श्रीलंका में हुए आम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के अध्यक्ष रानिल विक्रमसिंघे ने अतीत की दरारों को भरने की कोशिश के तहत सभी देशवासियों से एकजुटता की अपील करते हुए एक राष्ट्रीय एकता सरकार का गठन करने की घोषणा की है । यह पूछे जाने पर कि क्या उनके एकता के परिभाषा के दायरे में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे भी आते हैं ,श्री विक्रमसिंघे ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते हुए कहा कि इसके दायरे में सभी आते हैं। वर्ष 2009 में आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के पिछले 26 साल के वर्चस्व को खत्म करने के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं के लिए विश्व स्तर पर कटु आलोचनाओं से घिरे श्री राजपक्षे इस चुनाव के जरिये सत्ता में वापसी की उम्मीदें लगाये बैठे थे लेकिन श्री विक्रमसिंघे की पार्टी ने उनकी यह अाखिरी उम्मीद भी तोड़ दी।
66 वर्षीय श्री विक्रमसिंघे ने लेकिन चुनाव में हुई जीत के बाद अपने सुर में नरमी लाते हुए आज कहा कि वह चाहते हैं कि अब सब साथ चलें। अब देश के बारे में सोचें, लोगों के बारे में सोचें। उन्होंने अपने आधिकारिक आवास के लाॅन में जुटे टेलीविजन पत्रकारों को कहा कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने की उम्मीद कर रहे हैं। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने गत जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जब से श्री राजपक्षे को शिकस्त दी थी, तब से श्री विक्रमसिंघे देश में अल्पमत की सरकार चला रहे थे। इस आम चुनाव में उनकी पार्टी यूएनपी ने कुल 225 सीटों पर से 106 पर जीत हासिल की है जबकि श्री राजपक्षे की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम एलाएंस (यूपीएफए) 95 सीटों पर जीत करके दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है।
यूएनपी बहुमत में नहीं है लेकिन विपक्षी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) में श्री सिरीसेना के समर्थकों पर भरोसा करके वह सरकार के गठन की उम्मीद कर रही है। श्री विक्रमसिंघे ने कहा कि वह जल्द ही श्री सिरीसेना से मुलाकात करके सरकार के गठन और नीतियों के एजेंडे पर चर्चा करेंगे, जिसे एक सितंबर को पार्लियामेंट में पेश किया जायेगा। श्री राजपक्षे नौ साल तक श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर रहे लेकिन इस साल पहले राष्ट्रपति चुनाव हारकर उन्हें पहला झटका लगा और अब दूसरा झटका उन्हें आम चुनाव में यूएनपी से हारने पर लगा। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि यूपीएफए की टिकट से जीत हासिल करने वाले कुछ नेता भी यूएनपी से हाथ मिला सकते हैं।