उत्पादों की विपणन व्यवस्था के लिए अत्याधुनिक मालभाड़ा वाहनों को प्रोत्साहित करने पर विशेष बल दिया जायेगा। वाहनों के लिये उपयुक्त कर तथा गैर-कर प्रोत्साहनों का प्रावधान किया जायेगा और सडक़ सुरक्षा पर विशेष बल दिया जायेगा जिसे शैक्षणिक गतिविधियों का हिस्सा भी बनाया जायेगा। इसके यात्रा सुरक्षा के साथ-साथ आम लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा प्राप्त होगी।    मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्ष 2014-15 के दौरान नींबू प्रजाति के फलों जैसे किन्नू, मालटा, संतरा इत्यादि के प्रापण के लिये मण्डी मध्यस्थता योजना कार्यान्वित की जएगी। योजना के अन्तर्गत 500 मीट्रिक टन किन्नू, मालटा और संतरा तथा 100 मीट्रिक टन गलगल बी ग्रेड के लिए 6 रुपये 50 पैसे, सी ग्रेड के लिये 6 रुपये और गलगल को 5 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जाएगा। इसके अलावा किन्नू, मालटा और संतरा के लिए 2.65 रुपये प्रति किलो की दर से जबकि गलगल के लिए 1 रुपये हैंडलिंग चार्जिज दिए जाएंगे। कुल मिलाकर प्रदेश में इस योजना के अन्तर्गत 50 खरीद केन्द्र खोले जाएंगे। यह योजना 20 नवम्बर, 2014 से 14 फरवरी, 2015 तक प्रभावी रहेगी। मंत्रिमंडल ने प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में चिकित्सा विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से लाहौल स्पीति जिला के जिला अस्पताल केलंग तथा काजा में मैगा टेली-मेडिसिन पायलट प्रोजेक्ट को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया गया। बैठक में लोकपाल और महाधिवक्ता को वाहन में फ्लैशर के साथ लालबत्ती के प्रयोग के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। सभी सांसदों, मुख्य संसदीय सचिवों, सभी विधायकों, महापौर, सुपर-टाइम स्केल प्राप्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के सभी अधिकारियों, सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, सभी उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को फ्लैशर के साथ एम्बर लाइट के इस्तेमाल की मंजूरी प्रदान की गई है। यह भी निर्णय लिया गया है कि चालान करने की शक्ति रखने वाले परिवहन विभाग के अधिकारी और सभी आबकारी एवं कराधान अधिकारी जि़ला में फ्लैशर के बिना नीले रंग की बत्ती प्रयोग कर सकेंगे। मंत्रिमण्डल ने साईं इंजीनियरिंग फाउंडेशन को बूट आधार पर लोअर सुमेज (5 मैगावाट), तौहुक (4.5 मैगावाट) तथा करेड़ी (5 मेगावाट) तीन जल विद्युत परियोजनाओं को आबंटित करने की स्वीकृति प्रदान की। इसके अन्तर्गत कार्यान्वयन अनुबंध पर हस्ताक्षर की तिथि से चार सालों के भीतर इन परियोजनाओं को पूरा करने की शर्त रखी गई है। यह भी निर्णय लिया गया कि साईं इंजीनियरिंग फाउंडेशन 6.75 प्रतिशत नि:शुल्क ऊर्जा रॉयल्टी देगा, जो हिमऊर्जा की आय का हिस्सा होगा। ऊर्जा बिक्री से राज्य को प्राप्त होने वाले राजस्व के दृष्टिगत वर्तमान प्रबंधों को एक वर्ष के लिए विस्तार देने का निर्णय लिया गया है। बैठक में कांगड़ा जिला की ग्राम पंचायत बीजापुर के अन्तर्गत उत्तरपुर गांव और चम्बा जिला की तहसील सलूणी की ग्राम पंचायत स्नोह के गांव पधन में पर्याप्त स्टाफ सहित नये आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप है। मंत्रिमण्डल ने हमीरपुर में 50 बिस्तरों की सुविधायुक्त जिला अस्पताल के लिए आयुर्वेद विभाग में चार पदों को पदोन्नति द्वारा नियमित आधार पर भरने की स्वीकृति प्रदान की। इन पदों में एक पद चिकित्सा अधीक्षक, दो पद वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक और एक पद वार्ड सिस्टर के शामिल हैं। ऊना जिला के हरोली में सात सदस्यीय स्टाफ के साथ उप-मण्डलीय पुलिस अधिकारी कार्यालय खोलने की स्वीकृति दी गई है। कुल्लू जिला के बंजार के लारजी में फायर पोस्ट खोलने की भी मंजूरी प्रदान की गई है। मंत्रिमण्डल ने मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप शिमला जिले के ठियोग के बलग एकादशी मेले को राज्य स्तरीय दर्जा प्रदान करने का निर्णय लिया। मंत्रिमण्डल ने मण्डल जिला के नेर चौक में नगर पंचायत के गठन का निर्णय लिया। कांगड़ा जिला के बैजनाथ और पपरोला में भी नगर पंचायतों का गठन करने की स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक में हि.प्र. मूल्य वद्र्वित कर नियम 2005 के नियम 45, 50 और 50 (4) में संशोधन करने की अनुमति प्रदान की गई, जिसके अन्तर्गत जिन विक्रेताओं की सालाना बिक्री 8 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच है, को सालाना सवा प्रतिशत कर प्रथम अप्रैल, 2015 से वार्षिक बिक्री पर देना होगा। प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक प्रभाव आकलन के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश उचित मुआवजा और भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनरूद्धार और पुनर्वास नियम, 2014 बनाने का मंत्रिमंडल ने स्वीकृति प्रदान की।मंत्रिमंडल ने शिमला से अधीक्षण अभियंता (पी एंड आई-प्प्) का कार्यालय आवश्यक स्टाफ सहित कांगड़ा जिला के फतेहपुर स्थित इंजीनियर-इन-चीफ (परियोजना) को स्थानांतरित करने का फैसला किया है ताकि शाह नहर, फिना सिंह और सिद्वाता परियोजनाओं के साथ-साथ छौंछ खड्ड व अन्य ऐसी परियोजनाओं का निरीक्षण और डिजाइन कार्य किया जा सके। नगर परिषदों और नगर पंचायतों के कार्यकारी अधिकारियों एवं सचिवों को भविष्य में उच्च वेतन संरचना देने का फैसला किया गया है। पंचायती राज विभाग के अंतर्गत पंचायत समितियों में कार्यरत कनिष्ठ लेखापालों को तीन वर्षों का सेवाकाल पूरा करने के उपरांत वेतमान प्रदान करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई।बैठक में आयुर्वेद विभाग में संस्कृत प्रवक्ताओं के लिए नए भर्ती एवं पदोन्नति नियम बनाने के लिए मंजूरी प्रदान की गई।खंड विकास अधिकारियों के आठ पद सीधी भरती के माध्यम से भरने का निर्णय लिया गया है।मंत्रिमंडल ने युवा सेवा एवं खेल विभाग में कनिष्ठ प्रशिक्षकों के 50 पद सृकजत करने का निर्णय लिया ताकि युवाओं को विभिन्न खेलों में प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके। अग्नि शमन विभाग में भी डिविजनल फायर ऑफिसर का एक पद सीधी भर्ती के माध्यम से अननुबंध आधार पर भरा जाएगा। वन विभाग में वन रक्षकों के 220 पद अनुबंध आधार पर भरे जाएंगे। इसके अलावा, पुलिस विभाग में महिला सब-इंस्पैक्टर के 16 पद भरे जाएंगे और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में इंस्पैक्टर श्रेणी-एक के चार पद सीधी भरती के माध्यम से अनुबंध आधार पर भरे जाएंगे। विभाग में लिपिक एवं डाटा एंट्री ऑपरेटरों के 40 पद एनआईईएलआईटी के जरिये आउट सोर्सिस से भरने का निर्णय लिया गया है, जब तक नियमित/अनुबन्ध स्टॉफ की नियुक्ति न हो जाए। इसके अलावा, योजना विभाग में सहायक अनुसंधान अधिकारियों के दो पद भरने का भी निर्णय लिया गया है। उद्योग विभाग में जिओलॉजिकल (भूगर्भीय) शाखा को सुदृढ़ करने के लिये खनन अधिकारियों के दो पद सीधी भर्ती के माध्यम से अनुबन्ध आधार पर भरें जाएंगे और सहायक खनन अधिकारियों के 16 पदों को सृजित किया जाएगा, जिनमें से 6 पद अनुबन्ध आधार पर सीधी भर्ती और 10 पद पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे। इसके अतिरिक्त, खनन रक्षकों (चतुर्थ श्रेणी) के 25 पद सृजित किये जाएंगे जिनमें से 15 पद अनुबन्ध आधार पर सीधी भर्ती से और 10 पद भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुरूप सेवादार/चौकीदार के कैडर से स्थानान्तरित किये जाएंगे। अवैद्य खनन गतिविधियों पर निगरानी एवं नियन्त्रण के लिये विधि अधिकारी (श्रेणी-दो राजपत्रित) का एक पद सृजित कर भरा जायेगा। बैठक में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग में सहायक लोक सम्पर्क अधिकारी और जिला लोक सम्पर्क अधिकारी/सूचना अधिकारी के अधिसंख्या (सुपरन्यूमनेरी) पदों को सृजित करने, तथा विभाग ने अभिनेताओं व कलाकारों का वेतनमान संशोधित करने को स्वीकृति प्रदान की गई। मंत्रिमण्डल ने हि.प्र. अधीनस्थ विधिक सेवा में सिविल जज (जुनियर डिवीजन) का एक पद भरने का निर्णय लिया।आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग में सांख्यिकी सहायकों के पांच पद और अन्वेषकों के चार पद आउटसोर्सिग के माध्यम से भरने का निर्णय लिया गया है।बैठक में हिमाचल प्रदेश विशेष अदालतें (सम्पति की कुर्की एवं अधिकरण) बिल, 2011 को वापिस लेने और राष्ट्रपति की सहमति के लिये भारत सरकार को पुन: भेजने का निर्णय लिया गया।वर्तमान हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 को निरस्त कर आगामी विधानसभा सत्र के दौरान हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय बिल के रूप में नया कानून लाने को मंजूरी प्रदान की गई। मंत्रिमण्डल ने आगामी विधानसभा सत्र में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत वितरण प्रबन्धन दायित्व बिल, 2014 प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अध्यादेश, 1970 की धारा 21 (प)(पप)(पपप)(अ) और 28 (प) में संशोधन के लिये बिल के रूप में विधानसभा में रखने का निर्णय लिया गया है। विधानसभा मेें हिमाचल प्रदेश कोर्ट फीस (संशोधन) बिल, 2014 को प्रस्तुत करने का भी निर्णय लिया गया है।

आईपीएल प्रकरण में मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबार जैसी: न्यायालय

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उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण में एन श्रीनिवासन के दामाद गुरूनाथ मयप्पन की भूमिका भेदिया कारोबारी जैसी लगती है। इसके साथ ही न्यायालय उन क्रिकेट खिलाड़ियों के नाम सार्वजनिक करने के अनुरोध पर सुनवाई के लिये तैयार हो गया है जिनका जिक्र न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट में है। न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एफ एम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कहा, ‘यदि मयप्पन सूचनायें लीक कर रहे थे और कोई अन्य सट्टा लगा रहा था तो यह भेदिया कारोबार जैसा ही हुआ।’ न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब यह दलील दी गयी कि श्रीनिवासन का दामाद चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा था और सभी कार्यक्रमों में हमेशा टीम के साथ रहता था।

क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार :कैब: की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि श्रीनिवासन और इंडिया सीमेन्ट्स का मयप्पन का सिर्फ उत्साही खेल प्रेमी होने संबंधी तर्क तो इस घोटाले में उस पर और आईपीएल फ्रेन्चाइजी पर पर्दा डालने का प्रयास है। न्यायलाय ने यह भी सवाल उठाया कि मुदगल समिति की दूसरी रिपोर्ट चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक इंडिया सीमेन्ट्स और श्रीनिवासन द्वारा मयप्पन पर कथित पर्दा डालने के बारे में खामोश क्यों थी जबकि पहली रिपोर्ट में इसका जिक्र था। दो घंटे की कार्यवाही के दौरान कैब ने न्यायालय से अनुरोध किया कि समिति की प्रथम रिपोर्ट को दूसरी रिपोर्ट के साथ पढ़ा जाना चाहिए और यदि इस मामले के सारे तथ्यों को ध्यान में रखा जाये तो पर्दा डालने के आरोप साबित होते हैं।

साल्वे ने कहा कि शीर्ष अदालत को सीवीसी के मामले में दिये गये अपने फैसले पर विचार करना चाहिए जिसमें उसने कहा था कि एक संगठन की संस्थागत निष्ठा बनाये रखी जानी चाहिए और इस व्यवस्था के आधार पर श्रीनिवासन के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बीसीसीआई विधायी संस्था नहीं है लेकिन यह सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजन करती है और इसलिए यह न्यायिक समीक्षा के दायरे में आनी चाहिए।

झाबूआ (मध्यप्रदेश) की खबर (25 नवम्बर)

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ग्राम मकोडि़या में ग्राम रक्षा समिति का वृहद शिविर आयोजित 
     
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झाबूआ---पुलिस अधीक्षक श्रीमती कृष्णा वेणी देसावतु ने बताया कि सामुदायिक पुलिसिंग के अंतर्गत आज दिनांक 24.11.2014 को ग्राम मकोडिया में ग्राम रक्षा समिति के सदस्यों का शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में ग्राम मकोडिया, भामल, वडलीपाडा, नवापाडा, सेमलिया, नौगांवा सोमला, नौगांवा नगला, बडीसंगत, करणपाडा, खवासा आदि गांवों के ग्राम रक्षा समिति के सदस्य उपस्थित हुए थे। इस शिविर में मान0 थांदला विधायक श्री कलसिंह भाबर, ग्राम मकोडिया की सरपंच श्रीमती अनीता सिंगाडिया, ग्राम खवासा की सरपंच श्रीमती जेनीबाई, पत्रकारगण, गणमान्य नागरिक, ग्राम रक्षा समिति के सदस्य, नगर सुरक्षा समिति के सदस्य, गणमान्य महिलाएं उपस्थित हुई। उपस्थित सभा को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, श्री सुंदरसिंह कनेश, पुलिस अधीक्षक, श्रीमती कृष्णा वेणीदेसावतु, थांदला विधायक श्री कलसिंह भूरिया आदि ने संबोधित किया। श्री कमलेश पटेल, श्री गोपाल चैहान, श्री हरचंद भूरिया, श्री अनिरूद्ध ने भी अपने विचार व्यक्त किये एवं समस्याओं से अवगत कराया। पुलिस अधीक्षक ने अपने संबोधन में यह समझाईश दी कि ग्राम रक्षा समिति के सदस्य सभी समाज सेवक हैं। सदस्य पुलिस को सहयोग प्रदान करे, किसी भी प्रकार की समस्या हो तो चैकी प्रभारी, थाना प्रभारी, अ0अ0पु0, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक को अवगत करावे। कोई अच्छा कार्य करे, ग्राम को नशे से मुक्त कराये, थांदला विधायक श्री कलसिंह भाबर ने अपने उदबोधन में यह कहा कि लडके पक्ष से दहेज दापे की राशि न ली जावे, क्योंकि इससे अंत में लड़की को ही परेशानी होती है। लडकी के ससुराल वालो को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शराब पीकर आदिवासी लोग अपराध करते है एवं अपराध घटित होने के बाद में उन्हे काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पढ़ता है। अतः शराब का सेवन न किया जावे। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री सुंदरसिंह कनेश ने अपने उदबोधन में बताया कि ग्राम एवं नगर रक्षा समिति के सदस्य अपने कर्तव्य एवं दायित्व को समझे एवं उसका पालन करे। अपराध एवं अपराधियों के संबंध में सूचना देवे ताकि अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके। अंत में ग्राम रक्षा समिति के सदस्यो को जिनमें नागु, रमेश, नानालाल, राजु, नाथु, मानसिंग, गजुभाई, कालूभाई, प्रकाश, वालचंद, कालिया, शम्भुलाल, भेरूसिंग, मांगु, फूलजी, मोहन, अनिरू़द्ध एवं अन्य ग्राम रक्षा समिति के लगभग 125 सदस्य, निवासी ग्राम मकोडिया, भामल, वडलीपाडा, नवापाडा, सेमलिया, नौगांवा सोमला, नौगांवा नगला, बडीसंगत, करणपाडा, खवासा के सदस्यों को प्रतीक स्वरूप जैकेट एवं टोपी प्रदाय की गई। कार्यक्रम में श्री एन0एस0 रावत, अ0अ0पु0 थांदला द्वारा आभार प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम की व्यवस्था थाना प्रभारी थांदला निरीक्षक कर्णीसिंह सक्तावत एवं चैकी प्रभारी उनि समंदरसिंह सोलंकी एवं थाना थांदला व चैकी खवासा में पदस्थ स्टाॅफ द्वारा द्वारा देखी गई। कार्यक्रम का संचालन सउनि (अ) प्रकाश चैहान द्वारा किया गया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अपराध न करने, शराब का सेवन न करने, ग्राम रक्षा समिति के सदस्यों को सक्रिय करने, सदस्यों को उनके कर्तव्य एवं दायित्वों का निर्वहन करने हेतु समझाइश देने आदि उद्देश्यों को लेकर, इस प्रकार के शिविर जिले भर में शिविर आयोजित किये जाते रहेंगे।

संकल्प ग्रुप द्वारा विष्व पर्यावरण दिवस पर स्वयं स्वच्छता अभियान  का किया श्रीगणेष 

झाबुआ--- विष्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्थानीय समाज सेवी एवं सांस्कृतिक संस्था संकल्प ग्रुप द्वारा रामकृष्ण नगर में मंगलवार को अपने गली मोहल्ले मे स्वच्छता अभियान का श्रीगणेष किया । संकल्प ग्रुप की श्रीमती भारती सोनी, माधवी तेजवानी, मोनिका बाजपेयी,षालिनी जैन, रूचि जैन, रजनी पाटीदार,मिथलेष जैन, रजनी जैन सरिता जैन, संगीता शाह, किरण माहेष्वरी, श्रीमती तिवारी,रेणू नीमा के अलावा सफाई कर्मी रेखा, दिनेष डामोर ने रामकृष्ण नगर के बगीचा क्षेत्र के पूरी मोहल्ले की साफ सफाई की । रामकृष्ण नगर मे ंसकल्प ग्रुप की श्रीमती भारती सोनी के अनुसार अब यहां स्वच्छता के लिये ऐसी व्यवस्था की गई है कि किसी भी घर के सदस्य को बाहर आकर झाडू लगाने की आवष्यकता नही होगी । हर घर  में कचकरा डस्ट बीन में डाला जावेगा । संकल्प ग्रुप के इस अभियान में  सफाई कर्मी प्रति दिन नियमित रूप से  इस डस्टबीन में एकत्रित कचरे को ले जावेगा । अब मोहल्ले की सडके एवं घरों के आसपास का परिसर पूरी तरह स्वच्छ रहेगा तथा कचरे गंदगी  से पूरी तरह मुक्ति मिल सकेगी ।  श्रीमती सोनी ने इस बारे में बताया कि स्वच्छता अभियान के तहत रामकृष्ण नगर के मोहल्लेवासियों द्वारा निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक घर से डस्ट बीन से कचरा एकत्रित करके ले जाने वाले तथा घर के बाहर की परिसर सफाई करने वाले सफाई कर्मी को प्रति घर 50 रूपये के मान से सेवाषुल्क दिया जावेगा । संकल्पग्रुप के इस अभिनव प्रयास की नगर में सर्वत्र प्रसंषा की जारही है । नगर में सभी नागरिकगण भी इस प्रकार की व्यवस्था का अनुकरण करेगें तो निष्चित ही हमारा शहर  स्वच्छ झाबुआ, सुंदर झाबुआ बन कर अन्य स्थानों के लिये भी एक माडल बन सकेगा । श्रीमती सोनी ने  इस अभियान मे सहभागी बन कर स्वयं के, मोहल्ले के व देष के स्वच्छता अभियान में सहभागी बन कर स्वास्थ्य को जोड कर सहभागी होने की अपील की है।

कांग्रेस की कपोल कल्पित आरोप लगाने की परम्परा - अविष्वास प्रस्ताव को लेकर जिला भाजपा अध्यक्ष नें किया पलटवार ।

झाबुआ ---- नगर परिषद थांदला में अविष्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा  काग्रेसी पार्षदों को डराने के लगाये गये आरोप पर जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने पलटवार करते हुए कहा है  कि न तो भाजपा एवं न ही उनके द्वारा किसी भी प्रकार की धमकी दी है । पूरे जिले में कांग्रेस की नैया वैसे ही रसातल को जा चुकी है तथा जिले की जनता ने एक तरफा भाजपा को आषीर्वाद देकर कांग्रेस को मुंह तोड जवाब दिया है । कांग्रेस अपने ही कर्मो के कारण छिन्न भिन्न होने वाली स्थिति में पहूंच गई है । इसी से बौखला कर कांग्रेस पार्टी हिन भावना तथा पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर भाजपा पर इस प्रकार के अनर्गल एवं झुठे आरोप लगा रही है। जिला भाजपा मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने साफ साफ चुनौति दी है कि यदि कांग्रेस के पास इस प्रकार कांग्रेसी पार्षदों को डराने-धमकाने के कोई प्रमाण हो तो वह प्रस्तुत करें । जिला भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि कांग्रेस पूरी तरह लोकतांत्रिक परिपाटी की लीक से हट कर ओछे हथकंडो पर उतर कर इस प्रकार के झुठे एवं अनर्गल बयानबाजी करके कुछ भी हांसील नही कर सकती है । जिले  एवं अंचल की जनता का पूरा आषीर्वाद एवं समर्थन भाजपा के साथ है । श्री दुबे ने कहा है कि कांग्रेस का यह कृत्य लोकतंत्र के लिये एक ओछी हरकत के अलावा कुछ नही है । उन्होने कहा कि थांदला नगर परिषद में अविष्वास प्रस्ताव को लेकर मात्र कांग्रेस की कपोल कल्पित  आरोप लगाने की परम्परा ही रही है । भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह एक जुट है एवं पार्टी बाहर एवं अंदर पूरी तरह एकता के सूत्र में बंधी हुई है । कांग्रेस के धंधेबाज पार्षदों ने उनके हित को देखते हुए इस प्रकार के कदम उठाये है किन्तु अविष्वास प्रस्ताव भाजपा की एकता एवं एकजूटता के चलते ओंधे मुंह ही गिरेगा । कांग्रेस स्वयं को अपनी हालत पर मनन करना चाहिये कि आज उनकी स्थिति केन्द्र से लेकर ब्लाक स्तर तक क्या हो चुकी है । श्री दुबे ने कहा कि  कांग्रेस पार्टी ही प्रलोभन देने तथा अपनी रही सही साख बचाने में इस प्रकार के हथकंडे करती रही है और करती जारही ह,ै किन्तु भाजपा की एकजूटता के चलते उनके मंसूबों पर हर बार पानी ही फिरने के अलावा कुछ नही हुआ है । श्री दुबे ने कांग्रेस नेताओं से कहा है कि भाजपा को लोकतंत्र के लिये कांग्रेस के परामर्ष की कोई आवष्यकता नही है तथा थांदला नगरपरिषद में भाजपा एक जूट है तथा पूर्ण बहुमत में है । कांग्रेस को स्वयं ही इस बारे में सोचना होगा ।उन्होने कहा कि  नगरपालिका में धंधेबाज कांग्रेसी पाषदों द्वारा प्रस्तुत अविष्वास प्रस्ताव केवल कांग्रेस पार्टी ने वाहवाही लूटने के उद्देष्य से ही लाया है  और वे अपने मकदस में कदापि सफल नही होगें ।

जनसुनवाई में 102 आवेदन प्राप्त

झाबुआ --- शासन के निर्देशानुसार प्रातः 11 बजे से 2.30 बजे तक जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। जनसुनवाई में जनसमस्या से संबंधित 102 आवेदन प्राप्त हुवे। जनसुनवाई में आवेदन कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर एवं एडीएम श्री धर्मेन्द्र कुमार सिह ने लिये। आवेदन निराकरण के लिये संबंधित विभागों को साॅफ्टवेयर के माध्यम से आॅनलाइन भेज दिये गये है। जनसुनवाई में सवसिंग पिता जोरिया निवासी राणापुर ने विगत 6 महीने से पेंशन नहीं मिलने की शिकायत की एवं पेंशन प्रारंभ करवाने के लिए आवेदन दिया। श्रीमती रेशमा पति रामचन्द्र डामोर निवासी ग्राम रूपगढ तहसील थांदला ने पति की एक्सीडेन्ट में मृत्यु हो जाने पर राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना का लाभ दिलवाने के लिए आवेदन दिया। डाॅ. श्रीमती ज्योति पांचाल ए.एम.ओ शासकीय आयुष पंचकर्म थैरेपी सेन्टर झाबुआ ने शासकीय आवास गृह आवंटित करने के लिए आवेदन दिया। कालिया पिता पिदिया निवासी भूतेडी तहसील झाबुआ ने स्वीकृत कपिलधारा कूप की राशि का भुगतान करवाने के लिए आवेदन दिया। अनिता पिता शंकंर मेडा निवासी ग्राम पंथबोराली तहसील पेटलावद ने आंगनवाडी सहायिका के पद पर आयोग्य महिला का चयन करने की श्किायत की। काना पिता नानालाल निवासी ग्राम अलस्याखेडी तहसील पेटलावद ने पम्पावती नहर पर कार्य कर रहे ठेकेदार से मकान किराया भुगतान करवाने के लिए आवेदन दिया। तेजसिंह पिता माधवसिंह राठौर सहायक ग्रेड-3 खाद्य शाखा कलेक्टर कार्यालय झाबुआ ने गंभीर बीमारी हिप रिप्लेसमेन्ट के इलाज के लिए दो लाख रूपये आर्थिक सहायता स्वीकृत करवाने के लिए आवेदन दिया। ग्राम ढेबर के मेडा फलिया के ग्रामीणों ने विद्युत डी.पी.लगवाने के लिए आवेदन दिया। ग्राम सातेर तहसील पेंटलावद के ग्रामीणों ने सांई मंदिर फलिए में विद्युत सुविधा करवाने के लिए आवेदन दिया। भारत पिता वरसिंह निवासी ग्राम सुरडिया तहसील राणापुरने रानी दुर्गावती योजनांतर्गत ट्रेक्टर ट्राली हेतु लिये गये ऋण राशि की सब्सिडी के शेष 40 हजार रूपये का भुगतान विभाग से करवाने के लिए आवेदन दिया। रामकृष्ण नगर झाबुआ के निवासियों ने रामकृष्ण नगर में स्थित बगीचे के संरक्षण के लिए आवेदन दिया। बालू पिता वागा निवासी ग्राम सुतरेटी तहसील थांदला ने हेण्डपम्प में दबंग व्यक्ति द्वारा मोटर लगाये जाने की शिकायत की एवं सार्वजनिक हेण्डपम्प पर मोटर लगाने पर रोक लगवाने के लिए आवेदन दिया।

अशोक अरोरा का लायसेंस होगा निरस्त
कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर ने विगत 18 नवम्बर को जनसुनवाई के दौरान सभी आवेदन लेखकों को निर्देशित किया था कि वे अपनी बैठक व्यवस्था के पास आवेदन लेखन एवं स्टाम्प की दर सूची लगाकर रखे। निर्धारित दर से अधिक शुल्क आवेदक से नहीं लिया जाये। उसके बाद भी आवेदन लेखक अशोक अरोरा निवासी थांदला द्वारा आवेदन टाइप करने के 100 रूपये आवेदक से लिए गये। कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर ने आवेदन लेखक अशोक अरोरा का लायसेंस तत्काल निरस्त करने के लिए एसडीएम थांदला को निर्देशित किया। जनसुनवाई में तहसीलदार राणापुर के जनसुनवाई के प्रकरणो की समीक्षा की एवं आवेदन के निराकरण की स्थिति आनलाइन फीड करने के लिए निर्देशित किया। सभी जिला अधिकारियों को भी जनसुनवाई के प्रकरणों का निराकरण आॅनलाइन ही फीड करने के लिए निर्देशित किया। जनसुनवाई के दौरान सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया कि मंदिर की भूमि पर किसी भी प्रकार की दुकान या अन्य निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाये यदि हो रहा है, तो तत्काल निर्माणाधीन संरचना को तोड दे।

1 जनवरी 2015 के आधार पर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण दावे/आपत्तियाॅ प्राप्त करने की अवधि 1 दिसम्बर तक बढी

झाबुआ ----निर्वाचन आयोग द्वारा 1 जनवरी 2015 के आधार पर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचन नामावलियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण के लिए दावे तथा आपत्तियाॅ प्राप्त करने की तिथि 1 दिसम्बर 2014 तक बढाई दी है। साथ ही दावे/आपत्तियाॅ के निपटारे की अवधि 15 दिसम्बर तक की गई है। राजनैतिक दलों से आहवान किया है कि ए.एल.ओ. भी मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिये अपना अहम योगदान देवे। शैक्षिणिक संस्थाओं में नियुक्त किये गये नोडल आफिसरों को भी 18 से 19 वर्ष के नवीन पात्र विद्यार्थियों जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है के नाम जोडने के लिए निर्देशित किया गया है।

मेघनगर रूट पर प्रातः 5 बजे से बस संचालन के लिए परिवहन विभाग से परमिट प्राप्त करे

झाबुआ ---ऐसे बस मालिक जो कि झाबुआ से मेघनगर रूट पर प्रातः 5 बजे एवं मेघनगर से रात्रि 10 बजे बस संचालित करना चाहता है वह बस मालिक जिला परिवहन कार्यालय में वाहन के अस्थाई परमिट हेतु आवेदन प्रस्तुत करे। कार्यालय द्वारा तत्काल परमिट जारी किया जाएगा एवं जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा हेतु पुलिस बल भी दिया जाएगा। इच्छुक आवेदक तत्काल कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत कर परमिट प्राप्त करें एवं उक्त मार्ग पर यात्री वाहन का संचालन करे। जिससे आम जनता को यातायात की सुविधा दी जा सके।

शिक्षा ऋण व्यावसायिक पाठयक्रम में प्रवेश होते ही दिया जाये
  • शिक्षा ऋण के लिए बोर्ड परीक्षा के प्रतिशत एवं पेनकार्ड की अनिवार्यता समाप्त की जाये

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झाबुआ ---शिक्षा ऋण स्वीकृत करते समय बैकंर्स यह सुनिश्चित करे कि यदि विद्यार्थी का प्रवेश किसी व्यावसायिक पाठयक्रम जैसे नर्सिंग इंजीनियरिंग, मेडीकल, कृषि आई आई.टी में हो जाता है, तो उसके काॅलेज में प्रवेश को ही आधार मानकर विद्यार्थी को उच्च शिक्षा ऋण स्वीकृत किया जाये। शिक्षा ऋण के लिए बोर्ड परीक्षा के परिणाम के प्रतिशत एवं पेनकार्ड की अनिवार्यता को समाप्त किया जाये। जनधन योजना में 28 नवंबर से 12 दिसम्बर तक एक दिन छोडकर ग्रामीण अंचलो में शिविर लगाकर योजना में शत-प्रतिशत खाते खोले जाये। जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या लगभग 90 प्रतिशत है। शासन की योजनाओं में ऋण स्वीकृति के समय उसी अनुपात में प्रकरणो में अनुसूचित जाति/जनजाति के हितग्राहियों को भी लाभान्वित किया जाये। उक्त निर्देश विगत 24 नवम्बर को कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर ने कलेक्टर कार्यालय में संपन्न डीएलसीसी की बैठक में सभी बैंक के प्रतिनिधियों को दिये। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर ने की। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री धनराजू एस., एलडीएम श्री पाण्डे सहित बैंको के प्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बैंकवार शासकीय योजनाओं मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन,युवा स्वरोजगार, स्वयं सहायता समूहों को स्वीकृत ऋण, आर सेठी ग्रुप की प्रगति, आर.आर.सी वसूली, किसान क्रेडिट कार्ड वितरण, कृषि ऋण इत्यादि की समीक्षा की गई एवं आवश्यक निर्णय लिये गये।

राज्य बीमारी सहायता के लाभ हेतु जनसुनवाई में आवेदन दे

झाबुआ ---केंसर, हृदय एवं कीडनी के गंभीर रोगो के इलाज के लिये सहायता पाने के लिये राज्य बीमारी सहायता योजना का लाभ लेने के लिए हितग्राही जनसुनवाई में मंगलवार को एवं अन्य दिनों में सीधे कलेक्टर श्री बी. चन्द्रशेखर को आवेदन करे। कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर से संपर्क नहीं होने पर कलेक्टर महोदय के स्टेनो को आवेदन दे। कलेक्टर कार्यालय से प्रकरण सीएमएचओ को जाएगा। सीएमएचओ कार्यालय को कार्यवाही पूर्ण करने के लिए 3 दिवस का समय दिया जाएगा। राज्य बीमारी सहायता की प्रगति कम होने की वजह से कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर ने जिले में यह नई व्यवस्था  लागू की है। म.प्र. राज्य बीमारी सहायत एवं मुख्यमंत्री हृदय उपचार योजना के लाभ के लिए योजना में सरलीकरण किया गया है। अब राज्य बीमारी सहायता के लिए पात्र हितग्राही को चिन्हित बीमारियों के लिए राशि रूपये 2.00 लाख तक की सकल सीमा के अन्तर्गत परिवार के सदस्यों को भी आवश्यकता होने पर योजना का लाभ दिया जा सकेगा। 2 लाख तक के उपचार के लिए हितग्राहि को पहले भोपाल ही इलाज करवाना होता था। अब संभाग के राज्य बीमारी सहायता निधि एवं मुख्यमंत्री बाल हदय उपचार योजना के रोगियों को सीधे निजी क्षेत्र के मान्यता प्राप्त अस्पतालों में उपचार हेतु भेज सकेगे।

राज्य बीमारी सहायता के लिए चिन्हित चिकित्सालय
शासन द्वारा योजना का लाभ लेनेके लिए सरलीकरण किया गया हैं योजना में कैसंर, हृदयरोग, किडनी प्रत्यारोपण,ब्रेन सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, इत्यादि बीमारियों के इलाज के लिए सहायता दी जाती हैं योजना में पहले सिर्फ भोपाल के चिन्हित अस्पताल में इलाज का प्रावधान था, किन्तु अब भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन इत्यादि शहरों के निजी अस्पतालों में इलाज के लिए सहायता का प्रावधान किया गया है। जिसमें चिरायु हेल्थ मेडीकेयर प्रा.लिमिटेड भोपाल, गोकुलदास हास्पिटल इन्दौर, राजश्री हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर इंदौर , ग्रेटर कैलाश हास्पिटल लिमिटेड इंन्दौर, राजस आई एवं रेटिना सेन्टर इन्दौर, अरिहंत हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर इन्दौर, यूनिक सुपर स्पशेलिटी अस्पताल इन्दौर, भण्डारी हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर इंदौर, सिनर्जी हास्पिटल इन्दौर, सी.आर.गार्डी हास्पिटल सूरासा उज्जैन इत्यादि निजी अस्पतालों में हितग्राहि अपना इलाज करवा सकते हैं

सरकारी कर्मचारी पर साहुकारी का धंधा करने पर प्रकरण दर्ज
     
झाबूआ--- फरियादी सतीश पिता रावतमल घोडावत, उम्र 53 वर्ष निवासी कल्याणपुरा ने बताया कि आरोपी महेशचन्द्र पिता सोभाग्य सेठिया मेनेजर नर्मदा ग्रामीण बैंक झाबुआ के द्वारा फरियादी ने आरोपी के पास अपना मकान गिरवी रखा था। जो आरोपी ने चपरासी के नाम कोरे दो चेक 4 लाख के साईन कर रखाकर शासकीय सेवक होकर साहुकारी का धंधा करने की शिकायत प्राप्त हुई। प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रमांक 291/14 धारा 4 म0प्र0 त्रणियों को संरक्षण अधिनियम 1937 का पंजीबद्ध कर विवेचना  में लिया गया ।

शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण कायम
झाबूआ---- फरियादी डाॅ0 मोहम्मद पिता स्व0 कन्हैयाजी किराड, उम्र 31 वर्ष निवासी जिला चिकित्यालय झाबुआ ने बताया कि फरियादी अपनी ड्यूटी पर चिकित्यालय में था। आरोपी विशाल पिता टीटू राठौर निवासी छोटी गेहलर आया व बोला तु कंहा था। में शिवसेना का आदमी हूुॅ कहकर लात घुसों से मारपीट कर अश्लील गांलिया दी बीच बचाव में आयो ड्रेसर कमल के साथ भी मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी व शासकीय कार्य बाघा पहुॅचाई। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 824/14 धारा 294,506,353,332 भादवि 3/4 चिकित्या सेवा अधिनियत 2008 का पंजीबद्ध कर विवेचना  में लिया गया ।

नदी मे गीरने से मोत
झाबूआ--- फरियादी राकेश पिता तेरसिंह डिण्डोर भील, उम्र 18 वर्ष निवासी बडी हिडी ने बताया कि मृतक तेरसिंह पिता हिमतिया, उम्र 45 वर्ष निवासी बडी हिडी की नदी के पाल से पैर फीसल जाने से नीचे गिरने से मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में मर्ग क्रमांक 47/14, धारा 174 जाफौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जहरीली दवा पिने से दो कि मौत
झाबूआ--- फरियादी शिवकुमार सिंह पिता सनमानसिंह कुशवाह, उम्र 46 वर्ष निवासी थांदला ने बताया कि मृितका शिवानी पिता शिवकुमार सिंह, उम्र 24 वर्ष निवासी थांदला बीपी लो होने से पिडीत रहती थी। बिमारी से तंग आकर मृतिका ने गेहु में रखने वाली दवाई पी ली, जिससे ईलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना  थांदला में मर्ग क्रमांक 75/14, धारा 174 जाफौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। एक अन्य मामले मे फरियादी नरसिंह पिता माना गरवाल, उम्र 38 वर्ष निवासी रंताबा ने बताया कि मृतक हिरा पिता खुमला, उम्र 45 वर्ष निवासी रंताबा कि जहरीली दवाई पिने से सीएचसी पेटलावद में ईलाज के के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना रायपुरिया में मर्ग क्रमांक 50/14, धारा 174 जाफौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
             
सर्प दंश से मौत
झाबूआ---फरियादी राहुल पिता शिवचरण डावरे, उम्र 26 वर्ष निवासी सरदारपुर ने बताया कि मृितका काली पति बाबू, उम्र 24 वर्ष निवासी जामली की सांप के काटने सीएचसी सरदारपुर में ईलाज के के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना रायपुरिया में मर्ग क्रमांक 51/14, धारा 174 जाफौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड वोटिंग, झारखंड के वोटरों में भी दिखा उत्साह

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जम्मू-कश्मीर अलगाववादियों की ओर से किए गए चुनाव के बहिष्कार के आह्वान को आज लोगों ने खारिज कर दिया, जिसका नतीजा यह रहा कि विधानसभा चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड 71.28 फीसदी मतदान दर्ज किया गया और राज्य की 15 विधानसभा क्षेत्रों में बिना किसी अप्रिय घटना के मतदान संपन्न हुआ। वहीं झारखंड में भी 13 नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों में करीब 62 फीसदी मतदान हुआ। यहां पांच चरणों मतदान होना है और आज पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ।

जम्मू-कश्मीर में साल 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान इन 15 सीटों पर 61.23 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। इन सीटों में छह जम्मू, पांच कश्मीर घाटी और चार लद्दाख में है। दिल्ली में उप चुनाव आयुक्त विनोद जुत्शी ने संवाददाताओं से कहा, 'मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। शत प्रतिशत त्रुटिहीन मतदान हुआ और चुनाव प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाली एक भी घटना नहीं घटी।'कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को बड़ा झटका देते हुए हुए मतदान केंद्रों पर हजारों मतदाता कतार में लगे थे। आज करीब 10.52 लाख मतदाताओं को वोट डालने का अधिकार था। हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी धड़ों और जेकेएलएफ जैसे अलगाववादी संगठनों ने चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। राज्य में 15 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए हुए मतदान में सात मंत्री समेत कुल 123 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

कश्मीर घाटी के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से गांदरबल जिले की दो सीटों पर रिकॉर्ड 68 प्रतिशत मतदान हुआ। 2008 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत में 13 फीसदी का इजाफा हुआ है। बांदीपुरा जिले की शेष तीन सीटों पर रिकॉर्ड 70.30 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया और इसमें पिछले चुनाव के मुकाबले 11 प्रतिशत इजाफा हुआ है। कश्मीर घाटी में सोनावरी विधानसभा क्षेत्र में 80.10 फीसदी मतदान हुआ। झारखंड की 13 विधानसभा सीटों पर 61.92 फीसदी मतदान दर्ज किया गया और माओवाद प्रभावित इस राज्य में पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। वहीं चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, 'मत प्रतिशत में बाद में बढ़ोतरी हो सकती है।'वहीं झारखंड में चतरा, गुमला, बिशुनपुर, लोहरदगा, मनिका, लातेहार, पांकी, डाल्टनगंज, विश्रामपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्रों में आज मतदान हुआ।

बिहार : अब पटनाइट भी वेटिंग कर रहे हैं कि कब मदर टरेशा संत घोषित होगी?

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  • फेसबुक पर संत कुरियाकोस एलियास चावारा और संत सुफ्रेसिया के बारे में 47 लोगों ने किया लाइक 

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पटना। अब पटनाइट भी वेटिंग कर रहे हैं कि कब मदर टरेशा संत घोषित होगी? वहीं पापा पोप फ्रांसिस को धन्यवाद दे रहे हैं कि उनको धन्य द्योषित कर दिए गए हैं। हां, संत द्योषित होने के लिए जो प्रक्रिया चलती है उसे कैनोनाइजेशन कहा जाता है और इसमें कई साल भी लग जाते हैं। भारतीय ईसाई समुदाय के लिए 23 नवम्बर को सुपर संडे साबित हुआ। वेटिकन सिटी में दो भारतीयों को संत द्योषित किया गया। आजतक भारत के केरल प्रदेश से तीन महान आत्मा को संत बनने का अहोभाग्य प्राप्त हुआ है। वेटिकन द्वारा अबतक सिस्टर अल्फोंसा,फादर कुरियाकोस एलियास चावारा और सिस्टर यूफ्रेसिया को संत द्योषित किया गया हैं।

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कैसे कैनोनाइजेशन की प्रक्रिया होती है शुरू?ः ईसाई समुदाय के लोग मर जाते हैं। उनको विशेष तरह के बाॅक्स में रखा जाता है। बाॅक्स को बंद करके कब्रिस्तान में दफना दिया जाता है। मृत व्यक्ति के नाम से प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना करने वाले व्यक्ति की प्रार्थना सुन ली जाती है। तब मृतक के नाम प्रचार-प्रसार किया जाता है। उसके बाद ही पोप के द्वारा गठित समिति के द्वारा मंथन किया जाता है। गठित समिति के सदस्य आते हैं। कब्रिस्तान से मृतक  के शरीर की जांच की जाती है। उसके बाद ही कैनोनाइजेशन की प्रक्रिया की शुरूआत की जाती है। संत केवल याजक ही नहीं बल्कि गैर याजक भी बन सकते हैं। 

बस अद्भूत चमत्कार की पड़ती जरूरतः उद्धहारण के तौर पर किसी शख्स को कैंसर रोग हो गया। यहां पर बता दें कि अद्भूत चमत्कार धर्म, जाति, वर्ग, समुदाय के घेरे में नहीं है। उक्त कैंसर रोगी को विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा जांचोपरांत प्रमाणित तौर पर कैंसर रोगी करार देते है। चिकित्सक यहां तक कह डालते हैं कि रोगी का कैंसर लास्ट स्टेज पर है। हमलोगों ने काफी दवा-दारू कर चुके हैं। कुछ दिनों के मेहमान हैं। इतना कहकर चिकित्सक हाथ खड़ा कर देते हैं। अब गाॅड ही सेफ कर सकते हैं। यह सुनकर परिजन हैरान और परेशान हो उठते हैं। तब जाकर किसी मृत व्यक्ति के ही नाम लेकर प्रार्थना करने लगते हैं। उनके समक्ष गिड़गिड़ाते रहते हैं। ऐसा करने से रोगी की बेहाल तबीयत में सुधार होने लगी है। अन्ततः आजकल के मेहमान कैंसर रोगी ठीक हो जाता है। इसके बाद चिकित्सक ही प्रमाण पत्र जारी करेंगा। वह कैंसर रोग के अंतिम स्टेज पर था। अब वह पूर्णतः ठीक हो गया है। ऐसा करने वाला धरती का भगवान नहीं हो सकता है, बल्कि अद्भूत चमत्कार गाॅड ही कर सकते हैं। इस तरह से दो-तीन चमत्कारिक पेश करना पड़ता है। उस चमत्कार को रोम के द्वारा गठित समिति के सदस्य जांच करते हैं। हर पहलू पर गौर करते है। वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष जांचा और परखा जाता है। तब जाकर ही व्यक्ति को धन्य द्योषित कर बाद में संत की उपाधि दी जाती है। 

भारत की पहली महिला संत अल्फोंसा बनीः यह संयोग देखे कि सदियों पुराने साबरी मालाबार कैथोलिक चर्च से जुड़े हैं फादर कुरियाकोस एलियास चावारा और सिस्टर यूफ्रेसिया। इसी चर्च से सिस्टर अल्फोंसा भी जुड़ी हैं। इस तरह तीन लोग अब संत बन चुके हैं। 6 साल पहले ही सिस्टर अल्फोंसा संत की उपाधि पाने वाली पहली भारतीय बनी थीं। सिस्टर अल्फोंसा 2008 में संत बना दिया गया था। चर्च स्काॅलर्स के मुताबिक साबरी मालाबार चर्च उस जमाने का है, जब अपोस्टल सेंट थोमस पहली सदी (एडी) में केरल तट पर आये थे। वह पूर्वी देशों के उन 22 चर्चों में शुमार है जो रोम के साथ पूरी तरह जुड़े हुए है। कोट्टयम जिले के पणिद्यान्नम में संत अल्फोंसा को अंतिम संस्कार किया गया था। 

संत कुरियाकोस एलियास चावाराः फादर कुरियाकोस एलियास चावारा को संत द्योषित करने की प्रक्रिया 1984 में शुरू हुई। 23 नवम्बर को संत द्योषित कर दिया गया। फादर चावारा (1805 से 1871 ) के संबंध में इतिहासकार और समाज सुधारक भी मानते हैं। वह ऐसे शख्स थे जिन्होंने सिर्फ कैथोलिक ही नहीं बल्कि दूसरे समुदाय के वंचित बच्चों में भी सेक्युलर एजुकेशन के लिए जोर दिया। उन्होंने जो पहला संस्थान शुरू किया वह संस्कृत स्कूल ही था। उन्होंने प्रिंटिग प्रेस भी लगायी और कम्युनिटी लीडर्स को खुद के पब्लिकेशन शुरू करने के लिए प्रेरित किया। तब से लेकर अब तक उनकी कोशिशों और विजन से प्रेरणा पाकर केरल के भीतर और बाहर कई एजुकेशन और चैरिटी संस्थाएं खुल चुकी है। उनका जन्म अलपुज्जा जिले के कइनाकरी गांव में 10 फरवरी 1805 को हुआ था। संत कुरियाकोस एलियास चावरा को कोट्टयम जिले के मान्नमन में दफन किया गया है। त्रिचुर में यूफ्रेसियम्मा के नाम से मशहुर थींः सिस्टर सुफ्रेसिया एक आध्यात्मिक महिला थीं जिन्होंने त्रिचुर के एक काॅन्वेंट में लोगों की मदद करते हुए उम्र बिता दी। जो भी उससे प्रेयर के जरिए आता या परामर्श करता उसे आध्यात्मिक शांति का अहसास होता था। उनका जन्म त्रिचुर के अरनाटुकारा में 17 अक्टूबर 1877 में हुआ था। सिस्टर यूफ्रेसिया त्रिचुर में यूफ्रेसियम्मा के नाम से मशहुर रहीं। उनका निधन 1952 में हुआ था और 1987 में उन्हें संत द्योषित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। संत सुफ्रेसिया को एर्णाकुलम में दफन किया गया। 

वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्काॅवरः सुपर संडे 23 नवम्बर को वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्काॅवर में विशेष प्रार्थना में पोप फ्रांसिस ने कुरियाकोस एलियास चावारा और सुफ्रेसिया को   संत द्योषित किया। इस मौके पर केरल से गये कई ईसाई श्रद्धालु भी मौजूद थे। पोप ने जैसे ही वेटिकन में संतों की द्योषणा की तो केरल भर के चर्चों में खुशी और उमंग का माहौल कायम हो गया। इस उमंग और हर्ष को एक नये स्वर दिया गया। उत्साहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु में एकत्रित होकर थैंक्स सर्विस और प्रेयर्स के लिए जुटे। खुद वेटिकन में भी द्योषणा के समय बड़ी संख्या में केरल से गये श्रद्धालु, दो कार्डिनल, बिशप,कलर्जी और नन मौजूद थीं। वहीं संत कुरियाकोस एलियास चावारा और संत सुफ्रेसिया से जुड़े कोट्टायम के मान्नमन, एर्णाकुलम के कुनम्मदू और त्रिचुर के ओल्लुर में तो कई दिन पहले से ही खुशी का माहौल बन गया था। 

दोनों नवद्योषित संतों के बारे में फेसबुक पटाः फेसबुक पर सर्वश्री बीजू जोसेफ,जोसफी माननेल, आलोक कुमार,शिवडाॅन-शिवडाॅन, जेकब थोमस समेत 47 लोगों ने लाइक किया है। वहीं संत कुरियाकोस एलियास चावारा और संत सुफ्रेसिया के बारे में अखबारों में न्यूज वीफ फोटो प्रकाशित की गयी है। कुल मिलाकर अरब सागर के किनारे बसे केरल प्रदेश पर गर्व है। जो शिक्षा और चिकित्सा पर स्थान हासिल करने के बाद संत बनने में भी एकाधिकार प्राप्त कर लिया है।



आलोक कुमार  
बिहार 

बिहार : 9 वें दिन भी 24 द्यंटे का जत्थेवार अनशन जारी

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  • बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संघ के बैनर तले
  • बिहार ‘ए’ ग्रेड नर्सेंस एसोसिएशन एवं बिहार ‘ए’ अनुबंध परिचारिका संद्य के बैनर तले 6 दिनों से हड़ताल जारी

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पटना। इस समय बिहार सरकार और नौकरशाह सो रहे हैं। अगर जागे रहते तो आर. ब्लाॅक चैहारे के बगल में बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संघ के बैनर तले 9 वें दिन भी 24 द्यंटे का जत्थेवार अनशन और पीएमसीएच परिसर में छह दिनों से जारी हड़ताल को समाप्त करवाने के लिए पहल की जाती। दोनों जगहों में लक्ष्मीबाई वीरांगना की तरह महिलाएं हक की लड़ाई में रम गयी हैं।अब वक्त आ गया है कि आम नागरिक जागकर हक की लड़ाई लड़ने वाली वीरागंना को साथ दें।जागो बिहार.....जागो पटना....। 

बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संघ के बैनर तले 9 वें दिन भी 24 द्यंटे का जत्थेवार अनशन जारी है। आज आर.ब्लाॅक चैहारे के पास 24 घंटे का जत्थेवार अनशन करने वाली प्रमिला सिन्हा, सुषमा सिन्हा,सविता देवी,ललिया देवी,लालपरी देवी,संगीता कुमारी,ममता कुमारी, पनमा देवी,इन्दु देवी और मनोज कुमारी हैं। इन 10 अनशनकारी महिलाओं में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की साली लालपरी देवी प्रमुख हैं।

चार सदस्यीय चयन समिति के द्वारा 27 सितम्बर 2007 को 148 महिलाकर्मियों का चयन किया गया। इनको विभिन्न प्रखंडों में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पदस्थापित किया गया। 4 साल 3 माह कार्य करने वाली 148 महिलाकर्मियों को 4 जनवरी 2013 को अवैध बहाली के नाम पर नियोजन रद्द कर दिया गया। तब से बेहाल महिलाकर्मी न्याय की तलाश में भटकने लगीं। जनतंत्र के चारों प्रहरियों के द्वार पर दस्तक देने लगे। कार्यपालिका, विधायिका,न्यायपालिका, और मीडिया के समक्ष पहुंच गए। फिलवक्त कामयाबी हासिल नहीं हो सका है।महासंद्य गोप गुट से संबंधित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य के जिला शाखा गया ने पटना उच्च न्यायालय में जनहित दाखिला दायर किया है। वाद संख्या सी.डब्ल्यू.जे.सी. 5517/2014 है।

इस संदर्भ में संद्य की संयोजिका योगिता टैगोर ने कहा कि हमलोग गांधीवादी राह पर अग्रसर हैं। गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा गांधी के नाम पर 24 घंटे कार्य करते हैं। अब 24 घंटे जत्थेवार अनशन कर रहे हैं। बिहार सरकार और उनके नौकरशाह संवेदनहीन हो गए हैं। वहीं बाल-बच्चों के साथ नौकरशाह मस्त हैं। हमलोग दिन में धूप से और रात में ठंड से त्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के लोग खुद ही गलती करते हैं।उसका खामियाजा महिलाकर्मी और उनके बाल-बच्चा भुगत रहे हैं।हमलोगों का वर्तमान और भविष्य बर्बाद किया जा रहा है।इस पर सविता देवी कहती हैं कि 148 महिलाकर्मियों को 4 जनवरी 2013 को नियोजन रद्द कर दिया गया।मगर हम महिलाकर्मियों को बाजाप्ता कार्यालय से कागजात नहीं दिया गया है।हमलोग काम करते रहे हैं। साल 2013 दिसम्बर तक मानदेय भुगतान किया गया। अप्रैल माह में मानदेय में वृद्धि किया गया था। उसका भुगतान नहीं किया गया। इधर जनवरी 2014 से मानदेय अवरूद्ध कर दिया गया है। अब 24 द्यंटे के जत्थेवार अनशन करने वाले बेमियादी अनशन करने के मूड में आ गए हैं। 

पी.एम.सी.एच.में 6 दिनों से हड़तालः बिहार ‘ए’ ग्रेड नर्सेंस एसोसिएशन एवं बिहार ‘ए’ अनुबंध परिचारिका संद्य के बैनर तले संविदा में बहाल ‘ए’श्रेणी के नर्सेंस 12 सितम्बर 2014 से हड़ताल पर चली गयी थीं। स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने आश्वासन दिया। सभी 5758 नर्सेंस का कागजात जांच करने के बाद नौकरी स्थायी कर दी जाएगी। वादा तोड़कर राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने परीक्षा ले ली। इसमें नर्सेंस फेल हो गयी। सभी फेल नर्सेंस को भी नौकरी में स्थायीकरण की मांग को लेकर 20 नवम्बर से हड़ताल पर चली गयी। आज छठा दिन है। हड़ताली नर्सेंस ने पीएमसीएच से मुंह पर काली पट्टी बांधकर कारगिल चैक आयीं। इसके बाद कैडिंल लाइट किए। कारगिल चैक पर हड़ताली नर्सेंस का कहना है कि हमलोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। बाहर से आकर कार्य करने वाली नर्सेस को स्थायी कर दिया जा रहा है। वहीं पीएमसीएच में कार्यरत नर्सेंस को स्थायी करने की दिशा में हाथ खींच लिया जा रहा है। इस संदर्भ में स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह कहते हैं कि कार्रवाई जारी है। कार्रवाई करने के बाद ही जानकारी देंगे।बहरहाल आर. ब्लाॅक चैहारे के बगल में और पीएमसीएच परिसर में महिलाओं के द्वारा आंदोलन जारी हैं। फूल नहीं चिंगारी हैं हम भारत की नारी हैं। नारा बुलंद को साकार करने में तुले हुए हैं।



आलोक कुमार
बिहार 

आलेख : जन्मजातीय ईश्वरीय शक्ति से सम्पन्न #आर्य श्रृष्टि के सर्वश्रेष्ठ मनुष्य हैं!

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केंद्र में #भाजपा के स्पष्ट बहुमत वाली सरकार के सत्तासीन होने के बाद #नेट के चार्जेज लगातार बढ़ रहे हैं! क्यों इस सवाल को कोई भी (यानी #मीडिया) किसी से भी (यानी #सरकार से) नहीं पूछ रहा! क्यों नहीं पूछ रहा इस बारे में हम आम लोग भी चुप हैं, क्योंकि शायद हम को भी कुछ पता नहीं!

मगर बहुतों को पता भी है-चुनाव में अनाप-सनाप विदेशी पैसा, देशी मीडिया को भेंट करके नए नए जुमलों और सपनों को बेचकर जनता को जमकर गुमराह किया गया। अब अपरोक्ष रूप से धन भेजने वाले विदेशियों द्वारा सरकार की मौन स्वीकृति से नेट दरें बढ़ा दी गई तो देशी मीडिया बदले में देशी-विदेशी सभी के प्रति अपना आपसी बन्दर बाँट का धर्म चुका कर मौन साधे हुए है!

इसका सीधा असर सरकारी खर्चे (जनता की कमाई) पर नेट चलाने वाले अफसरों, धनी लोगों और काले धन के मालिकों पर कुछ नहीं होगा, मगर #वंचित, #पिछड़े, #दलित, #आदिवासी वर्गों के जागरूक लोगों और विशेषकर #युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया से दूर रखने का ये घुमा फिराकर एक उलटा-सीधा, गैर सरकारी, सरकारी #हथकंडा है।

मगर इन मूर्खों को नहीं पता कि ये अपनी अमानवीय #मनुवादी विचारधारा को भी तो इसी #सोशल मीडिया के मार्फ़त ही तो निम्न तबकों में फ़िर से फैला रहे हैं। यदि वंचित, पिछड़े, दलित, आदिवासी वर्गों को सोशल मीडिया से दूर रहने को मजबूर किया गया तो उस अमानवीय मनुवादी विचारधारा को चासनी में लपेटकर पिलाने वाली (कु) #नीति का क्या हश्र होगा? 

ओहो सॉरी....... भूल हो गयी अब इन #भू-देवों को सोशल मीडिया की कहाँ जरूरत रह गयी है? अब तो ये देश के #मालिक हैं!

अब तो #पेड #इलेक्ट्रॉनिक और #प्रिंट मीडिया के मार्फ़त ही जनता के धन से अपनी विचारधारा आसानी से परोसी जा सकेगी।

जैसा कि पिछले दिनों मानवता के विरोधी #मनु की आदमकद मूर्ति की छत्र छाया में संचालित राजस्थान हाई कोर्ट परिसर में "#सामाजिक-न्याय"के नाम पर आयोजित #सेमीनार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता #मंत्री की मौजूदगी में संविधान को धता बताते हुए असंवैधानिक #आर्थिक #आरक्षण को मंत्री सहित सभी ने सामाजिक न्याय की जरूरत और #समानता का आधार बताया गया। लच्छेदार भाषण दिए गए और आर्यों के मनुवादी मीडिया द्वारा इसे बेशर्मी से प्रकाशित किया गया! मगर किसी भी कथित बुद्धिजीवी (आर्य या #अनार्य) ने एक शब्द इस बारे में नहीं लिखा कि ये कौनसा सामाजिक न्याय है?

अब #राम-राज्य आने वाला है। बल्कि आ ही गया है!
अभी से ही अनेक उदाहरण दिख रहे है-

आर्य मनुवादियों के हजारों सालों के अन्याय, भेदभाव और शोषण से शोषित और वंचित अनार्यों (विशेषकर दलित, आदिवासी और पिछड़ों) को सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकार देने की संवैधानिक जिम्मेदारी का नाटक करने को मजबूर राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का मंत्री एक ब्राह्मण आर्य को बना रखा है!

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव रघुवीर मीणा (आदिवासी) को समता आंदोलन समिति (जो संघ के निर्देश से काम करती है) की छोटी सी निराधार शंका पर राज्य सरकार (जो संघ के आशीर्वाद से काम करती है) ने तत्काल हटा दिया गया। आज वही अन्यायी लोग इस मंत्रालय को संचालित कर रहे हैं, जिनके अन्याय और विभेद से से बचने के लिए यह मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र संघ से दबाव में तत्कालीन सरकार गठित किया गया था। मगर पूर्व में इस विभाग का मंत्री कोई दलित या आदिवासी ही हुआ करता था!

भाजपा सांसद साक्षी महाराज घोषणा कर चुके हैं कि-

"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ"वर्तमान युग का #भगवान हैं। 

#संघ के हिन्दू मुखोटे विश्व #हिन्दू परिषद के गिरिराज किशोर सिंघल (बनिया आर्य) नरेंद्र मोदी (बनिया आर्य) को आठ सौ साल के बाद में भारत का पहला स्वाभिमानी हिन्दू शासक प्रमाणित कर चुके हैं! 

उनकी नजर में अटल बिहारी वाजपेयी स्वाभिमानी हिन्दू नहीं, क्योंकि (शायद) अटल खुलकर मनुवाद का समर्थन नहीं करता था ! या इसलिए कि अटल बिहारी वाजपेयी नरेंद्र मोदी (आठ सौ साल के बाद में भारत का पहला स्वाभिमानी हिन्दू शासक जो तब का गुतरात का मुख्यमंत्री था) को शासन धर्म निभाने में असफल बताने की गलती कर बैठा था?

जब आज के युग के भगवान संघ के आशीर्वाद से संचालित सरकार को संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों और मूल निवासियों के पक्ष में किये गए संवैधानिक प्रावधानों की तक परवाह नहीं तो उनके लिए नैट के दाम बढ़ाना कौनसी बड़ी बात है? आखिर-
आर्य श्रृष्टि के सर्वश्रेष्ठ मनुष्य हैं!
साक्षात ईश्वर के अवतार हैं!
कुछ भी कहने और करने को जन्मजातीय ईश्वरीय शक्ति से सम्पन्न हैं!
संविधान की क्या औकात जो वे इसका पालन करें?






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(डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश')

आलेख : ममता बनर्जी की राजनीतिक कलाबाजी

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वर्तमान में राजनीति का खेल कितना निम्र दर्जे का हो गया है, इसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल के राजनीतिक घटनाक्रम से दिया जा सकता है। पश्चिम बंगाल में सारधा चिटफंड घोटाले की आंच जब ममता बनर्जी के दामन की ओर जाती लग रही हैं, इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामले को ऐसा मोड़ देने का प्रयास किया है। जो जनता का ध्यान मूल प्रकरण से हटा सके। उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी सारधा घोटाले की जांच कराने को इतनी सक्रिय नहीं दिख रहीं, जितना वे मोदी पर आरोप लगा रहीं हैं। मामले को इस प्रकार से मोड़ देना निश्चित ही भारतीय राजनीति के लिए एक खतरनाक प्रयास है।

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक कलाबाजियों में माहिर हो चुकीं ममता अपने दामन की ओर आने वाले छीटों से बचाव करने में अपनी सारी राजनीति को अंजाम देने में व्यस्त होती दिखाई दे रहीं हैं। तृणमूल कांगे्रस के सांसद कुणाल घोष पर जब पूरा मुद्दा गाज बनकर गिरने लगा है, तब घोष आखिर कब तक चुप बैठते। उन्होंने आखिर इस सत्य को स्वीकार कर ही लिया कि चिटफंड घोटाले में सबसे ज्यादा लाभ ममता बनर्जी को मिला है। जब उनकी ही पार्टी का सांसद यह बात कह रहा है तब उसके निहितार्थ आसानी से निकाले जा सकते हैं।

तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को जब यह लगने लगा कि वे इस घोटाले में फंसने वाली हैं, तब उन्होंने ऐसी राजनीति खेली कि जैसे यह पूरा घटनाक्रम केन्द्र सरकार के संकेत पर चल रहा हो, लेकिन यह सत्य है कि घोटाला हुआ है और इससे भी बड़ा सत्य यह है कि इसमें पूरी की पूरी तृणमूल कांग्रेस ही अपराधी के तौर पर सामने आती दिखाई देने लगी है। चलो मान ही लेते हैं कि केन्द्र सरकार के इशारे पर ही यह सारा खेल चल रहा है, लेकिन इसमें गलत क्या है। क्या घोटाले की जांच नहीं होना चाहिए। वास्तव में ममता को इस मामले में केन्द्र सरकार का समर्थन ही करना चाहिए कि केन्द्र की मोदी सरकार भ्रष्टाचारियों के विरोध में अभियान चला रही है। लेकिन ममता बनर्जी ने दूसरे ही प्रकार की राजनीति खेलने का मन बना लिया है। अपनी गिरती हुई प्रतिष्ठा को बचाने की कवायद में वह ऐसे बयान दे रही हैं जिनका कोई ठोस आधार ही नहीं है। 

ममता बनर्जी को संभवत: इस बात की जानकारी नहीं है कि सारधा घोटाले की जो सीबीआई जांच चल रही है, वह नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल से पहले ही प्रारंभ हो चुकी थी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद, विधायकों पर शुरू से ही इस घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे, लेकिन जैसे जैसे समय बढ़ता गया वैसे वैसे आरोपों की प्रामाणिकता सामने आने लगी है। ममता बनर्जी की बौखलाहट केवल इस बात को लेकर है कि कैसे भी हो आरोपों की जांच बन्द हो जाए। ऐसे में लगता है कि केन्द्र में अगर नरेन्द्र मोदी के अलावा किसी और की सरकार होती तो शायद ममता को समझौते के तहत जीवनदान मिल गया होता, लेकिन वर्तमान सरकार से उनको कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।

हम यह भली भांति जानते हैं कि सारधा घोटाले की चपेट में तृणमूल कांग्रेस के बड़े बड़े शूरमा आते जा रहे हैं। इनमें कुणाल घोष की तो गिरफ्तारी भी हो चुकी है इसके अलावा सांसद सृंजय बसु, राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्र, तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल राय व खुद ममता बनर्जी का नाम भी शामिल आता हुआ दिखाई दे रहा है। इस सूची में से कुणाल घोष सहित दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि तीसरा नाम सीबीआई की कार्रवाई में शामिल हो चुका है। परिवहन मंत्री मदन मित्र को सीबीआई पूछताछ के लिये तलब कर चुकी है। माकपा, कांग्रेस व भाजपा जहां तृणमूल सांसद की गिरफ्तारी के लिये सीबीआई की प्रशंसा कर रही है वहीं उनका यह भी कहना है कि जल्द ही तृणमूल के कुछ और बडे चेहरे सीबीआई की गिरफ्त में होंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग भी जोड़ पकडने लगी है।

सारदा मामले में आरोपियों की सूची में आने वाले तृणमूल नेताओं के प्रति पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की रवैया बेहद अचरज भरा रहा है। आरंभ में ममता ने कुणाल घोष का भी बचाव किया था लेकिन जब कुणाल ने उनकी इमानदारी पर उंगली उठाई तो उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। कुणाल की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल के ज्यादातर नेता सारदा मामले का सारा दोष उन्ही के सिर मढ़ते नजर आये थे। कुणाल के बाद मामले में गिरफ्तार एक और तृणमूल नेता व राज्य के पूर्व डीजी रजत मजूमदार की गिरफ्तारी के बाद उनके प्रति भी पार्टी का रवैया पूरी तरह बदल गया था। अब सृंजय बसु की गिरफ्तारी से पार्टी बुरी तरह फंसती नजर आ रही है। स्थिति यह है कि तृणमूल नेताओं के सफाई देते नहीं बन रहा। पार्टी की तरफ से अब तक जो प्रतिक्रियाएं आई हैं उनमे सीबीआई पर पक्षपात का आरोप लगाने के अलावा कुछ भी नया नहीं है। खुद ममता बनर्जी भी इसे पार्टी के खिलाफ साजिश के रूप में देख रही हैं।

विपक्षी पार्टियां उनके इस रवैये पर भी कटाक्ष करने से नहीं चूकीं। विपक्ष का कहना है कि दिल्ली में दाल नहीं गली, इसी बौखलाहट में मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने लगी हैं। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की जनता के सामने ऐसी राजनीति खेल रहीं हैं, जिससे जनता समझे कि वर्तमान केन्द्र सरकार तृणमूल कांग्रेस सरकार की विरोधी है, जबकि मूलत: ऐसा लगता नहीं है। इसके विपरीत सत्य तो यही है कि ममता स्वयं केन्रद सराकर के विरोध की राजनीति कर रहीं हैं। उन्हें हर समय अपने वजूद की चिन्ता रहती है। केन्द्र में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या फिर किसी और की ममता ने हमेशा ही अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते केन्द्र को दबाने का प्रयास ही किया है। ममता बनर्जी को शायद इस बात का गुमान सा हो गया है कि भारत की राजनीति उनके बिना नहीं चल सकती, और जैसा चाहें वैसा उसका दुरूपयोग कर सकतीं हैं। उनको आज नहीं तो कल धरातलीय सच पर आना ही होगा। नहीं तो जनता के समक्ष न तो किसी की चली है और न ही किसी की चलेगी। कहा जा सकता है कि जिसे जनता के तेवरों का अहसास नहीं होता वह अपने स्वयं ही अपने राजनीतिक वजूद को समाप्त करने की ओर अग्रसर हो जाता है।





सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर, ग्वालियर म.प्र.

झारखण्ड चुनाव 2014 : संताल परगना का शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र

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  • पारितोष, नलिन या राजा। कौन बजाऐगा किस-किस का बाजा

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मौजूदा राजनीति में जहाँ एक ओर कम उम्र युवाओं की घुसपैठ लगातार जारी है, वहीं दूसरी ओर उम्रदराज राजनीतिज्ञों के लिये मैदान छोड़ने का बुरा वक्त भी कम दर्दनाक नहीं चल रहा। इन परिस्थ्तिियों में भी पिछले दिनों झामुमों के बिछड़े नेता प्रो0 स्टीफन की घर वापसी हुई और उन्हें दुमका से इतर महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से झामुमों का प्रत्याशी बनाया गया। अधेड़ उम्र में भी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के अहम सदस्य नलिन सोरेन क्या अपनी पुरानी साख बरकरार रख पाऐगें ? क्षेत्र में विरोधियों की लगातार बढ़ती जा रही घुसपैठ व उनके विरुद्ध आम-अवाम के बीच घोले जा रहे जहर के असर को खत्म कर पाने में लम्बे राजनीति जीवन के अनुभवों का इस्तेमाल कर पाने में वे सफल हो पाऐगें ? शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र की जनता का मिजाज इन दिनों काफी बदला-बदला सा नजर आ रहा है, जनता के बदले मिजाज व उनके मन-मस्तिष्क में तैर रहे असंख्य प्रश्नों का हल वे किस रुप में दे पाते हैं आने वाला वक्त ही बताऐगा, अन्यथा परिणाम भी भुगतने के लिये उन्हें तैयार रहना होगा। विधानसभा चुनाव-2009 में न्यूनतम मतों के अन्तर से विरोधी प्रत्याशी को मात देने वाले झामुमों नेता नलिन सोरेन के लिये वर्ष-2014 का विस चुनाव संघर्ष से भरा होगा इसे भी वे बखूबी जानते हैं। क्षेत्र में कार्यकर्ताओं व आम जनता के बीच खासे लोकप्रिय व लम्बी अवधि तक विधायक रहे झामुमों के कद्दावर नेता नलिन सोरेन के लिये आने वाले पाँच वर्षों तक झामुमों की राजनीति में मौजूदगी व क्षेत्र के निवासियों के लिये काम करते रहने का जज्बा तभी बरकरार रह सकता है जब फिर से जनता उन्हें विधानसभा की दहलीज तक कदम रखने के योग्य समझेगी। श्री सोरेन के लिये मील का पत्थर साबित होने वाला है दिसम्बर 2014 महीना। 

झामुमों की लगातार गिर रही साख व बड़ी संख्या में झामुमों से भाजपा में विलय कर रहे नेताओं-कार्यकर्ताओं का दूरगामी परिणाम क्या होगा यह तो समय के गर्भ में है तथापि यह कहा जा सकता है कि पूरे राज्य में मुकाबला भाजपा व झामुमों के बीच ही होना तय है। इस विस क्षेत्र में श्री सोरेन के प्रबल विरोधी व झाविमों प्रत्याशी पारितोष सोरेन की ताकत दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वर्ष 1997 से लगातार फिल्ड में रहकर आम-अवाम के बीच काम करने वाले झाविमों प्रत्याशी पारितोष सोरेन के लिये विधानसभा चुनाव-2014 एक गोल्डेन अपरच्यूनिटी के रुप में देखा जा रहा। भाजपा से अलग होकर नयी पार्टी बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मराण्डी की पार्टी झारखण्ड विकास मोर्चा में आस्था के साथ जुड़कर काम करने वाले झाविमों प्रत्याशी पारितोष सोरेन की पिछले 5 वर्षों के भीतर क्षेत्र में विशेष पहचान बनी है। हिन्दू हो या मुसलमान। संताल-पहाडि़या समुदाय हो या फिर बंगाली भाषा-भाषी नागरिक। तमाम वर्ग-जाति, धर्म के लोगों के बीच समान रुप से लोकप्रिय पारितोष सोरेन को हर तबका का आर्शीवाद प्राप्त है, जैसा कि लोगों के बीच वे खुद प्रचारित करते हैं। आने वाले समय में परिणाम क्या होगा पता नहीं, शह-मात के इस खेल में किसकी होगी जीत और किसे चखना पड़ेगा हार का स्वाद ? इस विधानसभा के पिछले 10 वर्षों का इतिहास देखा जाय तो यह स्पष्ट होता है कि वर्ष 2005 के चुनाव में झामुमों प्रत्याशी नलिन सोरेन ने इस क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी राजा मराण्डी को शिकस्त देकर अपनी कुर्सी बचाई थी। 

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झामुमों प्रत्याशी को इस विस चुनाव में 27723 मत प्राप्त हुए थे, जबकि जदयू प्रत्याशी राजा मराण्डी को मात्र 24641 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। इसी तरह वर्ष 2009 के चुनाव में नलिन सोरेन ने झाविमों प्रत्याशी पारितोष सोरेन को हराया था। वर्ष 2009 के चुनाव में नलिन सोरेन को 30474 मत प्राप्त हुए थे, जबकि झाविमों प्रत्याशी पारितोष सोरेन को 29471 मतों से ही खुद को संतुष्ट करना पड़ा। लोकसभा चुनाव-2014 में बाबूलाल मराण्डी ने झाविमों के टिकट पर दुमका से चुनाव लड़ा था। दुमका लोकसभा सीट के अन्तर्गत पड़ने वाले विधानसभा शिकारीपाड़ा में श्री मराण्डी को 47865 मत प्राप्त हुए थे। दुमका लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत पड़ने वाले तमाम विधानसभाई क्षेत्र यथा-शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा व सारठ में से सर्वाधिक मत शिकारीपाड़ा विधानसभा से ही प्राप्त हुए थे। यह दिगर बात है कि वर्ष 2009 के चुनाव में झाविमों प्रत्याशी  ने झामुमों प्रत्याशी को कड़ी शिकस्त दी थी और मात्र 1003 मतों के अन्तर से उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था। झाविमों प्रत्याशी का मानना है, क्षेत्र की जनता जो निर्णय लेगी वे उसे सहर्ष स्वीकार करेगें। क्षेत्र की जनता का आर्शीवाद प्राप्त पारितोष सोरेन मानना है, जनता से वायदा कर उसे पूरा नहीं करने वाले झामुमों प्रत्याशी नलिन सोरेन को मैदान छोड़ना होगा। निःसन्देह आने वाले समय में उनके लिये यह समाचार शुभ संकेत से कम नहीं। 

शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के प्रखण्ड काठीकुण्ड, शिकारीपाड़ा व रानेश्वर के हाट-बाजारों सहित नुक्कड़, चैक-चैराहों पर यह दौर सिर्फ चुनावी ताना-बाना का ही रह गया है। वर्ष 2009 के चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राजा मराण्डी वर्तमान चुनाव में काॅग्रेस के टिकट पर अपना भाग्य आजमाऐगें। शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच उनकी लोकप्रियता भी किसी से छुपी हुई नहीं है। अपनी सहयोगी पार्टी लोजपा के लिये भाजपा ने शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट रख छोड़ी है। वैसे लोजपा का इस क्षेत्र में कोई जनाधार नहीं है और न ही इस पार्टी का अपना कोई अस्तित्व है। लोजपा प्रत्याशी जो कुछ भी करेगें वह भाजपा के भरोसे होगा। इस सीट पर सहयोगी पार्टी के उम्मीदवार शिवधन टुडू की जीत सुनिश्चित करने में भाजपा भी कोई कसर नहीं छोड़ेगी, दूसरी पार्टियों को यह पता है। झामुमों की मांद में सेंधमारी का यह प्रयास भाजपा के लिये कितना कारगर होगा चुनाव नतीजों के बाद ही कहा जा सकता है। बहरहाल मुख्य रुप से मुकाबला नलिन सोरेन, पारितोष सोरेन व राजा मराण्डी के बीच ही होना तय है। वर्ष-2011 के जनगणना के अनुसार शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत प्रखण्ड काठीकुण्ड की कुल आबादी 71458 है। पुरुषों की आबादी जहाँ एक ओर 35598 है वहीं महिलाओं की आबादी 35860 है। इस प्रखण्ड में साक्षरता दर 54.08 प्रतिशत है। शिकारीपाड़ा प्रखण्ड में पुरुषों की आबादी 65,723 तथा महिलाओं की आबादी 65,741 है। इस प्रखण्ड की कुल आबादी 1,31,464 है। 

इस प्रखण्ड में साक्षरता दर 57.10 है। रानेश्वर प्रखण्ड में महिलाओं की आबादी 50552 तथा पुरुषों की आबादी 51,115 है। इस प्रखण्ड की कुल आबादी 1,01,667 है। साक्षरता प्रतिशत इस प्रखण्ड का 60.06 प्रतिशत है। 1,85,489 (पुरुषों की संख्या-94,634 व महिलाओं की संख्या-90,945) मतदाताओं वाले इस विस क्षेत्र में पूरी आबादी में 59 प्रतिशत भागीदारी संतालों की हैं जबकि 18 प्रतिशत मुस्लिमों की। इस प्रकार कुल 77 प्रतिशत मतदाता संताल व मुस्लिम तबके से आते हैं। शेष में वैश्य, एससी, अपर कास्ट व अन्य जाति के लोग समाहित हैं। 227 बूथों वाले इस विधानसभा क्षेत्र में काठीकुण्ड प्रखण्ड अन्तर्गत पंचायतः-बड़ा चापुडि़या, पिपरा, आसनपहाड़ी, तेलियाचक बाजार, बड़तल्ला, विछियापहाड़ी, कालाझार, आस्ताजोड़ा, पांदनपहाड़ी, झिकरा, धावाडंगाल, कदमा। शिकारीपाड़ा प्रखण्ड अन्तर्गत पंचायतः-गन्द्रकपुर, मोड़ायाम, कुशपहाड़ी, बरमसिया, ढाका, मोहुलपहाड़ी, शिवतल्ला, खाड़ूकदमा, जामगुडि़या, शिकारीपाड़ा, सिमानीजोर, सरसडंगाल, झुनकी, पिनरगढि़या, मलूटी, चितरागडि़या, शहरपुर, बाॅसपहाड़ी, सोनाढाव, पलासी, बाँकीजोर, हीरापुर व रानेश्वर प्रखण्ड के पंचायतः-ताल डंगाल, मोहुलबना, धनबासा, आसनबनी, रंगालिया, दक्षिणजोल, सालतोला, हरिपुर, पाटजोर, सुखजोरा, पथरा, सादिकपुर, कुमिरदाहा, बाँसकुली, बृन्दावनी, बेलकान्दी व गोविन्दपुर के तकरीबन एक हजार ग्रामों की जनता का रुख विधानसभा चुनाव-2014 में क्या होगा 23 दिसम्बर को चुनाव परिणाम के बाद ही स्पष्ट हो पाऐगा। 






अमरेन्द्र सुम
झारखण्ड 

विशेष आलेख : जम्मूकश्मीर चुनाव और बाढ़ प्रभावित

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जम्मू एवं कष्मीर राज्य में चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। 25 नवंबर को राज्य में पहले चरण के मतदान के तहत 15 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे और इस तरह 123 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा। नतीजे 23 दिसंबर को आएंगे। चुनावी मौसम में जिन्हें सबसे ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है वह राज्य के बाढ़ प्रभावित लोग हैं। उनसे भी देष के राजनेता वोट हासिल करने की कोषिष कर रहे हैं, हालांकि उन्हें स्वयं को सहायता की ज़रूरत है। ऐसे में किसको कठघरे में खड़ा किया जाए इलैक्षन कमीषन को, केंद्र सरकार को, राज्य सरकार को या फिर कष्मीरियों की किस्मत को। कहने को करोड़ों रूपयों का एलान लोगों के पुनर्वास और उनकी मदद के लिए कर दिया गया है लेकिन चुनाव की वजह से राज्य में आचार संहिता लगाकर बाढ़ प्रभावित का न सिर्फ मज़ाक उड़ाया जा रहा है, बल्कि उनके ज़ख्मों पर मरहम के बजाय नमक का इस्तेमाल किया जा रहा है। घाटी के लोग अपने राजनेताओं से सवाल कर रहे हैं कि अगर इस चुनाव को चंद माह बाद कराया जाता तो कौन सी कयामत आ जाती। हालांकि चुनाव को टालने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी लेकिन न्यायालय ने दायर याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिक में प्रदेष में मौजूदा स्थिति में चुनाव कार्यक्रम निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा गया था कि बाढ़ से करीब 26 सौ गांव प्रभावित हुए हैं और जबकि 390 गांव डूब गये थे। याचिका में कहा गया था कि राहत और पुनर्वास कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है और इससे सवाल उठ रहा है कि निर्वाचन आयोग निश्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव करा पाएगा। राज्य में आचार संहिता लगी हुई हैै। ऐसे में बाढ़ प्रभावितों की कोई खैर-खबर लेने वाला नहीं है। उदाहरण के तौर पर जि़ला पुंछ की तहसील मंडी के गांव सलोनिया के वार्ड नंबर दस को देखिए। इस मोहल्ले की लंबाई डेढ़ किलोमीटर है। यहां बाढ़ का पानी बढ़ जाने की वजह से पांच कच्चे मकान बह गए जिनमें दो स्थानीय लोगों की मौत हो गई, जिनका नाम मोहम्मद षफी और गुलाम हुसैन था। गुलाम हुसैन के बड़े बेटे षौकत हुसैन (22) के मुताबिक ’’उनके पिता गुलाम हुसैन और चचा मोहम्मद षफी पूरे परिवार को सुरक्षित जगह पहुंचाने के बाद घर में भरे पानी को निकाल रहे थे कि अचानक बाढ़ का पानी बढ़ गया और उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। उन्होंने आगे बताया कि उनके चचा और पिता की आधी-आधी लाष तकरीबन दो किलोमीटर दूर नाले से मिली थी और बाकी का हिस्सा ढूढ़ने पर भी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पिता और चाचा की मौत के बाद उन्हें खुद मज़दूरी करके घर के 16 सदस्यों को पालना है। ’’ 
          
इस तरह का एक और उदाहरण पुंछ जि़ला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बरयाड़ी गांव का है, जो तहसील मंडी में आता है। यहां पर एक मकान में पानी भरने के कारण वह बह गया। इस परिवार के जावेद अली किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब हो पाए, उसके परिवार के बाकी 12 सदस्य मकान के अंदर रह गए। जिनमें से तीन लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें उप सरपंच सैद मोहम्मद (55), बूबा बी (75) और सफूरा बेगम (20) हैं, बाकी 9 लोग ज़ख्मी हो गए। इस हादसे में नगीना बी (12) को अपनी टांग गंवानी पड़ी जबकि ज़हीर अहमद का कान कट गया, मुख्तार अहमद की तीन पस्लियां टूट गईं। जबकि अनवार जान की कमर की हड्डी टूट गई और इमरान खान के सिर में गहरे ज़ख्म आए। उन्होंने आगे बताया कि बाढ़ में 20 भेड़-बकरियां, 4 भैंसे, 4 गायें, 1 घोड़ा, 20 मुर्गे और घर में रखे 50-60 हज़ार सब कुछ खत्म हो चुका था। उन्होंने आगे बताया कि सरकार की ओर से हमें कोई खास मदद नहीं मिली है। सरकार ने मरने वालों के नाम से डेढ़-डेढ़ लाख के तीन चैक और सर्दियां गुज़ारने के लिए एक टैंट दिया है। मैं राज्य और केंद्र सरकार से यह सवाल करता हंू क्या हम पीडि़तों का एक टैंट में सर्दियां गुज़ारन संभव है? इसके अलावा पुंछ जि़ला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर षाहपुर गांव के ताालिब हुसैन अपनी सारी उम्र मेहनत मज़दूरी करने के बाद अपना एक मिट्टी का घर बना पाए थे और अपने परिवार के साथ रह रहे थे। मगर तूफानी बारिष ने उनको भी नहीं बख्षा और उनका मकान गिर गया। उन्होंने कहा सरकार की ओर से अभी तक हमें किसी किस्म की कोई मदद नहीं मिली है। षाहपुर गांव के एक और स्थानीय निवासी जिनका नाम मोहम्मद युसूफ है, उन्होंने बताया कि उनके गांव में एक भी घर ऐसा नहीं बचा है जो बाढ़ के पानी स पूरी तरह सुरक्षित रहा हो। उन्होंने बताया कि मोहम्मद षरीफ और मीर मोहम्मद के मकान पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। इसके अलावा षाहपुर में तकरीबन 15 घर हैं। वहीं षाहपुर के चेयरमैन लाल दीन के मुताबिक मोहल्ला दोंपरियां के रहने वाले मोहम्मद फारूक का मकान पूरी तरह से तबाह हा चुका है। उन्होंने बताया कि ढ़ोक बरोड़ में 120 मकान पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। 
           
इससे अंदाज़ा लगाना पाठक के लिए ज़्यादा मुष्किल नहीं होगा कि इस भयानक तबाही ने जहां एक तरफ मैदानी इलाकों में अपना कहर बरपा किया, वहीं दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों को भी अपनी चपेट में ले लिया। इस भयानक तूफान ने जि़ला पुंछ की मषहूर नदी जो पड़ोसी मुल्क पकिस्तान में जाकर मिलती है, का एक बांध तोड़ दिया जिसकी वजह से इस नदी के पानी की दिषा षहर की ओर मुड़ गई और इसने मोहल्ला कनोईयां, स्टार होटल, षंकर बाग और आज़ाद मोहल्ले को अपना निषाना बनाया। ंइसके अलावा मकान, दुकानें, गाडि़यां, सड़के, पषुओं और न इंसानी जानों का नुकसान हुआ। इस बाढ़ ने जि़ला पुंछ के दोनों बड़े षमषान घाटों को अपनी चपेट में ले लिया और पुंछ को दुनिया से जोड़ने वाले षेरे-कष्मीर पुल को भी तबाह कर दिया। मोहल्ला षंकर नगर वार्ड नंबर 11 के स्थानीय निवासी मोहम्मद फारूक के मुताबिक जि़ला मुख्यालय में तकरीबन 140 घर बाढ़ में बह गए। इसमें अपना घर खो देने वाले मोहम्मद अज़ीम ने बताया कि 4 सितंबर को आने वाली बाढ़ में मेरा घर बह गया था लेकिन भगवान की कृपा रही कि मैं और मेरे बच्चे पहले ही घर से निकल गए थे। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रषासन ने हमारी पूरी मदद की और हमें पुंछ के होटल के एक कमरे में ठहराया और हमें हर वह चीज़ दी जिसकी हमें ज़रूरत थी। हमारा हाल-चाल जानने के लिए सारे बड़े अधिकारी आते रहे। बाढ़ के दौरान और बाद में भी डीसीपी, एडीसी, एमएलए, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और सोनिया गांधी भी हमारा हाल चाल जानने के लिए आए। इतना ही नहीं उन्होंने हमसे वादा भी किया कि आपकी हर तरह से मदद की जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि मेरे मोहल्ले के चार लोग, मुझे पूरा विष्वास है कि वह बाढ़ में बह गए हैं जिनमें से मैं दो लोगों को बहुत अच्छी तरह जानता हंू जिनका नाम फैज़ मोहम्मद और बंसी लाल है। उनकी मौत का मुझे बहुत अफसोस है। उन्हीं के कैंप में रहने वाले मोहम्मद षीम बताते हैं कि उन्होंने दस साल पहले तहसील मंडी में अपनी ज़मीन को बेचकर यहां प्लाट लिया था और घर बनाया था, मगर इस बाढ़ में हमार घर भी ध्वस्त हो गया, जो अब रहने के लायक नहीं बचा है। हम सभी सरकार से यह अपील करते हैं कि वो हमें किसी दूसरी जगह नए प्लाट दे दे और घर बनाने के लिए हमारी मदद करे ताकि हम अपनी बची हुई जिंदगी को आराम से गुज़ार सकें। मोहल्ला कनोईयां के वार्ड नंबर पांच में रहने वाली एक महिला जिनका नाम फातिमा बी है, उनके पति का देहांत छह साल पहले एक सड़क हादसे में हो गया था, उन्होंने अपने पति की मौत के बाद मिलने वाले मुआवज़े के पैसे से अपना मकाना बनाया था और अपने सात साल के बच्चे के साथ रह रहीं थीं, लेकिन इस भयानक बाढ़ ने इस बेसहारा का घर इनसे छीन लिया। उन्होंने मायूस होकर कहा कि इस बाढ़ के लिए सिर्फ पुराना और खस्ताहाल बांध जि़म्मेदार है और हमारी राज्य सरकार जि़म्मेदार है जिसने इस बांध की मरम्मत नहीं करायी थी। अगर बांध मज़बूत होता तो कभी भी नदी का पानी षहर में प्रवेष नहीं करता और न ही हम लोगों को यह भयानक तस्वीर देखनी पड़ती। उन्होंने कहा कि पति की पेंषन से बड़ी कठिनाई से मेरा घर चलता है, मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं अपना घर दोबारा कैसे बनाउंगी। मैं अपने बच्चे के साथ किराए के एक कमरे में रह रही हंू क्योंकि मुझे कैंप में प्रवेष नहीं होने दिया गया। मुझसे कहा गया कि तुम्हारा नाम नहीं है। सरकार की ओर से मुझे न तो किसी किस्म का कोई मुआवज़ा मिला है और न ही कोई मदद दी गई है। मैं सरकार से अपील करती हंू कि अगर मैं मदद की हक़दार नहीं हंू तो कौन है? क्या यही हमारे देष का इंसाफ है? उन्होंने अपने पड़ोसी गुलाम नबी के बारे में बताते हुए कहा कि उनका घर भी हमारे घर के साथ बह गया था और उन्हें भी कैंप में प्रेवष नहीं होने दिया गया। 
            
ईदगाह कैंप के संयोजक एडीजी पुंछ मुमताज़ चैधरी ने बताया कि मेरे पास तकरीबन 2 सौ परिवार थे जो धीरे-धीरे कम होते होत 44 पर आ गए और अब सिर्फ 11 परिवार रह गए। जिनमें से 7 परिवारों को अपने अपने घरों में वापस बसाया गया है, यह वह लोग हैं जिनके घरों को आंषिक रूप से क्षति पहुंची है। इसके अलावा जिन बच्चों की किताबें बह गई थीं उनको किताबें उपलब्ध करायी गई हैं ताकि वह अपनी पढ़ाई कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि हम किसी को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे। हमने किसी को जबरन नहीं भेजा और हमसे जो हो सका वह जनता के लिए करते रहेंगे। वहीं पुंछ के मोहम्मद फरीद ने बताया कि हमारे होस्टल की एक पूरी इमारत में बाढ़ से प्रभावित लोगों को ठहराया गया है जिसमें षुरूआत में 108 परिवार थे अब 88 परिवार ही बचे हैं। उन्होंने कहा कि इंसानियत के नाते ऐसा करना बहुत अच्छा है लेकिन ऐसा करने में कुछ परेषानियां भी आ रहीं हैं जैसे एक कमरे में दो या तीन छात्र रहते थे, वहीं अब छह या आठ छात्रों को रहना पड़ रहा है। हमारे होस्टल के बावर्ची सबके लिए खाना बना रहे हैं जो बहुत ही मुष्किल काम है। वहीं होस्टल के छात्रों ने कहा कि बाढ़ प्रभावितों के यहां रहने से षोर-षराबे की वजह से हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इस सब के बावजूद हम बाढ़ प्रभावितों की मदद को तैयार हैं। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि चुनाव की वजह से राज्य में आचार संहिता लग चुकी है जिसकी वजह से सरकारी मदद मिलना बद हो गयी है। ऐसे में मेरी समझ में नहीं आ पा रहा है कि उन बाढ़ प्रभावितों का क्या हाल हो रहा होगा जो बिना मदद के खुले आसमान के नीचे किसी की मदद का इंतेज़ार कर रहे हैं। जबकि दूसरी ओर ठंड और बर्फबारी ने दस्तक दे दी है। ऐसे में किसको कठघरे में खड़ा किया जाए इलैक्षन कमीषन, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या फिर कष्मीरियों की किस्मत को। 







live aaryaavart dot comशहराज़ अहमद सिंकदर
(चरखा फीचर्स)

विपक्षी सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष की चेतावनी

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विपक्षी सदस्यों द्वारा काले धन के मुद्दे को लेकर कल लोकसभा में किए गए हंगामे और नारेबाजी की पृष्ठभूमि में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज सदस्यों को परोक्ष रूप से कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देने के साथ ही उन्हें सदन के नियमों का पालन करने को कहा। महाजन ने कहा कि सदन के नियम आप लोगों के बनाए हुए हैं और यह सदन आपका अपना है, इसके कुछ तो मायने रखिए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अब तो विरोध जताने के लिए सदस्य अनुचित तरीकों और व्यंगात्मक टिप्पणी के साथ ही अमर्यादित भाषा का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। उन्होंने सदस्यों को परोक्ष चेतावनी देते हुए एक कहानी का संदर्भ दिया और कहा कि डांटने, फटकारने और दुत्कारने वाली मां बच्चों को अच्छी नहीं लगती है, लेकिन समय पर यदि नहीं डांटा जाए तो ऐसे बच्चे बाद में मां का ही कान काटते हैं और कहते हैं कि मां आपने पहले क्यों नहीं समझाया था। 

कल के हंगामे और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों द्वारा नारे लिखे छाते खोलकर आसन के समक्ष आने की घटना का जिक्र करते हुए सुमित्रा महाजन ने कहा, 'इस अनुचित आचरण का मैं कड़ा विरोध करती हूं।'बीच में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि पिछली लोकसभा में भी तो तत्कालीन विपक्ष हंगामा और सदन को बाधित करता रहा था। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि बीती बातों में ना जाएं और संसद की मर्यादा को बनाए रखने के लिए काम करें। तृणमूल की ही एक अन्य सदस्य ने टिप्पणी की आपसे (बीजेपी) से सीखा है, आप हमारे गुरु हैं।  लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, 'मैं शिष्टाचार के मानदंडों की ओर सदस्यों का ध्यान ले जाना चाहती हूं।'उन्होंने कहा कि सदन को चलाने के कुछ नियम हैं, जिनमें नियम 349 के उपबंध 11 और 16 पर सदस्यों ने भी ध्यान दिया होगा। महाजन ने कहा कि नियमों के तहत सदस्य नारेबाजी नहीं कर सकते और न ही प्लेकार्ड, बैनर आदि दिखा सकते हैं। महाजन ने छात्रों समेत समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के संसदीय कार्यवाही को देखने के लिए सदन की दर्शक दीर्घा में आने का जिक्र किया और सदस्यों से सदन की गरिमा बनाए रखने को कहा। 

हालांकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने दबी आवाज में यह भी कहा कि पिछले दस साल तक विपक्ष में रहते हुए एनडीए ने भी तो यही किया था। गौरतलब है कि अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने छाते लेकर आसन के समक्ष आने के सदस्यों के विरोध के इस तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि हर रोज इस प्रकार के नए तरीके खोज लेना उचित नहीं है, सदस्यों का यह व्यवहार आपत्तिजनक है।

ह्यूजेस की चोट पर बोले लारा क्रिकेट खतरनाक खेल

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वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिल ह्यूजेस के जल्दी स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि क्रिकेट ‘खतरनाक खेल’ है और इसमें हमेशा जोखिम बना रहता है। उन्होंने कहा कि पूरा क्रिकेट जगत ह्यूजेस के लिए दुआ कर रहा है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य में ऐसा हादसा फिर नहीं होगा।

उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बल्लेबाजों को हमेशा इस तरह का खतरा बना रहता है। आप कभी नहीं चाहेंगे कि ऐसा कुछ हो। लारा ने ‘डेली टेलीग्राफ’ से कहा, जो हुआ वह दुखद था और आप सिर्फ दुआ कर सकते हैं । मुझे पता है कि पूरा ऑस्ट्रेलिया और पूरा क्रिकेट जगत दुआ कर रहा होगा कि वह इससे जल्दी बाहर निकलकर पूरी तरह स्वस्थ हो जाएं । उन्होंने कहा,  यह ऐसा खेल है जिसमें इस तरह का जोखिम बना रहता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। क्रिकेट खतरनाक खेल है। रग्बी और रग्बी लीग, मोटर रेसिंग की तरह इसमें जोखिम बना रहता है। दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में शुमार होने के बावजूद लारा ने कहा कि मैदान पर शॉर्टपिच गेंदों का सामना करते हुए कई बार वह भी भयभीत हुए हैं।

लारा ने कहा, अधिकारी इसे लेकर चिंतित होंगे कि यह कैसे हुआ और क्या फिर होगा। मैंने खेलते समय सुरक्षित महसूस किया, लेकिन मुझे पता है कि खेल में जोखिम रहता है। मैं सुबह प्रार्थना करके निकलता था। मैं फिल के जल्दी फिट होने की कामना करता हूं।

मैं लड़की हूं, इसलिए विवादों में घिरी : सानिया मिर्जा

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वह भारत की सबसे चर्चित खिलाड़ियों में से एक हैं, लेकिन टेनिस स्टार सानिया मिर्जा का खुद का मानना है कि 'लिंगभेद'के कारण 'इस देश में सानिया मिर्जा होना मुश्किल है...'सानिया मिर्जा ने महिला खिलाड़ी होने के कारण अपने करियर के दौरान आई मुश्किलों का जिक्र करते हुए कहा, "हां, इस देश में सानिया मिर्जा होना मुश्किल है... मेरा मानना है कि मुझे अपने करियर में अधिकतर विवादों का सामना इसलिए करना पड़ा, क्योंकि मैं महिला हूं... यदि मैं पुरुष होती तो इनमें से कुछ विवादों से बच सकती थी..."दरअसल, सानिया मिर्जा को दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र महिला सद्भावना दूत नियुक्त किया गया है, और वह महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की खातिर अभियान चलाने और लिंग समानता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इससे जुड़ी हैं।

सानिया मिर्जा दक्षिण एशियाई क्षेत्र की पहली महिला हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महिला के इतिहास में सद्भावना दूत नियुक्त किया गया। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि भारत में खेलों में अधिक महिलाओं को आना चाहिए। संस्कृति को बदलने की जरूरत है। सरकार इसमें शामिल हो रही है और मुझे लगता है कि इससे काफी चीजों में बदलाव हो रहा है। हमारे वर्तमान खेलमंत्री सर्वानंद सोनोवाल महिला खेलों को बहुत बढ़ावा देते हैं और मैंने निजी रूप से यह देखा है। सानिया ने कहा, मुझे खुशी है कि सरकार भी हमारे समाज में व्याप्त लिंग असमानता पर बात कर रही है और सच्चाई यह है कि वह इसे लेकर कुछ करने की कोशिश कर रही है, जिससे पता चलता है कि यह कितना जरूरी है।

सानिया मिर्जा ने कहा, हमें सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत है और उम्मीद है कि मीडिया भी इसकी जिम्मेदारी लेगा। मीडिया की भूमिका अहम होती है। वह बदलाव ला सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा, लिंग समानता का हम सभी को समर्थन करना चाहिए। कुछ इस बारे में बोलते हैं, कुछ नहीं। मुझे इस पर बोलने के लिए चुना गया है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन सभी बोलेंगे कि हम सब एक हैं और महिलाओं के साथ वस्तु की तरह व्यवहार नहीं किया जाएगा। मैं बदलाव लाने के लिए अपनी तरफ से हर संभव कोशिश करूंगी।

टेनिस स्टार ने इसके साथ ही कहा कि वह 6 दिसंबर से शुरू होने वाले इंटरनेशनल प्रीमियर टेनिस लीग (आईटीपीएल) में खेलने को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, मैं आज रात को रवाना हो रही हूं। मैं यहां से अभ्यास करने जाऊंगी और उसके बाद सीधे हवाई अड्डे जाऊंगी। मैं इसको लेकर बहुत उत्साहित हूं। मैं आईटीपीएल में खेलने के लिए तैयार हूं।

चैंपियंस लीग में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने मेस्सी

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ला लीगा में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बनने के चार दिन बाद लियोनेल मेस्सी ने चैंपियंस लीग में सबसे ज्यादा गोल का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। उन्होंने एपोएल निकोसिया के खिलाफ टूर्नामेंट में अपना 72वां गोल किया। बार्सिलोना की कप्तानी कर रहे मेस्सी ने 37वें मिनट में टीम का दूसरा गोल किया। इससे पहले लुईस सुआरेज ने टीम के लिए पहला गोल दागा था।

मेस्सी ने राउल का रिकॉर्ड तोड़ा, जिन्होंने रीयाल मैड्रिड के लिए 142 मैचों में 71 गोल किए थे। वहीं शाल्के और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के 70 गोल हो चुके हैं। मेस्सी ने राउल से 51 मैच कम खेलकर यह रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने पिछले सप्ताह टेल्मो जारा का 251 ला लीगा गोल का 59 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था, जब उनकी हैट्रिक के दम पर बार्सिलोना ने सेविला को 5-1 से हराया था। अब वह 289 मैचों में बार्सिलोना के लिए 253 गोल कर चुके हैं।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (26 नवम्बर)

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वर्षो से एक ही जगह पदस्थ आरएईओ के स्थानांतरण का प्रस्ताव पारित
  • जिपं की सामान्य बैठक सम्पन्न

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जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुनीता सोनकर की अध्यक्षता में बुधवार को जिपं की सामान्य बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विगत 20 वर्षो से एक ही स्थल पर पदस्थ कृषि विभाग के सहायक कृषि विकास विस्तार अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाए। उक्त प्रस्ताव से शासन को भी अवगत कराया जाए।  जिला पंचायत सीईओ श्री सीएम मिश्रा ने शासकीय स्कूलों में समय पर अध्यापन कार्य हो इसके लिए जिला स्तर पर एक पृथक से कार्ययोजना बनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण सजगता के साथ करें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में बनने वाले शौचालयों का उपयोग छात्र करें इसके लिए स्कूलों में जागृति कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। 

पत्र जारी करने के निर्देश
जिला पंचायत की सामान्य बैठक में अनुपस्थित अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अनुपस्थित होने की जानकारी प्राप्त की जाएगी। वही स्कूल शिक्षा विभाग के लंबित निर्माण कार्यो में विलम्बता होने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। सामान्य बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग, कृषि, उद्यानिकी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के कार्यो की समीक्षा भी इस दौरान की गई। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में विधायक श्री कल्याण सिंह दांगी के अलावा अन्य सदस्यगण और विभिन्न विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे। 

विशेष : डॉक्टरी लापरवाही का सच… 20 माह तक पेट में पड़ा रहा तौलिया

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26 वर्षीय फरीदा उन खुशनसीब महिलाओं में से एक हैं, जो डॉक्टरी लापरवाही की शिकार होने के बावजूद अपनी जिंदगी बचाने में सफल रहीं…मध्यप्रदेश के इंदौर में पिछले 15 मार्च, 2013 को एक ऐसी ही घटना घटी, जिसने फरीदा की जिंदगी को दर्दनुमा बना दिया…असहनीय पेट दर्द की हालत में फरीदा को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, डॉक्टरों ने जो कहा, उसे सुन-देख कर सभी हैरान-परेशान हो गए…पिछले 20 महीने से फरीदा के पेट में तौलिया पड़ा हुआ था


इंदौर/ डॉक्टरों ने यहां गोकुलदास अस्पताल में 26 वर्षीय महिला का प्रसव | ऑपरेशन करते वक्त कथित तौर पर लापरवाहीपूर्वक उसके पेट में तौलिया छोड़ दिया। इस गड़बड़ी का ऑपरेशन के करीब 20 महीने बाद खुलासा होने पर महिला के परिजन ने अस्पताल के सामने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया। 

खातीवाला टैंक क्षेत्र में रहने वाले अबिजेर महेश्वरवाला ने प्रदर्शन के दौरान बताया कि उनकी पत्नी फरीदा (26) ने शहर के एक निजी अस्पताल में 15 मार्च 2013 को सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए बालक को जन्म दिया था। इस ऑपरेशन के बाद से प्रसूता को पेट दर्द की शिकायत रहने लगी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले जब फरीदा को असहनीय पेट दर्द हुआ, तो उन्हें मल्लिक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। सोनोग्राफी में पता चला कि उनके पेट में तौलिया है। इस तौलिए को डॉक्टरों ने 7 नवंबर को सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर निकाल दिया। 
महेश्वरवाला ने मांग की कि प्रसव ऑपरेशन के दौरान उनकी पत्नी के पेट में लापरवाही पूर्वक तौलिया छोड़ने वाले डॉक्टरों के खिलाफ उचित कदम उठाये जायें। इसके साथ ही, संबंधित निजी अस्पताल की ओर से उन्हें मुआवजा दिया जाए। उधर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनके तरफ से कोई गलती नहीं हुई है।


साभार : स्वस्थ्य भारत अभियान 

सचिव से कलेक्टर तक, सरपंच से मुख्य मंत्री तक जाॅव-काॅर्ड फर्जी वाडे मे सामिल है : उमेश तिवारी

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  • साल में 20 लाख से जादा राशि प्राप्त करने वाली पंचायतों की जाॅच पहले दौर मे

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जनपद पंचायत सीधी एवं रामपुर  अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों के मजदूरों के जाॅव कार्ड से फर्जी तरीके से रूपये निकाले जाने वालों के विरूद्ध पुलिस में आपराधिक प्रकरण कायम किये  जाने तथा मजदूरों के बैंक खाते से निकाली गई राशि वापस किये जाने की मांग सहित अन्य मागों को लेकर टोकों-रोकों-ठोकों क्रांतिकारी मोर्चा द्वारा पुलिस चैकी सेमरिया के प्रागण में ’’हल्ला बोल जाॅव काॅर्ड फर्जी वाडे का पोल खोल धरने’’ का आयोजन किया गया। धरने में रामपुर एवं सीधी जनपद की सैकडों पंचायतों से हजारों मजदूर सामिल हूए। धरने को संवोधित करते हुए टोकों-रोकों-ठोकों क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक श्री उमेश तिवारी ने कहा कि सीधी जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में रोजगार गांरटी के रूपये मंे भारी लूट की गई है। लूटेरों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु एवं लूटी गई राशि को वापस प्राप्त करने हेतु मजदूरों द्वारा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, समाधान आनलाइन, कलेक्टर जनसुनवाई में कई-कई बार की गई सिकायत की पावती लिये घूम रहे है। दोषियों द्वारा सिकायत कर्ता मजदूरो को डराया धमकाया  जा रहा है और जो फर्जी रूपये निकालने  के अपराधी है वह छुट्टा सांड जैसे घूम रहे है। श्री तिवारी ने कहा की दोषियों के विरूद्ध न तो कार्यावाही हुई है न होगी ही क्योकि मजदूरों के हक में, डांका डालने में ग्राम पचायत के सचिव से लेकर कार्यालय के बाबू एस.डी.ओ. सब इंन्जीनियर, जनपद सी.ई. ओं., जिला पंचायत सी.ई.ओं. कलेक्टर तक शामिल है। इतना ही नही मजदूरों की लूट के इस घृणित खेल में सरपंच, विधायक , सांसद, मुख्य मंत्री सहित भा.ज.पा. के पदाधिकारी तक सलिप्त है। जिन भा.ज.पा नेताओं के पास चड्डी एवं चप्पल पहनने को नसीब नही थी वह रोजगार गांरटी की राशि की लूट मे भागीदार बनकर माला-माल  एवं महगी गाडियों के मालिक हो गए हैं। श्री तिवारी ने कहा है कि जाॅब कार्ड फर्जी वाडा कई प्रकार  से किया गया है जैसे मजदूर को मजदूरी नाम-मात्र की दी गई लेकिन उसके बैंक खते से हजारों रूपये निकाले गए, गाॅव वालों के नाम फर्जी जाॅब कार्ड बना कर वैंक खाता खोलकर रूपया निकाला गया, मृतकों एव शासकीय कर्मचारियों के नाम से मजदूरी करना बताकर राशि निकाली गई। डाटा फीडिंग में खाता किस बैंक मंे है खाता नम्बर क्या है नही बताया गया है लेकिन राशि निकाली गई है। धरने को रीवा से आये समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे, जिला सचिव मा.क.पा. सीधी का. सुंदर सिंह, सीधी जनपद के उपाध्यक्ष प्रभात वर्मा , गरीब बचाओं संघर्ष मोर्चा रीवा के गफूर खान,गोडवाना गणतंत्र पार्टी के सूर्यभान सिह सरौता ,साधू यादव, राकेश तिवारी , करूणा मिश्रा, शिवकुमार सिह, अंतिवल केवट, अजय सिह , ने भी संवोधित किया। 

हजारों की संख्या में जन आंदोलन मंे सामिल मजदूरों से बात करने साम तक जिला प्रशासन की तरफ से  कोई नहीं पहुॅचा पुलिस प्रशासन के लगातार प्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रयास के बाद गोपद वनास तहसीलदार पहूॅचे जिनके द्वारा यह वादा किया गया कि जिन पंचायतों को साल में 20 लाख से जादा की रोजगार गांरटी की राशि दी गई है उनकी सूची बनाकर पहले दौर में जाॅच करायी जावेगी।तथा जिन मजदूरों द्वारा व्यक्तिगत आवेदन दिया जा रहा है उन आवेदनों मे कार्यवाही हेतु कलेक्टर के माध्यम से जिला पंचायत के सी0ई0ओ0 को निर्देशित कराऊंगा। ज्ञापन-पत्र की अन्य मांगो के संबंध में तहसीलदार द्वारा कहा गया कि यह मांगे कलेक्टर से संबंधित है इनमें कार्यवाही हेतु कलेक्टर को प्रतिवेदन प्रस्तुत करूंगा।आंदोलनकारियों तथा तहसीलदार की चर्चा के बाद देर रात धरनें की समाप्ती की घोंषणा की गई।

बिहार सरकार को तीन माह के अंदर नशाबंदी कानून लागू करने का अल्टीमेटम

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  • पटना के सभी शराब भट्ठियों को 24 घंटे के अंदर ध्वस्त कर देने की शक्ति
  • राष्ट्रीय महिला ब्रिगेड ने की दुष्कर्मियों को मृत्युदंड देने की मांग

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पटना। आज राष्ट्रीय महिला ब्रिगेड के बैनर तले धरना दिया। कारगिल चैक पर आयोजित धरना देने वाली महिलाओं ने शराबबंदी की मांग कर रही थीं। शराब और दुष्कर्म के खिलाफ पोस्टर प्रदर्शित भी किया गया। इसमें दुष्कर्मियों को मृत्युदंड दो, बंद करो छेड़खानी, बलात्कार नहीें तो चलेगी अब तलवार,हमारा नेता कैसा हो? दिलीप भइया जैसा हो आदि नारा लिखा हुआ था। 

राष्ट्रीय महिला ब्रिगेड एवं दुर्गादस्ता के संस्थापक सह मुख्य संरक्षक व युवा ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप कुमार सिन्हा ने कहा कि सूबे में शराबखोरी बढ़ती ही जा रही है। इसका दुष्परिणाम भी सामने है। उसी तरह एकल दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की शिकार आधी आबादी होना पड़ रहा है। इनका दिल दहल जा रहा है। इस समय पूर्णतः मां,बहन एवं बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। ऐसा प्रतीक हो रहा है कि शराबियों एवं गुंडो के सामने सरकार और प्रशासन अक्षम हो गयी है। 

श्री सिन्हा ने आगे कहा कि बिहार सरकार तीन माह के अंदर नशाबंदी कानून को लागू करें। दुष्कर्म संबंधित मुकदमों को स्पीडी ट्रायल कराकर गुंडो को कठोर से कठोर सजा दें। उपस्थित महिलाओं का आह्वान किया कि आपलोग गोलबंद होकर गांवघर के शराब भट्ठियों को ध्वस्त कर दें। साथ ही दुष्कर्मियों के खिलाफ जेहाद छेड़ दें। 
राष्ट्रीय महिला ब्रिगेड से जुड़े महिलाएं और दुर्गादस्ता की लड़कियों ने धरना देकर शराब के खिलाफ संद्यर्ष करने का संकल्प लिया। मौके पर ब्रिगेड की नगर अध्यक्ष मीरा देवी ने कहा कि राजधानी की महिलाएं भी शराब और बलात्कार के खिलाफ पूरी तरह से गोलबंद और संगठित हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार समय रहते शराबबंदी कानून को लागू नहीं कर पाती है तो पटना के सभी शराब भट्ठियों को 24 घंटे के अंदर ध्वस्त कर दिया जाएगा। इस अवसर पर दुर्गा दस्ता की पूजा कुमारी और कोयल ने कहा कि शराबियों और गुंडो के आंतक से हमलोग दहशतभरी जिन्दगी जीने को बाध्य हैं। आगे कहा कि इससे बेहतर होगा कि जिल्लतभरी जिन्दगी के बजाए मौत दे दी जाए। सरकार आधी आबादी की रक्षा करें वरणा हमलोग कानून को अपने हाथ में लेने को बाध्य हो जाएंगे। 

धरना पर आयोजित सभा को रेखा,गीता,रीता,कुसुम देवी,वीणा देवी,मुन्नी देवी,मधु देवी, सुभावनी देवी,शारदा देवी, आशा, शोभा, उर्मिला एवं उषा किरण समेत राष्ट्रीय महिला ब्रिगेड की पूर्व प्रदेश पुष्पा पाण्डेय, राष्ट्रीय युवा ब्रिगेड के धर्मवीर सिंह,सतीश शास्त्री, उमेश एवं संजय कुमार ने भी संबाधित किया। 


आलोक कुमार
बिहार 

विशेष आलेख : अंधविश्वास के स्टार प्रचारक होती है नामचीन हस्तियां

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रामपाल ने अपने आसपास महान संत और समुदाय के दिव्य सवेसवा होने का जो भ्रमजाल रचा था, वह खुद उसी के शिकार हो गए। परंतु उनका या उनके अनुयायियों का जिस प्रकार का आचरण अराजकता के रूप में सामने आया है वह किसी भी हालत में धर्मानुकूल नहीं कहा जा सकता। लेकिन अफसोस है नेताओं-माफियाओं व सत्ता के ओहदादार लोगों के चलते इनकी दुकान फल-फूल रही है। भीलवाड़ा के पं नाथू लाल व्यास ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को राष्टपति बनने का सब्जबाग दिखा डाला तो क्या कहा जाएं। ईरानी जी को लगता है कि वह सास भी कभी बहू जैसे टीबी सीरियल से निकलकर सियासी गलियारे से होते हुए इस मुकाम पर पहुंची है तो वह बाबा की ही बदौलत। शायद वह भूल गयी कि इस सीरियल के बूते महिलाओं की दिलों पर राज करने के पीछे उन्हें कितनी पापड़ बेलनी पड़ी होगी। स्क्रिप्ट तैयार करने से लेकर हावभाव प्रदर्शित करने के लिए कितने पन्ने फाड़ने पड़े होंगे, कितने चप्पले घिस गयी होंगी। रामपाल जैसे लोगों की लोकप्रियता कुछ इन्हीं वजहों से ही होती है 

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जी हां, यहां बात हो रही है हाल के तथाकथित बाबाओं, मुल्लों व इससे जुड़े पाखंडियों की, जिनके यहां नामचीन हस्तियां मत्था टेकती है तो झूठ-फरेब की बुनियाद पर टिकी इनकी दुकान तेजी से आगे बढ़ निलती है। ये नामचीन हस्तियां अपनी तरक्की का सेहरा इन्हीं पाखंडियों के सिर इस कदर मढ़ती है कि आम आदमी भी इनकी चैखट पर मत्था टेकने को विवश हो जाता है। जबकि सच तो यह है कि जो लोग उंचाईयों की बुलंदियों पर पहुंचते है तो इसके पीछे उनकी हाड़तोड़ मेहनत ही होती है और वह अपने लगन, सूझबूझ, तौर-तरीकों पर चलकर मुकाम हासिल करते है। लोगों को अक्सर कहते सुना जा सकता है कि अगर फलनवा इतना आगे निकल गया तो इसके पीछे अमूक बाबा, मौलाना, संत का आर्शीवाद था। स्मृति ईरानी अकेले ऐसी महिला नहीं है जो अपने भाग्य बदलवाने बाबा के दर पहुंची, बल्कि सैकड़ो-हजारों की तादाद है जो इन पाखंडियों की शरण में पहुंचकर इन्हें महिमा मंडित करते है। इन्हीं नामचीन हस्तियों का हवाला दें पाखंडी न सिर्फ अपना साम्राज्य स्थापित कर लेते है बल्कि लाखों-करोड़ों को अंधविश्वास की खाई में झोक संत रामपाल जैसे पाखंडी जो स्वर्ग में अमृत पाने व जन्नत में तस्नीम पाने सहित न जाने क्या-क्या, की आकांक्षा पाले भोलेभाले लोगों को ठग अपनी महल खड़ी कर लेते है। मतलब साफ है जिन बाबाओं, संतों व मौलवियों को अपने प्रवचन के माध्यम से लोगों में व्याप्त दुर्भावनाओं, द्वेष, ईष्र्या, भेदभाव आदि विकृतियां दूर कर इंसान को इंसानियत के राह पर चलने की नसीहत देनी है, वह अपने को आस्था का प्रतिनिधि बताकर न सिर्फ गुमराह बल्कि अंधविश्वास फैला रहे है। यहां जिक्र करना जरुरी है कि ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाना, हाथ दिखाना अपना भविष्य पूछना या उनकी शरण में जाकर ज्ञान अर्जित करना ये कोई अपराध नहीं है, लेकिन जब देश की मानव संसाधन विकास मंत्री, जिनके पास देश की भविष्य सुधारने की कमान है वह किसी ज्योतिषी से मिलें, घंटों तक अपना भविष्य बंचवाएं तो सवाल जरूर उठेंगे। कहा जा सकता है कि स्मृति ईरानी जैसे ही नामचीन हस्तियों के बरदहस्त के चलते ही विज्ञान को चुनौती दें अंधविश्वास फैलाने वालों की चांदी कट रही है। हालांकि सभी साधु-संत, मौलाना, पादरी ऐसा नहीं है, लेकिन जब कोई रामपाल जैसा व्यक्ति धर्म की दुकान लगा नकदी लेकर मुक्ति बेचने लगे तो यह चिंता की बात है। यह भ्रम का सौदा है, जिसे धूर्तता की आड़ में बेचा जा रहा है। जिसका समाधान पुलिस नहीं बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की प्रबोधक क्षमता है। ईश्वर को उसके स्यवंभू संतो-मोलवियों-पादरियों से बचाने के लिए हमारे नेताओं को आगे आना चाहिए।  

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लेकिन अफसोस है नेताओं-माफियाओं व सत्ता के ओहदादार लोगों के चलते इनकी दुकान फल-फूल रही है। भीलवाड़ा के पं नाथू लाल व्यास ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को राष्टपति बनने का सब्जबाग दिखा डाला तो क्या कहा जाएं। ईरानी जी को लगता है कि वह सास भी कभी बहू जैसे टीबी सीरियल से निकलकर सियासी गलियारे से होते हुए इस मुकाम पर पहुंची है तो वह बाबा की ही बदौलत। शायद वह भूल गयी कि इस सीरियल के बूते महिलाओं की दिलों पर राज करने के पीछे उन्हें कितनी पापड़ बेलनी पड़ी होगी। स्क्रिप्ट तैयार करने से लेकर हावभाव प्रदर्शित करने के लिए कितने पन्ने फाड़ने पड़े होंगे, कितने चप्पले घिस गयी होंगी। शायद वह इस शेर को नहीं जानती, हाथो की लकीरों पर यकीन मत करना, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। फिरहाल रामपाल जैसे लोगों की लोकप्रियता कुछ इन्हीं वजहों से ही होती है। व्यापक धार्मिक संगठनों के स्वरूप ज्यादा व्यक्ति निरपेक्ष होते हैं, लेकिन ऐसे धमगुरुओं से लोगों को व्यक्तिगत संपर्क और सहारे का एहसास होता है। दूसरी बात यह है कि हिंदू धर्म में अब भी निचली जातियों को धार्मिक संगठनों और मंदिरों आदि से दूर ही रखा जाता है, पारंपरिक धर्म में उनकी जगह हाशिये पर होती है, ऐसे में इस तरह के मठ और डेरे उनकी धार्मिक आस्था के आधार बन जाते हैं। इनसे बड़ी तादाद में लोग जुड़े होते हैं, इसलिए राजनीति और प्रशासन से भी ऐसे गुरुओं को संरक्षण मिल जाता है। भारत में ऐसे स्वायत्त धार्मिक समूह ज्यादा हैं, लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी ऐसे कई ‘कल्ट’ हुए हैं, जिनसे सुरक्षा बलों को बाकायदा वैसा ही जूझना पड़ा है, जैसे हरियाणा में हुआ। रामपाल का मामला नया-अनोखा नहीं है। बीते साल एक कथावाचक आसाराम की गिरफ्तारी के समय भी ऐसा ही दृश्य सामने आया था। रामपाल खुद को धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु घोषित करते हैं, परंतु उनका या उनके अनुयायियों का जिस प्रकार का आचरण अराजकता के रूप में सामने आया है वह किसी भी हालत में धर्मानुकूल नहीं कहा जा सकता। यह मानव समाज और संस्कृति की अजीबोगरीब गुत्थियों में से एक है, लेकिन यह कितनी खतरनाक हद तक जा सकता है, इसे रामपाल के उदाहरण से समझा जा सकता है। 

सभी हैरत में हैं कि गीता और कुरान जैसे पवित्र ग्रंथों को अपने नजरिए से लिखने का दावा करने वाला रामपाल का दोहरा रवैया कैसे हो गया? अब सवाल उठ रहा है कि सब दिखावा था या फिर कुछ और। भगवान श्रीकृष्ण यानि योगेश्वर ने अहिंसा का सबसे विश्वदाय गीता के ग्रंथ को रच दिया। आज भक्तों में यही योगेश्वर बांके बिहारी से लेकर रास रचैया कृष्ण कन्हैया घट-घट में व्याप्त हैं। इन्हीं की तर्ज पर रामपाल ने संत तक की उपाधि पाने के लिए अहिंसा बतौर जाने वाले ग्रंथों पर कलम चलाने का दावा किया। असल उद्देश्य तो संत की उपमा पाना बताया जाता है। लाखों श्रद्धालु जुड़े भी। देशभर में यूपी, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि तक अनुयायियों की भीड़ जुटी। नेपाल, भूटान आदि पड़ोसी देशों तक धमक पहुंची। अब तमाम सवाल हैं कि खुद को अहिंसा के पुजारी बतौर पेश करने वाले रामपाल के दामन दाग से भर गए। ऐसे में धार्मिक, आध्यात्मिक चेतना का संदेशा देने वाले व्यक्ति का दोहरा आचरण कैसे हो गया। अभी जांच बाकी है और तमाम रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। वेबसाइट के मुताबिक, कुरान शरीफ के अलावा कबीर को अल्लाह कबीर बताने की कोशिश की। खुद को  अवतार बताने के लिए हरि आए हरियाणा नूं से लेकर धरती पर अवतार, भक्तों की आत्म कथा तक का लंबा सिलसिला है। हां, गीता पर अपने तरीके से लिखने का दावा करते हुए गहरी नजर गीता तक में खुद को धार्मिक और आध्यात्मिक महापुरुष बतौर पेश किया है। कार्ल मार्क्‍स ने जब धर्म को अफीम की संज्ञा दी थी तो उसका साफ मतलब था कि धर्म कई बार आस्था के नाम पर भाव शून्यता और अंधभक्ति को बढ़ाता है। सच यह है कि धार्मिक नेता स्वयंभू बनकर लोगों की गहन आस्था और उनकी अंधभक्ति का लाभ उठाकर उनमें एक छद्म धार्मिक चेतना का संचार कर देते हैं। धर्म के नाम पर यह एक प्रकार का सम्मोहन है। इसके माध्यम से धर्म गुरु अपनी हर क्रिया को नैतिकता का लबादा ओढ़ाता है और भक्तों के सामने स्वयं की छवि को ईश्वर के नजदीक ले जाता है। 

स्वयंभू बाबाओं की यही वह स्थिति है जहां वे अपनी धार्मिक सत्ता को धनोन्मुख सत्ता में रूपांतरित करने में कामयाब हो जाते हैं। शायद इसी वजह से तमाम धार्मिक संस्थानों और धर्मगुरुओं के पास अकूत धन, संपत्ति, जमीन, निजी सेना व बाहुबल का विस्तार होता चला जाता है। इन सभी का इस्तेमाल ये लोग अपनी धार्मिक सत्ता को देश व विदेश में फैलाने में अधिक करते हैं। कड़वा सच यह है कि धर्म अब धीरे-धीरे नैतिकता के लिबास को छोड़ रहा है। सामुदायिक ढांचे के कमजोर होने से समाज में बढ़ती वैयक्तिक असुरक्षा और रातों-रात भौतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की लालसा लोगों को इन धर्मगुरुओं के नजदीक जाने को मजबूर कर रही है। केवल इतना ही नहीं, इस धर्म की सत्ता से अब राजनीति की वैतरणी पार करने के दावे भी सामने आने लगे हैं। ऐसे तमाम उदाहरण हैं जहां अनेक राजनेता इन धर्मगुरुओं के समक्ष दंडवत करते नजर आते हैं। इसी से जुड़ा यहां यक्ष प्रश्न यह भी है कि आखिर बाबा रामपाल और उनके समर्थकों ने कानून के सारे नियम व कायदों को ताक पर रखकर हिंसा के सहारे न्यायपालिका की अवमानना करने की हिम्मत कैसे और क्यों दिखाई। वह इसलिए, क्योंकि वे अपने राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख और उनकी गहराई व कमजोरियों को बखूबी जानते हैं। अब समय आ गया है कि देश की तमाम ऐसी धार्मिक संस्थाओं व ऐसे धर्म गुरुओं की धर्म और अंधविश्वास के नाम पर जुटाई धन-संपत्ति की जांच करते हुए उसे कानून के दायरे में लाया जाए। आज ये संस्थान काले धन को श्वेत करने के भी माध्यम बन गए हैं। आश्रमों अथवा डेरों का धर्म, नैतिकता और अध्यात्म से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी समाज में इनकी पैठ लगातार बढ़ रही है। कानून के दबाव में रामपाल और उनके समर्थकों की घेराबंदी तो हो चुकी है, परंतु भविष्य में जनता ऐसे बाबाओं के चंगुल में न फंसे, इसके लिए समाज को भी आस्था और अंधविश्वास में फर्क करना आना चाहिए। ऐसे बाबाओं से देश के संविधान को भविष्य में चुनौती न मिले, इसके लिए भी राजनेताओं को समय रहते आत्ममूल्यांकन करने की आवश्यकता है। 

बच्चे पैदा कराने से लेकर स्वर्ग तक का मार्ग 
रामपाल कई लाइलाज बीमारियों का निदान महज आशीर्वाद से करने का दावा करता है। इसके लिए साधक को स्पेशल पाठ कराना पड़ता है। इस पाठ पर 10 हजार रुपए खर्च आता है। कैंसर से पीडि़त कई लोग भी आश्रम आते हैं। यहां आश्रम के प्रबंधक पहले उन्हें गुरु दीक्षा लेने और फिर आशीर्वाद मिलने की बात करते हैं। ऐसा प्रचार किया जाता है कि रामपाल का सत्संग सुनने से भूत-प्रेत का साया चला जाता है। आश्रम की किताब में चरखी दादरी की एक महिला के हवाले से बताया गया है कि एक हादसे के बाद उसके पति की कमर के चारों तरफ खून टपकता था। गुरुजी की दीक्षा लेने से पति सही हो गए। रामपाल के आश्रम में कई ऐसे लोग भी आते हैं, जो मृत्यु शैया पर होते हैं। प्रबंधन कमेटी कई ऐसे किस्से सुनाती है, जिसमें बाबा के दर्शन मात्र से मृत प्राय व्यक्ति भी जिंदा हो उठा। अम्बाला के रामस्वरूप का उदाहरण भी ऐसे शख्स के रूप में दिया जाता है, जिसे बाबा ने नया जीवन दे दिया। रामपाल अपने साधकों को दीक्षा देकर सतलोक यानी स्वर्ग की प्राप्ति का दावा करता है। पहले दीक्षा दिलाता है, फिर चार महीने लगातार सत्संग में आने में सत्यनाम देते हैं। अंत में सारनाम मिलता है, जो बहुत कम साधकों को मिलता है। आश्रम में उनकी गिरफ्तारी से पहले मोर्चाबंदी करने वाले तमाम साधकों को रामपाल ने सारनाम देने का ऐलान कराया था। समर्थकों को आध्यात्म की घुट्टी पिलाकर रामपाल ने खुद भौतिकता का दामन थाम रखा था। हिसार के बरवाला में लगभग 12 एकड़ में फैले रामपाल के सतलोक आश्रम में उसने ऐशोआराम की तमाम सुविधाएं जुटा रखी थीं। अब तक लोगों की नजरों से दूर रहे आश्रम का तिलिस्म आखिरकार सार्वजनिक हो ही गया। रामपाल की विलासितापूर्ण जिंदगी की तस्वीरें उजागर हो गई। आश्रम में पांच एकड़ में तो तहखाना ही है, जिसमें अभी घुसा नहीं जा सका है। पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यहां 800 सीसीटीवी कैमरे लगाए हुए थे। भवन में जगह-जगह लिफ्ट लगी हुई हैं। आश्रम में बड़ा आलीशान स्वीमिंग पूल बना है। साथ में बड़ा लग्जरी सुविधाओं वाला बाथरूम भी है। इसमें विदेशी फिटिंग लगी है। आश्रम से बाहर आने पर महिलाओं ने भी चैंकाने वाले अनेक खुलासे किए। उनके अनुसार रामपाल के निजी कमांडो उन्हें बंधक बनाकर दुष्कर्म तक करते थे और ऐसी जगह रखते थे कि किसी तक उनकी आवाज नहीं पहुंच सकती थी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उनसे दुष्कर्म किया जा रहा था। राजस्थान के बीकानेर के चिरंजी, बिरमो, जयपुर की रोशनी व उदयपुर की राजबाला ने बताया कि हमें प्रसाद दिया था। उसे खाने के थोड़ी ही देर बाद नशा हो गया था। इसके बाद हमें कुछ नहीं मालूम कि हमारे साथ क्या किया जा रहा है। प्रसाद ऐसा होता है कि उससे दिमागी संतुलन ही बिगड़ जाता है। 

कुछ इस तरह का है रामपाल का इतिहास 
वह पहली बार 2006 में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पर विवादास्पद टिप्पणी कर चर्चा में आए थे। रामपाल का सबसे बड़ा हिंसक संघर्ष 2006 में आर्य समाज के अनुयायियों के साथ हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसी हिंसक संघर्ष से जुड़े मुकदमे रामपाल पर चल रहे हैं, वे कुछ वक्त जेल में भी रहे, फिर उन्हें जमानत मिल गई। लेकिन अदालत में पेशियों पर गैर-हाजिरी की वजह से उनकी जमानत रद्द कर दी गई। अगर वह सभी समुदायों से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखते, तो अनेक ऐसे धमगुरुओं की तरह उनका भी कामकाज चलता रहता। रामपाल का जनाधार वैसे भी ऊंची और ताकतवर जातियों के मुकाबले दलित और अति पिछड़ी जातियों में ज्यादा था, लेकिन उन्हें अपनी शक्ति और महानता पर जरूरत से ज्यादा विश्वास हो गया था, जिसका फल पिछले दिनों के हिंसक टकराव में देखने को मिला है। रामपाल इंजीनियर से कथित संत बने। उन्होंने कबीर पंथ को अपनाकर 1999 में करौंथा में सतलोक आश्रम की स्थापना की। आज यह आश्रम 16 एकड़ की भूमि में फैला है। आश्रम किसी किले से कम नहीं है। तीन पर्तो में बनी दीवारों को आसानी से पार नहीं किया जा सकता। इसमें एक लाख भक्तों के बैठने और 50 हजार से अधिक के रहने व खाने की पूरी व्यवस्था है। उन्होंने कई और आश्रम स्थापित किए, जिनमें बरवाला का आश्रम भी शामिल है। बाबा के पास इस समय सत्तर से अधिक महंगी गाडि़यां हैं। दिल्ली, राजस्थान व मध्य प्रदेश में भी रामपाल की करोड़ों की संपत्ति है। कुल मिलाकर पिछले एक दशक में बाबा ने सौ करोड़ से भी अधिक का अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया। जहां तक स्वयंभू संत बाबा रामपाल का सवाल है तो वह अचानक ही सुर्खियों में नहीं आए। गाड़ी के बीच में पर्दा इस तरह से लगाया गया था कि ड्राइवर भी रामपाल को नहीं देख सकता था। गाड़ी के सारे शीशे बुलेट प्रूफ होने के अलावा अंदर की साइड एक प्लेट लगी हुई है। जिससे रामपाल भी शीशे से नहीं देखे जा सकते थे। सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल की खीर खासी चर्चा में रही है। कहते हैं कि एक बार यदि कोई बाबा की खीर खा ले तो वह उसका मुरीद बन जाता है। कबीरपंथी होने का दावा करने वाले रामपाल के आशीर्वाद से निःसंतान को संतान प्राप्ति और हर बीमारी के इलाज का दावा भी किया जाता है। ऐसे किस्से सतलोक आश्रम की किताबों में भी बताए गए हैं। ज्ञान और गंगा किताब में कई किस्सों का उल्लेख है। संत रामपाल की खीर को लेकर कई कहावतें प्रचलित हैं। सतलोक आश्रम में हर महीने की अमावस्या पर तीन दिन तक सत्संग होता है। तीनों दिन साधकों को खीर जरूर मिलती है। दूसरे व्यंजन भी परोसे जाते हैं। साधकों का मानना है कि बाबा की खीर की मिठास से जीवन में भी मिठास आती है। कुछ अनुयायियों ने बताया कि रामपाल को दूध से नहलाया जाता था और फिर उस दूध की खीर बनाकर प्रसाद के रूप में लोगों में बांटी जाती थी। कहा जाता कि इस प्रसाद से सभी तरह के दुख दूर हो जाएंगे। बाबा रामपाल ने अपने बरवाला (हिसार, हरियाणा) स्थित सतलोक आश्रम में गलत काम होने की बात कबूल कर ली है। हालांकि, उसने सारे अनैतिक कार्यों का ठीकरा अपने कर्मचारियों पर फोड़ते हुए खुद को पाक साफ बताया है। कहा, आश्रम में गलत काम होए, पर मन्नै नहीं करे। किसने किए ये गलत काम, इस सवाल के जवाब में रामपाल ने सेवादार और समिति वालों को जिम्मेदार ठहराया। आश्रम में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे होने पर रामपाल ने कहा कि यह अनुयायियों के सामान की सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं। हालांकि, उसने इस बात से इनकार किया कि महिलाओं के टॉयलेट में भी सीसीटीवी लगे हैं। आश्रम में हथियारों व कमांडोज की मौजूदगी, अलमारियों के पासवर्ड्स, कैमरों की हार्ड डिस्क के लापता होने, स्वमिंग पूल और अन्य लक्जरी की मौजूदगी से जुड़े सवालों पर रामपाल चुप्पी साध गया। आश्रम से पुलिस ने रामपाल की बुलेट प्रूफ गाड़ी और लग्जरी बस समेत 88 वाहन बरामद किए। एक जिप्सी, दो ट्रैक्टर ट्राली और तेल का एक टैंकर मिला। टैंकर में 1200 लीटर केरोसीन है। करीब साढ़े तीन लाख रुपए की नकदी भी मिली है। कमांडोज की 400 पोशाक, 8 हार्ड डिस्क, 250 डंडे भी मिले हैं। यहीं से वह शक के घेरे में आ जाते है।

हमेशा विवादों के घेरे में रहे रामपाल 
रामपाल नौकरी के दौरान से ही विवाद के चलते 1995 में सिंचाई विभाग में जेई पद से इस्तीफा दिया। हालांकि यह वर्ष 2000 में मंजूर हुआ। इसको लेकर भी विवाद है कि उन्होंने मर्जी से इस्तीफा दिया या बर्खास्त किया गया। इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही रामपाल ने अध्यात्म के क्षेत्र में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। सबसे पहले अपने घर से ही सत्संग करना शुरू किया। बाहर से तो कुछ लोग आते लेकिन  गांव वालों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। गांव में बात नहीं बनी तो 1996-97 में जींद की राम कॉलोनी (इंप्लाइज कॉलोनी) में सत्संग शुरू किया। 500 गज में आश्रम और ‘तपस्या’ के लिए गुफा बनाई। सुबह-शाम तपस्या होती। बताते हैं कि रामपाल के अनुयायियों ने उसे कबीर का अवतार प्रचारित करना शुरू किया। मासिक सत्संग में भीड़ जुटने लगी तो विरोध भी खड़ा होने लगा। पांच साल यहां ठिकाना बना रहा। इसी बीच रामपाल ने करौंथा में चार एकड़ में आश्रम बनाना शुरू किया। बाद में जींद से उनका ठिकाना शिफ्ट हो गया। जिस भवन में आश्रम था, अब उसमें रामपाल का अनुयायी प्रकाश परिवार के साथ रहता है। कॉलोनी के लोग कहते हैं कि करौंथा में आश्रम बनने के बाद रामपाल जींद में नहीं लौटा। वर्ष 2003 में रामपाल ने यमुनानगर के दशहरा ग्राउंड में समागम के लिए टैंट लगवाया। समागम 9 दिन चलना था लेकिन दो दिन बाद ही रामपाल की पुस्तक में आर्य समाज व सिख धर्म के लिए बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी का विवाद खड़ा हो गया। सिख व आर्य समाज के लोगों ने रामपाल का विरोध किया। सरदार अजिंदरपाल सिंह के अनुसार, सिख समुदाय की मांग थी कि रामपाल का कार्यक्रम बंद किया जाए। आमने-सामने की नौबत आ गई। तत्कालीन एसपी राजेंद्र सिंह हरकत में आए और रामपाल को रात के समय कार्यक्रम बंद कर तंबू उखाड़कर जाना पड़ा। उसके बाद रामपाल ने यहां पर कोई कार्यक्रम नहीं करवाया। चर्चा है कि रामपाल यमुनानगर में भी आश्रम बनवाना चाहता था। 2003 में रामपाल ने करौंथा आश्रम में डेरा डाला। 2006 में स्वामी दयानंद की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पर टिप्पणी के बाद आर्य समाजियों ने ग्रामीणों की मदद से आश्रम घेर लिया। 13 जुलाई 2006 की रात पुलिस ने रामपाल को अर्धसैनिक बलों की मदद से चार घंटे चले ऑपरेशन के बाद बाहर निकाला। हत्या के आरोप में रामपाल व उसके 37 अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया। उसके बाद के सात साल इस आश्रम पर कब्जे को लेकर विवाद चलता रहा। फरवरी 2013 में सुप्रीम कोर्ट से आश्रम वापस मिलने के बाद हजारों समर्थक आश्रम में आ गए। जुलाई 2013 में आर्य समाजियों के आह्वान पर आश्रम को घेरने के लिए हजारों लोग करौंथा पहुंचे। हिंसा में तीन लोग मारे गए। करौंथा के अलावा रामपाल ने बरवाला में सतलोक आश्रम बनाया। आर्य समाजियों से विवाद के बाद करौंथा आश्रम हाथ से फिसला तो जुलाई 2013 में रामपाल ने बरवाला में डेरा डाल लिया। खेतों के बीच बनाए इस आश्रम में किलेबंदी पर खास ध्यान दिया गया। दीवारें भी ऐसी बनाई कि लांघना मुश्किल हो। इतनी किलेबंदी के बावजूद विवादों का साया आश्रम तक पहुंच गया। 




(सुरेश गांधी)
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