छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित झीरम घाटी इलाके में शुक्रवार देर रात एसटीएफ की टीम पर नक्सलियों ने हमला कर दिया। इस हमले में एक प्लाटून कमांडर शहीद हो गए, जबकि दो जवान घायल हो गए।
नक्सलियों ने एनएच 6 पर गहरा गड्ढा खोद दिया था और पेड़ काटकर गिरा दिए थे। देर रात एनएच पर दोनों तरफ लंबा जाम लग गया था। ट्रैफिक बहाल करने के लिए एसटीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी को देर रात घटनास्थल पर भेजा गया। जवान काम में जुटे हुए थे। तभी आसपास छिपे नक्सलियों ने जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जवानों और नक्सलियों के बीच रात 2 बजे से सुबह 4 बजे तक मुठभेड़ चली। इसके बाद नक्सली मौके से फरार हो गए। हमले में एसटीएफ के प्लाटून कमांडर कृष्ण प्रताप सिंह शहीद हो गए। वे मध्य प्रदेश के भिंड के रहने वाले थे। शहीद कृष्ण तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके पिता आर्मी से रिटायर्ड हैं। कृष्ण प्रताप सिंह का छोटा भाई भी आर्मी में है। वह लेह में तैनात है।
झीरम घाटी को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इस वजह से यहां से गुजरते वक्त जवान ज्यादा सावधानी बरतते हैं। रात की घटना के वक्त भी जवान अलर्ट थे। सूत्रों के मुताबिक, जवान संभलने में थोड़ा और समय लेते तो बड़ी घटना हो सकती थी। झीरम घाटी में ही मई 2013 में नक्सलियों ने कांग्रेसी नेताओं के काफिले को निशाना बनाया था। इसमें 30 से ज्यादा नेताओं की मौत हो गई थी। मार्च 2014 में भी नक्सलियों ने गश्त पर निकले जवानों पर हमला किया था। इसमें सीआरपीएफ के 15 जवान शहीद हो गए थे।
नक्सलियों ने 1000 से ज्यादा ग्रामीणों की मदद से 100 से ज्यादा पेड़ कटवाए और सड़क पर गहरा गड्ढा खोद दिया। इससे रोड ब्लॉक हो गया और जाम लग गया। नक्सली जानते थे कि सड़क में यातायात बहाल करने के लिए जवान आएंगे, इसलिए वे घात लगाकर बैठ गए। जैसे ही एसटीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी मौके पर पहुंची नक्सलियों अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। हमले में एक जवान शहीद हुआ है, कुछ नक्सलियों के भी मारे जाने की सूचना मिल रही है।