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बेटियाें ने मां काे मुखाग्नि दे निभाया बेटे का फर्ज

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कोरबा, 05 फरवरी, छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक महिला की मृत्यु हो जाने पर उसकी चार बेटियों ने मुखाग्नि देकर बेटे की कमी पूरी कर दी। संयोग ही था कि परिवार में कोई पुरूष सदस्य नहीं है। पिता की मौत के बाद मां कैंसर से लड़ाई लड़ रही थी। आखिरकार इस भयानक बीमारी ने उसकी जान ले ली। सूत्रों के अनुसार सिटी कोतवाली अंतर्गत पुरानी बस्ती में रहने वाले धमेन्द्र ठाकुर की दस साल पहले मौत हो गयी। पिता का साया जब सिर से उठा तो बड़ी बेटी अंजू और उसके बाद मंजू ने एक किराना दुकान में काम करते हुए घर की आर्थिक जिम्मेदारी संभाला। इस परिवार पर एक साल पहले एक और बज्रपात उस समय हुआ जब उन्हें पता चला कि गीता को कैंसर हो गया है। बहनों ने मिलकर उसे रायपुर कैंसर अस्पताल में दाखिल कराया। स्मार्ट कार्ड से गीता का इलाज हुआ। जब स्मार्ट कार्ड के पैसे खत्म हो गये तो वे अपनी मां को लेकर कोरबा आ गये। जिला चिकित्सालय में उपचार के दौरान चिकित्सकों ने भी हाथ खड़े कर दिये। आखिरकार गीता ने घर में दम तोड़ दिया। इस परिवार का एक मात्र रिश्तेदार पंजाब में रहता है। इसके अलावा दूर-दूर तक इनकी रिश्तेदारी नहीं है। इस कठिन चुनौती की घड़ी में चारो बेटियों ने बेटा बनकर अपनी मां का अंतिम संस्कार का निर्णय लिया। दुख की इस घड़ी में बस्ती वालों का भी संबल मिला। चारों बेटियों ने पहले अपनी मां को कंधा दिया। इसके बाद मुक्तिधाम में अंजू, मंजू, संध्या और रानी ने अपनी मां की चिता को अग्नि दी। 


उत्तराखंड को बसपा बनाएगी यूपी का मॉडलः मायावती

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सितारगंज, 05 फरवरी, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज दावा किया कि उत्तराखंड में चुनाव जीतने के बाद बसपा इसे यूपी मॉडल के रूप में विकसित करेगी। सुश्री मायावती ने पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में यहां चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस और भाजपा बहुजन समाज का हित नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी दावा किया कि उत्तराखंड में बसपा एक बड़ी ताकत के रूप में उभरेगी। उन्होंने पीलीभीत रोड स्थित मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करते कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर अच्छे दिनों का हवाला देते हुए निशाना साधा। उन्होंने दलित समुदाय के वोटरों का आह्वान किया कि वह अपने हकों की लड़ाई लडऩे के लिए बसपा के साथ आएं। उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी घेरा।

मजबूर लोग न्याय पाने से वंचित न हो : इलाहबाद हाई कोर्ट

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लखनऊ, 05 फरवरी, चिकित्सालय और अदालतों में लोग मजबूरी में आते हैं,न्याय के रखवालों को उन लोगों का विशेष ध्यान रखना है कि ऐसे मजबूर लोग न्याय पाने से वंचित न रह जायें। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में आयोजित दो दिवसीय न्यायिक अधिकारी सम्मेलन में इलाहाबाद न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति दिलीप बाबा साहब भोसले ने कहा कि न्यायिक अधिकारियो की कार्यशैली न्याय का प्रतिपादन एवं सभी को सुलभ न्याय की वकालत करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारी निर्भीक,स्पष्ट और सरल होकर फैसले दें जिससे समाज का हर पीडित व्यक्ति लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा कि न्याय तभी दिखाई देता है जब दोनों पक्षों ( वादी और प्रतिवादी ) में न्याय के प्रति संतुष्टि एवं विश्वास दिखाई दे। उन्होंने प्रदेशभर से आये न्यायिक अधिकारियों को शीघ्र और सुलभ न्याय के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर लखनऊ पीठ के वरिष्ठ न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा चिकित्सालय और अदालतों में लोग मजबूरी में ही आते हैं और न्याय के रखवालों को उन लोगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए । लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय , न्यायमूर्ति ए आर मसूदी एवं न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने भी न्यायिक अधिकारियों द्वारा प्रभावी तरीके से न्याय दिए जाने पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि न्याय होना ही काफ़ी नही है, बल्कि समाज में न्याय होता हुआ भी दिखाई पड़ना चाहिए । न्यायमूर्ति राजन रॉय , न्यायमूर्ति पंकज मित्तल , न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा , न्यायमूर्ति प्रत्यूश कुमार एवं न्यायमूर्ति नारायण शुक्ला ने भी न्याय के अनेक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी को न्याय की प्रक्रिया के साथ-साथ स्वयं का विवेक लगाना भी जरूरी है कार्यक्रम के अंत में उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश अरुण मिश्रा ने न्यायिक अधिकारियों को प्रभावी न्याय दिए जाने के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की । न्यायमूर्ति ने न्याय के कई अहम पहलुओं को भी विस्तार से बताया । सेमीनार के आयोजन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के वरिष्ठ निबन्धक विकास कुँवर एवं निबंधक संजय शंकर पांडेय और अन्य सभी स्टाफ ने भी अहम भूमिका निभाई।

कांग्रेस ने किया प्रत्येक घर के एक सदस्य को रोजगार का वादा

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देहरादून, 05 फरवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाद कांग्रेस ने भी आज अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया जिसमें वर्ष 2020 तक प्रत्येक घर के एक सदस्य को रोजगार देने और तीन साल में राज्य के हर गांव तक बिजली, पानी तथा सड़क पहुंचाने जैसे अनेक लोक लुभाने वायदे किये गये हैं। संकल्प पत्र में कहा गया है कि युवाओं को प्रशिक्षण और 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। हर नौजवान को फ्री स्मार्टफोन साल भर के लिए काॅलिंग और फ्री डाटा दिया जाएगा। 2017 तक मलिन बस्तियों के लोगों को मलिकाना हक दिया जाएगा। सैनिकों के हित के लिए मार्च तक नया सरकारी मंत्रालय बनाया जाएगा। गैरसैंण में नियमित विधानसभा सत्र का आयोजन होगा और मुख्यमंत्री आवास की स्थापना होगी, जिसमें सीएम महीने में कम से कम एक सप्ताह तक गैरसैंण से राजकीय कार्य करेंगे। मुख्यमंत्री हरीश रावत, पार्टी की प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी, चुनाव प्रभारी शैलजा आैर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की मौजूदगी में यहां संकल्प पत्र जारी किया गया। संकल्प पत्र में कहा गया है कि पार्टी अगले दो वर्षों को पूर्व सैनिक, युवा और महिला सशक्तिकरण वर्ष के रूप में मनाएगी, इस दौरान सरकार के सभी निर्णय, योजनाएं तथा कार्यक्रम पूर्व सैनिक, युवा एवं मातृशक्ति केंद्रित होंगे। घोषणा पत्र के मुताबिक राज्य सरकार के सभी कार्यों के टेंडर में राज्य के मूल निवासी अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों को 15 प्रतिशत अधिमान तथा पात्रता योग्यता में भी छूट दी जाएगी। सभी गर्भवती और धात्री माताओं को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से अतिरिक्त पौष्टिक आहार के साथ-साथ सप्ताह में तीन दिन दूध तथा घी भी दिया जाएगा। सभी बेरोजगार युवाओं को सरकार गठन के 100 दिन के अंदर 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। वर्ष 2020 तक प्रदेश के प्रत्येक घर में एक व्यक्ति को रोजगार या स्वरोजगार उपलब्ध कराएगी। सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में फ्री वाई-फाई की सुविधा दी जाएगी। प्रत्येक जिले में केंद्र सरकार की तर्ज पर एक सैन्य स्कूल खोला जाएगा, जिसमें सैनिक, अर्धसैनिक और शहीद सैनिकों के बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। इसके अलावा सरकार 18 से 25 वर्ष तक की उम्र के सभी शिक्षित बेरोजगार युवाओं और छात्रों को एक वर्ष के लिए फ्री डाटा व फ्री काॅलिंग सुविधा के साथ मुफ्त स्मार्ट फोन उपलब्ध कराएगी। राज्य में 500 नए माॅडल विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। सरकार एपीएल कार्डधारकों को तीन किलो गेहूं व अगले वर्ष 2018 के वित्त वर्ष में दो रुपये किलो गेहूं देगी। वर्ष 2020 तक सभी गरीबों को घर दिया जाएगा। प्रत्येक परिवार से प्रमुख महिला को एक प्रेशर कुकर और एक गैस चूल्हा मुफ्त में दिया जाएगा। जो महिलाएं स्वयं के खेतों में काम करती हैं उन्हें भी मनरेगा श्रमिक मानते हुए मजदूरी दी जाएगी। राज्य के अंदर किसी भी साक्षात्कार के लिए जाने वाले छात्रों को सरकारी बसों में फ्री बस यात्रा सुविधा दी जाएगी।

नहीं, अब कभी नहीं कांग्रेस छोड़ूंगा: अखिलेश दास

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लखनऊ, 05 फरवरी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और लखनऊ के मेयर रहे अखिलेश दास ने कहा है कि अब वह कांग्रेस कभी नहीं छोड़ेंगे। 31 जनवरी को कांग्रेस में शामिल होने के बाद पहली बार लखनऊ आये श्री दास ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने 2008 में कांग्रेस छोड़कर बड़ी भूल की थी। अब वह यह गलती कभी नहीं करेंगे। वर्ष 2019 में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी करते हुए उन्होंने कहा कि वह अब कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता बनकर गठबन्धन के उम्मीदवारों को जिताने में मदद करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे दिवंगत बनारसी दास के पुत्र श्री अखिलेश दास ने इशारों-इशारों में बताया कि उन्होंने रीता बहुगुणा जोशी की वजह से कांग्रेस छोड़ी थी। उनका कहना था कि कैशलेस की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) अब बेसलेस हो गयी है। नोटबन्दी की वजह से किसान, व्यापारी और आम जनता परेशान हो गयी है।

चुनावी बयानबाजी में लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ख्याल रखें नेता: राम नाईक

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वाराणसी, 05 फरवरी, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने सभी नेताओं से अपने बयानों में लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ख्याल रखते हुए चुनावी आचार संहिता का पालन करने के साथ ही सरकारी, राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों से जुड़े सभी पर्क्षों और राज्य के तमाम मतदाताओं से शांतिपूर्ण शतप्रतिशत मतदान का लक्ष्य हासिल करने में अपनी भूमिका निभाने की अपील की है। वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आयोजित 30वीं फेडरेशन कप वॉलीबाल चैंपियनशिप के उद्घाटन के बाद श्री नाईक ने संवाददाताओं के सवाल पर कहा कि राज्य में 2012 के विधानसभा चुनाव में 59 फीसदी और 2014 के लोकसभा चुनाव में 59 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लगभग 40 फीसदी लोगों ने मतदान में भाग नहीं लिया था। इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के अपने जनप्रतिनिधि के चुनाव करने से दूर रहना बेहद निराशाजनक है। इस बार के विधानसभा चुनाव में हर हाल में इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कल दो राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में गोवा के 83 और पंजाब के करीब 79 फीसदी मतदान का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं तथा सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से इस बार के विधानसभा चुनाव में शतप्रतिशत मतदान के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं राज्य के सभी मतदाताओं से प्रार्थना करता हूं कि वे यह विचार करें कि कैसे शतप्रतिशत मतदान संभव हो सकता हैं।” श्री नाईक ने नेताओं के तरह-तरह के बयान दिये जाने के सवाल पर चुनावी प्रचार में जुटे राजनीतिक दलों के नेताओं, उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को चुनावी बयानबाजी करते वक्त लोकतांत्रिक मर्यादाओं के स्तर का ख्याल रखने की नसीहत दी। 

मोदी को अपने अलावा सबमें कुछ न कुछ कमियां दिखाई पड़ती हैं : राहुल

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कानपुर, 05 फरवरी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें सबमें कुछ न कुछ कमियां दिखाई पड़ती है लेकिन सिर्फ अपने आप को ही सही मानते हैं। श्री गांधी आज यहां समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ कानपुर में गठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित चुनवी सभा को संबोधित कर रहे थे । इसके पहले अखिलेश यादव ने तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा ही साधा लेकिन जब कानपुर स्थित जीआईसी मैदान पर राहुल गांधी पहुंचे तो उनके निशाने पर भी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही थे। श्री गांधी ने कहा कि माेदी जी ने हंसकर गरीबाें से कहा अापकी जेब में जाे पैसा है उसे रद्द कर दिया। यह सिर्फ इसलिए क्याेंकि माेदी जी काे अपने 50 अमीर दाेस्ताें के छह लाख कराेड़ के कर्ज काे माफ करने हैं। उन्होंने कहा कि श्री मोदी को हर जगह सिर्फ स्कैम दिखाई देता है। राहुल ने कहा कि स्कैम की नई परिभाषा तो यह है एस का मतलब सेवा गरीबों के लिए, सी का मतलब क्रेज-बहादूरी सच्चाई की, ए का मतलब एबिलिटी वादे परे करने के लिए और एम का मतलब मोडिस्टी इस बात का मानना कि सबमें कुछ न कुछ कमी हाेती है। उन्हाेंने नाेटबंदी की चर्चा करते हुए कहा कि श्री मोदी ने गरीबाें के पेट पर लात मारने का काम किया है। सरकार ने गरीबाें के पैसे काे साजिश के तहत बैंकाें में फंसाए रखा ताकि वह अपने अमीर दाेस्ताें के कर्ज माफ कर सकें, जिस तरह से विजय माल्या का कर्ज माफ कर दिया। श्री गांधी ने कहा कि किसानों के कर्ज माफ करने की जरुरत थी लेकिन भाजपा को उनकी परवाह नहीं है। उन्होंने लोगाें से गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने की अपील की।

मुसलमान पर डोरे डालने में कोई किसी से कम नहीं

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लखनऊ 05 फरवरी, उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के चुनाव में जीत के लिये मुसलमानों की अहम भूमिका मानते हुए राजनीतिक दल उन पर डोरे डालने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे हैं।  बहुजन समाज पार्टी(बसपा), समाजवादी पार्टी(सपा) कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल(रालोद) जहां मुसलमानों को सीधे तौर पर रिझाने में जुटे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) मुसलमानों से विकास के नाम पर अपने से जोड़ना चाहती है। भाजपा का कहना है कि दूसरे दलों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा, उनके विकास के लिए ठोस नीति नहीं बनायी। आमतौर पर मुसलमान भाजपा को हराने वाले उम्मीदवार को वोट देते हैं। इस चुनाव में भी यही सम्भावना दिख रही है। राज्य विधानसभा के प्रथम और द्वितीय चरण में होने वाले 140 सीटों में 50 से अधिक ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी संख्या में है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में मुसलमानों की आबादी करीब 19़ 3 फीसदी है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि राज्य के पश्चिमी इलाकों में इनकी आबादी 27़ 5 प्रतिशत है। इतनी आबादी के बावजूद उत्तर प्रदेश से लोकसभा के 2014 के चुनाव में एक भी मुस्लिम चुनकर नहीं गया। मुसलमानों में इसे लेकर चर्चा होती रहती है। आंकड़ों के अनुसार 2014 का पहला ऐसा चुनाव था जिसमें इस राज्य से मुस्लिम प्रतिनिधित्व लोकसभा में नहीं पहुंचा लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में 79 मुस्लिम विधायक चुने गये थे जबकि 2007 में इनकी संख्या 56 थी। 


मुसलमानों की राजनीति करने वालों की चाहत है कि 2017 के चुनाव में मुसलमानों की विधानसभा में तादाद ठीकठाक रहे ताकि उनके मुद्दों पर बहस हो और उनके हित में निर्णय लिये जा सकें। गैर भाजपा दलों ने मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ रखी है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने बहुचर्चित विधायक मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल का अपनी पार्टी में विलय करते हुए मुख्तार, उनके बेटे और भाई को टिकट दे दिया। कौमी एकता दल की वजह से सपा में रार शुरु हुई थी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्तार और उनकी पार्टी को किसी भी हालत में सपा में विलय नहीं होने देने का निर्णय लिया था। सपा-कांग्रेस गठबन्धन और राष्ट्रीय लोकदल ने काफी मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं जबकि सुश्री मायावती ने अपनी पार्टी से 99 मुस्लिमों को टिकट दिया है। रामपुर में सर्वाधिक 70़ 2 फीसदी मुस्लिम आबादी है। रामपुर में द्वितीय चरण में 15 फरवरी को मतदान होना है। 

दरभंगा में जल संसाधन विभाग के अभियंता का शव बरामद

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दरभंगा 05 फरवरी, बिहार में दरभंगा जिले के लहेरियासराय थाना क्षेत्र अंतर्गत बलभद्रपुर मुहल्ले से पुलिस ने जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता का शव बरामद किया। अनुमंडल पुलिस अधिकारी दिलनवाज अहमद ने बताया कि जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता रामजतन महतो (55) किराये के मकान में अकेला रहता था। फोन नहीं उठाने पर पत्नी ने पुलिस को सूचना दी। त्वरित कार्रवाई करते हुये दरवाजा तोड़कर पुलिस जब कमरे के अंदर पहुंची तो बिस्तर पर अभियंता का शव मिला। श्री अहमद ने बताया कि अभियंता के कमरे से शराब की एक खाली बोतल भी बरामद की गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) भेज दिया गया है। 

बिहार सरकार एक प्रतिशत भी धान की खरीद करने में विफल : सुशील कुमार मोदी

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पटना 05 फरवरी, बिहार की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने आज कहा कि भाजपा शासित प्रदेशों में जहां उपज के 70 प्रतिशत तक धान की खरीद हुई है वहीं राज्य में मात्र एक प्रतिशत की खरीद करने में भी महागठबंधन की सरकार विफल रही है। भाजपा विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि भाजपा शासित राज्यों में जहां उपज के 70 प्रतिशत तक धान की खरीद की गयी है वहीं राज्य में मात्र एक प्रतिशत खरीद करने में भी राज्य सरकार अब तक विफल साबित हुयी है । उन्होंने कहा कि न तो बिहार सरकार ने किसानों को बोनस दिया और न ही प्राथमिक कृषि साख समिति(पैक्सों )को खरीद के लिए पैसा दिया है । श्री मोदी ने कहा कि इसी तरह न धान सुखाने के लिए क्रय केन्द्रों पर ड्रायर मशीन लगाई गयी , न पैक्सों के साथ मिलों की टैंगिग की गयी और न ही राज्य खाद्य निगम ने चावल क्रय केन्द्र ही खोला जिसके कारण राज्य के अधिकांश किसान औने-पौने दाम पर बिचैलियों को अपनी उपज बेचने के लिए विवश हैं। धान खरीद में व्याप्त अराजकता को लेकर भाजपा कल 06 फरवरी को बिहार में धरना देकर अपना विरोध जतायेगी। 


पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह बताना चाहिए कि डेढ़ लाख से ज्यादा किसानों के निबंधन के आवेदन को क्यों रद्द किया गया। उन्होंने कहा कि ढाई माह बाद भी 3.20 लाख निबंधित किसानों से मात्र 3.80 लाख मेट्रिक टन धान की खरीद ही क्यों हुई है। श्री मोदी ने कहा कि इनमें से भी मात्र 35 हजार मेट्रिक टन की ही कुटाई के लिए क्यों भेजा गया । मात्र 16 हजार मेट्रिक टन चावल ही जमा हो पाया है। उन्होंने कहा कि धान कुटने के लिए मिलर तैयार क्यों नहीं हैं यह भी सरकार को बताना चाहिए । पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रति क्विंटल चावल के लिए केन्द्र सरकार द्वारा तय 2543.91 रुपये की जगह पैक्सों को 168 रुपये की कटौती कर 2376 रुपये तथा बोरे के लिए निर्धारित 41 रुपये की जगह मात्र 15 रुपये और दो माह की जगह एक माह का ब्याज दिया जा रहा है। प्रति क्विंटल चावल पर 168 रुपये की कटौती से पैक्सों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, यदि यही स्थिति रही तो भविष्य में कोई भी पैक्स धान की खरीद नहीं कर पायेगा । 

शराबबंदी में ढिलाई बरतने पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ होगी कठोर कार्रवाई : नीतीश

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पटना 05 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि शराबबंदी को कड़ाई से लागू करने में किसी भी हाल में लापरवाही बर्दास्त नहीं की जायेगी और दोषियों के खिलाफ ऐसी कठोर कार्रवाई की जायेगी जो आगे सभी के लिये सबक होगा । श्री कुमार ने यहां के पालीगंज में अपनी ..निश्चय यात्रा .. के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शराबबंदी को कड़ाई से लागू करने में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दास्त नहीं की जायेगी । राज्य में शराबबंदी को मजबूती के साथ लागू किया जा रहा है और इसमें ढिलाई बरतने के आरोप में दो दिन पूर्व ही पटना के बेउर थाना के सभी पुलिसकर्मियों को लाईन हाजिर कर दिया गया । उन्होंने कहा कि लाईन हाजिर किये गये सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच की कार्रवाई की जा रही है । मुख्यमंत्री ने कहा कि लाईन हाजिर किये गये पुलिसकर्मी यदि जांच में दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी , जो आगे किसी के लिये भी एक सबक साबित होगा । अवैध रूप से इस धंधे में शामिल लोगों की गिरफ्तारियां भी की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अवैध रूप से शराब के धंधे में शामिल लोग लगातार पकड़े जा रहे हैं । 


श्री कुमार ने कहा कि इस कार्य में सभी लोगों का सहयोग मिलना जरूरी है । राज्य में शराबबंदी एक बहुत ही अच्छा काम हुआ है और अब प्रदेश शराबबंदी से नशामुक्ति की ओर बढ़ चला है । उन्होंने कहा कि शराबबंदी के प्रति लोगों में जागरूकता आये इसके लिये 21 जनवरी को बिहार में मानव श्रृंखला बनाया गया था जिसमें 11 हजार किलोमीटर में दो करोड़ लोगों के शामिल होने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन इसके बदले चार करोड़ लोग हाथ से हाथ मिलाकर खड़े रहे । मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की जनसंख्या अभी 12 करोड़ से कम है और उसमें से चार करोड़ लोग मानव श्रृंखला में शामिल हुए इससे यह स्पष्ट होता है कि एक तिहायी लोगों ने अपनी एकजुटता दिखायी है । इससे बड़ा साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रतीक कुछ नहीं हो सकता । उन्होंने कहा कि चीन जब अफीम से मुक्त हुआ तो बहुत आगे निकल गया और इसी तरह देश में शराबबंदी एवं नशामुक्ति के बाद भारत भी चीन से आगे निकल जायेगा । श्री कुमार ने कहा कि पिछले दिनों पटना में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शरबबंदी अभियान की सराहना की थी । प्रधानमंत्री को शराबबंदी देश में लागू करानी चाहिए और यदि इसमें उन्हें कोई कठिनाई है तो कम से कम भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) शासित प्रदेशों में लागू करा दें जिससे कि लोगों के बीच एक संदेश जायेगा । जब समाज नशा से मुक्त होगा तो राज्य एवं देश तेजी से प्रगिति के मार्ग पर आगे बढ सकेंगा । इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री कुमार ने पालीगंज प्रखंड के नरौली गांव में सरकार की ओर से चलायी जा रही सात निश्चय योजनाओं का निरीक्षण किया । इसके बाद आदर्श ग्राम नरौली में हर घर नल का जल एवं घर तक पक्की गली - नाली योजना का उद्घाटन किया । साथ ही जैविक खेती प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत वर्मी कम्पोस्ट केन्द्र का निरीक्षण किया । 

आलेख : ढ़लती उम्र को पलायनवादी न बनने दे

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उम्र के हर लम्हें को जीभर कर जीना चाहिए और उनमें सपनों के रंगों की तरह रंग भरने चाहिए, हर पीढ़ी सपने देखती हंै और उन सपनों में जिन्दगी के रंग भरती है। ढलती उम्र के साथ विश्वास भी ढलने लगता है, लेकिन कुछ जीनियस होते हैं जो ढलती उम्र को अवरोध नहीं बनने देते। वे अक्सर एक कदम आगे की एवं नयेपन की सोचते हैं। इसी नए के प्रति उनके आग्रह में छिपा होता है विकास का रहस्य। कल्पनाओं की छलांग या दिवास्वप्न के बिना हम संभावनाओं के बंद बैग को कैसे खंगाल सकते हैं? सपने देखना एक खुशगवार तरीके से भविष्य की दिशा तय करना ही तो है। किसी भी उम्र के मन में सपनों की विविधता या विस्तार उसके महान या सफल होने का दिशा-सूचक है।  स्वप्न हर उम्र का व्यक्ति संजोता है, जो बहुत आवश्यक है। खुली आंखों के सपने जो हमें अपने लक्ष्य का गूढ़ नक्शा देते हैं। अक्सर लोग स्वप्नशील लोगों पर हंसते हैं, लेकिन स्वप्नशील लोग ही सफल होते हैं। इसलिये सपनों की महत्ता पर यकीन करना ही चाहिए। शेख सादी ने बहुत मार्मिक कहा है कि जो व्यक्ति विवेक के नियम को तो सीख लेता है पर उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारता वह ठीक उस किसान की तरह है, जिसने अपने खेत में मेहनत तो की है पर बीज बोए ही नहीं।’ इसलिये जीवन को संवारने एवं उपयोगी बनाने के लिये हर लम्हें को जीना जरूरी है।


यह सच है कि हर दिन के साथ जीवन का एक नया लिफाफा खुलता है, नए अस्तित्व के साथ, नए अर्थ के साथ, नई शुरूआत के साथ। हर आंख देखती है इस संसार को अपनी ताजगी भरी नजरों से। गायक बनने की इच्छा रखने वाला करोड़ों दर्शकों के सामने गीत गाने का ख्वाब बुनता रहता है। दुनिया जीत लेने की चाहत हर इंसान की होती है। यह तो है सकारात्मक मन की उड़ान, सपनों का संसार। एक चित्रकार रंगों से, लेखक शब्दों से, संगीतकार धुनों से और अभिनेता भावों से अपने संसार को रचता है, उसमें रंग भरता है। उन्नत विचारों का जो बीज बो दें तो वही उग आता है। कुछ लोग ‘विजनरी’ होते हैं, वे जानते हैं स्वप्नों का महत्व। डा. ए.पी.जे. अब्दूल कलाम के कहे अनुसार- ‘सपने वे नहीं जो नींद में लिये जाये, बल्कि सपने वे होते हैं जो सोने नहीं देते।’ अर्नाल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक ‘सरवाइविंग द फ्यूचर’ में सलाह देते हुए लिखा है ‘मरते दम तक जवानी के जोश को कायम रखना।’ होता यही है कि उम्र के हर मोड़ पर हम जो मूल्य बनाते हैं, दिमाग में अच्छे विचारों के बीज बोनेे की क्षमता को विकसित रखते हैं, उसी से जीवन सफल और सार्थक होता है। आज इस सोच का सर्वथा अभाव है। इसीलिये उम्रदराज लोग निष्क्रिय हो जाते हैं, जीवन से पलायन की सोच उनमें घर कर जाती है। आखिर क्यों बढ़ती उम्र को हथियार बनाकर निष्क्रियता एवं अकर्मण्यता को जीने की होड पनप रही है? क्यों इस उम्र में आराम करने की उम्र के रूप में जीने की मानसिकता पनप रही है?

स्वामी विवेकानन्द, सुभाषचन्द्र बोस, गांधी, नेहरू, शास्त्री, आचार्य तुलसी - भारत के पास सदैव ऐसी ही पीढ़ी की प्रेरणाएं रही हंै, जो उम्र के बढ़ने के साथ-साथ ज्यादा सक्रिय, ज्यादा रचनात्मक, ज्यादा संवेदनशील एवं ज्यादा ऊर्जावान होकर देश एवं समाज के उत्थान में भागीदार रही। जिनका यथार्थ अलग-अलग था। जिनके सपने अलग थे। जिनके कर्म विविध थे। और जिनकेे संकट भी विविध थे। एक बात सबमें काॅमन थी-उनमें हिम्मत थी, निराशा नहीं थी। ऊंचे सपने और ऊंची कामनाएं थीं। उन्हें पाने की जिद थी। जबर्दस्ती थी। उनके लिए कुछ भी कर गुजरने का माद्दा था। वे भविष्यवादी थे। दरअसल हमारी वह पीढ़ी महज स्वप्नजीवी पीढ़ी नहीं थी, वह रोज यथार्थ से जूझती थी, उसके सामने जीवन से जुड़ी तमाम विषमताओं और अवरोधों की ढेरों समस्याएं भी थी। उनके पास कोरे स्वप्न ही नहीं, बल्कि आंखों में किरकिराता सच भी था। उनमें अपने समय की विदू्रपताओं को चुनौती देकर नया भविष्य गढ़ने का संकल्प-स्वप्न भी था। आज उन आंखों से सपने क्यों गायब हो रहे हैं? 

आज जब हम एक नये भारत का निर्माण करने में जुटें हैं, तब युवाओं के साथ-साथ ढ़लती पीढ़ी की भी ऊर्जावान सक्रियता अपेक्षित है। मशहूर ग्रीक फिलाॅस्फर हेरोडोट्स का कहना है, प्रतिकूलता हमारी मजबूतियों को सामने लाती है। जब आप अपनी सबसे बड़ी चुनौती के सामने सकारात्मक होते हैं और संरचनात्मक तरीके से रेस्पाॅन्स देते हैं, तो एक खास किस्म की दृढ़ता, मजबूती, साहस, चरित्र, जो आप में ही निहित होता है। भले ही आपको उसका अहसास नहीं हो, वह आपको निखारने लगता है। हम चलते हैं, गिरते हैं, उठते हैं। जिंदगी आगे बढ़ती है और जिंदगी के कैनवास की रेखाएं अलग-अलग आकार लेने लगती है। बस एक फर्क होता है- कुछ लोग जिंदगी में आई मुश्किलों से टूट जाते हैं, उनसे हार जाते हैं और कुछ इसे चुनौती मानते हुए दिक्कतों की आंखों में आखें डालते हैं, मुस्कराते हैं तथा मैदान में और मजबूती से डट जाते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दृढ़ इच्छाशक्ति के जरिए वह जीतते हैं, उदाहरण बनते हैं, हम सभी के लिए। आज ऐसे ही लोगों की जरूरत है। हमारे ही इर्द-गिर्द न जाने कितने ही ऐसे लोग होंगे, जिन पर अपने मुसीबतों का पहाड़ टूटते देखा होगा, मदद के दरवाजे बंद होते देखे होंगे, लेकिन क्या मजाल उनके जीवट में कोई खरोंच पड़ जाए। दरअसल भारत को ऐसे ही लोगों ने गढ़ा है, ऐसे ही लोग जिंदगी को ज्यादा मायनेदार बना सकते हैं।   

यह भी बिल्कुल सच है कि वक्त के साथ न बदलने वाले, कहीं पीछे छूट जाते हैं। सौभाग्य न केवल वीरों का साथ देता है, बल्कि उनका भी साथ देता है जो किसी भी नए बदलाव के लिए तैयार होते हैं। हम मनचाहे स्थान पर पहुंचने के लिए जो कीमत अदा करते हैं, हमारा जीवन उसी के अनुसार बनता है। वे व्यक्ति अथवा वृक्ष ही जीवित रह पाते हैं, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने की क्षमता रखते हैं। बेहतरी के लिए बदलाव चाहते हैं, तो आपको वर्तमान से असंतुष्ट होना ही होगा। जीवन में बदलाव का एक ही तरीका है आप लगातार इसे नया रूप देते रहें। कुछ भी हमेशा एक-सा नहीं रहता, जिस तरह दो व्यक्ति एक ही चीज को एक तरह से नहीं परखते। यहां तक कि विविध परिस्थितियों में एक ही व्यक्ति की राय भी बदल जाती है। हमें न केवल समय के साथ बदलना पड़ता है, बल्कि नए अविष्कार भी करने होते हैं। जब हालात बिगड़ जाएं, तो उन्हें जुगत से संवारना पड़ता है। हम जो भी कर रहे हों या हमें करना पड़े, उसी में प्रसन्नता की तलाश ही एक अच्छी पहल है। हमें अप्रसन्न नहीं रहना चाहिए, क्योंकि हालात बदलते रहते हैं। रोने, पछताने या सिर धुनने से दुख, मायूसी व निराशा के सिवा कुछ हाथ नहीं लगता। आपकी प्रत्येक गतिविधि का लक्ष्य नया निर्माण ही होना चाहिए। यह कोई ऐसी चीज नहीं जिसे आप दुनिया या दूसरे लोगों से मांग सकें, बल्कि आपको इसे पाने क लिए मेहनत करनी होगी। यह अपने साथ बहुत जिम्मेदारियां लेकर आती है उन उत्तरदायित्वों के निर्वाह और एहसास को समाज का कोई मापदंड या कोई करीबी भी आपके लिए नहीं गढ़ सकता। उन सिद्धांतों को गढ़ने के लिए अपने भीतर झांकने की जरूरत होती है। ‘फ्राॅम सेल्फ टू ग्रेटर सेल्फ’ खुद से खुद की यात्रा अक्सर सृजनात्मक कार्य करने वालों के जिम्मे ही आती है। जो न जाने कितनी अनकही अनदेखी बातों, भावों को हमारे सामने ले आते हैं। जो हो गया, उसे हम स्वीकार नहीं कर पाते। और जो नहीं मिला, उसे छोड़ नहीं पाते। अधूरी ख्वाहिशों के दुख हमें उस सुख से भी दूर कर देता है, जो हमारा हो सकता था। शारीरिक परेशानियों से हार नहीं मानने वाली हेलन केलर ने कहा है, ‘खुशी का एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। हम बंद दरवाजे को ही देखते रह जाते हैं। उसे नहीं देख पाते, जिसे हमारे लिए खोला गया था।’ हमें हेलन केलर की भांति ढ़लती उम्र को भी रचनात्मक एवं सृजनात्मक बनाना चाहिए।




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(ललित गर्ग)
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विशेष : दोष स्कर्ट का नहीं मंत्री जी, उघारी टांगों में से इज्जत के नमूने तलाशने वालों का है

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आज शाम को जरूरी काम से बाजार गई थी। वापस लौटी तो एक तकरीबन 30- 35 वर्षीय व्यक्ति जो कि साइकिल पर था उसने एक हाथ लहराते हुए आगे कोचिंग से लौट रहीं दो तीन लड़कियों में से एक लड़की के सीने पर हाथ मारा....और आगे बढ़ गया। सब मूक दर्शक बनकर देखते रहे। कुछ देर बाद उसने एक दूसरी लड़की के सीने पर फिर से हाथ मारा।

इस बार मेरे साथ-साथ पास में ही खड़ी स्कूटी सवार एक लड़की ने भी उसकी इस हरकत को देखा। मैं ये देखकर तेजी से उसकी ओर आगे बढ़ी। लेकिन वो साइकिल तेज दौड़ाते हुए आगे निकल गया। पर और किसी ने जहमत नहीं उठाई कि उसको पकड़े। शायद स्कूटी सवार लड़की गर कोशिश करती तो उसे पकड़ सकती थी। लेकिन सिर्फ मैंने ही उस व्यक्ति को ऐसा करते हुए देखा था क्या ? शायद नहीं। फिर क्यों किसी की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आई। बहरहाल एक बात और कि जिन दोनों लड़कियों के साथ यह घटना हुई उन दोनों में से किसी ने भी स्कर्ट नहीं पहन रखी थी बल्कि फुल स्लीव्स का कुर्ता पहने हुए थीं। फिर इस तरह की घटना क्यों ?


एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो 2014 में भारत में कुल 37,413 रेप के मामले दर्ज किए गए थे। यह डाटा थाने में दर्ज एफआईआर पर आधारित है। यह भी बता दें कि 2013 में एनसीआरबी ने जो आंकडे जारी किए थे उसके मुताबिक उस साल भारत में कुल 33,707 रेप के मामले दर्ज किए गए थे। यानि की 2013-14 में कुल 71120 लड़कियों के साथ रेप हुआ। उन्हें समाज में एक नमूना बनाकर खड़ा कर दिया गया। बलात्कारियों ने तार-तार कर दिया और फिर समाज ने उंगलियां उठाकर, निशानदेही करके उनके जख्मों पर बार-बार और हर बार नमक छिड़का। सवाल यह भी है कि क्या जिन आंकड़ों की बात की जा रही है इसमें से कितने ने स्कर्ट पहनी हुई थी और कितनों की ब्रा की स्ट्रैप दिखाई दी। जो बलात्कारी ने इनको चील-कौए की तरह नोंच-नोंच कर खत्म करने की कोशिश की। 

बार-बार सशक्त बनाने की बात की जाती है। पर सशक्त बनने की पहल के पहले  चरण में ही सुविधाएं दम तोडृ देती हैं। 1090 यानि की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही वूमेन पावर हेल्प लाइन की ही बात कर लीजिए। पॉलिटेक्निक से कालिदास मार्ग जाते वक्त 1090 चौराहा मिसाल लगता है। अनुभूति कराता है कि वास्तव में प्रशासन अपने कर्तव्य को सलीके से निभा रहा है। लेकिन इस तरह की खबरों ने ''पूर्वांचल की रहने वाली एलएलबी की छात्रा को जब कहीं मदद नहीं मिली तो मदद की उम्मीद लेकर वह वीमन पावर लाइन पहुंची थी। छात्रा का आरोप है कि यहां उसे कोई मदद तो नहीं मिली, उल्टे 1090 के प्रभारी इंस्पेक्टर राघवेंद्र प्रताप सिंह ही उसके पीछे पड़ गए। शुरूआती जांच के दौरान राघवेंद्र सिंह पर लगे आरोप सही सिद्ध हुए।''सारी हकीकत सामने रख दी। 

सच कहूं मानसिकता के दोयम दर्जे से काफी ठेस पहुंचती है हमें। साक्षी, दीपा, पीवी सिंधु.....भले ही रियो में खुद को साबित कर चुकी हैं। पर, इस दोगले समाज  का नजरिया अभी भी नहीं बदला है। मौका पाते ही ये फिर से बेटी और बेटे में फर्क की खाई को चौड़ा करके बेटियों को उसमें धकेल देगा। सिल्वर मैडल की चमक को आज भी तमाम रूढ़िवादी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं...और अपनी बेटी को पेट में ही मार डालने की योजना तैयार कर रहे होंगे। और फिर आपके द्वारा इस तरह का बयान......पूछिएगा अपनी बेटियों से कि आपने अपने कद के साथ, पद के साथ कितना न्याय किया है ये बात कहकर। आप प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार के ही मंत्री है न....जो सेल्फी विद डॉटर के जरिए बेटियों को समाज में अव्वल दर्जा दिलाने के लिए प्रयास करते हैं। सोचिएगा.....इस संदर्भ में कि एक तरफ तो हमें मजबूत बनाने की बात की जा रही है और दूसरी ओर पराए मुल्क की आड़ में सशक्त के तमगे पर ही कुठाराघात किया जा रहा है। गलत है....यकीन मानिए। 

बात सिर्फ आपकी नहीं है....बल्कि समूची दुनिया की है। जो मॉडर्न के लबादे से ढकने का ढोंग तो करता है लेकिन स्वीकार करने में तमाम अड़ंगे आ जाते हैं। कुछ देशों में तालिबानी फरमान जारी किया जाता है कि महिलाओं का खतना होगा, लेकिन दर्द की कल्पना नहीं की जाती.....रीति, रिवाज के ढकोसलों में लपेटकर नाक, कान छिदवा दिए जाते हैं और सब आंख मूंदकर, दांतों की किटकिटाहट के साथ दिखावा करते हैं कि उन्हें इस दर्द आभास हो रहा है। यह मजहब की चादरों के तले होता है। और धर्म भी पीछे नहीं। वो इतने पैदा करते हैं और आप पीछे क्यों हैं ? क्या पुरूषों को प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ता है। क्या प्रसव के बाद पुरूषों का शरीर कमजोर होता है। नहीं न। बंद कीजिए इन पुरानी तख्तियों पर बार-बार मरती नारी का इतिहास लिखना, जूतों के तले रखने की इबारतें गढ़ना। हमें बहानों में मारा जा रहा है। लुटती आबरूओं का ये कहकर मखौल उड़ाया जा रहा है कि बलात्कारी बच्चे हैं...लड़कपन में इस तरह की गल्तियां हो जाती हैं। कहीं राजनीतिक साजिश तो नहीं.......।

लाडली बिटिया, प्यारी बिटिया का अस्तित्व आज भी अपूर्ण है। और पूरा तभी होगा जब प्रसून जोशी की वो पंक्तियां सच हो जाएंगी कि शर्म आ रही है न.....शर्म आनी भी चाहिए।। 



श्वेता तिवारी
लखनऊ

प्रश्न : क्या पाकिस्तान विभाजन की ओर जा रहा है?

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  • ब्लूचिस्तान के बाद सिंध ने मांगी आजादी

पाकिस्तान की ज्यादती के विरोध में ब्लूचिस्तान में उठ रहीं आवाजों में आज एक और स्वर शामिल हो गया। अब सिंध प्रांत में भी पाकिस्तान से आजादी प्राप्त करने की आवाजें सुनाई देने लगीं हैं। इससे हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी स्वयं की करनी के कारण टूट कर बिखर जाए। वर्तमान में पाकिस्तान के कई प्रांतों में भारतीयता की झलक देखने को मिल जाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान स्वाभाविक रुप से आज भी भारत का ही अंग है। पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर बोला, भारत ने हमेशा सहन किया। इसके बाद भारत ने एक बार ब्लूचिस्तान के नागरिकों की भावनाओं को व्यक्त किया तो चीन और पाकिस्तान की भौंहें तन गई।


पूरा विश्व इस बात को भली भांति जानता है कि आज ब्लूचिस्तान, गिलगित और बाल्टिस्तान में जिस प्रकार से मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है, उसमें पाकिस्तान का पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। इन स्थानों पर अंदर ही अंदर पाकिस्तान के विरोध में वातावरण बना हुआ है। कुछ लोगों ने खुलकर विरोध कराना प्रारंभ कर दिया है, और कुछ लोग पाकिस्तान के दमनकारी रवैये के कारण डरे सहमे हुए हैं। अगर पाकिस्तान के इन क्षेत्रों के लोगों की भावनाओं को समझा जाए तो यह क्षेत्र किसी भी तरीके से पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहते। भारत में जिस प्रकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है, उसी तरह की बोलने की आजादी पाकिस्तान में भी होती तो संभवत: आज पूरे पाकिस्तान में ही विरोधी स्वर सुनाई दे रहे होते। सिंध और ब्लूचिस्तान की आजादी की उठ रही मांग केवल पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुनाई देने लगी है। इतना ही नहीं इन प्रदर्शनकारियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का खुलकर समर्थन भी किया है। आगे चलकर यह भी हो सकता है कि ब्लूचिस्तान और सिंध की तर्ज पर पाकिस्तान के पंजाब में भी आजादी की मांग उठने लगे। क्योंकि पंजाब के कई लोग अपने आपको आज भी स्वाभाविक रुप से भारत का हिस्सा ही मानते हैं। वहां भारतीय संस्कृति के अवशेष बिखरे हुए दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं वहां के जनजीवन में भी भारतीयता की झलक दिखाई देती है।

पाकिस्तान में आज जो हालात दिखाई दे रहे हैं, वह केवल आतंकी आकाओं की बढ़ती हुई सक्रियता का ही परिणाम कहा जाएगा। कई क्षेत्रों में बेरोजगारी और भुखमरी के हालात हैं। पाकिस्तान ने इस समस्या के समाधान के लिए किसी प्रकार के प्रयास नहीं किए। इसके विपरीत आतंकवाद को बढ़ाने के लिए पूरा समर्थन दिया। वर्तमान में पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि लोग आतंकवाद का विरोध करना भी चाहें तो भी नहीं कर सकते। ऐसा करने पर आतंकवादी अपने ही नागरिकों पर अत्याचार करते हैं। जिसका दंश भोली भाली जनता को भोगना पड़ रहा है। पाकिस्तान की जनता पूरी तरह से आतंकवाद से त्रस्त आ चुकी है। जनता की भावनाओं को किसी भी देश का समर्थन मिले तो वे बिना देर किए उसके साथ चले जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान के बाद हुआ भी ऐसा ही है। लम्बे समय से पाकिस्तान की दमनकारी अत्याचार को सहन कर रही वहां की जनता को जब लगा कि नरेन्द्र मोदी ने उनकी भावनाओं को समझा है, तो वह पूरी तरह से उनके साथ आने लगे हैं।

इसके साथ ही कश्मीर की बात करें तो वहां के वातावरण को बिगाडऩे में पाकिस्तान का पूरा हाथ रहा है। यहां पर एक बात तो साफ है कि पूरी समस्या के लिए पाकिस्तान ही दोषी है, फिर भी उलटा चोर कोतवाल को डाटे वाली तर्ज पर पाकिस्तान की सरकार चल रही है। पाकिस्तान के अपने प्रांतों में वर्तमान में जो हालत है, उसके लिए पाकिस्तान के सरकारी मुखिया और आतंकवाद फैलाने वाले संगठन ही जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान के विरोध में पाकिस्तानियों के खड़े होने का आशय यही है कि वहां का हर व्यक्ति आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। पाकिस्तान में आतंकवाद के विरोध में आवाज मुखरित करने वालों को हमेशा से ही दबाने का क्रम लगातार चलता है। आज ब्लूचिस्तान में पाकिस्तान से आजादी की मांग करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां पहले तो इस बात को समझना चाहिए कि ब्लूचिस्तान क्या है? तो इसका जवाब यही है कि ब्लूचिस्तान को आजादी के समय अलग देश की मान्यता मिली थी। यह पाकिस्तान का स्वाभाविक हिस्सा नहीं था। पाकिस्तान ने हमला करके ब्लूचिस्तान पर कब्जा किया था। तब से ही ब्लूचिस्तान के नागरिक पाक की ज्यादतियों के विरोध में आवाज उठाते रहे हैं। इसलिए यह कहना कि यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण हो रहा है, किसी भी रुप से सही नहीं है। यह बात सही है कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर बेशर्मी की हदें पार करने वाला व्यवहार करता आया है, इसलिए उससे कश्मीर के मामले में अच्छे व्यवहार की कल्पना करना निरर्थक ही है। बार-बार पराजय झेलने के बाद भी उसकी भूमिका में कोई सुधार नहीं आया है। 

ब्लूचिस्तान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच वहां के नेताओं का साफ कहना है कि पाकिस्तान और चीन ने हमेशा छीनने वाली ही राजनीति की है। लंदन में ब्लूच और सिंध के समर्थक लोगों ने प्रदर्शन करते हुए चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर बनाए जाने का भी भारी विरोध किया है। इससे यह भी साफ हो गया है कि यह लोग चीन के कदम के भी विरोधी हैं। चीन और पाकिस्तान के विरोध में उतरे लोगों ने भारत के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि वह भी भारत के सहयोग से बंगलादेश की तरह आजाद होना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने बंगलादेश का साथ देकर पाकिस्तान से आजाद कराया था। अब सवाल यह आता है कि जिस प्रकार से ब्लूचिस्तान और सिंध में पाकिस्तान से आजाद होने की आवाजें उठ रही हैं, उसमें भारत की क्या भूमिका रहेगी।

पाकिस्तान के प्रांतों में आजादी के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शनों   के चलते एक बात स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है कि पाकिस्तान भविष्य में तीन या चार हिस्सों में विभाजित हो जाएगा। मान लीजिए पाकिस्तान के चार हिस्से बनते हैं, तब ब्लूचिस्तान, सिंध और पंजाब देश पाकिस्तान के विरोध में रहेंगे। तब पाकिस्तान एक दम कमजोर हो जाएगा और फिर उसकी ओर से फैलाए जा रहे आतंकवाद की आग में वह स्वयं ही झुलस जाएगा।



सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी (उत्तरप्रदेश)
मोबाइल 09455099388

समसामयिकी : स्त्री आखेट का डिजिटल फंडा

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आकांक्षा का मामला कोई आपराधिक वारदात नहीं है और यह मुक्त बाजार की तकनीकी क्रांति की नई संस्कृति है,जिनसे बचने के लिए स्त्री को उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार और प्रेम विवाह जैसे निजी जिंदगी के मसलों में आजादी देने के बारे में जब तक हम सोचने को तैयार नहीं होते ,इन वारदातों से अपनी बेटियों को बचाने की कोई गारंटी नहीं है। बेहद खर्चीली जीवनशैली स्त्री आखेट का अमोघ हथियार है।क्रयशक्ति के लिए जोखिम उठाने में परहेज न करने का अंजाम कितना भयंकर है,आकांक्षा का कुल किस्सा यही है।



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पितृसत्ता के निर्मम मनुस्मृति अनुशासन के कारण सामाजिक जेलखाने में कैद स्त्री के लिए डिजिटल पंख खुले हुए आसमान की तरह है। उस आजाद आसमान में अनंत उड़ान की आकांक्षा की परिणति पारिवारिक सामाजिक स्त्रीविरोधी पर्यावरण से जनमी वर्जनाओं की वजह से मुक्ति की छटफटाहट में रंग बिरंगे जोखिम उठाने की वजह से अक्सर भयंकर त्रासदी में बदल जाती है। बांकुड़ा में बैंक के चीफ मैनेजर की बेटी आकांक्षा शर्मा की अनंत मुक्ति आकांक्षा की परिणति भी कुछ ऐसी ही हुई है। फेसबुक मित्रता के आधार पर अमेरिका में यूनिसेफ में नौकरी का बहाना बनाकर प्रेमी के साथ भोपाल जाकर हमेशा के लिए सीमेंट की ममी में तब्दील होकर रह गयी आकांक्षा। ऐसे युवा प्रेमी को आकांक्षा ने फेसबुक प्रोफाइल से चुना,जो क्रिमिनल पर्सनलिटी डिसआर्डर का शिकार है,महीनों तक जो पानी नहीं पीता और उसकी जगह शराब पीते रहकर नहाता भी नहीं है।
आकांक्षा ने ऐसे प्रेमी के साथ महीनों रहकर अपने मां बाप को लगातार  धोखा दिया। सोशल मीडिया के मार्फत स्त्री आखेट का अनंत सिलसिला है। फेसबुक ही नहीं,मोबाइल जी समूह के मार्फत जो आजादी का नया आसमान खुला है,उससे इसीतरह बिन मेघ जब तब बिजलियां गिरकर सबकुछ राख बना देती हैं। समाज और परिवार में पितृसत्ता के वर्चस्व की वजह से पढ़ी लिखी युवा लड़कियों में फेसबुक या मोबाइल की नई दुनिया में जीने की लत पड़ गयी है। अक्सर इनके फेसबुक पेज पर निजी अलबम सेल्फी के अलावा कुछ होता नहीं है।

इन तस्वीरों का भी नानाविध इस्तेमाल होता है और इन तस्वीरों के जरिये भी वे रंग बिरंगे दुश्चक्र में आसानी से फंस जाती हैं,जहां वे अंततः अकेली निहत्था मर कर निजात पाने या अपनी पसंद का नर्क जीनेके लिए नियतिबद्ध हो जाती है। स्त्री शिक्षा को अभूतपूर्व प्रोत्साहन के नये परिवेश से बड़े पैमाने पर लड़कियां पढ़कर काबिल बन रही हैं।लेकिन पितृसत्ता की वजह से शिक्षित होने के बावजूद वे निजी जिंदगी के बारे में फैसला करने को आजाद नहीं हैं। नतीजतन परिवार और समाज के बंधनों में कैद होकर उन्हींके तय दायरे में जिंदगी गुजर बसर करने के लिए वे मजबूर हैं।दूसरी ओर,डिजिटल इंडिया में तकनीक ने भूगोल के सामाजिक पारिवारिक सांस्कृतिक दायरे तहस नहस कर दिये हैं और तकनीक मार्फत बेशकीमती आजादी के लिए अतृप्त कुंठित हो गयी लड़कियों के लिए चुतर सुजान स्मार्ट शिकारियों के जाल में फंसने का खुल्ला राजमार्ग है। फर्ज करें कि आकांक्षा की हत्या नहीं हुई होती और वह अब भी जी रही होती तो वह जिंदगी कैसी होती।महीनों अमेरिका में नौकरी करने वाली बेटी से व्हाट्सअप संपर्क से ही परिवार वाले बिना किसी पता ठिकाना,बिना किसी पुकार,कुशल क्षेम के संतुष्ट रहे हैं। इसीतरह न जाने कितने वक्त और वह भोपाल में अमेरिका जी रही होती आपराधिक मानसिकता के शिकार एक अपराधी की तरह,जहां उसे परिवार या समाज की कोई मदद यकीनन नहीं मिलती। कानून और व्यवस्था इस डिजिटल तकनीकी स्त्री आखेट के मामले में एफआईआर दर्ज होने तक धर्मनिरपेक्ष है और अक्सर वे आगे कार्रवाई के लिए परिजनों की हैसियत के मुताबिक फैसला करते हैं।

पितृसत्ता में स्त्री की दासी शूद्र दशा के नतीजतन ही देस दुनिया में हजारों साल से देह की मंडिया शुरु होती है और इन देहमंडियों को हम रेड लाइट एरिया या प्राचीन भाषा के मुताबिक वेश्यालय कहते हैं। अब इन देहमंडियों का भूगोल सर्वव्यापी हो गया है। रेड लाइट एरिया किसी नगर महानगर में ठीक  कहां से शुरु होता है,कहना बेहद मुश्किल है।क्रयशक्ति के निर्णायक हो जाने और गैरजरुरी जरुरतें और सेवाएं अनिवार्य हो जाने से क्रयशक्ति के प्रदर्शन से आजाद और मौज मस्ती के जीवन के भूलभुलैय्या में बड़े पैमान पर देश के हर हिस्से में अबाध स्त्री आखेट निरकुंश है। स्त्री शिक्षा के लिए जितने सुधार हुए है,उस तुलना में प्रेम और विवाह की स्वतंत्रता पितृसत्ता ने उच्च शिक्षित ओहदेदार लड़कियों तक को अभीतक नहीं दी।दहेज,घरेलू हिंसा की बेलगाम वारदातें और बलात्कार सुनामी इसके नतीजे हैं। दूसरी ओर,रोजगार के सिलसिले में, पेशे में,कार्यस्थलों मे प्रवेशाधिकार अब भी अबाध नहीं है।वहां गोरी त्वचा और पारिवारिक हैसियत के साथ क्रयशक्ति निर्णायक हैं। जिस पैमाने पर देश भर में जाति धर्म नस्ल क्षेत्र निर्विशेष लड़कियां पढ़ लिख रही है,विभिनन्न क्षेत्रों में नेतृत्वकारी महिलाओं की आंसिक उपस्थिति के बावजूद इन तमाम लड़कियों के लिए उनकी पसंद का रोजगार मिलना सुनिश्चित नहीं है। कुल मिलाकर रोजगार सृजन पढ़े लिखे युवाओं की कुल जनसंख्या के अनुपात में बेहद कम है।पढ़ने लिखने के बावजूद इन लड़कियों या स्त्रियों को जब रोजगार न मिले और जवानी पार करते करते विवाह के जरिये संतोष जनक क्रयशक्ति संपन्न आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित न होने की स्थिति में अतृप्त  महात्वाकांक्षा और पितृसत्ता की बदौलत नानाविध वर्जनाओं की शिकार ऐसी स्त्रियां डिजिटल आखेट की सबसे आसान शिकार हो जाती हैं।इसका प्रतिरोध लगभग असंभव है।बुजुर्ग महिलाओं का आखेट भी आम है. कुल मिलाकर यही आकांक्षा और उसकी जैसी असंख्य युवा स्त्री की कथा है।

सोशल मीडिया के जरिये उदयन की पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा की आकांक्षा शर्मा से दोस्ती हुई थी। आकांक्षा आरोपी के साथ यहां भोपाल के साकेत नगर में उसके घर में रहती थी, जबकि आकांक्षा ने अपने माता-पिता को बताया था कि वह अमेरिका में रह रही है। गत दिसंबर से आकांक्षा के माता-पिता का जब उससे संपर्क होना बंद हो गया तो उन्हें इस पर संदेह होने लगा। उन्होंने पांच जनवरी को पुलिस के पास इसकी शिकायत की. आकांक्षा के मोबाइल टावर का लोकेशन देखकर पता चला कि वह भोपाल में है। इसके बाद बंगाल पुलिस भोपाल गयी। उदयन से पूछताछ से पता चला कि आकांक्षा की हत्या कर उसने शव को एक ट्रंक में रखकर उसे घर के भीतर ही दफन कर दिया। आकांक्षा के शव को उदयन के पहली मंजिल स्थित घर में सीमेंट कंक्रीट के बने चबूतरे से 3 फरवरी की सुबह ड्रिल मशीनों से खोदकर निकाला जा सका। उदयन ने आकांक्षा की हत्या करने के बाद अपना गुनाह छुपाने के लिये उसकी लाश को एक लोहे के बाक्स में डाला और फिर इस बाक्स को एक और बड़े बाक्स में डालकर उसे पहली मंजिल स्थित अपने घर के कमरे में सीमेंट कंक्रीट के चबूतरे में डालकर चुन दिया और चबूतरे के ऊपर मार्बल लगा दिया।

आकांक्षा का मामला कोई आपराधिक वारदात नहीं है और यह मुक्त बाजार की तकनीकी क्रांति की नई संस्कृति है,जिनसे बचने के लिए स्त्री को उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार और प्रेम विवाह जैसे निजी जिंदगी के मसलों में आजादी देने के बारे में जब तक हम सोचने को तैयार नहीं होते ,इन वारदातों से अपनी बेटियों को बचाने की कोई गारंटी नहीं है। आकांक्षा की परिणति इतनी दुःखद है कि आकांक्षा के शव की हालत ठीक न होने के कारण उसका पार्थिव शरीर जो नरकंकाल के सीमेट ममी में तब्दील हो गया है, को बांकुड़ा के मां बाप के घर न लाने का फैसला किया गया । लिहाजा दुःखी परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार भोपाल में ही कर दिया। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने हाल में उदयन को भोपाल में उसकी प्रेमिका आकांक्षा उर्फ श्वेता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। जांच पड़ताल में यह भी पता चला कि उदयन का जीवन यापन बेहद खर्चीला था। रायपुर के अलावा दिल्ली में भी उसके दो फ्लैट हैं। वहां से महीने का 15 हजार रुपये उसे किराया हासिल होता था। इसके अलावा उसका साढ़े आठ लाख रुपये का एक फिक्स्ड डिपोजिट भी है जिससे उसे ब्याज हासिल होता था। बेहद खर्चीली जीवनशैली स्त्री आखेट का अमोघ हथियार है।क्रयशक्ति के लिए जोखिम उटाने में परहेज न करने का अंजाम कितना भयंकर है,आकांक्षा का कुल किस्सा यही है।

मीडिया की खबरों के मुताबिक बांकुड़ा की आकांक्षा शर्मा की हत्या के मामले में आरोपी उदयन दास ने भोपाल पुलिस के सामने स्वीकार किया है कि उसके साथ लिव-इन रिलेशन में रह रही आकांक्षा की हत्या से पहले उसने अपने माता-पिता की भी हत्या कर उनके शवों को जमीन के नीचे  गाड़ दिया था।  पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी साकेत नगर में अपने मकान की पहली मंजिल के अपने घर में काफी विलासितापूर्वक रहता था। घर के तीनों कमरों में एलसीडी लगे हैं और उसके पास एक महंगी कार भी थी। लेकिन घर की साफ सफाई के लिये उसने कोई नौकर नहीं रखा था। उसके घर में चारों ओर सिगरेट के टुकड़े और शराब की खाली बोतलें बिखरी पड़ी थीं। पुलिस ने बताया कि पुलिस जब दो फरवरी को उसे गिरफ्तार करने उसके घर में घुसी तो घर में होटल से लाये गये खाने के सड़ने और गंदगी से सारा घर बदबू मार रहा था। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी पिछले लगभग तीन माह से पानी की स्थान पर शराब और बीयर पी रहा था और करीब तीन माह से ही उसने नहाया भी नहीं था। अपने शरीर की दुर्गंध दूर करने के लिये वह महंगे परफ्यूम लगाता था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उदयन अक्सर लड़कियों के साथ बाहर घूमने जाता था, यह लड़कियां अपनी अपनी पहचान छुपाने के लिये अमूमन अपने चेहरे पर हिजाब लगाये रहती थीं। भोपाल के एसएसपी रमन सिंह सिकरबार ने बताया कि जांच के लिए पुलिस की एक टीम को रायपुर भेजा जा रहा है।                          

खबरों के मुताबिक उदयन दास ने पुलिस को बताया कि  वर्ष 2010 में उसने अपने माता-पिता की छत्तीसगढ़ के रायपुर में अपने पैतृक घर में हत्या कर दी थी। घर के सामने ही बाग  में उसने अपने माता-पिता के शव को दफना दिया। इसके बाद उसने रायपुर का अपना घर बेच दिया। हालांकि इससे पहले पुलिस को उदयन ने बताया था कि वर्ष 2010 में उसके पिता पीके दास की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गयी थी। उसने यह भी बताया था कि उसकी मां इंद्राणी दास अमेरिका में रहती हैं.।लेकिन उसके बयान में पुलिस को कई विरोधाभाष मिले तो सख्ती से पूछताछ करने पर उदयन टूट गया और फिर उसने कहा कि उसने ही अपने माता-पिता की हत्या की है। उदयन ने पुलिस को बताया कि उसने आकांक्षा की हत्या पिछले साल 14 जुलाई को की जबकि पहले उसने पुलिस को बताया था कि उसने दिसंबर में यह हत्या की थी। पुलिस ने बताया कि आरोपी युवक आकांक्षा पर अपना अधिकार रखना चाहता था और उसने आकांक्षा की हत्या इसलिये की, क्योंकि वह मोबाइल फोन पर अपने किसी अन्य पुरुष मित्र से बात करती थी।





(सबिता बिश्वास)

महावीर वात्सल्य अस्पताल में अत्याधुनिक केन्द्रीय आपातकालीन चिकित्सा सेवा की शुरूआत

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पटना,  महावीर वात्सल्य अस्पताल परिसर में अत्याधुनिक केन्द्रीय आपातकालीन चिकित्सा सेवा की शुरूआत श्री किशोर कुणाल, सचिव, श्री महावीर मंदिर न्यास समिति, पटना के कर कमलो द्वारा अपराह्न 12ः30 बजे हुई । यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध करायी जायेगी जिसके तहत एक विशेष केन्द्रीय वार्ड बनाया गया है जहाँ विशेष रूप से प्रशिक्षित चिकित्सक, नर्स, ओ. टी. सहायक और वार्ड अटेंडेंट कार्यरत रहेंगे और आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में आये रोगियों को सर्वप्रथम इस वार्ड में तैनात चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक चिकित्सा किये जाने के साथ ही संबंधित विभागों में आवश्यकतानुसार भर्ती किया जायेगा । श्री किशोर कुणाल ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि बड़े लम्बे समय से महावीर वात्सल्य अस्पताल में केन्द्रीय आपातकालीन चिकित्सा सेवा की शुरूआत करने की हमारी साध थी, वह आज पूरी हो गयी है । इस सेवा के शुरूआत होने से त्वरित इलाज की जा सकेगी एवं मरीजों को एकीकृत व्यवस्था का लाभ मिलेगा । खासकर हृदय रोग, गंभीर बच्चों एवं माताओं को उसके शीघ्रताशीघ्र चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलेगा । श्री किशेर कुणाल ने इस अवसर पर आगे कहा कि उन्हें आज हर्ष हो रहा है कि महावीर वात्सल्य अस्पताल में बच्चों के समुचित चिकित्सा हेतु राज्य के प्रथम पीडियाट्रिक सर्जन और पीडियाट्रिक न्यूरोलाॅजिस्ट सफलापूर्वक कार्य कर रहें हैं जिसके माध्यम से जन्मजात हृदय विकारों से ग्रसित नवजात शिशुओं और बच्चों की जानें बचायी जा रही है । महावीर वात्सल्य अस्पताल के शासी निकाय के अध्यक्ष न्यायमूर्ति उदय सिन्हा ने परोपकार के लिए श्री महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा पाँच अस्पताल स्थापित करने के लिए श्री किशोर कुणाल के प्रयासों की सराहना की । उन्होंने कहा कि इस अस्पताल के खुलने के बाद गरीब मरीजों को भी न्यूनतम राशि में उत्कृष्ठ उपकरणों से सुसज्जित चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिल रहा है ।

ए. एन. एम. नर्सेज टेंनिग इंस्टीच्यूट एवं महावीर पारामेडिकल ट्रेनिंग एवं रिसर्च इंस्टीच्यूट के निदेशक डाॅ. एस. पी. श्रीवास्तव  ने कहा कि इस अस्पताल ने अल्पाविध में ही जनहित के कल्याण एवं अस्पताल द्वारा प्रदान की जानेवाली चिकित्सकीय सेवाओं के कारण पूरे पटना सहित बिहार राज्य में ख्याति अर्जित कर ली है । उन्होंने विशेषकर अस्पताल के शिशु रोग विभाग, हड्डी रोग विभाग एवं पैथोलाॅजी विभाग द्वारा प्रदान की जानेवाली अत्याधुनिक सुविधाओं हेतु अस्पताल को बधाई दी । आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए महावीर वात्सल्य अस्पताल के निदेशक प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ. एस. एस. झा ने कहा कि महावीर हृदय अस्पताल में स्थापित किये गये कैथलैब में अत्याधुनिक मशीनें विश्वस्तरीय हैं । महावीर वात्सल्य अस्पताल में नवजात शिशुओं की समुचित देखरेख के साथ ही भ्पही तपेा चतमहदंदबल बंेमे की संख्या में हो रही उतरोत्तर वृद्धि के लिए स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे सतत प्रयासों की सराहना की । डाॅ. झा ने इस अवसर पर हड्डी रोग विभाग में चिकित्सा हेतु आये मरीजों के माईनर, इंटरमीडियट और मेजर सर्जरी के लिए, आॅपरेशन, दवायें और बिस्तरों के तीन दिनों के खर्च सहित क्रमशः 10 हजार, 20 हजार और 30 हजार के पैकेज के साथ जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी हेतु 40 हजार के पैकेज की घोषणा की । जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी हेतु मरीजों को दवायें और कृत्रिम जोड़ मरीजों को स्वंय खरीदना होगा । समारोह के अंत में महावीर वात्सल्य अस्पताल के अपर निदेशक श्री एम. डब्लू. ए. अंजुम ने धन्यवाद ज्ञापन किया । इस अवसर पर विराट रामायण मंदिर के परियोजना निदेशक श्री आर. बी. पी. यादव, स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. वीणा मिश्रा, पैथोलाॅजी विभागाध्यक्ष डाॅ. मनोरमा मिश्रा, शिशु रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. राकेश सिंह, हृदय रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. अशोक कुमार, पीडियाट्रिक हृदय सर्जन मेजर (डाॅ.) प्रभात कुमार, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. अभिषेक गोलवारा सहित नगर के अनेक गणमान्य लोगों के अलावे बड़ी संख्या में चिकित्सकगण उपस्थित थे ।

पूजा चोपड़ा, जिमी शेरगिल के साथ नजर आएँगी एक फिल्म में।

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मिस इंडिया रह चुकी पूजा चोपड़ा जिन्हें हम कमांडो फिल्म में देख चुके हैं ,वो अब  आनेवाली हिंदी फिल्म ये तो टू मच हो गया में जिमी शेरगिल के साथ नजर आएँगी।फिल्म के निर्माता हैं अली उनवाला और निर्देशक हैं अनवर खान। पूजा चोपड़ा ने बताया की कमांडो के बाद उनका एक्सीडेंट हो गया था जिसके कारण उन्हें 6 महीने तक बेड रेस्ट करना पड़ा और बाद में अच्छी स्क्रिप्ट का इंतजार करने लगी। जब ये कहानी सुनी तो मुझे लगा की ये मुझे करना चाहिए और मैंने फिल्म साईन करली। इस फिल्म में अरबाज खान ,जरीना वहाब ,ब्रूना अब्दुल्लाह ,मुरली शर्मा और विजय पाटकर भी हैं। फिल्म की ज्यादा शूटिंग थाईलैंड में हुई है। इ 4 यू के अयूब खान इस फिल्म को दो सितम्बर को रिलीज कर रहे हैं। इस फिल्म का संगीत जी म्यूजिक के पास है

मनोरंजन टीवी मसाला : कपिल शो कलर्स पर

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टेलीविजन के चर्चित सीरियलो में शामिल ‘द कपिल शर्मा शो’ जो की देखा जाए तो अब सोनी टीवी पर प्रसारित हो रहा है, वैसे भी देखा जाए तो सोनी पर प्रसारित हो रहे कपिल के शो ‘द कपिल शर्मा शो’ जिसमे की हमे कपिल की फैमेली अपनी चुलबुली अदाकारी से सभी का मनोरंजन करते हुए नजर आती रही है। अब यह चर्चा सुनने को मिल रही है कि कपिल का यह शो कलर्स चैनल पर भी दिखाया जाएगा, आप सोच रहे होंगे कि क्या कॉमेडियन कपिल पुनः कलर्स चेनल्स से जुड़ गए तो ऐसा नही है. कलर्स चैनल ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि वह कपिल के पूर्व के हो चुके शो के एपिसोड जो की हो चुके है उन्हें पुनः अपने चैनल पर दिखाएगा।


अंगूरी भाभी ‘विभूति’ संग ले रही है विदेश में मजे

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टेलीविजन के चर्चित शो ‘भाबी जी घर पर हैं’ की टीम ने इंडिपेंडेंस डे सेलिब्रेशन पर अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एन्जॉय किया। इस दौरान सीरियल में अक्सर ट्रेडिशनल साड़ी में नजर आने वाली अंगूरी भाभी उर्फ शुभांगी अत्रे टाइम्स स्कवॉयर पर वेस्टर्न स्टाइल में नजर आईं। इतना ही नहीं अंगूरी भाभी ने विभूति नारायण मिश्रा उर्फ आसिफ शेख के साथ लंच भी एन्जॉय किया। इस दौरान गोरी मेम यानी अनीता भाभी (सौम्या टंडन) ने भी विभूती और अंगूरी को ज्वाइन किया। हालांकि मनमोहन तिवारी (रोहिताश गौड़) को वीजा न मिल पाने के कारण वो न्यूयॉर्क में हुए इंडिपेंडेंस डे सेलिब्रेशन में नहीं पहुंच सके। अफसोस की बात तो यह है कि पूरी टीम में से केवल तिवारी जी का वीजा ही रिजेक्ट किया गया। इस दौरान देखा गया की अंगूरी भाभी जमकर शॉपिंग करती हुई नजर आई।

बीमार नहीं बीमारी को दूर करने की है जरूरत : आशुतोष कुमार सिंह

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इंदौर की पांच वालिकाएं बनीं ‘स्वस्थ वालिका स्वस्थ समाज’ की गुडविल एम्बेसडर, ईवा वेलफेयर ऑरगाइनेशन ने स्वस्थ भारत यात्रा का किया स्वागत, प्रेस क्लब इंदौर में हुए कार्यक्रम में वक्ताओं ने दिया स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का संदेश, 16000 किमी की स्वस्थ भारत यात्रा अप्रैल में होगी पूरी, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के मार्गदर्शन में भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने पर चल रही है यह यात्रा


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इंदौर। स्वस्थ भारत यात्रा के इंदौर पहुंचने पर इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित समारोह में ईवा ऑर्गनाइजेशन की ओर से स्वागत किया गया। आयोजित समारोह में स्वस्थ भारत यात्रा के प्रकल्पक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि बालिकाओं के सेहत के सवाल की लगातार अनदेखी हो रही है। लोगों की संवेदना को झकझोरने और सामाजिक नजरिया बदलने के मकसद से यह यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अंग्रेजों को भगाने के लिए भारत छोड़ों आंदोलन की शुरूआत की थी उसी तरह हमारे साथियों ने देश से बीमारी को भगाने के लिए एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की परिकल्पना की है। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य के सवाल पर लोगों का जागरूक होना जरूरी है। इस परिप्रेक्ष्य में ‘अपनी दवा को जाने’ और जेनरिक मेडिसिन को लेकर चलाये जा रहे मुहिम की विस्तार से जानकारी दी। मौजूदा समय में स्वास्थ्य नीति का ताना—वाना बीमारों को ठीक  करने के ईदगिर्द घूम रही है। जबकि बीमारी खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने जीवन शैली को बदलने की चर्चा करते हुए कहा कि तुलसी, नीम जैसे हर्वल का इस्तेमाल कर हम स्वस्थ् रह सकते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि नीम और तुलसी के पौधे व्यापक स्तर पर लगाएं। इंदौर शहर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ मनोहर भंडारी ने कहा कि स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की अवधारणा ‘स्वस्थ समाज’ की दिशा में एक सार्थक पहल है। यह समाज में बालिकाओं के प्रति बढ़ी नकारात्मकता को कम करने की दिशा में उठाया गया एक बेहतर अनुष्ठान है। इस मौके पर इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वस्थ भारत यात्रा की इस मुहिम को भ्ररपूर समर्थन दिया, साथ ही इंदौर की होनहार बालिकाओं को ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ का गुडविल एम्बेसडर बनाए जाने पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि मीडिया के पास  नकारात्मक खबरों को स्थान देने की जगह तो होती है लेकिन सकारात्मक खबरों को कम जगह मिल पाती है। ऐसे में जरूरत है आशुतोष एवं इनकी टीम के जैसे किए जा रहे सार्थक कार्यों को मीडिया में भरपूर जगह मिले। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन ने कहा कि गांधी का चिंतन लोगों तक ले जाना और बालिकाओं के प्रति उनके स्वास्थ्य के नजरिये को प्रसारित करना गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।  ईवा वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन की ओर से आशुतोष कुमार सिंह, कुमार कृष्ण्न् और विनोद रोहिल्ला को सम्मानित किया गया। ईवा वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन की संस्थापक अध्यक्ष भारती मांडोले ने कहा कि बालिका किसी से पीछे नहीं है। उन्होंने इस यात्रा के मुहिम की सराहना की और कहा यह गर्व का विषय है कि हमें इंदौर में स्वागत करने का अवसर मिला।

शहर की पांच बालिकाएं बनी गुडविल एंबेसडर, वृसाली टिकलकर बनीं उनकी संरक्षक
प्रेस क्लब इंदौर में आयोजित इस समारोह में इंदौर शहर की पांच बालिकाओं को वृसाली टिकलकर साहू के संरक्षण में गुडविल एम्बेसडर बनाया गया। सात सालों से आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देकर पांच हजार वालिकाओं को प्रशिक्षित करनेवाली दलजीत कौर, नेत्रहीन एवं मूक वधिर को आत्म रक्षा का गुड़ सिखाने वाली रानी हनोतिया, सेवाभावी वैदेही व्यास, थ्रो वॉल में राष्ट्रीय स्तर नाम कमा चुकी सपना कुलकर्णी एवं गीत संगीत के साथ— साथ स्वास्थ की दुनिया में नाम कमाने वाली डॉ अश्विनी राठौर को स्वस्थ भारत (न्यास) की ओर से गुडविल एम्बेसडर मनोनित किया गया। 

खुशी के आंसू
समारोह में सम्मान पाकर दलजीर कौर और रानी हनोतिया इतनी भावुक हो गयी कि उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। इनके संबोधन के एक एक शब्द इतने भावपूर्ण थे कि सभी की आंखे गिली हुए बिना नहीं रह सकी। इस अवसर पर डॉ. अश्विनी राठौर से संगीत के माध्यम से बुलंद हौसले के साथ आगे बढ़ने की अपील की। 
देवास के झुग्गी बस्ती में पहुंची स्वस्थ भारत यात्रा
यात्रा टीम 5 फरवरी की सुबह भोपाल से चलकर इंदौर पहुंची। इस दौरान रास्ते में देवास के झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के बीच समय बिताया। टीम को स्थानीय लोगों ने बताया कि स्वच्छता के नाम पर सरकारी पैसे तो खूब आएं हैं लेकिन शौचालय के नाम पर इन्हें आज भी चार सौ मीटर दूर जाकर सार्वजनिक शौचालय की अस्वच्छ व्यवस्था में मल त्याग करना पड़ता है। इस स्थिति पर यात्री दल ने हैरानी जतायी और स्थानीय लोगों को आश्वस्त किया कि उनकी बात सरकार तक पहुंचायी जाएगी। हालांकि इस बीच एक महिला के वक्तव्य ने सबका ध्यान आकृष्ट किया जिसमें उसने कहा कि झुग्गी में गंदगी नहीं मिलेगी तो और क्या मिलेगी?

कल यात्रा पहुंचेगी झाबुआ
गौरतलब है कि स्वस्थ भारत यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वें वर्षगांठ पर आरंभ किया गया है। नंई दिल्ली में मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस यात्रा को गांधी स्मृति एंव दर्शन समिति, संवाद मीडिया, राजकमल प्रकाशन समूह, नेस्टिवा अस्पताल, मेडिकेयर अस्पताल, स्पंदन, जलधारा, हेल्प एंड होप सहित अन्य कई गैरसरकारी संस्थाओं का समर्थन है। 6 फरवरी को यह झाबुआ में रहेगी। 16000 किमी की जनसंदेशात्मक यह यात्रा अप्रैल में समाप्त होगी।
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