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नालंदा के प्रमुख पद से इस्तीफा नहीं दिया : अमर्त्य सेन

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amartya sen
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने बुधवार को सफाई दी कि उन्होंने बिहार में खुलने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र पुनर्जीवित नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति से इस्तीफा नहीं दिया है। यहां एक कार्यक्रम से इतर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं इस्तीफा नहीं दे रहा..यह मुझसे कभी नहीं होगा..मैं क्यों इस्तीफा दूं? यह पूरी तरह से गढ़ा गया है..इसमें विदेश मंत्रालय के कुछ अधिकारियों का हाथ है..मैं नहीं जानता कौन हैं।"

इससे पहले मीडिया में खबरें आई कि अमर्त्य सेन ने वित्त मंत्रालय द्वारा वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए जाने के बाद इस्तीफा देने की धमकी दी है। विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने पर 2,727 करोड़ रुपये 12 वर्ष में खर्च किया जाना है।

यह विश्वविद्यालय भारत सरकार और 18 पूर्व एशिया शिखर (ईएएस) देशों का संयुक्त प्रयास है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों से 12 किलोमीटर दूर नया विश्वविद्यालय खोला जा रहा है। प्राचीन विश्वविद्यालय 12वीं सदी तक अस्तित्व में रहा।

बचाव में तेजपाल की दलील की पत्रकारों ने की आलोचना

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tarun tejpal
तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल द्वारा दुष्कर्म मामले की सुनवाई को धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता से जोड़ने के प्रयास की पत्रकारों ने आलोचना की है। तेजपाल ने भारतीय जनता पार्टी (भजपा) का नाम लिए बगैर सोमवार को अपने बयान में कहा था कि उनके खिलाफ 'सुनियोजित'मामला चलाया जाना 'सांप्रदायिक ताकतों द्वारा भारतीय बहुलतावाद'पर हमला है।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि उनके खिलाफ कथित राजनीतिक युद्ध 'सभी उदार और सांप्रदायिक राजनीति के विरोधियों के खिलाफ एक चेतावनी है।'कारवां पत्रिका के पूर्व वरिष्ठ संपादक जानथन शनिन ने तेजपाल के बयान को 'बचाव का घृणित'उदाहरण कहा है।

तेजपाल के मामले को राजनीतिक रंग देने के प्रयास पर सीएनएन-आईबीएन की एंकर सागरिका घोष ने सवाल किया है कि क्या कांग्रेस शासित प्रदेश में उन्हें न्याय मिलेगा। तेजपाल पर ताना कसते हुए पूर्व पत्रकार और राजनीतक टिप्पणीकार स्वप्न दासगुप्ता ने ट्वीट किया है, "क्या तरुण तेजपाल यह कह रहे हैं कि एक महिला की अनिच्छा के विरुद्ध अपने आप को थोपना भविष्य का 'अच्छा'और 'फासीवाद'के खिलाफ लड़ाई होगी?"

तेलंगाना गठन के मुद्दे पर गलत परंपरा की शुरुआत हुई : नीतीश

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nitish kumar
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि तेलंगाना राज्य के गठन के मुद्दे पर अस्वस्थ एवं गलत परंपरा की शुरुआत हुई है। पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान की धारा- 3 के अनुसार केन्द्र सरकार को राज्यों के पुनर्गठन का अधिकार है लेकिन राज्यों का पुनर्गठन स्वस्थ परंपरा को अपनाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर गलत परंपरा की नींव डाली है। भाजपा और कांग्रेस के बहुमत के कारण लोकसभा से तेलंगाना बिल पास हुआ। उन्होंने कहा कि हम तेलंगाना के विरोधी नहीं हैं लेकिन गलत परंपरा अपनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि जलता दल (युनाइटेड) पूरी प्रक्रिया में साझीदार नहीं है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना मुद्दे पर तेलंगाना समर्थकों एवं तेलंगाना विरोधियों की भावनाएं भड़की एवं अशांति का वातावरण बना।

राज्यसभा में पेश नहीं हो सका तेलंगाना विधेयक

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telangana in rs
सरकार और विपक्ष के बीच विधेयक में संशोधनों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण राज्यसभा में बुधवार को तेलंगाना विधेयक पेश नहीं हो सका। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया कि पार्टी ने कुल 32 संशोधन प्रस्ताव पेश किए हैं और पार्टी का कहना है कि इसे विधेयक में शामिल किया जाए। यदि संशोधनों के साथ विधेयक पारित होता है तो नियमत: उसे लोकसभा में फिर से भेजना होगा। ऐसी स्थिति में सरकार का मानना है कि इससे विधेयक पारित करने में और कठिनाई पैदा होगी।

चूंकि सहमति नहीं बन पाई इसलिए विधेयक को आज के लिए छोड़ दिया गया और उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सदन की कार्यवाही 5 बजे के थोड़ी ही देर बाद स्थगित कर दी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और भाजपा नेता एम. वेंकैया नायडू से मुलाकात की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ को सदन में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों को मनाते देखा गया।

पूरे दिन विधेयक के राज्यसभा में पेश किए जाने के बारे में अनुमान चलता रहा और भोजनावकाश के बाद पूरक कामकाज की सूची वितरित की गई। इसमें भी आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को विचार और पारित करना शामिल था। यहां तक कि तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के वाई. एस. चौधरी और सी. एम. रमेश और कांग्रेस के के. वी. पी. राव सभापति की आसंदी के सामने एकजुट आंध्र के समर्थन में पोस्टर लेकर खड़े हो गए। हंगामे के बीच राज्यसभा ने चार विधेयक पारित किया।

जब तेलंगाना विधेयक पेश होने को था तब ऊपरी सदन का कामकाज शाम 4:30 बजे आधे घंटे के लिए अचानक रोक दिया गया। शाम 5 बजे जब कार्यवाही फिर से बहाल हुई तब कुरियन ने कहा कि चार विधेयक पारित होना दिन भर के लिए काफी है और गुरुवार तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।  भाजपा की ओर से पेश किए गए संशोधनों में शेष सीमांध्र को 10,000 का विशेष पैकेज देना शामिल है क्योंकि पार्टी का मानना है कि हैदराबाद के तेलंगाना में जाने से उसे राजस्व का नुकसान होगा।

दूसरे संशोधन में उत्तरी तटीय आंध्र, रायलसीमा और तेलंगाना के पिछड़े क्षेत्र के लिए औद्योगिक रियायत की मांग की गई है। इसके अलावा सीमांध्र की राजधानी के लिए विशेष कोष की भी मांग की गई है। संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि सरकार तेलंगाना विधेयक गुरुवार को पेश करेगी। इस बीच कांग्रेस के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से सीमांध्र को अगले पांच वर्षो तक विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए कहा है।

इससे पहले राज्यसभा में तेलंगाना गठन का विरोध कर रहे सांसदों ने बुधवार को फिर हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही अपराह्न् दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। प्रथम स्थगन के बाद कार्यवाही दोपहर 12 बजे दोबारा शुरू हुई, लेकिन तेलंगाना का विरोध कर रहे सदस्य सभापति की आसन के नजदीक पहुंच गए। राज्यसभा महासचिव शमशेर के. शेरिफ लोकसभा से भेजे गए एक संदेश को पढ़ रहे थे, तभी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के एक सदस्य ने उनके हाथ से कागज छीन लिए। इस शोरशराबे के बीच उपसभापति पी.जे.कुरियन ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

जब प्रधानमंत्री के हत्यारे छूटे तो आम आदमी क्या उम्मीद करे : राहुल

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rahul gandhi in amethi
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को तमिलनाडु सरकार के उस निर्णय पर निराशा जाहिर की, जिसमें उसने उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। राहुल गांधी ने भावुक अंदाज में यहां एक जनसमूह के समक्ष कहा कि इस देश में प्रधानमंत्री को भी न्याय नहीं मिलता है। राहुल ने कहा, "प्रधानमंत्री ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी.. लेकिन प्रधानमंत्री को न्याय नहीं मिलता।"

लिट्टे से जुड़ी एक आत्मघाती महिला हमलावर ने 1991 में चेन्नई के पास एक चुनावी रैली में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। राहुल ने कहा कि वह मृत्युदंड के खिलाफ है, परंतु यह मुद्दा देश से जुड़ा है। उन्होंने कहा, "मेरे पिता वापस नहीं लौटेंगे, लेकिन यह एक राष्ट्रीय मामला है, यह सिर्फ मेरे परिवार या मेरे पिता से जुड़ा मामला नहीं है। यदि कोई प्रधानमंत्री की हत्या करता है और वह रिहा हो जाता है, तो फिर आम आदमी को कैसे न्याय मिलेगा?"

राहुल ने कहा, "यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसपर विचार करने की जरूरत है। हिंदुस्तान को बदलने की जरूरत है।"उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने बुधवार को घोषणा की कि राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी ठहराए गए सभी सात लोगों को रिहा किया जाएगा। इसमें छह पुरुष और एक महिला शामिल है। दोषियों में भारत और श्रीलंका के नागरिक हैं।  सभी सातों दोषी 1991 से ही जेल में बंद हैं। 

अपने इस एक दिनी दौरे में राहुल ने अमेठी में भारतीय स्टेट बैंक की दस शाखाओं का उद्घाटन, गौरीगंज में एफएम रेडियो केंद्र और टिकरिया औद्योगिक क्षेत्र में रेल नीर प्लांट व बहुउद्देशीय काम्पलेक्स का शिलान्यास किया। इस दौरान राहुल ने राज्य की समाजवादी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार सड़क और बिजली के मामले में अमेठी के साथ सौतेला बर्ताव कर रही है। 

उन्होंने लोगों से कहा, "आप लोग राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता में लाइए। हम राज्य का विकास करेंगे। सड़क और बिजली की समस्या दूर करेंगे।"एक पत्रकार द्वारा यह पूछे जाने पर कि आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास के अमेठी से चुनाव लड़ने से उनको कितनी चुनौती मिलेगी इस पर राहुल ने कहा, "अमेठी मेरे परिवार की तरह है। यहां के लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं। कितना असर पड़ेगा ये आप खुद यहां के लोगों से पूछिए।"

विशेष : किसी की मुस्कराहटों में हो निसार...जीना इसी का नाम है !

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geeta chandola
गीता चंदोला जैसी समाज सेविका ज़रा कम ही दिखने को मिलती हैं. आज दून हॉस्पिटल जाना हुआ ..वार्ड न. ८ के बेड नम्बर २८ पर एक लावारिश रहता है रिंकू. जिसकी यह नग्न फोटो है. पढ़ा लिखा तो है लेकिन दिमाग से पगला गया है. 

गीता चंदोला को जब पता चला कि इस लावारिश के साथ दून अस्पताल के स्वीपरों ने मार पिटाई की और उसे वहां से भगा दिया तो उन्होंने पूरा हॉस्पिटल में हो हल्ला काट कर उसकी ढूंढ के लिए सबको इधर उधर भेज एक घंटे की मसकत्त के बाद रिंकू नामक यह लावारिश मिला. गीता चंदोला का स्पर्श पाकर वह इतना खुश हुआ कि मोम माम चिल्लाता रहा. गीता चंदोला इन लावारिशों के लिए खुद घर से खाना बनाकर ले जाती है ..जिनका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों वाली बात है.

geeta chandola
वहीँ दूसरी फोटो में यह लड़की संवासिनी है जिसका इलाज दून हॉस्पिटल में चल रहा है. १६-१७ साल की इस लड़की के पेट में ६ माह का बच्चा है लेकिन इसे यह पता तक नहीं है कि उसके साथ कब किसने बलात्कार किया और कहाँ किया. ये संवासिनियाँ दिमाग से ठीक ठाक नहीं हैं,. दून हॉस्पिटल में भर्ती लगभग ५ संवासिनियाँ ऐसी हैं जिन्हें यह पता तक नहीं है कि वह कहाँ से लायी गयी हैं और कबसे केदारपुरम स्थित नारी निकेतन में रह रही हैं. यहाँ समझ यह नहीं आता कि ये संवासिनी ऐसी सुरक्षा के बीच भी कैसे गर्भवती हो जाती हैं, जहाँ मजिस्ट्रेट की परमिशन के बिना कोई पुरुष जा नहीं सकता. 

यहाँ भी गीता चंदोला को इनके सुख दुःख बांटते हुए देखा गया. 
गीता चंदोला से जब यह पूछा गया कि आपकी कौन सी संस्था है जो ऐसे सामाजिक काम करती है या जो ऐसे लावारिश लोगों का ध्यान रखने में अपना समय और पैंसा दोनों लगा रही है. तब गीता चंदोला ने बताया कि उनकी संस्था उनके पति हैं जो दुबई में रहकर मेरी समाज सेवा के कार्य को बढ़ावा देने के लिए हर महीने अपने वेतन से पैंसा भेजते हैं जिसका थोडा बहुत हिस्सा में समाज सेवा पर खर्च कर रही हूँ. गीता चंदोला ने कहा कि इन बेचारे या बेचारियों का क्या दोष... दोष तो हमारे समाज में जन्मे उन कीड़े मकोड़ों का है जो अपनी ऐयाशी के लिए ऐसे कृत्य कर इन लावारिशों को जन्म देते हैं. समाज सेवा करना मानवीय धर्म है न कि एक दिखावा. मैं अपना समय और पैंसा खर्च कर यह दिखाने या जताने के लिए समाज सेवा नहीं कर रही हूँ कि कोई मेरी प्रशंसा करे बल्कि इसलिए कर रही हूँ ताकि इन चेहरों पर भी अपने बच्चों की तरह रेंगती मुस्कराहट देख सकूँ.


---मनोज इष्टवाल ---

किरण मजूमदार आईआईएम-बेंगलुरू की नई अध्यक्ष

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kiran majumdar
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की चर्चित हस्ती किरण मजूमदार-शॉ प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान-बेंगलुरू (आईआईएम-बी) की नई अध्यक्ष मनोनीत की गई हैं। इस पद पर उनकी नियुक्ति रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी के पद छोड़ने के बाद हुई है। एक प्रवक्ता ने यहां बुधवार को बताया, "केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंगलवार देर रात अंबानी की जगह शॉ को संस्थान के बॉर्ड ऑफ गर्वनर के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी।"

देश में जैवप्रौद्योगिकी की अग्रणी महिला शॉ (60) बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष हैं। बायोकॉन लिमिटेड एक एकीकृत हेल्थकेयर कंपनी है, जो जैव-औषधि समाधान उपलब्ध करा रही है। अंबानी वर्ष 2005 से संस्थान का नेतृत्व कर रहे थे। उन्हें 2010 में 2015 तक के लिए दोबारा संस्थान के बोर्ड अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। अंबानी ने यहां 11 फरवरी को बोर्ड की बैठक में पद छोड़ने के अपने फैसले से अवगत कराया था।

बिहार के चर्चित नवरुणा अपहरण मामले की सीबीआई जांच शुरू

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India-navruna-Chakravartty
बिहार के मुजफ्फरपुर की स्कूली छात्रा 13 वर्षीया नवरुणा के बहुचर्चित अपहरण मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुरू कर दी है। इस क्रम में सीबीआई की टीम ने नवरुणा के माता-पिता से मिलकर करीब पांच घंटे तक पूछताछ की। पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि सीबीआई के अधिकारियों ने नवरुणा के घर पहुंचकर उसकी मां मैत्री चक्रवर्ती और पिता अतुल्य चक्रवर्ती के अलावा घर के अन्य सदस्यों से बात की और उस कमरे का भी निरीक्षण किया जहां से नवरुणा लापता पाई गई। 

उल्लेखनीय है कि 18 सितंबर, 2012 को नाबालिग छात्रा नवरुणा अपने घर के एक कमरे में सोई हुई थी और रहस्यमय परिस्थितियों में वह रात को घर से गायब हो गई। जिस कमरे में वह सोई थी उस कमरे की खिड़की का रॉड निकला हुआ था। नवरुणा के पिता ने अपहरण की आशंका जताते हुए मुजफ्फरपुर के नगर थाना में एक मामला दर्ज कराया, पुलिस ने हालांकि कुछ दिनों बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन नवरुणा का सुराग नहीं लग सका। घटना के दो महीने बीते थे कि उसके घर के पास से पुलिस ने एक नरकंकाल बरामद किया, लेकिन उसके माता-पिता द्वारा डीएनए जांच कराने से इनकार करने के बाद यह भी पता नहीं चल सका कि वह नरकंकाल किसका था। 

इसके बाद सरकार ने यह मामला बिहार अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को भी सौंपा परंतु कोई सफलता नहीं मिली। राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच की अनुशंसा करने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है। सीबीआई की जांच शुरू होने से नवरुणा के परिजनों को आशा है कि इस मामले का अब खुलासा हो सकेगा। सीबीआई के पटना स्थित थाने में इससे संबंधित एक नया मामला दर्ज कराया गया है। 

मार्शल को पीडीपी के विधायक ने जड़े थप्पड़

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को जो हुआ वह शर्मसार करने के लिए काफी था। स्पीकर के निर्देश पर हंगामा कर रहे प्रमुख विपक्षी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायकों को सदन से बाहर निकाल रहे एक मार्शल को पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्वमंत्री सैयद बशीर अहमद ने दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए। उस समय सदन में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं। अपने दल के विधायकों को सदन से बाहर निकाले जाने से नाराज महबूबा ने अन्य विधायक के साथ वाकआउट कर दिया।

विधानसभा में प्रश्नकाल समाप्त होते ही राजपोरा के पीडीपी विधायक सैयद बशीर अपनी सीट पर खड़े हो गए। उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए राशन का मुद्दा उठाने का प्रयास किया, लेकिन स्पीकर मुबारक गुल ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। इससे उत्तेजित होकर वह सदन के बीच आ पहुंचे। स्पीकर ने दो-तीन बार उन्हें वापस लौटने के लिए कहा, लेकिन पीडीपी विधायक अपनी बात कहते रहे। इस पर स्पीकर ने मार्शलों से कहा कि वे उन्हें बाहर ले जाएं। मार्शलों ने स्पीकर के आदेश पर अमल करते हुए उन्हें बाहर ले जाने का प्रयास किया। इस दौरान विधायक बशीर ने मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी और थप्पड़ जड़ दिए। अंतत: हंगामा करने वाले सभी विधायकों को सदन से बाहर निकाल दिया गया।

‘मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। मैं तो जगटी में रह रहे कश्मीरी पंडित विस्थापितों को राशन न मिलने से हो रही परेशानी की तरफ ध्यान दिलाना चाहता था, लेकिन स्पीकर हमें बोलने ही नहीं दे रहे थे।’

-सैयद बशीर अहमद, विधायक


केन्द्र तमिलनाडु सरकार के फैसले की समीक्षा करेगा

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गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा राजीव गांधी हत्या मामले के सभी सात दोषियों को रिहा करने के फैसले की केन्द्र समीक्षा करेगा। गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने राज्य सरकार के फैसले को गलत और अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

शिन्दे से जब जयललिता सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया पूछी गई तो बोले, सुबह से ही मैं अपने अधिकारियों से पूछ रहा हूं कि क्या (तमिलनाडु सरकार से) कोई पत्र आया था। लेकिन अब तक कोई पत्र नहीं आया है। एक बार पत्र आए तो देखेंगे और उचित राय कायम करेंगे।

अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को किसी दोषी को रिहा करने से पहले केन्द्र की मंजूरी लेनी होती है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि तीन दिन तक केन्द्र से कोई जवाब नहीं आता तो राज्य सरकार सीआरपीसी की धारा 432 के तहत सातों दोषियों को रिहा कर देगी। आरपीएन ने बताया कि तमिलनाडु सरकार का फैसला गलत एवं अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बहुत अफसोसजनक घटनाक्रम है। उन्होंने इस बारे में कोई संकेत नहीं दिया कि राज्य सरकार के प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय का क्या रुख होगा। तमिलनाडु सरकार ने आज तय किया कि वह राजीव गांधी हत्या मामले के सभी सातों दोषियों को तीन दिन में मुक्त कर देगी।

केंद्र सरकार देश अपनी जागीर की तरह चला रही है: ममता

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लोकसभा में तेलंगाना विधेयक पारित होने के तरीके पर केंद्र से नाराजगी प्रकट करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार जागीरदारों की तरह देश चला रही है और आंध्र प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं की अनदेखी की गई है। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार चुनावों से पहले बलपूर्वक चीजों को अंजाम दे रही है।

छोटे राज्यों के गठन की विरोधी ममता ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अगर कोई प्रदेश कुछ चाहता है तो उस पर विचार होना चाहिए। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आज इस्तीफा दे दिया। क्या यह सही है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले सरकार बलपूर्वक काम कर रही है, संविधान की गरिमा को ध्वस्त कर रही है। हम इसके साथ नहीं हैं।

तृणमूल के सांसदों ने कल तेलंगाना विधेयक पारित करने के तरीके के खिलाफ आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर आपत्ति जताई। ममता ने सरकारिया आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यों और केंद्र के बीच स्पष्ट सीमांकन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह कई बार पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाए और राज्यों पर अपनी नीतियां थोपी हैं, वह भी उसकी सामंतवादी सोच को दर्शाता है।

राजीव गांधी हत्यारों की रिहाई मामले में केंद्र ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किए जाने के तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। केंद्र सरकार जयाललिता सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले पर राजनीति गरमा गई है। केंद्र सरकार तीनों दोषियों की फांसी को उम्रकैद में तब्दील करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार अपील दाखिल करेगी। साथ ही जयाललिता सरकार के सभी सातों दोषियों को रिहा करने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।


ये फैसला देर शाम लिया गया। सरकार की इस बैठक में कानून मंत्री कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल भी मौजूद थे। दरअसल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस मामले में दखल देने के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई है। कल राहुल गांधी ने कहा था कि अगर इस देश के पीएम को इंसाफ नहीं मिल सकता तो आम आदमी न्याय की उम्मीद कैसे करे।

दूसरी तरफ तमिलनाडु सरकार दोषियों की रिहाई के फैसले पर अड़ी है। तमिलनाडु सरकार के मुताबिक अगर तीन दिन में केंद्र से जवाब नहीं आता है तो सभी दोषी रिहा कर दिए जाएंगे। केंद्र ने जयललिता सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। केंद्र ने कहा है कि राज्य सरकार के ऐसा फैसला लेने का अधिकार नहीं है। अब केंद्र सरकार इस फैसले को रोकने में जुट गई है। केंद्र और राज्य सरकार अपने-अपने कानूनी दांवपेंच में जुट गए हैं। केंद्र का कहना है कि ऐसे फैसले लेने से पहले तमिलानडु सरकार को केंद्र सरकार से सहमति लेनी चाहिए थी, जबकि जयललिता सरकार का कहना है कि वह केंद्र का फैसला मानने को बाध्य नहीं है।

बुधवार को जयाललिता सरकार ने ऐलान किया था कि वो राजीव गांधी की हत्या के सभी सात दोषियों को रिहा करने जा रही है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर तीन दिन के भीतर अपना रुख साफ करने को कहा था। ऐसा न करने पर सभी दोषियों को रिहा करने की बात कही थी। हालांकि गृहमंत्री सुशील शिंदे ऐसी किसी चिट्ठी मिलने से इनकार किया है। दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले पर राजनीतिक दलों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। अपने पिता राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई के जयललिता सरकार के फैसले से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी नाराज हैं। जयललिता के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा इस देश के पीएम की हत्या हुई और उनके हत्यारों को छोड़ा जा रहा है, मैं इस फैसले से दुखी हूं। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी इस फैसले पर ऐतराज जताया है।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की साजिश के सात दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन, रॉबर्ट, राजकुमार, नलिनि और रविचंद्रन को जयाललिता सरकार ने रिहा करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 18 फरवरी को पेरारिवलन, मुरुगन, संथन की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी में देरी के आधार पर संथन, मुरुगन और पेरारिवलन की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया था।

आलेख : हम वेंडी डोनिगर का विरोध क्यों करते हैं

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हिंदी के कथाकार असगर वजाहत लिखित “मै हिन्दू हूँ” के पेज ११७ पर शोर्शक है- “विकसित देश की पहचान” गुरु शिष्य संवाद का प्रथम अंश है –

गुरु- विकसित देश की पहचान बताओ, हरिराम 
हरिराम- विकसित देश कपडा नही बनाते गुरुदेव
गुरु- तब वे क्या बनाते है ?
हरिराम- वे हथियार बनाते हैं.
गुरु- तब वे अपना नंगापन कैसे ढकते हैं .
हरिराम- हथियारों से उनकी नंगई ढक जाती है . 

उपरोक्त कहानी वर्तमान सन्दर्भ में वेंडी डोनिजेर की विद्रूप मानसिकता की मनगढ़ंत उपज “दि हिन्दू; एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री” पर सटीक बैठती है. जिस तरह से उपरोक्त सवाद में हरिराम कहता है की – विकसित देशों की नंगापन हथियारों से ढक जाती है उसी प्रकार वेंडि डोनिजर जैसे कलमघिस्सुओं का बौध्यिक नंगापन तथाकथित सेकुलरिस्टो रूपी हथियार से ढांके जा रहे हैं. वर्ष २००९ में पेंग्विन बुक्स इंडिया द्वारा छापी गयी.
उपरोक्त पुस्तक बौद्धिक नंगापन की पराकाष्ठा है. बौद्धिक दिवालियापन का प्रतीक तथ्यविहीन यह पुस्तक भारत की सनातन संस्कृती को झूठ की बुनियाद पर जिस तरह से बदनाम  करने का घृणित प्रयास किया वह यदि इस्लामी या इसाइयत पर किया होता तो ऐसे साहित्यिक आतंकवादी को कब का आधे शारीर ज़मीन में गाड़कर पत्थर मार मार कर दोज़ख भेज दिया गया होता. 

इस पुस्तक के दुराग्रह और पूर्वाग्रह से लिखी पंक्तियो पर जब मामला कोर्ट में पहुचा तो प्रकाशक ने वादी के साथ समझौता कर लिया की बाज़ार से इस पुस्तक के सारी प्रति लेकर उसकी लुगदी बना दी जायेगी ? क्योंकि प्रकाशक को ये समझ में आ गयी की झूठ और बेबुनियाद की आड़ में लिखी ये पुस्तक सही तथ्यों से मीलों दूर है ऐसे में इसे कोर्ट में सही साबित करना असम्भव है. कोर्ट में फजीहत होने और ऐसे तथ्याबिहीन विद्रूप मानसिकता की लेखन की बदनामी से बचने के लिए ही बौद्धिक आतंकवादिओं ने पुस्तक को वापस लेकर मामले को दवा लिया है. वेडी डोनिज़ेर ने पुस्तक के वापसी पर  वेशर्मी से लिखा है – असल खलनायक है भारत का कानून ;जिसने किसी हिन्दू को आहात करने बाली किताब के प्रकाशन को दीवानी अपराध को फौजदारी का मामला बना दिया.एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी इसी को कहतें हैं . 

उस पुस्तक में हिदुओ के आराध्य शिव शक्ति या अन्य आस्था के देवी देवताओं के बारे जो लिखा गया वह सत्य के साथ बलात्कार से कम नही उसकी कुछ घृणित उदाहरण –देवाधिदेव शंकर को कामुकता का प्रतीक मानने बाली ये पुस्तक में कहा  गया है -Shiva appears of the Linga---I KEPT GOING DOWN FOR A THOUSAND YEARS,BUT I DID NOT REACH THE BOTTOM OF THE LINGA,NOR DID BRAHMA FIND ITS.(Page252-53) वही शक्ति के प्रतीक हिन्दू देविओं के बारे में जिस कुंठित मानसिकता से लिखा गया वह निंदनीय है.इस पुस्तक में लिखा है –You can divide the many Goddesses of India into the Goddesses of the Tooth and Goddesses of the Breast.The Goddesses of the breast are wives move or less subservient to husbands but they donot usually give Birth to Childrren. (Page-256) वही महादेव और शक्ति के संदभ में लिखा है -   The most serious problem in the marriage of theShiva and Parvati is the lack of any Children born of both Parents.(Page-259) But the original Parvati,who continius both of the other two Goddesses in her in nuce is already a cruel mother (Page-261)

महाभारत के सन्दर्भ में यदि देखें तो इस पुस्तक अनर्गल बातों से भरी है ,इस पुस्तक के अनुसार सूर्य ने कुंती के साठ बलात्कार किया और बाद में उसका कौमार्य लौटा दिया.वही बलराम के सन्दर्भ में लिखा है- One day Balrama brother of Krishna,got drunk and wandered around stumbling his eyes red with drinking.(Page-268).

वेंडी ने अपने कुत्सित लेख भारत के करोडो हिन्दुओ के आदर्श मर्यादा पुर्शोतम श्रीराम के बारे में लिखा है की वे अपने पिता को व्यसनी और कामलोलुप मानते थे.ऐसे निकृष्ट घटिया मानसिकता के वेंडि लेखन की परम्परा के तालिवानी उत्पाद है.गाय को हिन्दू मान्यताओं में माँ का दर्ज़ा प्राप्त है किन्तु संस्कृत की अधूरी ज्ञान और पूर्वाग्रह से ग्रसित अनुबादको ने अर्थ को अनर्थ किया है .उसने किस शोध के आधार पर लिखा वह आश्चर्यजनक है की --Anyone who knowingly eats Human flash or the flash of a Cow will be purified if he fast for a fortnight.(Page-285) Muslims who slaughter Cows could not be held to have insulted the Religion of the Hindus.(Page-401)इतना ही नही इसने स्वामी विवेकान्द के बारे में लिखी है की वो गो-मांस भक्षण करने के समर्थक थे और महात्मा गाँधी दुविधा में ---On the question of eating Beaf Gandhi was also ambivalent.(Page-403) उस पुस्तक के अनुसार १२२० की एक घटना का जिक्र है --That a hindu named Bartuh killed 1,20,000muslims in Awadh on Uttar Pradesh in around 1220. (Page-298) और बही आगे लिखती है ---Muslim boy meets Hindu girl with Fatal consequences. (Page-366).

भारत में अपने तथाकथित सेकुलरिस्ट आतंकियो के साथ मिलकर डॉलर पर बिके इन आतातायियो के साठ मिलकर प्राचीन भारत के शानदार अतीत को धूमिल करने की चाल में घृणित रचना सोच समझ कर लिखी गयी है .इस पुस्तक ने मंगल पाण्डेय को नशेडी अफीमची और झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को अंग्रेजो के बफादार थी ? ऐसे पुस्तक के बारे में देश के बुधिजीवी बता सकते है की इस घटिया तथ्य विहीन और आतंकी पुस्तक और उसके रचनाकार के प्रति क्या नजरिया होना चाहिए ?भारत में डॉलरों पर बिके कलमघिस्सुओ ने अपनी मान सम्मान स्वाभिमान सब उन देशद्रोहियो के हाथो बेचकर भारत के युवाओं को गुमराह कर रहे है.

मार्क्स-मुल्ला-मैकाले और मायनों के इन मानस पुत्रों ने भारत के युवाओं को जिस शिक्षा से शिक्षित किया उसका बिकृत रूप में देश को नेहरु मिला था ओर अभी भी वह धारा बदस्तूर ज़ारी है ? ऐसे निकृष्ट सोच की पुस्तक जो अतीत को तोड़ मरोड़ कर पेश करे का विरोध करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है और जो इसका समर्थन करते है वे भारत का अहित करने बाले आतातायियो का समूह ही हो सकता है. क्या हम डॉलर से सजे पुरस्कारों के लिए इतना गिरे है की हम अपने पूर्वजों के कृत्य को कुकृत्य में बदलने वालों को महिमामंडित करते है .डॉलर से हटकर भी दुनिया है –मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत में जो सुख है वह कही नहीं .ऋषि परम्परा पर विकसित अपना धरोहर को यदि समृद्ध नहीं कर सकते तो उसे बिकृत करने का जघन्य अपराध करने का अधिकार हमें किसने दिया ,हम डॉलर के आगे गिरकर जिस सृजन का दास बनते जा रहें है उसका अंत अब निकट है क्योंकि भारत की तरुनाई जाग रही समझ रही और उसे अब अपने संस्कार संस्कृति पर गर्व की अनुभूति भी हो रही है .वेंडी डोनिगर की पुस्तक की कलंक कथा जिस तथ्यविहीन  झूठ फरेव और पूर्वाग्रह के सृजित की गयी है वह अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के साथ पाशविक बलात्कार है जिसके कारण वेंडी डोनिगर जैसे मानसिकता का हम विरोध करते हैं. .



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---संजय कुमार आजाद--- 
फोन- 09431162589  
ईमेल-AZAD4SK@GMAIL.COM
रांची –८३४००२ 

facebook खरीदेगी WhatsApp को

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सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक टेक गैजेट की दुनिया का सबसे बड़ा सौदा करने को तैयार है। फेसबुक 19 अरब अमेरिकी डॉलर (आज अमेरिकी डॉलर की दर के हिसाब से करीब 1178 अरब रुपए) में मोबाइल मैसेजिंग सर्विस 'वॉट्सएप'को खरीदने जा रही है। कंपनी ने इसके लिए अमेरिका के सेक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) में जरूरी कागजात जमा किए हैं। वॉट्सएप की शुरुआत अगस्त, 2009 में की गई थी। इस कंपनी में मालिकों को मिलाकर कुल 55 लोग काम करते हैं। कंपनी का दफ्तर अमेरिका के कैलिफोर्निया में है। 

-19 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम में 12 अरब अमेरिकी डॉलर के फेसबुक के शेयर, 4 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम नकद और 3 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के शेयर वॉट्सएप के मालिक और कर्मचारियों को डील के चार साल बाद दिए जाएंगे।  

-19 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम फेसबुक के कुल बाजार कीमत की 9 फीसदी रकम के बराबर है। 
-इस सौदे के बाद भी वॉट्सएप की सुविधा इसी ब्रैंड नेम के साथ बाजार में उपलब्ध रहेगी। सौदे की वजह से सिर्फ इसके मालिकाना हक में बदलाव होगा। 

-यह स्मार्टफोन मोबाइल मैसेजिंग सर्विस है। 
-इसमें मालिक समेत कुल 55 लोग काम करते हैं। 
-वॉट्सएप के जरिए टेक्स्ट मैसेज, इमेज भेजने, वीडियो और ऑडियो मीडिया मैसेज भेजे जाते हैं। 
-गूगल एंड्राएड, ब्लैकबेरी ओएस, एपल आईओएस, नोकिया आशा फोन के चुनिंदा प्लेटफॉर्म और माइक्रोसॉफ्ट विंडोज जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले स्मार्टफोन पर वॉट्सएप डाउनलोड किया जा सकता है।  
-वॉट्सएप के प्लेटफॉर्म पर रोजाना एक अरब से ज्यादा मैसेज भेजे या रिसीव किए जाते हैं। 

वाट्सएप की लोकप्रियता दुनिया में लगभग 45 करोड़ लोगों के बीच है, जिसे देखते हुए फेसबुक ने इसे खरीदने की प्लानिंग की है। वाट्सएप के जरिए टेक्स्ट मैसेज, इमेज, वीडियो और ऑडियो भेजने की सहूलियत के चलते यह तेजी से पॉपुलर हुआ। वॉट्सएप पेड मोबाइस मैसेजिंग सर्विस है। मतलब इसके इस्तेमाल के एवज में आपको एक तय रकम चुकानी होती है। भारत में इस सर्विस के लिए आप रजिस्टर करते हैं तो पहले महीने यह मुफ्त उपलब्ध है और दूसरे महीने से 15 रुपए महीने के हिसाब से रकम अदा कर आप इस सर्विस का मजा ले सकते हैं। इस सर्विस ने टेलीकॉम कंपनियों के एसएमएस मार्केट को बुरी तरह से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। 

बिहार : पनपतिया को पनाह देने वाले ही परलोक सिधार जाते हैं, अभी कष्ट में

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pooor woman to save self
पटना। इसे आप क्या कहेंगे? दुबली पतली काया और गहने के रूप में गंदे कपड़े पहनने वाली थीं। कहां से आयी और कहां पर चले जाना है? उसे खुद ही पता नहीं था। वह  किसी तरह का जवाब देने में असमर्थ है। इसके कारण आज भी वह भटकी लड़की रहस्य ही बन कर रह गयी। उसे पहचान और पनाह देने वाले परलोक सिधार चुके। 

उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के एल.सी.टी.घाट मुसहरी के आसपास चहलकदमी कर रही थीं। उसे देखने से जाहिर हो रहा था कि उसके शरीर के सभी अंगों में गंदगी व्याप्त है। यह कयास लगाया जा सकता है कि पुरूष प्रधान देश के पुरूषों से बचने के लिए ही तरकीब अपना ली थीं। इस तरह के गंदे परिधानों में रहकर वह खुद को हमलावरों से सुरक्षित बचाने में कामयाब रहीं। जानकारी से ही जानलेवा एड्स बीमारी से बचा जा सकता है। उसी तर्ज पर वह गंदगी रहकर आबरू बचाने में सफल रहीं।

इस तरह की परिस्थिति को देखकर एल.सी.टी.घाट मुसहरी के जीतू मांझी को तरस आ गया। उस बदनसीब लड़की को पनाह दिया। बिना विवाह के ही साथ-साथ जीने और मरने का मन बना रहने लगे। जीतू मांझी की भाभी ने पहचान के रूप में लड़की का नाम पनपतिया रख दी। इसके बाद जीतू और पनपतिया मिलकर जीवन बिताने लगे। दोनों मिलकर रद्दी कागज चुनने और बेचने लगे। दोनों खुशी-खुशी जी रहे थे। एक दिन अचानक जीतू मांझी की मौत हो गयी।

इसके बाद जीतू की भाभी ने पनपतिया को पनाह दी। दोनों गोतनी साथ-साथ रहते थे। एल.सी.टी.घाट मुसहरी के लोगों के साथ पनपतिया भी दशहरा त्योहार के अवसर पर गांधी मैदान में रावण वध देखने गयी। अपने साथ आए लोगों से पनपतिया भटक गयीं। भटककर वह पालीगंज चली गयी। काफी खोजखबर करने के 9 माह के बाद पनपतिया को घर लाया जा सका। एक बार फिर पनाह देने वाले की मौत हो गयी। पहले जीतू ने पनाह दिया और उसके बाद जीतू की भाभी पनाह दी। दोनों पनाह देने वाले चले गए।

इसके बाद जीतू के भतीजा ने कथित चाची पनपतिया को पनाह देने लगा। कुछ माह तक चाची को दाना पानी देते रहा। इसमें भतीजा के साथ चाची भी देती थीं। वह भी रद्दी कागज आदि चुनकर लाकर, बेचने के बाद भतीजा को रकम दे देती थीं। इस बीच दो माह से घर में ताला लगाकर भतीजा देहात चला गया है।

इसके कारण अब चाची सड़क पर आ गयी है। एक बार फिर आबरू बचाने के लिए गंदगी को शरीर पर रखना शुरू कर दी है। इधर-उधर रहने को मजबूर हैं। कोई मुसहरी से कुछ खाना देता है तब वह खाना खाती हैं। इसके कारण पनपतिया काफी कमजोर हो गयी हैं। पनपतिया को जलवायु परिवर्तन की मार भी सहनी पड़ रही है। कमजोरी के कारण चलने में ढोलने लगती हैं। इस हालात पर अब वह रद्दी कागज भी चुनने नहीं जा पा रही है। ठीक तरह से आंख से देख नहीं पा रही है।



आलोक कुमार
बिहार 

बिहार : उत्क्रमित मध्य विघालय में अध्ययनरत है नीतीश कुमार

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bihar schoolफतेहपुर। आप चौकिए नहीं। परन्तु यह सच है कि उत्क्रमित मध्य विघालय में नीतीश कुमार अध्ययनरत हैं। अध्ययनकाल में ही खेल मंत्री बन गए हैं। इनके विभाग में वॉलीबॉल,कैरम बोर्ड और रस्सी है। इन तीन खेल सामग्रियों के बुते अपने स्कूल के विघार्थियों को खेल के क्षेत्र में फील गुड कराते हैं। इनको सातवीं घंटी में खेलकूद करवाने का मौका मिलता है। यहां पर बाल संसद और मीना मंच संचालित है। 
  
उत्क्रमित मध्य विघालय, गोपालकेड़ा में 345 बच्चों का नामांकन हुआ है। प्रथम कक्षा में 144, द्वितीय में 36,तृतीय में 43, चतुर्थ में 34,पांचवीं में 35 छठा में 19,सातवीं में 18 और आठवीं में 16 नामांकित हैं। मजे की बात है कि केवल प्रथम कक्षा ही एक रूम में व्यवस्थित ढंग से संचालित होता है। बाकी एक रूम में 2-3 और 4-5 कक्षा संचालित है। वहीं एक रूम में 6,7 और 8 कक्षा के विघार्थी अध्ययन हैं। आप सोच सकते हैं कि किस तरह से पढ़ाई होती होगी। यहां पर एक प्रभारी प्रधानाध्यापक और 4 प्रखंड शिक्षकों की बहाली की गयी है। यह के एक शिक्षक जयशंकर प्रसाद को आर्थिक जनगणना करने के लिए प्रतिनियुक्त कर दिया है। 

bihar school
प्रभारी प्रधानाध्यापक अजय किशोर बताते हैं कि यह विघालय गोपालकेड़ा गांव में स्थित है। यहां 1972 से स्कूल संचालित है। स्कूल की चहारदीवारी नहीं की जा सकी है। दो शौचालय है। एक लड़की और लड़कों के लिए बनाया गया है। इसी शौचालय का उपयोग शिक्षकगण भी कर लेते हैं। दुर्भाग्य से एक चापाकल है। जिसे पानी पीलाकर ही पानी मिल पाता है। पानी डालकर करीब 30 मिनट तक चलाना पड़ता है। तब जाकर पानी गिरता है। ऐसी स्थिति में शौचालय की परिस्थिति और उपयोग करने वालों की दिक्कत को समझा जा सकता है। यहां के बच्चों ने कहा कि विकास शिविर में बीडीओ धर्मवीर कुमार आए थे सभी तरह की परेशानी बताया गया। चापाकल के बाबत बीडीओ साहब बोले कि चापाकल लगवा देंगे। जो हवा-हवा हो गया।  
  
इसी अवस्था में मिड डे मिल का भोजन बनता है। वाटर एड के जल स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। पड़ोसी के पास से बाल्टी में पानी लाकर भोजन बनाया जाता है। उसी तरह बच्चों को खाने के पहले हाथ धोया जाता है। चापाकल और चहारदीवारी करवाने की मांग बच्चों ने की है। खासकर बीडीओ अंकल से बच्चे उम्मीद पाल रखे हैं। 

गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा सीट एण्ड ड्रॉ प्रतियोगिता टेस्ट कराया गया। समिति के परियोजना समन्वयक वृजेन्द्र कुमार ने कहा कि कई स्कूलों में आयोजन करके सीट एण्ड ड्रॉ प्रतियोगिता करायी जाएगी। 




आलोक कुमार
बिहार 

विशेष : इस 'आप'को क्या नाम दूं...

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14 फरवरी को जिस वक्त देश के युवा वैलेंटाइन डे मना रहे थे लगभग उसी दौरान दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे ने अचानक ही देश की राजनीति में एक नया ड्रामा खड़ा कर दिया। केजरीवाल की सरकार ने कुछ खास फैसले, कुछ विवाद, कुछ नाटक-नौटंकी के बाद इस्तीफा तो दे दिया है लेकिन इस फैसले के बाद कई अहम सवाल खड़े हो गएं, जिन सवालों का जवाब देश की जनता को देना और समझाना जरूरी है, जो शायद अरविंद केजरीवाल नहीं कर सकते हैं । क्योंकि अब वक्त आ गया है यह जानने का कि क्या वाकई अरविंद केजरीवाल आम आदमी के शुभचिंतक हैं? क्या अरविंद भ्रष्टाचार मिटाकर आम आदमी की तकलीफ दूर करने की नीयत से राजनीति में आए थे? और अगर वाकई केजरीवाल का मकसद आम आदमी की तकलीफों को दूर करना था तो फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी को जन लोकपाल बिल की आड़ में क्यों छोड़ दिया?

दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में सात सप्ताह (49 दिन) की सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल का जो रूप देश के सामने आया है उससे तो अरविंद केजरीवाल का मतलब आम आदमी से धोखा ही साबित हुआ। जिस आम आदमी की सहूलियत के लिए आम आदमी का मसीहा बनकर केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे, जनता को मुसीबत का लबादा ओढ़ाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी से अलग होने का फैसला कर लिया। अगर कुछ दिन पहले कि बात को ही याद करें तो केजरीवाल ने दिसंबर महीने में जनमत संग्रह से  दिल्ली की कमान संभाली थी, लेकिन यहीं से एक सवाल उठता है कि कुर्सी छोड़ने के लिए उन्होंने जनमत संग्रह क्यों नहीं किया? एक बात तो सच है कि अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद कहीं न कहीं वो आम आदमी ठगा सा महसूस कर रहा है जिसने आम आदमी पार्टी से आस लगा रखी थी कि अब उसे उसके हिस्से की बिजली मिलेगी, पीने का पानी मिलेगा और रिश्वतखोरी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

दरअसल, अरविंद ने जिस जनलोकपाल बिल के पास न होने के दर्द को मुददा बनाकर इस्तीफा दिया है उस दर्द का सच कुछ और ही है । अरविंद कभी ये चाहते ही नहीं थे कि स्वराज बिल और जनलोकपाल बिल पास हो जाए । क्योंकि अगर ऐसा होता तो वे मुद्दाविहीन हो जाते। इसलिए जनलोकपाल और स्वराज के मुद्दे को जीवित रखना इनकी मजबूरी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी की भावनाओं को जिस तरह से आप ने अपने वायदों से कैश किया उसे सत्ता में आने के बाद पूरा करना केजरीवाल के लिए आसमान से तारे तोड़कर लाने जैसा हो गया था। ऐसे में उनके सामने दो ही विकल्प थे- सड़क पर उतरने के लिए विधानसभा में सियासी शहादत दें या फिर सरकार में बने रहकर जनता से किए गए अपने वादे को पूरा न करने का जोखिम लें। स्वभाविक था, केजरीवाल ने पहला विकल्प चुना। वह दोबारा जनता में जाने के लिए किसी ऐसे मुद्दे की तलाश में थे, जिससे यह माना जाए कि वह 'शहीद'हो गए हैं और अरविंद केजरीवाल की दृष्टि में जन लोकपाल से बड़ा कोई और मुद्दा नहीं था। इसीलिए वह इसी मुद्दे को आगे लेकर आ गए, ताकि दोबारा जनता के बीच जाकर यह कह सकें कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने मिलकर उनकी सरकार नहीं चलने दी, लोगों में संदेश यह भी जाएगा कि केजरीवाल ने भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए सरकार की कुर्बानी दे दी। क्योंकि, कांग्रेस- बीजेपी उनकी इस लड़ाई को सफल नहीं होने दे रही थी। दूसरी बात की कांग्रेस को केजरीवाल भरपूर नुकसान पहुंचा चुके हैं लेकिन सरकार से बाहर आकर आम आदमी पार्टी अब बीजेपी को निशाने पर ले सकेगी। एक बात यह भी ​था कि पिछले कुछ दिनों से केजरीवाल और उनकी टीम दिल्ली के स्थानीय मुद्दों में ही उलझकर रह गई थी लेकिन अब वह राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दों को लेकर विपक्षी पार्टियों पर हमला कर सकेगी।

अब जरा एक नजर अरविंद केजरीवाल के 49 दिन के कार्यकाल पर डालें तो केजरीवाल का यह संक्षिप्त कार्यकाल विवादों से भरा रहा । शायद उन्होंने विवादों का चोला इसलिए पहना ताकि आम आदमी का ध्यान बंटा रहे और सरकार पर यह आरोप न लगे के आम आदमी की जिन बुनियादी मुश्किलों को दूर करने के लिए जनादेश मिला था, उससे भटक गए हैं । सच तो यह है कि केजरीवाल सरकार नहीं चला पा रहे थे, हर दिन वे या उनके प्यादे नई गलतियां कर रहे थे। पानी—बिजली के बिल घर पहुंचने लगे थे, जिन्हें छूट का लाभ मिला वो भी निराश थे क्योंकि जितना जोरशोर मचाया गया उस हिसाब से राहत नहीं मिल रही थी और जिन्हें छूट नहीं मिली उनके बिल पहले से ज्यादा आ रहे हैं , दिल्ली में ​बिजली की कटौती खूब हो रही थी, बलात्कार की घटनाएं रूक नहीं रही थीं, क्राइम भी शीला सरकार की याद दिलाती थी, हर दिन नौकरियों को स्थायी करने की डिमांड तेज हो रही थी, लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे, मजदूर संतुष्ट नहीं थे, लोगों का समर्थन कम होता जा रहा था, जनता दरबार फ्लॉप रहा, सोमनाथ भारती प्रकरण पर सरकार बैकफुट पर रही, उल्टे सोमनाथ के समर्थन और दिल्ली पुलिस के खिलाफ दिल्ली सरकार का पूरा कैबिनेट रेल भवन के सामने धरने पर बैठ गया, कई विधायक असंतुष्ट थे, दो विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। बहुमत की आकड़ेबाजी में केजरीवाल फिसल रहे थे, जो सपने केजरीवाल ने दिखाए वो पूरे नहीं होते दिखाई दे रहे थे, साथ ही उनकी हर रणनीति भी लोगों को नाराज कर रही थी, कहने का मतलब यह है कि केजरीवाल को यह पता चल गया कि अगर कुछ और दिन वो सरकार में रहे थे उनकी सारी पोल पट्टी खुल जाएगी। वो बेनकाब हो जाएंगे, इसलिए उन्होंने इस्तीफा देकर खुद को सियासी शहादत घोषित करने लगें । 

एक बात यह भी था कि केजरीवाल इस बात को बखूबी जानते या समझते थे कि अब मौसम भी अपना मिजाज बदलने वाला है। यानि ठंड के मौसम में बिजली और पानी कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं थी इसलिए जनता भी शांत थी, लेकिन अब मौसम गर्मी का आ रहा है और स्थिति ये है कि केजरीवाल के बिजली,पानी घर— घर पहुंचाने के वादों पर अमल तक नहीं किया गया,ऐसे में केजरीवाल का पोल खुलने वाला था। आम जनता के उम्मीदों के इंजीनियर बनकर उभरे केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने पानी—बिजली के मुददे पर ही सत्ता सौंपा था, लेकिन जनता एक बार फिर ठगी गई। 

बहरहाल अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता को जनलोकपाल के मुद्दे पर कुर्बान कर चुके हैं और इस कुर्बानी से पहले उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी के साथ-साथ कॉरपोरेट घरानों पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, ठीक उसी तरह जिस तरह 80 के दशक में वी पी सिंह ने लगाया था। हालांकि एक सच यह भी है कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए उन्हें ब्रेक चाहिए था। बावजूद इसके इस पूरे घटनाक्रम को अतीत से जोड़ लिया जाए तो केजरीवाल में देश को पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह की याद आने लगी है, जिन्होंने कांग्रेस में रहते हुए पार्टी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। कांग्रेस पर अंबानी सहित कई और कॉरपोरेट घरानों का साथ देने का आरोप लगाकर जनमोर्चा नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी। वी पी सिंह जनता को विश्वास दिलाने में कामयाब रहें कि कांग्रेस की सरकार भ्रष्ट है,वो वी पी सिंह ही थे जिन्होंने बोफोर्स स्कैम का मुद्दा उठाया था और इसी मुद्दे पर कांग्रेस से अलग भी हो गए थे। भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर वी पी सिंह चंद ​सालों में ही जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो गए और वह अपने महत्वकांक्षी सपने को यानि प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहें। ठीक उसी तरह अरविंद केजरीवाल भी भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर प्रधानमंत्री बनने के सपने संजो रहे हैं । लेकिन एक सच यह भी है कि आम जनता अतीत की भूल को दूबारा नहीं दोहराएगी। क्योंकि वी.पी.सिंह की सरकार ने जो आरक्षण और मंडल आयोग को लेकर देश में संकीर्णता और जातिवाद के घातक बीज बो दिए हैं उसकी फसलें आज भी बर्बाद हो रही हैं। ऐसे में आम जनता अरविंद केजरीवाल को दूबारा से उसी नक्शेकदम पर नहीं चलने देगी।

निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल में एक उम्मीद की किरण दिखी भी थी, लेकिन केजरीवाल ने इन तमाम भावनाओं के साथ साथ खिलवाड़ किया है। बीच मंझधार में दिल्ली के आम आदमी को छोड़कर आम आदमी पार्टी की सियासी चमक को बढ़ाने और प्रधानमंत्री का ख्वाब देखने वाले अरविंद केजरीवाल का यही असली सच है कि वह आम आदमी को सीढ़ी बनाकर सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठना चाहते हैं ना कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण की।

जल्द ही एक नए मुददे पर लेख आपके सामने होगा।



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दीपक कुमार
संपर्क :9555403291
ई मेल : Deepak841226@gmail.com
लेखक हिन्दुस्थान समाचार से जुड़े हैं।

बिहार : डाल्फिन को बचाना एक बड़ी चुनौती

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save dolphin in bihar
जलीय जीवों में डाॅल्फिन एक महत्वपूर्ण जीव है। नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने, भोजन चक्र की प्रक्रिया को बनाये रखने एवं पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए डाॅल्फिन को बचाना जरूरी है। गंगा एवं उसकी सहायक नदियां, नेपाल से निकलने वाली नदियां इस जलचर जीव के जीवन, प्रजनन व अठखेलियों के लिए अपना जल संसार न्यौछावर करती रही हैं, लेकिन अब मैली होती गंगा व उसकी सहायक नदियां में डाॅल्फिन की संख्या घटना चिंता का विशय है। इस चिंता के बीच डाॅल्फिन बचाने का प्रयास भी हो रहा है, जो स्वागतयोग्य है। बिहार में सुल्तानगंज से लेकर बटेश्वरस्थान (कहलगांव) तक का गंगा का 60 किलोमीटर का जल क्षेत्र 1991 में ‘विक्रमशीला डाॅल्फिन अभयारण्य’ घोषित किया गया। पटना विष्वविद्यालय के जंतु विज्ञान के प्राध्यापक डाॅ रविन्द्र कुमार सिन्हा के प्रयास से ही गांगेय डाॅल्फिन को राश्ट्रीय जलीय जीव घोशित किया गया एवं इसके षिकार पर प्रतिबंध लगाया गया। यह डाॅल्फिन संरक्षित क्षेत्र तब से इको ट्यूरिज्म के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। एक अनुमान के मुताबिक, 10 साल पहले इस संरक्षित क्षेत्र में करीब 100 डाॅल्फिन थे। आज इसकी संख्या बढ़कर 160-70 हो गयी है। यह सरकारी-गैरसरकारी संगठनों के प्रयासों का नतीजा है। यहां ब्लाइंड रिवर डाॅल्फिन प्रजाति की डाॅल्फिन पायी जाती है। इसका दूसरा नाम गंगेटिक डाॅल्फिन है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत, नेपाल, बांग्लादेश में करीब 3200 डाॅल्फिन बची है। चीन की नदियों में डाॅल्फिन 2006 में ही पूरी तरह ख्त्म हो गयी। खषी की बात है कि बिहार में अब भी करीब 1200-1300 डाॅल्फिन के बचे होने का अनुमान है।  

save dolphin in bihar
डाल्फिन के प्रति मछुआरों व आम लोगों को जागरूक करने एवं इस जलीय जीव की जिंदगी बचाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने तीन साल पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार की सलाह पर डाॅल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। 5 अक्टूबर 2013 को पहली बार ‘डाॅल्फिन डे’ मनाया गया। इस दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डाॅल्फिन पर उत्कृष्ट काम करने के लिए डाॅ गोपाल शर्मा को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गंगा में बढ़ते प्रदूशण के कारण डाॅल्फिन की घटती संख्या को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य में इस राजकीय जलीय जीव की रक्षा के लिए एक अंतरराश्ट्रीय षोध केंद्र स्थापित करने की घोशणा की। गंगा का इतना विस्तृत क्षेत्र छोड़कर भागलपुर के इस जल क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के पीछे कुछ इकोलाॅजिकल कारण रहे हैं। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, गंगा समभूमि प्रादेशिक केंद्र, पटना के प्रभारी सह वैज्ञानिक डाॅ गोपाल शर्मा का कहना है कि यहां गंगा की गहराई डाॅल्फिन के विचरण-प्रजनन के लिए अनुकूल है। पानी का वाॅल्यूम अच्छा है। नदी के दोनों किनारे फिक्स रहते हैं। कटाव की समस्या नहीं है। ये सब स्थितियां डाॅल्फिन के अनुकूल हैं। 
       
भागलपुर वन प्रमंडल के वन परिसर पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार पाठक कहते हैं कि वन विभाग के पास संसाधन नहीं है। मोटरबोट हैं तो खराब पड़े हैं। नाव भाड़े पर लेना पड़ता है। इसके बावजूद साल में दो-तीन बार विभाग की टीम पेट्रोलिंग करती है। डाॅल्फिन का शिकार न हो इसके लिए डाॅल्फिन मित्र बनाया गया है। मछुआरों को सख्त हिदायत है कि वे मछलियों को पकड़ने के लिए करेंटी जाल (मोनोफिलामेंट गिलमेड) न लगाएं, पर चोरी-छिपे वे यह जाल लगा देते हैं। इस जाल में डाॅल्फिन आसानी से फंस कर मर जाता है। सबसे अधिक किलिंग इसी जाल से होती है। समय-समय पर मछुआरों को जागरूक करने का कार्यक्रम चलाया जाता है, ताकि छोटी मछलियों का शिकार न किया जाये। छोटी मछलियां डाॅल्फिन का आहार है। मछुआरों के आंदोलन व गंगा दस्यु के गैंगवार के कारण डाॅल्फिन संरक्षण में विभाग को परेशानी होती है। पुलिस-प्रशासन की भी पूरी मदद नहीं मिलती है। वन विभाग की माने तो हाल के वर्षों में इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1971 के प्रावधानों के बारे में मछुआरों को जागरूक करने व विभागीय सख्ती के कारण डाॅल्फिन की किलिंग रुकी है। पटना में भी डाॅल्फिन का शिकार कम हुआ है। बिहार ट्यूरिज़्म डेवलपमेंट काॅरपोशन के प्रबंधक मुकेश कुमार का कहना है कि पर्यटन विभाग जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयारत है। 2009 से गंगा में सुमाफा क्रूज एवं आरबी बंगाल क्रूज का संचालन किया जा रहा है। जब से ये दो क्रूज चलाये जा रहे हैं, तब से डाॅल्फिन सेंचूरी घूमने देसी-विदेशी सैलानी पहुंच रहे हैं। साल में करीब 1000 सैलानी यहां आते हैं। विभाग की योजना और क्रूज चलाने की है। हालांकि, इन तमाम प्रयासों के बाद भी डाॅल्फिन को बचाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी है। कहलगांव स्थित एनटीपीसी थर्मल पावर ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया हुआ है, लेकिन कभी-कभी प्लांट से गर्म राख मिश्रित पानी गंगा में गिरते देखा जाता है। करीब डेढ़-दो साल पूर्व कहलगांव में गंगा में बड़ी संख्या में मछलियां तड़प-तड़प कर मर गयी थीं। थर्मल पावर का पाइप फट जाने के कारण गर्म पानी व राख की वजह से गंगा में मछलियां व अन्य जलीय जीव मर गये थे। जाहिर है कि जलीय जीवों के लिए गंगा का प्रदूशण जानलेवा है। 



santosh sarang

संतोष सारंग
(चरखा फीचर्स) 

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई पर लगाई रोक

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखते हुए सभी दोषियों की रिहाई पर रोक लगाई है। केंद्र सरकार ने आज जयाललिता सरकार द्वारा सभी सातों दोषियों को रिहा करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

इसके साथ ही केंद्र ने तीन दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, और संथन की फांसी को उम्रकैद में तब्दील करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार अपील दाखिल की है। सॉलिसिटर जनरल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होने तक दोषियों की रिहाई ना हो।

अपील करने का फैसला कल देर शाम लिया गया। सरकार की इस बैठक में कानून मंत्री कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल भी मौजूद थे। दरअसल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस मामले में दखल देने के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई है। कल राहुल गांधी ने कहा था कि अगर इस देश के पीएम को इंसाफ नहीं मिल सकता तो आम आदमी न्याय की उम्मीद कैसे करे।

दूसरी तरफ तमिलनाडु सरकार दोषियों की रिहाई के फैसले पर अड़ी है। तमिलनाडु सरकार के मुताबिक अगर तीन दिन में केंद्र से जवाब नहीं आता है तो सभी दोषी रिहा कर दिए जाएंगे। केंद्र ने जयललिता सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। केंद्र ने कहा है कि राज्य सरकार के ऐसा फैसला लेने का अधिकार नहीं है। अब केंद्र सरकार इस फैसले को रोकने में जुट गई है। केंद्र और राज्य सरकार अपने-अपने कानूनी दांवपेंच में जुट गए हैं। केंद्र का कहना है कि ऐसे फैसले लेने से पहले तमिलानडु सरकार को केंद्र सरकार से सहमति लेनी चाहिए थी, जबकि जयललिता सरकार का कहना है कि वह केंद्र का फैसला मानने को बाध्य नहीं है।

बुधवार को जयाललिता सरकार ने ऐलान किया था कि वो राजीव गांधी की हत्या के सभी सात दोषियों को रिहा करने जा रही है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर तीन दिन के भीतर अपना रुख साफ करने को कहा था। ऐसा न करने पर सभी दोषियों को रिहा करने की बात कही थी। हालांकि गृहमंत्री सुशील शिंदे ऐसी किसी चिट्ठी मिलने से इनकार किया है।

दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले पर राजनीतिक दलों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। अपने पिता राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई के जयललिता सरकार के फैसले से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी नाराज हैं। जयललिता के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा इस देश के पीएम की हत्या हुई और उनके हत्यारों को छोड़ा जा रहा है, मैं इस फैसले से दुखी हूं। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी इस फैसले पर ऐतराज जताया है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की साजिश के सात दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन, रॉबर्ट, राजकुमार, नलिनि और रविचंद्रन को जयाललिता सरकार ने रिहा करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 18 फरवरी को पेरारिवलन, मुरुगन, संथन की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी में देरी के आधार पर संथन, मुरुगन और पेरारिवलन की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया था।

बीजेपी राज्यसभा में तेलंगाना पर संशोधन पेश करेगी

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तेलंगाना बिल को लेकर राज्यसभा में बीजेपी और सरकार में सहमति बन गई है। सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा में बीजेपी तेलंगाना पर संशोधन पेश करेगी। गृह मंत्री सुशील शिंदे, कमलनाथ और जयराम रमेश ने आज बीजेपी नेता आडवाणी, सुषमा और जेटली से मिले उसके बाद ही सहमति बनी। इससे पूर्व भी बीजेपी ने कहा था कि राज्यसभा में इस बिल को लेकर वह दो संशोधन प्रस्ताव लाना चाहती है। अगर सदन में बीजेपी की ओर से लाया गया संशोधन प्रस्ताव पास हो जाता है तो बिल को फिर से पास होने के लिए लोकसभा में भेजा जाएगा।

तेलंगाना के मसले पर आज राज्यसभा में फिर हंगामा हुआ है और सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित करना पड़ा है। वैसे, केंद्र सरकार की ओर से तेलंगाना बिल को आज राज्यसभा में लाया जाएगा। सरकार की ओर से गुरुवार को भी बिल को सदन में लाने की कोशिश हुई थी, लेकिन भारी हंगामे के बीच इसे पेश नहीं किया जा सका। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही है। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि सीमांध्र को कम से कम पांच साल तक के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। कांग्रेस के अलावा बीजेपी भी सीमांध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने के हक में है।

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