Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live

संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को 26 सप्ताह का प्रसूता अवकाश

$
0
0
women-working-in-organized-sector-will-get-26-weeks-of-maternal-leave
नयी दिल्ली 11 अगस्त, सरकारी और संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को 26 सप्ताह का प्रसूता अवकाश करने वाले प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) विधेयक 2016 को आज राज्यसभा ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इससे लगभग 18 लाख महिलाओं को लाभ मिलेगा लेकिन सेरोगेट मदर को यह सुविधा नहीं मिलेगी। सदन में लगभग दो घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं राेजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि संंगठित क्षेत्र में महिलाओं को सबसे अधिक प्रसूता अवकाश देने वाला भारत तीसरा राष्ट्र बन जाएगा। प्रसूता महिलाओं को कनाडा में 50 सप्ताह और नार्वे में 44 सप्ताह का अवकाश प्रदान किया जाता है। फिलहाल में देश में प्रसूता महिलाओं को 12 सप्ताह का सवैतनिक अवकाश दिया जाता है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि इसके अलावा प्रसूता महिलाओं को 3500 रुपए भी दिए जाएगें। उन्होंने कहा कि प्रसूता अवकाश बढ़ने से मां और बच्चे को बेहतर जीवन मिलेगा। उन्होंने विधेयक के अन्य प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि कम से कम 50 कर्मचारियों वाले संस्थान को शिशु गृह (क्रेच) स्थापित करना अनिवार्य होगा। महिला अपने बच्चे से मिलने दिन में चार बार जा सकेंगी। संबंधित कानूनों का प्रावधान नहीं करने वाले नियोक्ता को एक वर्ष तक की जेल हो सकती है। उन्होंने कहा कि 26 सप्ताह के प्रसूता अवकाश का लाभ दो बच्चों तक लिया जा सकता है। यह लाभ अधिकृत माता और दत्तक माता को मिलेगा लेकिन सेरोगेट मदर इसकी हकदार नहीं होगी।


कारपोरेट कंपनियों में नहीं बदलेंगे बंदरगाह : गडकरी

$
0
0
corporate-companies-will-not-change-in-port-gadkari
नयी दिल्ली, 11 अगस्त, सरकार ने देश में बंदरगाहों के विकास तथा उनके आधुनिकीकरण की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए आज संसद में आश्वासन दिया कि बड़े बंदरगाहों को कारपोरेट कंपनियों में बदलने की उसकी कोई योजना नहीं है। पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि देश में बंदरगाहों की क्षमता को बढाया जा रहा है और इस क्रम में आधुनिक तरीके से उनका विकास किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सदन के कई सदस्यों बंदरगाहों को कारपोरेट कंपनियों में बदलने पर कड़ा एतराज जताया है और सरकार की बंदरगाहों को कारपोरेट कंपनियों में बदलने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि बंदरगाहों की क्षमता को बढाया जा रहा है पिछले दो साल के दौरान इस दिशा में बड़ी प्रगति हुई है। इस अवधि में निजी बंदरगाहों की तुलना में सरकारी बंदरगाहों की क्षमता बढी है। चार माह के दौरान प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो क्षमता में में पांच फीसदी की बढोतरी हुई है।

संप्रग सरकार का जीएसटीएन में निजी कंपनियों को हिस्सेदार बनाना गलत : स्वामी

$
0
0
upa-govt-s-dicision-to-make-partner-private-companies-in-gstn-was-wrong--swami
नयी दिल्ली 11 अगस्त, भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आज संयुक्त प्रतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का हिसाब किताब रखने के लिए बनाई गई कंपनी जीएसटीएन में अधिकांश हिस्सेदारी निजी कंपनियों को देने का आरोप लगाते हुये कहा कि इससे कर से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं के साझा होने का खतरा है। श्री स्वामी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में संप्रग सरकार पर आरोप लगाया है कि पिछली सरकार ने जीएसटी का हिसाब किताब रखने के लिए बनाई गई कंपनी जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड जैसी निजी कंपनियों को अधिकांश हिस्सेदारी देने के फैसले से देश की संवेदनशील सूचनाएँ विदेशों में साझा होने की आशंका है। 


उन्होंने कहा, “कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत बनी जीएसटीएन में केंद्र एवं राज्यों की संयुक्त हिस्सेदारी महज 49 फीसदी है जबकि शेष अधिकांश हिस्सेदारी इन निजी कंपनियों को देकर संप्रग सरकार ने काफी चालाकी से काम लिया है। इन कंपनियों में अधिकांश शेयरधारिता विदेशी कंपनियों की है। श्री स्वामी ने कहा, “इस विधेयक पर गृहमंत्री ने उनसे कोई सलाह नहीं ली, ना ही एक निजी कंपनी को ये संवेदनशील काम सौंपने से पहले उनसे पूछा गया।” उन्होंने कहा कि कर मामलों से जुड़े इतने संवेदनशील डेटा किसी निजी कंपनी को सौंपना सही नहीं है। श्री स्वामी ने इससे पहले देश की संवेदनशील वित्तीय सूचनाएँ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ साझा करने की आशंका जताते प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम को उनके पद से हटाने की माँग कर चुके हैं। गौरतलब है कि जीएसटीएन को केंद्र एवं राज्यों ने स्थापित किया है। यह कंपनी इसलिए बनाई गई है ताकि केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं एवं अन्य भागीदारों को साझा सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचा तथा सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सके।

उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव को लेकर राज्यसभा में सपा का हंगामा

$
0
0
sp-ruckus-in-rajya-sabha-over-discrimination-against-up
नयी दिल्ली, 11 अगस्त, केन्द्र सरकार पर विभिन्न योजनाओं में उत्तर प्रदेश के हिस्से की राशि जारी करने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने आज राज्यसभा में जमकर हंगामा किया जिसके कारण शून्यकाल और प्रश्नकाल की कार्यवाही नहीं चल पायी। सपा के रामगोपाल यादव ने सदन की बैठक शुरू होते ही यह मुद्दा उठाया । इसके साथ ही सपा के सदस्य केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सभापति के आसन के समीप आ गये जिसके कारण कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। श्री यादव ने मामला उठाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री , मुख्य सचिव, और मंत्रियों ने केन्द्र सरकार को अनेकों पत्र लिखकर विभिन्न योजनाओं के लिए केन्द्र की ओर से राशि नहीं जारी किये जाने का मुद्दा कई बार उठाया है। 


उन्होंने कहा कि केन्द्र उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव कर रहा है जिससे विभिन्न योजनाओं का काम लटका पडा है। केन्द्र का कहना है कि राज्य सरकार पैसे को खर्च नहीं कर रही है लेकिन वह कहना चाहते हैं कि यदि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार होती तो केन्द्र पैसा जारी कर देता। उन्होंने कहा कि यदि सरकार दो तीन दिन में उत्तर प्रदेश के हिस्से का पैसा नहीं जारी करता है तो वह सदन का कामकाज नहीं चलने देंगे। श्री यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत उत्तर प्रदेश को 385 करोड रूपये की राशि जारी नहीं की है । इसी तरह अनुसूचित जाति और पिछडे वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति के 425 करोड रूपये नहीं दिये गये हैं जिससे 8 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं। बाण सागर योजना के तहत भी 1766 करोड़ रूपये की राशि बकाया है। बाढ प्रबंधन और ओला वृष्टि के लिए भी क्रमश: 152 करोड और 441 करोड रूपये की राशि दी जानी है। प्रधानमंत्री सडक योजना के तहत भी राशि नहीं दिये जाने से सडकों का काम अधूरा पडा है। इसके बाद सपा के सदस्य अासन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही जनता दल यू के अली अनवर अंसारी ने बिहार में बाढ का मामला उठाते हुए कहा कि राज्य के 14 जिलों में बाढ से तबाही के कारण 35 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और बडी संख्या में फसल डूब गई है। केन्द्र सरकार प्रधानमंत्री फसल योजना के तहत आधी राशि जारी नहीं कर रही है जिससे राहत कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहे हैं। इसके बाद जद यू के सदस्य भी आसन के पास पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।

पाक चाहे कितने पत्र लिख लें, आतंकवाद छिपा नहीं पाएगा

$
0
0
pakistan-can-t-hide-terrorism-by-writing-letters--india
नयी दिल्ली, 11 अगस्त, जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संयुक्त राष्ट्र महासचिव को लिखे गए पत्र पर भारत ने आज कहा कि वे चाहे जितने पत्र लिख लें, पर सीमा पर आतंकवाद को दुनिया से छिपा नहीं पाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यहां कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति से जुड़े किसी भी पहलू से पाकिस्तान का कोई वास्ता नहीं है सिवाय सीमा पार आतंकवाद, घुसपैठ तथा भारत में आतंकवाद एवं हिंसा को भड़काने के। श्री स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान और उसके नेताओं द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार का मुकाबला करने और दुनिया के सामने सही तस्वीर रखने के लिए सरकार प्रमुख वार्ताकारेां के माध्यम से द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि चाहे कितने भी पत्र लिखे जायें, पर उनसे सीमा पार आतंकवाद को छिपाया नहीं जा सकेगा।

सपा, बसपा और कांग्रेस के छह विधायक पार्टी में शामिल

$
0
0
sp-bsp-and-congress-party-s-six-legislators-joins-bjp
लखनऊ 11 अगस्त, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले ‘आया राम, गया राम’ के शुरु हुए दौर के तहत आज कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह विधायक आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले विधायकों में बसपा के बाला प्रसाद अवस्थी और राजेश त्रिपाठी शामिल हैं जबकि कांग्रेस के संजय जायसवाल, विजय दुबे और माधुरी वर्मा ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा का दामन थामने वालों में सपा के शेर बहादुर सिंह भी शामिल हैं। श्री अवस्थी लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी सीट और श्री त्रिपाठी गोरखपुर जिले के चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

बिहार में शराबबंदी के मुद्दे पर महागठबंधन के घटक जदयू-राजद आमने-सामने

$
0
0
rjd-jdu-fight-on-liquor-ban
पटना 11 अगस्त, बिहार में लागू शराबबंदी के मुद्दे पर आज सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) अब आमने-सामने आ गये हैं । राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने यहां कहा कि शराबबंदी कानून के कुछ प्रावधान से आम लोगों को परेशान किया जा सकता है और ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसे वापस ले लेना चाहिए । उन्होंने दावा किया कि जदयू के विधायक भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री श्री कुमार के साथ नहीं है । श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कुमार जितना भी इस मामले पर स्पष्टीकरण दें ,कानून में कई कमियां हैं और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता । एक आदमी भी इस कानून के पक्ष में नहीं है । उन्होंने कहा कि इस मामले में जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए । 


राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि पुलिस एसोसिएशन को भी सरकार को भरोसे में लिया जाना जरूरी है । नये कानून में गांवों पर सामूहिक जुर्माना ,परिवार के सभी व्यस्क पर कार्रवाई और थानाध्यक्षों के खिलाफ कार्रवाई होना पूरी तरह से गलत है । श्री सिंह ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री श्री कुमार की ओर से दी जा रही सफाई में दम नहीं है । पहले श्री कुमार जब शराब बिक्री को बिना किसी रोक टोक के बढ़ावा दे रहे थे तब वह राज्य के आमदनी की दलील देने से नहीं चुकते थे। उन्होंने कहा कि व्हीप जारी होने के कारण ही शराबबंदी का विधेयक विधानमंडल से पारित हुआ था । वहीं जदयू के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ट नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री श्री कुमार का बचाव करते हुए कहा कि शराबबंदी एक सामाजिक मुद्दा है और इसे लागू करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति जरूरी है । मुख्यमंत्री श्री कुमार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताये हुए सिद्धांत पर चल रहे है । उन्होंने कहा कि शराबबंदी देश का सबसे बड़ा मुद्दा बनेगा । 

हत्या के मामले में पूर्व सांसद का पुत्र दोषी करार

$
0
0
ex-mp-son-convicted-in-murder
सीवान 11 अगस्त, बिहार में सीवान जिले की एक सत्र अदालत ने अपहरण कर हत्या के एक मामले में आज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता जितेन्द्र स्वामी को दोषी करार दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवधेश कुमार दुबे ने यहां मामले में दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद भाजपा नेता श्री स्वामी को जनता दल यूनाईटेड नेता दामोदर सिंह के भाई भरत सिंह का अपहरण कर हत्या करने के मामले में भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में दोषी करार दिया है। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए अदालत ने 22 अगस्त की तिथि निर्धारित की है। आरोप के अनुसार राज्य विधानसभा चुनाव 2000 के दौरान महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र से जितेन्द्र स्वामी ने भरत सिंह का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी। मामले में पूर्व सांसद को भी अभियुक्त बनाया गया था लेकिन कुछ वर्ष पूर्व उनकी मृत्यु हो चुकी है। इससे पूर्व एक स्थानीय अदालत ने मामले में स्व. सिंह और उनके पुत्र को बरी कर दिया था लेकिन मृतक भरत सिंह के परिजनों ने अदालत के फैसलों को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद मामले की फिर से सुनवाई हो रही है। भाजपा के टिकट पर श्री स्वामी ने दरौंधा विधानसभा क्षेत्र से पिछला विधान सभा चुनाव लड़ा था। 


फसल बीमा लागू करने में नीतीश सरकार जानबूझ कर डाल रही है अड़ंगा : सुशील मोदी

$
0
0
nitish-creating-problame-in-crop-insurance-sushil-modi
पटना 11 अगस्त, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी   के नेता सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि नीतीश सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने में जानबूझ कर एक महीने तक अड़ंगा डाले रही ताकि लाखों किसान इसके लाभ से वंचित हो जाए और सरकार को क्षतिपूर्ति के तौर पर कम से कम राशि देनी पड़े। श्री मोदी ने यहां कहा कि धान की खरीद में विफल रही सरकार ने जहां कृषि रोड मैप को ठंडे बस्ते में डाल दिया है वहीं वर्ष 2014-15 की तुलना में कृषि और सहकारिता के योजना व्यय में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी है । उन्होंने कहा कि फसल बीमा की अधिक प्रीमियम दर की बात करने वाली सरकार बताये कि क्या भाजपा शासित राजस्थान में प्रीमियम की दर 21.20, महाराष्ट्र में 20.50 और गुजरात में 16.46 प्रतिशत नहीं है । भाजपा नेता ने कहा कि पहले की तुलना में नई फसल बीमा योजना में कवरेज का दायरा बढ़ा है तथा क्षति के आंकलन के लिए एक प्रखंड में 16 की जगह अब 64 से 80 स्थानों पर कटनी करनी होगी तथा फसल की बुआई से लेकर कटनी के बाद तक किसानों को नुकसान की भरपाई करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या किसानों के व्यापक हित में उसे इस खर्च को नहीं उठाना चाहिए । श्री मोदी ने कहा कि जब बीमा योजना में शामिल होने के अंतिम चार दिन बचे हैं तो सरकार ने इसे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया जबकि इस बीच तीन दिन बैंक बंद है। नतीजतन पिछले वर्ष जहां गैर ऋणी 65 हजार किसान बीमा का लाभ लिए थे वहीं इस साल उनके साथ ही कर्ज लेने वाले लाखों किसान भी बीमा के लाभ से वंचित हो जायेंगे । भाजपा नेता ने कहा कि इसी तरह पिछले तीन वर्षों की रबी और 2015 की खरीफ फसल की क्षतिपूर्ति की 554 करोड़ की अपनी हिस्सेदारी भी राज्य सरकार ने नहीं दी जिसके कारण बिहार के किसान 1331 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति के लाभ से वंचित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बार खरीफ में भी सरकार के विलम्ब करने के कारण बिहार के लाखों किसान बीमा के लाभ से वंचित हो जायेंगे। 

डा.नीलिमा सिन्हा को कामेश्वर संस्कृत विश्वविद्यालय का प्रभार

$
0
0
nilima-sinha-sanskrit-university-darbhanga-incharge
पटना, 11 अगस्त, बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राम नाथ कोविन्द ने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति के कर्तव्यों के निर्वहन के लिए विश्वविद्यालय की प्रति-कुलपति डा.नीलिमा सिन्हा को अधिकृत किया है। श्री कोविंद ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (अद्यतन संशोधित) की धारा 13(2) में अंतर्निहित अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए डा. सिन्हा को अधिकृत किया है । इस सम्बन्ध में राज्यपाल सचिवालय द्वारा आज अधिसूचना निर्गत कर दी गयी है। उल्लेखनीय है कि कुलाधिपति ने डा. देव नारायण झा को कुलपति पद से त्याग-पत्र देने को निदेशित किया था एवं उनके त्याग-पत्र नहीं देने की स्थिति में इस विश्वविद्यालय के कुलपति के पद को नियमित तौर पर रिक्त माने जाने का उल्लेख मंगलवार को जारी अपने आदेश में किया था। इस बीच कुलाधिपति के आदेश पर डा. झा ने आज दरभंगा में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। 

रियो : खेल मंत्री गोयल का मान्यता पत्र रद्द करने की चेतावनी

$
0
0
warning-to-vijay-goel-in-rio
रियो डि जेनेरो, 11 अगस्त, रियो ओलंपिक की आयोजन समिति ने भारत के खेल मंत्री विजय गोयल का मान्यता प्राप्त रद्द करने की चेतावनी दी है। आयोजन समिति की कोंटिनेंटल मैनेजर साराह पीटरसन ने भारतीय दल प्रमुख राकेश गुप्ता को लिखे एक पत्र में कहा है कि खेल मंत्री के साथ चल रहे गैर मान्यता प्राप्त लोगों ने यदि अपना आक्रामक और खराब व्यवहार बंद नहीं किया तो खेल मंत्री का मान्यता पत्र रद्द किया जा सकता है। खेल मंत्री गोयल यहां भारतीय दल का उत्साह बढ़ाने आये हैं और साथ ही खेलगांव में भारतीय खिलाड़ियों की जरूरतों को भी देख रहे हैं। गोयल बुधवार रात मुक्केबाज मनोज कुमार के मुकाबले को भी देखने पहुंचे थे। पीटरसन ने कहा, “हमें ऐसी शिकायतें मिली हैं कि आपके खेल मंत्री खेल स्थलों में उन जगहों पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जहां केवल मान्यता प्राप्त लोग ही जा सकते हैं। आपके खेल मंत्री के साथ ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास मान्यता पत्र नहीं हैं। जब हमारा स्टाफ उन्हें रोकने की कोशिश करता है तो वे आक्रामक हो जाते हैं और स्टाफ को धकेलकर आगे बढ़ जाते हैं।” आयोजन समिति का कहना है कि इस तरह का व्यवहार स्वीकार नहीं किया जा सकता है। पिछली चेतावनियों के बावजूद रियो ओलंपिक एरिना जिमनास्टिक स्थल पर फिर ऐसी घटना देखने को मिली। यदि हमारी टीम को इस तरह का व्यवहार आगे देखने को मिलता है तो आपके खेल मंत्री का मान्यता पत्र रद्द किया जा सकता है। पीटरसन ने कहा, “हमें उम्मीद है कि आप इस संदेश को तत्काल प्रभाव से अपने खेल मंत्री तक पहुुंचा देंगे।”

द लिटिल मास्टर’ हनीफ का निधन

$
0
0
the-little-master-hanif-mohammaed-passes-away
कराची, 11 अगस्त, ‘द लिटिल मास्टर’ के नाम से मशहूर महान पाकिस्तानी बल्लेबाज हनीफ मोहम्मद का गुरुवार को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और पिछले लंबे समय से कैंसर की घातक बीमारी से जूझ रहे थे। हनीफ पिछले कुछ दिनों से कराची के आगा खान अस्पताल में भर्ती थे और गत आठ अगस्त को उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। इसके बाद से वह वेंटिलेटर पर थे। वर्ष 2013 में कैंसर का पता चलने के बाद लंदन में उनका इलाज किया गया था। इससे पहले दिन में उनके दिल की धड़कन छह मिनट के लिए बंद हो गई थी और उसी समय डॉक्टरों ने उनके निधन की घोषणा कर दी थी लेकिन इसके बाद हनीफ के बेटे शोएब मोहम्मद ने अपने पिता के जीवित रहने की जानकारी दी थी। कुछ घंटे बाद यह दुखद खबर सामने आ गयी कि उनका निधन हो गया। क्रिकेट जगत ने हनीफ के निधन पर गहरा शोक जताया है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने हनीफ के निधन को क्रिकेट के लिये गहरी क्षति बताया है। हनीफ का जन्म 21 दिसंबर 1934 को अविभाजित भारत के जूनागढ़ में हुआ था। 1952-53 से 1969-70 के सत्र के बीच 55 टेस्ट मैच खेलने वाले हनीफ ने 43.98 के शानदार औसत से 3915 रन बनाये थे जिसमें 12 शतक भी शामिल हैं। हनीफ को विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिना जाता था। वर्ष 1957-58 में वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिजटाउन टेस्ट में 337 रनों की उनकी मैराथन पारी क्रिकेट इतिहास की बेहतरीन पारियों में शुमार है जिसकी बदौलत पाकिस्तान वह टेस्ट ड्रा कराने में सफल रहा था।

स्वतंत्र एथलीट फहाद ने जीता डबल ट्रैप का स्वर्ण

$
0
0
fawad-won-gold-double-trap
रियो डि जेनेरो, 11 अगस्त, रियो ओलंपिक में बतौर स्वतंत्र एथलीट हिस्सा ले रहे कुवैत के स्टार निशानेबाज फेहाद अल दिहानी ने शानदार प्रदर्शन करते हुुुये पुरुषों की डबल ट्रैप स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने कुवैत पर रियो में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके बाद फहाद ने स्वतंत्र एथलीट के रूप में यहां उतरने का निर्णय लिया था। फहाद ने 2000 में सिडनी तथा 2012 में लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था जबकि ब्राजील में उन्होंने सफलता की नयी ऊंचाई तय करते हुये पीले पदक पर कब्जा जमाया। डबल ट्रैप स्पर्धा का रजत पदक इटली के मार्को इनोसेंटी और कांस्य पदक ब्रिटिश निशानेबाज स्टीवन स्काॅट के हिस्से में आया। पेशे से सेना के अधिकारी फहाद का यह छठा ओलंपिक था और वह रियो में भाग ले रहे नौ स्वतंत्र एथलीटों में से एक हैं। अपनी जीत के बाद फहाद ने कहा, “यह कुल मिलाकर मेरा दिन था। ईश्वर ने मुझे जीतने की शक्ति और मजबूती दी। मैं अपने प्रदर्शन से बेहद खुश हूं।” उल्लेखनीय है कि आईओसी ने रियो के उद्घाटन समारोह में फहाद के समक्ष तटस्थ ध्वज वाहक बनने का प्रस्ताव रखा था लेकिन उन्होंने उसे यह कहकर मना कर दिया था कि वह एक सैनिक हैं और केवल अपने देश (कुवैत) का ध्वज ही उठा जा सकते हैं। 

आलेख : पहली बार जारी हुए है प्लास्टिक के सिक्के

$
0
0

विश्व में लगभग सारे देश करेंसी के रूप में सिक्कों का उपयोग करते हैं। ये सिक्के लोहे से लेकर सोने तक से बने हो सकते हैं। भारत में भी चांदी से लेकर स्टेनलेस स्टील से बने सिक्के प्रचलित हैं। लेकिन क्या कभी आपने प्लास्टिक से बने सिक्के देखे हैं?


plastic-coins
यूक्रेन से लगा छोटा सा देश ट्रान्सनिस्ट्रिया दुनिया का ऐसा पहला देश है जिसने प्लास्टिक के सिक्के जारी किए हैं। एक, तीन, पांच और दस रूबल के ये सिक्के दिखने में तो सुंदर हैं ही इनकी कई विशेषताएं भी हैं। इन्हीं खासियतों की वजह से अब अर्थशास्त्री यह मानने लगे हैं कि बहुत जल्द सारी दुनिया के साथ भारत भी प्लास्टिक के सिक्कों को चलन में ला सकता है। सिक्कों औऱ करेंसी नोटो को संग्रह करने के शौकीन बीकानेर के सुधीर लुणावत ने बताया कि उन्होने अपने संग्रह के लिये खासतौर पर इन सिक्कों के एक सेट को ट्रान्सनिस्ट्रिया से मंगवाया है !


सुधीर के अनुसार 
प्लास्टिक सिक्के जारी करने वाला देश  ट्रान्सनिस्ट्रिया सोवियत संघ से अलग होकर अस्तित्व में आया था। इसकी करेंसी रूबल है जिसका मूल्य भारतीय करेंसी रुपये के बराबर ही है। यानि एक ट्रान्सनिस्ट्रियाई रूबल का मूल्य एक भारतीय रुपए के बराबर ही है।

सिक्कों की खासियत-

वजन में हल्के हैं ये सिक्के
आम मेटल से बने सिक्के काफी वजनी होते हैं, जिसके चलते इन्हें कैरी करना काफी असुविधाजनक होता है। लेकिन प्लास्टिक के यह सिक्के वजन में काफी हल्के और पतले हैं। इनका वजन आम सिक्कों के एक चौथाई से भी कम है।

नक़ल करना मुश्किल
जिस तरह नोटों की कॉपी रोकने के लिये नोटों में कुछ खास पहचान बनाए जाते हैं, उसी तरह इन प्लास्टिक के सिक्कों में भी कुछ खास पहचानें बनाई गई हैं, जिनसे इनकी कॉपी बनाना काफी मुश्किल हो जाता है।

यूवी किरणों में चमकता है होलोग्राम
इन सिक्कों को अल्ट्रा वॉइलेट  किरणों में देखने पर इनका खास होलोग्राम नजर आता है। इसे आप नोटों को रोशनी पर ले जाने पर दिखाई देने वाले होलोग्राम जैसा ही समझ सकते हैं।

बोनी साउण्ड
इन प्लास्टिक सिक्कों की सबसे बडी खासियत है इन्हें आपस में टकराने पर निकलने वाली आवाज बिल्कुल हड्डियों को टकराने पर निकलने वाली आवाज (बोनी साउंड) की तरह होती है। इसके लिए इन सिक्कों को एक विशेष तरह के प्लास्टिक मटेरियल से बनाया गया है। अपनी इस खास बोनी साउण्ड के चलते नेत्रहीन भी आसानी से सिक्कों की पहचान कर सकते हैं।

सस्ते और टिकाऊ

जहां इन सिक्कों को निर्मित करने मे आम सिक्कों की अपेक्षा कम लागत आती है, वहीं इन सिक्कों की उम्र भी आम सिक्कों से अधिक होगी।

विशेष आलेख : न्याय को तरस रही भारतीय ‘न्याय व्यवस्था’

$
0
0
एक तरफ देश इक्कीसवीं सदी की ओर दौड़ लगा रहा है वहीं दूसरी ओर करोड़ों की संख्या में पीड़ित जनता प्रतिदिन मुंसिफ न्यायालय से लेकर देश की सुप्रीम कोर्ट तक न्याय पाने के लिये दौड़ लगा रही है। लेकिन उसे हर बार तारीख पर तारीख के दौर से गुजरना पड़ रहा है। जिससे सबको को न्याय देने वाली न्याय पालिका जजों के अभाव के चलते खुद न्याय पाने के लिये सिसक रही है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार हो अथवा किसी भी राज्य में किसी भी दल की सरकार हो जनता के रहनुमा होने के लम्बे चैड़े दावे या वायदे करने में कभी भी पीछे नहीं रही हैं। प्रत्येक सरकार ने वोट की चाहत में दलित, मुस्लिम, अल्पसंख्यक, पिछड़े, अगड़े, गरीब, मजदूर, व्यापारियों, उद्योगपतियों के हितों के लिये तमाम योजनाओं के नाम पर लाखों-करोड़ों हजार की राशि तो पानी की तरह बहायी है। लेकिन न्याय व्यवस्था के साथ लगातार खिलवाड़ किया जाता रहा है। यही कारण है कि जैसे-जैसे देश की आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे जजों की संख्या बढ़ने के स्थान पर लगातार घटती चली गई। वहीं मुकदमों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती गई जो अब करीब 2.20 करोड़ तक पहुंच गई है।


आज से करीब तीन दशक पूर्व वर्ष 1987 में गठित लाॅ कमीशन ने न्यायालयों में बढ़ते मुकदमों की संख्या को देखते हुए 10 लाख की आबादी पर जजों की संख्या 18 से बढ़ाकर 50 करने की सन्तुति की थी। लेकिन इस रिपोर्ट को केन्द्र सरकार ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। जबकि इन तीन दशकों में जनसंख्या विकराल रूप धारण करती गई बल्कि न्यायालयों की संख्या में भी इजाफा होता रहा। लेकिन जजों की संख्या बढ़ने के स्थान पर अवकाश ग्रहण करने और उनकी नयी भर्ती न होने से जजों की सीटें लगातार खाली होती गईं और मुकद्मों का बोझ न्यायालयों में लगातार बढ़ता गया। पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के भारतीय न्याय व्यवस्था की हालत को देखकर दिल्ली के विज्ञान भवन में उस समय आंसू छलक आये थे जब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। लेकिन उसके बाद भी स्थिति में कहीं कोई सुधार होता नजर नहीं आया।

हाल ही में लोकसभा में विधि एवं न्याय तथा इलैक्ट्रोनिक एवं सूचना तकनीक राज्यमंत्री पीपी चैधरी ने बताया कि 30 जून 2016 तक सुप्रीम कोर्ट में 62,657 मामले लम्बित हैं। उच्च न्यायालयों में 477 पद न्यायाधीशों के खाली हैं जबकि 10 लाख की आबादी पर देश के न्यायालयों में 18 जज कार्यरत हैं। जबकि वर्ष 2012 में 17,715 की जजों की संख्या को 20,502 कर दिया गया है। इसी तरह उच्च न्यायालयों में 986 जजों की संख्या को जून 2014 में 1079 कर दिया गया। जिला एवं अधीनिस्थ न्यायालयों में 31 दिसम्बर 2015 तक 4432 पद खाली पड़े थे। उच्च न्यायालयों में 31 दिसम्बर 2015 तक 38,70,373 मामले लम्बित पड़े हुए थे। जिनमें सर्वाधिक 9,18,829 मामले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लम्बित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 18 जजों की तैनाती 10 लाख की आबादी पर होने का दावा किया गया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार उत्तर पद्रेश में सर्वाधिक 51 लाख (23 प्रतिशत), महाराष्ट्र 29 लाख (13 प्रतिशत), गुजरात 22.5 लाख (11 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल 13 लाख (6 प्रतिशत) इसके अलावा पिछले 10 वर्षों से उ.प्र. में 6.5 लाख, गुजरात में 5.20 लाख, महाराष्ट्र में 2.5 लाख मामले लम्बित हैं।


भारतीय न्यायव्यवस्था की बदतर स्थिति का अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 20 लाख से अधिक मामले महिलाओं के लम्बित हैं। वहीं 3 प्रतिशत मुकदमे सीनियर सिटीजन (वृद्ध) के लम्बित हैं। जबकि 38.30 लाख मामले पिछले पांच वर्षों से लम्बित हैं जो कुल मुकदमों का 17.5 प्रतिशत है। उच्च न्यायालयों में करीब 400 (39 प्रतिशत) पद खाली पड़े हैं। जिसमें सबसे बदतर हालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय की है जहां करीब 50 प्रतिशत जज ही तैनात हैं। देश के अन्य उच्च न्यायालयों की हालत की बात करें तो सिक्किम, त्रिपुरा, मेघालय को छोड़़कर किसी भी राज्य में जजों की संख्या पूर्ण नहीं है। बिगड़ती न्याय व्यवस्था में सुधार के लिये लाॅ कमीशन द्वारा वर्ष 2014 में 245वीं रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपी गई। जिसमें पुनः लाख की आबादी पर 50 जजों की सन्तुति की गई। बल्कि उच्च न्यायालयों में बैकलाॅग को भरने के लिये अतिरिक्त जजों की तैनाती की भी सन्तुति की गई। लेकिन उक्त सन्तुति पर भी केन्द्र सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया।

देश में निचली अदालतों से लेकर उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय तक फरियादियों की भीड़ नजर आती है। इलाहाबाद रेलवे स्टेशन हो या फिर दिल्ली का रेलवे स्टेशन हर जगह पीडि़तों का एक कारवां नजर आता है। जगह-जगह गरीब पीड़ित फरियादी रेलवे स्टेशनों, बस स्टैण्डों पर न्याय की उम्मीद में खुले आसमान के नीचे रात्रि को करवटें बदलते हुए नजर आयेंगे या फिर अन्य न्यायालयों से मिली अगली तारीख को लेकर भारतीय न्याय व्यवस्था को कोसते हुए अपने घरों को लौटते दिखाई देंगे। जबकि जमानत के इंतजार में लाखों कैदी न्यायालय के आदेश के इंतजार में पल-पल न्यायालयों की ओर टकटकी लगाते दिखाई दे जायेंगे। लेकिन उनकी तड़प उस समय गुस्से में तब्दील हो जाती है जब उन्हें मालूम होता है कि न्यायालय में आज जज ही नहीं बैठा है, वकीलों ने हड़ताल कर दी है। या फिर अगली तारीख पड़ गई है। न्यायालयों में तारीख पर तारीख का दौर कब खत्म होगा यह तो कहना मुश्किल है। लेकिन देश की जनता को न्याय देने वाली न्याय व्यवस्था ही अपने प्रति हो रहे अन्याय को देखकर सिसक रही है कि क्या देश के नेता और सरकार उसके साथ क्या कभी न्याय कर पायेंगे।


liveaaryaavart dot com

मफतलाल अग्रवाल
E-mail:- Mafatlalmathura@gmail.com
Mob: 8865808521
(लेखक स्वतंत्रत्र पत्रकार तथा सामाजिक कार्यकर्ता  हैं)

एंटरटेनमेंट्स के बैनर की फिल्म ‘एक कहानी जूली की’

$
0
0
ek-kahani-juli-ki
‘एक कहानी जूली की’  पोस्टर और ट्रेलर लांच के बाद अब राखी सावंत की फिल्म बड़े परदे पर 9 सितम्बर 2016 को रिलीज होने जा रही है। ये एक आगामी हिंदी थ्रिलर फिल्म है जो चेतना एंटरटेनमेंट्स के बैनर तले चेतना शर्मा द्वारा निर्मित फिल्म है। इस फिल्म में राखी सावंत और अमित मेहरा पृष्ठभूमि के रूप में नजर आएंगे। यह फिल्मी उद्योग के साथ एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म है। इस फिल्म में जूली के किरदार में राखी सावंत नजर आएंगी। फिल्म में राखी आइटम सांग करने की जगह एक हार्डकोर एक्टिंग करते दिखाई देंगी । जहां मुम्बई जैसे शहर में फिल्म में अपना करियर जमाने आयी जुली किस प्रकार प्यार में पढ़ जाती है और अंत में प्यार में मिले धोके के कारण खूनी बन जाती है। इस फिल्म में राखी के अपोजिट अभिनेता अमित मेहरा (निखिल कपूर) के किरदार के रूप में नजर आएंगे । इसके अलावा अवध शर्मा, जिमी शर्मा, सानिया पन्नू, आकृति नागपाल, आदि ईरानी और राजेश खेरा भी इस फिल्म में नजर आएंगे।   फिल्म में कुल 4 गाने है जिसमें से ‘ओरे  पिया’ सांग दर्शको को काफी पसंद आ रहा है इस गाने को स्वर दिया है सिंगर अरमान मालिक और म्यूजिक दिया है डीजे शेजवुड ने। संगीत निर्देशक,निर्माता और सिंगर डीजे शेजवुड जो ‘ओरे  पिया’ गीत के लिए संगीत रचना की है कहते हैं कि गीत भारत ही नही विदेशों में भी लोगों का पंसद आ रहा है,ये मेरे लिए गौरव की बात है।इस फिल्म को डायरेक्ट किया है अजीज जी , निर्माता चेतना शर्मा, शबीना खान (कोरियोग्राफर), नवीन बत्रा - कार्यकारी निर्माता, फोटोग्राफी के मोहम्मद जाफर -निदेशक, अर्श राणा - लेखक।

आलेख : भगवान महावीर के युग में गोपालन

$
0
0
cow-in-mavir-jain-rision
अहिंसा के अनेक पक्ष और आयाम हैं। अहिंसा का एक लोकप्रिय और लोकोपकारी आयाम है - गोसेवा अथवा गोपालन। भारतीय संस्कृति कृषिप्रधान और ऋषिप्रधान रही है। कृषि (अर्थ) और ऋषि (अध्यात्म), दोनों ही दृष्टियों से गाय (गोवंष) का महŸव सदियों से रहा है। भारत में गाय तथा अन्य मवेषियों का मानव के साथ गहरा सम्बन्ध रहा है। पारस्परिक सम्बन्ध की इस बुनियाद पर प्राचीन भारत में ग्रामीण और नगरीय अर्थव्यवस्था तथा खेती-बाड़ी बहुत फली-फूली। इसीलिए यह कहा जाता है कि कभी यहाँ घी-दूध की नदियाँ बहा करती थीं। घी-दूध की नदियाँ बहने का यही आषय है कि भारत में प्रचुर मात्रा में शुद्ध दूध, देषी घी तथा अन्य पौष्टिक दुग्ध-उत्पाद उपलब्ध थे। यह सब इसलिए था कि यहाँ गोपालन अपनी विकसित और समृद्ध अवस्था में था। आज से लगभग 2600 वर्ष पहले भगवान महावीर के युग की बात करें तो हम पाते हैं कि उस समय गोपालन अपनी समृद्ध अवस्था में था। प्राकृत भाषा के जैन आगम (षास्त्र) ‘उपासकदषांग सूत्र’ में गोपालन का अद्भुत विवरण मिलता है। इस षास्त्र में भगवान महावीर के दस उपासकों (भक्तों) के जीवन का बहुपक्षीय चित्रण किया गया है। उनके जीवन का एक पक्ष यह था कि उन सभी के पास विपुल गोधन था। मवेषियों के बाड़ेनुमा आवास-स्थल को व्रज, गोकुल अथवा संगिल्ल कहा जाता था। एक व्रज में दस हजार की संख्या में गोधन रखा जाता था।


हम देखते हैं कि एक-एक व्यक्ति के पास भी चालीस, साठ और अस्सी-अस्सी हजार की संख्या में गोसम्पदा होती थी तो गोपालन और पषुपालन कितना व्यापक और प्रचलित व्यवसाय रहा होगा। गोपालक की समाज में अच्छी प्रतिष्ठा थी। इसी कारण उपासकदषांग के सातवें अध्ययन में गोषालक भगवान महावीर की प्रषंसा में उन्हें अध्यात्म जगत के ‘महागोप’ की संज्ञा देता है। पषुपालन और कृषि के साथ ही श्रावकों के अन्य व्यवसाय भी थे। उनका जीवन साधना और सेवा से सुरभित था। आचार्य आत्मारामजी ने ‘गाय‘ अथवा ‘गो’ शब्द को समस्त पषुधन का बोधक कहा है। गाय को पषुओं का प्रतिनिधि पषु माना जाता है। इस अर्थ में गाय की रक्षा का आषय सभी पषु-पक्षियों की रक्षा से भी जुड़ा है। 

cow-in-mavir-jain-rision
यहाँ यह स्पष्ट कर देना उचित है कि पषुपालन का उद्देष्य दूध-प्राप्ति, भारवहन, परिवहन, हल चलाना, जीवदया आदि था। पषुपालन के साथ ही दूध, घी और अन्य दुग्ध-उत्पादों के व्यापार के उल्लेख जैन ग्रन्थों तथा अन्य ग्रंथों में प्राप्त होते हैं। पषुपालन के साथ खेती-बाड़ी जुड़ी थी और खेती-बाड़ी से शाकाहारी जीवन षैली जुड़ी थी। मानव और पषु-पक्षियों के बीच पूर्ण सहअस्तित्व था। पषुओं में स्वामी-भक्ति, मार्ग-स्मरण, किसी खतरे या आपदा का पूर्वाभास जैसे अद्भुत गुण होते थे। पषु-पक्षियों में ऐसे गुण आज भी होते हैं। 

कृषि और पषुपालन दोनों अन्योन्याश्रित हैं। महावीर के समकालीन बुद्ध दीघनिकाय में एक राजा को कहते हैं - ‘‘राजन! जो कोई आपके जनपद में कृषि, गोपालन करने का उत्साह रखते हैं, उन्हें आप पूंजी दें।’’ बुद्ध के इस कथन में भी उस समय खेती-बाड़ी, गोपालन और दोनों के अन्योन्याश्रित सम्बन्ध का पता चलता है। पषु कृषि में सहयोग करते हैं और कृषि से पषुओं की आवष्यकताएँ आसानी से जुटाई जा सकती हैं। ये दोनों कार्य प्राचीनकाल से भारतीय अर्थव्यवस्था ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण जनजीवन का आधार बने हुए हैं। दूध, कृषि और यातायात के अलावा पषुपालन से पर्यावरण व पारिस्थितिकी सन्तुलन, जमीन की उर्वरा-शक्ति और जैव-विविधता का संरक्षण भी सहज रूप से होता है।

प्राकृत भाषा के चैथी सदी के जैन ग्रंथ ‘वसुदेवहिण्डी’ में राजा जितषत्रु का पषुप्रेम अंकित है। उनके दो गोमण्डल (गोकुल) थे। उनके नियुक्त गोपालकों में प्रमुख थे - चारूनन्दी और फग्गुनन्दी। एक बार राजा जितषत्रु चारूनन्दी द्वारा रक्षित गोमण्डल में गया। अपने स्वस्थ-सुन्दर पषुओं को देखकर राजा प्रसन्न हो गया। इस प्रकार राजाओं की उनकी अपनी निजी गोषालाएँ भी होती थीं। अनाथ-सनाथ, स्वस्थ-रूग्ण सभी पषुओं के लिए उनमें चारा-पानी की व्यवस्था रहती थी। पषुओं को चरने के लिए बडे़-बड़े चरागाह होते थे। गोपालक अपने पषुओं को बहुत जिम्मेदारी से चराने ले जाते, लाते और देखभाल करते थे। इस प्रकार भारत में सदियों-सदियों तक गोपालन, गोसंवर्धन और प्राणी-संरक्षण की श्रेष्ठ व्यवस्थाएँ रहीं। इन सुन्दर व्यवस्थाओं की बहाली हमारा राष्ट्रधर्म और पुनीत कर्म है। मेरे एक मुक्तक के साथ इस लेख को विराम देता हूँ - 


रस को बचाया, ऋषि को बचाया।
गाय ने कृषक व कृषि को बचाया।
जिन्होंने उपकारी गोवंष बचाया,  
उन्होंने आदमी की खुषी को बचाया। 




liveaaryaavart dot com

 - डाॅ. दिलीप धींग (एडवोकेट)
(निदेषक: अंतरराष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन व शोध केन्द्र)

हाॅट जलवे बिखरने आ रही मीनाक्षी भगत

$
0
0
mninakshi-bhagat
मीनाक्षी भगत भी बॉलीवुड में हाॅट जलवे बिखरने आ रही फिल्म ‘ 3 नबंवर’ में । लेकिन टाईटल थोडा कन्फ्यूज करता है,क्योकि यह सितंबर में रिलीज की जाएगी। जिसमे मीनाक्षी भगत ने मुख्य किरदार अदा किया है। मीनाक्षी अपने रोल कोे लेकर काफी उत्साहित है। उनका कहना है कि यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है जिसका नाम भी बड़ा यूनिक है ‘तीन  नवम्बर’ । फिल्म में मुख्य किरदारों में कबीर खान,शहीम खान,गौरव कोठारी,और प्रियंका तिवारी है। जारा खान इस रोमांचक फिल्म में माया के चरित्र में दिखाई देंगी। एमके मिडिया प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी फिल्म के प्रोड्यूसर प्रितेश जोशी है जबकि लेखक निर्देशक वसंत नारकर हैं जिन्होंने कई गुजरती फिल्मे डायरेक्ट की है। फिल्म में एक ही गीत  है जिसे असलम केई ने कम्पोज किया है जबकि इसे धीरज कुमार ने लिखा है अमन त्रिखा और स्वाति शर्मा ने इसे गाया है। फिल्म के डीओपी रवि चन्दन, एडिटर राजेश (आई फोकस)एक्शन डायरेक्टर इल्यास शेख,कार्यकारी निर्माता संदीप कुमार और कास्टिंग डायरेक्टर प्रियंका हैं।

कश्मीर : पत्थरबाजों को सीधे गोली मारने की जरुरत

$
0
0
जिस तरह जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से लेकर लोकसभा में सीताराम येचुरी, गुलाम नबी आजाद समेत अन्य लोग मोदी सरकार को नसीहत देने की कोशिश कर रहे है वह सिर्फ और सिर्फ सेना का मनोबल डाउन करने से अधिक कुछ भी नहीं है। जो लोग आतंक की राज चल पड़े कुछ कश्मीरियों को अपने जैसा ही समझना की दुहाई दे रहे है वह क्यों नहीं अपनी नसीहत प्रदर्शनकारियों, पत्थरबाजों को देते है। ‘पैलेटगन‘ का इस्तेमाल तो बहुत कम है, लगातार पैसे लेकर अशांति फैलाने वाले लोगों से तो और सख्ती से निपटना ही एकमात्र विकल्प है। अगर नही ंतो बडा सवाल यही है कब तक हम जवानों की शहादत देकर शांति की आस करते रहेंगे? कब तक बुरहान वानी जैसे आतंकियों को बर्दाश्त कर मौत के घाट उतारने में हम खुद को रोकते रहेंगे? 


kashmir-and-pmo
बेशक जिस तरह मौजूदा दौर में संसद में विपक्ष कश्मीर मसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है। कश्मीरी युवाओं पर सेना द्वारा ज्यादीति की दुहाई दे रहा है वह सिर्फ और सिर्फ वोट की सियासत से अधिक कुछ भी नहीं। क्योंकि विपक्ष सेना द्वारा चलाई गयी प्लेटगन से पत्थरबाजों की हुई मौतें व घायलों की चर्चा कर रहा तो रहा है लेकिन शायद उसे नहीं मालूम की इन पत्थरबाजों के हमलों में कई जवान भी शहीद होने के साथ घायल भी हुए है। खासकर जब मोदी पाकिस्तान हुक्मरानों समेत आतंकी संगठनों को कश्मीर में उपजे हालात को लेकर यूएन में घेर रहे है उससे उसकी बोलती बंद हो गयी है। जबकि राजनीतिक सियासतवश विपक्षी पार्टिया सेना पर ही सवाल खड़े कर रहे है। बरहान वानी जैसा आतंकी व कश्मीर की अमन-चैन छीनने वाले कुछ पत्थरबाजों की यहकर तरफदारी कर रहे है, वह निहत्थे व निर्दोष है। मतलब साफ है लोकसभा चुनाव ठोक-पीट चुके कांग्रेस समेत अन्य पार्टिया मोदी को सिर्फ इसलिए घेर रहे है जिससे पत्थरबाजी की आड़ में पाकिस्तान से फंड मिलता रहे। और जब मोदी ने कहा, यह 70 साल की नाकामी का दुष्परिणाम है कि कश्मीरी युवा लैपटाॅप की जगह हाथ में पत्थर उठा रहे है। 


यहां प्रधानमंत्री को समझना होगा कि कौन सा ऐसा धड़ा है जो बेरोजगारी दूर करने के लिए आप पत्थर की जगह लैपाटाॅप देने की बात कर रहे है तो विपक्ष सिर्फ इसलिए आप पर दवाब बना रहा है कि जांच एजेंसियों से राहत मिल सके। पर अब वक्त है जब हम उसे मानने पर मजबूर करें। कश्मीर पर कड़े फैसले लें। हम कब तक सुरक्षाकर्मियों की शहादत सहते रहेंगे? हमें अब कश्मीर के संपूर्ण हल की ओर बढना चाहिए। माना पाकिस्तानी सेना के दबाव में नवाज शरीफ बयान दे रहे हैं तो कट्टरपंथी युद्ध की चेतावनी। तो ऐसे में मोदी का चुप होना जाना, सवा सौ करोउ़ देशवासियों के साथ घिनौना मजाक नही ंतो और क्या है। रक्षाकर्मियों से मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद आठ जुलाई से कश्मीर में जो हिंसा शुरू हुई वह अब भी रुकने का नाम नहीं ले रही है। जबकि 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 3,783 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं। इसका मुख्य कारण है, पाकिस्तान का बुरहान को शहीद का दर्जा देना, पाकिस्तान में काला दिवस घोषित करना और कट्टरपंथियों का भारत के प्रति रवैया, जो कश्मीर में आतंकवादियों को हवा दे रहा है और स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि करीब 10 जिलों में कफ्र्यू लगाना पड़ा। अगर हम परिस्थितियों का विवेकपूर्ण आकलन करें तो पाते हैं कि कश्मीर घाटी में लगातार अलगाववादियों को पाकिस्तान प्रश्रय प्रदान कर रहा है। करोड़ों की तादाद में धन आ रहा है। आतंकियों और घुसपैठियों के रूप में भारतविरोधी ताकतें अपने पैर जमा रही हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लगातार कश्मीर मुद्दे को हवा दे रहे हैं। कट्टरपंथी विरोध किए जा रहे हैं और भारत केवल शांति की बात कर नसीहतें देता रहता है। 

सच तो यह है कि आतंकवाद, संगठित अपराध को अपने ‘राष्ट्रहित’ के लिए जायज हथियारों की तरह लगातार इस्तेमाल करने वाले राज्यों को कटघरे में खड़ा कर दंडित करने का वक्त आ चुका है। मानवाधिकारों के कवच का इस्तेमाल बहुत हो चुका। कश्मीर घाटी में असंतोष और आक्रोश के कारण अनेक हैं। माना केंद्र व राज्य सरकार को उसकी जिम्मेवारी-जवाबदेही से बरी नहीं किया जा सकता, लेकिन अलगाववादी हिंसा को भड़काने की पाकिस्तानी साजिश को सुलह के नाम पर लगातार नजरअंदाज करना आत्मघातक साबित होता रहा है। यह आशा की जानी चाहिए कि गृह मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के बाद इस बारे में कोई भ्रम बचा नहीं रहेगा। इसके पहले जब कभी प्रधानमंत्री मोदी ने उभयपक्षीय रिश्ते सुधारने की पहल की है, निराशा ही हाथ लगी है। भारत-पाक संबंध ऐतिहासिक कारणों से इस कदर जटिल और दूषित हैं कि नेताओं की व्यक्तिगत दोस्ती भी इसका कायाकल्प नहीं कर सकती। पाकिस्तान और चीन तथा पाकिस्तान और अमेरिका के सामरिक संबंध आधी सदी से अधिक समय से आत्मीय हैं और इस तिकोनी धुरी का मकसद दक्षिण एशिया में भारत का कद बौना करना ही रहा है। अतः मोदी ही राजनयिक असफलता के लिए जिम्मेवार हैं, यह सोचना गलत है।  

हो जो भी लेकिन मोदी को चाहिए कि वह विपक्षी साजिशों में आने के बजाय इस बात का पता लगाएं कि परमाणु युद्ध की धमकी देने वाले हिज्बुल सरगना सैयद सलाहुदीन को शह कहां से मिल रही है? हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को पनाह कौन दे रहा है? कूटनीतिक स्वार्थों से परे हट कर वैश्विक स्तर पर भी इस घातक समस्या के समाधान की ठोस पहलों की जरूरत है। आतंक पर राजनीति करने वाले देशों को यह भी समझना होगा कि इसका भुक्तभोगी अंततः जनता ही है। क्वेटा जैसी घटनाएं दुनिया में कहीं भी हों, इसका शिकार बनने के लिए आम लोग ही अभिशप्त हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चाहिए कि वह पाकिस्तान पर समुचित दबाव बनाए। क्योंकि स्थिति अब हद से बाहर जा चुकी है। बुरहान वानी आतंकवादी था और रहेगा, उस जैसे आतंकियों को ऐसे ही मौत के घाट उतारा जाना चाहिए। एनआईटी में जिस तरह पोस्टर लगाकर दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है, उसमें लिखा है कि कश्मीर को पूरी आजादी की जंग शुरू की जानी है। अब सवाल यह है कि फिर इसका इलाज क्या है? कब तक हम जवानों की शहादत देकर शांति की आस करते रहेंगे? कब तक बुरहान वानी जैसे आतंकियों को बर्दाश्त कर मौत के घाट उतारने में हम खुद को रोकते रहेंगे? जबकि राजस्थान, यूपी, हरियाणा, तमिलनाडु के छात्र भी वहां पढ़ाई कर रहे हैं। क्या कभी किसी ने सोचा कि जिन परिवारों के बच्चों वहां है उन पर मंडराते खतरे को लेकर क्या बितती होगी। लोग यह कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं कि अपने मुल्क में ही उनके बच्चे दहशत में रहकर पढ़ाई करें। इसलिए सरकार को इन छात्रों को फिलहाल अन्यत्र एनआईटी में स्थान देकर भविष्य की चिताओं से मुक्त करना चाहिए। 


यह सही है कि पड़ोसी (पाकिस्तान) है कि मानता नहीं। पर अब वक्त है जब हम उसे मानने पर मजबूर करें। कश्मीर पर कड़े फैसले लें। हम कब तक सुरक्षाकर्मियों की शहादत सहते रहेंगे? हमें अब कश्मीर के संपूर्ण हल की ओर बढना चाहिए। यह ठीक है कि बातचीत कश्मीर समस्या को सुलझाने का सबसे अच्छा रास्ता है लेकिन इंतहा हर बात की होती है। मैं नहीं समझता कि अब और बर्दाश्त किया जा सकता है। बगैर किसी के दबाव में आएं हमें आर-पार का फैसला करना होगा। कश्मीर को अतिरिक्त सुविधाओं से मुक्त करना और सामान्य राज्य में परिवर्तित करना पहला काम होना चाहिए। आजाद कश्मीर को भारत को अपने कब्जे में लेना चाहिए।  आतंकियों और अलगाववादियों को सख्ती से सबक सिखाना होगा। हमें यह विचारधारा समाप्त करनी होगी कि कश्मीर कोई विशेष राज्य है। उसे अनुच्छेद 370 से मुक्त करना अतिआवश्यक हो गया है। गलतफहमियां मिटानी जरूरी हैं। पिछले करीब एक माह से लगातार धारा-144 और कफ्र्यू के कारण कश्मीर का हाल बेहाल है। खरीदे गए लोग कश्मीरियों और वहां पर पढ़ रहे छात्रों में दहशत फैलाकर ऐसा माहौल पैदा करना चाहते हैं कि कश्मीर में लगातार अशांति बनी रहे और दुनिया को यह संदेश जाए कि कश्मीर की अवाम आजादी चाहती है। 





(सुरेश गांधी)

कश्मीर घाटी में प्री-पैड मोबाइल फोन सेवा फिर बंद

$
0
0
pre-paid-mobile-service-again-suspended-in-kashmir
श्रीनगर, 12 अगस्त, हिंसाग्रस्त कश्मीर घाटी में कल रात से प्री-पैड मोबाइल फोन सेवा फिर से रद्द कर दी गई है। घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नौ जुलाई से भड़की हिंसा के बाद सभी कंपनियों की मोबाइल-इंटरनेट सेवा बंद है लेकिन पोस्टपैड मोबाइल फोन सेवा चालू है। साथ ही वर्ष 2010 से स्थानीय केबल चैनलों पर समाचारों के प्रसारण पर लगा प्रतिबंध भी जारी है। हालांकि जम्मू में दो स्थानीय केबल चैनल समाचारों का प्रसारण कर रहे हैं। कश्मीर घाटी में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) समेत सभी मोबाइल कंपनियाें की प्री पैड मोबाइल फोन सेवा को फिर से रद्द कर दिया गया है। घाटी में आज 35वें दिन भी जारी कर्फ्यू, हड़ताल और पाबंदियों से सामान्य जनजीवन प्रभावित है। कश्मीर घाटी में वर्ष 2010 में भड़की हिंसा में 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे जिसके बाद स्थानीय केबल चैनलों पर समाचारों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रशासन ने नौकरशाहों और अन्य अधिकारियों को स्थानीय केबल चैनलों पर किसी भी राजनीतिक चर्चा में हिस्सा न लेने के निर्देश दे रखे हैं।

Viewing all 74342 articles
Browse latest View live




Latest Images

<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>
<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596344.js" async> </script>