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बिहार के खगड़िया में मध्याह्न् भोजन से 15 बच्चे बीमार

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बिहार के खगड़िया जिले के परबत्ता थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक सरकारी विद्यालय में मध्याह्न् भोजन खाने से कम से कम 15 बच्चे बीमार हो गए। सभी बच्चों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। परबत्ता थाना प्रभारी आशुतोष कुमार ने बताया कि अगुआनी डुमरिया गांव स्थित मध्य विद्यालय में मध्याह्न् भोजन खाने के बाद करीब 15 बच्चों ने पेट में दर्द और उल्टी की शिकायत की। इसके बाद विद्यालय प्रशासन द्वारा सभी पीड़ित बच्चों को परबत्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया है, जहां सभी बच्चों की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। 

उन्होंने बताया कि खाने में दिए गए सामग्रियों को सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा जा रहा है। कुमार ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला 'फूड प्वॉजनिंग'का लग रहा है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने अस्पताल जाकर बच्चों का हालचाल जाना। 

आडवाणी ने केजरीवाल से मुलाकात रद्द की

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल के साथ होने वाली उनकी मुलाकात के तय कार्यक्रम को रद्द कर दिया। जानकार सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के दबाव के कारण यह बैठक रद्द की गई है। भाजपा के एक सूत्र ने बताया, "पार्टी को आगे शर्मिदगी से बचाने के लिए यह फैसला किया गया कि भाजपा नेता को दिल्ली के मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं करनी चाहिए।" दागी ललित मोदी की मदद किए जाने के मसले को लेकर विपक्ष के हमले का सामना कर रही सत्तारूढ़ भाजपा की आडवाणी के एक बयान के कारण और किरकिरी हो रही है। एक अंग्रेजी समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि वह इस आशंका से इनकार नहीं कर रहे हैं कि देश में आगे आपातकाल जैसे हालात पैदा किए जा सकते हैं। केजरीवाल ने आडवाणी के बयान पर सबसे पहले अपनी प्रतिक्रिया दी थी। 

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा था, "आडवाणी जी सही कह रहे हैं कि आपातकाल की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या केंद्र की सत्ता में बैठे लोग दिल्ली में सबसे पहले इसका प्रयोग करेंगे?"आडवाणी के बयान के बाद केजरीवाल ने उनसे मुलाकात करने की इच्छा जताई थी। आडवाणी शुक्रवार की शाम उनसे मुलाकात करने के लिए राजी भी हो गए थे। 

ललित मोदी मामले को तिल का ताड़ बना रहा विपक्ष : भाजपा

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस राजनीतिक लाभ के लिए ललित मोदी के मामले को कुछ ज्यादा ही तूल दे रही है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "यह न तो कानूनी रूप से भ्रष्टाचार का मामला है और न ही तकनीकी रूप से। विपक्ष सरकार से सकारात्मक मुद्दों पर चर्चा करने में समर्थ नहीं है। इसीलिए वह इसे (ललित मोदी मामले को) तिल का ताड़ बना रहे हैं।"

उन्होंने सवाल किया, "मैं यह पूछना चाहता हूं कि ललित मोदी का भ्रष्टाचार का मामला किस सरकार के कार्यकाल में प्रकाश में आया था?"उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंघरा राजे ने ललित मोदी के साथ रिश्तों की बात को हालांकि खारिज नहीं किया।  उन्होंने कहा, "जहां तक सवाल दुष्यंत सिंह का है, सभी तथ्य आयकर रिटर्न दाखिल करते समय और चुनाव आयोग के हलफनामे में दिए गए हैं और यह पहले से ही सार्वजनिक है।"

सीबीआई जांच वीरभद्र के खिलाफ एक चाल : कांग्रेस

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 कांग्रेस पार्टी की हिमाचल प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रति एकजुटता दर्शाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि वीरभद्र के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिक जांच पूर्व केंद्रीय मंत्री की छवि खराब करने की चाल है।  राज्य मंत्रिमंडल की सदस्य विद्या स्टोक्स, कौल सिंह, जी.एस. बाली और मुकेश अग्निहोत्री ने बयान जारी कर कहा, "भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए जांच एजेंसी पर दबाव बना रही है और उसका गलत इस्तेमाल कर रही है।"

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के इशारे पर वीरभद्र सिंह को जानबूझ कर निशाना बना रही है, जबकि धूमल खुद कई आरोपों का सामना कर रहे हैं।  कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वीरभद्र पर लगे आरोपों में कुछ भी नया नहीं है और यह आरोप भाजपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी लगाया था।  उन्होंने कहा, "सीबीआई ने अपनी विस्तृत जांच के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी रपट सील बंद लिफाफे में पेश की थी। यह बेहद अजीब है कि न्यायालय में लंबित मामले पर फैसला आने से पहले सीबीआई मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रारंभिक जांच के लिए आगे बढ़ गई।"

यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सीबीआई ने गुरुवार को वीरभद्र तथा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच शुरू कर दी। साथ ही सीबीआई उनके केंद्रीय इस्पात मंत्री रहने के दौरान आय से अधिक संपत्ति के स्रोत का भी पता लगा रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने आयकर विभाग के आदेश पर जांच शुरू की है, जिसमें कहा गया है कि वीरभद्र और उनके परिवार की तरफ से दाखिल किए गए संशोधित रिटर्न्‍स में उनकी कृषि से संबंधित आय में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है। ऐसा लगता है कि 6.1 करोड़ रुपये की बीमा पॉलिसी खरीदने में किए गए निवेश को जायज ठहराने की यह एक कोशिश है। वीरभद्र सिंह ने इन आरोपों से इंकार किया है। वीरभद्र ने शिमला में बयान जारी कर कहा कि उन्होंने आयकर विभाग को अपने आयकर संबंधित ब्यौरा उपलब्ध करा दिया है और इस मामले को विभिन्न स्तर पर देखा जा रहा है। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (19 जून)

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कांग्रेस ने किया विरोध प्रदर्षन, सुषमा स्वराज का पुलता दहन किया ।

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झाबुआ । भारत सरकार द्वारा भगोडा घोषित किये गये उद्योगपति  एवं आईपीएल के पूर्व चेयरमेन ललीत मोदी भाजपा के नेताओं से गहरे रिष्ते के कारण उन्हे विदेष में मिल रही सुविधाओं को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी ने गंभीरता से लिया है । मोदी गेट कांड की आंच में विदेष मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया एवं उनके पुत्र दुष्यंतकुमार सिंह से भगोडा साबित होने के बाद भी ललीत मोदी से  गहरे रिष्ते रहे है तथा उनके बीच में वार्तालाप भी हुआ है जिसके प्रमाण उपलब्ध है इसके द्वारा विदेषों में ललीत मोदी को सुविधायें देने की बात भी उजागर हुई है । उन्हे वांछित लाभ भी पहंूचाने को लेकर जिला कांग्रेस ने आक्रांेष व्यक्त किया है । प्रदेष कांग्रेस के निर्देषानुसार जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता, लोक सभा युवक कांग्रेस अध्यक्ष आषीष भूरिया, सेवा दल संगठक राजेष भट्ट, एनएसयुआई जिलाध्यक्ष विनय भाबोर, के संयुक्त नेतृत्व में स्थानीय बसस्टेंड स्थित छतरी चैराहे पर विदेषमंत्री सुषमा स्वराज का पुतला दहन कर जमकर नारे बाजी कर अपना विरोध दर्ज कराया तथा सुषमा स्वराज एवं राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के त्यागपत्र की मांग की । जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा अपनी सरकार की स्वच्छ दुहाइ्र्र देने वाली मोदी सरकार का एक साल में ही यह अनोखा घोटाला उजागर हुआ है । विदेषी मुद्रा के 700 करोड के घोटाले में  आईपीएल के पूर्व चेयरमेन  ललीत मोदी जिसे भारत सरकार ने  पहलेसे ही भगोडा घोषित किया हुआ है।मोदी सरकार पर उसकी मदद करने का आरोप लगाया है । जिला कांग्रेस ने इनके इस्तिफे की मांग करते हुए  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  की चुप्पी पर सवालिया निषान लगाते हुए कहा कि इन नेताओं की कार्य प्रणाली पर  प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन साबित होता है । नैतिकता के आधार पर प्रधानमंत्री को भी मुखिया होने के नाते इन दोनों को बर्खास्त कर दिया है यह समझ से परें हेै । इस अवसर पर आचार्य नामदेव, जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री हर्षभट्ट, गौरव सक्सेना, वसीम सेयद, बबलू कटारा, विजय भाबर, वरूण मकवाना, संजय परमार, इस्तियाक शेख, प्रषांत बामनिया, भरत बिलवाल, बिटटू बघेल, आषीष शर्मा, अरूण मकवाना, बबू गुडिया, बाबू सरपंच, राजूभाई  अमनसिंह सहित बडी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित थे ।

उत्साह से योग प्रषिक्षण में महिलायें ले रही भाग, योग परिवार द्वारा निषुल्क लगाई जारही योग कक्षायें 

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झाबुआ---कालेज रोड स्थित श्रीगायत्री शक्ति पीठ पर अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को लेकर योग परिवार की महिलाओं को शुक्रवार को बडी संख्या में प्रातः 6 बजे से योग प्रषिक्षण देने का क्रम जारी रहा । स्थानीय कालेज मार्ग स्थित गायत्री मंदिर पर योगाचार्य एवं योग प्रषिक्षण कु. रूकमणी वर्मा एवं सहायक श्रीमती मधु जोषी द्वारा महिलाओं को योग एवं विभिन्न प्राणायामों जिसमें पदमासन, वजा्रसन, ताडासन, धनुरासन, भुजंगासन, षलभासन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भा्रमरी प्राधायाम, कपालभाती, अग्निसार क्रिया, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, सर्वांगासन, सूर्य नमस्कार आदि को करवाया । सुश्री  रूकमणी वर्मा द्वारा करीब डेढ घंटे तक योग षिक्षिका श्रीमती मधु जोषी की सहायता से महिलाओं को  योगासन एवं प्राणायम के बारे में विस्तार से योग क्रियाये करवाइ्र गई । इस अवसर पर  गायत्री शक्तिपीठ के ट्रस्टी घनष्याम बैरागी द्वारा शांतिकंुज हरिद्वार से 21 जून को अखिल विष्व योग दिवस के अवसर पर किये जाने वाले विभिन्न आसनों के बारे में प्राप्त साहित्य के सन्दर्भ में योग के माध्यम से शरीर को निरोग रखने के बारे में जानकारी देते हुए बच्चो, वृद्धो, महिलाओं के लिये अलग अलग आसनों एवं प्राणायामों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी । इस अवसर पर श्रीमती ज्योति जोषी, नलीनी बैरागी, माया पंवार, जरीना अंसारी, भावना शाह,अंषु मेहता, हंसा उपाध्याय, साधना गेहलोत, साधना वास्केल, ममता जेन, गायत्री, जयश्री गेहलोत, दीपा दत्त, मधुबाला चैहान, नलीनी बैरागी, षिवकुमारी सोनी कुसुम सोलंकी, रूकमणी बारिया,कलावती बहिन, हेमा सक्तावत, कलावती सोनी, सोनाली चैहान, रजिया फारूख सहित बडी संख्या में महिलाओं ने करीब डेढ घण्टे तक योग प्रषिक्षण प्राप्त किया । सुश्री रूकमणी वर्मा ने बताया कि 21 जून को प्रातः 7 बजे से नगर की महिलाओं द्वारा गायत्री मंदिर परिसर में विष्व योग दिवस के अवसर पर सामुहिक योगासन एवं प्राणायाम किये जावेगें । षनिवार को भी महिलाओं के लिये योग प्रषिक्षण जारी रहेगा । श्रीमती नलीनी बैरागी ने नगर की महिलाओं से अपील की है कि वे विष्व योग दिवस के अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में गायत्री मंदिर परिसर पर उपस्थित रह कर इस अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन को सफल बनावे । घनष्याम बेैरागी के अनुसार 21 जून को गायत्री मंदिर परिसर में पुरूषो के लिये पृथक से योग क्रियायें की जावेगी ।

कलशयात्रा के साथ देवी भागवत का निकला चल समारोह, उमापति के दरबार में देवी भागवत कथा का हुआ श्रीगणेष 

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झाबुआ---पुरूषोत्तम माह में आज 19 जून से 27 जून तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों पर नगर में पहली बार श्री देवी भागवत कथा महोत्सव के आयोजन को लेकर शुक्रवार को विवेकानंद कालोनी में उमापति महादेव मंदिर में प्रातःकाल से ही श्रद्धालुओं का जमावडा षुरू हो गया । प्रातः साढे 9 बजे से हाउंसिंग बोर्ड कालोनी स्थित अम्बे माता मंदिर पर भागवत कथाकार पं. प्रेम नारायण पौराणिक ने मां दुर्गा की पूजा अर्चना के बाद वहां से देवी भागवत की शोभायात्रा प्रारंभ हुई । नन्ही नन्ही बालिकायें सिरपर कलष लेकर आगे आगे चल रही थी, उसके पीछे महिलायें भजन कीर्तन करती हुई चल रही थी, सिरपर भागवत जी को लेकर उद्योगपति मनोज भाटी एवं कथाकार पण्डित पुराणिक सहित गणमान्य जन साथ चल रहे थे । देवी मां के जय जय कारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा । ढोल ढमाकों के साथ शोभायात्रा हाउंसिंग बोर्ड कालोनी, में भ्रमण करती हुई सरस्वती षिषु मंदिर होकर सज्जन रोड होते हुए विवेकानंद कालोनी स्थित उमापति महादेव मंदिर पहूंची । सैकडो की संख्या में लोगों ने भागवतजी की पूजा अच्रना कर वहां बिराजित किया । पोथी पूजन केे साथ ही कथा स्थल पर माताजी की स्थापना विधि विधान से पण्डित पौराणिक के द्वारा कराई गई । शुक्रवार से  देवी भागवत कथा का श्रीगणेष दोपहर 1 बजे से किया गया । भागवत कथा के बारे में बताते हुए पण्डित प्रेम नारायण पुराणिक ने कहा कि भागवत को ज्ञान गंगा का सोपान कहा गया है । भागवत कथा का श्रवण मनन एवं उसके अनुसार आचरण करने से इह लोक एवं पर लोक  से पार उतरा जासकता है । देवी पुराण के बारे में उन्होने कहा कि नवधा भक्ति नवषक्ति का प्रतिक है । जब मानव अन्तर्मन से अपने आराध्य को स्मरण करता है, उस पर विष्वास करता है तो मा दुर्गा की असीम कृपा बरती है । राज परीक्षित का उद्धरण देते हुए उन्होने कहा कि भागवत कथा में जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है तथा गीता ज्ञान जिसमें निहीत है, उसी प्रकार देवी भागवत भी मां दुर्गा के चरित्र का वह महासागर है जिसके एक एक शब्द के श्रवण से आत्मानुभूति होती है । पण्डित पुराणिक ने भगवती महिमा का जिक्र करते हुए दुर्गा के नौ स्वरूपों के अलग अलग  माहत्म्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।  कथा के प्रथम दिन मंदिर में बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने देवी भागवत ज्ञान गंगा का लाभ लिया ।

महा जनसम्पर्क अभियान के साहित्य के लिफाफे  तैेयार किये गये ।

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झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी द्वारा जिले में महासंपर्क अभियान के तहत जिले के सभी 11 भाजपा मंडलों में जन- जन से सम्पर्क करके भारतीय जनता पार्टी  की रीति नीति के बारे में जानकारी देने का क्रम शुरू कर दिया है । भाजपा के जिला कार्यालय मंत्री संजय शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि भाजपा प्रदेष कार्यालय द्वारा महाजनसम्पर्क अभियान के लिये साहित्य एवं प्रचार सामग्री प्राप्त हुई होकर उसे भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय में  व्यक्तिगत सम्पर्क के दोैरान घर घर जाकर दिये जावेगें । शुक्रवार को  विधायक कार्यालय पर प्राप्त सहित्य एवं सामग्री को क्रम वार तरिके से प्राप्त लिफाफे में भर कर 7 तरह के कागजात जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमीत शाह का जनता के नाम पत्र, भारतीय जनता पार्टी के इतिहास के बारे में जानकारी, केन्द्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों का विवरण, प्रदेष की षिवराजसिंह सरकार की उपलब्धियों का विवरण, भाजपा की विचार यात्रा का साहित्य, प्रपत्र जो महा जनसम्पर्क के दौरान परिवार  से भरवाया जावेगा, तथा बडालिफाफा जिसमें उक्त सभी साहित्य भर कर जनसम्पर्क के दौरान दिया जावेगा । उक्त साहित्य एवं प्रपत्रों को अलग अलग छांट कर लिफाफे तेयार करने का कार्य जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे, विधायक शांतिलाल बिलवाल, महाजनसम्पर्क अभियान के जिला प्रभारी विजय नायर, संजयषाह लाला, बबलु सकलेचा, मेजिया कटारा, बलवन मेडा, दुलेसिंह ,कालिया मेडा जितेन्द्रसिंह पंवार, मनीष माहेष्वरी, भरत बामनिया आदि ने करके जिले में प्रारंभ हुए महा जनसम्पर्क अभियान में इसे वितरण के लिये मंडलवार भेजने की तैयारियों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई ।

पशुमित्र लडेगें अब रानी खेत बीमारी से जंग

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झाबुआ---जिले के पेटलावद,रामा तथा झाबुआ विकासखं डमें छोटे एवं मझोले किसानों को आर्थिक रूप  से सुदृढ बनाने के लिये मुर्गी पालन तथा बकरी पालन  के लिये प्रेरित करने तथा उनमें होने वाली विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिये स्वयंसेवी संस्था सम्पर्क ने 3 दिवसीय पशु मित्र पशु सखी प्रषिक्षण को आयोजित किया । कार्यक्रम के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि झाबुआ विधायक षांतिलाल बिलवाल ने कहा कि टीका करण के जरिये किसान पशुपालन को लाभ का व्यवसाय बना सकते है । झाबुआ का कडकनाथ प्रजाति का मुर्गा अब दुनिया भर में पहचाना जाने लगा है । आने वाले दिनों में यह पशुपालकों के लिये टकसाल साबित होगा । कार्यक्रम में 125 पशुमित्रों व सखियों को रानीखेत बीमारी निरोधक अत्याधुनिक टीके लसौटा तथा पाउलपाॅक्स व चिकनपाॅक्स रोधी टीका से लैस कीट वितरित किये गये ।इस अवसर पर सम्पर्क निदेषक निलेष देसाई ने कहा कि टीकाकरण से मुर्गियों में होने वाली विभिन्न संक्रामक बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण कर इनकी मृत्युदर में 40 से 55 प्रतिषत तक गिरावट लाई जासकती है ।पषु चिेिकत्सा विभाग के उप संचालक एसएस तिवारी ने पशुमित्रों को टीकारण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया तथा विभाग की ओर से सतत सहयोग करने का भरोसा दिलाया । उल्लेखनीय है कि रामा,पेटलावद तथा झाबुआ ब्लाक के 350 गा्रम में 4 लाख मु र्गिया तथा चुजे है, आगामी कुछ महीनों में प्रषिक्षित 125 पशु मित्र  इनका टीकाकरण कर रानी खेत तथा अन्य बीमारियों से इन्हे बचाना सुनिष्चित करेगें ।  कार्यक्रम का संचालन करते हुए हरीषंकर पंवार ने कहा कि सीमान्त एवं मझौले किसानों के लिये मुर्गी पालन वैकल्पिक आजीविका का एक सुदृढ माध्यम बन सकता है । बषर्ते कारगर टीकाकरण कर उन्हें बीमारी केे रोगाणुओं से सुरक्षित कर लिया जावे । कार्यक्रम मे कई महिला पशुसखियों ने टीकाकरण के अपने अनुभव सुनाये । पशुमित्र प्रषिक्षण हांसील करने के बाद 125 ग्रांमीण युवा टीकाकरण के माध्यम से स्वावलम्बी पशुमित्र भी बन सकेगे इन पषु मित्रों ने आगामी दो माहों में ढाई लाख मुर्गियों का टीकाकरण व डीवर्मिंग का लक्ष्य हांसील करना तय किया है ।आभार प्रदर्षन राजाराम पाटीदार ने किया ।

राहूल गांधी का जन्म दिवस पया्रवरण दिवस के रूप में मनाया 

झाबुआ---अखिल भारतीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं युवा तरूणाई की धडकन राहूल गांधी के 45 वे जन्मदिवस के अवसर पर आज नगर में युवा कांग्रेस ने इसे पर्यावरण दिवस के रूप  में  मनाया । इस अवसर पर  आज लोक सभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष आषीष भूरिया एवं जिला अध्यक्ष एनएसयूआई विनय भाबोर के नेतृत्व में युवाओं ने स्थानीय  भील अकादमी परिसर के पास बिलीडोज में नीम एवं फलदार पौधोंकोरोप कर वृक्षारोपण किया गया । इस अवसर पर गोरव सक्सेना, विजय भाबोर, रीषी डोडियार, अरूण मकवाना, नीरज पप्पु,बबलु कटारा, संजय परमार,षेलेन्द्रकोठारी सहित अनेक युवा कांग्रेस के पदाधिकारी एवं युवा कार्यकर्ता उपस्थित थे । सभी ने राहूल गांधी के दीर्घायु होने की कामना की तथ्ािा उनके नेतृत्व में कांग्रेस को पुनः अपना स्थान बनायेगी ।

जिला कांग्रेस ने राहूल गांधी को भेजी जन्म दिन की बधाइ्रया 

झाबुआ---अखिल भारतीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहूल गांधी के 45 वें जन्म दिवस पर जिला कांग्रेस ने फेक्स द्वारा उन्हे बधाई संदेष भेजा । इस अवसर पर प्रदेष कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलालभूरिया ने अपनेसन्देष में कहा कि राहूल गांधी भारत की जनता की आषाओं की किरण है । उनके कुषल नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी जन सेवा तथा गरीबों के प्रति पूरी संवेदना के साथ उनके हक्क के लिये सदैव कृत संकल्ति रहेगी । राहूल जी के नेतृत्व में पार्टी पूरी ताकत के साथ भाजपा की पूंजीवादी व्यवस्था से लोहा लेकर जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराने में पीछे नही रहेगी । युवा नेतृत्व के धनि राहूल जी शतायु हो ओर उनका नेतृत्व देष को नया दिषा बोध देगा । जिला जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता, पूर्व अध्यक्ष सुरेषचन्द्र जेन, शांतिलाल पडियार, जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया, युवानेता डा विक्रांत भूरिया, पूर्व विधायक वीरसिंह भूरिया,रतनसिंह भाबर, हेमचन्द्र डामोर जितेन्द्र अग्निहौत्री मानसिंह मेडाचन्द्रवीरसिंहराठौर, प्रकाष रांका, हनुमंत सिंह राजेषभटृ डाबडी,नारायण भटृ नगीनषाह प्रवक्ता हर्षभटृ, नामदेव आचार्य, षंकरसिंह भूरिया,सायराबानों  आदि ने भी राहूल जी को जन्म दिन की बधाइ्रया दी है ।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर उत्कृश्ट विधालय पर होगा आयोजन 

झाबुआ---अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को जिले में जिला स्तर पर उत्कृष्ट विद्यालय परिसर पर योग कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। सभी जनप्रतिनिधि एनजीओ, सामाजिक व्यावसायिक संगठन इस कार्यक्रम में सम्मिलित होगे। शरीर को स्वस्थ्य रखना है, तो हर व्यक्ति को योग क्रियाएॅ करना चाहिए। योग से शरीर एवं मन स्वस्थ रहता है। इस योग कार्यक्रम में सभी लोग सम्मिलित हो योग दिवस कार्यक्रम में सहभागिता करना स्वैच्छिक है, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 को जून ऐसे होगा कार्यक्रम आॅल इण्डिया रेडियो पर भी होगा प्रसारण अंतरर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जिला विकासखण्ड एवं पंचायत मुख्यालयों पर 21 जून 2015 को योग कार्यक्रम का वृहद आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमांे में स्कूलो (शास./अशास स्कूलो के कक्षा 7 से 12 तक के विद्यार्थिगण काॅलेजो, योग संस्थाओं, एन.सी.सी., एन.एस.एस., पुलिस कर्मियों, शासकीय सेवकों, जनप्रतिनिधियों तथा आम नागरिकों की सहभागिता होगी भारत सरकार ने प्रातः 07ः00 बजे से 07ः35 तक योग कार्यक्रम के लिए तय किया है, जिसमें सभी सहभागीगण प्रातः 06ः30 बजे आयोजन स्थल पर एकत्रित होगे। प्रातः 6.40 पर अतिथियों का आगमन होगा, 6.42 पर मध्यप्रदेश गान होगा, 6.45 पर मुख्यमंत्री संदेश का वाचन होगा। प्रातः 7 से 7.35 तक योग अभ्यास एवं 7.37 पर आभार एवं समापन होगा। उक्त प्रस्तावित कार्यक्रम आॅल इंडिया रेडियों के माध्यम से एक साथ प्रसारित किया जायेगा। यदि भारत सरकार द्वारा उस दिन दूरदर्शन से यह फिल्म प्रसारित की जाती है, तो उस फिल्म को एल.सी.डी पर अन्य स्त्रोत से आयोजन स्थल पर दिखाया जाएगा। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री धनराजू एस. ने योग दिवस आयोजन के संबंध में गांव में डोंडी पिटवाकर प्रचार-प्रसार कर कार्यक्रम में भाग लेने हेतु ग्रामीणो को आमत्रित करने के लिए संरपच,सचिव ग्राम पंचायत को आवश्यक निर्देश जारी किये है। योग दिवस कार्यक्रम के लिये सभी ब्लाक मुख्यालय पर योग प्रशिक्षण आयोजित कर गा्रमीणो को योगाभ्यास भी करवाये गये।

आंगनवाडी कार्यकर्ता/सहायिका/उपकार्यकर्ता की अंनअंतिम सूची पर दावे आपत्ति 26 जून तक आमंत्रित

झाबुआ---एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना मेघनगर के रिक्त आंगनवाडी कार्यकर्ता,सहायिका व उप कार्यकर्ता के पदो की खण्ड स्तरीय चयन समिति द्वारा अनंअतिम सूची जारी की गई है। यदि किसी भी पद के विरूद्ध किसी को आपत्ति है तो वह अपनी आपत्ति 26 जून तक कार्यालयीन समय में आई.सी.डी.एस.मेघनगर में आपत्ति दर्ज करा सकते है।

22 जून से 27 जून 2015 के बीच विशेष ग्राम सभाए होगी

झाबुआ---आगामी 22 जून से 27 जून 2015 के मध्य ग्राम सभाओं का चरणबद्ध तिथियों में आयोजन किया जाएगा। ग्राम सभाओं में इंदिरा आवास योजना एवं मुख्यमंत्री अन्त्योदय आवास में एवं 5 वर्ष तक के बच्चों ने व्याप्त कुपोषण के निराकरण हेतु कार्ययोजना बनाई जाएगी। इंदिरा आवास एवं मुख्यमंत्री अन्त्योदय आवास के संबंध में इंदिरा आवास योजना एवं मुख्यमंत्री अन्त्योदय आवास योजना वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिये आवास हिनों की सूची तैयार करना। चयनित आवासहीनों की सूची से ग्रामवार प्राथमिकता के क्रम में प्रतीक्षा सूची तैयार करना। बी.पी.एल.की सूची से प्रवर्गवार आवासहीनों की प्रतीक्षा सूची पृथक-पृथक तैयार करना। तैयार प्रतीक्षा सूची का सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना-2011 के डाटा से मिलान कर सत्यापित करना।
वित्तीय वर्ष 2010-11, 2011-12, 2012-13, 2013-14 एवं 2014-15 में ग्राम पंचायत में निर्मित आवासों में से पूर्ण आवास एवं अपूर्ण आवास की सूची वर्षवार पृथक-पृथक तैयार की जायेगी। कुपोषण के निराकरण के लिए ग्राम सभा में नियत समय पर गर्भवती महिलाओं का आंगनवाडी केन्द्र में पंजीयन एवं उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं,आई.एफ.ए. टेबलेट का प्रदाय तथा पूरक आहार की उपलब्धता की सुनिश्चिता। गर्भवती महिला को घर में उचित आहार प्रदाय की सुनिश्चिता हेतु परिवार को जागृत करना। संस्थागत प्रसव कराने हेतु गर्भवती महिला एवं उसके परिवार को प्रेरित करना। गर्भवती/बच्चे का संपूर्ण टीकाकरण। बच्चों का नियमित वजन तथा पोषण स्तर का निर्धारण। पोषण स्तर के आधार पर अतिकम वजन वाले बच्चों को मापदंड अनुसार पोषण पुर्नवास केन्द्र में पोषण प्रबंधन हेतु भेजे जाने की आवश्यकता पर समुदाय द्वारा ऐसे बच्चों के अभिभावकों को समझाईश दी जायेगी। अन्य गैर चिकित्सा आवश्यकता वाले अतिकम वजन वाले बच्चों को खान-पान इत्यादि सुधार हेतु समुदाय द्वारा प्रबंधन किया जाएगा। अतिकम वजन वाले बच्चों के परिवारो को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध शासकीय योजनाओं का लाभ दिलवाने के लिये सूचीबद्ध किया जायेगा। अतिकम वजन वाले बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हेतु जनप्रतिनिधि/जनसमुदाय/औधोगिक संस्थानों से सहायता प्राप्त करने हेतु प्रयास किये जायेगे प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना के फार्म भी ग्राम सभा में बैंकर्स द्वारा भरे जायेगे।

प्रधानमंत्री बीमा योजनाओं में आज 5 हजार से अधिक हितग्राही जुडे

झाबुआ---कलेक्टर श्रीमती अरूणा गुप्ता के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं अटल पेंशन योजना में जिले के हितग्राहियों के शत प्रतिशत बीमा करने एवं अटल पेंशन योजना का लाभ दिलवाने के लिए आज 19 जून को बैंको द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित किये गये। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना में ग्रामीणों के बीमा करने के लिए झाबुआ ब्लाक में ग्राम पंचायत बावडी बडी, तलावली, उमरी, बामन सेमलिया, अंतरवेलिया, मसूरिया, झायडा, नेगडिया, करडावद बडी, आमलीफलिया, फुटिया, मोहनपुरा, गोला छोटी, संदला में शिविर आयोजित किये गये। रामा ब्लाक में ग्राम पंचायत बलोला बडी, बावडी, रोटला, दुधी एवं साड में ।  मेघनगर ब्लाक में ओचका, पीपलखूंटा, हत्यादेली, ग्वाली, तलावली एवं उमरादरा मे। थांदला ब्लाक में बालवासा, परवलिया, रन्नी, मादलदा, जुनवानिया बडा, तलावडा में। पेटलावद ब्लाक में बनी, बेकल्दा, कुम्भाखेडी, गंगाखेडी, अनंतखेडी, मोहनपुरा, मठमठ, देवली, अमरगढ, बरवेट, कचराखदान में एवं राणापुर ब्लाक में भोंडली, दोतड, डाबतलाई एवं पाडलवा में बैंकर्स द्वारा शिविर आयोजित कर योजनाओं में लगभग 5 हजार से अधिक हितग्राहियों के फार्म भरे गये।

पूजा के इलाज के लिए एक लाख 30 हजार स्वीकृत

झाबुआ---म0प्र0 राज्य बिमारी सहायता निधि अंतर्गत श्रीमती पुजा पति प्रदीप हरवाल उम्र 21 वर्ष निवासी रम्भापुर जिला झाबुआ को एम.व्ही.आर बीमारी का इलाज करवाने के लिए 1 लाख 30 हजार रूपये संचालक ग्रेटर कैलाश हास्पिटल ओल्ड पलासिया, ग्रेटर कैलाश रोड इन्दौर को स्वीकृत किये गये है।

तीन वाहन दुर्घटना मे तीन मोत

झाबुआ---आरोपी मो0सा0 जी0जे0-01-एमजे-9043 का चालक अपने वाहन को तेज व लापरवाहीपूर्वक चलाकर खुमसिंह को टक्कर मार दी, जिससे उसकी ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। थाना रानापुर में अप0क्र0 277/15, धारा 279,337,304-ए भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। आरोपी मो0सा0 एम0पी0-45-एमएफ-0714 का चालक अपने वाहन को तेज व लापरवाहीपूर्वक चलाकर विकास व मनीष को टक्कर मार दी थी, जिससे विकास की मृत्यु हो गयी। थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 423/15, धारा 279,337,338,304-ए भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी भारू पिता झितरा भूरिया, निवासी छापरी ने बताया कि लोडिंग पीकअपक्र0 एम0पी0-45-जी0-0982 का चालक ने अपने वाहन को तेज व लापरवाहीपूर्वक चलाकर संगीता उर्फ शारदा उम्र 04 वर्ष को टक्कर मार दी थी। जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गयी। थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 424/15, धारा 304-ए भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (19 जून)

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कैलास-मानसरोवर के उत्तराखंड के हिस्से में आने वाले मार्ग पर बिछा दिया गया सुविधाओं का जाल, केएमवीएन की नई व्यवस्थाओं से तीर्थयात्री खुश
  • सालों बाद टीआरसी दिख रहे नए रूप में आगे भी पर्यटकों को मिलेगी सुविधाएं

देहरादून,19 जून। केंद्र सरकार ने कैलास-मानसरोवर की यात्रा के लिए नया मार्ग खोला तो उत्तराखंड सरकार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। सरकार के निर्देश पर कुमाऊं मंडल विकास निगम ने कम समय में ही यात्रा मार्ग की तमाम व्यवस्थाओं को चाक-चैबंद किया ही, पहली बार तमाम नई सुविधाएं भी दी हैं। तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे कुछ यात्री ऐसे में भी थे, जो पिछले सालों में भी आ चुके हैं। इस बार की व्यवस्थाओं को देखकर उन्हें खासा अचंभा हुआ। केएमवीएन का कहना है कि इन नई व्यवस्थाओं से पर्यटन व्यवसाय को भी खासा लाभ होगा। कैलास-मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री अब तक उत्तराखंड वाले रास्ते का ही सालों से इस्तेमाल करते रहे हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर नाथूला दर्रे से ही यात्रा शुरू कराई गई है। उत्तराखंड सरकार की ओर से इस बारे में केंद्र से विरोध सा भी दर्ज कराया गया। लेकिन किसी ने इस विरोध पर किसी तरह की कोई तवज्जो नहीं दी।  इसके बाद सरकार ने भी कुछ नया करने की ठानी। यात्रा मार्ग के लिए 50 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए और यात्रा का संचालन के वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) को यात्रा और भी सुविधाजनक बनाने का निर्देश दिया। निगम ने बेहद कम समय में ही यात्रा मार्ग के सभी गेस्ट हाउसों में कई सुविधाएं उपलब्ध करा दी। सालों बाद रंग-रोगन के साथ ही बेड आदि भी नए लगाकर गेस्ट हाउसों को चमका दिया गया। सारे गेस्ट हाउस एक ही तरह से तैयार किए गए हैं। इस बार यात्रियों के खाने की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। यात्रियों को स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी दिया जा रहा है। तीर्थयात्रियों के पड़ाव पर पहुंचते ही उन्हें गेस्ट हाउस में गर्म पानी देकर थकान दूर करने का इंतजाम किया गया है। फिर स्थानीय परंपरा के अनुसार उनका स्वागत किया जा रहा है। देशभर से आने वाले तीर्थयात्रियों को उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू कराया जा रहा है। इस बार यात्रियों के मूवमेंट के समय में भी कई पड़ावों से बदलाव किया गया है। ऐसा करके यात्रियों को अनावश्यक रूप से होने वाली थकान से बचाया जा रहा है। इस बार यात्रा के पहले दल में कई यात्री ऐसे भी जो पहले भी इस यात्रा पर आ चुके हैं। उनके लिए इस बार की व्यवस्थाएं आश्चर्य का विषय बन रही है। इसी तरह कुमाऊं के ही मूल निवासी एक वरिष्ठ आईएएस भी पहले दल में शामिल थे। यहां की व्यवस्थाओं पर उनका कहना है कि इतनी ऊंचाई और दुर्मग स्थानों पर इतनी सुविधाएं वाकई चैकाने वाली हैं। जाहिर है कि इस बार सरकार ने इस यात्रा पर फोकस किया तो व्यवस्थाएं चाक-चैबंद हो गईं हैं। 

तीर्थयात्रियों को हरतरह की सुविधाएं दी जा रही है। एक-दो स्थानों पर समय बचाने के लिए छोटी गाड़ियों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इसी तरह से अगर जरूरत महसूस हुई तो तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकाप्टर की भी व्यवस्था की जाएगी।

हरदा ने चार नए सहयोगियों का नाम किया तय, हाईकमान से भी लगवा चुके हैं मुहर, तीन मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करने की तैयारी!
  • एक कांग्रेसी मंत्री की कार्यशैली पर उठ रहे सवालात, किशोर की वजह से एक पीडीएफ मंत्री भी होंगे बाहर
  • एक अन्य पीडीएफ कोटे के मंत्री पर भी लटकी तलवार, मुख्यमंत्री हरीश कर रहे हैं माकूल मौके का इंतजार

देहरादून,19 जून। अगर सबकुछ योजना के अनुसार ही चला तो जल्द ही हरीश कैबिनेट का एक नया रूप सामने आने वाला है। माना जा रहा है कि हरदा की मौजूदा कैबिनेट ने तीन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। इनमें से एक कांग्रेसी और दो पीडीएफ कोटे के मंत्री है। कैबिनेट में एक पद पहले से ही खाली चल रहा है। ऐसे में चार नए मंत्रियों की ताजपोशी की तैयारी है। हरदा ने चारों नाम तय कर लिए हैं और हाईकमान से भी इस सूची पर मुहर लगवा ली है। कैबिनेट में फेरबदल की मांग लंबे समय से की जा रही है। बताया जा रहा है कि हरदा ने इसकी तैयारी भी कर ली है। लेकिन कोई न कोई मुद्दा उछल रहा है ऐसे में इस काम को अंजाम देने में देरी हो रही है। माना जा रहा है कि आपदा राहत राशि में कथित घोटाले का मामला शांत होते ही हरदा अपनी कैबिनेट का रि-शफल करने का मन बना चुके हैं। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट में एक पद सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद से ही खाली चल रहा है। मौजूदा मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड देखने के बाद सीएम ने तीन को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है। इनमें से एक कांग्रेसी मंत्री हैं तो दो पीडीएफ कोटे से हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेसी मंत्री का कार्यप्रणाली से सरकार खुश नहीं है। कई मामलों में उनका नाम भी उछल चुका है। इतना ही नहीं, इन मंत्री महोदय ने खुद को केवल अपनी विधानसभा के क्षेत्र तक ही सीमित कर रखा है। इन्हें अपने प्रभार वाले जिले तक में जाने का वक्त नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को खुश करने के लिए पीडीएफ कोटे के एक मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। वैसे भी कुछ मामलों को लेकर मंत्री जी चर्चा में आ चुके हैं। पीडीएफ कोटे के एक अन्य मंत्री जी अपने बड़बोलेपन को लेकर निशाने पर हैं। ये मंत्री कई मामलों में सीएम के आदेश को अपने अंदाज में न केवल टालते रहे हैं, बल्कि अजीब तर्क देकर सरकार के लिए परेशानी पैदा कर चुके हैं। माना जा रहा है कि हरदा ने इस मामले में होमवर्क पूरा कर लिया है।

सब को साधने की तैयारी
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस रि-शफल के जरिए हरदा की कोशिश सभी धड़ों को साधने की है। हरदा इस समय मिशन-2017 की तैयारी में लगे हैं और इसका असर इस रि-शफल सभी को शांत करने के रूप में सामने आ सकता है। बताया जा रहा है कि चार में कुमाऊं से दो और गढ़वाल से भी दो ही लोगों को शामिल करके क्षेत्रीय संतुलन बनाने की तैयारी है। इस मामले में बहुगुणा गुट को भी तरजीह मिलने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि पीडीएफ कोटे से भले ही दो मंत्री बाहर किए जा रहे हों। लेकिन किसी नए को जगह मिलने की कोई संभावना नहीं हैं।

प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश से मौसम खुशगवार

देहरादून,19 जून(निस)। प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में गुरुवार की रात को हुई बारिश से मौसम खुशगवार हो गया। वहीं, सूबे के  मैदानी क्षेत्रों में उमस के कारण लोगों की परेशानी बनी हुई है। शुक्रवार की सुबह प्रदेश की राजधानी दून में हल्के बादल छाए रहे किन्तु दोपहर बाद फिर से सुर्यदेव ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया। चमोली जिले में आधी रात के बाद शुरू हुई जोरदार बारिश शुक्रवार की सुबह तक जारी रही। इसके बाद मौसम साफ हो गया। बदरीनाध हाईवे पर वाहनों की आवाजाही सुचारु हो गयी है। शुक्रवार को गोविंदघाट से 800 श्रद्धालु हेमकुंड के लिए रवाना हो गए।  पौड़ी जनपद में कहीं बारिश तो कहीं बादल छाए हैं। जिला मुख्यालय पौडी़ में सुबह तेज बारिश हुई, वहीं कोटद्वार में आसमान में बादल छाए हुए हैं और लैंसडौन में सुबह से बारिश हो रही है। रुद्रप्रयाग जनपद में गत रात को बारिश के बाद शुक्रवार की सुबह मौसम साफ हो गया। वहीं टिहरी में बादल छाए हैं और उत्तरकाशी में मौसम साफ है। देहरादून व हरिद्वार में बादल छाए हुए हैं। कुमाऊं में के काशीपुर में सुबह करीब नौ बजे बारिश हुई। इससे लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली। रामनगर में सुबह से बादल लगे हैं। वहीं नैनीताल शहर में सुबह बारिश के बाद घना कोहरा छाया हुआ है। अल्मोड़ा में भी सुबह से हल्की बूंदाबांदी हो रही है।

घर के आंगन मे ंसो रहे वृद्ध पर किया गुलदार ने हमला

देहरादून,19 जून(निस)। रायवाला क्षेत्र में गुलदार का आंतक जारी है। शुक्रवार को तड़के घर के आंगन में सो रहे एक वृद्ध पर गुलदार ने हमला कर उसे घायल कर दिया। वृद्ध को उपचार के लिए ऋषिकेश अस्पताल में पहंुचाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार वैदिक नगर रायवाला निवासी कीर्ति सिंह कुमाई (60 वर्ष) पुत्र भोलू सिंह रात को घर के आंगन मे सोए हुए थे। शुक्रवार तड़के करीब चार बजे अचानक गुलदार ने उन पर हमला कर दिया। घर के सदस्यों और आसपास के लोगों के शोर मचाने पर गुलदार मौके से भाग निकला। सुचना मिलने पर मौके पर पहुंचे वन कर्मियों ने घायल वृद्ध को राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश पहुंचाया। जहां वृद्ध का उपचार जारी है।  क्षेत्र में लंबे समय से गुलदार के सक्रिय होने से लोगों में दहशत का माहौल है। विगत चार दिन पूर्व ही रायवाला के सत्यनारायण मंदिर के समीप ट्रक चालक को गुलदार ने मार दिया था। इसी तरह एक सप्ताह पूर्व गौहरी माफी गांव के समीप साधू को गुलदार ने निवाला बनाया था।

गंगा में डूबने से वृद्ध की मौत

ऋषिकेश,19 जून(निस)। तीर्थनगरी ऋषिकेश स्थित स्वर्गाश्रम में गीता भवन के समीप नाव घाट पर वृद्ध के गंगा में डूबने से उसकी मौत हो गयी।  पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पीएम के लिए भेज दिया है।  मृतक की शिनाख्त नहीं हो पाई है। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार सुबह करीब नौ बजे गीता भवन स्थित नाव घाट पर नहा रहे एक वृद्ध अचानक तेज बहाव की चपेट में आकर बहने लगा। जिससे आसपास के लोगों में हड़कंप मच गया।  आसपास के लोगों ने पुलिस की मदद से कुछ दूरी पर वृद्ध को बहार निकाला। जिन्हे तत्काल 108 आपात सेवा की मदद से उनहें ऋषिकेश के राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया गया। जहाँ चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस के मुताबिक अभी तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो पाई है। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पीएम के लिए भेज दिया है।

सी.बी.आई. जांच की मांग संदेह उत्पन्न कर रही हैः शिल्पी 

देहरादून, 19 जून(निस)। प्रदेश कांग्रेस की महामंत्री श्रीमती शिल्पी अरोरा ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा जिस प्रकार से बार-बार सी.बी.आई. जांच की मांग की जा रही है, वह संदेह उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी गई है, तो भाजपा नेताओं को जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता जिस प्रकार से हर मामले में सी.बी.आई. जांच की मांग करते है, उससे लगता है कि उनका सी.बी.आई. से गहरा लगाव है। केन्द्र में भाजपा की सरकार आने के बाद से भाजपा नेताओं का प्रेम सी.बी.आई.के प्रति कुछ ज्यादा ही बढ़ रहा है। दूसरी तरफ श्रीमती अरोरा योग दिवस पर बयान देते हुए कहा कि योग के प्रचार-प्रसार से हमें कोई परेशानी है, योग के कारण भारत की पूरे विश्व में अलग पहचान है। इसे बनाये रखने के लिए हम सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। चिंता केवल इस बात की है कि कहीं इसका हश्र भी स्वच्छ भारत अभियान की तरह न हो जाय। जब 2 अक्टूबर को मोदी जी और उनकी पार्टी के लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर खूब फोटो खिचवाये और उसके बाद से गायब हो गये। तब से आज तक किसी भी भाजपा नेता को स्वच्छ भारत अभियान की याद नही आयी। कही योग के साथ भी भाजपा के नेता कुछ ऐसा न करे कि योग दिवस के बाद उसे भूल जाय। भाजपा के नेता योग दिवस के नाम पर देश की जनता का ध्यान बड़े मुद्दोे से भटकाने की कोशिश है। केन्द्र की भाजपा सरकार की जो नाकामियां रही है, उससे जनता और मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा योग दिवस का सहारा ले रही है।

मल्ला जोहार में गरारी का पट्टा टूटा, ग्रामीण फंसे, गोरी नदी पर रिलकोट-खिलांच के मध्य पुल नहीं होने से बढ़ी दुशवारिया 

देहरादून, 19 जून(निस)। मुनस्यारी तहसील के मल्ला जोहार में गोरी नदी पर रिलकोट-खिलांच के मध्य बनी गरारी का पट्टा टूट गया। इस कारण नदी आर-पार जाने की आवाजाही बन्द हो गयी है। इस स्थान पर लगातार पुल निर्माण की मांग की जा रही है। आपदा के बाद पुल बह जाने के दो वर्ष बाद भी उत्तराखण्ड की सरकार इस जगह पर पुल नहीं बना पायी। भाजपा ने आज जिलाधिकारी के सम्मुख इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि हैली-काप्टर मे करोड़ो रूपये खर्च करने वाले मुख्यमन्त्री को इसका जबाब देना होगा।   मल्ला जोहार के गोरी नदी पर रिलकोट-खिलांच के बीच बनी पुलिया वर्ष 2013 की भीषण आपदा में बह गयी थी। इस स्थान पर 10 लाख रूपये की लागत से गरारी जबरन बना दिया गया। जबकि खिलांच के ग्रामीण इस स्थान पर पुलिया निर्माण की मांग कर रहे थे। वर्ष 2014 तथा इस बार भी इस स्थान पर पुलिया का निर्माण नहीं हो पाया। गरारी के निर्माण में की गई मनमानी और मानक विरूद्ध कार्य के कारण गरारी का पट्टा एक वर्ष में ही टूट गया है। जबकि इस गरारी का उपयोग बस वर्ष में केवल छः माह ही ग्रीष्म काल के दौरान होता है। उसके बावजूद गरारी का पट्टा टूट गया और टूटी हुई गरारी से ही ग्रामीण जान हथेली में रखकर आर-पार जा रहे है। मवेशियों और बकरियों को गोरी नदी पार कराकर ले जाने में ग्रामीण असफल हो चुके है। खिलांच के ग्रामीणों के सामने यह मुसीबत खड़ी हो गयी है कि वे अपने पालतू जानवरों को छोड़कर कहां जाये। मुख्यमन्त्री की विधान सभा का यह नजारा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। आपदा के बाद मुनस्यारी तहसील में दस करोड़ से अधिक की राशि पुर्ननिर्माण के नाम पर खर्च की जा चुकी है। इस राशि के उपयोग पर गम्भीर आरोप लगते रहे है। रिलकोट-खिलांच के मध्य गोरी नदी पर पुल बनाने के लिए क्यों आपदा की राशि नहीं दी गयी। यह सवाल आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है। भाजपा नेता जगत मर्तोलिया ने आज जिलाधिकारी से इस मामले की शिकायत की। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री की विधान सभा में आपदा के बाद दो वर्ष बीत जाने के बाद भी यह स्थिति है। आम जनता आपदा के बाद से परेशान है और आपदा के बजट पर लूट मची हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री अगर पुल नहीं बना सकते है तो उन्हें विधान सभा के पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए। 15 दिन के भीतर प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक ने कोई कार्यवाही नहीं की तो मुनस्यारी में लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में तालाबन्दी की जायेगी। 

21 जून को हर्षोल्लास के साथ सभी मनायें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवसः महाराज

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देहरादून, 19 जून(निस)। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सतपाल महाराज ने आज एक बयान में प्रधानमंत्री मोदी को उनके प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दिलवाने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने कहा कि इस वर्श इसकी षुरूआत भारत ही नहीं अपितु समस्त विश्व में बड़े हर्षोल्लास के साथ हो रही है परन्तु उŸाराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बयान दिया है कि वह योग दिवस पर योग में सम्मिलित नहीं होंगे इसे दुर्भागयपूर्ण करार दिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री महाराज ने आगे कहा कि उŸाराखण्ड देवभूमि है और इसका योग के प्रचार-प्रसार में बहुत बड़ा योगदान रहा है। प्राचीन काल से ही अनेक ऋषि, मुनि व योगियों ने वहां आकर योग और ध्यान किया। आज भी ध्यान और योग सीखने व करने के लिए देश से ही नहीं अपितु विदेशों से भी हजारो लाखो की संख्या में व्यक्ति आते हैं। यदि उŸाराखण्ड योग में सम्मिलित नहीं होगा तो यह उŸाराखण्ड का अपमान होगा। सदस्य भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सतपाल महाराज ने कहा कि जब श्रीमती अमृता रावत पर्यटन मंत्री थीं तब उन्होंने ऋषिकेश को योगा कैपीटल बनाने का प्रयास किया। महेश योगी के आश्रम (84 कुटी) में प्रसिद्ध गायक बीटलस भी आयें। श्रीमती अमृता रावत जी ने योग की अनिवार्य शिक्षा शिक्षण संस्थानों में लागू करवाने का प्रयास किया जिसे उŸाराखण्ड सरकार ने स्वीकार किया था। इसके विपरीत वहां की सरकार अब योग दिवस में सम्मिलित नहीं हो रही। योग में राजनीति आड़े नहीं आनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह योग के प्रशिक्षित शिक्षकों का शिक्षा क्षेत्र में समायोजन करे। उन्हांेने उŸाराखण्ड की सम्मानित जनता व संस्थाओं से अपील की कि वे 21 जून, 2015 को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनायें।

बैस्ट रिसर्च आॅफ द ईयर एण्ड इन्नोवेशन व चांसलर्स अवार्ड से सम्मानित होगाः राज्यपाल
  • राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की द्वितीय त्रैमासिक बैठक ली 

देहरादून, 19 जून(निस)। उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के प्रयासों को धरातल पर उतराने की दृष्टि से राज्यपाल व कुलाधिपति डा0 कृष्ण कांत पाल की अध्यक्षता में आज राजभवन में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की द्वितीय त्रैमासिक बैठक बुलाई गई थी। प्रथम तिमाही बैठक 03 मार्च को आहूत की गई थी जिसमें विश्वविद्यालयों के बुनियादी उद्देश्यों को दोहराया गया था। इस बैठक में, प्रथम बैठक में लिए गए निर्णयों पर विश्वविद्यालयों की प्रगति की समीक्षा के अलावा कुलपतियों द्वारा दी जा रही मासिक आख्या के कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर भी चर्चा हुई। आज की बैठक में राज्यपाल ने ऐलान किया कि प्रत्येक वर्ष, किसी भी विषय पर प्रकाशित सबसे अच्छे शोधपत्र और अभिवन रचना(इन्नोवेशन) को राजभवन में ‘चांसलर्स अवार्ड’ से सम्मानित किया जायेगा। सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी को बीस हजार रूपये की नकद धनराशि दी जायेगी। उन्होंने कहा - अनुसंधान व शोध ऐसा हो जो उत्पादकता बढ़ाने के लिए अंगीकृत किया गया हो या पेटेंट के लिए प्रस्तुत किया गया हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह  ‘अवार्ड’ उत्कृष्टता के मानकों को प्राप्त करने हेतु विश्वविद्यालय कर्मियों में उत्साह जागृत करेगा। वर्ष 2014 के श्रेष्ठ शोधपत्र व अनुसंधान और अभिनव प्रयोग को इसी वर्ष के अंत तक सम्मानित किया जायेगा। राज्य के युवाओं के उज्जवल भविष्य के लिए विश्वविद्यालयों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि देश-विदेश के  श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों की तरह हमें भी लगातार बदलते वैश्विक वातावरण के अनुकूल अपने संस्थानों को ढ़ालने का प्रयास करना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित किया जा सकता है, बशर्ते कि वह निवेश समाज सेवा के सिद्धान्तों पर आधारित हो न कि शिक्षा के व्यावसायीकरण के उद्देश्य से। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए निजी क्षेत्र की भूमिका को उनके सामाजिक दायित्वों के रूप में स्थापित किया जा सकता है। विदेशों के कई श्रेष्ठ, निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय, सामाजिक सेवा के अपने उत्तरदायित्वों को मजबूती से निभा रहे हैं। पाठ्यक्रमों को गुणवत्ता युक्त व विश्वव्यापी माँग के अनुरूप बनाने की दृष्टि से राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों के कौशल को उद्योगों से जोड़कर रोजगार की गतिशीलता सुनिश्चित की जा सकती है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए आवश्यक है कि वह कौशल प्रशिक्षण से उच्च शिक्षा को जोड़कर देश के मानव संसाधन को सक्रिय ऊर्जा के रूप में विकसित करे। राज्यपाल ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में शैक्षिक उत्कृष्टता केवल गुणवत्तापूर्ण, व्यापक और स्थिर वातावरण में प्राप्त हो सकती है जिसके लिए अनुश्रवण व निगरानी की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। सतत् अनुश्रवण से अर्जित गुणवत्ता ही सदैव स्थिर रहती है। विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध कालेजों में गुणवत्ता तथा छात्रों के बेहतर प्रदर्शन के लिए भी सतत् निगरानी व्यवस्था को जरूरी मानते हुए अनुश्रवण के महत्व के दृष्टिगत शैक्षिक और प्रशासनिक आॅडिट के लिए तीन कुलपतियों की एक समिति गठित करने का निर्णय भी लिया गया।  राज्यपाल ने सभी शिक्षण संस्थानों को रैगिंग फ्री की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में पुस्तकालय, अनुसंधान कार्यों का प्रकाशन, विज्ञान एवं तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए प्रयोगाशालाओं आदि शिक्षा प्रदान करने से सम्बन्धित सभी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्घता के साथ ही खेल-कूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को चलाने के लिए भी उचित वातावरण को अच्छे शिक्षण संस्थान के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने विद्यार्थियों को पेशेवर व व्यावसायिक रूप से सक्षम बनाने के लिये सही दिशा देने के साथ-साथ उन्हें एक अच्छा इंसान तथा बेहतर नागरिक भी बनाना भी विश्वविद्यालयों का दायित्व है। प्रदेश में शैक्षिक संस्थाओं मंे स्वच्छता को नितान्त आवश्यक बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों को इसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाना चाहिए क्योंकि स्वच्छता का मंत्र विद्यार्थियों में अनुशासन और संगठनात्मक गुणों को जगाने में सहायक होता है। एक अस्त-व्यस्त और मलिन स्थान उसमें रहने वाले व्यक्तियों की संगठनात्मक क्षमता, अनुशासन और उत्तरदायित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के संदर्भ में विगत बैठक में दिए गए अपने निर्देशों को पुनः दोहराते हुए चयनित गाँव के ग्रामीण समुदाय के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा इस दिशा में निरन्तर कार्य करने के निर्देश दिए। विगत बैठक में विश्वविद्यालयों में ‘सेंटर आॅफ एक्सीलेंस’ हेतु कुलपतियों को दिए गए निर्देशों की प्रगति की समीक्षा के दौरान कुलपतियों द्वारा प्रस्तुत कार्य योजनाओं से संतुष्ट राज्यपाल ने कहा कि सभी विशिष्ट पाठ्यक्रमों को रोजगार सृजन तथा दक्षता विकास से जोड़ा जाना ज्यादा व्यावहारिक होगा। उन्होंने युवाओं में कम्यूनिकेशन स्किल विकसित करने के लिए अंग्रेजी सहित अन्य विदेशी भाषाओं का ज्ञान दिये जाने पर भी बल दिया। कुलाधिपति व राज्यपाल ने कहा कि विश्व के 177 देशों द्वारा 21 जून को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ से योग को अपनाने के निर्णय ने योग के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनायें जागृत की हैं। ऐसे में योग के प्रशिक्षण के साथ ही अंग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं का ज्ञान रोजगार के अवसरों के लिए बहुत उपयोगी होगा। राज्यपाल ने युवाओं के कौशल व दक्षता विकास के लिए केन्द्र सरकार की योजनाओं व अन्य स्रोतों से उपलब्ध धनराशि का यथासंभव सदुपयोग करने के लिए ठोस कार्य योजनाएं बनाने का भी सुझाव दिया। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वरोजगार की संभावनाओं के दृष्टिगत साहसिक पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, औषधीय व ऐरोमैटिक प्लान्टस् की खेती से सम्बन्धित अल्प अवधि के पाठ्यक्रम चलाये जाने के लिए भी सम्बन्धित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सुझाव दिये गए। बैठक में दून वि.वि के कुलपति प्रो. वी. के. जैन, पंतनगर वि.वि. के कुलपति प्रो. मंगला प्रसाद, कुमायूँ वि.वि. के कुलपति प्रो. एच.एस.धामी, औद्यानिकी एवं वानिकी वि.वि के कुलपति प्रो. मैथ्यू प्रसाद, श्री देव सुमन व हे.न.ब.मेडिकल वि.वि के कुलपति डा0 रावत, मुक्त वि.वि के कुलपति प्रो. सुभाष धूलिया, संस्कृत वि.वि के कुलपति प्रो. महावीर प्रसाद,, आयुर्वैदिक वि.वि. के कुलपति प्रो. सत्येन्द्र कुमार तथा उ.तक.वि.वि के कुलपति प्रो. पी.के.गर्ग सहित राज्यपाल के सचिव, विधि परामर्शी, उत्तराखण्ड शासन के दोनों अपर मुख्य सचिव, कृषि, उच्च शिक्षा, चिकित्सा व तकनीकी शिक्षा आदि से सम्बन्धित प्रमुख सचिव, सचिव भी मौजूद थे।

बनते ही ढह गया लाखों रूपये का पुस्ता, खांखरा-खेड़ाखाल मोटरमार्ग पर किया जा रहा कार्य, मोटरमार्ग पर बिछाया डामर भी उखड़ा 

रुद्रप्रयाग,19 जून(निस)। मोटरमार्गों के निर्माण में घटिया कार्य करने को लेकर आज तक लोक निर्माण विभाग ही सुर्खियों में रहा है, लेकिन अब इस कड़ी में एडीबी (आपदा) का नाम भी जुड़ गया है। डामरीकरण से लेकर पुस्तों के निर्माण में विभाग के ठेकेदार घोर अनियमितताएं बरत रहे हैं। मोटा पैंसा कमाने के चक्कर में विभागीय ठेकेदार कार्य में पचास प्रतिशत भी गुणवत्ता का ध्यान नहीं रख रहे हैं। आलम यह है कि जितनी तेजी से मोटरमार्ग पर पुश्ता बनकर तैयार किया जा रहा है, उतनी ही तेजी से ढह भी रहा है। दरअसल, इन दिनों खांखरा-खेड़ाखाल 22 किमी मोटरमार्ग पर एडीबी (आपदा) रतूड़ा की ओर से सुधारीकरण का कार्य किया जा रहा हैं। यह कार्य ग्यारह करोड़ में भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया है, जिसमें क्रैश बेरियर, डामरीकरण, पुस्तों, कलवट, क्षतिग्रस्त दीवार और काॅजवे का कार्य किया जाना है। अब तक कंपनी की ओर से एक करोड़ भी खर्च कर लिया गया है, जबकि कार्य के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है। सिर्फ मार्ग पर दो सौ मीटर डामर बिछाया गया है और दो कलवट के अलावा एक-दो जगह पर ही पुस्तों का निर्माण किया गया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि किस तरह से सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कंपनी की ओर से जहां पर पुस्तों का निर्माण किया गया है, वह कार्य बेहद ही घटिया हुआ है। पुस्ता बनने के साथ ही ढह गया है। इस पुस्ते की लागत लाखों में थी। इसके साथ ही मार्ग पर दो सौ मीटर डामर बिछाया गया है, जोकि मानकों के तहत नहीं बिछाया गया है। जिससे यह बिछाने के साथ ही उखड़ने लगा है। ग्रामीण संदीप पंत, बुद्धिबल्लभ ममंगाई ने कहा कि एडीबी विभाग की ओर से मोटरमार्ग पर जिस कंपनी को कार्य सौंपा गया है, वह कार्य में अनियमितताएं बरत रहा है। वर्षों बाद मोटरमार्ग पर डामरीकरण व पुस्तों का कार्य किया जा रहा है, वह भी नियमों के तहत नहीं हो रहा है। बरसात से पूर्व ही कंपनी की ओर से निर्माणाधीन पुस्ते ढहने शुरू हो गये हैं, जिससे ग्रामीणों में विभाग और कंपनी के विरूद्ध आक्रोश बना हुआ है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द मोटरमार्ग पर किये जा रहे कार्यों की जांच की जाय। ठेकेदार का टेंडर निरस्त किया जाय और अन्य किसी कंपनी को कार्य सौंपा जाय, जिससे कार्य में गुणवत्ता बनी रहे। खांखरा-खेड़ाखाल मोटरमार्ग की दयनीय स्थिति बनी है। मार्ग पर एडीबी (आपदा) कार्य कर रही है, लेकिन कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ग्रामीणों की शिकायत मुझे मिली थी, मैंने भी निर्माण कार्य की जांच की है। वाकई पुस्तों और डामरीकरण का कार्य घटिया है। बरसात से पहले ही पुस्ते ढह रहे हैं। मोटरमार्ग की जांच को लेकर जिलाधिकारी को कहा गया है।

राहुल के जन्मदिवस पर कांग्रेसियों ने किया रक्तदान 

देहरादून, 19 जून(निस)। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं अखिल भारतीय कंाग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के जन्म दिवस के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय, देहरादून में कांग्रेसजनों द्वारा एक रक्तदान शिविर का आयेाजन किया गया। श्री महन्त इन्द्रेश चिकित्सालय देहरादून के चिकित्सकों की देख-रेख में आयेाजित रक्तदान शिविर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने रक्तदान कर शुभारम्भ किया । रक्तदान शिविर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित प्रदेश पदाधिकारियों, युवा कांग्रेस, एन.एस.यू.आई, महानगर कांग्रेस तथा महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने रक्तदान किया। इससे पूर्व किशोर उपाध्याय ने रक्तदान का महत्व बताते हुए कहा कि रक्तदान जीवन दान देने जैसा है। समय पर रक्त की एक बूंद से किसी जरूरतमंद इंसान की जान बचाई जा सकती है। इस अवसर पर कांगे्रसजनों ने मिष्ठान वितरण कर अपने प्रिय नेता राहुल गांधी को जन्म दिन की बधाई दी।  रक्तदान करने वालों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, प्रदेश कांग्रेस कार्यक्रम समन्वयक राजेन्द्र शाह, प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष भुवन कापडी, प्रदेश एनएसयूआई अध्यक्ष श्याम ंिसह चैहान, महानगर अध्यक्ष पृथ्वीराज चैहान, प्रदेश सचिव दीप बोहरा, पूर्व प्रदेश सचिव अनिल नेगी, युवा कांग्रेस लोकसभा अध्यक्ष शिवेश बहुगुणा, प्रदेश संगठन सचिव अनिल गुप्ता, पूर्व जिला पंचायत सदस्य राकेश नेगी, निलय कुकरेती, कंचन रांगड, प्रवीण चैहान, दीपक बिष्ट, संदीप सिंह, संदीप शर्मा, स्वर्णिम राज भण्डारी, प्रकाश गिरि, विशाल मौर्य, माधव अग्रवाल सहित लगभग 60 लोगों कांग्रेसजनों ने रक्तदान किया। रक्तदान शिविर के सफल आयोजन में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत ंिसंह बिष्ट, शंकरचन्द रमोला, प्रदेश कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी, प्रदेश सचिव विनोद चैहान, सुरेन्द्र रांगड़, टीका राम पाण्डे, कमलेश रमन आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।

उत्तराखण्ड को देवी-देवताओं के लिए जाना जाता हैः सीएम 

देहरादून, 19 जून(निस)। उत्तराखण्ड जहाॅ एक ओर देवी-देवताओं के लिए जाना जाता है वहीं दूसरी ओर यह क्षेत्र संस्कृत विद्वानो का अध्ययन केन्द्र रहा है यह विचार प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज कल्याणिका वेद वेदागं संस्कृत विद्यापीठम उदघाटन एवं लोकार्पण के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के समग्र विकास हेतु एवं उसके संरक्षण के लिए हमें ठोस पहल करनी होगी। पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक ऐसे आध्यामिक केन्द्र है जहाॅ पर संस्कृत विद्वानो ने आकर युवाओं को संस्कृत भाषा से जोड़ने का प्रयास किया और वेद-पुराणों में उल्लखित अनेक जनश्रुतियों को सार्थक सिद्व करने के लिए प्रेरित किया। हमारे चार वेदो में संस्कृत भाषा की अपनी विशिष्ट पहचान रही है हम सभी का प्रयास होगा कि इस पहचान को बनाये रखने के लिए संस्कृत भाषा के उन्ययन की पहल करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जहाॅ एक ओर पूरे विश्व में योग का महत्व बढ़ा है वहीं दूसरी ओर संस्कृत भाषा के लिए भी लोगो की जिज्ञासा और अधिक बढ़ गयी है। हमारे संस्कृत विद्वान कालीदास सहित अन्य विद्वानो के हिमालय क्षेत्र का बखान अपने ग्रन्थों में किया है। उन्होंने कहा कि आज जहाॅ एक ओर शिक्षा का स्तर काफी गिर गया है वहीं दूसरी ओर संस्कृत विद्या के प्रति युवाओं में नई चेतना का आगाध हुआ है। संस्कृत विद्या जहाॅ एक ओर हमारे संस्कारों को आगे बढ़ाने में सार्थक सिद्व होती है वहीं हमारे धार्मिक अनुष्ठानों में इसके पठन से आत्मिक शान्ति मिलती है। प्रदेश में स्थित राजकीय संग्रहालयों में संस्कृत ग्रन्थों के संरक्षण के लिए ठोस पहल की जा रही है और शासन द्वारा संस्कृत विद्या से जुड़े पुरोहितों के लिए पेंशन दिये जाने का भी निणर्य लिया गया है ताकि इस विद्या से जुड़े लोग अपने आर्थिक मजबूती के लिए आगे बढ़ सके। विकासखण्ड लमगड़ा के डोल में स्थित यह आश्रम जहाॅ एक ओर हमें आध्यात्म की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है वही दूसरी ओर संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए भी कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में संस्कृत भाषा को पूर्व में द्वितीय राजभाषा के रूप में जो स्थान दिया गया है वह एक सराहनीय पहल है हमें संस्कृत के पठन-पाठन करने वालो को मदद देनी होगी। प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत विद्यालयों को स्पेशल ग्राण्ड देकर उनको साधन सम्पन्न बनाने का काम किया गया है। संस्कृत हमारे प्रदेश में आजिविका का एक सशक्त साधन बन सकती है हमें सरकारोन्मुखी न बनकर समाजोन्मुखी बनने का प्रयास करना होगा ताकि हम संस्कृति की पताका फहराने में आगे बढ़ सके संस्कृत भाष पूरी भाषाओं की जननी है इसलिए हमें इस भाषा सम्मान देना होगा। इस अवसर पर उन्होंने कल्याणिका आश्रम में संग्रहालय बनाने के लिए  01 करोड़ रू0 देने की बात कही साथ ही कल्याणिका आश्रम से स्थानीय डोल ग्राम को जोड़ने के लिए रोपवे की स्वीकृति के साथ ही आश्रम के समीप नाले में तटबन्ध बनाकर उसे झील के रूप में विकसित करने को कहा। मुख्यमंत्री ने संस्कृत विद्यालय को आगामी दो माह के अन्दर मान्यता दिलाने की बात कही। विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुजंवाल ने कहा कि कल्याणिका आश्रम के संस्थापक स्वामी पूज्यपाद बाबा कल्याण दास के द्वारा जिस परिकल्पना के साथ इस आश्रम की स्थापना की गयी थी उसके परिणाम आज सामने आ रहे है हमें इस आश्रम के विकास के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कल्याणिका आश्रम के विकास सहित अन्य स्थानीय समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया जिस पर मुख्यमंत्री ने इसका एक रोडमैप तैयार कर प्रस्तुत करें ताकि उस पर अग्रिम कार्यवाही की जा सके। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल क्षेत्र के सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि हमें अपने युवाओं में संस्कृत भाषा को बोलने के लिए चेतना जागृत करनी होगी युवाओं को संस्कृत का अच्छा ज्ञान हो इसका प्रयास करना होगा बिना देववाणी के देवभूमि की परिकल्पना साकार नहीं हो सकती इसलिए हमें संस्कृत भाषा की ओर विशेष ध्यान देना होगा। नेता प्रतिपक्ष अजय भटट ने कहा कि हमें संस्कृत भाषा के व्यापक प्रचार सहित आज ग्रामीण क्षेत्रों में जो पुरोहित का कार्य करते है उनके उन्ययन के लिए हमें सोचना होगा ताकि यह भाषा जीवन्त रह सके। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री दिनेश धनै ने कहा कि हमें इस तरह के रमणीक स्थलों को पर्यटन मानचित्र में लाकर पर्यटन सर्किल से जोड़ना होगा ताकि अधिकाधिक लोग यहाॅ पर आ सके। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे इस रमणीक स्थल के विकास के लिए अपने स्तर से पूरी कोशिश करेंगे साथ ही इस संस्कृति विद्यापीठ के लिए जो भी सम्भव हो उसको आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इस कार्यक्रम में संसदीय सचिव मनोज तिवारी, पूर्व सासंद प्रदीप टम्टा, घनश्याम भटट सहित अन्य लोगो ने अपने विचार रखे। परमपूज्य कल्याण दास जी ने कहा कि पलायन को रोकने के लिए युवाओं को स्वालम्बी बनाना होगा। उत्तराखण्ड में पुराने पहाड़ों को पुर्नजिवित करने के साथ यहाॅ पर युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को रोकना हमारा प्रयास होगा। परमपूज्य बाबा जी ने संस्कृत भाषा के उन्ययन के लिए सबसे आगे आने की अपील की। इस अवसर पर पूज्य कपिलेश्वरानन्द , राजेन्द्र , सदानन्द , नवराज , कृष्ण चैन्तय , नारायण हरि , शिवमनाथ सरस्वती , प्रेम चैतन्य , स्वामी कबीरा , जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन, पुलिस अधीक्षक के0एस0 नगन्याल, उपजिलाधिकारी इला गिरि, अनुसूचित जाति के उपाध्यक्ष राजेन्द्र बाराकोटी, ब्लाॅक प्रमुख श्रीमती कमला आर्या, जलागम प्रबन्धन के उपाध्यक्ष दिनेश कुजंवाल, पूर्व ब्लाॅक प्रमुख महेन्द्र मेर, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा, केवल सती, तारा चन्द्र जोशी, दिवान सिंह बिष्ट, मनोज रावत, श्रीमती देवकी कुजंवाल, दिवान सतवाल, किरन बगडवाल, शिवराम आर्य, मोहन सिंह नगरकोटी, पान सिंह फत्र्याल, दुग्ध संघ के अध्यक्ष दीप डाॅगी, दीपक मलाड़ा, मनोज रावत सहित अनेक लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन स्वामी विश्वरूपानन्द जी ने किया।

अन्र्तराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी को रिहर्सल किया 

हरिद्वार, 19 जून(निस)। अर्न्तराष्ट्रीय योग दिवस ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे देश भर में उत्साह देखने को मिल रहा है। अखिलविश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज में तीन दिवसीय योग प्रशिक्षण का आज पूर्ण रिहर्सल किया गया। इसमें विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों में आए गायत्री साधक, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ, शांतिकुंज एवं ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के कार्यकर्त्ताओं समेत दो हजार लोगों ने योगाभ्यास किया। शांतिकुुंज के संगीत विभाग के उद्गाताओं द्वारा सुमधुर संगीत के बीच पूर्वाभ्यास कार्यक्रम का संचालन देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के योगाचार्य एवं छात्रों ने मिलकर किया। योग कार्यक्रमों का संचालन रामअवतार पाटीदार एवं गुलाम असकरी जैदी ने किया। विश्वयोग दिवस के उपलक्ष्य में बनी समिति के सदस्य कालीचरण शर्मा के अनुसार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय और शांतिकुंज मिलकर देश और विदेशों में 6.30 से 8.20 तक एक साथ दो लाख स्थानों पर योग आयोजन संपन्न करायेंगे। वहीं 21 जून को भारत सरकार द्वारा निर्धारित मुख्य कार्यक्रम नई दिल्ली के राजपथ पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या, कालीचरण शर्मा, बृजमोहन गौड़ सहित सौ लोगों का समूह भाग लेगा। वहीं प्रोफेसर प्रमोद भटनागर के नेतृत्व में दूसरा दल देहरादून के राजभवन में तथा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अन्य कार्यक्रम में अन्य दल भाग लेंगे। २२ जून को संपन्न होने वाले योग दिवस के मुख्य समापन आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में संपन्न होगा जिसमें गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या अध्यक्षता करेंगे। श्री शर्मा के अनुसार गायत्री परिवार यू एन द्वारा निर्धारित प्रोटोकल के साथ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा निर्देशित इस युग के महत्वपूर्ण योगाभ्यास प्रज्ञायोग को भी कराया जाएगा। साथ ही कल (आज) देहरादून जिले के हरिपुरकलाँ से लेकर शांतिकुंज तक योगा प्रचार रैली का आयोजन शांतिकुंज करेगा। विश्वभर में मुख्य कार्यक्रम के साथ ही रैली तथा वृक्षगंगा अभियान के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम कराने का भी अभिनव प्रयोग होगा। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि योग मानव मात्र के लिए है। यह एक दिन ही नहीं, जीवन भर रोज रोज करना चाहिए, योग जीवन का अंग बनना चाहिए। मंच संचालन शांतिकुंज के केदार प्रसाद दुबे ने किया। नरेन्द्र ठाकुर ने साधकों को प्रज्ञायोग कराया।

डाॅ. निशंक बताये कि क्या भाजपा नेताओं ने उनसे क्षमा मांग ली है - सुरेन्द्र कुमार

देहरादून 19 जून(निस)। मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने भाजपा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा दिये गये बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि डाॅ. निशंक पहले भाजपा नेताओं से क्षमा मांगने के लिए कहे। क्योंकि कांगे्रस से पहले भाजपा के नेताओं द्वारा ही कुंभ घोटाले व भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाते रहे है, यहाॅ तक की उनको देश भ्रष्टतम मुख्यमंत्री बताया जाता था व इसलिए उनको हटाया गया था। वहीं उन्होंने क्षमा मांगने के लिए पहले अपने घर यानी भाजपा के लोगो से बोलना चाहिए। कांग्रेस तो केवल जनता को सच बता रही है। भाजपा नेता डाॅ. निशंक को नकारात्मक भूमिका से बाहर आकर राज्यहित में भी सोचना चाहिए। अपनी ऊर्जा व तकनीक का उपयोग को नरकंकाल ढूंढने के बजाय राज्यहित के मुद्दों पर दिल्ली मंे लगाये। राज्यहित के अनेक ऐसे मुद्दे है, जिन पर दिल्ली से निर्णय लिया जाना है। बेहतर होगा कि डाॅ. निशंक अपनी ऊर्जा का उपयोग दिल्ली में संसद के अंदर लगाये। प्रधानमंत्री के समक्ष राज्यहित से जुड़े मुद्दों को उठाये। उनके इस काम में हम भी सहयोग करेंगे। प्रदेश की जनकल्याणकारी सरकार द्वारा जिस प्रकार से जनहितकारी निर्णय लिये जा रहे है और जिस प्रकार से चारधाम यात्रा का सफल संचालन हो रहा है, उससे भाजपा नेता बौखला गये है।

शहीद सुबेदार वर्धन का दी अनुदान राशि 

देहरादून 19 जून(निस)। 14 गढवाल राईफल, अल्फा कम्पनी मे प्लाटून कमाण्डर सूबेदार अजय वर्धन, जो 1 दिसम्बर 2014 को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सैक्टर में समुद्र तल से 13 हजार फिट की उचाई पर लाईन आफ कन्ट्रोल पर प्वाइंट न0 4053 आंतकवादियों से लोहा लेते हुए आतंकवादियों का खात्मा कर शहीद हो गये थे।उनके इस अदम्य साहस को सलाम करते हुए भारत सरकार द्वारा उन्हे मरणोपरान्त कीर्ति चक्र से नवाजा गया था। इसी क्रम सैनिक कल्याण विभाग उत्तराखण्ड सरकार की और से सैनिक कल्याण निदेशालय कालिदास रोड देहरादून में सैनिक कल्याण मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने शहीद सुबेदार अजय वर्धन की धर्मपत्नी श्रीमती लक्ष्मी तोमर तथा माता जी हीरा देवी को एक मुश्त अनुदान राशि 10 लाख का चैक, वीरता पदक अनुदान राशि 20 लाख रू0 का चैक, वीरता पदक की वार्षिक राशि 2 लाख रू0 तथा आवासीय सहायता  की राशि 2 लाख रू0 चैक प्रदान किया गया। इस अवसर पर शहीद सुबेदार अजय वर्धन को श्रदांजलि देते हुए दो मिनट का मौन भी रखा गया। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने कहा कि जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सैक्टर में समुद्र तल से 13 हजार फिट की उचाई पर शून्य डिग्री से नीचे के तापमान पर सुबेदार अजय वर्धन ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश की सीमाओं की रक्षा हेतु अपने प्राण न्यौछावर कर दिये, ऐसे वीर सपूतों की माताओं को शत्-शत् नमन है, जिन्होने ऐसे वीरों को जन्म दिया। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड के अधिकतर नौजवान फौज की राह चुनते हैं, उनके लिए शहीद सुबेदार अजय वर्धन द्वारा देश के लिए दिया गया बलिदान प्रेरणाश्रोत है। इस अवसर पर निदेशक सैनिक कल्याण बिग्रेडियर ए.एन बहुगुणा, उप निदेशक कर्नल आर.के चन्द्र, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डी के कौशिक, सहित सम्बन्धित अधिकारी एवं पूर्व सैनिक उपस्थित थे।

आसाराम की जमानत पर फैसला शनिवार तक सुरक्षित

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एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोपी स्वयंभू संत आसाराम की जमानत याचिका पर शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास ने फैसला शनिवार तक सुरक्षित रख लिया। आसाराम सितंबर 2013 से जोधपुर की जेल में बंद हैं। अदालत में उनकी जमानत याचिका पर पैरवी के लिए भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी पेश हुए। याचिका पर शुक्रवार को एक घंटे तक बहस हुई, जिसके बाद अदालत ने 20 जून तक के लिए फैसले को सुरक्षित रख लिया। 

स्वामी 26 मई को जोधपुर पहुंचने वाले थे, लेकिन उनकी अनुपलब्धता के कारण मामले को छह बार स्थगित करना पड़ा।  स्वामी ने कहा, "मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की है और उम्मीद है कि उन्हें जमानत मिल जाएगी।"उन्होंने कहा कि अगर जमानत याचिका खारिज होती है तो वे उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि आसाराम के खिलाफ गैर-धार्मिक ताकतों ने झूठे आरोप लगाए हैं और पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। 

आसाराम को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था। दो सितंबर 2013 से वह जोधपुर के केंद्रीय कारागार में बंद हैं।  आसाराम के खिलाफ जोधपुर स्थित उनके आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 16 वर्षीय एक लड़की ने पुलिस मे शिकायत दर्ज कराई थी।  अपनी शिकायत में नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि आसाराम के सहयोगियों ने उसे जोधपुर आश्रम में यह कहकर भेजा था कि उसके ऊपर बुरी आत्मा का प्रभाव है और वह (आसाराम) बुरी आत्मा को दूर भगा सकते हैं। इससे पहले आसाराम की जमानत याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी है।

असम में पत्रकार को गोली मारी

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असम के उदालगुड़ी जिले में एक दैनिक समाचार पत्र के लिए काम कर रहे पत्रकार को गुरुवार को आतंकवादियों के एक समूह ने गोली मार दी। पुलिस ने शुक्रवार को मामले की जानकारी दी। 35 वर्षीय प्रशांत कुमार को कुछ हथियारबंद लोगों ने जिले के खैराबाड़ी इलाके से गुरुवार की शाम अपहृत कर लिया और उन्हें गोली मार दी। पुलिस ने कहा कि आतंकवादियों की पहचान नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट के शांति वार्ता विरोधी धड़े के सदस्यों के रूप में हुई है। पीड़ित पत्रकार 'असमिया प्रतिदिन'नाम के समाचार पत्र के साथ काम करता है। गोली प्रशांत के कंधे में लगी थी, हालांकि अब उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। 

पुलिस ने कहा, "आतंकवादियों ने निश्चित ही उन्हें मृत समझ लिया होगा और उसे छोड़कर भाग गए होंगे। कुछ गांव वालों ने बाद में उन्हें देखा और स्थानीय अस्पताल में ले गए। उन्हें बेहतर उपचार के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में स्थानांतरित कराया गया।"इसीबीच, जर्नलिस्ट एक्शन कमेटी और जर्नलिस्ट फोरम असम ने घटना को हिलाकर रख देने वाला करार देते हुए साजिशकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।  उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से भी हमलावरों के खिलाफ सख्त उठाने के लिए कहा।

अंतर्विरोधों के पोटली थे राजकमल चौधरीः इतिहासकार डी.एन. झा

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नई दिल्ली, दिल्ली के साहित्य अकादमी समभागार में ‘राजकमल चौधरी रचनावली’ का लोकार्पण प्रसिद्ध आलोचक-द्वय नामवर सिंह ,मैनेजर पांडेय और विख्यात इतिहासकार तथा राजकमल चौधरी के अंतरंग मित्र डी.एन.झा ने किया। राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित इस लोकार्पण कार्यक्रम में बोलते हुए नामवर सिंह ने कहा- राजकमल चौधरी की रचनाओं ने पीढियों को प्रेरित किया और उनकी रचनावली का प्रकाशन हिन्दी जगत और हिन्दी साहित्य को आगे बढाने में बहुमूल्य योगदान देगा. 50-60 के संक्रमण काल में राजकमल चौधरी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से गद्य व पद्य दोनों क्षेत्रों में समानंतर लेखन क्षमता का परिचय दिया। 

वहीं मैनेजर पांडेय राजकमल चौधरी के रचना संसार को रेखांकित करते हुए कहा कि राजकमल चौधरी विद्रोही व्यक्ति थे। उनका यह विद्रोह उनके साहित्य में भी प्रकट होता है। उन्होंने जो रचनाएं रची वो रचनाएं वो ही रच सकते थे। कविता में उन्होंने दुर्लभ प्रयोग किया। वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग ने अपनी बात रखते हुए कहा - “राजकमल चौधरी ने मात्र 38 वर्ष की आयु में उपन्यास, कहानी, और कविता में विपुल कृतियां रचीं और हर कृति अपने समय से आगे विशिष्ट और मौलिक थीं। वह पहले आदमी थे जिन्होंने हमारे अर्थतंत्र और परमिट राज में व्याप्त भ्रष्टाचार और उससे उत्पन्न नवधनाढ्य वर्ग के अनाचार के महत्व को पहचाना। स्वयं उन्होंने इन्हीं विषयों पर केन्द्रित अनेक रचनाएं रचीं। दुर्भाग्य से उनका सबसे चर्चित उपन्यास ‘मछली मरी हुई’ मसहूर हुआ स्त्री समलैंगिकता पर होने के कारण। लेखक ने स्वयं भूमिका में यह दावा किया और यहीं पर मेरी उनके नज़रिए पर घोर आपत्ति है। स्त्री समलैंगिकता को उन्होंने एक रोग माना है और स्त्री को ‘स्वस्थ’ बनाने का जो तरीका इस्तेमाल किया गया है वह है ‘राक्षसी बलात्कार’। समलैंगिक न रहना उनके हिसाब से ‘स्वस्थ’ होना है। इस आपत्ति को छोड़ दें तो उपन्यास इतना पठनीय है कि जब मेरे पास आया तो खड़े-खड़े ही डेढ़ घंटे में मैंने उसे पढ़ डाला।”

इस अवसर पर विशेष रूप से राजकमल चौधरी के घनिष्ठ मित्र व विख्यात इतिहासकार डी.एन.झा उनके साथ की अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा कि राजकमल चौधरी अंतर्विरोधों के पोटली थे। इस अवसर उनके सुपुत्र नीलमाधव चौधरी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। राजकमल चौधरी रचनावली के संपादक देवशंकर नवीन ने इस मौके पर कहा कि मेरे लिए यह क्षण बहुत ही खुशी का है। पिछले 37 वर्षों से जुटाई गई सामग्रियों को प्रकाशित हुआ देखकर अपार हर्ष हो रहा है। राजकमल चौधरी अपने समय के सर्वाधिक बहुपठित लेखकों में से थे। उनके लेखन ने मेरे जीवन की दिशाएं बदली हैं। पूरी जिंदगी अपने किसी भी लाभा, लोभ और कामना की पूर्ति हेतु राजकमल चौधरी ने किसी भी सत्ता से समझौता नहीं किया। इस अर्थ में उनके लेखन में मुझे जीवन जीने की कला भी सिखाई। यद्यपि आज भी मैं यह दावा करने की स्थिति में नहीं हूं कि उनकी सारी रचनाएं मैंने उपलब्ध कर ली है। अभी भी हजार पृष्ठ के करीब सामग्री निश्चय ही बिखरी हुई है, जिन्हें जुटाना शेष है। यह रचनावली शशिकांता जी के जीवन-काल में आ गयी होती तो कदाचित मेरी प्रशन्नता और अधिक होती।

राजकमल प्रकाशन से आठ खंडों में प्रकाशित इस रचनावली के प्रथम दो खंडों में कविता, तीसरे-चौथे खंड में कथा, पांचवे-छठे खंड में उपन्यास, सातवे खंड में निबंध नाटक व अंतिम खंड में पत्र-डायरी को शामिल किया गया है। धन्यवाद ज्ञापन राजकमल समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आमोद महेश्वरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच संचालन राजकमल प्रकाशन समूह के संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरुपम ने किया। गौरतलब है कि मूल रूप से बिहार के सहरसा जिला के रहने वाले राजकमल चौधरी 60 के दशक में अपनी कथा-कहानियों से चर्चा में रहे थे। 38 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। इस बीच 15 वर्षों तक उन्होंने सक्रिय रूप से हिन्दी-मैथिली साहित्य की सेवा की।

 ‘राजकमल चौधरी रचनावली’ पर प्रकाशक ने की विशेष छूट की घोषणा
राजकमल प्रकाशन समूह ने राजकमल चौधरी के प्रशंसकों के लिए ‘राजकमल चौधरी रचनावली’ पर 30 जून तक के लिए विशेष छूट की घोषणा की है। पेपरबैक संस्करण का सेट 3000 की जगह 1999 रूपये में व हार्डबैक संस्करण का सेट 8000 रूपये की जगह 4999 रूपये में उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए आप राजकमल प्रकाशन को फोन (011-23288769 ) पर अपना ऑर्डर बुक करा सकते हैं।


रचनाकार परिचय : राजकमल चौधरी
राजकमल चौधरी का जन्म अपने ननिहाल रामपुर हवेली में 13-12-1929 को तथा निधन राजेन्द्र सर्जिकल वार्ड,पटना में 19-06-1967 को हुआ। उनका पितृग्राम महिषी, जिला-सहरसा ( बिहार ) है। बी.कॉम. तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुछ दिनों तक पटना सचिवालय में क्लर्की की, पर वहाँ मन रमा नहीं। नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्र लेखन में लग गए। 

प्रकाशित कृतियाँ हैं :मछली मरी हुई, नदी बहती थी, ताश के पत्तों का शहर, शहर था शहर नहीं था, अग्निस्नान,बीस रानियों के बाइस्कोप, देहगाथा (सुनो ब्रजनारी), एक अनार एक बीमार, आदिकथा, आन्दोलन, पाथर फूल (उपन्यास), कंकावती, मुक्ति-प्रसंग, स्वरगन्धा, ऑडिट रिपोर्ट, विचित्र ( कविता-संग्रह ), मछली जाल, सामुद्रिक एवं अन्य कहानियाँ, प्रतिनिधि कहानियाँ : राजकमल चौधरी, पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ, रा.क.चौ. की चुनी हुई कहानियाँ, बन्द कमरे में कब्रगाह, राजकमल चौधरी : संकलित कहानियाँ, खरीद बिक्री, साँझक गाछ ( कहानी-संग्रह ),शवयात्रा के बाद देहशुद्धि, बर्फ और सफेद कब्र पर एक फूल ( निबन्ध-नाटक-संग्रह ) के अलावा शताधिक कहानियाँ, निबन्ध आदि मैथिली तथा हिन्दी में प्रकाशित। कई रेडियो रूपक और नाटक भी प्रकाशित, प्रसारित। फुटकर रचनाओं की कई पुस्तकें प्रकाशित।

संपादक परिचय : देवशंकर नवीन
देवशंकर नवीन का जन्म 2 अगस्त, 1962 को मोहनपुर, जिला सहरसा ( बिहार ) में हुआ। एम.ए., पी-एच.डी. 
( हिन्दी, मैथिली ), एम.एस-सी. ( भौतिकी ), पी.जी. डिप्लोमा ( पुस्तक प्रकाशन, अनुवाद ) की उपाधियाँ देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से प्राप्त कीं। जी.एल.ए. कॉलेज,डालटनगंज, में छह वर्षों तक अध्यापन किया। मार्च 1993 से फरवरी 2009 तक नेशनल बुक ट्रस्ट के सम्पादकीय विभाग में कार्यरत रहे। फरवरी 2009 से मई 2014 तक अनुवाद अध्ययन एवं प्रशिक्षण विद्यापीठ, इग्नू में अध्यापन किया। फिलहाल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। प्रकाशित कृतियाँ हैं : जमाना बदल गया, पहचान, सोना बाबू का यार (कहानी), अभिधा, चानन-काजर, ओ ना मा सी (कविता), हाथी चलए बजार, राजकमल चौधरी का रचनाकर्म, आधुनिक मैथिली साहित्यिक परिदृश्य, मैथिली साहित्य : दशा दिशा सन्दर्भ, राजकमल चौधरी : जीवन एवं सृजन आदि (आलोचना)। सम्पादित—प्रतिनिधि कहानियाँ : राजकमल चौधरी, रा.क.चौ. की चुनी हुई कहानियाँ, अग्निस्नान एवं अन्य उपन्यास, बन्द कमरे में कब्रगाह, पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ, बर्फ और सफेद कब्र पर एक फूल, विचित्र, ऑडिट रिपोर्ट, सांझक गाछ, उत्तर आधुनिकता : कुछ विचार (आलोचना)। मैथिली-हिन्दी की समस्त पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित एवं अंग्रेजी सहित कई अन्य भारतीय भाषाओं में रचनाएँ  अनुवादित।

भाजपा सांसद अश्विनी चौबे ने सोनिया को 'पूतना'कहा

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बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अभी देरी हो, लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की जुबान अभी से फिसलने लगी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को तीन उपाधियों से नवाजा- 'इटली की गुड़िया', 'जहर की पुड़िया'और 'पूतना'। वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को उन्होंने 'तोता'कहा। नवादा के रजौली में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बिहार के पूर्व मंत्री चौबे ने नाम लिए बगैर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की दोस्ती पर कटाक्ष करते हुए कहा, "बड़े और छोटे भाई पूतना की गोद में बैठकर जहर पीने के लिए छटपटा रहे हैं।" 

गुरुवार की देर शाम उन्होंने लालू प्रसाद और नीतीश को 'रंगा-बिल्ला'बताते हुए कहा कि ये दोनों भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए एक हुए हैं। हालांकि यह बात जगजाहिर है, लालू खुद कहते रहे हैं कि भाजपा को रोकने के लिए उन्हें जहर भी पीना पड़े, तो वह इसके लिए तैयार हैं। सांसद चौबे ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 'तोता'उपाधि से नवाजा है। 

बिहार के ही सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अप्रैल महीने में हाजीपुर में सोनिया गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि अगर सोनिया गोरी चमड़ी वाली नहीं रहतीं तो न तो राजीव गांधी उससे ब्याह करते और न ही कांग्रेस उन्हें अध्यक्ष के रूप में स्वीकार करती। नरेंद्र मोदी के मंत्री गिरिराज ने इस नस्लवादी और रंगभेद वाली आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए हालांकि बाद में खेद प्रकट किया था। अश्विनी चौबे के बयान पर बिहार कांग्रेस ने शुक्रवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे बयान आपत्तिजनक हैं।  बिहार प्रदेश कांग्रस के अध्यक्ष अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि ऐसी बातें कहना का संस्कार भाजपा के नेताओं में शुरू से ही है। ऐसे बयानों का राजनीति में कोई स्थान नहीं है। ऐसे बयानों की जितनी निंदा की जाए, कम है। 

विशेष : राष्ट्र के कामकाज और व्यवहार की भाषा ही देश की भाषा हो

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जातीय अर्थात राष्ट्रीय उत्थान और सुरक्षा के लिये किसी भी देश की भाषा वही होना श्रेयस्कर होता है,जो जाति अर्थात राष्ट्र के कामकाज और व्यवहार की भाषा होl समाज की बोल-चाल की भाषा का प्रश्न पृथक् हैlजातीय  सुरक्षा हेतु व्यक्तियों के नामों में समानता अर्थात उनके स्त्रोत में समानता होने या यों कहें कि नाम संस्कृत भाषा अथवा ऐतिहासिक पुरुषों एवं घटनाओं और जातीय उपलब्धियों से ही सम्बंधित होने का सम्बन्ध समस्त हिन्दू समाज से है, चाहे वह भारतवर्ष में रहने वाला हिन्दू हो अथवा किसी अन्य देश में रहने वाला होlहिन्दू समाज किसी देश अथवा भूखण्ड तक सीमित नहीं है वरन यह भौगोलिक सीमाओं को पार कर वैश्विक समाज बन गया है lइस कारण समाज की भाषा,नित्यप्रति के व्यवहार का माध्यम तो अपने-अपने देश की भाषा ही होनी चाहिये और होगी और अपने समाज का साहित्य और इतिहास उस देश की भाषा में अनूदित करने का प्रयत्न करना चाहिये, ताकि भावी पीढ़ी अपने मूल भारतीय समाज से कट कर रह न जायेl जातीय भाषा उस देश की भाषा ही होनी चाहिये जिस देश में समाज के घटक निवास करते होंlयद्यपि यह निर्विवाद सत्य है कि संस्कृत भाषा और इसकी लिपि देवनागरी सरलतम और पूर्णतः वैज्ञानिक हैं और यह भी सत्य है कि यदि मानव समाज कभी समस्त भूमण्डल की एक भाषा के निर्माण का विचार करेगी तो उस विचार में संस्कृत भाषा और देवनागरी लिपि अपने-अपने अधिकार से ही स्वतः स्वीकृत हो जायेंगीlजैसे किसी भी व्यवहार का प्रचलित होना उसके सबके द्वारा स्वीकृत किया जाना एक प्रबल युक्ति हैlइस पर भी व्यवहार की शुद्धता,सरलता और सुगमता उसके स्वीकार किये जाने में प्रबल युक्ति हैlसंसार कि वर्तमान परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न देशों में रहते हुए भी हिन्दू समाज अपने-अपने देश की भाषा को अपनी देश मानेंगे और भारतवर्ष के हिन्दू समाज का यह कर्तव्य है कि अपना मूल साहित्य वहाँ के लोगों से मिल कर उन देशों की भाषा में अनुदित कराएं जिन-जिन देशों में हिन्दू-संस्कृति के मानने वाले लोग रहते हैंl

समस्त संसार की एकमात्र भाषा व उसकी लिपि का प्रश्न तो अभी भविष्य के गर्भ में है, जब कभी इस प्रकार का प्रश्न उपस्थित होगा तब संस्कृत भाषा व देवनागरी लिपि का दावा प्रस्तुत किया जायेगा और भाषा के रूप में संस्कृत भाषा और देवनागरी लिपि अपनी योग्यता के आधार पर विचारणीय और अन्ततः सर्वस्वीकार्य होगीl जहाँ तक हमारे देश भारतवर्ष का सम्बन्ध है यह प्रश्न इतना जटिल नहीं जितना कि संसार के अन्य देशों में हैlभारतवर्ष की सोलह राजकीय भाषाएँ हैंlइन भाषाओँ में परस्पर किसी प्रकार का विवाद भी नहीं हैlहिन्दी के समर्थकों ने कभी भी यह दावा नहीं किया कि किसी क्षेत्रीय भाषा के स्थान पर उसका प्रचलन किया जाये,ना ही कभी इस बात पर विवाद हुआ कि किसी क्षेत्रीय भाषा को भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा बनाने में बाधा उत्पन्न की जायेlस्वराज्य के आरम्भिक काल में किसी मूर्ख हिन्दी भाषी श्रोत्ता ने किसी के तमिल अथवा बँगला बोलने पर आपत्ति की होगी,यह उसके ज्ञान की शून्यता और बुद्धि की दुर्बलता के कारण हुआ होगाlहिन्दी का किसी भी क्षेत्रीय भाषा से न कभी किसी प्रकार का विवाद रहा है और न ही अब हैlवास्तविक विवाद तो अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के मध्य है, और यह विवाद इंडियन नॅशनल काँग्रेस की देन हैlजब १८८५ में मुम्बई तत्कालीन बम्बई में काँग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ था तब उसमें ही यह कहा गया था कि इस संस्था की कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में हुआ करेगीlउस समय इसका कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि उस काँग्रेसी समाज में केवल अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोग ही थेlवहाँ कॉलेज अर्थात महाविद्यालय अथवा विश्वविद्यालयों के स्नात्तकों के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं थाl न ही इस संस्था को किसी प्रकार का सार्वजनिक मंच बनाने का ही विचार थाl और न ही उस समय कोई यह सोच भी सकता था कि कभी भारवर्ष से ब्रिटिश साम्राज्य का सफाया भी होगाlकारण चाहे कुछ भी रहा हो किन्तु यह निश्चित है कि तब से ही अंग्रेजी की महिमा बढती रही है और यह निरन्तर बढती ही जा रही हैlबाल गंगाधर तिलक ने दक्षिण में और आर्य समाज ने उत्तर में इसका विरोध किया,परन्तु आर्य समाज का विरोध तो १९०७ में जब ब्रिटिश सरकार का कुठाराघात हुआ तो धीमा पड़ गया और बाल गंगाधर तिलक के आन्दोलनकी समाप्ति उनके पकड़े जाने और छः वर्ष तक बन्दी-गृह में बन्द रहकर गुजारने के कारण हुयीlजहाँ तिलक जी बन्दी-गृह से मुक्त होने के उपरान्तमोहन दास करमचन्द गाँधी की ख्याति का विरोध नहीं कर सके वहाँ आर्य समाज भी गाँधी के आंदोलन के सम्मुख नत हो गयाlगाँधी प्रत्यक्ष में तो सार्वजनिक नेता थे,परन्तु उन्होंने अपने और काँग्रेस के आंदोलन की जिम्मेदारी अर्थात लीडरी अंग्रेजी पढ़े-लिखे के हाथ में ही रखने का भरसक प्रयत्न कियाlपरिणाम यह हुआ कि काँग्रेस की जन्म के समय की नीति कि अंग्रेजी ही उनके आंदोलन की भाषा होगी,स्थिर रही और वही आज तक भी बिना विरोध के अनवरत चली आ रही हैl


स्वाधीनता आन्दोलनके इतिहास की जानकारी रखने वालों के अनुसार १९२०-२१ में जवाहर लाल नेहरु की प्रतिष्ठा गाँधी जी के मन में इसी कारण थी कि काँग्रेस के प्रस्तावों को वे अंग्रेजी भाषा में भली-भान्ति व्यक्त कर सकते थेlकालान्तर में तो नेहरु ही काँग्रेस के सर्वेसर्वा हो गये थे,किन्तु यह सम्भव तभी हो पाया था जबकि गाँधी ने आरम्भ में अपने कन्धे पर बैठाकर उनको प्रतिष्ठित करने में सहायता की थीlनेहरु तो मन से ही अंग्रेजी के भक्त थे और अंग्रेजी पढ़े-लिखों में उन्हें अंग्रेजी का अच्छा लेखक माना जाता थाlउनका सम्बन्ध भी अंग्रेजीदाँ लोगों से ही अधिक थाl१९२० से लेकर १९४७ तक गाँधीजी ने प्रयास करके नेहरु को काँग्रेस की सबसे पिछली पंक्ति से लाकर ना केवल प्रथम पंक्ति में बिठा दिया,अपितु उनको काँग्रेस का मंच भी सौंप दिया सन १९२० में जब पँजाबमें मार्शल लॉ लागू किया गया था तो काँग्रेस ने इसके लिये एक उप-समिति का गठन किया थाlउस समय एक बैठक में जवाहर लाल नेहरु की विचित्र स्थिति थेlलाहौर में नकेल की हवेली में जवाहर लाल नेहरु का भाषण आयोजित किया गया थाlउस समय नेहरु की करिश्माई व्यक्तित्व और वाकपटुता की ऊँचाई की स्थिति यह थी कि नेहरु को सुनने के लिये पन्द्रह-बीस से अधिक श्रोतागण वहाँ पर उपस्थित नहीं थेlसन १९२९ में लखनऊ के गंगाप्रसाद हॉल में काँग्रेस कमिटी का अधिवेशन हो रहा थाlउस बैठक के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरु थेlउसी वर्ष लाहौर में सम्पन्न होने वाले काँग्रेस के अधिवेशन के लिये अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाना था,उसके लिये मोहनदास करमचंद गाँधी और डाक्टर पट्टाभि सितारामैय्या के नाम थेlसितारामैय्या ने गाँधी के पक्ष में अपना नाम वापस ले लियाlऐसी सबको आशा थी और ऐसा सर्वसम्मत निर्णय माना  जा रहा था कि अध्यक्ष पद के लिये गाँधी के नाम की घोषणा हो जायेगी,परन्तु तभी कुछ विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गयीlपहले तो कानाफूसी होती रही और फिर जब घोषणा करने का समय आया तो उससे कुछ ही क्षण पूर्व गाँधी और मोतीलाल नेहरु मंच से उठकर बराबर वाले कमरे में विचार-विमर्श करने के लिये चले गयेlपाँच-दस मिनट वहाँ मंत्रणा के उपरान्त जब दोनों वापस आये और अधिवेशन के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरु ने घोषणा करते हुए कहा कि गाँधी जी ने जवाहर लाल नेहरु के पक्ष में अपना नाम वापस ले लिया हैlइस प्रकार लाहौर काँग्रेस के अध्यक्ष पद के लिये जवाहर लाल नेहरु के नाम की घोषणा हो गयीlअधिवेशन में उपस्थित सभी सदस्य और दर्शक यह सुन अवाक रह गयेlकुछ मिनट तो इस घोषणा का अर्थ समझने में ही लग गये और जब बात समझ में आयी तो तब किसी ने ताली बजायी और फिर सबने उसका अनुकरण कियाlवहाँ से उठने पर कानाफूसी होने लगी कि यहाँ जवाहर लाल का नाम किस प्रकार आ गया?कसीस ने कहा कि कदाचित एक भी मत उसके पक्ष में नहीं थाl 
इसी प्रकार सन १९३६ की लखनऊ काँग्रेस के अवसर पर गाँधीजी के आग्रह पर ही जवाहर लाल नेहरु को काँग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया थाlइसकी पुंरावृत्ति सन १९४६ में भी हुयी थीlउस समय किसी भी प्रांतीय कमिटी की ओर से जवाहर लाल के नाम का प्रस्ताव नहीं आया था,तदपि गाँधी के आग्रह पर श्री कृपलानी की कूटनीति के कारण जवाहर लाल नेहरु को काँग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और फिर संयोग से भारतवर्ष विभाजन के पश्चात उन्हीं को भारतवर्ष का प्रधानमंत्री बनाया गयाlइस प्रकार स्पष्ट है कि गाँधी तो स्वयं हिन्दी के समर्थक थे,किन्तु सन १९२० से आरम्भ कर अपने अन्तिम क्षण तक वे अंग्रेजी भक्त नेहरु का ही समर्थन करते रहे थे,और जवाहरलाल का भरसक प्रयत्न था कि अंग्रेजी यहाँ की राष्ट्रभाषा बन जायेlइस प्रकार यह ऐतिहासिक सत्य है कि अपने आरम्भ से लेकर अन्त तक काँग्रेस हिन्दी को भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा बनने नहीं देना चाहती थीlउसका कारण यह नहीं था कि क्षेत्रीय भाषायें हिन्दी का विरोध करती थीं या करती हैंlभारतवर्ष विभाजन के पश्चात केन्द्र व अधिकाँश राज्यों में सर्वाधिक समय तक काँग्रेस ही सत्ता में रही है और उसने निरन्तर अंग्रेजी की ही सहायता की है,उसका ही प्रचार-प्रसार किया हैlवर्तमान में भी हिन्दी का विरोध किसी क्षेत्रीय भाषा के कारण नहीं वरन गुलामी का प्रतीक अंग्रेजी के पक्ष के कारण किया जा रहा हैlऐसे में स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि इस देश की भाषा वही होगी जो देश की बहुसंख्यक हिन्दू समाज की भाषा होगी अथवा कि उसके स्थान पर बैठी अंग्रेजी ही वह स्थान ले लेगी?लक्षण तो शुभ नहीं दिखलायी देते क्योंकि १८८५ में स्थापित काँग्रेस ने स्वयं तो बिना संघर्ष के मजे का जीवन जिया है, और जहाँ तक भाषा का सम्बन्ध है,काँग्रेस सदा ही अंग्रेजी के पक्ष में रही हैlइसमें काँग्रेस के नेताओं का भी किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है,हिन्दी के समर्थक ही इसके लिये दोषी हैंlस्पष्ट रूप से कहा जाये तो देश का बहुसंख्यक समाज इसके लिये दोषी हैlआज तक बहुसंख्यक हिन्दू समाज के नेता रहे हैं कि राज्य के विरोध करने पर भी हिन्दू समाज के आधारभूत सिद्धान्तों का चलन होता रहेगाl

काँग्रेस हिन्दू संस्था नहीं है वर्ण यह कहा जाये कि अपने आधारभूत सिद्धान्तों काँग्रेस हिन्दू विचारधारा का विरोध करने वाली संस्था है तो किसी प्रकार की कोई अतिशयोक्ति नहीं होगीlकाँग्रेस न केवल अंग्रेजियत को ही अपना कंठाभरण बनाये हुए है अपितु यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की शिक्षा के आधार पर ईसाईयत के प्रचार को भी पाना कंठाभरण बनाये हुए हैlइस मानसिकता को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की मानसिकता का नाम दिय जाता है,क्योंकि इस यूनिवर्सिटी की स्थापना ही ईसाईयत के प्रचार के लिये ही की गयी थीlअधिकांश समय तक सत्ता में बैठी भारतवर्ष के काँग्रेस सरकार की मानसिकता यही रही है और इसके लिये जवाहरलाल नेहरु और नेहरु खानदान का काँग्रेस पर वर्चस्व ही मुख्य कारण हैlजवाहर लाल नेहरु की मानसिकता वही थीl

किसी भी प्रकार शिक्षा सरकारी हाथों में नहीं रहनी चाहियेlस्वाभाविक रूप में शिक्षा उअर फिर भाषा का प्रश्न राजनीतिक लोगों के हाथों से निकलकर शिक्षाविदों के हाथ में आ जाना चाहियेlशिक्षा का माध्यम जन साधारण की भाषा होनी चाहियेlविभिन्न प्रदेशों में यह क्षेत्रीय भाषाओँ में दी जानी चाहियेlऐसी परिस्थिति में हिन्दी और हिन्दू-संस्कृति का प्रचार-प्रसार क्षेत्रीय भाषाओँ का उत्तरदायित्व हो जायेगाlअपने क्षेत्र में हिन्दी भी ज्ञान-विज्ञान की वाहिका बन जायेगीlभारतीय संस्कृति अर्थात हिन्दू समाज का प्रचार क्षेत्रीय भाषाओँ के माध्यम से किया जाना अत्युत्तम सिद्ध होगाlशिक्षा का माध्यम क्षेत्रीय भाषा होlसरकारी कामकाज भी विभिन्न क्षेत्रों में उनकी क्षेत्रीय भाषा में ही होनी चाहियेlअंग्रेजी अवैज्ञानिक भाषा है और इसकी लिपि भी पूर्ण नहीं अपितु पंगु हैlक्षेत्रीय भाषाओँ के पनपने से यह स्वतः ही पिछड़ जायेगी अंग्रेजी के विरोध का कारण यह है कि अंग्रेजी का साहित्य संस्कृत उअर वैदिक साहित्य की तुलना में किसी महत्व का नहीं हैlहिन्दू मान्यताओं की भली-भान्ति विस्तार सहित व्याख्या कदाचित अंग्रेजी में उस सुन्दरता से हो भी नहीं सकती जिस प्रकार की संस्कृत में की जा सकती हैlसंस्कृत भाषा में वर्णित उद्गारों अथवा भावों का प्रकटीकरण हिन्दी में बड़ी सुगमता से किया जा सकता हैlइसके अतिरिक्त हिन्दी का अगला पग संस्कृत ही है कोई अन्य भाषा नहींlसंस्कृत के उपरान्त वेद भाषा उसका अगला पग हैlअतः भारतीय अर्थात बहुसंख्यक हिन्दू सुरक्षा का प्रश्न पूर्ण रूप से भाषा के साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि मानव मनके उत्थान के लिये हिन्दी और संस्कृत भाषा में अतुल साहित्य भण्डार विद्यमान हैl


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अशोक “प्रवृद्ध”
गुमला 
झारखण्ड 

आलेख : प्रजातंत्र की सुरक्षा, पुलिस कार्य प्रणाली पर निर्भर है..?

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पुलिस का सीधा अर्थ सुरक्षा ऐजेन्षी से है । किसी भी देष की समाज की सुरक्षा केलिए समाज से ही  प्रजातंत्र की रक्षा व जनता के न्याय केलिए कानून का पालन कराने केलिए जो दायित्व विभाग को दिया जाता है उसे हमे पुलिस बिभाग कहते हैं । पुलिस की परिभाषा अलग-अलग राष्ट्र में अपने तरह से की गई हैं । हमारे भारत में पुलिस तीन भागों में विभाजित की गई हैं । एक पुलिस बर्दी आर्मी सेना से हैं जो समूचे देष की सुरक्षा केलिए रहती हैं । आर्मी सैना भी तीन तरह से हैं जल सेना, थल सेना , नभ सेना, इनका कार्य भी अगल अगल हैं सेना का कार्य देष की सुरक्षा, आपत काल संकट में मदद करना, आंतकवाद आदि से निपटने केलिए सेना की ही मदद ली जाती है । दूसरी पुलिस की बर्दी राज्य सरकारों के आधीन रहती हैं जिसमें पुलिस आरक्षक , बरिष्ठ पुलिस आरक्षक, प्रधान आरक्षक सहायक पुलिस उप निरीक्षक, उप निरीक्षक, निरीक्षक, सीओ,, डी एस पी, , एस0डी ओ पी,, सी एस पी, , ए,एस,पी, एस,पी,, पुलिस उप-महानिरीक्षक महानिरीक्षक , उप महानिर्देषक, महानिर्देषक के पद बनाये गये हैं । यह सभी कार्य गृह सचिव, गृह मंत्री के अधिकार क्षेत्र में आते है । तीसरा राज्य सरकार एस, एफ, टाॅक्स र्फोस, होमगार्ड  आदि बिषेष पुलिस बल आता हैं । लेकिन हम यही कहेगें कि पुलिस की वर्दी का रंग व कार्य बदल सकता हैं लेकिन लगभग सभी का दायित्य या कार्य देष रक्षा, समाज सुरक्षा, अन्याय, अत्याचार, अपराधों को रोकना, कानून का पालन करना एवं कराना  आम आदमी पुलिस से सुरक्षा व न्याय की आषा करता हैं ।  पुलिस की बर्दी से ही प्रजातंत्र की रक्षा संभव हैं । 

यदि पुलिस ईमानदार, निष्पक्ष, लगनषील हैं तो उस देष की छबि बिष्व में अपनी पहचान होती है । चाहे राजतंत्र रहा है या प्रजातंत्र बिना पुलिस का हमारा कोई इतिहास नही है ं इसलिए पुलिस की छबि पर ही एक तंत्र एवं प्रजातंत्र की बास्तविक कल्पना की जा रही है ।  षासन हो या प्रषासक वह कितना ही ईमानदार, लगनषील, कर्तव्य निष्ठा व योग्य हो लेकिन उसकी सेना सुरक्षा में बिष्वास की कमी हैं तो उस ष्षासक का कार्य अल्प काल के लिए ही कहा जा सकता है । पुलिस की परिभाषा में हर नागरिक का न्याय छुपा रहता है ।

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पुलिस घर, परिवार, समाज, प्रान्त, देष की सुरक्षा केलिए स्थापित की जाती हैं पुलिस का दायित्य है कि वह अपनी छबि बनाने रखने केलिए जो भी सैनिक नौकरी करने के साथ ष्षपथ लेता है उसे अपनी ष्षपथ का ही स्मरण रखना चाहिये ंउसी ष्षपथ के अनुसार ही कर्तव्य का पालन करना चाहिये  ।   पुलिस की ष्षपथ से बड़ी कोई अन्य ष्षपथ नही होनी चाहिये ।  पुलिस की बदी पहिनने के बाद उसका कर्तव्य, उसका धर्म , उसका जीवन देष की सुरक्षा समाज की रक्षा, अन्याय, अत्याचार, अपराध करने बालों को सजा दिलाने केलिए लगातार प्रयासरत रहना ही जीवन होना चाहिये ।  पुलिस के एक सिपाही  से लेकर पुलिस का सर्वोच्यपद पुलिस ही कही जाती हैं ।  पुलिस कानून की रक्षा करती और कराती है । प्रषासन तंत्र , प्रजातंत्र की रीढ़ की हड्डी कह सकते है । आम जनता से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक की सुरक्षा की जुम्मेदारी पुलिस पर होती है । पुलिस एक भरोसा व विष्वास है ।  जनता की सुरक्षा पुलिस पर ही रहता है । पुलिस अनेक नामों से जानी जाती है । देष की सुरक्षा के लिए आर्मी , बिषेषषस्त्र बल , कंपनीओं में भी विभाजित हुआ करती है । कानून का पालन कराने एवं करने केलिए पुलिस होती है , यदि पुलिस कर्मचारी भृष्टाचार करते है, कानून की आड़ में ब्लक मेल करने वाले या अपराधिओं को बढ़ावा देने वाले, अपराधिओं से साॅठ गाॅठ कर अपराधों में संलग्न पुलिस कर्मचारी देष द्रोही कहे जाते है । इसलिए पुलिस की विष्वसनीयता एवं बर्दी की बेदाग छवि से ही प्रजातंत्र एवं ष्षासन तंत्र की छवि बनती है । 
               
इसलिए पुलिस बर्दी पर ही हमारे देष व राष्ट्र का न्याय टिका रहता हैं ।  पुलिस को अपनी बर्दी का ध्यान रख ही कार्य करना चाहिीये ।  न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के आदेष का पालन करना कानून की रक्षा करना, कानून का पालन करना समाज में ऐसे अनेक प्रकरण आते है जो अपराध की जड़ जमाते है इसलिए हर सिपाही को अपराध के पौधा उगने के पूर्व उसको जड़ से ऊखाड़ कर फेंकना ही कर्तव्य निष्ठता हैं ।  हमारे भारतीय संबिधान में जो पुलिस को अधिकार दिये हैं उसका उपयोग निष्पक्ष रूप से पालन करना चाहिये ।  किसी भी निर्दोष को अपराध में फंसाया नही जाना चाहिये व दोषी को बचाना नही चाहिये । यही न्याय है ।  न्याय दिलाने केलिए ही पुलिस की स्थापना हुई हैं । पुलिस के बिना कोई भी समाज की कल्पना नही की जा सकती है । जब तक मानव के नियंत्रण केलिए कोई भय न हो वही नियंत्रण में नही रह सकता है । इसलिए भय के लिए कानून में पुलिस की स्थापना हैं । पुलिस का दायित्य है कि वह पुलिस बर्दी की इज्जत , ईमानदारी व कर्तव्य निष्ठा केलिए जितना अधिक कार्य कर सकें पुलिस कर्मचारियों को करना चाहिये । पुलिस का दायित्य है कि आम जनता की छोटी से छोटी षिकायत या सूचना  यदि उसके पास आती हैं पुलिस को तुरन्त उस पर कार्यावाही एवं जाॅच करनी चाहिये ,अन्यथा छोटी छोटी सी  घटनायें ही संगीन अपराधों को जन्म देती है । 
अपराध की जड़ यदि हम इस प्रकार से कहें कि जुआ, नषा,ष्षराब, इष्कवाजी, दूसरे की संपत्ति पर अनाधिकृत कब्जा या फिरोती से ही ष्षुरू होते है । जो आगे चलके बहुत खतरनाक अपराध हो जाते हैं इसलिए पुलिस का भय आम अपराधी पर होना चाहिये ।  यदि पुलिस का भय रहेगा तो आम अपराधी कोई भी अपराध करने के पूर्व  संबंधित थाना प्रभारी, पुलिस अधीक्षक की कार्यप्राणाली पर बिचार करता है । जो बदले की भावना से अपराध होते हैं उन्हे पुलिस कभी नही रोक सकती हैं क्योकि बदले की भावना से जो अपराध अक्रोष व क्रोध की अग्नि के कारण होते हैं । ऐसे अपराध तो सृष्टि से होते आ रहे हैं और होते रहेगें । बदले की भावना से होने बाले अपराधों को परिवार व समाज के लोग ही रोकने में सफल हो सकते हैं । जब कोई दुष्मनी हो जाती है तो उसे समाज परिवार व रिष्तेदार बैठकर ही समस्या का समाधान निकाल पाते है ।  लेकिन सामान्य अपराध , समाज बिरोधी असामाजिक तत्व करते हैं उन पर पुलिस पूरी तरह भी नियंत्रण प्राप्त कर सकती है । यदि कोई अपराधी , लूट , डकैती , हत्या , बालात्कार, दुराचार, अपहरण, फिरौती ,राहजनी आतंतकवाद, देषद्रोह करते हैं ऐसे अपराधिओं को कठोरतम दंड मिलना चाहिये तथा आदतन अपराध करने बालों को न्यायालय से फाॅसी दिलाना चाहिये  या पुलिस को गोली से उड़ा देना ही समाज हित में होता है । पुलिस यदि न्याय दिलाने में सक्षम नही होगी तो समाज व देष एकतंत्र प्रषासन हो जायेगा । पुलिस की कार्यप्राणाली व उनकी कार्यक्षमता से ही जनता सुख चैन की नींद ले पाती है । भारत सरकार एवं प्रदेष सरकारें समय समय पर पुलिस कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करती है, करना भी चाहिए । प्रजातंत्र के चारों स्तंभ विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, प्रेस पुलिस नियमों को बिषेष अधिकार देकर न्याय की आषा करता है । पुलिस जहां आम नागरिकों की खंुषी है वही अपराधिक एवं अपराधियों की दुष्मन होती है । मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता एवं स्वतंत्र समाज की कल्पना पुलिस की कार्यप्राणाली पर निर्भर है । पुलिस विभाग में पदस्थ आरक्षक सिपाही से लेकर पुलिस महानिर्देषक के पद पर जो भी व्यक्ति पदस्थ होते है या किए जाते है उनकी मानसिक स्थिति देष प्रेम व समाज सुरक्षा की होती है । पुलिस कर्मचारियों के लिए सरकारें समय समय पर उनकी आवष्यकताओं की पूर्ति करती है तथा उन्हे सम्मान प्रदान करती है उनके परिवारों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है । पुलिस कर्मचारियों के मधुर व्यवहार के कारण ही पुलिस के लिए मुखबिर के रूप में जनता कार्य करती है ।  पुलिस की सफलता का राज प्रषासनिक तंत्र के साथ साथ मुखबिर तंत्र अधिक सक्रिय भूमिका का निर्वाहन कर समाज में ष्षाॅति सदभाव व अमन चैन लाने में सहायक होते है ।  कभी कभी कुछ पुलिस कर्मचारी आत्याचार, आंतक एवं अन्याय करने लगती है तो जनता को मजबूरी में पुलिस को सबक सिखाने केलिए कानून को अपने हाथ में लेना पड़ता है ।  पुलिस कर्मचारियों एवं अधिकारियों में जनता के बीच प्रेम, भाई चारा, सदभावना, दया भाव एवं आपसी समझौता जैसे विचारों को भी कानून से हटकर समाज में ष्षाॅति बनाये रखने केलिए स्थान देना पड़ते है ।  हमारे आपके परिवार के सदस्य ही पुलिस कर्मचारी अधिकारी होते है इसलिए पुलिस से भय नही सहयोग की भावना से सहयोग करना चाहिए । 
   
आम आदमी को चाहिये कि वह स्वयं कोई अपराध न करें और दूसरे को उस्काने का कार्य भी न करें । हमें मालूम होना चाहिये कि भारतीय संबिधान में ऐसा प्रावधान बनाया गया है कि अपराध करने उसकाने बाले से बड़ा अपराध की भूमिका बनाने  बाला बड़ा अपराधी माना गया है ।  यदि कोइ अपराध करता है तो उसकी सूचना  पुलिस तंत्र को किसी न किसी रूप से देना चाहिये । पुलिस को सूचना देने केलिए दूरभाष, मोबाईल, डाक पत्र से दे सकते है । यदि कोई गम्भीर प्रकरण हो गया है और आपकी जानकारी में है तो समाज व राष्ट्रहित में सही सूचना एवं तथ्यो के साथ गोपनीय पत्र के व्दारा किसी पुलिस के बरिष्ठ अधिकारी को भी दी जा सकती है ।  पुलिस विभाग सभी तरह की सूचनाओं पर गौर करता है और पूरी निष्पक्षता से जाॅच भी कराता है ।   समाज एवं पुलिस के बीच तालमेल भी होना आवष्यक है । समाज में पुलिस की छबि स्वच्छ रहे , पुलिस अधिकारी मिलनसार होने के कारण आमद नागरिक पुलिस की मदद केलिए तैयार रहते है ।  यदि कोई पुलिस कर्मचारी रिष्वतलेकर अपराधी को छोड़ देता है तो लोगों को पुलिस कार्यावाही में बिष्वास नही रहता है इसलिए अपराध करने बाले को ष्षारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं कानूनी दण्ड देना पुलिस की जुम्मेदारी हैं । हमारे देष के नौ जवान सैनिक व पुलिस कर्मचारियांें को समय समय पर समाज के लोगों को सम्मान व नागरिक अभिनंदन करना चाहिये । अच्छे कार्य करने बाले सैनिकों , नौ जवानों, पुलिस कर्मचारियों का सम्मान करने से आत्मषक्ति को बल मिलता है और सम्मान के कारण ही वह अपने जीवन को हम आप की सुरक्षा केलिए बलिदान के रूप में ष्षहीद होने केलिए हमेषा तैयार रहते है ।   भारतीय पत्रकारिता को चाहिये कि वह ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा व न्याय प्रदान कराने बालें पुलिस कर्मचारियों अधिकारियों को समय समय पर अपनी कलम के व्दारा सम्मान देते रहे तो पुलिस कर्मचारियों के होसले बुलन्द होते है ं । कर्तव्य निष्ठा एवं ईमानदारी, समाज की सेवा करने वाले तथा कानून का पालन कराने वाले पुलिस कर्मचारियों को प्रषासन तंत्र व्दारा भी सम्मानित किया जाता है । 

                                                           


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लेखक:  संतोष गंगेले  
प्रान्तीय अध्यक्ष प्रेस क्लब मध्य प्रदेश 

विशेष आलेख : स्वस्थ तन और मन के लिए ज़रूरी है योग

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आधुनिक युग में योग का महत्व काफी बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। इसलिए मनुश्य को आज योग की ज़्यादा आवष्यकता है, जबकि मन और षरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूशण और भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है। योग से षरीर, मन और आत्मा को षांति मिलती है। मानसिक तनावों से जर्जर होता मनुश्य संतोश और आनंद की तलाष में इधर-उधर भटक रहा है। मनुश्य षांति के लिए उतावला हो रहा है। वह अपने जीवन बगिया के आसपास के स्वार्थ, क्रोध, कटुता, इश्र्या, घृणा आदि कांटों को दूर कर देना चाहता है। निष्चित रूप से योग इसमें काफी मददगार साबित हो रहा है। योग के बारे में योग गुरू का कहना कितना सही है-‘‘जो रोज़ करेगा योग, उसे नहीं होगा कोई रोग।’’ योग न केवल षारीरिक क्रियाओं को सही करता है वरन यह आध्यात्मिक विकास में भी सहायक है। 
           
हमारे पुराणों में भी योग का जि़क्र मिल जाता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी योग के महत्व को बहुत अच्छी तरह समझते हैं। इस बार पहली बार 21 जून को अंतरराश्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इसकी पहल उन्होंने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राश्ट्र में अपने भाशण में रखकर की थी। इसके बाद 21 जून को ‘‘अंतरराश्ट्रीय योग दिवस’’ घोशित कर दिया गया। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राश्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘अंतरराश्ट्रीय योग दिवस’’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुतमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राश्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।
            
योगा करने से कई बीमारियां खत्म हो जाती हैं और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर लोगों को अनिद्रा की षिकायत हो जाती है। अनिद्रा की स्थिति में योगनिद्रा अपनाने से बहुत फायदा होता है। यह न सिर्फ सुकून भरी नींद देती है बल्कि इससे कई बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है। पेट का कब्ज़ कई बीमारियों की जड़ है। योगमुद्रासन एक ऐसा योग है जो पेट के कब्ज़ से छुटकारा दिलाने में काफी मददगार है। कहा जाता है कि बीमारियों की षुरूआत पेट से होती है और यह मुद्रा कब्ज़ से राहत दिलाने का आसान उपाय है। योग करने से कैंसर के रोगियों को काफी अच्छी नींद आती है। षरीर में ऊर्जा का संचार होता है। यह दावा अमेरिका में हुए एक षोध में किया गया है। न्यूयार्क में यूनिवर्सिटी आफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के षोधकर्ताओं ने 4 सौ से अधिक कैंसर रोगियों पर यह षोध किया। इन मरीज़ों को दो समूह में बांटा गया। एक समूह को एक महीने के लिए सप्ताह में दो बार योग कराया गया। षोध के दौरान पाया गया कि योग करने वाले रोगियों ने नींद की दवाई में कटौती की। उनकी रात में नींद की गुणवत्ता में 22 प्रतिषत सुधार आया। थकान भी आधी हो गई। साथ ही उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार आया। यह सुधार उन रोगियों के मुकाबले दोगुना था जिन्होंने योग नहीं किया। आज कल कमर दर्द एक आम सी बात हो गयी है। बहुत से लोगों को दिन भर आॅफिस में कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से कमर दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कभी कभी कमर दर्द के लिए ली गई दर्दनिवारक दवा हानिकारक हो जाती है। इसलिए बिना दवा के योग द्वारा कमर के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। 

गौमुखासन, चक्रासन, अश्वासन, उत्कटासन, धनुरासन आदि योग आसन के ज़रिए कमर दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा आज कल जोड़ो का दर्द भी एक बहुत ही सामान्य सी बात हो गयी है। जोड़ का दर्द पैरों के घुटनों, गर्दन, बाजुओं और कूल्हों में हो सकता है। पहले यह कहा जाता था कि यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ होती है लेकिन आज कल यह समस्या नौजवान युवक-युवतियों में भी दिखाई देने लगी है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी काफी परेषानी होती है। मेरूदंडासन एक ऐसा आसन्न है जो इन समस्याओं के समाधान में काफी लाभदायक है। इस आसन को नियमित रूप से अभ्यास करने से भुजाओं और कलाइयों को मज़बूती मिलती है। इससे गठिया रोग में भी बहुत आराम मिलता है। इसके अलावा, जिन लोगों का षारीरिक संतुलन ठीक नहीं होता, चलने फिरने में परेषानी महसूस होती है, उन्हें इस आसन के अभ्यास से काफी लाभ पहुंचता है। इस आसन को रोज़ करने से उल्लिखित समस्याओं से निजात पायी जा सकती है। उपयुक्त तथ्यों से स्पश्ट होता है कि योग मनुश्य के स्वस्थ तन और मन के लिए ज़रूरी है। इसको अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में आनंद का अनुभव कर सकता है। 
             

21 जून यानी अंतरराश्ट्रीय योग दिवस के मौके पर देष की राजधानी दिल्ली में तकरीबन 35 मिनट के कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है। इस क्रार्यक्रम में प्रधानमंत्री भी षामिल होंगे। इस मौके विभिन्न स्कूलों के लगभग 35 हज़ार बच्चे योग करेंगे। ऐसा नज़ारा सिर्फ राजधानी दिल्ली में नहीं होगा बल्कि देष के कई दूसरे षहर भी सुबह से ही योग के रंग में रंगे नज़र  आएंगे। देष में योग का इतने बड़े पैमाने पर आयोजन पहली बार किया जा रहा है। योग का आयोजन इतने बड़े पैमाने पर किए जाने का मुख्य उद्देष्य यह है कि लोग योग के महत्व को समझकर इसे अपनी जिंदगी में उतार सकें। अंतरराश्ट्रीय योग दिवस का पूरा श्रेय हमारे प्रधानमंत्री जी को जाता है उनकी बदौलत ही आज योग को पूरे विष्व में ख्याति प्राप्त हो रही है और पूरी दुनिया इसे अपनाने को आतुर दिखाई दे रही है। 



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गौहर आसिफ
(चरखा फीचर्स)

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (20 जून)

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जिले में महासंपर्क अभियान को लेकर संभागीय संगठन मंत्री श्री बरूआ ने दिये टिप्स
  • जिले में 1 से 15 जुलाई तक चलेगा महा जनसम्पर्क अभियान-

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झाबुआ---भारतीय जनता पार्टी केे चल रहे महासम्पर्क अभियान को लेकर शनिवार को स्थानीय एम टू सभागृह में जिला भाजपा की विषेष बैठक का आयोजन भाजपा के संभागीय संगठन मंत्री शैलेन्द्र बरूआ के मुख्य आतिथ्य में आयोजित की गई जिसमें जिले के सभी जिला स्तरीय पार्टी पदाधिकारियों, समस्त मंडल अध्यक्षों एवं महामंत्रियों, सम्पर्क महा अभियान के जिला एवं मंडल प्रभारियों, सभी मोर्चा प्रकोष्ठों के जिला संयोजको एवं मोर्चा अध्यक्षो,मण्डल अध्यक्षों ने भाग लिया । बैठक में जिले में संचालित हो रहे महा संपर्क अभियान के बारे में विस्तार से  पार्टी कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों की भूमिका के साथ ही आगामी दिनों में मंडलस्तर पर आयोजित होने वाली कार्यषालाओं के आयोजन, 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को सफल बनाने केबारे में विस्तार से चर्चायें हुई । बैठक में जिला भाजपा अध्यक्ष शेलेष दुबे, विधायक थांदला कलसिंह भाबर,  महा संपर्क अभियान के जिला प्रभारी विजय नायर,महामंत्री प्रवीण सुराणा,, राजू डामोर, उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम प्रजापति अनोखीलाल मेहता, दौलत भावसार, दिलीप कटारा  सहित जिले के सभी मंडलों एवं जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने भाग लिया ।  मुख्य अतिथि संभागीय संगठन मंत्री शैलेन्द्र बरूआ ने बैठक में चर्चा करते हुए सभी मंडलों में कार्यसमिति की बैठकों के नियमित आयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिले में प्राथमिक सदस्यता के लक्ष्य पूरा करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए महासम्पर्क अभियान में सम्पर्क करने के बारे में विस्तार से बताते हुए सक्रिय सदस्यता के बारे में भी बताया । उन्होने बताया कि भाजपा के प्राथमिक सदस्य का कार्यकाल 6 साल एवं सक्रिय सदस्य का कार्यकाल 3 साल होता है और उसे समय परनवीनीकृत कराना पडता है। श्री बरूआ ने बताया कि महासंपर्क अभियान के दोरान एक बडे लिफाफें में 5 प्रपत्र जिसमें  राष्ट्रीय अध्यक्ष अमीत शाह का पत्र, भारतीय जनता पार्टी के जन्म 1951 से आज तक का इतिहास का फोल्डर, केन्द्र में मोदेी सरकार के एक साल के कार्यकाल की उपलब्धि का विवरण, मध्यप्रदेष में भाजपा की विचार यात्रा, षिवराजसिंह सरकार की उपलब्धियोंकी जानकारी के अलावा एक फार्म रहेगा जिसमें 30-35 बिन्दूओं की जानकारी सदस्य से संपर्क करके भरके लाना है तथा उन्ही के मोबाईल से राष्ट्रीय भाजपा को मिस्डकाल 18001034444 पर पुष्टी करण करवाना है कि उक्त व्यक्ति से सम्पर्क किया जाचुका है । उन्होने भाजपा पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं से आव्हान किया कि आगामी समय में जनप्रतिनिधियों से लेकर गा्रम स्तर के लोगों के लिये भाजपा की अलग अलग कार्यषालायें आयोजित की जावेगी जिसमें भाजपा की रीति-नीति के बारे में जानकारी दी जावेगी । मंडल स्तरीय कार्यषालाओं का  आयोजन करके इसमें अपेक्षितों को आमन्त्रित करके जानकारी दी जाना है ।इसके लिये 3 वक्ता तय किये जावेगें जो महासम्पर्क अभियान, भाजपा के इतिहास एवं केन्द्र एवं प्रदेष सरकार की उपलब्धियों के बारे में अपने विचार व्यक्त करेगें । 21 जून को विष्व योग दिवस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि योग भारत का सबसे प्राचीन आयाम रहा है किन्तु एक हजार बरसों की विदेषों एवं मुगलों के कार्यकाल में इसे हम भूल  से गये थे । प्रधानमंत्री मोदी ने 177 देषों से यूनाईटेड नेषन आर्गेनाईजेषन में चर्चा करके इस दिवस को मनाने  का यूएनओ से निर्णय करवाया है । पूर्ववर्ती सरकारों ने इस दिषा में कोई ध्यान ही नही दिया था,मोदी जी के प्रयासों से ही 21 जून को विष्व के 192 देषों में योग दिवस एक साथ मनाया जावेगा । भारतीय संस्कृति के लिये हम राजनीति करते है हमारी नैतिक जिम्मेवारी है कि विष्व योग दिवस पर हम सभी इसमें सहभागिता करें । इसके  पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने  महासम्पर्क अभियान, सदस्यता अभियान, विष्व योग दिवस के बारे में संबोधित करते हुए जिले के सभी 11 मंडलों के माध्यम से महासंपर्क अभियान जो जिले में 1 से 15 जुलाई्र तक चलाया जावेगा, में घर घर जाकर नये सदस्यों को महासपंर्क अभियान का साहित्य एवं प्रपत्र पूर्ति करने के लिये की गई कार्यवाही के बारे में विस्तार से बताया ।सम्पर्क टीम में एक महिला पदाधिकारी भी शामील रहेगी । इस अवसर पर अनोखीलाल मेहता ने भी  इस अभियान  को समयबद्ध तरिके से पूर्ण करने की जरूरत बताई तथा अपने व्यस्ततम समय में से समय निकाल कर इसे प्राथमिकता के आधार पर संचालित करने की बात कहीं । कार्यक्रम का संचालन महामंत्री प्रवीण सुराणा ने किया ।

सकल व्यापारी संघ के सर्वानुमति से चुनाव सम्पन्न, अग्रवाल अध्यक्ष पटेल सचिव निर्वाचित

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झाबुआ---सकल व्यापारी संघ झाबुआ की शुक्रवार रात्री को राजवाडा चैक स्थित श्रीराम मंदिर में आयोजित साधारण सभा में नवीन कार्यकारिणी एवं पदाधिकारियों को सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सर्वानुमतिसे चयन किया गया । करतलध्वनि के बीच श्री निर्मल अग्रवाल को सकल व्यापारी संघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया । वही श्री कमलेषपटेल को संगठन के सचिव का दायित्व सौपा गया । सह सचिव के रूप  में पंकज मोगरा एवं अमीत जेन को निर्वाचित किया गया ।  दो कोषाध्यक्ष बनाये गये जिसमें  राजेष शाह एवं अब्बास बोहरा को जिम्मेवारी सोपी गई । संगठन के 12 उपाध्यक्ष बनाये गये जिसमें मनोज बाबेल, नीरज राठौर, संजय शाह,दीपक माहेष्वरी,पुष्पकरण सोनी, ओम सोनी, भरत बाबेल, जीवन पडियार, युसुफ राबिया आलूवाले, कमलेष कोठारी, संतोष नाकोडा, प्रेम प्रकाष कोठारी, एवं मनीष व्यास को उपाध्यक्ष के दायित्व को सौपा गया । संगठन के कानूनी सलाहकार एडवोकेट रमेष डोसी, आंनन्दीलाल संघवी, एवं राजेन्द्र संघवी रहेगें । सकल व्यापारी संघ के सरंक्षक के रूप  में राजेन्द्र यादव, नुरूद्दीन बोहरा, हरीष शाह, अषोक सकलेचा, प्रवीण रूनवाल एवं कैलाष श्रीमाल रहेगें ।  कार्यकारिणी में नीरज गादिया, नितेष कोठारी, मनोजराठौर,कनोज कटकानी, वैभव नीमा, दिनेष जेैन, शालीन जैन, उल्लास जैन, भेरूलाल पोरवाल, मनोज संघवी एवं विकास शाह को लिया जावेगा । सभी निर्वाचित पदाधिकारियों का करतल ध्वनि से स्वागत किया गया । अध्यक्ष निर्मल अग्रवाल ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र यादव की सेवाओं को संगठन विस्मृत नही कर सकता । उनके मार्गदर्षन मे व्यापारी हित में टीम भावना के साथ एक जूट होकर कार्य किया जावेगा।

योगाचार्य एलसी जैन ने दिये योग के टिप्स, जैेन सोष्यल ग्रुप का योग प्रषिक्षण सम्पन्न 

झाबुआ---जैन सोष्यल ग्रुप झाबुआ द्वारा अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में निषुल्क योग प्रषिक्षण षिविर का आयोजन स्थानीय शगुन गार्डन में संपन्न हुआ । आज के युग में अधिकांष लोग किसी न किसी रोग से  पीडित है,और रोग मुक्ति के लिये योग की शरण में जाते दिखाई दे रहे है । उपरोक्त बात को ध्यान में रखते हुए मानव कल्याण की भावना से आयोजित योग षिविर में इन्दौर से पधारे योगाचार्य  एलसी जैन ’षीतल’ द्वारा आसन ,षवासन,ध्यान,प्राणायम का प्रषिक्षण देते हुए कइ्र्र असाध्य बीमारियों के निदान के उपाय बतलाये  व स्वस्थ जीवन जीने की कला का प्रषिक्षण प्रदान किया । कार्यक्रम में ग्रुप के अभय रुनवाल,भरत बाबेल, उल्लास जैन द्वारा एलसी जैेन का स्वागत किया गया । कार्यक्रम में ग्रुप के प्रवीण रुनवाल, संजय मेहता, पंकज मोगरा,निर्मल अग्रवाल,आषीषजैन, राजेष मेहता, नीतिन सकलेचा, मनोज कटकानी, षिरीष शाह  आदि उपस्थित थे ।

योग सन्देष यात्रा निकाल कर दिया योग का सन्देष, आज से 8 दिवसीय मधुमेह निवारण योग षिविर होगा शुरू

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झाबुआ---अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर उज्जैन योग लाईफ सोसायटी के सौजन्य सेभारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं पंतजलि योग समिति  के द्वारा शनिवार को प्रातः साढे सात बजे से योग सन्देष यात्रा का आयोजन किया गया ।  वाहनों पर सवार होकर समिति के सदस्य नीरजसिंह राठौर, ललीत त्रिवेदी, जयेन्द्र बैेरागी, कमलेष पटेल, तेजमल कोठारी रविराजसिंह राठौर, डा. केके त्रिवेदी, गजेन्द्रसिंह चन्द्रावत, बहादूर भाटी, खुजेमा भाई बोहरा,नरेन्द्रसिंह राठौर, विनोद जायसवाल सहित बडी संख्या में लोगों ने  वाहन रैली निकाल कर पूरे नगर में 21 जून को विष्व योग दिवस के अवसर पर आयोजित योग कार्यक्रम में भाग लेने की अपील कर सन्देष यात्रा निकाली । समिति के रविराजसिंह राठोर ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 जून को प्रातः 7 बजे से 7-37 बजे तक पेलेस गार्डन में योग क्रियाये कुमारी गरीमा जायसवाल, खुजेमा बोहरा, राजकुमार देवल, जगदीष वैष्णव आदि योग साधकों द्वारा योगाभ्यास कराया जावेगा । प्रातः योग के पष्चात प्रो के के त्रिवेदी द्वारा योग एव उसके मानव शरीर पर सकारात्मक प्रभाव विषय पर व्याख्यान दियाजावेगा । 21 जून  से ही पैलेस गार्डन पर 8 दिवसीय मधुमेह मुक्त भारत अभियान के तहत योग का विषेष कार्यक्रम सतत चलाया जावेगा  जिसमें विषेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा प्रातः 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक मधुमेह की निषुल्क जांच भी की जावेगी ।

विश्व योग दिवस पर आज होगा मुख्य आयोजन, पेंषनर्स एवं वरिष्ठ नागरिकों से की सहभागी होने की अपील 

झाबुआ ---अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आज उत्कृष्ठ मेदान पर प्रातः 7 से 7-37 बजे तक योग का सामूहिक आयोजन होगा । जिला पेंषनर एसोसिएषन के अध्यक्ष रतनसिंह राठौर ने अधिक से अधिक संख्या में पेंषनरों एवं वरिष्ठ नागरिकों से  उपस्थित होकर सहभागी होने की अपील की है ।निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रातः 6-42 पर मध्यप्रदेष गान होगा 7 बजे से मुख्यमंत्री के संदेष का वाचन होगा इसके बाद योग क्रियायें की जावेगी । वरिष्ठ नागरिक फोरम के उपाध्यक्ष एमसी गुप्ता, पेंषनर्स संगठन के पुष्पेन्द्र व्यास, पीडी रायपुरिया, बीएल साकी, राजेन्द्रकुमार सोनी ने सभी पेंषनरों एवं वरिष्ठ नागरिकों से कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इसे सफल बनाने की अपील की हे ।

‘‘आव्हान संस्था ‘‘ द्वारा 21 जून अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय योग शिविर का शुभारंभ
  • प्रथम दिवस योगाभ्यास एवं योग का महत्व, द्वितीय दिवस में ध्यान योग एवं महत्व

  थांदला---21 जून अंन्तराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में म.प्र. जन अभियान परिषद् के मार्गदर्शन में नवांकुर संस्था ‘‘ आव्हान सोश्यल वेलफेयर आर्गनाईजेशन,‘‘ द्वारा थान्दला विकासखण्ड में 20 जून से दो दिवसीय योग एवं ध्यान योग शिविर का आयोजन स्थानीय बावडी मन्दिर परिसर में किया जा रहा है। जिसमें योग प्रशिक्षक श्री कुलदीप झाला एवं श्री महेन्द्र उपाध्याय द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को योग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर जन अभियान  परिषद् के जिला समन्वयक श्री वीरेन्द्रसिंह ठाकुर द्वारा योग का महत्व एवं दो दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा जन अभियान परिषद् के मार्गदर्शन में जिले में 180 प्रस्फुटन ग्रामों तथा ब्लाक मुख्यालयों एवं जिला स्तर पर आयोजित किए जाने वाले योग शिविरों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी ।  उनके द्वारा बताया गया कि जिले में नवांकुर योजनान्तर्गत चयनित 25 स्वंयसेवी संगठनों द्वारा योग कार्यक्रम का आयोजन 21 जून को किया जावेगा । बावडी मन्दिर परिसर में संस्था द्वारा आयोजित किए गए इस दो दिवसीय योग शिविर के प्रथम दिवस में योग प्रशिक्षक कुलदीप जी झाला एवं महेन्द्र जी उपाध्याय द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को योग के विभिन्न आयामो पर योग करवाया एवं इससे होने वाले मानसिक एवं शारिरिक लाभ के बारे में बताया । संस्था प्रमुख हेमेन्द्र अग्रवाल द्वारा 21 जून को आयोजित होने वाले ध्यान योग के बारे में बताया तथा सभी प्रशिक्षणार्थियों से निवेदन किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में पधारकर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनावे । कार्यक्रम में जन अभियान परिषद् की ब्लाक समन्वयक वर्षा डोडियार , संस्था के कोषाध्यक्ष चन्द्रकान्त कोरी , भरत बामनिया एवं  राहुल वाघेला, चन्द्रकान्त धानक , दीपक सोलंकी , राजेन्द्र, पियूष, एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे । कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन संस्था के चन्द्रकान्त कोरी ने माना एवं सभी प्रतिभागियों को 21 जून योग शिविर में शामिल होने के लिए निवेदन किया ।

हत्या का अपराध पंजीबद्ध

झाबुआ---फरियादिय बदलीबाई पति सेवला पटलिया उम्र 55 वर्ष निवासी मदनकुई ने बताया कि उसके पुत्र पिकु पिता सवला उम्र 28 वर्ष को अचानक हिचकी आई, जिससे वह गिर गया, इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मर्ग क्र0 29/15 की पीएम रिपेर्ट में दम घुटने से मृत्यु होना पाये जाने पर थाना रानापुर में अप0क्र0 282/15, धरा 302 ताहि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

आलेख : रूको, भीतर झांको और जीवन को बदलो- यही हो योग दिवस का उद्घोष

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भारतभूमि अनादिकाल से योग भूमि के रूप में विख्यात रही है। यहां का कण-कण, अणु-अणु न जाने कितने योगियों की योग-साधना से आप्लावित हुआ है। तपस्वियों की गहन तपस्या के परमाणुओं से अभिषिक्त यह माटी धन्य है और धन्य है यहां की हवाएं, जो साधना के शिखर पुरुषों की साक्षी हैं। इसी भूमि पर कभी वैदिक ऋषियों एवं महर्षियों की तपस्या साकार हुई थी तो कभी भगवान महावीर, बुद्ध एवं आद्य शंकराचार्य की साधना ने इस माटी को कृत्कृत्य किया था। साक्षी है यही धरा रामकृष्ण परमहंस की परमहंसी साधना की, साक्षी है यहां का कण-कण विवेकानंद की विवेक-साधना का, साक्षी है क्रांत योगी से बने अध्यात्म योगी श्री अरविन्द की ज्ञान साधना का और साक्षी है महात्मा गांधी की कर्मयोग-साधना का। योग साधना की यह मंदाकिनी न कभी यहां अवरुद्ध हुई है और न ही कभी अवरुद्ध होगी। इसी योग मंदाकिनी से आज समूचा विश्व आप्लावित हो रहा है, निश्चित ही यह एक शुभ संकेत है सम्पूर्ण मानवता के लिये। विश्व योग दिवस की सार्थकता इसी बात में है कि सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से, विश्व मानवता का कल्याण हो। सचमुच योग वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है। लोगों का जीवन योगमय हो, इसी से युग की धारा को बदला जा सकता है। 

मेेरी दृष्टि में योग मानवता की न्यूनतम जीवनशैली होनी चाहिए। आदमी को आदमी बनाने का यही एक सशक्त माध्यम है। एक-एक व्यक्ति को इससे परिचित- अवगत कराने और हर इंसान को अपने अन्दर झांकने के लिये प्रेरित करने हेतु विश्व योग दिवस को और व्यवस्थित ढंग से आयोजित करने के उपक्रम होने चाहिए। इसी से योगी बनने और अच्छा बनने की ललक पैदा होगी। योग मनुष्य जीवन की विसंगतियों पर नियंत्रण का माध्यम है। 

योग मनुष्य को पवित्र बनाता है, निर्मल बनाता है, स्वस्थ बनाता है। यजुर्वेद में की गयी पवित्रता- निर्मलता की यह कामना हर योगी के लिए काम्य है कि ‘‘देवजन मुझे पवित्र करें, मन में सुसंगत बुद्धि मुझे पवित्र करे, विश्व के सभी प्राणी मुझे पवित्र करें, अग्नि मुझे पवित्र करें।’’ योग के पथ पर अविराम गति से वही साधक आगे बढ़ सकता है, जो चित्त की पवित्रता एवं निर्मलता के प्रति पूर्ण जागरूक हो। निर्मल चित्त वाला व्यक्ति ही योग की गहराई तक पहुंच सकता है।

स्वामी विवेकानंद कहते हैं-‘‘निर्मल हृदय ही सत्य के प्रतिबिम्ब के लिए सर्वोत्तम दर्पण है। इसलिए सारी साधना हृदय को निर्मल करने के लिए ही है। जब वह निर्मल हो जाता है तो सारे सत्य उसी क्षण उसमें प्रतिबिम्बित हो जाते हैं।...पावित्र्य के बिना आध्यात्मिक शक्ति नहीं आ सकती। अपवित्र कल्पना उतनी ही बुरी है, जितना अपवित्र कार्य।’’ आज विश्व में जो आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, साम्प्रदायिक विद्धेष की ज्वलंत समस्याएं खड़र है, उसका कारण भी योग का अभाव ही है। 

सम्पूर्ण निर्मलता के लिए साधक को हजरत मुहम्मद पैगम्बर की यह शिक्षा सतत स्मृति में रखनी चाहिए-‘‘अच्छा काम करने की मन में आए तो तुम्हें सोचना चाहिए कि तुम्हारी जिंदगी अगले ही क्षण समाप्त हो सकती है अतः काम तुरंत शुरू कर दो। इसके विपरीत अगर बुरे कामों का विचार आए तो सोचो कि मैं अभी वर्षों जीने वाला हूं। बाद में कभी भी उस काम को पूरा कर लूंगा।’’ असल में योग है अच्छे काम करने की प्रेरणा, जिजीविषा। 

बर्टेªंड रसेल अपने योगपूर्ण जीवन के सत्यों की अभिव्यक्ति इस भाषा में देते हैं-‘‘अपने लम्बे जीवन में मैंने कुछ धु्रव सत्य देखे हैं-पहला यह है कि घृणा, द्वेष और मोह को पल-पल मरना पड़ता है। निरंकुश इच्छाएं चेतना पर हावी होकर जीवन को असंतुलित और दुःखी बना देती हैं। एक साधक आवश्यकता एवं आकांक्षा में भेदरेखा करना जानता है। इसलिए इच्छाएं उसे गलत दिशा ममें प्रवृत्त नहीं होने देतीं।’ आज योग दिवस के माध्यम से सारा मानव जाति आत्म-मंथन की ओर प्रवृत्त हो रही है, निश्चित ही दुनिया में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देगा।

प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है और उसकी तलाश में जीवन भर प्रयास भी करता है। शाश्वत सुख किस में है, इस बात का ज्ञान न होने से वह भौतिक वस्तुओं की ओर दौड़ता है और उनमें सुख ढूंढता है, परन्तु यह निर्विवाद सत्य है कि बाहरी वस्तुओं में सुख नहीं है। मनुष्य को सुख अपने अंदर ही खोजना चाहिए। इस पार्थिव शरीर में निहित आत्मा में अनंत शक्ति व अनंत ज्ञान है और असली स्वरूप प्राप्त करने पर ही शाश्वत सुख की प्राप्ति हो सकती है और इसके लिये योग को जीवनशैली बनाना होगा। 

‘योग’ शब्द जैसा सरल, सरस एवं सुगम प्रतीत होता है उतनी सरलता से आत्मसात नहीं होता इसे आत्मसात करने के लिए अति प्राचीन काल से नानावधि पथ प्रशस्त किए जाते रहे हैं। जितने भी महान सिद्ध हुए हैं, महान संत हुए हंै, सभी ने अपनी-अपनी वाणी में योग के अंतरंग और बहिरंग को उजागर किया है। पतंजलि ने योग को दर्शन की भूमिका पर प्रतिष्ठित किया। उत्तरकालीन चिंतकों ने योग के एक-एक अंग को सूक्ष्मातिसूक्ष्म रूप उजागर किया है। अहिंसा को लेकर जैनदर्शन ने कितनी व्यापकता प्राप्त की है यह सब योग की ही निष्पत्ति है।

जब मानव अपनी आधिदैविक, आधिभौतिक तथा आध्यात्मिक समस्याओं को सुलझाने के लिए अथवा उनका समाधान पाने के लिए योग का आश्रय लेता है तो वह योग से जुड़ता है, संबंध बनाता है, जीवन में उतारने का प्रयास करता है। किन्तु जब उसके बारे में कुछ जानने लगता है, जानकर क्रिया की प्रक्रिया में चरण बढ़ाता है तो वह प्रयोग की सीमा में पहुंच जाता है। इसी प्रयोग की भूमिका को जीवन का अभिन्न अंग बनाकर हम मानवता को एक नयी शक्ल दे सकते है। 

योग के नाम पर साम्प्रदायिकता करने वाले मानवता का भारी नुकसान कर रहे है। क्योंकि योग किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, जाति या भाषा से नहीं जुड़ा है। योग का अर्थ है जोड़ना,  इसलिए यह प्रेम, अहिंसा, करुणा और सबको साथ लेकर चलने की बात करता है। योग, जीवन की प्रक्रिया की छानबीन है। यह सभी धर्मों से पहले अस्तित्व में आया और इसने मानव के सामने अनंत संभावनाओं को खोलने का काम किया। आंतरिक व आत्मिक विकास, मानव कल्याण से जुड़ा यह विज्ञान सम्पूर्ण दुनिया के लिए एक महान तोहफा है।

आज योगिक विज्ञान जितना महत्वपूर्ण हो उठा है, इससे पहले यह कभी इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा। आज हमारे पास विज्ञान और तकनीक के तमाम साधन मौजूद हैं, जो दुनिया के विध्वंस का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमारे भीतर जीवन के प्रति जागरूकता और ऐसा भाव बना रहे कि हम हर दूसरे प्राणी को अपना ही अंश महसूस कर सकें, वरना अपने सुख और भलाई के पीछे की हमारी दौड़ सब कुछ बर्बाद कर सकती है। 

आत्म विकास हेतु योग एक प्रमुख साधना है। पातंजलि योगशास्त्र में योग का अर्थ चित्तवृत्ति-निरोध किया है। चित्त की वृत्तियों को रोककर एकाग्रता अथवा स्थिरता लाने को योग कहा है। बौद्ध शास्त्रों में योग का अर्थ समाधि किया है, जबकि जैन शास्त्रों में योग का अर्थ मन, वचन, काया को जोड़ने से अथवा संयोग करने से किया है। ऊपरी तौर पर इन परिभाषाओं में भेद दिखाई देता है परन्तु वास्तव में इनका अर्थ मन, वचन,. काया का निरोध कर एकाग्रता लाना व उनका आत्म-विकास के मार्ग में प्रवृत्ति करना है। 

अगर लोगों ने अपने जीवन का, जीवन में योग का महत्व  समझ लिया और उसे महसूस कर लिया तो दुनिया में खासा बदलाव आ जाएगा। जीवन के प्रति अपने नजरिये में विस्तार लाने, व्यापकता लाने में ही मानव-जाति की सभी समस्याओं का समाधान है। उसे निजता से सार्वभौमिकता या समग्रता की ओर चलना होगा। भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस पूरी धरती पर मानव कल्याण और आत्मिक विकास की लहर पैदा कर सकता है।

हम भारतीयों के लिये यह गर्व का विषय है कि योग भारत की विश्व को एक महान देन है। योग भारतीयों के जीवन का एक अभिन्न अंग रहा है। लेकिन अब यह संपूर्ण विश्व का विषय एवं मानव मात्र के जीवन का अंग बन रहा है। यह जीव नाना प्रकार के संस्कार रूपी रंगों से रंगे हुए शरीर में रहता है, लेकिन योगाभ्यास द्वारा तपाया गया शरीर रोग, बुढ़ापा, क्रोध आदि से रहित होकर स्वरूपानुभूति के योग्य होता है।

प्रसिद्ध उक्ति है- ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’! इसके अनुसार निरोग एवं दृढ़ता से युक्त-पुष्ट शरीर के बिना साधना संभव नहीं। इसलिए योग को इस प्रकार गूंथ दिया गया है कि शरीर की सुडौलता के साथ-साथ आध्यात्मिक प्रगति भी हो। शरीर की सुदृढ़ता के लिए आसन एवं दीर्घायु के लिए प्राणायाम को वैज्ञानिक ढंग से ऋषियों ने अनुभव के आधार पर दिया है इससे व्यक्ति एक महान संकल्प लेकर उसे कार्यान्वित कर सकता है। अतः योग इस जीवन में सुख और शांति देता है और मुक्ति के लिए साधना का मार्ग भी प्रशस्त करता है। योग केवल सुंदर एवं व्यवस्थित रूप से जीवन-यापन करना ही नहीं सिखाता अपितु व्यक्तित्व को निखारने की कला को भी सिखाता है।

इस संसार में कर्म में प्रवृत्त परायण लोग शारीरिक शक्ति प्रधान होते हंै, कुछ लोग भक्ति परायण होकर भावनात्मक शक्ति प्रधान होते हैं, कुछ अन्य लोग ध्यान परायण होकर मानस शक्ति प्रधान होते हैं तो कुछ लोग विचार परायण होकर बौद्धिक शक्ति प्रधान होते हैं। इस प्रकार साधक भेद के अनुसार कर्मयोग, भक्तियोग, राजयोग एवं ज्ञानयोग-क्रमशः ये चार मार्ग प्रसिद्ध हैं। राजयोग के अनेक प्रभेदों में से एक ‘आष्टांग योग है’ है। आजकल व्यवहार में इसके दो अंग-आसन और प्राणायाम-विशेष रूप से प्रचलित हैं। ‘ज्ञानादेव तु कैवल्य’ इस उक्ति के अनुरूप आपके शरीर एवं मन को उस ज्ञानानुभूति के योग बनाना ही योग का प्रमुख लक्ष्य है।  विश्व योग दिवस की निरन्तरता बनी रहे, यह अपेक्षित है। यह इतिहास न बने, बल्कि परम्परा बने। रूको, भीतर झांको और जीवन को बदलो- यही योग दिवस का उद्घोष हो, इसी से लोगों को नयी सोच मिले, नया जीवन-दर्शन मिले। 





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(ललित गर्ग)
पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : एक आंखों देखी

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किसी स्कूल की खास बात को, नवाचार को जस का तस आपके सामने दृष्य रूप में प्रस्तुत कर पाऊंगा या नहीं इस बात की चिंता ना करते हुए आखों देखी सुनाता हंू। जनपद बागेष्वर, ब्लाॅक गरूड़, के जूनियर हाईस्कूल पिंगलों की, गरूड़ विकास खण्ड से 12 किमी. दूर ग्वालदम-गरूड़ मार्ग से लिंक रोड द्वारा पिंगलो घाटी तक कच्ची-पक्की सड़क है। दूर-दूर छिटके घर, चारों ओर से कम ऊॅचे पहाड़ और खेतों की कतार जिसे कुमाॅउनी बोली में स्यार कहा जाता है, इस क्षेत्र की खुबसुरती में चार चांध लगा रहे हैं। जूनियर हाईस्कूल पिंगलो जहां पर अवस्थित है उसके आस-पास एक इण्टर काॅलेज, एक प्राइवेट स्कूल और सरकारी प्राथमिक विद्यालय है। सड़क से 200 मीटर दूर चढ़ाई पर चीड़ के जंगल के बीच स्कूल मजबूत चाहरदीवारी और बड़े से गेट के कारण दूर से ही पहचाना जाता है। चढ़ाई चढ़कर जैसे ही स्कूल गेट पार करके पहला कदम स्कूल के प्रांगण में पड़ता है तो सरकारी षिक्षा व्यवस्था के प्रति बनी तमाम मान्यताएं उड़न छू हो जाती हैं। सफेद कंकड़ों से बड़े से पत्थर पर बड़े सजावटी ढ़ंग से स्वागतम् लिखा है। प्रांगण के चारों ओर पुश्प वाटिका लगी हैं। वाटिका की सुरक्षा के लिए ईंट और लकड़ी से बाड़ की गई हैं। पुराने कनस्तरांे, पानी की बोतलों, मिट्टी के गमलों और लोहे की बाल्टियों का उपयोग बरामदे के किनारे फूल उगाने के लिए किया गया है। विभिन्न किस्म के छायादार-फलदार वृक्ष स्कूल में रोपे गये हैं। उनको समय-समय पर बारी-बारी से पानी दिया जाता है।  
         
जैसे ही मैं स्कूल पहुंचा तो बच्चे प्रार्थना सभा के बाद कक्षा-कक्ष में बैठ चुके थे। कक्षा-कक्ष में बैठक व्यवस्था षानदार है। कक्षा की दीवारें जैसे अभी बोल उठें या कहा जाये कि जिन्दा दीवारें हैं। बड़ी सुन्दर कलाकृतियां दीवारों पर उकेरी गई हैं। दीवार के एक बड़े हिस्से में बच्चों की रचनात्मकता और उनकी विशयगत दक्षता का जीवन्त प्रमाण दीवार पर चस्पा है। दो अलग-अलग हिस्सों में बैठने की बजाय लड़के-लड़कियां सामूहिक रूप में बैठे हैं। इस बैठक व्यवस्था में एक स्तर की समानता का पुट दिखता है। बच्चों में आपसी सम्मान और धैर्य की समझ भी विकसित हो रही है। इस बात का पता कैसे चला? मैं पहले से कोई खास तैयारी करके नहीं गया था। क्योंकी कक्षा में बच्चों के साथ बात करने की योजना नहीं थी। बहरहाल बातों-बातों में परिचय के दौरान गंाव और षहर के स्कूली वातावरण पर एक बच्चे ने पूछ लिया कि गांव का सरकारी स्कूल अच्छा या षहर का प्राइवेट स्कूल? क्या वहां भी यही पढ़ाया जाता है जो हमें गुरूजी यहां पढ़ाते हैं? सवाल को बच्चों की ओर आगे बढ़ाते हुए मंैने बच्चों से ही सुनना चाहा कि उनका स्कूल क्यों अच्छा है? बच्चे बारी-बारी से हाथ उठा कर अपनी-अपनी बात रखते जाते, ऐसा हुआ ही नहीं कि सब एक साथ उत्सुकता से बोल पड़े और अपनी बात सबसे पहले रखने की होड़ में हों। इस बीच दो बच्चों ने एक साथ हाथ खड़ा किया और दोनों साथ में बोल उठे। पहले बच्चे को जैसे ही यह लगा कि सामने वाले ने पहले हाथ उठाया तो वह रूक गया और बड़े आदर से उसने अपने साथी से कहा तुमने पहले हाथ उठाया मुझसे पहले तुम बोलो। सामान्य तौर पर यह एक छोटी सी घटना है लेकिन इस घटना ने बच्चों के बीच मौजूद मूल्यों की बानगी दिखा दी थी। कक्षा-कक्ष के बाहर भी कुछ बच्चे छोटे-छोटे समूहों में बैठे हैं। इनके पास एक-एक चार्ट पेपर है। कुछ स्कैच पैन हैं। बच्चे कोई लेख पढ़कर उस पर चर्चा कर रहे हैं। चर्चा के बाद स्वयं ही किसी एक को चुनते हैं जो बड़े समूह में प्रस्तुतिकरण देगा। सामूहिक रूप से सीखने की परम्परा भी बन रही है जिसमें रोज नये प्रयोग और तरीके जुड़ते जाएंगे। कोई बच्चा चार्ट में लिख रहा है। तो कोई बात-चीत को स्वयं पहल लेकर आगे बढ़ा रहा है। सामूहिक रूप से सीखने की दिषा में यह एक अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है। बच्चों से बात-चीत के दौरान कुछ षब्दों की ओर ध्यान आकर्शित हुआ जैसे- अनुषासन, आदत का बनना, भय रहित षिक्षण और स्कूली स्वायत्ता। इन षब्दोें के साथ बच्चों से फिर मिलने की बात कह और उनका धन्यवाद कह कर मैं कक्षा से बाहर आया और षिक्षक से मिला। बहुत सी बातें स्कूल के सन्दर्भ में हुई और इस बीच षिक्षक ने मुझे स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक में आने का आग्रह किया। अवष्य सर, मेरे लिए एक नया अवसर होगा। रटा-रटाया जुमला कह कर मैं स्कूल से निकल गया।  
        
ठीक एक सप्ताह बाद मैं पुनः स्कूल पहुंचा लेकिन इस बार एक संकुल समन्वयक भी मेरे साथ थे। यह देखने के लिए कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और स्कूल में कार्यरत षिक्षक ऐसा क्या खास कर रहे हंै कि सब ओर चर्चा है। ठीक दस बजे बैठक षुरू हुई। 170 अभिभावक इस बैठक में षामिल हो चुके थे, इनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। कुछ और आ ही रहे थे। लोगों की उपस्थिति को दर्ज करने के लिए दो छात्र एक पंजिका लेकर घूम रहे थे। बैठक की सभी व्यवस्था विद्यार्थियों के सुपुर्द थी। इनका साथ दे रहे थे गाॅव के कुछ युवक जो सम्भवतः इसी विद्यालय से पढ़े थे। दोनों षिक्षक साथी बारी-बारी से कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे। बैठक में जिला पंचायत सदस्य, खण्ड षिक्षा अधिकारी सहित विधायक प्रतिनिधि भी मौजूद थे। कुछ देर घोशणाओं का दौर चला। लेकिन सबसे प्रभावषाली बात यह लगी कि अभिभावकों ने स्वयं की पहल से विद्यालय के लिए दरी, कम्प्यूटर, व्हाईट बोर्ड, आदि खरीदा था। जनप्रतिनिधियों से पुस्तकालय के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराने की बात हो चुकी थी। बैठक के दौरान बच्चो ने चाय-बिस्कुट भी बाटें, पानी भी सभी को पिलाया। दो सौ के करीब लोगों के समूह को बच्चों की टोली व्यवस्थित रूप से देख रही थी। इन कार्यों को करने में बच्चों की दक्षता झलक रही है। उनका आत्मविष्वास भी बढ़ रहा है। किसी कार्यक्रम को कुषलता के साथ करने की दक्षता भी बढ़ रही है। इस बीच स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष ने एक प्रस्ताव रखा जिसे सभी ने सराहा। क्या था यह प्रस्ताव? प्रस्ताव था बच्चों द्वारा स्कूल परिसर को स्वच्छ रखने के सन्दर्भ में। बच्चों के साथ बारी-बारी से दो-दो की संख्या में अभिभावक भी रोजाना प्रार्थना सत्र में षामिल रहें और साथ ही स्वच्छता में भी। इससे दो लाभ हुए, 22 समूह बने। प्रत्येक समूह में दो लोग षामिल थे। बारी-बारी से यह स्कूल आने लगे और बच्चो के साथ झाड़ू-पोछे से लेकर कक्षा-कक्ष की स्वच्छता में योगदान करने लगे। अभिभावक का भरोसा बनाने और स्कूल को एक नई दिषा देने में दोनों षिक्षकों की मेहनत और उनकी रचनावादिता का महत्वपूर्ण योगदान है। मैं इस दृष्य को अपनी आॅखों के सामने घटता देख रहा था। वास्तव में यह बदलाव की ओर जाता हुआ एक सफल प्रयोग है जो अब धीरे-धीरे कई सुधारों के साथ कक्षा-कक्ष और लोकजीवन का व्यवहार बनने लगा है। 




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विपिन जोषी
(चरखा फीचर्स)

विशेष आलेख : ..और लालकृष्ण आडवाणी द्वारा फोड़ा गया इमरजेंसी बम

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इंडियन एक्सप्रेस को इमरजेंसी के बावत लालकृष्ण आडवाणी द्वारा दिए गए इंटरव्यू ने सत्ता शिविर में बम गिरने जैसा प्रभाव पैदा किया है। हालांकि आडवाणी जब इसे लेकर बवंडर तेज होने लगा तो पैंतरा बदलकर सत्ता शिविर को मलहम लगाने में भी जुट पड़े हैं। इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के लिए सोनिया और राहुल से अफसोस जताने की अपेक्षा करके उन्होंने सत्ता शिविर को संतुष्ट करने का प्रयास किया है। इसके पहले उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मिलने को समय दे दिया था जिससे सत्ता शिविर में जबरदस्त बेचैनी पूर्वानुमानित ही थी क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी के इंटरव्यू के बाद केजरीवाल ने उनकी बात की तायद करते हुए फुर्ती से यह बयान जारी किया था कि शायद वर्तमान सत्ता प्रतिष्ठान ने दिल्ली से इमरजेंसी का रिहर्सल भी शुरू कर दिया है। केजरीवाल से इसके बावजूद अगर आडवाणी मिलते तो यही संदेश जाता कि इमरजेंसी के बारे में मोदी सरकार को निशाने पर रखकर ही उन्होंने कई अर्थों वाली अभिव्यक्ति की थी।

फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि लालकृष्ण आडवाणी जैसा कि अब जाहिर कर रहे हैं का मन मोदी और उनकी सरकार के प्रति बहुत साफ है। उन्हीं के द्वारा प्रमोट किए गए मोदी आज उन्हें लांघकर आगे बढ़े। इसकी कसक आडवाणी को होना लाजिमी है और मोदी ने इस कसक को मिटाने की बजाय बढ़ाने का ही काम किया है तो आडवाणी की तल्खी खत्म हो जाए यह कैसे मुमकिन है। देखा जाए तो आडवाणी के साथ संघ परिवार ने काफी नाइंसाफी की है। 1984 के चुनाव में जब भाजपा को लोक सभा में मात्र दो सीटें मिली थीं और अटल बिहारी वाजपेई जैसे दिग्गज को भी पराजय का मुंह देखना पड़ा था तब लगा था कि इस नवजात पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति के केेंद्रबिंदु में आने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा लेकिन आडवाणी ही थे जिन्होंने राम रथ यात्रा के माध्यम से भले ही लोगों में सांप्रदायिक भावनाएं भड़का कर काम किया हो पर वे भाजपा को रातोंरात सिफर से शिखर की ओर अग्रसर करने में सफल रहे। इस तरह असली तौर पर भाजपा के शिल्पी लालकृष्ण आडवाणी को जब मौका आया तो प्रधानमंत्री पद के लिए उनसे सब्र करने को कह दिया गया। संघ ने उन अटल बिहारी वाजपेई को आडवाणी के मुकाबले चुना जो स्वयं सेवक होते हुए भी अपने कद को विराट बनाने के लिए उसकी रीति नीति पर समय समय पर एतराज जताने से नहीं चूके। 

उनकी सुनियोजित राजनीति का ही नतीजा था कि सांप्रदायिकता विरोध की वजह से जिन पार्टियों को संघ से एलर्जी थी वे व्यक्तिगत रूप से अटल जी की तारीफ भी करती थी। सार्वभौम स्वीकृति के इसी श्रंृगार को तराश कर अटल जी ने अपने नेतृत्व में केेंद्र में पहली बार भाजपा की सरकार बनाने की भूमिका तैयार की। किसी जमाने में लालकृष्ण आडवाणी अटल जी के निजी सचिव रहे थे इसलिए उनके नाम पर अपनी महत्वाकांक्षा का त्याग करने में आडवाणी को ज्यादा कष्ट नहीं हुआ और फिर यह भी नजर आ रहा था कि आखिर अटल जी के बाद तो उन्हीं का नंबर है। इसी बीच भाजपा सत्ता से बाहर हो गई और उस दौरान एक बात बड़ी प्रमुखता से प्रचारित हुई कि अगर भाजपा को सत्ता में वापसी करनी है तो कट्टर चेहरे यानी आडवाणी को पीछे रखकर ही यह काम संभव है। प्रधानमंत्री के रूप में जब अपनी इस छवि को आडवाणी ने बहुत बड़ी बाधा के रूप में देखा तो उन्होंने छवि बदलने के लिए जिन्ना का ऐसा पुनर्मूूल्यांकन कर दिया कि संघ परिवार में हलचल मच गई। इसके बाद संघ परिवार की नजरों में वे इतने नीचे चले गए कि उन्हें प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर करने के लिए संघ परिवार ने भाजपा में कामराज फार्मूला लागू करने की जिद ठान दी। 

भाजपा में इसे लेकर भारी विग्रह चला। आडवाणी ने मजबूती के साथ इसका प्रतिवाद किया लेकिन चौदहवीं लोक सभा के चुनाव के पहले जब देश के राजनीतिक माहौल से यह एकदम स्पष्ट हो गया कि अब की बार सत्ता शिखर पर फिर भाजपा का ही सूरज चमकेगा तो संघ ने निर्णायक तौर पर आडवाणी को खारिज करते हुए पार्टी के नए चेहरे के रूप में नरेंद्र मोदी को स्थापित करने का फरमान सुना दिया। आडवाणी ने इसे अपनी बहुत बड़ी जलालत के बतौर संज्ञान में लिया लेकिन स्थितियां इतनी बदल चुकी थीं कि आडवाणी समझ गए कि अब कुछ नहीं हो सकता। इस बीच मोदी ने भी अभिनय किया जैसे चुनाव की बातें भूलकर वे अपने जीवन में आडवाणी के आदरणीय स्थान को निभाने के लिए तैयार हो चुके हैं। आडवाणी में भी इसके बाद बहुत कुछ स्थिरता आ गई थी पर जब उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में समापन भाषण से वंचित किया गया और मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल को लेकर हुई भाजपा की सभा से दूर रखा गया तो आडवाणी ने महसूस किया कि मोदी पार्टी में उन्हें जीते जी विलुप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इमरजेंसी को लेकर उनका बयान इसी का नतीजा था जिसकी मोदी शिविर में सांप सूंघ जाने जैसी प्रतिक्रिया हुई। कहावत है कि हाथी मर भी जाए फिर भी सवा लाख का होता है। आडवाणी का राजनीतिक अनुभव इतना लंबा है कि लोग उन्हें कितना भी निपटा दें पर जौहर दिखाने के लिए उनके पास एक न एक तीर तो बचा ही रहेगा।

बहरहाल आडवाणी के इमरजेंसी संबंधी बयान का एक आयाम भाजपा में छिड़े आंतरिक संघर्ष से जुड़ा है जिसमें औपन्यासिक नाटकीयता के तत्व निहित हैं लेकिन दूसरा सिरा ज्यादा महत्वपूर्ण है जो राजनीति के तात्विक दर्शन से ताल्लुक रखता है। इसकी शुरूआत इस बहस से की जा सकती है कि क्या किसी जनवादी ताकत को लोकतंत्र के मौजूदा स्वरूप को बचाने की दम भरनी चाहिए। देश की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था रूपगत तौर पर तो लोकतांत्रिक है लेकिन वास्तविक तौर पर यह व्यवस्था क्या है इसकी पड़ताल कुछ और ही बात कहती है। भारतीय लोकतंत्र ऐसी दिशा में चल पडऩे को मजबूर हो गया कि यह माफिया तंत्र, भ्रष्ट तंत्र, कुलीन तंत्र, अराजक तंत्र और फासिस्ट तंत्र का पर्याय दिखने लगा है। इस तंत्र के जितने कानून और सुविधाएं हैं उनसे लोक या जन का तो संरक्षण होता नहीं है। यह तंत्र उन वर्गों की सेवा लोक या जन के हितों की कीमत पर कर रहा है जिन्होंने अपने को समानांतर सत्ता के रूप में स्थापित कर लिया है। इन सत्ताओं के आगे राजनीतिक सत्ता लाचार है बल्कि उनकी वंदना की स्थिति में है। ताजा प्रसंग ललित मोदी गेट का है जिसमें ईडी द्वारा वांछित आर्थिक अपराधी की सरकार के नुमाइंदे किसी धार्मिक कर्तव्य की तरह मदद करते नजर आए। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में हाशिए की मीडिया में यह खबरें छपती रही कि धीरू भाई अंबानी का रुतबा इस कदर स्थापित हो गया है कि जब वे दिल्ली आते हैं तो पीएमओ का आला अधिकारी एयरोड्रम पर उनकी अगवानी के लिए पहुंचता है। 

अंबानी की नजर जिस पर टेढ़ी हो जाए वह अफसर पीएमओ में रह नहीं सकता। धीरू भाई अंबानी के पुत्र मुकेश अंबानी की हैसियत भी कमोवेश इसी तरह की है जिसको नुमाया तौर पर उस बहुचर्चित तस्वीर में बहुत स्पष्टता से देखा गया जिसमें देश के प्रधानमंत्री उनकी पत्नी का अभिवादन कोर्निश बजाने की मुद्रा में करते दिखे। अंबानी एंड संस कोई महापुरुष नहीं हैं। इनके सारे धंधे संदिग्ध रहे हैं और हेराफेरी से सरकारी कानूनों को बधिया बनाकर इन्होंने वह ताकत हासिल कर ली कि जो सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहती थी रातोंरात उसका तख्ता पलट हो गया। यह लोकतंत्र गुंडों, बाहुबलियों और कानून को अपने पैरों की जूती समझने वालों के लिए सत्ता के द्वार खोलने की कुंजी बन गया है। राज्यों में कैसे लोग सत्तारूढ़ हो रहे हैं यह उस लोकतंत्र का नमूना है। इसमें लोक की हैसियत तो यह है कि अगर उसका प्रियजन सरे चौराहे मारा जाए तो भी गारंटी नहीं है कि उसकी रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी। उसका इलाज नहीं हो सकता। उसके बच्चे पढ़ नहीं सकते। उसे बुनियादी अधिकार तक हासिल नहीं हैं। उत्थान के अवसरों की तो बात क्या की जाए मौलिक अधिकार केवल बदमाशों के लिए हैं क्योंकि इनके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की जरूरत पड़ जाए तो लाखों रुपए की फीस देने की सक्षमता व्यक्ति की होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का वकील तो बात करने तक की फीस एक लाख रुपया चाहता है। 

भ्रष्टाचारियों के लिए यह लोकतंत्र अभ्यारण्य साबित हो रहा है और भ्रष्टाचार बढऩे का मतलब है वंचितों के लिए जीने तक के दरवाजे बंद हो जाना। क्या ऐसे फर्जी और फरेबी लोकतंत्र की रक्षा की सौगंध आम आदमी को लेनी चाहिए और क्या कोई ऐसा तरीका है कि इस लोकतंत्र को बदलकर सही पटरी पर लाने का काम सामानंतर सत्ताओं की नाक में नकेल डाले बिना हो जाए। वर्तमान में जबकि सत्ता के सारे पिलर चाहे वह विधायिका हो कार्यपालिका हो न्याय पालिका हो और यहां तक कि अघोषित चौथा पिलर मीडिया भी समानांतर सत्ताओं का बंधक है। उन्हें नियंत्रित करने का प्रयास इस लोकतंत्र के तहत किया जाना किसी भी तरह से संभव नहीं है। इन पर नियंत्रण होने तक लोकतंत्र को अस्थाई तौर पर स्थगित करने के लिए इमरजेंसी के विकल्प के अलावा कोई चारा नहीं है और जो इसे नकारता है उससे बड़ा फरेबी कोई नहीं हो सकता। लालकृष्ण आडवाणी जिस वर्ग समाज से आए हैं उस वर्ग सत्ता की ऐसे जालिम लोकतंत्र के प्रति भक्ति लाजिमी है लेकिन हम जैसे लोग इस दैत्य तंत्र को सहन करना गवारा नहीं कर सकते।

इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी जिन परिस्थितियों में लागू की उसके बारे में आधा अधूरा सच कहा जा रहा है और ऐसा कहने के पीछे आडवाणी टाइप के लोगों का माइंड सेट है। इनकी वर्ग चेतना के चश्मे से इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का एक पक्षीय चित्रण ही होगा जबकि उस समय के सारे तथ्यों को रोशनी में इस परिघटना का मूल्यांकन किया जाए तो अलग ही निष्कर्ष उभरते हैं। पं. जवाहर लाल नेहरू ने लोकप्रियता वाद और आदर्श वाद के तहत तत्कालीन व्यवस्था के स्वरूप को जनता के लिए कुछ राहत दायक बनाने की गरज से ऐसे कदम उठाए जिससे उस समय की समानांतर सत्ताओं से कांग्रेस का टकराव हो गया। जमींदारी उन्मूलन के उनके फैसले की वजह से जाति आधारित इस देश में जो कौमें कांग्रेस से नाराज हुईं उनमें सबसे ऊपर ठाकुर रहे तो बिहार में जहां जमींदारी कायस्थों के हाथ में थी उनका रुख भी कांग्रेस के खिलाफ चला गया। इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसले की एक पृष्ठभूमि यह भी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के उनके खिलाफ फैसला देने वाले जज जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा बिहार के जमींदार घराने के कायस्थ थे। कोई आदमी जज बनने से अपनी वर्ग चेतना से अलग हो जाता है यह घोषित करना नितांत लफ्फाजी होगी। इंदिरा गांधी ने भी जवाहर लाल नेहरू के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए गरीब जनता में अपनी पैठ बढ़ाने की रणनीति आजमाई और इसमें वे भी समानांतर सत्ताओं से टकराने से नहीं हिचकी। राजाओं के प्रिवीपर्स खत्म करने का मामला हो या बैंकों के राष्ट्रीयकरण का वे प्रतीक बन गई थी। आजादी और लोकतंत्र की वजह से उभरी जनआकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाली सत्ता उपकरण की और दूसरी तरफ उनके कदमों से आहत यथास्थितिवादी शक्तियां थी। देश की नवजात आजादी और लोकतंत्र के बीच भारतीय सत्ता दुर्ग को अस्थिर कर देने वाला इलाहाबाद हाईकोर्ट का इंदिरा गांधी के विरोध में जब फैसला आया तो गरीब जनता इसी कारण बुरी तरह विचलित थी। माहौल यह था कि अगर सत्ता शिखर पर बदलाव हो जाता तो आने वाला नेतृत्व यथास्थितिवादी ताकतों की ठकुर सुहाती के लिए अपने को विवश पाता क्योंकि जाने अनजाने में हाईकोर्ट के फैसले का अर्थ यह निकल रहा था कि आखिर इंदिरा गांधी को राजा महाराजाओं और सरमाएदारों से टकराने का नतीजा भुगतना ही पड़ा। 

यह ख्याल गलत हो या सही लेकिन इसी तरह के मूल्यांकन की वजह से आम जनता उस समय चाहती थी कि कैसे भी इंदिरा गांधी सत्ता में टिकी रहें और इसी ने उनको इमरजेंसी लगाने का साहस दिया। नेताओं पर इमरजेंसी के कारण जो भी बीती हो पर आम आदमी को तो पहली बार आजादी का एहसास इमरजेंसी की वजह से ही हुआ। ट्रेनें समय पर चलने लगीं। दफ्तरों में बिना रिश्वत के काम होने लगे। निरीह जनता पर अत्याचार करने वाले गुंडे मवाली भाग खड़े हुए। विनोबा भावे ने आजादी इमरजेंसी को अनुशासन पर्व की संज्ञा दी तो इसमें कुछ गलत नहीं था। अनुशासन सबसे ज्यादा फायदेमंद गरीब और वंचित जनता के लिए होता है और किसी देश में अनुशासन तब आता है जब गरीब जनता के प्रति हमदर्दी रखने वाली सरकार सर्वोपरि हो। उसके सामने कोई समानांतर सत्ता का दर्जा न रखता हो। हालांकि इमरजेंसी के शुरूआती दौर के बाद इंदिरा गांधी अपने छोटे बेटे संजय गांधी और उनके लफंगे साथियों की वजह से अच्छा दौर कायम नहीं रख पाई। उनकी टोली की वजह से जो कारनामे बाद में हुए उन्हीं के कारण 1977 में सिर्फ उत्तर भारत में कांग्रेस को करारी पराजय का सामना करना पड़ा। अगर आडवाणी जैसे लोग इमरजेंसी को लोकतांत्रिक समाज के लिए इतना बड़ा खलनायक मानते थे तो उन्हें चाहिए था कि वे आगे चलकर ऐसे राजनीतिक सुधार लागू कराते जिनमें समानांतर सत्ताएं पनपने की कोई गुंजायश नहीं रहती पर आलम यह हुआ कि स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक स्थापित हुई समानांतर सत्ताओं ने वैध सत्ता को पंगु कर दिया। इमरजेंसी में जितना लोकतंत्र बचा था उतना भी लोकतंत्र आज नहीं रह गया है। लोकतंत्र पीडि़त जनता के फटे पैरों की बिबाई है। यह इस नाम पर बुद्धि विलास करने वाले उन नेताओं के सर्टिफिकेट से नहीं समझा जा सकता जिनके पैर इतने सुकुमार हैं कि उन्होंने तो कोई बिबाई कभी देखी ही नहीं है।




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के  पी  सिंह
ओरई 

योग में मानवता की भलाई की शक्ति : राष्ट्रपति

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर कहा कि योग कला के साथ विज्ञान भी है और यह मानवता की भलाई की उपचारात्मक और निवारक शक्तियां रखता है। मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में एक विशाल योग कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि योग आधुनिक जीवनशैली से संबंधित तनावों एवं परेशानियों की रोकथाम और उनसे बचाने में मदद कर सकता है। राष्ट्रपति ने कहा, "योग कला के साथ ही एक विज्ञान भी है। इसमें मानवता की भलाई से संबंधित और आधुनिक जीवनशैली से संबंधित तनावों एवं अवसादों के प्रबंधन की उपचारात्मक शक्तियों के साथ ही निवारक शक्तियां भी हैं।"

मुखर्जी ने इस मौके पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत योग का घर है। यहां सदियों से अधिक समय से योग किया जाता आ रहा है। राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि राष्ट्रपति भवन के कई बाशिंदे अर्से से योगाभ्यास कर रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस उत्सव में जोशोखरोश के साथ शामिल हुए। राष्ट्रपति भवन के करीब 1,000 निवासियों और स्टाफ ने विशाल योग सत्र में भाग लिया। योग सत्र कार्यक्रम मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग के सहयोग से आयोजित किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी के लिए राष्ट्रपति भवन के बाशिंदों के लिए एक से 20 जून, 2015 तक योग कक्षाएं चलाई गई थीं।

राजपथ पर योग कार्यक्रम ने तोड़ा रिकॉर्ड

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 दिल्ली के राजपथ पर रविवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक योग सत्र में करीब 37 हजार लोगों ने भाग लेकर एक कीर्तिमान रच दिया। आयुष मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मध्य दिल्ली स्थित राजपथ और इसके आसपार के इलाकों में योग कार्यक्रम में हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों के साथ योग किया।

योग सत्र के आयोजकों ने सबसे बड़ी योग सभा आयोजित करने के गिनीज रिकॉर्ड के लिए आवेदन किया है। फिलहाल सबसे बड़ा योग कार्यक्रम आयोजित करने का गिनीज रिकॉर्ड विवेकानंद केंद्र के नाम है। इस केंद्र ने 19 नवंबर, 2005 को ग्वालियर में एक योग कार्यक्रम रखा था, जिसमें 29,973 लोगों ने प्रतिभाग किया था।

पटना में अमित शाह ने योग कार्यक्रम का शुभारंभ किया, खुद नहीं किया योग

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पटना के मोईनुल हक स्टेडियम में योग दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ तो किया परंतु योग नहीं किया। यद्यपि योग दिवस के मौके पर स्टेडियम में मौजूद करीब 20 हजार लोगों ने एक साथ योग किया। कार्यक्रम में महिलाएं और बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। शाह ने स्टेडियम में दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सबसे पहले प्रणवगमन और प्रार्थना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। शाह हालांकि पूरे कार्यक्रम के दौरान योग गुरुओं के साथ मंच पर उपस्थित रहे, लेकिन कोई भी योगासन नहीं किया। 

शाह ने कार्यक्रम में कहा, "योग से भारतीय संस्कृति का दुनिया में मान बढ़ा है। योग पूरी दुनिया को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है।"शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय संस्कृति की धरोहर योग को संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता दिलाने के लिए बधाई दी और आशा जताई कि आज जहां पूरी दुनिया में संघर्ष हो रहा है, वहीं योग 'वसुधव कुटुंबकम'की उक्ति को चरितार्थ करेगा।  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंद किशोर यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय, सी़ पी़ ठाकुर सहित कई नेता उपस्थित थे।
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