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बिहार : काजल कुमारी की मौत से हड़कम्प

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पटना। दीघा थानान्तर्गत नाच बगीचा मुसहरी में रहने वाले अनिल मांझी और कलावर्ती देवी की पुत्री काजल कुमारी की मौत से हड़कम्प मच गयी है। महादलित मुसहर समुदाय का कहना है कि राम भरोसे छात्रावास को छोड़कर छात्रावास प्रभारी सिस्टर स्नेहा पटना आ गयी थीं। जी हां, इंगलैंड के याॅकशायर में रहने वाली मेरी वार्ड ने 1609 में ‘दी इंस्ट्ीच्यूट आॅफ दी ब्लेस्स मेरी द विर्जिन ’ (आई0 बी0 एम0 व्ही0) स्थापित की थीं। उस समय धार्मिक उत्पीड़न जोरों पर था। बेल्जियम के संत आॅमेर में प्रथम काॅन्वेंट खोला गया। आई0 बी0 एम0 व्ही0 के लोग संत इग्नासियुस लोयोला से प्रभावित हैं। सलीब के सहारे ब्लेस्स मेरी विर्जिन संचालित है। इस संस्था के मुख्यालय बांकीपुर,पटना में है। इनके द्वारा संत जोसेफ काॅन्वेंट संचालित है। इसी तरह संत कैथेरिन काॅन्वेंट,शाहपुर पट्टी,भोजपुर में निर्मला शिक्षा भवन,शाहपुर पट्टी में संचालित है। यहां पर हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। के0 जी0 से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। छात्रावास भी है। इसमें 19 लड़कियां रहती हैं। इनमें अधिकांश मुसहर समुदाय की हैं। छात्रावास में काजल कुमारी की मौत होने से हड़कम्प मच गया।

 छात्रावास में नाच बगीचा मुसहरी में रहने वाले अनिल मांझी की पुत्री काजल कुमारी और चांदनी कुमारी, धर्मेंद्र मांझी की पुत्री गीता कुमारी और बीरजू मांझी की बेटी रानी कुमारी का नाम निर्मला शिक्षा भवन,शाहपुर पट्टी में लिखाया गया। इसमें कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पीटल के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र का कार्यकर्ता माइकल विलियम को श्रेय जाता है। इनके प्रयास से मुसहर समुदाय के बच्चों का नाम लिखाया गया। प्रत्येक माह भोजन और छात्रावास शुल्क 1 हजार 2 सौ रूपये है। वहीं प्रत्येक दो माह पर विघालय शुल्क 750 रूपये लिए जाते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र के कार्यक्षेत्र होने के कारण केन्द्र द्वारा छात्रावास शुल्क में 500 रूपये दिया जाता है। इस तरह एक बच्ची के अभिभावक को छात्रावास शुल्क 700 रू0 ही देना पड़ता है। 6 साल से गीता कुमारी पढ़ती हैं। अभी वह 8 वीं कक्षा में है। 5 साल से रानी कुमारी पढ़ती थीं। वह 8 वीं कक्षा में पढ़ती थी। किसी गंभीर बीमारी के कारण विघालय से परित्याग कर दिया गया। 2 साल से काजल कुमारी पढ़ती है। 1 ली कक्षा में पढ़ती है। काजल कुमारी की छोटी बहन चांदनी कुमारी 1 साल से पढ़ती हैं। वह अभी के0जी0 में है। 


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हुआ यह कि छात्रावास को राम भरोसे छोड़ छात्रावास प्रभारी सिस्टर स्नेहा पटना 18 दिसम्बर को आ गयी थी। 19 दिसम्बर को सुबह काजल कुमारी ने सिर दर्द की शिकायत की। यहां के सिस्टरों ने गंभीरता नहीं दिखाया और कुछ दर्द नाशक दवा देकर सोने को कह दिए। इसके बाद अन्य लड़किया गिरजाघर में प्रार्थना करने चले गये। वहां से आने के बाद काजल कुमारी को नाश्ता करने को कहा गया। वह नास्ता नहीं और सिर दर्द की शिकायत करती रही। मगर सिस्टरों ने शिकायत को गंभीरता से नहीं ली। दोपहर से तबीयत खराब होने लगी। उसकी छोटकी बहन चांदनी कुमारी देखी कि दीदी गहरी सास ले रही है। मगर वह किसी को नहीं बतायी। जब लड़किया कक्षा से लौटकर आयीं तो उल्टी सास लेने पर गंभीर हो गयी। तबतक काफी देर हो चला था। फिर भी सिस्टर पूजा और सिस्टर लूथ की सहायता से निकटवर्ती अस्पताल ले जाने का प्रयास होने लगा। शाहपुर पट्टी अस्पताल ले जाने के दौरान राह में काजल कुमारी दम तोड़ दी। वह 11 साल की थीं। भोजपुर से पटना लाया गया। सिस्टरों के साथ गीता कुमारी,चांदनी कुमारी,निशा कुमारी और सीभा कुमारी आयीं। सबसे पहले कुर्जी अस्पताल में काजल का शव रखा गया। उसके बाद नाच बगीचा मुसहरी आकर काजल की मां और पिता को ले गए। 12 बजे रात में पार्थिव शरीर को मुसहरी लाया गया। 21 दिसम्बर को मिट्टी के हवाले कर दिया गया।

बिहार : एप्रोच रोड नहीं बनने से परिचालन में विलम्ब

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पटना। पूर्व मध्य रेलवे और जिला प्रशासन के रडार पर है दीघा बिन्द टोली। 205 परिवारों को हरहाल में खदेड़ देना है। वह चाहे गन से हटे या मन से बिन्द टोली को खाली करा ही देना है। यहां पर एप्रोच रोड का निर्माण करना है। एप्रोच रोड नहीं बनने से पाटलिपुत्र स्टेशन से सोनपुर तक गाड़ी का परिचालन करने में विलम्ब हो रहा है। हालांकि उच्चस्तरीय जांच दरम्यान कई खामिया उजागर हुआ। इसको लेकर सीआरएस पीके आचार्य लाल-पीला होते रहे। मौके पर सीआरएस पीके आचार्य झिड़की भी देते गए। ऐसी हालत रही तो दूसरी रेलपुल निर्माण करना पड़ जाएगा। लगे हाथ मिट्टी की परख भी किए। मैन लाइन में ही दो नट और बोल्ट नहीं लगाया गया है। इस पर सीएमआर भड़क गए और डीआरएम आरके झा को बुलाकर लोगों को निलम्बित कर देने का परामर्श दे डाला। 

विस्थापित लोगों को पटना दियारा क्षेत्र में पुनर्वासित किया जा रहा है। कुर्जी मोड़ से उत्तर की ओर बढ़कर पूरब की ओर जमीन है। यहां पर रोड बन रहा है। इसके नीचे लोगों को बसाया जा रहा है। इसके नीचे गंगा नदी को लाने की कवायद की गयी। जो फेल साबित हो गयी। अभी नाला बन गया है। शहर का पानी गंगा नदी में जा रहा है। इन्हीं के बीच में लोगों को रहने लायक जमीन तैयार की जा रही है। जमीन को कुछ समतल कर दी गयी है। खुट्टी गाड़ दी गयी है। आसपास के लोगों का कहना है कि गंगा के उफान के समय में इस जमीन पर पानी चढ़ जाता है। जो विकराल रूप धारण कर जाता है। घनी आबादी वाले बिन्द टोली के लोगों के लिए खतरनाक साबित होगा।

बिहार : सरकारी फरमान, हरिजन शब्द का प्रयोग न हो

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दानापुर। सरकारी फरमान है कि जाति और पहचान सूचक हरिजन शब्द का प्रयोग न हो। हरिजन लिखने के बजाए अनुसूचित जाति लिखा जाए। फिलवक्त इस फरमान को 1995 से ठेंगा दिखाया जा रहा है। यह हाल दानापुर छावनी परिषद के क्षेत्र का है। बगल में उप कारा और सामने में अनुमंडल अस्पताल है। सांसद स्थानीय क्षेत्रीय विकास योजना अन्तर्गत सांसद श्री रामकृपाल यादव के सौजन्य से निर्मित है श्याम सुंदर हरिजन प्राथमिक विघालय,दानापुर। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद द्वारा उद्घाटन 17.12.1995 को किया गया। 20 साल से हरिजन विघालय संचालित है। इस विघालय की प्रधानाध्यापिका कहती हैं कि कक्षा पांच तक की पढ़ाई होती है। यहां पर दो रूम और चार टीचर हैं। दो क्लास के बच्चों को एक ही रूम में बैठाकर अध्ययन कराया जाता है। एक क्लास के बच्चों को बरामदा में बैठाकर पढ़ाया जाता है। 1995 से 1999 तक केवल हरिजनों के बच्चे हरिजन स्कूल में पढ़ते थे। जब टीचर बनकर आयी तो सभी जाति के बच्चों के लिए हरिजन स्कूल के द्वार खोल दिए। आज स्कूल में बच्चे अधिक संख्या में पंजीकृत और उपस्थित रहते हैं। 


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उनका कहना है कि इस स्कूल के पास पर्याप्त जमीन नही है। बच्चे खेल नहीं पाते हैं। दो शौचालय है। चाभी मांगकर बच्चे शौचालय जाते हैं। शौचालय को ताले से जकड़कर रखा गया है। वहां जाने के मार्ग में गंदगी है। टीचरों को आवश्यकता ही नहीं पड़ती है कि वे शौचालय का प्रयोग करें। गंदगी की वजह से क्लास रूम की खिड़की बंद रखी जाती है। दुर्भाग्य है कि शौचालय रहते उचित प्रयोग नहीं हो रहा है। बच्चे स्कूल के बगल में रोड पर ही लघु शंका करते हैं। इस स्कूल के पीछे रहने वाले लोग नाले में ही शौचक्रिया करते हैं। गंगा नदी से विस्थापित होकर छावनी परिषद की जमीन पर रहते हैं। 

विशेष : ईद-ए-मिलादुन्नबी: अमन चाहते हैं तो अपनाना होगा रसूल-ए-पाक का रास्ता

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हजरत मोहम्मद साहब की पाक जिन्दगी इंसानियत के लिये एक बेहतरीन मिसाल है, जिससे पूरी दुनिया एक अच्छी और मिसाली जिन्दगी गुजारने का सबक हासिल करती रही है। मोहम्मद साहब ने इंसानियत को सच्चे रास्ते पर चलने की तालीम दी। अल्लाह के रसूल ने दुनिया को अमन और शांति का रास्ता दिया है। दुनिया में जो बेअमनी है वह सिर्फ इस बुनियाद पर कि हमने नबी का रास्ता छोड़ दिया है। जरूरत इस बात की है कि हम दुनिया मेंएं अमन चाहते हैं तो नबी का रास्ता अपना

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...आने वाला है रसूलों का इमाम आज की रात, सबके बन जाएंगे बिगड़े हुए काम आज की रात...। दुश्मन को भी इखलाक की दौलत से नवाजा, उन जैसा मिसाली कोई किरदार नहीं है, फिर आपका पैगाम जमाने को सुना दूं, इखलाक से बढ़कर कोई तलवार नहीं है...। मतलब साफ है जानलेवा हमला करने से इंसानी जिंदगी की तबाही होगी और अमन कभी नहीं हो सकता। अमल के लिए भाईचारा और एक को दूसरों के हक को पहचाना बहुत जरूरी है। दुनियाभर में मचा खूनखराबा सिर्फ मोहब्बत से रोका जा सकता है और इसका रास्ता नबी की सुन्नतों पर अमल करने पर है। अल्लाह के रसूल ने पूरी दुनिया को ईमान के साथ दीन-ए-इस्लाम के मोताबिक नेक अमल करने की तालीम दी। हम अपनी जिंदगी को नेक कामों से सजाएं और बुराइयों से बचें। नबी पाक सल्ल. और सहाबा (रजि.) की पैरवी हमारी पहली जिम्मेदारी है, इसलिए खुदा पाक के रसूल मोहम्मद साहब की शिक्षाओं पर हम सब अमल करें। रहती दुनिया तक खुलफा-ए-राशिदीन की सेवाओं को दुनिया भुला नहीं सकती। रसूल ने अपने जीवन में ही अपने सच्चे और अच्छे सहाबा कि वह पाक जमाआत तैयार की जिसके हर व्यक्ति ने अपने आका सल्ल. का हर पैगाम पूरी दुनिया में पहुंचाया। दुनिया आज जिस दौर से गुजर रही है, इन हालातों में हर कलमा पढ़ने वाले की यह जिम्मेदारी है कि रसूल पाक के पैगामे अमन व मुहब्बत को घर-घर पहुंचाया जाए। रसूल पाक अच्छे व्यवहार का नमूना थे। अगर हमें अपनी कौम को उन्नति के मार्ग पर ले जाना है तो इसके लिए जरूरी है कि नई नस्ल को सीरते पाक सल्ल. और सीरते सहाबा से अवगत कराएं। नेक कार्यो के साथ अच्छे स्वभाव वाले का इस्लाम में महत्व है। 

हजरत मुहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से मनाया जाता है। इस्लाम और इंसानियत का पैगाम लेकर आए रसूल ए अकरम ने सारी दुनिया को रौशन कर दिया। अल्लाह ने अपने रसूल को दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा है। नबी के सदके में रबे करीम ने पूरी कायनात पैदा की है। 12 रबी उल अव्वल का दिन सबसे बड़ी खुशी का दिन है। अल्लाह और उसके रसूल के फरमान के मुताबिक जिंदगी बसर करके इंसान दुनिया और आखिरत में कामयाब हो सकता है। इस दिन नबी ए पाक दुनिया में तशरीफ लेकर आए। अल्लाह ने उन्हें दोनों आलम के लिए रहमत बनाकर भेजा। नबी ए पाक ने दुनिया वालों को रब की बंदगी का तरीका बता दिया। मक्का के पास स्थित हिरा की गुफा जहां मुहम्मद पैगंबर को ईश्वर से पहला सन्देश मिला था। मुहम्मद पैगंबर (570-632) को मक्का की पहाडि़यों में परम ज्ञान 610 के आसपास प्राप्त हुआ। जब उन्होंने उपदेश देना आरंभ किया तब मक्का के समृद्ध लोगों ने इसे अपनी सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था पर खतरा समझा और उनका विरोध किया। अंत में 622 में उन्हें अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच करना पड़ा। इस यात्रा को हिजरा कहा जाता है और यहीं से इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत होती है। मदीना के लोगों की जिंदगी आपसी लड़ाईयों से परेशान सी थी और मुहम्मद के संदेशों ने उन्हें वहां बहुत लोकप्रिय बना दिया। 630 में मुहम्मद ने अपने अनुयायियों के साथ एक संधि का उल्लंघन होने के कारण मक्का पर चढ़ाई कर दी। मक्कावासियों ने आत्मसमर्पण करके इस्लाम कबूल कर लिया। मक्का में स्थित काबा को इस्लाम का पवित्र स्थल घोषित कर दिया गया। 632 में मुहम्मद पैगंबर का देहांत हो गया। पर उनकी मृत्यु तक इस्लाम के प्रभाव से अरब के सारे कबीले एक राजनीतिक और सामाजिक सभ्यता का हिस्सा बन गये थे। इस के बाद इस्लाम में खिलाफत का दौर शुरु हुआ। मुहम्मद के ससुर अबु बक्र सिद्दीकी मुसलमानों के पहले खलीफा (सरदार) 632 में बनाये गये। कई प्रमुख मुसलमानों ने मिल के उनका खलीफा होना स्वीकार किया। सुन्नी मुसलमानो (80-90) के अनुसार अबु बक्र सिद्दीकी की खिलाफत के सम्बंध मे कोई विवाद नही हुवा अपितु सभी ने उन्हे खलिफा स्वीकार कर लिया था, सुन्नी मान्य्ताओं के अनुसार मुहम्मद ने स्वयं अपने स्वर्गवास से पूर्व ही अबु बक्र सिद्दीकी को अपने स्थान पर इमामत करने सलात (फारसी मे नमाज) पढाने, का कार्यभार देकर अबुबक्र सिद्दीकी के खलिफा होने का का संकेत दे दिया था परन्तु शिया मुस्लिम (10-20) के अनुसार मुहम्मद के चचा जाद भाई, अली, जिन का मुसलमान बहुत आदर करते थे ने अबु बक्र को खलीफा मानने से इन्कार कर दिया। लेकिन यह विवाद इस्लाम की तबाही को रोकने के लिए वास्तव में हजरत अली की सूझ बुझ के कारण टल गया अबु बक्र के कार्यकाल में पूर्वी रोमन साम्राज्य और ईरानी साम्राज्य से मुसलमान फौजों की लड़ाई हूई। यह युद्ध मुहम्मद के जमाने से चली आ रही दुश्मनी का हिस्सा थे। अबु बक्र के बाद उमर बिन खत्ताब को 634 में खलीफा बनाया गया। उनके कार्यकाल में इस्लामी साम्राज्य बहुत तेजी से फैला और समपूर्ण ईरानी साम्राज्य और दो तिहाई पूर्वी रोमन साम्राज्य पर मुसलमानों ने कबजा कर लिया। पूरे साम्राज्य को विभिन्न प्रदेशों में बाट दिया गया और और हर प्रदेश का एक राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया जो की खलीफा का अधीन होता था।

उमर बिन खत्ताब के बाद उसमान बिन अफ्फान 644 में खलीफा बने। यह भी मुहम्मद के प्रमुख साथियों में से थे तथा दामाद थे। उसमान बिन अफ्फान पर उनके विरोधियों ने ये आरोप लगाने शुरु किये कि वो पक्षपात से नियुक्तियां करते हैं और कि अली (मुहम्मद साहिब के चचा जाद भाई) ही खलीफा होने के सही हकदार हैं। तभी मिस्र में विद्रोह की भावना जागने लगी और वहां से 1000 लोगों का एक सशस्त्र समूह इस्लामी साम्राज्य की राजधानी मदीना आ गया। उस समय तक सभी खलीफा आम लोगों की तरह ही रहते थे। इस लिये यह समूह 656 में उसमान की हत्या करने में सफल हो गया। कुछ प्रमुख मुसलमानों ने अब अली को खलीफा स्वींकार कर लिया लेकिन कुछ प्रमुख मुसलमानों का दल अली के खिलाफ भी हो गया। इन मुसलमानों का मानना था की जबतक उसमान के हत्यारों को सजा नही मिलती अली का खलीफा बनना सही नहीं है। यह इस्लाम का पहला गृहयुद्ध था। शुरु में इस दल के एक हिस्से की अगुआई आयशा, जो की मुहम्मद की पत्नी थी, कर रही थीं। अली और आश्या की सेनाओं के बीच में जंग हुई जिसे जंग-ए-जमल कहते हैं। इस जंग में अली की सेना विजय हुई। अब सीरिया के राज्यपाल मुआविया ने विद्रोह का बिगुल बजाया। मुआविया उसमान के रिश्तेदार भी थे मुआविया की सेना और अली की सेना के बीच में जंग हुई पर कोई परिणाम नहीं निकला। अली ने साम्राज्य में फैली अशांति पर काबू पाने के लिये राजधानी मदीना से कूफा में (जो अभी ईराक में है) पहले ही बदल दी थी। मुआविया की सेनाएं अब पूरे इस्लामी साम्राज्य में फैल गयीं और जल्द ही कूफा के प्रदेश के सिवाये सारे साम्राज्य पर मुआविया का कब्जा हो गया। तभी एक कट्टरपंथी ने 661 में अली की हत्या कर दी। 

हजरत मुहम्मद साहब का जन्म अरब देश के मक्का नगर में आज से लगभग 1440 वर्ष पूर्व 570 ई में हुआ था। उनकी माता का नाम अमीना बेगम तथा पिता का नाम अब्दुल्ला था। उनकी माता का अवसान हजरत मुहम्मद साहब कि छोटी सी उम्र में ही हों गया था। इसी कारण उनकी परवरिश उनके चाचा अबुतालिब के घर हुई। वे कुरैशी घराने में पैदा हुए थे। हजरत मुहम्मद साहब के जन्म के समय अरब देश में भयंकर रक्तपात और झगडे हुआ करते थे। पूरा अरब समाज छोटे बड़े सैकडो कबीलो में बंटा हुआ था। बाल विवाह बहुदेवाद, मूर्तिपूजा एवं अन्धविश्वास फैले हुए थे। लड़कियां युद्ध और विवाद का कारण बनती थी इसलिए लोग लड़कियों के पैदा होते ही जमीन में जिंदा गाड देते थे। बात बात में खून खराबा हों जाना एक आम सी बात थी। कहा जाता है कि उस समय मक्का में 800 से अधिक देवी देवताओं की मूर्तियां हुआ करती थी। इन्ही विकट और भयंकर परिस्थितियों में हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ। वे पहले बकरियां चराया करते थे। बड़े होने पर उन्होंने अपने चाचा के साथ व्यापार करना शुरू किया। धीरे धीरे उनकी ईमानदारी के चलते उनकी ख्याति दूर दूर तक फैल गयी। उनकी शादी धनी महिला जनाब इ खादिजा के साथ हों गयी। वे बचपन से ही गहन चिन्तक में लीन रहा करते थे और सोंचा करते कि किस तरह अरब में फैली बुराईयों को दूर किया जा सकता है? वे अक्सर मक्का में स्थित “हिरा” नाम की गुफा में जाकर घंटों गहन चिंतन मन में डूब जाया करते थे। उसी क्रम में एक दिन देवदूत जिब्रईल प्रकट हुए और  उस अल्लाह के नाम से जिसने इस सारी दुनिया को बनाया है हजरत मुहम्मद साहब को दिव्य ज्ञान प्रदान किया, जो कि अल्लाह का दिया हुआ था। उस  दिव्य ज्ञान को प्राप्त करते ही हजरात मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म का प्रचार शुरू कर दिया। प्रारम्भ के दिनों में उन्हें अनेक कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करना पड़ा जिसमे कई बार उनके प्राण भी संकट में पड़ जाया करते थे पर उन्होंने हार नहीं मानी। प्रचार प्रसार के इसी क्रम में उनके शत्रुओं कि संख्या भी बढती जा रही थी लेकिन मदीना में उनकी लोक्रियता अनवरत बढती जा रही थी। 

एक दिन उनके शत्रुओं ने मक्का में उनको मारने का निश्चय कर लिया लेकिन हजरत मुहम्मद साहब को उनके विश्वासपात्रों के द्वारा इस बात का पता चल गया और वो अपनी जगह हजरत अली को सुला के अपने मित्र अबुबकर के साथ रात में ही मदीना चले गए। यह महायात्रा हिजरत कहलाई और इसी समय से हिजरी सन शुरू हुआ। जब शत्रुओं ने देखा कि बिस्तर पर हजरत मुहम्मद साहब कि जगह हजरत अली लेटे हैं तो वो समझ गए कि हजरत मुहम्मद साहब बच निकले तब शत्रुओं ने उनका  पीछा करना शुरू किया। एक स्थान पर शत्रु बहुत करीब आ गया तो अबुबकर घबरा गए और दोनों एक गुफा में जाकर छिप गए। यह एक चमत्कार ही था कि उन दोनो के गुफा में जाते ही गुफा द्वार पर मकड़ी ने जाला लगा दिया और कबूतर ने अंडे दे दिए। शत्रुओं ने गुफा द्वार पर मकड़ी के जाले और अंडे देखे तो समझे यहां कोई नहीं आया है। हजरत मुहम्मद साहब की लोकप्रियता उनकी ईमानदारी और इंसानियत के पैगाम देने के कारण बढती गयी और वो एक के बाद एक शत्रुओं को जीतते गए और जल्द ही मक्का भी जीत लिया। एक मशहूर किस्सा उनके जीवन का है कि एक बुढिया हजरत मुहम्मद साहब कि राह में क्रोधवश रोजाना कांटे फेका करती थी। एक दिन बीमारी के कारण उसने कांटे नहीं फेंके तो हजरत मुहम्मद साहब ने लोगों से पुछा और जब पता लगा कि वो बुढिया बीमार है तो उसका हाल चाल पूछने उसके  घर गए। वो बुढिया द्रवित होकर उनकी अनुयायी बन गयी। हजरत मुहम्मद साहब कि लोकप्रियता और इस्लाम धर्म का दायरा बढ़ता गया और उनके अवसान के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने इस काम को जारी रखा और यह धर्म पुर्तगाल, अरब, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, अफ्रीका तक फैल गया। आज लगभग 170 करोड इसके अनुयायी हैं। 







(सुरेश गांधी)

अफगानिस्‍तान में भारतीय मिशन पर फिदायीन हमले की कोशिश नाकाम

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अफगान सुरक्षा बलों ने आत्मघाती हमलावर बन सकने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया और अफगानिस्तान के जलालाबाद शहर में भारतीय दूतावास पर हमले की उसकी योजना नाकाम कर दी। एक हफ्ते में इस तरह की यह दूसरी घटना है। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के अधिकारियों के हवाले से बताया कि सुरक्षा बलों ने रविवार को इस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जो पूर्वी नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में भारतीय वाणिज्यदूतावास पर हमले की योजना बना रहा था। प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता अताउल्ला लुदीन ने बताया कि संदिग्ध हमलावर की पहचान नासिर के रूप में की गई है जो उत्तर पूर्व कपीसा प्रांत के तगाब जिले का निवासी है। उन्होंने बताया कि नासिर हाल ही में तालिबान में शामिल हुआ था और उसने पूछताछ के दौरान अपनी साजिश को कबूल कर लिया। इस घटना पर तालिबान से कोई टिप्पणी नहीं आई है।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सुरक्षाकर्मियों ने दो आईएसआईएस आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था जिन्होंने जलालाबाद शहर में वाहनों पर हमले की योजना बनाई थी। अता उर रहमान के रूप में पहचाने गए शख्स ने बताया कि उन लोगों को भारतीय दूतावास के वाहनों को निशाना बना कर सड़क पर बारूदी सुरंगे बिछाने को कहा गया था। संदिग्धों को जहां पकड़ा गया था उसके करीब ही भारतीय दूतावास स्थित है। इन गिरफ्तारियों पर टिप्पणी करने को कहे जाने पर नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि एक बार फिर से अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति उजागर हुई है और ऐसी कोशिशों के खिलाफ सदा सतर्क रहने की जरूरत है।

विशेष आलेख : जहरीली हवा, जहरीला पानी और कब्रों का शहर

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उन्नाव के सदर क्षेत्र में औद्योगिक जल प्रदूषण के चलते स्थानीय लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. किसी के लिवर में प्रॉब्लम है तो किसी को त्वचा संबंधी समस्या. सिर्फ इतना ही नहीं कैंसर जैसे गंभीर रोगों के शिकार होकर मौतों का आकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. हवा में मौत घुल चुकी है. यहां तक कि इस क्षेत्र के आस-पास निकलने वाले राहगीरों को दुर्गंध के चलते काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. लेकिन प्रशासन हो या स्थानीय नेता दोनों ही चुप्पी साधे हुए हैं. कीमत के आगे कीमती जिंदगियां घुट-घुटकर दम तोड़ रही हैं. विकलांगता और सांस से जुड़ी तमाम बीमारियां लोगों को काल के गाल की ओर धकेलती जा रही है. 

अब तक क्या हुई है कार्यवाही 

साल 2012 में सदर तहसील क्षेत्र के जल और वायु प्रदूषण से परेशान ग्रामीणों ने तत्कालीन कांग्रेसी सांसद अनु टंडन को अपनी इस समस्या से अवगत कराया था. लेकिन महज आश्वासन के बाद उनकी उम्मीदों को ठंडे बस्ते में फेंक दिया गया. जहरीले पानी पर कई चैनल्स की ओर से कई रिपोर्टस चमकाई गईं. लेकिन कैमरे की फ्लैश लाइट जब तक जलती रही तब तक लोगों को मुद्दे की गंभीरता समझ आई लेकिन बाद में फिर सब अंधेरा-अंधेरा हो गया. मुद्दा भी बिक गया, समस्या भी कीमती बोलियों की ऊंची आवाजों के सामने गूंगी हो गई.  




क्यों बेआवाज हो गए आंदोलन 

तत्कालीन सांसद अन्नू टंडन की ओर से औद्योगिक जल प्रदूषण से उन्नाव को बचाव अभियान चलाया गया. पर उसका क्या असर रहा वो आज भी उन्नाव सदर के गांवों की बद्हाली बयां कर रही है. कहीं न कहीं महज दिखावा बनकर रह गया वो आंदोलन, वो वादा, वो आश्वासन. हालांकि अन्नू टंडन ने ये कहा भी था कि वे इस गंभीर समस्या से वाकिफ है और सुधारने की कोशिश कर रही हैं. पर समस्या सुधरी नहीं और भी बिगड़ गई है. एक बार फिर राजनीति पर विश्वास अंधे कुएं में डाल दिया गया.

क्या है बीमारी की वजह 

दरअसल कल कारखानों से निकलने वाला धुआं हो या गंदा पानी. दोनों ही वातावरण को गंभीर तौर पर प्रदूषित करता है. जानकारी के मुताबिक लोगों में आर्सेनिक की वजह से बीमारियां बढ़ रही हैं. रही बात उन्नाव की तो यहां आर्सेनिक की मात्रा खतरे के निशान को पार कर चुकी है. 

कौन कौन सी हो सकती है बीमारियां

आर्सेनिक युक्त पेयजल के कारण गैंग्रीन, आंत, लीवर, किडनी और मूत्राशय के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो रही हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों को त्वचा रोग भी आर्सेनिक के कारण हो जाते हैं. 

मुद्दा और बातचीत
उन्नाव सदर क्षेत्र के बीजेपी विधायक पंकज गुप्ता से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हम पेय जल की समस्या पर सर्वे करा रहे हैं..जो कि केंद्रीय पेयजल मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह जी के द्वारा ज्वाइंट सेक्रेटरी पेयजल भारत सरकार को आदेशित की गई है कि जल्द से जल्द भू-गर्भ जल की जांच करा ली जाए.

सवाल- जिस बात की आप जांच कराने को कह रहे हैं वो तो पहले रिपोर्ट्स में दिखाया जा चुका है कि पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है....इस समस्या को लेकर  ग्रामीणों ने 2012 में कांग्रेस पार्टी से उन्नाव सांसद अन्नू टंडन को अवगत भी कराया गया था लेकिन आश्वासन का खाली झोला पकड़ाकर उन्हें लौटा दिया गया जो कि बीजेपी के राज में भी अब तक खाली ही नजर आ रहा है.....
अभी पिछली सरकारों की रिपोर्ट्स हमारे पास नहीं हैं. जल निगम से भी रिपोर्ट्स मांगी गईं लेकिन उसके पास भी नहीं है. तो हमें दुबारा रिपोर्ट के लिए पत्र देना पड़ा ताकि पैकेज बन जाए. जिससे पानी की टंकियां बनवाई जा सकें,
सवाल- राज्य सरकार की ओर से आपको क्या सहायता मिल रही है इस संकट से निपटने के लिए
कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. यहां तक कि गंगा में खून से लेकर मांस के लोथड़े तक बहाये जाते हैं. हमने शिकायत भी की लेकिन जांच का भरोसा देकर सबने चुप्पी साध ली.
सवाल- तो क्या अगर रिपोर्ट्स में आर्सेनिक की मात्रा अधिक पाई गई जो कि है तो क्या इन कंपनियों को हटाने को लेकर कोई विचार किया जाएगा.
नहीं ये तो एक बड़ी चीज है. कई सारे लोग बेरोजगार हो जाएंगे.
आत्मीय की ओर से जवाब- तो आपको ये नजर आ रहा है कि कई सारे लोग बेरोजगार हो जाएंगे लेकिन इस जहरीले हवा और पानी से आस-पास के इलाके कब्रिस्तान बन रहे हैं उसकी चिंता नहीं है.

इस झूठ की वजह क्या है....
उन्नाव जल निगम के अधिशाषी अभियंता केशव गुप्ता से जब इस संदर्भ में बात की गई तो उनका कहना था कि जनपद उन्नाव में कहीं भी आर्सेनिक से जुड़ी समस्या ही नहीं है. जबकि मीडिया चैनलों पर चल रही रिपोर्ट्स हों या फिर डॉक्टरों की राय दोनों में ही आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होने का जिक्र है. अब खुद ही समझिए कि किस तरह से जल विभाग कमियों पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है. आपको बताते चलें कि भारत सरकार की सहकारी संस्था इफको यानि की इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर्स कोआपरेटिव लिमिटेड की प्रयोगशाला में जब जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए 180 नमूनों की जांच की गई तो निष्कर्ष हैरान करने वाले थे. जिले की भूमि की ऊपरी सतह में क्षरीयता के साथ-साथ आर्सेनिक कार्बन व क्रोमियम जैसे घातक तत्व जरूरत से ज्यादा पाए गए. इसके अलावा प्रयोगशाला में निष्कर्ष बताते हैं कि कृषि भूमि में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश का अनुपात भी पूरी तरह से बिगड़ चुका है. इसका असर किसानों पर भी पड़ रहा है.

पानी का पैसा पानी-पानी
केंद्रीय जल बोर्ड की रिपोर्ट में फ्लोराइड की भयावह स्थिति को देखते हुए जिले में लुंजपुंज योजना और राजीव गांधी पेय जल मिशन योजना की शुरूआत की गई थी. लुंजपुंज परियोजना के विकाखंड सिकंदरपुर सरोसी और सिकंदरपुर कर्ण के 52 गांव सम्मिलित किये गए थे. इस योजना के तहत करीबन 1.5 करोड़ रूपये खर्च किए गए थे लेकिन योजना लुंजपुंज बनकर दम तोड़ चुकी है.
पानी राजनीति का मुद्दा बन चुका है, जिसपर तमाम मीडिया चैनल्स, न्यूज पेपर्स शब्दों को सलीके से लगाकर जनता समेत सियासत को रूबरू करा चुके हैं. लेकिन पहल कितनी और किस तरह की हुई ये अपंगता, कैंसर और तमाम बीमारियां बता रही हैं. बहरहाल लापरवाही कुछ इसी तरह रही तो वो दिन दूर नहीं जब शहर कब्र होगा. पर कौन ले जिम्मा. नाक सिकोड़कर उस ओर देखना जिम्मेदारों को पसंद नहीं. उत्तम प्रदेश के जहन में जहर भरा जा रहा है. क्योंकि वो कीमत अदा करता है. चाहे जितनी तालियां ठोंक ली जाए इस रिपोर्ट पर लेकिन बदलाव के नाम पर सब मुद्दा बदल देंगे. सरकार की ओर उंगलियां खड़ी कर फिर से व्यस्तता का जामा पहन लेंगे. क्योंकि बदलाव महज मजाक है जिस पर कुछ देर की हंसी ही पर्याप्त है. जरा सोचिए, समझिए आखिर आपके अपने खतरे में हैं.





हिमांशु तिवारी आत्मीय
यूपी हेड, आर्यावर्त

08858250015

दिल्ली में बीएसएफ का चार्टर्ड विमान दुर्घटनाग्रस्त, दो लोगों की मौत, 8 घायल

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दिल्ली के द्वारका सेक्टर-8 के शाहाबाद गांव में बीएसएफ का सुपरकिंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इसमें 10 लोग सवार थे। घटनास्थल से चार शवों को बरामद कर लिया गया है।

बताया जा रहा है कि इस विमान ने सुबह 9.30 बजे दिल्ली एयरपोर्ट से रांची जाने के लिए उड़ान भरी थी। मौके पर फायर ब्रिगेड की 15 गाड़ियां मौजूद हैं।

सूचना मिली है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह घटनास्थल पर स्थिति का जायजा लेने पहुंच रहे हैं।

 


कीर्ति आजाद बीजेपी से किए जा सकते हैं निलंबित

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बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद के खिलाफ पार्टी ने कार्रवाई करने का मन बना लिया है. डीडीसीए मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए पार्टी गुस्से में है. उनकी इस हरकत को पार्टी विरोधी गतिविधि के तौर पर देखा जा रहा है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक अब उनका बीजेपी से सस्पेंड होना लगभग तय है.

सूत्रों ने बताया कि शीत सत्र खत्म होने के बाद पार्टी कीर्ति को कारण बताओ नोटिस देगी. इसके बाद उन्हें निलंबित भी किया जा सकता है. बुधवार को शीत सत्र का अंतिम दिन है. ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि सत्र के दौरान किसी तरह का नया विवाद पैदा हो और अंतिम दो दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ जाएं. सरकार की प्राथमिकता इन दो दिनों में कुछ अहम विधेयकों को पारित कराना है.

कीर्ति पर आरोप है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर खुलेआम जेटली को शर्मिंदा किया है. कीर्ति ने डीडीसीए में जेटली पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. उन्होंने संसद में बयान देकर इसकी सीबीआई जांच कराने की भी मांग की है. जेटली ने मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत छह आप नेताओं के खिलाफ मानहानि का केस किया है.

इस बीच, कार्ति आजाद की पत्नी पूनम झा ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बातचीत में बताया कि उनका नाम सेंसर बोर्ड के एडवाइजरी पैनल से हटा दिया गया. बकौल पूनम, सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से 24 नवंबर को 108 नामों की अंतिम सूची जारी की गई, जिसमें उनका नाम नहीं था. जबकि इससे पहले मंत्रालय के ही एक अधिकारी ने उनसे इस पैनल को जॉइन करने को कहा था. गौरतलब है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय भी जेटली ही देख रहे हैं.


अमेरिका जा रहे 19 छात्रों को एअर इंडिया ने विमान में चढ़ने से रोका

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 राष्ट्रीय विमानन कंपनी ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वे 19 छात्रों को यहां के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सैन फ्रांसिस्को जा रहे विमान पर बैठने नहीं दें. एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि इन छात्रों ने सैन फ्रांसिस्को आधारित जिन दो विश्वविद्यालयों में दाखिला लिया है, वो अमेरिकी सरकार की जांच के घेरे में हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘हमने पहले देखा है कि इन संस्थानों में जिन छात्रों ने दाखिला लिया, उन्हें अमेरिका पहुंचने के साथ ही वापस रवाना कर दिया गया. छात्रों को शर्मिंदगी से बचाने और उनके पैसे को सुरक्षित रखने के लिए हमने उन्हें विमान में चढ़ने से रोका.’ उन्होंने कहा कि एयरलाइन इन छात्रों को टिकट के पूरे पैसे लौटा रही है. एक बयान में एअर इंडिया ने कहा कि 19 दिसंबर को उन्हें अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा संरक्षण एजेंसी से सूचना मिली थी कि ये दोनों विश्वविद्यालय जांच के घेरे में हैं और जो छात्र सैन फ्रांसिस्को पहुंचे. उन्हें अमेरिका में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई और उनको वापस भेज दिया गया.

एअर इंडिया के बयान में कहा गया है, ‘अब तक ऐसे 14 छात्रों को भारत वापस भेजा गया है, जो एअर इंडिया की उड़ान से सैन फांसिस्को पहुंचे थे. छात्र एक तरफ का टिकट लेकर अमेरिका जाते हैं और वापस भेजे जाने की स्थिति में उन्हें टिकट पर भारी रकम खर्च करनी पड़ती है. कई बार तो वापस आने वाली उड़ान में सीट भी उपलब्ध नहीं होती.’ हालात को देखते हुए इन विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों की टिकट बुकिंग को स्वीकार नहीं किया जा रहा है.

 सवालों के घेरे में आए विश्वविद्यालयों में से एक ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि कुछ मीडिया समूहों द्वारा ‘पूरी तरह गलत’ खबरें दी जा रही हैं कि संस्थान को अमेरिकी सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है. संपर्क किए जाने पर हवाई अड्डे के एक आव्रजन अधिकारी ने बताया कि विमान पर बैठने से संबंधित मंजूरी एअरलाइन की ओर से दी जाती है. अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने कहा है कि वे इस घटनाक्रम को लेकर जानकारी एकत्र करने का प्रयास कर रहे हैं. वाणिज्य दूतवास ने कहा, ‘जैसे ही इस संदर्भ में नई जानकारी आती है. हम आपको इससे तत्काल अवगत कराएंगे.’



2019 तक आईसीसी का सहयोगी बना रहेगा नोवी

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दुबई, 22 दिसंबर, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने नोवी डिजीटल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को भारत में 2016 से 2019 तक अपने सभी आयोजनों के लिए अपना डिजिटल क्लिप्स लाइसेंसी नियुक्त किया है। नोवी स्टार इंडिया की एक इकाई है जिसके पास आईसीसी के सभी आयोजनों के 2016 से 2023 तक के लिये मौजूदा मीडिया अधिकार हैं। नोवी ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म हॉटस्टार और स्टारस्पोर्ट्स डाट कॉम भी संचालित करता है और अब लाइसेंसी नियुक्त होने के बाद आईसीसी आयोजनों का इन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर सीधा प्रसारण भी कर सकेगा। 

नोवी और आईसीसी के बीच हुए चार वर्षों के करार में अगले वर्ष होने वाले अंडर-19 विश्वकप और भारत की मेजबानी में होने वाले ट्वंटी-20 विश्वकप के मीडिया अधिकार भी शामिल हैं। इसके अलावा 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी, इंग्लैंड में होने वाले 2017 महिला विश्वकप, बंगलादेश में होने वाले 2018 विश्वकप क्वालिफायर, न्यूजीलैंड की मेजबानी में 2018 अंडर-19 विश्वकप, 2018 महिला ट्वंटी-20 विश्वकप और 2019 विश्वकप समेत आईसीसी के आठ मुख्य आयोजन शामिल हैं। आईसीसी के प्रबंध निदेशक (कमर्शियल) कैम्पबेल जैमीसन ने कहा, “नोवी डिजीटल को चार वर्षों के लिये मीडिया प्रसारण साझेदार बनाने पर आईसीसी को बेहद खुशी है। नोवी कंपनी का ऑनलाइन वीडियो मंच हॉटस्टार काफी लोकप्रिय है तथा भारत में मनोरंजन और खेलों को कवरेज प्रदान करता है।”

रिटायर होने के एक साल बाद ही सरकारी कर्मचारी नौकरी कर सकते हैं

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 कार्मिक मंत्रालय के बनाए हुए नए नियमों के मुताबिक अब सरकारी अधिकारी रिटायर होने के एक साल बाद नई नौकरी कर सकेंगे। पहले यह अवधि दो साल की थी। कार्मिक मंत्रालय के नए नियमों के अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) तथा भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) तथा अन्य अधिकारियों को किसी निजी कंपनी में काम करने के लिए अपनी रिटायरमेंट के एक साल बाद ही अनुमति लेनी होगी। पहले यह अवधि दो साल की थी।


 सरकारी अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई नौकरी शुरू करने के अपने सेवाकाल के दौरान गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ लेनदेन में ईमानदारी सहित साफ सुथरे सेवा रिकॉर्ड के बारे में घोषणा करनी होगी। इसके अलावा उन्हें यह भी बताना होगा कि उन्हें जो वेतन या लाभ की पेशकश की जा रही है वे उद्योग के लिये तय मानदंडों के अनुकूल हैं। अधिकारियों द्वारा की जा रही मांग की वजह से रिटायरमेंट के बाद उनकी विश्राम की अवधि को दो साल से घटाकर एक वर्ष किया गया है।

अधिकारियों को संशोधित आवेदन में घोषणा करनी होगी, जिस संगठन में मैं नौकरी करने जा रहा हूं वह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, घरेलू सौहाद्र्र और विदेशी संबंधों के खिलाफ काम करने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं हैं। पेंशनभोगियों को यह पुष्टि करनी होगी कि उनके पास सेवाकाल के पिछले तीन साल की ऐसी कोई संवेदनशील या रणनीतिक सूचना नहीं है, जो उस संगठन जहां वह नौकरी करने जा रहे हैं उसके हित के क्षेत्रों या कामकाज से सीधे संबंधित है। इसके अलावा अधिकारियों को यह भी घोषणा करनी होगी कि सेवा काल के दौरान उनका रिकाडज़् साफसुथरा रहा है विशेषरूप से गैर सरकारी संगठनों के साथ कामकाज करने के दौरान।
यह कदम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार नियमों के उल्लंघन के लिए हजारों एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इनमें से कई पर आरोप है कि वे ऐसी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं जिससे देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो रही है। नई घोषणा से संबंधित आवेदन फामज़् को कामिज़्क, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने हाल में संशोधित किया है।

शिक्षण संस्थानों में दाखिला दर बढ़ा,दलित और आदिवासी छात्रों का प्रतिशत कम

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नयी दिल्ली,22 दिसंबर,  देश में उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला दर भले ही करीब 24 प्रतिशत हो गया है लेकिन यहां दलित और आदिवासी छात्रों की संख्या 13.4 तथा 4.8 प्रतिशत तथा मुस्लिम छात्रों की संख्या केवल 4.4 प्रतिशत ही है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ताज़ा सर्वेक्षण के अनुसार 716 विश्विद्यालयों , 38056 कालेजों एवं 6837 शैक्षिक संस्थानों से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि देश में 18 साल से 23 साल की उम्र के तीन करोड़ 33 लाख छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जिनमे 46 प्रतिशत लड़कियां हैं और उनकी संख्या लड़कों की तुलना में तेजी से बढ़ती जा रही हैं पर दलित एवं आदिवासी छात्रों का दाखिला दर मात्र 18.5 तथा 13.3 प्रतिशत है । सर्वेक्षण के अनुसार उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों में पिछड़े वर्ग के 32.9 प्रतिशत छात्र हैं तो गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक मात्र 1.9 प्रतिशत हैं । 

मुस्लिम छात्रों का प्रतिशत केवल 4.4 प्रतिशत है। लड़कियों का दाखिला दर 22.7 है तो लड़कों का 24.5 प्रतिशत है । सर्वेक्षण के अनुसार देश में 267 निजी विश्वविद्यालय हैं और 76 प्रतिशत कालेज प्राइवेट हैं । जहां तक शिक्षकों का सवाल है देश में 14 लाख 18 हज़ार 389 टीचर हैं जिनमे 61 प्रतिशत पुरुष हैं तो 39 प्रतिशत महिला शिक्षक हैं। 80 प्रतिशत छात्र स्नातक हैं तो एक लाख 12हजार 812 छात्र पीएचडी के लिए पंजीकृत हैं जो 0.34 प्रतिशत मात्र है। देश के सात राज्यों उत्तरप्रदेश ,महाराष्ट्र , कर्नाटक, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और तेलांगना में सबसे अधिक छात्र उच्च शिक्षा में हैं । देश के चार केंद्र शासित क्षेत्रों अंडमान निकोबार, दादर नगर हवेली, दमन दीव एवं लक्षदीप में कोई विश्वविद्यालय नहीं है।प्रति एक लाख छात्रों की दृष्टि से सबसे कम कॉलेज बिहार में जबकि पुड्डुचेरी में सबसे अधिक हैं।

पेरिस समझौते से प्रभावित नहीं होगा देश का विकास : जावड़ेकर

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नयी दिल्ली, 22 दिसंबर, सरकार ने आज स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन को लेकर हाल में पेरिस में हुये समझौते से देश का विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम कतई प्रभावित नहीं होगा और गैर परंपरागत ऊर्जा को बढ़ावा देकर इस लक्ष्य को हासिल किया जायेगा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि पेरिस में जो समझौता हुआ है उसने एक बड़ा फर्क पैदा किया है। उत्सर्जन के लिये ऐतिहासिक रूप से विकसित देश जिम्मेदार हैँ और उन पर ही इसे कम करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत ने कम बिजली में ज्यादा तरक्की का रास्ता चुना है और इस पर आगे बढ़ेगा। श्री जावड़ेकर ने कहा कि पेरिस समझौते से भारत के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और देश गरीबी उन्मूलन के अपने रास्ते पर आगे बढ़ता रहेगा। 

उन्होंने कहा कि देश में अभी 70 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल होता है। भारत ने 2030 तक गैरपरंपरागत ऊर्जा का अनुपात बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि देश में पिछले दो वर्षों में 5000 किमी वनक्षेत्र बढ़ा है। अभी देश में 24 प्रतिशत वनक्षेत्र है जिसे बढ़ाकर 33 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि कोयले उत्पादन में प्रति टन पर 200 रुपये का उपकर लगाया गया है और इससे अब तक 20 हजार करोड़ रुपये की आय हुई है। इस राशि से स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश में 175 गीगावाट गैर परंपरागत ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इन्ही प्रयासों का नतीजा है कि आज सौर ऊर्जा की कीमत घटकर 4.63 रुपये प्रति यूनिट रह गयी है।

काशीबाई जैसा किरदार अब नहीं निभाना चाहतीं प्रियंका

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मुंबई 22 दिसंबर, बॉलीवुड की देशी गर्ल और जानीमानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अब काशीबाई जैसा किरदार नहीं निभाना चाहती।  संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में प्रियंका चोपड़ा ने पेशवा बाजीराव की पहली पत्नी काशीबाई का किरदार निभाया है । प्रियंका चोपड़ा अब इस तरह का किरदार नहीं निभाना चाहती । प्रियंका की सोच इस किरदार की सोच से काफी अलग है। प्रियंका का कहना है कि काशीबाई की स्थिति दिल को दुखाने वाली थी। उन्होंने कहा,“ मेरे लिए काशी पूरी तरह से दिल तोड़ने वाला किरदार रहा है। मैं 21वीं सदी की आधुनिक लड़की हूं और यदि मेरे पति ने मुझे धोखा दिया तो मैं इस रिश्ते से ही बाहर हो जाऊंगी।” 

प्रियंका ने कहा काशी जिस युग से थी उस समय उनके पास कोई च्वॉइस नहीं थी। उन्हें उसी के साथ रहना था। उन्होंने कहा वह अपने पति का धोखा कभी नहीं सह सकेगी । प्रियंका ने कहा,“ ऐसा मेरे साथ हमेशा नहीं होता है लेकिन काशी के किरदार को मैं अपने साथ घर ले आईं। मेरा बहुत दिल दुखा और मैं कई बार उसकी स्थिति सोचकर भावुक हुईं। मैं ऐसा किरदार अब कभी नहीं निभाऊंगी और मैं नहीं सोचती कि आगे कभी इस तरह का किरदार लिखा भी जाएगा।” 

लोकसभा में चाय बागान के मजदूरों की दीनहीन स्थिति का मामला उठा

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पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग स्थित चाय बागानों के मजदूरों की दीनहीन स्थिति से निबटने के लिए त्वरित प्रयास किये जाने तथा बागान श्रमिक कानून में संशोधन की मांग आज लोकसभा में उठी। भारतीय जनता पार्टी के एस एस अाहलुवालिया ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाया, जिसका अन्य दलों के कई सदस्यों ने भी समर्थन किया। श्री आहलुवालिया ने कहा कि दार्जीलिंग के दुआर क्षेत्र के चाय बागानों के मजदूरों की स्थिति दयनीय हैं। न तो उन्हें अन्य राज्यों के चाय बागान के कामगारों के समतुल्य न्यूनतम मजदूरी मिलती है, न ही उनका भविष्य संरक्षित रखने के लिए कोई उपाय किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन चाय बागानों के कामगारों को केवल 112 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है, जबकि राज्य में श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 206 रुपये है। केरल और कर्नाटक के चाय बागानों के मजदूरों की दैनिक मजदूरी 254 रुपये है। 

भाजपा सदस्य ने कहा कि चाय बागान के 95 हजार मजदूरों के पास मकान नहीं हैं। इस क्षेत्र के 273 में से 166 बागानों में ही अस्पताल की व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं इन अस्पतालों में से 92 अस्पताल ऐसे हैं जहां एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं। किसी-किसी तरह से इन अस्पतालों को चलाया जा रहा है। उन्होंने बागान श्रम कानून में संशोधन करने की मांग करते हुए श्रमिकों के लिए हर जरूरी सुविधाएं सुनिश्चित किये जाने की मांग की। उन्होंने इन श्रमिकों के लिए मकान बनाने संबंधी प्रावधान किये जाने की वकालत भी की। इस पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार इस मामले का संज्ञान ले रही है और जल्द ही इस बारे में आवश्यक कदम उठाये जाएंगे। 

गुमनामी में गणित के भगवान 'डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह'

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डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह 
मैंने कई बार लोगों को कहते सुना है. हमारे देश के सारे cream तो विदेश, खासकर अमेरिका भाग जाते हैं, लोग, बात तो सही कहते है. पर मैं उन बच्चों की और से उनके बचाव में बोलती हूँ,तर्क देती हूँ. हमारे देश में उन होनहार बच्चों के लिए सरकार ने क्या सुविधा दी है ?  

यह चित्र महान गणितज्ञ "डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह"की है जिन्हें लोग गणित के भगवन कहते हैं. इस फोटो को देखकर किसी का ह्रदय द्रवित हो जाएगा. जिस बिहार के सपूत ने कभी आइंस्टीन के सिद्धांत  E= MC2(square) को चुनौती दिया था. आज वही गणित के भगवान मानसिक बीमारी "सीजोफ्रेनिया"से ग्रसित हैं और गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं.

2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपूर जिले के बसंतपुर गाँव में जन्मे महान गणितज्ञ "डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह"की प्राइमरी और सेकेंडरी की स्कूली शिक्षा नेतरहाट विद्यालय से हुई. पटना साइंस कॉलेज ने प्रथम वर्ष में ही उन्हें B Sc (Hons) की परीक्षा देने की अनुमति दे दी. 1969 में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, बर्कली से Reproducing Kernels and Operators with a Cyclic Vector विषय पर PhD की उपाधि मिलने के बाद डॉ वशिष्ठ नारायण NASA के  Associate Scientist Professor पद पर  आसीन हुए. 1971 में उनकी शादी हुई परन्तु कुछ ही वर्षों बाद बीमारी की वजह से वे अपनी पत्नी से अलग हो गए. 1972 में भारत वापस आकर IIT कानपुर ,TIFR मुंबई, और ISI कलकत्ता के लेक्चरर बने. 1977 में मानसिक बीमारी "सीजोफ्रेनिया"से ग्रसित हुए जिसके इलाज के लिए उन्हें रांची के कांके मानसिक अस्पताल में भरती होना पड़ा. 1988 ई. में कांके अस्पताल में सही इलाज के आभाव में बिना किसी को बताए कहीं चले गए. 1992 ई. में सिवान,बिहार में दयनीय स्थिति में डॉ वशिष्ठ नारायण को लोगों ने पहचाना. 

उनके स्कूल के विद्यार्थियों ने पटना में ही टेबल कुर्सी, बोर्ड, पुस्तकालय का इंतजाम कर प्रोफेसर के रहने के लायक माहौल का इंतजाम कर दिया है और एक महान गणितज्ञ गुमनामी की जिंदगी जी रहा है. 

छगन भुजबल की 110 करोड़ की संपत्ति जब्त

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प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र सदन घोटाले में एनसीपी नेता छगन भुजबल की कई संपत्तियों को जब्त कर लिया है। सूत्रों के अनुसार जब्त की गयीं संपत्तियों की कीमत 110 करोड़ रुपए है।

ये संपत्तियां मुंबई के बांद्रा और सांताक्रूज में स्थित बतायी जा रही हैं। इससे पूर्व सोमवार को ही मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि भुजबल को इस केस में कोई क्‍लीनचिट नहीं दी गई है। उनसे एक कार्यक्रम के दौरान ये सवाल पूछा गया था कि क्या घोटाले में भुजबल को क्लीनचिट दे दी गयी है?

उल्लेखनीय है कि सदन घोटाले में भुजबल के कार्यकाल के दौरान दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन में एक इमारत निर्माण के लिए नियमों को ताक पर रखकर एक कंपनी को कॉट्रेक्ट दिया गया था।

लालू ने प्रधानमंत्री को बुलेट ट्रेन को लेकर लिखा पत्र

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पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ..बुलेट ट्रेन.. की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न खड़े करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें परियोजना को लेकर कई सवाल किये गये हैं। 

श्री यादव ने माइक्रो ब्लॉगिंग साईट ट्विटर पर पत्र की प्रति जारी की है। पूर्व रेल मंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से परियोजना से संबंधित कई सवाल पूछे हैं और प्रधानमंत्री से इसका जवाब मांगा है। प्रधानंमत्री के अलावा उन्होंने पत्र की एक प्रति रेल मंत्री सुरेश प्रभु को भी भेजी है। 

पत्र में श्री यादव ने लिखा कि देश में जहां लाखों लोग हर साल गरीबी, बीमारी और कुपोषण के कारण मर जाते हैं, वहां करीब एक लाख करोड़ रुपये लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना का औचित्य क्या है। उन्होंने इस परियोजना को 'सफेद हाथी'बताते हुए कहा है कि सिर्फ एक परियोजना के लिए इतनी राशि खर्च करने की क्या जरूरत है। 

जूवेनाइल बिल राज्य सभा से हुआ पास

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राज्यसभा में मंगलवार को जूवेनाइल बिल पास कर दिया गया है. इस बिल में जघन्य अपराधों के लिए नाबालिग की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 कर दिया गया है. इससे पहले वोटिंग से पहले ही सीपीएम ने सदन से वॉकआउट कर दिया. चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नाबालिग की उम्र को लेकर एक राय नहीं है. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि अपराधी नाबालिगों का गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं. बिल राज्यसभा से पास कराने के लिए पेश किया गया. महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यह बोर्ड तय करेगा कि अपराध के वक्त नाबालिग की मानसिकता बालपन की थी या वयस्क. 

आजाद ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को और अधिकार देने चाहिए. उन्होंने जेलों में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि जेलों में अपराधियों को शिक्षित करने का भी एक सिस्टम होना चाहिए. उन्हें अपनी जिदंगी में सकारात्मक बदलाव लाने का मौका दिया जाना चाहिए. निर्भया के माता-पिता भी इस बिल पर बहस के दौरान राज्यसभा में मौजूद रहे. इससे पहले वे संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से भी मिले थे. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि अब यह बिल संसद से पास हो जाएगा. निर्भया की मां पहले ही कह चुकी हैं कि अब उनकी लड़ाई कानून बदलवाने की है. 

नाबालिग की उम्र बदलने की कितनी जरूरत है, यह इसी से पता चलता है कि 2014 में नाबालिगों के खिलाफ देशभर में 38,565 केस दर्ज हुए है. यह जानकारी गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में दी. इनमें भी 56 फीसदी मामले उन नाबालिगों के खिलाफ दर्ज किए गए जिनके परिवार की मासिक आय 25 हजार रुपये तक है.

तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'भगवान न करें, अगर वो मेरी बेटी होती तो मैं सर्वश्रेष्ठ वकील हायर करता या बंदूक निकालता और दोष‍ियों को गोली मार देता.ब्रायन ने कहा कि मैं इस बिल का समर्थन करता हूं. ये अच्छा बिल है. हम आदर्श बिल के चक्कर में अनिश्च‍ित काल के लिए इंतजार नहीं कर सकते.

श‍िवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि दाऊद इब्राहिम ने जब मुंबई में पहला अपराध किया था, तब वह 16 साल था. आज देखिए कहां पहुंच गया. उन्होंने यह भी कहा कि निर्भया के साथ हम सबने एक बार फिर बलात्कार किया. इस टिप्पणी पर सदन में मौजूद कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई तो राउत ने अपने शब्द वापस ले लिए और यह टिप्पणी रिकॉर्ड से निकाल दी गई.




केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी और जेटली का इस्तीफा मांगा

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को विधानसभा में प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ कोई अरविंद केजरीवाल का नाम लेता है तो उनका खून खौल जाता है.

अपने प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर में सीबीआई के छापे पर भी सीएम ने भड़ास‍ निकालने में कोई कंजूसी नहीं बरती. केजरीवाल ने कहा, 'हम मोदी सरकार के हर अन्याय पर चुप रहे. लेकिन 15 दिसंबर को उन्होंने जो किया, उस पर भारत के प्रधानमंत्री को शर्म आनी चाहिए. जब मैं दफ्तर के लिए निकल रहा था तो मेरे पास फोन आया कि आपके दफ्तर में रेड हो रही है. पहले तो मुझे भरोसा नहीं हुआ.'

मुख्यमंत्री ने कहा, 'अगर ये एजुकेशन विभाग का 2007 का मामला था तो सीबीआई को वहां जाना चाहिए. मेरे दफ्तर में तो पिछले दस-पंद्रह दिनों की फाइल होती है, मैं साइन करके भेज देता हूं. इससे पता चलता है कि राजेंद्र कुमार तो बहाना था, केजरीवाल निशाना था. सीबीआई वाले सिर्फ डीडीसीए की फाइल देख रहे थे.'

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को विधानसभा में प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ कोई अरविंद केजरीवाल का नाम लेता है तो उनका खून खौल जाता है. अपने प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर में सीबीआई के छापे पर भी सीएम ने भड़ास‍ निकालने में कोई कंजूसी नहीं बरती. केजरीवाल ने कहा, 'हम मोदी सरकार के हर अन्याय पर चुप रहे. लेकिन 15 दिसंबर को उन्होंने जो किया, उस पर भारत के प्रधानमंत्री को शर्म आनी चाहिए. जब मैं दफ्तर के लिए निकल रहा था तो मेरे पास फोन आया कि आपके दफ्तर में रेड हो रही है. पहले तो मुझे भरोसा नहीं हुआ.'

 मुख्यमंत्री ने कहा, 'अगर ये एजुकेशन विभाग का 2007 का मामला था तो सीबीआई को वहां जाना चाहिए. मेरे दफ्तर में तो पिछले दस-पंद्रह दिनों की फाइल होती है, मैं साइन करके भेज देता हूं. इससे पता चलता है कि राजेंद्र कुमार तो बहाना था, केजरीवाल निशाना था. सीबीआई वाले सिर्फ डीडीसीए की फाइल देख रहे थे.'

केजरीवाल ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से दो-तीन बार मिला. मैंने प्रधानमंत्री जी से कहा- हमें आपसे पैसा नहीं चाहिए. जमीन नहीं चाहिए. हमें सिर्फ तंग करना बंद कर दो. मैं आपके कार्यक्रमों को सफल बनाऊंगा. स्वच्छ भारत अभ‍ियान को सफल बनाऊंगा और आपको सारा क्रेडिट दूंगा. मैंने कहा कि आप दिल्ली में अड़चन लगाना बंद कर दो, एक साल में दिल्ली साफ करके दिखा देंगे. दिल्ली की हार नहीं पचा पा रहे. लोगों को हमसे बहुत उम्मीदें हैं और उन्हीं उम्मीदों को पूरा करने के लिए हम 24 घंटे काम रहे हैं.'

केजरीवाल ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, 'पहले प्रधानमंत्री का नारा था कि ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा, लेकिन अब उनका नारा हो गया है कि ना काम करेंगे, ना करने देंगे.'उन्होंने सीबीआई के छापे के लिए प्रधानमंत्री मोदी से इस्तीफे की मांग तक कर डाली. केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री सीबीआई से हमें डराना चाहते हैं, लेकिन हम डरने वाले नहीं है. प्रधानमंत्री ने रॉन्ग नंबर डायल कर दिया है, लेकिन वो हमें डरा नहीं पाएंगे. इससे पहले दिल्ली सरकार ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक आयोग के गठन का प्रस्ताव मंगलवार को विधानसभा में पेश किया. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि डीडीसीए में सरासर अनियमितता हुई है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा इस क्रिकेट संस्था में भारी भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित है. दिल्ली सरकार ने मंगलवार को डीडीसीए में अनियमितताओं और पिछले हफ्ते दिल्ली सचिवालय में मारे गए सीबीआई के छापे जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था.


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