सहस्त्रधारा रोड पर आशाराम आश्रम के पास थी गोल्डन फारेस्ट की जमीन. लो ढाई सौ बीघा जमीन और गायब
- दून में थम नहीं रहा जमीनों की हेराफेरी का धंधा
- एक बिल्डर की जांच के दौरान हुई इसका खुलासा
- एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में जिला प्रशासन
देहरादून, 27 मार्च (राजेन्द्र जोषी)।राजधानी देहरादून में आबादी बढ़ने के साथ ही जमीनों की हेराफेरी बढ़ती जा रही है। रोजाना ठगी के मामले तो सामने आ रही हैं, सरकारी और गोल्डन फारेस्ट की जमीनों को भी अफसरों की मिली भगत से खुर्द-बर्द किया जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में सहस्त्रधारा रोड पर गोल्डन फारेस्ट की ढाई सौ बीघा जमीन गायब होने की जानकारी राजस्व प्रशासन को मिली है। बताया जा रहा है कि इस जमीन को हड़पने वाले के खिलाफ जल्द ही पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है। सूत्रों ने बताया कि बिल्डर पर ग्राम समाज और गोल्डन फारेस्ट की जमीन कब्जाने के मामले में उच्च स्तरीय जांच चल रही है। इसी जांच के दौरान राजस्व महकमे की टीम को पता चला कि ढाई सौ बीघा जमीन और भी खुर्द-बर्द कर दी गई है। बताया जा रहा है कि यह जमीन सहस्त्रधारा रोड स्थित संत आशाराम आश्रम के पास थी। यह जमीन गोल्डन फारेस्ट की थी और इस पर सरकार का स्वामित्व था। बताया जा रहा है कि एक प्रभावशाली व्यक्ति ने कुछ समय पहले राजस्व अफसरों और कर्मियों की मदद से इस जमीन को अपने व अपने कुछ अन्य लोगों के नाम दर्ज करवा लिया है। यह जमीन बेशकीमती है और राजस्व विभाग ने जल्द ही कोई सख्त कदम नहीं उठाया तो इस जमीन को बेचकर अरबों रुपये कमा लिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस जमीन पर कब्जा करने वाला प्रभावशाली व्यक्ति फर्जी कागजात के मामले में एक बार जेल भी जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि इस मामले के सामने आने के बाद से राजस्व विभाग में भी हड़पंक मचा है। मामले की पूरी पड़ताल की जा रही है। यह भी देखा जा रहा है कि किस राजस्व अफसर की तैनाती के समय में इस जमीन को हड़पने का खेल किया जा रहा है। सूत्रों ने दावा किया कि जल्द ही इस मामले में जमीन को हड़पने वाले और उसके मददगार रहे राजस्व महकमे के अफसरों के साथ ही कर्मियों के खिलाफ भी पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।
क्या है गोल्डन फारेस्ट
90 के दशक में गोल्डन फारेस्ट के नाम से बाजार में आई फाइनेंस कंपनी ने देशभर में अरबों का घोटाला किया। लोगों से जमीन दिलवाने के नाम पर पैसे जमा करवाए गए। बाद में इस कंपनी के कर्ताधर्ता फरार हो गए। तमाम स्तरों पर मुकदमेबाजी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश से वर्ष 2006 में गोल्डन फारेस्ट की देशभर की जमीनों को सीधे राज्य सरकारों के अधीन कर दिया। देहरादून में भी हजारों एकड़ जमीन इसी गोल्डन फारेस्ट के नाम से है और इस पर सरकार का कब्जा है। लेकिन प्रभावशाली लोग राजस्व अफसरों की मिलीभगत से अपने या अपने किसी चहेते के नाम करवा रहे हैं। दून शहर का शायद ही कोई हिस्सा ऐसा हो जहां पर इस गोल्डन फारेस्ट की जमीन न हो। कई स्थानों पर यह जमीन लोगों की निजी जमीन के पास ही है। इन जमीनों की प्लाटिंग करते वक्त गोल्डन फारेस्ट की जमीन को भी अपना बताकर लोगों को बेचा जा रहा है।
लंबी खिंच रही पनाश वैली की जांच
कुछ दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले पनाश वैली हाउसिंग प्रोजेक्ट की जांच की गति बेहद धीमी हो गई है। कुछ दिनों तक तो राजस्व विभाग ने रोजाना नए-नए खुलासे किए। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने प्रोजेक्ट को दी गई अनापत्ति को निरस्त कर दिया। बाद में एमडीडीए ने भी इस प्रोजेक्ट का मानचित्र निरस्त करके निर्माण पर रोक लगा दी। एमडीडीए ने डीएम को पत्र भेजकर जिन खसरा नंबरों की जानकारी मांगी थी। उसका कोई जवाब जिला प्रशासन की ओर से एमडीडीए को नहीं भेजा गया है। चर्चा है कि प्रोजेक्ट को उच्च स्तर से हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के लोग ऊपर तक पैरोकारी कर रहे हैं। शायद यही वजह है कि जांच की गति धीमी कर दी गई है।
फल-फूल रहा पैकारी का धंधा, शहरों में तमाम स्थानों पर खुले आम बिक रही अंग्रेजी और देशी शराब
- जानकर भी आबकारी विभाग ने फेर रखी हैं अपनी आंखें
- राजस्व बढ़ाने के नाम पर विभाग ने दे रखी है पूरी छूट
- यदा-कदा छापामार टीम कुछ स्थानों पर दे रही है दबिश
देहरादून, 27 मार्च । देहरादून शहर और आसपास के इलाकों में अंग्रेजी और देशी शराब की कई स्थानों पर खुले आम बिक्री हो रही है। अहम बात यह है कि यह शराब अवैध नहीं है। लेकिन बिक्री गैर कानूनी तरीके से हो रही है। कहीं दुकानों पर तो कहीं खुले आसमान के नीच ही इस तरह से शराब बेची जा रही है। आबकारी विभाग की भाषा में इस तरह की बिक्री को पैकारी कहा जाता है। आबकारी विभाग ने इस ओर से अपनी आंखें मूद ली है। यह भी कहा जा सकता है कि महकमे के संरक्षण में ही पैकारी का यह धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। शहर की कई बस्तियों के साथ ही ग्रामीण अंचलों में पैकारी का धंधा तेजी से पनप रहा है। शराब ठेकेदार खुद ही इन तयशुदा स्थानों पर बिक्री करने वाले की मांग के अनुरूप शराब की पेटियां भिजवा रहे हैं। बेचने वाले का प्रति बोतल, अद्धा और क्वाटर कमीशन तय है। कई स्थानों पर तो शराब की पेटियां खुले स्थान पर ही रख दी जाती है। बेचने वाले दूर बैठते हैं। मयकशी के शौकीन इन लोगों के पास जाकर कीमत अदा करते हैं और दूर रखी पेटी से अदा की गई कीमत वाली शराब लेकर निकल जाते हैं। ऐसा करने की वजह यह है कि अगर आबकारी विभाग की छापामार टीम वहां आ भी जाए तो कोई पकड़ में न आए। खास बात यह भी है कि पैकारी की शराब के रेट और लाइसेंसी दुकानों से बिक रही शराब के रेट में कई फर्क नहीं होता है। अब जब बाजार की कीमत पर ही घर के पास शराब मिल रही है तो किसी को खरीदने में क्या दिक्कत हो सकती है। इस धंधे का एक अहम पहलू यह भी अगर कभी शराब पकड़ भी ली जाती है तो ठेकेदार बिक्री करने वालों से उस शराब की कीमत नहीं वसूलता है। यानि कि माल पकड़ने की स्थिति में घाटा ठेकेदार का ही होगा और बेचने वाले को जरा भी नुकसान नहीं होगा। बेइमानी के धंधे में इतनी ईमानदारी है कि ठेकेदार बेचने वाले की वाली पर यकीन कर लेता है कि उतनी शराब आबकारी विभाग की टीम उठा ले गई होगी। वैसे भी ठेकेदारों को पता चल ही जाता है कि विभाग की प्रवर्तन टीम ने किस स्थान से कितनी पेटी या फिर कितनी बोतल शराब पकड़ी है। वैसे इस धंधे को विभाग खुद भी बढ़ावा दे रहा है। बताया जा रहा है कि राजस्व बढ़ाने के इरादे से विभाग विभिन्न स्थानों पर पर खुलने वाली दुकानों की नीलामी राशि बढ़ा देता तो बढ़ा देता है। लेकिन उस स्थान पर शराब की उतनी बिक्री होती ही नहीं है। ऐसे में अगर ठेकेदार इस तरह से शराब की बिक्री नहीं करवाएगा तो उसे घाटा होगा और विभाग को राजस्व भी नहीं मिलेगा। शायद यही वजह है कि विभाग के अफसर भी इस ओर से आंखें मूदें हुए हैं। आबकारी विभाग के प्रवर्तन दल को भी पता होता है कि किस स्थान पर छापामारी करनी है और कहां से आंखें बंद करके निकाल जाना है।
पुलिस से भी होती है सैटिंग
इस पैकारी का धंधा करने वाले ठेकेदारों को पुलिस महकमे से भी सैटिंग करनी होती है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आबकारी विभाग भले ही अपनी आंखें बंद कर ले लेकिन उस इलाके की पुलिस छोड़ने वाली नहीं है। यही वजह है कि ठेकेदार सारी सैटिंग करने के बाद ही पैकारी का धंधा शुरू करता है।
ड्राई एरिया में भी पैकारी
सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे ड्राई एरिया में भी पैकारी के धंधे से शराब की बिक्री की जाती है। मयकशी के शौकीन लोगों के पता है कि ड्राइ एरिया में किन स्थानों से शराब मिल सकती है। हां, इन इलाकों में कीमत थोड़ी ज्यादा चुकानी होती है।
मासूमों का भी हो रहा इस्तेमाल
सूत्रों ने बताया कि धंधा करने वालों ने मासूम बच्चों को भी इससे जोड़ लिया है। खास तौर पर रेलवे लाइनों के किनारों और ड्राई एरिया में बच्चों से शराब बिकवाई जा रही है। बच्चे जेब में पौव्वा डालकर घूमते हैं और ग्राहक को देखते ही पैसे लेकर उन्हें थमा देते हैं।
जंबो जेट प्रदेश कमेटी के बाद भी कांग्रेसियों में असंतोष, अध्यक्ष की बे-बसी से कार्यकर्ताओं में भी फैली हताषा
देहरादून, 27 मार्च । प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस जंबो जेट प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा से असमंजस में हैं। किसी का कद घटा दिया गया है तो किसी की लालबत्ती की आस को तोड़ दिया गया है। कोई समझ ही नहीं पा रहा है कि आखिर उसे किसने लूटा और किसकी रहवरी में कोई कसर रह गई। कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी जिस अंदाज में घोषित की गई, उससे साफ लगा कि पार्टी में अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष भले ही किशोर उपाध्याय है। लेकिन कमेटी में उन्हीं लोगों को जगह मिली जिन्हें हुजूर ने मंजूरी दी। दबी जुबान से कार्यकर्ता यहां तक कह रहे हैं कि अब पार्टी का नाम हुजूर कांग्रेस रख दिया जाना चाहिए। दरअसल, इस कार्यकारिणी को लेकर वरिष्ठ लोगों में खासा रोष देखा जा रहा है। किसी को अपना कद घटने का मलाला है तो किसी को लग रहा है कि इस कमेटी में नाम डालकर सरकारी दायित्व मिलने का रास्ता बंद कर दिया है। बताया जा रहा है कि कुछ वरिष्ठ लोगों को हुजूर की ओर से सरकारी दायित्व देने का आश्वासन दिया गया था। महीनों से ये लोग हुजूर की नजरें इनायत होने का बे-सब्री से इंतजार कर रहे थे। अब अचानक संगठन की सूची में अपना नाम देखकर इनके होश फाख्ता हो गए। साफ लग रहा है कि अब लालबत्ती की गाड़ी तो मिलने से रही। पूर्व में कांग्रेस सरकार में दर्जा मंत्री मनीष नागपाल ने तो पद ही न स्वीकारने की बात करके अपने आक्रोश को जहजाहिर कर दिया है। बताया जा रहा है कि नागपाल ने अपने इस फैसले के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष को एक खत भी लिख दिया है। कहा जा रहा है कि पूर्व सांसद डा.महेंद्र सिंह पाल और श्रीमती संतोष चैहान का नाम भी नागपाल वाली लिस्ट में जुड़ सकता है। सूत्रों ने बताया कि इन दोनों को भी हुजूर की ओर से ही लालबत्ती देने का आश्वासन दिया गया था। डा. पाल तो प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदारों में भी शामिल रहे हैं। उस वक्त अध्यक्ष का न देने की भरपाई लालबत्ती और सरकारी ओहदा देने से करने का आश्वासन मिला था। अब नई लिस्ट में डा. पाल को प्रदेश उपाध्यक्ष का दर्जा दे दिया गया है। इस कार्यकारिणी को लेकर उपजे विवाद के और भी गहराने के आसार है। खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे लोग यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि उनके साथ राहजनी किसने की और कौन उनकी रहवरी नहीं कर पाया। गत दिवस प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक वरिष्ठ से इस बारे मं बात की गई। उन्होंने कार्यकर्ताओं की मनोदशा को व्यक्त करते हुए एक शेर पढ़ाकृतू इधर-उधर की बात न कर ये बता काफिल क्यों लुटा, मुझे राहजनों से नहीं गिला, हां तेरी रहवरी पर मलाल है।
तो राजीव जैन बनेंगे महानगर अध्यक्ष!
सूत्रों ने बताया मुख्यमंत्री हरीश रावत के मीडिया एडवाइजर राजीव जैन को देहरादून महानगर इकाई का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस बारे में पूरा प्लान तैयार है और उनकी राह में रोड़ा बन सकने वालों को प्रदेश इकाई में एडजस्ट कर दिया गया है। इस बारे में न्यूज वेट ने राजीव जैन से पूछा तो उनका कहना था कि भई ये कांग्रेस है, यहां कब क्या हो जाए कहा नही जा सकता।
हलद्वानी आदर्ष महाविद्यालय को व्यवसायिक षिक्षा से जोड़ा जायेगाः हरीष रावत
हल्द्वानी, 27 मार्च, (निस)। राजकीय महिला महाविद्यालय हल्द्वानी को आदर्श महिला महाविद्यालय बनाने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोडेगी। इस महाविद्यालय को महिला सशक्तिकरण की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए व्यवसायिक शिक्षा से जोडा जायेगा, ताकि यहाँ से अध्ययन कर समाज में सेवा करने जाने वाली छात्राएं व्यवसायिक हुनर के साथ अपना व अपने परिवार का आर्थिक विकास भी कर सके। यह विचार प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नवाबी रोड स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव एवं मेधावी छात्रा सम्मान समारोह में व्यक्त किये। श्री रावत ने उच्च शिक्षा निदेशक बीसी मैलकानी तथा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य जीएस बिष्ट को निर्देश दिये कि वे व्यवसायिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तैयार करें तथा आगामी सत्र से अन्य विषयों के साथ ही व्यवसायिक शिक्षा भी इस महाविद्यालय में प्रारम्भ करें। महिला महाविद्यालय के लिए किसी भी प्रकार के वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होनंें कहा कि प्रदेश सरकार में आगामी वित्तीय वर्ष में हल्द्वानी महिला डिग्री कालेज के लिए पृथक से बजट प्राविधान किया है। श्री रावत ने कहा कि श्रेष्ठ एवं गुणवत्ता युक्त शिक्षा की दिशा में हम प्रयासरत हैं। इस दिशा में सरकारी प्रयासों में स्वयंसेवी संस्थाओं एवं शिक्षा विशेषज्ञों को भी सहयोग करना होगा। प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालय से लेकर महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, पाॅलिटेक्निक, आईटीआई के जरिए दी जा रही शिक्षा में सरकार के सहयोग का भी जिक्र किया। उन्होनेें कहा कि हमारे जमाने में शिक्षा अभावों में होती थी, लेकिन आज हमारे प्रदेश में शिक्षा के अच्छे व सुन्दर भवन, प्रयोगशालाएं तथा ई-ऐजुकेशन की व्यवस्था है। आज के विद्यार्थी ई-ऐजुकेशन के माध्यम से पूरेे विश्व से जुडे हैं। हमारा प्रयास है कि हम प्रदेश में अच्छी शिक्षा एवं संस्कारवान छात्र-छात्राएं तैयार करें, ताकि वे प्रदेश व राष्ट्र सेवा में आगे आयें। श्री रावत ने कहा कि हल्द्वानी का राजकीय महिला महाविद्यालय इन्दिरा प्रियदर्शनी कालेज आॅफ कामर्स के नाम से जाना जायेगा। इसके लिए सरकार ने सैद्धान्तिक सहमति दे दी है। इसमें बीकाम एवं एमकाम की कक्षाओं के अलावा संगीत, चित्रकला, कम्प्यूटर, व्यायाम शिक्षा, आदि विषय भी शामिल किये जायेंगे, वहीं महाविद्यालय में खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए स्टेडियम भी बनाया जायेगा। श्री रावत ने हल्द्वानी स्थित आर्य ललित कन्या इण्टर कालेज में आगामी सत्र से काॅमर्स विषय प्रारम्भ किये जाने की भी घोषणा की। अध्यक्षीय सम्बोधन में उच्चशिक्षा मंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उत्तराखण्ड को शिक्षा के हब के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है। उन्होनंे कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों को एक्सीलेन्सिी की दिशा में काम करने को कहा गया है। हमारे विश्वविद्यालय कामर्स, कम्प्यूटर एप्लीकेशन, जडी-बूटी, आयुर्वेंद पर आधारित विज्ञान, जल संरक्षण एवं संवर्द्धन जैसे विषयों पर कार्य करेंगे। इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। डा0 हृदयेश ने बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष में उच्च शिक्षा के लिए 178.56 करोड के बजट का प्राविधान किया गया है।कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। कार्यक्रम में श्रम मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल, अध्यक्ष आपदा प्रबन्ध प्रयाग भट्ट, सदस्य मलिन बस्ती समिति खजान पाण्डे, अध्यक्ष मण्डी सुमित हृदयेश, पूर्व विधायक नारायण पाल सहित बडी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
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21 माह बाद भी बलुवाकोट में खतरा बरकरार, 20 परिवारों के घरों की सुरक्षा का सवाल
- भाजपा ने राज्यपाल को भेजा ज्ञापन
धारचूला, 27 मार्च। वर्श 2013 की आपदा की विनाषकारी तस्वीर अभी भी नहीं बदली है। 21 माह बाद भी बलुवाकोट के 20 परिवारों के घरों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं हो पायी है। बाजार के मध्य से बहने वाले नाले से हो रहे कटाव को रोकने के लिए अभी तक कोई इन्तजाम नहीं किया गया। इस नाले से बाढ़ सुरक्षा कार्य को भी खतरा होने की सम्भावना है। भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर इन परिवारों की सुध लेने की मांग की। 16-17 जून 2013 की भयानक आपदा ने नदी किनारें स्थित बलुवाकोट की तस्वीर बदल दी थी। 21 माह बाद भी सरकार इस कस्बे को सुरक्षित रखने का इन्तजाम नहीं कर पायी है। बलुवाकोट बाजार के मध्य में बहने वाले नाले के पानी से लगातार भूकटाव हो रहा है। इससे जमीन भी धस गयी है। इसके आस-पास के 20 परिवार भी आवासीय घरों को खतरा पैदा हो गया है। इन परिवारों द्वारा लगातार प्रषासन और सरकार को पत्र व्यवहार किया जा रहा है। अभी तक सरकार ने इन आपदा प्रभावितों की सुध नहीं ली है। इस नाले को पक्का बनाये जाने और भूकटाव और धसाव को रोके जाने के लिए सुरक्षा दीवार बनाये जाने की मांग की जा रही है। अभी तक सरकार ने आपदा प्रभावितों की इस मांग को अनुसुनी कर दी है। मुख्यमन्त्री विधान सभा में बलुवाकोट की तरह कई गांवों के सैकड़ो परिवार आज भी खतरे में जी रहे है। लाखों रूपये की लागत से बने इनके आवासीय भवन खतरे में आ जाने के कारण इन परिवारों की रात की नींद उड चुकी है। भाजपा ब्लाक प्रभारी जगत मर्तोलिया ने आज प्रदेष के राज्यपाल को पत्र भेजकर इन परिवारों की दास्ता भेजी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री की विधान सभा में आपदा प्रभावितों के घरों को बचाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं हो रहे है। देहरादून में बैठकर मुख्यमन्त्री सफेद झूठ बोल रहे है। विधान सभा की वास्तविक तस्वीर के सामने आ जाने से मुख्यमन्त्री की पुर्ननिर्माण के दावे की पोल खुल गयी है।