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सीहोर : होटल पर खाना बनाने वाला इरशाद गिरफतार, रोहिंग्या घुसपैठिया होने का शक

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  • अल्हादाखेडी के सरपंच सचिव ने कोतवाली पुलिस को दिया शंका व्यक्त करते हुए शिकायती पत्र
  • विश्वहिन्दू परिषद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने की कड़ी कार्रवाही की मांग

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सीहोर। कोतवाली थाना पुलिस ने विश्वहिन्दू परिषद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की सूचना के बाद बग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठिया होने की शंका पर गुरूवार को लीसा टाकिज स्थित श्रीजी होटल पर खाना बनाने वाले कर्मचारी को गिरफतार किया है। इस मामले में अल्हादाखेडी ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव के द्वारा भी पुलिस को शिकायती पत्र देकर जांच किए जाने की मांग की गई है। फिलहाल पूरे मामले में कोतवाली थाना पुलिस के द्वारा गिरफतार शख्स के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।


विश्वहिन्दू परिषद बजरंग दल पूर्व जिलाध्यक्ष जगदीश कुशवाह ने बताया कि ग्राम पंचायत अल्हादाखेडी के ग्राम सारंगाखेड़ी लोटिया फार्म क्षेत्र में रहने वाले इस शख्स की गतिविधियों ग्रामीणों और विहिप कार्यकर्ताओं को संदिग्ध लग रही थी जिस के बाद ग्राम पंचायत से इस बायडाटा निकल वाया गया जिस में सामने आया की यह पांच साल पहले हीं यह आया है। ग्राम पंचायत अल्हादाखेडी के सरंपच ने बताया कि पूर्व सरपंच द्वारा लेटर पेड पर निवासरत होने का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। इस प्रमाण पत्र के तहत हीं आधार में पते का संशोधन कराया है और आधार पर समग्र आई.डी. कं लिए भी आवेदन किया गया है। इधर पुलिस के द्वारा की गई पूछताछ में शंका के आधार पर गिरफतार शख्स ने अपना नाम था मोहम्मद इरसाद आ. मो. सिराज बताया है आधार कार्ड में के नाम कुछ विभिन्नता है। अल्हादाखेडी ग्राम पंचायत ने मोहम्मद इरसाद आ. मो. सिराज के बग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठिया पाए जाने पर पुलिस प्रशासन पर सख्त कार्यवाही किए जाने की मांग है। 


पटना : 9.12 लाख रूपये के कपड़े जब्त

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पटना (रजनीश के झा)। सीमा शुल्क आयुक्तालय पटना के अंतर्गत सीमा शुल्क प्रमंडल फारबिसगंज के अधिकारीयों के द्वारा 23 अप्रैल को एक कारवाई में 9.12 लाख रूपये के कपड़ा एवं रेडीमेड गारमेंट्स को सीमा शुल्क अधिनियम के तहत जब्त किया गया। विदित हो कि 23 अप्रैल को सीमा शुल्क (निवारण) प्रमंडल फारबिसगंज के अधिकारियों  ने  प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर भारत-नेपाल सीमा के समीप फुलकाहा के पास एक ओटो से विभिन्न प्रकार के कपड़ा एवं रेडीमेड गारमेंट्स को बरामद किया जिसे अवैध तरीके से बिना किसी वैध निर्यात कागजात के भारत से नेपाल ले जाने का प्रयास किया जा रहा था जिसको विफल करते हुए अधिकारीयों ने सीमा शुल्क अधिनियम के तहत ऑटो सहित जब्त कर लिया l जब्त किए गए कपड़ों में मुख्यतः साड़ी, सलवार शूट एवं कुर्ती है जिसका अनुमानित मूल्य 6.62 लाख रूपये है l गौर करने की बात यह है कि जिस ऑटो पे सामान लदा था वह बिना किसी नंबर का था l ऑटो का अनुमानित मूल्य 2.50 लाख रूपये है।


उपरोक्त कारवाई ए० डी० हेम्ब्रम, सहायक आयुक्त, सीमा शुल्क (निवारण) प्रमंडल फारबिसगंज के नेतृत्व में अन्य अधीक्षकों एवं निरीक्षकों के द्वारा की गई ।  फ़िलहाल इस बात की छान बीन की जा रही है कि उक्त तस्करी में कौन कौन लोग शामिल हैंl  इसके लिए आगे अन्य विधि सम्मत जरुरी करवाई की जा रही है। इस पूरे प्रकरण का अहम पहलू यह है कि डा० मोहन कुमार मीणा, आयुक्त, सीमा शुल्क पटना के दिशानिर्देश में तस्करी को रोकने के लिए पटना सीमा शुल्क के द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा हैl माननीय आयुक्त महोदय ने बताया कि तस्करी के खिलाफ यह अभियान आगे भी जारी रहेगा तथा और भी अधिक प्रबलता से इसका कार्यान्वयन किया जाएगा एवं इसमें संलिप्त लोगों के विरुध सीमा शुल्क अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्‍त अन्य विभागों यथा रेलवे पुलिस बल, पुलिस विभाग तथा अन्य सरकारी संस्थाओं और सूचना देने वाले व्यक्तियों का भी सीमा शुल्क विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस तस्कर निरोधक अभियान में भविष्य में भी बेहतर समन्वय और सहयोग अपेक्षित है ताकि ऐसी गैर कानूनी गतिविधि पर पूर्णविराम लग सके। इस सम्बन्ध में आयुक्त डा० मोहन कुमार मीणा ने यह भी बताया की तस्करी विरोधी अभियान में सहयोग करने वाले विभागों यथा रेलवे पुलिस बल, पुलिस विभाग तथा अन्य सरकारी संस्थाओं के अधिकारीयों एवं सूचना देने वाले व्यक्तियों को सीमा शुल्क अधिनियम के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान है।

दिल्ली : विपक्ष ने सरकार को कोई भी कदम उठाने के लिए समर्थन दिया : राहुल गांधी

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नई दिल्ली  (रजनीश के झा)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को यहां सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि विपक्ष ने पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर सरकार को कोई भी कदम उठाने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया है। राहुल ने संवाददाताओं से कहा, “सभी दलों ने (पहलगाम हमले की) एक स्वर में निंदा की। विपक्ष ने सरकार को कोई भी कदम उठाने के लिए समर्थन दिया।”। सरकार ने बृहस्पतिवार को यहां सर्वदलीय बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को पहलगाम आतंकवादी हमले की जानकारी दी और उनके विचार सुने। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीरीजू बैठक में मौजूद थे। राजनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी शामिल थे। इससे पहले, विपक्ष ने मांग की थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बैठक की अध्यक्षता करें। मोदी बृहस्पतिवार को बिहार के मधुबनी के दौरे पर थे, जहां उन्होंने घोषणा की कि पहलगाम के हत्यारों और उनके समर्थकों की पहचान कर उन्हें दंडित किया जाएगा। सर्वदलीय बैठक के एक दिन पहले सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदमों की घोषणा की थी। आतंकवादियों ने मंगलवार दोपहर कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई।

दिल्ली : न्यायालय ने 63 साल की कानूनी लड़ाई के बाद किराएदार को बेदखल किया

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 63 साल पुराने किरायेदारी विवाद पर फैसला सुनाते हुए किरायेदार के कानूनी उत्तराधिकारी को प्रयागराज स्थित ‘मानसरोवर पैलेस’ सिनेमा हॉल का कब्जा असली मालिक के परिजनों को सौंपने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, ‘‘हम सिनेमा हॉल से संबंधित लंबे समय से चल रहे इस मुकदमे का अंत कर रहे हैं। अपील स्वीकार की जाती है और 1999 के रिट मामले में 9 जनवरी, 2013 को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले और आदेश को रद्द किया जाता है।’’ अदालत ने प्रतिवादियों को परिसर खाली करने और संबंधित परिसर का ‘‘शांतिपूर्ण कब्जा’’ सौंपने के लिए 31 दिसंबर, 2025 तक का समय दिया। कानूनी लड़ाई में मुकदमेबाजी के दो दौर हुए और अंत में दिवंगत मुरलीधर अग्रवाल के कानूनी उत्तराधिकारी अतुल कुमार अग्रवाल ने मुकदमा जीत लिया और परिणामस्वरूप किराएदार दिवंगत महेंद्र प्रताप काकन के कानूनी उत्तराधिकारियों को अब सिनेमा हॉल का कब्जा सौंपना होगा।  शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2013 के एक फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें संपत्ति मालिक के परिवार की बेदखली याचिका को खारिज कर दिया गया था और अपीलीय प्राधिकारी के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें किराएदार को सिनेमा हॉल पर कब्जा जारी रखने की अनुमति दी गई थी।

जम्मू : पहलगाम हमला खुफिया विफलता, सरकार को जवाब देना चाहिए : कांग्रेस नेता मीर

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जम्मू (रजनीश के झा)। कांग्रेस महासचिव गुलाम अहमद मीर ने बृहस्पतिवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले से सुरक्षा और खुफिया विफलता के गंभीर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में यह सवाल भी किया कि आमतौर पर पर्यटक स्थल के आसपास जो जांच की सुविधा होती है वह घटना के दिन क्यों नहीं थी? जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता ने कहा कि आम लोगों के मन में सुरक्षा और खुफिया विफलता के गंभीर मुद्दे हैं और सरकार को इनका जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह (आतंकी हमला) बिल्कुल अप्रत्याशित स्थान और तरीके से हुआ है। ऐसे कृत्यों के लिए लोगों के बीच कोई समर्थन नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसी जगह पर हुआ, जहां किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। वहां कई पर्यटन स्थल हैं, लेकिन पहलगाम उनमें से सबसे लोकप्रिय और सबसे सुरक्षित माना जाता है। यह अमरनाथ यात्रा के मार्ग पर भी है। यात्रा के दौरान त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रहता है।’’ मीर ने कहा कि इस क्षेत्र में जांच की सुविधा होती थी, लेकिन घटना के दिन ऐसा क्यों नहीं था, यह चिंता का विषय है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘पर्यटकों ने कहा कि कोई जांच की सुविधा नहीं थी। बैसरन घाटी में सुरक्षा बलों की कोई उपस्थिति नहीं थी, कम से कम जम्मू-कश्मीर पुलिस वहां होनी चाहिए थी। पहले, सेना और सीआरपीएफ की तैनाती के अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस की गश्त भी होती थी...अधिकतर लोग इस मुद्दे को उठा रहे हैं और इसलिए एक पार्टी के रूप में हम इसे उठा रहे हैं।’’  उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रसारित हो रहे वीडियो से पता चलता है कि हमला करने वाले आतंकवादी पश्तो भाषा में बातें कर रहे थे, जबकि कश्मीर के किसी कोने में पश्तो नहीं बोली जाती है। सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती करने पर, मीर ने कहा, ‘‘उनका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा यह देखना होगा।’’

सिंधु जल संधि के तहत पानी रोकना युद्ध छेड़ने के समान : पाकिस्तान

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इस्लामाबाद, पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को कहा कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोकने या परिवर्तित करने का कोई भी प्रयास युद्ध छेड़ने के समान माना जाएगा। इसके साथ ही उसने पहलगाम हमले के मद्देनजर देश के खिलाफ नयी दिल्ली की ओर से उठाए गए कदमों के जवाब में भारत के साथ व्यापार, शिमला समझौते समेत द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने और हवाई क्षेत्रों को बंद करने की घोषणा की। ये घोषणाएं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद की गईं। शरीफ ने पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने और राजनयिक संबंधों को कमतर करने के भारत के कदमों पर उचित प्रतिक्रिया के संबंध में विचार करने के लिए सरकार के प्रमुख मंत्रियों और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित रखने के अधिकार का प्रयोग करेगा, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है।’’


बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान वाघा सीमा चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद करेगा। इसमें कहा गया है, ‘‘इस मार्ग से भारत से सीमा पार सभी पारगमन बिना किसी अपवाद के निलंबित रहेंगे। जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे तुरंत उस मार्ग से वापस आ सकते हैं, लेकिन 30 अप्रैल के बाद नहीं।’’ पाकिस्तान ने दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारतीय नागरिकों को जारी सभी वीजा भी निलंबित कर दिए हैं तथा सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर सभी वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द माने जाएंगे। बयान के अनुसार सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर, वर्तमान में एसवीईएस के तहत पाकिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों को 48 घंटे के भीतर बाहर निकलने का निर्देश दिया गया है। इसके अनुसार पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को ‘‘अवांछित व्यक्ति’’ घोषित कर दिया है। उन्हें 30 अप्रैल तक पाकिस्तान छोड़ने का निर्देश दिया गया है। बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय उच्चायोग में ये पद निरस्त माने जायेंगे। इन सलाहकारों के सहायक कर्मचारियों को भी भारत लौटने का निर्देश दिया गया है।’’ इसमें कहा गया है कि इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में 30 अप्रैल से राजनयिकों और कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 कर दी जाएगी। बयान के अनुसार पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र तत्काल प्रभाव से सभी भारतीय स्वामित्व वाली या भारत से संचालित एयरलाइन के लिए बंद कर दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान ने भारत के साथ ‘‘सभी तरह के व्यापार’’ पर रोक लगा दी, जिसमें तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले व्यापार भी शामिल हैं। 


बैठक के बाद जारी एक बयान के अनुसार, एनएससी ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के एकतरफा फैसले को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया, तथा इस समझौते को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया। इसमें कहा गया है कि इस बात पर भी जोर दिया गया कि पानी राष्ट्रीय हित का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा 24 करोड़ पाकिस्तानियों के लिए जीवन रेखा है। M साथ ही, इसने हर कीमत पर अपने जल अधिकारों की रक्षा करने के लिए इस्लामाबाद की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। बयान में कहा गया, ‘‘सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोकने या परिवर्तित करने का कोई भी प्रयास युद्ध छेड़ने के माना जाएगा।’’ इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट रूप से निंदा करता है और वह शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन किसी को भी अपने देश की संप्रभुता, सुरक्षा और सम्मान का उल्लंघन नहीं करने देगा। बयान में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा को किसी भी तरह का खतरा होने पर हर तरह से मजबूती से जवाब दिया जाएगा।’’ इसमें कहा गया है कि भारत को पहलगाम जैसी घटनाओं को लेकर प्रतिक्रिया स्वरूप आक्षेप लगाने के हथकंडों तथा अपने संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार की घटनाओं का गलत फायदा उठाने से बचना चाहिए। इसमें कहा गया है, ‘‘इस तरह की रणनीतियां केवल तनाव को बढ़ाने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के मार्ग में बाधा डालने का काम करती हैं।’’ भारत ने मंगलवार को पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद बुधवार को 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करने की घोषणा की थी।

दिल्ली : पाक रेंजर्स ने गलती से सीमा पार करने पर बीएसएफ जवान को हिरासत में लिया, वार्ता जारी

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)।  सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान को गलती से पंजाब की सीमा पार कर जाने के बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि जवान की रिहाई के लिए दोनों देशों के बलों के बीच बातचीत जारी है। उन्होंने बताया कि 182वीं बटालियन के कांस्टेबल पीके सिंह को बुधवार को फिरोजपुर सीमा पार से पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया। अधिकारी ने बताया कि जवान वर्दी में था और उसके पास सर्विस राइफल भी थी। उन्होंने बताया कि बीएसफ जवान किसानों के साथ था और वह छाया में आराम करने के लिए आगे बढ़ा, जिसके बाद उसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ लिया। अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ जवान की रिहाई के लिए दोनों देशों के बलों के बीच ‘फ्लैग मीटिंग’ जारी है। उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाएं असामान्य नहीं हैं और दोनों पक्षों के बीच पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। अधिकारी ने बताया कि यह घटना पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में हुई है, जिसके बाद भारत ने आतंकवाद को प्रायोजित करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए हैं।

दिल्ली : पहलगाम हमले की साजिश पाकिस्तान ने रची, भाजपा कर रही ध्रुवीकरण और विभाजन : कांग्रेस

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान द्वारा रची गई साजिश से हुआ पहलगाम आतंकी हमला भारतीय गणराज्य के मूल्यों पर सीधा हमला है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस गंभीर त्रासदी का फायदा उठाकर ध्रुवीकरण और विभाजन को बढ़ावा दे रही है। पार्टी ने अपनी कार्य समिति की बैठक के बाद यह भी कहा कि उन खुफिया विफलताओं और सुरक्षा खामियों का व्यापक विश्लेषण किया जाना चाहिए, जिनके कारण केंद्र शासित प्रदेश में इस तरह का हमला हुआ।  कार्य समिति की बैठक में यह तय हुआ कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद बृहस्पतिवार शाम होने वाली सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस की ओर से, संसद के दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे। कांग्रेस ने यह मांग भी की है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बैठक की अध्यक्षता करनी चाहिए। बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कार्य समिति द्वारा पारित प्रस्ताव पढ़ा। 


प्रस्ताव में कहा गया है, "कार्य समिति 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए जघन्य आतंकवादी हमले पर गहरी चिंता व्यक्त करती है, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई और 20 से अधिक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। कार्य समिति शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती है। गहन पीड़ा की इस घड़ी में यह पूरे दिल से उनके साथ खड़ी है।"कार्य समिति ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा रचा गया आतंक का यह कायरतापूर्ण कृत्य भारतीय गणराज्य के मूल्यों पर सीधा हमला है। समिति ने कहा, "पूरे देश में भावनाएं भड़काने के लिए जानबूझकर हिंदुओं को निशाना बनाया गया। हम इस गंभीर उकसावे के सामने शांति की अपील करते हैं और विपरीत परिस्थितियों में अपनी सामूहिक शक्ति को दोहराते हैं। " प्रस्ताव में कहा गया है कि सीडब्ल्यूसी शांति की अपील करती है और दृढ़ संकल्प और एकता के साथ सीमा पार आतंकवाद से लड़ने के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दीर्घकालिक संकल्प की पुष्टि करती है। कांग्रेस कार्य समिति ने कहा, "राष्ट्र की सामूहिक इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करने के लिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 22 तारीख की रात को ही माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया था। यह बैठक अब आज के लिए निर्धारित की गई है।"कार्य समिति ने कहा, "पहलगाम को एक भारी सुरक्षा वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जहां त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है। यह जरूरी है कि खुफिया विफलताओं और सुरक्षा खामियों का व्यापक विश्लेषण किया जाए, जिसके कारण केंद्र शासित प्रदेश में इस तरह के हमले को अंजाम दिया गया - यह क्षेत्र सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के दायरे में आता है। "समिति ने कहा, "इन सवालों को व्यापक जनहित में उठाया जाना चाहिए। यह एकमात्र तरीका है जिससे वास्तव में उन परिवारों को न्याय मिलता हुआ देखा जा सकता है जिनका जीवन इतनी बेरहमी से तबाह हो गया है।"प्रस्ताव में कहा गया है कि सीडब्ल्यूसी ने इस बारे में विचार किया और कहा कि कि इस वार्षिक यात्रा में भारत भर से लाखों तीर्थयात्री भाग लेते हैं तथा उनकी सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता माना जाना चाहिए।


कार्य समिति ने कहा, "बिना किसी विलंब के मजबूत, पारदर्शी और सक्रिय सुरक्षा व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजीविका की पूरी ईमानदारी और गंभीरता से रक्षा की जानी चाहिए। वहां कई लोग पर्यटन पर निर्भर हैं ।"उसने कहा, "इस नरसंहार की जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों के व्यापक वर्ग ने उचित निंदा की है।"कार्य समिति ने दावा किया कि भाजपा आधिकारिक और प्रतिनिधि सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से इस गंभीर त्रासदी का फायदा उठाकर ऐसे समय में कलह, अविश्वास, ध्रुवीकरण और विभाजन को बढ़ावा दे रही है जब एकता और एकजुटता की सबसे ज्यादा जरूरत है। कार्य समिति ने कहा कि बैठक में दो मिनट मौन रखकर पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। वेणुगोपाल ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस की ओर से दोनों नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी बैठक में जा रहे हैं। बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम अहमद मीर ने दावा किया कि पहलगाम हमले को लेकर सुरक्षा और खुफिया नाकामी का भी सवाल उठता है। उन्होंने कहा, "ऐसी खबर है कि कुछ जानकारी पहले से थी। ऐसे में हमारी एजेंसियों और सुरक्षा से जुड़े लोगों को ज्यादा सजग रहना चाहिए था। यह हमारी चिंता है।"मीर ने कहा कि वहां उतनी सुरक्षा नहीं थी जैसे पहले होती थी। पार्टी के पुराने मुख्यालय "24 अकबर रोड"पर हुई इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कार्य समिति के कई अन्य सदस्य मौजूद थे। राहुल गांधी इस हमले के बाद अपना अमेरिका दौरा बीच में ही रद्द करके स्वदेश पहुंचे और इस बैठक में शामिल हुए। आतंकवादियों ने मंगलवार की दोपहर को कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गयी। इस आतंकी हमले में मारे गये लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे।


दिल्ली: गोधरा अग्निकांड मामले संबंधी याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय छह, सात मई को करेगा सुनवाई

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात सरकार और कई अन्य दोषियों द्वारा दायर याचिकाओं पर छह और सात मई को अंतिम सुनवाई शुरू करेगा। न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने एक दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से कहा कि वह दोषी के खिलाफ आरोपों का ‘‘शीर्षकवार’’ विवरण, अदालतों के निष्कर्ष और उनके विरोध में रिकॉर्ड में मौजूद सामग्रियों द्वारा समर्थित अपनी दलीलों समेत अपने अभ्यावेदन का संशोधित संकलन तीन मई तक पेश करें। शीर्ष अदालत ने अन्य दोषियों और जवाबी याचिका दायर करने वाली गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों से भी इसी तर्ज पर संशोधित प्रारंभिक संकलन दाखिल करने को कहा। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने आदेश में कहा, ‘‘इस मामले की सुनवाई के लिए कम से कम दो सप्ताह की आवश्यकता होगी। सबसे पहले, हम छह और सात मई को पूरे दिन इन पर सुनवाई करेंगे और इन तारीखों पर किसी अन्य मामले पर तब तक सुनवाई नहीं होगी जब तक कि इस अदालत द्वारा विशेष रूप से नहीं कहा जाता।’’  पीठ ने रजिस्ट्री से कहा कि यदि आवश्यक हो, तो इस संबंध में भारत के प्रधान न्यायाधीश से आदेश प्राप्त करें। गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी। इस घटना में 59 लोग मारे गए थे, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे। इससे पहले राज्य के वकील ने उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान कहा था कि इस मामले में अधीनस्थ अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।  वकील ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने मामले में 31 दोषियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था और 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। राज्य ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के खिलाफ याचिका दायर की है, वहीं कई दोषियों ने मामले में उनकी सजा को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।

दिल्ली : इजराइल के राजदूत अजार ने पहलगाम हमले की तुलना हमास के सात अक्टूबर के हमले से की

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। भारत में इजराइल के राजदूत रियुवेन अजार ने बृहस्पतिवार को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की तुलना सात अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हमास के हमले से की, जिसमें नागरिकों को निशाना बनाया गया था। उन्होंने दोनों हमलों में समानताएं बताईं और आतंकवादी समूहों के बीच बढ़ते समन्वय को लेकर आगाह किया। इजराइल में हमास द्वारा किए गए हमले में 1,100 से अधिक लोगों की मौत के मामले का जिक्र करते हुए अजार ने दोनों मामलों में निहत्थे नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने की ओर इशारा किया। उनकी यह टिप्पणी मंगलवार दोपहर को दक्षिण कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले को लेकर आई है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकतर अन्य राज्यों से आए पर्यटक थे। अजार ने बताया, ‘‘दुर्भाग्य से, हमें यह स्वीकार करना होगा कि ये आतंकवादी समूह एक-दूसरे को प्रेरित कर रहे हैं। पहलगाम हमले और सात अक्टूबर (2023) को इजराइल में जो हुआ, उसके बीच समानताएं हैं। निर्दोष पर्यटक पहलगाम में अपनी छुट्टियों का आनंद ले रहे थे, जबकि इजराइल में लोग एक संगीत समारोह का लुत्फ उठा रहे थे।’’ राजदूत ने पहलगाम हमले के समय को हमास नेताओं की हाल की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की यात्रा से भी जोड़ा, जहां उन्होंने कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गों और कुछ अन्य लोगों से मुलाकात की, जिससे संभावित समन्वय का संकेत मिलता है।

पाकिस्तान ने शिमला समझौते को स्थगित किया, भारतीय उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद

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इस्लामाबाद, पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को भारत के साथ शिमला समझौते और अन्य द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित कर दिया, सभी प्रकार के व्यापार पर रोक लगा दी और भारतीय एयरलाइन के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया। इसके साथ ही उसने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत उसके लिए निर्धारित पानी के प्रवाह को रोकने या परिवर्तित करने का कोई भी प्रयास युद्ध छेड़ने के समान माना जाएगा। पाकिस्तान ने वाघा सीमा चौकी को भी बंद कर दिया, दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारतीय नागरिकों को जारी सभी वीजा भी निलंबित कर दिए हैं तथा भारतीय उच्चायोग में सैन्य सलाहकारों को वापस जाने को कहा। ये घोषणाएं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद की गईं। शरीफ ने पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने और राजनयिक संबंधों को कमतर करने के भारत के कदमों पर उचित प्रतिक्रिया के संबंध में विचार के लिए सरकार के प्रमुख मंत्रियों और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की। भारत ने मंगलवार को पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद बुधवार को 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करने की घोषणा की थी।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को बिहार में एक जनसभा में कहा कि भारत पहलगाम हमले में शामिल एक एक आतंकवादी और उनके आकाओं की पहचान करेगा, उनका पता लगाएगा और उन्हें सजा देगा।  उन्होंने कहा, ‘‘हम धरती के आखिरी छोर तक उनका (पहलगाम के हमलावरों का) पीछा करेंगे। आतंकवाद कभी भारत का मनोबल नहीं तोड़ पाएगा।’’


इस्लामाबाद में बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाएं ‘‘किसी भी दुस्साहस के खिलाफ अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार हैं’’।  रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि भारत विभिन्न शहरों को निशाना बनाने की साजिश रच रहा है। बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि हमारे नागरिकों को निशाना बनाया गया तो भारतीय लोगों को भी नुकसान होगा।’’ पाकिस्तान ने शिमला समझौते का स्पष्ट उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाएगा, तथा दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा को मान्यता दी गई। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित रखने के अधिकार का प्रयोग करेगा, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान वाघा सीमा चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद कर देगा। भारत ने बुधवार को अटारी सीमा चौकी को बंद कर दिया था। पाकिस्तान ने कहा, ‘‘इस मार्ग से भारत से सीमा पार सभी पारगमन बिना किसी अपवाद के निलंबित रहेंगे। जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे तुरंत उस मार्ग से वापस आ सकते हैं, लेकिन 30 अप्रैल के बाद नहीं।’’ पाकिस्तान ने कहा कि एसवीईएस के तहत भारतीय नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा रद्द माने जाएंगे, सिवाय सिख तीर्थयात्रियों को दिए गए वीजा के। पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में नयी दिल्ली मिशन में भारतीय सैन्य सलाहकारों को अवांछित घोषित कर दिया है और उन्हें 30 अप्रैल तक वापस जाने को कहा है। इसमें कहा गया है कि इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में 30 अप्रैल से राजनयिकों और कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 कर दी जाएगी। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान ने भारत के साथ ‘‘सभी तरह के व्यापार’’ पर रोक लगा दी, जिसमें तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले व्यापार भी शामिल हैं। इसके अनुसार पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने संबंधी भारत के फैसले को ‘‘खारिज’’ कर दिया और इसे 24 करोड़ पाकिस्तानियों के लिए जीवन रेखा बताया। 


बयान में कहा गया है, ‘‘सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोकने या परिवर्तित करने का कोई भी प्रयास युद्ध छेड़ने के समान माना जाएगा।’’ बाद में जारी किए गए ‘नोटिस टू एयरमैन’ में बताया गया कि भारतीय विमानों के लिए हवाई क्षेत्र को एक महीने के लिए बंद किया जा रहा है। यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि इस अवधि के बाद प्रतिबंध को बढ़ाया जाएगा या नहीं। पाकिस्तान ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों की स्पष्ट रूप से निंदा करता है और वह शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन किसी को भी अपने देश की संप्रभुता, सुरक्षा और सम्मान का उल्लंघन नहीं करने देगा।  बयान में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा को किसी भी तरह का खतरा होने पर हर तरह से मजबूती से जवाब दिया जाएगा।’’  इसमें कहा गया है कि भारत को पहलगाम जैसी घटनाओं को लेकर प्रतिक्रिया स्वरूप आक्षेप लगाने के हथकंडों तथा अपने संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार की घटनाओं का गलत फायदा उठाने से बचना चाहिए।  पाकिस्तान ने भारत पर ‘‘आतंकवाद से पीड़ित होने का वही घिसा-पिटा विमर्श’’ गढ़ने, पाकिस्तान की सीमाओं पर आतंकवाद को बढ़ावा देने, कश्मीर में ‘‘सरकारी दमन’’ करने और मुसलमानों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया। इसने कहा ‘‘वक्फ विधेयक को जबरन पारित कराने का प्रयास भारत में मुसलमानों को हाशिए पर डालने का एक नया प्रयास है।’’ पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि पहलगाम हमले को पाकिस्तान से जोड़ने संबंधी भारत के प्रयास “तुच्छ और तर्कहीन हैं’’।

दिल्ली : ‘सुरक्षा चूक’ व बैठक में प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी का मुद्दा उठा, सरकार के हर कदम के साथ : खरगे

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बृहस्पतिवार को कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने पहलगाम आतंकी हमले की एक स्वर में निंदा की और सरकार के किसी भी जवाबी कदम के प्रति अपना समर्थन जताया, हालांकि बैठक में विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गैरमौजूदगी के विषय को उठाया। खरगे ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘‘सुरक्षा चूक’’ को लेकर सवाल किया। खरगे ने कहा, ‘‘हमने यही सवाल उठाया कि ऐसी महत्वपूर्ण बैठक में खुद प्रधानमंत्री का रहना जरूरी है। उनका निर्णय महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने जो बातें की हैं, वो सर्वदलीय बैठक में भी कर सकते थे। उनके मुताबिक, ‘‘पहलगाम में त्रिस्तरीय सुरक्षा रहते हुए यह कैसे हुआ। तीन दिन में एक हजार लोग वहां गए थे। राहुल गांधी जी ने पूछा कि जब एक हजार लोग गए तो पुलिस को इसकी जानकारी होनी चाहिए थी और यह सुरक्षा चूक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह सवाल उठाया कि इसमें खुफिया विफलता है और सुरक्षा चूक भी है। इस आतंकी हमले को लेकर सरकार जितनी तेजी से कदम उठाना था, उतना नहीं उठाया। विपक्षी दलों ने भी यह बात रखी।’’


खरगे ने कहा कि सभी दलों ने यह स्वर में यह कहा कि देश हित में सरकार जो भी कदम उठाएगी, उसका समर्थन किया जाएगा तथा इस आतंकी हमले की एक स्वर में निंदा करेंगे।  उन्होंने कहा, ‘‘देश और दुनिया को यह संदेश देना है कि हम सब एक हैं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा का विषय भी बैठक में उठाया गया, इस पर सरकार ने पुख्ता सुरक्षा का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि आतंकवाद के खिलाफ सभी एकजुट हैं और इस पर ‘हिंदू-मुस्लिम’ वाली कोई भावना नहीं भड़काई जानी चाहिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि विपक्ष ने पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर सरकार को कोई भी कदम उठाने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया है। राहुल ने संवाददाताओं से कहा, “सभी दलों ने (पहलगाम हमले की) एक स्वर में निंदा की। विपक्ष ने सरकार को कोई भी कदम उठाने के लिए समर्थन दिया।” बैठक के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि सभी दलों ने सरकार से आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि बैठक में संभावित सुरक्षा चूक पर भी चर्चा हुई, लेकिन विपक्ष ने सरकार को आश्वासन दिया कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसके साथ है। बंदोपाध्याय ने कहा, “आतंकवाद को खत्म करने की इस लड़ाई में राष्ट्र को पूरी तरह एकजुट होना होगा।” बैठक में सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू मौजूद थे। राजनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी उपस्थित थे।

पटना : संविधान बचाओ अभियान को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने की वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक

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पटना (रजनीश के झा)। बिहार प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने महत्वपूर्ण बैठक की. जिसमें पार्टी की 25 अप्रैल से लेकर 30 मई तक संचालित होने वाली संविधान बचाओ अभियान के तहत राज्य, जिला, प्रखंड और विधानसभा स्तर पर कार्यक्रम एवं घर घर संपर्क अभियान संचालित करने को लेकर अहम चर्चा हुई. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने संविधान बचाओ अभियान राष्ट्रीय अभियान कैलेंडर और क्रियान्वयन को लेकर महत्वपूर्ण बैठक में कई विषयों और कार्यक्रम को लेकर विस्तृत चर्चा की.प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि देश के संविधान, लोकतांत्रिक संस्थाओं और सामाजिक आर्थिक न्याय के आदर्शों पर मोदी सरकार द्वारा सीधे और सुनियोजित तरीके से हमले किए जा रहे हैं. इसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में 40 दिवसीय राष्ट्रीय आंदोलन में संविधान बचाओ अभियान को गति देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम के क्रियान्वयन करेगी. पहले चरण में सभी वरिष्ठ नेताओं, मंच और मोर्चा के नेताओं और पदाधिकारियों के साथ प्रदेश कांग्रेस में मुख्यालय में बैठक संपन्न हुई. इसके उपरांत राज्य स्तरीय संविधान बचाओ रैली, दूसरे चरण में जिला स्तरीय संविधान बचाओ रैली, विधानसभा स्तरीय संविधान बचाओ रैली और घर घर संपर्क अभियान कार्यक्रम का क्रियान्वयन को लेकर बातचीत हुई और रूपरेखा तैयार किया गया. 25 अप्रैल से 30 मई तक यह कार्यक्रम संचालित होगा. प्रदेश कांग्रेस को संविधान बचाओ की एक वर्षीय पदयात्रा कार्यक्रम को लेकर रूपरेखा की तैयारी की भी बात कही गई.इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के द्वारा राज्य, जिला, प्रखंड स्तर पर बैठक और जन भागीदारी इस कार्यक्रम के तहत लगातार बेरोजगारी, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, अपराध साथ ही क्षेत्रीय समस्याओं और अन्य समस्याओं को मुखरता से उठाने की बात हुई.


इस  बैठक में विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता डा0 मदन मोहन झा,ए.आई.सी.सी. के सचिव, तौकीर आलम, अफाक आलम, मोती लाल शर्मा, कृपानाथ पाठक , प्रेमचन्द्र मिश्रा, विधान पार्षद डा0 समीर कुमार सिंह, नरेन्द्र कुमार, संजीव प्रसाद टोनी, वीणा शाही, विधायक इजहारूल हुसैन, मुन्ना तिवारी, आनन्द शंकर सिंह, संतोष कुमार मिश्र, अजय कुमार सिंह, कपिलदेव प्रसाद यादव , राजीव कुमार,राजेश राठौड़, ब्रजेश प्रसाद मुनन, अजय  चौधरी   , जमाल अहमद भल्लू, बंटी  चौधरी  , नागेन्द्र कुमार विकल, राज कुमार राजन, प्रभात कुमार सिंह, डा0 अजय कुमार सिंह, सुनीता देवी, गजानन्द शाही, राजेश कुमार सिंन्हा, सौरभ सिन्हा, मो0 खान अली, शरवत जहां फातमा, गुंजन पटेल, अरविन्द लाल रजक , शिशिर कौंडिल्य , निधि पांडेय , कमलदेव नारायण शुक्ला, हसीब अनवर, उमेश कुमार राम, मनोज शर्मा,, राशीद फाकरी, मृगेन्द्र कुमार सिंह, दुर्गा गुप्ता, वसी अख्तर, संतोष श्रीवास्तव, परवेज अहमद, पंकज यादव, रंजीत यादव, अरविन्द  चौधरी , कुंदन गुप्ता, सिद्धार्थ क्षत्रिय,, प्रदुम्न कुमार यादव, वैद्यनाथ शर्मा, शारीफ रंगरेज, मुन्द्रिका सिंह यादव, रीता सिंह, कमल कमलेश, राजीव मेहता, पवन कुमार केशरी, डा0 इरशाद अहमद खां, कमलेश पाण्डेय, अविनाश कुमार, मो0 शाहनवाज, दीपक पटेल, संजय पाण्डेय, चन्द्रमणि कुमार मणि, डा0 विनोद कुमार यादव, शर्मानन्द पाण्डेय, डा0 खालिद अमीन, ई0 विश्वनाथ बैठा, रोशन कुमार सिंह, अर्जुन पासवान, साधना देवी रजक सहित अन्य नेता मौजूद थे.

पटना : आतंकवाद के खिलाफ निंदा प्रस्ताव

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पटना (रजनीश के झा). हम बिहार प्रांत के इंडिया गठबंधन (भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन) के सभी दल एक स्वर में कश्मीर के पहलगाम के बैसरन में हुए आतंकी हमले की कठोर भर्त्सना करते हैं.यह पाकिस्तान-परस्त आतंकवादी अमानवीय और कायराना हमला भारत माँ की अस्मिता पर सीधा प्रहार है.देश के विभिन्न प्रांतों से कश्मीर गए पर्यटकों की आतंकवादियों ने निर्दयता और निर्ममतापूर्वक नृशंस हत्या की है, जिसमें हमारे बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले मनीष रंजन जी भी शामिल हैं. हम मारे गए सभी पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि मृतकों के परिजनों को ईश्वर संबल प्रदान करे.हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वो आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से कठोरतम कार्यवाही कर उसे जड़ से उखाड़ फेंके. आज प्रतिपक्ष दल होने के नाते हमें अपने प्रजातांत्रिक दायित्वों का भान भी होना चाहिए. इसलिए देश और बिहार की जनता के मन में उठ रहे कुछ यक्ष प्रश्न हम बिहार की और देश की सरकार से पूछना चाहते हैं.इन प्रश्नों की प्रासंगिकता इसलिए और अधिक हो जाती है क्योंकि प्रधानमंत्री जी आज एक राजनीतिक कार्यक्रम में बिहार आए हैं.

1. जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए नेवी के शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की बहन सृष्टि ने कहा -  ‘‘विनय 1 घंटा, 30 मिनिट तक जिंदा थे, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया’’.

2. प्रश्न यह उठता है कि जब एक ही स्थान पर लगभग दो हजार पर्यटक मौजूद थे, तो उनकी सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए गए? उनके लिए एक भी सुरक्षाकर्मी क्यों मौजूद नहीं था?

3. जबकि सरकार को यह पता था कि जम्मू कश्मीर में 2014 से अब तक 3,982 आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिनमें 413 आम लोगों की हत्याएं हुई हैं और 630 सुरक्षा बल के लोग शहीद हुए हैं.इस गंभीर लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा?

4. केंद्र सरकार राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से तमाम विपक्षी नेताओं के पीछे देश की अधिकांश जाँच एजेंसियां लगाती है, लेकिन आतंकियों के पीछे ये ऐसा क्यों नहीं कर पाती? आतंकियों के खिलाफ सरकार की Intelligence  और  Surveillance क्यों फेल हो जाती है?

5. पुलवामा कांड की जांच का क्या हुआ? पुलवामा कांड को 6 वर्ष से अधिक हो गए हैं, लेकिन उनकी जांच की प्रगति जीरो है.सरकार ने अब तक यह क्यों नहीं बताया कि 200-300 किलो आरडीएक्स कहाँ से आया? सीआरपीएफ के वीर शहीदों और उनके परिजनों को क्या न्याय मिला?

6. जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा समय-समय पर बिहार के अनेक श्रमिक भाइयों की हत्या की गयी है. सरकार बताए इसका जिम्मेदार कौन है? श्रमिक भाइयों के परिजनों के लिए उन्होंने क्या किया?

7. सरहद पार से आतंकी देश में आ रहे हैं, तो यह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है. यह बहुत बड़ा Security Lapse है.पहलगाम में आतंकियों ने आकर रेकी भी की होगी, वारदात की जगह भी चुनी होगी, लेकिन इस बीच हमारा Intelligence System क्या कर रहा था? उनकी जवाबदेही कौन तय करेगा?

8. भारतीय जनता पार्टी, केंद्र सरकार और गोदी मीडिया के द्वारा आतंकी घटना को सांप्रदायिक रंग देना सरकारी की नाकामी का प्रत्यक्ष प्रमाण है। बीजेपी की ऐसी पहल देश, संविधान, लोकतंत्र और मानवता के लिए घातक है। महागठबंधन इसकी निंदा करता है.

9. क्या बिहार की सरकार ने कश्मीर में पर्यटन के लिए गए अपने नागरिकों की मदद के लिए कोई हेल्पलाइन नंबर जारी किया? क्या अपने किसी मंत्री की तैनाती वहां की ताकि बिहार के नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जा सके ?

10. क्या बिहार सरकार प्रधानमंत्री की रैली में इतनी व्यस्त थी कि उसे अपने नागरिकों की सुध लेने का भी समय नहीं था?

दिल्ली : पाकिस्तान के साथ व्यापार नहीं करने का कैट का आह्वान

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नई दिल्ली,  24 अप्रैल (विजय सिंह)। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान की शह पर आतंकवादियों द्वारा विगत दिनों 26 निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या के विरोध में व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)ने देश भर के व्यापारियों व उधमियों से पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं करने का निवेदन किया है I गुरुवार को देश की राजधानी दिल्ली में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री व चांदनी चौक दिल्ली के सांसद प्रवीण खंडेलवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय चेयरमैन ब्रजमोहन अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट सुरक्षा समिति द्वारा पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त करने सहित लिए गए अन्य कठोर कूटनीतिक फैसले का स्वागत करते हुए देश भर के व्यापारियों से पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का व्यापार नहीं करने का निवेदन किया है Iव्यापारिक संगठन का मत है कि देश की सुरक्षा व संप्रभुता को सर्वोपरि मानते हुए आतंकवाद को शह देने पाकिस्तान को कूटनीति के साथ साथ आर्थिक मोर्चे पर भी करारा जवाब देना चाहिए I


मधुबनी : प्रधानमंत्री ने 13,480 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का शुभारंभ किया

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मधुबनी/नई दिल्ली ( रजनीश के झा)। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर बिहार के मधुबनी में 13,480 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास और लोकार्पण किया।  इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों से 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में किए गए हमलों में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए मौन रखने और प्रार्थना करने की अपील की। बिहार के मधुबनी ज़िले की लोहना उत्तर ग्राम पंचायत में आयोजित मुख्य समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गरिमामयी उपस्थिति में बिहार की पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों, स्थानीय नागरिकों और विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की उल्लेखनीय भागीदारी देखने को मिली। इस विशाल सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि  "'विकसित भारत'की कल्पना तब तक अधूरी है जब तक उसके गांव और पंचायतें पूरी तरह विकसित न हो जाएं"। 


केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने अपने संबोधन में पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पंचायती राज प्रणाली को सशक्त और आधुनिक बनाने हेतु उठाए गए ऐतिहासिक कदमों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत पंचायतों को दी जाने वाली धनराशि में सात गुना वृद्धि हुई है, जिससे पंचायतें पहले की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी, आत्मनिर्भर और उत्तरदायी बनी हैं। उन्होंने बताया कि आज पंचायती राज मंत्रालय द्वारा e-GramSwaraj जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान जैसी अत्याधुनिक सेवाओं की शुरुआत ने ग्रामीण जीवन को और अधिक सुरक्षित एवं सुगम बनाया है। पंचायती शासन व्यवस्था को अधिक सक्षम और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से पंचायत प्रतिनिधियों को अब भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। महिला जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से उनके नेतृत्व एवं प्रशासनिक क्षमताओं को भी मजबूती प्रदान की जा रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा ग्राम पंचायत से देश को संबोधित किया जाना इस बात का प्रतीक है कि ग्राम स्वराज की भावना को आज सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में स्थान प्राप्त है। उन्होंने लोहना उत्तर ग्राम पंचायत में इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय कार्यक्रम के आयोजन को पंचायतों की प्रतिष्ठा और उनकी भूमिका में आए परिवर्तन का जीवंत प्रमाण बताया। श्री सिंह ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की सभी प्रतिनिधियों को शुभकामनाएं देते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि आज की सशक्त, समावेशी और प्रगतिशील पंचायतें विकसित भारत की आधारशिला बन चुकी हैं और यह परिवर्तन अब स्पष्ट रूप से ज़मीनी स्तर पर परिलक्षित हो रहा है।

विचार : तकनीक बनाम परंपरा: भारतीय सिनेमा में इमर्सिव क्रांति

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1930 के दशक से पहले, भारतीय फिल्म अभिनेता शूटिंग के दौरान गीत 'लाइव'गाते थे, उनके साथ संगीतकार तबला, सितार, अकॉर्डियन और अन्य वाद्य यंत्र बजाते थे, जो ट्रॉली पर रखे होते थे। उन्नत ध्वनि-रिकॉर्डिंग तकनीक के आगमन के साथ इस बोझिल प्रक्रिया में बदलाव आया। 1935 में, कलकत्ता के न्यू थियेटर्स के मुकुल बोस ने फिल्म 'भाग्य चक्र'में पार्श्व गायन की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने गीत को अलग से रिकॉर्ड किया और शूटिंग के दौरान अभिनेता से गीत के अनुरूप होंठ हिलाने (लिप-सिंक) के लिए कहा। तीन साल बाद, 1938 में, के.एल. सहगल को 'स्ट्रीट सिंगर'के प्रतिष्ठित गीत 'बाबुल मोरा'के लिए प्लेबैक तकनीक का उपयोग करने के लिए चुना गया था। नई तकनीक के प्रति अपने विरोध के कारण, के.एल. सहगल ने 'स्ट्रीट सिंगर'के फिल्मांकन के दौरान "बाबुल मोरा"को ‘लाइव’ गाने पर जोर दिया, जिससे निर्देशक फणी मजूमदार को प्री-रिकॉर्डिंग नहीं करने पर मजबूर होना पड़ा। बाकी सब इतिहास है, क्योंकि सहगल द्वारा हारमोनियम बजाते हुए सड़कों पर 'बाबुल मोरा'गाने का अविस्मरणीय लाइव प्रदर्शन अत्यधिक लोकप्रिय हो गया। 


यह किस्सा एक व्यापक सत्य को दर्शाता है: पूरे इतिहास में, कलाकारों ने अक्सर नई तकनीकों के आगमन से जूझते हुए उन्हें संदेह, भय या प्रतिरोध के साथ देखा है। तनाव, न केवल अप्रचलित होने के डर से, बल्कि शिल्प और कलात्मक पहचान के गहरे संबंध से भी पैदा होता है। अपने सौ तीस साल के इतिहास में, सिनेमा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी और एक्सटेंडेड रियलिटी जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति के साथ एक और तकनीकी क्रांति के लिए तैयार है। इस तकनीक का उपयोग कहानी कहने के तरीकों को बदल सकता है और फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में बदलाव ला सकता है। दिलचस्प बात यह है कि प्रमुख फिल्म निर्माण कंपनियां और स्वतंत्र फिल्म निर्माता दोनों ही इसकी समय दक्षता, लागत प्रभावशीलता और बेहतर परिणामों से लाभ उठा सकते हैं। और यहीं पर वेव्स (विश्व दृश्य-श्रव्य और मनोरंजन शिखर सम्मेलन) अकादमिक विशेषज्ञों और उद्योग के पेशेवरों की सक्रिय भागीदारी के साथ स्थापित फिल्म निर्माण कर्मियों और उभरती प्रतिभाओं दोनों का मार्गदर्शन और समर्थन करना चाहता है। वेव्स का उद्देश्य रचनात्मकता और प्रौद्योगिकी के बीच की खाई को पाटना तथा नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना है। यह ज्ञान के आदान-प्रदान और कौशल विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है। उम्मीद है कि यह प्रतिभागियों को मनोरंजन उद्योग की उभरती मांगों के अनुरूप सशक्त बनाएगा।


पिछले कुछ दशकों में, कंप्यूटर द्वारा बनाई गई इमेजरी और विज़ुअल इफ़ेक्ट के क्षेत्र सबसे  महत्वपूर्ण रहे हैं, जहाँ तकनीक ने भारतीय सिनेमा में क्रांति ला दी है। पारंपरिक विज़ुअल इफ़ेक्ट में अधिक समय लगता था और कलाकारों की टीमों को कई दिनों तक काम करना पड़ता था। प्रोग्रामिंग एल्गोरिदम अब मशीन लर्निंग का उपयोग करके इस प्रक्रिया के महत्वपूर्ण हिस्सों को स्वचालित बना सकते हैं, ताकि गतिविधि की निगरानी की जा सके, यथार्थवादी प्रारूप पैदा किया जा सके या बेहतरीन सटीकता के साथ प्रकाश व्यवस्था का अनुकरण किया जा सके। आइए दो विशिष्ट उपयोगों पर नज़र डालें। मान लीजिए कि एक बड़ा स्टेडियम है और हमें इसे वास्तविक दर्शकों से भरने के लिए बड़े पैमाने पर बजट और संसाधनों की आवश्यकता होगी। ग्राफ़िक्स के साथ भीड़ का अनुकरण आसानी से किया जा सकता है। इसी तरह, हम किसी अभिनेता की उम्र बढ़ाने या घटाने के लिए मेकअप के दागों को सावधानीपूर्वक ठीक कर सकते हैं। परिणाम प्रभावशाली होते हैं, क्योंकि ग्राफ़िक्स लाइव-एक्शन फ़ुटेज में सहजता से घुलमिल जाते हैं। इस तरह की संभावना, पौराणिक दुनिया, काल्पनिक जीव और महामानवीय एक्शन दृश्य-श्रृंखला बनाने में अमूल्य साबित हो सकती है। अब, यदि  हम नवीनतम तकनीक का उपयोग करके निकट भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करें, तो हम वर्चुअल प्रोडक्शन की उम्मीद कर सकते हैं। यह एक ऐसी तकनीक है जो शूटिंग शुरू होने से पहले वातावरण को संयोजित करने के लिए एआई के साथ रियल-टाइम रेंडरिंग इंजन को जोड़ती है। प्री-प्रोडक्शन के दौरान समय और पैसे की बचत के लिए इस दृष्टिकोण को अपनाने से फिल्म निर्माताओं को बहुत लाभ हो सकता है। इसके अलावा, एआई-संचालित विज़ुअलाइज़ेशन टूल फिल्म निर्माताओं और सिनेमैटोग्राफरों को दृश्यों को ब्लॉक करने, कैमरा गतिविधि की योजना बनाने और एक भी फ्रेम शूट होने से पहले जटिल दृश्यों की परिकल्पना करने में मदद कर सकते हैं। यह उन फिल्मों में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है, जहां एक्शन एक बड़ी पृष्ठभूमि में होता है और जहां ग्राफिक्स और लाइव प्रदर्शन के बीच सहज तालमेल की आवश्यकता होती है।


पोस्ट-प्रोडक्शन, फिल्म निर्माण के सबसे अधिक श्रमसाध्य चरणों में से एक है। एआई, रंग श्रेणीकरण, दृश्यों के बीच सुर/लहजा मिलान और यहां तक ​​कि दृश्य से अवांछित तत्वों को हटाने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है - ऐसे कार्य जिनके लिए पहले लंबे समय तक हाथ से काम करना पड़ता था। ध्वनि प्रौद्योगिकी में, वॉयस क्लोनिंग, लिप-सिंक सुधार और कई भाषाओं में डबिंग ऐसे अन्य क्षेत्र हैं, जहां एआई महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है। यह भारत के बहुभाषी इकोसिस्टम में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इसमें से कितना कुछ साकार हो पाता है। भारतीय सिनेमा अभी भी कंटेंट निर्माण में एआई प्रयोग के शुरुआती चरण में है। लेकिन पटकथा लेखक पहले से ही इसके प्रति उत्सुक हो रहे हैं। एआई उपकरण हजारों पटकथाओं, शैलियों और दर्शकों की प्राथमिकताओं का विश्लेषण करके कथानक बिंदु, किरदार के आयाम और संवाद विविधताओं का सुझाव दे सकते हैं। यह रचनात्मक व्यक्ति की जगह नहीं लेता है, बल्कि रचना का विस्तार करता है, ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो कथाओं को अधिक आकर्षक बना सकती है या सांस्कृतिक रूप से प्रतिध्वनित कर सकती है। उदाहरण के लिए, एक जटिल ऐतिहासिक महाकाव्य विकसित करने वाला एक फिल्म निर्माता कुछ ही सेकंड में उस अवधि के विवरण और बोलियों पर शोध करने के लिए एआई का उपयोग कर सकता है।


एआई और इमर्सिव तकनीक के सबसे गहरे प्रभावों में से एक है, लोकतंत्रीकरण। अब, स्वतंत्र फिल्म निर्माता एआई-संचालित उपकरणों के साथ उच्च-गुणवत्ता वाले कंटेंट बना सकते हैं। क्लाउड-आधारित संपादन सूट और ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर उपयोगकर्ताओं को बहुत अधिक पैसा खर्च किए बिना वीएफएक्स, एनीमेशन और साउंड डिज़ाइन के साथ प्रयोग करने की सुविधा देते हैं। एआई सिनेमैटोग्राफ़रों को प्रत्येक दृश्य में वांछित प्रभाव प्राप्त करने के लिए सबसे कुशल कैमरा कोण और प्रकाश परिदृश्यों की भविष्यवाणी करने में मदद कर सकता है। इसका उपयोग करके, संपादक घंटों के फुटेज को स्कैन कर सकते हैं और नोट्स और विश्लेषण पेश कर सकते हैं। फिर संपादक अंतिम कट में शामिल करने के लिए सबसे अच्छे शॉट्स चुन सकता है, जिससे समय की बचत होती है और दक्षता बढ़ती है। पुरानी भारतीय फिल्मों के पुनर्निर्माण का बहुत अधिक कार्य चल रहा है और एआई इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। खराब हो चुकी मूल फिल्म रीलों का डिजिटल पुनर्निर्माण, इन खराब हो  चुकी फोटोकैमिकल फिल्मों की नकल; गंदगी, खरोंच और झिलमिलाहट को कम करना, साथ ही साथ तस्वीर की गुणवत्ता को भी बढ़ाना, क्योंकि फुटेज मूल है। भारत में बहुत सी भाषाएँ बोली जाती हैं और उनमें फ़िल्में बनाई जाती हैं। भाषा प्रसंस्करण में सुधार करके कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) शीर्षक बनाने, डबिंग करने और व्यापक स्तर पर दर्शकों के लिए फिल्म के अनुवाद को सुविधाजनक बनाने में मदद कर सकता है।  


हालांकि एआई के बहुत लाभ हैं, लेकिन सिनेमा में एआई का उपयोग कई नैतिक चिंताओं को जन्म देता है। यदि इसका दुरुपयोग किया जाता है, तो डीपफेक तकनीक गलत सूचना या सहमति उल्लंघन का कारण बन सकती है। कलात्मक प्रामाणिकता का भी सवाल है: हम मानवीय रचनात्मकता और मशीन सहायता के बीच रेखा कहाँ खींचेंगे? फिल्म निर्माण में एआई तकनीकों का कार्यान्वयन भी महंगा हो सकता है। हो सकता है कि कई फिल्म निर्माता ऐसे निवेश के लिए सक्षम नहीं हों। इसके अलावा, किसी भी अन्य तकनीक की तरह, निर्भरता का जोखिम हमेशा मौजूद होता है। प्रोडक्शन में कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल करके, फिल्म निर्माताओं को तकनीक पर अत्यधिक निर्भर होने का जोखिम है। यह जरूरी है कि एआई को डेटा की आवश्यकता हो, और उस डेटा को संग्रह और तैयार करने की भी आवश्यकता हो। डेटा गोपनीयता के बारे में चिंताएं पहले से ही अन्य उद्योगों में एक प्रमुख मुद्दा बन गई हैं, लेकिन चेहरे की पहचान और बायोमेट्रिक्स का उपयोग इस चिंता को और भी बढ़ा देता है। जैसे-जैसे एआई प्रणालियां विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से उपयोग की जा रही है, वे हैकर्स और साइबर अपराधियों के लिए आकर्षक लक्ष्य बन रही हैं। एआई प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले एल्गोरिदम पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के विभिन्न समूहों का रूढ़ प्रारूप (स्टीरियोटाइप) या सीमित प्रतिनिधित्व हो सकता है। ये प्रणालियां, पूर्वनिर्धारित मानदंडों के भीतर अभिनव विचारों को उत्पन्न करने के लिए उत्कृष्ट हैं। हालाँकि, उनमें मानवीय रचनात्मकता से जुड़ी तरलता और सहजता का अभाव है। वर्तमान एआई प्रणाली पैटर्न पहचान में उत्कृष्ट है और बड़ी मात्रा में डेटा को तेज़ी से संसाधित करती है। हालाँकि, उनमें मानवीय समझ, अंतर्ज्ञान और सहानुभूति के स्तर का अभाव है।


तकनीकी चमत्कार के लालच में पड़ना है या नहीं - यही दुविधा बनी हुई है! चूंकि भारतीय फिल्म निर्माता और तकनीशियन एआई-संचालित इमर्सिव टूल द्वारा संचालित तकनीकी परिवर्तन के मुहाने पर खड़े हैं, जिसमें असीमित रचनात्मकता और दक्षता की संभावना है। इसके फलस्वरूप, दर्शकों की भागीदारी भी बढ़ेगी। लेकिन दूसरी ओर, नौकरी या कलात्मक नियंत्रण खोने, सीखने की कठिन अवस्थाओं से गुज़रने और नैतिक चिंताओं का डर है। इतिहास गवाह है कि भारतीय सिनेमा कभी भी पुनर्रचना करने से पीछे नहीं हटा है - मूक रीलों से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक्स-संचालित महाकाव्यों तक। जैसे-जैसे उद्योग एल्गोरिदम और अवतारों के साथ प्रयोग कर रहा है, उसे अंततः पता चल रहा है कि कहानी तब सबसे अच्छी तरह पेश की जाती है, जब तकनीक रचनात्मकता की सेवा करती है और इसे प्रतिस्थापित नहीं करती है।






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अतानु घोष    

पटना : फीलमची भोजपुरी की तीसरी ओरिजिनल फिल्म का धमाकेदार वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमिय

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  •  ‘क्यूँकि... हर एक सास ज़रूरी होती है’ 26 अप्रैल को

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पटना (रजनीश के झा)। भोजपुरी सिनेमा के दर्शकों के लिए एक और विशेष तोहफा लेकर आ रहा है फीलमची भोजपुरी चैनल। अपने 5 साल पूरे होने पर '5 साल - महा धमाल'सेलिब्रेशन के तहत फीलमची ने तीसरी खुद की ओरिजिनल फिल्म ‘क्यूँकि... हर एक सास ज़रूरी होती है’ का वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर 26 अप्रैल को एक्सक्लूसिवली फीलमची भोजपुरी पर होगा। इस फ़िल्म की खासियत इसकी हास्य से भरपूर, दिल को छू लेने वाली और अनोखी कहानी है, जिसमें पारिवारिक रिश्तों को मजेदार और भावनात्मक ढंग से दर्शाया गया है। इससे पहले फीलमची की दो ओरिजिनल हिट फिल्मों—‘सास कमाल, बहू धमाल’ और ‘बड़की भाभी’ ने भोजपुरी दर्शकों के बीच ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल की है और दर्शकों की पसंदीदा सूची में जगह बनाई है। ‘क्यूँकि... हर एक सास ज़रूरी होती है’ की कहानी ‘मौसम’ नाम की पढ़ी-लिखी और समझदार बहू के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसकी सास ‘धनेश्वरी’ चालाक और असुरक्षित प्रवृत्ति की है। मौसम अक्सर अपनी दादी सास की तस्वीर से मन की बातें करती है, लेकिन एक दिन दादी सास की आत्मा प्रकट होकर मौसम के शरीर में प्रवेश कर जाती है। उनका ‘सास धर्म’ अधूरा रह गया था, जिसे अब वे पूरा करना चाहती हैं—अपनी बहू के ज़रिए! कहानी में हास्य, भावनाएं और रिश्तों की गहराई इतनी सहजता से बुनी गई है कि हर दर्शक इससे जुड़ाव महसूस करेगा।


फिल्म में प्रमुख भूमिकाएं निभा रही हैं अपर्णा मलिक और लाडो मधेसिया, जिनके अभिनय ने किरदारों को जीवंत बना दिया है। साथ ही इस फिल्म में वरिष्ठ कलाकार जे. नीलम भी अहम भूमिका में नज़र आएंगी। लाडो मधेसिया ने कहा, “फीलमची पर बनी हर फिल्म कुछ नया लेकर आती है। यह सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सोच बदलने की एक कोशिश है। ‘क्यूँकि... हर एक सास ज़रूरी होती है’ हर घर के लिए एक हँसी-खुशी का अनुभव है।” वहीं जे. नीलम ने कहा, “यह फिल्म महिलाओं के आपसी रिश्तों को नए दृष्टिकोण से देखने और समझने की कोशिश है। मुझे गर्व है कि मैं इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हूं।” फिल्म के साथ-साथ फीलमची पर ‘क्यूँकि हर एक सास प्रतियोगिता’ के विजेताओं की घोषणा भी की जाएगी, जिसमें देशभर से लाखों प्रविष्टियाँ आई हैं। प्रतियोगिता में लोगों ने अपने मजेदार वीडियो के ज़रिए बताया कि उनके हिसाब से उनकी सास क्यों खास हैं। ये वीडियो फिल्म के दौरान ऑन-एयर किए जाएंगे, जो दर्शकों को हँसी और भावनाओं से भर देंगे। तो तैयार हो जाइए 26 अप्रैल को इस अनोखे पारिवारिक मनोरंजन के लिए, सिर्फ फीलमची भोजपुरी पर।

आलेख : हर शख्स मांगे जवाब, हर आंसू का हो हिसाब!

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जम्मू कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हमास स्टाइल में हुए आतंकी हमले के बाद देश का हर शख्स बेचैन है, और ट्रंप से लेकर पुदीन सहित पूरी दुनिया चिंतित। या यूं कहे पाक परस्त आतंकी घटना से देश का हर नागरिक गुस्से में है और चाहता है कि सरकार अब हर आंसू का हिसाब करें। वैसे भी यह सामान्य आतंकी घटना नहीं बल्कि, पाकिस्तान की भारत के विरुद्ध खुले युद्ध की घोषणा है। मोदी सरकार को इसका मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। घटना में शामिल आंतकी पूरे देश के गुनहगार है। जल्द ही सर्जिकल स्ट्राइक या इससे बड़ा कार्रवाई कर उन्हें उनकी गुनाहों की सजा दी जानी चाहिए। इन्हीं इच्छाओं एवं जनभावनाओं के दबाव के बीच आतंकियों को करारा जवाब देने की संकल्पबद्धता को दुहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनका धरती के आखिरी छोर तक पीछा कर नेस्तनाबूद करने की बात कहीं है। मोदी के इस ऐलान व जवाबी कार्रवाई से तमतमाएं पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई कर आग में घी डाल दिया है। पाकिस्तान के सिंधु जल समझौता स्थगित करने को युद्ध जैसा बताने के बाद सुरक्षा बल तो सतर्क हो गए हैं, भारतीय सेना भी युद्धाभ्यास में जुट गई है। खास यह है कि केंद्र सरकार और सुरक्षा बल आतंकियों और उनके पनाहगारों पर बड़ा वार करने की तैयारी में नजर आ रहे हैं। मतलब साफ है भारत के 140 करोड़ लोगों की इच्छाशक्ति अब आतंक के आकाओं की कमर तोड़कर रहेगी


Pahalgam-attack
फिरहाल, अब पाकिस्तान को सबक सीखानें का समय आ गया है। यह कायराना हरकत है और सीधे हमारी सेनाओं और सरकार को आतंकियों ने चुनौती दी है। शायद यही वजह है कि देश के लोगों की भावनाओं के अनुरुप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती से आतंकियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि हमले के जिम्मेदार हर आतंकी और उसके समर्थकों की पहचान की जाएगी। उनकी पृथ्वी के आखिरी छोर तक पीछा किया जाएगा और ऐसी सजा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। भारत के 140 करोड लोगों की इच्छाशक्ति अब आतंक के आकाओं को कमर तोड़ कर रहेगी। यह अलग बात है कि यह सब तभी संभव हो पायेगा जब जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों को आतंक के खिलाफ भरोसे में लेते हुए पूरे विपक्ष साथ होगा और यह सब करने के लिए भारत को संयम के साथ सख्त नीति अपनानी होगी। न ज्यादा शांत, न ज्यादा आक्रामक बल्कि सर्जिकल, स्मार्ट और रणनीतिक चरणबद्ध योजना बनानी होगी। पाकिस्तान को एक ऐसा संदेश जाना चाहिए कि भारत शांति चाहता है, लेकिन कमजोरी नहीं है। ठीक उसी तरह जैसे 2016 का उरी हमला और सर्जिकल स्ट्राइक, “स्ट्रैटेजिक रिस्ट्रेंट डॉक्ट्रिन“ (1999 के बाद अपनाई गई संयम की नीति) को बदलने की जरूरत महसूस हुई और संदेश गया कि भारत अब केवल रक्षा नहीं, आक्रामक जवाब भी देगा, सीमित, सटीक और तेज।


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खास यह है कि अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया। इससे पाकिस्तान को कूटनीतिक झटका लगा, क्योंकि दुनिया ने उसे ही “आतंकियों को शरण देने वाला“ माना। पुलवामा हमला और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019)। देखा जाएं तो यह भी आत्मघाती हमला था, जिसमें भारत के 40 जवान मारे गए। यह एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक और राष्ट्रीय झटका था। भारत ने पहली बार पाकिस्तान के अंदर जाकर हवाई हमला किया। यह “नए भारत“ की सैन्य नीति का प्रतीक था। इसे भी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित सभी ने भारत के रुख को समर्थन दिया। यह अलग बात है कि पाकिस्तान ने जवाब में हवाई हमला किया, लेकिन भारत ने उसका भी मुकाबला किया। (अभिनंदन वाला प्रकरण)। कारगिल युद्ध (1999), यह एक ऐसी स्थिति थी जब पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे। लेकिन सीमित व तीव्र सैन्य कार्रवाई में भारत ने कारगिल से घुसपैठियों को खदेड़ा और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग हुआ। जहां तक लगातार फायरिंग और सीजफायर उल्लंघन का मामला है तो उसका मकसद सिर्फ आतंकियों की घुसपैठ कराना होता है। कहने का अभिप्राय यह है कि पाकिस्तान के खिलाफ साइबर मोर्चे से लेकर व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में सीमाएं तय करते हुए उसे चोट पहुंचाया जा सकता है। यह अलग बात है कि आतंकवाद को केवल बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से भी रोकने की जरूरत होगी। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करना, सेना और पुलिस की तैनाती बढ़ाना, हाईवे और तीर्थयात्रा रूट्स की निगरानी, ड्रोन और आधुनिक तकनीक का उपयोग, इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत करना, लोकल इंटेलिजेंस की भागीदारी बढ़ाना, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर, सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोकना, राजनयिक और वैश्विक दबाव बनाना, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मामला उठाना, स्थानीय लोगों का सहयोग लेना, लोगों में भरोसा बनाना कि वे आतंकियों के खिलाफ खड़े हो, विकास योजनाओं में स्थानीयों की भागीदारी, मीडिया और अफवाहों पर नियंत्रण करते हुए सही जानकारी लोगों तक पहुँचना आदि कार्यो को करना होगा।


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जहा ंतक पाकिस्तान सवाल है तो वह अक्सर आतंकवादी संगठनों का उपयोग “प्रॉक्सी वॉर“ के रूप में करता रहा है। कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में आतंकी घटनाओं से भारत में अस्थिरता फैलाना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को ज़िंदा रखना, भारत को सुरक्षा मोर्चे पर मजबूर करना, जैसे रणनीतिक उद्देश्य पूरे किए जाते हैं। भारत के जवाब में पाकिस्तान ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद भारत के साथ व्यापार पर रोक, वाघा बॉर्डर बंद करने और भारतीय विमानों के लिए पाकिस्तानी वायुक्षेत्र के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया है. लेकिन जाहिर है, इनका भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला. ऐसे ही, सिंधु जल समझौता स्थगित करने के भारतीय फैसले को पाकिस्तान ने जिस तरह युद्ध का एलान बताया है, वह उसकी गीदड़ भभकी ही ज्यादा है. सच तो यह है कि पाकिस्तान आज दुनिया में जिस तरह अलग-थलग पड़ गया है, वैसी स्थिति में वह इससे पहले कभी नहीं था. अमेरिका, अफगानिस्तान, खाड़ी देश- कहीं उसका कोई मददगार नहीं है. अमेरिकी कारोबारी आक्रामकता का सामना करते चीन के पास भी फिलहाल पाकिस्तान के साथ खड़े होने का अवसर नहीं है.


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ध्यान रखना चाहिए, अभी तो सिर्फ पाकिस्तान को घेरने की कवायद की गयी है. उसके खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई का विकल्प भी खुला है. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में हमारी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेगी. जैसा कि उसने उरी और पुलवामा हमलों के बाद किया था. पाकिस्तान को भी इसका अंदेशा है. इसी कारण उसने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को तत्काल खाली करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा नियंत्रण रेखा के पास हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना ने भी बैठक बुलायी है. यह भी तय है कि हमारी सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा. इसलिए हमें सैन्य कार्रवाई करते हुए पूरी तैयारी रखनी होगी और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि सैन्य कार्रवाई के बाद हम शांत हो जायें. इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से पहले हमें युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा. आतंकवादियों के मददगार और प्रायोजक के खिलाफ सभी मोर्चों पर जंग शुरू करने का यह उचित समय है, ताकि उसे सबक सिखाया जा सके.


आतंकवादी संगठन, अलगाववादी तथा पाकिस्तान भूल रहे हैं कि भारत, जम्मू-कश्मीर और वैश्विक अंतरराष्ट्रीय स्थितियां बदली हुई हैं. कश्मीर के स्थानीय लोगों को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बदली स्थिति का लाभ मिला है. खुलकर हवा में सांस लेने लगे हैं, बच्चे पढ़ने लगे हैं, खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं और सबसे बढ़कर विकास उनके घर तक पहुंच रहा है. पहले की तरह वहां आतंकवादियों से मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्रदर्शन और पत्थरबाजी नहीं दिखती. यह तो नहीं कह सकते कि आतंकवादियों का स्थानीय समर्थन बिल्कुल खत्म हो गया है, पर स्थिति पहले की तरह नहीं है. कभी पाकिस्तान को अमेरिका या कुछ यूरोपीय देशों की अंतरराष्ट्रीय नीति के कारण शह मिल जाती थी, किंतु अब वह अकेला है. अफगानिस्तान तक उसके विरुद्ध खड़ा है. ज्यादातर प्रमुख मुस्लिम देश भी पाकिस्तान का साथ देने को तैयार नहीं. भारत की स्थिति भी पिछले 10 साल में काफी बदली है. दो बार सीमापार कार्रवाई करके प्रदर्शित भी किया गया है कि हम प्रायोजित आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देने वाले देश बन चुके हैं.


अमेरिका, रूस और यूरोपीय देश ही नहीं, कई मुस्लिम देशों ने इस घटना में भारत के साथ होने का बयान दिया है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी अगर दोषियों को बख्शे नहीं जाने की बात कर रहे हैं और अमित शाह मोर्चा संभाले हुए हैं, तो आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के लिए अब तक का सबसे बुरा समय होगा. पहलगाम में हुआ आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर में पिछले कई सालों से किए जा रहे शांति के प्रयासों को पटरी से उतारने वाली हरकत है। धर्म पूछ-पूछकर हत्या करना न सिर्फ घाटी बल्कि, पूरे देश में सांप्रदायिक आग भडक़ाने और राज्य की आर्थिक रीढ़ तोडऩे की नीयत से किया गया जान पड़ता है। इस हमले ने अनुच्छेद 370 स्थगित करने और उसके बाद विकास को पंख देने के प्रयासों को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल, आतंकी आकाओं को यह बात बर्दाश्त नहीं हो रही है कि जम्मू-कश्मीर के लोग आर्थिक रूप से सक्षम हो जाएं। अब तक वे राज्य के लोगों को गुमराह करने के लिए वहां की आर्थिक बदहाली का ही फायदा उठाते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में घाटी में विकास की नई बयार बहने लगी है। जनता से पिछले विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में हिस्सा लेकर अपने फर्जी रहनुमाओं को स्पष्ट संदेश दे दिया था। यह सब पाकिस्तान को कैसे रास आता। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने तो आतंकी गुटों को उकसाने वाला बयान भी दिया था। सिंधु जल संधि पर भारत में पहले भी सवाल उठते रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्वी इलाकों के लिए जीवन रेखा माने जाने के बावजूद सिंधु का ज्यादातर पानी बिना किसी इस्तेमाल के समुद्र में चला जाता है। दूसरी तरफ, इस संधि के कारण भारत चाहकर भी पानी का इस्तेमाल नहीं कर पाता। ऐसी संधि को नीतिगत चूक के रूप में देखा जाता रहा है। इसको दुरुस्त करने का भी यह अच्छा मौका है। इस संधि को स्थगित करके भारत ने बताया है कि जल कूटनीति का रणनीतिक इस्तेमाल करने का समय आ गया है।






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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

सीहोर : भारतीय शिक्षण मण्डल के 56 वां स्थापना

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सीहोर। श्री सत्य साईं विश्व विद्यालय में भारतीय शिक्षण मण्डल के 56 वां स्थापना दिवस विश्व विद्यालय के कुलगुरु डॉ मुकेश तिवारी की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चिरायु  विश्व विद्यालय के कुलगुरु डॉ सुदेश कुमार सोहनी, मुख्य वक्ता अर्थशास्त्री, शिक्षाविद डॉ एचबी गुप्ता का व्याख्यान आकर्षक और उत्साहवर्धक था। शिक्षा के रामत्व पर विशेष चर्चा की गई। डॉ मुकेश तिवारी द्वारा शिक्षा से ज्ञान, ज्ञान से चरित्र और चरित्र से राष्ट्र का निर्माण पर विशेष वक्तव्य दिया गया। मुख्यतया चरित्र निर्माण, समय प्रबंधन और कर्म और कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहना चर्चा के मुख्य बिन्दु रहे। डॉ सुदेश कुमार ने आपसी भाईचारा और सदभाव रखने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन डॉ तबस्सुम खान द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन डॉ राजेंद्र कुशवाहा ने किया सम्पूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव डा. हेमंत शर्मा द्वारा की गई। 

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