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IOC, ONGC और ऑयल इंडिया पर प्रतिबंध लग सकता है

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सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और ऑयल इंडिया (ओआईएल) पर अमेरिकी प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिकी प्रशासन ने इन तीनों को दुनिया की उन पांच कंपनियों की सूची में रखा है, जिनके ईरान के साथ ऊर्जा संबंध रहे है। इनमें चीन की सीएनपीसी और सिनोपेक के साथ उक्त तीनों भारतीय कंपनियां शुमार हैं। ये आठ नवंबर, 2013 और एक दिसंबर, 2014 के बीच ईरान के ऊर्जा क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों में लिप्त रहीं। अमेरिकी ईरान प्रतिबंध अधिनियम में इस बाबत कड़े प्रावधान हैं।
अमेरिकी सरकार के जवाबदेही कार्यालय (यूएसजीएओ) ने '8 नवंबर 2013 और 1 दिसंबर, 2014 के बीच ईरान के उर्जा क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिवधियों में संलिप्त विदेशी कंपनियों'में ओएनजीसी, इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) तथा आयल इंडिया लिमिटेड के साथ साथ चीन की सीएनपीसी तथा सिनोपेक को रखा है।

अमेरिका के ईरान प्रतिबंध कानून के तहत वह विदेशी फर्मों सहित उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है जिन्होंने ईरान के उर्जा क्षेत्र में 12 महीने की अवधि में दो करोड़ डालर से अधिक का निवेश किया है। एक रिर्पोट के अनुसार ब्लॉक परियोजना में इसकी 40 प्रतिशत साझेदारी है। ओएनजीसी की भी इस ब्लॉक में इतनी ही साझेदारी है। जबकि इंडिया ऑयल की इसमें 20 प्रतिशत साझेदारी है। तीनों फर्मो ने जवाबदेही कार्यालय को एक जैसा जवाब दिया है। उनका कहना है कि फारसी ब्लॉक के लिए खोज अनुबंध 2009 में समाप्त हो चुका है। उन्होंने 2007 से ब्लॉक में कोई गतिविधि नहीं की है। 

ओएनजीसी की विदेशी निवेश इकाई ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) का नाम ईरान के साथ काम करने वाली कंपनियों की सूची से 2014 में हटा लिया गया था। यूएस जीएओ ने पिछले साल की रपट में ओएनजीसी तथा आयल इंडिया को अपनी रिर्पोट में शामिल किया था लेकिन आईओसी को 'अपर्याप्त सूचना उपलब्ध'होने के कारण अलग रखा था।




9 अप्रैल को सुनाई जाएगी सत्यम मामले में फैसला

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बहुचर्चित सत्यम कंप्यूटर घोटाला मामले में हैदराबाद की विशेष अदालत अपना फैसला 9 अप्रैल को सुनाएगी। देश में खातों में गड़बड़ी का यह सबसे बड़े मामला है जो 7 जनवरी 2009 को सामने आया था। सत्यम कंप्यूटर के संस्थापक और उसके चेयरमैन बी. रामलिंग राजू ने कथित तौर पर कंपनी के खातों में गड़बड़ी और सालों तक कंपनी का मुनाफा बढ़ाकर दिखाने की बात कबूत की थी। मामले के सभी आरोपी इस समय जमानत पर हैं।

करीब छह साल पुराने इस मामले की सुनवाई के दौरान तीन हजार दस्तावेजों को चिन्हित किया गया और 226 गवाहों से पूछताछ हुई। कॉरपोरेट जगत को हिला कर रख देने वाला यह मामला सात जनवरी 2009 को सामने आया था। तब सत्यम कंप्यूटर के संस्थापक और उसके तत्कालीन चेयरमैन बी रामलिंगा राजू ने खुद कंपनी के खातों में हेराफेरी की बात स्वीकार की थी। उसने कुबूला था कि कई सालों तक वह कंपनी का मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता रहा। इसके दो दिन बाद ही राजू के साथ उसके भाई बी रामा राजू तथा अन्य को आंध्र प्रदेश पुलिस की अपराध जांच शाखा ने गिरफ्तार कर लिया था।

राजू के अलावा इस मामले में नौ अन्य आरोपी हैं। इनमें सत्यम का पूर्व एमडी बी रामा राजू, पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी वाडलामणि श्रीनिवास, पूर्व पीडब्ल्यूसी ऑडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास, राजू का एक अन्य भाई बी सूर्य नारायण राजू, पूर्व कर्मचारी जी रामकृष्ण, डी वेंकटपति राजू और श्रीसेलम तथा कंपनी का पूर्व आंतरिक मुख्य लेखाकार वीएस प्रभाकर गुप्ता शामिल है। इस समय सभी आरोपी जमानत पर हैं। राजू और अन्य पर आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जालसाजी और विश्वास का उल्लंघन जैसे आरोप हैं।

पंडित बिरजू महाराज को मिला उस्ताद चांद खान लाइफ टाईम अचीवमेंट पुरस्कार

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कथक के महारथी पंडित बिरजू महाराज को लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराने की विरासत को आगे बढ़ाने और विश्व भर में कला की इस विधा का प्रसार करने के लिए हाल ही में उस्ताद चांद खान लाइफटाईम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.


 बिरजू महाराज ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘‘यह पुरस्कार मेरे लिए और भी अधिक खास है क्योंकि मुझे संगीत के विशेषज्ञों को सुनने और उनसे आशीर्वाद लेने का अवसर मिला. चूंकि हम सभी कला के क्षेत्र से हैं, मेरे पिता खान साहब के दोस्त थे. जब खान साहब 1944-45 के दौरान दिल्ली में थे ,तब मैं बच्चा था और कभी-कभी उस्ताम चांद खान के पास जाया करता था और उन्हें सुना करता था.’’

पंडित बिरजू महाराज को यह पुरस्कार दो दिवसीय संगीत मार्तंड उस्ताद चांद खान संगीत समारोह के अवसर पर दिया गया. इस दौरान भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई दिग्गजों ने विभिन्न रागों की शानदार प्रस्तुति दी. इन चर्चित कलाकारों में अजय चक्रवर्ती, राजन-साजन मिश्रा, शुभा मुदगल और उस्ताद इकबाल अहमद खान शामिल थे.

शुभा मुदगल ने अपनी प्रस्तुति दी . इसका समापन उन्होंने उत्तरप्रदेश और बिहार में चर्चित उप-शास्त्रीय गायन शैली ‘होरी’ के जरिए किया. वहीं पंडित अजय चक्रवर्ती ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की शैली खयाल और ठुमरी में गायन की प्रस्तुति की. राजन-साजन मिश्रा ने राग जयजयवंती और होरी के जरिए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. ठुमरी, दादरा, भजन और गजल शैलियों के गायन में भी सिद्धहस्त बिरजू महाराज ने कहा, ‘‘हम सबने अपना जीवन संगीत और भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न विधाओं को समर्पित कर दिया. यदि मुझे एक और जीवन मिलता है तो मैं उसे भी भारतीय शास्त्रीय कला को समर्पित कर देना चाहूंगा.’’

युवा पीढ़ी में भारतीय संगीत के प्रति रूचि का जिक्र करते हुए बिरजू महाराज ने कहा, ‘‘युवा पीढ़ी का रूझान भारतीय शास्त्रीय संगीत की ओर देखकर बहुत अच्छा लगता है. स्पिक मैके के जरिए, मैं कुछ स्कूलों और कॉलेजों में भी कथक को बढ़ावा देने के लिए जाता हूं तो देखता हूं कि छोटे बच्चे सीखने में रूचि रखते हैं. यह देखकर अच्छा लगता है.’’

नागालैंड के लोगों ने दिखाया जनभावना:शिवसेना

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दीमापुर में बलात्कार के एक आरोपी की पीट-पीटकर की गयी हत्या पर केंद्र ने भले ही नागालैंड सरकार से रिपोर्ट मांगी है पर, उसकी सहयोगी शिवसेना ने भीड़ के गुस्से को वाजिब ठहराने की कोशिश करते हुए कहा है कि यह महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों पर जनाक्रोश को दिखाता है।

शिवसेना ने यह भी कहा कि 16 दिसंबर, दिल्ली सामूहिक बलात्कार के गुनहगारों के साथ जो अंजाम होना चाहिए था वह नागालैंड में हुआ है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा गया है, नागालैंड के लोग लंबे समय से बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ का विरोध कर रहे हैं। लेकिन, उनके विरोध को नजरंदाज किया गया। बलात्कार की इस घटना पर जनाक्रोश फट पड़ा, इस घटना से लोगों का धैर्य जवाब दे गया, यह बढ़ते यौन अपराधों के खिलाफ जनाक्रोश है।

शिवसेना ने यह भी कहा कि पीट-पीटकर हत्या को कानून और व्यवस्था की नाकामी की घटना बताना मजाक होगा, खास कर तब जब सरकार महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों पर ठीक से कार्रवाई नहीं कर पा रही है। इसमें कहा गया है, कहा जा रहा है कि सरेआम व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या और फांसी पर लटकाना कानूनी तंत्र की विफलता है। यह अपने आप में एक मजाक है, अबला से बलात्कार के चलते कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो गयी, ऐसा सरकारी तंत्र को नहीं लग रहा बल्कि सरेआम दुष्कर्म के आरोपी को सजा दिए जाने पर उसे अहसास हो रहा है।

शिवसेना ने कहा कि जो घटना 16 दिसंबर, दिल्ली सामूहिक बलात्कार के गुनहगारों पर घटित होनी चाहिए थी इत्तेफाक से वह नागालैंड में हुयी है। संपादकीय में कहा गया है, दिल्ली में जो होना चाहिए था वह नागालैंड में घटित हुयी। 16 दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले में आरोपी अभी तिहाड़ जेल में है और विदेशी खबरिया चैनल टीवी पर उसकी जिंदगी को ऐसे दिखा रहा है जैसे कि वह नायक है।

बलात्कार के मामले में कार्रवाई की धीमी प्रगति की आलोचना करते हुए इसमें कहा गया है, बलात्कार के मामले पर हमारा न्यायिक तंत्र घोंघे चाल से चलता है। चाहे जितना भी मामला मजबूत हो हम आश्वस्त नहीं हो सकते कि बलात्कारी को फांसी होगी ही। और अगर आरोपी नाबालिग है तो उसे बाल सुधार गह भेजा जाता है जहां मानवीयता के नाम पर उसे सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जाती है। इसमें कहा गया है कि दीमापुर में बलात्कार के आरोपी की पीट-पीटकर हत्या की घटना को कोई तालिबानी कृत्य कहेगा, तो पहले उसे विचार करना होगा कि आखिर जनता ने कानून अपने हाथ में क्यों लिया। 

बिहार के मधेपुरा और मढ़ौरा के इंजन कारखाने को हरी झंडी

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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज बिहार में रेल इंजन के निर्माण से जुड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दो बड़े प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। मंजूरी के बाद बिहार में 2400 करोड़ रुपये लागत से डीजल और इलेक्ट्रिक इंजनों के कारखाने लगाने का रास्ता साफ हो गया है। इलेक्ट्रिक इंजन का कारखाना मधेपुरा और डीजल इंजन का कारखाना मरहोडा में लगाने का प्रस्ताव है। रेल मंत्रालय के मुताबिक दोनों कारखानों के लिये बोली भेजने वाली कंपनियों को छाँट लिया गया है साथ ही इन कंपनियों को इसकी जानकारी भी भेज दी गयी है।

मधेपुरा कारखाने के लिए 4 विदेशी कंपनियाँ अलस्टोम, सीमेंस, जीई और बॉम्बार्डियर को शॉर्टलिस्ट किया गया है वहीं मरहोडा कारखाने के लिए जीई और ईएमडी को शॉर्टलिस्ट किया गया है। निविदाएं 31 अगस्त को खोली जाएंगी। निविदा की शर्तों के मुताबिक मधेपुरा कारखाने से अगले 11 साल में 800 इलेक्ट्रिक इंजन बनाये जाएंगे जिसमें से 5 का आयात किया जायेगा। वहीं मरहोडा कारखाने से अगले 10 साल में 1000 इंजन बनाये जाएंगे। इन कारखानों में रेलवे की 26% हिस्सेदारी होगी वहीं विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी 74% होगी। रेलवे में विदेशी निवेश की सीमा 100% है। इन दोनों कारखानों का ऐलान 2008 में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था।

तोगड़िया ने किया आलम को फिर से गिरफ्तार करने की मांग

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विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता प्रवीण तोगड़िया ने कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मुसर्रत आलम की रिहाई को लेकर आज जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पर निशाना साधते हुए कहा कि आलम को फिर से गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष तोगड़िया ने कहा, ‘‘मुफ्ती मोहम्मद सईद के भाषणों और उनके कदमों से भारतीय जनता का सर झुक गया है. उन्हें उनको मुख्यमंत्री बनाने वाली जनता का धन्यवाद करना चाहिए था, इसके बजाय उन्होंने पाकिस्तान का धन्यवाद किया. क्या वह अगला चुनाव पाकिस्तान से लड़ने की योजना बना रहे हैं.’’ उन्होंने सईद के इस बयान को लेकर भी सवाल किया कि आलम को न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए रिहा किया गया है.

तोगड़िया ने कहा, ‘‘अगर वह कहते हैं कि उसकी रिहाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया गया है तो फिर ऐसे में वह इतने लंबे समय से वह सलाखों के पीछे क्यों था.’’ उन्होंने कहा कि आलम को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

जीतन राम मांझी एक दिन की भूख हड़ताल पर

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जिस तरह अरविंद केजरीवाल 'आप'लिखी गांधी टोपी पहनकर संघर्ष करते हुए दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए ठीक उसी तरह का नजारा पटना के गांधी मैदान में देखने को मिला. मौका था जीतन राम मांझी के एक दिन की भूख हड़ताल का. मांझी अपने समर्थकों के साथ हम लिखी गांधी टोपी पहनकर, नीतीश सरकार द्वरा उनकी केबिनेट में लिए फैसलों को निरस्त करने के विरोध में एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.

 मांझी ने हाल में ही जनता दल युनाइटेड से बगावत कर नई पार्टी बनाई है जिसका नाम है हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा. गौरतलब है कि मांझी ने अपने छोटे से कार्यकाल में गरीबों, कर्मचारियों, पुलिस, शिक्षकों और नौजवानों के लिए करीब 34 निर्णय लिए थे, जिन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने होली के एक दिन पहले निरस्त कर दिया.

इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मांझी ने कहा कि नीतीश अंहकारी हो गए हैं और उनके इन फैसलों से जल्द ही उनका बुरा वक्त आने वाला है. गांधी मैदान पर मांझी के इस धरने में उनके पिछली सरकार के कुछ मंत्री और विधायक हैं जो मांझी को उनके इस धरने में समर्थन दे रहे है.

गौरतलब है कि बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मांझी मंत्रिपरिषद द्वारा बीते 10, 18 और 19 फरवरी को लिए गए 34 फैसलों को रद्द कर दिया गया था. नीतीश ने कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को लेकर जनता से माफी मांगी थी. तब राजनीतिक पंडितों ने कहा था कि नीतीश ने अरविंद केजरीवाल की तरह ही जनता से माफी मांगी थी.




शेयर बाजारों में गिरावट 600 अंक नीचे आया सेंसेक्स

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 अमेरिका में ब्याज दरों के बढ़ने की आशंका से दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। सेंसेक्स और निफ्टी भी इससे अछूते नहीं हैं। सेंसेक्स और निफ्टी करीब 1.75 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं।  सबसे ज्यादा गिरावट बैंकिंग और मेटल शेयरों में देखने को मिल रही है। सीमेंट कंपनियों के शेयरों में भी अच्छी गिरावट है। मिडकैप और स्मॉलकैप भी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। 

फिलहाल बीएसई सेंसेक्स 508.65 (-1.73%) पॉइंट की गिरावट के साथ 28,940.30 पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी 156.50 (-1.75%) पॉइंट नीचे कारोबार कर रहा है । शेयर बाजार के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका में आए बेहतर जॉब आंकड़ों से ब्याज दरें बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। एक्सपर्ट्स अमेरिका और एशिया के शेयर बाजारों में भा्री बिकवाली के लिए इसे ही जिम्मेदार मान रहे हैं। हालांकि लॉन्ग टर्म में उन्हें सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी बरकरार रहने की उम्मीद है। 

निफ्टी फिफ्टी में शामिल कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा बढ़त के साथ कारोबार करने वाले शेयरों में जिंदल स्टील, एचयूएल, ल्यूपिन, एनएमडीसी, डॉ.रेड्डी और सन फार्मा रहे। सबसे ज्यादा गिरावट के साथ कारोबार करने वाले शेयरों में हिंडाल्को, आईसीआईसीआई बैंक, सेसा स्टरलाइट, भेल, गेल, अंबुजा सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, टाटा पावर शामिल हैं। इन कंपनियों में 3 फीसदी से लेकर 4.50 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल रही है।

तेलंगाना विधानसभा से तेलुगू देशम पार्टी के 10 विधायक निलंबित

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तेलंगाना में विधानसभा की कार्यवाही बाधित करने के कारण विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के 10 विधायकों को सोमवार को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। राज्य के संसदीय काय मंत्री टी. हरीश राव ने इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष एस. मधुसूदन चारी ने तेदेपा विधायकों को निलंबित करने की घोषणा की।

जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई राव ने सात मार्च को सदन के संयुक्त सत्र में राज्यपाल के संबोधन के दौरान राष्ट्रगान का अपमान किए जाने के मामले में विधायकों से माफी मांगने के लिए कहा। वहीं, तेदेपा के सदस्य राज्यपाल के संबोधन के दौरान विपक्षी सदस्यों पर कथित हमले के लिए सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए विधानसभा अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंच गए।

इसी हंगामे के बीच राव ने तेदेपा विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया। तेदेपा विधायकों ने बाद में अपने निलंबन के विरोध में विधानसभा के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शन किया।


घडि़याली आंसू के बजाय राष्ट्रहित में पीडीपी से समर्थन वापस लें भाजपा

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जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में देश की एकता और अखंडता के साथ-साथ राष्ट्रवाद की दुहाई देने के बजाय देशहित में बिना बिलंब किए पीडीपी से समर्थन वापस लेना चाहिए। क्योंकि मुफ्ती मोहम्मद सईद जिस तरह एक के बाद एक बयान देने के साथ मनमाना हरकतें कर रहे है, वह देशहित में तो कत्तई नही है। इससे बड़ी बात तो यह है कि जिस उम्मीद पर विपरीत विचारधारा वाले के साथ मिलकर भाजपा ने सरकार बनाई है उसके अरमानों पर पलीता तो लग ही रहा, साख पर भी बट्टा अलग से लगता दिख रहा है। समय रहते भाजपा न चेती तो तो यह मुद्दा उसके गले की हड्डी बनते देर नहीं लगायेगा। मतलब साफ है पीडीपी ने सप्ताहभर में अपने बयानों व हरकतों के जरिए देश को इतना शर्मसार किया तो इसके लिए कहीं न कहीं भाजपा ही जिम्मेदार है, जिसकी कीमत देश को चुकानी पड़ रही है। क्योंकि पीडीपी की मंशा साफ हो चली है कि वह न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि आतंकी संगठनों की भी बड़ी हिमायती है 
वैसे भी मुफ्ती मोहम्मद सईद पहले से ही विवादों के घेरे में रहे है, खासकर उस वक्त जब उनकी बेटी के अपहरण की घिनौना हरकत सामने आया था। वीपी सिंह की सरकार में सईद गृह मंत्री थे। उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे। उनके गृह मंत्री रहते आतंकियों ने उनकी बेटी रुबिया सईद का अपहरण कर लिया। रुबिया को छुड़ाने के लिए उन्हें दो आतंकियों को रिहा करना पड़ा। बाद में पता चला कि रुबिया के अपहरण का नाटक खुद सईद की सहमति से रचा गया था। कहा जा सकता है कि सईद की सहानुभूति हमेशा आतंकियों के साथ रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जिस राष्टधर्म की दुहाई आज बीजेपी या आरएसएस दे रही है वह पीडीपी के साथ गठबंधन करते वक्त क्यों नहीं पड़ताल की सईद के क्रियाकलापों की जिनकी बुनियाद ही आतंकियों या उसके विपरीत विचारधारा पर टिकी है। मतलब साफ है वहां जो कुछ भी हुआ वह सिर्फ सत्तालोलुपता में ही बीजेपी ने किया। अपनी साख बचाने के लिए लाखों लोगों के अरमानों पर सिर्फ इसलिए पानी फेर दिया कि विपक्षियों से कह सके कि दिल्ली भले ही उसके हाथ नहीं आई, लेकिन जम्मू-कश्मीर उसके साथ है। अच्छा तो यही होगा भाजपा धरना-प्रदर्शन की नौटंकी व घडि़याली आंसू बहाना या बयानबाजी बंद कर इस गंभीर मसले पर जनता को बताएं कि सत्ता की लोलुपता में उसने पर्दे के पीछे क्या-क्या समझौते किए है। ऐसी कौन सी मजबुरिया है जो हमेसा दल से बड़ा देश व अपने को राष्ट्रवादी होने की दुहाई तो देता है लेकिन पीडीपी के उलूल-जुलूल हरकतों व बयानों के आगे नतमस्तक है। जिसकी कीमत भाजपा को नहीं देश को चुकानी पड़ रही है। जो भी हो समय रहते इस प्रकरण का निराकरण न हुआ तो उसके इस घिनौनी हरकत के लिए भाजपा को  जनता कभी माफ नहीं करेगी। सईद को अब और मौका मिला तो जिस तरह कंधार में वह आतंकियों को छोड़ आएं उसी तरह भारत के जेलों में कैद आतंकियों को तो छोड़ेंगे ही हाफिज सईद, लखवी व दाउद इब्राहिम को भी पाकिस्तान से लेकर कश्मीर में बसा देंगे।

उधर, जो मसरत आलाम रिहा हुआ है वो सीना ठोंक कर कह रहा है कि सरकार ने कोई एहसान नहीं किया। पहले छोटी जेल में बंद था, अब बड़ी जेल में आ गया है। जम्मू कश्मीर की जनता ये हालात बदलेगी। यानी उसके बेबाक तेवर अब भी कायम है और वह कश्मीर पाकिस्तान को सौंपने के लिए हर चाले चलेगा, इसके लिए उसे खून की नदिया बहानी पड़ी तो पीछे नहीं हटेगा। हालात देखकर अब यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री द्वारा यह कहा जाना कि जम्मू-कश्मीर सरकार केंद्र से सलाह-मश्विरा किए बिना फैसले कर रही है, यह गले के नीचे उतरने वाला बयान नहीं है। हमें देशभक्ति न सिखाएं। हमने वहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिया है। जैसे ही हमें इस बारे (आलम की रिहाई को लेकर) में सूचना मिली, हमने प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी। वह रिपोर्ट हमें मिल चुकी है। हम जम्मू-कश्मीर सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। हमने रिपोर्ट को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। स्पष्टीकरण मिलने के बाद सख्त से सख्त एडवाइजरी जारी की जाएगी। जैसे बयान सिर्फ द्विगभ्रमित करने के सिवाय कुछ भी नहीं। जम्मू एवं कश्मीर में गठबंधन धर्म मुफ्ती नहीं निभा पाएंगे। जम्मू एवं कश्मीर के मतदाताओं तथा भारतीय संविधान विधान के साथ मुफ्ती मोहम्मद सईद निष्ठा से कार्य करने के बजाय अलगाववादी नेताओं सहित पाकिस्तानी आतंकवादियों के ही हित वाले फैसले लेने में विश्वास रखेंगे। पीडीपी तथा भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार बनते ही मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पहले राज्य में हुए शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय आयोग को देने के बजाए पाकिस्तान व अलगाववादियों की रहम को बताया फिर अफजल गुरु के अवशेष पाकिस्तान को भेजने और अब सहयोगी को विश्वास में लिए बिना हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता या यूं कहें पत्थरमार हुजूम का अगुआ मसरत आलम की रिहाई के साथ एक-एक कर विवादित बयान तो देश हित में कत्तई नहीं है। उनकी हरकतें तो यही ईशारा कर रहे है कि वह एक कुशल राजनैतिक नेता नहीं, बल्कि आतंकवादी व अलगाववादी संगठनों के हमदर्द है। खासकर शीर्ष अलगाववादी नेता मशरत आलम की रिहाई से तो बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि वह देश हित में कम आतंकवाद हित में ज्यादा विश्वास रखते है। जबकि यह जानते हुए भी कि मशरत आलम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि वह कोई राजनीतिक कैदी नहीं बल्कि आतंकवादी है। अगर ऐसे राष्ट्रद्रोही व पाकिस्तान समर्थक तत्वों को रिहा किया जाता है तो भाजपा की साख पर बट्टा लगना स्वाभाविक है, क्योंकि उसी के गठबंधन पर सरकार चल रही है। वैसे भी आतंकवादियों की रिहाई और उनका पुनर्वास गठबंधन की शर्तो में शामिल नहीं है। आलम की रिहाई कश्मीर घाटी की शांति के लिए बड़ा जोखिम तो है ही उसके जरिए पाक आतंकियों की सीमा में घुसने की राह आसान हो जायेगी। सबकों पता है कि आलम की निगरानी में हुई पत्थरबाजी से सैकड़ों बेकसूरों की जानें तो गईं ही, वह सैयद अली शाह गिलानी से भी ज्यादा ताकतवर शख्स है और उसके पास पत्थरबाजों व युवाओं की बड़ी फौज है।

देखा जाय तो मुख्यमंत्री सईद के बयान ने साफ कर दिया है कि तनी हुई रस्सी व सतरंजी चालों की विसात पर बनी पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल सकती। क्योंकि पीडीएफ का जन्म ही आतंकी संगठनों के सह पर हुआ है। मुख्यमंत्री की निगाह में भारतीय चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली तथा मतदाताओं के सापेक्ष अलगाववादियों-आतंकवादियों व पाकिस्तान का महत्व ज्यादा है। सईद को प्रदेश में बाढ़ की त्रासदी से कराह रहे पीडि़त जनता के पुर्ननिर्माण तथा उनके विकास की योजनाएं बनाने से ज्यादा अफजल गुरु सहित आतंकवादी व आतंकवाद से मेलजोल रखने वालों का फिक्र ज्यादा है। माना कि 67 सीटों वाली विधान सभा में पीडीपी को 28 और भाजपा को मिली 25 सीटों के परिणामों ने ऐसे समीकरण बनाये थे कि गठबंधन की आवश्यकता थी। लेकिन बीजेपी को अपने वादों की तिलांजलि देकर गठबंधन करना कहीं से भी अच्छा नहीं कहा जा सकता। खासकर जो चुनाव से पूर्व जिस पीडीपी को बीजेपी अपना दुश्मन नम्बर वन मानती रही उसी के साथ मिलना तो कत्तई ठीक नहीं था। जिस प्रदेश की भलाई तथा सरकार में हिस्सेदारी के नाम पर भाजपा ने गठबंधन के लिए हामी भरी वह भूल गयी कि कश्मीर को रक्तपात और अशांति में फंसाने वाला पाकिस्तानी समर्थक पीडीपी ही है। घाटी छोड़ने को मजबूर हुए 3.70 लाख हिंदू और सिख परिवारों को लेकर फैसला लेने के लिए भाजपा की इच्छाशक्ति कैसे मर गयी।

सईद के इस हरकत के बाद सहयोगी बीजेपी के साथ भविष्य के रिश्तों को लेकर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं। भाजपा के लिहाज से शुरूआत अच्छी रही कि पहली बार उसके विधायक मंत्री बने, लेकिन दिन बीतने के साथ ही यह सारी खुशी काफूर हो गई। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की कथनी और करनी में फर्क है। नार्थ और साउथ पोल गठबंधन की सरकार के शुरुआत में जिस तरह से विवादस्पद बयानबाजी हुई है, उससे अस्थिरता का माहौल रियासत में बना हुआ है। लोग भ्रमित हैं कि कभी भी कुछ हो सकता है। ऐसे माहौल में जनता से जुड़े मुद्दे पीछे छूट रहे हैं। लोगों को बिजली, पानी, सड़क, राशन, रोजगार चाहिए। सबसे अहम बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास चाहिए, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए हैं। सईद भाजपा से बेमेल गठबंधन करके विवादास्पद बयान देकर जनहित के मुद्दों से रियासत के लोगों को ध्यान भटका रहे है। बाढ़ प्रभावितों को राहत और पुनर्वास की जरूरत हैं लेकिन इस तरफ अभी तक पीडीपी भाजपा सरकार का ध्यान नहीं गया है। रियासत की सत्ता संभालने के तीसरे ही दिन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने पुलिस महानिदेशक को पूर्व और जेल से छूटे आतंकियों के पुनर्वास के लिए पुख्ता योजना बनाने के निर्देश जारी कर कहा कि आत्म समर्पण कर चुके और जेलों से सजा काट कर रिहा हुए आतंकियों को मुख्यधारा में लौटने का मौका दिया जाना चाहिए। ऐसे में आलम को दोबारा गिरफ्तार किया जाए। अगर वे कहते हैं कि उसकी रिहाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया गया है, तो फिर ऐसे में वह इतने लंबे समय तक सलाखों के पीछे क्यों था। राष्ट्र विरोधी आलम की रिहाई की वजह से मुंबई हमले का प्रमुख साजिशकर्ता व मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी को लेकर भारत का दावा खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि आलम की ओर से रची गई साजिश के तहत राज्य में पथराव की घटनाएं हुई थीं। इनमें सवा सौ लोगों की मौत हुई थी। 

अगर ऐसे राष्ट्रद्रोही व पाकिस्तान समर्थक तत्वों को रिहा किया जाता है तो गठबंधन सरकार चलाना काफी मुश्किल होगा। आरएसएस अगर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगा रही है तो इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। मुफ्ती की हरकते उनकी भारतीयता होने पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। बीजेपी को सईद से पूछना चाहिए कि वो भारतीय हैं या नहीं। हालांकि बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि सईद तक संदेश भिजवाया गया है कि वे पाकिस्तान या अलगाववादियों को शह देने वाले बयानों के बजाय विकास के एजेंडा व आम जनता के मुद्दों को सामने रखे। साथ ही पार्टी ने अपने विधायकों को भी साफ कर दिया है कि सरकार अपने हिसाब से चलेगी, लेकिन वे पार्टी की नीतियों के मामलों में बिना किसी संकोच के अपनी बात जनता में रखें। छह साल के लिए बनी सरकार अगर छह दिन में भी एक दूसरे के साथ नहीं चल सके तो इसके अच्छे संकेत नहीं जाएंगे। हालांकि सईद सरकार के इस फैसले से पीडीपी और भाजपा में टकराव तो बढ़ गया है, लेकिन अच्छा तो यही होगा कि जल्दी से उससे अपना नाता भी तोड़ लें। क्योंकि 2008 एवं 2010 में घाटी में पथराव आंदोलन की अगुवाई किया बल्कि उस पर 10 लाख का नकद इनाम घोषित किया गया था। उस पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के भी आरोप है। आलम की मुस्लिम लीग गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का हिस्सा है। उसे उस राष्ट्र विरोधी प्रदर्शनों को हवा देने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसमें 120 से ज्यादा लोग मारे गये थे और हजारों अन्य घायल हो गये थे। वर्ष 2010 में भूमिगत रहने के कारण आलम सीमा पार के अपने आकाओं के करीबी संपर्क में था और उसने गिलानी को हाशिये पर डालते हुए कट्टरपंथी अलगाववादी राजनीति में मुख्य भूमिका निभानी शुरू कर दी।

मसरत आलम के खिलाफ 1995 से लेकर अब तक 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें हत्या की कोशिश और देशद्रोह जैसे मुकदमे भी शामिल हैं। खबर है कि मसरत के बाद जम्मू-कश्मीर के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद एक और अलगाववादी नेता आशिक हुसैन फकटू को रिहा करने की तैयारी कर रहे हैं। आशिक 22 सालों से जेल में है। आशिक को मानवाधिकार कार्यकर्ता एचएन वांचू की हत्या का दोषी पाया गया था और वह उम्रकैद काट रहा है। आशिक जमियत उल मुजाहिदीन नाम के आतंकी संगठन का पूर्व कमांडर है। सुरक्षा एजेंसियों ने आलम के रिहा किए जाने और फकटू की संभावित रिहाई के चलते घाटी में अशांति फैलने की आशंका जताई है। जम्मू-कश्मीर की अवाम को रोजगार, शिक्षा, व्यापार और पर्यटन की जरूरत है, न कि आतंकवाद बढ़ाने की। अनुच्छेद 370 हर हाल में हटाया जाना चाहिए। यह हर भारतीयों की इच्छा है। जिन शर्तों पर जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल किया गया, उन्हीं शर्तों पर हैदराबाद और जूनागढ़ को भी भारत में शामिल किया गया। लेकिन उन्हें जम्मू-कश्मीर जैसा स्पेशल स्टेटस नहीं मिला है। 








लेखक: सुरेश गाँधी 
 आज तक टीवी न्यूज चैनल से है 

मैट्रो की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ मैट्रो पिलरों के नीचे अवैध कब्ज़े और पार्किंग

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नई दिल्ली। दिल्ली मैट्रो  की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते है की किस प्रकार भू माफियाओं में मैट्रो पिलरों के नीचे बड़े बड़े भूखंडों पर अवैध निर्माण कर व्यवसायिक गतिविधियां चला रखी है। ऐसी ही एक खतरे का कारन बनी अवैध और गैर क़ानूनी रूप से कब्ज़ा करके फुटपाथ पर बनाई दुकान और गाड़ियों में ट्रू वैल्यू (सच्ची कीमत) नामक गाड़ियों के शो रूम तक खुले दिखयी दे  गए । मोतीनगर चौक के साथ कीर्ति नगर मैट्रो स्टेशन से निकलते ही यह सुरक्षा में सेंध लगाती कम्पनियाँ सरकारी भूमि पर कब्ज़ा करके करोड़ों के वारे न्यारे करके अपना उल्लू सीधा कर रही है।



वहीँ दिल्ली मैट्रो रेल कार्पोरेशन अपनी आँखे बंद करके किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है यहां  मैट्रो  की सुरक्षा में लगे बड़े अधिकारीयों को यह अतिक्रमण नज़र नहीं आता ?आलम यह है कि कोई भी देशविरोधी किसी भी समय कोई भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे सकता है। क्योंकि फूटपाथ पर कब्ज़ा करके रेलिंग लागा  दी गयी है और उसमें पुरानी नयी करों की कतार कड़ी रहती है। जिससे सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगता है की कैसे मैट्रो अधिकारीयों ने यह कब्ज़ा होने दिया और निगम को कब्ज़ा हटाने के लिए क्यों नहीं कहा ? प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम के अधिकारीयों और स्थानीय नेताओं की शय के कारण इनपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्थानीय पुलिस को भी मलाई खाने को मिल रही है तो उसने भी कभी कब्जे को रोकने की ज़हमत नहीं उठाई। फूटपाथ पर बनी अवैध पार्किंग भी जहां यातायात बाधित कर रही है  यहाँ सेंकडों गाड़ियां अवैध रूप से पार्क होती है जिसपर करोलबाग़ जोन निगम और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं करती। वही ठीक मैट्रो पिलर के नीचे होने से आतंवादियों को गताना को अंजाम देने के लिए अपनी सहमति मैट्रो अधिकारीयों,स्थानीय पुलिस,करोलबाग जोन के निगम अधिकारीयों के कारण दी हुई प्रतीत होती है। बहराल दिल्ली मैट्रो इन अतिक्रमणों और मैट्रो पिलरों के नीचे कब्जों से कब मुक्त करता है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा। 

अशोक कुमार निर्भय 
वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 
4/6 मोतीनगर दिल्ली -110015 
9210043206 

मुफ्ती सरकार मसरत के बाद एक और अलगाववादी को रिहा कर सकती है

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अलगाववादी मसरत आलम को रिहा करने पर उठा सियासी तूफान अभी शांत भी नहीं हुआ है कि मुफ्ती सरकार एक और अलगाववादी को रिहा करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में मुफ्ती सरकार तीन और राजनीतिक कैदियों को रिहा कर सकता है। इनमें से एक कैदी उम्रकैद की सजा काट रहा है। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी-पीडीपी का सियासी घमासान चरम पर पहुंचने के आसार हैं।

सूत्रों की मानें तो मुफ्ती अब पिछले 22 साल से श्रीनगर जेल में बंद आशिक हुसैन फकतू को रिहा करवाने की कोशिश कर रहे हैं। फकतू घाटी में सबसे लंबे समय तक जेल में रहने वाला कैदी है। फकतू इस्लामी संगठन जमीयत-उल-मुजाहिदीन का पूर्व कमांडर है। उसे मानवाधिकार कार्यकर्ता हृदय नाथ वांचू की हत्या में शामिल होने के लिए उम्र कैद की सजा दी गई है।

अगर ऐसा होता है तो आने वाले वक्त में बीजेपी और पीडीपी के बीच रिश्ते और खराब होने तय हैं। पहले ही मसरत की रिहाई पर दिल्ली में सियासी घमासान मचा हुआ है। बीजेपी पर चौतरफा वार हो रहे हैं और पार्टी बैकफुट पर है। और अगर ऐसे में फकतू को भी रिहा कर दिया जाता है तो बीजेपी किस तरह इसका सामना करेगी, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।

मलेशियाई एयरलाइंस के लापता विमान की बैटरी पुरानी थी

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मलेशियाई एयरलाइंस ने कहा कि लापता विमान एमएच370 के फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर की बैटरी पुरानी थी। इस पर हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के वकीलों ने कहा है कि इससे परिजनों की मुआवजे की मांग और भी पुख्ता हो जाती है।

वकीलों ने कहा कि बैटरी की अवधि दिसंबर 2012 में ही समाप्त हो गई थी और उसे बदला नहीं गया था और यह बात एयरलाइंस के खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
गौरतलब है कि पिछले साल आठ मार्च को कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरने वाले एमएच370 विमान लापता हो गया था और इसके पीछे के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका। जिससे यह इतिहास की सबसे बड़ी रहस्यमयी दुर्घटना बन गई। इस विमान में 227 यात्री और 12 क्रू सदस्य सवार थे।

विमान के लापता होने पर एक 584 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट रविवार को जारी की गई। जिसमें कहा गया है कि फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर की बैटरी की अवधि पहले ही समाप्त हो गई थी और उसे बदला नहीं गया था। बीकन बैटरी से समुद्र में विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में सिग्नल मिलते है लेकिन बैटरी के पुराना होने के कारण अगर वह मिल भी जाती है तो घटना के कारणों का खुलासा नहीं हो सकेगा।

पीड़ित 20 परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही अमेरिकी कानून कंपनी ने कहा कि पुरानी बैटरी के मिलने से मुआवजा मिलना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि लापता विमान की असफल जांच के लिए यह एयरलाइंस जिम्मेदार है।

डॉक्यूमेंट्री को बैन कर अंतरराष्ट्रीय खुदकुशी की है भारतः लेसली उडविन

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16 दिसंबर के गैंगरेप पर बने डॉक्यूमेंट्री के ब्रिटिश फिल्म निर्माता ने कहा है कि भारत ने इस डॉक्यूमेंट्री को बैन कर ‘अंतरराष्ट्रीय आत्महत्या’ की है. विवादास्पद फिल्म ‘इंडियाज डॉटर’ की डायरेक्टर लेसली उडवीन ने यह भी कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आभार जताने के उनके उद्देश्य को ‘देश पर उंगली उठाने’ के रूप में गलत तरीके से लिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पूरा उद्देश्य वास्तव में भारत की सराहना करने के लिए उसका एक ऐसे देश के रूप में आभार प्रकट करना था, जिसने इस रेप पर अनुकरणीय प्रतिक्रिया दी थी, जहां कोई व्यक्ति यह देख सके कि बदलाव शुरू हो गया है.’’ लेसली ने कहा कि सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि वे लोग अब मुझ पर यह आरोप लगा रहे हैं कि मैं भारत पर उंगली उठाना और भारत को अपमानित करना चाहती थी तथा यह वे लोग हैं जिन्होंने इस फिल्म को बैन कर अंतरराष्ट्रीय आत्महत्या की है.

विवाद छेड़ने वाले इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के बाद उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पिछले हफ्ते इसके प्रसारण को बैन कर दिया और वीडियो साझा करने वाली वेबसाइट यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के सारे लिंक हटाने को कहा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ‘बेटी बचाओ अभियान’ की तरह के विचार ही इस फिल्म में देखेंगे. लेसली ने कहा, ‘‘यदि वह (मोदी) इस डॉक्यूमेंट्री को एक घंटा देखें, तो वह सत्ता में आने के बाद से अपने ही बयानों को इस फिल्म में देखेंगे.’’

उन्होंने सप्ताहांत पर कहा, ‘‘फिल्म वही बात कह रही है जो वह अपने बेटी बचाओ अभियान में कह रहे हैं.’’ यह डॉक्यूमेंट्री बीबीसी के ‘आईप्लेयर टूल’ के जरिए ब्रिटेन में अभी भी ऑनलाइन उपलब्ध है. एक चलती बस में 23 साल की निर्भया से रेप, प्रताड़ना और हत्या के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रहे चार लोगों में शामिल मुकेश सिंह का डॉक्यूमेंट्री में इंटरव्यू है. पुलिस ने बताया कि बैन इसलिए लगाया है कि अपराध के दोषी द्वारा फिल्म में की गई टिप्पणियों से ‘भय और तनाव’ का एक माहौल बन गया तथा इससे जनाक्रोश को हवा मिलने का खतरा है.

IS की रिफानरी पर US सेना ने किया हमला, 30 आतंकियों की मौत

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सीरिया में अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने तुर्की की सीमा के पास इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवादियों द्वारा चलाई जा रही तेल की एक रिफाइनरी पर हवाई हमले किए जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई। मृतकों के बारे में बताया जा रहा है है कि सभी आतंकी संगठन से जुड़े हुए लोग हैं।   

सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने इसकी जानकारी दी। संगठन के रामी अब्दुल रहमान ने बताया कि मरने वालों में तेल रिफाइनरी के कर्मचारी और आईएस के आतंकवादी शामिल हैं। यह रिफाइनरी तेल अब्याद शहर के पूर्वोत्तर में तुर्की सीमा के पास है।

आईएस के खिलाफ लड़ाई की निगरानी करने वाले अमेरिकी गठबंधन वाले संयुक्त कार्यदल ने कहा कि मृतकों की संख्या का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच की जाएगी। नवंबर में संयुक्त राष्ट्र ने तेल से आईएस को मिलने वाला राजस्व 8,46,000 से 1.6 मिलियन डॉलर प्रतिदिन आंका था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को 3 देशों के दौरे पर जाएंगे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को तीन द्वीपीय देशों के पांच दिवसीय दौरे पर रवाना होंगे। इन तीन देशों में सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका शामिल हैं।  प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि इन तीनों देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध हैं और इन देशों की जनता और भारतीय जनता के बीच भी मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा कि इन तीनों द्विपीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत के वाणिज्यिक सहयोग में वृद्धि हुई है और इससे सहयोग की नई संभावनाएं सामने आई हैं। जयशंकर के मुताबिक, ''हम संबंधों को लेकर बहुत आशावान हैं।''

मोदी की इस पांच दिवसीय यात्रा का पहला पड़ाव सेशेल्स है, जहां मोदी सेशेल्स के साथ सामुद्रिक संबंधों को मजबूत करने और द्विपक्षीय विकास सहयोग को बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति जेम्स एलेक्सिस माइकल के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। इंदिरा गांधी के बाद मोदी सेशेल्स की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले इंदिरा गांधी ने 1981 में सेशेल्स की यात्रा की थी।

प्रधानमंत्री मोदी 11-12 मार्च को मॉरीशस की यात्रा पर रहेंगे, जहां वह मॉरीशस के साथ भारत के विशेष और अद्भुत संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री सर अनिरूद्ध जगन्नाथ के साथ गहन बैठकें करेंगे। इस दौरान मोदी मॉरीशस की संसद को भी संबोधित करेंगे।

मोदी अपनी यात्रा के आखिरी चरण में 13-14 मार्च को श्रीलंका में होंगे और राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ बैठकें करेंगे। मोदी श्रीलंकाई संसद के विशेष सत्र को संबोधित करेंगे और भारतीय शांति स्थापना बल (आईपीकेएफ) स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इस दौरान वह महाबोधि सोसाइटी भी जाएंगे।

जयशंकर के मुताबिक, श्रीलंका में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए भारतीय सहायता से निर्मित कुछ मकानों को प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान सुपूर्द करेंगे।  उन्होंने कहा, ''हम श्रीलंका के पुनर्निर्माण में एक महत्वपूर्ण साझेदार रहे हैं।''

जयशंकर के मुताबिक, मोदी का श्रीलंका का यह दौरा पिछले दो दशकों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा। यह पूछने पर कि क्या मोदी श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे से मिलेंगे। जयशंकर ने कहा, ''अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।''मोदी ने रविवार को ट्विट के जरिए कहा था कि वह हिंद महासागर के मित्र देशों सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका के साथ भारत के संबंधों को आगे बढ़ाने के प्रति आश्वस्त हैं।

योगेंद्र यादव,प्रशांत भूषण और शांति भूषण ने कोशिश की पार्टी को हराने की : AAP

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आम आदमी पार्टी में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। आम आदमी पार्टी से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की छुट्टी तय मानी जा रही है। आम आदमी पार्टी ने पहली बार प्रेस रिलीज जारी कर दोनों को पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी से निकाले जाने के कारणों का खुलासा किया है। मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, पंकज गुप्ता और संजय सिंह की इस संयुक्त प्रेस रिलीज में कहा गया है कि पार्टी ने ये पहले सोचकर उन्हें हटाने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया कि इससे दोनों की छवि पर असर पड़ेगा। लेकिन बैठक के बाद मीडिया में लगातार जारी बयानबाजी के बाद इनको PAC से हटाने की वजह का खुलासा जरूरी हो गया था।

‘जब सब कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए अपना पसीना बहा रहे थे, उस वक्त हमारे तीन बड़े नेता पार्टी को हराने की पूरी कोशिश कर रहे थे। ये तीनों नेता हैं - प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और शांति भूषण। 4 मार्च को आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में पार्टी में आये गतिरोध को दूर करने के लिए श्री योगेंद्र यादव व श्री प्रशांत भूषण को PAC से मुक्त करके नई जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया।

पार्टी ने यह सोचकर PAC से हटाने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया कि उससे इन दोनों के व्यक्तित्व पर विपरीत असर पड़ेगा, लेकिन बैठक के बाद मीडिया में लगातार बयान दे कर माहौल बनाया जा रहा है जैसे राष्ट्रीय कार्यकारणी ने अलोकतांत्रिक और गैरजिम्मेदार तरीके से यह फैसला लिया। मीडिया को देखकर कार्यकर्ताओ में भी यह सवाल उठने लगा है की आखिर इनको PAC से हटाने की वजह क्या है। पार्टी के खिलाफ मीडिया में बनाये जा रहे माहौल से मजबूर हो कर पार्टी को दोनों वरिष्ठ साथियों को PAC से हटाये जाने के करणों को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

आम आदमी पार्टी को दिल्ली चुनावों में ऐतिहासिक जीत मिली है। यह जीत सभी कार्यकर्ताओं की जी-तोड़ मेहनत की वजह से संभव हुई, लेकिन जब सब कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए अपना पसीना बहा रहे थे, उस वक़्त हमारे तीन बड़े नेता पार्टी को हराने की पूरी कोशिश कर रहे थे। इनकी ऐसी कोशिशों के कुछ उदाहरण -
1. इन्होंने, खासकर प्रशांत भूषण ने, दूसरे प्रदेशों के कार्यकर्ताओं को फोन कर कर के दिल्ली में चुनाव प्रचार करने आने से रोका। प्रशांत जी ने दूसरे प्रदेशों के कार्यकर्ताओं को कहा - मैं भी दिल्ली के चुनाव में प्रचार नहीं कर रहा। आप लोग भी मत आओ। इस बार पार्टी को हराना ज़रूरी है, तभी अरविंद का दिमाग ठिकाने आएगा। इस बात की पुष्टि अंजलि दमानिया भी कर चुकी हैं की उनके सामने प्रशांत जी ने मैसूर के कार्यकर्ताओं को ऐसा कहा।
2. जो लोग पार्टी को चंदा देना चाहते थे, प्रशांत जी ने उन लोगों को भी चंदा देने से रोका।
3. चुनाव के करीब दो सप्ताह पहले जब आशीष खेतान ने प्रशांत जी को लोकपाल और स्वराज के मुद्दे पर होने वाले दिल्ली डॉयलाग के नेतृत्व का आग्रह करने के लिए फ़ोन किया तो प्रशांत जी ने खेतान को बोला कि पार्टी के लिए प्रचार करना तो बहुत दूर की बात है वो दिल्ली का चुनाव पार्टी को हराना चाहते है। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश यह है की पार्टी 20-22 सीटों से ज्यादा न पाए, पार्टी हारेगी तभी नेतृत्व परिवर्तन संभव होगा।
4. पूरे चुनाव के दौरान प्रशांत जी ने बार-बार ये धमकी दी कि वे प्रेस कांफ्रेंस करके दिल्ली चुनाव में पार्टी की तैयारियों को बर्बाद कर देंगे। उन्हें पता था की आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। और अगर किसी भी पार्टी का एक वरिष्ठ नेता ही पार्टी के खिलाफ बोलेगा तो जीती हुई बाजी भी हार में बदल जाएगी।
5. प्रशांत भूषण और उनके पिताजी को समझाने के लिए, कि वो मीडिया में कुछ उलट सुलट न बोलें, पार्टी के लगभग 10 बड़े नेता प्रशांत जी के घर पर लगातार 3 दिनों तक उन्हें समझाते रहे। ऐसे वक़्त जब हमारे नेताओं को प्रचार करना चाहिए था, वो लोग इन तीनों को मनाने में लगे हुए थे।
6. दूसरी तरफ पार्टी के पास तमाम सबूत है जो दिखाते है की कैसे अरविंद की छवि को ख़राब करने के लिए योगेंद्र यादव जी ने अखबारों में निगेटिव खबरें छपवायीं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अगस्त माह 2014 में द हिन्दू अख़बार में छपी खबर जिसमे अरविंद और पार्टी की एक नकारात्मक तस्वीर पेश की गई। जिस पत्रकार ने ये खबर छापी थी, उसने पिछले दिनों इसका खुलासा किया कि कैसे यादव जी ने ये खबर प्लॉट की थी। प्राइवेट बातचीत में कुछ और बड़े संपादकों ने भी बताया है कि यादव जी दिल्ली चुनाव के दौरान उनसे मिलकर अरविंद की छवि खराब करने के लिए ऑफ दी रिकॉर्ड बातें कहते थे।
7. 'अवाम'भाजपा द्वारा संचालित संस्था है। 'अवाम'ने चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी को बहुत बदनाम किया। 'अवाम'को प्रशांत भूषण ने खुलकर सपोर्ट किया था। शांति भूषण जी ने तो 'अवाम'के सपोर्ट में और 'आप'के खिलाफ खुलकर बयान दिए।
8. चुनावों के कुछ दिन पहले शांति भूषण जी ने कहा कि उन्हें भाजपा की CM कैंडिडेट किरण बेदी पर अरविंद से ज्यादा भरोसा है। पार्टी के सभी साथी ये सुनकर दंग रह गए। कार्यकर्ता पूछ रहे थे कि यदि ऐसा है तो फिर वे आम आदमी पार्टी में क्या कर रहे हैं, भाजपा में क्यों नहीं चले जाते? इसके अलावा भी शांति भूषण जी ने अरविंद जी के खिलाफ कई बार बयान दिए।

ये दुःख की बात है कि जब सब कार्यकर्ता अपना पसीना बहा रहे थे, तो हमारी पार्टी के ये सीनियर नेता पार्टी को कमज़ोर करने और पार्टी को हराने में लगे थे। जरा सोचिये आज अगर दिल्ली चुनाव में इनकी चाहत के अनुरूप आम आदमी पार्टी हार गई होती तो दिल्ली में कौन जीतता और फिर आम आदमी पार्टी की इमानदारी के सिद्धांतों की लड़ाई का भविष्य क्या होता? देश में बदलाव के सपने को लेकर अपना सब कुछ दांव पर लगा कर दिन-रात काम करने वाले कार्यकर्ताओं व देश की जनता की उम्मीदों का क्या होता??? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों और तथ्यों पर गहनता से विचार-विमर्श के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बहुमत से दोनों वरिष्ठ साथियों को PAC से मुक्त करके नई जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया।

मुंबई का इंच-इंच निजी हितों के लिए बेचा जा रहा है: राज ठाकरे

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मुंबई नगर निकाय की नयी विकास योजना का कड़े शब्दों में विरोध करते हुए मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने आज आरोप लगाया कि मुंबई का इंच-इंच बेचने का प्रयास किया जा रहा है और मराठी भाषी लोगों की कीमत पर विकास किया जा रहा है.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी पार्टी विकास के नाम पर मुंबई को बिकने नहीं देगी. अपनी पार्टी के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा, ‘नयी विकास योजना आयी है जिसपर कई टिप्पणियां की गयी हैं.

कुछ लोगों का कहना है कि इससे शहर को लाभ होगा जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इसे कचरे के डिब्बे में फेंक देना चाहिए. योजना वास्तव में बहुत बेकार है. उन्होंने एफएसआई में वृद्धि प्रस्तावित की है. लेकिन कौन मकान खरीदेगा अगर वे आम लोगों की पॉकेट से बाहर होंगे.’

एक रूपये का नया नोट जारी हुआ

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तकरीबन 20 साल के अंतराल के बाद एक रूपये का नोट फिर से जारी कर दिया और इसमें केन्द्रीय वित्त सचिव राजीव महर्षि हस्ताक्षार होंगे के होंगे.राजीव महर्षि 6 मार्च को राजस्थान में नाथद्वारा के श्रीनाथ मंदिर में एक रूपये का नये नोट को जारी किया.

गौरतलब है कि एक रूपये के नोट केंद्रीय वित्त सचिव के हस्ताक्षर से जारी किए जाते हैं, जबकि अन्य मूल्य के नोट पर रिजर्व के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं. इसके पहले पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक ने जल्द ही एक रूपये के नोट जारी किए जायेंगे और पहले से प्रचलित एक रूपये के नोट भी वैध बने रहेंगे.

नवंबर 1994 में अधिक लागत के चलते एक रूपये के नोट की छपाई बंद कर दी गयी थी. हालांकि दो और पांच रूपये के नोट छपते रहे जिसे 1995 में बंद कर दिया गया और इसके स्थान पर सिक्के जारी किये गये.

बीजेपी ने मुफ्ती सरकार को चेताया, एक और गलती से रिश्ता टूट सकता है : सूत्र

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जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई मामले पर हुई किरकिरी के बाद बीजेपी ने मुफ्ती सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के ओसार, बीजेपी ने कहा है कि अब और कैदियों की रिहाई न हो। कोई और रिहाई हुई तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। एक और गलती हुई तो रिश्ता टूट भी सकता है।

वैसे मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, करीब 15 ऐसे कैदी हैं, जिनकी रिहाई पर मुफ्ती सरकार विचार कर रही है। इन्हीं खबरों से नाराज बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि जो भी गलती हुई है, उसे न दोहराया जाए।  बीजेपी पर संघ परिवार का भी भारी दबाव है, जिसके चलते बीजेपी ने यह चेतावनी दी है।

बीजेपी की ओर से यह भी साफ किया जा रहा है कि मसर्रत की रिहाई 4 फरवरी को ही तय हो गई थी, जब राष्ट्रपति शासन था और ऐसे व्यक्ति की रिहाई में तकनीकी रूप से कुछ भी गलत नहीं है, जिसे जमानत मिल चुकी है, लेकिन इस मामले को लेकर जिस तरह मुफ्ती सरकार ने डील किया, उससे बीजेपी खासी नाराज है।
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