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बिहार में मतदान समाप्त, अंतिम चरण की 57 सीटों पर रिकार्ड 60 प्रतिशत हुआ मतदान

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पटना 05 नवम्बर, बिहार विधान सभा की 243 में से 57 सीटों के लिए आज पांचवे और अंतिम चरण का  मतदान अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न हो गया और इस दौरान 60 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में करीब साढ़े चार प्रतिशत अधिक है । राज्य के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर लक्ष्मणन ने यहां बताया कि मधुबनी, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा और दरभंगा जिले के 57 विधानसभा क्षेत्रों में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ था । उग्रवाद प्रभावित महिषी और सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान अपराह्न तीन बजे जबकि अन्य 55 विधानसभा क्षेत्रों में शाम पांच बजे समाप्त हो गया । उन्होंने बताया कि कटिहार जिले में सबसे अधिक 67.27 प्रतिशत और सहरसा जिले में सबसे कम 50.78 प्रतिशत मतदान हुआ है । श्री लक्ष्मणन ने बताया कि मधुबनी में 55.87, सुपौल में 58.60, अररिया 62, किशनगंज में 64.39, पूणियां में 62.95 , मधेपुरा में 57.84 और दरभंगा में 58.27 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया है । अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि पिछले चार चरणों का रिकार्ड पांचवें चरण के मतदान में टूट गया है । इससे पहले एक नवम्बर को 55 सीटों के लिए हुए चौथे चरण के मतदान में सबसे अधिक 57.59 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया था। वहीं 12 अक्टूबर के पहले चरण के मतदान में 57 प्रतिशत, 16 अक्टूबर के दूसरे चरण की 32 सीट पर 55 और 28 अक्टूबर के तीसरे चरण की 50 सीट पर 53.32 प्रतिशत मतदान हुआ था । इस तरह बिहार विधानसभा की सभी 243 सीट के लिए औसत 56.47 प्रतिशत मतदान हुआ ।

श्री लक्ष्मणण ने बताया कि हर चरण के मतदान की तरह ही महिलाओं ने एक बार फिर पुरूषों को पीछे छोड़ दिया।  इस चरण में जहां 56.05 प्रतिशत पुरूषों ने मतदान किया वहीं 63 .60 फीसदी महिलाओं ने अपने मतधिकार का प्रयोग किया। पांचवे चरण में दो मतदान केन्द्रों में मतदाताओं ने विकास के विभिन्न मुद्दे पर बहिष्कार किया। मधुबनी जिले के बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र संख्या 208 तथा कटिहार जिले के मनिहारी विधान सभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र संख्या 165 पर मतदाताओं ने वोट बहिष्कार किया।  अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि अंतिम चरण में 799 मतदान केन्द्रों की वेबकास्टिंग की गयी।  मतदान के दौरान 59 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि नौ मोटरसाईकिल , एक बोलेरो और तीन स्कार्पियों  बरामद किया गया ।  बिहार के इस बार के चुनाव में सबसे उत्साहवर्द्धक बात रही कि महिलों ने पुरूषों से ज्यादा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया । सभी चरणों में महिलाओं का प्रतिशत पुरूषों की तुलना में ज्यादा रहा । विधानसभा की 243 सीट के लिए इस बार के चुनाव में कुल 3455 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया है । राज्य में इस बार छह करोड़ 70 लाख 12 हजार 755 मतदाता थे ।

आज पांचवें और आखिरी चरण के चुनाव वाले 57 क्षेत्रों के मतदाताओं ने 14709 मतदान केन्द्रों पर इवीएम का बटन दबा कर 827 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर दिया है । आज के मतदान में जिन दिग्गजों की किस्मत का फैसला मतदाताओं ने कर दिया है उनमें नीतीश सरकार में मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव (सुपौल), बीमा भारती (रूपौली), लेसी सिंह (धमदाहा), दुलालचंद गोस्वामी (बलरामपुर), नौशाद आलम (ठाकुरगंज), राष्ट्रीय जनता दल :राजद: विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी (अलीनगर),ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरूल ईमान (कोचाधामन), पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा (झंझारपुर), पूर्व मंत्री रामजीदास ऋषिदेव(रानीगंज), नरेंद्र नारायण यादव(आलमनगर), रवींद्र चरण यादव(बिहारीगंज), हिमराज सिंह (कदवा), महेन्द्र नारायण यादव (प्राणपुर), पूर्व सांसद विश्वमोहन कुमार (पिपरा) और दिनेश चंद्र यादव (सिमरी बख्तियारपुर) शामिल हैं । बिहार में इस बार सतारूढ़ जनता दल यूनाइटेड :जदयू: ,राजद और कांग्रेस महागठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरे थे । भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन :राजग: में लोक जनशक्ति पार्टी :लोजपा:, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी:रालोसपा: और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा:हम: शामिल हैं । एआईएमआईएम ने राज्य में पहली बार अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा । पांचवें चरण के चुनाव वाले छह क्षेत्रों में ही उसके प्रत्याशी किस्मत आजमाने उतरे । जदयू ने 25, राजद ने 20 और कांग्रेस ने 12 उम्मीदवार खड़े किये जबकि राजग में शामिल भाजपा 38, लोजपा 11 , रालोसपा 05 और हम 03 सीट पर चुनाव लड़ा। इसी तरह इस क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पार्टी :जाप: ने 40 और सांसद तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री तारिक अनवर की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी :राकांपा: ने 15 सीट पर उम्मीदवार खड़ा किया था । वर्ष 2010 के पिछले विधानसभा चुनाव में इन 57 सीटो में से जदयू ने 20 ,भाजपा ने 23 और राजद ने 08 सीट, लोजपा ने 02 ,कांग्रेस ने 03 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी । उस चुनाव में भाजपा और जदयू का गठबंधन था । वहीं राजद लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस अकेले अपने दम पर मैदान में उतरी थी ।

अधिकांश एग्जिट पोल में महागठबंधन और राजग के बीच कांटे की टक्कर

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पटना 05 नवम्बर, बिहार में मतदान के तुरंत बाद कराये गये सर्वे (एग्जिट पोल) में भी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर के अनुमान से लोगों की दुविधा अभी भी बनी हुई है कि आखिर किस की सरकार बनेगी । बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से आखिरी चरण की 57 सीटों के लिए आज मतदान समाप्त होने के बाद अलग-अलग एजेंसियों और न्यूज चैनलों ने एक्जिट पोल का नतीजा जारी किया है जिसमें से छह में श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन की सरकार बनने की संभावना जतायी गयी है । वहीं पांच में राजग को बढ़त मिलने का अनुमान लगाया गया है । 

इंडिया टीवी-सी वोटर के अनुसार राजग को 120 ,महागठबंधन को 117 और अन्य को 06, इंडिया टूडे (आज तक) सिसेरो के अनुसार राजग को 122, महागठबंधन को 117 और अन्य को 06, ईटीवी-न्यूज 24 चाणक्या के अनुसार राजग को 155, महागठबंधन को 83 और अन्य को 05, आईबीएन-एक्सिस के अनुसार राजग को 120, महागठबंधन को 117 और अन्य को 06, प्लेटफॉर्म फॉर इलेक्शन एनेलेसिस एंड कम्युनिटी स्टडीज (पेस) के अनुसार राजग को 122 ,महागठबंधन को 112 और अन्य को 9 सीट मिलने का अनुमान है । वहीं एबीपी न्यूज नीलसन ने महागठबंधन को 130, राजग को 108 और अन्य को 05, इंडिया टीवी सी वोटर ने महागठबंधन 122, राजग 111 और अन्य को 10, न्यूज नेशन ने महागठबंधन को 122, राजग को 117 और अन्य को चार, न्यूज एक्स ने महागठबंधन को 135, स्थानीय आर्यन टीवी ने महागठबंधन को 124, राजग को 112 और अन्य को 07, कशिश न्यूज ने महागठबंधन को 130 राजग को 110 और अन्य को 03 सीटों पर बढ़त मिलने की सम्भावना जतायी है । 

एबीपी न्यूज नीलसन के एग्जिट पोल के अनुसार महागठबंधन को पहला, तीसरा और पांचवां चरण में जबकि
राजग को सिर्फ चौथे चरण के मतदान वाली सीटों पर बढ़त मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया । इस एग्जिट पोल में पहले चरण की 49 सीट में से महागठबंधन को 25, राजग को 22 और अन्य को 02, दूसरे चरण की 32 सीट में से महागठबंधन और राजग को 16-16, तीसरे चरण की 50 सीट में से राजग को 13 जदयू को 37 ,चौथे चरण की 55 सीट में से राजग को 33 और जदयू को 20 अन्य को दो ,पांचवे चरण की 57 सीट में से राजग को 24  और जदयू को 32 और अन्य को एक सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है । एबीपी न्यूज नीलसन के अनुसार जदयू को 44 राजग को 42 और अन्य को 14 प्रतिशत मत मिलने का अनुमान है । इसी तरह इंडिया टूडे (आज तक) सिसेरो के एग्जिट पोल में भाजपा को 41 और जदयू को 30 तथा अन्य को 19 प्रतिशत मत मिलने की संभावना जताई गयी है । 

गौरतलब है कि 12 अक्टूबर को प्रथम चरण के मतदान से पहले नौ अक्टूबर को इन्ही एजेंसियों और न्यूज चैनलों ने चुनाव पूर्व सर्वे में राजग को बढ़त दिखाया था । उस समय एबीपी न्यूज नीलसन ने राजग को 128 , महागठबंधन को 112 और अन्य को 03, इंडिया टीवी-सी वोटर ने राजग को 119 , महागठबंधन को 116 और अन्य को 08, न्यूज नेशन ने राजग को 122 , महागठबंधन को 117 और अन्य को चार, प्लेटफॉर्म फॉर इलेक्शन एनेलेसिस एंड कम्युनिटी स्टडीज (पेस) ने राजग को 132 , महागठबंधन को 94 और अन्य को 17 जबकि आईबीएन-एक्सिस ने महागठबंधन को 137, राजग को 95 और अन्य को 11 तथा इंडिया टूडे-सिसेरो ने महागठबंधन को 122, राजग को 111 और अन्य को 10 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया था ।

बिहार में चार संपादकों और मुद्रकों के खिलाफ प्राथमिकी

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मुजफ्फरपुर 05 नवम्बर, निर्वाचन आयोग के निर्देश पर प्रचार थमने के बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर से विज्ञापन प्रकाशित करने को लेकर चार समाचार पत्रों के संपादक और मुद्रक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है ।  आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि जिलाधिकारी सह निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर मुजफ्फरपुर जिले के चार प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों के संपादक और मुद्रक के खिलाफ आदर्श नगर थाने में यह प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। प्राथमिकी में देशद्रोह की धारायें भी लगायी गयी है।

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने बुधवार को राज्य के पांचवे चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में गाय से संबंधित भारतीय जनता पार्टी :भाजपा: का विज्ञापन छापने वाले अखबारों के सम्पादक और प्रकाशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था । भाजपा की ओर से कई अखबारों में एक विज्ञापन प्रकाशित कराया गया था और इसको लेकर महागठबंधन के लोगों ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी । इसके बाद आयोग ने उस विवादास्पद विज्ञापन को प्रकाशित करने वाले सभी अखबारों के सम्पादक और प्रकाशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था ।

मनरेगा योजना के अन्तर्गत समय पर मजदूरी मिले: रघुवर दास

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रांची 05 नवम्बर,  झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि सूखे की स्थिति में रोजगार एवं मनरेगा योजना के अन्तर्गत कार्य करने वाले व्यक्तियों को समय पर मजदूरी दिये जाने के निर्देश दिये गये। श्री दास ने यहां प्रोजेक्ट भवन स्थित सभाकक्ष मेें ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा करते हुए माॅडल योजना (खेत के 20वें हिस्से में सिंचाई के लिए तालाब का निर्माण किये जाने तथा कुएं से जल निकासी के लिए पम्पसेट का प्रावधान किये जाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी बजट के पूर्व राज्य के विभिन्न जिलों में अवस्थित गाँवों में जाकर ग्रामीणों से सुझाव प्राप्त किया जाएगा। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें कौशल विकास से जोड़ा जाएगा। कौशल विकास का कार्य गाँव के पंचायत भवन से किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्य के लिए जापान की संस्था जे0आई0सी0ए0 द्वारा 250 करोड़ रूपया उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने एन0आर0एल0एम0 योजना के तहत रोजगार के लिए खेती-बागवानी, पशुपालन तथा गैर कृषि योग कार्य यथा लाह ्तसर दुकान के लिए प्रशिक्षण देने एवं रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्रवाई करने का निदेश दिया। गाँव के वैसे बंजर भूमि पर जहां कृषि कार्य नहीं किया जाता है, उन्हें चिन्हित कर सोलर फार्म विकसित करने का मेकेनिज्म विकसित किया जाए। इससे उक्त ग्रामीण को तो वित्तीय लाभ होगा ही गांव के लिए आवष्यक उर्जा का उत्पादन गांव में ही हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने अमर स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुण्डा, सिदो कान्हु, शेख भिखारी एवं टिकैट उमरांव सिंह के गांवों को आदर्ष गांव बनाने के लिए किए गए कार्यों की भी समीक्षा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इन गांवों में सौर उर्जा से प्रत्येक घर में बिजली तथा स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि विद्यालय भवन को भी अपग्रेड किया जाना है। गांव में विद्यालय, स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण एवं ग्रामीण सड़कों का सम्पर्क मुख्य सड़क से किया जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने इंदिरा आवास योजना की भी समीक्षा की गई।

श्री दास ने कहा कि जिन अपूर्ण इंदिरा आवास के लिए राशि सुलभ नहीं है, उस मद में राज्य सरकार राशि उपलब्ध कराएगी। राज्य सम्पोषित योजना के लिए उपलब्ध आवंटन 635 करोड़ के विरूद्ध 448 करोड़ की राशि व्यय की जा चुकी है। इस योजना में अतिरिक्त 1000 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है। ग्राम सेतु योजना में 302 करोड़ के विरूद्ध 246 करोड़ तथा ग्रामीण सड़क में 406 करोड़ के विरूद्ध 395 करोड़ की राषि व्यय हो चुकी है। 13 सौ योजनाओं का डी0पी0आर0 लगभग तैयार हो चुका है। 936 योजनाओं की निविदा हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने निर्धारित मापदण्ड के अनुसार कार्य नहीं होने की स्थिति मेें दोषी पदाधिकारी,कर्मचारी के विरूद्ध कार्रवाई करने तथा कार्य छोड़ कर भाग जाने वाले संवेदकों के विरूद्ध भी प्राथमिकी दर्ज किये जाने के निर्देश दिये। बैठक में ग्रामीण विकास मंत्रीश्री नीलकंठ सिंह मुण्डा, मुख्य सचिव राजीव गौबा, विकास आयुक्त आर0एस0 पोद्दार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, प्रधान सचिव योजना-सह-वित्त अमित खरे, सचिव ग्रामीण कार्य विभाग श्री एम0आर0मीणा एवं अन्य संबंधित विभाग के वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

भाग्यश्री ने भी बेटे को लांच करने का मन बनाया

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मैंने प्यार किया जैसी सुपरहिट देने पालीबॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री पटवर्धन के बेटे अभिमन्यु बॉलीवुड में डेब्यू करने के लिए तैयार हैं।भाग्यश्री ने कहा कि उनका बेटा जल्द ही इंडस्ट्री के लोगों से मिलना शुरू करेगा। भाग्यश्री से पूछा गया कि क्या अन्य स्टार किड्स की तरह अभिमन्यु को भी सलमान खान लांच करेंगे, इस सवाल के जवाब में भाग्यश्री ने कहा, ‘ मेरा बेटा फिल्म में आने के लिए ट्रेनिंग कर रहा है। उन्होंने अब तक किसी से मिलना शुरू नहीं किया, वह जल्द ही शुरू करेंगे।

भाग्यश्री ‘प्रेम रतन धन पायो’ का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।उन्होंने ‘मैंने प्यार किया’ के वक्त को याद करते हुए कहा, ‘वे मेरी असली शादी से दो दिन पहले मेरे हाथों में मेहंदी लगाने वाले थे। सारा शूट इस तरीके से प्लान किया गया था कि मुझे अच्छे से अलविदा कहा जाए। वह मेरे लिए बहुत प्यारी स्मृति है।’

स्टार किड्स आलिया भट्ट, अर्जुन कपूर और वरुण धवन जैसे कलाकारों ने खुद को इंडस्ट्री में स्थापित कर लिया है। अथिया शेट्टी और सूरज पंचोली ने अपनी पहली फिल्म से लोगों की वाह वाही बटोर ली है। अब इस कड़ी में अगला नाम भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु का है जो अपने लांच के लिए जम कर तैयारी कर रहे हैं। एक के बाद एक स्टार किड्स के इंडस्ट्री में डेब्यू करने से लग रहा है बॉलीवुड पर जल्द ही स्टार किड्स का राज होगा।

आलिया संग रोमांश करेगें शाहरुख

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फिल्म‘इंग्लिश विंग्लिश’ के बाद में  निर्देशक के तौर पर अपनी दूसरी फिल्म बनाने जा रही गौरी शिंदे इस बार शाहरुख खान और भट्ट के साथ काम करेंगी। उनका कहना है कि इस फिल्म की कहानी आम प्रेमकहानी नहीं होगी।  गौरी ने कहा कि अभी इंतजार करें और देखें। यह वैसी आम कहानी नहीं होगी जैसा लोग सोचते हैं। एक मर्द और औरत यकिसी और वजह से भीद्ध साथ हो सकते हैं।

गौरी की निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म ‘ फिल्म‘इंग्लिश विंग्लिश’ को सभी तरफ से वाहवाही मिली थी। वह अपनी नई फिल्म की कहानी अभी रहस्य के तौर पर ही रखना चाहती हैं। उनकी इस अनाम फिल्म के निर्माता करण जौहर हैं। इससे पहले आलिया ने कहा था कि शाहरुख के साथ काम करने को लेकर वह घबराई हुई हैं जबकि गौरी इसे अच्छा बताती हैं। गौरी शाहरुख के साथ काम करने को लेकर अपनी खुशकिस्मती मानती हैं। इस फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होगी।

बिहार चुनाव : भटकते मुद्दे, जुबानी जंग

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बिहार का विधानसभा चुनाव ने किसी को नही छोड़ा. बाकी सारे राज्यों में रहे चुनावी मुद्दों से अलग यहां चुनाव लड़ा जा रहा है. एक तरफ एडीए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन भी कुछ कम नही है. गौरतलब है इस विधानसभा के चुनाव में भ्रष्टाचार, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी, मंहगाई नही है. इससे अलग हटकर चुनाव लड़ा जा रहा है. वो मुद्दा है गाय का. बिहार में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा था, विकास के मुद्दों से हटकर बातें शुरू हो गई थी. 

पहले मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर जुबानी जंग की शुरूआत हुई. फिर देश में हुए दुखद दादरी काण्ड की घटना पर बिहार के विधानसभा चुनाव का पारा गरम हो गया. राज्य का चुनावी माहौल बीफ के आस-पास आकर रूक गया. बीफ राजनेताओं के लिए चुनावी मुद्दा बन गया.  बीजेपी के नेता कह रहे थे, कि हमारी सरकार आई तो बिहार में बीफ बैन करा देंगें. जबकि बिहार में पहले से इस पर पाबंदी है. अब आरजेडी प्रमुख की बात कर लेते है, इस पर उन्होनें एक समुदाय कार्ड खेलते हुए कह दिया. हिंदु भी तो बीफ खाते है.

 हालांकि दूसरे दिन लालू बैकफुट पर दिखे थे. तभी इस मामले में नया मोड़ आ गया. आरजेड़ी नेता रघुवंश यादव ने कह दिया कि ऋषि मुनि भी बीफ खाते थे. कहते है कि बिन गुरू ज्ञान कहां. ये सच भी है. रघुवंश यादव को किसी अच्छे गुरू की जरूरत है. जो उनको शास्त्रों और पुराणों का ज्ञान दे. इतना सुनते ही दूसरे राजनीतिक दल ने लालू पर जमकर निशाना साधा. 

भाजपा की तरफ से कहा गया कि अगर इनकी सरकार आई तो क्या बिहार के लोगों को बीफ खाना पड़ेगा. इस मुद्दे में थोड़ी नर्मी आई तो इस चुनाव में शैतान और बह्रमराक्षस भी आ गए. जुबानी जंग थमने का नाम ही नही ले रही थी. लालू ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कह दिया कि उनके पास बह्रमराक्षस को भगाने की विधि है.

 शब्दों के बाण रूकने का नाम नही ले रहे थे, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने लालू को चारा घोटाले की बात कही, तो जवाब में लालू ने गोधरा काण्ड का हवाला देते हुए कहा उन्हें नरभक्षी कह डाला. बिहार चुनाव में तो ऐसा लग रहा है कि जैसे दो राजनीतिक दल ही सक्रिय है. एक बीजेपी, दूसरी आरजेडी.  दोनों में ही तनातनी देखने को मिलती है. कांग्रेस का हाल तो ऐसा है, जैसे भेड़ की झुण्ड़ में कोई एक बकरी. ऐसा लग रहा है, कांग्रेस अपनी साख बचाने के लिए महागठबंधन में शामिल हो गई है. बिहार में चुनावी सभा न करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष पंजाब का दौरा कर रहे हैं. दो चरण का चुनाव होने के बाद भी जुबानी कटार रूकी नही है. लालू ने एक बार फिर दशहरे को करीब आते देख जुबान से पीएम पर निशाना साधते हुए एक नया तीर छोड़ा. उन्होने कहा कि इस चुनाव में साम्प्रदायिकता रूपी रावण का दहन हो जाएगा. ऐ बात एडीए में शामिल हम के प्रमुख को न गवार लगी.

 तुरंत इसका जवाब देते हुए, कहा कि नीतीश ने तो पहले ही मुझे विभीषण बना दिया था. तो खुद ही समझ लो रावण कौन है?  उन्होने कहा मुझे तो रावण के अम्रत का भी पता है. गौरतलब है की चुनाव आयोग जुवानी जंग को रूकने के लिए और शांन्ति प्रिय चुनाव कराने के लिए राजनेताओं को चेतावनी देता है. जब माहौल इतना गरमा गया है तो आयोग की कौन सुनता है.

 लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कामयाबी मिली है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में करारी शिकस्त के बाद बीजेपी बिहार में अपना दबदबा कायम रखने की कोशिश में लगी हुई है. ये तो साफ है कि बिहार के विधानसभा चुनाव में विकास का मुद्दा, भ्रष्टाचार, सड़क, बिजली, पानी, की समस्या से थोड़ा दूर. राक्षस, शैतान, नरभक्षी, रावण, बीफ पर आकर रूका है. बिहार और देश को इंतजार है तो  इस चुनाव के नतीजों का.





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रवि श्रीवास्तव
स्वतंत्र पत्रकार लेखक, कवि , व्यंगकार, कहानीकार
ravi21dec1987@gmail.com

त्यौहारों पर सावधान,घर में जरूर करें असली-नकली मावा, दूध,घी की पहचान

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नई दिल्ली। त्यौहारों  का सीजन अपने पूरे चरम पर है। नवरात्र, दशहरा, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा जयंती,रक्षाबंधन  होने कारण मिठाई की अत्यधिक मांग है। इस मांग को देश में उत्पादित दूध से पूरा नहीं किया जा सकता। फिर भी हर मोहल्ले,नुक्कड़,गांव,शहर की मिठाई की दुकानों पर मिठाइयां सजी हैं। इतना मावा,दूध,घी की आखिर आपूर्ति कैसे हो रही है कभी सोचा है अपने ? रोज़ाना दूध और मिठाइयों की मांग जोर पकड़ रही है।जाहिर है दूध और मिठाई की मांग को पूरा करने के लिए मिलावटखोर मौके का पूरा फायदा उठा रहे हैं। इन नकली मिठाई और सिंथेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा है।इसीलिए आपको सावधानी बरतनी चाहिए। आगे आपको बताते हैं की कैसे बनती हैं यह नकली चीजें जो आपको दंग कर देंगीं। 

क्यों और कैसे बनता है नकली मावा -
एक किलो दूध से सिर्फ दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता। लिहाजा मिलावटी मावा बनाया जाता है। इसे बनाने में अक्सर

- शकरकंदी, सिंघाडे़ का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है।
- नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े।
- वजन बढ़ाने के लिए मावा में आटा भी मिलाया जाता है।
- नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाया जाता है।
- कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।

कैसे बनता है सिंथेटिक दूध-
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त्यौहारों से पहले बाजार में सिंथेटिक दूध यानी जहरीले दूध का भी आतंक होता है।दूध की जाँच अवश्य करें। 

- सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है।
- इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट,सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है।
- इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है
मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध के नुकसान-

मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध पीने से आपको
- फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
- उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है।
- किडनी और लिवर पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है।
- स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
- अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाइ खाने से लीवर को भी नुकसान पहुंच सकता है।
- इससे कैंसर तक हो सकता है।


कैसे करें असली दूध और नकली दूध में फर्क-
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जहां तक दूध का सवाल है तो आप थोड़ा सजग रहकर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते हैं
- सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती।
- असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।
- असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है।
- अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है, वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है।
- अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
- असली दूध को हाथों के बीच रग़ड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।

मिलावट का ये महाजाल त्यौहारों के मौसम में खासतौर से रचा जाता है। इस जाल में आपसे मिठाई, मावा, दूध पनीर और घी के पूरे पैसे तो लिए जाते हैं लेकिन इसके बदले आपको मिलती है बीमारी। इसलिए होशियार रहिए।


दूध और दूध से बने पदार्थों में मिलावट
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1 . घातक यूरिआ की पहचान दूध में :
मिलावट का स्रोत और उदेश्य: यूरिया आसानी से एग्रीकल्चर स्टोर पर मिल जाता हैं।  दुध के प्रोटीन की मात्रा टेस्टिंग में अधिक आये इसलिए उसमें यूरिआ मिलते हैं।क्युकि प्रोटीन की मात्रा जिस विधि से निकलते हैं उसमें नाइट्रोजन की मात्रा निकाल के कैलकुलेट करते हैं । यूरिया में नाइट्रोजन होता हैं जो टेस्टिंग में प्रोटीन की गलत कैलकुलेशन करवाता है। 
स्वास्थ पर दुस्प्रभाव:  फेफड़े पर दुष्प्रभाव , हृदय रोग , लिवर रोग.
एक पूरा चम्मच (लगभग 2  मिली० ) दुध एक परखनली में ले। 
उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर मिलाये। 
हिला के उन्हें अच्छे से मिलाये।
5 मिनट के बाद लाल लिटमस पेपर उससे भिगोये और 30 सेकंड के बाद लिटमस पेपर को निकल कर देख.
यदि लिटमस पेपर लाल से नीला हो जाये तो उसमें यूरिया मिला हुआ है।

2.   मिलावटी स्टार्च की पहचान (Adulteration of Starch in Milk) :  
मिलावट का स्रोत और उदेश्य: स्टार्च आसानी से किराना स्टोर पर मिल जाता है/ स्टार्च के मिलावट से दुध गाढ़ा हो जाता हैं जिससे गलत फ़हमी हों जाती है की दुध अच्छी क्वालिटी का हैं।
स्वास्थ पर दुस्प्रभाव : दाँतो को नुक्सान , ज्यादा स्टार्च खाने से मोटापा , धन का नुकसान।  
एक पूरा चम्मच (लगभग 2  मिली० ) दुध एक परखनली में ले। 
उसमें 2 -5  बूंद आयोडीन का घोल डाले। 
कुछ ही छड़ में यदि नीला रंग दिखाई दे तो उसमें स्टार्च मिला हुआ हैं।
आयोडीन आप के नजदीकि मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाता हैं। 

3 . दूध में ज्यादा पानी की पहचान
नुकसान / स्वास्थ्य  पर प्रभाव : धन का नुक़सान , गंदे पानी द्वरा बीमारी मिलावटी तत्व से बीमारियां  

पानी जाँच प्रक्रिया:
एक बूँद दुग्ध एक झुकें हुए सतह पर गिराये जैसा कि चित्र में दिखाया गया है 
दुग्ध कि बूंद निचे ढलते हुये यदि धिरे धिरे ढलती है और एक सफ़ेद चिन्ह छोड़ती है तो दुग्ध शुद्ध है 
अगर उसमे पानी मिला होगा तो बहूत तेजी से ढलेगी और कम सफ़ेद चिन्ह छोडेगी। 

4 . वनस्पति तेल की पहचान दूध में और उसका स्वास्थ पर प्रभाव 
स्वास्थ हानि : कोलेस्ट्रोल बढ़ना, मधूमेह, धमनी रोग , धन कि हानि। 
मिलावट का श्रोत और कारण : वनस्पति तेल / वनस्पति तेल मिलाने से वसा की मात्रा बढ़ जाती जिससे दूध अच्छी क्वालिटी का प्रतित होता हैं। 
लगभग 3 मिली० दूध एक परखनली में ले। 
उसमें 10  बून्द हीड्रोक्लोरिक एसिड मिलाए और उसमें एक चम्मच चीनी घोले। 
5 मिनट के बाद देखें।
यदि लाल रंग दिखें तो उसमे वनस्पति का तेल मिला हुआ हैं।
  
देशी घी में मिलावट
1 . कोलतार डाई की जांच देशी घी और मक्खन में 
स्वास्थ हानि : कैंसर, मस्तिष्क की  बीमारी 
जाँच प्रक्रिया :
 5 मिली लीटर अम्ल  (H2SO4 or HCL acid)  एक चम्मच घी में डाले
अच्छे से हिलाये 
यदि H2SO4 के साथ गुलाबी रंग (Pink color) और HCL के साथ चटक लाल कलर आए तो  देसी घी  में  कोल् तार डाई मिला हुआ है 

2 . उबला हुए आलू की जांच देशी घी में
   
एक चम्मच देशी घी ले कर उसमे 4 -5 बून्द आयोडीन डाले। 
यदि नीला रंग आये तो उसमे उबला हुआ आलू ( mashed potato ) मिला हुआ है 

3 मिलावटी देशी घी 
 देशी घी में वनस्पति  घी की मिलावट की जांच :
एक परखनली  या शीशे के  पतले गिलास में एक चम्मच घी डाले
फिर उसमे उतना ही HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ) डाले
एक चुटकी चीनी डालें और एक मिनट तक हिलाये
यदि क्रिमसन कलर (कटक लाल रंग ) दिखाई दे तो उसमे वनस्पति घी या मार्जरीन की मिलावट है 




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अशोक कुमार निर्भय 
संपर्क : 9210043206 
वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र लेखक,समीक्षक 

एंड टीवी पर ‘ये कहां आ गए हम’

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एकता कपूर का एक और शो ‘ये कहां आ गए हम’26 अक्टूबर से सोमवार से शुक्रवार रात 9ः30 बजे एंड टीवी पर प्रसारित होगा। बालाजी टेलीफिल्म्स द्वारा निर्मित शो  कहानी है राहुल सभरवाल । राहुल बहुत साधारण इंसान के साथ सफल गायक है, किन्तु उसकी छवि एक घमंडी और बेपरवाह इंसान की है, जबकि असली जिंदगी में वह बिल्कुल विपरीत है। दृढ़ इच्छाशक्ति वाली मानवी बेहद सादगी पसंद है सिंगिंग उसके खून में है । एक आम लड़की की तरह मानवी अपने परिवार से प्यार करती है और वो राहुल को अच्छा गायक नहीं समझती। जबकि उसकी उम्र की दूसरी लड़कियां राहुल की दीवानी हैं। लेकिन तब क्या होगा जब उनकी राहें मिलेंगी...क्या प्यार उन्हें एक-दूसरे के करीब लेकर आयेगा अथवा वे परिवार के लिए जुदा हो जायेंगे?

जब दोनों के बीच प्यार और नफरत का सिलसिला शुरू होता तो क्या होगा ? शो के बारे में राजेश अय्यर, ने बताया कि ‘हम एंड टीवी  पर अपने विविध शैलियों के कंटेंट में ‘ये कहां आ गए हम‘ के साथ एक युवा, रोमांच से भरपूर प्रेम कहानी को प्रस्तुत कर बहुत उत्साहित हैं। यह प्रेम कहानी मधुर संगीत की पृष्ठभूमि पर आधारित है। हमारा मानना है कि यह प्रेमियों की नई पीढ़ी के लिए परफेक्ट मिक्स है। हमें भरोसा है कि बालाजी द्वारा निर्मित और एकता द्वारा परिकल्पित यह शो हमारे दर्शकों की संख्या में वृद्धि करेगा।‘‘ ‘ये कहां आ गए हम‘ में उपमन्यु चटर्जी,शिल्पा चटर्जी, हर्ष चटर्जी, राज सभरवाल, सोनाली सभरवाल और काम्या भी अहम् किरदारों में नजर आएंगे। 

विशेष : पांच्यजन्य के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं?

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पांच्यजन्य जिसे अभी तक आरएसएस (संघ) का मुखपत्र कहा जाता था, लेकिन अब संघ इससे साफ़ मुकर रहा है, इसमें विनय कृष्ण चतुर्वेदी उर्फ तुफैल चतुर्वेदी नामक लेखक लिखते हैं कि----

"वेद का आदेश है कि गोहत्या करने वाले के प्राण ले लो। हममें से बहुत लोगों के लिए तो यह जीवन-मरण का प्रश्न है।" 

"वेद का आदेश है कि गोहत्या करने वाले पातकी के प्राण ले लो। हम में से बहुतों के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है।"

इसका सीधा सा मतलब यही है कि वर्तमान भारत में पांच्यजन्य द्वारा वैदिक विधि के मनमाने प्रावधानों को लागू किये जाने का समर्थन किया जा रहा है। वेद किसने, कब और क्यों लिखे, यह जुदा विषय है, लेकिन भारत का संविधान लागू होने के बाद वैदिक कानूनों को लागू करने और वैदिक विधियों के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर वेदों के अनुसार सजा देने की बात का खुल्लमखुल्ला समर्थन इस आलेख में किया गया है।

अखलाक के बारे में मंदिर के पुजारी द्वारा अफवाह फैलाई गयी कि अखलाक द्वारा गाय को काटा गया है। यह खबर भी बाद में असत्य पाई गयी। लेकिन इस अफवाह के चलते वैदिक सैनिकों ने अखलाक को पीट—पीट कर मौत की नींद सुला दिया गया। जिसके बारे में हक रक्षक दल की और से निंदा की गयी और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग भी की गयी थी।

इस अमानवीय घटना के लिये शर्मिंदा होने के बजाय पांच्यजन्य इसका खुलकर समर्थन कर रहा है। एक प्रकार से पांच्यजन्य में प्रकाशित लेख में वैदिक विधि को वर्तमान संविधान से भी ऊपर बतलाकर उसका पालन करने की बात कही गयी है।

इसके विपरीत----

1. वर्तमान भारत के संविधान का अनुच्छेद 13 के उपखण्ड 1 में कहा गया है कि—

''संविधान लागू होने अर्थात् 26 जनवरी, 1950 से पहले भारत में लागू सभी प्रकार की विधियां, (जिनमें विधि का बल रखने वाले अध्यादेश, ओदश, आदेश, उपविधि, नियम, विनियम, अधिसूचना, रूढि, प्रथा शामिल हैं) यदि मूल अधिकारों का उल्लंधन करने वाली हैं तो संविधान के लागू होते ही स्वत: शून्य हो जायेंगी।''

2. वर्तमान भारत के संविधान का अनुच्छेद 51क के उपखण्ड क में कहा गया है कि—

''भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह—संविधान का पालन करे...''

3. भारत के छोट से छोटे लोक सेवक से लेकर प्रधानमंत्री तक प्रत्येक लोक सेवक का अनिवार्य संवैधानिक दायित्व है कि संविधान का उल्लंधन नहीं होने पाये।

4. सम्बन्धित राज्य के निम्नतम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक को और देश के सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि किसी भी माध्यम से संविधान के उल्लंधन की जानकारी मिलने पर स्वयं संज्ञान लेकर तत्काल विधिक कार्यवाही की जाये।

क्या वेद के उपरोक्त असंवैधानिक और अमानवीय आदेश का समर्थन करके वैदिक व्यवस्था की लागू करने वाला लेख लिखने वाले लेखक चतुर्वेदी और पांच्यजन्य के सम्पादक तथा प्रकाशक के खिलाफ किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिये???

यदि हां तो पांच्यजन्य के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही में देश की कार्यपालिका और न्यायपालिका कतरा क्यों रही है? यहां तक की मीडिया भी चुप्पी धारण किये बैठा है!

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जन्मजातीय आधार पर बने दबंगों के विरुद्ध किसी प्रकार की त्वरित कानूनी कार्यवाही नहीं होना ही दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों के लगातार उत्पीड़न का मूल कारण है। जिसके लिए राजनीति के साथ-साथ, सीधे-सीधे देश की कार्यपालिका और न्यायपालिका भी जिम्मेदार है।

अंत में सौ—टके का सवाल पांच्यजन्य के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं? कब तक नहीं?




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-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' 
राष्ट्रीय प्रमुख हक रक्षक दल (HRD) 
सामाजिक संगठन
संपर्क : 9875066111

नया शो ‘फेकबुक विद कविता‘

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बेहतरीन कॉमेडी गंतव्य बनने की तैयारी में है बिग मैजिक और 92.7 बिग एफएम। भारत के सबसे बड़े एवं नंबर 1 रेडियो नेटवर्क एक एकीकृत शो ‘‘फेकबुक विद कविता’एक व्यंग्यात्मक कॉमेडी शो है, जिसे मशहूर टीवी अभिनेत्री व एफ आर आई फेम कविता कौशिक होस्ट करेंगी।  यह उद्योग में पहली बार है जब ‘‘फेकबुक विद कविता’ का प्रसारण टेलीविजन और रेडियो दोनों पर एक साथ किया जायेगा। यह रूढ़िवादी भारतीय समाज पर नया व्यंग्य है जो कि प्रासंगिक विषयों पर फोकस करेगा। हास्य की खुराक के साथ यह शो आपको आत्मनिरीक्षण करने के लिए बैठकर सोचने के लिए मजबूर कर देगा। 

कॉमिक टाइमिंग के लिए लोकप्रिय कविता कौशिक को असली जिंदगी की विभिन्न परिस्थितियों पर र्चचा करते हुये दिखाया जायेगा और वे कॉमेडी के तड़का के साथ ढोंग-ढकोसलों की घटनाओं पर नजर डालेंगी। उत्साहित कविता कौशिक ने कहा, ‘‘मुझे इस अनूठे शो से जुड़कर खुशी हो रही है। यह हमारे ढोंगपूर्ण समाज पर एक व्यंग्य है, पर इसमें कॉमेडी का तड़का लगाया गया है। आज के परिदृश्य को देखकर, मेरा मानना है कि इस तरह का शो जरूरी है और इसे शुरू करने का यह सही समय है।‘‘

विशेष आलेख : राष्ट्रीय पुरस्कारों को लौटाने के तरीकों पर खड़े हो रहे सवालिया निशान।

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  • न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता यह तरीका

’’राष्ट्रीय पुरस्कारों को लौटा कर किसी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। विरोध दर्ज कराने का यह तरीका न्यायसंगत नहीं है’’,!  सात मर्तबा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त बाॅलीवुड के सबसे अनुभवी फिल्मकार श्याम बेनेगल सहित मधुर भंडारकर व वर्ष 2012 में फिल्म द डर्टी पिक्चर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त अभिनेत्री विद्या बालन का उपरोक्त बयान उन साहित्यकारों, इतिहासकारों, वैज्ञानिकों व बाॅलीवुड एक्टरों- फिल्मकारों के विरोध का सत्यनिष्ठा से  दिया गया जवाब है, जिनके विहाॅफ में लगातार राष्ट्रीय पुरस्कारों को लौटाने व लौटाए जाने की घोषणाएँ की जा रहीं। अभिनेत्री विद्या बालन ने यहाँ तक कह दिया कि यह सम्मान उन्हें राष्ट्र ने दिया है, किसी सरकार ने नहीं। इससे पूर्व अनुपम खेर व अन्य ने भी ऐसे कदम को अलोकतांत्रिक बतलाया था। 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में उपरोक्त बयानों को गंभीरता से लिया जाय अथवा नहीं, यह शोध का विषय व बहस का मुद्दा है, तथापि इनके बयान यह सुनिश्चित करते हैं कि सिर्फ भावनात्मक तरीके से लिये गए निर्णय ही प्रयाप्त नहीं होते, बल्कि इसके लिये अन्य विकल्पों पर भी गंभीरता से सोंचने की जरुरत होती है। प्रसिद्ध साहित्यकार व आलोचक डा0 नामवर सिंह ने भी विरोध के ऐसे कदम को अतार्किक माना। तर्कवादी कन्नड़ लेखक एम.एम.कलबुर्गी, डा0 नरेन्द्र दाभोलकर व गोविन्द पनसारे की हत्या सहित उत्तरप्रदेश में दादरी (बिसहाड़ा) हत्याकांड, पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के मुम्बई में पदार्पण पर प्रतिबंध व मुम्बई में ही पूर्व पाक विदेश मंत्री कसूरी के पुस्तक विमोचन समारोह के अवसर पर भाजपा सांसद सुधीन्द्र कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोते जाने की घटना पर पिछले कुछ दिनों से विभिन्न राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियों सहित कतिपय बौद्धिक मंचों, सामाजिक संगठनों व स्वैच्छिक संस्थाओं की ओर से केन्द्र की राजग सरकार पर तल्ख टिप्पणियाँ लगातार जारी है। 

प्रसिद्ध साहित्यकार उदय प्रकाश सहित नयन तारा सहगल, अशोक वाजपेयी ने जैसे ही अपने-अपने पुरस्कार लौटाने की बातें रखी, कई अन्य साहित्यकारों-राजेश जोशी, श्रीनाथ डीएन, रहमान अब्बास, नबी खयाल, मंगलेश डबराल, वरयाम संधु, जीएन रंगनाथ राव ने भी अकादमी को अपने-अपने पुरस्कार लौटाने की धमकी दे डाली। देश में बढ़ रही असहिष्णुता व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी के बाद वाॅलीबुड फिल्मकारों सहित इतिहासकारों में पुरस्कार लौटाने वाले बयानों की होड़ सी लग गई। देश को हिंदू धार्मिक निरंकुश तंत्र में बदलने के आरोप लगाकर जाने-माने वैज्ञानिक पुष्प मित्र भार्गव ने भी अपना पद्म पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर डाली। इतिहासकार रोमिला थापर, इरफान हबीब, के0 एन0 पण्णिकर, व मृदुला मुखर्जी सहित 53 इतिहासकारों ने हालिया घटनाक्रमों के आलोक में वैचारिक मतभेदों पर शारीरिक हिंसा का सहारा लेने जैसे आरोपों के बरक्श घटना की निंदा करते हुए ’’तर्कों का जवाब तर्क से नहीं, अपितु गालियों से दिया जा रहा’’, जैसे बयान दे डाले। इस तरह की घटनाओं पर राष्ट्रपति से भी हस्तक्षेप की मांग की जाने लगी। 

इनका कहना है, ऐसी घटनाओं से देश की संस्कृति, आपसी एकता व भाईचारा कलंकित हुई है। घटनाएँ शर्मसार करने वाली हैं, इसमें किन्तु-परन्तु की कोई गुंजाईश नहीं, तथापि ऐसी घटनाओं के विरुद्ध केन्द्र सरकार पर प्रत्यक्ष आरोप थोपना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता। प्रथम दृष्टतया ऐसी घटनाओं के लिये संबंधित राज्य की सरकारें/स्थानीय प्रशासन जिम्मेवार हुआ करतें हैं। इन घटनाओं ने देश के सियासी हलकों में तो भूचाल खड़ा कर ही दिया है, साहित्यकारों, इतिहासकारों, फिल्मकारों व वैज्ञानिकों के बीच एक गहरी खाई भी पनप चुकी है जिसपर संतुलन बनाए रखने की जरुरत है। ऐसी घटनाओं के विरुद्ध लगातार विरोध से अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत की साख को भी नुकसान पहुँच रहा। एक राज्य सभा सांसद ने अपने आलेख में लिखा है जब वर्ष 1984 का सिख विरोधी दंगा भड़का था तो उस समय ऐसे साहित्यकारों, इतिहासकारों, फिल्मकारों व वैज्ञानिकों ने अपना-अपना विरोध क्यों नहीं प्रकट किया ? वर्ष 1989 में बिहार के भागलपुर में हुए दंगे के समय ऐसे लोग क्या कर रहे थे ? 

गुजरात के गोधरा में जब जब लोग मारे जा रहे थे तो इनकी संवेदनाएँ क्या कर रही थीं ? मुजप्फरनगर में हुए दंगे के दरम्यान मूकदर्शक ये तथाकथित साहित्यकार, इतिहासकार व फिल्मकार क्या कर रहे थे ? राज्य सभा सांसद ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने विरोध प्रकट किया उनमें अधिकांश लोग ऐसे हैं जिन्होनें पूर्ववर्ती सरकारों से तमाम तरह की सुविधाएँ प्राप्त कर रखी थीं। जो साहित्य के नाम पर भाई-भतीजावाद की राजनीति को प्रश्रय दे रहे थे। इनका कहना था-  ऐसी घटनाओं से पीएम का कोई लेना-देना नहीं होता, बावजूद प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि  उपरोक्त घटनाएँ काफी दुःखद व गंभीर हैं। उन्होनें कहा, देश में बढ़ती असहिष्णुता व सांप्रदायिकता का आरोप लगाकर लेखकों, साहित्यकारों द्वारा जो प्रहार किये जा रहे विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा केन्द्र सरकार पर आरोप मढ़ने की साजिश समझ में आती है किन्तु लेखकों/साहित्यकारों द्वारा मन की भड़ास निकालने का यह तरीका समीचीन प्रतीत नहीं होता। 

कवि/लेखक/साहित्यकार बड़े भावुक व संवेदनशील होते हैं जो सर्वथा सच है किन्तु मन की भड़ास दूसरे रुपों में भी निकाली जा सकती है। विदित हो पुरस्कार लौटाने वाले या लौटाने की कवायद में शामिल साहित्यकारों का आरोप है कि कलम की जगह पर गोलियां बरसायी जा रही। लोकतांत्रिक अधिकार छिने जा रहे। गंगा-यमुनी तहजीब पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया जा रहा। 125 करोड़ की आबादी वाले इस मुल्क में हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-इसाई, बौद्ध-जैन, यहूदी-पारसी, अलग-अलग रीति-रिवाज, खान-पान, सामाजिक व सांस्कृतिक सरोकारों सहित आपसी एकता व भाईचारे के साथ सदियों से भारतवर्ष की पवित्र भूमि पर हर्षोल्लास रहते आए हैं। इन तुच्छ घटनाओं से मजहबी एकता पर कोई आँच नहीं आने वाला। देश की इतनी विशाल आबादी इससे प्रभावित होने वाली नहीं है। विश्व के मानचित्र पर भारत आज भी एक मिशाल है। राजनीतिक रोटी सेंकने वालों की किसी भी  साजिश से यह देश नापाक नहीं हो सकता। 



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अमरेन्द्र सुमन 
(दुमका, झारखण्ड) 

व्यंग : न्यूज करे कन्फयूज...!!

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चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही है... टीम इंडिया मैच हारी...। कुछ देर बाद पर्दे पर सुटेड – बुटेड कुछ जाने – पहचाने चेहरे उभरे। एक ने कहा ... आफ कोर्स ... कैप्टन किंग को समझना होगा.... वे अपनी मनमर्जी टीम पर नहीं थोप सकते... । आखिर उन्होंने ऐसा फैसला किया ही क्यों... दूसरा बोला... कैप्टन किंग को समझना होगा... उनकी उम्र हो चली है...। वे टीम के लिए  अब पहले जैसे लकी नहीं रहे। थोड़ी देर बाद पर्दे पर एक और चेहरा नजर आया, जो चतुर राजनेता की तरह एंकर के सवालों का बड़ा डेप्लोमेटिक जवाब दे रहा था... जी मैं नहीं मानता कि कैप्टन किंग की उम्र हो गई है। एक हार के बदले आप उन पर इतना बड़ा इल्जाम नहीं लगा सकते... उन्होंने टीम के लिए इतना कुछ किया है... मुझे लगता है उनमें अभी भी बहुत क्रिकेट बाकी है...। 

दूसरे दिन टीम इंडिया मैच जीत गई थी।

अब पर्दे पर बिल्कुल विरोधाभासी बातें।
आफ कोर्स .... कैप्टन किंग बेमिसाल हैं। उस खिलाड़ी को टीम से बाहर कर उन्होंने ठीक ही किया... अरे वे ऐसे प्रयोग करते रहते हैं...।

चैनल पर एक और खबर चली... चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक बातें कहने के लिए फलां – फलां को आयोग का नोटिस... कड़ी चेतावनी...।

थोड़ी देर बाद ब्रेकिंग न्यूज दिखाई जाने लगी... फलां नेता ने फिर आपत्तिजनक बातें कहीं। एंकर कह रहा है... उन्होंने इतनी भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया है कि हम आपको उन्हें दिखा या सुना भी नहीं सकते। कुछ देर बाद पर्दे पर कुछ नेताओं को किसी बैठक खाने से निकलते दिखाया जा रहा है। एंकर कह रहा है कि भड़कीलें भाषणों के लिए फलां पार्टी अध्यक्ष ने नेताओं की क्लास ली। भविष्य़ में उन्हें ऐसा न कहने को कहा गया है। अन्यथा कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। लेकिन कुछ देर बाद फिर बैठक खाने से बाहर निकलते देखे जाने वालों में शामिल किसी वीर का फिर वैसा ही भाषण दिखाया – सुनाया जाता है। एंकर गला फाड़ – फाड़ कर चिल्ला रहा है... अमुक ने फिर विवादित बयान दिया...।

एक दिन देखा कि कोई शख्स पर्दे पर देश के एक शीर्ष पदाधिकारी को काफी भला – बुरा कह रहा है... । बयान देते हुए उस शख्स को कई बार आपे से बाहर होते भी देखा।

दूसरे दिन खबर चली कि वह पदाधिकारी उस सज्जन से मिलना चाहते हैं।

अब उनका सुर बिल्कुल बदला हुआ था। जवाब मिला... मुझे खुशी है कि उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जताई। मैं तो कहता हूं कि समान विचारधारा वाले हर किसी को उनसे मिलना चाहिए।

एक दिन किसी भव्य शादी समारोह में बायें – दाहिने हर पंथ के नेताओं को आपस मे प्रेम से गले मिलते देखा जाता है। दूसरे दिन वही नेता एक दूसरे को पानी – पी – पीकर कोस रहे हैं।

एक  दृश्य में नजर आता है कि धोती – कुर्ता  पहने एक नेता दूसरे की जन्म कुंडली खोले बैठा है। लेकिन चंद मिनट बाद पता चलता है कि यह तो उसी नेता का नजदीकी रिश्तेदार है ।

समाचारों का यह कंफ्यूजन केवल शीर्ष स्तर ही नहीं, बल्कि निचले स्तर पर भी नजर आता है।

हमारे मोहल्ले के शर्माजी के बेटे की बड़ी मुश्किल से नौकरी लगी। शर्माजी ने लाख जतन किए सब को बताने की । पूजा – पाठ के साथ पार्टी भी दी। लेकिन किसी ने नोटिस नहीं लिया। लेकिन नौकरी छूटते ही इतनी व्यापक चर्चा शुरू हुई कि बेचारे  परेशान हो उठे।

एक और परिचित ने धूमधाम से शादी रचाई तो लोगों ने ज्यादा भाव नहीं दिया। लेकिन तलाक की अर्जी अदालत में लगाते ही अफवाह बाजों ने उन्हें सेलिब्रिटीज बना डाला। जिधर निकलते सवाल उछलने लगता... आखिर तलाक की नौबत आई ही क्यों... अभी आपकी शादी को तो ज्यादा दिन हुए भी नहीं।

खुद को प्रकांड विद्वान बताने वाले हमारे शहर के कथित बुद्धिजीवी को पिछले साल कोई पुरस्कार मिला था । जनाब ने  इसका जम कर ढोल पीटा... लेकिन किसी ने तवज्जों नहीं दी। लेकिन परिस्थिति की मांग को समझते हुए जैसे ही उन्होंने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की, उनके घर के सामने मीडिया का जमावड़ा लग गया। प्रिंट मीडिया के साथ चैनल वाले भी आ धमके। सवालों का दौर शुरू... आप पुरस्कार क्यों लौटा रहे हैं... क्या पुरस्कार के साथ चेक भी लौटाएंगे...। समाचारों का यह कंफ्यूजन सचमुच किसी गड़बड़झाला से कम नहीं। 




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तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463

बिहार चुनाव : एक्ज्टि पोल में महागठबंधन की सरकार बनती दिख रही है

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  • 8 नवम्बर को चुनाव नतीजा आने पर दूध का दूध और पानी का पानी होगा
  • भाजपा अध्यक्ष अमीत शााह मुंह खोलेंगे

exit-poll-bihar
पटना।बिहार विधान सभा-2015 का आम चुनाव संपन्न हो गया। बिहार राज्य के पंचम चरण के 9 जिलों के 57 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में आज मतदान सम्पन्न हुए है,जिसमें मतदान केन्द्रों की कुल संख्या 14,709 तथा मतदान केन्द्र स्थलों की कुल संख्या 9,838 है तथा 60.00 प्रतिशत निर्वाचकों द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग किया गया,जो विगत विधान सभा आम निर्वाचन,2010 के मतदान के 55,44 प्रतिशत से लगभग 4.5 प्रतिशत अधिक है। इस चरण के मतदान में पुरूष तथा महिलाओं का मतदान प्रतिशत क्रमशः 56.05 एवं 63.60 रहा। इस प्रकार पुरूषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही है।

जैसे ही बिहार राज्य के पंचम चरण का चुनाव खत्म हुआ। वैसे ही एग्जिट पोल शुरू हो गया। ईटीवी और न्यूज 24- चाणक्य एन0डी0ए0 को 155, महागठबंधन को 83 और अन्य को 5 सीट मिल रहा है। एबीपी न्यूज एग्जिट पोल में जेडीयू को 130,बीजेपी को 108 और अन्य को सीटें मिलने का अनुमान है।आजतक एग्जिट पोल में बीजेपी को 119,जेडीयू को 117 और अन्य को 7 सीटें मिलने की संभावना है।6 चैनलों का सर्वे में सबका औसत जेडीओ को 119,बीजेपी को 117 को और अन्य को 7 सीटें मिलने का अनुमान है। न्यूज एक्स-सीएनएक्स एग्जिट पोल में जेडीयू 135, बीजेपी को 95 और अन्य को 13 सीटें मिलने की संभावना है।न्यूज नेशन एग्जिट पोल में जेडीयू 125,बीजेपी 114 और अन्य 4 सीटें मिलने का अनुमान है। टाइमस नाउ-सी वोटर एग्जिट पोल में जेडीयू को 122,बीजेपी को 111 और अन्य को10 सीटें मिलने का अनुमान है।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा कि एग्जिट पोल को रहने दीजिए हमलोग 190 सीटों पर विजयी होंगे। बिहार विधान सभा के 243 सीट के लिए राजद 101,जेडीयू 101 और कांग्रेस 41 सीट पर चुनाव लड़े हैं। एग्जिट पोल के परिणाम सामने आने पर भाजपा अध्यक्ष अमीत शाह ने कहा कि 8 नवम्बर को मुंह खोकर बोलेंगे। राजद,जेडीयू और कांग्रेज के प्रवक्ता एग्जिट पोल पर गदगद है। इस खुशी पर व्यंग करके कहा गया कि आपलोग अभी खुशी मनाएं और हमलोग 8 नवम्बर को खुशी मनाएंगे। 

विशेष आलेख : अगले इम्‍तिहान के लिये सीएम अखिलेश की कवायद

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आखिरकार युवा और नरमदिल मुख्‍यमंत्री सख्त हुये और पहले बर्खास्‍तगी के रूप मे सख्‍त संदेश और फिर कई बड़ों की छुट्टी करके उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने ये जता दिया कि वह अपनी और सपा की छवि पर अब और दाग सहन नही करेगें ।   राजनीतिक हल्‍के मे माना जा रहा है कि यह एक मुश्‍त कार्यवाई छवि सुधार की कसरत और अगले डेढ़ साल मे पार्टी को जिताउू मोड मे लाने की तैयारी है ।ये भी माना जा रहा है कि वह  मिशन-2017 की पूरी कमान युवा हाथों में सौंपने की रणनीति पर भी चल रहे हैं । गैर वफादारी और 2017 के चुनाव का  दबाव भी इसकी वजह माना जा रहा है ।मुख्‍यमंत्री के इस तेवर से साल 2012 की वह घटना याद आ गयी जब उन्‍होने वीटों के अंदाज़ मे मुलायम सिंह की इच्‍क्षा के बावजूद दागी छवि वाले डीपी यादव की पार्टी मे आमद रोक दी थी । मुलायम सिंह के रुख से भी अब यही लग रहा है कि वह अगले डेढ़ साल की सरकार को अखिलेश पर ही छोड़ना चाहते हैं।  

इस मामले में मुलायम के इस रुख को ठीक ही कहा जाना चाहिए क्योंकि अगर अखिलेश को मर्जी से सरकार ही नहीं चलाने दिया जाएगा तो फिर उनसे रिज़ल्ट की उम्मीद करना भी बेमानी के सिवा कुछ नहीं होगा। अखिलेश अपनी नई टीम यह सन्देश देने कि कोशिश कर रहें हैं कि यह अखिलेश यादव की सरकार है।यानी अखिलेश ने अपनी सरकार को अपने तरीके से चलाने का एलान कर दिया है।इसी लिये  बात जब निपटाने की आई तो कोई निकटता काम न आई। निकटता पुरानी थी, इलाकाई थी या फिर सजातीय, नतीजा एक ही रहा। उल्‍लेखनीय है कि बीते कई महीनों से मुलायम अखिलेश से सार्वजनिक मंचों से कहते रहे थे कि वे चरण वंदना करने वालों को सबक सिखायें लेकिन इसके लिये क्षेत्र और जिला पंचायत चुनावों के बाद का माकूल समय चुना गया । आठ मंत्रियों की बर्खास्तगी ने यह तो साफ कर दिया कि खुद को सत्ता के करीबी समझने वाले ये मंत्री हकीकत में मुख्यमंत्री की कसौटी पर खरे नहीं थे। विकास की माडर्न नीति-रीति में भी युवा मुख्यमंत्री के साथ कदम ताल में वे पिछड़ रहे थे। ऊपर से तोहमतें भी कम नहीं थी। इनमें से कुछ की दलीय निष्ठाएं भी सवालों के सलीब पर थीं। ये लोग 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। हालांकि ये लोग सपा मुखिया मुलायम सिंह के करीबियों में शुमार थे, मगर मुख्यमंत्री की मंशा को भांपकर पार्टी नेतृत्व ने 'वीटो के जरिए इनकी विदाई रोकने का प्रयास नहीं किया। 

इससे पार्टी में भी अब 'युवा युग का आगाज हो जाने का संदेश निकल रहा है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में भारी उलटफेर में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मंशा पूरी तरह से प्रभावी रही वरना कम से कम तीन मंत्रियों का विभाग वापस नहीं लिए जाते।  सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सर्जरी से रोग का निदान हो पाया है।क्‍यों कि अखिलेश यादव पहले भी अपने कई मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके हैं। शुरुआत अप्रैल 2013 में तत्कालीन खादी एवं ग्र्रामोद्योग मंत्री (अब स्वर्गीय) राजाराम पाण्डेय की बर्खास्तगी से हुई थी, जिन पर एक महिला आइएएस अधिकारी पर अशोभनीय टिप्पणी करने का इल्जाम लगा था। मार्च 2014 में मंत्री मनोज पारस और कृषि मंत्री आनंद सिंह बर्खास्त हुए। सिंह पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम था। लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री ने मनोरंजन कर राज्यमंत्री पवन पाण्डेय को बर्खास्त किया। पाण्डेय पर फैजाबाद में अवैध खनन रोकने गए एक आइपीएस अधिकारी के साथ अभद्रता का इल्जाम लगा था।छवि सुधार की इस कवाय का क्‍या फायदा हुआ इसका पता तो बाद मे चलेगा लेकिन अभी इसके कई संदेश और मतलब निकाले जा रहे हैं जिस पर राजनीतिक हलके मे चर्चा है ।  

सीएम अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद मंत्रियों को विभाग बांटने मे समय जरूर लिया लेकिन उन्‍होने पार्टी के कई कद्दावर नेताओं को ये जता दिया कि कोई भी दल की निष्‍ठा से बड़ा नही है ।काबिलेगौर है कि उन्‍नहोने स्वतंत्र प्रभार वाले कुछ राज्यमंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग दिए तो उन नौ मंत्रियों को जिनके विभाग छीने थे, उनमें से कुछ को पहले से बेहतर तो कुछ को महत्वहीन विभाग देकर उनकी हैसियत का एहसास कराया। साथ ही युवा मुस्लिम चेहरों को महत्वपूर्ण विभाग देकर वोट बैंक को भी साधने का प्रयास किया गया है।  स्वास्थ्य विभाग अब मुख्यमंत्री के पास ही रहेगा अभी तक यह विभाग अहमद हसन के पास था अब राज्यमंत्री के रूप में स्वास्थ्य विभाग डाॅ. शिवप्रताप यादव देखेंगे। अवधेश प्रसाद जो अभी तक समाज कल्याण मंत्री थे, उन्हें इस बार होमगार्ड और प्रांतीय रक्षक दल विभाग दिया गया है। 

अवधेश प्रसाद इससे पहले मुलायम सिंह यादव के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। यह पहला मौका है जब उन्हें इतना हल्का विभाग दिया गया है। इसी तरह बलराम यादव जो कभी मुलायम सिंह यादव की सरकार में स्वास्थ्य और अखिलेश मंत्रिमंडल में पंचायती राज तथा कारागार मंत्री रहे अब उन्हें माध्यमिक शिक्षा विभाग थमा दिया गया है। विभागों के बंटवारे में रघुराज प्रताप सिंह की अपेक्षा विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह तथा अरविंद सिंह गोप को खासी तबज्जो दी गई है।यानी सपा अमर सिंह के जाने के लम्‍बे समय बाद इस वर्ग के नेताओं की अपनी खुद की फौज तैयार करके अगले चुनाव मे जाना चाहती है ।
                         
मंत्रिमंडल में शामिल नए चेहरे बलवंत सिंह रामूवालिया को कारागार विभाग देकर मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को उनके राजनीतिक कद का एहसास कराया है।इसी तरह विभागों के बंटवारे मे ताकतवर आजम खान के दर्जे मे तो कमी नही की गयी लेकिन नये खाद रसद मंत्री कमाल अख्तर, स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों में यासिर शाह और शादाब फातिमा को ज्यादा तरजीह दे कर ये जता दिया कि सपा आलाकमान भविष्‍य मे इन्‍हें मुस्‍लिम चेहरे के रूप मे पेश कर सकता है । राजनीतिज्ञ प्रेक्षकों का कहना है कि कमाल अख्तर को कैबिनेट में इतना महत्वपूर्ण पद मिलना इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि बीते कई सालों से आजम खां रामपुर के आसपास के किसी कद्दावर मुस्लिम नेता को पनपने नहीं देते हैं। 

यहां तक कि दूसरे प्रभावशाली नेताओं की भी वे काट किया करते हैं। आजम और अमर की सियासी जंग को भी इसी दृष्‍ब्‍िकोण से देखा जाता है।यही नही अब्दुला बुखारी के दामाद आशू मलिक का सबसे ज्यादा विरोध आजम ने किया और हाजी याकूब कुरैशी का इसी तरह विरोध वह करते रहे जिससे वे सपा छोडने को मजबूर हो गए। कमाल अख्तर रामपुर से सटे हुए अमरोहा के रहने वाले हैं ।माना जा रहा है कि अब रामपुर और पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतों पर केवल आजम पर सपा निर्भर नहीं रहेगी, बल्कि कमाल अख्तर का उपयोग भरपूर किया जाएगा। जिसका लाभ मिशन 2017 में सपा को मिल सकता है। सीएम अखिलेश यादव ने कैबिनेट विस्तार मे उस जातीय गणित के तिलिस्म को भी तोड़ दिया जिस पर अक्‍सर सरकारों का जोर रहता था । कुछ जानकार तो कह रहे हैं कि अखिलेश ने सन 1992 से चले आ रहे मुलायम सिंह के एम वाई समीकरण की परिभाषा ही बदल दी है । 

1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई तो उन्होंने  मुस्लिम और यादव का समीकरण बनाया और इस सफल समीकरण से ही उन्हें सफलता हाथ लगी। लेकिन कैबिनेट विस्तार में मुख्‍समंत्रन अखिलेश ने इसे भी नजरअंदाज किया यानी अब एम का मतलब माइनॉरिटी और वाई से यूथ होगा। दरअसल 2014 में लोकसभा चुनाव के परिणामों से वह समझ चुके है कि युवा फैक्‍टर को अब नकारा नही जा सकता है । असल में यूवा आंधी ने ही 2014 में जातीय समीकरण को ही उलट दिया था। 2017 तक यूपी में 60 फीसदी यूवा वोटर होंगे। ऐसे में सीएम अखिलेश यादव ने अपने कैबिनेट में कई यूवाओं को शामिल किया है।बहरहाल अब ये कहने मे हर्ज नही कि ताजा मंत्रीमंडल विस्‍तार अगले इम्‍तिहान की तैयारी के लिये ही एक कवायद है ।
                              






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** शाहिद नकवी **

बढती असहिष्णुता के लिये संघ जिम्मेदार : येचुरी

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नयी दिल्ली 06 नवम्बर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने देश की मौजूदा असहिष्णुता के माहौल के लिये राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस)को जिम्मेदार ठहराते हुये आज आरोप लगाया कि उसके और अन्य सांप्रदायिक तत्वों के कारण हिंसा और डराने धमकाने की घटनायें बढ़ रही है।

कलाकारों द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाये जाने के संदर्भ में कांग्रेस और वामदलों पर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के आरोपों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में श्री येचुरी ने कहा कि अभी ठीक उसी तरह की स्थिति है जैसा सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाये जाने की वकालत की थी जब संघ की वजह से फैले हिंसा की घटनाओं में महात्मा गांधी सहित बहुत से लोगों की जानें गई थी।

उन्होंने कहा कि हिंसक असहिष्णुता आज देश और जनता के समक्ष एक बडा मुद्दा है और इसके विरोध में साहित्यकार, इतिहासकार, फिल्म निर्माता, वैज्ञानिक और भारतीय सशस्त्र बल के पूर्व प्रमुख साथ खडे हैं। माकपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी का रूख स्पष्ट है और यह सभी जानते हैं। उन्होंने कहा कि 1984 के सिखविरोधी दंगों में कांग्रेस की भूमिका और उनके रवैये को लेकर माकपा और अन्य वामदल विरोध में रहे हैं।

कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली लाया गया छोटा राजन

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नयी दिल्ली 06 नवंबर, अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को लेकर भारतीय जांच एजेंसियां आज सुबह विशेष विमान से दिल्ली पहुंच गई। सूत्रों ने बताया कि छोटा राजन को लेकर भारतीय जांच एजेंसियां सुबह करीब साढ़े पांच बजे दिल्ली पहुंची। इस दौरान हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी रखी गई । बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच उसे हवाई अड्डे से बाहर ले जाया गया। इससे पहले छोटा राजन को कड़ी सुरक्षा के बीच डेनपासर पुलिस थाने से बाली हवाई अड्डा लाया गया। गौरतलब है कि बाली के समीप ज्वालामुखी विस्फोट होने से हवाई अड्डे पर परिचालन बंद होने के कारण छोटा राजन को भारत लाने में देरी हुई। 

राजन फिलहाल केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की हिरासत में रहेगा। इसके मद्देनजर सीबीआई मुख्यालय पर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने राजन से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंप दिए हैं। उसके खिलाफ हत्या, जबरन वसूली और अपहरण के लगभग 75 मामले दर्ज हैं । दिल्ली में भी राजन के खिलाफ छह मामले दर्ज हैं राजन को इंडोनेशियाई पुलिस ने आस्ट्रेलियन पुलिस और भारतीय एजेंसियों की ओर से जानकारी देने के बाद 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।

छोटा राजन कड़ी सुरक्षा के बीच सीबीआई मुख्यालय में

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नयी दिल्ली 06 नवंबर, इंडोनेशिया के बाली से आज सुबह विशेष विमान से दिल्ली लाये गये अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को कड़ी सुरक्षा के बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुख्यालय में रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि छोटा राजन को लेकर भारतीय जांच एजेंसियां सुबह करीब साढ़े पांच बजे दिल्ली पहुंची। इस दौरान हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी। हवाई अड्डे से चार पांच कारों के एक काफिले में छोटा राजन को सीबीआई मुख्यालय लाया गया। छोटा राजन से जुड़े सभी मामलों को देख रही सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा कारणों से उसे अदालत में पेश नहीं किया जायेगा । 

संभावना है कि यह काम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये किया जाए। अंडरवर्ल्ड डॉन को इंडोनेशियाई पुलिस ने आस्ट्रेलियन पुलिस और भारतीय एजेंसियों की ओर से दी गयी जानकारी देने के आधार पर 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ हत्या, जबरन वसूली और अपहरण के लगभग 75 मामले दर्ज हैं । दिल्ली में भी राजन के खिलाफ छह मामले दर्ज हैं । इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने राजन से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंप दिए हैं। गौरतलब है कि बाली के समीप ज्वालामुखी विस्फोट होने से हवाई अड्डे पर परिचालन बंद होने के कारण छोटा राजन को भारत लाने में देरी हुई।

कई बुलेट प्रूफ कारें प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के मद्देनजर जम्मू पहुंचीं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू एवं कश्मीर यात्रा के मद्देनजर कई बुलेट प्रूफ कारें गुरुवार को जम्मू पहुंचीं। इनमें विशिष्ट रूप से निर्मित एक बीएमडब्ल्यू कार भी शामिल है। प्रधानमंत्री शनिवार को राज्य के दौरे पर आ रहे हैं। खुफिया विभाग के सूत्रों ने बताया कि राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू पहुंचने वाले वाहनों में कई सघन चिकित्सा एंबुलेंस भी शामिल हैं।

सूत्र के अनुसार, "कारें रेलगाड़ी से लाई गईं। इनका इस्तेमाल वीवीआईपी दौरे में किया जाएगा।"विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) के महानिरीक्षक टी.नामगियाल बुधवार को जम्मू पहुंचे। उन्होंने पुलिस एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ रामबन जिले के बगलिहार और श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की। इन दोनों जगहों पर प्रधानमंत्री जनसभा को संबोधित करेंगे। एक सूत्र ने कहा, "दोनों जगहों को एसपीजी अपने कब्जे में लेकर प्रधानमंत्री के आने तक इन्हें सील कर देगा। इनका हवाई सर्वेक्षण भी किया जाएगा।"

मोदी बगलिहार बिजली परियोजना के 450 मेगावाट के दूसरे चरण का उद्घाटन करेंगे। वह जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर ऊधमपुर-बनिहाल के बीच चार लेन की सड़क का भी उद्घाटन करेंगे। बगलिहार में मोदी जनसभा को संबोधित करेंगे। मोदी श्रीनगर में शनिवार को पीडीपी-भाजपा की संयुक्त रैली को दोपहर 12.30 बजे संबोधित करेंगे।

भाजपा नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "यह एक विशाल रैली होने जा रही है।"कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने शनिवार को ही मोदी की रैली के समानांतर अपनी रैली करने का ऐलान किया है। अधिकारियों ने कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से कह दिया है कि उनकी रैली नहीं हो सकती।

करीब 200 अलगाववादियों, उनके शुभचिंतकों और पथराव करने वालों को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस ने बुधवार को विधायक इंजीनियर राशिद को गिरफ्तार कर लिया। वह बारामुला के वाटरगाम में एक जनसभा में लोगों से मोदी की रैली में न जाने और अलगाववादियों की सभा में शामिल होने की अपील कर रहे थे। अलगवावादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक, मोहम्मद यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मोहम्मद नईम खान और कई अन्य को नजरबंद कर दिया गया है। महिला अलगाववादी संगठन दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख आयशा अंदराबी को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था।

सूरज ने किया मंगल को पानी और वायुमंडल विहीन : नासा

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लंदन 06 नवंबर, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा आखिरकार उस कारण का पता लगाने में सफल रही जिसके कारण मंगल पर जीवन की संभावनाएं खत्म हो गयी और यह एक निर्जन ग्रह के रूप में परिणित हो गया। ब्रिटेन के दैनिक डेली मेल के अनुसार मंगल पर पानी और जीवन की संभावनाओं की खोज में लगे नासा के अनुसंधानकर्ताओं ने खुलासा किया है कि मंगल पर जीवन की संभावनाओं को खत्म करने वाला और कोई नहीं सूर्य ही है। सौर ज्वालाओं के कारण लाल ग्रह पर मौजूद पानी सूख गया और वायुमंडल भी नष्ट हो गया। यह प्रक्रिया आज भी जारी है और सूर्य से निकलने वाली इन गर्म ज्वालाओं के कारण मंगल के बाहरी वायुमंंडल में आज भी क्षय हो रहा है। नासा की ओर से जारी बयान में बताया गया कि अब मंगल के निर्जन होने का रहस्य का खुल चुका है । सूरज ने ही इस ग्रह से पानी और वायुमंडल को छीन लिया और आखिरकार यह जीवनविहीन ग्रह के रूप में परिणित हो गया। 

नासा ने कहा कि इस खोज से लाल ग्रह के इतिहास, उद्विकास और जीवन की संभावनाओं की पूरी पहचान की जा सकती है।  नासा ने यह भी बताया कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण यहां मंगल जैसे हालात नहीं बन पाये। अगर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र नहीं होता तो यहां भी मंगल के जैसे हालात होते। पृथ्वी के चारों ओर मौजूद चुम्बकीय क्षेत्र “ मैग्नेटोस्फेयर ” के कारण यह ग्रह सौर ज्वालाओं के कहर से बचा हुआ है। पृथ्वी पर जीवन के लिए इतनी महत्वपूर्ण इस परत का लगातार क्षय हो रहा है। पिछले 200 साल में इस परत में 15 प्रतिशत का क्षय हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस परत को नष्ट होने से बचाने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पृथ्वी पर सौर ज्वालााओं का वैसा ही कहर टूटेगा जैसा मंगल पर हुआ था और यहां भी पानी के खत्म होते ही पृथ्वी भी मंगल के जैसा निर्जन ग्रह बन जायेगा।

वर्ष 2014 से मंगल ग्रह के चक्कर लगा रहे नासा के यान मावेन द्वारा मुहैया करायी गयी जानकारी के अनुसार अरबों साल पहले मंगल का वायुमंडल पृथ्वी से भी घना था औ वहां नदी, झील और समुद्र होने के लिए माहौल पूरी तरह से अनुकूल था। उस समय मंगल के चारों ओर भी रक्षात्मक चुम्बकीय परत थी लेकिन किसी कारणवश मंगल की यह रक्षात्मक परत नष्ट हो गयी और इसी कारण जिस लाल ग्रह पर कभी समुद्र और नदियों की लहरें हिचकोलें लेती थीं उस ग्रह का पानी सौर ज्वालाओं के प्रभाव में पूरी तरह से सूख गया। आज के समय में मंगल की सूर्य से जितनी दूरी है और उसका वायुमंडल जितना पतला है उसी के कारण यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में कहीं अधिक ठंडा है। नासा की खोज के अनुसार लाल ग्रह के वायुमंडल से सौर ज्वालाओं के प्रभाव में अब भी गैसों का क्षय हो रहा है। सौर ज्वालाओं के तीव्र होने पर लाल ग्रह के वायुमंडल में तेजी से क्षय होता है। इन्हीं सौर ज्वालाओं ने मंगल पर माैजूद पानी को सोखकर उसे निर्जन ग्रह में तब्दील कर दिया।
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