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वामदल मिलकर चुनाव लडे़गे, संघर्ष करेंगे।

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पटना, 16 मई। वामदलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले-लिबरेषन) की संयुक्त बैठक आज यहां वरिष्ठ सी॰पी॰एम॰ नेता काॅ॰ विजयकान्त ठाकुर की अध्यक्षता में जनषक्ति भवन में संपन्न हुई जिसमें निम्नलिखित निर्णय लिए गए:-

तीनों वामदल:-सीपीआई, सीपीआई (एम) और सीपीआई (एमएल- लिबरेषन) संयुक्त रूप से स्थानीय निकाय क्षेत्रों से होने वाले विधान परिषद चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। बैठक में सहमति बनी कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी चार सीटों पर माकपा तीन सीटों पर और माले दस सीटों पर चुनाव लड़ेगी । इस बावत अंतिम निर्णय आगामी 21 मई को आहूत संयुक्त बैठक में लिया जाएगा। वाम दलों ने आगामी 17 मई को वामपंथी किसान-मजदूर संगठनों द्वारा पटना में आयोजित हो रहे जिला स्तरीय कन्वेंषन का समर्थन किया और इसे सफल बनाने की अपील की। अन्य जिलों में भी ऐसे कन्वेंषन आयोजित होने हैं जिनका वामदल समर्थन करंेंगे। 

वामदलों ने जिला समाहरणालयों का 25 मई को घेराव करने के किसान-मजदूर संगठनों के फैसलें का स्वागत करते हुए उसे हर संभव सहयोग देने का निर्णय लिया। उक्त दोनों प्रकार के कार्यक्रमों के उपरांत और जोरदार संघर्ष की तैयारी के लिए 25 मई के बाद पुनः  वामपंथी किसान-मजदूर संगठनों और वामदलों की बैठक में निर्णय लिए जाऐंगे। वामदलों ने किसान विरोधी और जनविरोधी भूमि अधिग्रहण के विरोध में, भूमि अधिकार की हिफाजत के लिए, धान खरीद के बकाये के भुगतान के लिए,  प्राकृति आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को समुचित मुआवजे देने के लिए सर्वदलीय समिति से आकलन कराने, गेहँू की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिष्चित करने, पैक्सों को भुगतान की गारंटी करने और सबों के लिए भोजन सुरक्षा प्रदान करने की मांगों को लेकर किसान-मजदूर संगठनों द्वारा चलाए जा रहे संघर्षों को पूरा सहयोग देने का एलान किया। साथ ही मनेर में किसान की आत्म हत्या पर गहरी चिंता व रोष जताते हुए वामदलों के नेताओं ने बिहटा में जारी किसान आंदोलन का भी समर्थन किया।

बैठक में सी॰पी॰आई॰ की ओर से राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह के अलावे बद्री नारायण लाल, रामनरेष पाण्डेय, जब्बार आलम और रामबाबू कुमार, सीपीएम की ओर से राज्य सचिव अवधेष कुमार के अलावे विजयकांत ठाकुर, सर्वोदय शर्मा, राजेन्द्र सिंह तथा माले की ओर से राज्य सचिव कुणाल ओर के॰डी॰ यादव ने भाग लिया। 

केजरीवाल सरकार ने प्रधान सचिव को हटाया

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आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने प्रधान सचिव (सेवा) अनिंदो मजुमदार को शनिवार को पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब शकुंतला गैमलिन की कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में हुई नियुक्ति पर पहले से विवाद चल रहा है।  उपराज्यपाल नजीब जंग ने हालांकि मजुमदार को पद से हटाए जाने को अवैध करार दिया है। 

राज भवन से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "इस आदेश पर उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं है, जो कि इस रैंक के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं।"आप ने इससे पहले मजुमदार को पद से हटाने संबंधित एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है, "मजुमदार को उनके सभी प्रभार से मुक्त किया जाता है। उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी।"मजुमदार ने गैमलिन की नियुक्ति के आदेश जारी किए थे।

भारत 68वीं विश्व स्वास्थ्य सभा का अध्यक्ष बना

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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की 68वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। भारत 19 वर्ष बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्वोच्च निर्णायक संस्था डब्ल्यूएचए का अध्यक्ष चुना गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बयान के मुताबिक डब्ल्यूएचए की बैठक 18 से 27 मई को जेनेवा में होगी। नड्डा के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय भारतीय शिष्टमंडल बैठक में भाग लेने गया है। 68वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में माइक्रोबायलरोधी रेजिस्टेन्स, वायु प्रदूषण तथा स्वास्थ्य, विश्व स्वास्थ्य आपात तैयारी और निगरानी, वैश्विक रणनीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कार्य योजना, नवाचार तथा बौद्धिक संपदा और अछूती लाक्षणिक बीमारियों में अनुसंधान एवं विकास विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा। 

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक के मौके पर अनेक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में भी भाग लेंगे। इनमें राष्ट्रमंडल स्वास्थ्य मंत्रियों की आठवीं बैठक तथा ब्रिक्स स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक शामिल है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने विश्व स्वास्थ्य सभा के अध्यक्ष के रूप में 19 मई को बैठक में भाग लेने आए स्वास्थ्य मंत्रियों के लिए स्वागत कार्यक्रम का आयोजन किया है। इससे पहले, जे पी नड्डा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. मारग्रेट चान ने संयुक्त रूप से 'सभी के लिए योग, स्वास्थ्य के लिए योग'विषय पर फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने संबंधी प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए आयोजित की गई थी।

राजद-जद (यू) में होगा बेमेल गठबंधन : मांझी

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पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) में अगर गंठबंधन होता है तो वह बेमेल गठबंधन होगा। दोनों की नीतियां एक-दूसरे से अलग है। पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "उनकी पार्टी किसी भी पार्टी से चुनाव पूर्व समझौता नहीं करेगी। चुनाव के बाद समर्थन लेने-देने की बात स्थितियों पर निर्भर करेगा।" 

उन्होंने एक बार फिर कहा कि नीतीश कुमार को छोड़कर उनकी पार्टी किसी से भी समर्थन ले सकती है और दे सकती है। मांझी ने जद (यू) की छवि खराब करने के आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में जितने फैसले लिए गए थे वे गरीबों के हक में लिए गए थे।  उन्होंने राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के उस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जद (यू) से राजद का जनाधार बड़ा है। 

इसके पूर्व विधान पार्षद महाचंद्र सिंह और राजद के वरिष्ठ नेता रवि भूषण के नेतृत्व में पहुंचे करीब 250 समर्थकों ने हम की सदस्यता ग्रहण की। विधान पार्षद महाचंद्र सिंह ने कहा कि हम की नीतियों में लोगों की आस्था और विश्वास बढ़ा है।

दिल्ली विवि में 28 मई से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया

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 दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया 28 मई से शुरू होगी। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। विश्वविद्यालय 28 मई से पहले ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करेगा, जिसके बाद पांच जून से ऑफलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी। डीयू के प्रवक्ता ने कहा, "ऑनलाइन तथा ऑफलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि 15 जून होगी।"

ऑफलाइन पंजीकरण के लिए आठ केंद्र-आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज, दयाल सिंह कॉलेज, गार्गी कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, पीजीडीएवी कॉलेज, राजधानी कॉलेज, श्याम लाल कॉलेज व श्री गुरु गोविंद सिंह कॉलेज निर्धारित किए गए हैं। वहीं, पहला कट ऑफ 25 जून को जारी होगा।

मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सजा-ए-मौत

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मिस्र की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को साल 2011 के जेलब्रेक मामले में शनिवार को मौत की सजा सुनाई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रपट के मुताबिक, काहिरा अपराध अदालत ने शनिवार को वाडी अल-नाट्रन जेल ब्रेक मामले में मुर्सी तथा 105 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई। अदालत ने अपने फैसले को समीक्षा के लिए देश के ग्रैंड मुफ्ती के पास भेज दिया है। दो जून को इसपर अंतिम फैसला आएगा। दोषियों के पास सजा के खिलाफ अपील का अधिकार है।  ग्रैंड मुफ्ती की राय आमतौर पर औपचारिक मानी जाती है। 

मुर्सी पर तत्कालीन राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के खिलाफ विद्रोह के दौरान 25 जनवरी, 2011 को घरेलू और विदेशी आतंकवादियों की सहायता से जेल से भागने का आरोप है।  मुस्लिम ब्रदरहुड, फिलिस्तीन के हमास आंदोलन तथा लेबनान के शिया हिजबुल्ला समूह के 130 अन्य दोषियों पर भी यही आरोप है। उन पर जेल तोड़कर भागने व पुलिस अधिकारियों को अगवा करने तथा उनकी हत्या करने का आरोप है।  मुर्सी के खिलाफ शनिवार को आया आदेश उनके लिए दूसरा झटका है, क्योंकि बीते महीने अदालत ने साल 2012 में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने तथा उन्हें उत्पीड़ित करने के मामले में उन्हें 20 साल जेल की सजा सुनाई है। 

वहीं, हमास जासूसी मामले में अदालत ने मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता मोहम्मद अल-बेल्तगी व संगठन के उप प्रमुख खैरत अल-शातेर तथा अन्य 14 दोषियों को मौत की सजा सुनाई। यह फैसला भी समीक्षा के लिए ग्रैंड मुफ्ती के पास भेजने का फैसला किया गया है।  दोषियों को मिस्र को अस्थिर करने के लिए हमास आंदोलन, हिजबुल्ला समूह तथा मिस्र के नेशनल गार्ड सहित विदेशी ताकतों के साथ साजिश रचने के लिए आरोपित किया गया है।  मुर्सी को भी इस मामले में सजा सुनाई गई है, लेकिन उन्हें मौत की सजा नहीं दी गई है। 

अल अहराम की रपट के मुताबिक, अगर अदालत दो जून को अपने फैसले में कोई बदलाव नहीं करती है या मुर्सी की अपील मंजूर नहीं होती, तो मिस्र के इतिहास में मुर्सी पहले राष्ट्रपति होंगे जिन्हें फांसी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि देश भर में व्यापक तौर पर विरोध-प्रदर्शन के बाद जुलाई 2013 में मुर्सी को सेना ने सत्ता से बेदखल कर दिया था।  बीते साल मिस्र के प्रशासन ने मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकवादी संगठन करार दिया था।इस संगठन के कई शीर्ष नेताओं को मौत की सजा सुनाई गई है, जिनमें इसके प्रमुख मोहम्मद बादी भी शामिल हैं। हालांकि सजा अभी तक दी नहीं गई है और इसके खिलाफ अपील की जा सकती है।

बालाघाट (मध्यप्रदेश) की खबर (16 मई)

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राजोल सिंह प्लाटून कमांडेंट के पद पर पदोन्नत, कृषि मंत्री श्री बिसेन ने दी बधाई
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म.प्र. शासन के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन की सुरक्षा में तैनात सहायक प्लाटून कमांडेंट श्री राजोल सिंह राजपूत की प्लाटून कमांडेंट के पद पर पदोन्नती होने पर कृषि मंत्री श्री बिसेन ने उन्हें बधाई दी है। आज 16 मई 2015 को सर्किट हाउस बालाघाट में सादे समारोह में कृषि मंत्री श्री बिसेन ने राजोल सिंह को बैच लगाया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा बिसेन, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष श्री राजकुमार रायजादा, श्री संजय अग्निहोत्री एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

कृषि मंत्री ने सांवगी एवं रमरमा में गोदाम का किया लोकार्पण, किसान खाद का अग्रिम उठाव करें---कृषि मंत्री श्री बिसेन
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प्रदेश सरकार किसानों के लिए उर्वरक की कमी नहीं होने देगी। खरीफ फसलों के लिए उर्वरक का अग्रिम भंडारण कर लिया गया है। किसान अपनी सोसायटी से उर्वरक का अग्रिम उठाव कर सकते है। किसानों को कृषि संबंधी तकनीकी जानकारी देने एवं शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उन्हें इस वर्ष भी प्रदेश में कृषि महोत्सव मनाया जायेगा। यह बातें म.प्र. शासन के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने आज 16 मई 2015 को सांवगी एवं रमरमा में 8-8 लाख रु. की लागत से निर्मित दो-दो सौ मिट्रीक टन क्षमता के गोदामों के लोकार्पण कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कही। एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के अंतर्गत निर्मित इन गोदामों के लोकार्पण कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा बिसेन, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री राजकुमार रायजादा, पूर्व जनपद अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा निरंजन बिसेन, श्री निरंजन बिसेन, ग्राम पंचायत सांवगी एवं रमरमा के सरपंच, सहकारी समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री श्री बिसेन इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि नई केन्द्र सरकार द्वारा देश के विकास के लिए त्वरित निर्णय लिये जा रहे है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत रिकार्ड संख्या में कमजोर एवं गरीब लोगों के बैंक में खाते खोले गये है। केन्द्र सरकार द्वारा आम जनता के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना लागू कर मात्र 12 रु. एवं 333 रु. में एक वर्ष की बीमा सुरक्षा मुहैया कराई गई है। इसके अलावा गरीब व मजदूर वर्ग के लिए अटल पेंशन योजना लागू की गई है। इन योजनाओं का लाभ समाज के हर वर्ग के लोगों को मिलेग। कृषि मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के हित में नई फसल बीमा योजना बनाने जा रही है। नई बनने वाली फसल बीमा योजना में कम उत्पादन होने पर भी किसान को बीमा राशि प्रदान की जायेगी। उन्होंने किसानों से कहा कि वे आने वाली खरीफ फसलों के उर्वरक का अग्रिम उठाव कर लें। खाद के अग्रिम उठाव पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। किसानों को नवीनतम तकनीकी जानकारी देने एवं कृषि संबंधी योजनाओं की जानकारी देने के लिए गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी 27 मई से कृषि महोत्सव मनाया जायेगा। इस महोत्सव के दौरान किसानों को बीज आदि भी उपलब्ध कराया जायेगा। कृषि मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए योजनायें बनाई है और प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाल कर एक तेजी से विकसित होते राज्य में बदल दिया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ समाज के हर वर्ग के लोगों को मिल रहा है।कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा बिसेन एवं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष श्री राजकुमार रायजादा ने भी संबोधित किया। 

बड़वानी (मध्यप्रदेश) की खबर (16 मई)

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कस्तूरबा वनवासी कन्या आश्रम निवाली की सलाहकार समिति की बैठक 18 को

बड़वानी 16 मई / कस्तूरबा वनवासी कन्या आश्रम निवाली की सलाहकार समिति की बैठक 18 मई को दोपहर 1 बजे से कलेक्टरेट सभागृह बड़वानी में आयोजित की गई है । कलेक्टर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में आश्रम की पिछले वर्ष की रिपोर्ट, पिछली बैठक की कार्यवाही एवं पालन प्रतिवेदन, कार्यकर्ताओ की क्रमोन्नति एवं पदोन्नति, संविदा शिक्षको का संविलियन, कलेक्टर रेट के कर्मचारियो को विशेष भत्ता सुविधा, खेल सामग्री का बजट बढ़ाने, स्कूल स्टेशनरी के बजट, व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करवाने की व्यवस्था, कम्प्यूटर प्रशिक्षण को विश्वविद्यालय से मान्यता दिलाने और प्रस्ताव बनाने, बालिकाओ के विशेष कोचिंग की व्यवस्था पर चर्चा व निर्णय लिये जायेंगे । 

अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू एवं धूम्रपान निषेध दिवस 31 मई क¨

बड़वानी 16 मई / राज्य शासन संचालनालय सामाजिक न्याय विभाग के निर्देशानुसार जिले में अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू एवं धूम्रपान निषेध दिवस 31 मई क¨ मनाया जायेगा। उक्त दिवस का मुख्य उद्देश्य युवाअ¨ं में खासकर छात्र-छात्राअ¨ं एवं जनसाधारण में बढ़ती हुई तम्बाकू एवं धूम्रपान सेवन प्रवृत्ति की र¨कथाम करना है। इस हेतु विविध जनजागरूक कार्यक्रम आय¨जित किये जायेगें। तम्बाकू एवं बीड़ी, सिगरेट, गुटका सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति से खासकर युवा पीढ़ी प्रभावित हुई है। इन्हें सचेत करना अतिआवश्यक है। ताकि नई पीढ़ी क¨ कैंसर, टीबी, हृदयघात की बीमारिय¨ं से बचाया जा सके। तम्बाकू एवं धूम्रपान के सेवन की र¨कथाम के लिये वातावरण क¨ प्रभावशील बनाया जाये। कलेक्टर श्री रवीन्द्र सिंह ने राज्य शासन  के इस निर्देशानुसार जिले में भी जागरूकता प्रसारित करने हेतु शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, आदिम जाति कल्याण, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, नगरीय एवं ग्रामीण निकाय तथा समस्त शासकीय महाविद्यालयीन, विद्यालयीन माध्यमिक-प्राथमिक सभी शैक्षणिक संस्थाअ¨ं को कार्यक्रम आय¨जित करने निर्देश जारी किये है। 

कस्तूरबा गांधी विघालय, छात्रावास¨ं मे रहने वाले बालक-बालिकाअ¨ं क¨ प्रदाय किये जायेंगे सांची दुग्घ उत्पाद

बड़वानी 16 मई / प्रदेश में संचालित कस्तूरबा गांधी विघालय, बालिका छात्रावास¨ं, आवासीय बालक विघालय अ©र सी.डब्लू.एस.एन.छात्रावास¨ं में अध्ययन रत बालक-बालिकाअ¨ं में उच्च गुणतत्ता का प©ष्टिक दुग्घ-आहार मुहैया कराया जायेगा। इस सिलसिले मे एम.पी.स्टेट डेयरी फेडरेशन तथा राज्य शिक्षा केन्द्र के बीच एम.अ¨.यू. ह¨ गया है। इस एम.अ¨.यू.के तहत दुग्ध उत्पाद तथा घी, पेडा,मठा, छेना, खीर, श्रीखंड, लस्सी, आदि पर आठ स© रू. प्रति माह तक का व्यय किया जायेगा। छात्रावास¨ं तथा आवासीय विघालय¨ं में डेयरी फेडरेशन भ¨पाल से सम्बद्व भ¨पाल, इंद©र, उज्जैन,ग्वालियर, अ©र जबलपुर दुग्ध संघ¨ं से  सांची दूध अ©र दुग्ध उत्पाद उपलब्ध कराने हेतु अनुबंध किया गया है। दुग्ध संघ¨ं द्वारा दुग्ध अ©र दुग्ध उत्पाद रिटेलर दर पर उपलब्ध कराये जायेंगे। निर्धारित क्वालिटी के उत्पाद निर्धारित पैकिंग में ही सम्बधित छात्रावास¨ं में प्रदाय किये जायेंगें। छात्रावास प्रभारी/वार्डन द्वारा दुग्ध संध/वितरक क¨ दूध तथा दुग्ध उत्पाद¨ं की दैनिक मांग प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में देना ह¨गी। बालक-बालिकाअ¨ं की उच्च गुणवत्ता की सामग्री प्राप्त ह¨ इसका विशेष ध्यान रखा जायेगा।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वीडिय¨ कान्फ्रेंसिंग 18 मई क¨

बड़वानी 16 मई / मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह च©हान की अध्यक्षता में 18 मई क¨ 10.30 बजे वीडिय¨ कान्फ्रेंसिंग ह¨गी। वीडिय¨ कान्फ्रेंसिंग में सभी संभागायुक्त, कलेक्टर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक शामिल ह¨ंगे। एजेण्डे में कृषि मह¨त्सव का आय¨जन अ©र बच्च¨ं की भिक्षावृत्ति र¨कना शामिल हैं। कलेक्टर श्री रवीन्द्र सिंह ने कान्फ्रेंसिंग में जिला मुख्यालय के नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, कृषि, उद्यानिकी, डेयरी विभाग के अधिकारी क¨ भी उपस्थित रहने के निर्देश दिये है । 

न्यायाधीशगण एवं अधिवक्ता अधिक से अधिक प्रकरण, मीडिऐशन सेन्टर रेफर करें - जिला सत्र न्यायाधीश श्रीवास्तव

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बड़वानी 16 मई / जिला न्यायालय परिसर बड़वानी में स्थित मध्यस्थता केन्द्र पर मीडिऐशन जागरूकता कार्यक्रम एवं फेमली कोर्ट से संबंधित प्रकरणो में मीडिऐशन की उपयोगिता पर कार्यशाला का आयोजन शनिवार को किया गया । कार्यशाला का शुभारंभ करते हुये जिला सत्र न्यायाधीश श्री आरके श्रीवास्तव ने उपस्थित न्यायाधीशगणो से अनुरोध किया है कि वे अधिक से अधिक प्रकरणो को मीडिऐशन सेंटर में रेफर करें, जिससे मीडिऐशन का वास्तविक लाभ पक्षकारो को मिल सके । इस अवसर पर उन्होने अधिवक्ता संघ के सदस्यो से भी अनुरोध किया कि वे भी अपने पक्षकारो से चर्चाकर मीडिऐशन योग्य प्रकरणो को चिन्हित कर उन्हें न्यायालय के माध्यम से मीडिऐशन सेंटर रेफर करवाने में सहयोग प्रदान करें । इस अवसर पर  श्री श्रीवास्तव ने उपस्थित लोगो को बताया कि कुटुम्ब न्यायालय से संबंधित प्रकरणो में मीडिऐशन की कार्यवाही का विशेष महत्व है । अतः इस प्रकार के प्रकरणो का निराकरण शत-प्रतिशत मीडिऐशन के माध्यम से करवाया जाये। कार्यशाला के दौरान मीडिऐशन प्रशिक्षित विशेष न्यायाधीश श्री देवेन्द्रसिंह सोलंकी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एके सौधियाॅ, कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश श्री अखिलेश जोशी, जिला रजिस्टार एवं विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री संजय कुमार गुप्ता, जिला विधिक सहायता अधिकारी कुमारी अंकिता प्लास तथा मीडिऐशन मानीटरिंग कमेटी के अधिवक्ता सदस्य एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री पीके मुकाती, शासकीय अधिवक्ता श्री राजेश गोठवाल, श्रीमती सीमा परमार, श्री एके उपाध्याय सहित अन्य अधिवक्तागण, पेरालीगल वांलेटियर तथा पक्षकार गण उपस्थित थे । 

बिहार में फिर भूकंप के झटके, एक की मौत

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बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न इलाकों में शनिवार को एक बार फिर भूंकप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके से पश्चिम चंपारण जिले के शिकारपुर में एक घर की दीवार गिर जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। पश्चिम चंपारण जिले के एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप के झटके से जिले के शिकारपुर क्षेत्र में एक घर गिर जाने से एक व्यक्ति की मौत हुई है। 

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, राजधानी पटना के अलावे पूर्णिया, बेगूसराय, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, जहानाबद, गया सहित कई जिलों में लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक तौर पर अभी तक कहीं से कोई बड़े नुकसान की खबर नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष कार्य अधिकारी विपिन कुमार राय ने बताया कि जिलाधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है। 

भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर सड़क पर निकल गए। पटना मौसम विज्ञान केन्द्र के सहायक निदेशक आऱ क़े गिरी ने बताया कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5़ 7 थी तथा इसका केन्द्र नेपाल में था।  उल्लेखनीय है कि बिहार में गत 25 अप्रैल को आए भूकंप से 58 लोगों की तथा गत मंगलवार को आए भूकंप से 21 लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार आ रहे भूकंप के झटके से लोग दहशत में हैं। 

विशेष : लाभदायक सौदा नहीं रह जाने से कृषि-कार्य मौत को निमंत्रण देने से कम नहीं

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आदिकाल से ही भारतवर्ष के अधिकांश लोगों की आजीविका का साधन कृषि और कृषि से सम्बद्ध व्यवसाय रही है, और भारतवर्ष के कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि कृषि क्षेत्र में हमने बहुत उन्नति भी की है, परन्तु इस वर्ष मार्च , रील के महीने में हुई बेमौसम आंधी-तूफ़ान, बारिश और ओले ने खेतों में तैयार फसल को बर्बाद करके भारतीय कृषकों के लिए कृषि को जुआ मानने वाली कहावत को चरितार्थ करके रख दिया। वैसे तो प्रत्येक वर्ष देश के किसी न किसी भाग में आने वाली बाढ़ अथवा सूखे की स्थिति के कारण होने वाली क्षति का सामना करना भारतीय कृषकों की नियति रही है। विशेषकर लघु व सीमांत कृषक इस स्थिति से सदैव ही प्रभावित होते रहते हैं, परन्तु गत दिनों मार्च , अप्रैल के महीने में देश के पूर्वी और पश्चिमी देानों ही छोर से एक साथ नमी उठाई जाने के कारण बड़े पैमाने पर होने वाली असमय बेतहाशा बारिश व इसके साथ-साथ आने वाले आंधी-तूफान तथा ओलावृष्टि ने देश के कृषकों, विशेषकर उत्तर व मध्य भारत के किसानों की तो कमर ही तोड़ कर रख दी। खेतों में तैयार हो रही रवि की फसलें यथा, गेहूं, सरसों, अरहर , चना आदि के साथ ही मटर, टमाटर, आलू आदि सब्जी फसल और तम्बाकू,तिलहन और दलहन की फसलें नष्ट हो गईं। बारिश के साथ-साथ सक्रिय रही चक्रवाती हवाओं ने भी किसानों की आजीविका पर भारी कहर बरपा कर दिया। इसके कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों से कृषकों द्वारा आत्महत्या किए जाने, अपनी क्षतिग्रस्त फसल को देखकर हृदयगति रुक जाने से कृषकों की देहान्त हो जाने जैसी हृदयविदारक समाचार भी सुनाई देने लगे हैं। कुछ राज्यों की सरकारें ऐसे संकट के समय में कृषकों के सहायतार्थ आर्थिक पैकेज घोषित करती भी नज़र आईं। परन्तु यह भी सत्य है कि कृषकों के ऊपर टूटे इस प्राकृतिक प्रकोप के प्रभाव से आम नागरिक भी अछूता नहीं रहने वाला। आर्थिक और बाजार विशेषज्ञों के अनुसार शीघ्र ही दलहन,तिलहन और तत्काल रूप से विभिन्न सब्जि़यों की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में आम देशवासियों को इस मौसम का भुगतान करना पड़ सकता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि कृषि और विज्ञान के क्षेत्रों में लगतार हो रही प्रगति के बावजूद आज भी भारतीय कृषि व कृषक ईश्वर के सहारे ही अवलंबित हैं। यही कारण है कि 1950 में जीडीपी में कृषि का 51.9 प्रतिशत हिस्सा घटकर अब मात्र 13.7 प्रतिशत रह गया है। कभी देश की तीन चौथाई जनसंख्या को रोजगार मुहैय्या कराने वाला यह क्षेत्र अब मात्र 49 प्रतिशत जनसंख्या का ही आजीविका का साधन रह गया है। वर्तमान में कृषि कार्य में भी अधिक पूँजी लगने, मनरेगा के आने के पश्चात कृषि मजदूरी दर बढने और मजदूरों के द्वारा मजदूरी के बनिस्पत कार्य नहीं करने अर्थात कामचोर हो जाने , प्राकृतिक प्रकोप से फसलों के मारे जाने, सिंचाई के अपर्याप्त साधन, आधारभूत सुविधाओं की कमी, कृषि उत्पादों की बिक्री की खराब व्यवस्था और फिर बाजार से फसलोपज की उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण कृषि कार्य लाभदायक सौदा नहीं रह गया है।

ऐसे में कृषि और कृषक हित में सोचने वाले लोगों के मन में यह प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि क्या देश में कृषि अर्थात खेती करना एक लाभदायक उद्यम या व्यवसाय रह गया है? और क्या सरकारी कृषि नीति कृषि उद्यम से जुड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करती है? और आखिर क्या कारण है कि सम्पूर्ण देश का पेट भरने वाला किसान स्वयं भूख से मरता है अथवा आत्मह्त्या करता है ? उसके घर की छत टपकती है फिर भी वह बारिश का इन्तजार करता है ? एक आँकड़े के अनुसार प्रतिवर्ष हमारे देश मे सतर हजार किसान आत्महत्या कर रहे है लेकिन हमारे कृषि प्रधान देश मे ऐसा क्यों हो रहा है और इसका समाधान क्या है, इस बारे में गम्भीरता से सोचने के लिए कोई तैयार नहीं ?  भारतवर्ष में कृषकों की आत्महत्या के इतिहास पर निगाह डाला जाए तो यह सपष्ट होता है कि गत सदी के नब्बे के दशक के अन्त में तथा सन 2000 के आस-पास कृषकों द्वारा आत्महत्या करने के मामले सामने आये । एक आंकड़े के अनुसार सन 1995 से 2011 तक के बीच लगभग तीन लाख कृषकों ने आत्महत्या की । वैसे तो कृषकों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति देश के अधिकांश भागों के कृषकों में पाई जा रही है परन्तु ये मामले मुख्यतः कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तथा आंध्र प्रदेश से ही प्रतिवेदित किये गए हैं।देश मे कृषकों की आत्महत्या के पीछे का सबसे कारण यह है कि दिनानुदिन उनकी खेती का लागत अर्थात खर्च  बढ़ता ही जा रहा है और आमदनी कम होती जा रही है जिससे किसान कर्जे मे डूब रहा है और आत्महत्या कर रहा है । खेती करने के लिए किसान अपने खेत में यूरिया, डाईअमोनियम सल्फेट, सिंगल सुपर फोस्फेट आदि रसायानिक खाद और इंडोसल्फान ,मालाथियोन आदि कीटनाशक डाल रहा है । जो अधिकांशतया विदेशी कंपनियों से खरीदी जाती हैं और प्रतिवर्ष चार लाख अस्सी हजार करोड़ रूपये हमारे कृषकों से लूटकर विदेशी कम्पनियाँ ले जाती हैं। दूसरी ओर कृषकों को ऊन्नत प्रभेद के महंगे बीज प्रतिवर्ष खरीदने पड़ते हैं । रुपये के निरन्तर अवमूल्यन से भी बीज, खाद, कीटनाशक आदि के दामों में वृद्धि होती है । देश में अधिकाँश किसान पिछ्ड़ी जातियों से हैं और छोटी जोत के मालिक हैं । संयुक्त परिवार के टूटने से तथा अन्य किसानों से आपसी लेन-देन ख़त्म होने से परिवार के मुखिया पर ही परिवार की सारी जिम्मेवारी होती है । इन परिस्तिथियों में कृषि-कार्य जैसे जोखिम भरे काम में हाथ डालना मौत को निमंत्रण देने से कम नहीं ।


कृषि के क्षेत्र में बहुत प्रगति करने की दावा हमारे कृषि वैज्ञानिक व सरकारें करती रहती हैं, परन्तु यह भी परम सत्य है कि आज भी देश के 95 प्रतिशत से अधिक कृषक अपने खेतों की औसत उर्वर क्षमता का आधा पौना उपज ही ले पाते हैं अर्थात भरपूर उपज नहीं ले पाते। ऐसी स्थिति में सबको अन्न उपलब्ध कराने वाले अन्नदाता कृषकों की बदतर स्थिति आज किसी से छिपी नहीं है। देश में आये दिन कृषकों के द्वारा की जाने वाली आत्महत्या की खबरें भी इस बात की पुष्टि करती हैं। यह सर्वविदित तथ्य है कि दिन भर खेतों में हाड़-तोड़ परिश्रम करने वाले कृषकों और उनके परिजनों को रात को भूखे पेट सोने को मजबूर होना पड़ता है। सेंटर फॉर डेवलपिंग सोसायटीज के द्वारा की गई एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण भारतीय कृषकों की इस दुखद स्थिति की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती है । दिसम्बर  2013 से जनवरी 2014 के बीच हुए इस सर्वेक्षण में देश के 137 जिलों के 274 गाँवों को शामिल किया गया है। सर्वेक्षण में देश के कृषक अर्थात किसानों की कठिन जिन्दगी और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की वास्तविकता प्रदर्शित करते हुए कहा गया है कि देश के 36% किसान अपने परिवार के साथ या तो झोपड़ी में रहते हैं या फिर कच्चे-पक्के मकान में। 44% किसान परिवार के पास कच्चा-पक्का मकान अथवा दोनों मिला-जुला है। सिर्फ 18% के पास ही स्वतंत्र रूप से पक्का मकान है । देश के कृषकों में शिक्षा की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि देश के 28% किसान निरक्षर हैं। 14% दसवीं तक और केवल छह प्रतिशत के पास ही महाविद्यालय अर्थात कॉलेज की डिग्र्री है। सर्वेक्षण के अनुसार 32% किसान परिवार चलाने के लिए कृषि के अतिरिक्त कोई अन्य काम करते हैं। सर्वेक्षण में प्रत्येक दस में से एक किसान ने माना कि विगत एक वर्ष के दौरान कुछ मौकों पर उसके परिवार को भूखे पेट सोना पड़ा। भारतीय कृषकों के द्वारा उर्वरकों के इस्तेमाल के सम्बन्ध में सर्वेक्षण में बताया गया है कि आर्गेनिक उर्वरक 16% किसान ,रासायनिक उर्वरक 35% किसान और दोनों का इस्तेमाल 40% किसान करते हैं। 9% किसानों ने इस सन्दर्भ में कह नहीं सकते कहा अर्थात कुछ नहीं कहा। किसानों द्वारा कीटनाशकों के इस्तेमाल किये जाने की स्थिति के सम्बन्ध में सर्वेक्षण में कहा गया है कि नियमित रूप से 18% किसान ,कभी-कभार 28% किसान कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। 10% किसानों के लिए तो कीटनाशकों का इस्तेमाल दुर्लभ बताया गया है। इसी प्रकार जरूरी हुआ तो 30% किसान कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं और जरुरी नहीं हुआ तो नहीं तथा 13% किसान तो कभी भी कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करते ।

इससे यह स्पष्ट हो जाता है की हरित क्रांति के सहारे खाद्यान्न उत्पादन में भले ही हम आत्मनिर्भर हो गए हों परन्तु इस कार्य से जुड़े लोग इसके बलबूते आज तक आत्मनिर्भर नहीं हो सके हैं और अधिकांश कृषक इसे घाटे का सौदा मानते हैं। यही कारण है की कृषक कृषि छोड़ किसी अन्य उद्यम को अपनाने पर विवश हैं। फसल की बुआई से लेकर कटाई तक भारतीय कृषक को भाग्य भरोसे ही रहना पड़ता है। फसल चक्र के दौरान अनेक समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं। हाड़-तोड़ मेहनत करके अगर वह फसल को खेत में तैयार कर ले जाता है तो आखिरी समय पर प्राकृतिक आपदाएं उसकी उम्मीदों पर तुषारापात कर देती हैं। रही-सही कसर फसलोपज की भंडारण की समस्या और बाजार में बिचौलियों की मौजूदगी से औने-पौने मूल्य कर देते हैं।

ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग या मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्रकृति के बदलते स्वरुप के मध्य अब वैज्ञानिकों तथा कृषि विशेषज्ञों को प्रकृति पर आश्रित रहने वाली कृषि के स्वरूप में बदलते मौसम के अनुरूप परिवर्तन लाए जाने पर विचार-विमर्श करना चाहिए । ग्लोबल वार्मिंग से न सिर्फ भारतवर्ष वरन दक्षिण एशियाई देशों सहित लगभग सम्पूर्ण संसार बदलते मौसम के कारण होने वाले प्राकृतिक व पर्यावरण संबंधी परिवर्तनों का शिकार हो रहा है। कहीं रेगिस्तान में बाढ़ आने, गर्म प्रदेशों में बर्फबारी होने, मनुष्येतर जीव-जन्तुओं यथा,  कुते, मैना आदि पशु-पक्षियों में भी असमय प्राकृतिक क्रियाएँ जैसे रतिक्रिया, प्रजनन होते दिखलाई देने आदि जैसे समाचार मिलने लगे हैं तो कहीं हरियाली वाले क्षेत्र बिना बारिश के सूखे का शिकार होते सुने जा रहे हैं। इसलिए समय की मांग है की प्रकृति के बदलते स्वरुप के अनुरूप मनुष्य और कृषि व्यवसाय को भी शीघ्रातिशीघ्र और यथासम्भव ढालने की कोशिश की जाए और तदनुसार कृषि-प्रणाली अपनाई जाए।



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-अशोक “प्रवृद्ध”
गुमला
झारखण्ड

बेहतर अभिनेता बनना मेरे जीवन की अग्नि परीक्षा है : अभिनव कुमार

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अभिनव कुमार ! जी हाँ यह स्क्रीन नाम है उस न्यू फाइंड यानि उभरते हुए नवोदित अभिनेता का, जिसने हॉल ही में सोशल,फैमिलियर थ्रिलर ‘जी लेने दो एक पल’ से बड़े स्क्रीन पर हीरो के रूप में बॉलीवुड में दस्तक दी है। अभिनव कुमार का वास्तविक नाम है -ध्रुव कुमार सिंह. संघर्ष की एक लंबी पारी पार कर अभिनव कुमार ने यूं तो कई छोटी बड़ी फिल्मों में छोटी भूमिकाएं की जिनमें मशहूर निर्माता और निर्देशक अनिल शर्मा कृत ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ ज्यादा महत्वपूर्ण रही। इस फिल्म में उन्हें नोटिस में भी लिया गया। इसी बीच अभिनव कुमार को इक्की दुक्की रीजनल फिल्में मिली मगर उनका फॉकस बॉलीवुड पर ही रहा आखिरकार वक्त उन पर मेहरबान हो ही गया और जाने माने एजुकेशनिस्ट, सीरियल स्कूल्स, कॉलेजेज के चेयरमेन और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर,प्रोड्यूसर और प्रेजेंटर शरद चंद्र ने कहानीकार-निर्देशक संजीव राय के निर्देशन में अपनी फिल्म ‘जी लेने दो एक पल’ के नायक का रोल उन्हें सौंप दिया और इस तरह अभिनव  कुमार ने  अपनी ड्रीमजर्नी का पहला कदम  बॉलीवुड में रख दिया। शरद चंद्र प्रस्तुत और वेदर फिल्म्स कृत ‘जी लेने दो एक पल’ की मुम्बई के परवानी स्टूडियो में चल रही शूटिंग के दौरान उनसे  कैरियर और फ्यूचर की प्लानिंग को लेकर बातचीत हुईः

’क्या हिंदी फिल्मों  का हीरो बनना आपका चाइल्डहुड ड्रीम रहा?
-हाँ  बचपन से  ही मैं  हिंदी फिल्मों  का  दीवाना रहा हूँ, कई फिल्मों ने मेरे अंदर अपने घर बना लिए हैं जो लगातार मुझे इसी दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती हैं सच  मानिए मेरा और किसी काम  में मन ही नहीं लगता.बस एक ही धुन और एक ही मकसद -फिल्म..फिल्म.!

’अच्छा जब आपने फिल्मों में हीरो बनने  के लिए  मुम्बई जाकर स्ट्रगल करने की ठानी तो घरवालों  ने क्या रियेक्ट किया? क्या वो आपके फैसले से सहमत थे ?
-कतई नहीं ,चूँकि मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता हूँ ,जहाँ लोग अपने बच्चों को डॉक्टर,इंजीनियर, कलेक्टर बनाने के सपने ही नहीं देखते बल्कि उन्हें पूरा.करने के लिए अपनी जमीन जायदाद तक बेचने में पीछे नहीं हटते। मेरे माता-पिता  भी मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे,मेरा रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा ..जब उन्हें मेरी मंशा का पता  चला तो वो लोग बहुत नाराज हुए, मगर मेरे बड़े भाई साहब वीरेंद्र प्रधान ने मेरा बहुत साथ ही नहीं दिया बल्कि आगे बढ़ाने में आर्थिक मदद भी की।

’आपने फिल्मों में हीरो बनने  के लिए क्या प्लानिंग की ?
-सांइस में ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने प्रीमेडिकल एग्जाम दिए मगर बात ना बन सकी,क्योंकि मेरे दिलो दिमाग पर एक्टर बनने का फितूर जो सवार था.उसी फितूर के तहत मैंने दिल्ली के एन.एस. डी. में एक्टिंग कोर्स के लिए एप्लाय किया मगर रिटर्न टेस्ट में अटक गया, लेकिन जरा सा भी निराश नहीं हुआ और खूब  मेहनत और लगन से श्रीराम आर्ट और कल्चर सेंटर से एक्टिंग का डिप्लोमा किया और फिर मुम्बई की ओर कंूच कर गया। मुम्बई में कर्नल कपूर और रणवीर सिंह की डोक्युमेंटिरी फिल्में में छोटे मोटे रोल्स  किए और स्ट्रगल शुरू  कर दिया ।

’पहली फिल्म कौन सी रही जिसमें आपने काम किया?
-सबसे पहली फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’में मुझे एक पारिवारिक मित्र के जरिये एक छोटा सा रोल मिला.अमिताभ बच्चन.अक्षय कुमार.और बॉबी देओल.की कास्ट वाली अनिल शर्मा जैसे नामी -गिरामी निर्देशक के साथ काम करने  का  मौका  मिला और इंडस्ट्री को करीब  से देख पाया।

आपका फिल्म ‘जी लेने दो एक पल’ में हीरो के तौर पर चयन कैसे हुआ? इस फिल्म की यूएसपी क्या है?
- ‘जी लेने दो एक पल’की कहानी ही यूएसपी है पिछले दो साल से कहानीकार और निर्देशक.संजीव रॉय इस पर काम कर रहे थे,कई बार प्लानिंग बनी कभी अर्थ ने तोडय्ा तो कभी परिस्थितियों ने तोड़ा मगर हमने इरादों को कभी टूटने नहीं दिया और आखिरकार शरदचंद्र जैसे  कर्मठ और विजनरी प्रजेंटेर को हमारी फिल्म का प्रपोजल बहुत पसंद आया.कहानी और चारित्रिक विश्लेषण के अनुसार फिल्म के नायक के रोल में सबको मैं जंचा.मुझे इस बात की भी खुशी है कि सभी की कसौटी पर खरा उतरा।

’‘जी लेने दो एक पल’ के आप हीरो हैं,यह किस तरह का कैरेक्टर है क्या यह किरदार आज के दौर को रिप्रेजेंट करता है?
-बतौर हीरो ‘जी लेने दो एक पल’ मेरी पहली फिल्म है यह पूरी तरह से पारिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें पति-पत्नी के रिश्ते में आस्था और विश्वास को मुस्तैदी से पिरोया गया । जब इसके नायक शेखर से परिस्थितिवश अपने रिश्ते की लक्ष्मण रेखा को लांगने की भूल हो जाती है तो वह आत्मग्लानि के साथ  अपनी पत्नी सुधा को  कैसे फैस करता है सुधा का संभल उसे और उसके परिवार की अस्मिता को कैसे बचाता है यह एक खट्टी मीठी जर्नी है।कैसा भी दौर हो फिल्मों से आप परिवार और उनसे जुड़े प्रसंग कभी  भी अलग नहीं कर सकते।

सुनने में आया है कि आपकी फिल्म के निर्देशक संजीव राय बहुत कुशल स्क्रीन राइटर हैं और उम्दा टेक्नीशियन भी आपके उनके साथ वर्किंग एक्सपीरियन्स कैसे रहे?
-आपने सही सुना है संजीव जी जितने बढ़िया निर्देशक हैं,उतने ही अच्छे और संवेदनशील लेखक हैं जमीन से जुड़े कई कथ्यों का भंडार है उनके पास,‘जी लेने दो एक पल’ का जो लिरिकल ट्रीटमेंट वो दे रहे हैं  मुझे लगता है फिल्म की सफलता का एक बहुत बड़ा हिस्सा होगा। उनके साथ मेरे साथ बहुत अच्छे अनुभव  रहे, पूरी फिल्म हमने एक साथ जी है.उन्होंने मुझसे  किरदार के अनुरूप वाजिब एक्टिंग करा ली है।

बॉलीवुड के सपने आपके जीवन के अंग रहे हैं तो कौन सा अभिनेता आपका रोल मॉडल रहा ?
-आप.मुझे आउटडेटिड मत कहियेगा मैं  जो आपको बता रहा हूँ वो कॉमन नहीं, शत प्रतिशत सच है.मुझे एक्टिंग एम्पायर दिलीप कुमार साहब और अमिताभ बच्चन के  जीवंत अभिनय ने बेहद प्रभावित  किया है.और यही दो विभूतियां मेरी रोल मॉडल रही हैं।

आपके जीवन  का गोल. क्या है?
-एक  बढ़िया अभिनेता बनना  है अभी शुरुआत  है  इससे ज्यादा कहना उचित  नहीं होगा।

विशेष आलेख : कठघरे में क्यों है न्याय पालिका

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हाल में कुछ ऐसे अदालती फैसले आए हैं जिनसे न्याय पालिका खुद कठघरे में खड़ी हो गई है। वैसे तो न्याय पालिका को अवमानना कानून के तहत आलोचना से बहुत हद तक संरक्षण प्राप्त है लेकिन इस बार भड़ास के संपादक यशवंत सिंह जैसे पत्रकार न्याय पालिका के इस रक्षा कवच को हर जोखिम उठाकर भेदने का साहस दिखा रहे हैं। शायद लोगों का नैतिक समर्थन भी उनके साथ है जो कि सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में आ रही प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है। दूसरी ओर खुलेआम हो रहे हमलों के बावजूद न्याय पालिका संयम की मुद्रा अख्तियार किए हुए है जिसकी वजह को लेकर सोचा जाए तो बहुत कुछ अनुमानित किया जा सकता है। किसी कानूनी, शारीरिक या अन्य भय से अर्जित सर्वोच्चता बहुत खोखली होती है अगर उसके साथ लोगों की श्रद्धा वास्तविक रूप से न जुड़ी हो इसलिए हर शक्तिशाली व्यक्ति व संस्था को अगर उसमें जरा भी विवेक और चातुर्य है तो लोकलाज की परवाह जरूर करनी चाहिए। भगवान श्रीराम ने यूं ही मां सीता के परित्याग का निर्णय नहीं ले लिया था। वे जानते थे कि सीता जी निष्कलंक हैं लेकिन अयोध्या के सर्वोच्च अधिनायक होते हुए भी उन्होंने एक व्यक्ति को उनके प्रति अशोभनीय धारणा व्यक्त करते सुना तो उन्होंने सीता जी के संदर्भ में कठोर फैसले की बाध्यता महसूस की। चूंकि सीता जी सिर्फ उनकी पत्नी नहीं बल्कि अयोध्या राज्य की प्रथम महिला थीं और जब राज्य के अधीश्वर और पटरानी को ही लोग नैतिक व्यवस्था की लक्ष्मण रेखा लांघने का अपराधी समझने लगें तो उस राज्य का इकबाल खत्म हो जाने का खतरा है क्योंकि शासन का इकबाल फौज से नहीं नैतिक अनुशासन की उसकी दृढ़ता से कायम होता है।

फिल्म स्टार सलमान खान की जमानत, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमत्री जयललिता की आय से अधिक संपत्ति मामले में रिहाई यह फैसले मीडिया ट्रायल के इस युग में न्याय पालिका के लिए अत्यंत अपशकुनकारी साबित हुए हैं। न्यायिक क्षेत्र में एक कहावत प्रचलित है कि न्याय न केवल होना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए कि न्याय हुआ है। हो सकता है कि उक्त दोनों मामलों में वर्तमान न्याय प्रणाली में तकनीकी नुक्तों का सर्वोच्च महत्व होने की वजह से न्याय पालिका का रुख पूरी तरह बेदाग हो लेकिन लोग यह मान रहे हैं कि इनमें न्याय नहीं हुआ है। इन दोनों विलक्षण फैसलों के साथ कई और फैसले भी नत्थी हो गए हैं। जैसे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में बंद रहे पूर्व मंत्री बादशाह सिंह की बेदाग रिहाई आदि-आदि।

ऐसा नहीं है कि एक दिन में जनमत की इस धारणा का विस्फोट हुआ है कि न्याय पालिका पटरी पर ठीक नहीं चल रही बल्कि इसके पीछे घटनाओं की एक बहुत दूर तक जाने वाली पृष्ठभूमि है। अब तय यह किया जाना है कि यह हमारी न्याय प्रणाली में दोष उभर आने की वजह से हो रहा है या इसके पीछे व्यक्तियों की नीयत कोई कारण है लेकिन इस पर विचार होना आज ऐतिहासिक आवश्यकता बन चुका है। न्याय पालिका किसी राष्ट्र राज्य की रीढ़ होती है इसलिए न्याय पालिका के रुख और जनता की अंतरात्मा या सहज विवेक का निष्कर्ष एक रूप होना नितांत जरूरी है। अगर इनमें विरोधाभास उभरता है तो वह खतरनाक हो सकता है। प्रसिद्ध सोवियत क्रांतिकारी लेनिन का कथन था कि जनता का फैसला कभी गलत नहीं होता। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो समाज का सामूहिक फैसला हमेशा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुकूल होता है। जैसे इस समय भ्रष्टाचार का इतना बोलबाला है लेकिन जो लोग इससे लाभान्वित हैं उनकी भी सामूहिक राय यह है कि भ्रष्टाचार का कठोरता से उन्मूलन किया जाना चाहिए। इस कारण न्याय पालिका को खुद अपने बारे में जनमत की प्रतिकूल धारणाओं को संज्ञान में लेकर उपचारात्मक कदम उठाने चाहिए। हर तंत्र और सिद्धांत पुराने पडऩे के साथ विकृति की ओर मुड़ जाना और फिर उसमें सुधार की कवायद यही है सृष्टि की गतिशीलता के पीछे का औचित्य।

मायावती के खिलाफ जब आय से अधिक संपत्ति और ताज कारीडोर भ्रष्टाचार मामले में शीर्ष न्यायालयों में सुनवाई चल रही थी तो यह आभास कराया गया था कि उन्हें दोष सिद्ध किए जाने की केवल औपचारिकता पूरी होनी है। वैसे तो न्याय पालिका की दहलीज पर उनके गुनाह प्रमाणित हो चुके हैं लेकिन वे बरी हो गईं तो यह एंटी क्लाइमेक्स की तरह था। अकेली बात मायावती की नहीं है मुलायम सिंह और उनके परिवार के बारे में भी यही बात है जिसमें न्याय पालिका से उनको क्लीन चिट मिलना जनता आज तक नहीं पचा सकी है। बोफोर्स दलाली मामले में चंद्रशेखर सरकार के समय जब पुलिस ने एफआर लगाई थी उस समय उच्चतम न्यायालय ने उक्त एफआर को खारिज कर मंतव्य दिया था कि उक्त मामले में दलाली का लेनदेन स्वयं सिद्ध है इसलिए कौन इसमें संलिप्त रहे उन्हें सींखचों के भीतर पहुंचाकर ही यह व्यवस्था अपनी विश्वसनीयता बनाए रख सकती है लेकिन बाद में न्याय पालिका ने ही इस मामले को दाखिल दफ्तर कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि स्विटजरलैंड से सीबीआई ने जो साक्ष्य जुटाए हैं वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत ग्राह्यï नहीं हो सकते इसलिए मामले की सुनवाई आगे जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है। चौदह साल तक यह मामला चला जिसमें जितने की दलाली नहीं खाई गई थी उससे ज्यादा का खर्चा विवेचना के बहाने सीबीआई के अफसरों ने स्विटजरलैंड के टूर में खर्च कर दिया। वे जो पर्चे काटकर अदालत में भेज रहे थे उनके अवलोकन से पहले दिन से ही यह स्पष्ट था कि इनका साक्ष्य के रूप में कोई मूल्य नहीं है। फिर भी अदालत चौदह साल तक सुनवाई करती रही। यह तमाशा आखिर क्यों हुआ जिसमें देश के करदाताओं की पसीने की कमाई जी खोलकर बर्बाद की गई।

सिक्ख विरोधी दंगों के मामलों में जगदीश टाइटलर व सज्जन कुमार जैसे लोगों को सजा न मिल पाने के प्रसंग न्याय पालिका की कमजोरी के उदाहरण के रूप में सामने रहे हैं। हाल में हासिमपुरा कांड में आरोपित पीएसी के जवानों का बरी हो जाना भी इसी की एक कड़ी है। दिल्ली की सत्ता में परिवर्तन के बाद गुजरात के दंगे के आरोपी राजनीतिज्ञों को न्याय पालिका से धड़ाधड़ क्लीन चिट मिल रही है। क्या यह केवल एक संयोग है। कुछ मामलों में राजनीतिक पूर्वाग्रहों की वजह से कुछ में सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों की वजह से सटीक न्याय  में विचलन संभव है जिस पर उतनी प्रतिक्रिया नहीं होती जितनी सलमान खान और जयललिता के मामले में आए अप्रत्याशित फैसलों से हुई है। पुराने मामलों को जोड़कर अब तो लोगों को यह लगने लगा है कि रशीद मसूद तो बरी हो ही गए लालू भी बरी हो जाएंगे। कोई भी बड़ी शख्सियत आरंभिक न्यायिक चरण में ही सजा प्राप्त कर सकता है लेकिन अंततोगत्वा उसका मुक्त होना अपरिहार्य है। यह धारणा आम होती जा रही है। दूसरी ओर केेंद्रीय मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक के फोटो सरकारी विज्ञापनों में लगाने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को लेकर बहुत सब्र रखते हुए भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जो प्रतिक्रिया जाहिर की है वह अकेली उनकी नहीं है बल्कि न्याय पालिका की अति सक्रियता से आहत कार्यपालिका की आम प्रतिक्रिया का इजहार है जिसमें यह धारणा बन रही है कि अति न्यायिक सक्रियतावाद संविधान में व्यक्त शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत की अïवहेलना की ओर जा रहा है।

बहरहाल मानव द्वारा एक पूर्ण व्यवस्था का निर्माण असंभव है इसलिए मानवीय संस्थाओं की अपनी सीमा है। न्याय पालिका से जुड़ी नई बहस के साथ कई नए पहलू जन्म ले रहे हैं। सोचना होगा कि एक क्षमतावान व्यक्ति जब कानून को लगातार धता बताता हुआ समानांतर सत्ता की हैसियत अर्जित कर लेता है तब व्यवस्था की स्थिरता बनाए रखने के लिए न्याय पालिका का उसके संदर्भ में समझौता करना क्या नियति की अपरिहार्यता नहीं है। ऐसे में यह भी सोचना होगा कि लोकतंत्र में स्थापित हो जाने के बाद लोगों के मूर्ति भंजन का बोझा सिर्फ न्याय पालिका पर डालना कहां तक न्याय संगत है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि भगवान राम की तरह स्थापित लोग लोकलाज के प्रति ज्यादा संवेदनशील होने को बाध्य हों। इसके लिए जनमत या समाज की भूमिका को ज्यादा प्रभावशाली बनाया जाए। इसी बहस के बीच व्यक्तिवादता के कारण समाज नाम की संस्था को सुनियोजित ढंग से कमजोर किए जाने के चलते उत्पन्न हो रही अराजकता और उस पर नियंत्रण के नाम पर वैधानिक सशक्तिकरण की मृग मरीचिका को लेकर पुनर्विचार की मांग भी कहीं न कहीं चेतन अचेतन में जोर पकड़ रही है।




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के  पी  सिंह 
ओरई 

गैमलिन की छवि खराब करने पर केजरीवाल की निंदा

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल नजीब जंग की लड़ाई में अब केंद्र सरकार भी कूदती दिख रही है। केंद्र सरकार ने रविवार को केजरीवाल द्वारा पूवरेत्तर समुदाय से आने वाली वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन की 'छवि खराब करने की दुर्भाग्यपूर्ण हरकत'की निंदा की। गैमलिन दिल्ली की कार्यवाहक मुख्य सचिव हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, "मैं केजरीवाल और उनकी सरकार द्वारा धमकी, दबाव डालने और छवि खराब करने की दुर्भाग्यपूर्ण हरकत की कड़ी निंदा करता हूं।"

रिजिजू ने यहां संवाददाताओं को बताया, "पूवरेत्तर के लोग गैमलिन की छवि खराब करने की बेवजह की हरकत से आहत हैं।"उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली गैमलिन एक अच्छी अधिकारी हैं। 
इसके अलावा उन्होंने कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों और कार्यो के संबंध में विशेष प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि गैमलिन ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के आपत्ति जताए जाने के बावजूद शनिवार को दिल्ली की कार्यवाहक मुख्य सचिव का पद संभाला।

उपराज्यपाल जंग ने उन्हें यह अतिरिक्त प्रभार निवर्तमान मुख्य सचिव के.के. शर्मा के निजी काम के चलते अमेरिका में होने की वजह से सौंपा है। गैमलिन 1984 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने उन पर कुछ बिजली कंपनियों के हितों को बढ़ावा देने के लिए 'आक्रामक तरीके से उनकी पैरवी'करने का आरोप लगाया है। पार्टी ने जंग पर गैमलिन की नियुक्ति करके निर्वाचित सरकार को दरकिनार करने का आरोप भी लगाया है।

मंगोलिया को एक अरब डालर की मदद देगा भारत

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प्रधानमंत्री नेरेन्द्र मोदी ने मंगोलिया को एक अरब डालर की सहायता देने की आज घोषणा की और दोनों देशाें के बीच रक्षा ,साइबर सुरक्षा ,कृषि ,नवीनीकरण उर्जा समेत 14अहम मुद्दों पर समझौते हुए। मंगोलिया की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि शान्ति ,समृद्धि एवं स्थिरता की दिशा में दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं। 

श्री मोदी और मंगोलिया के प्रधानमंत्री सी साइखानबिलेग के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुयी जिसके बाद दोनों देशों के बीच 14समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। श्री मोदी ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा“मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मंगोलिया की आर्थिक क्षमता और आधारभूत संरचनाओं के विस्तार में मदद के लिए भारत एक अरब अमेरिकी डालर की मदद करेगा।’’ 

एफडीआई को लेकर सरकार पर बरसे शरद

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जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव ने बहुब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के मोदी सरकार के कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे देश में बेराेजगारी और बढ़ेगी तथा छोटे-मोटे व्यापार बंद हो जायेंगे। श्री यादव ने आज यहाँ जारी बयान में कहा है कि वह बार-बार संसद और इसके बाहर बहुब्रांड खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मुद्दा उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के पहले खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के विरोध के मामले में उनके साथ थी लेकिन अब वह उससे पलट रही है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश में दो करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था लेकिन नौकरी देने की बात तो दूर वह अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दे रही है जिससे बेरोजगारी अौर बढ़ेगी।  श्री यादव ने कहा कि मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग ने जब जनरल स्टोर्स और किराने की दुकान खोला था तब वे संतुष्ट थे लेकिन जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड देश में आयेंगे तो ये छोटी दुकानें बंद हो जायेगी।

जद(यू) नेता ने कहा कि पूर्व में कोई ऐसे प्रधानमंत्री नहीं थे जिन्होंने जल्दी-जल्दी विदेश यात्रा की हो। उन्होंने कहा कि लोगों को टीवी चैनलों के माध्यम से उन देशों के विरासत स्थलों को देखने का अवसर भले मिल रहा हो लेकिन उनसे देश का कोई भला होने वाला नहीं है।

सिर्फ प्रधानमंत्री के विदेश दौरों से नहीं अायेंगे अच्छे दिन- राजद

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरों पर कटाक्ष करते हुए आज कहा कि सिर्फ प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से देश के लोगों के अच्छे दिन नहीं आयेंगे।  राजद अतिपिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष प्रगति मेहता ने यहां कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के एक साल हो गए लेकिन देशवासियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रियों के भाषण के अलावा कुछ नहीं मिला। उन्होंने केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को सभी मोर्चे पर विफल करार दिया और कहा कि अच्छे दिन का सपना दिखाकर सत्तारूढ़ हुई यह सरकार अबतक लोगों के लिए किसी भयानक सपने से कम नहीं है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश में महंगाई आसमान पर है और जनता त्राहिमाम कर रही है। पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। हर नागरिक के खाते में 15-15 लाख देने का वादा करके सत्ता तक पहुंची मोदी सरकार अब इसे जुमला बता रही है। कारपोरेट घराने के दबाव में भूमि अधिग्रहण बिल लाकर किसानों की जमींन हड़पने की भी साजिश चल रही है। उन्होंने कहा कि जनता सब चीजों को भली भांति समझ रही है। दिल्ली ने देश को ट्रेलर दिखाया था अब बिहार के लोग भाजपा को पूरी फ़िल्म दिखाने काे तैयार हैं।

काम और विकास के जरिए बना विश्वास का सेतू- नीतीश

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि उनकी सरकार ने अपने काम और विकास के जरिए समाज में विश्वास का सेतू बनाने का काम किया है। श्री कुमार ने भागलपुर जिले के नवगछिया में विजय घाट के समीप कोसी नदी पर 219.47 कराेड़ रूपये की लागत से नवनर्मित सड़क पुल का उद्घाटन करने के बाद वहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अपनों कामों के जरिए समाज में विश्वास का सेतू बनाने का काम किया और इस वजह से चारों ओर शांति. प्रेम और आपसी भाईचारा का वातावरण है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुल- पुलियां के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रदेश के सुदूर और दियारा इलाकों में भी पुल-पुलियों के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर निर्माण हाे रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोगों में जिस दिन विकास की भूख बढ़ जायेगी .उसी समय समाज और प्रदेश का कायाकल्प हो जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने शुरू से ही कामों में विश्वास किया है और इसी आधार पर आज हम जनता के बीच है। किसी भी क्षेत्र में बड़े-छोटे पुलों के निर्माण से विकास की धारा बहती है और इससे सभी वर्ग के लोग लाभान्वित होते हैं। श्री कुमार ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि घर में बेटा हो या बेटी. सभी को शिक्षित करने के लिए विद्यालय भेजने की जरूरत है क्योंकि शिक्षा के बिना कोई परिवार. समाज या प्रदेश तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि पूर्वी और उत्तर बिहार की धरती शुरू से ही ज्ञान का केन्द्र रही है। प्राचीनतम शिक्षण केन्द्रों में से एक विक्रमशीला महाविहार के अवलोकन से मालूम होता है कि यहां की धरती शुरू से ही ज्ञान से आलोकित रही है. ऐसे में हम सबों का दायित्व बनता है कि यहां के गौरवमयी इतिहास को अक्षुण्य बनाये रखे। 

समारेाह को राज्य के पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव समेत अन्य लोगो ने भी संबोधित किया। 

अवैध खनन कर रही जेसीबी ने की टीआई को कुचलने की कोशिश

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मध्यप्रदेश के रीवा जिले में एक मुरम खदान में अवैध उत्खनन कर रही एक जेसीबी मशीन के चालक ने एक प्रशिक्षु थाना प्रभारी समेत दो पुलिसकर्मियों को कुचलने की कोशिश की। दोनों पुलिसकर्मियों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जिले के सिरमौर थाना क्षेत्र के उमरी गांव के पास स्थित एक मुरम की खदान में अवैध उत्खनन में लगी एक जेसीबी मशीन ने एक टीआई और एक प्रधान आरक्षक को कुचलने की कोशिश की। हादसे में दोनों पुलिसकर्मियों को मामूली चोटें आईं हैं। उन्होंने बताया कि सिरमौर थाने में टीआई प्रशिक्षु थाना प्रभारी सतना निवासी डीपी सिंह और प्रधान आरक्षक माणिक राम तिवारी शनिवार रात लगभग साढे आठ बजे गश्त कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक मुरम खदान से एक जेसीबी मशीन द्वारा अवैध उत्खनन होते देखा। दोनों पुलिसकर्मी अपना सरकारी वाहन खडा करके खदान के पास पहुंचे और चालक से पूछताछ की कोशिश करने लगे।

पुलिस के मुताबिक इसी दौरान सीधी जिले के रामपुर नैकिन निवासी जेसीबी चालक मनोज कुमार शर्मा ने भागने की कोशिश में जेसीबी पुलिसकर्मियों की ओर बढा दी। दोनों पुलिसकर्मी बचने के लिए भागे और इसी दौरान मुरम की खदान के गड्ढे में जा गिरे। गिरने से दोनों के पैरों में मामूली चोटें आईं हैं। पुलिस ने वाहन चालक को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ धारा 307 का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने इसी दौरान जेसीबी और वहीं अवैध उत्खनन कर रहे एक डंपर को भी जब्त कर लिया है। डंपर पर उत्तरप्रदेश का नंबर दर्ज है।

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (17 मई)

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एम जे के उच्च विद्यालय चमुआ बना असमाजिक तत्वों का अड्डा, दो पाटन के बीच झूलता विद्यालय

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) प्रखण्ड के चमुआ पंचायत अन्तर्गत महारानी जानकी कुँवर उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय चमुआ इन दिनों असमाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है। सूत्र बताते है कि विद्यालय के बगल रामनगर थाना अन्तर्गत गाँव में अवैध शराब का कारोबार जारी है, जिससे अवैध शराब पीकर शराबी खाली बोतल विद्यालय परिसर में छोड़ देते है। प्रभारी प्रधान अध्यापिका का कहना है कि विद्यालय की चाहरदिवारी नहीं होने से विद्यालय के छा़त्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है। इतना ही नहीं समाजिक कार्यकर्ता, जन प्रतिनिधि, शिक्षा विभाग अधिकारी और विधायक तक को प्रधान अध्यापिका नौशाबा शाहीन ने पत्र लिख कर विद्यालय की घेराबन्दी कराने की मांग की है। गाँव के लोग बताते है कि रामनगर और शिकारपुर पुलिस क्षेत्र के बीच फँसा यह विद्यालय क्षेत्र पूर्णतः असमाजिक तत्वों की गिरफ्त में है। यदि पुलिस का गश्त नयमित समय पर लगती रहे जिससे असमाजिक तत्वों पर लगाम निश्चित रूप से लग जाएगा। 

दो शिफ्ट में होगा आरक्षण, विधायक की पहल 

नरकटियागंज(पच) नरकटियागंज की विधायक रश्मि वर्मा ने मण्डल रेल प्रबंधक समस्तीपुर को अपने पत्रांक 20 दिनांक 16 अक्टूबर 2014 द्वारा नरकटियागंज जंक्शन पर यात्री सुविधा का विस्तार करते हुए दो शिफ्ट में रेलवे आरक्षण प्रारंभ करने की मांग की थी। उस पत्र के प्रत्युत्तर में मंडल रेल प्रबंधक वाणिज्य ने कहा है कि नरकटियागंज मंे प्रतिदिन औसत 90 आरक्षण मांग पत्र प्राप्त होते है जिसमंे यात्रियों की संख्या 190 होती है। रेलवे नियमों का हवाला देते हुए वाणिज्य प्रबंधक समस्तीपुर मण्डल ने विधायक को बताया है कि इसके लिए 120 आरक्षण मांगपत्र का होना आवश्यक है। बावजूद इसके कर्मचारी की उपलब्धता होने पर नरकटियागंज में दो पाली में पी0आर0एस0 चालू किया जाएगा। विधायक रश्मि वर्मा के दूसरे यात्री व जनहित की मांग जो अक्टूबर 2014 में की गयी थी वह है फुट ओवर ब्रीज का निर्माण जो प्लेटफार्म संख्या एक से सरर्कुलेटिंग एरिया के दक्षिण छोर तक का होना है। उस संबंध में मंडल रेल वाणिज्य प्रबंधक ने विधायक को अपने पत्रांक सी/13/एडीएम/पीजी/एमपीएमएलए/80/2014 द्वारा बताया है कि फुट ओवर ब्रीज बनाने के लिए टेण्डर फाईनल हो गया है। उसके बाद शीघ्र कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

नये प्रवि पदाधिकारी और अंचल अधिकारी से लोगो को उम्मीदे

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय प्रखण्ड के आरडीओ मनोज कुमार और अंचलाधिकारी अवधेश प्रसाद की कार्यशैली से आम जनता को राहत मिलने की उम्मीद है। सूत्र बताते है कि दोनो अधिकारी समय के पाबन्द है, अब देखना यह कि उनकी यह पाबन्दी कब तक कारगर साबित होती है। कर्मचारियों को समय पर कार्यालय जाते देखना एक सुखद अनुभूति है। यदि दोनों अधिकारी अपनी कार्यशैली का अच्छा बनाए रखते है तो आवाम को काफी राहत मिलेगा। इतना ही नहीं सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएँ धरातल पर नजर आने लगेंगी। क्योंकि अभी तक शहर के भूकम्प पीडि़त अपनी व्यथा जिला आपदा राहत कार्यालय ले जाते रहे है कुछ ऐसे भी है जो प्रखण्ड व अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे है उन्हे अब यह जानकारी प्रखण्ड कार्यालय से अवश्य मिल जाएगा कि आपदा का कार्य कौन से कर्मी देखेंगे।

आँधी की भेंट चढी छोटी दूकाने व झोपडि़याँ, गन्ना किसान बारिश से खुश, सफाई अभियान बाधित

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय अनुमण्डल क्षेत्र में शनिवार की देर शाम आए भयंकर आंधी व बारिश ने लोगों को अस्त व्यस्त कर रख दिया। बावजूद गन्ना किसानांे के चेहरे पर दिखी रौनक से अन्य किसानांे को तसल्ली मिली। नगर परिषद की सफाई अभियान को थोड़ा धक्का अवश्य लगा कि जो कचरा नाला से निकाला गया था और उठाव की प्रतिक्षा में था वह पुनः नाले में चला गया। नगर परिषद् के ईओ आई ए अंसारी ने बताया कि टूटे नाले का नव निर्माण कार्य मंे ंअभी विलम्ब होगा, क्योंकि फ्रेस प्राक्कलन व प्रशासनिक स्वीकृति लेनी होगी। वैसे मुख्य नाला की सफाई पहले की जानी चाहिए थी। अलबŸाा प्रशासनिक लापरवाही से जो अतिक्रमणकारी प्रशासन पर हावी है उसमें कहीं न कहीं प्रशासन के अधिकारी व कर्मी दोषी है और इसके लिए कोई जाए तो जाए कहाँ? सफाई की रही सही कसर आँधी के साथ आई तेज बारिश ने पूरी कर दी और बाहर निकाला आधा कचरा तो फिर से नाली में पहुँचा ही दिया। ग्रामीण क्षेत्र की कई झोपडि़याँ और शहरी क्षेत्र की छोटी दुकाने आँधी की भेंट चढ गयी।

एस॰ सुधाकर रेड्डी और गुरूदास दासगुप्ता का पटना आगमन

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पटना, 17 मई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव एस॰ सुधाकर रेड्डी, उपमहासचिव गुरूदास दासगुप्ता, राष्ट्रीय सचिव रमेन्द्र कुमार  19-20 मई, 2015 को बिहार राज्य परिषद की बैठक में भाग लेने 19 मई 2015 को पटना आ रहे हंै।  
बैठक 3 बजे दिन से केदार भवन, अमरनाथ रोड, अदालतगंज, पटना में होगी। राज्य परिषद की बैठक से पहले राज्य कार्यकारिणी की बैठक 11 बजे दिन से होगी।  बैठक में वत्र्तमान राजनीतिक परिस्थिति एवं निकाय कोटे से होने वाले विधान परिषद के चुनाव की तैयारी, आगे के आंदोलन एवं पार्टी संगठन केे सवाल पर विचार किया जायेगा। 
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