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दाऊद से मिली हुई है मुंबई पुलिस, मेरा मर्डर कर सकती है: छोटा राजन

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पिछले 27 साल से फरार रहे अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को सीबीआई अधिकारियों के नेतृत्व वाला एक संयुक्त दल आज तड़के इंडोनेशिया से भारत ले आया, ताकि उसके खिलाफ दिल्ली और मुंबई में दर्ज हत्या, रंगदारी और नशीले पदार्थों की तस्करी के 70 से ज्यादा मामलों में मुकदमा चलाया जा सके। भारत के सबसे अधिक वांछित अपराधियों में से एक छोटा राजन (55) का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निकालजे है। पालम तकनीकी क्षेत्र में विमान के उतरने के कुछ ही समय बाद राजन को सीधे सीबीआई के मुख्यालय ले जाया गया। अवरोधकों से घिरे सीबीआई मुख्यालय में अधिकारियों के एक दल ने उससे पूछताछ शुरू कर दी है।

एक संक्षिप्त बयान में सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि राजन को सफलतापूर्वक इंडोनेशिया से भारत ले आया गया है। उन्होंने कहा, वह सीबीआई-इंटरपोल की हिरासत में है। कानूनी औपचारिकताएं चल रही हैं। राजन के भारत पहुंचने के बाद काफी गहमागहमी रही क्योंकि मीडिया की भारी मौजूदगी की संभावना को ध्यान में रखते हुए सीबीआई उसे मीडियाकर्मियों की नजरों से बचाकर ले जाने में सफल रही। एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा कारणों के चलते राजन को दिल्ली की अदालत में ले जाए जाने की संभावना नहीं है। इसके बजाय उसकी रिमांड के लिए एक मजिस्ट्रेट को सीबीआई मुख्यालय लाया जाएगा। सूत्रों ने यह भी कहा कि उसकी अनिवार्य चिकित्सा जांच भी की जाएगी।

छोटा राजन को राष्ट्रीय राजधानी में रखे जाने की संभावना है, जहां विभिन्न जांच एजेंसियों के अधिकारी उससे उसके उन दावों के बारे में पूछताछ करेंगे जिनमें वह अपने पास भारत के सर्वाधिक वांछित (मोस्ट वांटेड) आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के ठिकाने के संबंध में और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ दाउद के रिश्तों के संबंध में कई अन्य साक्ष्य होने की बात कहता रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को दाउद और उसके सहयोगियों की गतिविधियों के बारे में कथित तौर पर सूचित करने वाले राजन को भारतीय वायुसेना के गल्फस्ट्रीम-3 विमान में इंडोनेशिया के बाली से यहां लाया गया।

राजन ने बाली में मीडिया को बताया था कि वह भारत लौटने को लेकर खुश है। उसने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया था कि उसकी गिरफ्तारी एक योजना का हिस्सा है, क्योंकि उसे दाऊद इब्राहिम के गुर्गों से धमकियां मिल रही है। राजन के भारत पहुंचने से पहले महाराष्ट्र सरकार ने अंडरवर्ल्ड डॉन संबंधी सभी मामलों को सीबीआई को सौंपने की अचानक घोषणा की, क्योंकि एजेंसी को ऐसे मामलों से निपटने में महारत हासिल है। मुंबई सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय की, जब कुछ ही दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दावे कर रहे थे कि राजन को केवल मुंबई लाया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार के अचानक यू टर्न लेने से मुंबंई में पुलिस प्रतिष्ठान में कई लोगों की त्यौरियां तन गई है क्योंकि मुख्यमंत्री ने स्वयं आर्थर रोड जेल के भीतर डायलसिस की सुविधा के साथ एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने का आदेश दिया था। राजन को डायलसिस कराना पड़ता है क्योंकि उसकी दोनों गुर्दे सुचारू रूप से काम नहीं करते हैं। राजन ने उसे मुंबई जेल में रखे जाने की योजनाओं पर इस आशंका के चलते आपत्ति व्यक्त की थी कि दाऊद उसे वहां निशाना बना सकता है।

राजन ने बाली में संवाददाताओं को बताया था मुंबई पुलिस के कुछ लोगों के दाऊद के साथ संपर्क हैं। उसने आरोप लगाया था, मुंबई पुलिस ने मुझ पर बहुत अत्याचार किए हैं। जब तक सीबीआई महाराष्ट्र के मामलों को अपने हाथ में लेने की औपचारिकताएं पूरी नहीं कर लेती, तब तक राजन को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की हिरासत में रखा जाएगा, जिसने राजन के खिलाफ छह मामले दर्ज किए हैं। राजन को इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर 25 अक्टूबर को बाली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह ऑस्ट्रेलिया से इंडोनेशिया लौटा ही था। बाली स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को, पास के एक पर्वत पर स्थित ज्वालामुखी से राख और गुबार निकलने के कारण बंद कर दिया गया था, जिसके चलते राजन का प्रत्यर्पण एक दिन के लिए टल गया था।

राजन को लेकर आ रहे विमान के उड़ान भरने के तुरंत बाद, इंडोनेशिया में भारत के राजदूत गुरजीत सिंह ने ट्वीट किया, छोटा राजन को सफलतापूर्वक भारत भेज दिया गया। बाली हवाई अड्डे के बंद होने के कारण हो रही देरी समाप्त हुई। सहयोग के लिए इंडोनेशिया का शुक्रिया। राजन हत्या, रंगदारी, तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी सहित 75 से ज्यादा मामलों में वांछित है।

मुंबई पुलिस के पास उसके खिलाफ लगभग 70 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 20 मामले हत्या के हैं। चार मामले आतंकी एवं विध्वंसक गतिविधियां (रोकथाम) कानून के, एक मामला आतंकवाद रोकथाम कानून का और 20 से ज्यादा मामले कठोर कानून महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस के पास राजन के खिलाफ छह मामले दर्ज हैं। एक समय पर राजन भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद का करीबी सहयोगी था, लेकिन वर्ष 1993 के मुंबई विस्फोटों की साजिश से पहले ये दोनों अलग हो गए थे। वर्ष 2000 में दाऊद के गुर्गों ने बैंकॉक के एक होटल में राजन का पता लगा लिया था और उस पर जानलेवा हमला किया था, लेकिन वह होटल की पहली मंजिल से कूदकर नाटकीय ढंग से बच निकलने में सफल रहा था। राजन वर्ष 1988 में भारत से भागकर दुबई चला गया था।

उपहार कांड: सीबीआई ने दायर की पुनर्विचार याचिका

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नयी दिल्ली 06 नवम्बर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राजधानी के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में उच्चतम न्यायालय से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। सीबीआई ने 18 वर्ष अधिक पुराने इस मामले में शीर्ष अदालत के आदेश पर विचार करने के लिए पुनरीक्षण याचिका दायर की है। 

न्यायालय ने सिनेमा हॉल के मालिक अंसल बंधुओं –सुशील एवं गोपाल अंसल- की उम्र को देखते हुए केवल तीस करोड़ रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया था। न्यायालय ने दोनों को जेल की सजा देने से इन्कार कर दिया था।

गौरतलब है कि 13 जून 1997 को दक्षिण दिल्ली के ग्रीनपार्क इलाके में स्थित उपहार सिनेमाघर में एक सिनेमा के प्रदर्शन के दौरान आग लग गई थी, जिसमें 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। 

विरोध करने के अधिकार को दबाया नहीं जा सकता: मनमोहन सिंह

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नयी दिल्ली, 06 नवंबर, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में असहिष्णुता की हालिया घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए आज कहा कि अभिव्यक्ति, धर्म, आस्था और विचारों की आजादी पर हमले को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता और न ही विरोध करने के अधिकार को दबाया जा सकता है। डॉ़ सिंह ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती के सिलसिले में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शांति केवल आजादी के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि आर्थिक विकास और बौद्धिक विकास के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा “ कोई देश ईंट और गारे से नहीं बनता है बल्कि मूल्यों से बनता है। अहिंसा, करुणा, न्याय, स्वतंत्रता, गरिमा, बंधुत्व और विविधता हमारे मूल्य हैं और इनमें किसी भी तरह की कमी देश को कमजोर करेगी। किसी भी देश की प्रगति के लिए विचारों की आजादी सबसे पहली शर्त है।” डॉ़ सिंह ने कहा, “असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं से देश बहुत चिंतित है। अभिव्यक्ति, धर्म, आस्था और विचारों की आजादी पर कुछ हिंसक चरमंथी संगठनों ने हमले किये हैं। इन संगठनों की विचारधारा से सहमति नहीं रखने वाले चिंतकों पर हमले हुये हैं। ऐसे हमलों को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता है। देश में सही सोच रखने वालों ने इन घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा की है।” 

कार्यक्रम को इतिहासकार इरफान हबीब और वरिष्ठ मराठी पत्रकार कुमार केतकर ने भी संबोधित किया। श्री केतकर ने कहा कि नेहरू ने जिन ताकतों के खिलाफ बार-बार चेताया था वे आज मुखर हो गयी हैं। नेहरू ने दिसंबर 1947 में सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियां हद से बाहर जा रही हैं। सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है लेकिन इन पर नजर रखी जानी चाहिये और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की जानी चाहिये। श्री केतकर ने कहा, “नेहरू ने आशंका जतायी थी कि आरएसएस वैसे ही आगे बढ़ रहा है जैसे जर्मनी ने नाजियों ने भी ऐसे ही अपने पैर पसारे थे। जैसे नाजियों ने जर्मनी को बर्बाद किया था वैसे ही आरएसएस देश को नुकसान पहुंचा सकता है। नेहरू की चेतावनी पर ध्यान दिया गया होता तो आज यह स्थिति नहीं आती। हमने संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द तो जोड़ा लेकिन जमीन पर इसके मायने आने वाली पीढ़ियों को नहीं बताये गये।” उन्होंने कहा कि जैसे स्टालिनग्राद में हार के बाद नाजियों का पतन शुरू हो गया था वैसे ही बिहार में हार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस के पतन का मार्ग प्रशस्त करेगी। आज की दुनिया में जब दुनिया राजनीतिक और आर्थिक टूट के कगार पर है तो नेहरूवाद की प्रासंगिकता और बढ़ गयी है।

आरएसएस और आईएस की अक्ल एक जैसी : इरफान हबीब

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नयी दिल्ली, 06 नवंबर, जाने माने इतिहासकार इरफान हबीब ने आज दोहराया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से करने के अपने बयान पर कायम हैं। श्री हबीब ने यहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के 125वीं जयंती वर्ष के सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा कि उन्हें आरएसएस और आईएस की अक्ल एक सी मालूम होती है क्योंकि दोनों धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन के सबसे बड़े नायक महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू थे और अगर कोई किसी और को उनसे बड़ा नेता मानता है तो उसकी अक्ल पर वह कुछ नहीं कह सकते हैं। उनका कहना था कि हेडगेवार, गोलवलकर और सावरकर की आजादी के आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी। सावरकर ने तो अंग्रेजों से माफी मांगी थी।

इस्लाम को उग्रवाद से जोड़ रहे हैं पश्चिमी देश: अंसारी

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नयी दिल्ली, 06 नवंबर, उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि पश्चिमी जगत की यह धारना गलत है कि पश्चिम एशियाई देश उग्रवाद के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। श्री अंसारी ने इंडोनेशिया की पांच दिन की यात्रा से लौटते हुए कल रात विशेष विमान में संवाददाताओं के सवालों पर कहा कि इस्लाम में कट्टरता की कोई जगह नहीं है और इसके अतिरिक्त दुनिया की 70 फीसदी मुस्लिम आबादी एशियाई देशों में रहती है इसलिए यह धारना गलत है कि पश्चिमी देश इस्लाम के लिए उग्रवाद का एजेंडा तय कर रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि अपनी इस यात्रा के दौरान इंडो​नेशिया के मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की। इन प्रतिनिधियों ने इस बात पर चिंता जतायी कि उग्रवाद को इस्लाम जैसे धर्म के साथ क्यों जोड़ा जाता है। उप राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि मुख्य रूप से पश्चिमी देशों की यह धारणा है कि इस्लाम से जुड़ा एजेन्डा पश्चिम एशिया में तय किया जा रहा है। उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि दुनिया की मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा इंडोनेशिया,भारत, बंगलादेश, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों में रहती है जो पश्चिम एशिया का हिस्सा नहीं है।

सभी सेवाओं पर लगा आधी फीसदी स्वच्छ भारत टैक्स

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नयी दिल्ली 06 नवंबर, सरकार ने सेवाकर के दायरे में आ रही सभी सेवाओं पर 15 नवंबर से आधी फीसदी स्वच्छ भारत उपकर लगाने का निर्णय लिया है। इससे संग्रहित राशि का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान पर व्यय किया जायेगा। आधिकारिक जानकारी के अनुसार स्वच्छ भारत उपकर कोई दूसरा कर नहीं है लेकिन स्वच्छ भारत में देश के प्रत्येक नागरिक की भागीदारी को इसके जरिये सुनिश्चित किया गया है। 

बयान में कहा गया है कि 100 रुपये की सेवाआें पर मात्र 50 पैसे का उपकर लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष के बजट के स्वच्छ भारत उपकर लगाने का प्रावधान किया गया था। इसे संग्रहित राशि का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान और इसी तरह की दूसरी गतिविधियों पर व्यय की जायेगी। नीति आयोग की स्वच्छ भारत मिशन पर गठित मुख्यमंत्रियों की उप समिति ने उपकर लगाने की सिफारिश की थी और उसी के अनुरूप सरकार ने यह निर्णय लिया है।

भारत के साथ युद्ध कोई विकल्प नहीं : शरीफ

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इस्लामाबाद.06 नवम्बर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि भारत के साथ युद्ध कोई विकल्प नहीं है, पाकिस्तानी अखबार ‘द नेशन’ ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि श्री शरीफ ने राष्ट्रपति ममनून हुसैन के साथ एक बैठक के दौरान कल कहा कि भारत के साथ युद्ध कोई विकल्प नहीं है और सेना का इस्तेमाल करने से स्थिति और खराब ही हो सकती है। श्री शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान सरकार अपने सभी पड़ोसी देशाें के साथ दोस्ताना संबंध रखना चाहती है ताकि सभी का सतत विकास हो सके। 

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय स्थिति पर विचार विमर्श किया और दोहराया कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए सभी पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना संबंध चाहता है। सरकारी अधिकारी ने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा कि अमेरिका और दुनिया की शक्तियां भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता चाहती हैa और उन्होंने आरोप लगाया कि भारत इस दिशा में सहयोग नहीं कर रहा है जबकि पाकिस्तान हमेशा वार्ता के लिए तैयार रहा है।

नेताओं ने असहिष्णुता को बढाया है : कैलाश सत्यार्थी

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बेंगलुरु.06 नवम्बर, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने आज इस बात पर दुख व्यक्त किया कि राजनीतिक नेताओं ने लोगों के बीच असहिष्णुता की भावना को कम करने की दिशा में मदद करने की बजाय इसे और बढ़ाया है तथा धार्मिक नेताओं ने भी इस सामाजिक बुराई को कम करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है।

श्री सत्यार्थी ने इस बात की जोरदार वकालत की कि भारत को इस सामाजिक बुराई से नरमी एवं कुशलता से निपटते हुए इसका स्थाई समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें पहला कदम घर से शुरु होना चाहिए जिसमें मां-बाप को अपने बच्चों को सहिष्णुता की सीख देकर सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान का पाठ पढाना चाहिए। इसके साथ ही राजनीतिक नेताओं को जिम्मेदार रूख अपनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नेताओं को मंदिर ,मस्जिद एवं गुरुद्वारे में युवाओं को एकत्र करके समानता एवं सहिष्णुता के बारे में बात करनी चाहिए जिसका समाज में बेहतर संदेश जायेगा। 

आरबीआई और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं : राजन

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नयी दिल्ली 06 नवंबर,  रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति निर्धारण के निर्णय पर आरबीआई गवर्नर के एकाधिकार को लेकर सरकार और केंद्रीय बैंक में मतभेद होने की अटकलों के बीच आज कहा, “इस मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है और हमारे बीच सम्मानजनक संबंध है।” श्री राजन ने आज यहां एक कार्यक्रम में कहा, “हमलोग एकीकृत शासन प्रणाली का हिस्सा हैं जहां वृहद् अर्थव्यवस्था के जोखिमों और जरूरतों को ध्यान में रखकर किसी निर्णय पर पहुंचना होता है। ऐसे समय में सरकार और आरबीआई दोनों एक-दूसरे के निर्णय का सम्मान करते हैं।”

उन्होंने मौद्रिक नीति के निर्णय पर सरकार से हमेशा दूरी बनाये रखने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उनके बीच ऐसी कोई स्थिति रही हो, वह नहीं मानते। मांग बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने के मद्देनजर आरबीआई ब्याज दरों में इस साल अबतक 1.25 फीसदी की कटौती कर चुका है जो सरकार और रिजर्व बैंक के बीच सम्मानजनक संबंध को प्रदर्शित करता है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने ब्याज दरों के निर्धारण के लिए सात सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति के गठन का प्रस्ताव किया है जिसमें चार सदस्य सरकार द्वारा और शेष तीन सदस्य आरबीआई द्वारा नामित किये जाएंगे। वर्तमान प्रावधानों के अनुसार मौद्रिक नीति पर अंतिम निर्णय लेने का एकाधिकार रिजर्व बैंक गवर्नर के पास है।

गठबंधन लालू-नीतीश के अलावा भी नेतृत्व उभारे, : शिवानंद तिवारी

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पटना 06 नवम्बर, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  के कभी बेहद करीबी रहे राज्यसभा के पूर्व सदस्य शिवानंद तिवारी ने आज नसीहत देते हुए कहा कि गठबंधन के दोनों दलों में दो के अलावा कोई तीसरा नेता नहीं दिख रहा है इसलिए अतिपिछड़ा, दलित, मुस्लिम और महिला समाज से यदि नेतृत्व नहीं उभारा गया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत हमेशा उन्हें मदद नहीं पहुंचाएंगे । चुनावी राजनीति से संन्यास ले चुके श्री तिवारी ने यहां कहा कि एग्जिट पोल ने सबका सिर चकरा दिया है । अंतिम  नतीजा निकलने तक उहापोह की यह स्थिति बनी रहेगी । बहरहाल चुनाव परिणाम चाहे जो हों, लेकिन एक बात साफ है  कि दोनों पक्षों को आत्ममंथन करने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि गठबंधन का आधार वोट काफी बड़ा है बावजूद इसके उहापोह की जो स्थिति बनी है उसे उसके नेताओं को समझना चाहिए । पूर्व सांसद ने कहा कि गठबंधन में दो के अलावा तीसरा नेता नहीं दिख रहा है, इसलिए उन्हें अतिपिछड़ा,दलित,मुस्लिम  और महिला समाज से नेतृत्व उभारना होगा अन्यथा भविष्य में उन्हें और ज्यादा कठिनाई होगी । उन्होंने कहा कि गठबंधन के नेताओं को याद रखना चाहिए कि श्री भागवत हमेशा उन्हें मदद नहीं पहुंचाएंगे । 

श्री तिवारी ने कहा कि इस बार का चुनाव देखकर दिया और तूफ़ान की लड़ाई वाले गीत की याद आ गयी । भारत की  पूरी सरकार चुनाव लड़ने बिहार में उतर गई थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया । बावजूद इसके  पांच में तीन एग्जिट पोल बिहार में गठबंधन की सरकार बना रहे हैं । उन्होंने कहा कि स्थिति बता रही है कि श्री मोदी और  उनके समर्थकों को भी आत्मचिंतन की ज़रूरत है । पूर्व सांसद ने कहा कि श्री मोदी धूमकेतु की तरह भारतीय राजनीति के क्षितिज पर प्रकट हुए थे लेकिन इतनी जल्दी उनकी चमक क्यों धुंधलाने लगी है, इस पर उन्हें विचार करना चाहिए । उन्होंने कहा कि अभी तक मोदी सरकार का कोई ठोस काम नहीं दिखा है लेकिन धार्मिक उन्माद की उनकी भाषा ने देश में चिंता ज़रूर पैदा कर दी है। उनको ध्यान रखना होगा कि उन्माद किसी भी समाज का स्थाई भाव नहीं होता है। श्री तिवारी ने कहा कि पिछड़ी जातियां , दलित और अकलियत समाज का समर्थन ही महागठबंधन की रीढ़ है। इसलिए गठबंधन के नेताओं पर जात-पात की राजनीति करने का आरोप लगाया जाता रहा है । उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति वाले उनके साथ कैसे  रिश्ता बनाएं ,जो आज भी मन ही मन उनको छोटा और अपने को श्रेष्ठ समझते हैं । संबंध बराबरी में बनता है। इसलिए पिछड़े एक तरफ तो अगड़े दूसरी तरफ़ दिख रहे हैं । उन्होंने कहा कि गठबंधन का आधार इतना बड़ा है जिससे उन्हें लगता है कि उसमें थोड़ा-बहुत  क्षरण के बावजूद उसे स्पष्ट बहुमत मिल सकता है।

सहिष्णुता पर मनमोहन पर बरसी भाजपा

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नयी दिल्ली, 06 नवंबर, भारतीय जनता पार्टी ने असहिष्णुता पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए आज कहा कि वह एक ऐसे मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रहे हैं जो असल में मुद्दा है ही नहीं। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, “यह दुर्भार्ग्यपूर्ण है कि पूर्व प्रधानमंत्री एक ऐसे मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं जो असल में मुद्दा है ही नहीं। उन्हें इस बात को लेकर आत्ममंथन करना चाहिये कि जब 2013 में नरेन्द्र्र दाभोलकर की हत्या हुई थी तब महाराष्ट्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार थी।” 

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को यह शोभा नहीं देता है कि वह देश को बांटने और बदनाम करने वाली बात करें। उल्लेखनीय है कि डॉ़ सिंह ने देश में असहिष्णुता की हालिया घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि अभिव्यक्ति, धर्म, आस्था और विचारों की आजादी पर हमले को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता और न ही विरोध करने के अधिकार को दबाया जा सकता है।

जलवायु के अनुसार फसल उत्पादन को प्रोत्साहन दें: रघुवर दास

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राँची, 06 नवम्बर,  झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने निर्देश दिया कि प्रमंडलवार मिट्टी की प्रकृति एवं जलवायु के अनुसार फसल (अनाज, सब्जी, फल-फूल) के उत्पादन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए चरणबद्ध रूप से वार्षिक योजना बनाकर काम किया जाये। श्री दास ने आज यहां कृषि विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य में प्रखंडवार फसल क्षति के अधार पर सूखा घोषित करने के लिए ज्ञापन भारत सरकार को अविलंब भेजा जाएगा। उन्होंने राज्य को आॅर्गेनिक स्टेट बनाने की दिशा में कार्य करने, कृषकों को डीप इरिगेशन तथा पावर लिफ्ट उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गांवों में जाकर कृषक एवं कृषि कार्य से जुड़े कर्मियों -मजदूरों के साथ चैपाल लगायें तथा उनकी बातों को सुन कर 2016-17 का योजना बजट बनाएं। बजट में उनकी सहभागिता होगी तभी उनका विकास होगा। महज ड्यूटी की खानापूर्ति कर किसी योजना का लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुंचाया जा सकता। इसके लिए जुनून एवं टीमवर्क का होना आवश्यक है। श्री दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में अक्टूबर तक कृषि, पशुपालन तथा सहकारिता विभाग के लिए कुल आवंटन 113926 लाख रुपये के विरूद्ध 30112 लाख रुपये का व्यय किया गया है, जो कुल बजट का 26.4 प्रतिशत है। विगत वित्त वर्ष में इसी अवधि में व्यय का प्रतिशत 5.72 था। 

वित्त वर्ष 2016-17 के वार्षिक बजट में प्रस्तावित नई योजना के अन्तर्गत अपलैंड भूमि पर हरा चारा उत्पादन, व्यवसायिक चारा उत्पादन एवं बायोमास, बछिया पालन केन्द्र की स्थापना तथा दूध उपभोक्ता जागरूकता अभियान इत्यादि शामिल है। दूध एवं दुग्ध उत्पाद का वितरण प्रज्ञा केन्द्रों के सहयोग से करने की सम्भावना पर भी विचार किया गया। बैठक में जानकारी दी गई कि 100 सहयोग समितियों के कार्यालयों में बिक्री केन्द्र का निर्माण, नए तालाबों का निर्माण, एक लाख पन्द्रह हजार मत्स्य कृषकों का बीमा, देवघर, गिरिडीह, राँची तथा गुमला जिले में कोल्ड स्टोरेज की स्थापना और नामकुम स्थित झासको लैम्पस केन्द्रों का जीर्णोद्धार करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। धान के फसल के पश्चात रबी में क्लस्टर आधार पर फसल उत्पादन, मूंग तथा अरहर के फसल को बढ़ावा देने, ऊपरी क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने, गृह वाटिका उद्यान विकसित करने के साथ-साथ अदरक तथा हल्दी के उत्पादन के प्रसार के लिए विशेष योजना है। राज्य में सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए बीज सब्सिडी कृषि बीमा का भुगतान और नए चेक डैम बनाने इत्यादि पर विचार किया गया। बैठक में मंत्री कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग रणधीर कुमार सिंह, मुख्य सचिव राजीव गौबा, विकास आयुक्त आरएस पोद्दार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, प्रधान सचिव जल संसाधन सुखदेव सिंह, प्रधान सचिव योजना-सह-वित्त अमित खरे, सचिव कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता नीतिन मदन कुलकर्णी, कृषि निदेशक जटा शंकर चैधरी, निबंधक सहयोग समितियां मुकेश कुमार वर्मा सहित संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

राहुल गांधी पंजाब में मृतक किसान के परिवार से मिले

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बठिंडा, 06 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज सुबह तलवंडी साबो के तख्त दमदमा साहिब जाकर माथा टेका और पंजाब में अमन चैन, भाईचारे और समृद्धि के लिये अरदास की तथा श्रद्धाभाव से गुरबाणी का पाठ सुना। श्री गांधी ने लंगर छकने के बाद पूरी पंजाब कांग्रेस के साथ भगवानगढ़ गांव की आेर कूच किया, जहां कपास की पूरी फसल बर्बाद होने से जगदेव नाम के एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी। वह मृतक किसान के परिवार से मिले तथा उनकी आर्थिक मदद भी की। श्री गांधी इसके बाद मल्लवाला गांव के किसानों से मिले और उनकी समस्याएं सुनी। साथ ही कृषि क्षेत्र में उनके सामने आने वाली परेशानियों को सुना तथा उनका हल भी जाना। उसके बाद वह मानवाला गांव पहुंचे जहां सफेद मक्खी कीट ने सारे गांव की कपास की फसल बर्बाद कर दी। पहले उन्होंने एक किसान के यहां भोजन किया और उसके बाद किसानों को संबोधित किया।

श्री गांधी ने किसानों को संबोधित करते हुये कहा कि पंजाब में मौजूदा हालात खराब है और पंजाबी ही अब पंजाब में नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि इस बात का उन्हें तब पता चला जब वह बरगाडी गोलीकांड में मारे गये नौजवानों के परिजनों को मिलेे। उनमें से केन्या में नौकरी करने वाले गुरजीत सिंह के पिता ने कहा कि वह अब पंजाब लौटना नहीं चाहते। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है तथा बादल परिवार को जनता की भलाई की चिंता नहीं बल्कि उन्हें राज्य के हर कारोबार पर कब्जा करने की चिंता है। लोग अब अकाली भाजपा सरकार से उब चुके हैं और चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। हर वर्ग इस सरकार से दुखी है। हर मोर्चे पर सरकार विफल रही है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में मालवा क्षेत्र में नरमा कपास की फसल बर्बादी के लिये सरकार जिम्मेदार है क्योंकि जब किसान को नकली बीज, नकली कीटनाशक और नकली खाद मिलेगी तो ऐसा ही होगा। यदि किसानों को समय पर असली दवाइयां मिल जाती और छिड़काव किया होता तो इतनी बर्बादी न होती और न किसान आत्महत्या करते। कृषि विभाग में नकली कीटनाशक का इतना बड़ा घोटाला हुआ और किसानों को मुआवजा तक नहीं मिल सका है। उन्होंने बताया कि पंजाब ही अकेला ऐसा राज्य है जहां आत्महत्या करने वाले किसान परिवारों को मुआवजा नहीं दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार ने किसानों की भलायी के लिये काम किया और 70 हजार करोड़ का कर्ज तक माफ कर दिया लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्योगपतियों तथा कारपोरेट जगत की मदद ही कर रहे है।

श्री गांधी ने कहा, “मैं अब पंजाब की पूरी कांग्रेस फौज को एकजुट करके जा रहा हूं। यह फौज मिलकर आपकी लड़ाई लड़ेगी। वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सभी नेता अकाली भाजपा गठबंधन को कड़ी टक्कर देकर कांग्रेस को सत्ता में लायेंगे और अगली सरकार कांग्रेस की ही होगी जो सभी धर्म, जात-पात वालों और हर वर्ग की होगी।” कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा नीत केन्द्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक कांग्रेस के दवाब में आकर वापस लिया। कांग्रेस ने हमेशा किसानों का साथ दिया है और आगे भी किसानों के कल्याण के लिये काम करती रहेगी। उन्होंने गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी की लगातार जारी घटनाओं पर चिंता जताते हुये कहा कि राज्य सरकार बेअदबी के मामले से सही ढ़ंग से निपटने में विफल रही है। अकाली भाजपा गठबंधन सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिये। दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिये ताकि कोई भी ऐसी हिमाकत करने की कोशिश न करें। 

सभी पंजाबियों का धर्म है कि वो राज्य में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अमन चैन तथा भाईचारा कायम रखे। उनके साथ कांग्रेस के सभी नेता अंबिका सोनी, शकील अहमद, कैप्टन अमरिंदर सिंह, प्रताप सिंह बाजवा, राजिंदर कौर भट्ठल, सुनील जाखड़, परनीत कौर, सभी सांसद, विधायक और बड़ी संख्या में अन्य नेता तथा कार्यकर्ता मौजूद थे। इसके बाद श्री गांधी बठिंडा हवाई अड्डे के लिये रवाना हो गये जहां से वह दिल्ली जायेंगे।

हॉरर शो के साथ छोटे परदे पर बिपाशा

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बिपाशा बसु ने कई भूतिया फिल्मों से हॉरर शैली पर राज किया है और अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे जल्द ही टेलीविजन पर एक हॉरर शो में नजर आयेंगी। बिपाशा ने सिल्वर स्क्रीन पर हॉरर सीरीज में धाक जमाने के बाद छोटे परदे पर एक हॉरर प्रोजेक्ट‘ ‘डर सबको लगता हंै’  का चयन कर लिया है। यह शो 31 अक्टूबर रविवार रात 10 बजे से एंड टीवी के दर्शकों के बीच होगा।

बिपाशा की हॉरर फिल्मों- राज सीरीज, आत्मा, क्रिचर और अलोन की तरह ही छोटे परदे का यह प्रोजेक्ट भी अनूठा है। इसका नाम है- डर सबको लगता है। 

हॉरर शैली में एक टीवी मिनी-सीरीज होगी और बिपाशा इसे एंकर करेंगी। शो पर एक क्रिएटिव डायरेक्टर की नजर होगी। लेकिन विभिन्न एपिसोड्स का निर्देशन अलग-अलग निर्देशकों द्वारा किया जायेगा। एंड टीवी के इस शो में बिपाशा बिल्कुल नये अवतार में नजर आयेंगी- जैसे कि एक भूतनी? यह सीरीज एपिसोडिक होगी और इसमें सप्ताह-दर-सप्ताह कई हॉरर सीरीज दिखाई जायेगी।

अली ने फैंस को दिया अपने साथ काम करने का मौका

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यशराज फिल्म के यूटूब चैनल वाय फिल्म के द्वारा हाल में ज़ारी किया गया वेब सीरीज 'बैंग बाजा बारात'के  ट्रेलर को  दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। इस  वेब सीरीज में अली फज़ल और नई अदाकारा अंगिरा धर मुख्य किरदार में नज़र आनेवाले हैं। इस वेब सीरीज में अली ने अपने फैंस को भी साथ काम करने का मौका दिया है। वेब सीरीज की शूट पुणे में चल रही थी और अचानक अली के फैंस उन्से मिलने वहां पहुंच गए। 

करीब 3 घंटे इंतज़ार करने के बाद फैंस को अली से मिलने  मौका मिला। फैंस से मिलकर अली ने ना सिर्फ उनसे  बातचीत की बल्कि अपने पूरी टीम से फैंस का परिचय करवाया। इतना ही नहीं अली ने अपने फैंस को भेंट में अपने वेब सीरीज में काम करने का मौका भी दिया। इस वेब सीरीज में अली के फैंस अली की शादी में बाराती बनकर नज़र आनेवाले हैं।फैंस के मुताबिक अली के साथ काम करने का उनका सपना पूरा होगया।  

विशेष : काशी की नाटी इमली भरत मिलाप में उमड़ा आस्थावानों का सैलाब

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भरत से मिले राम, धूमधाम से हुआ राजतिलक। रथ को खींचने को मची रही होड़। प्रस्तुत है वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गांधी की रिपोर्ट। कहते है इस दिन जब सूरज डूबता है तब भगवान का अंश यहां के राम लक्ष्मण में आ जाता है। खासियत यह है कि यहां बनने वाले राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न सप्ताहभर पहले से अन्न सहित अन्य भोग विलासता वाली वस्तुओं का त्याग कर देते है। गंगा स्नान, पूजा-पाठ व फल आदि का ही सेवन करते है

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धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली भरत मिलाप का मंचन बड़े ही धूमधाम से किया गया। आंखों में काजल, माथे पर चंदन, माथे पर लाल पगड़ी में सज-धज युवाओं के बीच गोधूली बेला में जब भगवान राम, लक्ष्ण, भरत व शत्रुघ्न आपस में गले मिले तो इस मनोरम दृश्य देख लोगों की आंखे भर आई। राजा रामचंद्र समेत चारों भाईयों के जयकारे से पूरा परिसर गूंजायमान हो गया। चारों भाईयों के इस पांच मिनट की अलौकिक व मनोरम दृश्य को निहारने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा था। इस मौके पर हाथी पर सवार काशी नरेश के वंशज कुंवर अनन्त नारायण सिंह के हाथों लीला का शुभारंभ किया गया। प्रभु श्रीराम का रथ खीचने वाले बंधुओं द्वारा जयश्रीराम जयश्रीराम का उद्घोष पूरे वातावरण को भक्तिरस से सराबोर हो गया। आसपास के घरों की छतों से फूलों की वर्षा होती रही। मैदान में भरत मिलाप एवं राम के राजतिलक प्रसंग की प्रस्तुति दी गई। इस दौरान भव्य शोभायात्रा निकाली गई। रथ पर सवार राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, भरत, शत्रुघ्न समेत अन्य देवी-देवताओं का जगह-जगह स्वागत किया गया। लोगों ने शोभायात्रा में शामिल चारों भाईयों को भगवान की प्रतिमूर्ति मानकर उन्हें नमन किया। 

कहते है इस दिन जब सूरज डूबता है तब भगवान का अंश यहां के राम लक्ष्मण में आ जाता है। खासियत यह है कि यहां बनने वाले राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न सप्ताहभर पहले से अन्न सहित अन्य भोग विलासता वाली वस्तुओं का त्याग कर देते है। गंगा स्नान, पूजा-पाठ व फल आदि का ही सेवन करते है। कहते है प्रभु श्रीराम के चैदह वर्ष वनवास काटने व लंका पर अपनी विजय पताका लहराने के बाद जब अयोध्या की ओर आगमन होते हैं तो इसकी सूचना मिलने पर उनके अनुज भरत उनके दर्शन को पाने के लिए एक संकल्प लेते है कि अगर गोधुली बेला तक प्रभु के दर्शन ना हुए तो वह अपने प्राण त्याग देंगे, लेकिन लीलाधारी प्रभु श्रीराम गोधुली बेला तक भरत के सामने उपस्थित हो जाते हैं। उन्हें देख भरत उनके पैरों में गिर जाते हैं जिस पर श्रीराम उन्हें गले से लगा लेते हैं। इस दृश्य को मंच पर कलाकारों ने बेहद संजीदगी के साथ निभाया। इसे देख दर्शक भाव-विभोर हो गए। इसके बाद धूमधाम से राम का राजतिलक किया गया। यह मंचन मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र मनुष्य को आदर्शों पर चलने की सीख देता है। तुलसी के रामचरित में वर्णित हर पात्र समाज के आदर्श चरित्र का चित्र प्रस्तुत करता है। राम आदर्श पुत्र हैं तो भरत आदर्श भाई। राम के वनवास के बाद राजपाठ मिलने पर भी भरत ने राम की चरण पादुका सिंहासन पर रखकर सेवक की तरह राज संभाला। हर भाई यदि भरत के गुणों को आत्मसात करे तो घर घर में होने वाली महाभारत बंद हो जाएगी। 

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त्याग, अपनत्व, बन्धुत्व की अनूठी पवित्रतम निर्मल भाव निहित इस भरत-मिलाप में उस भरत का राम से मिलन दर्शाया जाता है जो राम का वनवास सुनकर पिता की मृत्यु क्षण भर के लिए ही सही भूल से गए, “भरतहि बिसरेहु पितु मरन, सुनत राम वन गौनु”। मान्यता है कि संत सिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने इस परंपरा की शुरूवात की थी। गोस्वामी तुलसीदास के शरीर त्यागने के बाद उनके समकालीन संत मेधा भगत काफी विचलित हो उठे थे। एक बार तुलसीदास ने उन्हें सपने में दर्शन दिए। उनकी प्रेरणा से संत मेधा भगत ने नाटी इमली में रामलीला के मंचन की शुरुआत की। तभी से यह परंपरा लगातार चली आ रही है। यहां जैसे ही राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न एक-दूसरे को गले लगाते है मौजूद लोगों की आंखे छलछला जाती है। भगवान को अपने बीच पाकर भक्तों का रोम रोम पुलकित हो उठता है। चारों भाइयों के अलौकिक रूप की झलक पाकर पूरा माहौल जयकारे से गूंजायमान हो उठता हैै।

खास बात यह है कि भरत मिलाप के निर्वासन के 14 साल और उसके भाई, भारत के साथ अपने पुनर्मिलन के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाये जाने वाले नाटी इमली में भरत मिलाप लीला के मंचन के सम्मान में काशी के सभी जगहों की रामलीलाएं बंद कर दी जाती है। कहते है नाटी इमली में करीब 470 साल से भरत मिलाप का मंचन किया जाता है। मान्यता है कि 470 साल पुरानी इस लीला में भगवान राम स्वयं धरती पर अवतार लेते हैं। तुलसीदास ने काशी के घाटों पर बैठकर रामचरितमानस की रचना की थी। साथ ही सबसे पहले उन्होंने ही कलाकारों को इकट्ठा कर रामलीला का मंचन शुरू कराया था। बाद में उन्हीं के प्रेरणा से संत मेधा भगत ने इसका विस्तार किया। माना जाता है जिस चबूतरे पर भरत मिलाप का मंचन होता है, वहां कभी भगवान राम ने संत मेधा भगत को साक्षात दर्शन दिए थे। इस लीला में भूतपूर्व काशी नरेश भी सम्मिलित होते हैं। भरत-मिलाप एक संक्षिप्त लीला या झाँकी मात्र है। इसमें राम-जानकी एवं लक्ष्मण बनवासी वेश में एक मंच पर खड़े रहते हैं, उनके आगमन को सुनकर भरत जो राम के समान ही तपस्वी वेश में हैं तथा शत्रुघ्न आते हैं और राम के चरणों पर गिर जाते हैं। राम एवं लक्ष्मण उन्हें उठाते हैं तथा चारों परस्पर मिलते हैं। तत्पश्चात पांचों स्वरुपों को विमान या रथ पर बिठाकर ढोया जाता है। विमान को काशी के व्यापारी वर्ग इस विश्वास से ढोते हैं कि उनका व्यापार अच्छा चलेगा। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भरत-मिलाप के समय मेधाभगत को स्वरुपों में साक्षात भगवान के दर्शन हुए थे। आज भी क्षण भर के लिए स्वरुपों में ईश्वरत्व आ जाता है, ऐसा विश्वास है। इस लीला की महिमा ही है कि स्वयं काशी नरेश अपने रामनगर स्थित राजमहल से निकल कर प्रभु के दर्शन और परिक्रमा के लिए हाथी पर सवार होकर लीला में श्रद्धा व्यक्त करते हैं। चित्रकूट रामलीला की प्राचीनता ही इसकी धरोहर है। 

कितना विलक्षण उदाहरण है कि जिस सिंहासन के लिए कैकेयी ने राम को वन भिजवा दिया, उस सिंहासन पर भरत कभी बैठे नहीं, निर्बाध निकट रहकर भी नहीं। गुरु, माता, मंत्री, प्रजा यहां तक कि स्वयं उन रघुपति राघव के समझाने-बुझाने पर भी नहीं, जिनका कि राज्याभिषेक ही नहीं हो पाया है। अभी वे राजा ही नहीं हुए हैं। राम तथा भरत का मिलाप संसार की अनूठी घटना है। इस घटना के निहितार्थ में विश्व-वन्धुत्व का वह पवित्रतम निर्मल भाव निहित है, जिसमें कि सम्पूर्ण मानव-जाति को एक जुट करने का सामाजिक सौहार्द समाहित हो गया है। उस सौहार्द का आधार है त्याग, अपने हिस्से का त्याग, अपने अतिरिक्त हिस्से का त्याग, दूसरों के प्राप्य का त्याग। त्याग उस भाग का, जो भले ही कितना ही अपना क्यों न हो परन्तु औरों के लिए अपने से अधिक की आवश्यकता में त्याज्य हो। त्याग उस भोग का जो अभद्र, अनावश्यक और अनुचित है, निकृष्ट है। अपनत्व बस उस भर का, उतने भर का, जो ईश का दान है, परम सत्ता द्वारा सत्कर्मों के प्रतिफल में हमें प्रदान किया गया है तथा जिसके भोग-उपभोग से धन-धर्म, जीवन सब-के-सब धन्य होते हों, सब-के-सब कल्याण-भाव से ललित मुद्रा में छविमान हो उठते हों। वही त्याग भरत ने किया, वही राम ने किया और जो उन दोनों ने किया, वही हमें भी करना चाहिए, अपने लिए, अपने इर्द-गिर्द के समाज के लिए, अपने देश के लिए और समस्त विश्व के कल्याण लिए इसलिए दोनों ही भाई-चारे और सौहार्द के अनोखे प्रतीक हैं। 





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(सुरेश गांधी)

रिचा ने साइन की फिल्म 'सरबजीत '

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निर्देशक उमंग कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'सरबजीत'को हाल ही में रिचा चड्ढा  साइन किया है। यह  फिल्म 22 वर्षों तक पाकिस्तान के जेल में बंद रहे भारतीय कैदी की जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्म है। इस फिल्म में रिचा अलावा रणदीप हूडा और ऐश्वर्या राय बच्चन भी मुख्या किरदार  में नज़र आनेवाली हैं। रिचा  इस फिल्म में रणदीप हूडा की पत्नी का किरदार निभाने वाली हैं। फिल्म 'मै और चार्ल्स'के ट्रेलर के बाद से ही रिचा और रणदीप की केमिस्ट्री की काफी चर्चा बढ़ चुकी है।फिल्म 'सरबजीत'रणदीप के साथ रिचा की दूसरी फिल्म होगी।    

इस बारे में बताते हुए रिचा ने कहा है 'जी हां, मुझे फिल्म 'सरबजीत' एप्रोच किया गया है। इस बारे में ज्यादा न बताते हुए मै सिर्फ इतना कहूँगी की फिल्म में मै रणदीप की पत्नी का किरदार  निभानेवाली हूँ, जोकि  काफी अच्छा किरदार है।फिल्म का थोड़ा पेपर वर्क बाकी है ,मैं इस फिल्म को साइन करने जा रही हूँ।' 

मुझे कलाकार कहलाना ही पंसद हैः इरफान खान

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पान सिंह तोमर के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले और कई हॉलीवुड फिल्मों में काम कर चुके 49 साल के इरफान खान के लिए यह साल काफी अच्छा रहा है। ‘तलवार’ में उनके काम को सबने खूब पसंद किया और अब उनकी फिल्म ‘जज्बा’ में भी उनके काम को पंसद किया गया। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश

- आप इस समय कई फिल्मों में काम कर रहे हैं। कैसे मैनेज कर रहे हैं?
मैं कई महीनों से लगातार शूटिंग करके थक चुका हूं। दो महीने से अधिक समय तक यूरोप में था, जहां एक जापानी टीवी शो के लिए काम कर रहा था। इसके बाद भारत लौट कर फिल्म प्रमोशन में लग गया। अब परिवार के साथ छुट्टियां बिताने का मूड है। एक महीने में ही मेरी दो फिल्में रिलीज हुई हैं, इसलिए प्रमोशन का काम भी काफी बढ़ गया था।

- ये साल कैसा रहा है?
मेरे लिए काफी अच्छा रहा। श्तलवारश् में सभी ने मेरे काम की सराहना की, इसके लिए मैं सभी को धन्यवाद देता हूं। उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह की फिल्में करता रहूंगा।

- विदेशी फिल्मों व सीरियलों में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
पश्चिमी देशों में लोगों का काम करना बॉलीवुड से थोड़ा अलग है। वहां किरदार पर काफी रिसर्च करनी पड़ती है। वहां लोगों का हमें देखने का नजरिया काफी अलग है। वे सोचते हैं कि हम नाचने-गाने वाली फिल्में ज्यादा बनाते हैं। मैं चाहता हूं कि इस सोच में बदलाव आए। हालांकि पिछले कुछ समय में अब यहां भी लोगों का फिल्मों के प्रति नजरिया बदल रहा है।

- किस तरह से लोगों का नजरिया बदला है?
श्लंचबॉक्सश् और ‘पीकू’ जैसी फिल्मों को पसंद कर लोगों ने यह जता दिया है कि सिनेमा में उनकी दिलचस्पी अब बदली है। मैं चाहता हूं कि भारतीय फिल्म निर्माता अब विश्व भर के फैंस को ध्यान में रखकर फिल्में बनानी शुरू करें।

- आप तो स्टार बन गए हैं।
मैं खुद को स्टार नहीं मानता। लोग मुझे जो कहना चाहें वो कह सकते हैं, लेकिन मैं केवल अभिनेता ही कहलाना चाहता हूं। एक साधारण आदमी, जो अपना काम ईमानदारी से करने की इच्छा रखता है। स्टार का तमगा मुझे नहीं चाहिए।

- ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’, लाइफ ऑफ पाई और जुरासिक वल्र्ड के बाद अब किस हॉलीवुड फिल्म में दिखेंगे?
इनफर्नो की शूटिंग हो रही है। इसमें टॉम हैंक्स के साथ छोटा-सा किरदार निभा रहा हूं। फिल्म अगले साल रिलीज होगी।

विचार : काटजू के ये कैसे बोल ?

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गाय पर राजनीति खत्म होने का नाम ही नही ले रही है. पूरे देश में गाय को लेकर काफी गरम माहौल है. बिहार का विधानसभा चुनाव भी इससे अछूते नही. राजनेताओं के बयान थमने का नाम नही ले रहे. ऐसे में भला हमेशा अपने बयानों पर विवादों के घेरे में रहे पूर्व न्यायधीश मार्कण्डेय काटजू कैसे अछूते रह सकते है.  उन्होने ने भी सोचा चलो, कुछ सुर्खियां बटोर ली जाए. दुखती नब्ज पर हाथ रख लिया जाए. दादरी काण्ड के बाद तो बीफ का मामला थमने का नाम नही ले रहा.  ऐसे में काटजू ने एक नया बयान दे दिया. लोगों को दाल और प्याज की जगह ‘गाय का मूत्र और गोबर खाने’ के लिए कह दिया. इससे पहले भी बीफ को लेकर बयान दिया था कि मैं तो खाता हूं, और खाऊंगा. लगता है देश में कुछ और बचा ही नही हैं. 

काटजू जी आप तो बीफ भी खाते है तो इसकी शुरूआत आप करिए. गौमूत्र पीने का वर्णन तो शास्त्रों में भी है. गोबर को खाने की शुरूआत आप ही करे. अभी तक तो गाय के गोबर का प्रयोग पूजा, और उपले बनाने में किया जाता रहा है. जनता इस समय मंहगाई से परेशान है. पहले प्याज को लेकर और अब थाली से दाल गायब हो गई. और आप हंसी उड़ा रहे हैं. देश के उन गरीबों का जो पेटभर खाने के लिए तरसते हैं. काटजू जी आप तो ठहरे बड़े आदमी. क्या फर्क पड़ता है दाम बढ़े या कम हो. गाय को हमेशा सनातन धर्म में माता का दर्जा दिया जाता है. 

हिंदू धर्म के लोग उसे माता कहकर पुकारते है. अब इसमें भी आप को तकलीफ हो रही है. गाय एक पशु है, वो कैसे किसी की माता हो सकती है. आप उसे पशु माने दूसरा कोई माता मानता है तो मानने दो. आप ने तो कह दिया कि बीफ खाते हैं और खाते रहेगें.  विदेशों में बीफ बैन क्यों नही कराती है सरकार ये तो कह दिया. इक बात कही जाती है, जब अपना सिक्का खोटा हो तो दूसरों को नही कहते है. समझदार तो होगें ही. अब समझ जाइए. लगता है बचपन में आप ने गाय पर निबंध नही लिखा है. लिखा होता तो ये सब नही कहते. इतने बड़े ओहदे पर रहने के बाद भी, आग में घी ड़ालने का काम कर रहे है. 

देश में इस मुद्दे पर पहले से ही माहौल पूरी तरह से गरमाया हुआ है. बिहार के पूरे चुनाव में बीफ ही चर्चा का विषय बना हुआ है. गौमूत्र से बीमारी नही होती. बीफ खाने से बीमारी होती है. इसे देखते हुए आप ने प्याज और दाल की जगह गोबर खाने की सलाह दे दी. यहां तक ये भी कह दिया कि गाय का गोबर खाता हुआ कोई कार्टून बनाकर भेजेगा तो मै उसे अपनी फेसबुक वॉल पर लगा दूंगा. कोई क्यों भेजे आप बनवा लीजिए.किसी की आस्था का मजाक न ही बनाए तो अच्छा है. मीडिया में आने के लिए और सुर्खियां बटोरने के लिए कुछ और काम करो. जो देश और समाज के लिए अच्छा हो.



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रवि श्रीवास्तव
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, कवि, 
ravi21dec1987@gmail.com

दलित अत्याचारों के विरुद्ध जयपुर में सांकेतिक आक्रोश प्रदर्शन किया

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जयपुर। हरियाणा में दलित परिवार के दो मासूम बच्चों के जिन्दा जलाये जाने और इसके बाद इस हृदय विदारक घटना के सम्बन्ध में पूर्व सेनाध्यक्ष और भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री वी के सिंह के निंदनीय मनुवादी बयान के विरुद्ध सांकेतिक आक्रोश व्यक्त करने के लिए आज 23.10.15 को दलित-आदिवासियों ने यहां जयपुर स्थित डॉ. आंबेडकर सर्किल पर कैंडल जलाकर प्रदर्शन किया। मृत मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि दी और वी के सिंह के इस्तीफे की मांग की गयी। अमानवीय घटना को मानवता पर कलंक बताया गया। इस अवसर पर आयोजित संक्षिप्त परिचर्चा तथा प्रदर्शन में हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन की और से मैंने और HRD के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष श्री रूपचन्द मीणा झिरवाल जी ने भाग लिया।

अधिकतर वक्ताओं ने दो मासूम बच्चों को ज़िंदा जलाये जाने पर तो दुःख और आक्रोश व्यक्त किया ही साथ ही रक्षा राज्य मंत्री वी के सिंह के बयान----"कोई कुत्ते को पत्थर मारे तो सरकार दोषी नहीं!"----की कड़े शब्दों में निंदा भी की गयी। सभी का एक मत कहना था कि ऐसी सामन्ती और मनुवादी सोच के लोगों के हाथों में सत्ता का होना भारत का दुर्भाग्य है। इस पर आक्रोश व्यक्त करते हुए सभी ने वी के सिंह के तुरंत इस्तीफे की माँग की और मासूम बच्चों के हत्यारों को फांसी दी जाने की मांग की गयी।

परिचर्चा में इस विषय में चिंतन करने पर जोर दिया गया कि आखिर दलित और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए क्या कदम उठाये जावें? इस बारे में मेरी ओर से जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को दुखद मानते हुए चिन्ता व्यक्त की गयी और दलित-आदिवासी जनप्रतिनिधियों को हमारे साथ खड़े होने के लिए मजबूर किये जाने का सुझाव दिया गया। क्योंकि हमारे मान-सम्मान और जीवन की रक्षा करने की हमारे जन प्रतिनिधियों की संवैधानिक जिम्मेदारी है। जिसका अधिकतर वक्ताओं ने समर्थन किया। इसके अलावा वक्ताओं ने दलित और आदुवासियों के मध्य और आपसी सांगठनिक एकता को मजबूत किये जाने के साथ-साथ बाबा साहब को जानने और बाबा साहब के सिद्धांतों पर अमल करने पर भी जोर दिया।

इस सांकेतिक विरोध और आक्रोश प्रदर्शन की ख़ास बात यह रही की शार्ट नोटिस पर केवल वाट्स एप पर जारी मेसेज के अनुसार इसे आयोजित किया गया। जिसमें भारी संख्या में युवाओं ने तथा कुछ महिलाओं ने भी भाग लिया। इस घटना पर युवाओं ने खुलकर अपना गुस्सा व्यक्त किया तथा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाये जाने की मांग की गयी। दुखद पहलु यह रहा कि अग्रिम सूचना दिए जाने के उपरान्त भी मनुवादी मीडिया के प्रतिनिधि प्रदर्शन स्थल पर नहीं आये। ऐसे में हमें सोशल मीडिया का अधिक से अधिक उपयोग किये जाने की जरूरत है।
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