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पेट्रोल 83 पैसे और डीजल 1.26 रुपये महंगा

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नयी दिल्ली, 16 मई, तेल विपणन कंपनियों ने मई में लगातार दूसरी बार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिये हैं। आज आधी रात से दिल्ली में पेट्रोल 83 पैसे और डीजल 1.26 रुपये प्रति लीटर महंगा हो जायेगा। देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसीएल) ने बताया कि सोमवार और मंगलवार की आधी रात से दिल्ली में पेट्रोल 63.02 रुपये प्रति लीटर मिलेगा। पहले इसकी कीमत 62.19 रुपये प्रति लीटर थी। इसी प्रकार डीजल के दाम 50.41 रुपये से बढ़ाकर 51.67 रुपये प्रति लीटर कर दी गयी है। इससे पहले एक मई को पेट्रोल के दाम 1.06 रुपये तथा डीजल के 2.94 रुपये प्रति लीटर बढ़ाये गये थे। हालांकि दिल्ली सरकार ने सात मई को डीजल पर वैट कम किया था जिससे इसकी कीमत 54 पैसे प्रति लीटर कम हो गयी थी। अाईओसीएल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव तथा डॉलर की तुलना में रुपये के विनिमय दर में परिवर्तन के अनुरुप पेट्रोल तथा डीजल के दाम बढ़ाये गये हैं। 

आज अाधी रात से देश के चार महानगरों में पेट्रोल तथा डीजल के दाम (रुपये प्रति लीटर)इस प्रकार होंगे। 

पेट्रोल महानगर......... पुरानी कीमत .......... नयी कीमत 
दिल्ली ........... 62.19 .................. 63.02 
कोलकाता ...... 65.73 ................. 66.44 
मुंबई ............ 66.71 .................. 66.12 
चेन्नई .......... 61.64 .................. 62.41 

डीजल महानगर......... पुरानी कीमत .......... नयी कीमत 
दिल्ली ........... 50.41 .................. 51.67 
कोलकाता ...... 52.97 ................. 54.10 
मुंबई ............ 56.61 .................. 56.81 
चेन्नई .......... 51.78 .................. 53.09

एनआईए में हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज किया जेटली ने

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नयी दिल्ली 16 मई, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मालेगांव विस्फोट कांड के मामले में केंद्र सरकार के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में हस्तक्षेप के विपक्ष के आरोपों को आज खारिज कर दिया। श्री जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में यदि कुछ गलत हुआ है तो अदालत अपनी कार्रवाई करेगी। उन्हाेंने कहा कि जांच एजेंसी का पहले जिस तरीके से इस्तेमाल हुआ है वह सब रिकार्ड है। श्री जेटली ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए उन्हाेंने इस मामले में कई बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कई पत्र लिखा लेकिन उनका हर बार उन्हाेंने एक ही जवाब दिया कि मामला अदालत में हैं। 

पत्र में श्री जेटली ने आरोप लगाया था कि संयुक्त प्रगतिशील सरकार फर्जी मामले बना रही है। कांग्रेस ने कल प्रधानमंत्री कार्यालय पर आरोप लगाया था कि वह मालेगांव विस्फोट कांड के मामले में एनआईए के कामकाज में हस्तक्षेप किया जा रहा है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से जुडे लोगों को बचाया जा रहा है। एनआईए ने पिछले सप्ताह मालेगांव विस्फोट कांड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांव अन्य अभियुक्तों को सबूत के अभाव में क्लीनचिट दे दी थी।

पत्रकार इन्द्रदेव यादव हत्याकांड का खुलासा

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चतरा 16 मई, झारखण्ड के चतरा जिले में पत्रकार इन्द्रदेव यादव हत्याकांड का पुलिस द्वारा आज खुलासा कर दिया गया है । पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार झा ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि इस वारदात में शामिल दो अपराधिओं को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही घटना को अंजाम देने में इस्तेमाल की गई एक मोटरसाइकिल भी अपराधिओं के पास से बरामद कर ली गई है। पुलिस की गिरफ्त में आए इन अपराधिओं में चतरा जिले के मयूरहंड निवासी बीरबल साव तथा लावालोंग थाना क्षेत्र के टुनगुन निवासी झमन साव के नाम शामिल है। 

हालाँकि पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस पुरे प्रकरण का खुलासा जल्द ही एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिये कर दिया जायेगा । गौरतलब है कि एक निजी इलेक्ट्रानिक चैनल के जिला संवाददाता अखिलेश प्रताप सिंह उर्फ इन्द्रदेव यादव की कुछ अज्ञात अपराधिओं द्वारा बारह मई की रात जिला मुख्यालय से लगे देवरिया में गोली मारकर उसकी नृशंस रूप से हत्या कर दी गई थी। 

गणि राजेन्द्र विजय : सुख बांटने का संकल्प

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हमारी भारत भूमि पर बहुत से लोग ऐसे हैं जो जन्म तो लेते हैं पर जीवन को जी नहीं पाते, जीवन को ढ़ोते हैं। क्योंकि जीवन की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और झौंपड़ी के अभाव के कारण वे घायल हैं। शिक्षा के अभाव में उनकी चेतना अपाहिज है। नैतिक संस्कारों के अभाव में मानवीय मूल्यों से गिरते जा रहे हैं और व्यसनों के दलदल में धंसते जा रहे हैं। मुझे इस बात की प्रसन्नता की बात है कि सुखी परिवार फाउण्डेशन और उसके प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय के पाँव सेवा की डगर पर गांवों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। सुखी परिवार एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय, ब्राह्मी सुन्दरी कन्या छात्रावास, सुखी परिवार गौशाला आदि-आदि गुजरात के आदिवासी अंचल में  गणि राजेन्द्र विजयजी द्वारा संचालित प्रोजेक्ट एवं सेवा कार्यों की मोटी सूची में  मानवीय संवेदना की सौंधी-सौंधी महक फूट रही है। लोग गांवों से शहरों की ओर भाग रहे हैं,  गणि राजेन्द्र विजयजी की प्रेरणा से कुछ जीवट वाले व्यक्तित्व  शहरों से गांवों की ओर जा रहे हैं। मूल को पकड़ रहे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे-‘भारत की आत्मा गांवों में बसती है।’ शहरीकरण के इस युग में इन्सान भूल गया है कि वह मूलतः आया कहां से है? जिस दिन उसे पता चलता है कि वह कहां से आया है तो वह लक्ष्मी मित्तल बनकर भी लंदन से आकर, करोड़ों की गाड़ी में बैठकर अपने गाँव की कच्ची गलियों में शांति महसूस करता है। स्कूल, हाॅस्पीटल व रोजगार के केन्द्र स्थापित कर सुख का अनुभव करता है।

गणि राजेन्द्र विजयजी टेढ़े-मेढ़े, उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए, संकरी-पतली पगडंडियों पर चलकर सेवा भावना से भावित जब उन गरीब बस्तियों तक पहुंचते हैं तब उन्हें पता चलता है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने के मायने क्या-क्या हैं? कहीं भूख मिटाने के लिए दो जून की रोटी जुटाना सपना है, तो कहीं सर्दी, गर्मी और बरसात में सिर छुपाने के लिए झौपड़ी की जगह केवल नीली छतरी (आकाश) का घर उनका अपना है। कहीं दो औरतों के बीच बंटी हुई एक ही साड़ी से बारी-बारी तन ढ़क कर औरत अपनी लाज बचाती है तो कहीं बीमारी की हालत में इलाज न होने पर जिंदगी मौत की ओर सरकती जाती है। कहीं जवान विधवा के पास दो बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी तो है पर कमाई का साधन न होने से जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर होती है, तो कहीं सिर पर मर्द का साया होते हुए भी शराब व दुव्र्यसनों के शिकारी पति से बेवजह पीटी जाती हैं इसलिए परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरन सरकार के कानून को नजरंदाज करते हुए बाल श्रमिकों की संख्या चोरी छिपे बढ़ती ही जा रही है। कहीं कंठों में प्यास है पर पीने के लिए पानी नहीं, कहीं उपजाऊ खेत है पर बोने के लिए बीज नहीं, कहीं बच्चों में शिक्षा पाने की ललक है पर माँ-बाप के पास फीस के पैसे नहीं, कहीं प्रतिभा है पर उसके पनपने के लिए प्लेटफाॅर्म नहीं। कैसी विडंबना है कि ऐसे गांवों में न सरकारी सहायता पहुंच पाती है न मानवीय संवेदना। अक्सर गांवों में बच्चे दुर्घटनाओं के शिकार होते ही रहते हैं पर उनका जीना और मरना राम भरोसे रहता है, पुकार किससे करें? माना कि हम किसी के भाग्य में आमूलचूल परिवर्तन ला सकें, यह संभव नहीं। पर हमारी भावनाओं में सेवा व सहयोग की नमी हो और करुणा का रस हो तो निश्चित ही कुछ परिवर्तन घटित हो सकता है।

गणि राजेन्द्र विजयजी धुन के धनी व संकल्प के पक्के हैं। वे इनदिनों सम्मेदशिखरजी ( झारखंड ) की यात्रा पर यात्रायित है। पैदल चलना तो सभी जैन मुनियों का जीवनव्रत है, लेकिन गणिजी एक दिन में 50-50 किलोमीटर चल लेते, अक्सर वे एक दिन में इतनी लम्बी-लम्बी ही पदयात्राएं करते हैं। इस वर्ष के दिल्ली चातुर्मासे से पहले वे आदिवासी जनजीवन के उत्थान और उन्नयन के लिये और उनके कल्याण की योजना को मिशन बना कर गुजरात के बलद, कवांट, बोडेली, रंगपुर, छोटा उदयपुर आदि क्षेत्रों में धुनी रमाई और विविध योजनाओं को आकार दिया। वे एक ओर गांवों में बच्चों को छात्रवृत्ति देकर व शिक्षा की सुविधाएं प्रदान कर शिक्षा का प्रकाश फैला रहे हैं तो दूसरी ओर स्वास्थ्य परीक्षण, सफाई प्रशिक्षण, निःशुल्क दवाई वितरण, शल्य चिकित्सा आदि के द्वारा उनके रोग निवारण का बीड़ा उठा रहे हैं। निराश्रितों को स्वावलम्बी बनाने के लिए सिलाई मशीनें, खेती के लिए बीज आदि आवश्यक साधन वितरण कर रहे हैं तो साथ-साथ विविध प्रशिक्षण देकर उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। वे गाय के कल्याण के लिये अनेक बहुआयामी योजनाओं को आकार देने में भी जुटे हैं। वे बिना रुके, बिना थके लगातार सलक्ष्य सुख बांटने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हंै। उनके जीवन के सन्दर्भ में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां जीवंत हो उठती है कि सुख बढ़ जाता, दुःख घट जाता, जब वह बंट जाता।’

भगवान महावीर के सिद्धांतों को जीवन दर्शन की भूमिका पर जीने वाले गणिजी ने संपूर्ण मानवजाति के परमार्थ में स्वयं को समर्पित कर मुनि जीवन को एक सार्थक पहचान दी है। संप्रदाय विशेष से बंधकर भी आपके निर्बंध कर्तृत्व ने राष्ट्रीय एकता, सदभावना एवं परोपकार की दिशा में संपूर्ण राष्ट्र को सही दिशाबोध दिया है। आपका जन्म गुजरात के बड़ौदा जिले के बलद गांव में 19 मई, 1974 को हुआ। ग्यारह वर्ष की अल्प आयु में आपने साधनामय जीवन की ओर अपने चरण अग्रसर किए एवं एक वर्ष तक गुरु सन्निधि में गहन तप और ज्ञान गंगा में निमज्जन करके बारह वर्ष की आयु में सन् 1986 की अक्षय तृतीया के शुभ दिन अकोला (महाराष्ट्र) में संयम जीवन अंगीकार किया। तभी से गुजराती, हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी, प्राकृत आदि भाषा के ज्ञान के साथ जिन-धर्म, दर्शन, साध्वाचार, तत्वार्थ, आगम आदि ग्रंथों का अपने गुरु की निश्रा में 17 वर्ष तक अध्ययन किया। 

गणि राजेन्द्र विजय अहिंसा के आस-पास जीते हैं। वे मानते हैं कि अहिंसा में सौदा नहीं होता। तुम इतना करो तो मैं इतना करूं, यह स्वार्थ है। जबकि अहिंसा स्वार्थ नहीं, परार्थ और परोपकार है। उन्होंने जैन धर्म और अहिंसा का प्रचार-प्रसार उन आदिवासी क्षेत्रों में व्यापकता से किया है जो जैनेत्तर क्षेत्र कहे जाते हैं और जिनमें हिंसा की बहुलता है। गुजरात के बड़ोदरा जिले के आदिवासी अंचल के लोगों में उनके विचारों और अहिंसक कार्यक्रमों का इतना व्यापक प्रभाव स्थापित हुआ है कि लाखों की संख्या में लोगों ने न केवल हिंसा को छोड़ा है बल्कि अपनी जीवन शैली को अहिंसा के अनुरूप ढाला है। 

गणि राजेन्द्र विजय ओजस्वी वक्ता हैं। जब वे बोलते हैं तो हजारों नर-नारियों की भीड़ उन्हें मंत्रा-मुग्ध होकर सुनती है। अपने प्रवचनों में वे धर्म के गूढ़ तत्वों की ही चर्चा नहीं करते, उन्हें इतना बोधगम्य बना देते हैं कि उनकी बात सहज ही सामान्य-से-सामान्य व्यक्ति के गले उतर जाती है। 20 से अधिक पुस्तकों के लेखक गणिजी का लेखन भी एक ऊंचे ध्येय से प्रेरित है। आप परोपकार एवं परमार्थ के प्रेरक व्यक्तित्व हैं। 

गणि राजेन्द्र विजय ने स्वस्थ एवं नैतिक लेखन को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से श्री विजय इन्द्र टाइम्स, उदय इंडिया एवं समृद्ध सुखी परिवार जैसी पत्रिकाएं प्रारंभ की। मनुष्य अच्छा मनुष्य बने, उसके अंदर मानवीय गुणों का विकास हो, वह नैतिक और चारित्रिक दृष्टि से उन्नत बने, अपने कत्र्तव्य को वह जाने और निष्ठापूर्वक उसका पालन करे, समष्टि के हित में वह अपना हित अनुभव करे इस दृष्टि से उन्होंने ‘सुखी परिवार अभियान’ के रूप में एक समग्र आदर्श परिवार की परिकल्पना प्रस्तुत की है। यह व्यक्ति और परिवार से स्वस्थ समाज और स्वस्थ समाज से स्वस्थ राष्ट्र की आधार भूमि है। सुखी परिवार अभियान आज राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा, नैतिकता, सदाचार और स्वस्थ मूल्यों की स्थापना का एक अभिनव उपक्रम बनकर प्रस्तुत है। सुखी परिवार अभ्यियान द्वारा वे एक ऐसे समाज का स्वप्न देखते हैं जहां हिंसा व संग्रह न हो, अशिक्षा और आडम्बर न हो। न कानून हो न कोई दंड देने वाला सत्ताधीश हो। न कोई अमीर हो, न कोई गरीब। एक का जातिगत अहं और दूसरे की हीनता समाज में वैषम्य पैदा करती है। अतः सुखी परिवार अभियान प्रेरित समाज समान धरातल पर विकसित होगा। इसके लिए वे अनुशासन और संयम की शक्ति को अनिवार्य मानते हैं।    




(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486

विशेष आलेख : अकर्मण्यता को बढ़ावा देने वाली योजनाएं

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भारत विभाजन पश्चात हमारे देश में भारत में अकर्मण्यता को बढ़ावा देने वाली योजनाओं की भरमार रही है। लोकतांत्रिक विवशता व राजनैतिक तदर्थवाद के चलते भारत में अकर्मण्यता और सुस्ती को बढ़ावा देने वाली योजनाएं बनती रही हैं। इनसे देश की अधिसंख्य जनता निष्क्रय, अकर्मण्य एवं आत्मसम्मान से रहित होती गई है। इन योजनाओें का मकसद मानो, देश की जनता को बिना कर्म के उदरपोषण मात्र में उलझाए रखना है। ऐसा लगता है कि अधिसंख्य नागरिकों को न तो राष्ट्र की चिंता है, न ही निजी स्वाभिमान की। भारतीय संदर्भ में मात्र उदरपोषण ही जीवन का एक लक्ष्य सा बनकर रह गया है। स्वतंत्र भारत में यह प्रवृत्ति बढ़ती ही गई है और इस पर कठोरतापूर्वक लगाम लगानी होगी तथा नागरिकों को राष्ट्रहित में कर्मयोग की ओर प्रवृत्त एवं जागरूक करना होगा। यह सर्वविदित है कि सरकारी योजनाओं की इस प्रवृति पर लगाम लगाए बिना राष्ट्र का समुचित व सर्वांगीण विकास संभव नहीं है, फिर भी केंद्र में सत्तारूढ़ होने वाले सरकारें एक –एक कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली अनुदान आधारित योजनायें लागू किये जा रही हैं । इस प्रकार की योजनाओं में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), घरेलू रसोई गैस सहित दर्जनों अन्य योजनाओं का नाम लोगों के द्वारा सदैव ही गिनाया जाता रहा है। जिन पर आवश्यक सुधार के बिना इन योजनाओं का लाभ हकीकत मंदों तक पहुंचना असम्भवप्राय है। भारत की जनता सोचती है कि आर्थिक अनुदान अर्थात सब्सिडी की जो व्यवस्था लागू है, वह गरीबों की हितैषी है। इसके विपरीत हकीकत यह है कि सरकार जितनी सब्सिडी देती है, उस राशि को गरीबों से महंगाई व भ्रष्टाचार के बहाने वापस ले लेती है। सब्सिडी को जिस तबके के लिए फायदेमंद माना जाता है वास्तव  में उसका भला नहीं हो पाता। आम आदमी के लिए जिस आर्थिक अनुदान की व्यवस्था की गई है, उसे बिचौलिए व संपन्न लोग ही लूट रहे हैं। यही कारण है कि गत वर्ष इंडियन आयल कारपोरेशन, बरौनी स्थित रिफाइनरी की स्थापना के पांच दशक पूरे होने के मौके पर दिल्ली विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को कहना पड़ा कि जो लोग समृद्ध हैं तथा जिन्हें रसोई गैस पर सब्सिडी की जरूरत नहीं है, वे सबसिडी लेना स्वयं छोड़ दें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस दिशा में लिया गया कदम सराहनीय है, क्योंकि भारत वर्ष विश्व में जनसंख्या के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा देश है। सरकार को प्रतिवर्ष सिर्फ रसोई गैस पर सब्सिडी पर हजारों करोड़ रुपए का बोझ सहन करना पड़ रहा है।  पिछले लगभग तीन दशकों से देश की अधिकांश जनसंख्या गैस चूल्हों का प्रयोग करने लगी है। इसके परिणामस्वरूप जहां प्रदूषण पर नियंत्रण हुआ है, वहीं जंगलों के कटान में भी कमी आई है। इससे पूर्व देश की अधिकांश जनता रसोई में ईंधन के रूप में लकड़ी, कोयला तथा मिट्टी के तेल का इस्तेमाल करती थी, लेकिन तूफानी रफ्तार से बढ़ती जनसंख्या ने गैस चूल्हों को अधिक महत्त्व दिया। गृहिणियों को भी सुविधा मिली तथा धुएं से हुए काले बरतनों को साफ करने से भी निजात मिली। पर्यावरण को सुरक्षित रखने तथा वनों की बेरहमी से कटाई पर रोक लगाने के लिए जनमानस को एलपीजी के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर की खरीद में सबसिडी दिए जाने की व्यवस्था की गई। लेकिन इस तरह का आर्थिक अनुदान प्रत्येक एलपीजी सिलेंडर पर दिए जाने की व्यवस्था की गई। इससे हुआ यह कि गरीबों को तो इससे राहत मिली, लेकिन साथ-साथ गैर जरूरतमंदों को भी इसका लाभ मिलता रहा। अब सरकार अगर संपन्न लोगों से गैस सिलेंडर पर मिलने वाले आर्थिक अनुदान छोड़ने की अपील कर रही है तो इसके राजकोष पर सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार के द्वारा संसदीय कैंटीन में सब्सिडी पर पांच-दस रुपए में अर्हता सस्ते में सांसदों को खाना मुहैया कराये जाने की व्यवस्था को समाप्त किया जाना भी सराहनीय कदम है ।

उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा भारत में कई व्यवहारिक समस्याओं की शिकार रही है। इन समस्याओं का निराकरण न होने की वजह से गत वर्षों में मनरेगा योजना के अंतर्गत वे लक्ष्य प्राप्त नहीं किए जा सके हैं, जो अपेक्षित थे। यह योजना गांवों में बसी विशाल भारतीय जनसंख्या को कौशल और अनुशासित आर्थिक विकास के अवसर उपलब्ध करा पाने में कहीं न कहीं चूक रही है। इन दोषों का अध्ययन करने के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना में अब तक सामने आए दोषों को दूर कर इसे और अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं जो उचित ही कहे जा सकते हैं । केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत होने वाले कुल व्यय में अकुशल वेतन की अनिवार्य हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से घटाकर 51 प्रतिशत करने तथा कुल व्यय का 50 प्रतिशत कृषि उत्पादन बढ़ाने में खर्च करने का निर्देश दिया है। इसके लिए लघु सिंचाई प्रणाली का विकास करने पर जोर दिया गया है। सरकार के अनुसार, मनरेगा परियोजना वर्तमान में 644 जिलों में चल रही है, जबकि इसका क्रियान्वयन केवल उन जिलों में होना चाहिए, जहां गरीबी और बेरोजगारी अधिक है। हालांकि कुछ वामपंथी अर्थशास्त्रियों, समाजसेवियों और नौकरशाहों के द्वारा इन बदलावों का विरोध किया जा रहा है फिर भी उनकी दलीलों के विपरीत यह असल में सरकार के द्वारा उचित दिशा में ही उठाया गया कदम है। मनरेगा के दोषों को दूर करना राष्ट्रीय हित में होगा। दूसरी ओर मनरेगा में बदलाव के विरोधियों का यह भी कहना है कि इससे तो इस योजना का मूल उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। सामग्री की मद में राशि बढ़ाने के कारण रोजगार निर्माण में 40 प्रतिशत तक कमी हो जाएगी। विगत वर्षों के प्रतिवेदनों से यह स्पष्ट होता है कि मनरेगा को लागु करते समय मनरेगा में अकुशल वेतन की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत घोषित की गई थी, परंतु व्यवहार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 75 प्रतिशत तक रही है। इससे स्पष्ट है कि अकुशल वेतन में गिरावट अनिवार्य शर्त नहीं है, बल्कि स्थितियों के अनुरूप इसमें फेरबदल किया जा सकता है।  ऐसी कोई आशंका सत्य के निकट प्रतीत नहीं होती है कि मनरेगा योजना में कतिपय आवश्यक संशोधन किए जाने से अकुशल मजदूरों का अहित हो जाएगा। मनरेगा निधि का अधिक उत्पादकतापूर्ण और असरदार इस्तेमाल इस योजना के मूल उद्देश्य के विपरीत बताना तो योजना में धनराशि की बर्बादी, अकुशलता और नौकरशाही की निष्क्रियता का समर्थन करना ही होगा। वास्तव में गरीबों के बैंक खाते में सीधे पैसा जमा करने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लग रहा है । इसलिए मनरेगा के वेतन को सीधे बैंक खाते में जमा करने के विरोध को उचित नहीं कहा जा सकता। यह तय है कि यदि मनरेगा में समय रहते आवश्यक सुधार नहीं किए गए, तो मनरेगा केवल गड्ढे खोदने की योजना और अकर्मण्यता व भ्रष्टाचार की शरणस्थली मात्र बनकर रह जाएगी। देश में मनरेगा योजना को लेकर कुछ उचित बदलाव किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत अब युवाओं को भी आजीविका का लाभ मिलेगा। आजीविका मिशन का दायरा सभी वर्ग के ग्रामीण बेरोजगार अकुशल युवाओं के लिए खोल दिया गया है। इसके लिए मिशन के मानकों को शिथिल किया गया है। मनरेगा के युवा मजदूरों को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। मिशन में उत्तरी क्षेत्र के राज्यों को खास प्राथमिकता दिए जाने की योजना है।

यही स्थिति राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अर्थात एनआरएलएम की भी है । गत वर्ष इस पर कुल 4000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की व्यवस्था की गई थी । पूर्व में मिशन में केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन (बीपीएल) करने वाले परिवारों को ही शामिल किया जाता था । इस प्रावधान को शिथिल करते हुए इसे अब सभी वर्ग के ग्रामीण अकुशल युवाओं के लिए खोल दिया गया है। नक्सल प्रभावित 82 जिलों समेत 150 जिलों में महिला स्वयं सहायता समूहों को रियायती दर पर ऋण भी दिया जाने को कहा गया था । योजना के अनुसार ब्याज सब्सिडी का बोझ केंद्र सरकार उठाएगी। देश के अन्य जिलों के महिला स्वयं सहायता समूह सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) को भी इसी दर से कर्ज मिलेगा। उसमें केंद्र की हिस्सेदारी 75 फीसदी होगी। एनआरएलएम का प्रदर्शन दक्षिण भारत के चार राज्यों में बहुत अच्छा रहा है। इसको देखते हुए उत्तर व मध्य क्षेत्र में आजीविका मिशन को प्राथमिकता दी जा रही है । भारत में निर्धनता और बेरोजगारी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर स्किल डेवलपमेंट अर्थात दक्षता विकास कार्यक्रम को लागू करना होगा। इसके लिए केवल पाठ्यक्रमों में थोड़े-बहुत बदलाव से काम नहीं चलेगा। भारत में अभी जारी पाठ्यक्रमों और शिक्षा व्यवस्था को व्यापक रूप से परिवर्तित करने की आवश्यकता है। आवश्यकता इस बात की भी है कि देश में उद्यमिता की भावना को बढ़ावा दिया जाए। ऐसा नहीं है कि अभी हमारे युवाओं में उद्यमिता की भावना की कोई कमी है। भारतीय नागरिक पारंपरिक और ऐतिहासिक रूप से उद्यमी और इनोवेटिव अर्थात प्रयोगधर्मी रहे हैं।

भारतीय शैक्षणिक व्यवस्था में औपनिवेशिक शासन की कुप्रवृत्तियों को ढोते रहने के कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार की उद्यमशीलता और प्रयोगधर्मिता से दूर होती चली गई है। फिर भी भारतीय जनमानस में उद्यमिता की भावना को सर्वत्र जमीनी स्तर पर देखा जा सकता है। भारतीय लोकजीवन में सदैव से ही कृषि को सर्वोत्तम माना गया है। जब कृषि को उत्तम माना गया है, तो निश्चित रूप से देश में कृषि के उपयुक्त एक ऐसा समय देश में अवश्य रहा होगा। निश्चय ही उस समय किसी भी स्थिति में किसानों के आत्महत्या करने जैसी नौबत भी नहीं आती होगी। कृषि स्वयं में एक प्रयोगधर्मी उद्यम है। पंडित दीनदयाल , मोहन दस करमचन्द गांधी ने समय –समय पर ग्रामीण कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की बात की थी। कृषि और उद्योगों की ओर आज भी युवाओं का आकर्षण कुछ कम नहीं है। अंग्रेजों के जमाने के ब्रिटिश कानून आज भी देश में ढोए जा रहे हैं और इनकी वजह से बड़ी संख्या में युवाओं को कृषि तथा अन्य प्रयोगधर्मी व उद्यमशील कार्यों से नहीं जोड़ा जा सका है। खासकर औद्योगिक क्षेत्र पर विभिन्न कानूनों के जरिये लालफीताशाही इस तरह हावी है कि किसी नए व्यक्ति के लिए व्यवसाय में उतरना आसान काम नहीं है। बुनियादी ढांचे के अभाव के कारण कृषि और उद्योग क्षेत्र का व्यापक विकास भारत में नहीं हो पा रहा है। देश के सांसद अपने में मस्त हैं और जनता पस्त है । चुने हुए प्रतिनिधियों को मतदाताओं व गरीब जनता का ख्याल रखना चाहिए। कड़वी दवाई खाने का ठेका क्या सिर्फ गरीब जनता को है? जिस दिन देश के प्रतिनिधियों को मिलने वाली बिजली, पानी, टेलीफोन, हवाई यात्रा, रेल यात्रा, बंगले आदि अन्य सुविधाएं बंद हो जाएंगी, उसी दिन भूखे पेट रह रहे गरीबों को दो वक्त की रोटी मिल सकती है। वहीं माननीयों के पेंशन-भत्तों पर कोई रोक नहीं है। यह कहां तक तर्कसंगत है? स्वाधीन कहे जाने वाले भारत में ये भेदभाव क्यों? संपन्न और धनाढ्य लोगों को सब्सिडी ही नहीं, बल्कि आरक्षण का भी त्याग करना चाहिए। जहां तक हो सके, इस गैर जरूरतमंद तबके को मिलने वाली अन्य सुविधाओं का भी त्याग कर देना चाहिए। यही देश के हित में होगा ।








-सुवर्णा सुषमेश्वरी-

​व्यंग्य : जय - वीरू का ये कैसा वनवास...!!

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सत्तर के दशक की सुपरहिट फिल्म शोले आज भी यदि किसी चैनल पर दिखाई जाती है तो इसके प्रति द र्शकों का रुझान देख मुझे बड़ी हैरत होती है। क्योंकि उस समय के गवाह रहे लोगों का इस फिल्म की ओर झुकाव तो समझ में आता है लेकिन नई पीढ़ी का भी इस फिल्म को चाव से देखना जरूर कुछ सवाल खड़े करता है। मैं सोच में पड़ जाता हूं कि  नई पीढ़ी के लोग आखिर  करीब चार दशक पहले बनी इस फिल्म के साथ इतना जुड़ाव कैसे महसूस कर पा रहे हैं। क्योंकि अब न तो गब्बर सिंह की तरह देश में डाकू की कोई  समस्या है और न ही अब ठाकुर जैसे जमींदार बचे हैं। वीरु , जय, बसंती और अंग्रेजों के जमाने के जेलर जैसे किरदार भी अब फिल्मी प र्दे पर कहीं नजर नहीं आते। इसके बावजूद इस फिल्म के प्रति लोगों के जुड़ाव का एकमात्र कारण है इसके पात्रों के साथ लोगों की कनेक्टीविटी। 

क्योंकि आज के दौर के लिहाज से देखें तो वीरु और जय जैसे सहज - सरल  पात्रों को फिल्म जगत ने एक तरह से लंबे वनवास पर ही भेज दिया है।शायद ऐसे किरदारों के लिए रुपहले प र्दे पर अब कोई जगह बची ही नहीं। क्योंकि वीरू और जय न तो एनआरआइ हैं और न ही महात्वाकांक्षी। उनके साथ ऐसा कोई बड़ा स्टारडम या विवाद भी नहीं जुड़ा है जिसे भुना कर अपनी तिजोरी भरी जा सके। आज के दौर में तो बस बायोपिक के नाम पर चंद च र्चित - विवादित सेलीब्रेटी ही बचे हैं। इन पर फिल्म बनाने के लिए जितनी रकम खर्च करनी पड़े, करने को एक वर्ग तैयार है। शर्त बस इतनी है कि आदमी व्यावहारिक जीवन में सफलता के झंडे गाड़ चुका हो। जिसे लेकर फिल्म बनाई जा रही है उसका निजी जीवन यदि विवादों से भरा हो तो और भी अच्छा। क्योंकि इसकी आड़ में वो हर कला दिखाई जा सकती है जिसकी एक वर्ग को चाह रहती है। जिसके बल पर फिल्में बिकती और कमा पाती है।बेशक नीरजा और पाकिस्तान के जेल में लंबे समय तक यातना झेलने वाले सरबजीत सिंह पर बन रही फिल्म को इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।लेकिन दुर्भाग्य से  बायोपिक के नाम पर फिल्म के केंद्र में रहने वाले शख्स के श्याम पक्ष को न्यायोचित ठहराना भी इसे बनाने वालों के लिए बाएं हाथ का खेल हो गया है। एक तरह से फिल्म बनाने वाले उस शख्सियत के वकील बन जाते हैं जिसके जीवन पर फिल्म बनाई जा रही है। भई सीधी सी बात है फिल्म यदि ऐसे व्यक्ति पर बन रही है जो सशरीर उपस्थित है तो वो तो फिल्म का प्रोमो से लेकर दि इंड तक देखेगा ही । यदि कुछ भी उसके मन के अनुकूल नहीं हुआ तो झट मुकदमा भी ठोंक देगा। लिहाजा फिल्में वैसे ही बन रही है जैसा इसके पीछे खड़ी ताकतें चाह रही है। 

पता नहीं कितनी ही फिल्मों में देखा गया कि मोस्ट वांटेंड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम को फिल्म बनाने वालों ने महिमामंडित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। उसकी ऐयाशियों को रंगीनमिजाजी बता कर बचाव की कोशिश की गई तो क्रूरता व विश्वासघात को महात्वाकांक्षा से जोड़ कर पेश किया जाता रहा। यह जतलाने की कोशिश की जाती रही कि बंदा बुरा नहीं है लेकिन थोड़ा महात्वाकांक्षी है और इसके लिए किसी भी सीमा तक जाने को हमेशा तैयार रहता है। हाल में एक विवादित क्रिकेट खिलाड़ी के जीवन पर बनी फिल्म में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। उसकी काली करतूतों को भी न्यायोचित ठहराने की कोशिश की जाती रही।  मुझे आश्चर्य है कि बायोपिक के नाम पर एक ओर तो धड़ाधड़ चुनिंदा लोगों पर फिल्में बन रही है। सचिन तेंदुलकर से लेकर मेरीकाम , महेन्द्र सिंह धौनी और अजहरूद्दीन तक पर फिल्में या तो बन चुकी या बन रही है। लेकिन किसी भी फिल्म निर्माता की दिलचस्पी हॉकी के जादूगर ध्यानचंद पर फिल्म बनाने में नहीं है। जिन्होंने सीमित संसाधनों में देश का नाम दुनिया में रोशन किया। बदले में उन्हें वह कुछ भी नहीं मिला जो आज के खिलाड़ियों को मिल रहा है। 





तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
जिला प शिचम मेदिनीपुर 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

ट्विटर लिंक एवं फोटो को कर सकता है अक्षरसीमा से बाहर

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कैलिफोर्निया 17 मई, माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर उपभोक्ताओं को ट्वीट लिखने में सहुलियत देने के मद्देनजर 140 अक्षरों के बंधन से फोटो एवं लिंक को शीघ्र ही बाहर कर सकता है। कारोबार एवं बाजार संबंधी जानकारी मुहैया कराने वाले वेबसाइट ब्लूमबर्ग ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ट्विटर उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि की रफ्तार थमने के कारण यह कदम उठा रहा है। 

ट्विटर इंक के मुख्य कार्यकारी जैक डोर्सी ने भी हाल ही में कहा था कि नये उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए कंपनी अपने उत्पाद को सरल बना सकती है। उल्लेखनीय है कि लिंक एवं फोटो एक ट्वीट की अक्षरसीमा को 140 से 23 कम कर 117 कर देता है। इससे किसी लेख या कोई अन्य सामग्री शेयर करने में उपभोक्ताओं को असुविधा होती है। हाल के कुछ महीनों में ट्विटर के उपभोक्ताओं की संख्या में गिरावट हुई है। इसके शेयर भी पिछले साल की तुलना में 70 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं।

कश्मीर में दो आतंकवादी ढेर

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श्रीनगर 17 मई, कश्मीर घाटी में आज दो मुठभेड़ों में दो आतंकवादी मारे गये , जिनमें हिजबुल मुजाहिदीन का एक कमांडर भी था। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल एन एन जोशी ने बताया कि 42वीं राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू -कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह ने दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में पाहलीपोरा गांव में आज तड़के एक संयुक्त अभियान शुरू किया था। अभियान के दौरान सुरक्षा बल के जवान गांव के एक हिस्से की घेराबंदी कर रहे थे तभी आतंकवादियों ने उन पर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में जवानों ने भी गोलियां चलाई, जिसमें एक आतंकवादी मारा गया। 

उन्होंने बताया कि मृत आतंकवादी की पहचान हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर फारूक अहमद शेख उर्फ इखलाक के रूप में की गई है। आतंकवादियों के कब्जे से एक एके राइफल और अन्य हथियार बरामद किये गये हैं। कर्नल जोशी ने बताया कि इससे पहले संयुक्त दल ने कुपवाड़ा जिले में चौकीबल के वन्य क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के आधार पर कल रात अभियान छेड़ा। इसी दौरान मुठभेड़ में एक आतंकवादी की मौत हो गई । हालांकि मारे गये आतंकवादी का शव अभी बरामद नहीं किया जा सका है। अंतिम रिपोर्ट मिलने तक मुठभेड जारी रहने की सूचना है।

एमसीडी चुनाव में जीत का श्रेय राहुल को : माकन

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नयी दिल्ली, 17 मई, दिल्ली में तीनों निगमों के 13 वार्डों में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन पर खुशी जाहिर करते हुए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने इसका श्रेय पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दिया है। श्री माकन ने एमसीडी की 13 सीटों पर हुए उपचुनाव में से चार पर कांग्रेस को मिली जीत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आज कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम के साथ ही श्री गांधी के दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देने और उसे सुलझाने के लिए की गई पहल का दिल्ली की जनता ने चुनाव में प्रतिदान किया है। 

दिल्ली में फिर से अपना राजनीतिक आधार तलाश रही कांग्रेस ने उपचुनाव में चार सीटें जीतकर शानदार वापसी की है। आम आदमी पार्टी (आप) को पांच और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तीन सीटों पर तथा एक निर्दलीय उम्मीदवार को विजय मिली है। लंबे समय से एमसीडी में सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को चार सीट मिलना पार्टी की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ी थी। राजनीतिक जानकारों की माने तो इस बार एमसीडी के नतीजों को अगले साल होने वाले एमसीडी चुनाव से पहले सेमीफाइनल की नजर से देखा जा सकता है। दूसरी ओर इन नतीजों ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है क्योंकि भाजपा कई सालों से एमसीडी पर काबिज है। भाजपा तीनों नगर निगम में सत्ता में है और उसे मात्र तीन वार्ड मिले हैं। अगले साल एमसीडी के चुनाव के मद्देनजर ये नतीजे भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते ।

हाईकोर्ट ने सुशील ट्रायल मामले पर फेडरेशन से मांगा जवाब

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नयी दिल्ली,17 मई, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की 74 किग्रा वर्ग में ट्रायल कराने की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुये भारतीय कुश्ती महासंघ और सरकार से जवाब मांगा है। सुशील ने नरसिंह के साथ ट्रायल कराने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। कुश्ती महासंघ ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को रियो ओलंपिक के लिये क्वालिफाई करने वाले पहलवानों की जाे सूची भेजी थी उसमें 74 किग्रा वर्ग में सुशील का नाम नहीं था। 

उच्च न्यायालय ने सुशील की याचिका पर सुनवाई करते हुये फेडरेशन और सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने फेडरेशन से कहा है कि वह इस मामले में अपने स्टैंड को लेकर 27 मई तक अपना जवाब दे। हालांकि फेडरेशन ने अदालत में नरसिंह के प्रदर्शन का हवाला देते हुये उसे सुशील से बेहतर पहलवान बताया। इस बीच सुशील के गुरु महाबली सतपाल ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा,“ कोर्ट ने फेडरेशन से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 27 मई तय की है। मामला अदालत के विचाराधीन है इसलिये मेरा अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा लेकिन हमारी उम्मीदें कायम हैं।”

जल्द बनेगी नयी शिक्षा नीति : स्मृति ईरानी

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नयी दिल्ली 17 मई, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज कहा कि देश में शीघ्र ही एक व्यापक राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनायी जाएगी जिसके लिये एक समिति का गठन किया गया है। श्रीमती ईरानी ने आकाशवाणी को एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि नयी शिक्षा नीति के संबंध में गठित समिति की ओर से एक पखवाड़े के भीतर अपनी मसौदा नीति प्रस्तुत कर दिये जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नयी नीति का फार्मूला दो लाख से अधिक ग्रामीण शिक्षा परिषदों और करीब 1500 शहरी स्थानीय निकायों सहित विभिन्न क्षेत्रों से मिले अभिवेदन के आधार पर तैयार किया जा रहा है। दस हजार से अधिक गांवों की ओर से लिखित अभिवेदन भेजे जा चुके हैं जिसमें उनकी आवश्यकताओं को रेखांकित किया गया है। 

उन्होंने कहा कि मानव संसाधन मंत्रालय शीघ्र ही एक वेबपोर्टल भारतवाणी लांच करेगा जिसमें 22 भारतीय भाषाओं में विषय रहेंगे तथा अगले वर्ष तक इसे सौ भाषाओं में विस्तारित किया जायेगा। इसके साथ ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) की ओर से छह अनुसंधान पार्क स्थापित किये जायेंगे। उन्होंने जोर दिया कि उनके मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और इसे उनके वहन के योग्य बनाना है। हैदराबाद यूनीवर्सिटी के एक शोध छात्र की आत्महत्या मामले के संदर्भ में श्रीमती ईरानी ने कहा कि यह मुद्दा राजनीति से प्रेरित है तथा उनके मंत्रालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राजनीतिक मकसद के लिये विश्वविद्यालयों का उपयोग न हो और ये शिक्षा के मंदिर बने रहें। देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिये द्वार खोले जाने के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि विदेशी विश्वविद्यालय किसी भारतीय संस्थान के साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के समस्त कानूनों के तहत ही संचालित किये जा सकेंगे।

कांग्रेस की वापसी, भाजपा और आप को झटका

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नयी दिल्ली, 17 मई, दिल्ली में फिर से अपना राजनीतिक आधार तलाश रही कांग्रेस ने आज तीनों निगमों के 13 वार्डों में हुए उपचुनाव में चार सीटें जीतकर शानदार वापसी की। आम आदमी पार्टी (आप) को पांच और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तीन सीटों पर तथा एक निर्दलीय उम्मीदवार को विजय मिली है। कांग्रेस ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के दोनों वार्ड खिचड़ीपुर और झिलमिल के अलावा मुनिरका और कमरुद्दीन नगर पर जीत हासिल की। भाजपा के खाते में शालीमार बाग उत्तर, वजीरपुर और नवादा आये। आप ने तेहखंड, विकास नगर, मटियाला, बल्लीमारान और नानकपुरा वार्डों पर जीत हासिल की। निर्दलीय राजेन्द्र सिंह तंवर भाटी से जीते हैं। 

पिछले साल हुए दिल्ली विधानसभा के चुनावों में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने इन 13 वार्डों में जोरदार बढ़त प्राप्त की थी। भाजपा के पास 13 वार्डों में से पहले सात वार्ड थे लेकिन इस बार वह केवल तीन पर ही जीत हासिल कर पायी। दिल्ली में 15 वर्ष से शासन चला रही कांग्रेस विधानसभा चुनाव में पूरी तरह साफ हो गयी थी और इन उपचुनावों के जरिए वह दिल्ली में फिर से अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी है। भाजपा के भूपेन्द्र मोहन भंडारी शालीमार बाग से 1451 मतों से, डॉक्टर महेन्द्र नागपाल वजीपुर से 3608 और कृष्ण गहलोत 4843 मतों से जीते हैं। मुनिरका से कांग्रेस की योगिता राठी 771, कमरुद्दीन नगर से अशोक भारद्वाज 7434, खिचड़ीपुर से आनन्द कुमार 1109 और झिलमिल से कांग्रेस के ही पंकज लूथरा 2419 वोटों से विजयी हुए हैं। तेहखंड से आप के अभिषेक बिधूड़ी 1555, विकास नगर से अशोक कुमार 1120, मटियाला से रमेश 753, बल्लीमारान से मोहम्मद सादिक 2066 और नानकपुरा से अनिल मलिक 522 मतों से जीते हैं। भाटी से निर्दलीय राजेन्द्र सिंह तंवर 3152 वोटों से जीते हैं। भाजपा ने तीन पूर्व विधायकों विनोद कुमार बिन्नी, जितेन्द्र शंटी और महेन्द्र नागपाल को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से केवल श्री नागपाल विजयी हो सके।

रघुराम राजन को तुरंत बर्खास्त करें मोदी : स्वामी

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नयी दिल्ली 17 मई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी को पत्र लिखकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को “तुरंत बर्खास्त” करने की मांग की है। डॉ.स्वामी ने श्री राजन पर भारतीय अर्थव्यवस्था को जानबूझ कर नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है और कहा है कि वह अमेरिकी ग्रीनकार्ड धारक हैं और मन से पूर्णत: भारतीय नहीं है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मुद्रास्फीति काबू में रखने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की उनकी सोच “घातक” है। 

वह यह देखकर हतप्रभ हैं कि डॉ राजन किस प्रकार से भारतीय अर्थव्यवस्था को जानबूझ कर गलत इरादे से नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने लिखा कि डा.राजन के इन कदमों ने उन्हें यह मानने के लिए मजबूर कर दिया कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने वाले व्यक्ति की बजाय उसे क्षति पहुंचाने का काम कर रहे हैं। श्री राजन अमेरिका द्वारा प्रदत्त ग्रीनकार्ड धारक हैं तथा वह इसलिये वह मन से पूरी तरह से भारतीय नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर रहते हुए ग्रीन कार्ड का नवीकरण कराने के लिए साल में एक बार अमेरिका की अनिवार्यता के पालन की जरूरत क्यों पड़ती।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (17 मई)

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स्पर्श रथ को दिखाई हरी झण्ड़ी 

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सामाजिक न्याय विभाग सीहोर द्वारा ग्रामोदय से भारत उदय अभियान अंतर्गत जनपद पंचायत इछावर को 21 ट्रायसिकल प्रदाय की गई है। यह  ट्रायसिकल कलेक्टर डाॅ सुदाम खाडे के निर्देशानुसार दिव्यागों को स्वयं के ग्राम में स्पर्श रथ के माध्यम से प्रदाय की जाएगी। जनपद पंचायत इछावर अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश वर्मा, कृषि स्थाई समिति इछार अध्यक्ष एवं जनपद सदस्य देवेंद्र वर्मा (बब्लू भैया), जनपद पंचायत इछावर सीईओ श्री संजीत कुमार श्रीवास्तव, खण्ड़ पंचायत अधिकारी श्री पीसी भावसार, एडीईओ श्री पीके श्रीवास्तव द्वारा आज स्पर्श रथ को हरी झण्ड़ी दिखाकर ग्राम पंचायतों के लिए रवाना किया गया। ग्राम पंचायत के माध्यम से दिव्यागों को ट्रायसिकल वितरण किया जाएगा। 

महाविद्यालय में प्रवेष मेले का आयोजन आज

चंद्रषेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय सीहोर में ‘‘काॅलेज चले अभियान’’ के अंतर्गत प्रवेष मेले का आयोजन 18 मई,2016 को सुबह 11ः00 बजे से किया जाएगा। प्रवेश मेले में जिले के शासकीय, अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्राचार्यो/प्रतिनिधियों को विद्यार्थी एवं उनके पालको /अभिभावकों के साथ आमंत्रित किया गया है। काॅलेज में आयोजित प्रवेष मेले में नगर सहित सुदूर क्षेत्र के विद्यार्थियों को प्रवेष संबंधी, छात्रवृत्ति योजनाओं की जानकारी एवं काॅलेज में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं गतिविधियों से संबंधित जानकारी प्रदान की जायेगी। राज्य शासन द्वारा विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधायें तथा आर्थिक सहयोग, प्रोत्साहन से संबंधित विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध कराई जायेगी। 

राजनीति के विरल पुरुष थे शखावत : लवली

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सहरसा, संवाददाता। पूर्व सांसद लवली आनंद ने पुर्व उपराष्ट्रपति के आठवीं पुण्य तिथि पर अपने कार्यालय मंे आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वे पगडंडियों से राजपथ तक पहुंचने वाले राजनीति के विरल पुरुष थे। जिन्होंने ठेठ राजस्थानी ठसक के साथ राजनीति अपने शतों पर की। वे पहले आमचुनाव 1952 से लगातार दस बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1974 से 1977  तक एक बार राज्यसभा के सांसद तथा तीन बार नेता प्रतिपक्ष और तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और एक बार उपराष्ट्रपति चुने गये। उन्होंने कहा कि वे आनंद मोहन जी को पुत्रवत प्यार करते थे और मुझे पुत्रवधु का सम्मान देते थे। यही कारण है कि हमारे आमंत्रण पर वे हमारे घर पंचगछिया तक पहुंचे, जहंा उन्होंने कोसी के गांधी महान स्वतंत्रता सेनानी स्वः रामबहादुर बाबू के स्मारक का शिलान्यास किया। 

पूर्व सांसद ने कहा कि वे जनसंध काल से भाजपा के त्रिदेवों मेें दूसरे थे, जो अभावों के मध्य सड़क से सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले भारत के महान सपूतों में से एक थे। जिनके मन में सदैव गांव-गरीब और किसानों का दर्द रहता था। इस मौके पर छात्र हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष चेेतन आनंद, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डा ़ रामनरेश सिंह, गोपाल प्रसाद सिंह, बाबाजी सिंह, ई रमेश कुमार सिंह, बीरेन्द्र कुमार सिंह, अनिता कुशवाहा, मुकूल सिंह, अधिवक्ता संगीता सिंह,राजन आनंद, विनय यादव, अनिमेश, अकित, इफ्तेखार आलम, अर्जुन कुमार सहित विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवि मौजूद थे। कार्यक्रम के मौके पर सिवान में मारे गये पत्रकार राजदेव को भी श्रद्धांजलि दी गयी। 


बेगुसराय (बिहार) की खबर (17 मई)

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 गलत दावे के बीच सी डी पी ओ मटिहानी

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अरूण कुमार,मटिहानी,बेगूसराय।समेकित बाल विकास परियोजना की सेविकाएं,सहायिकाएं और बच्चे आंगन वाड़ी केन्द्र सह बाल विकास परियोजना की अजीबोग़रीब हालातों पर एक नजर,मटिहानी प्रखण्ड के 149 केन्द्रों पर नजर डाली जाए तो कुछेक केन्द्रों को छोड़कर बाकी सभी केन्द्रों की एक ही हालात है,और वो हालात कुछ इस प्रकार है कि उपरी आदेशानुसार आंगनवाड़ी केन्द्रों के खुलने का समय 7:30 है और छुट्टी का समय 11:30 है जबकि समेकित बाल विकास परियोजना खरिदी केन्द्र संख्या 134 पर 9:50 तक कोई नहीं थी सेविका और सहायिका के  बारे में पूछने पर पता चला कि इस केन्द्र की सेविका अपने मर्जी की मालकिन है,जब मर्जी होता है केन्द्र पर आती है नहीं मर्जी होने पर नहीं आती यहाँ बोलने वाला तो कोई है ही नहीं।उक्त बात अपने बच्चे को केन्द्र पर पहुँचाने आईं ग्रामीण महिला,पुतुल देवी,पति :- मुन्नू राम ,खरीदी ने बताई।इस केन्द्र की सेविका अनिता कुमारी से मिलने पर बताईं कि घर में मेहमानों के आने से आज जल्दी छूट्टी दे दिया जबकि इन बातों में कितनी सच्चाई है वो पुतूल देवी की बातों से ही स्पष्ट हो जाता है। अब आपको बाल विकास परियोजना पदाधिकारी महोदया श्रीमती कविता से प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी केन्द्र सही ढंग से चल रहे हैं। हमें अपने सेविका और सहायिकाएं से कोई शिकायत नहीं।मैडम आगे बताती हैं कि हमारे सभी सेन्टरों पर स्कूल  पूर्व बच्चों को 0 माह से 6 माह तक के बच्चों को और 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों को पोषाहार के लिए सुखा अन्न दिया जाता है उसमें भी जो अति कुपोषित है उसे 4 किलोग्राम चावल 2 किलोग्राम दाल और 350 ग्राम सोयाबड़ी दिया जाता है और जो सामान्य है उसके लिए 2.5 किलोग्राम चावल और 1250 ग्राम दाल दिया जाता है।ऐसा हमलोगों को उपर से ही निर्देश है। हमारे सभी केन्द्रों पर टीका करणों की भी पूर्ण व्यवस्था है। प्रत्येक सेन्टरों का अपना रोस्टर बना हुआ है और प्रत्येक सेन्टर पर ए एन एम के द्वारा टीका करण किया जाता है। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं से उपर के बच्चों के लिए विभिन्न तरहों के  टीकों का नि:शुल्क व्यवस्था है। मीसा इन्द्रधनुष के तहत स्पेशल टीकाकरण भी करवाया गया है वैसे तो यह व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग का है लेकिन इसमें सेविकाओं का सहयोग रहता है। मैडम ने कहा कि हमने मुख्य मंत्री कन्या सुरक्षा योजना पर भी कार्य किया है।इस योजना के तहत बी पी  एल परिवारों के 01 / 03 वर्षों के कन्याओं का खाता यूको बैंक मे खुलवाकर उसमें 2000 रुपये फिक्स कर दिया जाता है जो कि नामित कन्या जब 18 वर्ष की होगी तो उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए 10-11 हजार रुपए बैकों द्वारा दिए जाएंगे। केन्द्र के बारे मे बताती हैं कि प्रत्येक केन्द्र को 232 किलोग्राम चावल और 14075 रूपये वितरण और स्कूलों के बच्चों के पोषाहार हेतु दिया जाता है। 149 केंद्रों में कुछ केन्द्र को छोड़ कर सभी केन्द्र की स्थिति काफी दयनीय है पर सी डी पी ओ कविता जी का ये दावे के साथ कहना कि सारे केन्द्र बहुत ही सुव्यवथित रुप से चल रहा है गलत होगा या है।उनका ये दावा इसीलिए है कि उन्हें पता है कि इस पर कोई कार्रवाई नहीं होना है क्योंकि सब कुछ, सारा ऑफिस,अधिकारी मैनेज है,उनका ये आत्म विश्वास गलत या बेबुनियाद नहीं है।सरकारी अनुदानित जो भी योजनाएं हैं वो हैं ही लूट खसोट के लिए। जब तक सोयी जनता नहीं जागेगी तब तक इस तरह कि ग्रामीण या जनता से जुड़ी परियोनाओं का यही हाल होगा।तब तक जनता के जागने का इन्तजार , इन्तजार और बस इन्तजार करना होगा।

सिवान में सशक्त माध्यम जनमत की हत्या

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प्रद्योत कुमार,बेगूसराय।सिवान में हिन्दुस्तान के पत्रकार राजदेव् रंजन की हत्या के खिलाफ बिहार के कई ज़िलों में लगातार प्रतिरोध मार्च निकाला गया,बेगूसराय ज़िला के प्रतिरोध मार्च में,ज़िला के तमाम पत्रकार,समाजसेवी,रंगकर्मि एवं सम्मनित नेता भी शामिल थे,इस विरोध मार्च में बेगूसराय सांसद श्री भोला सिंह भी शामिल थे।सब ने इस हत्या का कड़ा विरोध जताया और जल्द से जल्द अपराधी को सजा देने की मांग की,फिलहाल तो बिहार सरकार के द्वारा दिये जा रहे वक्तव्य पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के खिलाफ जा रहा है एवं उनके परिजनों और संतति को पूरा सहयोग करने की भी बात हो रही है,शायद ये आश्वासन सच हो जाय। पत्रकारिता जैसा असुरक्षित पेशा,ना ना,पेशा तो इसे कह ही नहीं सकते हैं क्योंकि क्षेत्रिय पत्रकारिता में  अखबार या न्यूज़ चैनल के मैनेजमेंट ने इसे विशुद्ध रूप से अव्यवसायिक रोज़गार में बेरोजगार बना दिया है चूंकि किसी भी पत्रकार को वेतन तो दिया नहीं जाता है सिवाय एक क़लम के वो भी अपना,खैर।हम पत्रकारिता की रोज़गार में आकर बेरोज़गार होने के भ्रम से छुटकारा अवश्य पा लेते हैं और खुद को सुरक्षा के दायरे से बाहर कर लेते हैं,जबकि ये व्यवसाय नहीं सामाज सेवा है अभी के इस आर्थिक युग में लेकिन पत्रकारिता एक जुनून भी है,विरोध की भाषा बोलने की,अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की आत्मसंतुष्टि भी है।हम कार्य करते है सरकार और जनता की एक कड़ी के रूप में तो सवाल ये उठता है कि हमारी सुरक्षा कौन करे,सरकार या जनता,लेकिन जनाब कहने को हैं हम चौथा स्तम्भ,मिलता क्या है,कभी गोली कभी बम, कभी सरकारी तंत्र से हड़कंप,सच में यही हाल है पत्रकारों की।अगर इस हत्या के विरोध में हत्यारे को मौत को भी डरा देने वाली सज़ा नहीं मिली तो कल फिर एक जनमत के क़लम का सिपाही,समाजसेवी पत्रकार किसी सड़क के किनारे मारा जाएगा और पूरा देश,राज्य मिलकर प्रतिरोध मार्च निकालेंगे और विभिन्न चैनलों पर अपनी-अपनी बातों के वाण दर्शक और पाठक के बीच दुःखी होकर छोड़ेंगे। पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या ने आगाह किया है कि सम्भल जाओ ऐ क़लम के सिपायों,क्योंकि बड़े बड़े मिडिया हाउसेस के पीछे जो चेहरे हैं वो हमारे नहीं हैं।

मधुबनी : खुटौना व लदनियां में मतदान आज

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मधुबनी : पंचायत आम निर्वाचन 2016 के सातवें चरण के चुनाव में खुटौना व लदनियां प्रखंड के 33 पंचायतों के लिए बुधवार को मतदान होगा. दोनों प्रखंड में 225769 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदान कार्य को संपन्न कराने के लिए खुटौना एवं लदनियां प्रखंड से चुनाव कर्मी मतदान केंद्रों के लिए रवाना हो गये हैं. वहीं जिला पुलिस केंद्र से सुरक्षा बल मतदान केंद्र के लिए मंगलवार को रवाना हुए. लदनियां प्रखंड के 15 पंचायतों में कुल मतदाताओं की संख्या

105986 हैं. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 55996 एवं महिला मतदाताओं की संख्या 49986 हैं. खुटौना प्रखंड 129833 मतदाता हैं इनमें पुरुष मतदाता 67834 एवं महिला मतदाता 61996 हैं. लदनियां प्रखंड के 15 पंचायतों में 127 भवनों में 214 मतदान केंद्र हैं इनमें 213 वार्ड में चुनाव होना हैं. वहीं खुटौना के 18 पंचायतों में 163 भवनों पर 260 मतदान केंद्र बनाये गये हैं. यहां 257 वार्ड में चुनाव होना है. आज होने वाले मतदान में जिला परिषद के 49 पंचायत समिति सदस्य के 279, मुखिया पद के 352, सरपंच पद के 192, ग्राम पंचायत सदस्य के 1155 एवं ग्राम कचहरी पंच के 683 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.

मधुबनी : मुखिया व सरपंच के एक एक पद पर चुनाव स्थगित

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  • पंचायत चुनाव. सातवें चरण में आज होना था मतदान 

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मधुबनी : खुटौना प्रखंड के सातवें चरण में होने वाले चुनाव के दो पदों का चुनाव स्थगित कर दिया गया है. इसमें एक पद    कारमेघ उत्तरी पंचायत के मुखिया पद का  एवं दूसरा पद सिकटियाही के सरपंच पद का है.  मिली जानकारी के अनुसार कारमेघ उत्तरी पंचायत के एक मुखिया पद के अभ्यर्थी का नामांकन रद्द   किये जाने के बाद उक्त अभ्यर्थी ने कोर्ट में मामला दर्ज करायी थी. जिस पर न्यायालय ने तत्काल चुनाव को स्थगित करने का आदेश दिया है. वहीं सिकटियाही के एक सरपंच पद के अभ्यर्थी की मौत हो गयी.

जिस कारण सिकटियाही के सरपंच पद का चुनाव स्थगित कर दिया गया है. खुटौना प्रखंड के कारमेघ उत्तरी पंचायत के चुनाव में बुधवार को होने वाले मतदान में मुखिया पद के चुनाव को उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगित कर दिया गया है. अब इस पंचायत में मुखिया पद के चुनाव के लिए बाद में तिथि का निर्धारण किया जाएगा. उक्त जानकारी डीपीआरओ पंचायती राज विभाग तारिक इकबाल ने दी. उच्च न्यायालय द्वारा उक्त कार्रवाई आमिर  जफर द्वारा दायर याचिका सीडब्लू जेसी 8232/16 के आलोक में किया गया है. 

क्या है मामला : निर्वाची पदाधिकारी खुटौना द्वारा मुखिया पद के एक प्रत्याशी आमिर  जफर का नामांकन रद्द किये जाने के विरोध में उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर किया गया था. सरपंच पद का चुनाव की स्थगित : खुटौना प्रखंड में ही ग्राम पंचायत सिकटियाही के सरपंच के प्रत्याशी रामप्रीत राम की मृत्य 12 मई को हो जाने के कारण उक्त पंचायत के सरपंच पद के चुनाव को स्थगित किया गया है. पंचायत निर्वाचन नियम 50 के तहत उक्त पंचायत के सरपंच पद के चुनाव को स्थगित किया गया है. उक्त चुनाव का मतदान कल 18 मई को पूर्व निर्धारित था. जिला पंचायती राज पदाधिकारी तारिक इकबाल ने इसकी जानकारी दी. 

दो दिन के अनशन के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंहस्थ स्नान के लिए रवाना

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भोपाल, 18 मई, मध्यप्रदेश के उज्जैन में हो रहे सिंहस्थ में जाने की मांग को लेकर दो दिन तक अनशन पर बैठीं रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कुछ देर पहले सिंहस्थ के लिए रवाना हो गईं। मालेगांव विस्फोट में एनआईए से क्लीनचिट पा चुकीं साध्वी प्रज्ञा को सिंहस्थ में जाने की अदालत से अनुमति मिलने के बाद भी प्रशासन उन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देकर वहां ले जाने में आनाकानी कर रहा था। इसके चलते वे खराब स्वास्थ्य के बावजूद दो दिन अनशन पर बैठीं थीं। लंबी मशक्कत के बाद प्रशासन ने कल रात उन्हें सिंहस्थ ले जाने पर सहमति व्यक्त की, इसके बाद आज उन्हें क्षिप्रा स्नान के लिए ले जाया गया है। 

अस्पताल सूत्रों के मुताबिक साध्वी प्रज्ञा को सुबह लगभग साढे 11 बजे उज्जैन ले जाया गया है। उनके साथ काफी संख्या में पुलिस बल, जीवनरक्षक सुविधाओं से युक्त एंबुलेंस, डॉक्टरों का दल और अन्य जरूरी सामान भेजा गया है। सूत्रों ने बताया कि उन्हें क्षिप्रा स्नान के बाद महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन कराया जाएगा। प्रशासन ने दोनों कार्यक्रम संपन्न होने के बाद उन्हें वापस भोपाल लाने पर सहमति व्यक्त की है। खराब स्वास्थ्य स्थितियों से जूझ रहीं साध्वी प्रज्ञा की रीढ की हड्डी खासी क्षतिग्रस्त हो गई है। इसके अलावा उन्हें शल्यक्रिया की भी आवश्यकता है। दो दिन से अनशन के कारण उनका ग्लूकोज लेवल कम होने के साथ उन्हें कमजोरी भी आ गई थी। ऐसे में ज्यादा समय तक अनशन उनके स्वास्थ्य पर और प्रतिकूल असर डाल सकता था।

आखिरकार मिल गई लखनऊ को पहली महिला एसएसपी

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लखनऊ 18 मई, सुश्री मंजिल सैनी के रूप में देश की आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक(एसएसपी) के पद पर पहली महिला अफसर की तैनाती आखिरकार हो गई है। ‘लेडी सिंघम’ के नाम से मशहूर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) संवर्ग की अफसर सुश्री सैनी का शुमार पुलिस के तेजतर्रार अधिकारियों में होता है। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जिले इटावा में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात सुश्री मंजिल सैनी को सोमवार को लखनऊ की एसएसपी बनाया गया था। 

आजादी के बाद यह पहला मौका था जब आईपीएस अथवा प्रांतीय पुलिस सेवा(पीपीएस) की किसी महिला अफसर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया था। लेकिन, सोमवार रात में ही सुश्री सैनी के तबादले का आदेश आनन फानन में निरस्त कर दिया गया जबकि लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश पाण्डेय को हटाकर उनका नाम नियुक्ति के लिए प्रतीक्षारत अफसरों की सूची में रखा गया। इस आदेश को भी जारी हुए 24 घंटे नहीं हुए थे कि प्रशासन ने अपने आदेश में एक बार फिर संशोधन करते हुए सुश्री मंजिल सैनी को ही लखनऊ की एसएसपी बनाने का आदेश जारी कर दिया और, इस तरह लखनऊ को पहली महिला एसएसपी मिल गई है।
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