संविधान में किसी भी राज्य के मंत्रिमंडल में सीएम समेत न्यूनतम 12 मंत्री की अनिवार्यता तो संविधान सम्मत नहीं उत्तराखण्ड का मंत्रिमंडल !
- उत्तराखंड में सीएम समेत महज 11 मंत्री ही हैं कैबिनेट में, सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद अब तक खाली है एक पद
- 11 मंत्रियों की कैबिनेट के फैसले किए जा सकते हैं चेलेंज
देहरादून,17 जुलाई। संविधान के अनुसार किसी भी राज्य की कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर न्यूनतम 12 मंत्री होना अनिवार्य हैं। लेकिन उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर केवल 11 मंत्री ही हैं। ऐसे में इस कैबिनेट की संवैधानिकता पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। कानून के जानकारों का मानना है कि राज्य कैबिनेट संविधान सम्मत नहीं हैं और सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद इस कैबिनेट में लिए गए फैसलों को न्यायलय में चुनौती दी जा सकती है। 2003 में संविधान में 91वां संशोधन किया गया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार या फिर किसी भी राज्य सरकार में मंत्रियों की संख्या दोनों सदनों के कुल सदस्यों का अधिकतम 15 फीसदी हो सकता है। इसमें प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल है। यह संशोधन के संविधान का धारा 164 (ए) में किया गया है। इसी संशोधन में लिखा गया है कि बशर्ते राज्य में मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री समेत 12 से कम न हो। अब बात उत्तराखंड की। राज्य में विधान परिषद नहीं है और राज्य विधानसभा में विधायकों की संख्या 70 है। इसका 15 फीसदी साढ़े दस ही हुआ। लेकिन संविधान की इसी धारा में प्रावधान है कि मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री को मिलाकर 12 से कम नहीं हो सकती है। इसी प्रावधान के तहत राज्य कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्री रहते हैं। बस सवाल यहीं खड़ा हो रहा है। काबीना मंत्री सुरेंद्र राकेश के जीवित रहते कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या संविधान के अनुरूप 12 ही थी। अपनी बीमारी की वजह से स्व. सुरेंद्र राकेश भले ही कैबिनेट की कई बैठकों में शामिल नहीं हो सके। लेकिन कैबिनेट पूरी तरह से संविधान के अनुसार ही रही। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद किसी नए मंत्री को कैबिनेट में शामिल न करने से हरीश कैबिनेट की संवैधानिकता पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। कहा जा रहा है कि कैबिनेट संविधान सम्मत नहीं है। पिछले लगभग आठ माह से राज्य कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत महज 11 मंत्री ही शामिल हैं। जबकि संविधान का धारा 164 (ए) के अनुसार कैबिनेट में सीएम समेत न्यूनतम 12 मंत्री होना अनिवार्य हैं। एक मंत्री की मौत के बाद राज्य कैबिनेट की तमाम बैठकें हो चुकी हैं और इनमें तमाम अहम फैसले भी लिए गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि अगर कैबिनेट ही संविधान सम्मत नहीं है तो उसके फैसलों को कैसे संवैधानिक माना जा सकता है। इस मामले में कानून के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री समेत 11 मंत्रियों वाली कैबिनेट की बैठक में लिए गए तमाम फैसलों को किसी भी दशा में संविधान सम्मत नहीं माना जा सकता है। इन्हें अदालत में चेलेंज किया जा सकता है।
संविधान की धारा 164 (ए) के अनुसार किसी भा राज्य की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्री होना अनिवार्य है। उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट में सीएम समेत 11 मंत्री ही हैं। ऐसे में इसे संविधान सम्मत नहीं माना जा सकता है। 11 मंत्रियों वाली कैबिनेट के फैसलों को चेलेंज भी किया जा सकता है। : नदीमुद्दीन, विधि विशेषज्ञ
हां, कैबिनेट में एक पद रिक्त है। उचित समय पर हाईकमान के निर्देश पर इसे भरा जाएगा। रही बात संविधान की तो उसकी व्याख्या करने में मैं खुद को समक्ष नहीं मानता हूं। : सुरेंद्र कुमार, सीएम के मीडिया को-आर्डिनेटर
96 विकासखण्डों में ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों के माध्यम से हुआ सघन वृक्षारोपण हरेला कार्यक्रम
- हिमालयी क्षेत्र का देष एवं पर्यावरण की रक्षा में विषेश योगदान: किषोर
देहरादून 17 जुलाई(निस)। प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष किषोर उपाध्याय ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड विषेशकर हिमालयी क्षेत्र का देष एवं पर्यावरण की रक्षा में विषेश योगदान रहा है तथा उत्तराखण्ड ने देष एवं विष्व के पर्यावरण की रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिस प्रकार लगातार हरियाली कम होती जा रही है उसकी रक्षा के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रमों का आयोजन आवष्यक हैं तथा वृक्षा रोपण वृहद स्तर पर किया जाना चाहिए। विष्व पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ देवभूमि की धरती 600 लाख लोगों को जीवन देने का काम कर रही है। पर्यावरण की रक्षा में उत्तराखण्ड के महत्व को अन्तर्राश्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाता रहा है। वृक्षा रोपण के रूप में हरेला मनाने की परम्परा के मुख्यमंत्री श्री हरीष रावत के प्रयासों को मजबूती प्रदान करना हम सबका नैतिक कर्तव्य भी बन जाता है। हरेला उत्सव प्रदेषभर के सभी 96 विकासखण्डों में ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों के माध्यम सघन वृक्षारोपण हरेला कार्यक्रम का आयोजन किया गया तथा एकदूसरे को हरेला की षुभकामनाएं दी गई। वहीं हरेला कार्यक्रम के तहत प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष श्री किषोर उपाध्याय के नेतृत्व में देहरादून जनपद के विकासखण्ड सहसपुर के ग्राम बंसीवाला ग्राम पंचायत झाझरा क्षेत्र में प्रातः सैकडों कांग्रेसजनों द्वारा व्यापक वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर उपाध्याय ने कहा कि हमारी सरकार ने ग्राम पंचायतों, वन पंचायतों, स्थानीय निकायों व वन विभाग के सहयोग से एक नया अभियान षुरूआत की है, जिसके अन्तर्गत गाजर घास, लैन्टीना घास के उन्मूलन का वृहद् स्तर पर अभियान चलाया जायेगा तथा उसके स्थान पर फलदार वृक्षों का रोपण किया जायेगा। हमें संगठन के माध्यम से गांववासियों विषेशकर महिलाओं एवं नौजवानों के सहयेाग से गांवों एवं षहरों में सघन वृक्षा रोपण कर 10 वर्श तक पेड़ों की रक्षा सुनिष्चित की जायेगी। हिमालयी राज्य होने के कारण यहां के जनमानस का वृक्षों के प्रति विषेश श्रद्धा एवं आदर का भाव रहा है। आज समय की मांग है कि हम सबको मिलकर पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ हिमालय की रक्षा के लिए आगे आना होगा। वृक्षा रोपण कार्यक्रम में प्रदेष कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोषी, प्रदेष कार्यक्रम समन्वयक राजेन्द्र षाह, महामंत्री आर्येन्द्र षर्मा, यामीन अंसारी, आईटी प्रकोश्ठ के अमरजीत ंिसह, सचिव अष्वनी कुमार, संगठन सचिव अनिल गुप्ता, अनिल रावत, विकास षर्मा, ब्लाक अध्यक्ष मेघ सिंह, ब्लाक प्रमुख रंजीता तोमर, सुरेन्द्र सिंह तोमर, जिला पंचयत सदस्य संजय कुमार, पिंकी देवी, मीरा देवी, कमलेष कुमारी, दुर्गा बहादुर थापा आदि सैकडों कार्यकर्ता षामिल थे।
हरेला कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्षारोपण से गया पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण का संदेश: मुख्यमंत्री
देहरादून 17 जुलाई(निस)। अगर हमें संतुलित व आर्थिक रूप से सक्षम उŸाराखण्ड बनाना है तो फलदार व चारा प्रजाति के पेड़ लगाने होंगे। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शुक्रवार को गोरखा मिलिट्री इंटर कालेज में हरेला के अवसर पर वृक्षारोपण करते हुए कहा कि इस बार हरेला पर जिस तरह से व्यापक जन अभियान द्वारा राज्य में बड़ी संख्या में उत्साह के साथ पेड़ लगाए गए हैं, उससे पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण का संदेश गया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि अभी तक बाहर से लाए गए चीड़ आदि के वृक्षों को महत्व दिया गया है। परंतु हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े स्थानीय वृक्षों पर ध्यान नहीं दिया गया है। हमने ‘मेरा पेड़ मेरा धन’ योजना में हमारे पारम्परिक व स्थानीय प्राकृतिक परिवेश के अनुकूल पेडों को अधिक महत्व दिया है। सीएम ने वन विभाग से अपेक्षा की कि वनों के बाहरी क्षेत्रों में मेहर का सघन रोपण किया जाए। इससे एक ‘मेहर वृक्ष’ का बफर जोन विकसित होगा और जंगली जानवरों के गांवों व खेतों में नुकसान पहुंचाने की समस्या भी कम होगी। सीएम ने कहा कि मंडुवा के साथ ही ‘जौ’ को भी अभियान के तौर पर लिया जाएगा। सीएम ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में आम की एक प्रजाति ऐसी पायी जाती है, जो कि डायबिटीक मरीजों के लिए सही होती है। वन विभाग पार्कोे के कुछ हिस्सों में ऐसे आम की प्रजातियों का सघन वृक्षारोपण करें। कुछ जोन महुआ के वृक्षारोपण के लिए भी किया जाए। महुआ ऐसी जगहों पर लगाएं जाएं जहा आम, सरसो व सागवान के पेड़ हैं। इससे मौनपालन क्षेत्र विकसित करने में सहायता मिलेगी। नदी घाटियों में डिग्रेडेबल फोरेस्ट में चूरा वृक्ष लगाए जाएं। देहरादून में रिस्पना व बिंदाल नदियों के किनारे वन विभाग एमडीडीए के साथ जगह जगह फूलों वाले पौधे लगाकर फ्लावर जोन विकसित करे। सीएम ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं में आयरन व आयोडिन की कमी है। राज्य सरकार ने महिलाओं को मण्डुवा, काला सोयाबिन व आयोडिनयुक्त नमक उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। ‘मेरा पेड़ मेरा धन’ योजना में ऐसे पेड़ लगाने पर बल दिया जा रहा है जो कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होंगे। इन पेड़ों का आर्थिकी के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी पक्ष भी है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शहीद गौतम गुरूंग को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गोरखा इंटर कालेज की अपनी गौरव गाथा रही है। आशा है कि यहां के छात्र छात्राएं इस परम्परा को बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि कम्पीटीटीव एक्सीलेंस के जमाने में प्रथम में प्रथम आना ही सफलता का पैमाना है। इसके लिए विद्यार्थियों को मेहनत से जुट जाना चाहिए। सीएम ने कार्यक्रम में उपस्थित स्कूली बच्चों का आह्वान किया कि अपने घरों में अमरूद का पेड़ जरूर लगाएं। उन्होंने उद्यान विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि गोरखा मिलिट्री इंटर कालेज के प्रत्येक बच्चे को अमरूद का पौधा उपलब्ध करवाया जाए। वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि सांस्कृतिक पर्व हरेला को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने की मुख्यमंत्री श्री रावत की पहल आज एक जन अभियान के रूप में दिख रही है। इससे हरित, निर्मल, स्वस्थ व स्वावलम्बी उŸाराखण्ड का निर्माण होगा। इसके माध्यम से पूरे विश्व में संदेश गया है। मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने टीकम सिंह, महंतराम, राधेसिंह, बचन सिंह, सिकंदर सिंह सहित ‘मेरा पेड़ मेरा धन’ योजना के अनेक लाभार्थियों को योजना के तहत प्रोत्साहन राशि की एफडी वितरित कीं। इस अवसर पर विधायक प्रो.जीतराम, मालचंद, पूर्व विधायक जोतसिंह गुनसोला, पीसीसीएफ श्रीकांत चंदोला सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, विद्यालय के प्राचार्य, अध्यापक सहित बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे मौजूद थे।
तीन लोगों की बह जाने से मृत्यु पर मुख्यमंत्री शोकाकुल
देहरादून 17 जुलाई(निस)। गुरूवार देर सायं जनपद देहरादून के कालसी तहसील के अन्तर्गत ग्राम सरहड़ी के पास नाला पार करते समय हुई दुर्घटना पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गहरा दुःख व्यक्त किया गया है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने दुर्घटना में मृत व्यक्तियों की आत्मा की शांति एवं दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को दुर्घटना में मृत लोगों के परिजनों को अनुमन्य अहेतुक राशि शीघ्र उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये हैं। ज्ञातव्य है कि गुरूवार देर सायं जनपद देहरादून के कालसी तहसील के अन्तर्गत ग्राम सरहड़ी के पास सरहड़ी नाला पार करते समय तीन लोगों की बह जाने से मृत्यु हो गई। मृतकों में 28 वर्षीय श्रीमती गुन्नीदेवी पत्नी श्री घन्ना, 32 वर्षीय श्री घन्ना सिंह पुत्र श्री केमू तथा 33 वर्षीय श्रीमती कम्मोदेवी सभी ग्राम सरहड़ी के निवासी थे।
राज्यपाल व सीएम ने दी ‘ईद-उल-फितर’ की बधाई
देहरादून, 17 जुलाई (निस)। राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेशवासियों को ने ‘ईद-उल-फितर’ के मौके पर बधाई एवं शुभकामनायें दी हंै। रमजान के पाक महीने की समाप्ति पर मनाये जाने वाले खुशी के इस पर्व के अवसर पर अपने संदेश में राज्यपाल ने कहा कि ‘‘ईद-उल-फितर के इस मुबारक अवसर पर राज्य के सभी नागरिकों विशेषतः मुस्लिम समुदाय को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि करूणा, त्याग, आपसी भाई-चारे तथा अमन-चैन के लिए सभी बुराइयों से दूर रहने की नसीहत देने वाला खुशियों का यह त्यौहार, मानवीय मूल्यों के लिए समर्पण तथा सहनशीलता के प्रति हमारे विश्वास को मजबूत करके समाज में समरसता व परस्पर प्रेम की भावना को और अधिक सुदृढ़ करेगा।’ उन्होंने कहा कि मेरा सभी सम्पन्न लोगों से आह्वान है कि दीन-दुखियों तथा साधन विहीन, लाचार लोगों की उदार हृदय से मदद करने के लिए आगे आकर इस पर्व की खुशियों को और बढ़ायें।
स्वामी वेद भारती के पार्थिव शरीर को जल समाधी
देहरादून, 17 जुलाई (निस)। ध्यान योग के लिए व्याख्यात डॉ. स्वामीराम के परम शिष्य ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी वेद भारती को बैरागी कैंप में संत समाज की ओर से जल समाधी दी गई। 84 वर्षीय वेदभारती का निधन 14 जुलाई को हिमालयन हॉस्पिटल में हुआ था। उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धालुओं व अनुयायिओं के दर्शनार्थ ऋषिकेश स्थित स्वामी राम साधक ग्राम में रखा गया था। सुबह 10 बजे साधक ग्राम से महा समाधी यात्रा हरिद्वार के लिए निकली। उनके अंतिम दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में अनुयायी यहां पंहुचे। हरिद्वार में बैरागी कैंप में संतों ने उन्हें जल समाधी दी। ध्यान योग के लिए विख्यात संत महामंडलेश्वर स्वामी वेद भारती स्वामी राम साधक ग्राम और स्वामी राम आश्रम साधना मंदिर के संस्थापक थे। विश्वभर में 56 देशों में उनके ध्यान केंद्र की शाखाएं संचालित होती हैं। देहरादून में जन्मे वेद भारती एक मूर्धन्य विद्वान थे। उन्होंने पारम्परिक रूप से वैदिक शिक्षा हासिल की थी। वह एचआईएचटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति भी रहे। हॉलैंड के विश्वविद्यालय ने उन्हें डीलिट की उपाधि दी थी। उन्होंने 1962 से 1968 तक मिनेसोठा विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफ़ेसर भी सेवाएं दी। 17 भाषाओँ पर अधिकार रखने वाले स्वामी वेद भारती जीवनकाल में 35 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं। वह सन 1969 में स्वामी राम के संपर्क में आए थे। चार दिसम्बर 1992 में उन्होंने सन्यास की दीक्षा ली थी।
ट्रेन से कटकर युवक की मौत
देहरादून, 17 जुलाई (निस)। ट्रेन से कटकर एक युवक की मौत हो गई। मृतक के पास मिले आइकार्ड के आधार पर उसकी शिनाख्त हो गई है। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बताया जा रहा है कि मृतक असाम का रहने वाला था। पुलिस से थाने के माध्यम से उसके परिजनों से संपर्क किया है।
शुक्रवार सुबह 6 बजे के लगभग रायवाला क्षेत्र के वन प्रभार के लोग गस्त पर थे। तभी उन्होंने रेलवे ट्रैक पर एक युवक का शव देखा। युवक की दाहिनी टांग कटी हुई थी। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पर मौके पर पहंुची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस के अनुसार युवक ने धारीदार नीले-लाल रंग की टीशर्ट पहनी हुई थी। कपड़ो में रखे पहचान पत्र से उसकी शिनाख्त हो पायी। मृतक की जेब से मिले ब्लॉक कांग्रेस कमेटी, सरु पत्थर, आसाम के पहचान पत्र के आधार पर उसकी शिनाख्त की गई। आई कार्ड में उसका परिचय अनिल बास्की निवासी जोनाकिपत्थर, नोजान पुलिस स्टेशन सरुपत्थर, असाम दर्ज है। युवक की उम्र 28 वर्ष के आसपास है। पुलिस ने युवके के निवास स्थान वाले थाने के माध्यम से उसके परिजनों से संपर्क किया है।
सूबे में बारिश फिर कहर बरपाने पर आमादा
देहरादून, 17 जुलाई (निस)। प्रदेश में हो रही बारिश फिर से कहर बरपाने पर आमादा दिख रही है। खराब मौसम के चलते केदारनाथ यात्रियों को प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड में रोक हुआ है। फिलहाल, हेलीकॉप्टर सेवा शुरू हो गई है। अब तक हेलीकॉप्टर से 18 यात्री केदारनाथ पहुंचे। अलबत्ता, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड यात्रा सुचारू है। शुक्रवार की सुबह हेंमकुंड के लिए 250 यात्री गोविंदघाट से घांघरिया के लिए रवाना हुए बदरीनाथ हाईवे शाम को चमोली में कुहेड़ के पास मलबा आने करीब तीन घंटे बंद रहा। इस दौरान यात्रियों की नंदप्रयाग संपर्क मार्ग से आवाजाही कराई गई। वहीं, उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत पर हो रहे भूस्खलन को देखते हुए प्रशासन ने ताबांखणी सुरंग से लगे बाहरी मार्ग पर आवाजाही रोक लगा दी है। साथ ही जिला प्रशासन ने भूस्खलन के मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इस बीच राज्य के अधिकांश हिस्सों में हो रही झमाझम बारिश का सिलसिला शुक्रवार सुबह रुक गया, लेकिन कहीं कहीं हल्की से मध्यम बारिश हो रही है। वहीं, मौसम विभाग द्वाराआज भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
70 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष टर्नओवर वाले निर्माता ही करेंगे दवाओं की आपूर्ति
देहरादून, 17 जुलाई (निस)। नई दवा खरीद नीति के तहत अब सरकारी अस्पतालों में सिर्फ वही औषधि निर्माता दवाओं की आपूर्ति कर सकेंगे, जिनकी विगत तीन वर्षाे का औसत टर्नओवर कम से कम 70 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष होगा। सरकारी अस्पतालों व औषधालयों के लिए दवा खरीद की नई नीति लागू की है। नई नीति के मुताबिक दवाओं की खरीद सिर्फ उन्हीं फर्माे से की जाएगी, जिनके पास डीजीओए (रक्षा मंत्रालय) का अनुमोदन व गुड लेबोरेटरी प्रेक्टिसेस का पंजीकरण प्रमाण पत्र होगा। निर्माता फार्माे को अपनी इकाई में स्थापित लैब से औषधि के उत्तम मानक कोटि का प्रमाण पत्र भी अनिवार्य रूप से देना होगा। साथ ही दवा उत्पादन व विक्रय का तीन वर्ष का अनुभव प्रमाण पत्र भी औषधि नियंत्रक से प्रमाणित कराना होगा। आपूर्ति की जाने वाली दवाएं उसके निर्माण तिथि से तीन माह से अधिक पुरानी नहीं होंगी। दवा के प्रत्येक लेबल, पेटी व अन्य पैकिंग प्रदर्शन पर यूकेजी सप्लाई नॉट फॉर सेलश् अंकित करना अनिवार्य होगा। आयातित दवाओं व वैक्सीनों की सुरक्षित अवधि 50 फीसद स्वीकार होगी। नई नीति के अनुसार 2012 में लागू आवश्यक औषधि सूची में शामिल दवाओं, सर्जिकल सामग्री व नैदानिक सामग्री की ही निविदा की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित 103 दवाओं को छोड़कर शेष समस्त दवाओं के टेंडर कराए जाएंगे। हीमोफीलिया, एनटी रेबीज व एनटी स्नेक आदि दवाओं के लिए एक बार टेंडर कराने पर यदि कोई निर्माता कंपनी टेंडर में भाग नहीं लेती, तो इन दवाओं की महत्ता को देखते हुए ईएसआई की निर्धारित दरों पर शासन के अनुमोदन के बाद ही खरीद की जाएगी। नई नीति में कोटेशन के जरिए दवाओं की खरीद पर रोक लगाई गई है। आपदा, दुर्घटना जैसी आकस्मिक परिस्थितियों में केंद्र व राज्य सरकारों के दवा निर्माता उपक्रमों से न्यूनतम दर पर दवाओं की खरीद की जा सकेगी, मगर इस प्रकार की खरीद के लिए एक स्तर के ऊपर के अधिकारी का औचित्य के साथ अनुमोदन लेना भी जरूरी होगा।
बोलेरो खाई में गिरने से दो की मौत, छह घायल
अल्मोड़ा, 17 जुलाई (निस)। अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ की ओर जा रही बोलेरो के खाई में गिरने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि छह लोग घायल हो गए। मौके पर पहंुची प्रशासन व पुलिस की टीम ने राहत बचाव कर घायलों को बाहर निकालकर उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। हादसा सुबह करीब छह बजे चितई मंदिर के पास हुआ। पिथौरागढ मार्ग पर बोलेरो संख्या यूके-05-टीए-1339 अनियंत्रित होकर करीब 70 मीटर गहरी खाई में गिर गई। घायलों की चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे व उन्होंने इसकी सूचना प्रशासन और पुलिस को दी। मौके पर पहंुची टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से राहत बचाव कर मृतकों और घायलों को खाई से बाहर निकाला। दुर्घटना में बागेश्वर निवासी रमेश चंद्र उम्र 30 वर्ष पुत्र देवीदत्त, लाल सिंह डिकरी उम्र 38 वर्ष पुत्र भीम सिंह निवासी धारचुला की मौके पर ही मौत हो गई। दुर्घटना में घायल छह लोगों को ग्रामीणों व पुलिस की मदद से खाई से निकालकर अस्पताल पहुचाया गया है।
बादल फटने से खेत बहे
रानीखेत, 17 जुलाई (निस)। अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत ब्लॉक के भगवान गांव में देर रात बादल फट गया। इससे करीब पांच सौ नाली से ज्यादा खेत बह गए। मिली जानकारी के अनुसार, बीती देर रात करीब दो बजे भारी बारिश के चलते अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत ब्लॉक के भगवान गांव में बादल फट गया। इससे कोई जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन क्षेत्र के पांच सौ नाली से ज्यादा खेत बह गए। वहीं, उफनाए बरसाती नालों की वजह से पांच मकान खतरे की जद में आ गए हैं। भूस्खलन के चलते भुजन-रिची-बिलेख रोड बाधित हो गई है। वहीं, एसडीएम रानीखेत के निर्देश पर तहसील टीम गांव के लिए रवाना हो गई है।
नौनिहालों से ढुलवाया फर्नीचर
धारचूला, 17 जुलाई (निस)। विद्यालयों में बच्चे पढ़ने जाते हैं। अभिभावक भी अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। विद्यालय में बच्चों को पढ़ने के स्थान पर अन्य कार्यों में लगा दिया जाए तो यह उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ही है। ऐसा ही हो रहा है तहसील के दूरस्थ राजकीय इंटर कालेज राथी में। जहां पर छात्रों से फर्नीचर ढुलवाया जा रहा है। जिसे लेकर अभिभावकों में आक्रोश व्याप्त है। अभिभावकों ने बच्चों से 5 किमी दूर से फर्नीचर ढुलवाए जाने को उत्पीड़न बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। रांथी राइंका के लिए इस समय फर्नीचर की आपूर्ति हो रही है। इसके लिए एक एजेंसी को ठेका दिया गया है। ठेका लेने वाली एजेंसी को फर्नीचर जिसमें कुर्सी, मेज, अलमारी आदि सामान विद्यालय तक पहुंचाना था। ठेके लेने वाली एजेंसी द्वारा फर्नीचर विद्यालय से पांच किमी दूर सड़क किनारे तक पहुंचा दिया गया। उसके बाद एजेंसी ने सुध भी नहीं ली। बरसात का मौसम होने से फर्नीचर खराब होते देख अब फर्नीचर विद्यालय के बच्चे ढोकर विद्यालय पहुंचा रहे हैं। एजेंसी द्वारा जिस स्थान पर फर्नीचर रखा गया है, वहां से विद्यालय पांच किमी की चढ़ाई पर स्थित है। विद्यालय पहुंचे बच्चे ढलान उतर कर फिर तीखी चढ़ाई चढ़कर फर्नीचर विद्यालय पहुंचा रहे हैं। इस पर अभिभावकों ने गहरा रोष जताया है। इसकी शिकायत खंड शिक्षाधिकारी से लेकर मुख्य शिक्षाधिकारी तक भेज दी है। बच्चों से फर्नीचर ढुलवाने के कारणों की जांच की मांग की है।
महिला यात्री यमुना में बही
उत्तरकाशी, 17 जुलाई (निस)। लगातार बारिश से लोगों की जान का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है। यमुनोत्री धाम में आई एक महिला यात्री पांव फिसलने से यमुना में बह गई। उसका शव यमुनोत्री से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर गरुड़ गंगा से बरामद कर लिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक के झाला गांव की कृष्णा देवी पत्नी किशन सिंह गांव के लोगों के दल के साथ यमुनोत्री धाम आई हुई थी। सुबह करीब पौने आठ बजे वह यमुना में नहा रही थी। तभी यमुना के तेज बहाव की चपेट में आने से वह बह गई। सूचना पर पुलिस उसकी तलाश में जुटी रही। बाद में उसका शव घटना स्थल से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर गरुड़ गंगा से बरामद हुआ। घटना के बाद झाला गांव में शोक की लहर दौड गयी।
राइंका गंगोलीहाट में वाणिज्य की पढ़ाई बंद
गंगोलीहाट, 17 जुलाई (निस)। राइंका गंगोलीहाट में वाणिज्य की पढ़ाई बंद हो गई है। शिक्षा विभाग के मानको के चलते वाणिज्य के एकमात्र शिक्षक को सरप्लस घोषित कर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया है। जिससे विद्यालय में वाणिज्य की पढ़ाई कर 26 विद्यार्थियों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। तहसील मुख्यालय स्थित राइका गंगोलीहाट में 35 वर्षाे से वाणिज्य की पढ़ाई कराई जा रही थी। विद्यालय से पढ़ाई करने वाले तमाम विद्यार्थी आज बड़े-बडे़ पदों पर सेवाएं कर रहे हैं, इस वर्ष विद्यालय में वाणिज्य विषय के एकमात्र शिक्षक को शिक्षा विभाग ने सरप्लस घोषित कर दिया है। शिक्षक को सरप्लस घोषित करने के साथ ही उन्हें दूसरे विद्यालय में स्थानांतरित भी कर दिया है। इससे विद्यालय में वाणिज्य विषय की पढ़ाई बंद हो गई है। विद्यालय में इस विषय की पढ़ाई कर रहे 26 विद्यार्थी अब अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं। इस समस्या से परेशान अभिभावकों ने पीटीए अध्यक्ष श्यामचरण उप्रेती की अध्यक्षता में बैठक की। बैठक में वक्ताओं ने शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई पर गहरा रोष जताते हुए कहा कि यह फैसला छात्र विरोधी है। इससे विद्यार्थियों के समक्ष पठन-पाठन की समस्या पैदा हो गई है। अभिभावकों ने विद्यालय में अविलंब वाणिज्य की पढ़ाई शुरू नहीं कराए जाने पर सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।
एक सप्ताह से बिजली गुल
बागेश्वर, 17 जुलाई (निस)। रवाईखाल में ट्रांसफार्मर फुंक जाने से गत एक सप्ताह से बिजली नहीं है, जिस कारण उपभोक्ताओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली के अभाव में बैंक, अस्पताल व आधार केंद्र में कार्य नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि विभागीय अधिकारियों को कई बार सूचित करने के उपरांत भी पावर कॉरपोरेशन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र रवाईखाल की विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा।
सुरंग में विस्फोट की अपवाह से हड़कंप
कपकोट, 17 जुलाई (निस)। उत्तर भारत हाइड्रो पावर कारपोरेशन की जल विद्युत परियोजना के तहत बनाई गई सुरंग नंबर-तीन के फट जाने की अफवाह से डोटिला गांव में हड़कंप मच गया। लोग घरों का सामान उठाकर बाहर निकल आए। बाद में पता चला कि सुरंग से हल्का रिसाव हो रहा था जिसे कुछ लोगों ने टनल फटने की अफवाह में तब्दील कर दिया। गत वर्ष भी टनल फटने के कारण गांव में काफी नुकसान हुआ था तथा लोगों के घरों में पानी भर गया था। इसी आशंका से लोग घरों से बाहर निकल आए। बाद में विधायक ललित फस्र्वाण, एसडीएम केएस टोलिया, तहसीलदार मदन सिंह बिरोडिया व एसओ सत्यप्रकाश रायपा ने गांव का निरीक्षण किया तथा विद्युत कंपनी को निर्देश दिए कि वह टनलों के आसपास रहने वाले परिवारों को पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराए।
वन अनुसंधान संस्थान मे मनाया गया वन महोत्सव
देहरादून, 17 जुलाई (निस)।वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा वैज्ञानिक छात्रावास न्यू फोरेस्ट में हरीतिका पर्व श्वन महोत्सवश् मनाया गया। इस शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक डा0 अश्विनी कुमार ने लीची और आम के पौधे रोपण किये । मुख्य अतिथि ने कहा कि वन महोत्सव के महत्व को बढ़ाने के लिए हमारी वन निर्देशिका-1952 में भी यह विदित था की देश के हर संस्थान, स्कूल, कालोनी, पार्क और बगीचे में बहुत संख्या में पेड़ लागाया जाऐ। इस अवसर पर लीची (लीची चाईनेन्सिस) व आम (मेंगीफेरा इंडिका ) के पौधो का चयन वन महोत्सव के अन्र्तगत किया गया क्योंकी कि देहरादून में विकास होने के कारण लीची व आम के पेडों की संख्या मे लगभग 60ः प्रतिशत की कमी आयी हैं। वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डा0 सविता, ने इस अवसर पर कहा कि जानवर और इन्सानो के बीच की लड़ाई को फलदार पौधो के वनीकरण के द्वारा कम किया जा सकता है इन पौधो के द्वारा बन्दर और इन्सानो के बीच की लड़ाई को कम किया जा सकेगा तथा पेडों की संख्या मे भी वृद्धि होगी इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने यह भी कहा की यह संस्थान वानिकी से जुडा संस्थान है औरो की अपेक्षा हमारा दायित्व ही नही अपितु नैतिक जिम्मेदारी भी बनती हैं कि हम इन फलदार वृक्षो की घटती संख्या को बढाये तथा वनो के विकास के लिए समाज के हर वर्ग को वानिकी से जोडे व फलदार पेडो को लागने का यह प्रयास देहरादून के लोगो को करना चाहिए ताकि इनकी घटती हुई संख्या को रोका जा सके। इस अवसर पर आईसीएफआरई के समस्त अधिकारी,वैज्ञानिक व एफआरआई के सभी अधिकारी, वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।