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भ्रूणहत्या, दहेज जैसी कुरीतियों को समाप्त करने की जरुतर : अमिता रक्षित

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  • अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में नगर परिषद् अध्यक्षा ने कहा

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अमरेन्द्र सुमन (दुमका),अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नगर परिषद् कार्यालय, दुमका के बाजू में स्थित ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ओम शांति भवन में दिन बुधवार को ब्रह्मा कुमारी बहनों द्वारा उत्साह के साथ महिला दिवस मनाया गया।  कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि नगर परिषद् अध्यक्षा अमिता रक्षित, एस एस बी के डिप्टी कमांडेंट जीतेन्द्र जोशी के अलावे अधिवक्ता किरण तिवारी, प्रेरणा शाखा की सदस्य रिंकू मोदी, चैम्बर आॅफ काॅमर्स के सदस्य मनोज घोष व दादी महिमा मंडल की अध्यक्षा पूनम अग्रवाल के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत् उद्घाटन किया गया। तत्पश्चात् इस कार्यक्रम में मौजूद अतिथ्यिों का पुष्प गुच्छ व बैज लगाकर स्वागत किया गया। अतिथियों का स्वागत करते हुए अन्नु द्वारा स्वागत गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों ने इस अवसर पर अपने-अपने विचार प्रकट किए गए। मुख्य अतिथि के रुप में नगर परिषद् अध्यक्षा अमिता रक्षित ने भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को जड़ से खत्म करने पर विशेष बल दिया और दहेज नहीं लेने-देने की अपील की। महिला-पुरूष अनुपात में सुधार लाने की अपील भी इस दौरान की गई। उन्होनें कहा इससे भविष्य में लड़कों को बहु मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसके लिए समाज को जागरूक करने की जरूरत है। एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट जीतेन्द्र जोशी ने कहा कि संस्था द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम निःसंदेह प्रशंसनीय व सराहनीय है। इस तरह के कार्यक्रम से पाॅजीटीव वाइब्रेशन मिलता है। अतिथियों के संबोधन के बाद् संस्था की संचालिका बी. के.  जयमाला ने कहा कि ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय महिलाओं द्वारा संचालित संभवतः विश्व की एक मात्र संस्था है जो सन् 1936 ई0 से अनवरत् पूरे विश्व के कल्याण के लिए अपनी सेवाएँ दे रहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा क्या होता है कि हम सब तो नई बहु को लक्ष्मी कहते हैं और बाद में उसे ही कुलक्षणी कहते हैं, इसलिए ऐसा कर्म करना चाहिए कि हम हमेशा ही अच्छे कहलाएँ। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि नर को ऐसा करना चाहिए कि वह श्रीनारायण व नारी को ऐसा करान चाहिए कि वह श्रीलक्ष्मी कहलाए। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण अन्नु व ईशा द्वारा प्रस्तुत मनमोहक नृत्य रही। उपरोक्त से प्रभावित हो नगर परिषद् अध्यक्षा द्वारा दोनों को पुरूस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में बी0 के0 रेखा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मौजूद लोगों के बीच ईश्वरीय संदेश दिया। 


भू्रण हत्या वर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या : आयुक्त

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  • अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयुक्त संताल परगना प्रमण्डल, दुमका ने कहा

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अमरेन्द्र सुमन (दुमका), अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इन्डोर स्टेडियम दुमका में दिन बुधवार को जिला साक्षरता समिति व महिलाओं की संस्था ‘वी’ के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी, सम्मान समारोह सह जागरूकता रैली का आयोजन किया। संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिनेश चन्द्र मिश्र तथा दुमका के उपायुक्त एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष राहुल कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा केक भी काटे गये।  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संताल परगना के आयुक्त दिनेष चन्द्र मिश्र ने कहा कि सरकार महिलाओं को सषक्त एवं स्वाबलंबी बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। दहेज प्रथा जैसी कुरीतियां आज भी हमारे समाज में स्थापित है। दहेज लेना और देना दोनो ही हमें छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिसे हमसब को मिलकर खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बेटी को हर कीमत पर स्कूल भेजिये। उन्होंने कहा कि आज इस दिवस पर हम यह प्रण लें कि बेटा और बेटी में फर्क नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बेटी अगर पढ़ेगी तो ना हमें दहेज देना पड़ेगा ना ही उसके साथ कोई अत्याचार कर सकेगा। अपने बेटी को आखरी सांस तक पढ़ायें। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सषक्त बनाने के लिए कानून सम्पत्ति से लेकर सभी चीजों पर बराबरी का हक देता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।एक स्वच्छ समाज का निर्माण करने में अपनी भागीदारी सुनिष्चित करें। लोगों को सम्बोधित करते हुए दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिंन्हा ने कहा कि षिक्षा से ही महिलाओं को सषक्त बनाया जा सकता है। महिलाओं को अगर स्वावलंबी बनाया जाय तो यह समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में महिलायें आगे आयें एवं स्वयं सहायता समूह बनाकर जिला राज्य और देष का नाम ऊंचा करें। उन्होंने कहा कि सिर्फ पढ़लिखकर घर में बैठने से नहीं होगा। अपने गांव अपने घर से अपने हुनर को दिखायें वह दिन दूर नहीं जब सामाजिक क्रांति आयेगी। उन्होने कहा कि अपने प्रतिभा को मरने ना दें। सही जगह पर इस्तेमाल करें एवं एक सम्मानजनक आय अर्जित करें। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी बने अपके पास सभी संसाधन एवं हुनर उपलब्ध हैं। सम्बोधित करते हुए नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि अपनी प्रतिभा को पहचाने एवं किसी के दबाव में ना रहें। उन्होंने महिलाओं से कहा कि पति के कंधे से कंधे मिलकर चलें। उन्होंने कहा कि आज भी गांव में महिलाओं के साथ अत्याचार एवं उनकी सोच को दबाया जाता है। हमें जागना होगा एवं जगाना होगा। उन्होंने कहा कि आप सषक्त बनें तभी देष और राज्य का विकास होगा। इस अवसर पर महिलाओं कि संस्था ‘वी’ के मुख्य संरक्षिका समाज कल्याण मंत्री डा लोईस मरांडी एवं संरक्षिका जया सिन्हा ने महिला दिवस की शुभकामनायें दी जिसे, सिंहासन कुमारी ने सभा को अवगत कराया।   सम्बोधित करते हुए उपनिदेषक जनसम्पर्क अजय नाथ झा ने कहा कि अब बेटी तो बचेगी ही और अब समाज से बधाई हो बेटी हुई है की आवाज सुनाई देने लगी है। उन्होंने कहा कि बेटियों को तनाव में न रखें उन्हें अपनी सोच की स्वतंत्रता दें। सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हाउस वाईफ जैसे शब्द को अब बदल दीजिये अगर पुरूष नौकरी करता है तो महिलायें भी चैबीस घंटे घर के काम में लगी रहती हैं। समाज बदल रहा है। हमें भी बदलना होगा। उन्होंने कहा कि बेटी कोई दान की वस्तु नहीं है। पुरूष के आश्रित के रूप मंे बेटियों को आषीर्वाद ना दें। उन्होंने कहा कि दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा से आदेष प्राप्त कर अगले 15 दिनों तक एक अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के अन्तर्गत सभी घरों के गेट पर उस घर में रहने वाली महिला का नाम सबसे उपर होगा। सम्बोधित करते हुए जिला षिक्षा पदाधिकारी धर्मदेव राय ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता को बदलने की अब जरूरत है। महिला हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कर महिला सषक्तीकरण का एक उदाहरण प्रस्तुत करते आ रही है। सम्बोधित करते हुए धनबाद से आये वैज्ञानिक के के शर्मा ने कहा कि महिला को कम ना आकें। उन्होंने महिलाओं से कहा कि उस समस्या का निदान करें जिससे समाज का भला हो। उन्होने कहा कि महिला में अटूट शक्ति होती है। आप आगे बढ़ें मुझे विष्वास है कि समस्या को खत्म करके ही आप दम लेंगे। उन्होंने कहा कि पाॅलिथिन का इस्तेमाल बंद करना एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है। आप सब ने मिलकर दुमका से इसे खत्म करने का प्रयास किया है जिसकी सराहना मैं करता हूँ। संताल परगना के आयुक्त एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिनेष चन्द्र मिश्र द्वारा 90 के दषक में साक्षरता अभियान में देष भर में दुमका का नाम रौषन करने के लिए तथा साक्षरता का दीया हर घर तक पहुंचाने के लिए मीना सिंह, रामगढ़ की नागो देवी, गोपीकान्दर की रेवती महारानी, भारती चटर्जी, मेरीनिला मरांडी, सिंहासन कुमारी को शाॅल एवं प्रषस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लता मुर्मू ने कहा-महिला हिंसा गांव हो या शहर आज भी समाज में देखा जा रहा है। हमें जागना होगा एवं इस गम्भीर समस्या को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि यौन शोषण के बारे में बच्चों को भी बताया जाय ताकि उन्हें गलत और सही में फर्क करने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि षिक्षक भी कक्षा में धीरे धीरे यौन शोषण से बचने की जानकारी दी जाय। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति खुद को बदल ले समाज स्वतः बदल जायेगा। स्मिता आनन्द ने कहा-शिक्षा से ही महिलाओं को सषक्त बनाया जा सकता है। षिक्षा के अभाव से ही महिलाओं पर शोषण एवं उनकी सोच को दबाया जाता है। उन्होंने कहा कि बेटा अगर शिक्षित होगा तो अपने पिता का नाम रौषन करेगा लेकिन बेटी अगर षिक्षित होगी तो अपने पिता एवं अपने पति का भी नाम रौषन करेगी। उन्होंने कहा कि अब बेटे और बेटी में फर्क करने का वक्त नहीं रहा। अन्नु ने कहा-दहेज समाज का एक अभिषाप है। यह बिमारी इतनी गम्भीर है जिसमें षिक्षित लोग अधिक बिमार हैं। महिला सषक्तिकरण के लिए समाज से इस प्रथा को खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लड़की को बोझ न माने उन्हें अच्छी तरह षिक्षित करें एक स्वस्थ समाज का निर्माण करें यकिन दिलाती हूं लड़की बोझ नहीं लगेगी। पूर्णिमा पाण्डेय ने कहा- बाल विवाह जैसे कारण से ही महिलायें स्वावलंबी नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि बेटे और बेटी के बीच का अंतर ही बाल विवाह का मुख्य कारण है। हम आज यह प्रण लें कि बाल विवाह न करेंगे न करने देंगे। किरण तिवारी ने कहा-महिलाओं को पहले षिक्षित करने की जरूरत है। अगर महिलायें षिक्षित होंगी तो उनपर न अत्याचार होगा न अत्याचार करने वाला बच पायेगा। महिलाओं को हर क्षेत्र में सहयोगी बनने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुरूष और महिला कंधे से कंधे मिलाकर चलें क्योंकि महिला किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से पीछे नहीं है। मेरीनिला मरांडी ने कहा-उन्होंने कहा कि बच्चा मां के गर्भ में है पर उसके भाग्य का निर्णय मां के हाथ में नहीं है। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज दोनों को मानसिक विरासत में मिली सोच में बदलाव लाने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि आज विष्व में 740 लाख अनियोजित गर्भधारण तथा 360 लाख गर्भपात हो रहे हैं जो एक बहुत बड़ी समस्या को दर्षाता है। प्रो छाया गुहा ने कहा-आज पूरे विष्व में प्रतिदिन 800 महिलायें गर्भ संबंधी समस्यायें जिन्हें रोका जा सकता है के कारण मर रही है। पूर साल में लगभग 3 लाख महिलाओं की जान जा रही है। हमारा प्रयास आज भी नाकाफी है। हर व्यक्ति तक स्वास्थ सुविधा पहुंचाना अति आवष्यक है। इस अवसर पर जिला ताईक्वान्डो संघ के सचिव स्मिता आनन्द ने अपने पिता एवं साक्षरता के क्षेत्र में दुमका को पूरे भारत में एक अलग पहचान दिलाने वाले स्वर्गीय शंकरषरण श्रीवास्तव के स्वरचित गीत को गाया। कार्यक्रम के अंत में जिला षिक्षा पदाधिकारी सह जिला साक्षरता समिति के सचिव ने सभी सम्मानित अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। पूरे कार्यक्रम का मंच संचालन सिंहासन कुमारी ने किया। इससे पूर्व महिला दिवस के अवसर पर एक जागरूकता रैली इन्डोर स्टेडियम दुमका से निकाली गई जिसे दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जो शहर के प्रमुख चैक चैराहों से होते हुए इन्डोर स्टेडियम में समाप्त हुई। कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला साक्षरता समिति, महिलाओं की संस्था ‘वी’, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज), पेयजल एवं स्वच्छता की भूमिका रही। इस कार्यक्रम में संताल परगना के आयुक्त दिनेष चन्द्र मिश्र, दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, नगर परिषद अध्यक्षा अमिता रक्षित, उप निदेषक जनसम्पर्क अजय नाथ झा, जिला शिक्षा पदाधिकारी धर्मदेव राय, जिला शिक्षा अधीक्षक अरूण कुमार., वी संस्था की महिलायें एवं बड़ी तादाद महिलायें विभिन्न विद्यालय के छात्रायें उपस्थित थी। 

प्रत्येक ग्राम में एक तालाब अति महत्वपूर्ण
हर गांव में एक ऐसा बड़ा तालाब हो जिससे पूरा गांव लाभान्वित हो। साथ ही सिंचाई को ध्यान में रखते हुए डोभा बनाये जाने का कार्य बरसात से पहले पूरा कर लिया जाय। यह निदेश संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त दिनेष चन्द्र मिश्र ने प्रमंडल के सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों के साथ किये गये विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में दिया। आयुक्त ने कहा कि गर्मी से पहले पेयजल की उपलब्धता को पूरी प्रतिबद्धता के साथ देखें। जहां चापाकल खराब हो उसकी मरम्मति मार्च माह के समाप्ति से पहले पूरी कर लें। विद्युत का कनेक्षन, विद्युत की उपलब्धता आदि पर भी निगरानी रखें। उप विकास आयुक्तों को निदेष देते हुए आयुक्त ने कहा कि योजनाओं के निमार्ण के समय अपन विजन बड़ा रखें तथा ऐसी योजनाओं का चयन करें जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सके। उप विकास आयुक्त क्षेत्र भ्रमण करें और अधिकारियों की समीक्षा के साथ ग्रामीणों से मिलने को प्राथमिकता दें।  बैठक में मनरेगा, डोभा, प्रधानमंत्री आवास योजना, एनआरएलएम, सांसद एवं विधायक निधि आदि की समीक्षा की गई। बैठक में आयुक्त दिनेष चन्द्र मिश्र के अलावा दुमका के उप विकास आयुक्त शषिरंजन, देवघर के जन्मेजय ठाकुर, साहेबगंज के राजकुमार तथा आयुक्त के सचिव कार्तिक कुमार प्रभात एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

बिहार : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा-माले ने किया शिक्षा अधिकार सभाओं का आयोजन.

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  • छात्राओं की शिक्षा, सुरक्षा व सम्मान पर जारी है लगातार हमला, दिल्ली-पटना की सरकारें महिला सशक्तीकरण का कर रहीं दिखावा.
  • राजधानी पटना में बुद्धमूर्ति, चितकोहरा, आशियाना, लोहानीपुर, दीघा आदि जगहों पर हुआ आयोजन.

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पटना 8 मार्च, राजधानी पटना सहित आज पूरे राज्य में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा व माले ने शिक्षा अधिकार सभा का आयोजन किया. पटना में बुद्धमूर्ति, चितकोहरा, आशियाना, लोहानीपुर, माल सलामी, गुलजारबाग, कंकड़बाग आदि स्थानों पर दलित मुहल्लों में सभाओं का आयोजन किया गया. पटना के अलावा भोजपुर, सिवान, नालंदा, जहानाबाद, समस्तीपुर, अरवल, नालंदा, रोहतास, गया, नवादा, बक्सर, भागलपुर, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में तकरीबन हजार की संख्या में इस तरह की सभाओं का आयोजन हुआ. पटना ग्रामीण के मनेर, पालीगंज, दुल्हिनबाजार, पुनपुन आदि प्रखंडों के सैकड़ो गांवों में शिक्षा अधिकार सभा का आयोजन हुआ. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी और राज्य सचिव शशि यादव ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की विरासत को आगे बढ़ाने के आह्वान के साथ कहा है कि आज नीतीश कुमार का महिला सशक्तीकरण ही असलियत हम सबके सामने है. दलित छात्राओं की हत्या-बलात्कार, महादलित महिलाओं का सामूहिक बलात्कार और इन सबके सामने नीतीश सरकार का आत्मसर्मपण दिखलाता है कि नीतीश जी का महिला सशक्तीकरण पूरी तरह ढोंग है. उन्होंने कहा कि शिक्षा, सुरक्षा व सम्मान के सवाल पर दलित समुदाय की छात्राओं-महिलाओं को एकजुट करना व सम्मानजक जीवन की लड़ाई के अधिकार के संघर्ष को आगे बढ़ाना ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की असली शिक्षा है.


पटना में बुद्धमूर्ति गोलबंर स्थित मुसहरी में सभा को संबोधित करे हुए ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे ने कहा कि स्कूली छात्राओं और उसमें भी खासकर दलित समुदाय से आने वाली छात्राओं पर अत्याचार की घटना की खबरें आज हर दिन किसी न किसी जिले से आ रही है, जबकि नीतीश सरकार छात्राओं की शिक्षा व महिला सशक्तीकरण की ही दुहाई देते रहती है. गरीब मां-बाप अपनी बेटियों को बड़ी उम्मीद से आवासीय विद्यालयों में भेजते हैं, लेकिन इन आवासीय विद्यालयों में छात्राओं के साथ बलात्कार व उनकी हत्या तक की जा रही है. विभा गुप्ता ने कहा कि वैशाली डीका बलात्कार व हत्याकांड, समस्तीपुर कस्तूरबा विद्यालय की छात्रा कृष्णा की संदेहास्पद मौत, समस्तीपुर के ही कल्याणपुर में आरएसएस संचालित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में 9 वर्षीय बच्ची से बलात्कार, आरा कस्तूरबा विद्यालय में इलाज के अभाव में दसवीं की छात्रा नीतू की मौत, नवादा कस्तूरबा विद्यालय में छठी की छात्रा का यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं दिखा रही हैं कि दलित-गरीब बेटियों के सम्मान और शिक्षा दोनांे की नीतीश सरकार लगातार उपेक्षा कर रही है. सभा में ऐपवा की नेता प्रीति ने भी अपने विचार रखे. वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा, सम्मान व सुरक्षा के सवाल पर हमारी लड़ाई लगातार जारी रहेगी. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का यही आह्वान है.

चितकोहरा इलाके में गरीबों की तीन बस्ती में शिक्षा अधिकार सभा का आयोजन किया गया, जिसमें भारी तादाद में गरीब महिलायें और छात्र-छात्रायें शामिल हुईं. अधिकार सभा में महिलाओं ने कहा कि आज बिहार में गरीबों के बाल-बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश चल रही है. शिक्षा अधिकार सभा का संचालन ऐपवा नेत्री आबादा खातून ने किया. उन्होंने संचालन करते हुए कहा कि बिहार में दलित छात्रों पे हमले बढ़ गए हंै. माले नेता मुर्तजा अली ने कहा कि आज महादलित व मुसहर समुदाय की महिलाओं से सामूहिक बलात्कार हो रहा है और प्रशासन सामंती ताकतों के दबाव में उसे मारपीट की घटना में तब्दील कर दे रहा है. यही नीतीश जी के महिला सशक्तीकरण का तथाकथित माॅडल है. आइसा के राज्य सह सचिव आकाश कश्यप ने कहा कि नीतीश सरकार दलित-गरीबों के बाल-बच्चों को शिक्षा, आरक्षण, छात्रवृत्ति सबकुछ से वंचित कर देने की साजिश कर रही है. सरकार की इस साजिश को हम बखूबी पहचानते हैं और इसका जोरदार जवाब देंगे. लोहानीपुर में समता राय और दीघा में अनिता सिन्हा ने शिक्षा अधिकार सभा को संबोधित किया.

ग्लोबल स्किल पार्क और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में मप्र को सहयोग की पेशकश की सिंगापुर ने

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भोपाल, 8 मार्च, सिंगापुर ने मध्यप्रदेश सरकार को ग्लोबल स्किल पार्क और स्मार्ट सिटी परियोजनों को विकसित करने हेतु सहायता करने की पेशकश की है। आधिकारिक तौर पर यहां बताया गया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज सिंगापुर के काउंसलेट जनरल अजीत सिंह से मुलाकात की और विभिन्न आपसी सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, ‘‘ग्लोबल स्किल पार्क और स्मार्ट सिटी परियोजना के कई घटक हैं जिनमें निवेश और तकनीकी मार्गदर्शन की जरूरत है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल स्किल पार्क और स्मार्ट सिटी परियोजना में विभिन्न घटक में सिंगापुर की कंपनियों की भागीदारी की भरपूर संभावनाएँ हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार को आसान बनाने से जुड़े तकनीकी मुद्दों पर अधिकारियों को प्रशिक्षण देने में सिंगापुर से सहयोग लेने के लिये राज्य सरकार सहमत है। उल्लेखनीय है कि सिंगापुर इस प्रकार का प्रशिक्षण अन्य राज्यों में दे रहा है। अजीत सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के विकास में सिंगापुर की कंपनियों और उद्योगों की भागीदारी की भरपूर संभावनाएँ हैं। मध्यप्रदेश सिंगापुर के हृदय में बसता है। चौहान ने कहा कि सिंगापुर भी व्यापार एवं वाणिज्य की दृष्टि से प्रदेश का मित्र देश हैं। विकास में दोनों की भागीदारी के सुपरिणाम मिलेंगे। इस अवसर पर मुख्य सचिव बी. पी. सिंह, प्रमुख सचिव उद्योग मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा कल्पना श्रीवास्तव उपस्थित थे।

स्मिथ की डीआरएस हरकत अंडर . 10 के मैच जैसी : अश्विन

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बेंगलुरू, 8 मार्च, रविचंद्रन अश्विन ने भारत और आस्ट्रेलिया के बीच दूसरे टेस्ट मैच के दौरान स्टीवन स्मिथ की डीआरएस रैफरल के लिये ड्रेसिंग रूम से सलाह लेने के विवादास्पद कदम का मजाक उड़ाते हुए इसे ‘अंडर.10 के मैच’ जैसी हरकत करार दिया। अश्विन ने कहा कि इस घटना से उन्हें अपने जूनियर दिनों की क्रिकेट याद आ गयी। उन्होंने कहा, ‘‘स्टीवन स्मिथ असल में वापस मुड़ा और ड्रेसिंग रूम की तरफ इशारा करके पूछा कि क्या वह रैफरल ले सकता है। मैंने पहले कभी ऐसा नहीं देखा था। मुझे लगता है कि आखिरी बार इस तरह की घटना अंडर . 10 मैच में हुई थी जब मेरे कोच बाहर से सुझाव देते थे कि प्वाइंट और कवर का क्षेत्ररक्षक कहां पर खड़ा करना है। ’’ उन्होंने अपने साथी चेतेश्वर पुजारा के साथ बीसीसीआई.टीवी पर बात करते हुए कहा, ‘‘यह वास्तव में हैरान करने वाली घटना थी। मैं स्टीवन स्मिथ का काफी सम्मान करता हूं लेकिन यह बहुत हैरानी भरा था।’’ पुजारा ने मैच के दौरान छींटाकशी का जिक्र किया और कहा कि वह डेविड वार्नर को अश्विन का उनके खिलाफ रिकार्ड की याद दिलाते रहे। पुजारा ने कहा, ‘‘जब वह दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिये आये तो उन पर दबाव था और मैं चाहता था कि बल्लेबाज विशेषकर डेविड वार्नर इस बारे में सोचता रहे। जब भी वह बल्लेबाजी के लिये आता है अश्विन को खुशी होती इसलिए मैं हमेशा उसे याद दिलाता रहता हूं कि अश्विन वह गेंदबाज है जो उसे आउट करता रहा है। ’’

काबुल का सैन्य अस्पताल विस्फोट गोलीबारी से दहला : अधिकारी

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काबुल, 8 मार्च, अफगानिस्तान के सबसे बड़े सैन्य अस्पताल में आज चिकित्सकों की वेशभूषा में आये आतंकवादियों ने हमला कर दिया जिसके बाद काबुल विस्फोट और गोलीबारी से दहल उठा। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। अभी तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने सरदार दाउद खान अस्पताल में किये गये हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब गर्मियों में तालिबान के हमले शुरू होने से पहले ही उसके आतंकवादियों के हमले बढ़ गये हैं। अस्पताल में आतंकवादियों के हमले अब भी जारी है। हमले में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है लेकिन अस्पताल में फंसे चिकित्सा कर्मियों ने सोशल मीडिया पर मदद मांगी है। अस्पताल के एक कर्मचारी ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘हमलावर अस्पताल के अंदर हैं। हमारे लिये दुआ कीजिये।’’ अस्पताल प्रशासकों ने एएफपी को बताया कि विस्फोट के बाद चिकित्सकों के सफेद कोट पहने तीन बंदूकधारी अस्पताल में घुस आये जिससे वहां अफरातफरी मच गयी। इस अस्पताल में 400 बेड हैं।


अस्पताल प्रशासक अब्दुल हाकिम ने एएफपी को टेलीफोन पर कहा, ‘‘हमलवार हर जगह गोलियां चला रहे हैं। हम स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रहे हैं।’’ इससे एक सप्ताह पहले काबुल में दो सुरक्षा परिसरों पर तालिबान के आत्मघाती हमलों में 16 लोग मारे गये थे। बढ़ती हिंसा आतंकवादी संगठन तालिबान को लेकर अफगानिस्तान में बढ़ रही असुरक्षा को दर्शाती है। तालिबान के साथ शांति वार्ता नाकाम होने के कारण गर्मियों के मौसम में हमले बढ़ने के लिए देश अपने आप को तैयार कर रहा है। काबुल ने गत महीने अमेरिकी जनरल जॉन निकोलसन की उस मांग का समर्थन किया था जिसमें उन्होंने गर्मियों में आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए अफगानिस्तान में गठबंधन सेना के हजारों अतिरिक्त सैनिकों को तैनात करने के लिए कहा था। पेंटागन ने इस वर्ष कहा था कि वह गर्मियों में अकेले हेलमंद प्रांत में ही करीब 300 अमेरिकी नौसैनिकों को तैनात करेगा।

भारतीय विश्वविद्यालय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार हो सकते हैं : राष्ट्रपति

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नयी दिल्ली, 8 मार्च, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारतीय शिक्षा संस्थानों की योग्यता में कमी नहीं है और वे विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल हो सकते हैं। राष्ट्रपति ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस :आईआईएससी: बेंगलुर को टाइम्स हायर एजुकेशन :टीएचई: की 2017 की ‘सर्वश्रेष्ठ लघु विश्वविद्यालयों’ श्रेणी मेंंंं शीर्ष 10 संस्थानों में शामिल होने पर बधाई दी। मुखर्जी ने कहा, ‘‘मैं सम्मानित संस्थान के संकाय के सभी कर्मचारियों और छात्रों को बधाई देता हूं, कि उन्होंने विश्व में उच्च शिक्षा के संस्थानों की सूची में शामिल होने के लिए प्रयास किये जाने के बारे में मेरे द्वारा बार बार किये गये आह्वान पर प्रतिक्रिया दिखायी और वह इसमें सफल हुये।’’ राष्ट्रपति मुखर्जी ने आईआईएससी के निदेशक को भेजे एक संदेश में कहा, ‘‘यह उपलब्धि मेरे दृढ़ विश्वास को दोहराती है कि भारतीय शिक्षण संस्थानों में योग्यता की कमी नहीं है और वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल हो सकते हैं।’’ उल्लेखनीय है कि टाइम्स हायर एजुकेशन :टीएचई: ने 2017 की ‘सर्वश्रेष्ठ लघु विश्वविद्यालयों’ की रैंकिंग में आईआईएससी, बेंगलुर को आठवां स्थान दिया है। मुखर्जी ने कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि यह संस्थान अपना प्रयास जारी रखेगा और भविष्य में बड़ी से बड़ी उपलब्धियां हासिल करेगा।’’

मोदी ने छोटे मछुआरों के लिए योजना घोषित की

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दीव, 8 मार्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे एवं हाशिये पर रहने वाले मछुआरों के लिए एक करोड़ रूपये तक रिण मुहैया कराने के लिए आज एक योजना घोषित की जिससे वे आधुनिक नावें खरीद पायेंगे और उसकी मदद से अधिक मछली पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में जा सकेंगे। मोदी ने केंद्र शासित प्रदेश दमन एवं दीव के दीव में एक जनसभा में कहा, ‘‘हम गरीब मछुआरों के लिए एक योजना ला रहे हैं जो अपनी छोटी नावों के चलते गहरे समुद्र में नहीं जा पाते और पर्याप्त मछली नहीं पकड़ पाते।’’ मोदी ने कहा, ‘‘योजना का मसौदा लगभग तैयार है अैर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। इसके तहत हम गरीब मछुआरों से अपने गांवों में एक समूह बनाने के लिए कहेंगे। समूह को मुद्रा योजना के तहत एक करोड़ रूपये तक रिण दिया जाएगा। केंद्र राशि में 50 प्रतिशत योगदान करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें :समूह: को मछली पकड़ने के लिए बड़ी नावें दी जाएंगी जो 12 समुद्री मील तक जा सकेंगी जहां बड़ी संख्या में मछलियां रहती हैं। छोटे मछुआरे अलग अलग मछली पकड़ने की बजाय ऐसे समूह का हिस्सा बनकर लाभ साझा कर सकते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे लोग जिनके पास योजना में सुधार के लिए कोई सुझाव है वह दमन एवं दीव प्रशासन के जरिये उन्हें बता सकते हैं। उन्होंने समुद्र किनारे स्थित दीव में कहा, ‘‘हमने देश के तटीय क्षेत्र को विकसित करने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं। हमने सागरमाला परियोजना शुरू की है जिसके तहत हम आठ लाख करोड़ रूपये का निवेश करेंगे।’’ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन तटीय जिले के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि दीव में भारत के अन्य स्थानों की तरह असंतुलित लिंग अनुपात नहीं है।


उत्तर प्रदेश में 60.03 प्रतिशत,मणिपुर में 86 फीसदी मतदान : आयोग

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नयी दिल्ली, 08 मार्च, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के सातवें एवं अंतिम चरण में सात जिलों के 40 निर्वाचन क्षेत्रों में आज शाम पांच बजे तक 60.03 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जबकि मणिपुर में दूसरे एवं अंतिम चरण में 86 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, चुनाव उपायुक्त विजय देव ने यहां संवाददाताओं को बताया कि दोनों राज्याें में मतदान शांतिपूर्ण रहा और कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में शाम पांच बजे तक कुल एक करोड़ 41 लाख 88 हजार 233 मतदाताओं में से 60.03 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सातवें चरण में 57.56 प्रतिशत मतदान हुआ था। मतदान सम्पन्न होने के साथ ही उत्तर प्रदेश में 535 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गया। इनमें 51 महिला उम्मीदवार शामिल हैं। सभी सीटों के लिए मतगणना 11 मार्च को होगी। इस चरण में 662 स्थानों पर 14 हजार458 मतदान केंद्र बनाये गये थे। उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनावों के पहले चरण में 61.04 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार पहले चरण में 63.8 प्रतिशत मतदान हुआ था। पिछली विधानसभा के दूसरे चरण में 65.17 की तुलना में इस बार 67.16 प्रतिशत, तीसरे चरण में 59.96 प्रतिशत की तुलना में 61.43 प्रतिशत, चौथे चरण में 60.2 प्रतिशत की तुलना में 61.21 प्रतिशत और पांचवें चरण में 57.05 प्रतिशत की तुलना में 57.03 प्रतिशत और छठे चरण में 54.62 प्रतिशत की तुलना में 56.98 प्रतिशत मतदान हुआ। मणिपुर में 10 जिलों के 22 विधानसभा क्षेत्रों के लिए दूसरे चरण में हुए मतदान के दौरान शाम चार बजे तक 86 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह आंकड़ा मतदान वाले क्षेत्रों के महज 75 प्रतिशत इलाकों से प्राप्त सूचनाओं पर आधारित है। दूर-दराज के शेष 25 प्रतिशत क्षेत्रों से मतदान प्रतिशत की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं हो सकी है। वर्ष 2009 से लेकर अब तक राज्य में मतदान का यह सर्वोच्च प्रतिशत है।

महिला दिवस पर नारी शक्ति को राष्ट्र का सलाम

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नयी दिल्ली 08 मार्च, राष्ट्र ने आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के प्रति भेदभाव खत्म करने और उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए नारी शक्ति को सलाम किया तथा महिला सशक्तीकरण में उल्लेखनीय योगदन देने वाली महिलाओं काे इस मौके पर सम्मानित किया गया, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में महिला विकास और सशक्तीकरण में असाधारण योगदान करने वाली 33 महिलाओं और छह संस्थानों को वर्ष 2016 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर श्री मुखर्जी ने कहा कि समग्र सामाजिक विकास पर जोर दिया और कहा कि आधुनिक भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव की कोई जगह नहीं है। राजनीति, सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए महिलाओं की समान भागीदारी आवश्यक है। इसके लिए सभी को प्रयास करने चाहिए।नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिलाओं में सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक चेतना जगाने वाली सुप्रसिद्ध महिलाएं शामिल हैं। इनमें से कई महिलाओं ने खेल जगत में अपना परचम लहराया है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता महिला को सम्मान स्वरुप एक लाख रुपए नकद तथा एक प्रशस्ति पत्र दिया गया है। इस विशेष समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने कहा,“अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति के अदम्य जज्बे, दृढ़ता और समर्पण को सलाम।” उन्होंने गांधीनगर में महिला सरपंचों के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता की दिशा में केंद्र की ओर से उठाये गये कदमों का जिक्र किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देश की सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्हाेंने कहा कि भारत की प्रगति के प्रशस्त मार्ग में महिलाओं की भूमिका हमेशा अग्रणी रही है।

विधानसभा चुनाव परिणाम का असर दिखाई देगा संसद में

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नयी दिल्ली 08 मार्च, संसद के बजट सत्र के कल से शुरू हो रहे दूसरे चरण में अन्य मुद्दों के साथ साथ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों का असर भी दिखाई देगा और सत्ता तथा विपक्ष के कुछ मामलों पर अपने रूख पर अडे रहने के मद्देनजर इस चरण के भी हंगामेदार रहने की संभावना है। बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी को शुरू होकर 9 फरवरी तक चला था जिसमें आम बजट पेश किया गया था और उस पर चर्चा भी हुई थी। इसमें नोटबंदी के मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण कामकाज बाधित हुआ था। नोटबंदी को लेकर विपक्ष के रूख में अभी भी नरमी नहीं आई है। सकल घरेलू उत्पाद के ताजा आंकडे आने के बाद सरकार का कहना है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर नहीं पडा है जबकि मुख्य विपक्षी दल इन आंकडों पर भी सवाल उठा रहा है। उसका कहना है कि नोटबंदी का नकारात्मक प्रभाव पडा है और इसका असर चालू वित्त वर्ष के साथ साथ अगले वित्त वर्ष पर भी पडेगा। इससे लगता है कि इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार को संसद में फिर घेरेगा। कुछ योजनाओं के लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य करने के सरकार के हाल के फैसलों का भी विपक्ष विरोध कर रहा है। कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दल इस पर भी सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। बैंकों में निर्धारित संख्या के बाद लेन देन पर शुल्क लगाने तथा बचत खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माने का कुछ बैंकों का फैसला भी संसद में जोर शोर से उठेगा। कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह डिजिटल इंडिया के नाम पर लोगों से पैसा वसूलकर ‘कानूनी लूट खसौट’ कर रही है। अन्य विपक्षी दल भी इसका विरोध कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज घटनाक्रम की गूंज भी संसद में सुनाई देगी। रामजस कालेज में अखिल भारतीय विद्याथी परिषद और वामपंथी छात्र संगठनों के छात्रों के बीच मारपीट और पुलिस कार्रवाई बडा मुद्दा बन गया था । कांग्रेस और वामपंथी दलों के नेता विद्यार्थी परिषद को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए विश्वविद्यालय परिसर में पहुंच गये थे। वामपंथी नेताओं ने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना एजेंडा विश्वविद्यालयों पर थोप रहा है और वे इस मुद्दे को संसद में उठायेंगे ।

आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराने से गवर्नेस् की गुणवत्ता सुधरेगी: जेटली

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नयी दिल्ली 08 मार्च, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम चुनाव और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की पुरजोर वकालत करते हुये आज कहा कि इससे न सिर्फ चुनावी लागत में कमी आयेगी बल्कि शासन में भी सुधार होगा। श्री जेटली ने यहां आयोजित एक परिचर्चा में कहा कि देश में हर वर्ष दो बार चुनावों के कारण आचार संहिता लगता रहता है और इससे न:न सिर्फ कामकाज प्राभावित होता है बल्कि शासन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। इसके साथ ही एक साथ चुनाव कराये जाने से चुनाव व्यय में भी कमी आयेगी। राजनीतिक दलों की भी चुनावी व्यय कम होगा और एक ही बार में दोनों के लिए प्रचार हो जायेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी इस पर सिर्फ चर्चा हो रही है। इस संबंध में कोई विशेष पहल नहीं की गयी है। वित्त मंत्री ने कहा कि चुनाव के लिए सरकारी फंडिंग की परिकल्पना से इन्कार नहीं किया जा सकता है लेकिन भारत में तत्काल यह मॉडल सफल नहीं हो सकता है क्योंकि किसी भी चुनाव में निर्धारित राशि ही व्यय किया जायेगा यह सुनिश्चित करना मुश्किल काम है। केन्द्रीय स्तर के साथ ही राज्य और स्थानीय स्तर पर चुनावों में व्यय किया जाता है। प्रत्याशी भी अपने स्तर पर व्यय करते हैं तथा समर्थक भी व्यय करते हैं। श्री जेटली ने राजनीतिक दलों को ऑनलाइन चंदा जुटाने की अपील करते हुये कहा कि उनके दल ने यह प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि 50-60 के दशक में चुनावी लागत कम होती थी लेेकिन अब यह बहुत अधिक हो चुकी है। अब अधिकांश व्यय लिखित में होता है तथा पारदर्शी होता है। इसलिए किसी भी राजनीतिक दल के लिए ऑनलाइन चंदा चुटाना सरल और पारदर्शी व्यवस्था होगा।

आलेख : उद्योग कारोबार के संकट के हल के लिए हिंदुत्व सुनामी काफी नहीं है!आगे बेहद खतरनाक मोड़ है!

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कालाधन से वोट खरीदे जा सकते हैं लेकिन इससे न अर्थ व्यवस्था पटरी पर आती है और न उद्योग कारोबार के हित सधते हैं। वैश्विक इशारे बेहद खतरनाक, बेरोजगारी, भुखमरी और मंदी के साथ व्यापक छंटनी का अंदेशा,टूटने लगा बाजार। सुनहला तिलिस्म। इसीलिए बनारस में तोते की जान दांव पर है और कालाधन गंगाजल की तरह पवित्र है। 





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लोकतंत्र के इतिहास में यह अभूतपूर्व है कि कोई प्रधानमंत्री और उसका समूचे मंत्रिमंडल ने किसी एक शहर की घेराबंदी कर दी है।बनारस में पिछले कई दिनों से सामान्य जनजीवन चुनावी हुड़दंग में थमा हुआ है तो बाकी देश भी बनारस में सिमट गया है।कल आधी रात के करीब मैंने इसलिए फेसबुक लाइव पर यह सवाल दागा है कि क्या बनारस पूरा भारत है?  मीडिया की मानें तो भाजपा ने चुनाव जीत लिया है और बाकी राजनीतिक दल मैदान में कहीं हैं ही नहीं है। मायावती इस चुनाव में कोई दावा भी पेश कर रही है, मीडिया ने अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है। शिवजी की हजारों साल के हिंदुत्व के इतिहास में ऐसी दुर्गति किसी अवतार या अपदेवता ने नहीं की है,भोले बाबा का वरदान पाने के बाद खुद किसी ने भोले बाबा को उनकी जगह से बेदखल करने की कोशिश नहीं की है चाहे स्वर्ग मर्त्य पाताल में कितना ही हड़कंप मचा हो जैसा कि उनकी अपनी नगरी मां अर्णपूर्णा की काशी  में ही हर हर महादेव हर हर मोदी में बदल गया है।रोज वहां शिवजी के भूतों प्रेतों की बारात निकल रही है।पता नहीं,उमा फिर ब्याह के लिए तैयार है भी या नहीं। भक्त मंडली उछल उछल कर दावे कर रही है कि भाजपा को कुल चार सौ सीटें मिलने जा रही है।मीडिया खुलकर ऐसा लिख बता नहीं पा रहा है,लेकिन उसका बस चले तो वह जनादेश का ऐसा एकतरफा नजारा पेश करने के लिए बेताब है। जब इतनी भारी जीत तय है तो कोई प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल बनारस में चालीसेक सीटों को हर कीमत पर जीतने के लिए सारे संसाधन झोंकने में क्यों लगा है,यह एक अबूझ पहेली है,जो 11 मार्च से पहले सुलझने वाली नहीं है।

नोटबंदी के नस्ली नरसंहार कार्यक्रम को जायज ठहराने का दांव उलटा पड़ने लगा है।निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे अफसरों,कर्मचारियों की जान आफत में है क्योंकि उनके लिए टार्गेट न सिर्फ बढ़ा दिया गया है,बल्कि ज्यादातर कंपनियों में एमडी लेवेल से मैनडेट जारी हो गया है कि हर हाल में टार्गेट को पूरा किया जाये।मतलब यह है कि फर्जी विकास के फर्जी आंकड़े के सुनहले दिन में अंधियारे के सिवाय बाजार को कुछ हासिल नहीं हुआ है और मंदी मुंह बांए खड़ी है। अर्थशास्त्री तो राम राज्य में होते नहीं हैं।कुल जमा कुछ झोला छाप विशेषज्ञ और आंकड़ों की बाजीगरी और परिभाषाओं, पैमानों के सृजनशील कलाकार हैं। मुश्किल यह है कि बहुसंख्य आम जनता को क्रय क्षमता से वंचित करके नकदी संकट खड़ा करके ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार को ठप करके सिर्फ शहरी आबादी की डिजिटल दक्षता और चुनिंदा तबके के पास मौजूद सदाबहार प्लास्टिक मनी  के भरोसे उपभोक्ता में बने रहना ज्यादातर कंपनी और मार्केटिंग प्रबंधकों के लिए सरदर्द का सबक है और उन्हें यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि कारोबार और उत्पादन ठप होने के बवजूद आंकडे़ दुरुस्त करने की मेधा झोल  छाप प्रजाति की तरह उनकी क्यों नहीं है।वे तो हिसाब जोड़ने में तबाह हैं। वृद्धि दर सात फीसद का ऐलान करने के बावजूद आंकडे़ पूरी तरह दुरुस्त नहीं किये जा सके हैं तो छोला छा बिरादरी की ताजा बाजीगरी यह है कि सरकार नये आधार वर्ष 2011-12 के साथ दो वृहत आर्थिक संकेतक ... औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक...अप्रैल अंत तक जारी कर सकती है। सरकारी  तौर पर  इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वृद्धि के आंकड़ों के साथ दोनों सूचकांक मेल खायें। लेकन आधार वर्ष में तब्दीली करके पैनमाना बदलकर मर्जी मुताबिक आंकड़े बनाने और दिखाने की यह डिजिटल कैशलैस तकनीक छालाछाप बिरादरी का अर्थशास्त्रीय विशेषज्ञता है,जिसका मुकाबाला न अमर्त्य सेन जैसे अर्थशास्त्री कर सकते हैं और कारपोरेट जगत के अपने आर्थिक कारिंदे।

आईआईपी और डब्ल्यूपीआई के लिये आधार वर्ष फिलहाल 2004-05 है। सीधे सात साल की छलांग लगाकर जो आंकड़े बनाये जाएंगे,उनकी प्रमाणिकता पर भले आम जनता को ऐतराज न हो लेकिन उद्योग कारोबार जगत को हिसाब किताब के इस फर्जीवाड़े से अरबों का चूना लगेगा। फिरभी  झोलाछाप दावा है कि नये आधार वर्ष से आर्थिक गतिविधियों के स्तर को अधिक कुशल तरीके से मापा जा सकेगा और राष्ट्रीय लेखा जैसे अन्य आंकड़ों का बेहतर तरीके से आकलन किया जा सकेगा।  गौरतलब है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) पहले ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) के पैमाने और आधार वर्ष बदल दिये हैं जिसका नतीजा सात फीसद विकास दर की लहलहाती फसल है।... निवेश और लागत के मुकाबले मुनाफा कितना है और घाटा कितना है,यह जोर घटाव निजी कंपनियों और असंगठित क्षेत्र में करोड़ों ठेके के कर्मचारियों के सर पर लटकती धारदार तलवार है तो कंपनियों के सामने जिंदा रहने की चुनौतियां हैं।

मेकिंग इन की स्टार्ट अप दुनिया में तहलका मचा हुआ है।
अब कारोबार उद्योग जगत में सबसे ज्यादा सरदर्द का सबब यह है कि सात फीसद विकास दर के बावजूद मंदी का यह आलम है तो सुनहले दिनों के लिे विकास दर कितनी काफी होगी कि निवेश का पैसा डूबने का खतरा न हो और कारोबार समेटकर लाड़ली कंपनियों में समाहित हो जाने की नौबत न आये। दो दो तेल युद्ध के आत्मध्वंसी दौर में आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी युद्ध में खपी अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ऐसी ही सुनहली तस्वीरें पेश की जाती रही हैं और अमेरिका नियंत्रित वैश्विक आर्थिक एजंसियां ,अर्थशास्त्री, मीडिया और रेटिंग एजंसियों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को विश्व व्यवस्था की धुरी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिर 2008 में नतीजा महामंदी बतौर समाने आया तो बाराक ओबामा अपने दो दो कार्यकाल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर नहीं ला सके।आर्थिक संकट का हल यूं निकला कि राजपाट धनकुबेर डान डोनाल्ड के हवाले करके विदा होना पड़ा। आम जनता की तकलीफें, उनकी गरीबी, हां, अमेरिकी आम जनता की गरीबी,बेरोजगारी का आलम यह है कि अमेरिकी सरकार कारपोरेट कंपनी की दक्षता के साथ चलाने के लिए अराजनीतिक असामाजिक स्त्री विरोधी लोकतंत्र विरोधी अश्वेतविरोधी, आप्रवास विरोधी धुर नस्ली दक्षिणपंथी डोनाल्ट ट्रंप को अमेरिकी जनता ने चुन लिया।हमें फिर अपने जनादेश पर शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं है।

बल्कि हम इससे सबक लें तो बेहतर।
अमेरिकी युद्धक अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखें तो छब्बीस साल के मुक्त बाजार में  हिंदुत्व के कारपोरेट एजंडे की वजह से भारत में इन दिनों नरसंहारी धुर दक्षिणपंथी साप्रदायिक नस्ली राजनीतिक लंपट पूंजी सुनामी को समझना आसान होगा। जाहिर है कि 1991 से मुक्त बाजार की आत्मघाती व्यवस्था में समाहित होते जाने से आम जनता की तकलीफों के राजनीतिक समाधान या राजनीतिक विकल्प  न होने की वजह से हिंदुत्व का यह पुनरूत्थान संभव हुआ क्योंकि भोपाल गैस त्रासदी, सिख संहार,गुजरात और असम के कत्लेआम  से लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन की भावनात्मक सुनामी के बावजूद मुक्त बाजार के संकट गहराने से पहले हिंदुत्व का पुनरूत्थान मुकम्मल मनुस्मृति राज में तब्दील नहीं हो सका था। इस पर जरा गौर करें कि मोदी की ताजपोशी से पहले दस साल तक कांग्रेस का राजकाज रहा है,जिसमें पांच साल तक वामपंथी काग्रेस से नत्थी भी रहे हैं। आर्थिक सुधारों के बावजूद  जो अर्थव्यवस्था चरमराती रही और विकास की अंधी दौड़ में आम जनता की रेजमर्रे की जिंदगी जैसे नर्क हो गयी, उससे बाहर निकलने का कोई दूसरा राजनीतिक विकल्प न होने के अलावा संकट में फंसी कारपोरेट दुनिया के समरथन मनमोहन से गुजरात माडल के मुताबिक मोदी में स्थानांतरित हो जाने की वजह से हिंदुत्व सुनामी का गहरा निम्न दबाव क्षेत्र में तब्दील हो गया यह महादेश। इस यथार्थ का सामना किये बिना सोशल मीडिया की हवा हवाई क्रांति से इस हिंदुत्व सुनामी का मुकाबला असंभव है और दुनिया में सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र महाबलि अमेरिका के जनादेश से इस सच को समझना आसान है।
बहरहाल संकट जस का तस बना हुआ है।
भारत में विकास कृषि विकास के बिना असंभव है और पिछले छब्बीस साल में उत्पादन प्रमाली तहस नहस है जिस वजह से उत्पादन संबंध सिरे से खत्म होने पर सांप्रदायिक, क्षेत्रीय, धार्मिक, जाति ,नस्ली अस्मिता के वर्चस्व के तहत आर्थिक संकट सुलझाने के लिए यह महाभारत है,जो जाहिर है कि संकट को लगातार और घना घनघोर बना रहे हैं और अमन चैन,विविधता,बहुलता,लोकतंत्र , संविधान,नागरिक और मानवाधिकारों का यह अभूतपूर्व संकट है। हमारी दुनिया तेजी से ब्लैकहोल बन रही है। नोटबंदी से कालाधन पर अंकुश लगाने का दावा बनारस में चुनावी महारण में युद्धक बेलगाम खर्च से झूठा साबित हो गया है। त्रिकोणमिति या रेखागणित की तरह नहीं,सीधे अंकगणित के हिसलाब से साफ है कि अगर बनारस बाकी देश है तो समझ लेना चाहिए कि दिल्ली में सबकुछ समाहित कर देने की सत्तावर्ग की खोशिशों का जो नतीजा बाकी देश भुगत रहा है,बनारस में अस्थाई तौर पर ठहरे राजकाज का नतीजा उससे कुछ अलग होने वाला नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी इस चुनाव के बाद कितने दिनों तक पद पर बने रहेंगे कहना मुश्किल है।लेकिन उन्होंने साफ दो टुक शब्दों में कह दिया है कि नोटबंदी से वोट महोत्सव में कालाधन का वर्चस्व खत्म हुआ नही है।बांग्ला दैनिक आनंद बाजार में उनके दावे के बारे में आज पहले पन्ने पर खबर छपी है। जाहिर सी बात है कि बाकी देश को नकदी के लिए वंचित रखकर जिस तरह यूपी में केसरिया वाहिनी को कालाधन से लैस करके यूपी जीतने के काम में लगाया गया, जैसे नोटवर्षा हुई, उससे साफ जाहिर है कि नोटबंदी का मकसद कालाधन रोकने या लोकतंत्रिक पारदर्शिता कतई नहीं रहा है। जैसे डिजिटल कैशलैस इंडिया में चुनिंदा कंपनियों और घरानों का एकाधिकार कारपोरेट वर्चस्व कायम रखने का चाकचौबंद इंतजाम है वैसे ही नोटबंदी का पूरा खुल्ला खेल फर्रूखाबाद राजनीति पर केसरिया वर्चस्व कायम रखने के लिए है। अब यह केसरिया वर्चस्व का कालाधन नमामि गंगे की अविराम गंगा आरति के बावजूद बनारस की गंदी नालियों से प्रदूषित गंगा के जहरीले पवित्र जल की तरह पूरे बनारस और बाकी देश में बहने लगा है,जिसकी तमाम चमकीली गुलाबी तस्वीरें पेड पेट मीडिया के जरिये दिखायी जा रही हैं। गौरतलब है कि नोटबंदी का निर्णय पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले करने  के बाद रिजर्व बैंक को बंधुआ बनाकर रातोंरात लागू किया था खुद प्रधानमंत्री ने तो इसके अच्छे बुरे नतीजे के जिम्मेदार भी वे ही हैं। इसी सिलसिले में मुख्य चुनाव आयुक्त का यह कहना बेहद गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद हुए चुनावों में यूपी और दूसरे राज्यों मे पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले बहुत ज्यादा कालाधन बरामद हुआ है।जबकि प्रधानमंत्री का दावा था कि कालाधन पर नोटबंदी से अंकुश लग जायेगा।

वैश्विक इशारे इतने खतरनाक हैं कि हिंदुत्व की चालू सुनामी से बाराक ओबामा के लंगोटिया यार के लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना असंभव है।अमेरिका पहले है, डोनाल्ड ट्रंप की इस नीति से हिंदुओं के लिए कोई खास रियायत नहीं मिलने वाली है।मुसलमानों के खिलाफ धर्मयुद्ध में अमेरिका में निशाने पर हिंदू और सिख हैं। गौरतलब है कि अमेरिका,कनाडा,यूरोप और आस्ट्रेलिया में बड़ी संख्या में सिख और पंजाबी  हैं जो वहां व्यापक पैमाने पर खेती बाड़ी कर रहे हैं एकदम अपने पंजाब की तरह तो कारोबार में भी वे विदेश में दूसरे भारतीय मूल के लोगों से बेहद आगे हैं।दूसरी तरह, नौकरी चाकरी के मामले में भारत में शिक्षा दीक्षा में मुसलमानों, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के मिलने वाले मौके और उनके हिस्से के संसाधनों के मद्देनजर कहना ही होगा कि अमेरिका और बाकी दुनिया में बड़ी नौकरियों में सवर्ण हिंदी ही सबसे ज्यादा है। जाहिर सी बात है कि न्स्ली श्वेत वर्चस्व के आलम में मुसलमानों के बजाय सिखों और सवर्ण  हिंदुओं पर ही श्वेत रंगभेदी हमले बढ़ते जाने की आशंका है।ऐसे में ग्लोबल हिंदुत्व का क्या बनेगा,यह किसी देव मंडल को भी मालूम नहीं है। पिछले 25 साल से तकनीकी शिक्षा और दक्षता पर जो र दिये जाने के बावजूद नई पीढ़ियों को प्राप्त रोजगार और स्थानीय रोजगार देने के लिए कोई इ्ंफ्रास्टक्चर तैयार नहीं किया गया है न ही उस पैमाने पर औद्योगीकरण हुआ है। बल्कि औद्योगीकरण के नाम पर अंधाधुंध शहरीकरण और जल जंगल जमीन से अंधाधुंध बेदखली,दमन, उत्पीड़न और नरसंहार के जरिये बहुसंख्य जन गण, किसानों और मेहनतकशों के सफाये का इंतजाम होता रहा है।

पिछले छब्बीस साल से कल कारखाने लगातार बंद हो रहे हैं।लगातार थोक भाव से किसान खुदकशी कर रहे हैं।
लगातार चायबागानों में मुत्यु जुलूस निकल रहे हैं।
लगातार निजीकरण और विनिवेश से स्थाई नौकरियां और आरक्षण दोनों खत्म हैंं।
पढ़े लिखे युवाओं और स्त्रियों को रोजगार मिल नहीं रहा है।
बाजार और सर्विस सेक्टर में विदेशी और कारपोरेट पूंजी की वजह से कारोबार से आजीविका चलाने वाले लोग भी संकट में हैं। धर्म, जाति, क्षेत्र, नस्ल की पहचान चाहे जितनी मजबूत हो, हिंदुत्व की सुनामी चाहे कितनी प्रलयंकर हो, रोजी रोटी के मसले हल नहीं हुए और भुखमरी,मंदी और बेरोजगारी बेलगाम होने, मुद्रास्फीति, मंहगाई और वित्तीय घाटे तेज होने, ईंधन संकट गहराने और उत्पादन सिरे से ठप हो जाने, युद्ध गृहयुद्ध सैन्य शासन और हथियारों की अंधी दौड़,परमाणु ऊर्जा में राष्ट्रीय राज्स्व खप जाने और उपभोक्ता बाजार सर्वव्यापी होने के बावजूद कृत्तिम नकदी संकट गहराते जाने से डिजिटल कैशलैस इंडिया में आगे सुनहले दिन के बजाय अनंत अमावस्या है। मोदी महाराज, उनके तमाम सिपाहसालार और करोडो़ं की तादाद में भक्तजन, पालतू मीडिया हावर्ड और अर्थशास्त्रियों की कितनी ही खिल्ली उड़ा लें, औद्योगिक और कृषि संकट के साथ साथ बाजार में जो गहराते हुए मंदी का आलम है और जो खतरनाक वैश्विक इशारे हैं, हिंदुत्व के पुनरूत्थान, केसरिया सुनामी, केंद्र और राज्यों में सत्ता को कारपोरेट और बाजार का समर्थन लंबे दौर तक जारी रहना मुश्किल है, चाहे विधानसभा चुनावों के नतीजे कुछ भी हो। गौरतलब है कि डा.मनमोहन सिंह को दस साल तक विश्व व्यवस्था,अमेरिका और कारपोरेट देशी विदेशी कंपनियों का पूरा समर्थन मिलता रहा है। जिन संकटों और कारणों की वजह से मनमोहन का अवसान हुआ है,2014 के बाद वे तेजी से लाइलाज मर्ज में तब्दील हैं। मसलन विकास के फर्जी आंकडो़ं के फर्जी विकास के दावे से जनमत को बरगला कर जनादेश हासिल करना जितना सरल है, टूटते हुए बाजार और उद्योग कारोबार के संकट से निबटना उससे बेहद ज्यादा मुश्किल है।  कालाधन से वोट खरीदे जा सकते हैं लेकिन इससे न अर्थ व्यवस्था पटरी पर आती है और न उद्योग कारोबार के हित सधते हैं। गौरतलब है कि मीडिया कारपोरेट सेक्टर और मुक्तबाजार में भूमिगत धधकते ज्वालामुखी की तस्वीरें नहीं दिखा रहा है लेकिन उद्योग कारोबार जगत हैरान है कि नकदी के बिना उपभोक्ता बाजार में विशुध पंतजलि के वर्चस्व के बावजूद जो मंदी है और बाजार और उद्योग कारोबार के जो संकट हैं,वे फर्जी आंकडो़ं से कैसे सुलझ सकते हैं।इसका सीधा असर रोजगार और आजीविका पर होना है और व्यापक पैमाने पर छंटनी के बाद बाजार में जाने लाटक प्लास्टिक मनी कितनी कैशलैस डिजिटल  जनसंख्या के पास होगी, इसका कोई अंदाजा न हमें हैं और न उद्योग कारोबार को।

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने चलन से बाहर की जी चुकी मुद्रा को 31 मार्च तक जमा कराने के लिए दायर एक याचिका पर आज केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब तलब किया। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि वायदा करने के बावजूद अब लोगों को पुराने नोट जमा नहीं करने दिये जा रहे हैं।  प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता शरद मिश्रा की याचिका पर केंद्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किये।

इन नोटिस का जवाब शुक्रवार तक देना है। 
मीडिया कुछ बता नहीं रहा है लेकिन राजकाज के तमाम सूत्रों से अपनी डगमगाते सिंहासन के पायों को टिकाये रखने में महामहिम की हवाई उड़ान थम गयी है और इसलिए जान की बाजी बनारस और पूर्वांचल को जीतने में लगायी जा रही है। बनारस हारे तो संकट दसों दिशाों में घनघोर हैं।मसलन  बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं पर फिर से आपराधिक साजिश का मामला चल सकता है।केसरिया सत्ता का शिकंजा मजबूत न हुआ तो इसके नतीजे और भयंकर हो सकते हैं। फिलहाल  सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत देते हुए कहा कि महज टेक्नीकल ग्राउंड पर इन्हें राहत नहीं दी जा सकती। गौरतलब है कि  इस मामले में मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और बीजेपी और विहिप के नेता शामिल हैं। कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि इस मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की पूरक चार्जशीट दाखिल करें।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी विध्वंस मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह ही क्यों न हो? हालात ऐसे हैं कि वेतनभोगी वर्ग बी संतुष्ट नहीं है।मसलन केन्द्र सरकार के 50 लाख कर्मचारी और 59 लाख पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते में 2-4 फीसदी का इजाफा किया जा सकता है। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर बढ़ती महंगाई के बोझ को कम करने के लिए सरकार इस भत्ते में इजाफा करती है। हालांकि केन्द्र सरकार के फॉर्मूले के मुताबिक इस इजाफे के बाद भी कर्मचारियों को वास्तविक महंगाई से राहत नहीं मिलेगी। हालांकि इस प्रस्तावित वृद्धि से कर्मचारी संघ और लेबर यूनियन खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि महज 2-4 फीसदी की बढ़ोत्तरी से उनके ऊपर पड़ रहा महंगाई का दबाव कम नहीं हो सकता है। 



(पलाश विश्वास)

व्यंग्य : यह मैने नहीं मेरी कलम ने लिखा ...!!

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मैं एक बेचारे ऐसे अभागे जो जानता हूं जिसे गरीबी व भूखमरी के चलते उसके बड़े भाई ने पास के शहर में रहने वाले रिश्तेदार के यहां भेज दिया। जिससे वह मेहनत - मजदूरी कर अपना पेट पाल सके। बेचारा जितने दिनों तक उसे काम ढूंढने में लगे, उतने दिन मेजबान की रोटी तोड़ना उसकी मजबूरी रही। काम - धंधे से जुड़ने के बाद यह सोच कर कि काफी दिनों से इसकी रोटी तोड़ रहा हूं, अपना मेहनताना वह मेजबान के हाथों में रखता रहा। इससे कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक - ठाक चला। लेकिन बीच में एक समस्या उभर आई। दैनंंदिन की दिनचर्या में उसका कच्छा फट गया। कड़ी मेहनत से उपार्जन के बावजूद कुछ दिनों तक तो वह संकोच में रहा कि अपने मेजबान से कैसे कहे कि उसे कच्छा खरीदने के लिए पैसे चाहिए। लेकिन फटे कच्छे से जब काम चलाना संभव नहीं रहा तो एक दिन उसने सकुचाते हुए मेजबान से कच्छे के लिए पैसे की मांग कर दी। इससे बौखलाए मेजबान ने झट गांव में रहने वाले उसके बड़े भाई से शिकायत कर दी कि तुम्हारे छोटे भाई को मैं इतने दिनों से खिला रहा हूं, अब उसे कच्छे खरीदने के लिए भी पैसे मुझसे ही चाहिए। बेचारा युवक करे तो क्या करे। क्योंकि मेहनत - मजदूरी के बावजूद वह अपनी कमाई तो मेजबान के सुपर्द करता आया है। आंखों - देखी इस सच्ची घटना के माध्यम से यही कहना है कि अपने देश - समाज में कुछ लोगों की किस्मत ही ऐसी होती है। उनकी जायज बातों व  मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं देता। 


अब जनधन योजना में खाता खुलवाने वालों की सोचिए। जिन बेचारों ने बैंक वालों के झांसे में आकर शून्य राशि पर खाता तो खुलवा लिया। लेकिन अब बैंक वाले शर्त पर शर्त थोपते जा रहे हैं। कभी यह सरचार्ज तो कभी वह सरचार्ज। कभी मुनादी होती है कि ऐसा नहीं किया तो इतना जुर्माना , और वैसा किया तो इतना जुर्माना। इससे भली तो घर की गुल्लक ही थी।लेकिन इनकी ओर ध्यान देने की फुर्सत भला किसके पास है। दूसरी ओर अपने देश - समाज में   एक खेमा ऐसा है जो हल्की और बेसिरपैर की बातों को तुरत - फुरत लपकने पर आमादा रहता है। किसी ने बेसिरपैर की बातें कर दी और शुरू हो गया ट्वीट पर ट्वीट का खेल। फिर कहने वाले से ज्यादा ट्वीट करने वालों पर बहस। पिछले साल देश की राजधानी में स्थित शिक्षण संस्थान में हुई नारेबाजी की घटना ने मुझे हैरान कर दिया था। सोचना भी मुश्किल था कि कोई भारतीय इस तरह के नारे लगा सकता है या अपनी मातृभूमि के विषय में ऐसी कामना कर सकता है। इससे भी ज्यादा हैरानी इस बात से हुई कि बेतुकी बयानबाजी के बावजूद नारेबाजी करने वाले लगातार कई दिनों तक हीरी बने रहे। एक वर्ग ने उन्हें अवतारी पुरुष बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रहने दी। देश की राजधानी के ही एक दूसरे शिक्षण संस्थान का वाकया क्या इसी घटना का सीक्वल था। क्योंकि यहां भी वही सब दोहराया जा रहा था। नफरत अपराधी से नहीं बल्कि अपराध से करो की तर्ज पर लगातार उपदेशों की घुट्टिय़ां देशवासियों को पिलाने की कोशिश की जा रही थी। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाला रवैया उस वर्ग का है जो ऐसी बातों पर ट्वीट पर ट्वीट करते रहते हैं। समुद्र मंथन की तर्ज पर एसी कमरों में बैठ कर भाषणबाजी होती रहती हैं। जबकि करोड़ों देशवासियों की तरह मुझे भी यही लगता है कि शिक्षण संस्थानों में नारेबाजी या इस तरह के जुमलों पर किंतु - परंतु या बहस के लिए स्थान ही नही होना चाहिए। दो टुक शब्दों में  सीधे तौर पर कहा जाना चाहिए कि देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा बन सकने या देश के खिलाफ किसी भी प्रकार की नारेबाजी का समर्थन तो दूर इस पर किसी किंतु - परंतु भी स्वीकार नहीं  नहीं किया जा सकता। बहस के लिए कड़ी मेहनत के बावजूद कच्छा न खरीद पाने वाले वर्ग से जुड़े ऐसे कई  मुद्दे हैं। जिन पर बहस का शायद उस वर्ग को फायदा भी हो। बेकार की बातों में उलझ कर कोई अपना या दूसरों का आखिर क्यों टाइम खराब करे। 





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तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

सामयिकी : बढ़ते प्रदूषण और घटती वर्षा के कारण जलवायू परिवर्तन

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पिछले अनेक वर्षों से बढ़ते प्रदूषण और घटती वर्षा के कारण जलवायू परिवर्तन हो रहा है जिसके कारण वैश्विक स्तर पर तापमान बढ़ रहा है। पर्यावरणविद् एवं जल स्टार रमेंश गोयल ने इस पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि दिसम्बर 2015 में फ्रांस में इसी बढ़ते तापमान पर नियन्त्रण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था और सभी देशों ने उर्जा खपत को कम करने व सौर उर्जा का प्रयोग बढ़ाने का संकल्प किया था। कछुवे की चाल से इस पर कार्य हो भी रहा है। फरवरी 2017 में अप्रैल जैसा तापमान महसूस होने का कारण है कि गत अनेक वर्षों बाद फरवरी इतनी सूखी रही है यानि वर्षा बहुत कम हुई है। मौसम विभाग की इस वर्ष मानसून कम होने की भविष्यवाणी को ध्यान में रखते हुए भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय प्रभारी पर्यावरण एवं जल संरक्षण श्री गोयल ने जनता से जल संरक्षण के लिए अपील की है क्योंकि आगामी वर्षा ऋतु में भी वर्षा सामान्य से कम रहने के कारण जल समस्या और बढ़ने की सम्भावना रहेगी, इसलिए पानी बर्बाद न करें और आवश्यकतानुसार ही प्रयोग करें। उन्होंने कहा है कि कम वर्षा के कारण नदियों में आवश्यकतानुसार जल उपलब्ध नहीं होता जिसके कारण भूजल दोहन बढ़ता है और इसी कारण भूजल स्तर गिरता जा रहा है। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि भूजल रिचार्ज सिस्टम, वाटर हारवैस्टिंग तथा वाटर रिट्रीटमैंट को प्रोत्साहित करें।



मार थियोफिलस ट्रेनिंग कॉलेज के डायमंड जुबली समारोह आयोजित

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  • अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और मीडिया कॉन्क्लेव में  350 शोधकर्ता एवं शिक्षक सम्मानित

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नालान्चीरा (केरल) : मार थियोफिलस ट्रेनिंग कॉलेज के डायमंड जुबली समारोह में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का "उभरते समाज में ज्ञान रूपी पाठयक्रम और प्रौद्योगिकीय में नई खोज और आचरण (EKSCTIP - 2017) "विषय  पर आयोजित की गयी। । संगोष्ठी यूजीसी द्वारा प्रायोजित की गयी थी।  इस संगोष्ठी को आईसीएसएसआर द्वारा समर्थित और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान आईआईआईटीएम-कश्मीर के सहयोग से आयोजित किया गया था।   इस संगोष्ठी में  डॉ. सुकुमारन नायर (पूर्व कुलपति, एमजी विश्वविद्यालय), डॉ. कैरोलिना लोपेज सी (निदेशक, सेंटर फॉर मानव कल्याण एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग, मेक्सिको), डॉ.अचूथ, एस नायर विभाग (निदेशक, कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी विभाग, केरल विश्वविद्यालय),डॉ. सेंथिल नधान (सहायक प्रोफेसर और उप समन्वयक, यूजीसी-सैप, शैक्षिक प्रौद्योगिकी, भारती दासन यूनिवर्सिटी) और श्री राधाकृष्णन टी (असिस्टेंट प्रोफेसर और परियोजना निदेशक, जीआईएस परियोजनाओं, IIITMK)  तथा वरिष्ठ पत्रकार, द्वारका परिचय मीडिया समूह के प्रबंधक संपादक  एवं मीडिया शिक्षविद्द एस. एस. डोगरा मुख्य वक्ता के रूप में  उपस्थित रहे। आमंत्रित वक्ताओं ने प्रत्येक विषयक सत्र में अपने बहुमल्य विचार रखे । इस  मौके पर एस एस डोगरा व डॉ के वाई बेनडिक्ट द्वारा संयुक्त रूप से संकलित एवं संपादित "छात्रों के जीवन में मीडिया वर्ल्ड" नामक शीर्षक वाली पुस्तक  नेशनल कौंसिल ऑफ़ टीचर्स एजुकेशन  नई दिल्ली के अध्यक्ष संतोष मैथ्यू (आईएएस) और मोरन मोर बसेलिओस कार्डिनल क्लीमिस  (मेजर आर्क बिशप के कैथोलिकोस मलंकरा कैथोलिक चर्च) डॉ कैरोलिना लोपेज (संस्थापक, संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय शिक्षा, मेक्सिको) के कर कमलों द्वारा विमोचन किया गया. 


इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव डा लजी  वर्गीज, डॉ जोजू  जॉन भी पुस्तक के विमोचन में शिरकत की तथा मीडिया कॉन्क्लेव की शोभा बढ़ाई । nइस  अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में मीडिया कॉन्क्लेव का उद्घाटन वरिष्ठ पत्रकार एस एस डोगरा ने विलियम याटोर -नैरोबी, केन्या, सुरोक चान -सूडान, तोहिद मोराड़ी -ईरान, शिक्षा विभाग, केरल विश्वविद्यालय अध्यक्ष एवं पूर्व डीन प्रोफेसर डॉ थेरेसा सुसान, डॉ.जोजू  जॉन के साथ संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया ।इस मौके पर श्री डोगरा ने मीडिया कॉनक्लेव के आयोजन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी साझा की।  (दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार,मीडिया विशेषज्ञ, शिक्षाविद एवं फिल्म निर्माता) संस्थापक निदेशक क्रिएटिव विश्व मीडिया अकादमी एवं प्रबंध संपादक-द्वारका परिचय मीडिया समूह  एस एस डोगरा ने दूसरे सत्र में छात्र जीवन में मीडिया का महत्व और प्रयोग विषय पर विस्तृत चर्चा हुई और उपस्थित अतिथियों, शोधकर्ताओं एवं कालेज विद्यार्थियों को मीडिया की सभी शाखाओं की बारीकियों से अवगत कराया। डोगरा ने "मीडिया की शक्ति एवं मीडिया के शिक्षा-क्षेत्र में अवसर विषय” पर एक व्याख्यान भी दिया। इस मीडिया कॉन्क्लेव के अंतर्गत नवीनतम शैक्षिक लघु फिल्मों, रेडियो, टेलीविज़न,  समाचार पत्र-पत्रिकाओं,मल्टीमीडिया उत्पादों और सेवाओं और लघु सीखना उद्देश्य प्रदर्शन करने के लिए प्रदर्शित उत्पादों के साथ परिचित कराने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करना था। इस संगोष्ठी के पहले ही दिन श्री डोगरा द्वारा निर्देशित और राहुल कुमार झा- छायाकार द्वारा संपादित एक लघु फिल्म "दैनिक जीवन में सामाजिक मीडिया के प्रभाव"दिखायी गयी । एक और लघु फिल्म “स्वच्छ भारत अभियान” और निर्देशन कुणाल गुप्ता प्रधानाचार्य, बाल भवन इंटरनेशनल द्वारा उत्पादित पीयूष गुप्ता ने भी दिखाई । यहां तक ​​कि "1 मीडिया साक्षरता सम्मेलन"उत्कर्ष उपाध्याय (नवोदित पत्रकार और मयूर पब्लिक स्कूल, दिल्ली के एक्स वर्ग के संस्थापक स्वयंसेवी छात्र) द्वारा एक पावर प्वाइंट प्रस्तुति भी मीडिया कॉन्क्लेव सत्र के पहले दिन पर दिखाया गयी । युवा फिल्म निर्माता आदर्श प्रताप जो हाल ही में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कोलकाता में पुरस्कार भी जीता था उन्होंने दर्शकों को संबोधित किया और दिन जीवन के लिए दिन में फिल्म बनाने और सामाजिक मीडिया के प्रभाव की उनके विचारों को साझा किया।

उक्त अंतराष्ट्रीय सेमीनार एवं मीडिया कॉन्क्लेव के पहले दिन संध्याकाल में केरल विश्वविधालय के छात्र-छात्राओं ने सांस्क्रतिक संध्या में कन्या भ्रूण हत्या विषय पर आधारित नाटक तथा विभिन्न प्रान्तों के लोकगीत एवं न्रत्य पेश किए और उपस्थित दर्शकों से खूब तालियाँ बटौरी।  इस सांस्क्रतिक कार्यक्रम का मंच संचालन मेजबान कालेज की छात्रा दिव्या ने अंग्रेजी तथा स्वाथी ने मलयालम भाषा में बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया।तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं मीडिया कॉन्क्लेव के अंतिम दिन, प्रोफेसर राधाकृष्णन एवं डॉ. अलेक्सनडर जैकब (सेवानिव्रत-आईपीएस) ने अपने प्रेरक संबोधन से उपस्थित शोधकर्ताओं, शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को प्रभावित किया. मीडिया कॉन्क्लेव के अंतिम चरण में क्रिएटिवस वर्ल्ड मीडिया अकैडमी ने मीडिया प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया.  इसी कड़ी में, मीडिया लिटरेसी कॉन्क्लेव के संजोयक एवं वरिष्ठ पत्रकार  एस.एस.डोगरा द्वारा लिखित किताब “मीडिया कैन डू वंडर इन स्टूडेंट्स लाइफ” का पोस्टर प्रमुख शिक्षाविद डॉ. सी.पी.श्रीकांतन नायर (सरंक्षक-काउन्सिल फॉर टीचर एजुकेशन, केरल राज्य) ने मेक्सिको की डॉ. कैरोलिना लोपाज सी. (सेंटर फॉर डायलाग एंड ह्यूमन वेल-बीइंग, डिपार्टमेंट ऑफ़ इंटरनेशनल रिलेशन की निदेशका), डॉ. अलेक्सनडर जैकब (सेवानिव्रत-आईपीएस), मेजबान कालेज के प्रधानाचार्य डॉ.के.वाई.बेनेडिक्ट, डॉ जाजू जॉन, तथा डॉ.लजी वर्घीस एवं एस.एस.डोगरा की उपस्थिति में लाँच किया। उक्त सेमिनार में लगभग 250 शोधकर्ताओं एवं 100 से भी अधिक शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया. जबकि मीडिया क्विज में हिस्सा लेनी वाले 35 छात्र-छात्राओं को भी क्रिएटिवस वर्ल्ड मीडिया अकैडमी एवं मेजबान कालेज ने संयुक्त रूप से सम्मानित किया।  मेजबान कालेज ने उक्त मीडिया कॉन्क्लेव के संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार एस.एस.डोगरा को त्रिवेंद्रम, केरल में मीडिया कॉन्क्लेव के सफलतम आयोजन के लिए विशेष रूप से आभार प्रकट किया तथा प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक चिन्ह सप्रेम भेंट कर सम्मानित भी  किया. मार थियोफिलस ट्रेनिंग कॉलेज केडायमंड जुबली समारोह में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और मीडिया कॉन्क्लेव में  3 5 0 शोधकर्ता एवं शिक्षक सम्मानित इस संगोष्ठी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविद,पत्रकार एवं साहित्य,कला,फिल्म से जुड़ी जानीमानी हस्तियों ने भी शिरकत की।

बिहार : एक ही लाठी से हांकने का प्रयास

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नई दिल्ली। एक ही लाठी से हांकने का प्रयास जारी है। देश के खाताधारकों के भी आमदनी का ख्याल नहीं किया गया। सप्तम वेतनमान पाने वाले और न्यूनतम मजदूरी पाने वाले खाताधारक समतुल्य श्रेणी में आ गये हैं। गांव से पलायन करके लोग सेमी अरबन क्षेत्र में आते हैं। ऐसे लोगों से 2 हजार रू0 मिनियम बैलेंस रखवाएंगे तो खस्ता हाल में लोग आ जाएंगे। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई अपने ग्राहकों को एक बड़ा झटका देने की तैयारी में है। ऐसे में एसबीआई 1 अप्रैल से बैंक में खातों की न्यूनतम राशि न रखने वालों से जुर्माना वसूलेगा। बैंक ने मिनिमम बैलेंस की सीमा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से तय की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एसबीआई ने तय किया है कि महानगरों में बैंक अकाउंट रखने वालों को 5000 रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। शहरी क्षेत्रों में यह सीमा 3 हजार रुपए, सेमी अरबन क्षेत्र 2 हजार रुपए और गांव की शाखाओं में बैंक खाता रखने वालों को 1 हजार रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। एक अप्रैल से ऐसा नहीं करने वालों पर पेनल्टी लगाई जाएगी। देश के सबसे बड़े ऋणदाता ने बचत बैंक खातों के परिचालन और प्रणालियों के प्रबंधन पर होने वाले खर्च की आंशिक तौर पर भराई के लिए यह शुल्क वसूलने की योजना बनाई है।एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक के मौजूदा समय में लगभग 25 करोड़ बचत खाते हैं। ऐसे में बैंक ने नोटबंदी के बाद से बड़ी तादाद में खाते खोले हैं। इन खातों में शून्य जमा वाले खाते भी शामिल हैं। जिनका प्रबंधन करने पर खर्च आता है। वर्ष 2012 में बैंक ने नए ग्राहक आकर्षित करने के लिए न्यूनतम बैलेंस के उल्लंघन पर जुर्माने वाले नियम को समाप्त कर दिया था। इस कदम का मकसद सस्ती जमाओं को आकर्षित करना भी था, क्योंकि बचत खाते पर ब्याज महज 4 फीसदी है।

बिहार : खेत में काम नहीं किया तो बलात्कार कर दिया

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  • जब फरिश्ता बन बेटा आने पर बर्दमाश भागे, सीएम के 6 सजातीयों ने बेहोशी होने तक अस्मत लुटते रहे

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फुलवारीशरीफ थाने से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है धुपारचक मुसहरी । सुअर के बखोरनुमा घरों में 70 महादलित परिवार रहते हैं ।इसमें ईट भट्टा में काम करने वाले फुदैनी माँझी भी हैं । माँ -बाप के सहयोग से 3 लड़का और 1 लड़की है। वृहस्पतिवार की रात 8 बजे गोईंठा लाने नीता देवी(काल्पनिक नाम) बाहर निकली की थीं। घात लगा नकाबपोश नीता को उठा लिए । बगल के खेत में ले जाकर 4 बच्चों की माँ के संग सामूहिक मुंह काला किया । उस समय घर में बच्चे ही थे। माँ को नहीं देखने पर पुत्र राहुल कुमार बेहाल गया । माँ को खोजते राहुल बाहर आया।खेत की ओर बढ़ा और देखा माँ बेसुध पडी। माँ को ग्रामीणों की सहायता से घर लाया गया । घर आने के माँ आपबीती बयान की। इसके बाद मधुबन चले गए पिताजी को मोबाइल से जानकारी दी गयी । उस समय रात्रि के 11 बज रहा था। सुबह में थाना में एफआईआर हुआ। 6 को दुष्कर्म के नामजद आरोपी बनाया गया है। सभी बाबन टोली के रहने वाले हैं । गर्दनीबाग हाॅस्पिटल में महिला चिकित्सक ने जाँच की। जाँच जारी है। इस बीच दुष्कर्म के शिकार नीता देवी के पति फुदैना माँझी को लगातार जान से मार देने की धमकी दी जा रही है।

बिहार : द्विपक्षीय समझौता संपन्न

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पटना। त्रि-वर्षीय समझौता और त्रि-पक्षीय वार्ता के गर्भ से उत्पण कर्मचारियों की मांगा को कम से कम देने पर अमादा है मिशनरी संस्थान। बिहार सरकार से पंजीकृत और मान्यता प्राप्त है कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल। आरंभ में हाॅस्पिटल की प्रशासिका द्वारा हाथ उठाकर वेतन बढ़ोतरी की जाती थी। इस तरह की प्रवृति को खत्म करने के लिए एकजुट होकर कर्मचारियों ने कुर्जी होली फैमिली अस्पताल कर्मचारी यूनियन गठित किये। इसके बाद यूनियन भारी पड़ने लगा था प्रबंधन पर। अब इसका विपरित हो गया है। इसका परिणाम यह है कि 2013-16 में 28 प्रतिशत वेतनमान में बढ़ोतरी की गयी। अब 2016-19 में 31 प्रतिशत वेतनमान में बढ़ोतरी की गयी। वह भी 30 प्रतिशत का ही एरियल भुगतान होगा। 1 प्रतिशत डंडीमार के शिकार हो गया है। जी, केन्द्र ने केन्द्र कर्मचारियों को जनवरी 2016 से सप्तम वेतनमान दे रहीं है। वहीं राज्य सरकार सप्तम वेतनमान देने के लिए फिटमेंट कमेटी गठित की है। सीएम नीतीश कुमार ने जनवरी 2017 रो सप्तम वेतनमान देने का ऐलान कर दिये हैं। इसको लेकर राज्यकर्मियों में आक्रोश है। राज्यकर्मियों का कहना है कि फिटमेंट कमेटी का औचित्य नहीं हैं और न ही एक साल विलम्ब से लागू करने का ही मतलब है। 1 साल साफ करने की राह सरकार अपना ली है। इधर राज्यकर्मियों को अक्टूबर 16 से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। शराब रोकने में लगी सरकार ने आवंटन निर्गत नहीं करने का काम किया है। बहरहाल मेडिकल मिशन सिस्टर्स सोसायटी की सिस्टर जोन मथाइकल हैं। कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल की प्रशासिका रही हैं। इनके ही प्रशासिकाकाल में कुर्जी होली फैमिली अस्पताल कर्मचारी यूनियन का गठन हुआ। यहां पर हर तीन साल में मांगों की सूची पेश की जाती है। इस पर प्रशासिका और यूनियन के बीच में वार्ता होती है और समझौता का आसार नहीं होने पर उप श्रमायुक्त से पहल करने की मांग होती है। इस तरह त्रिपक्षीय समझौता संभव हो पाता है। इस बीच कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पिटल और नाजरेत हाॅस्पिटल चलाने वाली संस्थाओं के बीच में समझौता हो गयी। दोनों संस्थाओं के बीच में सहमति बनी कि मिलकर हाॅस्पिटल को चलाएंगे। दोनों संस्थाओं के मिलने से असरदार प्रशासिका ने यूनियन को दबाकर समझौता वार्ता प्रारंभ कर दी। अब त्रिपक्षीय वार्ता न होकर द्विपक्षीय वार्ता होने लगी इसका असर कर्मचारियों के विपरित में गया। 2016 में प्रेषित मांगों की सूची पर 2017 में समझौता हो गयी। समझौता के मुताबिक 31 प्रतिशत वेतनमान में बढ़ोतरी की गयी है। अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक 30 प्रतिशत वेतनमान में बढ़ोतरी होगी। 1 प्रतिशत को अप्रैल 2017 से जोड़कर 31 प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी जाएगी। इस तरह अप्रैल 2016 से मार्च 2017  तक एरियर जोड़कर कर्मियों को वेतन दिया जाएगा। 

बिहार : संत जोसेफ एकेडमी का स्थापना दिवस मनाया

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पूर्वी चम्पारण। ग्रामीण परिवेश में रहने और बढ़ने वाले बच्चों को मिला है मौका। मिशनरी स्कूलों में पढ़ने वाले पति और पत्नी ने मिलकर शिक्षा का प्रसार-प्रचार का किया है निश्चय। इसका सार्थक परिणाम सामने आया। केवल साल भर से पढ़ने वाले बच्चों ने शानदार प्रदर्शन किया है संत जोसेफ एकडेमी में। कुछ दिनों की तैयारी में छात्राओं ने शानदार नृत्य प्रस्तुत किये। मेरे अच्छे चंदा मामा, मेरे घर में आ जाना.....! प्रस्तुत नृत्य को देखकर उपस्थित दर्शकों में अमिट छाप छोड़ गए। एल.के.जी. के बच्चों ने परिजनों का मन मोह ही लिये। सभी ताली बजाने को रोक नहीं सके। प्श्चिम चम्पारण में स्थित बगहा पल्ली में रहते हैं संदीप रफायल। इनका विवाह मोरफा पल्ली में रहने वाली लीना रूमोल्ड से हुआ। पटना विमेंस काॅलेज से बी.ए.उत्र्तीण करने के बाद संत जेवियर काॅलेज आॅफ एडुकेशन से बीएड की। फिरवक्त सरकारी शिक्षिका लीना है। पति संदीप और पत्नी लीना ने मिलकर शिक्षा का दीप जलाने का निश्चय किया। दोनों मिलकर मार्च 2016 में पूर्वी चम्पारण में स्थित पंचपकड़ी में संत जोसेफ एकेडमी नामक स्कूल शुरू कर दिये। इस समय के.जी.से प्रथम कक्षा तक वर्ग संचालित है। 6 टीचर हैं। संत जोसेफ एकडेमी के प्रधानाध्यापक संदीप रफायल हैं। प्रधानाध्यापक और टीचरों के व्यवहार और निछावरपूर्ण कार्य बदौलत 150 बच्चे अध्ययनरत हैं। 


रविवार को संत जोसेफ एकेडमी का स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि फादर साजी थे। मौके पर मोरफा पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर साजी ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षित होना अनिवार्य है। शिक्षा के बल पर ही अंधेरे को सात समंदर पार किया जा सकता है। मौके पर परिजनों और बच्चों को शपथ दिलायी गयी कि स्कूल को मध्य में ही नहीं छोड़ेंगे। आधी रोटी खाएंगे और पूर्ण शिक्षा ग्रहण करेंगे। स्कूल में शानदार कृत्य करने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।
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