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आलेख : दिलवाले पर बयान भारी तो बाजीराव पर लगा छेड़खानी का आरोप

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  • -भारी पड़ रहा बयान, दिलवाले और बाजीराव पर कई जगह लगे ताले
  • -भंसाली की फिल्म को 40 परसेंट तो दिलवाले को मिले 60 परसेंट शो 

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पिछले दिनों शाहरूख खान के द्वारा भारत को असहिष्णु बताये जाने को लेकर पूरे देश में काफी उथल-पुथल मची हुई थी. कुछ लोगों ने बॉलीवुड के बादशाह का विरोध किया तो कुछ समर्थन में भी उतरे. दरअसल लोगों का यह कहना था कि असहिष्णुता का तमगा किसी सरकार पर नहीं बल्कि भारत देश को गफलत की स्थिति में डाल रहा है. इसी क्रम में कई हिंदू संगठन एवं कुछ अन्य लोगों ने शाहरूख की फिल्म दिलवाले का विरोध करना शुरू कर दिया. जिसमें मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) भी शामिल रही. सोशल मीडिया और सड़कों पर दिलवाले का विरोध फिल्म के निर्माता एवं निर्देशकों के जेहन में काफी डर पैदा कर गया. इस बात से फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे शाहरूख भी रूबरू हुए. जिस वजह से उन्होंने फिल्म के रिलीज होने से महज कुछ दिन पहले ही माफी मांग ली. हालांकि इससे पहले किंग खान ने अपनी फिल्म को हिट कराने को लेकर एक बड़ा ऐलान भी किया. शाहरूख ने चेन्नई में आई त्रासदी में पहले दिन की पूरी कमाई दान करने का वादा किया. जो कि दर्शकों के हिसाब से फिल्म को हिट कराने को लेकर एक स्टंट था. हालांकि फिल्म रिलीज हो चुकी है. साथ ही समर्थन कर रहे दर्शक फिल्म को देखने भी पहुंचे. पर विवाद का डर कुछ इस तरह से व्याप्त रहा कि सिनेमा के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया. फिल्मों को लेकर भीड़ दो हिस्सों में बटती नजर आ रही है. एक तो दिलवाले के साथ खुद को शाहरूख का समर्थक बता रही है वहीं दूसरी ओर भीड़ का दूसरा हिस्सा बाजीराव मस्तानी के साथ देशभक्त जता रही है. कुछ लोग बाजीराव मस्तानी को इतिहास से छेड़खानी बताकर नजरंदाज भी कर रहे हैं बहरहाल आपको इस बात से भी रूबरू करा दें कि हाफिज सईद नाम के ट्विटर अकाउंट से दिलवाले देखने की अपील की गई है. 

दिलवाले या बाजीराव मस्तानी
एक ओर सहिष्णु और असहिष्णु को लेकर जंग छिड़ी हुई है. वहीं दिलवाले और बाजीराव मस्तानी पर भी तगड़ा कॉम्पटीशन है. हालांकि मल्टीप्लेक्स चेन पीवीआर, फन सिनेपोलिस, आइनॉक्स और कार्निवल ने शाहरुख को 60 फीसदी शो दिए हैं. पर विरोध की लगातार बुलंद आवाजों को सुनकर कहीं न कहीं दोनों ही फिल्मों में खासा असर पड़ने की उम्मीद नजर आ रही है. तीन स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स में 15 में से 9 शो शाहरुख़ को मिलेंगे, 6 शो रणवीर-दीपिका स्टारर भंसाली की फिल्म कोे. टियर-2 शहरों में दो स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स में 6 शो शाहरुख़, 4 भंसाली के तय हुए हैं. सिंगल स्क्रीन में 3:2 का अनुपात होगा.

मायानगरी में भी बाजीराव को मिले कम शो
कार्निवल महाराष्ट्र में भंसाली को 45 फ़ीसदी शो दे रही है. देश में करीब 3050 सिनेमाघर हैं जहां हिंदी फिल्में लगती हैं. 2300 सिंगल स्क्रीन, 750 मल्टीप्लेक्स. शाहरुख़ की फिल्म 1850 थियेटर, भंसाली की 1950 में लग रही है. स्क्रीन संख्या क्रमश: 2600 और 2350 है.

बजरंगी भाईजान के दौरान ही बाजीराव के प्रदर्शन पर हो चुका करार 
भंसाली की फिल्म की निर्माण कंपनी इरोस इंटरनेशनल ने "बजरंगी भाईजान’ को रिलीज करवाने के दौरान ही बाजीराव व मस्तानी की प्रेम कहानी पर बनी फिल्म के प्रदर्शन का करार सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों से कर लिया था. इरोस के पास देश के प्रमुख 100 सिंगल स्क्रीन हैं. दिल्ली में 22 में से 19 इरोस के पास हैं. जयपुर का राजमंदिर सिनेमा, लखनऊ का नॉवल्टी वन और टू, नंदन सिनेमा मेरठ में सिर्फ बाजीराव की फिल्म लगेगी. जबलपुर (मध्य प्रदेश) में एकमात्र सिंगल स्क्रीन ज्योति से भी इरोस का करार है.महाराष्ट्र के भंडारा शहर में एक सिनेमाघर है "आदर्श'उसमें भी भंसाली की फिल्म लगेगी. सूत्र बताते हैं कि इरोस अपनी फिल्म के शो 40 से बढ़ाकर 50 फीसदी करने के लिए मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर्स से बात कर रही है. लेकिन पहले वीकेंड पर 60:40 का अनुपात रखने का फैसला सब मल्टीप्लेक्स ले चुके हैं.

कहां कहां हुआ विरोध
पुणे समेत गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी विरोध के कई मामले सामने आये हैं. जिसके बाद कई जगहों पर दोनों ही फिल्मों के पहले दिन के प्रदर्शन को रद्द कर दिया गया . जानकारी के मुताबिक बाजीराव मस्तानी का विरोध इतिहास में छेड़खानी बताकर किया जा रहा है. 

दिलवाले के समर्थन में हाफिज का ट्विट
इन सबके इतर मुंबई बम धमाकों के आरोपी हाफिज सईद नाम के ट्विटर अकाउंट के जरिए लोगों से दिलवाले को देखने की अपील की है. जिसके कारण दिलवाले पर लोगों का आक्रोश और बढ़ गया. 

बॉलीवुड के किंग खान ने शायद ही सोचा हो कि असहिष्णुता के बयान के बाद उनकी फिल्म का कुछ ये हाल होगा. वहीं इसका हर्जाना बाजीराव मस्तानी को भी भरना पड़ रहा है. हां अब देखना दिलचस्प होगा कि आमिर खान की फिल्म दंगल को लोग असहिष्णुता के बयान के बाद स्वीकार करते हैं या उसका भी हाल कुछ इसी तरह होने वाला है. 



liveaaryaavart dot com

हिमांशु तिवारी आत्मीय 
08858250015

विशेष आलेख : विनम्रता, दानशीलता व शांति का उपहार है क्रिसमस

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हम सभी तीर्थयात्री है। यह धरती हमारा अंतिम गंतव्य नहीं। पद, पैसा, ताकत ये दुनिया की बातें है, ये हमारे ईश्वर नहीं हो सकते। सृष्टिकर्ता और मुक्तिदाता ही हमारे ईश्वर है। मसीह हमारे राजा है। उनका राज प्रेम, दया, क्षमा और न्याय पर आधारित है। ईसा ने हमेशा सच्चाई की बात की, सच्चाई के लिए जीए और सच्चाई के लिए ही मर गए 

christmus
देखा जाय तो प्रोफेशनल सहित हर मसीही यीशु का राजदूत है। उन्हें अपने कार्यो से मसीहियत की साक्षी देनी है। साथ ही सुसमाचार का प्रचार भी करना है। यीशु के जन्म की भविष्यवाणियां नबियों द्वारा की गयी थी। उनका जन्म परमेश्वर की पूर्व निर्धारित योजना के तहत हुआ था। यीशु मसीह किसी व्यक्ति, जाति या राष्‍ट्र के लिए नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के उद्धार के लिए आएं थे। क्रिसमस विनम्रता, दानशीलता व शांति का संदेश देता हैै। कई लोग विनम्रता को कमजोरी का पर्याय समझ लेते हैं, पर यीशु ने बताया कि सच्ची महानता विनम्रता में है। एक विनम्र व्यक्ति ही ईश्वर को अपना सृष्टिकर्ता और सबकुछ समझता है। विनम्र बनने के लिए किसी डिग्री की जरुरत नहीं होती, सिर्फ यीशु का जीवन दर्शन समझने की जरुरत है। हर धर्म प्रेम, दया, शांति, सद्भावना की बात करता है, पर कुछ कट्टरपंथी अपने धर्म का स्वरुप बदल देते है। ऐसे लोग सहिष्णुता को समाप्त करते है। धर्म का सही स्वरुप समझना जरुरी है। सभी एक ही ईश्वर की संतान है। न कोई छोटा और न कोई बड़ा है। जहां दरिद्र की सेवा है, वहां ईश्वर है। 

प्रत्येक परिवार की भांति सम्पूर्ण मानव परिवार की एक वास्तविक भूख है। शांति समस्त मानव जाति की एक अलौकिक प्यास है। ईश्वर की प्राप्ति में ही वास्तविक शांति निहित है, यह इसलिए क्योंकि हर मनुष्य चाहे वह नर हो या नारी ईश्वर के प्रतिरुप सृष्ट किया गया प्राणी है। इसी प्रवृत्ति का व्यावहारिक रुप शांति की चाह में या शांति की प्यास में प्रकट होता है। संत अगुस्तीन जैसे महान दार्शनिक कथन है, ‘मानव हृदय ईश्वर के लिए बना है और यह तबतक अशांत रहेगा जबतक कि यह ईश्वर में विश्राम नहीं करता। खीस्त जयंती हमें याद दिलाती है कि शांति का सूत्र शांति के राजकुमार बेतलेहेम के बालक यीशु के चरनी के अर्थ में और शांति की कुंजी उसके नन्हें हाथों में है। गोशाले में जन्म लेना और चरनी में रखा जाना एक अत्यंत दयनीय स्थिति का बोधक प्रतीत होता है, पर बालक यीशु का यह दयनीय स्थिति मात्र परिस्थितिवश नहीं है, यह एक ईश्वर का विधान है। शांति का राजकुमार अपने जन्मस्थान के लिए एक महल नहीं बल्कि एक गोशाले को चुनता है। वह एक राजकीय शय्या नहीं बल्कि एक चरनी का आलिंगन करता है। इस तरह वह संपनता नहीं निर्धनता को अपनाता है। ऐसा क रवह एक ओर गरीबों के साथ अपनी सहभागिता दिखाता है तो दुसरी ओर वह धन-दौलत, एश-ओ-आराम व मान-सम्मान की जगह ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता को प्राथमिकता को देता है। चरनी में पशुओं के लिए चारा यानी आहार रखा जाता है। जन्म लेते ही यीशु को चरनी में रखा जाना मानव के लिए उसका आहार बन जाना संकेत है। अर्थात मानवहित में शांति की स्थापना में पूर्णतया समर्पित जीवन। उसकी चरनी उसके क्रूस-मरण का पूर्वसूचक है जहां उसके समर्पण, उसकी दीनता, आज्ञाकारिता और क्षमाशीलता की पराकाष्ठा है। रोमी कानून व्यवस्था को बनाएं रखने के लिए क्रूरतम क्रूस-दंड की व्यवस्था थी। यीशु ने उस अन्यायपूर्ण क्रूस-दंड को गले लगाया और कू्रस पर अपनी बाहें फैलाकर क्षमा दान करते हुए पूरी मानव जाति का आलिंगन किया। उसने रोमी शांति के क्रूर साधन को वास्तविक शांति का अनोखा माध्यम बनाया। मसीही विश्वास के अनुसार उसने क्रूस के द्वारा दुनिया की मुक्ति कमाई। उसी मुक्ति के अनुभव में मानव की शांति है। इस तरह क्रूस के पूर्वसूचक चरनी में लेटे यीशु के नन्हें हाथों में शांति की कुंजी मौजूद है।  

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शांति एवं सद्भावना ईसाई धर्म के बुनियादी आदर्श हैं। पहाड़ी उपदेश के दौरान ईसा ने कहा- धन्य है वे जो मेल कराने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। धार्मिक कट्टरपंथ, पूर्वाग्रह, घृणा एवं हिंसा कोई भी धर्म का आधार नहीं बन सकता है। दूसरों की गलतियों को माफ करना ईसाई धर्म का एक अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत है। ईश्वर के निकट जाने के लिए दूसरों की गलतियों को हृदय से माफ करना नितांत आवश्यक है। ईसा ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। ईसा के अनुसार दूसरों को माफ करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी जाना चाहिए। मुक्ति प्राप्त करना या ईश्वर के राज्य को प्राप्त करना मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है। जबकि धार्मिकता उस मंजिल तक पहुंचने का मार्ग है। धार्मिकता का मतलब ईश्वर, सृष्टि और मानव के साथ सही संबंध रखना है। इसी धार्मिकता में शांति का निवास है। जो प्रवृत्तियां, भावनाएं या कार्य ईश्वर के राज्य की ओर ले जाते है, वे शांति का मार्ग प्रशस्त करते है। जबकि अशांत हृदय बहुधा-भोग, विलास, ऐशो-आराम, धनार्जन या यश प्राप्ति जैसे नश्वर वस्तुओं की खोज में संलिप्त रहता है, जिनसे मात्र क्षणिक सुख ही मिलता है। इस तरह की खोज से उसकी बैचेनी रुकती नहीं, बल्कि बढ़ती ही जाती है। मानव हृदय में ऐसी बैचेनी बुरी आदतों जैसे मदिरा पान, नशीली पदार्थो का सेवन, अश्लीलता आदि को जन्म देती है। जिससे मानव मर्यादा की हानि होती है। परिवार दूषित होने लगता है और मानव समाज बिगड़ने लगता है। इस तरह मानव ईश्वर प्रयोजित मंजिल की राह से भटकने लगता है और शांति की प्राप्ति की उसके जिए आकाश के तारे तोड़ने जैसी बन जाती है। मतलब साफ है यीशु मसीह का जन्म सारी मानव जाति के उद्धारकर्ता के रुप में हुआ है। उनके जन्म के विषय में कई सौ साल पहले भविष्यवाणी की गयी थी। नबी इसायस के ग्रंथ में लिखा है, ‘हमारे लिए एक पुत्र उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया और प्रभुता उसके कंधे पर होगी और उसका नाम अद्भूत कार्य करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर अनंतकाल का पिता और शांति का राजकुमार रखा जायेगा‘। कुंआरी मरियम से यीशु के जन्म के विषय में पहले से भी भविष्यबाणी की गयी थी। नबी इसाईयत के ग्रंथ में ही लिखा है, ‘‘इस कारण प्रभु एक चिरंजिव देगा? सुनो एक कुंआरी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी। इम्मानुएल का अर्थ है-र्ठश्वर हमारे साथ है।  

पौराणिक मान्यताएं 
क्राइस्‍ट के जन्‍म के संबंध में नए टेस्‍टामेंट के अनुसार व्‍यापक रूप से स्‍वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्‍म देगी तथा बच्‍चे का नाम जीसस रखा जाएगा। व‍ह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्‍य की कोई सीमाएं नहीं होंगी। देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्‍चे को जन्‍म देगी। गैब्रियल ने जोसफ को सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे और उसका परित्‍याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्‍म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्‍ते में थे। उन्‍होंने एक अस्‍तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्‍म दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्‍म हुआ। मान्यता है कि ईसा के बारह शिष्यों में से एक, संत योमस, ईस्वी वर्ष बावन में दक्षिण भारत आए थे। उन्होंने दक्षिण भारत के कुछ प्राचीन राजाओं के महल में भी कार्य किए थे। अपने कामों के साथ-साथ योमस ईसा के सुसमाचार का प्रचार भी करते थे। इनसे प्रभावित होकर कुछ ब्राह्मणों ने ईसाई धर्म ग्रहण किया। इसी कारण दक्षिण भारत में कई पुराने गिरजाघर देखने को मिलते हैं। 

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क्रिसमस संदेश
क्रिसमस शांति का भी संदेश लाता है। पवित्र शास्त्र में ईसा को ‘शांति का राजकुमार‘ नाम से पुकारा गया है। ईसा हमेशा अभिवादन के रूप में कहते थे- ‘शांति तुम्हारे साथ हो‘, शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है। चरवाहों को एक स्वर्गदूत के द्वारा सभी लोगों के लिए बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाया गया कि दाउद के नगर में उनके मुक्तिदाता प्रभु यीशु का जन्म हुआ है। उसकी पहचान के लिए उन्हें चरनी का चिन्ह दिया गया। तब उन्होंने स्वर्गदूतों को स्वर्ग में ईश्वर की महिमा और पृथ्वी पर शांति का मंगलगान गाते हुए सुना। यह शांति दुनियावी शांति नहीं वरन् आध्यात्मिक शांति है। आज की दुनिया शोर से भरी है। सांसारिक वस्तुए हमें अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है। धन की लालच, मन की असंतुष्टि, बदले की भावना, अभिमान, बाहरी दिखावा आदि। बेतलेहेम को राजा दाउद का नगर माना जाता था। क्योंकि राजा दाउद राजा बनने से पहले बेतलेहेम के साधारण चरवाहा थे। नबियों के कथानुसार मसीह को दाउद के वंश से और दाउद के नगर बेतलेहेम से ही चरवाहे के हावभाव में आने की प्रतीक्षा थी। बेतलेहेम का अर्थ है रोटी का घर। यह उल्लेखनीय है कि रोमी जनगणना के समय यीशु मसीह का जन्म चरवाहे के नगर में रोटी के घर में हुआ और चरनी में चारा के रुप में रखा गया। यीशु ऐसे चरवाहा है जिनके पास अपनी एक-एक भेड़ का हिसाब-किताब है। वह ईश्वर का ऐसा मेमना है जो संसार के पाप हर लेता है और शांति प्रदान करता है। उसके पास शांति की रोटी और शांति का चारा है। ताकि वह हरेक की शांति की भूख और प्यास मिटा सके। बेतलेहेम के चरवाहों ने चरनी में यीशु का पहला दर्शन किया, पहचाना और शांति की भूख-प्यास मिटाकर ईश्वर का गुणगान करते हुए लौट गए। यह समाज को अच्छा बनाने का दायित्व है। आज अधिकांश लोग व्यक्त्विादी हो गए है। दुसरों की चिंता करने और समय देने से कतराते है। लगता है कि हम किसी न किसी रुप में स्वार्थी हो गए है। हम समाज की पीड़ा दूर करने का बीडा उठाना नहीं चाहते और वृहत्त उत्तरदायित्व से भागते है। उन्हें मवेशियों के चरागाह में सुलाना एक तरह से शहादत का संकेत है। किसी का चारा बनना या हिंसा का शिकार बनना वर्तमान समय की एक बिडंबना है। अदन की वाटिका में सांप के वेश में पाप पेड़ पर सवार था। प्रभु यीशु उसी की लकड़ी पर सवर्ग को लिटाते है। चरनी में अंततः उसी पाप की लकड़ी को अपने क्रूस मरण के द्वारा पूण्य और मुक्ति में परिवर्तित कर देते है। 

जर्मनी से आई क्रिसमस वृक्ष की परंपरा 
क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्‍व में लोकप्रिय है। लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। क्रिसमस डे के दिन लगभग सभी ईसाई लोग अपने घर क्रिसमस वृक्ष सजाते हैं। बताते हैं कि यह परंपरा जर्मनी से प्रारंभ हुई। आठवीं शताब्दी में बोनिफेस नामक एक अंगरेज धर्म प्रचारक ने इसे प्रचलित किया। इसके बाद अमेरिका में 1912 में एक बीमार बच्चे जोनाथन के अनुरोध पर उसके पिता ने क्रिसमस वृक्ष को रंगबिरंगी बत्तियों, पन्नियों से सजाया। तभी से यह परंपरा प्रारंभ हो गई। सदाबहार फर को क्रिसमस वृक्ष के रूप में सजाया जाता है। बताया जाता है कि जब ईसा का जन्म हुआ, तो देवता उनके माता-पिता को बधाई देने पहुंचे। इन देवताओं ने एक सदाबहार वृक्ष को सितारों से सजाकर प्रसन्नता व्यक्त की। इसके बाद यह वृक्ष क्रिसमस वृक्ष का प्रतीक बन गया। क्रिसमस वृक्ष को सजाने के साथ-साथ कई स्थानों पर इस वृक्ष के ऊपर देवता की प्रतिमा लगाई जाती है। इंग्लैंड इनमें प्रमुख है। प्रतिमा लगाने की यह परंपरा राजकुमार एलबर्ट ने इंग्लैंड के विंडसर कैसल में क्रिसमस वृक्ष को सजवा कर उसके ऊपर दोनों हाथ फैलाए एक देवता की मूर्ति लगवाई। तब से यह परंपरा चल पड़ी। 

दाढ़ी वाला सांता क्लॉज 
क्रिस क्रिंगल फादर क्रिसमस और संत निकोलस के नाम से जाना जाने वाला सांता क्लॉज एक रहस्यमय और जादूगर इंसान है, जिसके पास अच्छे और सच्चे बच्चों के लिए ढेर सारे गिफ्ट्स हैं। इंग्लैंड में ये फादर क्रिसमस के नाम से जाने जाते हैं। इंग्लैंड के सांता क्लॉज की सफेद दाढ़ी थोड़ी और लंबी और कोट भी ज्यादा लंबा होता है। गिफ्ट्स को एक बड़ी सी झोली में भरकर वो क्रिसमस के पहले की रात यानी 24 दिसंबर को अपने स्लेज पर बैठता है। उसके बाद पलक झपकते ही उसके स्लेज में 8 उड़ने वाले रेनडियर उसे बच्चों के बीच पहुंचा देते हैं, जिन्हें वो अपने सुंदर-सुंदर उपहार देकर दुनिया में खुशियां फैलाता है।

कहानी क्रिसमस ट्री की...
क्रिसमस का मौका हो और क्रिसमस ट्री की बात न हो, ऐसा हो सकता है भला..? क्रिसमस पर इस ट्री का चलन जर्मनी से आरंभ हुआ। कहा जाता है कि मार्टिन लूथर ने क्रिसमस के अवसर पर अपने बच्चों के लिए बगीचे से फर का पेड़ लाकर अपने घर की नर्सरी में लगाया। इस पेड़ को उन्होंने कैंडल्स से सजाया ताकि वे जीसस के जन्मदिन पर बर्फीली रात की खूबसूरती को अपने बच्चों को दिखा सकें। पर क्रिसमस से इस पेड़ का जुड़ाव सदियों पुराना बताया जाता है। यूरोप में कहते हैं कि जिस रात जीसस का जन्म हुआ, जंगल के सारे पेड़ जगमगाने लगे थे और फलों से लद गए थे। यही वजह है कि क्रिसमस के दिन इस पेड़ को घर लाकर सजाते हैं। इस पेड़ को घंटियों यानी बेल्स आदि से सजाते हैं, ताकि बुरी आत्माएं दूर रहें। वहीं घर में अच्छाइयों के प्रवेश के लिए एंजेल्स और फेयरी की मूर्तियां लगाई जाती थीं। यूक्रेन में तो मकड़े यानी स्पाइडर व उसके बुने हुए जालों से क्रिसमस ट्री को सजाते हैं। वहां ऐसा माना जाता है कि एक गरीब परिवार के यहां क्रिसमस ट्री पर जाले लगे हुए थे। क्रिसमस की सुबह सूर्य की रोशनी पड़ते ही वे चांदी में बदल गए थे। ऐसी कई कहानियां हैं, जो ट्री को सजाने से लेकर जोड़ी गई हैं।

कैरल्स क्यों गाते हैं...
कैरल्स यानी क्रिसमस के गीत। क्रिसमस आते ही हवाओं में हल्की संगीत की धुन गूंजने लगती है। कैरल्स शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के शब्द केरोलर से भी मानी जाती है, जिसका अर्थ है घूमते हुए नाचना। क्रिसमस गीतों में सबसे पुराने गीत का जन्म चैथी सदी में हुआ। हल्की-फुल्की और गाने में आसान धुनें 14वीं शताब्दी में चलन में आईं। फिर इन्हें इटली में सुना गया। क्रिसमस कैरल्स का सर्वाधिक लेखन और विकास तथा उन्हें प्रसिद्धि 19वीं शताब्दी में मिली है। कैरल्स को नोएल भी कहा जाता है। इन गीतों में पड़ोसियों के लिए शुभकामनाएं दी जाती हैं। इसमें क्रिसमस पर अपने पड़ोसियों के घर जाना और उनके साथ बैठकर क्रिसमस कैरल का आनंद लेना होता है।

क्रिसमस दान का त्योहार 
क्रिसमस एक अनोखा पर्व है जो ईश्वर के प्रेम, आनंद एवं उद्धार का संदेश देता है। क्रिसमस का त्योहार अब केवल ईसाई धर्म के लोगों तक ही सिमित नही रह गया है, बल्कि देश के सभी समुदाय के लोग इसे पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं। क्रिसमस मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के द्वारा की गई पहल को दर्शाने वाला त्योहार भी है। सांता क्लॉज, जो लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए, सफेद बाल और दाढ़ी वाला एक वृद्ध मोटा पौराणिक पात्र है। जो अपने वाहन रेन्डियर पर सवार होता है। इस त्योहार पर समारोहों के दौरान विशेष कर बच्चों में बहुत लोकप्रिय होता है। वह बच्चों को प्यार करता है तथा उनके लिए उपहारों में मनचाही वस्तुएं, चॉकलेट आदि लाता है। ऐसा माना जाता है कि इन उपहारों को वह रात के समय उनके जुराबों में रख देता है। पर क्या आप जानते हैं कि आखिर सांता क्लॉज ढेर सारे उपहार लेकर एक ही रात में दुनिया भर के सभी घरों में कैसे पहुँच सकता है। इसका जवाब है, हम सब के बीच ही एक सांता छुपा होता है लेकिन हम उसे पहचान नही पाते हैं। सांता बिना किसा भी स्वार्थ के सब के जीवन में खुशियाँ ले कर आता है। हमे भी उस से एक सबक लेना चाहिए कि किस तरह हम किसी भी तरह अगर एक इंसान को खुशी दे सकें तो शायद हम भी इस क्रिसमस को सही मायने में मनाने में कामयाब हो सकेंगे।

भारत में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार सर्वप्रथम केरल में सेंट थॉमस ने की 
केरल में कड़ाके की ठिठुरन के बीच जाति-धर्म का भेदभाव भुलाकर लोग क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं। ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार सर्वप्रथम भारत के इसी राज्य से ईसा मसीह के शिष्य सेंट थॉमस ने किया था, इसीलिए भारतीय राज्य केरल में ईसाई समाज के लोग बहुतायात में रहते हैं। सेंट जॉर्ज चर्च, होली फेमिली चर्च, सेंट फ्रांसिस चर्च, सेंट क्रूज बेसिलिका चर्च, सेंट जॉर्ज कैथेड्रल, पारुमाला आदि चर्च यहां के प्रसिद्ध चर्च है। केरल में सेंट थॉमस और माता मरियम के नाम पर ऐतिहासिक चर्च है। केरल के बाजारों में क्रिसमस की रौनक छाई रहती है। बच्चों के बीच सांता क्लॉज की मुखाकृति और टोपी को लेकर रोचकता और खुशी देखने को मिलती है। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी क्रिसमस की धूम रहती है। मदर टेरेसा द्वारा सेवा और ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के चलते पश्चिम बंगाल में ईसाई समाज की अच्छी-खासी जनसंख्या हो चली है। मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चेरिटी के तत्वाधान में यहां के सेंट पॉल कैथेड्रल, सेंट जॉन, बंदेल आदि सभी चर्चों में हिंदू और ईसाई समाज मिलकर क्रिसमस का त्योहार का मजा लेते हैं। पश्चिम बंगाल और असम में बहुत सारे चर्च हैं, जहां क्रिसमस के दिन उनकी सजावट देखते ही बनती है। इसी तरह देशभर के प्रमुख शहरों में क्रिसमस के दिन शॉपिंग मॉल और सड़कें सजी-धजी रहती हैं। ईसाई समाज के लोग सांता क्लॉज की टोपी और मुखाकृति पहनकर सड़कों पर जुलूस निकालते हैं। घर-घर में सुंदर-सा क्रिसमस ट्री सजाते हैं। एक-दूसरे को केक और मिठाइयाँ बाँटते हैं. चर्च में विशेष प्रार्थना करते हैं। भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत जोश और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रि‍टिश और पुर्तगाली शासन के दौरान स्‍‍थापित किए गए थे। भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्‍डरनेस और हिमाचल में क्राइस्‍ट चर्च, सांता क्‍लाज बैसिलिका चर्च, और केरल का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्‍ट चर्च तथा माउन्‍ट मेरी चर्च महाराष्‍ट्र में, तमिलनाडु में क्राइस्‍ट द किंग चर्च व वेलान्‍कन्‍नी चर्च, और आल सेंट्स चर्च व कानपुर मेमोरियल चर्च उत्‍तर प्रदेश में शामिल हैं। 

क्रिसमस कार्यक्रम
क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन वस्‍त्र पहने बच्‍चे ड्रम्‍स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्‍ट्रा के साथ चमकीली छडि़यां लिए हुए सामूहिक नृत्‍य करते हैं। सेंट बेनेडिक्‍ट उर्फ सान्‍ता क्‍लाज, लाल और सफेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार होता है। वह बच्‍चों को प्‍यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार और अन्‍य वांछित वस्‍तुएं लाता है, जिन्‍हें वह संभवतः रात के समय उनके जुराबों में रख देता है। क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्‍यार व भाई चारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं। चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत् रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं और उपहार देते हैं। वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। 

क्रिसमस से जुड़ी कुछ रोचक बातें
क्रिसमस एक ग्लोबल त्योहार है। क्रिसमस की तैयारियां आमतौर पर एक महीने पहले से जोर पकड़ लेती हैं और फिर लगभग पूरे दिसंबर माह दुनिया भर में इसकी धूम रहती है। दुनिया भर में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। क्रिसमस से जुड़ी कुछ रोचक बातें इस प्रकार है-

दक्षिणी गोलार्ध में क्रिसमस गर्मी की छुट्टियों में मनाया जाता है। चैंकिए नहीं... तारीख वही है पच्चीस दिसंबर लेकिन इस हिस्से में यह गर्मियों का मौसम होता है। इस गोलार्ध में अफ्रीकी देश, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण अमेरिका आदि आते हैं। तो यहां क्रिसमस धूप स्नान करते हुए सेलिब्रेट किया जाता है।  ये शायद मूड की बात है और भौगोलिक परिस्थितियों की भी। हवाई में सांता क्लॉज बोट में आते हैं और कैलिफोर्निया में सर्फिंग बोर्ड पर सर्फ करते हुए। पोलिश अमेरिकन्स आज भी अपने किचन के फर्श पर सूखी घास बिछाते हैं ताकि वो उस गौशाला जैसा माहौल लगे जहां यीशू ने जन्म लिया था।  यही नहीं वे डायनिंग टेबल के पास दो खाली कुर्सियां भी रखते हैं। एक मदर मेरी के लिए और दूसरी नन्हें यीशू के लिए इस उद्देश्य के साथ कि अगर कभी वे पनाह मांगते हुए घर के दरवाजे पर दस्तक दें, तो उनका स्वागत है। फ्रांस में इस दिन के लिए घरों में एक ‘थ्री किंग्स केक‘ बनाया जाता है जिसमें एक-एक बीज छुपा दिया जाता है। जिसके हिस्से में ये बीज आ जाए, वो एक दिन के लिए क्रमशः राजा-रानी बन जाता है। जर्मनी में इस अवसर पर फलों की छोटी-छोटी फलों की गुडि़यां, अदरक युक्त ब्रेड के घर आदि बनाए जाते हैं। यहां बच्चे ‘क्राइस्ट किड‘ के नाम मनपसंद उपहारों के लिए बकायदा खत लिखते हैं और उसे खिड़की पर टांग देते हैं। यह ‘क्राइस्ट किड’ सफेद परिधान और परों वाला एक फरिश्ता होता है जो सुनहरा मुकुट पहने होता है और बच्चों को गिफ्ट बांटता है। उपहारों के लिए लिखे गए खतों के लिफाफों पर शक्कर के दानों से सजावट भी की जाती है ताकि वो चमकते रहें। 

स्पेन में क्रिसमस गिफ्ट बच्चों तक जनवरी में पहुंचती है। क्योंकि एक पारंपरिक मान्यता के अनुसार ‘तीन नजूमी‘ इसी दिन यीशू तक उपहार लेकर पहुंचते हैं। यहां तोहफों की आस में मोजे नहीं बल्कि जूते टांगे जाते हैं, वो भी रात को घरों की बालकनी में। इन जूतों में ढेर सारी जौ की बालियां भर दी जाती हैं। उन ऊंटों के लिए जिन पर तीनों नजूमी रात भर सफर करके, गिफ्ट्स लेकर आएंगे। सुबह होने पर जूतों में बालियों की जगह तोहफे होते हैं। बुल फाइट के लिए प्रसिद्ध स्पेन में क्रिसमस के दिन गाय को भी आदर देकर पूजा जाता है क्योंकि यीशू के जन्म के समय आखिर गौशाला में गाय ने भी यीशू को संरक्षण दिया था और अपनी सांसों के जरिए बच्चे को गर्माहट देने में भी मदद की थी। 



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-सुरेश गांधी-

2016“अन्तरराष्ट्रीय दलहन ”वर्ष घोषित

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नयी दिल्ली.19 दिसम्बर, संयुक्त राष्ट्र ने मानव स्वास्थ्य के लिए दालों के महत्व के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए वर्ष 2016 को “अन्तरराष्ट्रीय दलहन वर्ष ” (आईवाईपी) के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन( एफएओ) के अनुसार प्रोटीन ,फाइबर एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर दालों को भोजन में आवश्यक रूप से शामिल करने के लिए लोगों को प्रेरित करने के वास्ते यह कदम उठाया गया है। 

क्रॉप साइंस सोसायटी ऑफ अमेरिका (सीएसएसए) के अध्यक्ष एवं कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क ब्रिक ने कहा कि सीएसएसए के महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों के लेख अन्तरराष्ट्रीय दलहन वर्ष के दौरान दहलन के महत्व और उनसे संबिधित शोध के बारे में सोसायटी की प्रत्रिका में प्रकाशित किए जायेंगे। इस बीच आईवाईपी टीम के सदस्य थॉमस ने कहा“हम लोगों को उनकी सेहत के लिए सभी तरह की दालों के प्रति अधिक से अधिक जागरुक बनाने की दिशा में काम करेंगे। श्री थाॅमस और श्री ब्रिक ने संयुक्त रूप से एक शोध किया है जिसमें यह साबित किया गया है कि भोजन में दहलन की विभिन्न किस्मों को भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

सोनिया राहुल आज अदालत में पेश होंगे

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नयी दिल्ली.19 दिसम्बर,  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड मामले में अाज अपराह्न पटियाला हाउस अदालत में पेश होंगे। भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर कांग्रेस के ये दोनों नेता और तीन अन्य अदालत में पेश होंगे। कांग्रेस के इन शीर्ष नेताओं को एसपीजी सुरक्षा प्राप्त है ऐसे में पटियाला हाउस अदालत और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस के अनुसार सुरक्षा चाक- चौबंद करने के लिए अदालत परिसर में आज 16 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। उल्लेखनीय है कि 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने श्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर श्रीमती गांधी, श्री राहुल गांधी तथा पांच अन्य को समन जारी करके व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश जारी किए थे। कांग्रेस नेताओं ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसने समन पर रोक लगा दी थी लेकिन सात दिसंबर को जारी आदेश में उसने यह छूट देने से इन्कार कर दिया। 

न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने कांग्रेस नेताओं की याचिका यह कहते हुए खारिज की थीं कि नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड काे 90 करोड़ 25 लाख रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण यंग इंडिया को सौंपने की क्या जरूरत थी। एकल पीठ ने टिप्पणी की कि इस मामले में अपनाई गई प्रक्रिया संदेह के दायरे में है। इसके बाद आठ दिसम्बर को श्रीमती गांधी और श्री राहुल गांधी को पटियाला हाउस अदालत में पेश होना था लेकिन उस दिन उन्हें अदालत में पेशी से राहत मिल गई। नेशनल हेराल्ड को प्रकाशित करने वाली कंपनी दि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की स्थापना 1938 में हुई थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया यह अख़बार 2008 में बंद हो गया था। नवगठित कंपनी यंग इंडिया ने 2010 में इसका अधिग्रहण कर लिया था। श्री स्वामी का आरोप है कि एसोसिएटेड जर्नल की संपत्ति लेने के लिए कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपये बतौर ऋण दिए थे जो गैर कानूनी है। श्री स्वामी का कहना है कि नेशनल हेराल्ड अखबार के बंद होने के बाद कंपनी की संपत्ति पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर लिया गया और यंग इंडिया नाम की एक कंपनी बना दी गई।

स्वास्थय : आम लोगों के लिए ‘नो योर मेडिसिन कैंपेन’ की शुरूआत

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  • स्वस्थ भारत अभियान की नई पहल, अपनी दवा को जानें...

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नई दिल्ली/  18.12.15. स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए स्वस्थ भारत ट्रस्ट ने स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत ‘नो योर मेडिसन कैंपेन’ की शुरूआत यहां शुक्रवार को की। नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित कैंपेन के उद्घाटन समारोह में दवाओं के प्रति जागरूकता की जरूरत को बताती हुई लघु फिल्म का लोकार्पण भी किया गया, जिसे बॉलीवुड के हस्तियों ने तैयार किया है। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विषय में रूचि रखने वाले बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, चिकित्सकों, फार्मा क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों और अन्य अंशधारकों ने सक्रिय उपस्थिति दर्ज की।

दवाओं के प्रति जागरूकता पर बनी इस फिल्म का निर्देशन जाने-माने फिल्म डायरेक्टर सुनील अग्रवाल ने किया है, वहीं इसकी एडिटिंग बल्लु सलुजा ने की है। पुनीत वशीष्ठ, संचिता बनर्जी व संजय बडोनी अभिनित ढाई मिनट की इस फिल्म में लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि वे दवा लेने की स्थिति में अपने डॉक्टर अथवा फार्मासिस्ट से उस दवा की सही जानकारी जरूर लें। उल्लेखनीय है कि दवाओं के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण मरीज कई बार अनावश्यक दवाओं का भी सेवन करते चले जाते हैं जिसके दुष्परिणाम स्वास्थ्य पर दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो चितकित्सकों की ओर से भी दवाओं के बारे में जानकारी देने में आना-कानी की जाती है, जिससे मरीज अपनी बीमारी, अपने ईलाज और अंततः अपने स्वास्थ्य के बारे में ही जागरूक नहीं रह पाता है।

स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि मरीज को दवाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है और इसमें डॉक्टरों, फार्मासिस्टों तथा सरकार की भूमिका अहम है। खासकर इस संबंध में कड़े कानूनों के बनाए जाने और ठीक से उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है। फिलहाल तो डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी पर्चियों पर दवाओं का नाम तक स्पष्ट नहीं होता है और सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र तक के अस्पतालों में डॉक्टरों के पास मरीजों से बात करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता ताकि वे मरीजों को दवा के बारे में समझा सकें। यह स्थिति देश के स्वास्थ्य जगत के हितो के प्रतिकूल है और इसमें शीघ्रातिशीघ्र सुधार की आवश्यकता है।

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने इस कैंपेन की सराहना करते हुए कहा कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है। वही मुख्य वक्ता डॉ मनीष कुमार ने दवाइयों के बारे में लोगों को जागरूक होने की अपील कहते हुए कहा कि हमें अपने शरीर को व्यवस्थित रखना है तो दवा का प्रयोग अनुशासित तरीके से करना पड़ेगा। सिम्पैथी के निदेशक डॉ. आर.कांत ने भी दवाइयों के पढ़ते दुरुपयोग पर अपनी चिंता जाहिर की। फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने कहा कि लोगों को अपनी दवा के बारे में जानने का पूरा हक है। वहीं वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार धनंजय कुमार, अरविंद कुमार सिंह और कुमार संजोय सिंह आदि ने देश में स्वास्थ्य चिंतन की धारा को तीव्र करने पर जोर दिया। आइडिया क्रैकर्स व स्वस्थ भारत अभियान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन सोशल मीडिया एक्सपर्ट कनिश्क कश्यप ने की। धन्यवाद संबोधन धीप्रज्ञ द्विवेदी ने की।

नो योर मेडिसिन कैंपेन व लघु फिल्म पर टिप्पणियां

नो योर मेडिसिन के निर्देशक सुनील अग्रवाल ने अपने विडियो संदेश में कहा कि स्वस्थ भारत अभियान द्वारा जनहित में जारी इस विडियो के माध्यम से हम देश-दुनिया को दवाइयों के बढ़ते साइड अफेक्ट के बारे में जागरूक करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि लोग दवा खाते समय विशेष सावधानी बरतें. डॉक्टर व मरीज के बीच एक हेल्थी संवाद सुनिश्चित हो। अतः हम चाहते हैं कि आप अपनी दवा को जानिए।

बल्लु सलुजा, फिल्म एडिटर, नो योर मेडिसन ने कहा कि स्वस्थ भारत अभियान की यह पहल सराहनीय है। इस तरह फिल्में बनती रहनी चाहिए। इससे लोगों के बीच स्वास्थ्य-जागरूकता बढ़ेगी।

अभिनेत्री संचिता बनर्जी ने कहाकि स्वस्थ भारत ट्रस्ट की यह पहल स्वागत योग्य है। इस फिल्म में काम करके मुझे बहुत सुकुन मिला। इस फिल्म से हम समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना चाहते हैं। स्वास्थ्य हमारा सबसे बड़ा धन है, इसे बचाना जरूरी है। स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से अपनी दवा को जानना जरूरी है। अपनी दवाइयों को जरूर जानिए।

अभिनेता संजय बडोनी का कहना हैकि इस फिल्म को बनाने के पीछे की सोच यही रही है कि लोगों के बीच मजबूती के साथ यह संदेश प्रेषित किया जा सके कि दवाइयों को जानना कितना जरूरी है। गलत दवा व दवा का गलत प्रयोग हमें और बीमार बना देता है।

स्वस्थ भारत अभियान के ब्रांड एम्बेसडर एवरेस्टर नरिन्दर सिंह ने कहाकि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को लेकर लोग सजग हो रहे हैं। नो योर मेडिसन के माध्यम से हम यह कहना चाहते हैं कि आप जो दवा ले रहे हैं, उसे चिकित्सक व फार्मासिस्ट के मार्गदर्शन में ही लें। दवा का संबंध सीधे आपके स्वास्थ्य से है। बॉलीवुड  गीतकार डॉ. सागर का कहना है कि दवा आज जरूरत बन गयी है, किसी न किसी रूप में दवा से हमारा वास्ता पड़ ही जाता है। ऐसे में जरूरत है कि हम अपनी दवाइयों को जानें। दवा कब लेनी है, कैसे लेनी हैं, कितनी मात्रा में लेनी है, इसकी समझ विकसित हो।

स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहाकि स्वास्थ्य के बारे मे जागरूक रहना व अपने मित्रो को जागरूक करना हमारा कर्तव्य है। यदि हम ऐसा नहीं कर रहे हैं तो खुद के प्रति व अपने दोस्तों के प्रति अन्याय कर रहे हैं। इस दिशा में यह फिल्म एक बेहतर संदेशवाहक की भूमिका निभायेगी। इस फिल्म को बनाने में जुटी पूरी टीम को साधुवाद देता हूं।



शॉर्ट फिल्म लिंक ( इस फिल्म को आप जनहित में साझा कर सकते हैं, कॉपी राइट फ्री है)
https://www.youtube.com/watch?v=2QPpQst9Ywk

सुब्रमण्यम स्वामी को मिलेगा सरकारी बंगला

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नयी दिल्ली 19 दिसंबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी को केन्द्र सरकार ने सुरक्षा अाधार पर आज लुटियन जोन में सरकारी बंगला आवंटिक करने का फैसला किया। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कल आवास कैबिनेट समिति की बैठक में फैसला लिया गया कि जेड कैटेगरी की सुरक्षा प्राप्त सुब्रमण्यम स्वामी को पांच साल के लिये सरकारी बंगला आवंटिक किया जाए क्योकि उनके निजामुद्दीन स्थित उनके मौजूदा आवास मे सुरक्षाकर्मियों के रहने की जगह नहीं है। हालांकि इस बंगला के लिए उन्हें सामान्य से पांच गुना अधिक लाइसेंस शुल्क देना होगा। 

स्वामी के अलावा पंजाब के पूर्व पुलिस प्रमुख के.पी.एस गिल और अखिल भारतीय आतंकवाद निरोधक मोर्चा के प्रमुख एम एस बिट्टा को भी सुरक्षा के आधार पर मिले सरकारी बंगले को तीन साल तक बहाल रखने की अनुमति दी गई है। इन दाेनों को भी उनके बंगले के लिए सामान्य से पांच गुना अधिक लाइसेंस शुल्क देना होगा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी स्वास्थ्य कारणों से एक और वर्ष के लिए अपने सरकारी बंगले के रहने की अनुमति दी गई है। 

अमेरिका से संबंधों में मजबूूत लाना चाहता हैं क्यूबा : कास्त्रो

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हवाना 19 दिसंबर, क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने आज यहां कहा कि उनका देश अमेरिका से संबंधों में मजबूती लाना चाहता हैं लेकिन अभी भी कई ऐसे क्षेत्र है जहां अब तक कोई प्रगति नहीं हुई हैं। अमेरिका से संबंध बहाल हाेने के एक वर्ष के मौके पर प्रसारित हुए भाषण में श्री कास्त्रो ने पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ किये गए घोषणा काे याद करते हुए कहा कि शीत युद्ध को पीछे छोड़ते हुए दोनों देश अापसी रिश्ते सुधारने की दिशा में आगे बढ़े है । 

श्री कास्त्रों ने कहा “ क्यूबा की सरकार संप्रभुता, स्वतंत्रता और आपसी सम्मान के साथ अमेरिका से संबंधों को आगे बढना चाहती हैं। हमें अपनी कडवी यादों को भूलाकर आगे बढना होगा।” अमेरिका और क्यूबा ने इस वर्ष जुलाई में 54 साल के बाद कूटनीतिक संबंधों को बहाल किया था। हाल ही में दोनों देशों के बीच सीधी डाक सेवाएं अौर वाणिज्यिक विमानों के परिचालन को फिर से बहाल करने पर सहमति बनी हैं। 

प्रदुषण कम करने में पूरा सहयोग करें

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बढ़ते प्रदूशण के कारण दिल्ली में इन दिनों हड़कम्प मचा हुआ है तथा सरकार, कार्यपालिका व न्यायपालिका मिलकर जनता को इससे बचाने के लिए प्रयासरत है। विभिन्न उपायों से प्रदूशण नियन्त्रण के लिए युद्व स्तर पर कार्य चल रहा है। विष्व में प्रदूशण की स्थिति किसघातक स्तर तक पहुंच चुकी है पैरिस (फ्रांस) में हुई 196 देषों की विष्व स्तरीय बैठक इसका प्रमाण है।  स्थिति यहां तक पहूंच चुकी है कि चीन में एक कनाडाई कम्पनी ने पर्वतों की ताजा हवा से भरी आक्सीजन बोतल का प्रचार किया और उपलब्ध सारी बोतलें हाथों हाथ बिक गईं तथा मांग लगातार बढ़ती जा रही है।  

इस एक बोतल की कीमत 28 डालर यानि 1865 रूपये है तब भी लोग इसे खरीद रहे हैं। भारत विकास परिशद् के राश्ट्रीय मन्त्री पर्यावरण रमेष गोयल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली में ‘बचपन‘ में ही सांस रोग अस्थमा व एलर्जी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर षहर गांव जागरूक न हुआ तो भयावह स्थिति बढ़ सकती है। उन्होंने जनता से अपील की है कि प्रदूशण कम करने में पूरा सहयोग करें और स्वयं, परिवार व समाज  सबका भविश्य सुरक्षित करें तथा रोग ग्रस्त होने से बचाएं । 


सहायक प्राध्यापकों की बहाली के लिए साक्षात्कार स्थगित हो : मोदी

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पटना 21 दिसम्बर, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी  के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार से निगवेकर कमिटी की रिपोर्ट के आने तक राज्य के विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की बहाली के लिए बिहार लोक सेवा आयोग :बीपीएससी: की ओर से लिये जा रहे साक्षात्कार को स्थगित करने का आग्रह किया है । श्री मोदी ने आज यहां कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए सहायक प्राध्यापकों की बहाली में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग :यूजीसी: के 2009 के रेगुलेशन की वजह से बिहार के हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगा है । उन्होंने कहा कि ऐसे में बिहार सरकार से आग्रह है कि जब तक केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित प्रो. अरुण निवलेकर कमिटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, वह बिहार लोक सेवा आयोग को सहायक प्राध्यापकों की बहाली के लिए आयोजित साक्षात्कार स्थगित करने का निर्देश दे । भाजपा नेता ने कहा कि विधान परिषद में इस विषय पर चर्चा के दौरान शिक्षा मंत्री ने आश्वस्त किया था कि वह मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से मिल कर अभ्यर्थियों को यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन से राहत दिलायेंगे। 

श्री मोदी ने कहा कि 1997 के बाद पहली बार 2014 में सहायक प्राध्यापकों की बहाली के लिए बीपीएससी की ओर से विज्ञापन निकाला गया है । विज्ञापन की शर्तों के अनुसार जो अभ्यर्थी यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन के आधार पर पीएचडी धारक हैं या जो नेट उत्तीर्ण हैं वही इसके पात्र होंगे । यूजीसी द्वारा एम.फील और पीएचडी के लिए 11 जुलाई, 2009 में अधिसूचित रेगुलेशन तीन साल बाद 6 नवम्बर, 2012 को बिहार में अधिसूचित की गई । नतीजतन बिहार में यूजीसी के 2009 के पूर्व के दिशा निर्देश पर ही पीएचडी निबंधन की प्रक्रिया अपनाई जाती रही । इसलिए बिहार में यूजीसी के 2009 के पूर्व के रेगुलेशन के आधार पर जहां करीब 30 हजार पीएचडी धारक हैं वहीं 2009 के बाद के एक भी पीएचडी धारक नहीं है। भाजपा नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से अरुण निवलेकर की अध्यक्षता में गठित कमिटी को तय करना है कि यूजीसी के 2009 के रेगुलेशन के पूर्व के पीएचडी धारक व्याख्याता नियुक्ति के पात्र होंगे या नहीं । श्री मोदी ने कहा कि निवलेकर कमिटी की रिपोर्ट अभी नहीं आयी है । इसलिए बिहार सरकार निगवेकर कमिटी 
की रिपोर्ट के आने तक बीपीएससी को साक्षात्कार स्थगित करने का निर्देश दे ताकि बिहार के 2009 के पूर्व के हजारों पीएचडी धारकों के भविष्य को बचाया जा सके। 

मेरे खिलाफ कार्रवाई में भाजपा का दोहरा मापदंड : मोनाजिर

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पटना 21 दिसम्बर, भारतीय जनता पार्टी :भाजपा : से अनुशासनहीनता के आरोप में आज निष्कासित किये गये पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने पार्टी नेतृत्व पर दोहरा मापदंड अपनाये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अल्पसंख्यक होने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी जबकि बिहार से पार्टी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद पर किसी तरह की कार्रवाई अब तक नहीं हुई है । श्री हसन ने भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित किये जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पार्टी नेतृत्व ने उनके मामले में दोहरा मापदंड अपनाया है । बिहार से भाजपा के सांसद श्री सिन्हा और श्री आजाद पार्टी के खिलाफ कई अवसरों पर बयान देते रहे है लेकिन इसके बावजूद दोनों नेताओं के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी है । उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व दोनों भाजपा सांसदों के खिलाफ आरोपों की लिपापोती में लगी है । अल्पसंख्यक होने के कारण पार्टी नेतृत्व ने उन पर कार्रवाई की है । 

पूर्व सांसद ने कहा कि एक ओर श्री सिन्हा बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन :राजग: की करारी हार के लिए अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेवार ठहराते रहे है वहीं श्री आजाद दिल्ली एंड डिस्ट्रीक्ट क्रिकेट एसोसियेशन (डीडीसीए) में हुई अनियमितता की जांच कराये जाने की मांग को लेकर पार्टी की छवि को धूमिल करने में लगे है । श्री हसन ने कहा कि शीघ्र ही 24 से अधिक नेता भाजपा से इस्तीफा देकर दूसरे दलों में जायेंगे । उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भाजपा का बिहार में कोई नाम लेने वाला भी नहीं रह जायेगा । इसबीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधान पार्षद मंगल पांडेय ने कहा कि श्री आजाद के संबंध में पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व नजर रख रही है । 

सरकारी आदेश के उल्लंघन के मामले में मीसा भारती को जमानत

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पटना 21 दिसम्बर, बिहार में पटना की एक अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद ) अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव की पुत्री मीसा भारती को चुनाव के समय सरकारी आदेश के उल्लंघन से संबंधित एक मामले में आज जमानत दे दी । अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी त्रिभुवन नाथ ने यहां मामले में सुनवायी करने के बाद राजद अध्यक्ष की पुत्री श्रीमती भारती की नियमित जमानत याचिका मंजूर कर ली । 

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन अंचलाधिकारी कुंदन लाल ने मीसा भारती के खिलाफ दानापुर थाना केस संख्या 119/14 के तहत एक मामला दर्ज कराया था । मामले में पुलिस द्वारा 19 मार्च 2014 को आरोप पत्र दाखिल किये जाने के बाद अदालत ने 18 जून को संज्ञान लिया था । इसके बाद 24 जुलाई 2015 को मीसा भारती के खिलाफ वारंट जारी किया गया था । 

नागपुर पिच मामले पर आईसीसी ने दी चेतावनी

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दुबई, 21 दिसंबर, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच तीसरे टेस्ट मैच की मेजबानी करने वाले नागपुर के जामथा क्रिकेट स्टेडियम मैदान को ऐसी पिच तैयार करने के लिये आधिकारिक चेतावनी दी है। क्रिकेट की शीर्ष संस्था आईसीसी ने मैच रेफरी जैफ क्रो की रिपोर्ट में नागपुर की पिच को ‘खराब’ करार दिये जाने की रिपोर्ट पर सहमत होने के बाद पिच मॉनिटरिंग प्रक्रिया के तहत यह चेतावनी जारी की। मैच के वीडियो फुटेज की समीक्षा करने के बाद आईसीसी के प्रबंध निदेशक ज्यॉफ अलॉर्डिस और आईसीसी के मुख्य मैच रैफरी रंजन मदुगले ने यह फैसला दिया। 

आईसीसी की ओर से सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार, “अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद घोषणा करती है कि नागपुर में जामथा स्टेडियम को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच तीसरे टेस्ट के बाद आईसीसी पिच निगरानी प्रक्रिया के तहत आधिकारिक चेतावनी दी जाती है। यह चेतावनी इस तथ्य को ध्यान में रखकर दी गई है कि इस स्थल पर खेले गए अन्य अंतरराष्ट्रीय मैचों के दौरान पिच के प्रदर्शन को लेकर कभी कोई चिंता नहीं जतायी गयी।” 

भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली और टीम निदेशक रवि शास्त्री ने हालांकि पिच का बचाव करते हुए कहा था कि पिच में कुछ भी गलत नहीं था। इससे पहले क्रो ने अपनी रिपोर्ट में पिच काे लेकर मैच अधिकारियों की चिंता को व्यक्त किया था। टीम इंडिया ने यह टेस्ट 124 रनाें के बड़े अंतर से जीता था। मेहमान टीम दक्षिण अफ्रीका ने इस मुकाबले में 79 और 185 रनों की पारियां खेली थीं जबकि मेजबान टीम ने दो पारियों में 215 और 173 रन बनाये थे। यह मुकाबला तीन दिन में ही समाप्त हो गया था। नागपुर पिच पर 40 मे से 33 विकेट स्पिनरों ने लिये थे और मैच तीसरे दिन ही समाप्त हो गया था। इस मैच में दोनों टीमों का काेई भी बल्लेबाज अर्धशतक तक नहीं लगा पाया था। 

निर्भया के दोषी की रिहाई के खिलाफ दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन

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नयी दिल्ली,21 दिसंबर, निर्भया कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई काे लेकर आज राजधानी में दूसरे दिन भी व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें निर्भया के माता -पिता और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी हिस्सा लिया। दोषी की रिहाई को रोकने के अंतिम प्रयास के तहत श्रीमती मालीवाल द्वारा दायर की कई याचिका आज उच्चतम न्यायालय से खारिज हो जाने पर महिला आयोग के साथ ही निर्भया के माता -पिता ने भी गहरी निराशा जताई और न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रखने का एलान करते हुए जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बडी सख्या में छात्रों और आम लोगों ने भी हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारी हाथ में ‘हमें इंसाफ चाहिए’, ‘मासूम को सुधारा जा सकता है बलात्कारी को नहीं’ और ‘दोषियों को फांसी दो’के नारे लिखे बैनर पेास्टर लिए हुए थे। वे ‘निर्भया के कातिलों को फांसी दो के नारे भी लगा रहे थे। दिन से शुरु हुआ प्रदर्शन देर शाम तक जारी रहा।शाम ढलते ही प्रदर्शनकारियों ने मोमबत्ती जलाकर निर्भया के प्रति अपनी संवदेना प्रकट की। 

उच्च्तम न्यायालय ने श्रीमती मालीवाल की याचिका यह कहते हुए खारिज की कि नाबालिग दोषी अपनी सजा पूरी कर चुका है ऐसे में कोई ऐसा कानून नहीं है जिसके तहत उसकी रिहाई रोकी जा सके। न्यायालय ने साथ ही यह टिप्पणी भी कि ‘आम आदमी की चिंताओं के प्रति हम भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं, लेकिन मौजूदा कानून के तहत हमारे हाथ बंधे हैं।’ निर्भया की मां आशा देवी ने न्यायालय के फैसले पर कहा ‘ हमें पता था ऐसा ही होने वाला है क्योंकि 2014 में भी हम अपनी याचिका लेकर उच्चतम न्यायालय गए थे तब भी कुछ नहीं हुआ था आज भी कुछ नहीं हुआ। कानून सरकार सब एक ढकोसला है। एक आतंकवादी की सुनवाई के लिए अदालत आधी रात को बैठ सकती है लेकिन एक बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए नहीं।’ निर्भया के पिता ने कहा कि वह इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं है। उनकी लडाई सिर्फ नाबालिग दोषी काे सजा दिलाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह मामले के चार अन्य दोषियों को भी फांसी दिलाने तक जारी रहेगी। 

श्रीमती मालीवाल ने इस पर खेद और गहरी निराशा जताते हुए कहा ‘ यह इतिहास का एक काला दिन है। समय आ गया है कि महिलाएं अब बदलाव के लिए मोबत्तियों की जगह मशाल हाथ में उठाएं । निर्भया के दर्द को लोगों ने समझा। हजारों की संख्या में प्रदर्शन करने सडको पर उतरे आैर लाठियां खाई लेकिन यह सोच कर शर्म आती है कि घटना के तीन साल बीत जाने के बाद भी हमारी संसद पर इसका कोई असर नहीं हुआ।’ किशोर न्याय संशोधन विधेयक को राज्य सभा ने अटका रखा है। ‘ मैं संभी सांसदों अपील करती हैं कि वह इसे जल्दी पारित करे ताकि निर्भया को न्याय मिल सके। इस विधेयक में जघन्य अपराधों के मामले मे किशोर की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष करने का प्रावधान है। साल 2012 की 16 दिंसबर दक्षिणी दिल्ली में रात के वक्त चलती बस में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इस दौरान उसके साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी किशोर अपराधी ने ही की थी जिसके कारण निर्भया की मौत हुई थी। 

नेपाल सरकार ने मांगी मधेसी पाटिर्यों की मांग

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काठमांडू 21 दिसम्बर, नेपाल सरकार ने लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चे (एसएलएमएम) काे आज सूचित किया कि प्रांतों की सीमाओं के पुनर्निधारण की उनकी मांग को मान लिया गया है। भारत ने नेपाल के इस फैसले का स्वागत किया है। मधेसी मोर्चा के साथ बातचीत के लिए गठित सरकारी दल के समन्वयक और उपप्रधानमंत्री कमल थापा ने मोर्चे के नेताओं को अपने कार्यालय में बुलाकर बताया कि सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। सरकार ने कल यह फैसला लिया था। मोर्चा के नेता राम नरेश राय ने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा कल लिये गये इस फैसले के बारे मे सरकार के वार्ता दल के समन्वयक ने उन्हें सूचित किया। 

भारत ने नेपाल सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है इस संदर्भ में विदेश मंत्रालय की आेर से आज जारी बयान में नेपाल सरकार के इस फैसले को समस्या के समाधान के लिए उठाया गया कि एक सकारात्मक कदम बताया गया है। भारत सरकार ने कहा है कि इससे नेपाल में वर्तमान गतिरोध का हल ढूँढ़ने में मदद मिलेगी। एक पड़ोसी एवं शुभचिंतक होने के नाते भारत नेपाल में संविधान को लेकर अंदरूनी मतभेदों से उपजे संकट से बहुत चिंतित है। भारत सभी नेपाली राजनीतिक ताकतों से आग्रह करता है कि अब वे आवश्यक परिपक्वता एवं लचीलापन दिखायें ताकि एक निश्चित समयसीमा में रचनात्मक संवाद के माध्यम से संवैधानिक मुद्दों का संतोषजनक समाधान निकल सके। दूसरी ओर एसएलएमएम में शामिल नेपाल सद्भावना पार्टी के महेन्द्र राय यादव ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से देश में जारी संकट के समाधान की उम्मीद कम ही है। 

झारखंड विधानसभा की कार्यवाही की बाधित

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रांची, 21 दिसम्बर, झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन आज विपक्षी सदस्यकों के शोर-शराबे के कारण भोजनावकाश के पहले सभा की कार्यवाही पूरी तरह से बाधित रही। भोजनावकाश के पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सदस्यों के हंगामे के कारण सभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी। भोजनावकाश के बाद भी झामुमो सदस्यों का हंगामा जारी रहा लेकिन हंगामे के बीच ही चार विधेयकों की मंजूरी दे दी गयी, जबकि एक विधेयक को विचार के लिए प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय लिया गया। विधानसभा की कार्यवाही शुरु होने पर विधान सभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने लोहरदगा विधानसभा उपचुनाव में निर्वाचित कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत को सदन की सदस्स्यता की शपथ दिलायी। शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने विगत शुक्रवार को सदन द्वारा पारित ठेका मजदूर विनियमन एवं उन्मूलन (झारखंड संशोधन) विधेयक 2015 को मजदूर विरोधी करार देते हुए इस पर सरकार से पुनर्विचार करने की मांग की। 

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस विधेयक को लेकर पिछले दिनों सभा में चर्चा हुई अौर इसे पारित कर दिया गया। उसके बाद अब यह विधेयक नियमानुकूल कानून बन चुका है। झामुमो के विधायक इससे संतुष्ट नहीं हुए अौर हंगामा करते हुए अध्यक्ष के आसन के निकट आ गये और नारेबाजी करने लगे। विरोध प्रदर्शन कर रहे सदस्यों ने’मजदूर विरोधी कानून वापस लेना होगा, मजदूरों का हक छीनना बंद करो, सरकार की मनमानी नहीं चलेगी, बहुमत की आड़ में दादागिरी नहीं चलेगी, के नारे लगा रहे थे। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दिनों कोडरमा के डाकबंगला परिसर से लाखों रुपये मूल्य के पेड़ काटे जाने के मामले में की गयी कार्रवाई के संबंध में बताया कि सरकार की अोर से 72 घंटे के अंदर जांच करा कर कार्रवाई का भरोसा दिया गया था। उन्होंने बताया कि इस आश्वासन के बाद राज्य सरकार ने अपर वित्त आयुक्त सत्येंद्र सिंह से मामले की जांच करायी, वे खुद मौके पर गये। मुख्यमंत्री ने बताया कि जांच रिपोर्ट के बाद मरकच्चो के अंचल अधिकारी, उपायुक्त के अंगरक्षक अौर थाना के डाटा इंट्री ऑपरेटर की संलिप्तता की बात सामने आने पर अंचल अधिकारी व अंगरक्षक को निलंबित कर दिया गया है, वहीं संविदा पर नियुक्त डाटा इंट्री ऑपरेटर को संविदा मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस संबंध में स्थानीय थाने में दर्ज प्राथमिकी की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से करायी जाएगी अौर जांच प्रभावित नहीं हो, इसे देखते हुए कोडरमा के उपायुक्त अौर उपविकास आयुक्त को वहां से हटाते हुए मुख्यालय में पदस्थापित करने का आदेश दिया गया है। 

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री डॉ. नीरा यादव द्वारा झारखंड शिक्षा सेवा नियमावली 2015 की प्रति सदन के पटल पर रखा गया, वहीं कार्मिक विभाग के प्रभारी मंत्री सीपी सिंह द्वारा झारखंड लोकायुक्त कार्यालय से प्राप्त वर्ष 2014-15 के वार्षिक प्रतिवेदन को सदन पर पर रखा गया। इसके अलावा लोक सेवा समिति का 23वां, प्राक्कलन समिति का पांचवां, सरकारी आश्वासन समिति का 28वां, शून्यकाल एवं गैर सरकारी संकल्प का चौथा तथा महिला एवं बाल विकास समिति का 21 वां प्रतिवेदन सभापटल पर रखा गया। झामुमो सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2015 को सदन पटल पर रखा गया, जिसे झामुमो के कुणाल षाड़ंगी, झाविमो के प्रदीप यादव अौर भाजपा की विमला प्रधान ने प्रवर समिति को सौंपने का आग्रह किया जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने इसे प्रवर समिति को सौंपने का नियमन दिया अौर 15 दिनों के अंदर समिति को प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दिया। सभा में आज झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन विधेयक, बाबा बैद्यनाथधाम-बासुकीनाथ तीर्थ क्षेत्र विकास प्राधिकार विधेयक 2015, झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक अौर झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी। सभा में आज राज्य में खाद्य सुरक्षा से उत्पन्न स्थिति पर विशेष चर्चा का भी आयोजन किया गया। 

डीडीसीए को लेकर संसद से अदालत तक घमासान

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नयी दिल्ली, 21 दिसंबर, दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित घोटाले और अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिड़ी जंग ने आज उस समय नया मोड़ ले लिया जब श्री जेटली ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया जबकि श्री केजरीवाल ने जांच के लिये एक सदस्यीय आयोग गठित करने की घोषणा की। इस मामले को लेकर संसद के दोनों सदनों में भी जमकर हंगामा हुआ और विपक्ष ने इसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराये जाने तथा श्री जेटली के इस्तीफे की मांग की गयी। श्री जेटली ने सारे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वह इस मामले में चर्चा कराने को तैयार हैं। विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा कई बार स्थगित करनी पड़ी जबकि लोकसभा में श्री जेटली के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस के सदस्यों ने बहिर्गमन किया। डीडीसीए में गड़बड़ी का वर्षों से मामला उठा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कीर्ति आजाद ने इसकी उच्च न्यायालय की निगरानी में एसआईटी से समयबद्ध जांच कराने की मांग की। 

पार्टी नेतृत्व की नसीहत और नेताओं की आलोचना के बावजूद श्री आजाद ने कहा कि वह इस मामले को उठाते रहेंगे और चुनौती दी कि उनके खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा कराया जाय। श्री जेटली ने आज कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ पटियाला हाउस कोर्ट जाकर श्री केजरीवाल तथा आप के पांच नेताओं के खिलाफ मानहानि का आपराधिक मामला दर्ज कराया जिस पर अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी। उनके साथ गये केंद्रीय मंत्रियों में एम वेंकैया नायडू, स्मृति ईरानी, जे पी नड्डा, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान और निर्मला सीतारमन आदि शामिल थे। श्री जेटली की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय में मानहानि का दीवानी मामला दर्ज कराया गया है। श्री केजरीवाल ने कहा कि वह श्री जेटली के इस कदम से डरने वाले नहीं हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने ट्विटर पर जानकारी दी कि उनके मंत्रिमंडल ने डीडीसीए घोटाले की जांच के लिये सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का फैसला किया है। 

इस मसले और दिल्ली सचिवालय में पड़े सीबीआई के छापों पर चर्चा के लिये दिल्ली विधानसभा का कल एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। इस मामले में अपना नाम घसीटे जाने से खफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि क्या सब चीज के लिये उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जायेगा। उन्होंने यह प्रतिक्रिया इन रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर दी कि श्री आजाद ने उनसे भेंट की है। श्री आजाद के इस तरह के व्यवहार से भाजपा में भारी नाराजगी है। उनके खिलाफ अभी कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई तो नहीं की गयी है लेकिन श्री नायडू ने कहा कि पार्टी ने उनके व्यवहार को संज्ञान में लिया है। पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता मुख्तारअब्बास नकवी ने कहा कि झूठ के झाड़ पर जो खड़े होकर झुनझुना बजाते हैं उन्हें समझना चाहिये कि इस तरह के झुनझुने बजने से पहले टूट जाते हैं। दूसरी ओर श्री आजाद ने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और वह भी भ्रष्टाचार का ही मुद्दा उठा रहे हैं इसलिये उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का बात कहां से उठती है।

नेपाल सरकार के फैसले से नाखुश मधेसी मोर्चे के नेता

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काठमांडू 21 दिसम्बर, नेपाल मे मधेसी आंदोलनकारियों ने मंत्रिमंडल द्वारा लिये गये फैसलों पर असंतोष जताते हुए कहा है कि इससे उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी और वे अपना आंदाेलन आगे भी जारी रखेंगे। भारत ने नेपाल सरकार द्वारा कल लिये गये इन फैसलों को देश में जारी गतिरोध को खत्म करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताते हुए सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि अब वे आवश्यक परिपक्वता एवं लचीलापन दिखायें ताकि एक निश्चित समयसीमा में रचनात्मक संवाद के माध्यम से संविधान संबंधी मुद्दों का संतोषजनक समाधान निकल सके। इससे पहले देश में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा (एसएलएमएम) के साथ बातचीत के लिए गठित सरकारी दल के समन्वयक और उपप्रधानमंत्री कमल थापा ने मोर्चे के नेताओं को सरकार द्वारा उनकी कुछ मांगे मान लिये जाने के बारे में आज सूचित किया था। एसएलएमएम के दो प्रमुख नेताओं तराई मधेसी सद्भावना पार्टी के प्रमुख महेंद्र राय यादव और सद्भावना पार्टी के उप प्रमुख लक्ष्मण लाल कारना ने सरकार के इन फैसलों पर नाखुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इन फैसलों से वर्तमान संकट का समाधान नहीं हो सकता। 

नेपाली मंत्रिमंडल ने मधेसी राजनीतिक दलों की संविधान संबंधी अधिकारों की माँग को लेकर जो अहम फैसले लिये हैं उनमें राज्य की विभिन्न संस्थाओं में समानुपातिक समावेशन तथा निर्वाचन क्षेत्रों का आबादी के हिसाब से परिसीमन संबंधी संविधान संशोधन विधेयक लाना शामिल है। प्रांतों की सीमाओं के मुद्दे का भी समाधान राजनीतिक आम सहमति के आधार पर किया जाएगा। इसी प्रकार से नागरिकता के मुद्दे पर भी बातचीत एवं सहमति से समाधान निकाला जाएगा। श्री यादव ने कहा कि सरकार ने प्रांतों की सीमाओं के मुद्दे का समाधान जिस राजनीतिक आम सहमति के आधार पर निकालने की बात कही है, उसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो फैसले किये हैं उसमें प्रदर्शनकारियों के मुफ्त इलाज और उनको मुआवजा दिये जाने जैसे वादों की भी अनदेखी की गयी है। 

उन्होंने कहा कि सरकार को चार सूत्रीय मांगों को मानने की जगह मोर्चे की सभी 11 सूत्रीय मांगों के बारे में कोई ठोस फैसला करना चाहिए। श्री कारना ने भी सरकार की नीयत पर संदेह जताते हुए कहा कि अगर सरकार चाहे तो सभी मुद्दों को बातचीत कर सुलझाया जा सकता है। श्री कारना ने कहा “ हमारी मांगों को बातचीत के माध्यम से पूरा किया जा सकता है लेकिन सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है।” 

विशेष आलेख : नेशनल हेराल्ड: झूठ के सहारे केन्द्र पर प्रहार

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स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास में कुछ गिने चुने व्यक्तिओ और उनसे जुड़े परिवारों का ही नाम हमें बताया जाता रहा है .उन परिवारों के त्याग और बलिदान की गाथा ऐसी सुनाई और पढ़ाई जाती रही है मानो भारत का सृजक ही यही परिवार रहा हो.देश की बलिवेदी पर जीवन आहुति देने वाले अधिकाँश हुतात्माओ का नामो निशान मिटाने का अथक प्रयास इन परिवार के वारिशो और उनके चाटुकारों ने किया है किन्तु अपने प्रपच भरे प्रलापो से भारत की महान जनता को धोखा ये परिवार और उनके चाटुकार हमेशा देता आया और भारत की महान जनता पृथ्वीराज चौहान की तरह हमेशा माफ़ी दिया है और उस माफ़ी का खामियाजा हमारी पीढियां भुगत रही है.

देश की सम्पति को अपनी सम्पति में बदलने के लिए कुख्यात इस परिवार की थोपी नीतिया लोकतंत्र पर लगा गहरा घाव है जिससे निजात पाना अत्यंत कठिन है.आजादी के बाद से इस परिवार के शाशको ने लोकतंत्र के नाम पर जिस निष्ठा को आम नागरिको में लाने का प्रयास किया वह इस परिवार के प्रति निष्ठा थी ना की के राष्ट्र के प्रति लोगों में निष्ठा का प्रादुर्भाव हुआ हो.जिसका कारण है की आजादी के बाद सौ ने अस्सी फीसदी से भी अधिक सरकारी उधौग धंधे या कल कारखाने घाटे में चलते हुए दम तोड़कर आज हमारे युवाओं को वेरोजगारी के गर्त में धकेल रखा है.सरकारी स्कुलो और अस्पतालों की विश्वसनीयता कैसी है किसी से छुपी नही ?

आजादी के बाद इस परिवार की नीतिया थी भारत की सत्ता पर काविज रहने के लिए भारत के समाज को ज़ाति,मत,पंथ,भाषा .....आदि विषमताओ में बाँट कर खैरात की रोटी खिलाने की आदत डालना .और इस परिवार के नीतिकारों ने काफी हद तक इस घृणित सोच में सफल भी हुआ? आज हमारा स्वाभिमान सरकारी खैरात का गुलाम है.लोकमंगल की उदात भावना के जगह हमने स्वमंगल को अपना लिया है.झूठ की तिलिस्म के सहारे एक ऐसा इंद्रजाल यह परिवार और इसके चाटुकारों ने बना रखा है इसका उदाहरण नेशनल हेराल्ड के मामले में देखने को मिला. 

न्यायलय के आदेश पर नेशनल हेराल्ड के मामले में जिस तरह से यह परिवार यानी नेहरु-गांधी परिवार और उसके चाटुकरों ने संसद और संसद के बाहर तमाशा किया उससे तो ऐसा लगा मानो इस देश का हर व्यवस्था उसका गुलाम और इस देश की सम्पति उसके जागीर हों?अगर घटना की पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो १९३८ में नेहरु ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का गठन लखनऊ में किया था.यह कम्पनी अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नामक अखवार का प्रकाशन करती है.इस कम्पनी के प्रारंभ में १०३७ शेयर धारक थे और उस समय खुद नेहरु भी १०० रूपये के शेयर धारक थे.इस कम्पनी के पास दिल्ली,हरियाणा,लखनऊ,पटना,मुंबई,इंदौर जो वेशकीमती अचल सम्पति है उसका आज बाज़ार मूल्य लगभग दो हजार करोड़ से भी अधिक की है.

वर्ष २००८ में नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद हो गया.इस कंपनी पर महज नब्बे करोड़ का कर्ज था जबकि इस कम्पनी के पास उस समय भी अपने अचल सम्पति के रूप में हजारों करोड़ रूपये थे ?२०१० में इस शातिर परिवार ने यंग इंडियन नाम की एक कम्पनी बनाई जिसकी उस समय पूंजी महज पांच लाख रूपये थी. जिसके ३८ फीसदी शेयर सोनिया गांधी और ३८ फीसदी शेयर राहुल गांधी यानी कुल शेयर का ७६ फीसदी इस परिवार के पास और शेष के शेयर धारक मोतीलाल वोरा,आस्कर फर्नाडिज और सैम पित्रोदा के पास वेचे गये .वर्ष २०१० में ही यंग इंडिया ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL)के सभी कर्ज अपने ऊपर ले लिया बदले में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की ९९ फीसदी शेयर यंग इंडिया को मिल गया.यानी अरवों का माल लाखों में इस शातिर परिवार ने हडप आर्थिक अपराध किया है.भला हो सुब्रमणियम स्वामी का जिन्होंने इस आर्थिक अपराध की पोल खोल इस परिवार को कठघरे में खड़ा करवाया. 

इस पुरे घटना क्रम को जिस तरह से यह फिरकापरस्त कांग्रेस ने उठाया वह देश के लिए चिंतनीय है.संसद और संसद के बाहर जिस तरह का तमाशा इस आर्थिक अपराध को लेकर किया गया वह संसद पर बदनुमा दाग है इस परिवार के इस नाटक में देश के अन्य राजनितिक दल जिनके चाटुकार भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल की रोटियां तोड़ रहे उनलोगों का भी साथ मिला जो चोरे चोर मौसेरे भाई के कहावत को चरितार्थ करती है ?इस मामले पर फिरकापरस्त कांग्रेस और उसके साथ भर्ष्टाचार में डूबे दलों ने आरोप लगया की यह केन्द्र सरकार द्वरा विपक्ष को दवाने का प्रयास है? और संसद के दोनों सदनों में खूब हंगामा किया.इतना ही नही देश के प्रधान मंत्री पर भी बदले की भावना से कार्य करने का आरोप लगया? वेशर्मी की हद इन दलों में इस मुद्दे पर देखने को मिली?

राज्य सभा में गुलाम नवी आजाद ने कहा-मोदी सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख राजन कटोच को इसलिए हटा दिया था की उन्होंने इस केस की फ़ाइल बंद कर दी थी और इसके बाद बने प्रमुख ने फिर इस केस की फ़ाइल खोल दी.कितनी हास्यस्पद बात इन्होने संसद के उच्च सदन में कही.गुलाम नवी आजाद को ये मालुम है की राजन कटोच का प्रवर्तन निदेशालय के अतरिक्त भी दुसरे पद के प्रभार में थे ऐसे में उनका तीसरा कार्यकाल का विस्तार भारी उद्योग विभाग के सचिव पद पर हुआ था तो उन्हें हर हाल में एक पद छोड़ना ही था फिर इसे आप कैसे पद से हटाये जाने की घटना से जोड़ते है.ये घटना अगस्त १५ की है ऐसे में संसद में झूठ बोलकर संसद को गुलाम नवी आजाद ने गुमराह किया है.

फिरकापरस्त कांग्रेसियो के युवराज राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा की – यह प्रधानमन्त्री कार्यालय के इशारे पर हुआ है.तो इसे इतनी तो मालुम ही होगी की जब इस आर्थिक अपराध के केस दर्ज हुए थे तो केंद्र में सोनिया नियंत्रित सरकार थी.०१ नवम्बर २०१२ को सुब्रमन्यम  स्वामी ने नेशनल हेराल्ड को यंग इंडियन कंपनी को हस्तांतरित करने की शिकायत दर्ज करवाई.तब केंद्र में इसी फिरकापरस्त कांग्रेस की सरकार और प्रधानमन्त्री इसी कांग्रेसी के इशारे पर नाचती थी.फिर केंद्र सरकार या मोदी जी कैसे जिम्मेबार हुए?दूसरी बात इस मामले में भाजपा को लपेटना यह भी निंदनीय है क्योंकि जब सुब्रह्मण्यम स्वामी सोनिया और राहुल सहित कांग्रेसियो के पापो का उजागर कर रहे थे तब वो भाजपा के सदस्य भी नही थे? आखिर इतने झूठ के सहारे अपने पापो पर पर्दा डालने की जो कुत्सित प्रयास इन फिरकापरस्तों की ज़मात कर रही इससे क्या देश का भला होगा?
भारतीय कानून के छिद्रों का सहारा लेकर फिरकापरस्तों की ज़मात को बचाने का अथक प्रयास के बाद भी 19 दिसम्बर 2015 को आर्थिक अपराध में संलिप्त दोनों माँ-बेटे कठघरे में खड़े हुए यह भारतीय न्याय की जीत है? एक आर्थिक अपराध में संलिप्त सोनिया और राहुल गांधी को जिस तरह से महिमामंडित करने का प्रयास किया गया वह देश की न्याय तंत्र के लिए घातक है.न्याय के प्रति सम्मान की भावना यदि इस परिवार में होती तो कठघरे में खड़े होने से बचने के लिए इतनी तिकडम नही रचाई गयी होती.और थक हारकर कोर्ट में पेश होकर जिस न्याय के सम्मान की बात कर रही वह झूठ की भी पराकाष्ठा है.

एक आर्थिक अपराध में संलिप्त राहुल ने जिस तरह से देश के प्रधानमन्त्री पर आरोप लगाने का कुत्सित प्रयास किया वह निंदनीय और चिंतनीय है.ऐसे झूठ के सहारे देश की छवि धूमिल करने बाले देश की विकास में सदा वाधक रहे हैं.आज देश को ऐसे भ्रष्ट नेताओं की नही बल्कि भविष्यद्रष्टा एक सृजक की चाहत रखती है.राहुल जैसे प्रपंचकारी तत्वों की सोच से देश की एकता अखंडता और संप्रभुता पर खतरा है ऐसे तत्वों से हमें हर हाल में समाज को बचानी होगी ?न्याय की प्राक्रतिक अवधारणा में और समाज में ऐसे झूठे प्रपंचकारी तत्व अत्यंत घातक होते है. समय की मांग है की न्याय को तथ्यों के सहारे निर्णय करने दे और देश और कानून से ऊपर समझने बाले अपने आपको सामान्य नागरिक मानकर जीवन जीने की कला को सीखे तभी लोकतंत्र की सार्थकता होगी.





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संजय कुमार आज़ाद
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बिहार : ‘‘हमारा शहर कैसा हो’’

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21 दिसम्बर 2015, पटना असगंठित क्षेत्र कामागार संगठन, बिहार लोक जीवन एवं एक्सन-एड एसोसियेषन के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘हमारा शहर कैसा हो’’अभियान के मुद्वे पर स्थानीय ए0 एन0 सिन्हा समाज अध्ययण संस्थान पटना के सभागार में आयोजित दो दिवसीय परामर्ष कार्यषाला का समापन कार्यक्रम में बिहार अनुसूचित जाति आयोग के प्रदेष अध्यक्ष माननीय श्री विद्यानन्द विकल ने बताया कि हमारा शहर कैसा हो इसके लिए शहरवासियों के सभी तबकों के लोगो (जिसमें असंगठित क्षेत्र के कामगारो, घरेलू कामगारो, फुटकर दुकानदारो, नगर परिषद के प्रतिनिधियों, मीडीया प्रतिनिधि, संस्था/सगठनों के आदि अन्य प्रतिनिधियों को जोड़कर) राज्य में एक मजबुत समूह बनाया जाय, जिसमें सबकी समान भागीदारी हो ऐसे नेत्रृत्व में लड़ाई लड़नें की जरूरत है। साथही उन्होंने बताया कि ‘‘हमारा शहर कैसा हो’’के साथ-साथ ग्रेटर पटना के विषय पर काम करनें की जरूरत है। कार्यक्रम के दुसरे दिन के सत्र में कार्यक्रम संचालक पंकज श्वेताभ ने आर्थिक दायरे मे अनौपचारिक पेषे में संलग्न कामगारों जैसे- फृटपाथ दुकानदार, घरेलू कामगार, निर्माण मजदुरों आदि को कार्य स्थल पर बुनियादि सुविधा, क्रय-विक्रय व विभीन्न प्रकार की सेवाओं को प्रदान करने हेतू उपयुक्त बाजार व्यवस्था का निर्माण हो सके इस विषय पर चर्चा करनें हेतू विषिष्ठ अतिथियों को अपने विचार को रखनें के लिए आग्रह किया। 

उक्त विषय पर महत्वपूर्ण विचार रखनें वाले मुख्य वक्ता क्रमषः गजनफर नवाब, बी0 एन0 सिंह (पूर्व विभागाध्यक्ष, एल0 एस0 डब्लू0 पटना विष्वविद्यालय), अमीष कुमार भानू, (सीटी प्लानर) एवं रमेष श्रीवास्तव (पत्रकार) नें शहर के स्थायी व समतामूलक निर्माण हेतू अनौपचारिक पेषे में संलग्न घरेलू कामगार, निर्माण मजदुर, सफाईकर्मी, कचरा बिननें वाले, फुटपाथ व्यवसायकर्मी आदि को सम्मानजनक व्यवसाय केन्द्र, मजदुरों को उचित मजदुरी, कार्य स्थल पर बुनियादि सुविधा, खाास तौर पर महिला कामगारों के लिए शौचालय की सुविधा, उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा योजना के लाभ, आदि सुविधाजनक व सहजता से सबको प्राप्त हो सके। कार्यक्रम के दुसरे चरण में, 74वाॅं संवैधानिका संसोधन के आलोक में स्थानीय स्तर पर स्वषाषन तंत्र का ढ़ाचाॅंगत विकास व सषक्तिकरण हो सके। साथहीं वार्ड व मुहल्ले स्तर पर स्थानीय लोगों की भागीदारी व सभाओं के माध्यम से स्थानीय स्तर की बुनियादि ढ़ा़ॅंचा का निर्माण  व वंचित समूदायों का नागरीक अधिकार सुनिष्चित किया जा  सके इस बिन्दु पर विर्मश हेतू मुख्य वक्ता रामभजन सिंह यादव (समाजसेवी) गजेन्द्र माॅंझी (षहरी गरीब संर्घष मोर्चा, पटना) रंजन कुमार (निदान) एवं राजेष्वर प्रसाद (समाजसेवी) नें कहा कि शहर का स्थायी विकास तभी संभव है, जब मुहल्ला व वार्ड स्तर पर समितियों का गठन कर सबकी भागीदारी से समस्यों को चिन्हित करते हुए एक समावेषी योजना का निर्माण हो तथा सामूहिीक निर्णय द्वारा उस योजना को मान्यता मिले। साथही योजनाओं के लागू होने के उपरान्त सामाजिक आकेक्षण हो। 

इस मौके पर उपस्थित धर्मेन्द्र कुमार (समाजसेवी) शैलेष कुमार, (समाजसेवी) महेन्द्र कुमार रौषन, (अध्यक्ष असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन पटना) सुनिता कुमारी व अनामिका (निदान) पप्पू कान्दू (समाजसेवी) आदि अन्य वक्ताओं ने अपने संबोधन में बताया कि किराया दर नियंत्रण अधिनियम (भ्वनेम तमदज बवदजतवस ंबज) को अतिषीघ्र लागू किया जाय, ताकि बहुतायत लोगो को मनमाना किराया व बिजली वसूली से निजात मिल सके और मकान खाली करने- करानें का समय सीमा का भी निर्धारण हो तथा किराये में रहने वालो के मान-सम्मान मिल सके। इसके साथ असंगठित कामगारों के लिए कामगार हेल्प लाईन सेन्टर, वेघरों के लिए सुव्यस्थित आश्रय केन्द्र की स्थापना करने के साथ-साथ असंगठित कामगारों के लिए बनी सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008, जो सामाजिक संगठनों के दबाव से आधा-अघुरी निमावली जैसे-तैसे बनायी गई है, उसे ठोस बनाई जाय, साथही अधिनियम के अन्दर विभीन्न प्रकार के बोर्ड व श्रम संसाधन केन्द्र की स्थापना किये जाने का प्रावधान है, उसे कार्यरूप दिये जाने पर बल दिया। 

भदोही में मालगाड़ी के 14 डिब्बे उतरी, पटरियां क्षतिग्रस्त

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  • आवागमन ठप, कई ट्रेनों का रुट बदला 

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भदोही। इलाहाबाद-वाराणसी रेलवे मार्ग के भदोही से 4 किमी दूर मोढ़ रेलवे स्टेशन के पास सोमवार को मालगाड़ी के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। इससे पटरियां कई जगह से टूटकर क्षतिग्रस्त हो गईं। मालगाड़ी कोयला लादकर बिहार से पंजाब जा रही थी। इस घटना के चलते वाराणसी वाया भदोही-जंघई-इलाहाबाद मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। इससे तकरीबन दो दर्जन ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। प्रथम दृष्टया जांच में पटरी टूटी होने की बात बताई जा रही है। 

इसके चलते दो पैसेंजर ट्रेनें कैंसिल की गई हैं, जबकि तीन को प्रतापगढ़ व जंघई स्टेशन के बाद आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया है। 13 ट्रेनों का रूट बदलकर उन्हें वाया सुल्तानपुर होते हुए लखनऊ और वाया मण्डुआडीह इलाहाबाद सिटी होते हुए इलाहाबाद की ओर डायवर्ट किया गया है। नॉर्दन रेलवे के चीफ एरिया मैनेजर रवि प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया है कि रेलवे की टीम लगातार अवरोध हटाने में जुटी हुई है। उन्होंने कहा है कि रूट पर ट्रेनों का संचालन मंगलवार की शाम तक ही सामान्य हो पाने की सम्भावना है। रेलवे ने हादसे के बाद हल्पलाइन जारी की है। बताते है मालगाड़ी जैसे ही मोढ़ रेलवे स्टेशन के पूर्वी फाटक पर पहुंची, अचानक धमधड़ामक े बीच कई डिब्बे पटरी से उतर गए। कई डिब्बे एक-दुसरे पर चढ़ गए। पटरिया उखड़ गए। घटना के बाद 14 से अधिक ट्रेनों को आसपास के स्टेशनों पर रोक दिया गया। या दूसरे रूट पर डायवर्ट कर दिया गया है। प्रभावित ट्रेनें सबसे ज्‍यादा वाराणसी से इलाहाबाद भदोही होकर मुंबई जाने और आने वाली हैं। इसमें डाउन-15018 गोरखपुर एक्सप्रेस, 11094 महानगरी एक्सप्रेस, 15159 सारनाथ एक्सप्रेस, 11072 कामायनी एक्सप्रेस, 11108 बुंदेलखंड एक्सप्रेस, 21108 खुजराहो एक्सप्रेस, अप-15160 सारनाथ एक्सप्रेस, 11071 कामायनी एक्सप्रेस आदि प्रमुख है। 
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