खुशियों की जगह करुण क्रंदन है लोकेश्वर के घर में
- -पुत्र की बारात से लौटते हुए हुआ हादसे का शिकार
- -भतीजे और दामाद की भी हुई मौत
- -ईद के बकरे से कम है इनसान की कीमत
देहरादून, 9 मई । पौड़ी जनपद के लैंसडौन तहसील के जाख तल्ला ढौंटियाल गांव के लोकेश्वर प्रसाद द्विवेदी के घर में आज बहू के गृह प्रवेश का उल्लास होना था, लेकिन शायद नियति को यह मंजूर न था। आज लोकेश्वर के घर में मातम छाया हुआ है। जिन आंखों में विवाह संपन्न होने की खुशियों की चमक होनी थी आज उन आंखों में आंसुओं का सैलाब है। शुक्रवार को लोकेश्वर के पुत्र सुनील की बारात सतपुली तहसील के भेलासी गांव गई थी, जहां से वापस लौटते हुए बारात में शामिल एक जीप सतपुली-सिसल्डी मार्ग पर दुर्घटना का शिकार हो गई। दुर्घटना में न केवल लोकेश्वर की ही जान गई बल्कि उसके दामाद किशोरी लाल कोटनाला व भतीजे सुमन प्रकाश द्विवेदी भी असमय काल का ग्रास बन गए। इस घटना से खुशी के इस मौके पर गांव में मरघटी मातम पसर गया। शुक्रवार को जाख गांव के लोकेश्वर प्रसाद द्विवेदी के पुत्र की बारात भेलासी गांव आई थी, शाम चार बजे विवाह की तमाम औपचारिकताओं का समापन होने के बाद बारात हंसी खुशी वापस लौट रही थी। दूल्हे के पिता लोकेश्वर, चचेरा भाई सुमन व बहनोही किशोरी लाल व चार अन्य परिजन बारात को लौटाने की व्यवस्था में लगे हुए थे। सभी बारातियों को अलग अलग वाहनों में बिठाकर आखिर में दूल्हे के पिता व अन्य छह बाराती मैक्स जीप संख्या यूके12टीबी1115 में सवार हो वापस लौटने लगे। जीप गांव के कुछ ही किमी आगे बढ़ी थी कि सिसल्डी के समीप अनियंत्रित होकर करीब तीन सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरी। घटना में लोकेश्वर व सुमन प्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि किशोरी लाल ने लैंसडौन कैंट अस्पताल में दम तोड़ दिया। जिस घर में आज दूल्हे दुल्हन के दोहरागमन की तैयारियां होनी थीं आज वहां तीन तीन अर्थियों को शमशान ले जाने की तैयारी चल रही है।
ईद के बकरे से कम कीमत है इनसान की
किसी भी दुर्घटना के तुरंत बाद सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों के लिए पचास हजार से एक लाख तक मुआवजे की घोषणा कर इतिश्री कर ली जाती है। लेकिन दुर्घटनाओं को रोकने में न सरकार की कोई दिलचस्पी है और न ही पुलिस व आरटीओ इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहाड़ की सर्पीली सड़कों का हर रोज इनसानी लहू से रंगने का सिलसिला आम हो चला है। पहाड़ की खतरनाक सड़कों पर बेहद गैरजिम्मेदार हाथों में हजारों इनसानों की जानों का सट्टा खेला जा रहा है। गैरजिम्मेदार व नौसिखिए चालकों द्वारा नशा किए जाने से हादसों का ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है। बारात आदि अवसरों पर हो रहे हादसों में अधिकांश मामलों में यह पाया जाता है कि चालक द्वारा शराब का सेवन किया गया था। सरकारें द्वारा तो मृतकों के परिजनों व घायलों को दिए जाने वाले मुआवजे के मानक तय कर इनसान की कीमत तय कर दी गई है। हर रोज होने वाले हादसों की खबरों को बेहद हल्के में लिया जा रहा है, मरहम के तौर पर मुआवजा राशि की घोषणा अथवा रस्मअदायगी के लिए मजिस्ट्रेटी जांच की कार्रवाई तक ही शासन प्रशासन सीमित है। लेकिन इनसानी लापरवाहियों से न जाने कितनी सुहागिनों की मांग का सिंदूर मिट रहा है, कितने बच्चे अनाथ हो रहे हैं या फिर कितने घरों के चिराग हमेशा हमेशा के लिए बुझ रहे हैं, यह तमाम सवाल गौण हो चुके हैं। उत्तराकाशी से लेकर चंपावत तक हर रोज एक न एक जीप हादसा हो रहा है। लेकिन शायद देहरादून में बैठके आका तो पहले ही पहाड़ी इनसानों की जान की कीमत लगा चुके हैं। ऐसे में उम्मीद करना बेमानी ही होगा।
बाजपुर से भी जुड़े हैं ढेंचा बीज घोटाले के तार, सियासी संरक्षण हासिल करने की कोशिश में शामिल लोग
- हाईकोर्ट में 14 मई को होनी है मामले की सुनवाई, त्रिपाठी जांच आयोग पहले ही दे चुका अपनी रिपोर्ट
देहरादून, 9 मई (निस)। भाजपा शासनकाल में हुए कथित ढेंचा बीज घोटाले के तार इस बाजपुर शहर से भी जुड़े हुए हैं। इस घोटाले में कथित तौर पर लिप्त कुछ लोग सियासी संरक्षण हासिल करने की जुगत में हैं। लेकिन अभी हाल में ही हुए महिला आईएफएस पर हमले के बाद ऐसा कर पाना इन लोगों के लिए आसान नहीं होगा। इस मामले की सुनवाई नैनीताल उच्च न्यायालय में 14 मई को होनी है। यही वजह है कि इस घोटाले से पैसा कमाने वालों में हड़कंप मचा है। सूत्रों ने बताया कि ढेंचा बीज घोटाले प्रकरण में पैसा लगाने के लिए बदनाम लोगों पर जांच एजेंसिओ की निगाहें एक बार फिर से तिरछी हो गईं हैं। इसकी वजह हाईकोर्ट में दाखिल की गई एक जनहित याचिका है। गौरतलब है कि ढेंचा बीज घोटाले के सच को सामने लाने के लिए हिमालयन चिपको फाउंडेशन संस्था के जयप्रकाश डबराल की ओर से उच्च न्यायलय में याचिका कर दी गई। इसमें कहा गया है कहा गया है कि ढेंचा बीजों की तत्कालीन बाजार दर 1538 रुपये प्रति कुंतल थी। लेकिन मिलीभगत करके इसका टेंडर 3849 रुपये प्रति कुंतल की दर पर किया गया। इतना ही नहीं इसी मिलीभगत के चलते बगैर मांग के ही इसकी खरीद मूल टेंडर से 60 फीसदी ज्यादा की गई। आरोप यह भी है कि टेंडर कृषि मुख्यालय से किया गया और बीज की सप्लाई सीधे जिलों में कर दी गई। इसके बाद भी बीज जिलों तक नहीं पहुंचा और महज कागजों में ही इसे किसानों को वितरित दिखा दिया गया। इसके बाद मिलीभगत से कथित आपूर्ति करने वाली फर्मों को कृषि विभाग ने करोड़ों का भुगतान कर दिया गया है। याची का आरोप है कि इस मामले में बड़े स्तर पर घपला किया गया। 2013 में सरकार की ओर से गठित त्रिपाठी आयोग ने पूरे मामले की जांच की। इसमें तमाम आरोप सही मिले पाए गए हैं। लेकिन सरकार ने अब तक किसी के भी खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है। इस जनहित याचिका के चलते मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इससे इस घोटाले की परतें खुलने की संभावना बन गई है। उच्च न्यायालय में इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होनी है। इससे घोटाले में लिप्त लोगों में हड़कंप मचा है। अब तक ये लोग सियासी संरक्षण से बचते दिख रहे थे। लेकिन महिला आईएफएस कल्याणी पर हमले के बाद के हालात में ऐसा लग नहीं रहा है कि इन लोगों को इस बार कोई सियासी संरक्षण मिल पाएगा और जांच एजेंसिया इन पर किसी तरह का कोई रहम करेंगी।
किशोर चाहते हैं कि केंद्र सरकार घोषित करे गैरसैंण को स्थायी उत्तराखंड की राजधानी, अपने “विचारक” की बात पर “विचार” करेंगे सीएम
सुलगते सवाल
- किसके हाथ में हैं स्थायी राजधानी के चयन की बात
- विस में प्रस्ताव पारित क्यों नहीं कर रही प्रदेश कांग्रेस
- सरकार ने पार्टी अध्यक्ष की बात पर साध लिया मौन
देहरादून, 9 मई (निस)। इसमें कोई राय नहीं है कि सूबे को एक स्थायी राजधानी की जरूरत है। इस मुद्दे पर विवाद लंबे समय से चल रहा है। सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, हर सरकार इस मुद्दे पर सूबे की जनता को महज झुनझुना ही थमाती रही है। अब कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस मामले में गेंद केंद्र के पाले में डालने की कोशिश की है। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने अंदाज में इस मुद्दे से पल्ला झाड़ते हुए किशोर को “विचारक” की संज्ञा दी है। अब ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या कांग्रेस सरकार के मुखिया अपनी पार्टी के “विचारक अध्यक्ष” के “विचार” पर कोई ध्यान देंगे। केंद्र की यूपीए सरकार ने वर्ष 2000 में इस उत्तराखंड राज्य का गठन किया। आनन-फानन में लिए गए राज्य बनाने के इस फैसले में कई अहम बिदुंओं पर विचार की जरूरत ही नहीं समझी गई। मसलन सूबे की राजधानी कहां होगी और यूपी-उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा कैसे होगा। तत्कालीन केंद्र सरकार की इस उदासीनता का खामियाजा इस प्रदेश की जनता आज तक भुगत रही है। उत्तराखंड की सीमा में आने वाली तमाम परिसंपत्तियों पर आज भी यूपी का ही कब्जा है। इसे राज्य सरकारों की लापरवाही ही कहा जाएगा कि इस दिशा में कोई सक्रिय पहल नहीं की गई। परिसंपत्तियों की बात को दरकिनार कर भी दें तो सबसे अहम मामला सूबे की स्थायी राजधानी का है। पहले सीएम नित्यानंद स्वामी के इसके लिए एक आयोग का गठन किया। लेकिन सियासी दबाव में इस आयोग को कुछ माह बाद ही ठेंगा दिखा दिया गया। बाद में एनडी तिवारी सीएम बने तो उन्होंने इस आयोग को फिर से जीवित कर दिया। आयोग चलता रहा और अध्यक्ष बदलते रहे। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद एक रिपोर्ट सरकार को दी गई। यह रिपोर्ट आज भी सरकारी फाइलों में कैद है। इस बीच गैरसैंण में कैबिनेट बैठक और फिर विधानसभा का सत्र आहूत करके कांग्रेस सरकार ने सूबे की जनता का मन टटोलने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के लगा कि इससे पहाड़ के वोट तो मिल सकते हैं। लेकिन मैदानी इलाकों में उसका सूपड़ा साफ हो सकता है। इसके बाद ही सरकार ने दोहरी नीति इस्तेमाल की। कहा गया कि पहाड़ में विधानभवन बनाया जाएगा। यह काम तेजी से हो भी रहा है तो दूसरी तरफ देहरादून में भी विधानभवन बनाया जा रहा है। जाहिर है कि सरकार के मुखिया न तो पहाड़ की जनता को छोड़ सकते हैं और न ही मैदान की जनता को। इसी लिहाज से स्थायी राजधानी के मुद्दे को दबाया जा रहा है। अब कांग्रेस अध्यक्ष के बयान से सरकार की परेशानी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि किशोर ने केंद्र सरकार से गैरसैंण में राजधानी बनाने की मांग करके एक तीर से कई शिकार किए हैं। एक तो उनकी मंशा भाजपा पर हमले की है तो दूसरी तरफ वे सीएम से भी साफगोई की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन लगता है कि सियासत के मंझे खिलाड़ी हरीश इस खेल को समझ गए है। तभी तो उन्होंने कहा कि हमारे अध्यक्ष जी एक विचारक हैं। भले ही सीएम अध्यक्ष को विचारक कहकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश में है। लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होगा। सियासी व्यवस्था के तहत पार्टी अध्यक्ष की भूमिका मुख्यमंत्री से ऊपर होती है। अगर संगठन अध्यक्ष राजधानी गैरसैंण में बनाने की बात कर रहे हैं तो सीएम के लिए इस विचारक की बात को नजरअंदाज करने से संदेश यही जाएगा कि उत्तराखंड कांग्रेस में संगठन के मुखिया नहीं सरकार के मुखिया की बात ही सुनी जाएगी।
कोट---
कांग्रेस अध्यक्ष को यह पता होना चाहिए कि राजधानी के मामले में विधानसभा से प्रस्ताव या संकल्प पारित करके केंद्र सरकार को भेजना होता है। केंद्र सीधे ही कोई फैसला नहीं कर सकता। अगर राज्य विधानसभा से कोई संकल्प या प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाता है तो प्रदेश भाजपा उसका पुरजोर स्वागत करेगी। लेकिन कोरी बयानबाजी से कांग्रेस अध्यक्ष को बचना चाहिए।दृ अजय भट्ट, नेता प्रतिपक्ष
छह माह में वाईफाई हो जाएगा जसपुर, शहर को दो जोन में बांटकर लगेंगे टॉवर
- प्रदेश का पहला वाईफाई शहर होगा , विधायक शैलेंद्र की पहल पर काम शुरू
देहरादून, 9 मई (निस)। जसपुर नगर को वाईफाई से जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया गया है। टीम ने दो स्थानों का सर्वे कर छह माह में में वाई फाई सिस्टम लागू करने की बात कहीं है। इस काम के लिए डा. शैलेंद्र मोहन सिंघल अपनी विधायक निधि से पैसा दे रहे हैं। दूरसंचार निगम की टीम ने जसपुर को दो जोन में बांटकर वाईफाई सिस्टम से जोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी है। डिवीजनल इंजीनियर राजीव चैहान ने बताया कि टीम ने सर्वे कर दो स्थानों का चयन किया है। उन्होंने बताया कि वाईफाई के लिए मोहल्ला भूपसिंह स्थित अखिलेश एवं नत्थासिंह में टॉवर लगाए जाएंगे। यह टावर पूरे नगर को कवर करेंगे। उन्होंने बताया कि अभी सेटअप लगाने की तैयारी चल रही है। तकरीबन छह माह के भीतर नागरिकों को वाई फाई सेवा मुहैय्या करा दी जाएगी। गौरतलब है कि विधायक डा. शैलेन्द्र मोहन सिंघल ने दो माह पहले नगर को वाई फाई सिस्टम से जोड़ने की बात कहीं थी। इसके लिए विधायक निधि से पूरा खर्च किया जाएगा। जसपुर वाईफाई से जुड़नेवाला प्रदेश का पहला नगर होगा।
अवैध खनन से निकली रेता-बजरी अब तक नहीं जब्त, महिला अफसर कल्याणी पर हमले वाली रात निकाली हजारों टन रेता-बजरी
- बाजपुर के ही एक स्टोन क्रशर पर ही बेचे जाने की सूचना, मुख्य आरोपी ने इसी क्रशर पर डालने का दिया था हुक्म
- पुलिस ने इस माल को अब तक नहीं बनाया जांच का अंग
देहरादून, 9 मई (निस)। भारतीय वन सेवा की अधिकारी कल्याणी पर हमने वाली रात बाजपुर में जमकर अवैध खनन किया गया। बताया जा रहा है कि एक कांग्रेसी नेता ने खुद ही खड़े होकर अवैध खनन कराया और बाजपुर के पास ही एक स्टोन क्रशर पर अपने नाम से ही जमा करने का फरमान सुनाया था। इसी रात एक महिला आईएफएस हमले के मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन अवैध खनन से निकाली गए रेता-बजरी को अब तक जब्त नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि सियासी दबाव में पुलिस ऐसा करने से कतरा रही है। 29 अप्रैल की रात जिला पंचायत सदस्य के इशारे पर पूरी रात नदियों का सीना चीर कर हजारों टन रेता-बजरी का खनन किया गया था। अवैध खनन रोकने आई महिला आईएफएस कल्याणी पर हमला करके उसे लगभग बंधक बनाने की स्थिति में रखा गया। बताया जा रहा है कि खनन कार्य के लिए पांच-छह जेसीबी और 50 से अधिक डंपरों को लगाया गया था। उस रोज अवैध खनन के निकली रेता और बजरी को बाजपुर के पास ही एक गांव में लगे स्टोन क्रशर पर उतारा गया। कहा तो यह भी जा रहा है कि यह हजारों टन माल जिपं सदस्य के नाम ही जमा करवाया गया है। इस मामले में जिला पंचायत सदस्य कुलविंदर सिंह किन्दा समेत 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। देर से ही सही पुलिस ने सियासी रसूख वाले किन्दा को गिरफ्तार भी कर लिया है। लेकिन पुलिस की निगाहें उस रात को अवैध खनन से निकले रेता-बजरी पर अब तक नहीं गई है। कानून के जानकारों का कहना है कि नियमानुसार तो इस माल को जब्त करके केस प्रापर्टी के तौर पर रखना चाहिए। अब पुलिस ऐसा क्यों नहीं कर रही है, यह बात आला अफसरों के लिए जांच और एक्शन का विषय हो सकती है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के रुख को भांपते हुए पुलिस ने किन्दा को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन एक अन्य बड़े सियासी नेता की वजह से स्टोन क्रशर से माल जब्त नहीं किया जा रहा है।
करोड़ों का मिल सकता है राजस्व
सूत्रों का कहना है कि अगर स्टोर क्रशर पर छापा मारा जाए तो अवैध खनन के रेता-बजरी के स्टाक से सरकार को कई करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर एक सौ ट्रकों और डंपरों से रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक माल ढोया गया है तो कितना माल स्टोर क्रशर पर डंप किया गया होगा। इसके बाद भी सरकारी सिस्टम इस दिशा में कोई काम करता नहीं दिख रहा है। शायद ऐसा करके स्टोन क्रशर स्वामी को कागजों में माल अपना दिखाने का मौका दिया जा रहा है।
एक और नेता आए मैदान में
बाजपुर स्थित सूत्रों ने बताया कि इस मामले में एक सियासी नेता की छवि पर दाग लगने के बाद उनके विरोधी गुट के दूसरे नेता मैदान में आ गए हैं। इसी नेता के इशारे पर बंजारी गेट ने निकासी बंद कर दी गई है। अवैध खनन को लेकर ये नेता जी पहले भी खासी चर्चा में रह चुके हैं। एक मामले में तो मुख्यमंत्री के स्तर से इन्हें फटकार भी लग चुकी है। शायद यही वजह है कि ये वजनदार नेता जी अब बाजपुर के खनन पर अपना कब्जा करना चाहते हैं।
हुजूर ! इस मुनि व्यास की तपस्थली व्यासघाट की भी ले लो सुध, पर्यटन की असीम संभावानाओं के बाद उपेक्षित
- -गंगा का मुख्य घाट होने के बाद भी नहीं किसी का ध्यान, काली कमली की धर्मशाला भी धराशाही होने की स्थिति में
देहरादून, 9 मई (निस)। अलकनंदा और भागीरथी के संगल स्थल देवप्रयाग से मात्र 14 किमी दूर गंगा तट पर स्थित व्यासघाट बदहाली के दौर से गुजर रहा है। मुनिव्यास की तपस्थली रहे इस ऐतिहासिक स्थान को न तो तीर्थाटन के रूप में विकसित किया जा सका है और न ही यहां पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने का कार्य किया जा सका है। एक जमाने में बद्रीनाथ के पैदल रास्ते पर स्थित इस स्थान पर बनाई गई काली कमली की धर्मशाला भी वक्त के थपेड़ों की मार झेलते झेलते धराशाही होने की कगार पर पहुंच चुकी है। पौड़ी जनपद के कोट विकासखंड में गंगा नदी के किनारे स्थित व्यासघाट का नामकरण इस स्थान पर मुनि व्यास द्वारा तप किए जाने के कारण ही प्रचलित हुआ था। एक जमाने में जब बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए श्रद्धालु पैदल ही यात्रा पर निकलते थे तो उस यात्रापथ का यह महत्वपूर्ण पड़ाव था। यहां जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी काली कमली की धर्मशाला इस बात का प्रमाण है कि इस मार्ग से किसी जमाने में तीर्थयात्री गुजरा करते थे। इस स्थान पर ही गैर ग्लेशिरीय उत्तरवाहिनी नारदगंगा अथवा नयार नदी भी गंगा में विलीन होती है। ऐसे में इस स्थान का धार्मिक महत्व भी किसी अन्य स्थान से कमतर नहीं है। वहीं इस स्थान से ठीक उपर करीब दो किमी पर प्रशिद्ध श्री डांडानागराजा का मंदिर भी स्थित है। लेकिन इतनी धार्मिक मान्यताएं समाहित करने के बावजूद अभी तक इस स्थान को धार्मिक पर्यटन के नक्शे में जगह नहीं मिल पाई है। बुजुर्गों का कहना है कि जब तक ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग का निर्माण नहीं हुआ था तब तक यहां खूब रौनक रहा करती थी। लेकिन राजमार्ग के निर्माण के बाद यह स्थान गुमानामी के अंधेरों में खो गया। धार्मिक पर्यटन के साथ ही इस स्थान पर पर्यटन व साहसिक पर्यटन की असीम संभावनाएं भी हैं। गौरतलब है कि देवप्रयाग-व्यासघाट-सतपुली मोटरमार्ग के निर्माण के बाद यह मार्ग ऋषिकेश-बद्रीनाथ व पौड़ी-मेरठ राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने का एकमात्र विकल्प बन चुका है। ऐसे में गंगा में एडवेंचर टूरिज्म के लिए आने वाले पर्यटकों को सीधे व्यासघाट होते हुए जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क तक ले जाया जा सकता है। जिससे अनेक प्रकार की पर्यटन गतिविधियों का विस्तार होना स्वाभाविक है। यही नहीं गंगा में राफ्टिंग की गतिविधियों का विस्तार कर उसे व्यासघाट से भी संचालित किया जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से व्यासघाट के लिए अभी तक पर्यटन विभाग द्वारा नाममात्र के लिए भी कोई कार्ययोजना भी नहीं बनाई जा सकी है। सबसे अहम यह है कि प्रदेश में प्रचलित पर्यटन स्थलों से इतर नए पड़ावों तक जाने की अभिलाषा रखने वाले पर्यटकों के लिए व्यासघाट जैसे डेस्टिनेशन काफी सुगम व मुफीद साबित हो सकते हैं। यदि पौड़ी जिले का पर्यटन विभाग इस दिशा में पहल करे तो लैंसडाउन आने वाले हजारों पर्यटकों में से अधिकांश को व्यासघाट में गंगा आधारित पर्यटन की ओर भी खींचा जा सकता है। इतना ही नहीं गंगा में रा्िफ्टंग के साथ नयार में कायकिंग के जरिए भी पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
चोरियों की रेलमपेल, पर्स लेकर भागता चोर दबोचा, चोरियां छिपा कर लाज बचा रही पटेलनगर पुलिस
- वैडिंग प्वाईट से कार चुरा कर चंपत हुए वाहन चोर
देहरादून, 9 मई (निस)। महिला का पर्स लेकर भाग रहे एक युवक को आसपास के लोगों ने दबोच लिया। ध्ुनाई करने के बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। पुलिस के अनुसार पकड़ा गया युवक झपटमार है और पहले भी इस प्रकार छीना झपटी की घटनाओं को कर चुका है। पटेलनगर क्षेत्रा में इन दिनोें चोरियों एवं झपटमारी की बाढ आ रखी है। अध्किांश मामलों में पटेलनगर पुलिस शिकायतें ही दर्ज नहीं कर रही है और चोरियों की घटनाओं को छिपाने का प्रयास कर रही है, लेकिन पर्स छीनने की एक घटना में पटेलनगर पुलिस ने आम जनता द्वारा आरोपी को दबोचने के बाद तत्काल मुकदमा दर्ज करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार मोहिनी विहार निवासी श्रीमती प्रतिभा शाही शनि मंदिर में आ रखी थी। यहीं पर एक युवक ने उनका पर्स छीन लिया और भागने लगा। महिला द्वारा हल्ला मचाए जाने पर आसपास के लोगों ने युवक को घेर लिया और उसकी धुनाई कर डाली। युवक के पास से महिला का छीना हुआ बैग भी बरामद कर लिया गया। सूचना मिलने पर पटेलनगर पुलिस मौके पर पहुंची। युवक ने अपना नाम हल्द्वानी निवासी रोहन बताया। पुलिस रोहन का आपराध्कि रिकार्ड निकाल रही है। आरोपी को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है। वहीं पटेलनगर में हो रही ताबड़तोड़ चोरियों को रोकने में पुलिस अब पूरी तरह से लाचार नजर आ रही है। लगातार हो रही इस प्रकार की चोरियों से निपटने के लिए चोरियों का छिपाना शुरू कर दिया है और शिकायतकर्ताओं को आश्वासन देकर थाने से ही वापस भगाया जा रहा है। हालांकि अधिकारियों से इन चोरियांे की शिकायतें की जाने के बाद पटेलनगर पुलिस ने चोरी के दो मुकदमे दर्ज किए हैं। उधर देहरादून। वाहन चोरेंा ने विवाह समारोह में आए एक मेहमान की कार चोरी कर ली। नेहरू काॅलोनी पुलिस को दी गयी शिकायत में करनपुर निवासी राकेश कुमार ने बताया कि वह सात मई को सेलीब्रेशन वैडिंग प्वाईंट में विवाह समारोह में आए थे। रात को वापस घर जाते समय उनकी कार पार्किग से गायब हो चुकी थी। आसपास के लोगों से कार के बारे में जानकारी जुटाई गयी लेकिन कार का कुछ पता नहीं लगा। ब
बलात्कार के आरोपों से मुकरी नाबालिग लड़की
देहरादून, 9 मई (निस)। प्रेम जाल में पफंसा कर एक नाबालिग लड़की का बलात्कार करने मामला केातवाली पटेलनगर में दर्ज किया गया है। लड़की की मां ने युवक व उसकी बुआ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि बाद में युवती द्वारा कोर्ट में इस प्रकार की किसी भी घटना के होने से इंकार कर दिया गया है।
पटेलनगर पुलिस को दी गयी शिकायत में बडोवाला निवासी एक महिला ने बडोवाला निवासी एक युवक पर उसकी पुत्री का बलात्कार करने का आरोप लगाया है। पुलिस को दी गयी शिकायत में महिला ने बताया कि युवक लंबे समय से उसकी नाबालिग पुत्री के पीछे पड़ा हुआ था, जिसके लिए कई बार उसे डांटा भी गया था लेकिन वह लगातार लड़की को परेशान करता आ रहा है। आरोप है कि तीस अप्रैल को युवक लड़की के पास आया और उसे अपने साथ अपनी बुआ के घर डांडीपुर ले गया। यहां उसके साथ युवक ने बलात्कार किया और बाद में उसे वापस घर छोड़ दिया। लड़की के गायब रहने पर उसकी मां ने युवक के खिलाफ पटेलनगर कोतवाली में यह आरोप दर्ज कराए। वहंी बताया जा रहा है कि लड़की ने कोर्ट में इस प्रकार की किसी भी घटना के होने से इंकार कर दिया है और अपनी मां के आरोपों को गलत बताया है। पुलिस के अनुसार अभी लड़की का मेडिकल होना बाकी है।
चोर गिरोहों पर नकेल कसने में छूट रहे पसीने, चोरियां छिपा कर फजीहत बचा रही अब पुलिस
देहरादून, 9 मई (निस)। गर्मियांे का मौसम दस्तक है ताबड़तोड़ चोरियों की घटनाओं का। दून घाटी इस मौसम में चोरियों की घटनाओं से कभी बच नहीं पाई है। अध्किारियों द्वारा चोरियों की घटनाओं को लेकर खासतौर पर दिशा-निर्देश जारी करने के बाद भी लगातार हो रही चोरियों के कारण पुलिस की भी काफी फजीहत हो रही है। साथ ही लूट एवं झपटमारी के मामले भी बढ रहे हैं। सबसे चिंता की बात तो यह है कि बदमाश अब दिनदहाड़े घरांे मंे घुसने लगे हैं। घर के लोगों के काम पर चले जाने के बाद महिलाओं को घरों में अकेला देख लूटपाट करने वाला गिरोह सक्रिय हो रहा है जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। अब तक तो चोरियों की घटनाएं ही परेशान कर रही थीं लेकिन इध्र अब झपटमारी, टप्पेबाजी एवं लूट की वारदातें भी पुलिस व्यवस्थाओं को आईना दिखाने लगी हैं। प्रदेश की राजधानी दून में पुलिस को चोरी की घटनाओं से कभी राहत मिली ही नहीं लेकिन गर्मियांे का मौसम आने के साथ ही सारी भ्रांतियां दूर हो जाती हैं। खासतौर पर इसी मौसम में आपराधिक घटनाओं की ऐसी बाढ़ आती हैै कि उसे संभालना मुश्किल हो जाता है। इन दिनों दून के लोग और यहां की पुलिस ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रही है। लगातार हो रही घटनाओं के बाद पुलिस भी चोरी चकारी की घटनाओं केा छिपा रही है और जब कुछ बदमाश पकड़े जाते हैं तो शिकायतंे दर्ज कर चंद घंटों में चोरियांे के खुलासे कर अपनी ही पीठ थपथपाने का श्रेय लेना भी नहीं भूलती। वर्तमान दौर में पटेलनगर, नेहरू काॅलोनी एवं डालनवाला में इस प्रकार की आपराधिक वारदातें बढ रही हैं। इस प्रकार की घटनाएं यदि प्रकाश में आती हैं तो सीध्े तौर पर पुलिस के लचर प्रदर्शन और और व्यवस्थाओं को ही जिम्मेदार माना जाता है। अध्किारी चाहे लाख चाक चैबंद व्यवस्थाओं के दावे करते रहें, लाख अपने थानेदारों को आदेश-निर्देश देते रहें लेकिन हालात तो जस के तस ही हैं। अकेले नेहरू काॅलोनी पटेलनगर, विकासनगर सहित दूसरे थाना क्षेत्रों में घरों में घुसकर चोरी की कई वारदातें हो चुकी हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इस प्रकार की घटनाओं की भनक तक अड़ोस-पड़ोस के लोगों को नहीं लग पाती, और बदमाश आसानी से अपना काम कर निकल जाते हैं। अक्सर बैठकों में अधिकारी तमाम थाना क्षेत्रों में रात की गश्त पर खास ध्यान देने की बात करते हैं लेकिन इन आदेशेंा का कोई खस असर दिखाई नहीं पड़ता। अध्किांश थाना क्षेत्रों में हकीकत तो यह है कि रात होने के साथ ही पुलिसवाले भी गायब होते चले जाते हैं। मुख्य मार्गो के अलावा न तो पुलिस की गश्त कहीं नजर आती है और न ही थानेदार ही गश्त करते देखे जाते हैं। हां, दावा जरूर किया जाता है कि रात्री गश्त की जा रही है। चोरी एवं लूटपाट की घटनाओं के बाद भी पुलिस ऐसे स्थानों पर नहंी दिखती जहां पूर्व में इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। सब कुछ कागजों और थानों के पन्नों मंे ही दर्ज होने तक सीमित है। स्थितियां इस प्रकार की हो चुकी हैं कि पुलिस पर आम जन को अध्कि विश्वास नहीं रह गया है। यूं भी दून पुलिस अब अपराध् रोकने से अधिक जुलूसों एवं वीआईपी ड्यूटी में ही अपनी श्रेष्ठता साबित कर रही है। चोरियों से निपटने की कोई सूरते हाल फिलहाल नजर नहीं आ रही है। तमाम गिरोह अपनी हरकतों से दून वासियों का चैन उड़ाए हुए हैं और जनपद पुलिस निष्क्रिय नजर आ रही है।
कांग्रेस ने मनायी महाराणा प्रताप की जयंती
देहरादून 9 मई (निस)। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा मेवाड नरेश महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हेें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उपस्थित कांग्रेसजनों को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि वीरता और दृढ प्रण वाले महाराणा प्रताप को जानी जाने वाली मेवाड की शौर्य भूमि धन्य है। महाराणा प्रताप ने धर्म एवं स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान देकर इतिहास में अपना नाम अजर-अमर किया है। मेवाड पर विजय प्राप्ति के लिए अकबर ने कई प्रयास किये परन्तु महाराणा प्रताप ने उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप वीरता के अभिप्रायः थे उन्होंने मुगल साम्राज्य का विरोध किया तथा मुगल सरदार राजा मानसिंह की 80 हजार सेना का अकेले सामना किया था। इस अवसर पर प्रदेश कार्यक्रम समन्वयक राजेन्द्र शाह, प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी,, प्रदेश सचिव विनोद चैहान, दीप बोरा, पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अजय ंिसंह, संजय किशोर, नेता प्रतिपक्ष नीनू सहगल, पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, डाॅ0 आनन्द सुमन सिंह, गोदावरी थापली, आई.टी. प्रकोष्ठ के संयोजक अमरजीत सिंह, सुरेश बाल्मीकि, महिला महानगर अध्यक्ष कमलेश रमन, सदस्यता सह प्रभारी सुरेन्द्र रांगड़, टीका राम पाण्डे, सेवादल के कुंवर सिंह यादव, अंजना वालिया, नईम कुरैशी अनुराधा तिवारी, अनु.जाति अध्यक्ष श्रवण राजौरिया, सुलेमान अली, रोशनी गोदियाल, बाला शर्मा, सावित्री थापा, अधीर चमोली, टी.सी. भारती, पुष्पा देवी, मालती देवी, विशाल मौर्य, सोमवती, गुरनाम सिंह राठौर, पायल बहल, सत्येन्द्र चैधरी, अलका शर्मा, आदि अनेक कांग्रेसजन उपस्थित थे।
विधायक चुफाल कांग्रेस सरकार पर अक्रामक, फर्जी मुकदमों के खिलाफ 12 मई से जन आक्रोश यात्रा
- सरकार ने प्रदेश को कर्ज में डूबाया
देहरादून 9 मई (निस)। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और डीडीहाट के विधायक विशन सिंह चुफाल ने आज प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चुफाल ने कहा कि शिक्षक, डाॅक्टरों की नियुक्ति तथा सड़क निर्माण की मांग कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमें दर्ज करने वाली कांग्रेस सरकार को चैन से नहीं रहने दिया जायेगा। सरकार के खिलाफ 12 मई से डीडीहाट विधान सभा क्षेत्र में जन आक्रोश यात्रा निकाली जायेगी। यात्रा के माध्यम से सरकार के लोकतन्त्र के हत्या तथा सवैंधानिक अधिकारों के हनन के चरित्र को आम जनता तक पहुंचाया जायेगा। तिलढुकरी स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुये विधायक चुफाल आज कांग्रेस सरकार पर अक्रामक दिखे। चुफाल ने कहा कि 22 दिसम्बर, 2014 को कनालीछीना में शिक्षक, चिकित्सकों की नियुक्ति, मोटर मार्गो का निर्माण, आपदा प्रभावितों की समस्या का समाधान, भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने की मांग को लेकर चक्काजाम किया गया था। कांग्रेस सरकार ने जनता के द्वारा उठायी गयी मांगों का समाधान करने की जगह विधायक चुफाल सहित एक दर्जन से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमें दर्ज कर दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार तीन वर्षो से डीडीहाट विधान सभा के साथ सोतेला व्यवहार कर रही है। विधान सभा में शिक्षकों के पद भारी संख्या में रिक्त है जिस कारण स्कूलों में ताले लटके हुये है। 40 में से मात्र 10 चिकित्सक तैनात है। दस अस्पतालों में ताले लगे है। विधान सभा क्षेत्र के 34 सड़कों के निर्माण का मामला अधर में लटका हुआ है। नाप भूमि का मुआवजा तक नहीं दिया गया है। गोरी और काली नदी के किनारें बसे कस्बों और गांवों की सुरक्षा के लिए बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू नहीं हो पा रहे है। आपदा प्रभावितों को मुआवजा देने में बंदरबाट की गयी है। पात्र आपदा प्रभावित आज भी मुआवजे से वंचित है। झूलाघाट में बाढ़ सुरक्षा का कार्य धीमी गति से चल रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की फेल कांग्रेस सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने पर झूटे मुकदमें में फसाया जा रहा है। 12 मई को कनालीछीना से शुरू होने वाले जन आक्रोश यात्रा तीन दिनों तक डीडीहाट विधान सभा के गांव और कस्बों में जायेगी। यात्रा का समापन 14 मई को झूलाघाट में किया जायेगा। विधायक चुफाल ने कहा कि कांगे्रस की सरकार प्रदेश को कर्ज मंें डुबा रही है। 2012 में कांग्रेस के आने से पहले राज्य के ऊपर 21 हजार करोड़ रूपये का कर्ज था जो तीन वर्षो में बढ़कर 32 हजार करोड़ रूपये पहंुच गया है। राज्य सरकार जन समस्याओं का समाधान करने की जगह 11 की जगह 35 केबिनेट मंन्त्री बना चुकी है। लाल बत्ती की फौज खड़ी कर आम जनता के टेक्स से जमा होने वाले राजकोष को इस तरह से लुटा रही है। इस राजकोष से शिक्षकों और डाॅक्टरों की नियुक्ति होनी चाहिए थी। विधायक चुफाल ने कहा कि राज्य सरकार जनता में अपना विश्वास खो चुकी है। अब इस सरकार को सत्ता में रहने पर अधिकार नही ंहै। पत्रकार वार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह रावत, जिला सम्पर्क प्रमुख जगत मर्तोलिया, मनीष महर, गेहराज पाण्डेय, अनिल सिंह रौतेला आदि मौजूद थे।
बलुवाकोट का आर्युवैदिक अस्पताल बीमार, पंचकर्म यूनिट बंद, अस्पताल भवन जर्जर
- मुख्यमन्त्री की विधान सभा की स्वास्थ्य की तस्वीर , भाजपा ने राज्यपाल से लगाई गुहार
देहरादून 9 मई (निस)। मुख्यमन्त्री की विधान सभा के एक मात्र पंचकर्म यूनिट वाले राजकीय आर्युवैदिक चिकित्सालय बलुवाकोट खुद ही बीमार चल रहा है। आर्युवैदिक अस्पताल का भवन 50 वर्ष बीत जाने के बाद जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। पंचकर्म के यन्त्र जंग खा रहे है। उप चुनाव में मुख्यमन्त्री द्वारा सीमान्त क्षेत्र की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का आश्वासन दिया गया था। दस माह बाद भी इस पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है। भाजपा ने प्रदेश के राज्यपाल को पत्र भेजकर पंचकर्म यूनिट को पुनः शुरू करने की मांग उठाई। बलुवाकोट में स्थित आर्युवैदिक चिकित्सालय की स्थापना 1958 में की गयी। अस्पताल भवन का निर्माण 1965 में किया गया। जिले में बलुवाकोट आर्युवैदिक अस्पताल को पंचकर्म यूनिट के रूप में स्थापित किया गया। इस अस्पातल में दो चिकित्सक तैनात होते थे। जिसमें एक एमडी पद का होता था। आज इस अस्पताल में मात्र एक चिकित्सक तैनात है। पंचकर्म और थैरेपी स्वास्थ्य सुविधा की आज पूरी दुनिया में मांग बढ़ती जा रही है। पंचकर्म यूनिट इस अस्पातल में बनी हुई है। जिसकी मशीनें जंग खा रही है। एमडी चिकित्सक तथा अस्पताल भवन के कक्ष सही स्थिति में नहीं होने के कारण पंचकर्म यूनिट बंद चल रहा है। इस आर्युवैदिक अस्पताल के पास सात नाली ग्यारह मुठ्ठी जमीन सरकारी दस्तावेज में दर्ज है। अतिक्रमण के कारण अब मात्र छः नाली जमीन ही शेष बची है। 50 वर्ष पूर्व बने अस्पातल भवन की स्थिति जर्जर हो चुकी है। मुख्य भवन के पांच कक्ष, चिकित्सक, फार्मसिस्ट, चतुर्थ कर्मी के लिए बने आवास टूट चुके है। वर्तमान में अस्पताल बीएडीपी मद से बनाये गये दो कमरों के भवन में चल रहा है। इस अस्तपाल से भारत ही नहीं नेपाल के रोगी भी आर्युवेद और पंचकर्म की विधि से स्वास्थ्य लाभ पाते थे। आज यह अस्पातल खुद ही बीमार हो चुका हैं। बलुवाकोट क्षेत्र की 15 हजार तथा नेपाल की 10 हजार की आबादी की निर्भता इस अस्पातल से है। मुख्यमन्त्री की विधान सभा में इस अस्पातल का कोई सुधलेवा नहीं है। उपचुनाव के वक्त इस अस्पातल की तस्वीर बदलने के दावे किये गये थे लेकिन एक भी दावा आज तक धरातल में नहीं उतरा। भाजपा के जिला सम्पर्क प्रमुख जगत मर्तोलिया ने आज प्रदेश के राज्यपाल को पत्र भेजकर इस अस्पातल की स्थिति में सुधार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आर्युवेद के साथ इस स्थान पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण भी किया जाय। पंचकर्म यूनिट को पुनः चालू किया जाय। मर्तोलिया ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमन्त्री को अपनी विधान सभा की स्वास्थ्य समस्या से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। मुख्यमन्त्री केवल हैलीकाप्टर में घूमने की राजनीति कर रहे है। जनता का धन हैली में लुटाया जा रहा है, और जनता के लिए दवा और डाॅक्टर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
म्ंात्री के अन्तर्राष्ट्रीय सीमा में घूमने जाने पर भाजपा को आपत्ति मांगा इस्तीफा
देहरादून 9 मई (निस)। उत्तराखण्ड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अजय भट्ट ने शनिवार को एक शिष्टमण्डल का नेतृत्व करते हुए राजभवन पहुँचकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उत्तराखण्ड सरकार के मंत्री श्री दिनेश अग्रवाल द्वारा औपचारिक अनुमति के बिना सात मई को अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पार कर नेपाल भ्रमण किए जाने पर आपत्ति करते हुए मंत्री की बर्खास्तगी की मांग की गई है। शिष्टमंडल में शामिल भारतीय जनता पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने राज्यपाल को एक और ज्ञापन सौंपा जिसमें उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी वि.वि भरसार, पौड़ी में कुलसचिव(रजिस्ट्रार) के पद पर की गई नियुक्ति को नियम विरूद्ध बताते हुए नियुक्ति को निरस्त करने की माँग की गई है।