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भारतीय मोमिन फ्रंट ने काला दिवस के रूप में मनाया

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पटना। भारतीय मोमिन फ्रंट के तत्वावधान में बाबरी मस्जिद का 22 वां शहादत दिवस को काला दिवस के रूप में मनाया। कारगिल चैक के पास आयोजित आमसभा की अध्यक्षता भारतीय मोमिन फ्रंट के महासचिव राम प्रसाद चन्द्रवंशी और संचालन हररिचरण प्रसाद यादव ने किया। काला दिवस के माध्यम से बाबरी मस्जिद का पुनःनिर्माण उसी स्थान पर हो और मस्जिद शहीद करने वाले दंगाइयों को सजा दिया जाए। 

धरना में सेराज अहमद उर्फ पप्पू खां, डा. महबूब आलम अंसारी, अजय कुमार, जावेद अख्तर, मो.फखरूद्दीन, अर्जुन साव,डा.एम.ए.नवाब,मो.कमरूद्दीन,मो.मूसा,अर्जुन पासवान, बाल्मिकी यादव, मो.हारून रसीद, पप्पू कुमार यादव,जितेन्द्र सिंह, एडवर्ड ओस्ता, कल्लू सिंह, मो.ईशाद,मो.खालिद आदि उपस्थित थे।



आलोक कुमार
बिहार    


विशेष आलेख : अबूझ है संवेदना का समाजशास्त्र....!!

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कुछ साल पहले मेरी नजर में एक एेसे गरीब युवा का मामला आया, जो आइआइटी में दाखिला लेने जा रहाथा और  उसे मदद की आवश्यकता थी। मेने अपना कर्तव्य समझ कर उसकी समस्या को  प्रचार की रोशनी में लाने की सामर्थ्य भर कोशिश कर दी। क्या आश्चर्य कि दूसरे दिन उस छात्र के समक्ष सहायता का पहाड़ खड़ा हो गया। स्थानीय स्तर पर हर तबके के लोगों ने उसकी ओर सहायता का हाथ तो बढ़ाया ही, दूरदराज के लोगों ने भी फोन करके उसकी हर संभव सहायता की  कोशिश की। इस घटना के बाद एेसे कई लोग सामने आए, जो विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष कर रहे थे। उनका दर्द था कि यदि उनकी कुछ मदद हो जाए, तो अपने क्षेत्र में वे भी  कमाल दिखा सकते हैं। इनमें एक पिछड़े गांव के गरीब युवक का जीवट संघर्ष   मेरे दिल को छू गया, जो गजब का तैराक था। उसकी इच्छा विदेश में आयोजित अंतर राष्ट्रीय स्तर की किसी  तैराकी  प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की थी। लेकिन पैसों की समस्या के चलते उसके लिए यह संभव नहीं हो पा रहा था। 

मैने उसकी समस्या को भी  प्रचार माध्यम के जरिए समाज के सामने रखा । लेकिन मुझे यह जानकर गहरा धक्का लगा कि एक भी व्यक्ति ने उसकी ओर मदद का हाथ नहीं बढ़ाय़ा। यहां तक कि किसी ने उसकी मुश्किलों का जानने - समझने तक में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस घटना से मैं सोच में पड़ गया कि आखिर क्या वजह रही कि समान परिस्थितियों वाले लोगों के मामले में एक को अपेक्षा से काफी अधिक  मदद  मिल गई, जबकि उससे भी योग्य व जरूरतमंद होते हुए भी दूसरे इससे सर्वथा  वंचित रहे। दरअसल भीड़तंंत्र में   संवेदना का समाजशास्त्र कुछ एेसा ही अबूझ है। रोहतक की बहनों का  मामला भी एेसा ही है। वीडियों  क्लिप के जरिए उनकी  कथित बहादुरी का किस्सा सामने आते ही हर तरफ उनका  महिमामंडन शुरू हो गया।  चैनलों पर चारों पहर खबरें चलती रही। सरकार औऱ राजनेताओं की ओर से अभिनंदन - सम्मान के साथ पुरस्कार की घोषणा बराबर की जाती रही। तब किसी को मामले की तह तक जाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। लेकिन स्वाभाविक रूप से दूसरा पक्ष सामने आते ही बहादुरी पर सवाल भी खड़ा हो गया। दरअसल  समाज की यह विडंबना शुरू से   एेसी ही है। 

अपराध जगत के मामले में यङ विडंंबना कुछ ज्यादा ही गहराई से महसूस की जाती है। अक्सर किसी अपराधी के मुठभेड़ में मारे जाने पर पहले तो उन्हें मारने वालों पुलिस जवानों  का जम कर महिमांमंडन होता है, फिर इस पर सवाल भी खड़े किए जाते हैं। किसी जमाने के एेसे कई  कथित जाबांज पुलिस अधिकारी इनकाउंटर स्पेशलिस्ट आज गुमनामी का जीवन जी रहे हैं। कुछ तो नौकरीसे निकाले भी जा चुके हैं या जेल की सजा भुगत रहे हैं। जबकि घटना का दोनों संभावित पहलू किसी त्रासदी से कम नहीं है। अब रोहतक प्रकरण का ही उदाहरण लें। कथित बहादुर बहनों के मामले में सच्चाई से अवगत होने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की जरूरत पहले ही थी। लेकिन आज के जमाने में हर बात के लिए हड़बड़ाहट है। किसी को नायक साबित करना हो या खलनायक। अक्सर देखा जाता है कि किसी पर कोई आरोप लगते ही बगैर सोचे - समझे  उसे अपराधी साबित करने की कोशिश हर तरफ से होने लगती है। 

विपरीत  परिस्थितयों में किसी का अनावश्यक महिमामंडन करने में भी एेसी ही आतुरता नजर आती है।  एक य़ा कुछेक लोगों   के डराए जाने पर बड़ी संख्या में लोग भयाक्रांत हो जाते हैं तो वहीं किसी के पीटे जाने पर हर कोई उसकी पिटाई में भी जुट जाता है।  अब जरूरतमंद य़ुवकों की मदद के मामले में भी एेसा ही हुआ। एक भाग्यशाली युवक के मामले में देखा गया कि मामला चूंकि हाईप्रोफाइल अाइअाइटी संस्थान से जुड़ा है तो स्वाभाविक ही छात्र की मदद की पहल हुई, औऱ जैसे ही दूसरों ने देखा कि मदद हो रही है तो सभी उसकी सहायता को पिल पड़े। जबकि दूसरों के मामले में कोई पहल नहीं हुई तो लोगों ने उनका नोटिस लेना भी जरूरी नहीं समझा। क्या यह मानवीय  संवेदना का अबूझ समाज शास्त्र है। जैसे प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन पर पहल होते ही हर तरफ लोग झा निकल पड़े। कल तक यही भीड़ अन्ना टोपी लगाए घूम रही थी या अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की मुरीद थी। लेकिन आज किसी को यह जानने की भी फुर्सत नहीं कि अब  अन्ना कहां औऱ किस हाल में है। 





तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934 
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।

महाविनाश से महानिर्माण की ओर प्रस्थान : आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि-

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समय-समय पर रह-रहकर सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवादी घटनाएँ ऐसा वीभत्स एवं तांडव नृत्य करती रही हैं, जिससे संपूर्ण मानवता प्रकंपित हो जाती है। इनदिनों काश्मीर के चुनावों में वहां की जनता की सक्रिय भागीदारी से बौखलाए आतंकवादी अपनी गतिविधियों में तेजी लाते हुए देश में हिंसा का माहौल निर्मित कर रहे हंै, कुछ दिनों पहले पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाके में और उससे पूर्व उत्तर प्रदेश के मुजफरनगर में सांप्रदायिक विद्वेष, नफरत एवं घृणा का माहौल बनाया। अहिंसा की एक बड़ी प्रयोग भूमि भारत में आज साम्प्रदायिक-आतंकवाद की यह आग-खून, आगजनी एवं लाशों की ऐसी कहानी गढ़ रही है, जिससे घना अंधकार छा रहा है। चहूँ ओर भय, अस्थिरता एवं अराजकता का माहौल बना हुआ है। भगवान महावीर हो या गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद हो या महात्मा गांधी- समय-समय पर ऐसे अनेक महापुरुषों ने अपने क्रांत चिंतन के द्वारा समाज का समुचित पथदर्शन किया। 

आज देश में गहरे हुए घावों को सहलाने के लिए, निस्तेज हुई मानवता को पुनर्जीवित करने एवं इंसानियत की ब्यार को प्रवहमान करने के लिए अहिंसक समाज रचना की अपेक्षा है जो मनुष्य जीवन के बेमानी होते अर्थों में नए जीवन का संचार कर सकें। अहिंसा विश्व भारती इसी उद्देश्य को साकार करने के लिये कृतसंकल्प है। अहिंसा विश्व भारती का मुख्य उद्देश्य है साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सद्भावना। किसी भी राष्ट्र, समाज और परिवार की उन्नति और शांति के लिए पारस्परिक सद्भाव अपेक्षित होता है। सद्भाव के अभाव में अहिंसा जीवन व्यवहार में प्रतिष्ठित नहीं हो सकती। पारस्परिक टकराव आपसी दूरियां ही नहीं बढ़ाता, अपितु वह कितनों-कितनों के लिए घातक बन जाता है। जाति, भाषा, वर्ण व क्षेत्र का दुराग्रह, साम्प्रदायिक उन्माद, तुच्छ स्वार्थवृत्ति और विकृत मानसिकता पारस्परिक असद्भाव के कारण बनते हैं। 

अहिंसा विश्व भारती नैतिकता की स्थापना के लिये भी प्रयत्नशील है। बेईमानी सामाजिक स्वस्थता का बाधक तत्व है। जब तक परस्पर धोखाधड़ी का क्रम जारी रहेगा, व्यक्ति ऐसे माहौल में सुख और शांति की श्वास नहीं ले सकता। आज के युग में अनैतिकता एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर रही है। चोरी न करना, बेमेल मिलावट न करना, अपने लाभ के लिए दूसरों को हानि न पहुंचाना, रिश्वत न लेना, चुनाव और परीक्षा के संदर्भ में अवैध उपायों का सहारा न लेना आदि ऐसे संकल्प हो सकते हैं, जो अहिंसक, तनावमुक्त एवं स्वस्थ समाज के लिए आधारस्तंभ बन सकते हंै। आपके व्यावसायिक प्रतिष्ठान अथवा कार्यक्षेत्र में अन्य देवी-देवताओं के चित्र हों अथवा नहीं, किन्तु ईमानदारी की देवी अवश्य प्रतिष्ठित होनी चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री का संकल्प की- ना मैं खाऊंगा और न खाने दूंगा- अवश्य ही भ्रष्टाचारमुक्त समाज के संकल्प को पूरा करेगा। आज देश में ऐसे नेतृत्व की भी जरूरत है जो आपसी मतभेदों से देशहित को ऊपर मानते हैं, जिनकी निगाहें बिते हुए कल पर नहीं, बल्कि आने वाले कल पर हों। यह मौका तोड़ने का नहीं जोड़ने का है, टूटने का नहीं जुड़ने का है और इसका मतलब अपने अहं के अंधेरों से उभरने का है।

अहिंसा विश्व भारती एक सशक्त माध्यम है, जिससे पुनः अमन एवं शांति कायम हो सकती है। इतिहास साक्षी है कि समाज की धरती पर जितने घृणा के बीज बोए गए, उतने प्रेम के बीज नहीं बोए गए। इसके माध्यम से हम मनुष्य मनुष्य के बीच इतना सशक्त वातावरण बनाएँ कि उसमें भ्रष्टाचार, नशाखोरी, घृणा, नफरत एवं सांप्रदायिक विद्वेष को पनपने का मौका ही न मिले। मेरा मानना है कि अहिंसा को एक शक्तिशाली अस्त्र के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। यह अस्त्र संहारक नहीं होगा, मानवजाति के लिए बहुत कल्याणकारी होगा। मेरा विश्वास है कि अहिंसा में इतनी शक्ति है कि सांप्रदायिक हिंसा में जकड़े हिंसक लोग भी अहिंसक आभा के पास पहुँच जाएँ तो उनका हृदय परिवर्तन निश्चित रूप से हो जाएगा, पर इस शक्ति का प्रयोग करने हेतु बलिदान की भावना एवं अभय की साधना जरूरी है। अहिंसा में सांप्रदायिकता नहीं, ईष्र्या नहीं, द्वेष नहीं, बल्कि एक सार्वभौमिक व्यापकता है, जो संकुचितता और संकीर्णता को दूर कर एक विशाल सार्वजनिन भावना को लिए हुए है।

विश्व के समस्त धर्मों, धर्माचार्यों, धर्मग्रन्थों, महापुरुषों और विचारकों ने अहिंसा को सबके लिए कल्याणकारी माना है। मानवीय-मूल्यों में अहिंसा सर्वोपरि है। अहिंसा की स्थापना के लिए जरूरी है कि अनेकता के ऊपर एकता की प्रतिष्ठा हो। तभी हम धर्म और राष्ट्र की सार्वभौमिकता को बचा सकेंगे। धर्म के बचने पर ही राष्ट्र बचेगा, राष्ट्र के बचने पर ही समाज बचेगा और समाज के बचने पर ही व्यक्ति बचेगा। अहिंसा सर्वोत्तम मानवीय मूल्य तो है ही, यह समस्त मानवीय मूल्यों का मूलाधार भी है। अहिंसा के होने से अन्यान्य मूल्य भी मूल्यवान बने रहते हैं। अहिंसा के नहीं होने से दूसरे सारे मूल्य भी मूल्यहीन होते चले जाते हैं। आज संसार में यही हो रहा है। अहिंसा की उपेक्षा से सारे-के-सारे मूल्य अपने अर्थ खोते चले जा रहे हैं। मानवाधिकारों की बातें भी स्थायी सुपरिणामदायी नहीं सिद्ध हो रही हैं। मानवता, मानवीयता और इनसे जुड़े मूल्यों की गरिमा में गिरावट समय की विकट और बड़ी त्रासदी है।

अहिंसा एक शाश्वत तत्व है। हिंसा विनाश है और अहिंसा विकास है। हिंसा मृत्यु है, अहिंसा जीवन है; हिंसा नरक है, अहिंसा स्वर्ग है। यदि हमें प्रगति एवं विकास के नये शिखर छूने हैं, जीवन की अनंत संभावनाओं को जिंदा रखना है, धरती पर स्वर्ग उतारना है तो अहिंसा धर्म को सर्वोपरि प्रतिष्ठा देनी ही होगी।  भगवान महावीर कितना सरल किन्तु सटीक कहा हैैं- सुख सबको प्रिय है, दुःख अप्रिय। सभी जीना चाहते हैं, मरना कोई नहीं चाहता। हम जैसा व्यवहार स्वयं के प्रति चाहते हैं, वैसा ही व्यवहार दूसरों के प्रति भी करें। यही मानवता है और मानवता का आधार भी। मानवता बचाने में है, मारने में नहीं। किसी भी मानव, पशु-पक्षी या प्राणी को मारना, काटना या प्रताडि़त करना स्पष्टतः अमानवीय है, क्रूरतापूर्ण है। हिंसा-हत्या और खून-खच्चर का मानवीय मूल्यों से कभी कोई सरोकार नहीं हो सकता। मूल्यों का सम्बन्ध तो ‘जियो और जीने दो’ जैसे सरल श्रेष्ठ उद्घोष से है।

सह-अस्तित्व के लिए अहिंसा अनिवार्य है। दूसरों का अस्तित्व मिटाकर अपना अस्तित्व बचाए रखने की कोशिशें व्यर्थ और अन्ततः घातक होती हैं। आचार्य श्री उमास्वाति की प्रसिद्ध सूक्ति हैैं- ‘परस्परोपग्रहो जीवानाम्’ अर्थात् सभी एक दूसरे के सहयोगी होते हैं। पारस्परिक उपकार-अनुग्रह से ही जीवन गतिमान रहता है। समाज और सामाजिकता का विकास भी अहिंसा की इसी अवधारणा पर हुआ। अहिंसा व्यक्ति में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की विराट भावना का संचार करती है। मनुष्य जाति युद्ध, हिंसा और हत्या के भयंकर दुष्परिणाम भोग चुकी है, भोग रही है और किसी भी तरह के खतरे का भय हमेशा बना हुआ है। मनुष्य, मनुष्यता और दुनिया को बचाने के लिए अहिंसा से बढ़कर कोई उपाय- आश्रय नहीं हो सकता।  यह स्पष्ट है कि हिंसा मनुष्यता के भव्य प्रासाद को नींव  से हिला देती है। मनुष्य जब दूसरे को मारता है तो स्वयं को ही मारता है, स्वयं की श्रेष्ठताओं को समाप्त करता है। इस बात को भगवान महावीर ने ‘आचारांग-सूत्र’ में बहुत मार्मिक और सूक्ष्म ढंग से बताया हैै- ‘‘जिसे तू मारना चाहता है, वह तू ही है। जिसे तू परिताप देना चाहता है, वह तू ही है। जिसे तू शासित करना चाहता है, वह तू ही है।’’ यह अद्वैत भावना ही अहिंसा का मूलाधार है। एक हिंसा, हिंसा के अन्तहीन दुश्चक्र को गतिमान करती है। अहिंसा सबको अभय प्रदान करती है। वह सर्जनात्मक और समृद्धिदायिनी है। मानवता का जन्म अहिंसा के गर्भ से हुआ। सारे मानवीय-मूल्य अहिंसा की आबोहवा में पल्लवित, विकसित होते हैं एवं जिन्दा रहते हैं। वस्तुतः अहिंसा मनुष्यता की प्राण-वायु (आॅक्सीजन) है। प्रकृति, पर्यावरण, पृथ्वी, पानी और प्राणीमात्र की रक्षा करने वाली अहिंसा ही है। हम अहिंसा का मार्ग नहीं अपनाते हैं तब प्रकृति अपना काम करती है। इसलिए महाविनाश या महानिर्माण के लिए जिम्मेदार हम हैं, दूसरा कोई नहीं। प्रकृति भी नहीं। 

विशेष आलेख : एंगिल और मीडिया

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भिंड में दद्दा मलखान सिंह फिल्म की इन दिनों चल रही शूटिंग कई पुरानी स्मृतियों को कुरेद गई। मलखान सिंह के समर्पण के समय पत्रकारिता मुनाफा कमाने के धंधे में तब्दील नहीं हो पाई थी। व्यवसायीकरण की चपेट में आने के बाद समाज में वैचारिक चेतना के विकास की जरूरत पूरी करने के लिए अवतरित की गई यह विधा किस तरह से सच के लिए संघर्ष के दावे के तले फरेब और झूठ का व्यापार बन गई। उन दिनों इसकी पहली झलक मुझे देखने को तो मिली लेकिन यह बात उस दौर में इतनी अनजानी थी कि उस समय लोग बहुत गंभीरता से इसे संज्ञान में नहीं ले सके थे।

मलखान सिंह के समर्पण के बाद मध्य प्रदेश में फूलन देवी के समर्पण का तानाबाना बुना गया जिसके औचित्य पर तमाम सवालिया निशान थे। दरअसल मध्य प्रदेश में फूलन देवी के खिलाफ उस समय तक कोई अपराध दर्ज नहीं था फिर भी मध्य प्रदेश की सरकार और पुलिस महिमा मंडन की कीमत पर उनके समर्पण को आयोजित करने के लिए क्यों उत्सुक है यह एक ऐसी पहेली थी जो कई तरह की चिंताओं और खतरों की ओर आगाह करने का कारण साबित हो रही थी। उत्तर प्रदेश की सरकार और पुलिस जिसके लिए बेहमई कांड के बाद फूलन देवी सबसे गंभीर चुनौती बन गई थीं उसे इस मामले में मध्य प्रदेश की बेतुकी सक्रियता पर इस हद तक एतराज था कि जालौन पुलिस ने फूलन देवी के परिवार से संपर्क करने आए भिंड के कोतवाल मंगल सिंह चौहान और उनके हमराह सिपाहियों को पकड़कर सीखचों के अंदर डाल दिया।

बाद में उन दिनों यह खबर आई कि फ्रांस की एक टेलीविजन कंपनी ने जीवित किवदंति बन चुकी फूलन देवी की लाइव शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश के पुलिस अधिकारियों से बीस लाख रुपए एडवांस देकर करार किया है। हालांकि हम लोगों की वजह से मध्य प्रदेश पुलिस को अपने इस प्रयास में तब तेज झटका लगा जब दस हजार रुपए के इनामी डकैत मुस्लिम को भिंड जिले के ऊमरी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष ने एनकाउंटर की नौबत आने पर गोली मार दी। इसके बाद मध्य प्रदेश में भोपाल तक हड़कंप मच गया। इस गुडवर्क के लिए न केवल थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर होना पड़ा बल्कि पीछे से उन्हें निर्देशित कर रहे चंबल रेंज के डीआईजी एमडी शर्मा को भी हटाकर लूप लाइन में डाल दिया गया। इसी के साथ भिंड के सारे पुलिस अधिकारी ग्वालियर मेडिकल कालेज अस्पताल में मुस्लिम को मौत के मुंह से बचाने में जुट गए और आखिर में वे कामयाब भी हुए।

इस मुठभेड़ का असर यह हुआ कि फूलन देवी मध्य प्रदेश की पुलिस से बुरी तरह भड़क गई। उन्होंने कहा कि सारे खाकी वाले दगाबाज हैं और अब वे समर्पण बिल्कुल नहीं करेंगी। वे उनके निरापद रहने के लिए भिंड में पुलिस द्वारा घोषित किए गए पीस जोन से निकलकर फिर जालौन जिले के अपने अभयारण्य में वापस जाने की पूरी तैयारी कर चुकी थी। इस बीच उनके समर्पण को कैश करा रहे पुलिस अधिकारी उनके पास पहुंच गए। जब वे मिन्नतें करने से नहीं मानी तो पुलिस अधिकारी ने उन्हें अपना इकलौता पुत्र सौंप दिया और कहा कि आगे अगर आपको लगे कि आपके साथ कोई धोखा हो रहा है तो इस लड़के को मार देना।

आखिर फूलन देवी सध गईं। फिर भी समर्पण की योजना के अंजाम तक पहुंचने में कुछ महीने और लग गए। इस दौरान बीहड़ में उनके जीवंत विचरण को फिल्माया जाता रहा। इसके बदले में उन्हें भी मोटी रकम दी गई। पहली बार बिना पढ़ीलिखी फूलन ने तब जाना कि उनके फोटो खिंचने का पेमेंट मिलता है। फूलन देवी ने इसी कारण समर्पण के एक दिन पहले लहार के पास ईंगुई के डाक बंगले में दिल्ली के एक पत्रकार को बिना रुपया दिए उनका फोटो करने की वजह से थप्पड़ जड़ दिया था जिससे एसएएफ और उनके गिरोह में गोली चलने की नौबत आ गई थी। यह एक अलग प्रसंग है। फूलन देवी समर्पण के बाद भी पश्चिमी मीडिया के लिए वित्तीय लाभ के तौर पर उपयोगी बनी रहीं। भारत में सभ्यता का विकास पांच हजार वर्ष पहले हो गया था। यूरोप तो सोलहवीं शताब्दी तक सभ्यता के विकास की दृष्टि से दीनहीन अवस्था में ही था लेकिन जब भारत को पश्चिमी शक्तियों ने अपना उपनिवेश बना लिया तो उसका गौरव जाता रहा। स्वाधीन होने के बाद भी पश्चिमी जगत की भारत को हिकारत की निगाह से देखने की भावना खत्म नहीं हुई। उन्होंने बराबर यह कोशिश की कि भारतीय अपने पुराने गौरव को भूल जाएं और गुलामी के बाद उनमें जो हीनभावना पनपी है वह बरकरार रहे इसलिए भारत को पिछड़ा और असभ्य देश साबित करने वाली किताबें और फिल्मों का पश्चिमी बाजार में जबरदस्त स्वागत होता था। भारतीय मूल के लोग भी अपने समाज की अस्मिता की कीमत पर पश्चिमी भद्रलोक को कैश कराने में पीछे नहीं रहना चाहते थे।

फूलन देवी को केेंद्र बनाकर फ्रांस में रहने वाली भारतीय मूल की पत्रकार माला सेन यही काम कर रही थीं। उन्होंने फूलन देवी पर किताब लिखने की योजना बनाई और उसे बेस्ट सेलर बनाने के लिए जो एंगिल चुना उसमें भारत को ऐसे देश के रूप में पेश किया जाना शामिल था जिसमें आधुनिक कानून और प्रशासन का अभी भी कोई अस्तित्व न दिखे और नजर आए भारत में व्यवस्था की रूपरेखा विभिन्न जातियों के बीच जारी बर्बर कबीलाई युद्धों से तय होती है। फूलन देवी की कहानी को ठाकुर बनाम निषाद के जाति संघर्ष से जोडऩे के लिए ग्वालियर की जेल में माला सेन ने बाकायदा उन्हें लंबे समय तक ट्रेनिंग दी। उनकी बैंडिट क्वीन का सच हकीकत से बिल्कुल जुदा था। अगर फूलन देवी किसी जाति युद्ध का केेंद्र बिंदु होती तो उन्होंने समर्पण के लिए अर्जुन सिंह पर कभी भी भरोसा न किया होता क्योंकि अर्जुन सिंह भी तो आखिर एक ठाकुर ही थे। जैसा कि ऊपर की पंक्तियों में आ गया है। समर्पण के पहले उनके परिवार का विश्वास जिस पुलिस अधिकारी ने जीता वे मंगल सिंह चौहान भी ठाकुर ही थे। फूलन देवी को जिसने बंदूक मुहैया कराई वे बादशाह सिंह भदौरिया भी ठाकुर ही थे और उनको शरण देने में पीएसी की नौकरी गंवा बैठे वे जयकरन सिंह भी ठाकुर थे। फूलन देवी ने केवल एक अपहृत को बिना पैसा लिए बल्कि उल्टा पैसा देकर रिहा किया वह कुशवाहा ट्रांसपोर्ट कंपनी का युवक भी ठाकुर था। फूलन देवी के बहाने भारत में जाति संघर्ष का गृह युद्ध छिड़ा होने की धारणा को थोपा जाना देश की छवि खराब करने की एक बहुत बड़ी साजिश थी और इसके लिए भारतीय मूल के लोग ही प्रेरित हुए तो इसलिए मुनाफे के लिए बाजारी सिद्धांत में सबकुछ जायज माना जाता है। शेर सिंह राणा जैसे आपराधिक मानसिकता के युवक ने सस्ते में कौम का हीरो बनने के लिए फूलन देवी की हत्या करने का जो काम किया वह भी इस नजरिए से देखें तो एक राष्ट्र विरोधी कृत्य रहा और निश्चित रूप से अफगानिस्तान में पृथ्वीराज चौहान की समाधि पर पहुंचने का जौहर दिखाने की वजह से जो लोग शेर सिंह राणा को सिर माथे पर बिठाते हैं उनके बारे में भी कहा जा सकता है कि उनकी देशभक्ति संदेह से परे नहीं है। बहरहाल आज मुनाफे की होड़ मीडिया में चरमसीमा पर है। 

तथ्यों को किस एंगिल से पेश किया जाए ताकि खबर सबसे ज्यादा बिकने वाला आइटम बन जाए। मीडिया को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए तथ्यों को तोडऩे-मरोडऩे से कोई परहेज नहीं है बल्कि आज मीडिया सच को तोडऩे-मरोडऩे का ही धंधा बन गया है। देश हित मानवता हित व समाज हित को मुनाफे की हवस में रौंदा जा रहा है। तीन दशक पहले तक सच को संदर्भ से काटकर या आधे-अधूरे सच को पेश करना पीत पत्रकारिता का ही एक आयाम माना जाता था। उस समय टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप को चलाने वाले बेनेट कोलमेन एंड कंपनी के मालिकान अपने संपादकों से कहते थे कि भले ही उनके प्रकाशन घाटे में चलें लेकिन उनकी विश्वसनीयता और प्र्रमाणिकता पर कोई आंच नहीं आना चाहिए लेकिन उन्हीं की तीसरी पीढ़ी ने उन संपादकों की छुट्टी कर दी जो अखबार का रेवेन्यू नहीं बढ़ा पा रहे थे। आज संपादक की नौकरी का अस्तित्व टीआरपी या सर्कुलेशन से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यही नहीं मीडिया कलम के जरिए रंगदारी वसूल करने वालों का गिरोह बनती जा रही है। उच्छृंखल रिपोर्टर होंगे तभी मीडिया के आंतक का सिक्का जमेगा। इस धारणा के तहत काम किए जाने का परिणाम है कि लूटखसोट में माहिर लोगों को पत्रकारिता में प्राथमिकता मिल रही है। मीडिया आंतक के दम पर न केवल विज्ञापन वसूल रही है बल्कि मालिकान के गलत कामों को कराने के लिए भी उसकी शहजोर छवि बहुत काम की साबित हो रही है। यह अलग बात है कि धीरे-धीरे मीडिया का यह रूप उसे खोखला करने की वजह बन गया है। लोग अब पहले की तरह मीडिया की खबरों पर विश्वास नहीं करते और बिना लोगों के विश्वास के मीडिया की जिंदगी बहुत लंबी होने की उम्मीद नहीं रखी जा सकती तब भविष्य में मीडिया का स्वरूप क्या होगा इस पर अटकलबाजी करना काफी दिलचस्प हो सकता है।






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(के पी सिंह)

विशेष आलेख : “रावलपिंडी का जमूरा इस्लामावाद”

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आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था. एक फिर बादी-ए-कश्मीर बम बारूदो की धमाकों से दहल उठा . बर्फ की चादरों से उठते धुएं की गुब्बार में एक फिर पाकिस्तान की शैतानी चेहरा मानवता को शर्मसार किया. जम्मू कश्मीर में अबतक हुए दो चरण के चुनाव में जिस तरह से वहाँ के लोगो ने लोकतंत्र के ईद की मीठी सेवईया आपस में बांटी उसे शैतानो का शहर रावलपिंडी ने मुहर्रम में बदलने की नापाक कोशिश की है.लेकिन जम्मू कश्मीर के जावांज नागरिक इन शैतानो का मुंह तोड़ जवाव देने में सक्षम है.शेष तीन चरणों में होने बाले चुनावों में पुरे जोश और खरोश के साथ इस नपुंसक बूलेट का ज़वाब बैलेट से देंगे.लोकतंत्र रूपी सूर्य को आतंक रूपी बादल कुछ समय के लिए भले छिपा दे किन्तु जीत अन्तत: लोकतंत्र रूपी सूर्य की ही होनी है.यह आत्म विश्वास जम्मू कश्मीर के लोगो में जागृत हो चुकी है.

भारत सहित विश्व के अनेक शांतिप्रिय देशों द्वारा पाकिस्तान में रह रहा शैतान हाफ़िज़ सईद और उसका आतंकी संगठन जमात-उल-दावा को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. यहाँ तक की संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस आतंकी संगठन पर कारवाई करने का दबाव पाकिस्तान के मियाँ नवाज़ शरीफ सरकार पर बनाता रहा है किन्तु परिणाम ढाक के तीन पात ही आजतक निकला ? 

शैतान हाफ़िज़ सईद और उसका आतंकी संगठन जमात-उल-दावा ने लाहौर में अपने दो दिनी जलसे में जिस तरह से भारत के खिलाफ ज़हर उगला वह मानवता के लिए कलंक है.कोई भी लोकतांत्रिक देश ऐसे आतंकियो को ज़लसे तो क्या जेल से बाहर रखने की अनुमति नही दे सकता किन्तु लोकतंत्र को नापाक करने बाला पाकिस्तान में यह भी संभव हुआ . इस्लाम के आड़ में शैतान हाफ़िज़ सईद का यह कारनामा इस्लाम के बुनियाद को कलंकित करता है . एक आतंकी संघठन के जलसे को जिस तरह से पाकिस्तान की सरकार ने खैरमकदम किया वह संयुक्त राष्ट्र संघ के बुनियाद के साथ घिनौना मज़ाक है.विशेष रेलगाड़िया इन दहशतगर्दों के लिए नवाज़ सरकार ने पेश कर अपना खुनी चेहरा को विश्व के समक्ष लाया ? शैतान हाफ़िज़ सईद के जलसे की खिदमत में नवाज़ शरीफ की सरकार जिस तरह से लगी थी उसका खामियाजा श्रीनगर में जलजले के रूप में दिखा. जिस तरह के बयानात शैतान हाफ़िज़ सईद ने लाहौर में अपनी आतंकियो के जलसे में उगला उसका वीभत्स चेहरा श्रीनगर में दिखा.

अल सुबह श्रीनगर में उरी सेक्टर के मोहरा सैनिक कैम्प पर पहला फिदाइन हमला दुसरा सौरा में तीसरा शोपियां में और चौथा फुल्वामा के वस स्टेंड पर ग्रेनेड हमला यानी एक दिन में चार –चार आतंकी हमले से कश्मीर की शांत वादी एक फिर दहल उठा. इस आतंकी हमले में भारतीय सेना के आठ जवान और पुलिस के तीन जवान शहीद हुए.दो नागरिक भी ह्ताहत हुए. इस हमले में आठ आतंकीयों को सेना ने मार गिराया.जिस तरह से जम्मू कश्मीर में लोगो ने पाकिस्तन संरक्षित आतंकियो की धमकी के बावजूद चुनावों में भाग लिया और शैतान हाफ़िज़ सईद ने लाहौर में दो दिनो की मजलिस का एलान किया था उससे इस तरह की फिदायीन घटनाओं से इनकार नही किया जा सकता है .कहीं ना कहीं अपनी सुरक्षा में चुक हुई है.खासकर जिस मोहरा सेना कैम्प पर ये बारदात का अंजाम दिया गया वह वेहद सुरक्षित माना जाता है. ऐसे में हमारी एक छोटी सी चुक आतंकियो के हौसले को बढ़ावा देती है.किन्तु जिस तरीके से हमारी सेना ने इन फिदायीन हमलो से निबटा वह काबिले तारीफ़ है.हमारी सुरक्षा एजेंसियो को और भी अधिक सतर्क होना होगा ताकि पाकिस्तान सहित आतंकियो के मनसूबे को बिफल किया जा सके. राजनयिक और कुटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान के नापाक चेहरा कर चढ़े नकाव को अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर बेनकाव किया जा सके .वर्तमान केन्द्रीय सरकार पकिस्तान के संदर्भ में तत्काल ऐसे कदम उठाये ताकि जम्मू कश्मीर में लोग बेखौफ अपने मत का इस्तेमाल कर सके और विश्व विरादरी से पाकिस्तान को अलग थलग किया जा सके. पाकिस्तान प्रायोजित आतंक से जूझता भारत आखिर कब तक इस कायराना हमले को झेलता रहेगा. पकिस्तान जो आतंक का गढ़ है खासकर भारत बिरोधी तत्वों के लिए तो यह देश स्वर्ग है. जिस तरह से जम्मू और कश्मीर के अवाम ने अपनी आस्था लोकतंत्र में दर्शाई उससे पाकिस्तान सहित वहाँ के आतंकी संगठन बौखालाई हुई है.

इस्लामाबाद तो रावलपिंडी की रखैल है. रावलपिंडी के रहमोकरम पर मियां नवाज शरीफ लोकतंत्र की अर्थी अपने कंधे पर उठाये विश्व के आँखों में धुल झोंकने का प्रयास किये हुए है. रावलपिंडी रूपी मदारी इस्लामाबाद रूपी जमूरे को नचा नचा अपनी कटोरे में डालर पाने को बेताव रहा है.जब इसके कटोरे में कुछ जमा हो जाता है तो रावलपिंडी इस्लामाबाद रूपी जमूरे की जगह आईएसआई या शैतान हाफ़िज़ सईद या दाउद रूपी भेड़िये को ला खुनी खेल खेलना शुरू कर देता है और जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमला उसी भेड़िये के खुनी खेल का एक नमूना है. 

भारत को हमेशा याद रखनी चाहिए की पाकिस्तान में रावलपिंडी का बजूद सिर्फ भारत विरोध पर टिका है. जिस दिन भारत-पाक के आवाम एक दुसरे को समझ लेंगे उसी दिन रावलपिंडी का खुनी खेल खत्म हो जाय. किन्तु रावलपिंडी अपने अस्तित्व के लिए जमात-उल-दावा जैसे अनेक संघटनो के सहारे पाकिस्तान के युवा को भारत के विरुद्ध तैयार करता रहेगा.पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर जेहादी संगठनों का मज़बूत रहना और इस्लामाबाद का कमजोर होना रावलपिंडी के लिए अनिवार्य है. 

जब जब पकिस्तान में सेना की शासन रहती है सीमा पर हलचले शांत रहती है आतंकी गतिविधिओ में कमी रहती है.यह पाकिस्तानी सेना की सोची समझी रणनीति के तहत होती है.आज पाकिस्तान सहित इस्लामी देशो की जो अंदरूनी स्थिति है वेहद चिंताजनक है.इस्लाम के नाम पर इस्लामी मुल्को के युवाओं को ज़बरदस्ती जिहाद के नाम पर आतंकवाद की ओर धकेला जा रहा है.तालिवान ने अफगानिस्तान की क्या हालात कर दी वह जग जाहिर है.अभी हाल में पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशरफ ने माना की तालिवानी राज्य को अफगानिस्तान में मान्यता देना पाकिस्तान की भूल थी. आखिर इस तरह की भूल पाकिस्तान बार बार क्यों करता है.




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संजय कुमार आजाद 
रांची- 834002 
फोन-09431162589 
इमेल-azad4sk@gmail.com

यादव सिंह के खिलाफ जांच करेगी एसआईटी

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एसआईटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने शनिवार को सीबीडीटी की अध्यक्ष अनिता कपूर के साथ नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह के संदर्भ में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा की जा रही जांच की प्रगति की समीक्षा की। चूंकि यह जांच महानिदेशक, लखनऊ द्वारा की जा रही है, अत: सीबीडीटी की अध्यक्ष को निर्देश दिया गया कि वे यादव और अन्य संबद्ध व्यक्तियों के खिलाफ तलाशी, बरामदगी और अन्य उचित कार्रवाइयों की निगरानी करें।

महानिदेशक, जांच अधिकारी द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को जानकारी प्रदान की जाएगी ताकि वे समुचित कार्रवाई कर सकें और मनीलांड्रिग के दृष्टिकोण से मामले की आगे जांच कर सकें। इसके बाद विशेष जांच दल मामले की जांच पर आगे निगरानी रखेगा। गौरतलब है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिन पहले वित्तमंत्रालय के अधिकारियों, सीबीडीटी व ईडी से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक की थी। केंद्र सरकार भी पूरे मामले पर पैनी नजर रख रही है। पूरे मामले में कई रसूखदार लोगों पर जांच एजेंसियों की निगाह है। यह माना जा रहा है कि नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह ने अपनी जो हैसियत बनाई उसके पीछे कई बड़े राजनीतिज्ञों व नौकरशाहों का हाथ था।

अभिनेता दिलीप कुमार अस्पताल में भर्ती

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बॉलीवुड में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार को अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं. शनिवार को सर्दी-जुकाम और फेफडों में संक्रमण की शिकायत के बाद दिलीप को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि दिलीप को निमोनिया के इलाज के लिए यहां भर्ती कराया गया है और वह खांसी और जुकाम से पीड़ित हैं. चिकित्सकों ने यह भी बताया कि उन्हें एंटीबायोटिक दवाइयां दी जा रही हैं लेकिन उनकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है.

आपको बता दें कि दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ खान का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था. दिलीप को पिछले साल सितंबर में दिल का दौरा पड़ने के बाद भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने देवदास, मधुमती, मुगल-ए-आजम और गंगा जमुना जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाई हैं.

सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए जल्द उठाएंगे कदम: जेटली

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आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रतिबद्धता के प्रति भारतीय उद्योग जगत को आश्वस्त करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकार सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए और कदम उठाएगी। जेटली ने कहा कि मेरी व्यय प्रबंधन आयोग के साथ कई बैठकें हुई हैं। वे सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में कुछ अहम सुझावों पर काम कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि अगले कुछ महीनों में हो सकता है कि इससे पहले ही वह कुछ अंतरिम सिफारिश हमारे समक्ष लाएं ताकि हम उस दिशा में आगे बढ़ सकें।

डीजल मूल्य को बाजार के हवाले करने के सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए मंत्री ने इंडिया इकनोमिक कान्क्लेव में कहा कि इससे सरकार के सबसिडी बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार ने हाल ही में चुनिंदा शहरों में शुरुआती योजना के तहत एलपीजी ग्राहकों को सीधे नकद सबसिडी देने का फैसला किया है।

केंद्र ने पूर्व आरबीआइ गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है जो सबसिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में और प्रभावी तरीके से राजकोषीय घाटा कम करने के सुझाव देगा। सरकार फिलहाल कई तरह की लाखों करोड़ रुपए की सबसिडी प्रदान करती है। अनुमान है कि 2014-15 में सबसिडी 2.51 लाख करोड़ रुपए रहेगी।

एक टेलीविजन चैनल की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में जेटली ने भरोसा जताया कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बीमा और जीएसटी विधेयकों को आगे बढ़ा सकेगी। राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं होने के मद्देनजर इन विधेयकों को पारित कराने के लिए संयुक्त सत्र आयोजित करने के संबंध में सरकार के विचार के मामले में उन्होंने कहा कि हम इन विधेयकों को पारित कराने के लिए दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को अंतिम उपाय के तौर पर नहीं अपनाना चाहते। लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी होता है तो यह संवैधानिक जरिया होगा।
इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सेल की हिस्सेदारी बिक्री पर बाजार की प्रतिक्रिया को उत्साहजनक करार देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि बाजार में मजबूती और गहराई बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का विनिवेश कार्यक्रम शुक्रवार को शुरू हुआ और बाजार की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही। विशेष तौर पर खुदरा निवेशकों ने सेल की पेशकश को ढाई गुना अभिदान दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी उपक्रमों के शेयर विनिवेश में खुदरा निवेशकों का बड़े पैमाने पर आगे आना भी एक संकेत है, बाजार की गहराई बढ़ती नजर आती है।

सेल की शेयर बिक्री पेशकश चालू वित्तीय साल की पहली विनिवेश पेशकश है और इसे दोगुना से ज्यादा अभिदान मिला जिससे सरकारी खजाने में 1,715 करोड़ रुपए आए। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 43,425 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है।

वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि सरकार प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य हासिल कर लेगी। उन्होंने कहा- प्रत्यक्ष राजस्व के लिहाज से जैसा मैंने पहले कहा था, उसके बेहद करीब हूं .. मेरी वास्तविक चुनौती अप्रत्यक्ष कर की है और अप्रत्यक्ष कर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि के साथ जुड़ा है। फिलहाल अप्रत्यक्ष कर संग्रह धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हम इस दिशा में उल्लेखनीय गतिविधि देख सकते हैं।

सरकार का चालू वित्तीय साल में 7.36 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष कर संग्रह जुटाने का लक्ष्य है। इस मद में पिछले साल 6.36 लाख करोड़ रुपए की वसूली की गई थी। अप्रत्यक्ष कर के तौर पर 6.24 लाख करोड़ रुपए के संग्रह का लक्ष्य है जो 2013-14 के स्तर से 20.28 फीसद ज्यादा है।

भूमि अधिग्रहण कानून के संबंध में जेटली ने कहा कि इससे बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हुई है और उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार अगले कुछ हफ्ते में इसका समाधान ढूंढ लेगी। उन्होंने कहा कि जब तक कानून में कुछ बदलाव नहीं हो जाते और प्रक्रिया आसान नहीं हो जाती, इसका भारतीय अर्थव्यवस्था की भावी वृद्धि पर असर पड़ेगा। मैं इस मुद्दे पर सरकार के भीतर और विपक्ष के सहयोगियों के साथ सक्रिय चर्चा में शामिल रहा हूं। जेटली ने कहा कि मुझे भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में हम इस समस्या का प्रभावी हल ढूंढ लेंगे।

सम्मेलन में आइसीआइसीआइ बैंक की मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने कहा कि मुझे लगता है कि पूरी कोशिश (नई सरकार की विनिर्माण को बढ़ावा देने की कोशिश) दिशा के लिहाज से बड़ी उपलब्धि है। सरकार के लिए केंद्रीय क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि करना यह चाहिए कि अब तक अटकी पड़ी विभिन्न परियोजनाओं को अंतिम स्वरूप दिया जाए। इसके अलावा आपूर्ति पक्ष को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि दीर्घकालिक स्तर पर मुद्रास्फीति पर लगाम लगाई जा सके। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में आपूर्ति में सुधार हो, क्योंकि यही एक जरिया है जिससे दीर्घकाल में संरचनात्मक ढंग से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

दिग्गज रिश्तेदारी : मुलायम के घर शगुन लेकर आ रहे हैं लालू

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राजनीतिक जगत के दो दिग्गज यादव परिवारों मुलायम और लालू के बीच रिश्तेदारी की खबरें अब मूर्त रूप लेने जा रही हैं। लालू अपनी सबसे छोटी बेटी राजलक्ष्मी की मुलायम के पौत्र तेज प्रताप सिंह के साथ शादी का शगुन लेकर आज मुलायम के घर पहुंच रहे हैं। दो दशकों के राजनीतिक प्रवाह में बिखर गए 'जनता दल परिवार'को एक करने के लिए छह दलों द्वारा सपा मुखिया मुलायम को अपना नेता बनाने के बाद लालू अब मुलायम सिंह यादव परिवार के साथ अपने संबंधों को रिश्तेदारी में बदलने जा रहे हैं।

परिवारिक सूत्रों के अनुसार, लालू यादव अपनी पत्नी राबड़ी देवी के साथ अपनी छोटी बेटी राजलक्ष्मी की मुलायम के बड़े भाई के पौत्र तथा मैनपुरी से सांसद तेज प्रताप सिंह के साथ शादी के लिए शगुन लेकर आ रहे हैं। शगुन समारोह में लालू और राबड़ी के साथ उनके बेटे तेजस्वी तथा सबसे बड़ी बेटी मीसा एवं कुछ रिश्तेदार शामिल रहेंगे।

वर पक्ष की ओर से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव तथा प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव एवं अन्य परिजन तथा रिश्तेदार उपस्थित रहेंगे। शगुन समारोह सपा मुखिया मुलायम सिंह के आवास पर होगा। मंगनी समारोह इसी महीने में दिल्ली में होनी है, जिसमें राजनीति के अलावा अन्य क्षेत्रों के नामी-गिरामी लोगों के शामिल होने की संभावना है।

जनता परिवार : अपनी एकता का विश्वास कायम करना बडी चुनौती

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अस्तित्व में आने के एक दशक के अंदर खंड खंड हुये जनता दल का बिखरा कुनबा फिर एक होने की डगर पर बढ चला है लेकिन उसकी सबसे बडी चुनौती अपनी एकता के बारे में लोगों में विश्वास कायम करना तथा अपने नेताों के अहम पर अंकुश लगाना होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में बदले परिदृश्य तथा भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. की बढी ताकत से अस्तित्व पर मंडराते खतरे से जनता दल का हिस्सा रही छह पार्टियों ..समाजवादी पार्टी. सपा. जनता दल. यू. राष्ट्रीय जनता दल. राजद. जनता दल. एस. इंडियन नेशनल लोकदल. इनेलो. समाजवादी जनता पार्टी ने एकजुट होने पर सहमति जतायी है और नये दल का स्वरुप तय करने के लिये सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को अधिकृत किया है। ऐसी संभावना है कि नये वर्ष में जनता दल  एक नये कलेवर में नये नाम और झंडे के साथ सामने आयेगा। इन दलों के फिर से एक जुट होने की घोषणा के साथ ही इनके लंबे समय तक एकसाथ बने  रहने पर  सवाल उठने लगे हैं। इतिहास पर नजर डाली जाये तो नब्बे के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर उभरने और केंद्र में सरकार बनाने के बावजूद जनता दल अपने क्षेत्रीय नेताों की महत्वाकांक्षा के चलते बार बार टुकडों में बंटता रहा और इससे अलग हुये दल अपने अपने राज्यों में सीमित होकर रह गये। फिर से एक हो रहे इन दलों के नेताओं के सामने आपसी एकता को विश्वसनीय बनाना तथा क्षेत्रीय नेताों के अहम पर अंकुश लगाना एक बडी चुनौती होगी।

राजनीतिक विश्लेषक इन दलों के पिंर से एकजुट होने तथा राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने की उनकी क्षमता को तो नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं लेकिन उनकी एकता की स्थिरता पर जरुर संदेह उठा रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जनता परिवार के हिस्सा रहे अधिकांश दल ..एक परिवार ..पर आधारित पार्टी बन कर रह गये हैं तथा उनके लिये परिवार के वर्चस्व से बाहर निकलकर सोचना और नाीतियों तथा समाजवादी विचारधारा के आधार पर एकजुट होना थोडा मुश्किल हो सकता है। जनता दल.यू. और समाजवादी जनता  पार्टी को छोड दिया जाये तो शेष सभी दलों पर एक एक परिवार का वर्चस्व है .चाहे वह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी हो या बिहार में राजद या हरियाणा में इनेलो अथवा र्कनाटक में जनता दल. एस। भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने जनता परिवार के एकजुट होने पर कटाक्ष करते हुये कहा कि लोहिया के नाम परिवारवाद की राजनीति करने वाले दल एक साथ आ रहे हैं। जनता परिवार के तीन सदस्य बीजू जनता दल. लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल अभी इस एकजुटता मुहिम में शामिल नहीं हुये है। ये तीनों दल भी वंशवाद पर ही आधारित हैं। 
इन दलों की एकजुटता के टिकाऊ होने पर जो सवाल उठ रहे हैं उसके पीछे स्वयं जनता दल का इतिहास है। अक्तूबर 1988 में जनता पार्टी के धडे. लोकदल. कांग्रेस एस और जनमोर्चा के आपस में विलय से जनता दल का गठन हुआ। एक वर्ष बाद हुये आम चुनाव में जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी जिसे वामदलोंऔर भाजपा ने बाहर से र्समथन दिया। नवंबर 1990 में भाजपा के र्समथन वापस लेने से यह सरकार गिर गयी और जनता दल की टूट का सिलसिला शुरु हो गया। 

 पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में जनता दल का विभाजन हो गया और उससे अलग हुये करीब 60 सांसदों के साथ समाजवादी जनता पार्टी ने कांग्रेस के र्समथन से सरकार बनायी लेकिन यह सरकार कुछ ही महीनों में ही गिर गयी। इसी के बाद श्री मुलायम सिंह यादव ने इससे अलग होकर सपा का गठन किया। चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम आने पर जनता दल के नेतृत्व को लेकर घमासान मच गयाऔर तब श्री यादव ने जनता दल से अलग होकर अलग पार्टी राजद बना ली। 
     
इस बीच 1996 में जनता दल को एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाने का अवसर मिला। उसके नेतृत्व वाले संयुक्त मोर्चा ने कांग्रेस के र्समथन से सरकार बनायी और श्री एच डी देवेगौडा प्रधानमंत्री बने लेकिन ग्यारह महीने में उन्हें पद छोडना पडा। उनकी जगह प्रधानमंत्री बने इंदौरकुमार गुजराल भी ज्यादा दिन इस पद पर नहीं रह सके। कांग्रेस के र्समथन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गयी। श्री देवेगौडा ने 1999 में जनता दल से अलग होकर जनता दल.एस. का गठन  कर लिया 1 
      
बिहार की राजनीतिक उठापठक के बीच अक्तूबर 2003 में जनता दल और समता पार्टी के विलय से जनता दल. यू. अस्तित्व में आयी जिसने भाजपा के साथ मिल कर कई वषा6 तक बिहार में सरकार चलायी। भाजपा द्वारा श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने पर श्री नीतीश कुमार ने उससे नाता तोड लिया। जनता दल के विभाजन से ही हरियाणा में इनेलो अस्तित्व में आयी। राज्य में हाल में हुये विधानसभ चुनाव में वह सत्ता में आने का सपना संजोये हुये थी लेकिन मोदी लहर में उसके पांव उखड गये। 

दिल्ली: बलात्कार का आरोपी कैब चालक गिरफ्तार

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हरियाणा के  गुड़गांव में गत शुक्रवार को एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत एक महिला के साथ बलात्कार के आरोपी कैब चालक को पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुडगांव स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत महिला के साथ आरोपी ने कथित रूप से बलात्कार किया था। उबेर ग्रुप में कार्यरत इस कैब चालक को फिलहाल पुलिस की हिरासत में रखा गया है। 

उन्होंने बताया कि पीडित महिला ने कैब के नंबर प्लेट की तस्वीर ले ली थी और इसकी सूचना पुलिस नियंत्रण कक्ष को दी थी।चिकित्सकीय परीक्षण में बलात्कार की पुष्टि हुई है। 

टीम इंडिया में वापसी न करने का कोई मलाल नहीं : सहवाग

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विश्वकप के लिए तीस संभावित खिलाडियों में शामिल न किए जाने वाले विस्फोटक बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग का कहना है कि अभी वह दो..तीन वर्ष और ख्ोलना चाहते है और अगर राष्ट्रीय टीम की तरफ से दोबारा न खेल पाए तो उन्हें इसका पछतावा नहीं होगा। 36 वर्षीय सहवाग आखिरी बार करीब दो वर्ष पहले टीम इंडिया की तरफ से खेले थे और उनका अभी क्रिकेट को अलविदा कहने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा.. मैं अब भी अपने खेल का आनंद उठा रहा हू और अगर मुझे फिर से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका नहीं मिलेगा तो इसपर कोई पछतावा नहीं होगा। भारत के आक्रामक बल्लेबाज ने कहा.. एक क्रिकेटर होने के नाते हर किसी का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए खेले। जब से मैंने क्रिकेट को गंभीरता से लिया तब से मैं भारत के लिए खेलना चाहता था। मेरा यह सपना पूरा हो गया तो अब मैं सोचता हूं कि आगे क्या चाहिए। तब मेरे एक क्रिकेटर साथी ने कहा कि भारत के लिए खेलना आसान है लेकिन 10 .15 साल खेलना मुश्किल है। मैंने 100 टेस्ट मैच खेले। अब कुछ भी हासिल करने के लिए नहीं है इसलिए मैं बस आनंद ले रहा हूं। अगले वर्ष होने वाले विश्वकप में न खेलने के बारे में सहवाग ने कहा.. आपको अपने जीवन में खुश रहना चाहिए। बहुत सारे क्रिकेटर कई चीजों के बारे में चिंता करते है कि उन्हें टेस्ट मैचों में पांच या दस हजार रन बनाने चाहिए लेकिन मैं इसमें नहीं पडता। मैंने 100 टेस्ट मैच खेले हे और मैं अब भी क्रिकेट खेल रहा हूं बस यहीं मैं करना चाहता हूं।

 सहवाग ने कहा अगर मैं आज या दो साल बाद रिटायर हो जाऊं तो इससे कोई फर्क पडेगा। मेरी जिन्दगी पर तो नहीं। टेस्ट क्रिकेट में आठ या दस हजार रन बनाने से फर्क पडेगा। किसी की जिन्दगी पर नहीं। अगर मैं दस हजार रन बना लूं तो कौन खुश होगा. सिर्फ मैं शायद क्योंकि लोग आठ या दस या 15 हजार रनों की चिंता नहीं करते। यह सिर्फ व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए है। घरेलू क्रिकेट में कोई कमाल न दिखाने के बारे में सहवाग ने कहा..मेरे खेलना का तरीका पहले जैसा ही है। हां जैसा प्रर्दशन मैं करता था वैसा नहीं कर पा रहा। अगर मैं रन बनाता हूं तो तेजी से और आउट होता हूं तो तेजी से। जब आप बडे होते है तो अपने अनुभवों से भी कुछ सीखते है लेकिन हर बार मैदान पर जाकर शतक बनाना संभव नहीं है। हालांकि रणजी ट्राफी में सहवाग दिल्ली की तरफ से इस बार मध्य क्रम में बल्लेबाजी करेंगे। उन्होंने कहा पिछले सत्र में मैंने ओपनिंग. दूसरे. तीसरे और चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की थी। यह मायने नहीं रखता कि मैं कौन से नंबर पर बल्लेबाज कर रहा हूं। अगर चयनर्कता मुझसे ओपनिंग करने के लिए कहेंगे तो मैं करूंगा। सहवाग ने कहा कि वह टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम को याद करेंगे लेकिन टीम की जीत के लिए प्रार्थना भी करते है। उन्होंने कहा मैं बेटों के साथ लडाई करता हूं जब वह कहते है कि पापा आप नहीं खेल रहे तो भारतीय टीम को भी नहीं जीतना चाहिए। देश का जीतना प्राथमिकता है. यह मायने नहीं रखता कि कौन खेल रहा है। मैं ड्रेसिंग रूम को याद करूंगा लेकिन कोई तो ख्ोल रहा है और टीम में योगदान दे रहा है। वे मैच जीत रहे है। मैं इसके लिए खुश हूं।

मोदी के साथ बैठक में ममता.उमर और सोरेन शामिल नहीं

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योजना आयोग को नयी शक्ल देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आज देश भर के मुख्यमंत्रियों की बैठक्में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी . जम्मू कश्मीर के उमर अब्दुल्ला और झारखंड के हेमंत सोरेन हिस्सा नहीं ले रहे हैं श्री मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद 15 अगस्त को लाल किले से अपने पहले संबोधन में 1950 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित योजना आयोग को नया स्वरुप देने की घोषणा की थी और इसी सिलसिले में आज मुख्यमंत्रियों से विचार विर्मश के लिए यह बैठक बुलाई गई 

गौरतलब है कि शुक्रवार को लोकसभा में प्रश्नोत्तरकाल के दौरान श्री मोदी ने पहली बार हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि विशेषग्यों और अर्थशात्रियों के अलावा योजना आयोग के भीतर भी इसके पुनर्गठन पर व्यापक विचार विर्मश किया गया है और हम नयी संस्था को मूर्तरुप देने की दिशा में आगे बढ रहे हैं .  नये संस्थान में प्रधानमंत्री पदेन अध्यक्ष होंगे 1 इसके अलावा 10 नियमित सदस्य. पांच राज्यों के प्रतिनिधि और पांच अलग विषयों के विशेषग्यों को इसमें शामिल किए जाने का प्रस्ताव है । नयी संस्था सरकारी विभाग के कामकाज की निगरानी कर उसके काया6 के मूल्यांकन के आधार पर राशि के आवंटन का प्रस्ताव करेगी 

योजना आयोग को समाप्त करने का फैसला गलत : शरद यादव

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जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने योजना आयोग के अस्तित्व को समाप्त करने के सरकार के फैसले को गलत बताते हुए आज कहा कि यह जल्दबाजी में उठाया गया कदम है। श्री यादव ने यहां संवाददाताों से कहा ..संस्थाएं मुश्किल से बनती हैं। उन्हें खडा करने में काफी समय लगता है.लेकिन जब संस्थाएं बदलती हैं तो फिर से नए सिरे से योजना बनानी पडती है। मैं सरकार के इस फैसले को गलत मानता हूं़ और इसकी निंदा करता हूं। यह जल्दबाजी में उठाया गया कदम है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से योजना आयोग के स्थान पर एक नयी संस्था बनाने की घोषणा की थी। नयी संस्था के स्वरूप को लेकर प्रधानमंत्री ने आज राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की। श्री यादव ने दिल्ली में एक महिला के साथ कैब में हुए बलात्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अब उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए. जिन्होंने दिल्ली को .रेप कैपिटल. बताते हुए व्यापक आंदोलन चलाया था। उन्होंने कहा कि दुनियाभर की परिवहन प्रणालियों को यहां अपनाया जा रहा है लेकिन उसके लिए जरूरी सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (07 दिसम्बर)

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निकायो के परिणाम घोषित

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विदिशा जिले की नगरपालिका परिषद बासौदा और नगर पंचायत कुरवाई में आज मतगणना सम्पन्न हुई और परिणाम संबंधित रिटर्निग अधिकारी द्वारा घोषित किए गए। नगरपालिका परिषद बासौदा के रिटर्निंग आफीसर श्री ओपी श्रीवास्तव ने बताया अध्यक्ष पद हेतु भाजपा प्रत्याशी मधुलिका अग्रवाल विजयी घोषित की गई। इसी प्रकार निकाय के अंतर्गत आने वाले वार्डवार निर्वाचित पार्षदों की जानकारी इस प्रकार से है। वार्ड-एक से उमराव रैकवार, वार्ड-दो से मंजू कुशवाह, वार्ड-तीन से पिंकी शर्मा, वार्ड-चार से मदन अहिरवार, वार्ड-पांच से शशि राहुल ठाकुर, वार्ड-छह से अंजली पृथ्वी सिंह, वार्ड-सात से रानी लोधी, वार्ड-आठ से जसवंत सिंह दांगी (राजू), वार्ड-नौ से जितेन्द्र वाल्मीकी, वार्ड-10 से दुर्गेश अहिरवार, वार्ड-11 से योगेन्द्र समैया, वार्ड-12 से कपिल शर्मा, वार्ड-13 से नत्थू सिंह कुशवाह, वार्ड-14 से अमरीश बिलगैया, वार्ड-15 से रेखा मलैया, वार्ड-16 से विजय यादव, वार्ड-17 से सुनील यादव, वार्ड-18 से अतुल नेमा, वार्ड-19 से शबाना मंसूरी, वार्ड-20 से ममता नरवरिया, वार्ड-21 से शंकुतला राजपूत, वार्ड-22 से शहनाज कुरैशी, वार्ड-23 से रामवती नन्नू छारी और वार्ड-24 से पार्षद पद हेतु प्रकाश जैन निर्वाचित घोषित किए गए है। नगर परिषद कुरवाई की रिटर्निंग आफीसर तृप्ति श्रीवास्तव ने निकाय निर्वाचन परिणामों की जानकारी देते हुए बताया है कि अध्यक्ष पद पर इंडियन नेशनल कांग्रेस के अभ्यर्थी हसरूद्धीन खान निर्वाचित घोषित किए गए है। इसी प्रकार निकाय क्षेत्र में वार्डवार में निर्वाचित पार्षद की जानकारी इस प्रकार से है। वार्ड-एक से शाहीन अय्युब खाॅन, वार्ड-दो से मुन्ने खां हुसैनी, वार्ड-तीन से सुनीता पंथी, वार्ड-चार से लाल मियां (लालू पेन्टर), वार्ड-पांच से तसलीम मो जफर, वार्ड-छह से साबिर अली एडव्होकेट, वार्ड-सात से मोहम्मद इरफान काजी, वार्ड-आठ से प्रानचंद सप्रे, वार्ड-नौ से रूबीना सरवर पटेल, वार्ड-दस से विनीता संतोष प्रजापति, वार्ड-11 से नीतू राजकुमार यादव, वार्ड-12 से मंजू शिखरचंद जैन, वार्ड-13 से रहीम भाई फोटोग्राफर, वार्ड-14 से लईक खां और वार्ड-15 से अंशिता अभिषेक सप्रे निर्वाचित घोषित किए गए है। 

जिला योजना के प्रस्तावों पर विचार विमर्श आज

जिला योजना वर्ष 2015-16 के लिए विभिन्न विभागों द्वारा तैयार किए गए प्रस्तावों को अंतिम रूप देने हेतु कलेक्टर श्री एमबी ओझा की अध्यक्षता में बैठक सोमवार को टीएल बैठक के उपरांत आहूत की गई है संबंधित विभागों के अधिकारियों से जिला योजना अधिकारी श्री प्रशांत मिश्रा ने आग्रह किया है कि वे समुचित जानकारियों सहित बैठक में उपस्थित होना सुनिश्चित करें। 

बैठक स्थल परिवर्तित
विदिशा जिले के प्रस्तावों के अनुमोदन हेतु नौ दिसम्बर को संभाग स्तरीय बैठक आहूत की गई है पूर्व में जारी उक्त बैठक के स्थल में परिवर्तन किया गया है अब यह बैठक कमिश्नर कार्यालय भोपाल के सभागार कक्ष में प्रातः 10.30 बजे से आयोजित की गई है कि जानकारी देते हुए जिला योजना अधिकारी श्री प्रशांत मिश्रा ने बताया है कि उक्त बैठक में जिले की योजना वर्ष 2015-16 के प्रस्तावांे का अनुमोदन किया जाएगा। उन्होंने उक्त बैठक मंे नियत समय, स्थल पर संबंधित विभागों के अधिकारियों को उपस्थित होने का आग्रह किया है।

मायावती ने मोदी के अच्छे दिनों के वादे का मखौल उड़ाया

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बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के अच्छे दिनों के वादे का परिहास करते हुए आज कहा कि लोकसभा चुनाव के एक भी वादा पूरा न करने वाली  मोदी सरकार अब जम्मू कश्मीर की अवाम को अच्छे दिनों के सपने दिखाने लगी है। सुश्री मायावती ने यहां चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि श्री मोदी ने लोकसभा चुनाव मे अच्छे दिन आने का सपना दिखाया था लेकिन पूर्ण बहुमत वाली सरकार के 100 दिन बीत जाने के बावजूद एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते हुए सुश्री मायावती ने कालेधन .मंहगाई और भ्रष्टाचार दूर करने के वादों को लेकर श्री मोदी पर जमकर निशाना साधा। सौ दिन में काला धन लाकर गरीबों के खाते में 15..15 लाख रूपये डालने के भाजपा के वादे की हंसी उडाते हुए  उन्होंने कहा कि अभी तक काला धन नहीं आया। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने गरीबों के लिए भी किये गये वादों को पूरा नहीं किया। सुश्री मायावती ने मतदाताों को आगाह करते हुए कहा.. मीडिया के इस्तेमाल का हथकंड़ा अपनाकर झूठी हवा बनाने के भाजपा के बहकावे में वे न आयें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जम्मू कश्मीर की अवाम के समक्ष कच्छ के विकास का माडल पेश किये जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने आज उत्तर प्रदेंश के माडल से राज्य की जनता को लुभाने की कोशिश की. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अपने गृह राज्य में दलितों .वंचितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए किये गये कामों का उदाहरण जम्मू कश्मीर की जनता के सामने पेश किया 1उत्तर प्रदेंश में अपने चार बार के कार्यकाल की उपलब्धियों का ब्योरा देकर सुश्री मायावती ने श्री भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के नाम पर दलितों के कल्याण की योजनाों को गिनाया  सुश्री मायावती ने बताया कि उनके कार्यकाल में गांव और शहरों में दलितों की उपेक्षित बस्तियों का विकास किया गया तथा सरकारी जमीन के तीन शतीन एकड के पट्टे काटकर भूमिहीनों को जमीन दी गयी।दलितों का उत्पीडन करने वालों को दंडित किया। बसपा के  नारे .जो जमीन सरकारी है .वह जमीन हमारी है .को जम्मू कश्मीर में भी अमलीजामा पहनाने के लिए उन्होने बसपा की सरकार बनाने की अपील की है उल्लेखनीय है कि श्री मोदी ने किश्तवाड में आयोजित अपनी पहली चुनावी रैली में गुजरात के कच्छ का माडल पेश किया था.

जम्मू कश्मीर और झारखंड में तीसरे चरण के लिये चुनाव प्रचार समाप्त

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जम्मू कश्मीर और झारखंड में तीसरे चरण में कुल 33 विधानसभा क्षेत्रों में नौ दिसम्बर को होने वाले मतदान के लिए आज शाम चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। जम्मू कश्मीर में तीसरे चरण में कश्मीर घाटी के तीन जिलों के 16 विधानसभा क्षेत्रों में नौ दिसंबर को मतदान होने वाला है। तीसरे चरण के मतदान के लिये राज्य के मुख्यमंत्री तथा सत्तारूढ दल नेशनल कॉफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला. पूर्व और वर्तमान मंत्रियों और विधायकों समेत 138 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां छह लाख 51 हजार 245 महिलाों समेत कुल 13 लाख 69 हजार 102 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। झारखंड में तीसरे चरण में कुल 17 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी के जाजोरिया ने यहां बताया कि कोडरमा बरकट्ठा बरही  मांडू  हजारीबाग  बरकागांव रामगढ  सिमरिया ..अजा ..  धनवार    गोमियां  बेरमो  ईचागढ़ सिल्ली और खिजरी ..अजजा.. विधानसभा क्षेत्रों में आज तीन बजे में चुनाव प्रचार समाप्त हो गया जबकि कांके.. अजा..  हटिया और रांची विधानसभा क्षेत्रों में शाम के पांच बजे चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। उन्होंने बताया कि इन 17 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 5016657 मतदाता है जिनमें र्सविस मतदाता 2549 हैं। उन्होंने बताया कि कुल मतदाताों में 2355728 महिला मतदाता हैं। इन 17 विधानसभा क्षेत्रों में 14 सामान्य    दो अनसूचित जाति और एक अनसूचित जनजाति के लिए है जबकि 5865 मतदान केन्द्र है। इन 17 विधानसभा क्षेत्रों कुल 289 उम्मीदवार है जिनमें महज 26 महिला उम्मीदवार है।

जम्मू कश्मीर के बारामुला. पुलवामा और बडगाम जिलों के 16 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 19 हजार 575 प्रवासी मतदाता हैं। हालांकि उनके मत से किसी भी उम्मीदवार को बहुत फर्क नहीं पडने वाला है। राज्य में हाल ही में हुई हिंसा के बावजूद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताों ने कई रैलियों क ो संबोधित किया। उरी समेत अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में कई चुनावी रैलियां की गयीं जहां गत पांच दिसंबर को हुये आतंकवादी हमले में छह फिदायीन मारे गये थे और आठ जवान तथा तीन राज्य पुलिर्सकमी शहीद हो गये थे। प्रशासन ने इन विधानसभा क्षेत्रों में 1781 मतदान केन्द्र बनाये हैं जहां मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत को ईवीएम मशीनों में बंद करेंगे। राज्य के चुनाव के मद्देनजर सभी क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था कडी कर दी गई है। बारामुला जिले में उरी. रफियाबाद. सोपोर. संगरमा. बारामुला. गुलर्मग. पत्तन. बडगाम जिले में चदूरा. बडगाम. बीरवाह. खानसाहिब और चरार.ए.शरीफ तथा पुलवामा जिले में त्राल. पम्पोर. पुलवामा और राजपुरा विधानसभा क्षेत्रों में नौ दिसंबर को मतदान होना है।

झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री जाजोरिया ने बताया कि राज्य के 17 विधानसभा क्षेत्रों में 17सामान्य पर्यवेक्षक सात व्यय पर्यवेक्षक    दो पुलिस पर्यवेक्षक  दो अवेयरनेस पर्यवेक्षक और 807 माईक्रो पर्यवेक्षक तैनात किए गए है। उन्होंने बताया कि वेब कास्टिंग मतदान केन्द्र की संख्या 347 है जबकि मोडल मतदान केन्द्र की संख्या 427 है। इन 17 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने 14  बसपा ने 14  भाकपा ने आठ  माकपा ने दो  कांग्रेस ने 13  राष्ट्रवादी कांग्रेस ने तीन  आजसू नें तीन  झाविमो ने 15  राजद ने तीन और झामुमों ने 16 उम्मीदवार खड़े किए है जबकि निर्दलीय 103 उम्मीदवार मैदान में है। तीसरे चरण में चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  विदेश मंत्री सुषमा स्वराज  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी  कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी  झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन    राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  पूर्व मुख्य मंत्री अर्जुन मुंडा    पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी  भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह    राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव  बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी  केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह समेत कई केन्द्रीय मंत्रियों और अन्य नेताों ने भाग लिया। तीसरे चरण के चुनाव में प्रमुख नेताों के भाग्य का फैसला होना है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी  राज्य के उर्जा मंत्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह  राज्य की जल संसाधन मंत्री अन्नपूण्रा देवी  पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह  भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी लक्ष्मण प्रसाद सिंह और भाजपा की सीमा शर्मा शामिल है। 

जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी. कांग्रेस. नेशनल कॉन्फ्रेंस. भारतीय जनता पार्टी. अवामी मुताहिदा महज. अवामी इतेहाद पार्टी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताों ने इन विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताों को अपनी पार्टी के पक्ष में मतदान के लिये अनेक रोड शो और रैलियां कीं। बीरवाह विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे एनसी के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री श्री अब्दुला ने भी र्दजनों चुनावी रैलियों को संबोधित किया। अनुच्छेद.370 को चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाते हुये राजनीतिक दलों ने इस पर अपने अपने विचार दिये। गत लोकसभा चुनावों में भाजपा ने जम्मू कश्मीर में इसे मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था जिसके बाद अब सत्तारूढ एनसी इस पर भाजपा का रूख साफ करना चाह रही है। सबसे ज्यादा उम्मीदवार सोपोर विधानसभा से 15 तथा।2 उम्मीदवार रफियाबाद और पत्तन से मैदान में हैं। बारामुला से 11. संगरमा और पुलवामा विधानसभा क्षेत्र से 10.10. गुलर्मग . चरार ए शरीफ और राजपुरा से आठ. बडगाम. चदूरा और त्राल से सात सात. पम्पोर. खानसाहिब और बीरवाह से छह तथा उरी से पांच उम्मीदवार मैदान में हैं।

राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई ने मारी बाजी

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राजस्थान विश्वविद्यालय एवं उसके चार संघटक कालेजों के छात्रसंघ चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ एनएसयूआई.. ने ऐतिहासिक जीत हासिल की हैं। एनएसयूआई के अनिल चौपडा विश्वविद्यालय छात्र संघ के  अध्यक्ष चुने गए हैं। इसी तरह एनएसयूआई के अनिल चौहान उपाध्यक्ष . विजयदीप सिंह तामडिया महासचिव तथा सुरभि मीणा संयुक्त सचिव चुनी गई हैं। एनएसयूआई ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ..एबीवीपी..  के उम्मीदवारों का हराकर यह ऐतिहासिक जीत र्दज की। एनएसयूआई के विजयी प्रत्याशियों को विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति हनुमान सिंह भाटी ने उनके पद की शपथ दिलाई। इसी तरह विश्वविद्यालय के संघटक कालेज कॉॅर्मस कालेज में पंकज चाहर अध्यक्ष . अक्षय उपाध्यक्ष . नितिन शर्मा महासचिव तथा टीकमचंद संयुक्त सचिव निर्वाचित घोषित किये गये हैं।

राजस्थान कॉलेज में विनोद जाखड अध्यक्ष . अशोक पूनिया महासचिव . चेतन कुमार उपाध्यक्ष तथा गौरीशंकर मीणा संयुक्त सचिव चुने गए। इसी तरह महारानी कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में कोमल मीणा अध्यक्ष . भूमिका शर्मा उपाध्यक्ष . हिमानी महासचिव तथा नीलाक्षी महर्षि संयुक्त सचिव चुनी गयी हैं। महाराजा कॉलेज में संजय सिंह शेखावत अध्यक्ष . दशरथ चौधरी उपाध्यक्ष . उत्सव पारीक महासचिव तथा अशोक चौधरी संयुक्त सचिव निर्वाचित हुए जबकि विधि कॉलेज ..पांच वर्षीय.. में दिग्विजय सिंह अध्यक्ष और अभिषेक उपाध्यक्ष चुने गए। इसी तरह यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट्स में ..फिजिक्स डिपार्टमेंट.. महेश कुमार अध्यक्ष चुने गये हैं। इसी प्रकार लॉ डिपार्टमेंट में सुमित अध्यक्ष एवं मोनिका चौधरी महासचिव तथा पब्लिक एडमिन डिपार्टमेंट में रजत अध्यक्ष . सोशलॉजी विभाग में प्रियंका चौधरी अध्यक्ष निर्वाचित घोषित की गयी हैं। 

इससे पहले कडी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह दस बजे मतगणना शुरु हुई थी। उल्लेखनीय है कि गत 23 अगस्त को छात्र संघ के चुनाव हुए लेकिन चुनाव में लिंगदोह समिति की सिफारिशों की पालना नहीं करने पर उच्च न्यायालय ने चुनाव परिणाम पर रोक लगा दी थी। इसके बाद न्यायमूर्ति मनीष भंडारी की एकलपीठ ने पिछले 27 नवम्बर को चुनाव ही रद्द कर दिया। एकलपीठ के इस फैसले के विरोध में छात्रों ने आंदोलन शुरु कर दिया और काफी उत्पात मचाया लेकिन गत पांच दिसम्बर को उच्च न्यायालय ने एकलपीठ के चुनाव रद्द करने के फैसले को पलटते हुए छात्र संघ के चुनाव परिणाम घोषित करने के आदेश देने से परिणाम घोषित किए जा सके।

सपनों के सौदागर से रहें सावधान : नीतीश

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी को सपनों का सौदागर बताते हुए लोगों को सावधान रहने की अपील की है। श्री नीतीश कुमार ने आज यहां जिला परिषद मैदान में आयोजित एक चुनावी सभी को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के नेताों ने लोकसभा चुनाव के समय बड़ेशबड़े वादे किए और चुनाव जीतने के बाद सभी वादे भूल गए। उसी तरह के लोक लुभावन नारे झारखंड के चुनाव में भी किए जा रहे हैं और बड़ेशबड़े वादे किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनकी कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। ये कहते कुछ है और करते कुछ और है।भाजपा ने युवा पीढ़ी को रोजगार देने  किसानों को न्यूनतम मूल्य दिलाने के साथशसाथ देश की जनता से काला धन वापस लाकर उनके खातों में 15 से 20 लाख रूपये जमा कराने का लोक लुभावना नारा दिया लेकिन चुनाव जीतने के बाद सभीे वादे भूल गए।  उन्होंने कहा कि यह तो होना ही था। 
     
श्री नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा के लोग गठबंधन करने पर  बड़ी कीमत चुकाने की बात करते है। अगर ऐसा हैै तो वे बताए कि केन्द्र एवं महाराष्ट्र के अतिरिक्त झारंखड में चुनाव लड़ने के लिए आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के साथ गठबंधन के लिए कितनी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां भी जाते है वहां कहते है कि हम आपके र्कजदार है। उन्हें बताना चाहिए कि कितना र्कज ले चुके है। इन दिनों रेडियों पर लोगों से मन की बात करते है । भाजपा के लोग समाज को बांटने का काम करते हैं। बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों के नाम पर डराते हैं। उन्होंने लोगों से सोंच समझ कर वोट करने की लोगों से अपील क रते हुए कहा कि झारखंड में जदयू    राजद और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहा है इसलिए गठबंधन के उम्मीदवारों को भारी से भारी मतो से विजयी बनाए। सभा को मंत्री विजय कुमार चौधरी  श्रवण कुमार सिंह  मन्नान मल्लिक सिंह ने भी संबोधित किया। 

नियोजित शिक्षकों का कल से वेतनमान यात्रा शुरू

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बिहार नियोजित शिक्षक न्याय मोर्चा एवं वित्त रहित शिक्षक संघर्ष समिति ने ..समान काम के लिये समान वेतन दिये जाने की मांग को लेकर कल से वेतनमान यात्रा शुरू करने की घोषणा की है । मोर्चा एवं संघर्ष समिति के मुख्य संरक्षक और विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य के प्राथमिक . माध्यमिक और  उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पठनशपाठन नियोजित तथा वित्त रहित शिक्षकों पर ही पूरी तरह से निर्भर है । इसके बावजूद नियोजित एवं वित्त रहित शिक्षक सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहे है। श्री सिंह ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को कम वेतन मिलता है और वह भी छह से आठ माह पर 1 अनियमित एवं अल्प वेतन मिलने से शिक्षकों की स्थिति काफी खराब हो गयी है ।  उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का नारा देकर समान स्कूल प्रणाली आयोग का गठन किया था लेकिन इसकी सिफारिश को अभी तक लागू नही किया जा सका है । इन शिक्षकों को समान काम के लिये समान वेतन नही दिया जा रहा है । 

विधान पार्षद ने कहा कि  2015 को ..वेतनमान वर्ष ..घोषित किया गया है और इसके तहत कल से वेतनमान यात्रा निकाली जायेगी 1इस यात्रा के क्रम में सभी जिलों का दौरा किया जायेगा और सरकार के झूठे दावे का पोल खोला जायेगा 1 उन्होंने कहा कि इसके बाद 22 फरवरी को पटना में नियोजित एवं वित्त रहित शिक्षक अधिकार रक्षा सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. इस मौके पर न्याय मोर्चा के प्रदेश संयोजक शिवेन्द्र कुमार पाठक. सह संयोजक रविरंजन ओझा . सचिव शिवनारायण पाल और  सचिव संतोष पासवान भी उपस्थित थे. 
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