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बिहार : हाजीपुर में दो लोगों की गोली मारकर हत्या

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हाजीपुर 05 मार्च, बिहार में वैशाली जिले के नगर थाना अंतर्गत गुदरीबजार के पास अपराधियों ने आज दिनदहाड़े व्यवसायी और उसके कर्मचारी की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि पटना सिटी के मारुफगंज के रहने वाले थोक व्यापारी अंकित कुमार (32) और उसका कर्मचारी शंभुनाथ (28) खुदरा विक्रेताओं से बकाया राशि की वसूली कर वापस लौट रहे थे। तभी गुदरीबाजार के जगदम्बा मंदिर के निकट मोटरसाइकिल पर सवार दो अपराधी उन्हें राेक कर लूटपाट करने लगे। इसका विरोध करने पर अपराधियों ने व्यवसायी और कर्मचारी की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद वे फरार हो गये। सूत्रों ने बताया कि पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की छानबीन कर रही है। हालांकि इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। लाश को पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल भेज दिया गया है। 


झारखंड सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध : रघुवर

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रांची 05 मार्च, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने समाज के हाशिये पर खड़े व्यक्ति के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दुहराते हुये आज कहा कि इनकी बेहतरी के लिए ही सरकार ने इन्हें क्षतिपूर्ति के आधार पर भूमि का हस्तांतरण करने की शक्ति प्रदान की है। श्री दास ने यहां आयोजित चंद्रवंशी सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि भूमि मालिकों को उनकी जमीन का कृषि सहित अन्य उद्देश्यों में इस्तेमाल करने के लिए ही छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) और संतालपरगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियम में संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी, गरीब और पिछड़े समाज के बच्चे पढ़ाई-लिखाई में पीछे नहीं रह जाएं, इसके लिए सरकार ने एक 50 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ एक अलग कोष का गठन किया है। साथ ही गरीबों के बच्चों को बेहतर उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने में मदद करने के लिए मुख्यमंत्री फेलोशिप स्कीम की शुरुआत की गई है। इसके तहत अलग से 10 करोड़ का आवंटन किया गया है। श्री दास ने कहा कि समाज में समरसता कायम रखने के लिए लगातार प्रयास होते रहे हैं लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने समरस समाज के ताने-बाने को तोड़ने और राष्ट्रवाद की भावना को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें भगवान बिरसा मुंडा, शहीद सिद्धू-कान्हू एवं स्वतंत्रता सेनानियों के बताये मार्ग का अनुसरण करना है ताकि राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के सफर में हाशिये पर खड़े प्रत्येक व्यक्ति को साथ लेकर चल सकें।”


मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से स्वतंत्रता आंदोलन को जन आंदोलन का रूप दिया था। उन्होंने कहा कि देश में समतामूलक समाज की स्थापना महात्मा गांधी का सपना था और वह बापू के इस सपने को पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है और सूचना प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक विकास के इस दौर में दुनिया काफी तेजी से बदल रही है। ऐसे में स्वहित के लिए यह जरूरी है कि अपने विचारों में बदलाव लाया जाए अन्यथा देश और राज्य विकास की दौड़ में पिछड़ जाएंगे। श्री दास ने कहा कि शराब पीना एक बीमारी की तरह है और इस बीमारी का इलाज के लिए समाज में जागरुकता लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार शराबमुक्त घोषित करने वाले प्रत्येक गांव को एक लाख रुपये का इनाम देगी। उन्होंने दहेज को समाज के लिए कलंक बताया और कहा कि दहेज लेने वाला परिवार कभी सुखी और समृद्ध नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में आये लोगों से समाज की इन बुराइयों को समाप्त करने की अपील करते हुये कहा कि लोगों को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह शराब का सेवन नहीं करेंगे, दहेज नहीं लेंगे तथा पुत्र और पुत्री के बीच बिना भेदभाव किये उन्हें शिक्षित और कुशल बनाएंगे। श्री दास के अलावा इस सम्मेलन को राज्य के शहरी विकास मंत्री सी. पी. सिंह, स्वास्थ्य मंत्र रामचंद्र चंद्रवंशी एवं अन्य गणमान्य लोगों ने भी संबोधित किया। 

नीतीश के सुशासन में आईएएस अधिकारी सड़कों पर उतरने को बाध्य : सुशील कुमार मोदी

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पटना 05 मार्च, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक कांड की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने से बचने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि श्री कुमार के कथित सुशासन का हाल यह है कि इस मामले में 120 से अधिक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ा।  भाजपा विधानमंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि प्रश्नपत्र लीक मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग पर भाजपा डटी हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कुमार के कथित सुशासन का हाल यह है कि इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राज्य के 120 से ज्यादा आईएएस अधिकारियों को सड़कों पर उतरने, मानव श्रृंखला बनाने, काली पट्टी बांधने, राज्यपाल को ज्ञापन देने और मुख्यमंत्री के मौखिक आदेश को मानने से इनकार करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। श्री मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि प्रश्नपत्र लीक मामले में जब उनके अधिकारियों को ही पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा नहीं रह गया है तो फिर आम जनता को कैसे विश्वास होगा। बिहार इकाई के साथ ही केंद्रीय आईएएस अधिकारी संघ ने भी इस मामले में बिहार पुलिस की कार्रवाई पर अविश्वास जता कर जब सीबीआई जांच की मांग की है तो मुख्यमंत्री इससे पीछे क्यों हट रहे हैं। 


भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि आईएएस अधिकारी एवं बीएसएससी के निलंबित अध्यक्ष सुधीर कुमार को झारखंड के हजारीबाग से गिरफ्तार किये जाने के बाद उनकी गिरफ्तारी का स्थान पटना क्यों बताया गया। जब पूर्व अध्यक्ष को तीन दिन की छुट्टी दी गई थी तो क्या पुलिस उनके वापस आने तक इंतजार नहीं कर सकती थी। उन्होंने कहा कि एक आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार करने हजारीबाग जाने वाली पुलिस दुष्कर्म मामले में आरोपी कांग्रेस नेता ब्रजेश पाण्डेय एवं व्यवसायी निखिल प्रियदर्शी तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा करने वाले सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के निलंबित विधायक मेवालाल चैधरी को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं कर सकी। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि प्रश्नपत्र लीक मामले में वे दो मंत्री और 12 से अधिक सत्तारूढ़ दल के विधायक कौन हैं जिनसे पुलिस पूछताछ की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही है। इस मामले के सूत्रधार संजीव और अभिषेक से किस मंत्री के संबंध हैं। आयोग के निलंबित सचिव परमेश्वर राम और पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार के बयान को सरकार सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है। मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व किसी पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को क्यों नहीं दिया गया। श्री मोदी ने कहा कि बिहार इकाई और केन्द्रीय आईएएस अधिकारी संघ की सीबीआई जांच कराने की मांग के बावजूद क्या मुख्यमंत्री को डर है कि सीबीआई जांच में उनके कई मंत्री और विधायक बेनकाब हो जायेंगे। क्या सरकार पेपर लीक मामले के तमाम तथ्यों को विधानमंडल के पटल पर रखेगी। 

भोजपुर में मौत के बाद थाना और प्रखंड कार्यालय पर उग्र भीड़ का हमला, आगजनी

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आरा 05 मार्च, बिहार में भोजपुर जिले में कल पुलिस अभिरक्षा में हुयी एक राजमिस्त्री की मौत से उग्र लोगों ने आज जमकर हंगामा किया और बड़हरा थाना तथा प्रखंड कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ करने के बाद पुलिस जीप में आग लगा दी । पुलिस अधीक्षक छत्रनील सिंह ने यहां बताया कि शराब पीने के आरोप में बड़हरा थाने की पुलिस ने राम सज्जन ततवा को गिरफ्तार किया था जिसकी कल शाम मौत हो गयी थी। ततवा की मौत से उग्र भीड़ ने थाना और प्रखंड कार्यालय पर हमला किया । इस दौरान उपद्रवियों ने थाने के बाहर खड़ी एक जीप में आग लगा थी तथा पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक जवान का सिर फट गया है । श्री सिंह ने बताया कि बाद में उपद्रवियों ने प्रखंड कार्यालय पर हमला कर वहां फर्नीचर को तोड़ दिया । उन्होंने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और कई थानों की पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रित कर लिया है। घायल पुलिसकर्मी का इलाज स्थानीय अस्पताल में किया गया है। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों की पहचान की जा रही है और उनपर सख्त कार्रवाई की जायेगी । 

भारत और पाकिस्तान लाहौर में करेंगे सिंधु जल संधि पर वार्ता

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नयी दिल्ली, 5 मार्च, भारत और पाकिस्तान 20-21 मार्च को लाहौर में सिंधु जल संधि के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करेंगे। स्थायी सिंधु आयोग :पीआईसी: की यह बैठक भारत द्वारा वार्ता स्थगित कर देने के फैसले के छह महीने बाद हो रही है। भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा उरी में आतंकवादी हमला करने के बाद इस संधि पर वार्ता स्थगित कर दी थी। यह बैठक इसलिए हो रही है क्योंकि संधि के अनुसार वित्त वर्ष में कम से कम एक बार बातचीत अनिवार्य है। भारत के सिंधु जल आयुक्त और विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस वाषिर्क बैठक के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। आयोग की पिछली बैठक मई, 2015 में यहां हुई थी। भारत ने सिंधु नदी जल को साझा किए जाने पर चर्चा के लिए पाकिस्तान में होने जा रही बैठक में अपनी सहभागिता को यह कहते हुए ज्यादा भाव नहीं दिया था कि यह सरकार स्तर पर भारत-पाक वार्ता की बहाली नहीं है। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के आतंकवादी हमलों के बाद वार्ता रूक गयी थी।

भारत ने हाल की घटनाओं को लेकर अमेरिका के सामने गहरी चिंता प्रकट की

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वाशिंगटन, 5 मार्च, भारत ने हर्दिश पटेल की हत्या समेत भारतीय मूल के लोगों से जुड़ी दुखद घटनाओं को लेकर अमेरिका सरकार के सामने अपनी गहरी चिंता प्रकट की है। वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने आज ट्वीट किया कि राजदूत नवतेज सरना ने हर्दिश पटेल और दीप राय से जुड़ी हाल की दुखद घटनाओं पर अमेरिकी सरकार के समक्ष गहरी चिंता प्रकट की है। दूतावास ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘राजदूत नवतेज सरना ने ऐसी घटनाएं रोकने और भारतीय समुदाय की रक्षा की जरूरत पर बल दिया। ’’ भारतीय मूल के 43 वर्षीय पटेल की बृहस्पतिवार को अमेरिका में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। उससे कुछ दिन पहले कंसास में एक भारतीय अभियंता की हत्या कर दी गयी थी। इसी बीच अमेरिकन सिख काउंसिल ने सभी गुरूद्वारों को चौकस रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सूचना देने को कहा है। उसने एक बयान में कहा कि सिख अमेरिकियों से सभी समुदायों, धर्मावलंबियों, स्कूल, नागरिक संगठनों के संपर्क में रहने का अनुरोध भी किया जाता है ताकि उन्हें समुदाय के सदस्यों पर भावी हमलों को लेकर जागरूक किया जा सके।


नकद लेन-देन पर शुल्क लगाना बहुत ही पश्चगामी कदम : चिदंबरम

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नयी दिल्ली, 5 मार्च, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम ने आज कहा कि कुछ सरकारी एवं निजी बैंकों द्वारा उनकी शाखाओं में एक निश्चित संख्या के बाद नकदी लेन-देन करने पर शुल्क लगाना बहुत ही पश्चगामी कदम है। फिलहाल एचडीएफसी, आईसीआईसी बैंक और एक्सिस बंैक समेत कुछ बैंक महीने में चार बार के मुफ्त लेनदेन के बाद पैसा जमा करने या निकालने पर कम से कम 150 रपये शुल्क वसूलते हैं। चिदम्बरम ने ट्वीट किया, ‘‘नकद जमा करने या निकालने पर लगने वाला बैंक शुल्क बहुत ही पश्चगामी कदम है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि ग्राहक एक ही बार में नकद निकाल लंे और उसे अपने घर में रख लें तो क्या बैंक खुश होंगे?’’

एमसीडी चुनाव जीतने पर दिल्ली को हम लंदन जैसा बना देंगे : केजरीवाल

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नयी दिल्ली, 5 मार्च, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आज कहा कि आगामी निगम चुनाव में यदि आम आदमी पार्टी को जीत मिलती है तो वह दिल्ली को लंदन जैसा बना देगी। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने दिल्ली में दो वषरें में जितना काम किया है उतना भाजपा 10-15 वषरें में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में नहीं कर पायी। उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव में आपने 67 सीटें दी और इस बार आप कोई ऐसा फर्क मत कीजिए। यदि हम दिल्ली नगर निगम चुनाव जीत गए तो हम दिल्ली में चार चांद लगा देंगे और उसे एक साल में लंदन जैसा बना देंगे। ’’ आगामी निगम चुनाव के लिए उत्तम नगर में प्रचार करते हुए उन्होंने अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को आकषिर्त करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेजा है। यह मुद्दा दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने लंबित है। ’’ आप प्रमुख ने कहा कि उन्होंने दो साल पहले विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जो वादे किए थे उन्हें उनकी सरकार ने पूरे किए। इस बीच पूर्व कांग्रेस विधायक मुकेश शर्मा की अगुवाई में इलाके के कुछ बाशिंदों ने जनसभा के दौरान काले झंडे दिखाए।


अमेरिका ने भारतीय.अमेरिकी पीड़ितों के लिए शीघ्र न्याय का आश्वासन दिया

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वाशिंगटन, 5 मार्च , अमेरिका ने आज भारत को भेदभाव से जुड़ी घटनाओं के भारतीय.अमेरिकी पीड़ितों के लिए शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के वास्ते सभी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आश्वासन दिया। अमेरिका में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिका सरकार की ओर से विदेश विभाग ने संवेदना प्रकट की और आश्वासन दिया कि वह शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए सभी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। ’’ अमेरिका में भारतीय राजदूत नवतेज सरना ने हर्दिश पटेल और दीप राय से जुड़ी दुखद घटनाओं को लेकर अपनी गहरी चिंता प्रकट करने के लिए अमेरिका के विदेश विभाग से संपर्क किया था। नवतेज सरना ने ऐसी घटनाएं रोकने और भारतीय समुदाय की रक्षा की जरूरत पर बल दिया। पटेल मामले में काउंटी के शेरीफ ने संकेत दिया कि शायद यह घृणा आधारित अपराध न हो। भारतीय दूतावास के सूत्र ने कहा, ‘हम उनके संपर्क में बने रहेंगे।’’ अटलांटा में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने संबंधित परिवार से मिलने, संवेदना प्रकट करने और जरूरी सहायता पहुंचाने के लिए अपने एक अधिकारी को लगाया है। सूत्रों ने कहा कि वाणिज्य दूतावास गुजरात के प्रवासियों सहित सभी प्रवासी भारतीयों के संगठन के साथ भी संपर्क में है। भारतीय मूल के 43 वर्षीय पटेल की बृहस्पतिवार को अमेरिका में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। उससे कुछ दिन पहले कंसास में एक भारतीय अभियंता की हत्या कर दी गयी थी।

‘कुछ का साथ, कुछ का विकास’ में विश्वास करते हैं अखिलेश, राहुल : मोदी

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वाराणसी, 5 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे ‘‘कुछ लोगों’’ के विकास में विश्वास रखते हैं और हर चीज को वोटों के चश्मे से देखते हैं। अपने प्रतिद्वंद्वियों, विशेष रूप से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए मोदी ने कहा कि जैसे लोगों को ‘मोतियाबिंद’ होता है, वैसे ही सपा और कांग्रेस को ‘वोटबिंद’ है क्योंकि ‘‘उन्हें वोटों के चश्मे से इतर कुछ नजर नहीं आता है।’’ अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रोडशो के बाद एक जनसभा में मोदी ने कहा, ‘‘जैसे मोतियाबिंद से ग्रस्त लोग ऑपरेशन के बाद ही देख पाते हैं, ये नेता भी सिर्फ वोटों के जरिए ही देखते हैं।’’ सपा की सरकार पर कल्याणकारी योजनाओं में भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, सपा सिर्फ ‘‘कुछ का साथ, कुछ का विकास’’ में विश्वास करती है जबकि वह ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ में यकीन रखते हैं। मोदी ने कहा, ‘‘सपा और बसपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, पहला ए :अखिलेश: सपा और दूसरा बी :बहुजन: सपा :बसपा: है।’’ उन्होंने कहा कि अखिलेश और राहुल ‘‘नाजुक’’ लोग हैं जो कठिन फैसले नहीं ले सकते। उन्होंने अपने को जमीन से जुड़ा नेता बताया जो राज्य का विकास कर सकते हंै।


हालिया चुनावों में कांग्रेस की हार पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा, एक दिन अनुसंधान किया जाएगा कि क्या उसका अस्तित्व भी था, क्योंकि वह ‘‘सभी जगहों से खत्म हो रही है।’’ उन्होंने कहा, अखिलेश को उनका राजनीतिक सत्ता अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मिली है, जबकि राहुल को यह अपने ‘‘पूर्वजों से मिली है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘वे इतने नाजुक लोग हैं जो कठिन फैसले नहीं ले सकते हैं। वे सोचते हैं, क्या होगा यदि उनके पास जो है वह खो जाये। मेरे पास विरासत में मिला कुछ नहीं है।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘मुझे जो भी मिला, वह काशी के लोगों के आशीर्वाद से मिला। मैं देश को उसकी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए कड़े फैसले ले सकता हूं। मुझमें ऐसा करने का साहस है।’’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने सपा, बसपा और कांग्रेस को एक साथ विरोध में ला खड़ा किया है, जबकि पूरा देश इसका समर्थन कर रहा है।

यहां बड़ी संख्या में मौजूद छोटे व्यापारियों तक पहुंचने के प्रयास में मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार का अभियान छोटे व्यापारियों को छूएगा भी नहीं क्योंकि इतने वषरें में नेताओं और बाबुओं ने देश को लूटा है। खुद को मुश्किल दिन देखने वाला ‘‘माटी का लाल’’ बताते हुए, मोदी ने कहा कि उनमें मुश्किल फैसले करने की क्षमता है। सर्जिकल स्ट्राइक का साक्ष्य मांगने के लिए विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए उन्होंने नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक पर विस्तार से चर्चा की। मोदी ने कहा कि सत्ता में मौजूद उनके प्रतिद्वंद्वी चुनावी जीत को ध्यान में रखते हुए समाज के कुछ लोगों के हितों के लिए फैसले लेते हैं, जबकि वह सबके विकास के लिए काम कर रहे हैं।

सुडी युवा शक्ति मधुबनी ने मनाया होली मिलन समारोह

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मधुबनी , 05 मार्च,  सुडी युवा शक्ति, मधुबनी के तत्वावधान मे आर के मैरैज गार्डेन मे शहर मे पहली बार होली मिलन समारोह का भव्य आयोजन हुआ! समारोह की अध्यक्षता संगठन के संरक्षक श्री मोहन राउत जी के द्वारा किया गया! अध्यक्ष प्रहलाद पुर्वे एवं कोषाध्यक्ष अमरनाथ प्रधान ने संयुक्त ऱुप से मंच संचालन किया गया! मुख्य अतिथि के रूप मे पुर्व मंत्री (बिहार सरकार) श्री राजकुमार महासेठ, विधान पार्षद श्री सुमन महासेठ, हायाघाट विधायक श्री अमरनाथ गामी, पुर्व मंत्री श्री (बिहार सरकार) श्री केदार प्रसाद,, पुर्व विधायक श्री अरुण शंकर प्रसाद व शहर के कई गणमान्य व्यक्ति की उपस्थिति रही! सभी अतिथियो को मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग, दोपट्टा से संगठन ने सम्मानित किया गया! सुडी समाज के लगभग सभी लोगों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम मे अपनी एकजुटता दिखाई!सन्नी आरकेस्ट्रा, मधुबनी के गायक व गायिका ने अपने हुनर से होली मिलन समारोह को यादगार बना दिया! कार्यक्रम को सफल बनाने मे संगठन के सदस्य -रवि कुमार राउत,मुकेश पंजियार, सुनील महतो ,कृष्णा महासेठ, रमण कुमार, सुमन कुमार ,गुड्डु चौधरी, सौरभ प्रधान, रवि महथा व किशोर कुमार महतो की भुमिका सराहनीय रही!

विशेष : सामाजिक सरोकार और स्टारडम

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महानायक अमिताभ बच्चन ने फैसला किया है की वो अपनी संपत्ति अपने पुत्र अभिषेक बच्चन और पुत्री श्वेता बच्चन (नंदा) में बराबर-बराबर बांटेगे। अब अभिषेक और श्वेता चाहे तो शिकायत कर सकते है की अगर अमिताभ अपने कैरियर के दौरान “फेंके हुए पैसे” उठा लेते तो उनको मिलने वाली संपत्ति और भी अधिक हो सकती थी। अमिताभ ने ये निर्णय लिंग-समानता(जेंडर-इक्वालिटी) को प्रोत्साहन देने के लिए किया है। अमिताभ ने ये घोषणा ट्विटर पर एक फ़ोटो पोस्ट करके की, जो कि मनोरंजन जगत में “नोटबंदी” के बाद  दूसरी सबसे बड़ी घोषणा मानी जा रही है। बिग बी अगर लिंग-समानता के लिए कुछ करना ही चाहते थे तो उन्हें पुत्री के साथ-साथ पुत्र को भी फ़िल्म-इंडस्ट्री में आने से रोकना चाहिए था इससे लिंग- समानता का उद्देश्य भी सफल हो जाता और सामाजिक सेवा भी हो जाती। वैसे अमिताभ बच्चन संपत्ति के साथ साथ अपनी आधी अभिनय क्षमता भी अपने पुत्र अभिषेक को दे देते तो शायद कई डाइरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स की संपत्ति बर्बाद होने से भीे बचा सकते थे।


स्टारपुत्र या स्टारपुत्री होने का यहीं फायदा और कायदा है की आप चाहे कुछ भी कारनामे करे,आपको अच्छी कार और नाम दोनों मिलता है और चाहे आप भले ही  कितनी भी फजीहत करे लेकिन बदले में आपको नसीहत और वसीयत ही मिलती है। बॉलीवुड के खबरिया सूत्रो की माने तो अमिताभ ने यह घोषणा करने पहले अपने बच्चों को “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते है….” वाला डायलॉग सुनाया और घोषणा करने के बाद फिर “आज खुश तो बहुत होंगे तुम…” वाला डॉयलॉग सुनाकर, सूचना समाप्ती की घोषणा की। इंसान चाहे कितना भी सफल हो जाए, कितना भी बड़ा स्टार बन जाये, जनता के बीच भगवान मानकर पूजा जाने लगे फिर भी अपने परिवार के प्रति, विशेषकर अपने बच्चों के प्रति थोडा पक्षपाती हो ही जाता है। अमिताभ कई सालो तक टेलीविजन पर लोगो को करोड़पति बनाने के लिए तरह तरह के सवाल पूछते रहे और जब बात अपने बच्चों की आई तो उन्हें बिना कोई सवाल पूछे ही सीधा करोड़पति बना दिया।

अभिषेक बच्चन तक तो ठीक है लेकिन अगर उदय चोपड़ा और तुषार कपूर को भी उनके परिवार ने आधी संपत्ति दी या फिर देने की सोची तो फिर देश में आपातकाल लगाने जैसा माहौल बन सकता, गृहयुध्द की स्थिति भी बन सकती है क्योंकि इनकी फिल्में देखकर समय और पैसा खो चुकी जनता अपना आपा खोने में समय नहीं लगाएगी। अमिताभ बच्चन ने अपने इस निर्णय से सामाजिक सरोकारों की बहुत बड़ी “रेखा” खींच दी है। अब राजनैतिक दलो को भी  पिछले दरवाज़े से आगे आकर सामाजिक सरोकारों को पूरा करने के लिए अपने परिवार से ही पहल करनी चाहिए क्योंकि पहल से ही हल निकलेगा जिसका उपयोग वो किसानो की राजनीती चमकाने में भी कर सकते है। कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियंका गांधी को भी अपनी माँ सोनिया गांधी से उनकी संपत्ति में पचास प्रतिशत हिस्सा मांग लेना चाहिए क्योंकि जिस तरीके से पूरी कांग्रेस और  श्री राहुल गांधी परफॉर्म कर रहे है उससे बहुत संभव है की श्रीमती सोनिया गांधी की आधी से ज़्यादा संपत्ति राहुल जी को लॉन्च करने में व्यय हो जाये।

सामाजिक सरोकारों को “स्टारडम” के ज़रिये ही पूरा किया जा सकता है ,बेईमान व्यवस्था से लड़ता,जूझता आम आदमी सामाजिक सरोकारों को उनके अंजाम तक पहुँचाने का दम नहीं रखता है। ये दम, स्टारडम से आता है क्योंकि स्टारडम पाते ही इंसान, सिस्टम के गुरत्कवार्षण से ऊपर उठ जाता है और फिर कानून व्यवस्था का पंजा आपको “बीइंग ह्यूमन” बनकर समाजसेवा करने से नहीं रोक सकता।


liveaaryavart dot com

---अमित कुमार---

विशेष आलेख : डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता के सबब

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विमुद्रीकरण के बाद डिजिटल भुगतान प्रणाली और कैशलेस अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लोगों ने स्वागत किया है। लेकिन डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए महीने में चार बार से अधिक नकदी लेन-देन पर शुल्क की व्यवस्था जनता की परेशानियां बढ़ायेगा, उन पर अतिरिक्त बोझ पडे़गा। इस व्यवस्था के अन्तर्गत बैंकों ने अपने-अपने ढंग से शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। जिसके विरोध में विभिन्न स्तरों पर स्वर भी उठने लगे हैं। डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता लागू करने से पहले अबाध डिजिटल गेटवे को सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी है। अन्यथा नकदी पर नकेल कसने की जबरन थोपी गयी यह व्यवस्था ज्यादती ही कही जायेगी। इससे न केवल आम जनता की बल्कि व्यापारियों की समस्याएं बढ़ेगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि नोटबंदी की नाकामी को ढं़कने के लिये डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता का सहारा लिया जा रहा है, यह सरकार की अतिवादी सोच है। 


आय कर चुकाने वाले व्यक्ति को पूरा अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी जमा की गयी रकम को किस रूप में खर्च करे। उसे खर्च करने का तरीका बताने की कोशिश सरकार को क्यों करनी चाहिए या फिर बैंकों को उसके खर्च करने के तरीके को नियंत्रित करने का अधिकार क्यों होना चाहिए? अपना ही जमा पैसा अगर कोई व्यक्ति निकालना चाहता है तो उसे बगैर किसी ठोस तर्क के ऐसा करने से क्यों रोका जाना चाहिए? तमाम अध्ययनों से जाहिर हो चुका है कि भारत जैसे देश में, जहां अधिसंख्य लोग तकनीकी संसाधनों के संचालन से अनभिज्ञ हैं, डिजिटल लेन-देन को अनिवार्य बनाना उचित नहीं है। कालेधन, भ्रष्टाचार एवं आर्थिक अपराधों पर नियंत्रण के लिये सरकार की योजनाओं एवं मंशा पर संदेह नहीं है, लेकिन इनके लिये आम जनता पर तरह-तरह के बोझ लादना बदलती अर्थ-व्यवस्था के दौर में उचित नहीं कहा जा सकता। हमने देखा भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिये नोटबंदी की गयी, लेकिन इससे एक नया भ्रष्टाचार पनपा और बैंकों ने खुलकर यह भ्रष्टाचार किया। अब फिर डिजिटल भुगतान के नाम पर आम-जनता को ही क्यों शिकार बनाया जा रहा है?

अगर सरकार बैंकों से नकदी निकालने पर नियंत्रण रखना चाहती है, तो उसे डिजिटल भुगतान पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करना चाहिए। नोटबंदी के समय सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया था। इसके लिए इनामी योजनाएं भी चलाई र्गइं। इन शुरू की गई लकी ग्राहक योजना और डिजि-धन व्यापार योजना में विभिन्न आयु वर्गों, व्यवसायों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं। तमाम बैंक और ऐप आधारित वित्तीय कंपनियां  डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रयास कर रहे हैं। नोटबंदी के दौरान जब बैंकों में नकदी की किल्लत थी, सरकार ने डिजिटल भुगतान को शुल्क मुक्त रखने का आदेश दिया था। पर बैंकों और कंपनियों ने फिर से वही प्रक्रिया शुरू कर दी। ऐसे में, जब लोगों को बैंकों से पैसे निकालने और नकदी-रहित भुगतान दोनों के लिए शुल्क देना पड़ रहा है, तो उनका रोष समझा जा सकता है।

डिजिटल भुगतान की अनिवार्यता को लागू करने से जुड़ा एक अहम सवाल है कि क्या पूरे देश में अबाध डिजिटल गेटवे तैयार हो चुका है? इसमें कोई शक नहीं कि हमें बहुत बड़ी तादाद में लोगों को बहुत कम समय में इंटरनेट, स्मार्टफोन, डिजिटल पेमेंट के तौर तरीके सिखाने हैं, यह बहुत कठिन है. इसमें तकनीक, इंटरनेट तक पंहुच, प्रशिक्षण की बातें है, दूर-दराज गांवों को तो छोड़ दीजिए, शहरों तक में इंटरनेट और मोबाइल फोन की अबाध सेवा नहीं है, लोगों में इन चीजों की तकनीकी ज्ञान का अभाव है। तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ समुचित साधनों का अभाव भी बड़ी बाधा है। गांवों में आज भी लोगों को मोबाइल फोन से बात करने के लिए उन जगहों पर जाना पड़ता है, जहां नेटवर्क की पहुंच सहज हो। इसलिए जरूरी यह भी है कि डिजिटल गेटवे की व्यवस्था को भी समानांतर तरीके से सुलभ और मजबूत किया जाए। जब तक इंटरनेट की अबाध सेवा नहीं होगी, डिजिटल गेटवे की सहज सहूलियतें नहीं दी जाएंगी, डिजिटल भुगतान को कामयाबी के साथ लागू नहीं किया जा सकेगा। इन स्थितियों में इसकी अनिवार्यता सरकार की बिना सोची-समझी व्यवस्था होगी, जो हठधर्मिता ही कही जायेगी। क्योंकि हमारा देश अभी डिजिटल गेटवे की दृष्टि से अपरिपक्व है। जिन देशों में तकनीकी सहूलियतें और डिजिटल गेटवे व्यवस्था बेहतरीन है, वहां भी डिजिटल भुगतान सेवा पूरी तरह कामयाब नहीं है। अमेरिका में अब भी 46 प्रतिशत भुगतान नकद में होता है। अमेरिका और यूरोप के जिन देशों में ब्लूमबर्ग ने सर्वे किया, उन देशों में ई-वालेट, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और बिटकाइन जैसी सहूलियतें मौजूद हैं। इसके बावजूद नार्वे को छोड़कर, बाकी जगहों पर नोट का ही ज्यादा इस्तेमाल चलन में है।

यह एक विरोधाभास ही है कि एक तरफ ई-भुगतान और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार पुरस्कार योजनाएं लागू कर रही है, दूसरी ओर उन पर शुल्क की व्यवस्था भी थोप रही है। ऐसी स्थिति में वे एक हद तक ही कामयाब हो पाएंगी। डिजिटल भुगतान को लेकर लोगों की ललक तभी बढ़ पाएगी, जब भुगतान के लिए उन्हें फीस न देनी पड़े, उनके सामने उन्नत डिजिटल तकनीक हो। डिजिटल भुगतान के लिए पेमेंट गेटवे वाली कंपनियां जिस तरह मोटी फीस वसूल रही हैं, उससे लोगों में गुस्सा है और वे इसे अपनी मेहनत की कमाई की बर्बादी ही मान रहे हैं। इसलिए मुफ्त भुगतान सेवा वाले डिजिटल गेटवे भी मुहैया कराने होंगे। अन्यथा लोगों को डिजिटल भुगतान के लिए आकर्षित कर पाना आसान नहीं होगा।

अभी नोटबंदी के दर्द से जनता उपरत भी नहीं हो पायी है, अब बैंकों ने नकदी निकासी पर लगाम कसने का उपाय निकाला है। माना जा रहा है कि इससे लोगों डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित किया जा सकता है। डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने के पीछे सरकार की मंशा है कि इससे काले धन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। नकदी का प्रवाह जितना कम होगा, काले धन की संभावना उतनी ही कम होती जाएगी। मगर हकीकत यह है कि डिजिटल लेन-देन आम लोगों के लिए उलझनभरा एवं तकनीकी काम है। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लोगों को नकदी पर निर्भर रहना ही पड़ता है। फिर व्यापारियों और छोटे कारोबारियों के लिए संभव नहीं है कि वे डिजिटल भुगतान पर निर्भर रह सकें। कारोबारियों को वैसे भी महीने में कई बार पैसे निकालने और जमा कराने की जरूरत पड़ती है, इसलिए नकदी निकासी की सीमा तय कर देने और उससे अधिक निकासी पर मनमाना शुल्क वसूले जाने से उन्हें अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। उधर डिजिटल भुगतान करने पर बैंक सेवा कर के रूप में अतिरिक्त रकम वसूलते हैं। नकदी-रहित लेन-देन को बढ़ावा देने के नाम पर बैंकों को दोहरी कमाई का मौका देना किसी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता। बैंकों की कमाई एवं सरकार के द्वारा तरह-तरह के नये-नये कर वसूलना न्यायसंगत होना चाहिए। एक आदर्श शासन व्यवस्था की यह अनिवार्य शर्त होती है।

पूरे देश को कैशलेस बनाने की बात की जा रही है। कहा जा रहा है कि देश उस दिशा में आगे बढ़ रहा है जहां सिर्फ प्लास्टिक मनी होगी। यानी कोई नोट नहीं होगा कोई सिक्का नहीं होगा। लेकिन कैसे मुमकिन है उस देश को कैशलेस बनाना जहां एक बड़ी आबादी पढ़ना-लिखना ही न जानती हो। बिहार के मोतिहारी का एक गांव ऐसा भी है जहां के ज्यादातर लोगों को अभी तक एटीएम कार्ड कैसा होता है ये भी नहीं पता है। ये तो एक गांव की बात है देश में ऐसे हजारों गांव है जहां लोगों को एटीएम के बारे में पता नहीं है। गांवों के देश में तकनीकी व्यवस्थाएं थोपने से पहले गांवों को तकनीकी प्रशिक्षण देना होगा, उन्हें दक्ष बनाना होगा। राजनीतिक लाभ उठाने के नाम पर जनता का जीवन दुभर बनाना किसी अघोषित विद्रोह का सबब न बन जाये? प्रेषक:



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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट25, 
आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92 फोन: 22727486

विशेष आलेख : असम का यह यंत्रणा शिविर अब भारत का जलता हुआ सच है और हिंदुत्व के एजंडे का ट्रंप कार्ड भी।

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 हां हैं वे टीन की तलवारें?
अमेरिका में ताजा हमले हिंदू और सिख भारतीयों पर हुए हैं।इसलिए  ट्रंप के हिंदुत्व की परिभाषा कुल मिलाकर वहीं है,जो भारत में संघ परिवार के हिंदुत्व की है।गौरतलब है कि हिंदुत्व के तमाम सिपाहसालारों के मुसलमानों के कुलीन तबके से रोटी बेटी का रिश्ता है,जिसके ब्यौरे सार्वजनिक हैं और उन्हें दोहराने की जरुरत नहीं है।

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2003 में नागरिकता छीनने का काला कानून पास होने के बाद आधार योजना के शुरुआती दौर से इस गैर संवैधानिक निजी कारपोरेट उपक्रम के खिलाफ हम लिखते बोलते रहे हैं।काल आधी रात के बाद हमें फेसबुक लाइव के जरिये फिर आपकी नींद में खलल डालने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि अब मिड डे मिल के लिए भी बच्चों और रसोइयों के लिए केंद्र सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य बना दिया है।सिर्फ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया है,लेकिन वे भी आधार के विरोध में नहीं है।नागरिकों की स्वतंत्रता,संप्रभूता,निजता गोपनीयता की क्या कहें,भारत में मीडिया और राजनीति के नजरिये से नागरिकों की जान माल की कोई परवाह नहीं है। अमेरिका से लेकर एशिया के कोरिया जापान तक में एक एक नागरिक के लिए सरकार, सेना,राजनीति,राजनय और समूची अर्थव्यवस्था एकजुट हो जाती है,उसकी कोई परिकल्पना हमारे लोकतंत्र में नहीं है।आम नागरिकों की सेहत पर नोटबंदी जैसे जनसंहारी  नस्ली अभियान का कोई असर नहीं हुआ है।असहिष्णुता के अंध राष्ट्रवाद की पैदल सेना अब जुबांबंदी के हक में मुहिम चला रही है।


भोपाल गैस त्रासदी,गुजरात नरसंहार,सिख संहार,बाबरी विध्वंस,दंगाई मजहबी सियासत, नस्ली हिंसा अब भारत की राजनीतिक संस्कृति है। दमन उत्पीड़न और सैन्यशासन का भक्तमंडली अखंड कीर्तन की तर्ज पर समर्थन करती है तो राम की सौगंध खाकर तमाम संवैधानिक प्रावधानों,नागरिक अधिकारों, मानवाधिकारों और उनके ही अपने मौलिक अधिकारों की हत्या के कार्निवाल को वे विकास मानते हैं। कारपोरेट एकाधिकार पूंजी ने राजनीति के साथ मीडिया,माध्यमों,विधायों,लोक और जनपदों की हत्या भी कर दी है। ऐसे हालात में चाहे देश में हो या विदेश में कीड़े मकोड़े की तरह भारतीय नागरिकों के मारे जाने के बावजूद सत्ता वर्ग की बात तो छोड़ ही दें,आम जनता में भी इसे लेकर कोई हलचल उसीतरह नहीं होती जैसे भुखमरी, बेरोजगारी,स्त्री उत्पीड़न,रेल दुर्घटना, बाढ़, भूकंप, लू, शीतलहर, महामारी या सैन्य दमन में मारे जाने वाले नागरिकों के लिए किसी की आंखों में न दो बूंद पानी होता है और न कही कोई मोमबत्ती ऐसे कीड़े मकोड़े नागरिकों के लिए जलती है। आपातकाल के खिलाफ उत्पल दत्त ने उन्नीसवीं सदी के आखिरी दौर के बंगाल के साम्राज्यवादविरोधी रंगकर्म की कथा पर टीनेर तलवार नाटक लिखा था, जिसका मंचन बांग्ला के साथ हिंदी में भी होता रहा है,राजकमल प्रकाशन ने हिंदी में वह नाटक भी प्रकाशित किया है।

समूचा कुलीन सत्ता तबका जब साम्राज्यवाद और सामंतवाद को जारी रखने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,नागरिक और मानवाधिकार के खिलाफ हो तो तुतूमीर के आदिवासी किसान विद्रोह की कथा कैसे मनुस्मृति शासन की चूलें हिला देती हैं,उत्पल दत्त ने उस दौर को मंच पर उपस्थित करके बता दिया है। तुतूमीर के विद्रोह  के बारे में दिवंगत महाश्वेता दी ने विस्तार से लिखा है,जो हिंदी पाठकों को उपलब्ध भी है। आज हम उसी अंधकार के दौर में है जहां नव जागरण के खिलाफ हिंदुत्व का एजंडा साम्राज्यवाद और सामंतवाद  के औपनिवेशिक शासन के हक में आम जनता को रौंद रहा था।उस वक्त रंगकर्म ने अपनी टीन की तलवारों से सत्ता और राष्ट्रशक्ति का प्रतिरोध किया था।बीसवीं सदी में यह काम इप्टा ने किया है। मैने उस नाटक के उत्पल दत्त के मंचन के वीडियो कल व्यापक पैमाने पर शेयर किया है तो आज उस नाटक का पीडीएफ भी जारी किया है।बांग्ला और अंग्रेजी में उपलब्ध सामग्री भी शेयर की है।हिंदी में कोई समाग्री नहीं मिली,जिनके पास हों,वे कृपया शेयर करें। डान डोनाल्ड के हिंदुओं के प्रति प्यार के दावे के साथ मुसलमानों के खिलाफ जारी नस्ली सफाया अभियान में हाल में तीऩ भारतीयों पर हमले हुए हैं,जिनमें कोई मुसलमान नहीं है।जाहिर है इसे साबित करने की जरुरत नहीं है कि अमेरिकी रंगभेद के नजरिये से लातिन अमेरिका,अफ्रीका और एशिया से अमेरिका जा पहुंचे तमाम काले लोग इस नरमेध अभियान के निशाने पर हैं,सिर्फ मुसलमान नहीं।

अमेरिका में ताजा हमले हिंदू और सिख भारतीयों पर हुए हैं।इसलिए  ट्रंप के हिंदुत्व की परिभाषा कुल मिलाकर वहीं है,जो भारत में संघ परिवार के हिंदुत्व की है।गौरतलब है कि हिंदुत्व के तमाम सिपाहसालारों के मुसलमानों के कुलीन तबके से रोटी बेटी का रिश्ता है,जिसके ब्यौरे सार्वजनिक हैं और उन्हें दोहराने की जरुरत नहीं है। दरअसल जैसे ट्रंप मुसलमानों के खिलाफ जिहाद छेड़कर पूरी अश्वेत दुनिया के सफाये पर आमादा है वैसे ही भारत में मुसलमानों के खिलाफ संघ परिवार के धर्मयुद्ध में मारे जाने वाले तमाम दलित,आदिवासी,पिछड़े ,किसान ,मेहनतकश तबके के लोग हैं, जिन्हें मनुस्मृति राज बहाल रखने के लिए बतौर पैदल सेना बजरंगी बना देने के समरसता अभियान के बावजूद संघ परिवार ने कभी हिंदू माना नहीं है। ताजा खबरों के मुताबिक अमेरिका में भारतीयों के खिलाफ हेट क्राइम का मामला बढ़ता ही जा रहा है। एक सिख को मास्क पहने एक गनमैन ने 'वापस अपने देश जाओ'चीखने के बाद गोली मारकर घायल कर दिया। पिछले कुछ दिनों यूएस में भारतीयों के खिलाफ हेट क्राइम का तीसरा मामला है।  39 वर्षीय सिख युवक दीप राय के साथ यह वारदात शुक्रवार को उस समय हुई जब वह वॉशिंगटन के केंट स्थित अपने घर के बाहर कार की मरम्मत कर रहे थे। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि मास्क पहने एक आदमी आया और बहस करने लगा। उसने 'वापस अपने देश जाओ'चीखने के बाद हाथ में गोली मार दी।

भारत में गुजरात नरसंहार की तरह सिख संहार की कथा भी कम भयानक नहीं है,जिसमें कटघरे में श्रीमती इंदिरा गांधी और उनकी सरकार है,काग्रेस के तमाम नेता हैं।लेकिन इस सिख संहार के आगे पीछे संघ परिवार का खुल्ला समर्थन है। 1984 में सिख संहार को जायज बताकर संघ परिवार ने अपनी पार्टी भाजपा  के खिलाफ राजीव गांधी की कांग्रेस का हिंदु हितों के नाम समर्थन किया था। यही नहीं,पंजाब में इस कत्लेआम के लिए जो अकाली राजनीति रही है,उसकी कमान शुरु से लेकर अब तक संघ परिवार के हाथों में हैं। एकदम ताजा उदाहरण असम का है जहां भाजपा की सरकार है और राजकाज उल्फाई है।संघ परिवार को जिताने में हिंदू शरणार्थियों के वोट बैंक की निर्णायक भूमिका है। देश भर में छितरा दिये गये पूर्वी बंगाल के दलित हिंदू शरणार्थी संघ परिवार के समर्थक बन गये हैं तो बंगाल में भी धार्मिक ध्रूवीकरण में हिंदू बंगाली शरणार्थी और दलित मतुआ समुदाय संघ परिवार के पाले में हैं। भारत भर में बंगाली शरणार्थियों के ज्यादातर नेता कार्यकर्ता संघ परिवार के कट्टर समर्थक बन गये हैं क्योंकि उनकी नागरिकता छीनने वाले संघ परिवार के नेता,केंद्र और भाजपाई राज्य सरकारों के नेता उनकी नागरिकता बहाल करने का दावा कर रहे हैं।संघ परिवार हिंदुओं को नागरिकता देने का ऐलान करके समूचे असम समेत पूर्वोत्तर और बंगाल में अभूतपूर्व धार्मिक ध्रूवीकरण करके राजनीतिक सत्ता दखल करने की चाक चौबंद तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर, असम में इन्हीं हिंदू शरणार्थी परिवारों को संदिग्ध घुसपैठिया बताकर दूधमुंहे बच्चों और स्त्रियों समेत हिटलर के नाजी यंत्रणा शिविर की तरह डिटेंनशन कैंपों में कैदी बनाकर उनपर तरह तरह का उत्पीड़न जारी है।

भाजपा के उल्फाई राजकाज में सारा असम हिंदू दलित शरणार्थियों के लिए यंत्रणा शिविर में तब्दील है,जहां नये सिरे से साठ के दशक की तर्ज पर उल्फाई तत्वों बंगालियों के खिलाफ दंगा भड़काने की कोशिश की जा रही है तो दूसरी ओर,हिंदू शरणार्थियों को असम के मुसलमानों के खिलाफ उकसा कर धार्मिक ध्रूवीकरण का खेल हिंदुत्व के नाम जारी है। असम का यह यंत्रणा शिविर अब भारत का जलता हुआ सच है और हिंदुत्व के एजंडे का ट्रंप कार्ड भी। इसी हिंदुत्व की राजनीति के तहत साठ के दशक से असम में भारत के दूसरे राज्यों से आजीविका,नौकरी और कामकाज के सिलसिले में बसे बंगालियों, हिंदी भाषियों, बिहारियों और मारवाड़ियों के खिलाफ बारी बारी से दंगा होते रहे हैं। धार्मिक ध्रूवीकरण के संघ परिवार के कारनामों पर न सुप्रीम कोर्ट और न चुनाव आयोग कोई अंकुश रख पाया है और न सुप्रीम कोर्ट की निषेधाज्ञा के बावजूद आधार अनिवार्य बनाने का सिलसिला थमा है। अंध राष्ट्रवाद ने नागरिकों का विवेक, चेतना, ज्ञान और दिलोदिमाग तक को इस तरह संक्रमित कर दिया है कि सत्ता और सरकार की नरसंहारी नीतियों की आलोचना भी कोई सुनने को तैयार नहीं है और आम जनता की तकलीफों और उनके रोजमर्रे की नर्क जैसी जिंदगी की कहीं सुनवाई है। अब मणिपुर के राजपिरवार के उत्तराधिकारी को सामने रखकर मणिपुर जैसे अत्यंत संवेदनशील राज्य में वैष्णव मैतई समुदाय को नगा और दूसरे आदिवासी समुदाओं से भिड़ाने का खतरनाक खेल संघ परिवार राष्ट्र की एकता,अखंडता और संप्रभुता को दांव पर लगाकर खेल रहा है और हिंदुत्व के एजंडे के मुताबिक यही उनका ब्रांडेड राष्ट्रवाद और देशभक्ति है।

रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या और अभी अभी कोल्हापुर में अंबेडकरी विचारक लेखक शिक्षक किरविले की हत्या के बाद यह अलग से समझाने का मामला नहीं की कि किस तरह भीम ऐप और अंबेडकर के नाम समरसता अभियान के तहत दलितों और अंबेडकर मिशन के खात्मे का काम संघ परिवार कर रहा है,यही रामराज्य का मनुस्मृति एजंडा है। निखिल भारत बंगाल उद्वास्तु समिति के अध्यक्ष सुबोध विश्वास ने कोकड़ाझाड़ के डिटेनशन कैंप के बारे में एक अपील पेसबुक पर जारी की हैः

মানবিক আপিল:-
আসমে কোকরাঝাড ডিটেনশন ক্যাম্পে ১৩ জন উদ্বাস্তু শিশু বন্দী আছে ।তৎমধ্যে ১ জন শিশুর বয়স এক বৎসর এবং ১৩৩ জন মহিলা । মোট ১৪৬ জন হিন্দু উদ্বাস্তু ডিটেনশন ক্যাম্পে নারকীয় যন্ত্রনা ভোগ করছে । তাদের মুক্তির রাস্তা এপ্রকারে বন্দ। নিখিল.ভারত বাঙালি.উদ্বাস্তু সমন্বয়.সমিতি এবং অল বি টি এ ডি যুবছাত্র ফেডারেশন যৌথভাবেপক্ষথেকে আমরা আগামী ৯ ই মার্চ তাদের সংগে দেখাকরতে ডিটেনশন ক্যাম্পে যাব। তাদের মুক্তির কোন আইনি রাস্তা খুঁজে বেরকরা যায় কিনা , সেদিক খতিয়ে দেখতে চার জন বিশিস্ট আইনজীবী সংগে থাকছেন। আসামের নাগরিকত্ব আইনের জালে এমন ভাবে ষড়যন্ত্র মূলক তাদের আটকিয় দেওয়া হয়েছে, একথায় নাগরিকত্ব আইনের অজুহাতে বাঙালি বিদ্বেষ নীতির বহিপ্রকাশ । লক্ষ লক্ষ উদ্বাস্তুদের ডি ভোটার করাহয়েছ। শত শত উদ্বাস্তু ডিটেনশন ক্যাম্পে বন্দী।একদিকে উল্ফার মত জাতিয়তা বাদী উগ্রবাদী সংগঠন, অন্যদিকে প্রশাসনিক সন্ত্রাস। বাঙালিদের স্বমূলে আসাম থেকে উৎক্ষাত করার ষড়যন্ত্র।তাদের আমরা শাড়ী , জামাকাপড় ও শিশুদের বই বিতরনের সিধান্ত নেওয়া হয়েছে। নিখিল ভারত একটা সামাজিক সংগঠন। ভিক্ষা অনুদান ও আপনাদের সহযোগীতার উপর সংগঠন চলে। আমাদের তেমন কোন ফান্ড নেই। 

অসহায় হতভাগ্যদের পিছনে আপনার সামান্য আর্থিক অনুদান তাদের মুখে ক্ষনিকের জন্য হাশিফুটাতে পারে। তাদের পাশে দাড়ালে তারা বেচেথাকার আত্মশক্তি খুজেপাবে। তাদের মুক্তি করাতেই হবে।আপনাদের সার্বিক সহযোগীতা আমরা আশাকরি। উল্লেখ্য এছাড়া অন্য ক্যাম্পে বন্দী আছে অনেক উদ্বাস্তু। তাদের সংখ্যা পরে জানাতে পারব। নিখিল ভারত সমিতি এবং অল টি এ ডি যুবছাত্র ফেডারেশন যৌথভাবে এই মহতী কার্যে যোগদান দিচ্ছে।এই যোগদানের জন্য যুবছাত্র ফেডারেশন কে ধন্যবাদ ধন্যবাদ জানাই। 

অসম সফরে থাকছেন . সর্ব ভারতীয় সভাপতি ডা সুবোধ বিশ্বাস, সম্পাদক অম্বিকা রায়, (দিল্লী)শ্রী বিরাজ মিস্ত্রী, IRS প্রাক্তন কমিশনার, ডা আশিস ঠাকুর, এ্যাড মুকুন্দ লাল সরকার, সাহিত্যিক নলিনী রজ্ঞন মন্ডল শ্রী গোবিন্দ দাস ( কলকাতা)শ্রী বিনয় বিশ্বাস এ্যাড আর আর বাঘ ( দিল্লী) শ্রী অশোক মন্ডল (রাজস্থান) দয়াময় বৈদ্য( উত্তর বঙ্গ) সংগে থাকছেন আসাম রাজ্যকমিটির সভাপতি এ্যাড সহদেব দাস. ব্যানীমাধব রায়. শ্যামল সরকার. উপদেষ্টা , যুব ছাত্র ফেডারেশন,মন্টু দে সভাপতি, অল বি টি এ ডি যুব ছাত্র ফেডারেশন। সবাইকে স্বার্থে শেয়ার করুন।





(पलाश विश्वास)

विशेष आलेख : नारी अस्तित्व एवं अस्मिता पर धुंधलके क्यों?

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सम्पूर्ण विश्व में नारी के प्रति सम्मान एवं प्रशंसा प्रकट करते हुए 8 मार्च का दिन उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में, उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से पहले और बाद में हफ्ते भर तक विचार विमर्श और गोष्ठियां होंगी जिनमें महिलाओं से जुड़े मामलों जैसे महिलाओं की स्थिति, कन्या भू्रण हत्या की बढ़ती घटनाएं, लड़कियों की तुलना में लड़कों की बढ़ती संख्या, गांवों में महिला की अशिक्षा एवं शोषण, महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाएं, अश्लील हरकतें और विशेष रूप से उनके खिलाफ होने वाले अपराध को एक बार फिर चर्चा में लाकर वाहवाही लूट ली जायेगी। लेकिन इन सबके बावजूद एक टीस से मन में उठती है कि आखिर नारी कब तक भोग की वस्तु बनी रहेगी?  उसका जीवन कब तक खतरों से घिरा रहेगा? बलात्कार, छेड़खानी, भूण हत्या और दहेज की धधकती आग में वह कब तक भस्म होती रहेगी? कब तक उसके अस्तित्व एवं अस्मिता को नौचा जाता रहेगा? कब तक खाप पंचायतें नारी को दोयम दर्जा का मानते हुए तरह-तरह के फरमान जारी करती रहेगी? भरी राजसभा में द्रौपदी को बाल पकड़कर खींचते हुए अंधे सम्राट धृतराष्ट्र के समक्ष उसकी विद्वत मंडली के सामने निर्वस्त्र करने के प्रयास के संस्करण आखिर कब तक शक्ल बदल-बदल कर नारी चरित्र को धुंधलाते रहेंगे? विडम्बनापूर्ण तो यह है कि महिला दिवस जैसे आयोजन भी नारी को उचित सम्मान एवं गौरव दिलाने की बजाय उनका दुरुपयोग करने के माध्यम बनते जा रहे हैं।


‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता’- जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु आज हम देखते हैं कि नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे ‘भोग की वस्तु’ समझकर आदमी ‘अपने तरीके’ से ‘इस्तेमाल’ कर रहा है, यह बेहद चिंताजनक बात है। आज अनेक शक्लों में नारी के वजूद को धुंधलाने की घटनाएं शक्ल बदल-बदल कर काले अध्याय रच रही है- जिनमें नारी का दुरुपयोग, उसके साथ अश्लील हरकतें, उसका शोषण, उसकी इज्जत लूटना और हत्या कर देना- मानो आम बात हो गई हो। महिलाओं पर हो रहे अन्याय, अत्याचारों की एक लंबी सूची रोज बन सकती है। न मालूम कितनी महिलाएं, कब तक ऐसे जुल्मों का शिकार होती रहेंगी। कब तक अपनी मजबूरी का फायदा उठाने देती रहेंगी। दिन-प्रतिदिन देश के चेहरे पर लगती यह कालिख को कौन पोछेगा? कौन रोकेगा ऐसे लोगों को जो इस तरह के जघन्य अपराध करते हैं, नारी को अपमानित करते हैं।

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एक कहावत है कि औरत जन्मती नहीं, बना दी जाती है और कई कट्ट्टर मान्यता वाले औरत को मर्द की खेती समझते हैं। कानून का संरक्षण नहीं मिलने से औरत संघर्ष के अंतिम छोर पर लड़ाई हारती रही है। इसीलिये आज की औरत को हाशिया नहीं, पूरा पृष्ठ चाहिए। पूरे पृष्ठ, जितने पुरुषों को प्राप्त हैं। पर विडम्बना है कि उसके हिस्से के पृष्ठों को धार्मिकता के नाम पर ‘धर्मग्रंथ’ एवं सामाजिकता के नाम पर ‘खाप पंचायते’ घेरे बैठे हैं। पुरुष-समाज को उन आदतों, वृत्तियों, महत्वाकांक्षाओं, वासनाओं एवं कट्टरताओं को अलविदा कहना ही होगा जिनका हाथ पकड़कर वे उस ढ़लान में उतर गये जहां रफ्तार तेज है और विवेक अनियंत्रण हैं जिसका परिणाम है नारी पर हो रहे नित-नये अपराध और अत्याचार। पुरुष-समाज के प्रदूषित एवं विकृत हो चुके तौर-तरीके ही नहीं बदलने हैं बल्कि उन कारणों की जड़ों को भी उखाड़ फेंकना है जिनके कारण से बार-बार नारी को जहर के घूंट पीने को विवश होना पड़ता है। पुरुषवर्ग नारी को देह रूप में स्वीकार करता है, लेकिन नारी को उनके सामने मस्तिष्क बनकर अपनी क्षमताओं का परिचय देना होगा, उसे अबला नहीं, सबला बनना होगा, बोझ नहीं शक्ति बनना होगा।

‘मातृदेवो भवः’ यह सूक्त भारतीय संस्कृति का परिचय-पत्र है। ऋषि-महर्षियों की तपः पूत साधना से अभिसिंचित इस धरती के जर्रे-जर्रे में गुरु, अतिथि आदि की तरह नारी भी देवरूप में प्रतिष्ठित रही है। रामायण उद्गार के आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की यह पंक्ति-‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ जन-जन के मुख से उच्चारित है। प्रारंभ से ही यहाँ ‘नारीशक्ति’ की पूजा होती आई है फिर क्यों नारी अत्याचार बढ़ रहे हैं?  प्राचीन काल में भारतीय नारी को विशिष्ट सम्मान दिया जाता था। सीता, सती-सावित्री आदि अगणित भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्ध किया है। इसके अलावा अंग्रेजी शासनकाल में भी रानी लक्ष्मीबाई, चाँद बीबी आदि नारियाँ जिन्होंने अपनी सभी परंपराओं आदि से ऊपर उठ कर इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। लेकिन समय परिवर्तन के साथ साथ देखा गया की देश पर अनेक आक्रमणों के पश्चात् भारतीय नारी की दशा में भी परिवर्तन आने लगे। अंग्रेजी और मुस्लिम शासनकाल के आते-आते भारतीय नारी की दशा अत्यंत चिंतनीय हो गई। दिन-प्रतिदिन उसे उपेक्षा एवं तिरस्कार का सामना करना पड़ता था। इसके साथ साथ भारतीय समाज में आई सामाजिक कुरीतियाँ जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहू पति विवाह और हमारी परंपरागत रूढ़िवादिता ने भी भारतीय नारी को दीन-हीन कमजोर बनाने में अहम भूमिका अदा की ।

वैदिक परंपरा दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी के रूप में, बौद्ध अनुयायी चिरंतन शक्ति प्रज्ञा के रूप में और जैन धर्म में श्रुतदेवी और शासनदेवी के रूप में नारी की आराधना होती है। लोक मान्यता के अनुसार मातृ वंदना से व्यक्ति को आयु, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुण्य, बल, लक्ष्मी पशुधन, सुख, धनधान्य आदि प्राप्त होता है, फिर क्यों नारी की अवमानना होती है? नारी का दुनिया में सर्वाधिक गौरवपूर्ण सम्मानजनक स्थान है। नारी धरती की धुरा है। स्नेह का स्रोत है। मांगल्य का महामंदिर है। परिवार की पीढ़िका है। पवित्रता का पैगाम है। उसके स्नेहिल साए में जिस सुरक्षा, शाीतलता और शांति की अनुभूति होती है वह हिमालय की हिमशिलाओं पर भी नहीं होती। सुप्रसिद्ध कवयित्रि महादेवी वर्मा ने ठीक कहा था-‘नारी सत्यं, शिवं और सुंदर का प्रतीक है। उसमें नारी का रूप ही सत्य, वात्सल्य ही शिव और ममता ही सुंदर है। इन विलक्षणताओं और आदर्श गुणों को धारण करने वाली नारी फिर क्यों बार-बार छली जाती है, लूटी जाती है? जहां पांव में पायल, हाथ में कंगन, हो माथे पे बिंदिया... इट हैपन्स ओनली इन इंडिया- जब भी कानों में इस गाने के बोल पड़ते हैं, गर्व से सीना चैड़ा होता है। लेकिन जब उन्हीं कानों में यह पड़ता है कि इन पायल, कंगन और बिंदिया पहनने वाली लड़कियों के साथ इंडिया क्या करता है, तब सिर शर्म से झुकता है। पिछले कुछ दिनों में इंडिया ने कुछ और ऐसे मौके दिए जब अहसास हुआ कि भ्रूण में किसी तरह अस्तित्व बच भी जाए तो दुनिया के पास उसके साथ और भी बहुत कुछ है बुरा करने के लिए। बहशी एवं दरिन्दे लोग ही नारी को नहीं नोचते, समाज के तथाकथित ठेकेदार कहे जाने वाले लोग और पंचायतें भी नारी की स्वतंत्रता एवं अस्मिता को कुचलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है, स्वतंत्र भारत में यह कैसा समाज बन रहा है, जिसमें महिलाओं की आजादी छीनने की कोशिशें और उससे जुड़ी हिंसक एवं त्रासदीपूर्ण घटनाओं ने बार-बार हम सबको शर्मसार किया है। विश्व नारी दिवस का अवसर नारी के साथ नाइंसाफी की स्थितियों पर आत्म-मंथन करने का है, उस अहं के शोधन करने का है जिसमें पुरुष-समाज श्रेष्ठताओं को गुमनामी में धकेलकर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहता है।

एक वक्त था जब आयातुल्ला खुमैनी का आदेश था कि ‘जिस औरत को बिना बुर्के देखो- उसके चेहरे पर तेजाब फैंक दो’। जिसके होंठो पर लिपस्टिक लगी हो, उन्हें यह कहो कि हमें साफ करने दो और उस रूमाल में छुपे उस्तरे से उसके होंठ काट दो। ऐसा करने वाले को आलीशान मकान व सुविधा दी जाएगी। खुमैनी ने इस्लाम धर्म की आड में और इस्लामी कट्टरता के नाम पर अपने देश में नारी को जिस बेरहमी से कुचला उसी देश में आज महिलाएं खुमैनी के मकबरे पर खुले मुंह और जीन्स पहने देखी जाती हैं। वे कहती हैं कि हम नहीं समझतीं हमारा खुदा इससे नाराज हो जाएगा। उनकी यह समझ कि कट्ट्टरता के परिधान हमें सुरक्षा नहीं दे सकते, इसके लिए हमें अपने में आत्मविश्वास जगाना होगा। वही हमारा असली बुर्का होगा। नारी को अपने आप से रूबरू होना होगा, जब तक ऐसा नहीं होता लक्ष्य की तलाश और तैयारी दोनों अधूरी रह जाती है। स्वयं की शक्ति और ईश्वर की भक्ति भी नाकाम सिद्ध होती है और यही कारण है कि जीने की हर दिशा में नारी औरों की मुहताज बनती हैं, औरों का हाथ थामती हैं, उनके पदचिन्ह खोजती हैं। कब तक नारी औरों से मांगकर उधार के सपने जीती रहेंगी। कब तक औरों के साथ स्वयं को तौलती रहेंगी और कब तक बैशाखियों के सहारे मिलों की दूरी तय करती रहेंगी यह जानते हुए भी कि बैशाखियां सिर्फ सहारा दे सकती है, गति नहीं? हम बदलना शुरू करें अपना चिंतन, विचार, व्यवहार, कर्म और भाव। मौलिकता को, स्वयं को एवं स्वतंत्र होकर जीने वालों को ही दुनिया सर-आंखों पर बिठाती है।

नारी अनेक रूपों जीवित है। वह माँ, पत्नी, बहन, भाभी, सास, ननद, शिक्षिका आदि अनेक दायरों से जुड़कर सम्बधों के बीच अपनी विशेष पहचान बनाती है। उसका हर दायित्व, कर्तव्य, निष्ठा और आत्म धर्म से जुड़ा होता है। इसीलिए उसकी सोच, समझ, विचार, व्यवहार और कर्म सभी पर उसके चरित्रगत विशेषताओं की रोशनी पड़ती रहती है। वह सबके लिए आदर्श बन जाती है। नारी अपने घर में अपने आदर्शों, परंपराओ, सिद्धांतो, विचारों एवं अनुशासन को सुदृढ़ता दे सकें, इसके लिए उसे कुछेक बातों पर विशेष ध्यान देना होगा। बदलते परिवेश में आधुनिक महिलाओं के लिए यह आवश्यक है कि मैथिलीशरण गुप्त के इस वाक्य-“आँचल में है दूध” को सदा याद रखें। उसकी लाज को बचाएँ रखें और भ्रूणहत्या जैसा घिनौना कृत्य कर मातृत्व पर कलंक न लगाएँ। बल्कि एक ऐसा सेतु बने जो टूटते हुए को जोड़ सके, रुकते हुए को मोड़ सके और गिरते हुए को उठा सके। नन्हे उगते अंकुरों और पौधों में आदर्श जीवनशैली का अभिसिंचन दें ताकि वे शतशाखी वृक्ष बनकर अपनी उपयोगिता साबित कर सकें। जननी एक ऐसे घर का निर्माण करे जिसमें प्यार की छत हो, विश्वास की दीवारें हों, सहयोग के दरवाजे हों, अनुशासन की खिड़कियाँ हों और समता की फुलवारी हो। तथा उसका पवित्र आँचल सबके लिए स्नेह, सुरक्षा, सुविधा, स्वतंत्रता, सुख और शांति का आश्रय स्थल बने, ताकि इस सृष्टि में बलात्कार, गैंगरेप, नारी उत्पीड़न जैसे शब्दों का अस्तित्व ही समाज हो जाए।




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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486

भादेरवाह के पर्यावरण को खतरे में डाल रही पॉलीथीन, स्थानीय लोग परेशान

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जम्मू-कश्मीर: 6 मार्च, जम्मू-कश्मीर में प्लास्टिक की थलियों पर प्रतिबंध लगा होने के बावजूद यहां लगातार फेंकी और जलाई जा रही पॉलीथीन खूबसूरत भादेरवाह घाटी के सामने एक खतरा पैदा कर रही है। भादेरवाह में धान के खेतों और आसपास के इलाकों में प्लास्टिक की कई थलियां फेंकी हुई देखी जा सकती हैं, जिसके कारण कई पर्यावरणविद और स्थानीय निवासी व्यथित हैं। इन लोगों का दावा है कि नगर निगम के कूड़ेदानों के आसपास प्लास्टिक का कचरा पड़ा देखा जा सकता है। जंगलों और धान के खेतों में बड़ी मात्रा में कचरा फेंका जाता है और उसे जला दिया जाता है। यह सब पर्यावरण की सेहत की कीमत पर होता है। भादेरवाह स्थित किला मोहल्ला के एक सामाजिक कार्यकर्ता नासिर के शाह ने कहा, ‘‘पॉलीथीन और प्लास्टिक की थलियां हवा और पेयजल पर गंभीर खतरा पेश कर रहे हैं।’’ स्थानीय लोग, खासतौर पर खेती और पर्यटन से जुड़े लोग इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। इन लोगों ने नगर निकाय प्रशासन से कड़ी और त्वरित कार्रवाई की मांग की है और स्थानीय प्रशासन से इस पर काबू पाने के लिए कहा है।  एक स्थानीय किसान और समाजसेवी नीरज सिंह मनहास ने कहा, ‘‘यहां अधिकतर लोग खेती पर निर्भर करते हैं लेकिन पिछले पांच साल से हमने अपने खेतों में धान लगाना छोड़ दिया है क्योंकि खेती की कई एकड़ भूमि प्लास्टिक के रैपरों और पॉलीथीन के ढेर से भर गई है।’’ स्थानीय प्रशासन पर इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन अब तक जम्मू-कश्मीर राज्य जैविक तौर पर अपघटित न हो सकने वाली सामग्री :प्रबंधन, रखरखाव और निपटान: कानून, 2007 को लागू करने में विफल रहा है। भादेरवाह उपमंडल के मजिस्ट्रेट ओवैस अहमद राणा ने कहा कि पॉलीथीन की थलियों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और लोगों को जागरूक करना बहुत अहम है।


राणा ने कहा, ‘‘हम प्रतिबंध को पूरी तरह लागू करने के प्रति गंभीर हैं। हाल ही में हमने राजस्व और निकाय अधिकारियों के एक संयुक्त दल का गठन किया है, जो नियमित रूप से बाजार की जांच कर रहा है, छापेमारी कर रहा है और उल्लंघन करने वाले कई लोगों पर जुर्माना भी लगा चुका है।’’ एसडीएम ने कहा, ‘‘लोगों को खुद आगे आना चाहिए और कागज या जूट के थले अपनाकर सहयोग देना चाहिए। उन्हें दुकानदारों द्वारा दी जा रही प्लास्टिक की थलियों को तो खारिज करना ही चाहिए, साथ ही साथ जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हमें उल्लंघनकर्ताओं के बारे में सूचित भी करना चाहिए।’’ ‘मिनी कश्मीर’ कहलाने वाले भादेरवाह के कुछ स्थानीय नागरिकों को लगता है कि पर्यटकों को प्लास्टिक या पॉलीथीन से बनी चीजों का इस्तेमाल ना करने के प्रति जागरूक करना चाहिए। 

माली में आतंकवादी हमले में 11 सैनिकों की मौत

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बमाको ,06 मार्च, अफ्रीकी देश बुरकीना फासो की सीमा से निकट माली की सेना की चौकी पर हुए आतंकवादी हमलों में कम से कम 11 सैनिकों की मौत हो गयी। माली के रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि अभी तक किसी भी आतंकवादी ग्रुप ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन हाल ही में आतंकवादी संगठन अलकायदा से जुड़े संगठनों के सेना पर हुए हमलों को देखते हुए इस बात की पूरी संभावना है कि इस हमले के पीछे भी अल कायदा या संबंधित संगठनों का ही हाथ होगा। रक्षा प्रवक्ता कर्नल एब्दुलाय सिदिबे ने कल यह जानकारी देते हुए कहा कि बुलकेसी स्थित सेना की चौकी पर सुबह चार से पांच बजे के बीच आतंकवादियों ने हमला बोल दिया। इस हमले में 11 सैनिकों की मौत हो गयी जबकि पांच अन्य घायल हो गये। उल्लेखनीय है कि इस्लामी ग्रुप अंसार दिने ने पिछले वर्ष अपने हिंसात्मक अभियान को और तेज करते हुए कई हमलों को अंजाम दिया था। अल कायदा के उत्तरी अफ्रीकी सहयोगी अल मौराबिटन ने जनवरी में उत्तरी माली स्थित सेना के शिवर में किये गये आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 60 से अधिक लोग मारे गये थे जबकि 100 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गये थे।

मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली तैनात करेगा द. कोरिया: अहन

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सोल, 06 मार्च, दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति ह्वांग क्यो अहन ने कहा कि उत्तरी कोरिया की ओर से आज चार मिसाइल परीक्षण के बाद सोल को अब अमेरिकी मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली को तुरंत तैनात करना चाहिये। उत्तरी कोरिया की ओर से उकसावे की इस कार्रवाई पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद श्री ह्वांग ने कहा,“हमें ‘टर्मिनल हाइ एलटिट्यूड एरिया डिफेंस’ (थाड) की तैनाती के काम को तेज गति से खत्म करना चाहिये और उत्तरी कोरिया के विरुद्ध रक्षा प्रणाली विकसित करनी चाहिये।” गौरतलब है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया ने आज सुबह चार बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है जिनमें से तीन जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गिरी हैं।

किसी पल भी हो सकते हैं गायत्री प्रजापति गिरफ्तार

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लखनऊ 06 मार्च,  उच्चतम न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद अब उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति की किसी भी पल गिरफ्तारी हो सकती है। श्री प्रजापति पर बलात्कार का आरोप है और उनके खिलाफ लखनऊ की एक अदालत ने गैर जमानती वारण्ट जारी कर रखा है। श्री प्रजापति गिरफ्तारी से बचने के लिये उच्चतम न्यायालय की शरण में गये थे, लेकिन न्यायालय ने आज उनकी याचिका खारिज कर दी। याचिका खारिज होने के साथ ही उनकी मुश्किलें और बढ गयीं। उन पर आत्मसमर्पण करने का दबाव बढ गया। वह यदि आत्मसमर्पण नहीं करते तो उनकी किसी भी पल गिरफ्तारी हो सकती है।

जडेजा ने झटके छह विकेट, आस्ट्रेलिया को 87 रन की बढ़त

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बेंगलुरू, 06 मार्च, लेफ्ट आर्म स्पिनर रवींद्र जडेजा ने 63 रन पर छह विकेट लेकर आस्ट्रेलियाई टीम की पहली पारी दूसरे क्रिकेट टेस्ट के तीसरे दिन सोमवार को सुबह के सत्र में 276 रन निपटा दी जिससे मेहमान टीम ने 87 रन की बढ़त हासिल कर ली, वहीं लंच तक भारत ने बिना किसी विकेट नुकसान के 38 रन बना लिये हैं। रोमांचक मोड़ पर पहुंच गये टेस्ट में फिलहाल भारतीय टीम संतुलित ढंग से आगे बढ़ रही है और उसने सुबह के सत्र में आस्ट्रेलिया की पहली पारी को 122.4 ओवर में 276 रन पर समेटने के बाद अपनी दूसरी पारी में लंच तक 10 ओवरों में बिना कोई विकेट गंवाये 38 रन बना लिये हैं। ओपनर लोकेश राहुल 20 रन और अभिमन्यु मुकुंद 16 रन बनाकर फिलहाल क्रीज पर हैं और वह आस्ट्रेलिया के स्कोर से अभी 49 रन ही पीछे हैं।

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